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#चिकित्सा
sanjay-agrawal · 5 months
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पेप्टिक अल्सर के लक्षण और इलाज की जानकारी लेने के लिए हमारे संपर्क स्थान पर सम्पर्क करें।
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• पेट में जलन और दर्द
• वसायुक्त भोजन के प्रति असहिष्णुता
• पेट में जलन
• जी मिचलाना
• परिपूर्णता, सूजन या डकार का अहसास
M.S. Gastro and Heart Care Centre, Samta Colony Main Rd, In front of Union Bank,
Raipur, Chhattisgarh 492001 SMC Superspeciality Hospital, VIP Estate, Vidhan Sabha Rd, LIC Colony, Mowa, Raipur, Chhattisgarh 492001
अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएं :- www.thegastroliverclinic.com
ईमेल :- [email protected]
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drpranjal · 7 months
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Effective Treatment for Chronic Headaches: Expert Advice from Dr. Pranjal
Are you suffering from persistent headaches that just won't go away despite medication? Before considering any treatment options, watch this informative video featuring insights from Dr. Pranjal, one of the best neurologists. Discover how you can obtain effective relief and manage chronic headaches through tailored treatments recommended by an expert. Don't let headaches control your life any longer – empower yourself with the knowledge to find lasting relief.
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malhotrahospital · 1 year
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घुटने के दर्द से परेशान? हम आपके लिए यहाँ हैं! हमारे विशेषज्ञ डॉक्टर्स घुटने के दर्द के इलाज में मदद करेंगे। स्वास्थ्य प्रश्नों के लिए हमसे मिलें और आपके जीवन को स्वस्थमय बनाने का रास्ता ढूंढ़ें।
Malhotra Hospital & Orthopaedic Centre 📌 स्थान: 302, सेक्टर 7, पंचकुला, हरियाणा 📞 अपॉइंटमेंट के लिए कॉल करें: +91-7302217302, 017 2596286 🌐 वेबसाइट: malhotrahospitalandorthopaedic.com
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raffelshospital · 1 year
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🏥 पित्ते की पथरी का ऑपरेशन 🏥
किडनी की पथरी से परेशान हैं? हम आपके लिए यहां हैं!
रफ़ेल्स हॉस्पिटल में, हम पित्ते की पथरी का ऑपरेशन करने में विशेषज्ञ हैं, जो आपको श्रेष्ठ चिकित्सा देने और कटिंग-एज सर्जिकल प्रक्रियाओं की व्यवस्था करते हैं। हमारे NABH मान्यत हॉस्पिटल का लक्ष्य आपके स्वास्थ्य की सुनिश्चित करना है।
🏥 Raffels Hospital (NABH Accredited) 📞 Contact: +91-93567-28000 🌐 Website: www.raffelshospital.com 🏢 Address: SCO 138, Sector 14, Panchkula
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worldaffairsblog · 1 year
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"वैक्सीन वॉर: चिकित्सा के क्षेत्र में भारतीय महानता की सिनेमाई कहानी"
विवेक अग्निहोत्री की "वैक्सीन वॉर" चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय उपलब्धि के बारे में एक सिनेमाई कहानी है। इसमें उत्कृष्ट अभिनय का भी प्रदर्शन किया गया है। यह फिल्म भारत की पहली पूरी तरह से घरेलू वैक्सीन बनाने की महत्वपूर्ण उपलब्धि को प्रभावी ढंग से चित्रित करती है
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शिरोधारा: आयुर्वेदिक चिकित्सा की अद्वितीय विधि
