खाटू श्याम जी मंदिर | इतिहास | भजन » Khatu Shyam Ji Temple
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खाटू श्याम जी मंदिर | इतिहास | भजन » Khatu Shyam Ji Temple
खाटू श्याम जी आरती | Khatu Shyam Ji Ki Aarti
ॐ जय श्री श्याम हरे,बाबा जय श्री श्याम हरे ।खाटू धाम विराजत,अनुपम रूप धरे॥ॐ जय श्री श्याम हरे,बाबा जय श्री श्याम हरे ।रतन जड़ित सिंहासन,सिर पर चंवर ढुरे ।तन केसरिया बागो,कुण्डल श्रवण पड़े ॥ॐ जय श्री श्याम हरे,बाबा जय श्री श्याम हरे…
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बड़ौत में धूमधाम से मनाया गया श्री खाटू श्याम जी का तृतीय वार्षिकोत्सव
बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन।
जनपद बागपत के बड़ौत नगर में श्री खाटू श्याम मासिक संकीर्तन मंडल बडौत के सौजन्य श्री खाटू श्याम जी का तृतीय वार्षिकोत्सव दिगंबर जैन कॉलेज ए फील्ड में धूमधाम के साथ मनाया गया। महोत्सव का उद्घाटन राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार के पी मलिक व इफको के मेरठ मंडल प्रतिनिधि साहिल मलिक ने किया। उनका यहाँ पहुंचने पर समिति के पदाधिकारियो ने पटका पहनाकर व प्रतीक चिहन भेंट कर…
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ॐ श्री श्याम देवाय नमः मंत्र लिरिक्स | Om Shri Shyam Devay Namah Mantra Lyrics
ॐ श्री श्याम देवाय नमः मंत्र लिरिक्स, Om Shri Shyam Devay Namah Mantra Lyrics
।। दोहा ।।
हाथ जोड़ विनती करूं, खाटू नगर सुजान।
दास आ गयो शरण में, रखियो इसकी लाज।
~ ॐ श्री श्याम देवाय नमः ~
ॐ श्री श्याम देवाय नमः……….
ॐ श्री श्याम देवाय नमः……….
महामंत्र का जाप करो ,
अपने मन को साफ करो।
ॐ श्री श्याम देवाय नमः……….
महामंत्र की कर भक्ति ,
तुझको मिल जाये शक्ति।
आत्म बल बढ़ जायेगा ,
इससे सरल नही…
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HARA HU BABA PAR TUJHPE BHAROSA HAI LYRICS
इस वीडियो में, हम खाटू श्याम जी के भक्ति भरे भजनों को साझा कर रहे हैं जो आपके दिल को छू लेंगे और आपके विश्वास को और भी मजबूत करेंगे। चाहे जीवन में कितनी भी चुनौतियां क्यों न हों, बाबा श्याम के प्रति अटूट विश्वास रखते हुए, हम सभी बाधाओं को पार कर सकते हैं। अगर आप भजन के बोल पढ़ना चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट पर जाएँ। आपकी भक्ति और श्रद्धा को गहराई से छूने वाले इस वीडियो को अवश्य देखें।
Youtube Video link:- https://www.youtube.com/watch?v=5u_PFOLLBAw
भजन के बोल पढ़ने के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट पर जाएँ: HARA HU BABA PAR TUJHPE BHAROSA HAI LYRICS
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🪔 दिवाली विशेष - Diwali Specials 2023
दिवाली/दीपावली क्यों, कब, कहाँ और कैसे?
❀ धनतेरस ❀ नरक चतुर्दशी ❀ रूप चतुर्दशी ❀ दिवाली ❀ लक्ष्मी पूजा ❀ कार्तिक अमावस्या ❀ गोवर्धन पूजा ❀ अन्नकुट ❀ भाई दूज ❀ बंदी छोड़ दिवस
आरती:
❀ श्री गणेश आरती
❀ लक्ष्मीजी आरती
❀ श्री कुबेर आरती
❀ श्री गोवर्धन आरती
❀ श्री विश्वकर्मा आरती
❀ माँ अन्नपूर्णा आरती
❀ आरती श्री रामचन्द्र जी की कीजै
❀ आरती कुंजबिहारी की
❀ श्री खाटू श्याम आरती
❀ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
❀ श्री महावीर प्रभु आरती
❀ चित्रगुप्त आरती
❀ स्तुति: जय चित्रगुप्त यमेश तव
❀ माँ सरस्वती आरती
❀ श्री राम स्तुति
❀ ॐ जय जगदीश हरे आरती
मंत्र:
❀ श्री गणेश - वक्रतुण्ड महाकाय
❀ महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि
❀ दैनिक हवन-यज्ञ विधि
❀ शांति पाठ
कथा:
❀ भैया दूज पौराणिक कथा
❀ भैया दूज लोक कथा
❀ यम द्वितीया: चित्रगुप्त की कथा
❀ कार्तिक मास माहात्म्य कथा
❀ जब भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण से छूटे भगवान चित्रगुप्त
चालीसा:
❀ श्री कुबेर चालीसा
❀ श्री लक्ष्मी चालीसा
❀ श्री गणेश चालीसा
❀ श्री चित्रगुप्त चालीसा
❀ माँ सरस्वती जी
❀ श्री खाटू श्याम चालीसा
भजन:
❀ सजा दो घर को गुलशन सा
❀ आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन
❀ श्री राम जी की जगमग जगमग जोत जली है
❀ तुम से लागी लगन, पारस प्यारा
❀ श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी
❀ अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं
ब्लॉग:
❀ अमेरिका में दिवाली समारोह
❀ ऑस्ट्रेलिया में दीपावली उत्सव
❀ नरक चतुर्दशी कथा: ईशा फाउंडेशन की ओर से
📲 https://www.bhaktibharat.com/blogs/diwali-specials
