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#खाद्य तेल निर्माता
rudrjobdesk · 2 years
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10 रुपये सस्ती होगी खाद्य तेल की कीमतें, सरकार ने दिया कंपनियों को ये आदेश
10 रुपये सस्ती होगी खाद्य तेल की कीमतें, सरकार ने दिया कंपनियों को ये आदेश
सुधांशु पांडे के मुताबिक प्रमुख खाद्य तेल निर्माताओं ने पाम तेल, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल जैसे सभी आयातित खाद्य तेलों में एमआरपी को अगले सप्ताह तक 10 रुपये प्रति लीटर तक कम करने का वादा किया है। Source link
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bhoomikakalam · 7 months
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Astrobhoomi-ग्रह के अनुसार व्यवसाय और करें उपाय, पाएं लाभ part V
शुक्र ग्रह से संबंधित व्यापार
शुक्र ग्रह को सुंदरता, ऐश्वर्य तथा कला के साथ जुड़े क्षेत्रों का अधिपति माना जाता है। शुक्र की प्रबल स्थिति जातक को शारीरिक रूप से सुंदर और आकर्षक बनाती है। शुक्र के प्रबल प्रभाव से महिलाएं अति आकर्षक होती हैं। शुक्र के जातक आम तौर पर फैशन जगत, सिनेमा जगत तथा ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में सफल होते हैं। कलात्मक कार्य, संगीत (गायन, वादन, नृत्य), अभिनय, चलचित्र संबंधी डेकोरेशन, ड्रेस डिजाइनिंग, मनोरंजन के साधन, फिल्म उद्योग, वीडियो पार्लर, मैरिज ब्यूरो, इंटीरियर डेकोरेशन, फैशन डिजाइनिंग, पेंटिंग, श्रृंगार के साधन, कॉस्मेटिक, इत्र, गिफ्ट हॉउस, चित्रकला तथा स्त्रियों के काम में आने वाले पदार्थ, विवाह से संबंधित कार्य, महिलाओं से संबंधित कार्य, विलासितापूर्ण वस्तु, गाड़ी, वाहन व्यापारी, ट्रांसपोर्ट, सजावटी वस्तुएं, मिठाई संबंधी, रेस्टोरेंट, होटल, खाद्य पदार्थ, श्वेत पदार्थ, दूध से बने पदार्थ, दूध उत्पादन (दुग्धशाला), दही, चावल, धान, गुड़, खाद्य पदार्थ, सोना, चांदी, हीरा, जौहरी, वस्त्र निर्माता , गारमेंट्स, पशु चिकित्सा, हाथी घोड़ा पालन, टूरिज्म, चाय-कॉफी, शुक्र+मंगल= रत्न व्यापारी , शुक्र+राहु या शनि = ब्यूटी पार्लर, शुक्र+चन्द्र = सोडावाटर फैक्ट्री, तेल, शरबत, फल, तरल रंग,
अगर आप रेस्टोरेन्ट, सौन्दर्य प्रसाधन, शिल्प कार्य, साहित्य, फिल्म विज्ञापन, परिवहन विभाग की ठेकेदारी, वस्त्रों का व्यापार, हीरे का बिजनेस, सफेद वस्तुओं का कार्य, खनिज कार्य, पेंटिंग, निर्माण कार्य, परिवहन विभाग, पर्यटन विभाग, रेसलिंग, टीवी शो, थियेटर, आदि से सम्बन्धित व्यवसाय करने के लिए शुक्र ग्रह का शुभ व बलवान आवश्यक होता है।
शुक्र ग्रह को मजबूत करने के आसान उपाय 1) व्यवसाय में सफलता पाने के लिए अपने दुकान या आॅफिस में देवी लक्ष्मी की मूर्ती या तस्वीर स्थापित करें। रोज सुबह उन्हें गुलाब का इत्र अर्पित करें। इसके बाद ‘ऊं श्रीं श्रिंयै नम:’ मंत्र का जाप 108 बार करें। हर शुक्रवार की शाम को देवी को सफेद फूल अर्पित करने से वे प्रसन्न होंगी।
2) व्यवसाय में बेहतरी के लिए रोज सुबह-शाम ‘ऊं शुं शुक्राय नम:’ मंत्र का जाप करें। सफेद स्फटिक की माला गले में धारण करने से भी शुक्र ग्रह मजबूत होता है।
3) शुक्र ग्रह से पीड़ित जातक को काले रंग के प्रयोग से बचना चाहिए। हर शुक्रवार को मां लक्ष्मी को सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए।
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trendingwatch · 2 years
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आयात शुल्क में कटौती पर कुकिंग ऑयल 20 रुपये प्रति लीटर तक सस्ता; मुख्य विवरण
आयात शुल्क में कटौती पर कुकिंग ऑयल 20 रुपये प्रति लीटर तक सस्ता; मुख्य विवरण
पिछले साल और इस साल की शुरुआत के दौरान घरेलू खाना पकाने और खाद्य तेलों की कीमतों में 10 से 20 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। हाल के दिनों में कई ब्रांडों ने खाद्य पदार्थों की कीमतों में कटौती की घोषणा की है खाना पकाने के तेल. ऐसा इसलिए है क्योंकि कंपनियों ने आयात शुल्क में कटौती का बोझ डालना शुरू कर दिया है। तेल की कीमतों में यह कमी ऐसे समय में आई है जब केंद्र सरकार ने तेल की कीमतों में…
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divyabhashkar · 2 years
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अदानी विल्मर के शेयर 3 दिन में 68% चढ़े। क्या आपको अभी बेचना चाहिए, होल्ड करना चाहिए या खरीदना चाहिए?
अदानी विल्मर के शेयर 3 दिन में 68% चढ़े। क्या आपको अभी बेचना चाहिए, होल्ड करना चाहिए या खरीदना चाहिए?
