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#जिंदगी 2 मीटिंग
loksutra · 2 years
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पवन सिंगचे 'जिंदगी 2 मुलाकात'चे नवीन गाणे यूट्यूबवर रिलीज, पुन्हा पुन्हा पाहिला व्हिडिओ
पवन सिंगचे ‘जिंदगी 2 मुलाकात’चे नवीन गाणे यूट्यूबवर रिलीज, पुन्हा पुन्हा पाहिला व्हिडिओ
पवन सिंगचे जिंदगी 2 मुलाकात भोजपुरी गाणे रिलीज-पहा व्हिडिओ: पवन सिंगचे नवीन गाणे ‘जिंदगी 2 मुलाकात’ यूट्यूबवर रिलीज, वारंवार पाहिलेला…
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chaaytoast · 3 years
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बचपन की डायरी के कुछ पन्ने;
मन के किसी कोने में धुंधली बातों में लिपटी है वो एक याद। ये सीख है या सिर्फ जिंदगी के कुछ पल जो अब तक उन यादों का ताजा कर जाते हैं। एक किस्सा है बचपन का जो मिक्स्ड फीलिंग दे जाता है पर यकीन मानिए 8 या 9 साल की उम्र में हुई वो वारदात जिंदगी के अहम् पहलुओं को सिखा जाती है। ये तब की बात है जब फौजी पापा कारगिल में अपनी परिस्थितियों से जूंझ रहे थे और 2 बहनें अपनी माँ के साथ सिर्फ पापा की याद में इंतजार करते हुए दिन बिताया करती थी। माँ अक्सर बीमार रहती थी इसलिए दोनों बहनें अपनी चीजें खुद ही संभालने की कोशिश करती थी। वो भी कम कठिनाइयों के दिन नहीं थे पर फिर भी दोनों मुस्कुरा कर जोश में कहती 'मेरे पापा आर्मी में है और देश की सेवा में तत्पर हैं। एक ओर पापा बर्फीले पहाड़ों की ठिठुरती ठंड में रातों को जाग कर सीमा की पहरेदारी करते थे, वहीं दूसरी ओर एक बीमार रहने वाली माँ के साथ दो बेटियां पापा को बेहद याद करती थी। वो हर चुनौती, हर परिस्थिति और हर कठिनाई में खुद को यही समझाया करती थी कि पापा देश की सेवा में तत्पर हैं और गर्व के साथ हर किसी को बताया करती थी। नन्ही-नन्ही वो परियां अक्सर टीचर की मार, अन्य बच्चों का तिरस्कार और कभी-कभी तो स्कूल से आते हुए लड़कों की छेड़-छाड़ को सहती थी पर घर आकर कभी माँ को कुछ न कहती थी। शायद पेरेंट्स की फ़िक्र का अंदाज़ा था उन्हें इसलिए वो दोनों चुप रहकर सभी कठिनाइयों का सामना करती थी।
एक दिन स्कूल में पेरेंट्स टीचर मीटिंग में मम्मी पापा में से हमेशा की तरह ही कोई नहीं जा पाया। कारण हमेशा की तरह एक जैसा ही था कि मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है और पापा की पोस्टिंग आई हुई है। इसलिए दोनों में से मीटिंग में कोई भी नहीं आ पाया और हमेशा की तरह ही टीचर विश्वास नहीं करती थी जिस वजह से कभी पिटाई तो कभी पनिश कर दिया करती थी। कारण वही था और पता था कि टीचर मानेगी नहीं इसलिए एक दिन पिटाई के डर ने झूठ का सहारा लिया पर बदकिस्मती से वो झूठ भी पकड़ा गया। इसके बाद जो हालत हुई है उसका अफ़सोस आज भी है और टीचर के थप्पड़ की गूँज अब भी कानों में सुनाई देती है। इसके अलावा क्लास के सभी बच्चों के सामने वो तिरस्कार इतने सालों के बाद भी डरा जाता है। पर उस समय वो नन्ही सी जान न सोचे कोई बखान क्योंकि उसको था सिर्फ अपनी माँ का खयाल। स्कूल में हुए तिरस्कार को वो सह जाती थी और घर की चौखट पर मुस्कुराकर कदम बढ़ाती थी। टीचर की उस मार ने कभी न झूठ बोलने की कसम दिला दी, पेरेंट्स के त्याग ने निष्ठा और जज्बात सिखा दिए। यही था वो किस्सा जिसने परिवार का प्यार और सच का प्रभाव बता दिया।
#सच्ची_घटनाओं_पर_आधारित
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shaileshg · 4 years
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देश में काेरोना से एक लाख मौतें हो चुकी हैं। भारत के सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों तक कोरोना फैल चुका है। लेकिन इनमें कुछ ऐसे राज्य भी शामिल हैं, जहां कोरोना के शुरुआती केस आने के बाद कड़े कदम उठाए गए और नए केस और मौतों पर काबू पाने की कोशिश की गई। गोवा, उत्तराखंड और केरल इसका उदाहरण हैं। गोवा से मनीषा भल्ला, उत्तराखंड से राहुल कोटियाल और केरल से बाबू के. पीटर की रिपोर्ट।
गोवा से मनीषा भल्ला की रिपोर्ट
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पूरी तरह से खुल गया गोवा, पटरी पर लौट रही है जिंदगी
गोवा में हर दिन करीब 400 नए मामले आ रहे हैं। बावजूद इसके गोवा अपनी सामान्य जिंदगी में लौट रहा है। पर्यटकों की रौनक लौटने लगी है। आज से दो महीने पहले गोवा में होटल ऑक्युपेंसी सिर्फ 7% थी। यह अब बढ़कर 18% हो चुकी है।
गोवा के लिए आने वाले दो महीने अहम गोवा का मुख्य रोजगार टूरिज्म है और इसे नुकसान से बचाने के लिए गोवा सरकार अब नए कदम उठा रही है। कोविड के लिए सर्विलांस अफसर डॉ. उत्कर्ष बेटोडकर बताते हैं कि हमने मरीजों की बढ़ती तादाद देखते हुए निजी अस्पतालों को भी कोविड ट्रीटमेंट की परमिशन दी है। कंटेंटमेंट जोन खत्म कर दिए गए हैं, लेकिन नए नियम बहुत सख्त हैं। आने वाले दो महीने तक गोवा में कोविड केस में ठहराव आने की उम्मीद है।
स्थानीय पंचायतों को भरोसे में लिया भारत सरकार ने 8 जून से टूरिज्म के लिए हरी झंडी दी थी। दो जुलाई को गोवा पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। गोवा ट्रैवल एंड टूरिज्म एसोसिएशन के अध्यक्ष निलेश शाह बताते हैं कि सबसे बड़ी दिक्कत थी स्थानीय गांव पंचायतों का पर्यटकों को न आने देना। लेकिन एसोसिएशन ने सरकार की मदद से पंचायतों को भरोसा दिलाया कि आने वाले पर्यटकों से बीमारी नहीं फैलेगी। वे नियमों का पूरी तरह पालन करेंगे।
क्या नियम बनाए?
