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#क्राइम इन बिहार
sharpbharat · 5 months
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jharkhand cyber criminals arrested : रांची से पकड़े गये बिहार के दो साइबर ठग, देश भर में करते थे साइबर ठगी
रांची : झारखंड सीआइडी ने नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर आम जनता से मिली शिकायत के आधार पर कार्रवाई करते हुए पार्ट टाइम नौकरी दिलाने के नाम पर साइबर ठगी करने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरप्तार व्यक्ति बिहार के पटना के संपतचक रामकृष्णानगर के रहने वाले सुमित कुमार और बिहार के नवादा जिले के अकबरपुर निवासी अभय रंजन शामिल है. (नीचे भी पढ़े) इन दोनों के पास से 6 मोबाइल, 11 सिम कार्ड, 7…
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newshindiplus · 4 years
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खुलासा: बिहार पुलिस के जवान की रॉड से पीट-पीटकर हत्या, सड़क दुर्घटना का रूप देने की थी कोशिश
खुलासा: बिहार पुलिस के जवान की रॉड से पीट-पीटकर हत्या, सड़क दुर्घटना का रूप देने की थी कोशिश
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बांका में पुलिस जवान का मर्डर पुलिस जवान की हत्या (Murder) के बाद शव को सड़क के दूसरे किनारे फेंककर इसे सड़क दुर्घटना (Road accident) का शक्ल देने की कोशिश की गई.
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shahar-e-aman · 3 years
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साइबर फ्रॉड कर आम जनमानस को ठगने वाले साइबर अपराधीयों को प्रयागराज पुलिस ने किया गिरफ्तार प्रयागराज: संगम नगरी में साइबर अपराध को लेकर लगातार पुलिस के आगे सेंधमारी कर रहे साइबर अपराधियों को साइबर सेल व कैंट थाना पुलिस टीम को सफलता हासिल हुई अंतरराज्यीय गैंग को किया गिरफ्तार। वहीं पुलिस टीम ने कैंट थाना क्षेत्र से तीन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से कूट रचित कागज और सिम कार्ड तथा मोबाइल बरामद किया गया है गिरफ्तार अभियुक्त में इकबाल अहमद जो वोडाफोन में कार्य करता था यह अपने डिस्ट्रीब्यूटर से इनएक्टिवेट सिम कार्ड लेकर एक्टिवेट कर बेचने का काम करता था दूसरे अभियुक्त कलीश अहमद लखीमपुर खीरी में अपने दुकान से पेटीएम अकाउंट बनाता था व शैलेश यादव पेटीएम कंपनी में कार्यरत था वहइन पेटीएम एक्टिवेटेड सीमा में जीएसटी की साइट से लोगों के पैन कार्ड नंबर निकाल कर ऐड कर देता है जिससे पेटीएम केवाईसी कंप्लीट हो जाती है और लेनदेन की लिमिट बढ़ जाती है अब इस प्रकार तैयार किए गए इन फर्जी पेटीएम एक्टिवेटेड सिम को 700 से 750 ₹100 प्रति सिम किधर विभिन्न राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल बिहार झारखंड गुजरात राजस्थान हरियाणा दिल्ली आदि में मौजूद अपने गए साइबर अपराध करने वाले अपने साथियों को कोरियर के माध्यम से सप्लाई कर देता था।फर्जी सिम का प्रयोग साइबर अपराधियों द्वारा आम जनमानस से विभिन्न प्रकार के साइबर फ्रॉड करके उनके हाथों से गाढ़ी कमाई का धन अपने फर्जी नाम पते में खुलवाए गए खातों पेटीएम में ट्रांसफर करके अवैध कारोबार को अंजाम देते थे अभी तक पूछताछ में इनके द्वारा लगभग 5 हजार सिम कार्ड सप्लाई किए जाने की पुष्टि हुई है और इनका पेमेंट गूगल पर फोन पर के माध्यम से प्राप्त किया गया है। गिरफ्तार साइबर अपराधी:- इकबाल अहमद पुत्र असगर अली निवासी ककरपिट्टा थाना फूलबेहड़ जनपद लखीमपुर खीरी उम्र 30 वर्ष वर्क अली अहमद पुत्र स्वरावली निवासी फैजाबाद थाना लहरपुर जनपद सीतापुर उम्र 24 वर्ष तीसरे अभियुक्त शैलेश यादव पुत्र सीहल यादव निवासी एमएलआईजी 1/18 सेक्ट एच जानकीपुरम थाना गुडंबा जनपद लखनऊ उम्र 31 वर्ष है वही गिरफ्तार अभियुक्तों ने अपने अन्य साथियों के बारे में उनके नाम बताया जो अभी तक फरार हैं वहीं इनके पास से बरामद किए गए 124 कूट रचित आधार कार्ड 393 कूट रचित केवाईसी से पेटीएम एक्टिवेटेड वोडाफोन आइडिया के सिम कार्ड 113 vodafone-idea के अनएक्टिवेटेड सिम कार्ड एक फिंगरप्रिंट एक्टिवेशन मशीन एक लैपटॉप सैमसंग कूट रचित आधार कार्ड तैयार करने के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले सात मोबाइल फोन साइबर क्राइम क https://www.instagram.com/p/CZUKPDBPzLb/?utm_medium=tumblr
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jmyusuf · 3 years
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खाकी को भी नहीं छोड़ रहे साइबर ठग : साइबर सेल प्रभारी से लेकर कई पुलिस कर्मियों की बनाई फर्जी फेसबुक आईडी, फिर मदद के नाम पर परिचितों से करते पैसे की मांग || EN Daily ||
साइबर ठगों ने आम आदमी तो दूर ‘खाकी’ को भी नहीं छोड़ा है। झारखंड, पश्चिमी बंगाल, असम, बिहार में बैठकर साइबर ठग पुलिसकर्मियों की फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर उनके करीबियों से पैसे की मांग कर ठगी कर रहे हैं। लोग बगैर पूछताछ किए ही उन्हें बताए गए एकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं। जब तक उन्हें इसका पता चलता है तब तक वह ठगी के शिकार हो चुके होते हैं। लखनऊ में पिछले दिनों कई पुलिस के अफसर व कर्मचारियों की फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर ठगी की गई है। इसमें पूर्व में साइबर सेल के नोडल इंरचार्ज व एसीपी हजरतगंज अभय मिश्र व सीओ भगवान सिंह भी इसका शिकार हुए। साथ ही एडीजी के पीआरओ संजय संखवार व गोमती नगर के सब इंस्पेक्टर संजय गुप्ता , इंस्पेक्टर संतोष तिवारी, नीरज यादव, सीओ संतोष सिंह समेत साइबर सेल में तैनात ही कई पुलिस कर्मी ठगी के शिकार हुए।
इन साइटों से हो रही सबसे ज्यादा ठगी
