छोटे-मोटे अपराधों के लिए जेलों में बंद लोगों के लिए कुछ करें: राष्ट्रपति
छोटे-मोटे अपराधों के लिए जेलों में बंद लोगों के लिए कुछ करें: राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने कहा कि दूसरों की जान लेने वाले कई लोग आजाद घूम रहे हैं, लेकिन जिन पर छोटे-मोटे अपराधों का आरोप है, वे अभी भी जेलों में बंद हैं।
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1700 पुलिसकर्मियों ने मारा छापा : 17 जेलों में रातभर ताबड़तोड़ छापेमारी,कई मोबाइल फोन जब्त, गृह मंत्री ने की लाइव मॉनिटरिंग
1700 पुलिसकर्मियों ने मारा छापा: Gujarat Jail Raid: साबरमती समेत गुजरात की 17 जेलों में शुक्रवार-शनिवार (24-25 मार्च) की दरमियानी रात ताबड़तोड़ छापेमारी चली. जेलों से कई मोबाइल फोन बरामद किए गए. गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कंट्रोल रूम से छापेमारी की लाइव निगरानी की. साबरमती जेल में ही अतीक अहमद भी बंद है. रेड करने के पीछे का मकसद गैर-कानूनी काम को प्रकाश में लाना है. साथ ही, इसका पता लगाना है कि…
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किसी राष्ट्र के नेता उसके भाग्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत के संदर्भ में, डॉ. बी.आर. अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल जैसे नेताओं ने भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालाँकि, इन नेताओं के कार्यों और निर्णयों का आलोचनात्मक विश्लेषण करना आवश्यक है, विशेष रूप से भारत के स्वदेशी समुदायों के साथ व्यवहार के संबंध में।भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान, यह सच है कि भारत के मूल निवासियों को अक्सर हाशिए पर रखा गया था और उनकी बस्तियों को कभी-कभी जेलों में बदल दिया गया था। सरकार ने उनकी भूमि और संसाधनों का भी दोहन किया, जिससे इन समुदायों में विश्वासघात और अन्याय की भावना पैदा हुई। कुछ लोग तो डॉ. अंबेडकर, नेहरू और पटेल जैसे नेताओं को हाशिए पर पड़े समुदायों, विशेष रूप से बंजारा और आदिवासी जनजातियों के शोषण में उनकी कथित संलिप्तता के लिए अपराधी तक कह चुके हैं।शासन और राष्ट्र निर्माण के व्यापक संदर्भ में इन नेताओं की भूमिकाओं की जाँच करना महत्वपूर्ण है। हालाँकि उन्होंने स्वतंत्र भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया में किए गए किसी भी गलत काम या अन्याय को स्वीकार करना भी महत्वपूर्ण है। इन नेताओं के कार्यों और नीतियों का अध्ययन करके, हम सत्ता की गतिशीलता की जटिलताओं और हाशिए पर पड़े समुदायों पर शासन के प्रभाव की गहरी समझ हासिल कर सकते हैं।इस परीक्षा के माध्यम से, हम एक अधिक न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज की ओर प्रयास कर सकते हैं, जहाँ सभी नागरिकों, विशेष रूप से ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों और सम्मान को बरकरार रखा जाता है। केवल अपने नेताओं के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करके ही हम एक अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज की ओर बढ़ सकते हैं जहाँ सत्य और न्याय की जीत होती है।
The leaders of a nation play a crucial role in shaping its destiny. In the context of India, leaders like Dr. B.R. Ambedkar, Jawaharlal Nehru, and Sardar Patel were instrumental in the framing of the Indian Constitution. However, it is essential to critically analyze the actions and decisions of these leaders, especially in relation to the treatment of the indigenous communities of India.During…
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Mera Aajeevan Karavas || Vinayak Damodar Savarkar || Prabhat Prakashan
Book Link : https://www.amazon.in/dp/9386300109