डॉ. उत्कर्ष ने बताया कि गांव पंचायतों के साथ लगातार मीटिंग की जा रही है। उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि अगर उन्हें आसपास कोई पर्यटक संदिग्ध संक्रमित लगता है तो फौरन हेल्थ अफसरों को सूचित करें।
गोवा आने वालों की एयरपोर्ट-रेलवे स्टेशन पर पूरा हेल्थ टेस्ट किया जा रहा है। जरा सी भी शंका होने पर लोगों को आइसोलेशन में रखा जा रहा है।
होटल इंडस्ट्री को सख्ती से नियमों का पालन करने को कहा गया है। राज्य सरकार के पास कुल 3900 होटल रजिस्टर्ड हैं। इनमें से सिर्फ 700 होटल को काम करने की इजाजत मिली है। पर्यटकों द्वारा कमरा छोड़ने के बाद एक दिन ��ोटल का कमरा खाली रखा जाएगा।
खाने के लिए रूम सर्विस अभी शुरू नहीं की जाएगी। कोई भी पर्यटक बिना मास्क के नहीं दिखाई देगा। हर जगह सैनेटाइजर की व्यवस्था होगी। होटल में फ्रंट सर्विस के लोग फेस शील्ड, दस्ताने आदि पहनकर रखेंगे।
टैक्सी ड्राइवरों के लिए भी सरकार की तरफ से अभियान चलाया गया है कि वे अपनी सुरक्षा कैसे कर सकते हैं।
40 हजार लोगों ने खोया था रोजगार होटल-रेस्त्रां इंडस्ट्री में वर्करों का आना शुरू हो गया है। महामारी की वजह से यहां तकरीबन 40 हजार लोगों का रोजगार चला गया था। नॉर्थ गोवा में अंजुना बीच पर जिंजर ट्री होटल के मैनेजर हरीश बताते हैं कि कामकाज शुरू हो चुका है। आने वाले एक महीने के अंदर इसे रफ्तार मिलेगी। कैसीनो छोड़कर बाकी सब खुल चुका है। गांव पंचायतें भी सहयोग कर रही हैं। इस दफा गांव पंचायतों ने अपनी सालाना फीस भी नहीं बढ़ाई है। इससे पहले हर साल यह फीस बढ़ जाया करती थी।
उत्तराखंड से राहुल कोटियाल की रिपोर्ट
उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला 15 मार्च को सामने आया था। बीते 2 अक्टूबर को इसके 202 पूरे हुए हैं। सबसे पहले अब तक के आंकड़ों पर एक नजर डालते हैं।
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अन्य राज्यों से तुलना में ये आंकड़े ज्यादा डराने वाले नहीं लगते। लेकिन बीते 30 दिनों में इनमें जो तेजी आई है, वह जरूर राज्य सरकार के माथे पर बल डाल रही है। सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन ने इन आंकड़ों को बारीकी से परखा है। जहां शुरुआती 170 दिनों कुल 269 लोगों की मौत हुई थी, वहीं पिछले 30 दिनों में 342 लोगों की जान चली गई। हालांकि सकारात्मक पहलू यह है कि इन 30 दिनों में टेस्टिंग भी तेजी से बढ़ाई गई हैं और रिकवरी रेट में भी तेजी आई है।
पहाड़ी जनपदों ने किया बेहतर काम सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल कहते हैं, "शुरुआती दौर में उत्तराखंड ने जरूर कोरोना संक्रमण की रोकथाम में अन्य राज्यों से बेहतर काम किया था और इसमें सबसे अहम भूमिका पहाड़ी जनपदों के लोगों और अफसरों ने निभाई थी।" उत्तराखंड राज्य में कुल 13 जिले हैं, जिनमें से नौ पहाड़ी जिले हैं और चार मैदानी जिले। मैदानों की तुलना में पहाड़ों पर कोरोना का संक्रमण काफी हद तक सीमित रहा है। राज्य में अब तक कोरोना के जो 49 हजार मामले सामने आए हैं, इनमें से 36,907 मामले सिर्फ इन चार मैदानी जिलों के ही हैं।
कैसे लड़ी कोरोना के खिलाफ लड़ाई नौटियाल बताते हैं कि पहाड़ों में लोगों ने स्वतः ही कोरोना से निपटने के लिए कदम उठाए, जिसके नतीजे भी साफ देखने को मिले हैं। व्यापार मंडल के लोगों प्रशासन से छूट मिलने के बाद भी दुकानें बेहद सीमित समय के लिए ही खोली और लॉकडाउन का असली असर पहाड़ी कस्बों में ही नजर आया। अनलॉक के दौरान भी शाम होते ही पहाड़ी कस्बे पूरी तरह सुनसान हो जाते थे और ये एक बड़ा कारण है कि पहाड़ों में संक्रमण अब तक अनियंत्रित नहीं हुआ।
केंद्र की गाइडलाइन का सख्ती से किया पालन
राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अफसर के मुताबिक, "प्रशासन की सक्रिय भूमिका से इतर हमें इसका भी लाभ मिला कि अन्य राज्यों की तुलना में प्रवासियों का वापस लौटना उत्तराखंड में कम हुआ।"
उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति भी कोरोना की रोकथाम में कुछ हद तक प्रदेश के लिए उपयोगी साबित हुई। सीमांत राज्य होने के चलते प्रदेश में सिर्फ वे ही लोग दाखिल हुए, जिन्हें उत्तराखंड ही आना था। दिल्ली, हरियाणा या मध्य भारत के राज्यों जैसा दबाव उत्तराखंड पर नहीं था। प्रवासी इन राज्यों की सीमाओं से होते हुए अपने-अपने प्रदेश लौट रहे थे।
प्रदेश की नाकेबंदी भी उत्तराखंड में अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा मजबूत रही। राज्य पुलिस अफसर प्रमोद साह कहते हैं, "प्रदेश में दाखिल होने के पांच मुख्य मार्ग हैं। इन पर नाकेबंदी होते ही पूरा प्रदेश सील हो जाता है। ऐसे में हर आने वाले पर नजर रखना और उनकी मॉनिटरिंग करना हमारे लिए अन्य राज्यों की तुलना में थोड़ा आसान है।"
अनूप नौटियाल कहते हैं, ‘सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर जो गाइडलाइन समय-समय से जारी होती रही, प्रदेश ने उन्हीं का अनुपालन किया है।’
केरल से बाबू के. पीटर की रिपोर्ट
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इन दिनों कोरोना की दूसरी लहर से केरल राज्य बुरी तरह से परेशान है। देश में सबसे पहला मामला केरल में ही सामने आया था। इसके बाद राज्य ने काेरोना के खिलाफ सही दिशा में कदम उठाए और कुछ हद तक इस पर काबू पाने की कोशिश की। लेकिन अब यहां दिन-ब-दिन केस बढ़ते जा रहे हैं। सरकार की ओर से जारी आंकड़े हर दिन बड़े होते जा रहे हैं।
केरल में डेथ रेट सबसे कम देश में सबसे पहले कोरोना पॉजिटिव केस 30 जनवरी 2020 को केरल के त्रिशूर में मिला था। वुहान में पढ़ने वाली स्टूडेंट छुटि्टयों में अपने घर लौटी थी। भले ही देश में पहला केस केरल में मिला हो, लेकिन राज्य सबसे कम मृत्युदर (0.4%) वाले राज्यों में शामिल है। देश में कोरोना की वजह से औसत मृत्युदर 1.58% है। इस लिहाज से केरल डेथ रेट के मामले में टॉप-20 राज्यों में भी शामिल नहीं है।
जनता कर्फ्यू से पहले लॉकडाउन मार्च में राज्य में सबसे ज्यादा केस आने शुरू हुए थे। तब राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के जनता कर्फ्यू की अपील से एक दिन पहले ही अपने यहां लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। केरल सरकार के प्रभावी कदम की वजह से राज्य में अप्रैल के आखिर तक केस बढ़ने की रफ्तार काफी धीमी हो गई थी। अप्रैल के महीने में काेई नया केस भी सामने नहीं आया था।
बाहरी लोग हैं जिम्मेदार पहले हर दिन नए केस की संख्या 100 के भी नीचे आती थी, लेकिन जल्द ही ये नंबर सैकड़ों और हजारों में बदल गया। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार भारत के बाहर रह रहे केरल के निवासी हैं, जो महामारी के दौरान राज्य लौटे हैं।
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Goa Kerala Uttarakhand (India) Coronavirus Cases - Ground Report Update | Top Three States Who Have Controlled (COVID-19) Infectious Disease
from Dainik Bhaskar /national/news/india-coronavirus-cases-goa-kerala-uttarakhand-ground-report-update-top-three-states-who-have-controlled-covid-19-infectious-disease-127779432.html via IFTTT
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toldnews-blog · 6 years
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अयोग्य बताकर मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ झांसी छोड़ने वालों से कंगना रनौत ने पूछा सवाल? - Kangana ranaut slams for calling her incompetent director film manikarnika tmov
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बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत, ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी’ से बतौर डायरेक्टर डेब्यू कर रही हैं. मणिकर्णिका के निर्देशक कृष के NTR की बायोपिक में व्यस्त हो जाने की वजह से निर्देशन का जिम्मा बाद में कंगना को ही संभालना पड़ा. निर्देशक के तौर पर अपनी नई पारी की शुरुआत कर कंगना काफी एक्साइटेड हैं. उनका हमेशा से सपना था कि वे कोई फिल्म डायरेक्ट करें. मगर जब कंगना का सपना पूरा हुआ तो, उन्हें तमाम आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा.
बॉलीवुड लाइफ से कंगना ने कहा, ”मेरे साथ काम करने से लोगों ने सीधे तौर पर मना कर दिया था. मुझे अयोग्य डायरेक्टर तक कहा गया. लेकिन वे मेरे सेट पर भी नहीं होते थे. उन्होंने मेरे साथ मीटिंग भी नहीं की.” खुद को अक्षम बताने वालों से कंगना ने सवाल किया, “उन्हें कैसे पता कि मैं एक अयोग्य डायरेक्टर हूं और मेरी अयोग्यता के आधार पर उन्होंने फिल्म छोड़ दी. उनका मानना था कि ये लड़की क्या कर लेगी?”
बता दें, मणिकर्णिका में कंगना के डायरेक्शन को लेकर तमाम विवाद सामने आए. मामला तब ज्यादा बड़ा हुआ जब सोनू सूद ने मूवी छोड़ दी. वजह सेट पर दो-दो डायरेक्टर्स का होना बताया गया. ऐसा भी कहा गया कि शूटिंग के दौरान कंगना के बार-बार हस्तक्षेप करने की वजह से कृष ने इस प्रोजेक्ट से बाहर होना बेहतर समझा.
सोनू ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान इस मुद्दे पर बातचीत भी की थी.
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Heavenly in Chiffon! #KanganaRanaut looks like the epitome of grace as she attends the inauguration of the Museum on Indian Cinema by Hon’ble Prime minister @narendramodi
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Experience that one glorious chapter from history that led to the triumph of India, with #Manikarnika this 25th Jan: bit.ly/ManikarnikaPromo3 #KanganaRanaut @lokhandeankita @DirKrish @shariqpatel @KamalJain_TheKJ #prasoonjoshi @shankarehsaanloy @zeestudiosofficial @zeemusiccompany #VijeyandraPrasad @shankar.mahadevan @neeta_lulla #ManikarnikaTheQueenOfJhansi #ManikarnikaOn25thJan
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बता दें कि मणिकर्णिका 25 जनवरी को रिलीज हो रही है. रिपब्लिक डे वीकेंड का मूवी को फायदा मिल सकता है. इस फिल्म से टीवी एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे भी बॉलीवुड डेब्यू कर रही हैं. रानी लक्ष्मीबाई की जिंदगी पर आधारित मूवी को लेकर कई विवाद सामने आ चुके हैं. करणी सेना भी फिल्म के कंटेंट को लेकर आपत्त�� की. आरोप था है कि फिल्म में रानी लक्ष्मीबाई की छवि को गलत तरीके से पेश किया गया है. हालांकि बाद में उन्होंने अपना विरोध वापस भी ले लिया.