लखनऊ की साइबर सेल में पिछले दो सालों में सबसे ज्यादा ठगी करने वाली वेबसाइट को चिन्हित किया है। इसके लिए लोगों को लोग इन वेबसाइटों पर कोई डाटा न शेयर करने की अपील की गई है। साथ ही किसी भी अंजान लिंक पर क्लिक कर अपनी निजी जानकारी न देने के लिए भी कहा गया है।
https://applypanindia.in
https://bonusredeem.online
https://onlineoffer.in.net
https://rewardpoints.in.net
https://www.quickreplacement.com
https://www.quikr.com/jobs
खाते में सहायता राशि भेजने का बहाना
लॉकडाउन के दौरान साइबर ठगों ने लोगों को सहायता राशि देने के बाहने खाते की डिटेल पताकर लाखों की ठगी की। यह लोग मध्यम वर्गीय व बुजुर्ग को खाते में सहायता राशि भेजने के नाम पर अपनी बातों में फंसा रहे थे। लखनऊ साइबर सेल में ऐसे अबतक 39 शिकायतें दर्ज हुई।
लोन की किस्त में छूट का झांसा देकर ठगी
साइबर ठगों का एक ग्रुप लोन लेने वाला को चिन्हित कर रहा है। यह लोग लोन लेने वालों को किस्त में छूट दिलाने की बात कहकर खाते का ब्यौरा जुटाते हैं। इसके बाद उनके खाते की रकम उड़ा देते। ऐसे करीब दर्जन भर मामले लखनऊ के विभिन्न थानों में दर्ज हुए।
​​​​​​​क्राइम ब्रांच ने जारी की एडवाइजरी
बैंक या फाइनेंस कंपनी फोन पर कभी खाते की डिटेल नहीं पूछी जाती है, ऐसे फोन काल पर निजी जानकारी साझा न करें।किसी से भी अपने खाते से जुड़ी जानकारी व उससे संबंधित ओटीपी किसी को भी न बताएं। यदि लगातार कोई ओटीपी आ रहा है तो बैंक से संपर्क करें।फोन पर किसी भी व्यक्ति द्वारा भेजा गया लिंक न खोले, वह साइबर ठग के भेजे लिंक हो सकते है। जिससे आपका डाटा चोरी हो सकता है।
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ashokgehlotofficial · 3 years
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राजस्थान में अपराध के आंकड़ों को लेकर भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों की वस्तुस्थिति
• नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट की शुरुआत में स्पष्ट चेतावनी अंकित है कि अपराध समाज में विद्यमान विभिन्न परिस्थितियों का परिणाम है। विभिन्न राज्यों में प्रचलित नीति एवं प्रक्रियाओं के कारण राज्यों के बीच केवल इन आकड़ों के आधार पर तुलना करने से बचना चाहिए। अपराध में वृद्धि और अपराध पंजीकरण में वृद्धि में अंतर है और कुछ लोग दोनों को एक मानने की गलती कर लेते हैं। NCRB ने माना है कि आंकड़ों में वृद्धि राज्य में जनकेन्द्रित योजनाओं व नीतियों के फलस्वरूप हो सकती है।
• राजस्थान में अपराध के आंकड़ों को लेकर सोशल मीडिया में भाजपा द्वारा झूठ फैलाया जा रहा है। एक अखबार ने भी यही आंकड़े तथ्यों की जांच किए बिना छाप दिए जिनके कारण आमजन में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है जबकि सच्चाई पूर्णत: भिन्न है।
• कांग्रेस सरकार का गठन होते ही प्रदेश में 2019 में अपराध के निर्बाध पंजीकरण (Compulsory FIR) नीति लागू की। इससे थाने में शिकायत दर्ज करवाने वाले हर व्यक्ति कि FIR दर्ज की जानी शुरू हुई जिससे हर घटना एक तार्किक निष्कर्ष (Logical Conclusion) तक पहुंच सके। पहले आमजन को FIR करवाने तक में परेशानी होती थी। कई बार तो पीड़ित की FIR तक दर्ज नहीं होती थी।
• निर्बाध पंजीकरण की यह नीति लागू करते समय भी हमने स्पष्ट कहा था कि इससे अपराध के आंकड़े बढ़ेंगे लेकिन न्याय सुनिश्चित होगा जिससे आमजन को राहत मिलेगी।
• FIR दर्ज होने के कारण अब हर शिकायत पर पुलिस न्यायोचित कार्रवाई सुनिश्चित करती है। पूर्व में पुलिस सामान्य शिकायत दर्ज करती थी एवं जांच कर शिकायत सही मिलने पर उसकी FIR लिखती थी। अब पहले FIR लिखकर जांच शुरू होती है। इसके कारण अपराध के पंजीकरण में बढ़ोत्तरी हुई है।
• भाजपा के दावों के मुताबिक प्रदेश 2019 में महिला अत्याचार के मामलों में 41550 प्रकरणों के साथ प्रथम स्थान पर था। लेकिन NCRB के मुताबिक महिला अत्याचार के सर्वाधिक 59853 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए। राजस्थान में निर्बाध पंजीकरण की नीति के बावजूद मामले उत्तर प्रदेश से कम हैं।
• भाजपा का दावा है कि 2020 में 2019 की तुलना में महिला अत्याचार 50% बढ़े जबकि आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वास्तव में वर्ष 2020 में महिला अत्याचार 16% कम हुए। वर्ष 2020 में बलात्कार में भी 11% की कमी आई है। वर्ष 2019 की तुलना में महिला अत्याचारों में जून 2021 तक 9% की कमी है।
• बलात्कार के प्रकरणों में भाजपा सरकार में वर्ष 2017-18 में 30-33% महिलाओं को अपनी FIR दर्ज कराने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता था। आज यह आंकड़ा 15% से भी कम रह गया है, क्योंकि पुलिस थाने में निर्बाध पंजीकरण के कारण अविलंब FIR दर्ज होती है।
• किसी भी प्रदेश में अपराध को पूर्णत: नहीं रोका जा सकता है लेकिन अपराध के बास उस पर कार्रवाई कर न्याय सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। राजस्थान में महिला अत्याचारों के प्रकरणों का प्राथमिकता से निस्तारण किया गया जिसके कारण 2019 के अंत में मात्र 9% प्रकरण लंबित थे।
• जबकि भाजपा शासित बिहार में 47%, हरियाणा में 17%, उत्तर प्रदेश में 20% और मध्य प्रदेश में 16% प्रकरण लंबित रहे। यह दिखाता है कि कम अपराध पंजीकरण करने के बावजूद वहां पर प्रकरणों के निस्तारण की रफ्तार धीमी है जबकि राजस्थान में ऐसा नहीं है।
• वर्ष 2020 एवं 2021 के आंकड़ों की तुलना करना उचित नहीं है क्योंकि 2020 में करीब आधा साल आंशिक अथवा पूर्ण लॉकडाउन में गुजरा जिसके कारण अपराध के आंकड़ों में कमी आई थी इसलिए तुलनात्मक रूप से 2021 के आंकड़े ज्यादा आना स्वभाविक है।
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abhay121996-blog · 3 years