नई सूचीबद्ध अदाणी समूह की फर्म के शेयर अदानी विल्मर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर लिमिटेड 20 प्रतिशत बढ़कर रु। अपर सर्किट पर लगातार दूसरे दिन 386.25 पर बंद हुआ। हाल ही में सूचीबद्ध अदानी विल्मर शेयरखाद्य तेल और अन्य एफएमसीजी उत्पादों का निर्माता, मंगलवार को एक मौन शुरुआत के बावजूद निवेशकों के बीच उच्च मांग में है। आज की रैली के साथ, कोई स्टॉक नहीं अदानी अग्रणी समूह खाद्य तेल कंपनी रु. 230, इसके…
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abhay121996-blog · 3 years
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पश्चिम बंगाल में किसानों के लिए मददगार होंगे नए केन्द्रीय कृषि कानून : कृषि विशेषज्ञ Divya Sandesh
#Divyasandesh
पश्चिम बंगाल में किसानों के लिए मददगार होंगे नए केन्द्रीय कृषि कानून : कृषि विशेषज्ञ
कोलकाता। केंद्रीय कृषि कानून को लेकर देशभर में मचे विवाद के बीच पश्चिम बंगाल के कृषि विशेषज्ञ विद्युत कुमार बसु ने कहा है कि केंद्रीय कृषि कानून बंगाल के किसानों के लिए काफी मददगार साबित होने वाले हैं। रविवार को “हिन्दुस्थान समाचार” से विशेष बातचीत के दौरान कृषि विशेषज्ञ बसु ने केंद्रीय कृषि कानून के कई सकारात्मक पहलुओं का जिक्र किया है। कृषि विशेषज्ञ बसु ग्रामीण और कृषि अर्थशास्त्र के प्रशिक्षक और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के पूर्व अधिकारी हैं। इस विशेष साक्षात्कार के दौरान कई प्रमुख मुख्य बिंदुओं पर बेवाक राय रखी। साक्षात्कार के प्रमुख सारांश।
प्रश्न: सामान्यतः कृषि एक आयामी विषय प्रतीत होता है लेकिन कृषि विभिन्न विषयों का एक संयोजन है। इस पर आप क्या कहते हैं? उत्तर: कृषि केंद्रित अर्थव्यवस्था से मेरा तात्पर्य केवल कृषि उत्पादन, संरक्षण और विपणन से नहीं है, बल्कि कृषि से किसान की आय और उनकी वित्तीय स्थिति से भी है। किसान को अपनी उपज बचाने, या सही कीमत पाने का मौका नहीं मिलता। कृषि की लागत भी काफी अधिक होती है। इसकी स्टोरेज या मार्केटिंग सिस्टम भी सही नहीं है। किसान को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिलता। साथ ही कृषि प्रशिक्षण का भी अभाव है। समय पर ऋण की उचित राशि, प्रमाणित बीज, उर्वरक, कीटनाशक, सिंचाई का पानी, कृषि यंत्र, कृषि बीमा, कृषि भूमि कानून, कृषि मजदूरों की भूमि सीमा या काम करने की स्थिति, कृषि अनुसंधान के लाभ आदि। कृषि अर्थशास्त्र मूल रूप से इन मुद्दों का एक संयोजन है।
प्रश्न: क्या इस राज्य की कृषि विकास दर संबंधित क्षेत्रों में औसत राष्ट्रीय विकास दर से बेहतर है? उत्तर: धान, जूट और सब्जियों के उत्पादन में पश्चिम बंगाल प्रथम है। इसके अलावा फल और चाय उत्पादन में दूसरे और फूल उत्पादन में बंगाल तीसरे स्थान पर है। दूसरे राज्यों से सिर्फ दालें, खाद्य तेल और प्याज का आयात करना पड़ता है।
प्रश्न: कृषि विकास के लिए अन्य बुनियादी ढांचे की स्थिति क्या है? उत्तर : बंगाल में कृषि का बुनियादी ढांचा काफी कमजोर है। आलू कोल्ड स्टोरेज या चावल का गोदाम पर्याप्त नहीं है। इसलिए यहां की सब्जियां और फूल दूसरे राज्यों के जरिए विदेशों में निर्यात किए जाते हैं। विपणन केंद्र की भारी कमी है। किसान मंडियां ठीक से काम नहीं करतीं।
प्रश्न: इस राज्य में कृषि के लिए संस्थागत समर्थन की क्या भूमिका है? उत्तर : फार्मा निर्माता संगठन भंडारण, प्रसंस्करण, विपणन, उर्वरकों की आपूर्ति, कृषि मशीनरी और बीज, और यहां तक कि विस्तार के लिए मददगार हो सकता है। नाबार्ड और कई स्वयंसेवी संगठनों की प्रारंभिक सफलता के बाद केंद्र सरकार ने पिछले साल जुलाई में एक बड़े पैमाने पर केंद्रीय परियोजना की घोषणा की। पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने तदनुसार कार्रवाई की है।
प्रशिक्षण और अनुसंधान: राज्य में तीन कृषि विश्वविद्यालय, कई कृषि विज्ञान केंद्र और एक केंद्रीय अनुसंधान संस्थान हैं। उर्वरक और बीज आपूर्ति अपर्याप्त है। बीज के निर्माण को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। रासायनिक खाद बाहर से आती है। कीमत ज्यादा है। वाणिज्यिक बैंक, ग्रामीण बैंक और सहकारी समितियां कृषि ऋण के मुख्य आपूर्तिकर्ता हैं। लेकिन सही समय पर काम नहीं होता। सभी किसानों को कृषि बीमा के तहत लाया जाना चाहिए।
प्रश्न: अन्य राज्यों की तुलना में पश्चिम बंगाल में कृषि अर्थव्यवस्था की स्थिति क्या है? उत्तर: भारत में कृषि के क्षेत्र में वास्तव में एक क्रांति हुई है। हर चीज का उत्पादन बहुत बढ़ गया है। उत्पादन के मामले में पंजाब, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल बेहतर है। लेकिन मुनाफे को देखते हुए, केरल, गोवा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य वाणिज्य खेती में काफी सफल हैं।
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प्रश्न: पश्चिम बंगाल में किसानों की दुर्दशा क्यों है, भले ही उनका उत्पादन में उच्च स्थान है? उत्तर : सबसे पहले, पारंपरिक फसलें जैसे धान का उत्पादन सबसे अधिक होता है और कीमत कम मिलती है। सब्जियां, फूल, फल लाभदायक हैं लेकिन बेहतर संरक्षण और विपणन प्रणाली की जरूरत है। जहां ये सुविधाएं हैं, वहां किसान अच्छी आय कर रहे हैं।
मुख्य बाधा भूमि की मात्रा, प्रति परिवार 0.6 हेक्टेयर है जबकि भारत में औसत 1.06 हेक्टेयर है। पश्चिम बंगाल के 98 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान हैं। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, इतनी छोटी भूमि पर खेती की लागत भी नहीं आती है।
प्रश्न: आय बढ़ाने का उपाय क्या है? उत्तर : अधिक कीमत पर बिकने वाले अनाज की खेती शुरू करनी होगी। उत्तर बंगाल में तटीय इलाकों में काली मिर्च, सुपारी, बादाम बोया जा सकता है। धान की जगह केले की खेती हो रही है। जंगल में चंदन के पेड़ लगाने पर विचार किया जा रहा है। संरक्षण और विपणन में सुधार। जापान के कावासाकी का सिंगुर में एक मॉडल की टेस्टिंग की जा रही है।