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#KanganaRanaut in Himanchal at Kuldevi Maa Mahisasurmardini temple consecration “ #ManikarnikaTheQueenOfJhansi #Shakti #himachal_pradesh
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मणिकर्णिका कंगना के करियर को उड़ान देने के लिहाज से अहम है. 2015 के बाद से उनकी कोई फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट नहीं हुई है. एक एक्ट्रेस के तौर पर उनके लिए मणिकर्णिका का हिट होना बेहद जरूरी है. देखना होगा कि कंगना बतौर डायरेक्टर और एक्ट्रेस इस बार दर्शकों को कितना एंटरटेन कर पाती हैं.
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manishajain001 · 4 years
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सुशांत सिंह राजपूत के पूर्व कुक अशोक कुमार खासू ने दैनिक भास्‍कर से बातचीत में दावा किया है कि 2016 से अक्‍टूबर 2019 तक अभिनेता को किसी तरह के मेंटल हेल्‍थ के इश्‍यू नहीं थे। यह रिया चक्रवर्ती के उन दावों के ठीक उलट है, जो उन्‍होंने अलग-अलग इंटरव्‍यूज में किए हैं। अशोक ने अपने कार्यकाल के दौरान की और भी कई बातें हमारे साथ साझा की। उन्होंने यह भी कहा कि एक बार जब सुशांत की बहनें मीतू और प्रियंका उनसे मिलने आई थीं, तब उनके फोन से मैसेज आया था कि वे मीटिंग में हैं और नहीं मिल सकते। अशोक से हुई बातचीत के अंश:
Q. सुशांत के यहां कब तक आपने काम किया था? अशोक: मैं उनके यहां 2016 से अक्‍टूबर 2019 तक था। वहां मेरा एक फ्रेंड था। उसके जरिए मेरी वहां नौकरी लगी थी।
Q. तो क्या अक्‍टूबर में रिया ने आप को वहां से हटाया? अशोक : जी हां।
Q. वजह क्या बताई? और क्‍या खुद रिया ने आप को हटने के लिए कहा था? अशोक : वजह तो कुछ नहीं बताई गई कि क्‍यों हटाया जा रहा है? मैंने मिरांडा (सैमुअल) केजरिए सुना कि अब जॉब नहीं है। मिरांडा ने यह बात फोन पर बताई थी।
Q. आप भी सुशांत के साथ ही रहते थे? देवेश और नीरज की तरह? अशोक: रहते वहीं थे, पर रूम अलग था।
Q. आप कहां से हैं? अशोक: नेपाल से। मेरा दोस्‍त बाबू स्‍पॉट ब्वॉय है। वह सुशांत के साथ पांच-छह महीने तक था। अब वह यशराज के साथ है।
Q. रिया सुशांत की देखभाल कैसे करती थीं? अशोक: जब तक मैं रहा, तब तक ठीक से ख्‍याल रखती थीं।
Q. सुशांत की बहन को उन्‍होंने कब आने या नहीं आने दिया था? अशोक: मेरे साथ यह एक बार हुआ था। दिसंबर 2019 में। मेरे साथ बिल्डिंग के नीचे सुशांत की बहनें मीतू और प्रियंका भी साथ थीं ।
Q. इस तरह के व्यवहार पर सुशांत ने कभी रिया को कुछ नहीं कहा? अशोक: दरअसल, उन दोनों को वह मैसेज सुशांत के फोन से आया था। जब उनकी बहनों ने मैसेज किया था कि वो उनसे मिलने आई हैं। तब जवाब में सुशांत के फोन से मैसेज आया, 'अभी मीटिंग में हूं, नहीं मिल पाऊंगा।'
Q. ये पता चला कि वह मैसेज उनके फोन से सुशांत ने किया है कि रिया ने? अशोक: वह तो पता नहीं चल सका था।
Q. आप के हवाले से मीडिया में कहा जा रहा है कि रिया सुशांत का अच्‍छे से ख्‍याल नहीं रखती थीं? अशोक: ये सब कहानी उनके यूरोप ट्रिप जाने के बाद से उठ रही है। जब वो लोग अक्‍टूबर 2019 में वहां गए थे। अक्‍टूबर में वहां से लौटने के बाद उनके बीमार होने की बातें चल रही हैं। उससे पहले तो वो नॉर्मल थे। अक्‍टूबर में मैं जॉब छोड़ चुका था। सितंबर में मैं अपने घर गया था।
Q. यानी आप के कार्यकाल के दौरान कोई मेंटल प्रॉब्‍लम नहीं थी? अशोक: नहीं। बिल्‍कुल नहीं। न ही उस दौरान मेरे सामने कभी डॉक्‍टर को दिखाने की कोई बात होती थी।
Q. रिया तो कह रही हैं कि वे पहले से ही मेंटल प्रॉब्‍लम थे? अशोक : अब ये तो उन्‍हीं से पूछना होगा कि वो ऐसा क्‍यों बोल रही हैं। हमारे सामने तो ऐसा कुछ नहीं था।
Q. कभी रिया को एंग्जाइटी अटैक आते थे? अशोक: मैं जब तक वहां था, तब तक तो रिया नॉर्मल थीं। मेरे सामने तो कभी नहीं आए। न ही घर में कभी इसकी चर्चा हुई। सितंबर 2019 तक तो नॉर्मल ही थी। कभी कोई दवा वगैरह खाते नहीं देखा था।
Q. सुशांत ऑर्गेनिक फार्मिंग करना चाहते थे। उस पर बातें होती थीं? अशोक: वह तो होती थीं। 2018 में उनके मुंह से इस बारे सुना करता था।
Q. रिया पर उन बातों के लिए राजी न होने के आरोप हैं? अशोक : उस समय रिया नहीं थीं। उस वक्‍त वो जमशेदपुर में 'दिल बेचारा' की शूटिंग कर रहे थे। रिया उनकी जिंदगी में अप्रैल 2019 के अंत में आईं।
Q. रिया से ठीक पहले किन्‍हीं और के साथ भी सुशांत प्‍यार में थे? अशोक: जी नहीं मुझे ऐसा नहीं लगता।
Q. सारा अली खान के साथ वो बाहर गए थे? अशोक: मैं उस वक्त गांव गया था। किसी बड़ी कंट्री का टूर नहीं था। सुशांत पूरे क्रू और सारा के साथ गए थे।
Q. सारा के साथ प्‍यार-मोहब्बत वाली बात थी? अशोक : मुझे कभी ऐसा नहीं लगा। सिर्फ काम की ही बातें होती थीं। यह 'केदारनाथ' के समय की ही बात है।
Q. कभी पार्टी के दौरान उन्हें नशीले पदार्थ लेते देखा? अशोक: दरअसल उनका डुप्लेक्स था। मैं किचन में रहता था। पार्टी ऊपर होती थी। इसलिए मुझे जानकारी नहीं।
सुशांत केस से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ सकते हैं...
1. सुशांत की ऑडियो क्लिप से कई खुलासे:मौत से 5 महीने पहले सुशांत ने भविष्य को लेकर जताई थी चिंता, खर्च कम करने की बात की थी, रिया चक्रवर्ती कर रही थीं उनके पैसों को मैनेज
2. सुशांत केस में नया दावा:खुद को अस्पताल का कर्मचारी बताने वाले व्यक्ति ने कहा- सुशांत के गले पर सुई के निशान थे, पैर भी टूटा हुआ था
3. क्या मुंबई पुलिस ने बोला झूठ?:मौत से चंद मिनटों पहले दर्द रहित मौत और सिजोफ्रेनिया के बारे में नहीं बल्कि ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए प्रॉपर्टी तलाश रहे थे सुशांत
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अशोक कुमार खासू के मुताबिक, सुशांत सिंह राजपूत के यहां उनकी नौकरी एक दोस्त के जरिए लगी थी।
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khabaruttarakhandki · 4 years
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राजीव गांधी की पुण्‍यतिथि पर प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट की ‘पिता के साथ अपनी आखिरी फोटो’
प्रियंका गांधी ने अपने पिता राजीव गांधी के साथ ली गई अपनी आखिरी फोटो शेयर की है.
खास बातें
आज है राजीव गांधी की 29वीं पुण्यतिथि
प्रियंका गांधी ने शेयर की अपने पिता के साथ ली गई आखिरी फोटो
राहुल गांधी ने भी अपने पिता को किया याद
नई दिल्ली:
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 29वीं पुण्यतिथि पर उनकी बेटी और कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने पिता को खास तरह से याद किया है. पिता को श्रद्धांजलि देते हुए उनके साथ प्रियंका ने अपनी आखिरी तस्वीर शेयर की है. इसके साथ उन्होंने एक भावुक पोस्ट भी लिखी है. राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी. उस दिन वो तमिलनाडु में एक चुनावी मीटिंग में हिस्सा लेने गए थे. प्रियंका गांधी की उम्र उस वक्त महज़ 19 साल थी. ट्विटर पर प्रियंका ने गुरुवार को जो तस्वीरशेयर की है, उसमें वो पिता के साथ खड़ी नजर आ रही हैं. इसके साथ उन्होंने लिखा है- ‘पिता के साथ आखिरी फोटो’.
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इसके साथ ही उन्होंने लिखा है, ‘जो निर्दयी हों उनके प्रति भी दया भाव रखना, जिंदगी हमेशा सही होती है, चाहे आपको कितनी भी नाइंसाफी लगे, चाहे कितना अंधेरा छाया हो, कितना भी भयंकार तूफान हो, चलते रहना, अपने दिल को मजबूत बनाना और चाहे कितने भी दुख आए, हमेशा प्यार ही चुनना….ये मेरे पिता की जिंदगी से मिले हुए कुछ तोहफे हैं.’