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Kanpur News: कलर प्रिंटर से करते थे ₹500 के नोट की फोटोकॉपी, यूं UP पुलिस के चंगुल में फंसे Divya Sandesh
#Divyasandesh
Kanpur News: कलर प्रिंटर से करते थे ₹500 के नोट की फोटोकॉपी, यूं UP पुलिस के चंगुल में ��ंसे
सुमित शर्मा, कानपुर कानपुर की नौबस्ता पुलिस और क्राइम ब्रांच ने मिलकर नकली नोटों का कारोबार करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह के सदस्य कलर प्रिंटर से 500 के नोटों की कॉपी करते थे। इसके बाद नकली नोटों को मार्केट में खपाते थे। पुलिस ने दो आरोपियों को अरेस्ट किया है। इनके पास से 500-500 नोटों के दो लाख चार हजार रुपए बरामद हुए हैं। इन नकली नोटों को इतनी सफाई से तैयार किया गया है, कि असली और नकली नोटों के बीच का फर्क करना मुस्किल है।
कानपुर पुलिस को नकली नोटों के व्यापार की शिकायत मिल रही थी। इसके साथ ही यह गिरोह लोगों को ठगने का भी काम कर रहा था। क्राइम ब्रांच ने नौबस्ता पुलिस के साथ मिलकर बिहार निवासी राम कुमार चौबे और अशोक सिंह को अरेस्ट किया है। इनके पास से बड़ी संख्या में नकली नोटों की जखीरा बरामद हुआ था।
नकली नोटों को कैसे मार्केट में खपाते थे आरोपी क्राइम ब्रांच ने इन आरोपियों के पास से जो नोट बरामद किए हैं, यह बिल्कुल असली नोटों के तरह हैं। इनको आसानी से नहीं पहचाना जा सकता है। आरोपी मार्केट में खरीदारी कर नोटों को खपाते थे। इसके साथ ही भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसा कर नकली नोट देते थे और उनसे असली नोट ले लेते थे।
कलर प्रिंटर से निकालते थे नकली नोट पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने बताया कि दो आरोपियों को नकली नोटों के साथ अरेस्ट किया गया है। यह लोग कलर प्रिंटर से नोट बनाते थे और लोगों से ठगी भी करते थे। लंबे समय से इस काम को अंजाम दे रहे थे। दोनों के खिलाफ केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
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mandalarmychief · 4 years
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संसद की फाइल से : एट्रोसिटी ऑन हॉरिजंस (हरिजनों पर अत्याचार डिबेट में बी पी मण्डल B.P.Mandal)
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, सामाजिक न्याय के प्रणेता, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष स्व बी पी मंडल कई बार विधान सभा व संसद के लिए चुने गए।
6 अप्रैल,1978 को पार्लियामेंट (लोक सभा) में "Atrocities on Harijans" पर उनका भाषण। ( अब 'हरिजन' के जगह 'दलित' शब्द का प्रयोग होता है।) ध्यान दें, बिहार और केंद्र में जनता पार्टी की सरकार थी और श्री मंडल जनता पार्टी के ही सांसद थे।
श्री बी पी मण्डल (मधेपुरा) :
सभापति महोदय, मैं पहले आपको धन्यवाद दूँ जो आपने मेरा नाम लिया।
सभापति महोदय, मुझे इस बात अफ़सोस होता है जबकि हमारे ट्रेजरी बेंच से होम मिनिस्टर या उनके स्टेट मिनिस्टर लोग बिहार में हरिजन पर होने वाले अत्याचार को छिपाना चाहते हैं। और सभापति जी, यह कोई स्टेट की रिस्पॉन्सिबिलिटी नहीं हो सकती है। अगर अमरीका में नीग्रो पर जुल्म होता है, तो उससे कम जुल्म हमारे यहाँ हरिजन पर नहीं होता है। अमरीका की फेडरल गवर्नमेंट और प्रेसिडेंट यह कहें कि फलाँ स्टेट में जुल्म होता है, हमारी रिस्पॉन्सिबिलिटी नहीं है, यह कभी टेनेबल नहीं हो सकता। इसलिए जो जुल्म हरिजनों पर होता है, जिस धर्म में हमलोग हैं, उस धर्म की बुनियाद इसीपर है। मैं काँग्रेस वालों को क्या दोष दूँ। कोई सरकार रहे, चाहे अँगरेज़ रहे, मुसलमान रहे या हिन्दू पीरियड रहा हो, हज़ारों साल से हरिजनों पर जुल्म इस देश में हो रहे हैं। दुनिया के किसी भी देश से कम जुल्म नहीं, यहाँ सबसे ज्यादा ज़ुल्म होता है। मैं इसका एक उदहारण दूँगा।
दुनिया का कौन सा ऐसा देश है जिसमें खानदान के खानदान, बाबा, बेटा, पोता, परपोता जाति के आधार पर बरसों से पखाना माथे पर ढोए। हमलोग हरिजनों से यह काम करा रहें हैं। आपकी म्युनिसिपैलिटी में भी किसी दूसरी जाति के लोग पखाना नहीं ढोते। यह हमारे समाज की जड़ में है। इसको यह कह देना मखौल है कि काँग्रेस में क्या हुआ, महाराष्ट्र में क्या हुआ, फलाँ जगह क्या हुआ। इस आड में हम नहीं बच सकते। यह काँग्रेस या जनता पार्टी की बात नहीं है। हमारे समाज की जड़-जड़ में, अंग-अंग में और कण-कण में यह है कि जात-पात के द्वेष के आधार पर हमारा समाज बना हुआ है। किसी भी सरकार के लिए यह शर्म की बात है, खासकर जनता पार्टी के लिए अगर हम पुरानी लकीर के फ़क़ीर हों।
हिन्दुस्तान में ऐसी बड़ी क्रांति हुई, रेवोल्यूशन हुआ, जनता पार्टी यहाँ आई, काँग्रेस वालों को हटा कर जनता पार्टी को लाया गया और हम अब भी पुराने लकीर के फ़क़ीर हों, यह कहाँ की बात है? आंध्र में कितना होता है, कर्नाटक में कितना होता है, इससे हमारा कोई भी केस सुधरने वाला नहीं है। यह हमारे लिए शर्म की बात है। आज हमको टोटल रिस्पॉन्सिबिलिटी लेनी चाहिए कि ईस समाज को हम परिवर्तित करेंगे और हरिजनों पर ज़ुल्म नहीं होंगे।
एक माननीय सदस्य : अगर हरिजन ज़ुल्म कर दें हम पर तो ?
श्री बी पी मण्डल : जितना ज़ुल्म हमने हरिजनों पर किया है, अगर कोई हरिजन थोड़ा सा भी ज़ुल्म करता है, बदला लेता है तो वह जस्टीफाईड है। आपने हज़ारों वर्षों तक पुश्तैनी तरीके से ज़ुल्म किया है। अगर एक आध ज़ुल्म हरिजन करता है तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर ज़ुल्म नहीं करता है तो यह आश्चर्य की बात है कि क्यों नहीं करता है ? इसलिए हरिजनों पर ज़ुल्म होता है।