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प्रश्नः वामपंथी और तृणमूल नए कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं। कोई वजह? उत्तर: पश्चिम बंगाल में बांकुड़ा, बर्दवान और हावड़ा के कुछ स्थानों पर ठेके पर खेती हो रही है। चिप्स के लिए आलू का उपयुक्त उत्पादन हो रहा है। राज्य में कहीं भी किसानों ने इसके खिलाफ आंदोलन नहीं किया है। यदि समझौते को संयुक्त रूप से संस्थागत रूप दिया जाता है, तो आशंकाएं निराधार हैं। जैसे एफपीओ या सहकारी समितियों के माध्यम से किसान और निजी कंपनियों के बीच समझौते हो तो बेहतर तालमेल होगा। केंद्र का नया कृषि कानून किसानों के लिए हर तरह से मददगार है। अगर मौसम की वजह से फसलों को नुकसान भी पहुंचता है तो इस बात का जिक्र भी समझौते के पत्र में पहले ही किया जा सकता है ताकि किसानों को बहुत अधिक नुकसान नहीं उठाना पड़े। यह महसूस करते हुए कि नया कानून पश्चिम बंगाल में किसानों की मदद करेगा, कानून को आंशिक रूप से बदल दिया गया है।
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kisansatta · 4 years
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कोरोना का डंक ! नवाबों के शहर समेत कई जिलों में दिखी रोजमर्रा वस्तुओं की कमी
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लखनऊ : लॉकडाउन के चलते राज्य में कम से कम 45 जिले आटा, चीनी, मसालों जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कमी का सामना कर रहे हैं | लॉकडाउन के दौरान सप्लाई चेन में आने वाली बाधाओं की जांच करने के लिए सभी जिलों में यूपी वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा किए गए एक जांच अभियान में यह सामने आया है | विभाग ने राज्य भर के 2,484 थोक विक्रेताओं और उत्पादकों से संपर्क किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनके पास खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं या नहीं |
एक रिपोर्ट के मुताबिक जांच में सामने आया कि लगभग 89% थोक विक्रेताओं और उत्पादकों ने संपर्क किया | जिनमें 2,484 में से 2,204 के पास मसाले, मेवा, आटा, तेल, दालों का पर्याप्त स्टॉक है | संपर्क करने वालों में से 2,131 थोक व्यापारी थे, जबकि 353 निर्माता थे | वहीं हमीरपुर, भदोही और कन्नौज में, व्यापारियों ने अधिकतम कमी को हरी झंडी दिखाई |
स्टॉक की कुछ कमी देखी गई
अन्य शहरों में जहां स्टॉक की कुछ कमी देखी गई है उनमें लखनऊ भी शामिल है | जहां 18.42% व्यापारियों को सीमित स्टॉक का सामना करना पड़ रहा है | वहीं व्यापारियों को प्रयागराज 10%, वाराणसी 12.5% ​​और अयोध्या में 42.10% कमी का सामना करना पड़ रहा था | कमी का मुख्य कारण कच्चे माल की अनुपलब्धता, परिवहन, पास होने में कठिनाई और श्रमिकों की कमी है |
दूध पाउडर की उपलब्धता पर भी चिंता
उत्पादक तेल, चावल और मसालों के बाद ‘आटा’ और ‘मैदा’ के स्टॉक को लेकर सबसे ज्यादा समस्या का दावा करते हैं | उत्पादकों का कहना है कि इन सभी जरुरी सामानों की कमी की सबसे बड़ी वजह कच्चे माल की अनुपलब्धता, लेबर की कमी और परिवहन प्राप्त ��रने में कठिनाई बताई जा रही है | हालांकि सभी ने तेल, मसाले, चीनी और दूध पाउडर की उपलब्धता पर भी चिंता जताई है |
https://kisansatta.com/sting-of-corona-shortage-of-everyday-items-seen-in-many-districts-including-the-city-of-nawabs/ #StingOfCoronaShortageOfEverydayItemsSeenInManyDistrictsIncludingTheCityOfNawabs Sting of Corona! Shortage of everyday items seen in many districts including the city of Nawabs Corona Virus, State, Top #CoronaVirus, #State, #Top KISAN SATTA - सच का संकल्प
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SMALL SCALE INDUSTRIES
22 छोटे पैमाने पर विनिर्माण व्यापार
एक बड़ा व्यवसाय शुरू किया गया है, आपके पास पर्याप्त पूंजी और अन्य संसाधन आवश्यक हैं हालांकि, भारत के सबसे बड़े व्यापारिक घरों में एक झलक बताती है, वे छोटे पैमाने पर निर्माताओं के रूप में शुरू करते हैं और समय के साथ विस्तारित होते हैं।
अधिक बार नहीं, यह एक व्यवसाय शुरू करने के लिए पूंजी को खोजने में बहुत मुश्किल हो सकता है। इस परिदृश्य को, सबसे अच्छा विकल्प एक छोटे पैमाने पर व्यवसाय शुरू करना है।
आम तौर पर, ऐसे व्यवसायों को राजधानी की आवश्यकता होती है। 100,000 या उससे कम। वास्तव में, छोटे पैमाने पर उद्योगों द्वारा किए गए उत्पादों की कीमतें अधिक गुणवत्ता में हैं क्योंकि उत्पाद की गुणवत्ता अक्सर अधिक होती है और कीमतों में प्रतिस्पर्धी होती है।
22 छोटे पैमाने पर विनिर्माण व्यापार
विचार हमने पहले ही निवेश के साथ 131 महान व्यापार विचारों पर चर्चा की है। यहां हम 25 महान छोटे पैमाने पर विनिर्माण व्यवसाय विचारों को देखते हैं, जो अमीर बनने के अपने सपने को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।
1: Manufacture kre हर्बल बालों का तेल
हर्बल बालों के तेलों के बहुत सारे ब्रांड जो बालों के झड़ने, बाल गिरने और स्वस्थ बाल जैसे समस्याओं के लिए चमत्कार के इलाज के करीब हैं, यह बाजार में भ्रमित करता है। यह उपभोक्ताओं को भ्रमित करने के लिए उन सभी चीजों को भ्रमित करने के लिए है, जो उत्पादकों को हल्के से अधिक अनिवार्य नष्ट कर देता है। बड़े व्यवसायों से अनदेखी लगती है। आप इस व्यवसाय को दर्ज कर सकते हैं। आप सभी व्यवसायों को कम कर सकते हैं।
2: पापड़ और साबूदाना फ्रिटर्स
पापड़ और साबूदाना (साबुदाना) फ्रिज सभी वर्ष भर मांग में होते हैं। उन्हें तैयार करना बहुत सरल है। इसके लिए बहुत अधिक श्रमशक्ति की आवश्यकता नहीं होती है।
आपको इस विनिर्माण व्यवसाय को स्थापित करने की आवश्यकता है उचित व्यंजनों और बुनियादी उपकरण हैं जिसमें सुखाने के लिए गैस स्टोव, बर्तन और प्लास्टिक शीट शामिल हैं।
और निश्चित रूप से, मूल तत्व जो इन खाद्य पदार्थों में जाते हैं जैसे कि आटा, साबूदाना और मसाले। आपको खाद्य ग्रेड प्लास्टिक रैपर और एक सील मशीन की भी आवश्यकता हो सकती है।
ये बाजार में काफी कम कीमतों पर उपलब्ध हैं। घर पर या छोटे पैमाने पर निर्माताओं द्वारा निर्मित पापड़ और साबूदाने आसानी से उन दुकानों या सहकारी समितियों द्वारा खरीदे जाते हैं जो उन्हें प्रीमियम पर बेचते हैं।
3: विनिर्माण विदेशी साबुन
भारत विदेशी जड़ी-बूटियों और मसालों का देश है, जिनमें औषधीय गुण होते हैं। त्वचा पर लगाने पर इन जड़ी बूटियों और मसालों के बहुत सारे लाभकारी प्रभाव होते हैं।
इसके अलावा, भारतीय, हर सुबह स्नान और ताजगी पर बहुत जोर देते हैं।
आप सभी की जरूरत है त्वचा पर कुछ जड़ी बूटियों और मसालों के लाभकारी प्रभाव का थोड़ा अध्ययन और साबुन बनाने की सरल प्रक्रिया के साथ मिश्रित।