शिरोधारा एक प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है, जिसमें लगातार धारा की तरह एक विशेष औषधीय तेल या तरल पदार्थ को माथे पर डाला जाता है। यह उपचार न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन को भी पुनः स्थापित करने में सहायक है। शिरोधारा का शाब्दिक अर्थ होता है "सिर पर धार"।
शिरोधारा के लाभ
तनाव और चिंता में राहत: शिरोधारा तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है। यह मस्तिष्क को शांत करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
नींद की गुणवत्ता में सुधार: यह अनिद्रा और नींद से संबंधित समस्याओं के उपचार में अत्यधिक प्रभावी है। शिरोधारा के बाद अच्छी और गहरी नींद आती है।
माइग्रेन और सिरदर्द में राहत: नियमित शिरोधारा सत्र माइग्रेन और लगातार सिरदर्द को कम करने में सहायक होते हैं।
मस्तिष्क की कार्यक्षमता में वृद्धि: शिरोधारा मानसिक स्पष्टता, स्मरण शक्ति और एकाग्रता को बढ़ावा देता है।
चमकती त्वचा: यह त्वचा को पोषण प्रदान करता है और चेहरे की चमक को बढ़ाता है।
रक्तचाप को नियंत्रित करना: यह उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
नर्वस सिस्टम की उत्तेजना को शांत करना: शिरोधारा नर्वस सिस्टम की उत्तेजना को शांत करता है और पूरे शरीर में एक आरामदायक अनुभव पैदा करता है।
शिरोधारा का अनुभव
शिरोधारा का सत्र अत्यंत आरामदायक होता है, जहाँ आप एक आरामदायक स्थिति में लेटे रहते हैं। एक विशेष औषधीय तेल या तरल पदार्थ का धीमी गति से और लगातार आपके माथे के बीचोबीच डाला जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर 30-60 मिनट तक चलती है और इसके बाद आप तरोताजा और पुनःजीवित महसूस करते हैं।
आइए, शिरोधारा के अद्वितीय लाभों का अनुभव करें और अपने शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को पुनः संतुलित करें। शिरोधारा के लिए आज ही अपॉइंटमेंट बुक करें और आयुर्वेद की इस प्राचीन चिकित्सा विधि से अपने जीवन को नई दिशा दें।
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पटना के सबसे बेहतरीन सेक्सोलॉजिस्ट: डॉ. मधुरेंद्र पांडेय का पेशेवर दृष्टिकोण और विशेषज्ञता
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सेक्सोलॉजी एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील चिकित्सा क्षेत्र है जो जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पटना में, डॉ. मधुरेंद्र पांडेय इस क्षेत्र में एक प्रमुख नाम हैं। उनकी विशेषज्ञता और अनुभव उन्हें क्षेत्र के सबसे बेहतरीन सेक्सोलॉजिस्ट में शामिल करते हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कि डॉ. पांडेय क्यों पटना के सबसे अच्छे सेक्सोलॉजिस्ट माने जाते हैं और उनकी चिकित्सा पद्धतियाँ क्या खास बनाती हैं।
डॉ. मधुरेंद्र पांडेय: एक संक्षिप्त परिचय
डॉ. मधुरेंद्र पांडेय, जो कि पटना के एक प्रसिद्ध सेक्सोलॉजिस्ट हैं, ने अपने चिकित्सा करियर की शुरुआत में ही अपनी विशेषज्ञता और पेशेवर दृष्टिकोण से अपनी छाप छोड़ी है। उनकी शिक्षा और प्रशिक्षण का क्षेत्र में गहरा अनुभव है, जो उन्हें सेक्सोलॉजी के क्षेत्र में एक अत्यंत सक्षम डॉक्टर बनाता है।
शिक्षा और प्रशिक्षण
डॉ. पांडेय ने अपनी प्रारंभिक चिकित्सा शिक्षा प्रतिष्ठित संस्थानों से प्राप्त की और सेक्सोलॉजी में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया। उनकी गहरी समझ और व्यापक अध्ययन ने उन्हें इस क्षेत्र में एक विशेषज्ञ के रूप में स्थापित किया।
विशेषज्ञता और अनुभव
डॉ. पांडेय के पास सेक्सोलॉजी के विभिन्न पहलुओं में व्यापक अनुभव है, जिसमें यौन स्वास्थ्य, यौन विकार, और यौन समस्याओं का निदान और उपचार शामिल है। उनका अनुभव उन्हें जटिल मामलों को समझने और उनकी समस्याओं का सटीक निदान करने में सक्षम बनाता है।