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Khatu Shyam Mandir Ki Jankari
Khatu Shyam Mandir Ki Jankari
यदि आप khatu shyam mandir ki jankari की तलाश में हैं तो आपकी खोज यहीं समाप्त होती है। खाटू श्याम मंदिर भारत के राजस्थान के खाटू में एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह भगवान कृष्ण को समर्पित है, जिन्हें खाटू श्याम जी के नाम से भी जाना जाता है, और यह क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों में से एक है। हर साल, सैकड़ों भक्त इस मंदिर में आते हैं, जो अपनी भव्य वास्तुकला और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर का एक समृद्ध इतिहास है और यह कई किंवदंतियों और मिथकों से जुड़ा हुआ है, जिससे हिंदू पौराणिक कथाओं और संस्कृति में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति को इसे अवश्य देखना चाहिए।
खाटू श्याम मंदिर के अलावा, खाटू में घूमने के लिए कुछ अन्य स्थान भी हैं जिनका आप आनंद ले सकते हैं:
Shyam Kund
श्याम कुंड भारत के राजस्थान के सीकर में खाटू श्याम मंदिर के पास एक पवित्र तालाब या जलाशय है। माना जाता है कि तालाब के पानी में उपचारात्मक गुण हैं और खाटू श्याम के अनुयायियों द्वारा इसकी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि तालाब में डुबकी लगाने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और सौभाग्य प्राप्त होता है। यह भी कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के नायक बर्बरीक की राख इस तालाब में विसर्जित की गई थी, जिससे यह और भी पवित्र हो गया।
Doodh Talai:
दूध तलाई, जिसे अक्सर "मिल्क लेक" के नाम से जाना जाता है, भारत के राजस्थान में खाटू श्याम मंदिर के पास एक छोटी झील है। यह झील, जो अपने शुद्ध, नीले-हरे पानी के लिए प्रसिद्ध है, माना जाता है कि इसका पोषण भूमिगत झरनों से होता है। स्थानीय परंपरा के अनुसार, झील का निर्माण पौराणिक गाय के दूध से हुआ था और तब से इसे निवासियों द्वारा एक पवित्र स्थान माना जाता है।
Shyam Bagicha
यह खाटू श्याम मंदिर के पास एक बगीचा है जहां भगवान को दान करने के लिए फूलों का चयन किया जाता है। यह अच्छी तरह से रखे गए पौधों और शांत माहौल के साथ एक सुंदर स्थान है। फूलों की कटाई के अलावा, उद्यान भक्तों के लिए भक्ति भजन, या "भजन" गाने के लिए एक आम सभा स्थल है। इस उद्यान को जबरदस्त आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है, और कई लोग भगवान खाटू श्याम जी का आशीर्वाद लेने के लिए यहां आते हैं।
Phalodi Fort
फलोदी किला, खाटू श्याम से लगभग 24 किलोमीटर दूर, ऐतिहासिक महत्व वाला एक प्राचीन किला है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा किया गया था और इसके इतिहास में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई राजाओं ने इस किले को अपने कब्जे में ले लिया है और इसे खो दिया है, और इसने कई युद्धों का भी सामना किया है। यह वर्तमान में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, लेकिन यदि आप राजस्थानी इतिहास और वास्तुकला में रुचि रखते हैं तो यह अभी भी देखने लायक है।
Salasar Balaji Temple
खाटू श्याम सालासर बालाजी मंदिर से 40 किलोमीटर दूर भारत के राजस्थान के सालासर में एक प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है। इसे भगवान हनुमान का जन्मस्थान कहा जाता है और यह देश के सबसे प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण हनुमान मंदिरों में से एक है। यह मंदिर हिंदू पौराणिक कथाओं के विषयों को चित्रित करने वाली अपनी विस्तृत नक्काशी और भित्तिचित्रों के लिए प्रसिद्ध है। हर साल, हजारों भक्त आशीर्वाद लेने और भगवान हनुमान के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने के लिए मंदिर में आते हैं। हनुमान जयंती और राम नवमी जैसी छुट्टियों के दौरान, जब विशिष्ट अनुष्ठान और समारोह किए जाते हैं, तो मंदिर असाधारण रूप से भरा रहता है।
खाटू श्याम शॉपिंग डेस्टिनेशन
खाटू श्याम अपनी खरीदारी के लिए नहीं जाना जाता है, हालाँकि शहर में कुछ दुकानें और बाज़ार हैं जहाँ से आप स्मृति चिन्ह और उपहार खरीद सकते हैं। मंदिर के पास, कुछ छोटी दुकानें हैं जो पारंपरिक हस्तशिल्प और धार्मिक कलाकृतियाँ जैसे मूर्तियाँ, पेंटिंग और आभूषण बेचती हैं। ये दुकानें मसाले, कैंडी और नमकीन स्नैक्स जैसे स्थानीय खाद्य पदार्थ भी बेचती हैं। पुराने बस टर्मिनल के पास व्यापार मंडल बाजार उपहार लेने और कुछ स्थानीय स्ट्रीट फूड का नमूना लेने के लिए एक उत्कृष्ट जगह है।
खाटू श्याम तक कैसे पहुंचे?