To be kind to those who are unkind to you; to know that life is fair, no matter how unfair you imagine it to be; to keep walking, no matter how dark the skies or fearsome the storm; .. 1/2 pic.twitter.com/pQpwFfTqIE
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 21, 2020
..To nurture a strong heart, and fill it with love no matter how great it’s sorrows; these are the gifts of my father’s life. 2/2
(last photo with father)
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 21, 2020
कांग्रेस लीडर और प्रियंका के भाई राहुल गांधी ने भी अपने पिता की याद में उनको श्रद्धांजलि दी है.उन्होंने एक ट्वीट कर लिखा, ‘एक सच्चे देशभक्त,उदार और परोपकारी पिता के पुत्र होने पर मुझे गर्व है. प्रधानमंत्री के रूप में राजीव जी ने देश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाया. अपनी दूरंदेशी से देश के सशक्तीकरण के लिए उन्होंने ज़रूरी कदम उठाए. आज उनकी पुण्यतिथि पर मैं स्नेह और कृतज्ञता से उन्हें सादर नमन करता हूं.’
एक सच्चे देशभक्त,उदार और परोपकारी पिता के पुत्र होने पर मुझे गर्व है।प्रधानमंत्री के रूप में राजीव जी ने देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया।अपनी दूरंदेशी से देश के सशक्तीकरण के लिए उन्होंने ज़रूरी कदम उठाए।��ज उनकी पुण्यतिथि पर मैं स्नेह और कृतज्ञता से उन्हें सादर नमन करता हूँ। pic.twitter.com/aDdKMf74wK
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 21, 2020
कांग्रेस पार्टी ने भी ट्विटर पर राजीव गांधी की एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें लिखा गया है, ‘वो शख्स जिसने युवा भारत की नब्ज़ को पकड़ा और हमें एक सुखद भविष्य की ओर बढ़ाया. वो शख्स जिसने युवाओं और बूढ़ों, सबकी जरूरत को समझा और जिसे सबका प्यार मिला.’
Rajiv Gandhi – the man who felt the pulse of a young India & steered us towards a brighter future. The man who understood the needs of the young & old and was loved by one and all.#ThankYouRajivGandhipic.twitter.com/j7iHESWEOf
— Congress (@INCIndia) May 21, 2020
राजीव गांधी 40 साल की उम्र में भारत के सबसे कम उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले पहले नेता थे. उन्होंने 1984 में अपनी मां और तत्तकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला था.
वीडियो: अगर यूपी सरकार हमारी बसें इस्तेमाल करना चाहती है तो परमिट दें : प्रियंका गांधी
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vsplusonline · 4 years
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उत्तर कोरिया के तानाशाह किम 20 दि��� बाद सबके सामने आए, फर्टिलाइजर फैक्ट्री का उद्घाटन किया
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उत्तर कोरिया के तानाशाह किम 20 दिन बाद सबके सामने आए, फर्टिलाइजर फैक्ट्री का उद्घाटन किया
किम जोंग उन 11 अप्रैल को पार्टी पोलितब्यूरो की मीटिंग के बाद से नजर नहीं आए थे
पिछले दिनों उनकी हार्ट सर्जरी के वक्त ऑपरेशन गलत होने की अफवाहें भी उड़ी थीं
दैनिक भास्कर
May 02, 2020, 09:01 AM IST
प्योंगयांग. उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन (36) शुक्रवार को 20 दिन बाद पहली बार सबके सामने आए। उन्होंने यहां एक फर्टिलाइजर फैक्ट्री का उद्घाटन किया। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, किम 11 अप्रैल को पार्टी पोलितब्यूरो की मीटिंग के बाद से पब्लिक प्लेस पर नजर नहीं आए थे। स्टेट मीडिया के मुताबिक, इसी दिन किम ने एयर डिफेंस यूनिट और फाइटर जेट्स का निरीक्षण भी किया था। किम 15 अप्रैल को अपने दादा किम इल सुंग की याद में होने वाले सालाना कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। ऐसा पहली बार हुआ था। इसके बाद से ही उनको लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। अब साफ हो गया है कि किम स्वस्थ हैं।
कंपनी ने उद्घाटन के मौके पर उत्तर कोरिया के अधिकारियों के साथ किम।
15 अप्रैल से ही किम से जुड़ी कई सैटेलाइट तस्वीरें और रिपोर्ट्स सामने आईं। इनमें उनकी मौत होने से लेकर उनकी कार्डियोवेस्कुलर सर्जरी होने तक का दावा किया गया था। वहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा था कि उन्हें किम की सेहत के बारे में सब कुछ पता है, लेकिन फिलहाल वे इस पर कुछ नहीं कहेंगे।
कंपनी के उद्घाटन के दौरान किम जोंग उन के साथ उनकी बहन किम यो जोंग (किम के दाएं) भी नजर आईं।
बीते दिनों में किम जोंग के बारे में सामने आईं थीं 5 थ्योरी..
1. सर्जरी के बाद ठीक हो रहे किम
13 दिन में किम के बारे में पहली जानकारी उत्तर कोरिया के मामलों पर नजर रखने वाले दक्षिण कोरियाई अखबार डेली एनके ने 20 अप्रैल को दी। इसके मुताबिक, 12 अप्रैल को किम की कार्डियोवेस्कुलर सर्जरी हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, किम काफी सिगरेट पीते हैं। उन्हें मोटापे की समस्या है और वे ज्यादा काम करते हैं। उनका हायंग्सन काउंटी स्थित विला में इलाज हुआ। इसके बाद उनकी स्थिति में सुधार की खबरें आईं। उनके इलाज में लगी मेडिकल टीम के ज्यादातर सदस्य 19 अप्रैल को राजधानी प्योंगयांग लौट आए। कुछ सदस्य उनकी देखभाल करने के लिए वहीं रुके रहे।
2. किम जोंग की जिंदगी खतरे में डेली एनके की रिपोर्ट के कुछ घंटे बाद ही सीएनएन ने किम के स्वास्थ्य को लेकर जानकारी दी। इसमें बताया गया कि सर्जरी के बाद उनकी जिंदगी खतरे में है। रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी किम की सेहत पर नजर रख रही हैं। वहीं ब्लूमबर्ग न्यूज ने खबर दी कि अमेरिकी अधिकारियों को किम के गंभीर स्थिति के बारे में बताया गया। हालांकि, उनके स्वास्थ्य के ताजा हालात के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया। उधर, चीन ने भी किम के स्वास्थ्य को लेकर इंटरनेशनल मीडिया में कई तरह की अटकलों के बीच डॉक्टरों की एक टीम उत्तर कोरिया भेजने की बात कही।
3. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे किम के बारे में ऐसा भी कहा जा रहा है कि वे कोरोना को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं। उत्तर कोरिया की ओर से अभी तक देश में संक्रमण की जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि, चीन की मेडिकल टीम और दक्षिण कोरिया का दावा है कि यहां संक्रमण पहुंच गया है। इस बीच दक्षिण कोरिया के सियोल आधारित अखबार जूंगांग डेली ने दावा किया कि किम का एक बॉडीगार्ड संक्रमित है। इसके बाद वे सेल्फ क्वारैंटाइन हो गए हैं। अखबार ने चीन के एक अज्ञात व्यक्ति के हवाले से यह दावा किया है। हैंकूक इल्बो अखबार के मुताबिक 11 अप्रैल को वहां सोशल डिस्टेंसिंग का आदेश भी जारी किया गया था। इसमें तीन लोगों के एक साथ कहीं जुटने पर पाबंदी लगाई गई थी।
4. सेना के मॉक ड्रिल में घायल हुए किम सेना की मॉक ड्रिल में किम के घायल होने की बात भी सामने आई है। किम की तलाश शुरू होने के बाद से ही वोन्सान रिजॉर्ट चर्चा में है। वोन्सान में किम परिवार का एक परिसर है, जहां पर मिसाइलें टेस्ट की जाती है। इस बीच एक सैटेलाइट तस्वीर भी सामने आई है, जिसमें किम की ट्रेन वोन्सान के रेलवे स्टेशन में खड़ी दिख रही है। 38 नार्थ वेबसाइट की ओर से जारी यह तस्वीर पिछले हफ्ते की बताई जा रही है। अमेरिका में रह रहे उत्तर कोरिया के एक सैनिक ने डूंगा डेली को बताया कि 14 अप्रैल को वोन्सान में सेना की मॉक ड्रिल हुई थी। किम इसमें घायल हो गए। यही वजह रही कि एक दिन बाद वे अपने दादा के कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके।
5. यह महज किम का ध्यान आकर्षित करने का पैंतरा दक्षिण कोरिया के सांसद यून सांग-ह्युन के मुताबिक- हो सकता है कि किम खुद लापता होकर अपने शासन की ओर ध्यान बंटाने की कोशिश कर रहे हो। ऐसे में अगले दो हफ्ते के अंदर वे सामने आ सकते हैं, क्योंकि सत्ता पर उनकी पकड़ ढीली होने और उनके उत्तराधिकारी की चर्चा शुरू हो गई है। यून ने डोंगा डेली से कहा है कि अगर किम कुछ हफ्ते में सामने नहीं आए तो यह एक बड़ा मुद्दा हो सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता कभी भी किम के इस तरह गायब होने की वजह सामने ही नहीं आए। इससे पहले भी 2014 में वे 6 हफ्ते तक नजर नहीं आए थे। इसकी वजह आज तक सामने नहीं आई।
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जानिए कौन उठा रहा है कन्हैया का खर्चा?