कार्लमार्क्स का जन्म हिंदुस्तान में होता तो सोशलिज्म की डेफिनिशन में वह भी इकनॉमिक आधार नहीं मानते, सोशल एक्सप्लॉयटेशन का आधार मानते। जगजीवन बाबू इकनॉमिक आधार में किसी से कम नहीं, पॉलीटिकल आधार में बहुत ज्यादा, हिंदुस्तान में जीनियस, उन्होंने एक मूर्ति, स्टेचू का उदघाटन किया, अनावरण किया तो उस मूर्ति को गंगाजल से धोया गया। तो इसमें इकनॉमिक आधार नहीं है। हमारे देश में डबल एक्सप्लोइटेशन है और और दुनियाँ के देशों में एक एक्सप्लॉइटेशन है, वह है इकनॉमिक एक्सप्लॉयटेशन। हमारे यहाँ डबल एक्सप्लॉयटेशन है, एक है इकनॉमिक और दूसरी सोशल एक्सप्लॉयटेशन है। हरिजनों पर ज़ुल्म होता है। और भी बहुत सी जातियाँ हैं जो हरिजनों के समकक्ष जातियाँ हैं। हरिजन हरिजन में भी आपस में लड़ाई होती है, लेकिन समाज की बनावट ही ऐसी है कि ऊपर में एक जाति है ब्राह्मण और नीचे में एक जाति है हरिजन और बीच में 3 हज़ार जातियाँ हैं। इनसे पहले देश में 4 वर्ण थे लेकिन गुप्त वंश के बाद डेढ़ हज़ार वर्ष से हज़ारों जातियाँ ले गई। समाज का ��नावट ही ऐसा है कि जाति जाति में लड़ाई होती है, लेकिन इसका सूत्रधार हरिजन नहीं है, पिछड़ा वर्ग नहीं है। इसके सूत्रधार वर्ण-व्यस्था को बनाने वाले मनु स्मृति है।
(हंगामा शोर-गुल व्यवधान )
इसलिए हम अपनी सरकार को कहेंगे कि यह आंकड़े न दें कि एक परसेंट हरिजन है और 15 परसेंट हरिजन हैं एक परसेंट भी ज़ुल्म हुआ, यह शर्म की बात है। इस किस्म के आंकड़ें देना ठीक नहीं होगा। इस पर हमें पार्टी लाइन से ऊपर उठना होगा। यह देश के नेशनल इंटरेस्ट का सवाल है, इसको हम पार्टी के दायरे में नहीं लेंगे। हमारे साथी ने जो कहा, इसका मतलब यह है कि 15 परसेंट तक क्राइम जस्टीफाईड होगा हरिजन पर ? जो लोग यह जवाब देते हैं, इन आंकड़ों को बनाने ब्यूरोक्रेट्स हैं, वह सब अपर क्लास के हैं और इन पर जो ज़ुल्म होता है, उसमें इनका हाथ रहता है। वही लोग परदे के पीछे से स्ट्रिंग पुल करते हैं, और जो ज़ुल्म होता है, उसको वे देखते हैं।
हरिजनों की नियुक्तियों के सम्बन्ध में तो रिजर्वेशन दिया गया है, लेकिन प्रोमोशन के मामले में उनके लिए कोई रिजर्वेशन नहीं है। पटना हाई कोर्ट साठ वर्ष से बना हुआ है। वहाँ आज तक एक भी हरिजन, आदिवासी या पिछड़े वर्ग का जज नहीं हुआ है। पिछड़े वर्ग का एक जज वहाँ हुआ, जब मैं मुख्य मंत्री था। मैंने जस्टिस कन्हैया जी को जज बनाया। उसके बाद किसी ने नहीं बनाया।
हरिजनों को जो रिजर्वेशन दिया गया है, वह तो एक मखौल है। टॉप ऑफिसर्स, जो अपर कास्ट के होते हैं, हरिजन और वीकर सेक्शनस के सर्विस रिकार्ड्स को खराब कर देते हैं, जिससे उनका प्रोमोशन नहीं होता है। सरकार कहती है कि प्रोमोशन में रिजर्वेशन का सवाल ही नहीं उठता है, सिर्फ एपॉइंटमेंट में ही रिजर्वेशन है। इसलिए प्रोमोशन में भी रिजर्वेशन का कोटा फिक्स करना होगा।
हमने सुना है कि तमिलनाडु में जब डीएमके सरकार थी, तो उसने पहले के सब सर्विस रिकार्ड्स को कैंसल कर दिया, जो ब्राह्मण टॉप ऑफिसर्स द्वारा लिखे गए थे - वहाँ पर सिर्फ ब्राह्मण और नॉन-ब्राह्मण हैं, जब कि हमारे यहाँ चार पाँच अपर कास्ट्स हैं -, जिसके कारण आज वहाँ पर हरिजन टॉप ऑफिसर्स भी है।
बिहार में हाई कोर्ट जज को तो छोड़ दीजिए, एक भी डिस्ट्रिक्ट जज नहीं है। मुंसिफ हैं, सब-जज तक तो वे जाते हैं, लेकिन हाई कोर्ट तक, जो अपर कास्ट की मोनोपॉली है, उन्हें नहीं जाने दिया जाता है।
मैं कहना चाहता हूँ कि हरिजनों पर ज़ुल्म के मामले को इस तरह से नहीं लेना चाहिए कि 15 परसेंट और 1 परसेंट वगैरह पर्सेंटेज बता दिया, काँग्रेस शासन से तुलना कर दी, और दुनियाँ के सामने एक मखौल हो गया। उनकों इसमें पूरी दिलचस्पी लेनी चाहिए। ऐसा न हो कि "अति संघर्ष करे जो कोई, अनल प्रकट चन्दन से होई"। उनको आप दबाते चले जा रहें हैं, समझते हैं कि कुछ नहीं है। अगर आपका ऐसा ही रवैय्या रहा, तो जैसे की उस दिन श्री रामधन से कहा था, यह मामला यूएनओ में ले जायेंगे, ले ही जाना चाहिए। मैं हरिजन नहीं हूँ। लेकिन मैं समझता हूँ कि यह ह्यूमन राइट्स का सवाल है। अमरीका में निग्रोस की जो हालत है, हमारे यहाँ हरिजनों की हालत उससे भी बदतर है। इसलिए मैं समझता हूँ कि अगर इस सवाल को यूएनओ में ले जाया जाय, तो हमलोगों का भी उसमें समर्थन होगा।
इस बारे में एक कमीशन बैठा देने से काम नहीं चलेगा, अगर सिंसियरिटी ऑफ परपज नहीं है। वही लहँगा, वही साड़ी जो पहले थी, वह अब भी है। उनकी जगह पर आप बैठ गए, बड़ी बड़ी कोठियों में चले गए, बड़ी बड़ी गाड़ियों में बैठते हैं, इमरजेंसी में जो मारपीट हुई थी, वह सब भूल गए, और फिर वही जवाब देने लग गये, मैं इसको अच्छा समझता हूँ।
मैंने एक अमेंडमेंट दिया है, जिसका मतलब है कि पार्लियामेंट के रेस्पांसिबल मेम्बरों की एक कमिटी बनाई जाये, जो इस समस्या पर विचार करे।
श्री चंद्रशेखर सिंह (वाराणसी) :
सभापति महोदय, यह बहुत सीरियस बात है। क्या यहाँ कोई मेम्बर इरेस्पोंसिबल भी है ? माननीय सदस्य ने कहा है कि रेस्पोंसिबल मेमबर्स की एक कमिटी बनाई जाये।
श्री बी पी मण्डल : अगर मैंने रेस्पोंसिबल कह दिया, तो मेरा मतलब यह नहीं था कि बाँकी मेमबर्स इरेस्पोंसिबल हैं। इस तरह समझने का नतीजा है कि हिंदुस्तान में ये ज़ुल्म हो रहें हैं। बात बात पर भिनक जाते हैं।
मैंने यह अमेंडमेंट दिया है :
That in the Motion, ---
add at the end ---
"and recommends that a Committee of MPs be appointed to go into its causes and suggest preventive measures."
मैं फिर से यह कहना चाहता हूँ कि इस रेवोल्यूशन के बाद जनता पार्टी की जो रिस्पांसिबिलिटी है, उसको देखते हुए यह बिलकुल अवांछनीय है कि एक भी हरिजन को जलाया जाये। अगर ऐसी बात होती रहे, तो यह शर्म की बात है।
संकलन -
डा सूरज मण्ड़ल Dr Suraj Yadav Mandal (Swami Shraddhanand College, University of Delhi)
डा रतन लाल Dr Ratan Lal, Hindu College, University of Delhi.