यहां तक पहुंचने के कई रास्ते हैं:
- हवाई मार्ग द्वारा: निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो खाटू श्याम मंदिर से लगभग 100 किमी दूर है।
- ट्रेन द्वारा: निकटतम रेलवे स्टेशन सीकर है, जो मंदिर से सिर्फ 10 किमी दूर है।
- सड़क मार्ग से: जयपुर और जोधपुर जैसे नजदीकी शहरों से नियमित बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं। आप निजी टैक्सी भी किराये पर ले सकते हैं या मंदिर तक ड्राइव कर सकते हैं।
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Jamshedpur rural- गालूडीह में श्याम फाल्गुन महोत्सव में भजनों पर झूमे श्याम प्रेमी
गालूडीह: गालूडीह स्थित मारवाड़ी धर्मशाला में रविवार शाम फाल्गुन महोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया. बाबा श्याम का भव्य दरबार सजाया गया. शुरुआत खाटू श्याम जी के पूजन से हुई. इसमें अखंड ज्योति और बाबा के दरबार का भव्य शृंगार किया गया. साथ ही छप्पन भोग भी लगाए गए.(नीचे भी पढ़े)
इस अवसर पर आयोजित श्याम जागरण में टाटानगर के भजन गायक अनुभव अग्रवाल एवं कोलकाता की भजन गायिका ज्योति खेमका ने देर रात्रि तक…
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बाबा श्याम जी ने खम्मा - खाटू धाम जी ने खम्मा कोद में बाबा श्याम के भव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया बाबा श्याम का भव्य दरबार सजाया गया..
बाबा श्याम जी ने खम्मा – खाटू धाम जी ने खम्मा कोद में बाबा श्याम के भव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया बाबा श्याम का भव्य दरबार सजाया गया..
बाबा खाटू श्याम जी व बाबा महाँकाल के भजनों पर खूब थिरके श्रोतागण
लोकतंत्र उद्धघोष – गजानंद पाटीदार
कानवन – कोद नगर के सरदार पटेल चौराहा पर भव्य भजन संध्या का आयोजन किया गया बाबा को छप्पन भोग लगाया वह बाबा का अलौकिक श्रृंगार पेटलावद द्वारा किया गया व अखंड ज्योति एवं हवन किया गया जिसमें नगर सहित आसपास के ग्राम से पधारे श्याम प्रेमियों ने आहुति देकर अरदास की भजन गायिका संगीता पाटीदार रामगंज मंडी ने…
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खाटू श्याम जी मंदिर | इतिहास | भजन » Khatu Shyam Ji Temple
खाटू श्याम जी मंदिर | इतिहास | भजन » Khatu Shyam Ji Temple
खाटू श्याम जी मंदिर | इतिहास | भजन » Khatu Shyam Ji Temple
खाटू श्याम जी आरती | Khatu Shyam Ji Ki Aarti
ॐ जय श्री श्याम हरे,बाबा जय श्री श्याम हरे ।खाटू धाम विराजत,अनुपम रूप धरे॥ॐ जय श्री श्याम हरे,बाबा जय श्री श्याम हरे ।रतन जड़ित सिंहासन,सिर पर चंवर ढुरे ।तन केसरिया बागो,कुण्डल श्रवण पड़े ॥ॐ जय श्री श्याम हरे,बाबा जय श्री श्याम हरे…
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यूं हीं नहीं कहते हारे का सहारा बाबा खाटू श्याम हमारा, ऐसे बने खाटू श्याम भगवान-
खाटू श्याम को भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है। ऐसा कहे जाने के पीछे एक पौराणिक कथा हाथ है। राजस्थान के सीकर जिले में इनका भव्य मंदिर स्थित जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। लोगों का विश्वास है कि बाबा श्याम सभी की मुरादें पूर करते है।
कौन हैं बाबा खाटू श्याम-
बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। यह पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे। ऐसी कथा है कि खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया।
खाटू श्याम की कथा-
लाक्षागृह की घटना में प्राण बचाकर वन-वन भटकते पांडवों की मुलाकात हिडिंबा नाम की राक्षसी से हुआ। यह भीम को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी। माता कुंती की आज्ञा से भीम और हिडिंबा का विवाह हुआ जिससे घटोत्कच का जन्म हुआ। घटोत्कच का पुत्र हुआ बर्बरीक जो अपने पिता से भी शक्तिशाली और मायाबी था।
-बर्बरीक देवी का उपासक था। देवी के वरदान से उसे तीन दिव्य बाण प्राप्त हुए थे जो अपने लक्ष्य को भेदकर वापस लौट आते थे। इनकी वजह से बर्बरीक अजेय हो गया था।
-महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध देखने के इरादे से कुरुक्षेत्र आ रहा था। श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हुआ तो परि��ाम पाण्डवों के विर���द्ध होगा। बर्बरीक को रोकने के लिए श्री कृष्ण गरीब ब्राह्मण बनकर बर्बरीक के सामने आए। अनजान बनते हुए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछ कि तुम कौन हो और कुरुक्षेत्र क्यों जा रहे हो। जवाब में बर्बरीक ने बताया कि वह एक दानी योद्धा है जो अपने एक बाण से ही महाभारत युद्ध का निर्णय कर सकता है। श्री कृष्ण ने उसकी परीक्षी लेनी चाही तो उसने एक बाण चलाया जिससे पीपल के पेड़ के सारे पत्तों में छेद हो गया। एक पत्ता श्रीकृष्ण के पैर के नीचे था इसलिए बाण पैर के ऊपर ठहर गया।