जी हा वैसे तो कन्हैया कुमार का नाम जब सबसे पहली बार चर्चा में आया था तो मीडिया ने उसकी गरीबी की कहानियां दिखाई थीं। बताया गया कि उसके पिता बीमार हैं और मां सिर्फ 3000 रुपये कमात��� हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से कन्हैया की लग्जरी लाइफ चर्चा में है। एक महीने के अंदर उसकी जिंदगी बदल चुकी है। अब वो कहीं भी फ्लाइट के बिजनेस क्लास में आता-जाता है और लेटेस्ट आईफोन रखता है। जेएनयू में एक करीबी एक सूत्र ने हमें उसकी नई लाइफस्टाइल के बारे में सिलसिलेवार ढंग से कुछ बातें बताई।
कैसे बदल गई कन्हैया की जिंदगी?
हमारे सूत्र ने बताया कि जेल से छूटकर आने के बाद भी वो एक आम छात्रनेता ही था। बस मिलने-जुलने वालों की संख्या बढ़ गई थी। लेकिन 22 मार्च को राहुल गांधी से हुई मुलाकात ने कन्हैया की जिंदगी को बदल दिया। राहुल गांधी के साथ करीब एक घंटे चली मुलाकात में क्या बात हुई ये टॉप सीक्रेट रहा। कन्हैया के साथ उसके संगठन AISF के अध्यक्ष सैयद वलीउल्ला कादरी और सेक्रेटरी विश्वजीत और जेएनयू के 2 सबसे भरोसेमंद लोग थे। किसी ने बाहर आकर राहुल गांधी के साथ हुई बातचीत के बारे में बात नहीं की। अगर किसी ने पूछा भी तो कह दिया कि राहुल गांधी ने समर्थन देने के लिए बुलाया था। लेकिन यह सवाल सबके मन में था कि सिर्फ समर्थन देने के लिए एक घंटे तक मुलाकात कैसे चल सकती है।
‘राहुल से मुलाकात के बाद था बेहद खुश’
राहुल से मिलने के बाद कन्हैया बहुत खुश था। यह मुलाकात अचानक नहीं हुई थी। इसकी भूमिका पिछले 3-4 दिन से बन रही थी। इसी मुलाकात के इंतजार में उसने 4 दिन पहले यानी 18 मार्च को अरविंद केजरीवाल को गच्चा दे दिया था। केजरीवाल से वो मुलाकात सीपीआई के नेता डी राजा की बेटी अपराजिता ने फिक्स कराई थी। मिलने के लिए न पहुंचने पर अपराजिता ने फोन पर नाराजगी भी जताई थी। लेकिन किसी दूसरे नेता से मिलने से पहले कन्हैया राहुल से मिल लेना चाहता था। यही वजह थी कि वो बंगाल और केरल चुनाव में लेफ्ट के लिए प्रचार करने नहीं गया। जबकि खुद सीताराम येचुरी ने इसका एलान किया था। कन्हैया ने सीताराम येचुरी की बात नहीं मानी, क्योंकि वो राहुल गांधी को नाराज नहीं करना चाहता था।
सलमान निजामी को बनाया कॉन्टैक्ट पर्सन
हमारे सूत्र को बाद में यह पता चला कि राहुल ने मुलाकात में जम्मू कश्मीर के युवा कांग्रेस नेता सलमान निजामी को कन्हैया के लिए कॉन्टैक्ट पर्सन बनाया है। सलमान निजामी आजकल राहुल गांधी की कोर टीम के सदस्य हैं। इससे पहले वो भारत-विरोधी बयानों की वजह से चर्चा में रह चुके हैं। कन्हैया से कहा गया कि वो देश भर के विश्वविद्यालयों में जाकर छात्रों और नौजवानों की सभाएं करे। इन सभाओं के लिए आने-जाने, ठहरने का सारा इंतजाम कांग्रेस करेगी। यह भी कहा गया कि वो किसी भी तरह की दिक्कत होने पर NSUI के अध्यक्ष रोज़ी जॉन से भी बात कर सकता है। रोज़ी जॉन भी राहुल गांधी के साथ हुई मीटिंग में मौजूद थे।
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knockingnews-blog · 7 years
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हार के बाद केजरीवाल का पहला भाषण, नए पार्षदों को दिए 15 मंत्र #kejriwal#sefeat#message नई दिल्ली: दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने गुरुवार की सुबह हाल ही में चुने गए आम आदमी पार्टी के नगर निगम पार्षदों से मुलाक़ात की. केजरीवाल ने इस दौरान 'आप' पार्षदों को भ्रष्टाचार और लालच से दूर रहने का राजनीतिक ज्ञान दिया है. एमसीडी चुनाव में हार झेलने के बाद आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल का सबसे पहला वीडियो सामने आया है. जहां वो लगभग 9 मिनट की बातचीत में 'आप' पार्षदों को शपथ दिलाते नज़र आ रहे हैं. लेकिन इस शपथ से पहले क्या कुछ कहा अरविंद केजरीवाल ने, आइये आपको बताते हैं- 1. दिल्ली में ट्रैफिक जाम बहुत हैं. जब भी मीटिंग के लिए निकले तो ये सोचकर निकलें की ट्रैफिक जाम मिलेगा. मैं 10 बजे से इंतजार कर रहा था. 2. ये पार्टी आंदोलन से निकली है जिसने समय समय पर कई कुर्बानी दी है. कई लोग अपना करियर खत्म करके यहां बैठे हैं. 3. एक नई पार्टी अगर पहली बार लड़े तो मुझे नही लगता जमानत भी बचती है किसी पार्टी की. पार्टी को सभी जानते हैं लोग इज्जत करते हैं इसलिए वोट मिले. समर्थकों की मेहनत को व्यर्थ मत होने देना. 4. आप जिस पद में आ गए हो उसमे लालच कई तरह के होंगे उस लालच में नही फंसना हौ. जहां जा रहे हो(एमसीडी) वो भ्रष्टाचार का अड्डा है. 5. एमसीडी में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठानी है और अपने आसपास भी नज़र रखना है. आवाज़ उठाओगे तो ये डराने की कोशिश करेंगे क्योंकि पुलिस और एन्टी करप्शन इनके पास है, तो डरना नही है. 6. दूसरी पार्टियों में टिकट खरीदनी पड़ती है. आपने तो नही खरीदी थी टिकट? क्योंकि जब टिकट खरीदते हो तो जीतने के बाद पैसा निकालते हो. आपके ऊपर बोझ नही है. आप ईमानदार रहना चाहें तो रह सकते हो. 7. वोलेंटियर रीड की हड्डी हैं. उनका हर जायज काम करवाना है. जिस गली में वोलेंटियर का काम नही होता वहां वो शक्ल दिखाने लायक नही बचता. वोलेंटियर का काम सबसे के पहले करना है. सारे वोलेंटियर को साथ लेकर चलना है. अब आप अपने वार्ड के पिता हो. 8. जिन्हें टिकट नही मिली जो रूठ कर चले गए उन्हें जोड़ लोगे तो अच्छा रहेगा. अपने विधायकों से बनाकर रखनी है. क्योंकि समस्या ल���कर आने वाला ये नही देखता की आप एमसीडी से हो या सरकार से. 9. अगर विधायक और पार्षद एक दूसरे से बनाकर नही रखोगे तो अलग अलग पार्टी की तरह बन जाओगे. ऐसा न हो कि दोनों एक दूसरे का काम नही कराओ. 10. बीजेपी वाले आपको तोड़ने की कोशिश करेंगे. आपने फोन हमेशा रिकॉर्डिंग पर रखना. ऐसा हुआ तो प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बता देंगे कि बीजेपी वाले बदमाशी कर रहे हैं. 11. हमारी 4 साल पहले औकात नही थी हम भी गलियों में घूमते थे. कोई चमत्कार हुआ कि हमें सीएम बना दिया. किसी ने इस आंदोलन को धोखा दिया तो वो सोच लेना भगवान को धोखा दे रहे हैं. 12. यहां कितने लोग हैं जो भगवान को नही मानते हैं? सारे पूजा पाठ करते हैं? क्योंकि आज के जमाने मे भगवान को मानने वाले कम बचे हैं. 13. ये बहुत पवित्र आंदोलन है. कोई भी 10 करोड़ का लालच दे सकता है. लेकिन इस पार्टी को धोखा देकर गए तो जिंदगी में सुखी नही रह पाओगे. इस पार्टी को धोखा मत दे देना, देश की उम्मीदें खत्म हो जाएंगी. 14. सफाई कर्मचारियों का ख्याल रखो क्योंकि वो शोषित और गरीब हैं. उन्हें अपना भाई बहिन बना के रखो वो सारा काम करेंगे. उनके साथ रोटी खाओ और परिवार जैसा रिश्ता कर लो. 15. सफाई कर्मचारियों के बॉस भी शोषण करते हैं जनता के मन मे भी गलतफहमी रहती है. सफाई कर्मचारियों का साथ दो, क्योंकि सबसे बड़े सिपहसालार वही बनेंगे.