विदेशी स्नान साबुन बनाने से आपको छोटे पैमाने पर विनिर्माण व्यवसाय में प्रवेश करने में मदद मिल सकती है जो अमीर रिटर्न का वादा करता है।
4: manufacture(विनिर्माण)हस्तनिर्मित चॉकलेट
आप और मैं चॉकलेट बहुत पसंद करते हैं और ऐसा लगभग सभी करते हैं। चॉकलेट बनाना काफी आसान है। इसके अलावा, उनके पास एक तैयार बाजार है क्योंकि लोग हमेशा नए वेरिएंट और विदेशी स्वादों की कोशिश करना चाहते हैं।
आप अपनी पाक कल्पना को जंगली चला सकते हैं और किसी भी मसाले या फल के स्वाद के साथ चॉकलेट बना सकते हैं। त्योहारी सीजन और विशेष अवसरों के दौरान चॉकलेट भी आदर्श उपहार बनाते हैं।
आप विशेष किस्मों के लिए ऑर्डर ले सकते हैं और साथ ही केक और पेस्ट्री की दुकानों के माध्यम से नियमित रूप से बेच सकते हैं। आश्वस्त रूप से, कई पेस्ट्री दुकानें हैं जो लघु उद्योगों से हस्तनिर्मित चॉकलेट खरीदते हैं।
5: Manufacture(विनिर्माण) कुकीज़ और बिस्कुट
कुकीज और बिस्कुट का लघु स्तर का व्यवसाय बहुत ही आकर्षक है। बड़ी कंपनियों द्वारा की पेशकश की तुलना में, लोगों को नए स्वाद और किस्मों की तलाश है।
इसके अलावा, कई छोटे निर्माता और बेकरी अब बड़ी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करने में असमर्थता के कारण कुकीज़ और बिस्कुट का उत्पादन नहीं करते हैं।
इसलिए, कुकीज़ और बिस्कुट के लिए बाजार में एक वैक्यूम मौजूद है जो पारंपरिक व्यंजनों के साथ बनाया जाता है और स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद प्रदान करता है।
इसलिए, पारंपरिक कुकीज़ और बिस्कुट का छोटे पैमाने पर निर्माण कुछ ऐसा है जिसे आप व्यवसाय खोलने के लिए कर सकते हैं।
6: कॉटेज बटर, पनीर और घी
आजकल, हम सभी बड़ी कंपनियों द्वारा निर्मित नमकीन मक्खन के आदी हैं। बेशक, अनसाल्टेड मक्खन की कुछ किस्में भी उपलब्ध हैं।
इसके बावजूद, कुटीर मक्खन के कोई निर्माता नहीं हैं, क्योंकि इसे कहा जाता है। कॉटेज बटर को मथने वाले छाछ से प्राप्त किया जा सकता है। इसके अपार स्वास्थ्य लाभ हैं।
इसके अलावा, भारतीय पनीर के बड़े उपभोक्ता हैं- या मिल्क कैसिइन, दूध को विभाजित करके। पारंपरिक, घर का बना घी या स्पष्ट मक्खन, जैसा कि विदेशों में कहा जाता है, भारत में भी एक अच्छा बाजार है।
दूध के साथ- गाय और भैंस दोनों से प्रचुर मात्रा में आपूर्ति के साथ, पनीर, घी और घी का उत्पादन करने के लिए एक छोटे पैमाने पर विनिर्माण व्यवसाय सफल होता है।
7: Manufacture(विनिर्माण) अगरबत्ती / अगरबत्ती
दशकों से, कर्नाटक राज्य, विशेष रूप से बेंगलुरु शहर, भारत में धूप की छड़ें या अगरबत्ती के निर्माण पर अधिक चलता है। मुख्य रूप से, यह उस क्षेत्र में कच्चे माल की आसान उपलब्धता के कारण था।
आजकल, बेहतर परिवहन सुविधाओं के साथ कच्चे माल की आसान पहुँच के लिए, अगरबत्ती निर्माण व्यवसाय का विचार तेजी से भारत के अन्य हिस्सों में फैल रहा है।
भारत में अगरबत्ती बाजार सालाना अनुमानित रूप से 30000 करोड़ रुपये का है और बढ़ता जा रहा है। भारतीय निर्मित अगरबत्तियां भी विदेशों में तेजी से प्रवेश कर रही हैं।
अगरबत्ती निर्माण छोटे पैमाने के विनिर्माण व्यवसायों में से एक है जो आने वाले वर्षों में घातीय वृद्धि का वादा करता है।
8: मोमबत्तियाँ और मोम उत्पाद निर्माण
भारत के कई हिस्सों में बिजली की विफलता के साथ, मोमबत्तियां बहुत मांग में हैं। जाहिर है, सभी आकार और आकारों की मोमबत्तियों का एक बड़ा बाजार है।
आजकल, जन्मदिन के केक पर इस्तेमाल की जाने वाली छोटी मोमबत्तियाँ खरीद सकते हैं, जिनका इस्तेमाल बिजली की आपूर्ति के दौरान रोशनी प्रदान करने के लिए किया जाता है। मोमबत्तियाँ धार्मिक समारोहों और अनुष्ठानों के लिए भी उपयोग की जाती हैं।
इसके अतिरिक्त, चर्चों और अन्य धार्मिक स्थलों पर या सजावटी उद्देश्य के लिए अन्य मोम उत्पादों के लिए एक बड़ा बाजार भी मौजूद है।
मोमबत्तियाँ और मोम उत्पाद बनाना काफी आसान है और इसका देश भर में एक तैयार बाजार है। यह मोमबत्ती और मोम उत्पादों को एक महान लघु उद्योग विचार बनाता है।
9: कैंडी और हार्ड-उबला हुआ चीनी कन्फेक्शनरी
दिलचस्प बात यह है कि बड़े निर्माताओं को लगता है कि भारत में कैंडी और हार्ड-उबले हुए चीनी मिष्ठान्न बाजार को पीछे छोड़ दिया गया है।
बेशक, बाजार में काफी बड़े खिलाड़ी हैं, लेकिन छोटे पैमाने के निर्माता इस असंगठित बाजार पर हावी हैं।
कैंडी और हार्ड-उबला हुआ चीनी कन्फेक्शनरी बनाने की मशीनरी आसानी से उपलब्ध है और इसे आसानी से किसी भी छोटे आधार पर स्थापित किया जा सकता है। इसके अलावा, बुनियादी inmanufactenders आसानी से कहीं भी उपलब्ध हैं।
इसके अलावा, इस तरह के कैंडी और कन्फेक्टियोग्रेडर्स के लिए एक बड़ा बाजार मौजूद है जिसमें चीनी, ग्लूकोज सिरप, अनुमोदित खाद्य रंग और भारतीय रेलवे नेटवर्क पर प्रतिष्ठित नेरी से फ्लेवर शामिल हैं, जहां स्टेशन पर स्टॉल यात्रियों को ऐसे सस्ते उत्पाद बेचते हैं।
10: सोडा और सुगंधित पेय
सभी प्रकार के सोडा के सादे और स्वाद वाले छोटे पैमाने के विनिर्माण व्यवसाय का एक शानदार उदाहरण गोवा राज्य में देखा जा सकता है।
सिर्फ Rs.5 के लिए, आप सादे सोडा की एक 300ml कांच की बोतल खरीद सकते हैं, जबकि नारंगी, नींबू, स्ट्रॉबेरी और अन्य स्वाद वाले वेरिएंट की कीमत Rs.7 प्रत्येक है।
इसकी तुलना में, बड़े निर्माताओं के सादे सोडा की कीमत 10 रुपये और ऊपर की ओर होती है, जबकि सुगंधित शीतल पेय की कीमत लगभग Rs.15 से लेकर Rs.20 तक होती है।
दिलचस्प बात यह है कि गोवा में दो दर्जन से अधिक छोटे पैमाने पर सोडा निर्माता हैं, लेकिन उनमें से प्रत्येक के पास व्यापार का उचित हिस्सा है। यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि वे दशकों से व्यापार में हैं।
इसके अलावा, वे लाइसेंस प्राप्त निर्माता हैं। बेशक, बाजार में बड़े खिलाड़ी हैं, लेकिन गोवा उदाहरण से पता चलता है कि छोटे पैमाने पर निर्माण की भी गुंजाइश है।
11: फलों का गूदा निर्माण
भारत में सालाना उच्च गुणवत्ता वाले फलों के लाखों रुपये बर्बाद होते हैं। मुख्य रूप से, यह अपव्यय एक उन्नत कोल्ड चेन लॉजिस्टिक सिस्टम की अनुपस्थिति के कारण होता है।
अधिशेष प्रशीतित ट्रक और गोदाम सरप्लस उत्पादन को स्टोर करने के लिए उपलब्ध नहीं हैं। फलों के पल्प के उत्पादन का एक छोटा सा विनिर्माण व्यवसाय खोलकर आप इस कुप्रथा से लाभ उठा सकते हैं।