-श्री कृष्ण बर्बरीक की क्षमता से हैरान थे और किसी भी तरह से उसे युद्ध में भाग लेने से रोकना चाहते थे। इसके लिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि तुम तो बड़े पराक्रमी हो मुझ गरीब को कुछ दान नहीं दोगे। बर्बरीक ने जब दान मांगने के लिए कहा तो श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक समझ गया कि यह ब्राह्मण नहीं कोई और है और वास्तविक परिचय देने के लिए कहा। श्रीकृष्ण ने अपना वास्तविक परिचय दिया तो बर्बरीक ने खुशी-खुशी शीश दान देना स्वीकर कर लिया।
-रात भर भजन-पूजन कर फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को स्नान पूजा करके, बर्बरीक ने अपने हाथ से अपना शीश श्री कृष्ण को दान कर दिया। शीश दान से पहले बर्बरिक ने श्रीकृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा जताई थी इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कटे शीश को युद्ध अवलोकन के लिए, एक ऊंचे स्थान पर स्थापित कर दिया।
-युद्ध में विजय श्री प्राप्त होने पर पांडव विजय का श्रेय लेने हेतु वाद-विवाद कर रहे थे। तब श्रीकृष्ण ने कहा की इसका निर्णय बर्बरीक का शीश कर सकता है। बर्बरीक के शीश ने बताया कि युद्ध में श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र चल रहा था जिससे कटे हुए वृक्ष की तरह योद्धा रणभूमि में गिर रहे थे। द्रौपदी महाकाली के रूप में रक्त पान कर रही थीं।
- कृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक के उस कटे सिर को वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे श्याम नाम से पूजित होगे तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होगी।
-स्वप्न दर्शनोंपरांत बाबा श्याम, खाटू धाम में स्थित श्याम कुण्ड से प्रकट हुए थे। श्री कृष्ण विराट शालिग्राम रूप में सम्वत् 1777 से खाटू श्याम जी के मंदिर में स्थित होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण कर कर रहे हैं।
हर साल लगता है खाटूश्याम मेला-
प्रत्येक वर्ष होली के दौरान खाटू श्यामजी का मेला लगता है। इस मेले में देश-विदेश से भक्तजन बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है। बाबा श्याम, हारे का सहारा, लखदातार, खाटूश्याम जी, मोर्विनंदन, खाटू का नरेश और शीश का दानी इन सभी नामों से खाटू श्याम को उनके भक्त पुकारते हैं। खाटूश्याम जी मेले का आकर्षण यहां होने वाली मानव सेवा भी है। बड़े से बड़े घराने के लोग आम आदमी की तरह यहां आकर श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
खाटूश्याम जी के चमत्कार-
भक्तों की इस मंदिर में इतनी आस्था है कि वह अपने सुखों का श्रेय उन्हीं को देते हैं। भक्त बताते हैं कि बाबा खाटू श्याम सभी की मुरादें पूरी करते हैं। खाटूधाम में आस लगाने वालों की झोली बाबा खाली नहीं रखते हैं।
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में रोज निहारु झांकी खाटू वाले दातार की भजन लिरिक्स | Me roj Niharu Jhanki Bhajan Lyrics
में रोज निहारु झांकी खाटू वाले दातार की भजन लिरिक्स, Me roj Niharu Jhanki Bhajan Lyrics
।। दोहा ।।
राधे नाम सबसे ब��ा , इससे बड़ो न कोय।
जो कोई ध्यावे प्रेम से , ह्रदय उजालो होय।
~ में रोज निहारु झांकी ~
में रोज निहारु झांकी ,
खाटू वाले दातार की।
तीन बाण और लीला घोडा ,
क्या बात है सरकार की।
शीश पे मुकुट है प्यारा प्यारा ,
गल बैजंती माला।
सांवली सूरत है रूप सजीला ,
जग से लगता निराला।
सारे जग में…
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यूं हीं नहीं कहते हारे का सहारा बाबा खाटू श्याम हमारा, ऐसे बने खाटू श्याम भगवान-
खाटू श्याम को भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है। ऐसा कहे जाने के पीछे एक पौराणिक कथा हाथ है। राजस्थान के सीकर जिले में इनका भव्य मंदिर स्थित जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। लोगों का विश्वास है कि बाबा श्याम सभी की मुरादें पूर करते है।
कौन हैं बाबा खाटू श्याम-
बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। यह पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे। ऐसी कथा है कि खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया।