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shaileshg · 4 years
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चार साल पहले भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। यह पहला मौका था जब हमने दुश्मन पर नियंत्रण रेखा के पार जाकर हमला किया था। तब क्यों, उससे पहले क्यों नहीं? जबकि पाकिस्तान तो नियंत्रण रेखा को पार कर कई दशकों से हम पर हमला करता आ रहा है। इसकी शुरुआत हुई थी उसी साल 18 सितंबर को। जब आतंकवादियों ने कश्मीर के उड़ी में आर्मी कैम्प पर हमला किया और हमने अपने 18 जवानों को खो दिया। शायद शुरुआत तो और पहले हो गई थी, जनवरी में जब आतंकियों ने पठानकोट के एयरफोर्स बेस पर हमला किया था, जिसमें जान और माल दोनों का नुकसान हुआ था।
फरवरी में आतंकियों ने श्रीनगर के बाहरी इलाके में छह मंजिला इमारत पर कब्जा कर 66 लोगों को बंधक बना लिया, देश में बंधक बनाने की शायद सबसे बड़ी घटना थी वो। सीमा पार से पाकिस्तान ऐसी कई बड़ी आतंकी वारदातों को अंजाम देता आया है। आतंकियों को भेजने में कम खर्च था, ओछे हमले की घटनाएं, सैनिकों के शवों के साथ छेड़छाड़ और उस पर इंकार की राजनीति। यह कहना कि इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं, ये तो कश्मीरी आतंकियों की कारस्तानी है। उलट इसके हम कभी ये हथकंडे नहीं अपना सके। यही वजह रही की भारतीय सेना और ज्यादा रक्षात्मक बनती गई।
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हम जानते हैं कि जो शुरुआत करता है वो ज्यादा नुकसान पहुंचा पाता है। और पाकिस्तान जब आतंकी हमले करता तो अपने सैनिकों की जिंदगी को भी दांव पर नहीं लगाना पड़ता। वो उनके लिए कम खर्च में ज्यादा मुनाफे वाला सौदा बन जाता है। इसलिए उड़ी हमला आखरी कील साबित हुआ। मेरे लिए काला रविवार था वो, बतौर कोर कमांडर मैंने 18 जवानों को खोया था। उस आग को जलते देखना, उस जगह जाकर, उनके शवों को आखिरी सलामी देना, लेकिन वो दिन था प्रण लेने का था। उस दिन जब रक्षामंत्री और सेना प्रमुख एक ही दिन में मेरे दफ्तर में थे। वो दिन जब पूरे देश में उबाल था, नेता बौखलाए हुए थे, और वो दिन जब हर जवान बदला चाहता था, अपने साथी की मौत का बदला।
रक्षामंत्री स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर और सेना प्रमुख के साथ मेरे दफ्तर में होने का ये फायदा हुआ कि तीन घंटे में हमें आतंकियों पर सर्जिकल स्ट्राइक करने की इजाजत मिल गई, ताकि पाकिस्तान को उपयुक्त सबक सिखाया जा सके। देश का नेतृत्व मजबूत था, इसलिए पाकिस्तान को वैसा ही दर्द देने का फैसला लिया गया। हम जंग को अ��� उनके इलाके में ले जाने को राजी थे, आतंकियों पर नियंत्रण रेखा के पार जाकर हमला करने को। कुछ ऐसा जो इससे पहले कभी नही हुआ था, जो हमारे देश ने पहले कभी नहीं किया था। राजनीतिक और राजनयिक पावर ने एक साथ आकर, यूएन जनरल एसेंबली में और उससे बाहर भी। दस दिन बाद एक ऑपरेशन लॉन्च किया गया। अलग-अलग जगहों से।
जैसा प्लान किया था वैसा ही हुआ। अगली सुबह सेना के डीजी मिलिट्री ऑपरेशन्स ने पाकिस्तानी डीजी मिलिट्री ऑपरेशन्स को फोन किया और बताया कि हमने किया। हमने किया, क्योंकि आपने उड़ी में आतंकवादी हमला किया। पाकिस्तान नकारता रहा, क्योंकि उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या प्रतिक्रिया दें, और अपने आवाम को क्या जवाब दें, लेकिन भारत ने नई लाल लकीर खींच दी थी। इसी प्रकार के तजुर्बे के साथ, पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक को पाकिस्तान के बिल्कुल अंदर लॉन्च किया गया।
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इलाके से एकदम अलग, हमें याद करना होगा कि हम चीन के खिलाफ भूटान के हक में खड़े रहे, इंडिया-चाइना-भूटान ट्राई जंक्शन पर, डोकलाम प्लैट्यू पर। चीन को अपना एडवांस रोकना पड़ा था। ये कुछ बड़े ऑपरेशन हैं जिसने सिक्योरिटी के नए आयाम दिए, जहां भारत ने मजबूत फैसले लेने शुरू किए, जब भी जरूरत पड़ी।
इस साल भारत चीन के बीच लद्दाख में कुछ जगहों पर संघर्ष हुए। जिनमें से कुछ बाकियों से ज्यादा युद्धकारी थे। बातचीत चल ही रही थी जब गलवान टर्निंग पाॅइंट बन गया। जहां हमने चीन की टेक्नीक का ऐसा रूप देखा जिसकी कल्पना भी नहीं की थी। भारतीय जवानों ने भी हर तरीका इस्तेमाल किया, ट्रेनिंग के दायरे से परे जाकर। इसके बावजूद वीरता और मजबूती के बूते उन्होंने दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया। ऐसा करते हमने 20 वीरों को खोया है, जिनमें कर्नल संतोष बाबू का नेतृत्व और सर्वोच्च बलिदान भी शामिल है।
इसके कुछ महीनों बाद हमारे जवानों ने पैन्गॉन्ग लेक के दक्षिण में कुछ चोटियों पर कब्जा कर लिया। इससे चीन बौखला गया, उसने कभी सोचा भी नहीं था कि भारत यूं पहले कदम बढ़ाएगा। इसने चीन की ताकत को युद्ध क्षेत्र में और बातचीत के बीच कमजोर कर दिया। ये नया भारत है। ये बदला हुआ भारत है, ज्यादा नया और मजबूत। भारत ने आखिरकार नर्म देश का तमगा हटा दिया।
ये तो बस मिलिट्री एक्शन की बात हुई, लेकिन राजनीतिक, राजनयिक और आर्थिक स्तर पर भी मजबूत कदम उठाए गए, जो देश के लिए फायदेमंद साबित हुए। लेकिन इस सबकी शुरुआत सर्जिकल स्ट्राइक से ही हुई थी, चार साल पहले। हमारे जवानों की वीरता ने न सिर्फ उड़ी में खोई जान का बदला लिया, बल्कि बालाकोट और गलवान जैसे कदम उठाने की राह भी खोली।आज मेरा सलाम उड़ी में जान गंवाने वाले शहीदों के नाम और सैल्यूट उन वीरों को जिन्होंने सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया।
सेना से जुड़ी ये खबरें भी आप पढ़ सकते हैं...
1. एक्सपर्ट कमेंट / चीन को लेकर भारत के पास ये 4 मिलिट्री ऑप्शन हैं, क्योंकि सेना की तैयारी तो सिर्फ मिलिट्री ऑप्शन की ही होती है
2.एक्सपर्ट एनालिसिस / बॉर्डर मीटिंग में भारत के लेफ्टिनेंट जनरल के सामने चीन से मेजर जनरल आने पर देश में गुस्सा, लेकिन यह बात रैंक नहीं, रोल की है
3. एनालिसिस / हमारे देश में लोकतंत्र है इसलिए हम बता देते हैं, लेकिन चीन कभी नहीं बताएगा कि उसके कितने सैनिक मारे गए हैं
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Surgical strike day: Four years on Remembering the surgical strike, How army soldiers destroyed terror launchpads
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khabaruttarakhandki · 4 years
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राजीव गांधी की पुण्‍यतिथि पर प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट की ‘पिता के साथ अपनी आखिरी फोटो’
प्रियंका गांधी ने अपने पिता राजीव गांधी के साथ ली गई अपनी आखिरी फोटो शेयर की है.
खास बातें
आज है राजीव गांधी की 29वीं पुण्यतिथि
प्रियंका गांधी ने शेयर की अपने पिता के साथ ली गई आखिरी फोटो
राहुल गांधी ने भी अपने पिता को किया याद
नई दिल्ली:
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 29वीं पुण्यतिथि पर उनकी बेटी और कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने पिता को खास तरह से याद किया है. पिता को श्रद्धांजलि देते हुए उनके साथ प्रियंका ने अपनी आखिरी तस्वीर शेयर की है. इसके साथ उन्होंने एक भावुक पोस्ट भी लिखी है. राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी. उस दिन वो तमिलनाडु में एक चुनावी मीटिंग में हिस्सा लेने गए थे. प्रियंका गांधी की उम्र उस वक्त महज़ 19 साल थी. ट्विटर पर प्रियंका ने गुरुवार को जो तस्वीरशेयर की है, उसमें वो पिता के साथ खड़ी नजर आ रही हैं. इसके साथ उन्होंने लिखा है- ‘पिता के साथ आखिरी फोटो’.
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इसके साथ ही उन्होंने लिखा है, ‘जो निर्दयी हों उनके प्रति भी दया भाव रखना, जिंदगी हमेशा सही होती है, चाहे आपको कितनी भी नाइंसाफी लगे, चाहे कितना अंधेरा छाया हो, कितना भी भयंकार तूफान हो, चलते रहना, अपने दिल को मजबूत बनाना और चाहे कितने भी दुख आए, हमेशा प्यार ही चुनना….ये मेरे पिता की जिंदगी से मिले हुए कुछ तोहफे हैं.’