उच्च गुणवत्ता वाले फलों का गूदा बड़े पैमाने पर आइसक्रीम निर्माताओं, मिठाई निर्माताओं, रेस्तरां और स्टार रेटेड होटलों के साथ-साथ व्यक्तिगत ग्राहकों के बीच बहुत मांग में है।
आम जैसे मौसमी फलों की लुगदी की मांग अधिक है, खासकर प्रतिष्ठित आइसक्रीम निर्माताओं और भारतीय मिठाई निर्माताओं से।
SMALL SCALE INDUSTRIES
12: निर्जलित, जमी हुई सब्जियां
जैसा कि पहले बताया गया है, भारत को बड़ी मात्रा में ताजा उपज बर्बाद करने के लिए जाना जाता है। यह सब्जियों के लिए भी अच्छा है।
उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियों की भारी मात्रा में जो रोज़ाना खत्म होती हैं, उन्हें अच्छे इस्तेमाल के लिए रखा जा सकता है, भले ही वे निर्जलित और जमे हुए हों।
उदाहरण के लिए, सूखे टमाटर, निर्जलित प्याज, जमे हुए हरी मटर और कटी हुई फलियाँ बहुत माँग में हैं। इसलिए, निर्जलित और जमे हुए सब्जी के लिए एक विशाल घरेलू और निर्यात बाजार मौजूद है।
इस आकर्षक बाजार में प्रवेश करने के लिए भारत के लिए एकमात्र बाधा कारक पर्याप्त छोटे पैमाने के विनिर्माण व्यवसायों की कमी है जो इस तरह के उत्पाद प्रदान कर सकते हैं।
एक इकाई खोलना जो सूखे और जमे हुए सब्जियां आपको बड़े वैश्विक बाजार के दरवाजे खोल सकती हैं।
13: भारतीय रोटी (चपाती / पराठा)
लगभग हर प्रमुख शहर या औद्योगिक क्षेत्र में एकल लोगों-पुरुषों और महिलाओं की अनियंत्रित आमद देखी जा रही है। वे रोजगार के लिए इन शहरों, कस्बों में जुटे।
नतीजतन, वे आवास में रहने के लिए मजबूर होते हैं जो खाना पकाने की अनुमति नहीं देते हैं या अपना भोजन तैयार करने के लिए समय और झुकाव की कमी नहीं करते हैं।
आजकल, एक और प्रवृत्ति दोनों पति-पत्नी के लिए काम करने के लिए है, बढ़ती मुद्रास्फीति को पूरा करने के लिए या बेहतर जीवन शैली के लिए अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए। चपातियां, रोटी और पराठे भारतीय आहार के स्टेपल हैं और अधिकांश भोजन इस प्रकार की रोटी के बिना अधूरे हैं।
कई छोटे पैमाने पर निर्माता अब औद्योगिक आधार पर इन भारतीय ब्रेड का उत्पादन कर रहे हैं और उन्हें किफायती दरों पर सुविधाजनक पैक में बेच रहे हैं।
आटा गूंधने और इन ब्रेड को बेक करने की मशीनें काफी उचित कीमतों पर उपलब्ध हैं।
14: पेपर बैग और लिफाफे निर्माण
निस्संदेह, रीसाइक्लिंग तेजी से गति प्राप्त कर रहा है। यह हमारे पर्यावरण को संरक्षित करने की आवश्यकता के लिए बढ़ती जागरूकता के कारण है।
आप एक छोटे पैमाने के निर्माण व्यवसाय को खोलकर पैसा बनाने में पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद कर सकते हैं जो पेपर बैग और लिफाफे बनाता है।
चूँकि यह एक जनशक्ति गहन लघु स्तर का व्यवसाय है, आप रोजगार प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। आम तौर पर, पेपर बैग, छूटे हुए अखबारों और इसी तरह की सामग्री से बने होते हैं।
ये बैग और लिफाफे बड़े सुपरमार्केट, फार्मेसियों और अन्य खुदरा विक्रेताओं के साथ उच्च मांग में हैं। विशेष रूप से, चूंकि वे कम खर्च करते हैं और रिटेलर के पर्यावरण के प्रति जागरूक होने के बारे में एक महान छाप देते हैं।
कच्चा माल जो आपको चाहिए वह उपलब्ध है और उपकरण जैसे कटर सस्ती है।
15: पोशाक / नकली आभूषण निर्माण
पोशाक और नकली गहने कभी भी फैशन से बाहर नहीं हुए हैं। अतीत में, यह समाज के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का मुख्य आधार था।
हालांकि, महिलाओं के रूप में, विशेष रूप से किशोर लड़कियां तेजी से फैशन के प्रति जागरूक हो रही हैं, वे अपनी पोशाक के अनुरूप होने के लिए सहायक उपकरण की तलाश में हैं।
ऑनलाइन स्टोर ने भी फैशन के परिधान सस्ते कर दिए हैं। इसके विपरीत, भारत में पोशाक और नकली गहनों के लिए एक बड़ा लेकिन विशाल अप्रयुक्त बाजार मौजूद है।
महिलाएं अपनी ड्रेस के साथ जाने के लिए मैचिंग गहने चाहती हैं। आप बॉलीवुड फिल्मों द्वारा निर्देशित नवीनतम फैशन रुझानों के संपर्क में रहकर इन जरूरतों को पूरा कर सकते हैं।
इसके अलावा, आप ऐसे पोशाक और नकली गहने बना सकते हैं जो चलन में हैं। कुछ लोग दैनिक उपयोग के लिए प्लैटिनम, सोना या चांदी जैसी कीमती धातुओं से बने गहने खरीद सकते हैं।
इसलिए, आप पोशाक और नकली गहने के छोटे पैमाने पर विनिर्माण व्यवसाय खोलकर आवश्यकता को पूरा कर सकते हैं।
16: डिस्पोजेबल प्लेट, कप और क्रॉकरी
पार्टियों, समारोहों और पिकनिक वर्ष के दौर की घटनाएँ हैं। आजकल, लगभग कोई होस्ट या आयोजक मेहमानों, आमंत्रितों या प्रतिभागियों को सिरेमिक, मेलामाइन या धातु की प्लेटें, कप, कांटे और चम्मच प्रदान करने के लिए परेशान नहीं करता है।
इसके बजाय, वे भोजन ग्रेड प्लास्टिक और स्टायरोफोम प्लेटें और कप, कांटे, चम्मच और मेहमानों के लिए चाकू पर भरोसा करते हैं ताकि वे अपने भोजन को पुनः प्राप्त कर सकें।
जाहिर है, चूंकि वे सस्ती, हल्के और डिस्पोजेबल हैं। मतलब, यह उन्हें धोने की परेशानी से बचाता है। पेपर प्लेट और कप भी आजकल आम हैं।
स्ट्रीट-साइड फूड वेंडर पेपर प्लेट और कप का भी इस्तेमाल करते हैं। डिस्पोजेबल प्लेट्स, कप और प्लास्टिक क्रॉकरी पर इस भारी निर्भरता को ध्यान में रखते हुए, आप भी इन उत्पादों का उत्पादन करने वाले एक छोटे स्तर का व्यवसाय खोल सकते हैं।
बाजार बहुत बड़ा है और सभी पार्टियों को पाई का एक टुकड़ा मिलता है।
17: Concrete blocks manufacturing business(कंक्रीट ब्लॉक विनिर्माण व्यवसाय)
निश्चिंत रहें, भारत निर्माण में तेजी देख रहा है। यह दोनों सिविल-निर्माणों पर लागू होता है, जिसमें आवासीय भवनों से लेकर बड़े इन्��्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट जैसे पुल और औद्योगिक इकाइयाँ शामिल हैं।
विशेष रूप से निर्माण क्षेत्र में, पारंपरिक ईंटों का उपयोग करने का पुराना चलन तेजी से विलुप्त हो रहा है। इसके बजाय, इन सर्वव्यापी लाल-भूरे ईंटों को विभिन्न प्रकार के कंक्रीट ब्लॉकों द्वारा तेजी से प्रतिस्थापित किया जा रहा है।
जाहिर है, आवास और अन्य निर्माण परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के दबाव के साथ, बिल्डरों को रेडीमेड कंक्रीट ब्लॉकों के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं के लिए लगातार बाहर देखना पड़ता है।
दरअसल, कुछ मामलों में, मांग इतनी अधिक है, कि बिल्डर्स इन कंक्रीट ब्लॉकों की खरीद के लिए प्रीमियम का भुगतान करने के लिए तैयार हैं।