खाटू श्याम की कथा-
लाक्षागृह की घटना में प्राण बचाकर वन-वन भटकते पांडवों की मुलाकात हिडिंबा नाम की राक्षसी से हुआ। यह भीम को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी। माता कुंती की आज्ञा से भीम और हिडिंबा का विवाह हुआ जिससे घटोत्कच का जन्म हुआ। घटोत्कच का पुत्र हुआ बर्बरीक जो अपने पिता से भी शक्तिशाली और मायाबी था।
-बर्बरीक देवी का उपासक था। देवी के वरदान से उसे तीन दिव्य बाण प्राप्त हुए थे जो अपने लक्ष्य को भेदकर वापस लौट आते थे। इनकी वजह से बर्बरीक अजेय हो गया था।
-महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध देखने के इरादे से कुरुक्षेत्र आ रहा था। श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हुआ तो परिणाम पाण्डवों के विरुद्ध होगा। बर्बरीक को रोकने के लिए श्री कृष्ण गरीब ब्राह्मण बनकर बर्बरीक के सामने आए। अनजान बनते हुए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछ कि तुम कौन हो और कुरुक्षेत्र क्यों जा रहे हो। जवाब में बर्बरीक ने बताया कि वह एक दानी योद्धा है जो अपने एक बाण से ही महाभारत युद्ध का निर्णय कर सकता है। श्री कृष्ण ने उसकी परीक्षी लेनी चाही तो उसने एक बाण चलाया जिससे पीपल के पेड़ के सारे पत्तों में छेद हो गया। एक पत्ता श्रीकृष्ण के पैर के नीचे था इसलिए बाण पैर के ऊपर ठहर गया।
-श्री कृष्ण बर्बरीक की क्षमता से हैरान थे और किसी भी तरह से उसे युद्ध में भाग लेने से रोकना चाहते थे। इसके लिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि तुम तो बड़े पराक्रमी हो मुझ गरीब को कुछ दान नहीं दोगे। बर्बरीक ने जब दान मांगने के लिए कहा तो श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक समझ गया कि यह ब्राह्मण नहीं कोई और है और वास्तविक परिचय देने के लिए कहा। श्रीकृष्ण ने अपना वास्तविक परिचय दिया तो बर्बरीक ने खुशी-खुशी शीश दान देना स्वीकर कर लिया।
-रात भर भजन-पूजन कर फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को स्नान पूजा करके, बर्बरीक ने अपने हाथ से अपना शीश श्री कृष्ण को दान कर दिया। शीश दान से पहले बर्बरिक ने श्रीकृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा जताई थी इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कटे शीश को युद्ध अवलोकन के लिए, एक ऊंचे स्थान पर स्थापित कर दिया।
-युद्ध में विजय श्री प्राप्त होने पर पांडव विजय का श्रेय लेने हेतु वाद-विवाद कर रहे थे। तब श्रीकृष्ण ने कहा की इसका निर्णय बर्बरीक का शीश कर सकता है। बर्बरीक के शीश ने बताया कि युद्ध में श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र चल रहा था जिससे कटे हुए वृक्ष की तरह योद्धा रणभूमि में गिर रहे थे। द्रौपदी महाकाली के रूप में रक्त पान कर रही थीं।
- कृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक के उस कटे सिर को वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे श्याम नाम से पूजित होगे तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होगी।
-स्वप्न दर्शनोंपरांत बाबा श्याम, खाटू धाम में स्थित श्याम कुण्ड से प्रकट हुए थे। श्री कृष्ण विराट शालिग्राम रूप में सम्वत् 1777 से खाटू श्याम जी के मंदिर में स्थित होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण कर कर रहे हैं।
हर साल लगता है खाटूश्याम मेला-
प्रत्येक वर्ष होली के दौरान खाटू श्यामजी का मेला लगता है। इस मेले में देश-विदेश से भक्तजन बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है। बाबा श्याम, हारे का सहारा, लखदातार, खाटूश्याम जी, मोर्विनंदन, खाटू का नरेश और शीश का दानी इन सभी नामों से खाटू श्याम को उनके भक्त पुकारते हैं। खाटूश्याम जी मेले का आकर्षण यहां होने वाली मानव सेवा भी है। बड़े से बड़े घराने के लोग आम आदमी की तरह यहां आकर श्रद्धालुओं की स��वा करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
खाटूश्याम जी के चमत्कार-
भक्तों की इस मंदिर में इतनी आस्था है कि वह अपने सुखों का श्रेय उन्हीं को देते हैं। भक्त बताते हैं कि बाबा खाटू श्याम सभी की मुरादें पूरी करते हैं। खाटूधाम में आस लगाने वालों की झोली बाबा खाली नहीं रखते हैं।
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✨ होली विशेष - Holi Specials 2023
होली कब, कैसे क्यों और कहाँ?
