शिमला के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से ऐसे पाँच स्थानों की सूची, जहाँ आपको अप्रैल महीने में भी बर्फ़ का आनंद मिलेगा।
Shimla Tourist Places(शिमला टूरिस्ट प्लेसेस): हिमाचल प्रदेश की राजधानी, शिमला व्यापक हिमालयी पहाड़ियों के बीच स्थित होने के कारण टूरिस्टों का एक पसंदीदा पर्यटन स्थल रहा है। यहां के मौसम में एक ताज़गी और ठंडी लहार है जो घूमने आये पर्यटकों को बहुत भाती है। यहाँ का रिज मैदान साल के दिसंबर, जनवरी और फ़रवरी महीनों में बहुत भीड़ से लबालब भरा रहता है।
लेकिन क्या आप जानते है कि शिमला के नज़दीक ही कुछ जगहें भी है जहा अप्रैल महीने में भी बर्फबारी होती है। जी हाँ आज हम आपको यहां के ऐसे 5 प्रमुख पर्यटन स्थल बताएंगे जो अप्रैल में भी बर्फ से ढके रहते हैं। तो आइये उन जगहों के बारे में विस्तार से जाने। Read more…
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Maharashtra incident-लोनावला में नदी के बीच पिकनिक मना रही थी फैमिली, अचानक बढ़ा पानी और बह गए 10 लोग, 5 की मौत
पुणे: पुणे स्थित लोनावला इलाके में रविवार को एक बड़ी घटना घटी. घटना का एक दिल दहला देने वाला वीडियो भी वायरल हो रहा है.जिसमें पानी के तेज बहाव में लोग बह गए. पुलिस के अनुसार, सैय्यद नगर के एक परिवार के 16-17 सदस्य पुणे के हडपसर इलाके में बारिश के बीच पिकनिक मनाने के लिए लोनावला के पास एक टूरिस्ट प्लेस पर जाने के लिए एक निजी बस किराए पर ली थी. लोनावला पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर सुहास जगताप ने…
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एकेएस के बी फार्मेसी विद्यार्थियों ने किया पिकनिक एंजॉय
हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों, चंडीगढ़ टूरिस्ट प्लेस के साथ दिल्ली के पुरातात्विक धरोहरों का किया भ्रमण
सतना ।16 अप्रैल। मंगलवार। एकेएस विश्वविद्यालय सतना के फार्मेसी विभाग के डायरेक्टर डॉ. सूर्य प्रकाश गुप्ता के मार्गदर्शन में बी.फार्मेसी सेकंड,थर्ड और फाइनल सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने शिमला हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और दिल्ली का भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान स्टूडेंट्स ने श्यामला देवी, समर…
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Kolkata Victoria Memorial: कोलकाता का 'विक्टोरिया मेमोरियल' बन चुका है फेमस टूरिस्ट प्लेस, जानिए इस ऐतिहासिक इमारत का इतिहास
पश्चिम बंगाल का फिलर विक्टोरियन युग के शानदार आधुनिक चमचमाते संगमरमर की दुनिया में बहुत वापस आ गया है जो कोलकाता की विशेषता बन गया है। मुगल स्मारक विक्टोरियन युग का सार दिखा रहा है। विक्टोरिया स्मारक एक विशाल सफेद संगमरमर का स्मारक है जो वास्तव में पश्चिम बंगाल युग के सिटी ऑफ़ हैप्पीनेस, कोलकाता (पूर्व में कलकत्ता) से आता है, जो पश्चिम बंगाल के आधुनिक मुसेज़ु पर्यटकों के आकर्षण को अलग करने वाले स्मारकों में से एक है। महारानी विक्टोरिया की याद में बनवाया गया।
विक्टोरिया मेमोरियल का निर्माण कब हुआ था
कोलकाता मेमोरियल 1901 में महारानी विक्टोरिया की याद में बनाया गया था। विक्टोरिया मेमोरियल सफेद संगमरमर से बना है। विक्टोरिया मेमोरियल का मुख्य आकर्षण 16 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा है जो स्मारक के ऊपर विराजमान है।
स्मारक को 1921 में एक संग्रहालय के रूप में जनता के लिए खोला गया था
यह तस्वीर 1921 में ली गई थी, उसी साल उनमें से एक की तस्वीर भी ली गई थी। 64 अकड़ में फीले इस मुजेश में काला, हफाई इस गोला-बरुद, महारानी विक्टॿक्तॿतत र कर साल का आखिरी दिन। 25 साल पहले संग्रहीत। मैं अपने दोस्त के साथ अपनी कहानी साझा करने जा रहा हूं। ये कहानी उसी वीडियो की है।
विक्टोरिया मेमोरियल का निर्माण ताजमहल से था प्रेरित
विक्टोरिया मेमोरियल का निर्माण सफेद मोरक्कन मार्बल से किया गया है। यह ताजमहल से प्रेरित था। मार्टिन एड ने विक्टोरिया मेमोरियल के सफेद संगमरमर के लिए मकराना, राजस्थान में एक समर्पित खदान की स्थापना की। विक्टोरिया मेमोरियल का गुंबद और अन्य वास्तुशिल्प डिजाइन एक ताज जैसा दिखता है। ये स्मारक ब्रिटिश और मुगल वास्तुकला का एक आदर्श संयोजन हैं।