विभिन्न आकारों के ठोस ब्लॉकों का एक छोटे पैमाने पर विनिर्माण व्यवसाय स्थापित करना सस्ता है, जबकि रिटर्न आश्वासन और उच्च है।
18: मैंगलोर माल विनिर्माण व्यवसाय
हैरानी की बात है, Managlore टाइल के रूप में वे कहा जाता है केवल भारत के दक्षिणी राज्य, कर्नाटक के तटीय शहर में नहीं बने हैं। वे अब भारतीय उप-महाद्वीप के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ सुदूर पूर्व में भी बने हैं।
जबकि मैंगलोर में और इसके आस-पास बने लोग स्थानीय रूप से उपलब्ध मिट्टी से बने होते हैं, अन्य जगहों पर निर्माता कु��� इसी तरह की सामग्री का उपयोग करते हैं।
आजकल, मैंगलोर टाइल्स का उपयोग मुख्य रूप से बंगलों और इमारतों को एक सजावटी रूप देने के लिए किया जाता है, जो उनके सौंदर्य उपस्थिति के लिए धन्यवाद है।
भारत से मैंगलोर टाइलों के लिए एक विशाल निर्यात बाजार भी मौजूद है। मैंगलोर टाइलें छोटे पैमाने पर विनिर्माण व्यवसायों द्वारा बनाई जाती हैं।
कुछ जगह और आवश्यक उपकरण और साथ ही उचित कच्चे माल के साथ, आप एक मैंगलोर टाइल निर्माण इकाई खोल सकते हैं। आजकल मैंगलोर टाइलें बनाना 1800 के दशक के उत्तरार्ध में इस्तेमाल होने वाली पारंपरिक प्रक्रियाओं से हटकर नई, आधुनिक तकनीकों में बदल गया है।
19: हैंडबैग, पर्स
अस्वाभाविक रूप से, हैंडबैग, पर्स और पर्स हमारे दैनिक जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है। भले ही आप महिला हों या पुरुष, आप शायद ही कभी इन दोनों के बिना अपना घर छोड़ते हैं।
हैंडबैग, पर्स और पर्स अक्सर एक मिनी-भाग्य खर्च कर सकते हैं। विशेष रूप से उन उत्पादों को डिजाइनरों या कुछ अत्यधिक प्रतिष्ठित निर्माता द्वारा बनाया गया है।
हालांकि, एक बहुत बड़ा बाजार अनब्रांडेड हैंडबैग, पर्स और पर्स के लिए मौजूद है। लगभग हर कोई नया खरीदने के लिए लुभाता है, बशर्ते गुणवत्ता के साथ लागत कम हो।
एक छोटे पैमाने का निर्माण व्यवसाय जो महिलाओं और पुरुषों के लिए इन आवश्यक वस्तुओं को बनाता है, कुछ ऐसा है जिसकी हम अनुशंसा करते हैं
बशर्ते, आप किसी ऐसे क्षेत्र में एक इकाई स्थापित कर रहे हों, जहाँ आपके पास कच्चे माल की आसान पहुँच हो और आवश्यक श्रमशक्ति की खरीद की जा सके।
यहां, कुशल जनशक्ति आवश्यक है क्योंकि लोग हमेशा नए डिजाइनों की तलाश में रहते हैं।
20: बेड शीट और कंबल निर्माण
भारत में कई स्थान हैं जो उच्च गुणवत्ता वाली चादर और कंबल के निर्माण के लिए जाने जाते हैं। इनमें महाराष्ट्र के सोलापुर और कर्नाटक के दावणगेरे में कुछ नाम शामिल हैं।
हालांकि, ये स्थान चादर और कंबल के निर्माण की अपनी परंपरा के लिए अधिक जाने जाते हैं। उच्च गुणवत्ता वाले बेड शीट और कंबल की मांग, विशेष रूप से कपास से बने, उच्च बनी हुई है।
इन शयनकक्षों का निर्माण करना काफी आसान है बशर्ते आपके पास कुशल श्रमशक्ति और आवश्यक करघे हों।
एक छोटे पैमाने पर विनिर्माण व्यवसाय स्थापित करना जो बेड शीट और कंबल के साथ-साथ तकिया मामलों का उत्पादन करता है, काफी सस्ती है। बाजार बहुत बड़ा है और कभी बढ़ता जा रहा है।
21: प्लास्टिक मेज़पोश और मेज़पोश
तेजी से, रेस्तरां और घर नियमित कपड़े मेज़पोश और टेबलमैट्स के साथ वितरण कर रहे हैं। कारण है- उन्हें धोना और बनाए रखना समय लेने वाला और श्रमसाध्य।
इसके बजाय, वे मेज़पोश के रूप में उपयोग के लिए फूलों या अन्य डिजाइनों से सजाए गए डिस्पोजेबल प्लास्टिक शीट पर भरोसा करते हैं। प्लास्टिक टेबलमैट भी प्रचलन में हैं क्योंकि वे आसानी से सफाई की अनुमति देते हैं- साबुन के पानी में एक मात्र पोंछा या धोना पर्याप्त है।
प्लास्टिक मेज़पोश और मेज़पोश तेजी से रेस्तरां के साथ भी मिल रहे हैं। यह उनके निर्माण को एक बहुत ही आकर्षक व्यवसाय बनाता है।
आप इन टेबल सामान का उत्पादन करने के लिए एक छोटे पैमाने पर विनिर्माण व्यवसाय खोलने पर विचार कर सकते हैं।
22: वाहन सामान विनिर्माण
यहाँ, हम ऑटोमोबाइल पुर्जों का मतलब नहीं है। इसके बजाय, हम आपको छोटे पैमाने पर विनिर्माण व्यवसाय खोलने का सुझाव देते हैं, जिसमें स्टीयरिंग व्हील कवर, कार और बाइक के लिए सीट कवर और अन्य समान सामान शामिल हैं।
भारत सभी प्रकार के वाहनों के लिए एक बड़ा बाजार है। नए ऑटोमोबाइल के लिए एक तेजी से बढ़ता बाजार भी है। इसके अलावा, भारतीयों को अपने वाहन को आम तौर पर अच्छी स्थिति और आकर्षक दिखने के लिए जाना जाता है।
कपड़ा, कृत्रिम चमड़ा और ऐसी अन्य सामग्री आसानी से उपलब्ध है और इसलिए इन सामानों को छोटे पैमाने पर बनाने के लिए कुशल श्रम और मशीनरी हैं।
Financing your small scale unit(अपने छोटे पैमाने पर इकाई का वित्तपोषण)
जैसा कि हमने पहले उल्लेख किया है, एक छोटे पैमाने पर विनिर्माण व्यवसाय के लिए वित्त कभी-कभी मुश्किल हो सकता है। हालाँकि, आपको हतोत्साहित होने की आवश्यकता नहीं है।
भारत सरकार द्वारा स्थापित माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (MUDRA), जिसे आमतौर पर मुद्रा बैंक कहा जाता है, कुछ सहायता प्रदान करती है।
मुद्रा बैंक विभिन्न बैंकों के माध्यम से सरकार द्वारा दी जाने वाली एक योजना है। मुद्रा बैंक ऋण का लाभ उठाने के लिए, आपको एक व्यापक परियोजना रिपोर्ट की आवश्यकता होगी।
इसे किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों में जमा करना होगा जो मुद्रा योजना में भाग ले रहे हैं।
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news-trust-india · 6 years
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फॉर्च्यून तेल व अमूल दूध के सेंपल हुए फेल, कोर्ट ने लगाया ढाई-ढाई लाख जुर्माना
फॉर्च्यून तेल व अमूल दूध के सेंपल हुए फेल, कोर्ट ने लगाया ढाई-ढाई लाख जुर्माना
खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा 2015 में शहर में विशाल मेगा मार्ट व अन्य दो स्टोरों से ख��द्य पदार्थो के सेंपल भरे गए थे। इनमें फॉर्च्यून ब्रांड सरसों तेल, अमूल दूध तथा गुझिया के नमूने प्रयोगशाला रिपोर्ट में अधोमानक पाए गए थे। एडीएम (प्रशासन) केएस टोलिया की कोर्ट ने मंगलवार को सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्माता कंपनी फॉर्च्यून व अमूल पर ढाई-ढाई लाख रुपये व विक्रेता विशाल मेगा मार्ट पर 75 हजार रुपये का…
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jayveer18330 · 7 years
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भारत के रसोइयों के लिए सरसों तेल क्यों खास है ?