❀ होली - होलिका दहन, धुलण्डी, दूज, लक्ष्मी जयंती, चैतन्य महाप्रभु जयंती, फाल्गुन पूर्णिमा
आरती:
❀ आरती कुंजबिहारी की
❀ श्री चित्रगुप्त आरती
❀ श्री खाटू श्याम जी आरती
❀ श्री राम स्तुति
❀ श्री कुबेर जी आरती
❀ श्री सत्यनारायण आरती
❀ ॐ जय जगदीश हरे आरती
मंत्र | नामावली | स्तोत्र | अष्टकम:
❀ मधुराष्टकम्: धरं मधुरं वदनं मधुरं
❀ श्री राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत्र
❀ महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि
❀ ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
❀ श्री कृष्णाष्टकम्
❀ श्री दशावतार स्तोत्र: प्रलय पयोधि-जले
❀ दैनिक हवन-यज्ञ विधि
होली भजन:
❀ आज बिरज में होरी रे रसिया
❀ होली खेल रहे नंदलाल
❀ फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद किशोर
❀ अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं
❀ मेरे बांके बिहारी लाल
❀ श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी
❀ इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी
❀ छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल
❀ मंगल गीत: हेरी सखी मंगल गावो री
❀ अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो
❀ सीता राम, सीता राम, सीताराम कहिये
❀ सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
❀ श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
चालीसा:
❀ राधा चालीसा ❀ दुर्गा चालीसा ❀ नवग्रह चालीसा ❀ राम चालीसा ❀ राणी सती दादी चालीसा
मंदिर:
❀ श्री राधा रानी मंदिर, बरसाना
❀ पागल बाबा मंदिर
❀ प्रेम मंदिर
❀ श्री दाऊजी मंदिर, हाथरस
❀ ब्रजभूमि के प्रसिद्ध मंदिर
❀ द्वारका, गुजरात के विश्व विख्यात मंदिर
❀ दिल्ली के प्रसिद्ध श्री कृष्ण मंदिर
❀ भारत के चार धाम
ब्लॉग:
❀ क्या रंग महोत्सव होली विदेशों में प्रसिद्ध है?
दुनियाँ में रंगों के त्यौहार नाम से प्रसिद्ध, भारत के इस पर्व की सबसे अधिक धूम-धाम, भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन मे होती है। आइए जानें! भारत मे तीन दिनों तक चलने वाला तथा ब्रजभूमि मे पाँच दिनों तक चलने वाले इस उत्सव से जुड़ी कुछ विशेष जानकारियाँ, आरतियाँ एवं भजन, होलिका दहन, धुलण्डी, दूज होली विशेषांक 2023..
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🐚 चैतन्य महाप्रभु जयंती - Chaitanya Mahaprabhu Jayanti
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✨ लक्ष्मी जयंती - Lakshmi Jayanti
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🐚 सत्यनारायण व्रत - Satyanarayan Vrat
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यूं हीं नहीं कहते हारे का सहारा बाबा खाटू श्याम हमारा, ऐसे बने खाटू श्याम भगवान-
खाटू श्याम क��� भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है। ऐसा कहे जाने के पीछे एक पौराणिक कथा हाथ है। राजस्थान के सीकर जिले में इनका भव्य मंदिर स्थित जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। लोगों का विश्वास है कि बाबा श्याम सभी की मुरादें पूर करते है।
कौन हैं बाबा खाटू श्याम-
बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। यह पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे। ऐसी कथा है कि खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया।
खाटू श्याम की कथा-
लाक्षागृह की घटना में प्राण बचाकर वन-वन भटकते पांडवों की मुलाकात हिडिंबा नाम की राक्षसी से हुआ। यह भीम को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी। माता कुंती की आज्ञा से भीम और हिडिंबा का विवाह हुआ जिससे घटोत्कच का जन्म हुआ। घटोत्कच का पुत्र हुआ बर्बरीक जो अपने पिता से भी शक्तिशाली और मायाबी था।
-बर्बरीक देवी का उपासक था। देवी के वरदान से उसे तीन दिव्य बाण प्राप्त हुए थे जो अपने लक्ष्य को भेदकर वापस लौट आते थे। इनकी वजह से बर्बरीक अजेय हो गया था।
-महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध देखने के इरादे से कुरुक्षेत्र आ रहा था। श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हुआ तो परिणाम पाण्डवों के विरुद्ध होगा। बर्बरीक को रोकने के लिए श्री कृष्ण गरीब ब्राह्मण बनकर बर्बरीक के सामने आए। अनजान बनते हुए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछ कि तुम कौन हो और कुरुक्षेत्र क्यों जा रहे हो। जवाब में बर्बरीक ने बताया कि वह एक दानी योद्धा है जो अपने एक बाण से ही महाभारत युद्ध का निर्णय कर सकता है। श्री कृष्ण ने उसकी परीक्षी लेनी चाही तो उसने एक बाण चलाया जिससे पीपल के पेड़ के सारे पत्तों में छेद हो गया। एक पत्ता श्रीकृष्ण के पैर के नीचे था इसलिए बाण पैर के ऊपर ठहर गया।