भारतीय क्रांतिकारी इतिहास में स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर का व्यक्तित्व अप्रतिम गुणों का द्योतक है। ‘सावरकर’ शब्द ही अपने आपमें पराक्रम, शौर्य और उत्कट देशभक्ति का पर्याय है। अपनी आत्मकथा मेरा आजीवन कारावास में उन्होंने जेल-जीवन की भीषण यातनाओं—ब्रिटिश सरकार द्वारा दो-दो आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद अपनी मानसिक स्थिति, भारत की विभिन्न जेलों में भोगी गई यातनाओं और अपमान, फिर अंडमान भेजे जाने पर जहाज पर कैदियों की यातनामय नारकीय स्थिति, कालापानी पहुँचने पर सेलुलर जेल की विषम स्थ��तियों, वहाँ के जेलर बारी का क्रूरतम व्यवहार, छोटी-छोटी गलतियों पर दी जानेवाली अन शारीरिक यातनाएँ, यथा—कोड़े लगाना, बेंत से पिटाई करना, दंडी-बेड़ी लगाकर उलटा लटका देना आदि का वर्णन मन को उद्वेलित कर देनेवाला है। विषम परिस्थितियों में भी कैदियों में देशभक्ति और एकता की भावना कैसे भरी, अनपढ़ कैदियों को पढ़ाने का अभियान कैसे चलाया, किस प्रकार दूसरे रचनात्मक कार्यों को जारी रखा तथा अपनी दृढ़ता और दूरदर्शिता से जेल के वातावरण को कैसे बदल डाला, कैसे उन्होंने अपनी खुफिया गतिविधियाँ चलाईं आदि का सच्चा इतिहासवर्णित है। इसके अतिरिक्त ऐसे अनेक प्रसंग, जिनको पढ़कर पाठक उत्तेजित और रोमांचित हुए बिना न रहेंगे। विपरीत-से-विपरीत परिस्थिति में भी कुछअच्छा करने की प्रेरणा प्राप्त करते हुए आप उनके प्रति श्रद्धानत हुए बिना न रहेंगे।.
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वियतनामी गुरिल्ला लड़ाके सैनिकों का गला काट देते, 60 हजार मारे तब अमेरिका ने छोड़ा मैदान, अब बच्ची की मौत पर अमेरिकी छात्रों का आंदोलन
वॉशिंगटन: 6 साल की प्यारी सी फिलिस्तीनी बच्ची हिंद रजब का नाम अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक हॉल पर लिखा हुआ है। यूनिवर्सिटी के ऐतिहासिक हैमिल्टन हॉल का नाम अब हिंद हॉल कर दिया गया है। ये वही यूनिवर्सिटी है, जहां कभी एंटी वियतनाम वॉर मूवमेंट चला था। गाजा पर इजरायली हमले के खिलाफ अमेरिका की कई यूनिवर्सिटी में इन दिनों छात्र सड़कों पर हैं। इस साल जनवरी के आखिर की बात है, जब मासूम बच्ची हिंद रजब जान बचाने के लिए अपने चाचा-चाची के साथ गाजा शहर में कहीं जा रही थी। तभी इजरायली टैंकों ने बमबारी की और उनकी कार के परखच्चे उड़ गए। हमले में हिंद रजब का परिवार मारा गया और वो किसी तरह बच गई। कई दिनों तक वो अपने मारे गए चाचा-चाची के शवों के बीच छिपी रही। उसके पास एक फोन था, जिससे वो मदद के लिए रो-रोकर गुहार लगाती रही। अपील करती रही, मगर कोई नहीं आया। कुछ दिन बाद उसकी लाश सड़ी-गली हालत में मिली। आज उसी रजब के लिए अमेरिका उठ खड़ा हुआ है।इजरायली हमले में अब तक 14 हजार से ज्यादा बच्चे मारे गए7 अक्टूबर को हमास के इजरायल पर हुए हमले के बाद से इजरायल ने पलटवार किया। इजरायल की बमबारी में अब तक 34 हजार से मज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। 14 हजार से ज्यादा बच्चे मारे जा चुके हैं। वहीं, 20 हजार बच्चे अनाथ हो गए।जब एक राष्ट्रपति की सनक ने अमेरिकी फौजियों को जंग में झोंक दिया हिंद रजब की मौत का कनेक्शन आज से करीब 60 साल पहले अमेरिका-वियतनाम युद्ध से जुड़ा हुआ है। जब अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन की सनक ने अमेरिकी फौजों को बेवजह वियतनाम के साथ जंग में झोंक दिया। अमेरिका की नेशनल आर्काइव्स के आंकड़ों के अनुसार, करीब 8 साल तक चले इस युद्ध में 58 हजार से ज्यादा अमेरिकी फौजी मारे गए। जॉनसन के बाद जब अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन सत्ता में आए तो उन्होंने अमेरिका की नाक बचाने के लिए वियतनाम के खिलाफ हमले और तेज कर दिए। उनको लगा कि अमेरिका को एक पिद्दी सा देश कैसे मात दे सकता है। हालांकि, वह भी पिछले अमेरिकी राष्ट्रपतियों की तरह ही वियतनाम को आंकने में चूक गए। पूरी दुनिया में अमेरिका की थू-थू होने लगी। अमेरिका को अपने गलत फैसलों का बचाव करना भारी पड़ रहा था। यहां तक कि खुद अमेरिका में ही छात्रों ने बड़े पैमाने पर वियतनाम एंटी वॉर आंदोलन चलाया। हजारों छात्र जेलों में ठूंस दिए गए। सड़कों पर आर्मी की परेड होने लगी। बाद में सत्ता पर काबिज हुए अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने वियतनाम युद्ध से फौजियों को बुलाना शुरू कर दिया।