उपचार पद्धतियाँ
डॉ. पांडेय की उपचार पद्धतियाँ मरीजों की आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित की जाती हैं। वे एक समग्र दृष्टिकोण अपनाते हैं, जिसमें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर ध्यान दिया जाता है। उनकी पद्धतियों में मनोचिकित्सा, परामर्श, और आधुनिक चिकित्सा तकनीकों का सम्मिलन होता है, जिससे मरीजों को प्रभावी और स्थायी समाधान प्राप्त होता है।
पेशेवर दृष्टिकोण और मरीजों के साथ व्यवहार
डॉ. पांडेय का पेशेवर दृष्टिकोण और मरीजों के साथ उनका संवेदनशील व्यवहार उन्हें दूसरों से अलग बनाता है। वे हर मरीज को सम्मान और समझ के साथ सुनते हैं और उनके मुद्दों का हल निकालने के लिए एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण अपनाते हैं। उनका यह व्यवहार उन्हें एक विश्वसनीय और पसंदीदा सेक्सोलॉजिस्ट बनाता है।
सम्मान और पुरस्कार
डॉ. पांडेय ने अपने क्षेत्र में कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं। ये पुरस्कार उनके पेशेवर उत्कृष्टता और समर्पण की गवाही देते हैं। इन उपलब्धियों ने उनकी प्रतिष्ठा को और भी बढ़ाया है।
मिशन और दृष्टिकोण
डॉ. पांडेय का मिशन स्वस्थ यौन जीवन को बढ़ावा देना और लोगों को यौन स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं से मुक्ति दिलाना है। वे मानते हैं कि सही इलाज और परामर्श से जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। उनका दृष्टिकोण पूरी तरह से मरीजों की भलाई पर केंद्रित है।
समाप्ति:
यदि आप पटना में यौन स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के लिए एक अनुभवी और सम्मानित सेक्सोलॉजिस्ट की तलाश में हैं, तो डॉ. मधुरेंद्र पांडेय एक उत्कृष्ट विकल्प हैं। उनकी विशेषज्ञता, अनुभव, और पेशेवर दृष्टिकोण उन्हें इस क्षेत्र में एक अग्रणी विशेषज्ञ बनाते हैं। उनके साथ परामर्श से आप यौन स्वास्थ्य की समस्याओं का प्रभावी समाधान प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। अधिक जानकारी या अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए, आयुर्वेद रिसर्च सेंटर पर जाएं।
आशा है कि इस लेख ने आपको डॉ. मधुरेंद्र पांडेय के बारे में आवश्यक जानकारी प्रदान की होगी और उनकी विशेषज्ञता के लाभों को समझने में मदद की होगी।
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khulizuban · 2 months
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लीच थैरेपी का बढ़ता चलन और संभावनाएं
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अपनी ख़ास जगह बना चुकी लीच थैरेपी या जोंक चिकित्सा का दायरा बढ़ता जा रहा है.अनेक रोगों, और उन जटिलताओं में भी यह कारगर साबित हो रही है जहां आधुनिक चिकित्सा पद्धति या एलोपैथी नाक़ाम हो जाती है.इसे यूं कहिये कि अब यह एक पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा की परिधि से बाहर निकलकर अपनी विशिष्टता सिद्ध करती दिखाई देती है.कुछ मामलों में तो जोंक चिकित्सा आज एकमात्र उपचार विधि या आख़िरी…
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jaiminiofficial · 2 months
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चिकित्सा संबंधी आविष्कार और आविष्कारक » inventions and inventors
चिकित्सा संबंधी आविष्कार और आविष्कारक » inventions and inventors चिकित्सा संबंधी आविष्कार और आविष्कारक » inventions and inventors मलेरिया परजीवी व चिकित्सा: रोनाल्ड रास पेचिश तथा प्लेग की चिकित्सा: किटाजाटो इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफ (ईसीजी): आइन्योवन प्रथम परख नली शिशु: एडवर्डस एवं स्टेप्टो गर्भनिरोधक गोलियाँ: पिनकस ओपन हार्ट सर्जरी: वाल्टर लिहल लिंग हारमोन: स्टेनाच विटामिन: फंक विटामिन…