भारत के रसोइयों के लिए सरसों तेल क्यों है खास?
सरसों के तेल का उपयोग सदियों से खाने में किया जाता है और उत्तर भारत की रसोई में यह प्रमुख रूप से इस्तेमाल होने वाला तेल है. दैनिक आहार में सरसों तेल को शामिल करना हृदय रोग से बचाव के लिए जाना जाता है.
सरसों का तेल मोनोअनसचुरेटेटेड वसा और पॉलीअनसैचुरेटेड वसा से समृद्ध है, जो खराब कोलेस्ट्रॉल को घटाने में मदद करते हैं और अच्छे एचडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है, ताकि कोलेस्ट्रॉल का संतुलन बना रहे. इससे हृदय की कार्यप्रणाली स्वस्थ बनी रहती है.
ताज महल होटल के कार्यकारी शेफ अरुण सुंदरराज ने आईएएनएस को बताया, "सरसों का तेल एक जीवाणुरोधी, वायरसरोधी और फंफूद रोधी एजेंट के रूप में भी अच्छी तरह काम करता है और पाचन तंत्र में बैक्टीरिया के संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है"
उन्होंने कहा, "स्वाद के लिहाज से, सरसों का तेल ज्यादातर लोगों को पसंद है. तीखे स्वाद के कारण सरसों का तेल किसी भी पकवान का स्वाद जबरदस्त तरीके से बढ़ा देता है. मेरा मानना है कि कोई अन्य घटक इसके जैसा नहीं है. सरसों तेल का अद्वितीय बनावट है. ताज महल होटल, नई दिल्ली में हम सरसों के तेल का उपयोग मस्टर्ड प्रॉन्स और भट्टी मुर्ग जैसे व्यंजनों में करते हैं."
सुंदरराज कहते हैं, "यह सलाह दी जाती है कि सरसों के तेल को खाना पकाने के लिए एकमात्र माध्यम के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और इसके बजाय आप व्यंजन के आधार पर विभिन्न तेलों के संयोजन का उपयोग कर सकते हैं. सरसों के तेल का स्मोकिंग पॉइंट ज्यादा होता है, इसलिए यह डीप फ्राइंग के लिए आदर्श है."
शेफ सोनू कोइथारा का भी सरसों तेल के बारे में कुछ ऐसी ही राय है. उल्लेखनीय है कि सरसों तेल खाना बनाने के साथ-साथ चिकित्सा में भी उपयोगी है. कोइथारा ने आईएएनएस को बताया, "ओमेगा-3 और ओमेगा-6 वसा अम्ल के सर्वोत्तम अनुपात और संतृप्त वसा की कम मात्रा के कारण अन्य तेलों से यह बेहतर है. इसमें करीब 60 फीसदी मोनोसैचुरेटेड वसा (एमयूएफए), साथ ही पॉलीअनसेचुरेटेड वसा (पीयूएफए), और संतृप्त वसा होती है. ये वसा अम्ल 'उपयुक्त वसा' माने जाते हैं."
उन्होंने एक शोध के हवाले से कहा, "सरसों के तेल में कैंसर से लड़ने वाले तत्व काफी अधिक होते हैं और इसमें भारी मात्रा में लिनोलिनिक एसिड होता है, जो ओमेगा-3 वसा अम्ल में परिवर्तित हो जाता है और कैंसर को रोकने में मदद करता है."
सुपरबग को रखें रसोई से दूर
सूअर से घर तक
औद्योगिक स्तर पर की जा रही जानवरों की ब्रीडिंग में एंटीबायोटिक्स का खूब इस्तेमाल होता है. इन्हीं जानवरों का कच्चा मांस जब पैक होकर हमारे नजदीकी सुपरमार्केट की रैक पर पहुंचता है, तब उसमें कई सारे जिद्दी एंटीबायोटिकरोधी बैक्टीरिया पनप चुके होते हैं. यह सुपरबग हमें गंभीर रूप से बीमार कर सकते हैं.
कोइथारा ने कहा, "सरसों का तेल दिल के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि इसमें एमयूएफए और पीयूएफए के साथ ही ओमेगा-3 और ओमेगा-6 वसा अम्ल होते हैं. ये उपयुक्त वसा हृदय रोगों के विकास के जोखिम को कम करते हैं और यह एक बेहद शक्तिशाली प्राकृतिक उत्तेजक है, जो पाचन में सुधार करता है और पाचन रसों को तैयार करने में मदद कर भूख बढ़ाता है."
पी मार्क सरसों के तेल के निर्माता पुरी ऑयल मिल्स लिमिटेड के डीजीएम (कॉपोर्रेट कम्युनिकेशंस) उमेश वर्मा ने कहा, "पारंपरिक भारतीय व्यंजनों में सरसों के तेल का उपयोग रसोइये कई पी��़ियों से करते आ रहे हैं, जो कश्मीर, पंजाब और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है, क्योंकि यह भोजन का स्वाद बढ़ा देता है."
वह कहते हैं, "भारतीय लोग जिस भी देश में जाते हैं, वहां वे भारत का स्वाद पसंद करते हैं, और उन देशों में वे अपने पसंदीदा ब्रांड ढूंढ़ते रहते हैं. हमें अपने सरसों तेल के अमेरिका और विभिन्न यूरोपीय शहरों में उपलब्ध होने की खबरें मिलती रहती हैं."
क्या कोई खाद्य पदार्थ है, जो खासतौर से केवल सरसों तेल में ही पकाया जा सकता है?
सुंदरराज ने कहा कि यह तेल अपने बहुमुखी गुणों के कारण भारतीय घरों के लिए सर्वश्रेष्ठ है, और यह भारतीय मसाले का पूरक है, जो हमारे भोजन के स्वादों को खूबसूरती से उभारता है.
सुंदरराज ने कहा, "जबकि सरसों का तेल शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही व्यंजनों का पूरक है, लेकिन सभी तरह के अचार का स्वाद सरसों तेल में सबसे बेहतर होता है. इसके अलावा सरसों का तेल नींबू और शहद के साथ एक सलाद ड्रेसिंग के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है."
उन्होंने कहा, "इसके अलावा बंगाली भोजन में खासतौर से बहुत सारे मछली के व्यंजनों में सरसों का इस्तेमाल अपरिहार्य है, जिसमें सरसों बाटा माछ, पटुरी मछली और अन्य व्यंजन जैसे मांगसाओ (मटन), मुर्गीर झोल (चिकन) शामिल हैं. इन व्यंजनों का स्वाद तभी उभर कर आता है, जब उसे सरसों के तेल में पकाया जाता है."
कोइथारा के अनुसार, "बंगाली भोजन में सरसों के तेल का अत्यधिक उपयोग होता है, जो बंगाली स्वाद का पूरक है. शोरशे बाटा इलिश और चिंगरी भापा जैसे खाद्य पदार्थ सरसों तेल के प्रचुर उपयोग के बिना इतने स्वादिष्ट बन ही नहीं सकते."