जब रिपब्लिकन प्रत्याशी के बड़बोलेपन ने जॉनसन को दिलाई जीत1964 की बात है, जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हो रहा था। उस वक्त चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार बैरी गोल्डवॉटर का पलड़ा भारी चल रहा था। गोल्डवॉटर का मशहूर नारा था कि आप अपने दिल से पूछें कि वह सही हैं। वहीं जॉनसन खुद को संतुलित रूप में जनता के सामने जा रहे थे। एक दिन अचानक एक रिपोर्टर को दिए इंटरव्यू ने गोल्डवॉटर की लोकप्रियता को जमीन पर ला पटका। उस इंटरव्यू में जॉनसन ने कहा था कि अगर मैं कर सका तो वियतनाम में चीनी सप्लाई लाइनों पर कम क्षमता वाला परमाणु बम गिरा दूंगा। इस बात को जॉनसन ने चुनाव प्रचार के दौरान खूब भुनाया और अमेरिकियों से कहा कि गोल्डवॉटर एक लापरवाह व्यक्ति हैं, जो देश को परमाणु युद्ध की ओर ले जा सकते हैं। यहीं से बाजी पलट गई और चुनाव में जॉनसन ने गोल्डवॉटर को आसानी से हरा दिया। उन्हें 61 फीसदी से ज्यादा पॉपुलर वोट मिले जो, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए अब तक सबसे ज्यादा था। ये वही जॉनसन हैं, जिन्होंने वियतनाम में फ्रांस के उपनिवेश की रक्षा करने के लिए समर्थन किया था और वहां सेना भेजने की गलती की थी।जॉनसन ने जनता को युद्ध के बारे में किया गुमराहअगस्त 1964 की शुरुआत में जब उत्तरी वियतनामी बंदूकधारियों ने कथित तौर पर बिना किसी उकसावे के उत्तरी वियतनाम के तट के पास टोंकिन की खाड़ी में अमेरिकी जंगी जहाजों पर हमला किया तो जॉनसन ने उत्तरी वियतनामी नौसैनिक प्रतिष्ठानों पर जवाबी बमबारी का आदेश दिया। हालांकि, खाड़ी में किसने पहले हमला किया और कब किया, इस बारे में जॉनसन ने कभी जनता को नहीं बताया। बाद में वियतनाम में अमेरिकी फौजों में इजाफा न करने के अपने वादे के बाद भी फरवरी 1965 में जॉनसन ने ऑपरेशन रोलिंग थंडर चलाया, जिसमें वियतनामी गुरिल्लाओं पर जमकर बमबारी की गई। जुलाई में 50 हजार अतिरिक्त सैनिक भेजे गए और 1968 में वियतनाम युद्ध के लिए अमेरिकी सैनिकों की तैनाती की संख्या 5,50,000 तक पहुंच गई।वियतनाम युद्ध का नतीजा पूरे अमेरिका में छात्रों का आंदोलनवियतनाम युद्ध का कोई अंत नजर नहीं आ रहा था। 1967 के अंत तक हर हफ्ते करीब 500 अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने की खबरें आ रही थीं। वियतनाम के गुरिल्ला लड़ाके अमेरिकी फौजियों पर अचानक हमला करते और उनके गले काट… http://dlvr.it/T6JVHk
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SaintRampalJiQuotes
#Kabir_Is_SupremeGod
कबीर, मानव संसारी लगन में दुःख सह करोड़ा।
सतगुरु शरण में आय के, जो दुःख सहे सो थोड़ा ।।
मानव (स्त्री-पुरूष) अपने संसारिक कार्यों में अनेकों कष्ट सहन करते हैं। मुकदमें भी होते हैं। जेलों में भी जाते हैं। यात्रा में भी गर्मी सर्दी
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SA News #EPAPER में पढ़ें:
◆ विश्व का सबसे बड��ा भंडारा, दिव्य संयोगः एक साथ मनाया जा रहा है 10 सतलोक आश्रमों में संत रामपाल जी महाराज का बोध दिवस व कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस
◆ सोजत आश्रम की दिव्य 3D प्रदर्शनी में पुनः जीवंत हुआ कबीरपंथी इतिहास
◆ सतलोक आश्रम खमाणों, पंजाब में आध्यात्मिक प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र
◆ ओडिशा की जेलों में बंद कैदियों को मिली जीने की नई राह, अब आध्यात्मिक ज्ञान से होगा कैदियों का पुनरुत्थान..