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its-axplore · 4 years
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बिहार में जिलों के विकास की रैंकिंग की जाए तो सबसे निचले पायदान पर होगा किशनगंज। इसे सिर्फ चुनाव के दिनों में ही याद किया जाता है। बाकी दिन जिले का क्या हाल है? इससे किसी को ज्यादा मतलब नहीं होता। यहां अधिकांश आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करती है। छोटी-छोटी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी लोग तरस रहे हैं। न तो ढंग के शिक्षण संस्थान हैं, न ही अच्छे अस्पताल। रोजगार का भी बुरा हाल है।
सबसे ज्यादा गंभीर बात तो यह है कि युवा पीढ़ी क्राइम और शराब तस्करी की चपेट में है। इन्हीं सब हालातों के कारण यहां के ज्यादातर लोगों के अंदर गुस्सा भी बढ़ रहा है। लेकिन रोजी-रोटी के चलते खुलकर कोई भी सामने नहीं आना चाहता। सिस्टम से कौन पंगा ले और कौन पहले आवाज उठाए? यही सोचकर सब खामोशी से सबकुछ सहते जा रहे हैं। और जनता की इसी खामोशी का फायदा नेता उठा जाते हैं।
सारे जरूरी मुद्दे गौण हो जाते हैं और रह जाता है तो सिर्फ ध्रुवीकरण। यहीं किशनगंज में जीत और हार भी तय करता है। मजे की बात तो यह है कि यहां के लोग जितने सीधे-सादे हैं, राजनेता उतने ही चतुर। यही कारण है कि बहुफसला जमीन, नदियों का जाल, भरपूर बारिश और शानदार आबोहवा का जितना फायदा किसानों को नहीं मिल पा रहा है, उससे अधिक फायदा निष्क्रिय नेता उठा रहे हैं। जिले के लोगों का मुख्य पेशा खेती है। जानिए सीटों का हाल:- यहां के लोग जितने सीधे-सादे हैं, नेता उतने ही चतुर
किशनगंज: यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है, पर 2019 में हुए उपचुनाव में अोवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली। इस बार एआईएमआईएम के निवर्तमान विधायक कमरुल होदा का मुकाबला कांग्रेस के इजहारुल हसन के साथ है। तीन बार किस्मत आजमा चुकी भाजपा नेत्री स्वीटी सिंह भी मैदान में है।
कोचाधामन- यहां दो बार से विधायक रहे जदयू के मुजाहिद आलम का मुकाबला एआईएमआईएम के इजहार असफी व राजद के शाहिद आलम से है। जदयू जहां विकास के मुद्दे पर मैदान में है वहीं अन्य दल बदलाव के नारे के साथ। बाढ़ के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य व पलायन यहां की प्रमुख समस्या है जो इस बार के मुद्दों से गायब है।
बहादुरगंज: यहां चार बार से लगातार विधायक रहे कांग्रेस नेता तौसीफ आलम की छवि दबंग राजनेता की रही है। लेकिन इस बार उनकी राह एआईएमआईएम के अंजार नईमी और वीआईपी के उम्मीदवार लखनलाल पंडित रोकने की कोशिश में हैं। इस सीट पर सब दिन भाजपा लड़ती रही। लेकिन इस बार एनडीए ने यह सीट वीआईपी को दे दी।
ठाकुरगंज: यहां से लगातार दो बार विधायक व जदयू के विधानसभा में सचेतक रहे नौशाद आलम की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। उनके खिलाफ यहां से राजद ने दो बार सांसद व देश दुनिया में बड़े धार्मिक स्कॉलर के रूप में विख्यात रहे मरहूम मौलाना असरारुल हक कासमी के बेटे सउद आलम को उम्मीदवार बनाया है। इन दोनों के बीच निर्दलीय के तौर पर पूर्व विधायक गोपाल अग्रवाल भी चुनाव मैदान में हैं। इस कारण यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
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Important issues become secondary in elections, polarization determines victory and defeat
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shaileshg · 4 years
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की रैलियों में जो शब्द बार-बार सुनाई दे रहा है, वो है ‘15 साल’। नीतीश लोगों को 15 साल पहले के बिहार की तस्वीर दिखा रहे हैं। अपने 15 साल की तुलना लालू के 15 साल से करते हैं। मानो इन सालों में बिहार की कायापलट हो गई हो।
पर, आंकड़े क्या कहते हैं? आंकड़े कहते हैं कि बिहार आज भी देश के बाकी राज्यों से पिछड़ा हुआ है। ये आंकड़े बताते हैं कि बिहार में आज हर आदमी रोज सिर्फ 120 रुपए ही कमाता है। जबकि, झारखंड का आदमी रोज 220 रुपए तक की कमाई कर रहा। बिहार से 100 रुपए ज्यादा। सिर्फ कमाई ही नहीं, बेरोजगारी के मामले में भी बिहार, झारखंड से कोसों आगे है।
यहां बिहार की तुलना झारखंड से इसलिए, क्योंकि आज भले ही बिहार और झारखंड की पहचान दो अलग-अलग राज्यों की हो, लेकिन 20 साल पहले तक दोनों एक ही तो थे।
आइए 5 पैमानों पर परखते हैं कि नीतीश के 15 सालों में बिहार कितना बदला?
1. पर कैपिटा इनकमः झारखंड से भी पीछे बिहार
इकोनॉमिक सर्वे और RBI के आंकड़े बताते हैं कि 15 साल में बिहार में हर आदमी की कमाई 5 गुना बढ़ी है। नीतीश जब 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, तब यहां हर आदमी की सालाना कमाई 7914 रुपए थी। आज 43,822 रुपए है। यानी रोज की कमाई 120 रुपए और महीने की कमाई 3651 रुपए।
इसकी तुलना जब झारखंड से करेंगे, तो यहां बिहार की तुलना में लोगों की कमाई 4 गुना से ज्यादा बढ़ी है। लेकिन, फिर भी झारखंड का आदमी बिहार के आदमी से हर साल डेढ़ गुना से ज्यादा कमाई करता है। झारखंड में हर आदमी की सालाना कमाई 79,873 रुपए है। वहीं, 15 साल में देश में हर आदमी की सालाना कमाई एक लाख रुपए से ज्यादा बढ़ गई, पर बिहार में सिर्फ 35,000 रुपए।
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2.बेरोजगारी दरः झारखंड के मुकाबले बिहार में ज्यादा
देश में बेरोजगारी दर के आंकड़े अब केंद्र सरकार जारी करती है। 2011-12 तक नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस यानी NSSO सर्वे करता था, लेकिन अब पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे यानी PLFS सर्वे होता है। इसका डेटा बताता है कि बिहार और झारखंड ही नहीं, बल्कि देश में ही बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है।
2004-05 बिहार के गांवों में बेरोजगारी दर 1.5% और शहरों में 6.4% थी। अब यहां के गांवों में 10.2% और शहरों में 10.5% बेरोजगारी दर है। बेरोजगारी दर झारखंड और देश में भी बढ़ी है। बिहार के लिए ये इसलिए भी चिंताजनक हो जाती है, क्योंकि यहां की करीब 90% आबादी आज भी गांवों में ही रहती है।
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तर्क या कुतर्क:नीतीश बोले- बिहार समुद्र किनारे नहीं, इसलिए उद्योग नहीं आते; उधर पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश भी ऐसे, पर बिहार से ज्यादा फैक्ट्रियां
3. गरीबी रेखाः बिहार में आज भी 34% आबादी गरीब
हमारे देश में गरीबी के आंकड़ों का हिसाब-किताब 1956 से रखा जा रहा है। गरीब कौन होगा? इसकी भी परिभाषा है, जो बताती है कि अगर शहर में रहने वाला व्यक्ति हर महीने 1000 रुपए से ज्यादा कमाता है, तो वो गरीबी रेखा से नीचे नहीं आएगा। इसी तरह गांव का व्यक्ति अगर हर महीने 816 रुपए कमाता है, तो वो गरीबी रेखा से नीचे नहीं आएगा।