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stressmanagement01 · 5 months
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एलोपैथिक और आयुर्वेदिक - इसमें अंतर क्या है और कौन है ज्‍यादा असरद
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एलोपैथिक और आयुर्वेदिक दोनों ही प्राचीन चिकित्सा पद्धतियाँ हैं, लेकिन इनमें कई विभिन्नताएँ हैं। एलोपैथिक चिकित्सा विज्ञान कोई नई चिकित्सा पद्धति नहीं है, जबकि आयुर्वेद अत्यंत प्राचीन है और भारतीय साहित्य में विस्तृत विवरण मिलता है।
यद्यपि एलोपैथिक चिकित्सा को विज्ञान का नवीनतम और अधिक प्रभावी रूप माना जाता है, लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सा भी अपनी अहमियत बनाए हुए है। दोनों पद्धतियों की अपनी विशेषता है, और यह व्यक्ति की स्थिति, बीमारी का प्रकार और उसकी शारीरिक-मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है।
एलोपैथिक और आयुर्वेदिक
प्रकार
एलोपैथिक
आयुर्वेदिक
उपयोग
विज्ञानिक दवाओं और साधारण चिकित्सा
प्राकृतिक औषधियाँ और प्रथमिक चिकित्सा
प्रामाणिकता
विज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित
प्राचीन शास्त्रों और अनुभव पर आधारित
उपचार काल
तत्कालीन उपचार
दीर्घकालिक उपचार
उपचार का लक्ष्य
लक्षित बीमारी का सीधा उपचार
शारीरिक संतुलनऔर मानसिक स्थिति को बनाए रखना
परिणाम
कई बार शीघ्र परिणाम, लेकिन दुष्प्रभाव भी
धीरे-धीरे परिणाम, पर उनके कोई दुष्प्रभाव नहीं
एलोपैथिक चिकित्सा विज्ञान आधुनिकतम पद्धति का उपयोग करती है, जिसमें विज्ञानिक शोध, प्रयोग और विकास के आधार पर नई दवाएं तैयार की जाती हैं। यह आमतौर पर बीमारी के लक्षणों को निर्धारित करके उसका सीधा उपचार करती है। विपरीत आयुर्वेदिक चिकित्सा प्राचीनतम है और प्राकृतिक उपचार पद्धति पर आधारित है। यह शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को बनाए रखने के लिए विभिन्न प्राकृतिक उपायों का उपयोग करती है। यह विभिन्न औषधियों, आहार और व्यायाम के माध्यम से संतुलित जीवनशैली को प्रोत्साहित करती है।
एलोपैथिक चिकित्सा भी कई रोगों के उपचार में प्रभावी है, लेकिन वह केवल रोग के लक्षणों को हटाने पर ही केंद्रित है, जबकि आयुर्वेद स्वास्थ्य के प्रत्येक पहलु को संतुलित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। इसलिए, किसी भी चिकित्सा पद्धति को सबसे अधिक प्रभावी मानना यह निर्भर करता है कि व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति, उसकी प्राकृतिक प्रवृत्ति, और उसके रोग की प्रकृति क्या है।
एलोपैथिक चिकित्सा तत्कालीन परिणाम दिखा सकती है, लेकिन इसमें कई बार दुष्प्रभाव भी होते हैं। यह अक्सर दवाओं के निरंतर उपयोग से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है और दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा धीरे-धीरे परिणाम दिखाती है, लेकिन इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते। यह शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को संतुलित बनाए रखने के लिए प्राकृतिक उपायों का प्रयोग करती है। आयुर्वेद के अनुसार, हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है और उसकी आवश्यकताएँ भी अलग होती है। इसलिए, इस चिकित्सा पद्धति में 'प्रकृति' का विशेष महत्व होता है। यह शरीर की प्रकृति के अनुसार उपचार करती है जो व्यक्ति के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है।
आयुर्वेद के अनुसार, हर व्यक्ति की प्रकृति और उसकी स्वास्थ्य स्थिति अद्वितीय होती है, इसलिए उसका उपचार भी अलग-अलग होता है। यहां कुछ मुख्य आयुर्वेदिक उपचार तंत्र हैं:
आहार और पोषण: आयुर्वेद में आहार का बहुत महत्व है। व्यक्ति की प्रकृति और रोग के अनुसार विभिन्न प्रकार के आहार का सेवन किया जाता है।
औषधि चिकित्सा: आयुर्वेद में बहुत से प्राकृतिक औषधियों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि जड़ी-बूटियाँ, रस, चूर्ण आदि।
योग और प्राणायाम: योग और प्राणायाम की अभ्यास करने से शारीरिक और मानसिक संतुलन बना रहता है और विभिन्न रोगों का उपचार होता है।
पंचकर्म चिकित्सा: यह आयुर्वेद का एक प्रमुख उपचार तंत्र है जिसमें शोधन, स्नेहन, स्वेदन, वमन और बस्ति की विभिन्न प्रक्रियाएं शामिल हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सा के लाभों में शामिल हैं:
प्राकृतिक और सुरक्षित: आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियाँ और औषधियाँ प्राकृतिक होती हैं और इसलिए सुरक्षित होती हैं।
सम्पूर्ण उपचार: आयुर्वेद में रोग के लक्षणों को देखने के साथ-साथ उसके कारणों का भी संदर्भ देखा जाता है, जिससे कि रोग का पूरी तरह से उपचार हो सके।
व्यक्तिगत उपचार: आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रत्येक व्यक्ति का उपचार उसकी प्रकृति के आधार पर किया जाता है, जिससे कि उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायता मिलती है।
दीर्घकालिक प्रभाव: आयुर्वेदिक चिकित्सा रोग को मूल से हटाने के साथ-साथ उसके पुनर्जन्म को भी रोकती है, जिससे कि व्यक्ति को लंबे समय तक स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।
निष्कर्ष
दोनों चिकित्सा पद्धतियों में लाभ हैं, लेकिन आयुर्वेद एक संपूर्ण दृष्टिकोण देता है और रोग के लक्षणों के कारणों का निर्धारण करता है। यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का संरक्षण करता है और व्यक्ति को संतुलित जीवनशैली सिखाता है। इसलिए, आयुर्वेद न केवल रोग का उपचार करता है, बल्कि स्वास्थ्य को पूर्णता की दिशा में ले जाता है।
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vedikrootsayurveda · 8 months
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क्या शिलाजीत और अश्वगंधा आपके स्वास्थ्य को बढ़ा सकते हैं? इस ब्लॉग में जानें इन आयुर्वेदिक गुणों के चमत्कारी फायदे और आपके जीवन को सुधारने के उपाय।
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vanmarkvans · 1 year
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प्रत्येक वर्ष सितंबर के दूसरे शनिवार को मनाया जाने वाला विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस, प्राथमिक चिकित्सा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके व्यापक ज्ञान और अनुप्रयोग को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक वैश्विक पहल है। यह दिन एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि प्राथमिक चिकित्सा जीवन बचा सकती है, चोटों को बदतर होने से रोक सकती है और एक सुरक्षित और अधिक तैयार समाज में योगदान कर सकती है। आइए विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस के महत्व और उद्देश्यों के बारे में जानें:
जागरूकता बढ़ाना: विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस का प्राथमिक लक्ष्य प्राथमिक चिकित्सा कौशल के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। बहुत से लोग बुनियादी प्राथमिक चिकित्सा तकनीकों को जानने के महत्व को तब तक कम आंकते हैं जब तक कि वे खुद को ऐसी स्थिति में नहीं पाते जहां तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होती है।