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SA News #EPAPER में पढ़ें:
◆ विश्व का सबसे बड़ा भंडारा, दिव्य संयोगः एक साथ मनाया जा रहा है 10 सतलोक आश्रमों में संत रामपाल जी महाराज का बोध दिवस व कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस
◆ सोजत आश्रम की दिव्य 3D प्रदर्शनी में पुनः जीवंत हुआ कबीरपंथी इतिहास
◆ सतलोक आश्रम खमाणों, पंजाब में आध्यात्मिक प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र
◆ ओडिशा की जेलों में बंद कैदियों को मिली जीने की नई राह, अब आध्यात्मिक ज्ञान से होगा कैदियों का पुनरुत्थान
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कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जेलों में अंदर पुरुष कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगा दिया
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जेलों में अंदर पुरुष कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगा दिया
Contact the US- (91) 7428747474, + (91) 9800009801
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इंटर-ऑपरेबल आपराधिक न्याय प्रणाली में यूपी लगातार तीसरे साल देश में पहले स्थान पर रहा
- इंटर-ऑपरेबल आपराधिक न्याय प्रणाली में यूपी लगातार तीसरे साल देश में पहले स्थान पर रहा।
- इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) प्लेटफॉर्म पर उच्चतम प्रवेश दर दर्ज करने में उत्तर प्रदेश लगातार तीसरे वर्ष पहले स्थान पर रहा है।
- अभियोजन निदेशालय उत्तर प्रदेश ने अब तक आईसीजेएस प्लेटफॉर्म पर 1,56,22,514 प्रविष्टियां दर्ज की हैं।
- 35,04,828 प्रविष्टियों के साथ मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर और 16,65,107 प्रविष्टियों के साथ बिहार तीसरे स्थान पर है।
- आईसीजेएस प्लेटफॉर्म की संकल्पना सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी द्वारा की गई है और गृह मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया गया है।
- विशेष रूप से, आईसीजेएस प्लेटफॉर्म देश भर में आपराधिक न्याय प्रणाली के विभिन्न स्तंभों के बीच डेटा और सूचना के निर्बाध हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करता है।
- इनमें एकल खिड़की प्रणाली के माध्यम से अदालतों, पु��िस, जेलों और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के बीच अपराधों और अपराधियों से संबंधित डेटा का आदान-प्रदान किया जाता है।
- आईसीजेएस के जरिए संदिग्धों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से लेकर दोषियों को जेल भेजने तक एफआईआर, केस नंबर, जेल आईडी और हर चीज का रिकॉर्ड रखा जाता है।
- इसके अतिरिक्त, अदालती मामलों, परीक्षणों, निर्णयों, अभियोजन और फोरेंसिक जानकारी का विवरण एक ही मंच के माध्यम से अदालतों, पुलिस, जेलों और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं तक पहुँचा जा सकता है।
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jharkhand jail transfer posting - झारखंड के जेलों में किया गया बड़ा बदलाव, 6 जेलरों का तबादला, घाघीडीह सेंट्रल जेल के जेलर भी बदले गये
रांचीः बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा रांची के जेलर नसीम खान का तबादला कर दिया गया है. उनको केंद्रीय कारा मेदिनीनगर पलामू का जेलर बनाया गया है. उनकी जगह पर प्रमोद कुमार को होटवार जेल का जेलर बनाया गया. इससे पहले प्रमोद कुमार केंद्रीय कारा गिरिडीह के जेलर थे.राज्य के छह जेलर का ट्रांसफर हुआ है. आइजी जेल उमाशंकर सिंह ने इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है.मोहम्मद नसीम खान को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा…
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पठानकोट के मास्टर माइंड शाहिद लतीफ की हत्या, भारत के जेलों में रह चुका है 16 साल... - प्रभात खबर - Prabhat Khabar
http://dlvr.it/SxHJVf
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