सुंदरराज ने कहा, "कुछ ऐसे तत्व हैं, जिन्हें भारतीय रसोई में कभी बदला नहीं जा सकता और सरसों का तेल इसमें से एक है, जो अपने अनूठे और तीक्ष्ण स्वाद के कारण अत्यावश्यक है."
सरसों का तेल
सरसों के तेल के अपरिमित स्वास्थ्य लाभों के बारे में कोइथारा ने कहा कि सर्दी के दौरान यह मालिश के लिए बहु��� अच्छा है, क्योंकि यह शरीर में गर्मी पैदा करता है और ठंड से शरीर को बचाता है.
उन्होंने कहा, "इसी कारण, राजस्थान के लोग सर्दियों के दौरान अपने शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करते हैं, ताकि त्वचा को साफ और खुद को स्वस्थ बनाए रख सकें। साथ ही, सरसों का तेल सर्दी खांसी के इलाज के रूप में सदियों से बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता रहा है."
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trendingwatch · 2 years
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खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट: दूध, साबुन, शैम्पू के सस्ते होने की संभावना नहीं; फर्में दरों में कटौती नहीं करेंगी
खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट: दूध, साबुन, शैम्पू के सस्ते होने की संभावना नहीं; फर्में दरों में कटौती नहीं करेंगी
यद्यपि खाने योग्य तेल कीमतों में कमी आई है क्योंकि सरकार द्वारा उन पर आयात शुल्क में कटौती की गई है, फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) कंपनियों ने कहा कि वे कीमतों में कटौती नहीं करेंगी, बल्कि कीमतों में वृद्धि की गति को कम करेंगी, एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार। खाद्य तेल की कीमतों में 15-20 रुपये प्रति लीटर तक की कमी की गई है। एफएमसीजी में दूध, साबुन, शैंपू और बिस्कुट शामिल हैं। ब्रांडेड…
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abhay121996-blog · 3 years
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विदेशों में तेजी, मांग बढ़ने से बीते सप्ताह लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार Divya Sandesh
#Divyasandesh
विदेशों में तेजी, मांग बढ़ने से बीते सप्ताह लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार
नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) वैश्विक बाजारों में तेजी तथा निर्यात के साथ-साथ स्थानीय मांग के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, सीपीओ और पामोलीन सहित लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार देखने को मिला। बाजार सूत्रों ने कहा कि सरसों की रोक-रोक कर बिक्री करने का काम किसान कर रहे हैं और मंडियों में कम उपज ला रहे हैं। आयातित तेलों के मुकाबले सस्ता होने के कारण सरसों में चावल भूसी (राइस ब्रान) जैसे सस्ते तेलों की मिलावट नहीं हो रही है और उपभोक्ताओं को शुद्ध सरसों तेल खाने को मिल रहा है। सूत्रों ने कहा कि सरसों की भारी मांग और आपूर्ति की कमी होने से सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार आया। उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह रुपये के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने से सभी तेल कीमतों में सुधार आया है। सूत्रों ने कहा कि ऊंचा भाव होने के कारण व्यापार��यों एवं किसानों के पास सोयाबीन का स्टॉक नहीं है। जबकि पॉल्ट्री वालों की घरेलू मांग के साथ सोयाबीन के तेल रहित खल के निर्यात की भारी मांग है। सरसों और मूंगफली के डीओसी की भी मांग है जिसके कारण समीक्षाधीन सप्ताह में इनके तेल-तिलहन कीमतों में सुधार आया। उन्होंने कहा कि निर्यात के साथ-साथ स्थानीय मांग बढ़ने से मूंगफली तेल-तिलहनों के भाव में भी पर्याप्त सुधार दर्ज हुआ। उन्होंने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में तेजी के बीच सीपीओ और पामोलीन तेल की मांग बढ़ने से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में सुधार आया। सूत्रों ने कहा कि सरकार को इस बात पर ध्यान देना होगा कि किन कारणों से देश तेल-तिलहन मामने में आत्मनिर्भर नहीं हो पाया। प्रमुख तेल तिलहन विशेषज्ञ पवन गुप्ता ने कहा कि देश के विभिन्न अग्रणी तेल संगठन सरकार के सामने तेल-तिलहन के मामले में गलत तस्वीर पेश करते आये हैं और सही समस्याओं को सरकार के सामने नहीं रखते। उदाहरण के लिए उन्होंने बताया कि बीते कई सालों में उन्होंने सरकार को आगाह नहीं किया कि खाद्य तेलों के बढ़ते आयात को रोकने के लिए क्या कदम उठाये जाने चाहिए। इसी प्रकार उन्होंने मंडियों में सरसों, सोयाबीन या अन्य किसी देशी तेल के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम होने की स्थिति में हाय-तौबा नहीं मचाई और न ही सरकार को आगाह किया। लेकिन जब आयात शुल्क में वृद्धि हुई और किसानों को सरकार ने तेल-तिलहनों के अच्छे दाम दिल��ये, तो तेलों के दाम बढ़ने की चिंता व्यक्त करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि तेल-तिलहनों के लिए यदि किसानों को अच्छे दाम मिलते हैं, तो इससे महंगाई बढ़ने के बजाय किसानों के पास पैसा आयेगा और वे अधिक तिलहन उत्पादन के लिए प्रेरित होंगे, आयात पर निर्भरता कम होगी, खाद्य तेलों के आयात पर होने वाले करोड़ों के डॉलर की विदेशी मुद्रा बचेगी और अर्थव्यवस्था मजबूत होने के साथ रोजगार बढ़ेंगे। पिछले सप्ताह सरसों दाना का भाव 750 रुपये बढ़कर 7,000-7,100 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया जो इससे पिछले सप्ताहांत 6,310-6,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ था। सरसों दादरी तेल का भाव भी 1,600 रुपये सुधरकर 14,500 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 175-175 रुपये सुधार के साथ क्रमश: 2,205-2,285 रुपये और 2,385-2,415 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए। विदेशों में तेजी के रुख के बीच सोयाबीन के तेल रहित खल की स्थानीय पॉल्ट्री फर्मो के अलावा विदेशों से भारी मांग है जिससे सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों में सुधार देखा गया। सोयाबीन दाना और लूज का भाव क्रमश: 500 रुपये और 600 रुपये का सुधार दर्शाता क्रमश: 7,250-7,300 रुपये और 7,150-7,200 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और सोयाबीन डीगम का भाव क्रमश: 850 रुपये, 650 रुपये और 880 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 15,200 रुपये, 14,800 रुपये और 13,950 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। निर्यात मांग के कारण मूंगफली दाना 75 रुपये सुधरकर 6,560-6,605 रुपये, मूंगफली गुजरात 100 रुपये के सुधार के साथ 16,000 रुपये क्विन्टल तथा मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 15 रुपये के सुधार के साथ 2,545-2,605 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ। सप्ताह के दौरान कच्चा पाम तेल (सीपीओ) का भाव 320 रुपये बढ़कर 12,100 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया। पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल के भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 450 रुपये और 300 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 14,000 रुपये और 12,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गये। बाकी तेलों में तिल मिल डिलिवरी का भाव 400 रुपये के सुधार के साथ 15,200-18,200 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया। बिनौला मिल डिलिवरी हरियाणा 1,100 रुपये बढ़कर 14,600 रुपये हो गया। वहीं मक्का खल का भाव भी 100 रुपये सुधरकर 3,800 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। तैयार खाद्य वस्तु निर्माता कंपनियों और शादी ब्याह में मक्का रिफाइंड की मांग बढ़ रही है जिसे काफी बेहतर माना जाता है।
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