प्राथमिक चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देना: यह दिन व्यक्तियों, समुदायों और संगठनों को प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। ये कार्यक्रम लोगों को सिखाते हैं कि सामान्य चोटों और आपात स्थितियों, जैसे कि कटना, जलना, फ्रैक्चर, कार्डियक अरेस्ट और दम घुटना, पर प्रभावी ढंग से कैसे प्रतिक्रिया करें।
चोट और मृत्यु दर को कम करना: प्राथमिक चिकित्सा ज्ञान विभिन्न स्थितियों में चोट और मृत्यु दर को काफी कम कर सकता है। जब आसपास खड़े लोग या तत्काल प्रतिक्रिया देने वाले जानते हैं कि प्राथमिक चिकित्सा कैसे दी जाती है, तो वे पेशेवर चिकित्सा सहायता आने तक पीड़ित की स्थिति को स्थिर कर सकते हैं। यह महत्वपूर्ण अंतर ला सकता है, विशेषकर दुर्घटनाओं, दिल के दौरे या दूरदराज के इलाकों में चोटों के मामलों में।
सामान्य नागरिकों को सशक्त बनाना: विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस इस बात पर जोर देता है कि प्राथमिक चिकित्सा केवल चिकित्सा पेशेवरों तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह एक कौशल है जिसे कोई भी हासिल कर सकता है। आम नागरिकों को प्राथमिक चिकित्सा ज्ञान से सशक्त बनाने से समुदाय सुरक्षित हो जाते हैं और आपात स्थिति में जान बचाने की संभावना बढ़ जाती है।
आपदा तैयारी को बढ़ाना: प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण आपदा तैयारी का एक अनिवार्य घटक है। प्राकृतिक आपदाएँ, दुर्घटनाएँ और अप्रत्याशित आपातस्थितियाँ किसी भी समय आ सकती हैं। तैयार रहना और प्रारंभिक सहायता प्रदान करने का तरीका जानना इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
प्रथम उत्तरदाताओं को पहचानना: विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस पैरामेडिक्स, अग्निशामकों और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों सहित प्रथम उत्तरदाताओं के योगदान को भी स्वीकार करता है और उनका सम्मान करता है। जीवन बचाने और तत्काल देखभाल प्रदान करने के प्रति उनका समर्पण समुदायों की भलाई के लिए महत्वपूर्ण है।
वैश्विक जागरूकता: यह पालन किसी विशेष देश या क्षेत्र तक सीमित नहीं है। यह एक वैश्विक पहल है जिसे कई देशों में मान्यता प्राप्त है और मनाया जाता है, जो प्राथमिक चिकित्सा कौशल के सार्वभौमिक महत्व को बढ़ावा देता है।
संगठनों के साथ साझेदारी: विभिन्न मानवीय संगठन, जैसे इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसाइटीज़ (आईएफआरसी), कार्यक्रम, प्रशिक्षण सत्र और जागरूकता अभियान आयोजित करके विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
जिम्मेदारी को प्रोत्साहित करना: विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस व्यक्तियों और संगठनों को उनकी सुरक्षा और उनके आसपास के लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। प्राथमिक चिकित्सा की तैयारी और ज्ञान व्यक्तियों को आपात स्थिति में अधिक लचीला बना सकता है।
अंत में, विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस प्राथमिक चिकित्सा के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने, इसकी जीवन-रक्षक क्षमता को उजागर करने और इसके व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक ऐसा दिन है जब समुदाय सीखने, अभ्यास करने और प्राथमिक चिकित्सा शिक्षा की वकालत करने के लिए एक साथ आते हैं, जिससे अंततः दुनिया सभी के लिए एक सुरक्षित स्थान बन जाती है।
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विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं: ओलिगोस्पर्मिया रोग के उपचार और लक्षण