-श्री कृष्ण बर्बरीक की क्षमता से हैरान थे और किसी भी तरह से उसे युद्ध में भाग लेने से रोकना चाहते थे। इसके लिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि तुम तो बड़े पराक्रमी हो मुझ गरीब को कुछ दान नहीं दोगे। बर्बरीक ने जब दान मांगने के लिए कहा तो श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक समझ गया कि यह ब्राह्मण नहीं कोई और है और वास्तविक परिचय देने के लिए कहा। श्रीकृष्ण ने अपना वास्तविक परिचय दिया तो बर्बरीक ने खुशी-खुशी शीश दान देना स्वीकर कर लिया।
-रात भर भजन-पूजन कर फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को स्नान पूजा करके, बर्बरीक ने अपने हाथ से अपना शीश श्री कृष्ण को दान कर दिया। शीश दान से पहले बर्बरिक ने श्रीकृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा जताई थी इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कटे शीश को युद्ध अवलोकन के लिए, एक ऊंचे स्थान पर स्थापित कर दिया।
-युद्ध में विजय श्री प्राप्त होने पर पांडव विजय का श्रेय लेने हेतु वाद-विवाद कर रहे थे। तब श्रीकृष्ण ने कहा की इसका निर्णय बर्बरीक का शीश कर सकता है। बर्बरीक के शीश ने बताया कि युद्ध में श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र चल रहा था जिससे कटे हुए वृक्ष की तरह योद्धा रणभूमि में गिर रहे थे। द्रौपदी महाकाली के रूप में रक्त पान कर रही थीं।
- कृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक के उस कटे सिर को वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे श्याम नाम से पूजित होगे तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होगी।
-स्वप्न दर्शनोंपरांत बाबा श्याम, खाटू धाम में स्थित श्याम कुण्ड से प्रकट हुए थे। श्री कृष्ण विराट शालिग्राम रूप में सम्वत् 1777 से खाटू श्याम जी के मंदिर में स्थित होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण कर कर रहे हैं।
हर साल लगता है खाटूश्याम मेला-
प्रत्येक वर्ष होली के दौरान खाटू श्यामजी का मेला लगता है। इस मेले में देश-विदेश से भक्तजन बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है। बाबा श्याम, हारे का सहारा, लखदातार, खाटूश्याम जी, मोर्विनंदन, खाटू का नरेश और शीश का दानी इन सभी नामों से खाटू श्याम को उनके भक्त पुकारते हैं। खाटूश्याम जी मेले का आकर्षण यहां होने वाली मानव सेवा भी है। बड़े से बड़े घराने के लोग आम आदमी की तरह यहां आकर श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
खाटूश्याम जी के चमत्कार-
भक्तों की इस मंदिर में इतनी आस्था है कि वह अपने सुखों का श्रेय उन्हीं को देते हैं। भक्त बताते हैं कि बाबा खाटू श्याम सभी की मुरादें पूरी करते हैं। खाटूधाम में आस लगाने वालों की झोली बाबा खाली नहीं रखते हैं।
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यूं हीं नहीं कहते हारे का सहारा बाबा खाटू श्याम हमारा, ऐसे बने खाटू श्याम भगवान-
खाटू श्याम को भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है। ऐसा कहे जाने के पीछे एक पौराणिक कथा हाथ है। राजस्थान के सीकर जिले में इनका भव्य मंदिर स्थित जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। लोगों का विश्वास है कि बाबा श्याम सभी की मुरादें पूर करते है।
कौन हैं बाबा खाटू श्याम-
बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। यह पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे। ऐसी कथा है कि खाटू ���्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया।
खाटू श्याम की कथा-
लाक्षागृह की घटना में प्राण बचाकर वन-वन भटकते पांडवों की मुलाकात हिडिंबा नाम की राक्षसी से हुआ। यह भीम को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी। माता कुंती की आज्ञा से भीम और हिडिंबा का विवाह हुआ जिससे घटोत्कच का जन्म हुआ। घटोत्कच का पुत्र हुआ बर्बरीक जो अपने पिता से भी शक्तिशाली और मायाबी था।
-बर्बरीक देवी का उपासक था। देवी के वरदान से उसे तीन दिव्य बाण प्राप्त हुए थे जो अपने लक्ष्य को भेदकर वापस लौट आते थे। इनकी वजह से बर्बरीक अजेय हो गया था।
-महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध देखने के इरादे से कुरुक्षेत्र आ रहा था। श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हुआ तो परिणाम पाण्डवों के विरुद्ध होगा। बर्बरीक को रोकने के लिए श्री कृष्ण गरीब ब्राह्मण बनकर बर्बरीक के सामने आए। अनजान बनते हुए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछ कि तुम कौन हो और कुरुक्षेत्र क्यों जा रहे हो। जवाब में बर्बरीक ने बताया कि वह एक दानी योद्धा है जो अपने एक बाण से ही महाभारत युद्ध का निर्णय कर सकता है। श्री कृष्ण ने उसकी परीक्षी लेनी चाही तो उसने एक बाण चलाया जिससे पीपल के पेड़ के सारे पत्तों में छेद हो गया। एक पत्ता श्रीकृष्ण के पैर के नीचे था इसलिए बाण पैर के ऊपर ठहर गया।
-श्री कृष्ण बर्बरीक की क्षमता से हैरान थे और किसी भी तरह से उसे युद्ध में भाग लेने से रोकना चाहते थे। इसके लिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि तुम तो बड़े पराक्रमी हो मुझ गरीब को कुछ दान नहीं दोगे। बर्बरीक ने जब दान मांगने के लिए कहा तो श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक समझ गया कि यह ब्राह्मण नहीं कोई और है और वास्तविक परिचय देने के लिए कहा। श्रीकृष्ण ने अपना वास्तविक परिचय दिया तो बर्बरीक ने खुशी-खुशी शीश दान देना स्वीकर कर लिया।
-रात भर भजन-पूजन कर फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को स्नान पूजा करके, बर्बरीक ने अपने हाथ से अपना शीश श्री कृष्ण को दान कर दिया। शीश दान से पहले बर्बरिक ने श्रीकृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा जताई थी इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कटे शीश को युद्ध अवलोकन के लिए, एक ऊंचे स्थान पर स्थापित कर दिया।
-युद्ध में विजय श्री प्राप्त होने पर पांडव विजय का श्रेय लेने हेतु वाद-विवाद कर रहे थे। तब श्रीकृष्ण ने कहा की इसका निर्णय बर्बरीक का शीश कर सकता है। बर्बरीक के शीश ने बताया कि युद्ध में श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र चल रहा था जिससे कटे हुए वृक्ष की तरह योद्धा रणभूमि में गिर रहे थे। द्रौपदी महाकाली के रूप में रक्त पान कर रही थीं।
- कृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक के उस कटे सिर को वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे श्याम नाम से पूजित होगे तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होगी।
-स्वप्न दर्शनोंपरांत बाबा श्याम, खाटू धाम में स्थित श्याम कुण्ड से प्रकट हुए थे। श्री कृष्ण विराट शालिग्राम रूप में सम्वत् 1777 से खाटू श्याम जी के मंदिर में स्थित होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण कर कर रहे हैं।
हर साल लगता है खाटूश्याम मेला-
प्रत्येक वर्ष होली के दौरान खाटू श्यामजी का मेला लगता है। इस मेले में देश-विदेश से भक्तजन बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है। बाबा श्याम, हारे का सहारा, लखदातार, खाटूश्याम जी, मोर्विनंदन, खाटू का नरेश और शीश का दानी इन सभी नामों से खाटू श्याम को उनके भक्त पुकारते हैं। खाटूश्याम जी मेले का आकर्षण यहां होने वाली मानव सेवा भी है। बड़े से बड़े घराने के लोग आम आदमी की तरह यहां आकर श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
खाटूश्याम जी के चमत्कार-
भक्तों की इस मंदिर में इतनी आस्था है कि वह अपने सुखों का श्रेय उन्हीं को देते हैं। भक्त बताते हैं कि बाबा खाटू श्याम सभी की मुरादें पूरी करते हैं। खाटूधाम में आस लगाने वालों की झोली बाबा खाली नहीं रखते हैं।
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एक शाम खाटू वाले के नाम विशाल भजन संध्या आयोजित की गई टकरावदा में..
एक शाम खाटू वाले के नाम विशाल भजन संध्या आयोजित की गई टकरावदा में..
खिलेडी। समिप ग्राम टकरावदा मे मंगलवार शाम को विशाल भजन संध्या का आयोजन रखा गया । भजन संध्या में सर्वप्रथम बाबा श्याम की ज्योत प्रजलित कर भजन संध्या का शुभारंभ किया गया
सर्वप्रथम प.शुभ गुरु शर्मा अकोला वाले ने भजनों की प्रस्तुति दी गायक कलाकार प्रदीप जी कुमावत खुटपला, इनके बाद गायिका अनीता जी मारू राजगढ़ भजनो की प्रस्तुति दी बास की बांसुरिया पे घणो इतरावे भजनों पर झूम उठे श्याम प्रेमी , गायिका…
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