To be kind to those who are unkind to you; to know that life is fair, no matter how unfair you imagine it to be; to keep walking, no matter how dark the skies or fearsome the storm; .. 1/2 pic.twitter.com/pQpwFfTqIE
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 21, 2020
..To nurture a strong heart, and fill it with love no matter how great it’s sorrows; these are the gifts of my father’s life. 2/2
(last photo with father)
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 21, 2020
कांग्रेस लीडर और प्रियंका के भाई राहुल गांधी ने भी अपने पिता की याद में उनको श्रद्धांजलि दी है.उन्होंने एक ट्वीट कर लिखा, ‘एक सच्चे देशभक्त,उदार और परोपकारी पिता के पुत्र होने पर मुझे गर्व है. प्रधानमंत्री के रूप में राजीव जी ने देश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाया. अपनी दूरंदेशी से देश के सशक्तीकरण के लिए उन्होंने ज़रूरी कदम उठाए. आज उनकी पुण्यतिथि पर मैं स्नेह और कृतज्ञता से उन्हें सादर नमन करता हूं.’
एक सच्चे देशभक्त,उदार और परोपकारी पिता के पुत्र होने पर मुझे गर्व है।प्रधानमंत्री के रूप में राजीव जी ने देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया।अपनी दूरंदेशी से देश के सशक्तीकरण के लिए उन्होंने ज़रूरी कदम उठाए।आज उनकी पुण्यतिथि पर मैं स्नेह और कृतज्ञता से उन्हें सादर नमन करता हूँ। pic.twitter.com/aDdKMf74wK
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कांग्रेस पार्टी ने भी ट्विटर पर राजीव गांधी की एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें लिखा गया है, ‘वो शख्स जिसने युवा भारत की नब्ज़ को पकड़ा और हमें एक सुखद भविष्य की ओर बढ़ाया. वो शख्स जिसने युवाओं और बूढ़ों, सबकी जरूरत को समझा और जिसे सबका प्यार मिला.’
Rajiv Gandhi – the man who felt the pulse of a young India & steered us towards a brighter future. The man who understood the needs of the young & old and was loved by one and all.#ThankYouRajivGandhipic.twitter.com/j7iHESWEOf
— Congress (@INCIndia) May 21, 2020
राजीव गांधी 40 साल की उम्र में भारत के सबसे कम उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले पहले नेता थे. उन्होंने 1984 में अपनी मां और तत्तकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला था.
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vsplusonline · 4 years
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DNA ANALYSIS: दुनिया को Lock करके Unlock हुआ चीन, अब मना रहा जश्न
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DNA ANALYSIS: दुनिया को Lock करके Unlock हुआ चीन, अब मना रहा जश्न
नई दिल्ली: आज लॉकडाउन का 15वां दिन है और हम उम्मीद करते हैं कि आप अपने-अपने घरों में सकुशल होंगे और स्वस्थ होंगे. पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैलने की शुरुआत आज से ठीक 100 दिन पहले हुई थी. इन 100 दिनों के बाद दुनिया के करीब 400 करोड़ लोग लॉकडाउन में हैं. जबकि चीन के जिस शहर वुहान से इस वायरस की शुरुआत हुई थी. उसे अब पूरी तरह से खोल दिया गया है और वहां अब लाइट शो करके दीवाली मनाई जा रही है. यानी पूरी दुनिया को लॉक करके चीन ने अपने शहर वुहान को अनलॉक कर दिया है.
अलग- अलग अनुमानों के मुताबिक, चीन की इस लापरवाही ने पूरी दुनिया का करीब 500 लाख करोड़ रुपये का नुकसान किया है. अब आप खुद सोचिए कि इतने बड़े नुकसान की भरपाई कौन करेगा ? दुनिया के अलग अलग देशों की सरकारें इसकी भरपाई आपकी और हमारी जेब से करेंगी. इसलिए अब कुछ संस्थाएं कह रही हैं कि दुनिया के बड़े-बड़े देशों को चीन से मुआवजा वसूलना चाहिए.
कोरोना वायरस की वजह से भारत के 135 करोड़ लोग अब भी लॉकडाउन में है और इससे भारत की अर्थव्यवस्था को भी बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. इस नुकसान की भरपाई भी हमें और आपको ही करनी होगी. यानी भविष्य में आप एक ऐसा कोरोना टैक्स चुकाने पर मजबूर होंगे जो आपको दिखाई तो नहीं देगा लेकिन इसके नाम पर वर्षों तक आपकी जेब कटती रहेगी.
इस ���मय कोरोना वायरस से पूरी दुनिया में 14 लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हैं. 83 हजार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. करीब 400 करोड़ लोग अपने घरों में बंद हैं. लेकिन दुनिया में एक जगह ऐसी भी है, जहां जश्न मनाया जा रहा है. ये चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान है. यहीं से कोरोना वायरस का ऐसा संक्रमण शुरू हुआ था, जो पूरी दुनिया में फैल गया. लेकिन दुनिया भर में कोरोना का अंधेरा फैलाकर वुहान शहर अब जगमग है. यहां 76 दिन का लॉकडाउन खत्म होने पर कल रात एक लाइट शो हुआ. शहर की छोटी-बड़ी इमारतों में शानदार लाइटिंग की गई. ये एक तरह से वुहान की दिवाली है. आज जब..आप सभी अपने अपने घरों में बंद हैं, तो वुहान से आई इन तस्वीरों को देखकर आप अपने बारे में सोच रहे होंगे, कि किस तरह से हम अपने यहां लॉकडाउन से बाहर निकलेंगे.
लेकिन दुनिया को एक खतरनाक वायरस से लॉक कर देने वाले चीन का वुहान शहर अब अनलॉक हो गया है. कल रात 12 बजे जैसे ही वुहान से लॉकडाउन हटा, लोग अपने घरों से बाहर निकले आए. वुहान में 23 जनवरी से लॉकडाउन था. कोई भी बाहर नहीं निकल सकता था. लेकिन वुहान में अब सब पहले जैसा होने लगा है. कई बाज़ार भी खुल गए हैं. वुहान की फैक्ट्रियां भी शुरू हो गई हैं. हाइवे फिर से खोल दिए गए हैं. ट्रेन फिर से चलने लगी हैं. और घरेलू उड़ानें भी शुरू कर दी गई है.
करीब 1 करोड़ 10 लाख की आबादी वाले इस शहर में लॉकडाउन खुलने के पहले ही दिन करीब 50 से 60 हजार लोग शहर से बाहर निकल गए. वुहान में ही कोरोना वायरस का पहला मामला दिसंबर में आया था. जिसके बाद सिर्फ वुहान शहर में ही 50 हजार से ज़्यादा लोग संक्रमित हुए थे और ढाई ��जार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी. लेकिन पिछले कई हफ्ते से वुहान में घरेलू संक्रमण ना के बराबर है. वुहान में पिछले 21 दिन में संक्रमण के सिर्फ 3 नए मामले सामने आए हैं. इसी वजह से 11 हफ्ते से चल रहा लॉकडाउन अब हटा लिया गया. 
तो एक तरफ चीन है, जो ऐसे दिखा रहा है कि उसे कोरोना महामारी से कोई फर्क ही नहीं पड़ा है लेकिन दूसरी तरफ पूरी दुनिया है, जो चीन की लापरवाही की कीमत चुका रही है. और बात सिर्फ जिंदगियों की नहीं है, कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है.  ये कितनी गंभीर बात है, इसको कुछ आंकड़ों के जरिये समझिये.
ब्रिटेन के एक Think Tank, The Henry Jackson Society के मुताबिक कोरोना वायरस से दुनियाभर के देशो में करीब 300 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हो चुका है. ये भारत की कुल अर्थव्यवस्था से भी करीब 100 लाख करोड़ रुपये ज्यादा है.
Organisation for Economic Co-operation and Development ने आशंका जताई है कि इस महामारी की वजह से वर्ष 2020 में दुनिया की GDP की विकास दर सिर्फ डेढ़ प्रतिशत रह सकती है जबकि कोरोना वायरस फैलने से पहले इसके करीब 3 प्रतिशत रहने का अनुमान था. यानी अब दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं आधी रफ्तार से आगे बढ़ेंगी.
संयुक्त राष्ट्र की Covid-19 And World Of Work रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी की वजह से दुनियाभर में करीब ढाई करोड़ नौकरियां खत्म हो सकती हैं. संयुक्त राष्ट्र की Trade Report में कहा गया है कि दुनिया की दो तिहाई आबादी विकासशील देशों में रहती है,  इन देशों में करीब 187 लाख करोड़ रुपए के Rescue Package की जरूरत है जबकि विश्व बैंक ने कहा है कि इस महामारी की वजह से पूर्वी एशिया और एशिया पैसाफिक में एक करोड़ 10 लाख गरीब बढ़ सकते हैं.
आरोप लग  रहे है कि ये सब चीन की लापरवाही का नतीजा है. लेकिन इसकी कीमत कौन चुकाएगा? भविष्य में जब इस महामारी से दुनिया पार पा लेगी तब दुनिया की डूबती हुई अर्थव्यवस्था को कौन पार लगाएगा ? जाहिर है सभी देशों की सरकारें, अर्थव्यस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए बाज़ार में पैसा लगाएंगी, लेकिन वो पैसा कहां से आएगा ? जाहिर है ये पैसा आपकी और हमारी जेब से ही जाएगा और ये कोरोना टैक्स कैसे धीरे धीरे करके वसूला जाएगा, आपको पता भी नहीं चलेगा. तो अब आप सोचिये, कि क्या ऐसा होना चाहिए ? क्या चीन से इस नुकसान का हिसाब नहीं मांगा जाना चाहिए ? क्या चीन से इसका जुर्माना नहीं वसूला जाना चाहिए ? दुनिया के कई देशों में ये सवाल उठने लगे हैं.