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ओलिगोस्पर्मिया, पुरुषों में एक मांसपेशी रोग है जिसमें योनि में बिंदुगत स्पर्म की मात्रा कम हो जाती है। यदि किसी पुरुष के शुक्राणुओं की संख्या 15 मिलियन प्रति मिलीलीटर (मीलीलीटर) या उससे कम है, तो उसे ओलिगोस्पर्मिया हो सकती है। इस रोग के कुछ मुख्य लक्षणों की सूची निम्नलिखित है: शुक्राणु की मात्रा कम होना: यदि आपके शुक्राणुओं की संख्या कम है, तो यह ओलिगोस्पर्मिया का एक प्रमुख संकेत हो सकता है। नियमित स्पर्म टेस्ट से इसे पुष्टि किया जा सकता है। शुक्राणु की गति कम होना: शुक्राणुओं की गति कम होना ओलिगोस्पर्मिया का एक अन्य लक्षण हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप, शुक्राणुओं की योनि में संगतिशीलता कम हो सकती है। शुक्राणुओं की मौत या असामरिक रूप से बने होना: यदि शुक्राणुओं में एकांत मौत या असामरिक आकार की समस्या होती है, तो यह ओलिगोस्पर्मिया का लक्षण हो सकता है। शुक्राणुओं की गुणवत्ता कम होना: ओलिगोस्पर्मिया के व्यक्ति में शुक्राणुओं की गुणवत्ता कम हो सकती है। इसका मतलब है कि शुक्राणुओं में आपूर्ति कम हो सकती है या शुक्राणुओं के आकार, आकार और संरचना में असामरिकता हो सकती है। नपुंसकता की समस्या: कुछ लोगों में ओलिगोस्पर्मिया का एक और लक्षण हो सकता है जो नपुंसकता या कम यौन उत्पादन के रूप में प्रकट हो सकता है। यदि आपको ओलिगोस्पर्मिया के लक्षणों का संदेह है, तो आपको एक प्रशिक्षित चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
ओलिगोस्पर्मिया से पीड़ित? अभी चिकित्सक से संपर्क करें!
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13 Mukhi Nepali Rudraksha(13 मुखी नेपाली रुद्राक्ष)
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13 Mukhi Nepali Rudraksha represents Lord Indra and Kamadeva, the God of love and attraction. This fertile bead blesses you with high attraction power and ultimate sensual pleasure. This Rudraksha acts on both excessive and low sexual desires, thus, bringing balance. It fills a person with immense power and encourages him to achieve something in life.The wearer of this Rudraksha becomes intelligent, powerful, free from diseases, a good life partner, son and daughter. The person lives the life of a king; This is said by Lord Dattatreya.The person wearing 13 Mukhi Rudraksha is liked by all those who come in contact with him with the blessings of Lord Indra. Hence, a person can reach the pinnacle of success in his life by wearing this Rudraksha. People in the field of alchemy, research work and medicine can achieve perfection in their work by wearing this Rudraksha.A person is able to enjoy all the luxuries of life and he is able to lead a happy and satisfied life. Since Lord Indra is the king of all other deities, wearing this Rudraksha blesses all other deities as well. A person desirous of gaining knowledge, good oratory and debating power should wear this Rudraksha. 13 Mukhi is the symbol of world gods. The wearer of this bead gets all the pleasures of this world. It fulfills all the wishes of the wearer and it brings good luck to him. Such a person stays away from sinful deeds and thoughts. All his worldly desires are fulfilled. Only the lucky ones are able to achieve it. By wearing this all your wishes can be fulfilled. It is advisable to take it in hand first and then the following mantra should be recited 432 times. After that it should be worn around the neck. With the blessings of Lord Indra, the wearer achieves all kinds of success in his or her life.