नीतीश 15 साल पहले जब सत्ता में आए थे, तब बिहार की 54% से ज्यादा यानी 4.93 करोड़ आबादी गरीबी रेखा से नीचे थी। गरीबी रेखा के सबसे ताजा आंकड़े 2011-12 के हैं। इसके मुताबिक, 2011-12 में बिहार में गरीबी रेखा के नीचे आने वाली आबादी 3.58 करोड़ यानी 33.7% है।
वहीं, बिहार की तुलना में झारखंड में गरीबी रेखा से नीचे आने वाली आबादी ज्यादा है। झारखंड की अब भी 37% आबादी गरीबी रेखा से नीचे आती है, जबकि देश में ये आंकड़ा 22% का है।
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4. GDP: यहां झारखंड के मुकाबले बिहार की हालत बेहतर
15 साल में बिहार की GDP 7.5 गुना बढ़ गई। RBI का डेटा बताता है कि 2005-06 में बिहार की GDP 82 हजार 490 करोड़ रुपए थी, जो 2019-20 में बढ़कर 6.11 लाख करोड़ रुपए हो गई। वहीं, 15 सालों में झारखंड और देश की GDP 5.5 गुना बढ़ी है।
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लॉकडाउन में 15 लाख प्रवासी मजदूर लौटे थे बिहार, हर साल ढाई करोड़ से ज्यादा लोग बिहार छोड़कर दूसरे राज्यों में जाते हैं
5. क्राइम रेट: अपराध के मामले में झारखंड के मुकाबले बिहार आगे
चाहें प्रधानमंत्री मोदी हों या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों ही कह रहे हैं कि पहले जंगलराज हुआ करता था। उधर, केंद्र सरकार की ही एजेंसी NCRB का डेटा बताता है कि नीतीश सरकार के आने के बाद बिहार में क्राइम बढ़ा है।
NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, 2005 में बिहार में 1.07 लाख क्रिमिनल केस दर्ज किए गए थे, यानी रोजाना 293 मामले। लेकिन, 2019 में बिहार में 2.69 लाख मामले सामने आए हैं यानी, रोज 737 केस। ये आंकड़े ये भी बताते हैं कि 15 सालों में देश में क्राइम बढ़ा तो था, लेकिन बाद में कम भी होने लगा, लेकिन बिहार और झारखंड में लगातार केस बढ़ रहे हैं।
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Nitish Kumar Government 15 Years Vs Tejashwi Yadav: Bihar Election 2020 | Bihar Per Capita Income | Bihar Crime Rate - Here's Latest News Updates
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abhay121996-blog · 4 years
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छब्‍बीस आपराधिक मामले में फरार हिस्ट्रीशीटर सहित पांच बदमाश चढे पुलिस के हत्थे Divya Sandesh
#Divyasandesh
छब्‍बीस आपराधिक मामले में फरार हिस्ट्रीशीटर सहित पांच बदमाश चढे पुलिस के हत्थे
जयपुर। पुलिस कमिश्नरेट की क्राईम ब्रांच टीम ने शहर में हत्या के प्रयास के कई मामलों में फरार चल रहे हिस्ट्रीशीटर मनीष सैनी सहित पांच बदमाशों को मंगलवार को मुखबिर की सूचना पर खो नागोरियान से गिरफ्तार किया है। फरारी के बाद से गैंगस्टर मनीष सैनी काफी लोगों से रंगदारी वसूलने के लिए धमकी दे रहा था। उसके खिलाफ जयपुर शहर में गंभीर आपराधिक वारदातों के 26 मुकदमे दर्ज है। कई मामलों में फरार चल रहे गैंगस्टर मनीष सैनी सहित पकड़े गए बदमाशों से पूछताछ के साथ ही गिरोह के अन्य बदमाश की तलाश और हथियार बरामदगी के प्रयास किए जा रहे है।
पु���िस उपायुक्त जयपुर (क्राइम) दिगंत आनंद ने बताया कि आरोपित मनीष सैनी (30) निवासी विनोवा बिहार माडल टाउन मालवीय नगर, उसके भाई अक्षय सैनी (26) निवासी विनोवा बिहार माडल टाउन मालवीय नगर,राकेश सैनी (30) निवासी आनन्दपुरी मोतीडूंगरी,चन्दन सिंह भाटी उर्फ सुरेन्द्र सिंह (27) निवासी श्रीमाधोपुर सीकर और उजागर सिंह (32) निवासी सत्यनगर झोटवाडा को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस उपायुक्त जयपुर (क्राइम) ने बताया कि मनीष सैनी व अक्षय सैनी सगे भाई है और इन दोनों अपनी गैंग के चंदन सिंह व राकेश सैनी के साथ आमेर, आदर्श नगर व मानसरोवर इलाके में जानलेवा हमले की वारदातें कर चुके है। इनकों पुलिस काफी समय से तलाश कर रही थी। आरोपित मनीष सैनी प्रदेश और बाहरी राज्यों के बदमाशों को संरक्षण दे चुका है। इन चारों बदमाशों को सीएसटी ने आमेर थाना पुलिस को सौंपा है।
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त सुलेश चौधरी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित उजागर सिंह जयपुर में सिंधीकैंप में वाहन चोरी और झोटवाड़ा में दर्ज एक मुकदमे और सीकर जिले में गैंगस्टर राजू ठेठ के भाई ओमी ठेठ को हथियार सप्लाई करने के मुकदमे में फरार चल रहा था। वह पुलिस को चकमा देने के लिए गाडियां बदलता रहता है। वह नीमकाथाना, जिला सीकर में फरारी काट रहा था। उजागर सिंह को झोटवाड़ा थाना पुलिस के सुपुर्द किया है।
जयपुर जेल में बंद रहने के दौरान गैंगस्टर मनीष सैनी मोबाइल से गैंग को ऑपरेट करता था। जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद से ही मनीष ने अपनी गैंग को सक्रिय कर लिया। काफी लोगों को रंगदारी वसूली के लिए धमकाना शुरू कर दिया। इस दौरान आमेर, आदर्श नगर व मानसरोवर इलाके में जानलेवा हमले किए, जिसमें गैंगस्टर मनीष, अपने भाई अक्षय और चन्दन व राकेश के साथ शामिल था। इसके अलावा मनीष सैनी के खिलाफ जयपुर शहर के पुलिस थानों में जानलेवा हमले, मारपीट, हत्या, हत्या का प्रयास व आम्र्स एक्ट के 26 मामले दर्ज है। 
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biharkonnection · 4 years
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बिहार के सभी कमिश्नरियों में बनाए जाएंगे ट्रैफिक और क्राइम कंट्रोल केंद्र: नीतीश कुमार
#बिहार #BiharNews #PatnaNews #TrafficAndCrimeControlCenter #NitishKumar #biharkhabar
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि राज्य के सभी प्रमंडलों में एक-एक जगह पर यातायात एवं अपराध नियंत्रण केंद्र (इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर) बनेंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह की व्यवस्था से लोगों में और सुरक्षा का भाव आता है।
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सीएम नीतीश का कहना है कि इन केंद्रों से किसी प्रकार की दुर्घटना, अग्निकांड, हादसा, अपराध, मेडिकल इमरजेंसी आदि अन्य प्रकार की समस्याओं पर इसके माध्यम से…
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chaitanyabharatnews · 4 years
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CBI के पास पहुंचा सुशांत का केस, जानिए कैसे काम करती है एजेंसी और क्या हैं इसके पावर