United States Senate Judiciary Committee के चेयरमैन लिंडसे ग्राहम (Lindsey Graham) ने तो कह भी दिया है कि इस महामारी की वजह से जो भी नुकसान हुआ है, पूरी दुनिया को उसके बिल चीन को भेज देने चाहिए. तो अब सवाल ये है कि अगर दुनिया के देश, चीन को हर्जाने का बिल भेजना शुरू कर दें तो हर्जाने की राशि कितनी बड़ी हो सकती है. The Henry Jackson Society ने इसका एक आंकलन तैयार किया है जिसके मुताबिक ब्रिटेन चाहे तो चीन से 449 बिलियन डॉलर्स यानी करीब 34 लाख करोड़ रुपये का क्लेम कर सकता है. अमेरिका भी चीन से हर्जाने के तौर पर 1200 बिलियन डॉलर्स यानी करीब 90 लाख करोड़ रुपये क्लेम कर सकता है जबकि कनाडा, चीन पर 59 बिलियन डॉलर्स यानी करीब साढ़े चार लाख करोड़ रुपये और ऑस्ट्रेलिया 37 बिलियन डॉलर्स यानी करीब 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का क्लेम कर सकते हैं. 
जुर्माने की ये राशि इन देशों में 5 अप्रैल तक लॉकडाउन से होने वाले आर्थिक नुकसान और राहत पैकेज की घोषणाओं पर आधारित हैं..लेकिन आपको बता दें कि अभी तक किसी भी देश ने आधिकारिक तौर पर चीन से किसी तरह का कोई मुआवज़ा वसूलने की बात नहीं कही है.  हालांकि इसकी मांग उठनी जरूर शुरू हो गई है. लेकिन बात सिर्फ आर्थिक हर्जाने की ही नहीं है, सवाल चीन को आईना दिखाने का भी है, क्योंकि वो तो अभी तक ये भी मानने के लिए तैयार नहीं है कि कोरोना वायरस, चीन से ही दुनियाभर में फैला.  
ब्रिटेन के 15 सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को पत्र लिखकर अपील की है कि इस महामारी को फैलाने के आरोपी चीन के खिलाफ मुकदमा दायर किया जाए, जिसके बाद ब्रिटेन के Think Tank, The Henry Jackson Society ने एक स्टडी की, जिसमें बताया गया कि चीन ने किस तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन के INTERNATIONAL HEALTH REGULATIONS 2005 की गाइडलाइंस का उल्लंघन किया जिसमें चीन पर जो चार बड़े आरोप गिनाए गए हैं, वो आपको भी पता होने चाहिए.
चीन पर पहला आरोप – उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन से तीन हफ्ते तक ये बात छिपाकर रखी कि कोरोना वायरस, इंसान से इंसान में फैलता है. चीन पर दूसरा आरोप – उसने 2 जनवरी से 11 जनवरी तक कोरोना संक्रमण के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने गलत आंकड़े पेश किये चीन पर तीसरा आरोप – उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन से ये बात छिपाई कि इंसानों में कोरोना वायरस, जानवरों से पहुंचा चीन पर चौथा आरोप – ये पता होने के बावजूद कि कोरोना संक्रमण, इंसानों से इंसानों में फैलता है, उसने 23 जनवरी को लॉकडाउन से पहले 50 लाख लोगों को वुहान छोड़ने की इजाजत दी. वुहान वही शहर है जहां से कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुई थी
अब इसे चीन की लापरवाही कहें या जान-बूझकर की गई गलती. लेकिन आज कोरोना वायरस ने जिस तरह पूरी दुनिया में कहर मचाया हुआ है, उसका जिम्मेदार चीन ही है. ऐसा करके चीन ने कितना बड़ा अपराध किया है, इसका अंदाजा इस बात से लगाइये कि ब्रिटेन की University of South-Ampton के मुताबिक अगर दुनिया भर में कोरोना वायरस से निपटने के लिए जरूरी ऐहतियाती कदम, तीन हफ्ते पहले उठा लिये जाते तो इसके संक्रमण को 95 प्रतिशत तक कम किया जा सकता था लेकिन ऐसा हुआ नहीं. लेकिन इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कम जिम्मेदार नहीं है जिसने कोरोना संक्रमण को महामारी घोषित करने में बहुत देरी की. इन सबूतों के आधार पर International Court Of Justice में चीन के खिलाफ एक मजबूत मुकदमा दायर किया जा सकता है लेकिन इसके लिए पूरी दुनिया को एक साथ आना होगा और बड़े देशों के लीडर्स को मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी पड़ेगी.
चीन की इस लापरवाही की कीमत भारत भी चुका रहा है. चीन के शहर वुहान से तो लॉकडाउन हटा दिय़ा गया है लेकिन भारत के 135 करोड़ लोगों के मन में यही सवाल है कि ये लॉकडाउन हटेगा या नहीं. भारत में लॉकडाउन 14 अप्रैल तक है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बड़े संकेत दिए हैं. प्रधानमंत्री की आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए सभी दलों के नेताओं से बात हुई थी, जिसके बाद कुछ नेताओं ने यही संकेत दिए कि लॉकडाउन खत्म करने के पक्ष में कोई नहीं है. इस मीटिंग के बारे में बताया गया कि प्रधानमंत्री ने बातचीत में कहा कि हर जिंदगी बचाना सरकार की प्राथमिकता है. देश में सामाजिक आपातकाल के हालात हैं. ज़्यादातर राज्य लॉकडाउन को बढ़ाने के पक्ष में हैं. विशेषज्ञ भी इसी की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन ज़रूरी है. प्रधानमंत्री मोदी 11 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों के साथ तीसरी बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करेंगे. 
कोरोना वायरस फैलने की शुरुआत आज से ठीक 100 दिन पहले चीन के वुहान शहर में हुई थी. चीन में अब स्थितियां सामान्य हो रही हैं, वहां के शहर जगमगा रहे हैं लेकिन इन 100 दिनों ने पूरी दुनिया को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया है. पहले आप ये देखिए कि कैसे ये वायरस 100 दिनों में पूरी दुनिया में फैल गया. फिर हम आपको बताएंगे कि क्यों अब आपका जीवन पहले जैसा नहीं रहेगा.
पिछले साल 31 दिसंबर को चीन के वुहान में संक्रमण का पहला मामला सामने आया था. इसके बाद अगले दिन यानी 1 जनवरी 2020 को वुहान की Sea Food Market को बंद कर दिया गया था. इसी जगह से इस वायरस के फैलने की शुरुआत हुई थी. 9 दिनों के बाद यानी 9 जनवरी को इस वायरस की पहचान हुई और पता लगा कि ये नए किस्म का वायरस है.
13वें दिन यानी 13 जनवरी को पहली बार चीन से बाहर इस संक्रमण का कोई मामला तब सामने आया. जब थाइलैंड ने इस बात की पुष्टि की कि उसके यहां वुहान से आई एक 61 वर्ष की महिला संक्रमित पाई गई है. 20 दिन बाद ये बात साबित हो गई कि ये वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल रहा है. 24वें दिन ये वायरस यूरोप पहुंच गया. इसकी वजह ये थी कि इस दौरान चीन के कई नागरिक lunar new year मनाने यूरोप के अलग-अलग देशों में पहुंच चुके थे.
इसी दिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने दाओस में कहा कि उनके देश को इस वायरस से कोई खतरा नहीं है. 31वें दिन यानी 31 जनवरी को ब्रिटेन यूरोप से अलग हुआ और उसी दिन ये बात साबित हो गई कि ये वायरस तेज़ी से लोगों को संक्रमित कर रहा है. 36वें दिन चीन से बाहर इस वायरस से पहली मौत हुई. मरने वाला व्यक्ति वुहान का ही नागरिक था और उसकी मौत फिलीपींस के एक अस्पताल में हुई थी.
50वें दिन दक्षिण कोरिया में वायरस से पीड़ित 31वां मरीज़ सामने आया. और कहा जाता है कि इसी मरीज़ ने दक्षिण कोरिया में हजारों लोगों को संक्रमित किया था. ये एक 61 वर्ष की महिला थी जिसने दो अलग अलग चर्च में प्रार्थना सभा में हिस्सा लिया था और यहीं से दक्षिण कोरिया में हालात बेकाबू होने लगे.  
56वें दिन तक पूरी दुनिया में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 80 हजार से ज्यादा हो चुकी थी. 66वें दिन तक इटली में स्थितियां खराब होने लगीं और रोज़ सैंकड़ों की संख्या में लोग मरने लगे. 71वें दिन यानी 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को एक महामारी घोषित कर दिया. 77वां दिन आते-आते, पूरी दुनिया में सामान्य जीवन अस्त व्यवस्त होने लगा. इटली में हर रोज़ औसतन साढ़े 400 लोगों की जान जाने लगी. 85 दिन बीतने के बाद पूरे भारत में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई और आज भी आप लोग इसी लॉकडाउन में हैं. 93 दिनों के बाद यानी 2 अप्रैल को पूरी दुनिया में इस महामारी से मरने वालों की संख्या 50 हजार के पार हो गई.
99 दिन पूरे होते होते दुनिया के करीब 400 करोड़ लोग लॉकडाउन में जा चुके थे और आज यानी 100वें दिन भी इस लॉकडाउन के हटने की कोई उम्मीद नहीं है. जबकि 100 दिन पूरे होते ही चीन ने पूरी दुनिया में ये वायरस फैलाने वाले शहर वुहान से लॉकडाउन हटा दिया है.
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