Benefit: Wearing 13 Mukhi Rudraksha bestows luck and brings all the pleasures of life to the person. Helps in curing mental disorders and warding off the inauspicious effects of Mars and Venus. Strengthens physically. One can also wear this Thirteen Mukhi Rudraksha to face challenges and achieve victory. It helps in attaining a sound mind and body and enjoy various luxuries of life. The ruling planet of 13 Mukhi Rudraksha is Venus, hence it bestows charm and popularity to its wearer. A Thirteen Mukhi Rudraksha ensures that the wearer is victorious in challenging situations and that his/her destiny is available to him/her to the full potential. Lord Kamadeva also favors the wearer and fulfills all his/her worldly desires.13 mukhi rudraksha helps in diseases related to muscles like dystrophy, kidney, thyroid, sexlessness, dropsy, throat, neck, eye diseases, indigestion, rheumatism, gout, all obstructions in nerves/ nerves and psychiatry by wearing this rudraksha Related disorders can be eradicated.
Method of Wearing 13 Mukhi Rudraksha : This Rudraksha should be worn on Tuesday only. Wake up on Tuesday morning and after taking bath, sit in front of the place of worship facing east. Place 13 Face Rudraksha on a copper vessel in the temple and sprinkle Gangajal on it. Now chant ‘Om Hree Namah’ mantra 108 times. Now tie 13 Mukhi Rudraksha in red or yellow silk thread and wear it around your neck or hand. You can also wear it in gold ,silver chain.
222, Agarwal tower, I.P.Extension, Patparganj, Delhi, 110092
7042891757
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#13 मुखी नेपाली रुद्राक्ष भगवान इंद्र और प्रेम और आकर्षण के देवता कामदेव का प्रतिनिधित्व करता है#इस प्रकार संतुलन लाता है। यह एक व्यक्ति को अपार शक्ति से भर देता है और उसे जीवन में कुछ हासिल करन#शक्तिशाली#रोगों से मुक्त#एक अच्छा जीवन साथी#पुत्र और पुत्री बनता है। जातक राजा का जीवन व्यतीत करता है; ऐसा भगवान दत्तात्रेय ने कहा है। 13 मुख#अनुसंधान कार्य और चिकित्सा के क्षेत्र में काम करने वाले लोग इस रुद्राक्ष को धारण करके अपने काम#इस रुद्राक्ष को पहनने से अन्य सभी देवताओं को भी आशीर्वाद मिलता है। ज्ञान#अच्छी वाक्पटुता और वाद-विवाद शक्ति प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्ति को यह रुद्राक्ष धारण करना च#इसे पहले हाथ में लेने की सलाह दी जाती है और फिर निम्न मंत्र को 432 बार पढ़ना चाहिए। इसके बाद इसे गल#पहनने वाला अपने जीवन में सभी प्रकार की सफलता प्राप्त करता है।#लाभ: 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भाग्य की वृद्धि होती है और व्यक्ति को जीवन के सभी सुख मिलते है#इसलिए यह अपने पहनने वाले को आकर्षण और लोकप्रियता प्रदान करता है। एक तेरह मुखी रुद्राक्ष यह सुन#किडनी#थायरॉयड#सेक्सलेसनेस#ड्रॉप्सी#गले#गर्दन#आंखों के रोग#अपच#गठिया#गाउट#सभी बाधाओं जैसे मांसपेशियों से संबंधित रोगों में मदद करता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से स्न
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sarhadkasakshi · 2 years
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पावकी देवी में आयोजित बहुउद्देशीय एवं चिकित्सा शिविर में कैबिनेट मंत्री उनियाल ने विभिन्न विकास योजनाओं हेतु 50 लाख से अधिक की धनराशि की स्वीकृत
पावकी देवी में आयोजित बहुउद्देशीय एवं चिकित्सा शिविर में कैबिनेट मंत्री उनियाल ने विभिन्न विकास योजनाओं हेतु 50 लाख से अधिक की धनराशि स्वीकृत   सरकार के एक साल पूर्ण होने के अवसर पर पावकी देवी में बहुउद्देशीय एवं चिकित्सा शिविर आयोजित विभिन्न विकास योजनाओं हेतु विधायक निधि से 50 लाख से अधिक की धनराशि की गई स्वीकृत ‘एक साल नई मिसाल‘ कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘जन सेवा‘ थीम पर बहुउद्देशीय शिविर एवं…
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drsibia · 2 years
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