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चैतन्य भारत न्यूज सोशल मीडिया पर पिछले काफी समय से अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या केस की सीबीआई (Central Bureau of Investigation) जांच को लेकर मांग उठ रही थी। इसके बाद बिहार सरकार ने खुद केंद्र सरकार से सीबीआई जांच की मांग की थी। केंद्र सरकार ने बिहार सरकार की सिफारिश पर CBI को ट्रांसफर कर दिया है। वहीं अब जानते हैं आखिर कैसे और किन हालातों में CBI करती है जांच? बता दें सीबीआई का गठन 1963 में हुआ था। सीबीआई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले अपराधों जैसे हत्या, घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों और साथ ही राष्ट्रीय हितों से संबंधित अपराधों की भारत सरकार की तरफ से जांच करती है। गठन के समय सीबीआई को एंटी करप्शन डिवीजन, इकोनॉमिक्स ऑफेंस डिवीजन, स्पेशल क्राइम डिवीजन, डायरेक्टरेट ऑफ प्रॉसिक्यूशन, एडमिनिस्ट्रेटिव डिवीजन, पॉलिसी एंड कॉर्डिनेट डिवीजन और सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी जैसे कई हिस्सों में बांटा गया था। जानिए कैसे होता है काम एंटी करप्शन डिवीजन- केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों, केंद्रीय पब्लिक उपक्रमों और केंद्रीय वित्तीय संस्थानों से जुड़े भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी से संबंधित मामलों की जांच करने के लिए। इकोनॉमिक ऑफेंस डिवीजन- बैंक धोखाधड़ी, वित्तीय धोखाधड़ी, आयात-निर्या और विदेशी मुद्रा अतिक्रमण, नारकोटिक्स, पुरातन वस्तुएं, सांस्कृतिक संपत्ति की बढ़ती तस्करी और विनिषिद्ध वस्तुओं आदि की तस्करी से संबंधित। स्पेशल क्राइम डिवीजन- आतंकवाद, बम ब्लास्ट, संवेदनात्मक मानव वध, मुक्ति-धन के लिए अपहरण और माफिया और अंडर-वर्ल्ड द्वारा किए गए अपराधों से संबंधित। सीबीआई की जांच से जुड़ी सभी सुनवाई विशेष CBI अदालत में ही होती है। पहले CBI सिर्फ घूसखोरी और भ्रष्टाचार की ही जांच तक सीमित थी, लेकिन 1965 के बाद से हत्या, किडनैपिंग, आतंकवाद, वित्तीय अपराध, आदि की जांच भी सीबीआई के दायरे में आ गई है। कब और कैसे काम करती है सीबीआई CBI केवल उन अपराधों की जांच करता है जो केंद्र सरकार सरकार द्वारा अधिसूचित है। CBI को अनुमति तभी दी जाती है, जब कुछ खास स्थितियां पैदा हो जाए और लंबे समय से स्थानीय पुलिस से कोई केस सॉल्व न हो। सीबीआई की शक्तियां डीएसपीई अधिनियम 1946 की धारा 2 के तहत सिर्फ केंद्रशासित प्रदेशों में अपराधों की जांच के लिए CBI ई को शक्ति प्राप्त है। ये शक्तियां दिल्ली और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू होती हैं। एक्ट के तहत CBI केवल केंद्रशासित प्रदेशों में खुद से जांच शुरू कर सकती है। केंद्रशासित प्रदेशों के अलावा केंद्र सरकार CBI की शक्तियों के दायरे को बढ़ा सकती है, लेकिन राज्य सरकार की सहमति होनी चाहिए। आपको बता दें,। CBI सिर्फ केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन पर जांच कर सकती है। इन तीन स्थितियों में अपने हिस्से में कोई केस ले सकती है सीबीआई यदि राज्य सरकार खुद केंद्र से सिफारिश करे। राज्य सरकार सहमति दे। सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट CBI जांच का आदेश दें। (लेकिन अंत में अनुमति केंद्र सरकार की अनिवार्य है) Read the full article
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shaileshg · 4 years
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कोरोना के कारण इस बार गुजरात में गरबा महोत्सव नहीं होगा। राज्य सरकार ने इजाजत नहीं दी। पंडालों में सिर्फ मूर्ति स्थापित करके पूजा-आरती हो सकती है। वहीं, देश में लगातार तीन हफ्ते हो चुके हैं, जब नए संक्रमितों से ज्यादा मरीज ठीक हुए हैं। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन 2 इवेंट्स पर रहेगी नजर
1. IPL में आज डबल हेडर मुकाबले। किंग्स इलेवन पंजाब का मुकाबला कोलकाता नाइटराइडर्स से अबु धाबी में होगा। टॉस दोपहर तीन बजे और मैच साढ़े तीन बजे से शुरू होगा। दूसरा मुकाबला चेन्नई सुपरकिंग्स और रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु के बीच दुबई में होगा। टॉस शाम सात बजे और मैच साढ़े सात बजे से शुरू होगा।
2. रिपब्लिक टीवी के CFO शिवा सुंदरम को मुंबई पुलिस ने तलब किया है। उन्हें आज सुबह 11 बजे क्राइम ब्रांच के सामने पेश होने को कहा गया है।
अब कल की 6 महत्वपूर्ण खबरें
1. आज से काउंटर पर और ऑनलाइन हो सकेगी रेलवे टिकट बुकिंग
रेलवे ने टिकट बुकिंग के लिए 10 अक्टूबर से प्री-कोविड सिस्टम लागू करने का फैसला किया है। इसके तहत ट्रेन के स्टेशन से छूटने से पांच मिनट पहले भी टिकट बुक किया जा सकेगा। रेलवे ने महामारी को देखते हुए नियमित ट्रेनों को बंद कर दिया था। इस समय सिर्फ स्पेशल ट्रेनें ही चलाई जा रही हैं। 10 अक्टूबर से डिपार्चर से आधा घंटा पहले दूसरा रिजर्वेशन चार्ट बनाया जाएगा।
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2. पाकिस्तान के 7 फीट 6 इंच लंबे गेंदबाज
भारत के आईपीएल की तर्ज पर पाकिस्तान ने पीएसएल शुरू की थी। इसकी एक टीम लाहौर कलंदर्स ने अपने प्रोग्राम में गेंदबाज मुदस्सर गुज्जर को शामिल किया है। उनका कद 7 फीट 6 इंच है। यह जानकारी पाकिस्तान के स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट साज सादिक ने दी है। इससे पहले मोहम्मद इरफान (7 फीट 1 इंच) पाकिस्तान की ओर से 60 वनडे खेल चुके हैं। उनके नाम 83 विकेट दर्ज है।
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3. बिहार के बाहुबली की दिलचस्प प्रेम कहानी
पप्पू यादव एक बार विधायक और 5 बार सांसद रहे हैं। वो पहले राजद में थे, लेकिन 2015 में उन्होंने जन अधिकार नाम से अपनी पार्टी बना ली। चर्चा है कि पप्पू यादव मधेपुरा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। पप्पू ने 2019 में मधेपुरा से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गए थे। उन पर हत्या-किडनैपिंग जैसे 31 केस दर्ज हैं। पप्पू यादव की लव स्टोरी भी बड़ी दिलचस्प है और किसी फिल्मी कहानी से कम भी नहीं है।
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4. हाथरस केस में एक और खुलासा
हाथरस गैंगरेप मामले में नया खुलासा हुआ। भाजपा सांसद राजवीर दिलेर की बेटी मंजू दिलेर ने हाथरस की घटना के बाद डीजीपी एचसी अवस्थी को चिट्ठी लिखी थी। मंजू ने कहा था कि पीड़ित से दुष्कर्म और हत्या की कोशिश की वारदात में 5 लोग शामिल थे, लेकिन पुलिस ने सिर्फ एक के खिलाफ FIR दर्ज की है। मंजू ने SHO को सस्पेंड करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी।
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5. कहानी 74 साल के बुजुर्ग की, जिसने पत्नी के लिए घर को हॉस्पिटल में तब्दील किया
टि्वटर पर एक 74 बरस के बुजुर्ग ने एक फोटो शेयर की, जिसमें वो अपनी 72 साल की पत्नी की सेवा करते दिख रहे थे। उन्होंने पत्नी के लिए घर को हॉस्पिटल में बदल दिया। यहां ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर वेंटीलेटर तक सबकुछ मौजूद था। इसका मैनेजमेंट भी वही कर रहे हैं। वह कोई डॉक्टर नहीं, बल्कि एक रिटायर्ड इंजीनियर हैं। नाम है ज्ञान प्रकाश, मध्य प्रदेश के जबलपुर में रहते हैं।
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6. क्या है टीआरपी?
मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने गुरुवार को कहा कि ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) इंडिया के डिवाइस में छेड़छाड़ कर टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) बढ़ाए जा रहे हैं। उन्होंने रिपब्लिक समेत कुछ चैनल्स के नाम भी लिए। हालांकि, रिपब्लिक टीवी का दावा है कि एफआईआर में उसका नहीं बल्कि इंडिया टुडे का नाम है। जानिए क्या है टीआरपी?
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अब 10 अक्टूबर का इतिहास
1910: वाराणसी में मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षता में पहला अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन हुआ।
2005: एंजेला मार्केल जर्मनी की पहली महिला चांसलर बनीं।
2014: भारत के कैलाश सत्यार्थी को शांति का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई।
आखिर में जिक्र बॉलीवुड एक्ट्रेस रेखा का। 1954 में आज ही के दिन उनका जन्‍म हुआ था। पढ़िए उन्हीं की कही एक बात...
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New system of railway ticket booking from today; Interesting Love Story of Bahubali of Bihar; Pakistan can get the longest bowler
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khabaruttarakhandki · 4 years
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तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार से कहा, ‘जिन विधायकों को ले जाना हैं ले जाएं’
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तेजस्वी यादव बिहार विधान सभा परिसर में अपनी पार्टी के तीन विधान परिषद के उम्मीदवारों के नामांकन के बाद मीडिया से बात कर रहे थे. (file pic PTI)
पटना:
राष्ट्रीय जनता दल के विधान परिषद के पांच सदस्यों के जेडीयू में जाने के बाद विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कहा कि एक ही बार जिनको लेना है जल्द ले लें. तेजस्वी यादव बुधवार को बिहार विधान सभा परिसर में अपनी पार्टी के तीन विधान परिषद के उम्मीदवारों के नामांकन के बाद मीडिया से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जो लोग गए हैं उनको शुभकामना है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए तेजस्वी ने कहा, इस काम से बिहार के लोगों को नहीं बल्कि उन्हें व्यक्तिगत फ़ायदा हो सकता हैं, लेकिन बिहार के 12 करोड़ लोगों का इससे क्या भला होगा.’
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तेजस्वी ने अनुसार, ’15 साल तक बिहार के मुख्यमंत्री रहने के बाद राज्य से बेरोज़गारी कैसे हटे? पलायन को कैसे रुके, इ��डस्ट्री कैसे लगाएं, क्राइम कैसे कंट्रोल करें या सीमा से नेपाल में हमारा बांध का जो काम चल रहा था वो रुका पड़ा है. पूरा उत्तर बिहार डूबने के कगार पर आ गया. इन सभी चीजों की चिंता किए बिना 90 दिन तक मुख्यमंत्री घर से नहीं निकलकर क्या यही पार्टी तोड़ने का काम कर रहे थे? 
नीतीश कुमार की आलोचना करते हुए तेजस्वी ने कहा, ‘करोना में श्रमिकों का समस्या का समाधान करना चाहिए या अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के बजाय वो तो यही काम कर रहे थे.’
अपनी पार्टी के विधायक दल में टूट के संभावित कयास पर तेजस्वी ने कहा, ‘चुनाव के दौरान लोग आते हैं जाते हैं.
कोई भी ऐसा चुनाव आप बता दीजिए जिसमें लोग आए हों और गए ना हों. चुनाव का मौसम है, लेकिन नीतीश कुमार अपनी कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं, अब लोग मर रहे हैं,  परेशान हैं,  बेरोज़गार हैं, लाचार हैं, मज़दूर फिर से पलायन कर रहे हैं. लेकिन उनको अपनी ज़िम्मेदारी निभाना चाहिए था. जनता नेता बनाती है, नेता जनता नहीं बनाता है और जनता हमारे साथ हैं.’  
Video, कोरोना पर CM नीतीश कुमार ने मीडिया से बनाई दूरी
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vsplusonline · 5 years
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शरजील इमाम के लिए जाएंगे आवाज के नमूने, जामिया के छात्रों से हुई पूछताछ - Sharjeel imam sedition case jamia millia islamia students crime branch interrogation delhi
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शरजील इमाम के लिए जाएंगे आवाज के नमूने, जामिया के छात्रों से हुई पूछताछ - Sharjeel imam sedition case jamia millia islamia students crime branch interrogation delhi
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शरजील इमाम ने दिया था असम पर विवादित भाषण
शरजील इमाम के भाषण की होगी फॉरेंसिक जांच
शरजील इमाम राजद्रोह केस में क्राइम ब्रांच ने जामिया मिलिया इस्लामिया के चार छात्रों से पूछताछ की है. इसके अलावा 7 लोगों से क्राइम ब्रांच गुरुवार को पूछताछ करेगी. वहीं गुरुवार को ही क्राइम ब्रांच शरजील इमाम के आवाज के नमूने के लिए शरजील को फॉरेंसिक लैब लेकर जाएगी.
दरअसल दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने शरजील इमाम से जुड़े 11 लोगों को फोन करके पूछताछ में शामिल होने के लिए बुधवार को बुलाया था. इन 11 लोगों में जामिया के छात्र और जामिया-शाहीन बाग में रहने वाले कुछ लोकल लोग शामिल थे. शरजील के मोबाइल से उससे जुड़े 15 लोगों की पहचान हुई थी, जिनमें से चार से पहले ही पूछताछ हो चुकी है.
बीते सोमवार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार शरजील इमाम की पुलिस हिरासत को अदालत ने 3 दिन के लिए बढ़ा दी थी. इमाम के वकील मिशिका सिंह ने बताया कि इमाम को भारी सुरक्षा में मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पुरुषोत्तम पाठक के निवास पर पेश किया गया.
यह भी पढ़ें: शाहीन बाग के हमलावर का AAP कनेक्शन! मई 2019 का ट्वीट हटाया
शरजील इमाम को यहां स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण देने के लिए बिहार के जहानाबाद से 28 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था.
क्या था शरजील का विवादित भाषण?
दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कॉलर शरजील इमाम ने जनवरी 2020 के मध्य में भारत के टुकड़े-टुकड़े करवाने जैसा विवादित भाषण दिया था. इस भाषण के वीडियो कई राज्यों की पुलिस के हाथ भी लग गए.
यह भी पढ़ें: उर्वशी चूड़ावाला की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, शरजील के समर्थन में की थी नारेबाजी
असम, अरुणाचल, दिल्ली, उ.प्र. की पुलिस ने देशद्रोह के मामले दर्ज कर शरजील की तलाश शुरू कर दी. दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की एसआईटी बिहार से उसे गिरफ्तार करके दिल्ली ले आई थी. तब से लेकर अब तक शरजील के विवादित भाषण के बारे में पूछताछ कर रही है.
PFI के साथ संबंध की हो रही है जांच
दिल्ली पुलिस अपराध शाखा की एसआईटी में शामिल एक अधिकारी के मुताबिक शरजील का दिल्ली वाले ठिकाने से लैपटॉप बरामद किया गया था. शरजील इमाम के वसंतकुंज वाले किराए के कमरे से छापे के दौरान कई सामान मिले थे . जानने की कोशिश की जा रही है कि शरजील विवादित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई के कितने करीब था.
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