विक्टोरिया मेमोरियल से जुड़ा इंटरेस्टिंग फैक्ट
ऐसा कहा जाता है कि जिस स्थान पर आज विक्टोरिया स्मारक स्थित है, स्मारक बनने से पहले राष्ट्रपति कारागार था। और इसलिए यह बच गया। लेकिन फिर विक्टोरिया मेमोरियल को बदल दिया गया।
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नैनीताल तो बहुत सुना होगा आपने लेकिन क्या आप जानते हैं नैनीताल का इतिहास।
नैनीताल राज्य का ही नहीं बल्कि देश और दुनिया का पसंदीदा टूरिस्ट प्लेस है। यहां का मौसम गर्मियों में सैलानियों को सबसे ज्यादा भाता है। नैनीताल की खूबसूरती और ठंडी आबोहवा की वजह से सैलानी यहां खींचे चले आते हैं। यह हनीमून के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन प्लेस है। एक दौर में नैनीताल के आसपास 60 से अधिक झीलें थी। इसीलिए इसको 'षष्टिखात' प्रदेश या छखाता कहा जाता था। लेकिन अब कुछ झीलें अपना अस्तित्व खो चुकी हैं।
नैनीताल का इतिहास
नैनीताल
नैनीताल का इतिहास बहुत ही रोचक रहा है। कहा जाता है कि साल 1841 में अंग्रेज व्यापारी पीटर बैरन ने नैनीताल को खोजा था। हालांकि इससे पहले वर्ष 1823 में तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नर विलियम ट्रेल यहां आए थे। लेकिन ट्रेल ने इसकी जानकारी किसी को नहीं दी ताकि इसकी खूबसूरती को ग्रहण ना लगे। लेकिन 1841 में पीटर बैरन ने इस खूबसूरत शहर को दुनिया के सामने रखा। तब से इस शहर की खोज का श्रेय पीटर बैरन को दिया जाता है। कहते हैं जब पीटर बैरन यहां पहुंचे तो उस समय नैनीताल का पूरा स्वामित्व नरसिंह थोकदार के पास था। पीटर बैरन ने नरसिंह थोकदार को झील के बीचो-बीच ले जाकर डराया धमकाया और इस शहर को अपने नाम कर लिया। वर्ष 1842 के बाद अंग्रेजों ने न सिर्फ नैनीताल को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया बल्कि इसे छोटे विलायत का दर्जा भी दिया।
नैनीताल में भूकंप व भूस्खलन
नैनीताल
नैनीताल में लोगों की बसावट के कुछ सालों बाद ही वर्ष 1867 में भूकंप आया था लेकिन इसमें कोई हताहत नहीं हुआ। इसके बाद साल 1880 में यहां पर भूस्खलन हुआ जिसमें 151 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। यह भूस्खलन इतना खतरनाक था कि नैनीताल का एक बड़ा हिस्सा झील में समा गया। हालांकि, इसके बाद अंग्रेजों ने इस शहर को सुरक्षित रखने के लिये 64 छोटे-बड़े नालों का निर्माण करवाया। लेकिन वक्त के साथ ये पूरा शहर कंक्रीट के जंगल में बदल गया। अब अतिक्रमण से इस शहर के अस्तित्व पर फिर खतरा मंडरा रहा है। इतिहासकार अजय रावत बताते हैं कि इस शहर को बचाने के लिये इन नालों का महत्वपूर्ण योगदान है जिनको नैनीताल की धमनियां कहा जाता है।
नैनीताल का धार्मिक महत्व
नैना देवी मंदिर- नैनीताल
ऐसा नहीं है कि पीटर बैरन की खोज से पहले नैनीताल का अस्तित्व ही नहीं था। साल 1841 में ये शहर जरुर दुनियां के नजरों में आया लेकिन इससे पहले इस स्थान को पवित्र भूमि माना जाता था। इसका उल्लेख स्कंद पुराण के मानस खंड़ में मिल��ा है। मानस खंड में इस स्थान को त्रि-ऋषि सरोवर कहा गया है। कहा जाता है कि इस स्थान पर तीन ऋषि- अत्रि, पुलत्स्य और पुलह ने तपस्या की थी। कहा जाता है कि यहां पर पानी का अभाव था तो तीनों ऋषियों ने अपने-अपने त्रिशूलों से मानसरोवर का स्मरण कर धरती को खोदा। उनके इस प्रयास से तीन स्थानों पर जल धरती से फूट पडा और यहाँ पर ताल का निर्माण हो गया। इसलिए कुछ विद्वान इस ताल को ‘त्रि-ऋषि सरोवर’ के नाम से पुकारा जाना श्रेयस्कर समझते हैं। नैनीताल झील के किनारे बसी नयना मां का मंदिर भी लोगों की आस्था का प्रमुख केन्द्र है। 64 शक्तिपीठों में शामिल इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान शिव अपनी पत्नी सती का अधजला शव लेकर आकाश मार्ग से जा रहे थे तो इस दौरान मां सती की आंख यहां गिरी थी। तभी यहां नयना देवी की स्थापना की गयी और शहर का नाम भी नैनीताल रखा गया।
नैनीताल में सैर-सपाटे की जगहें
नैनीताल
नैनीताल में सैर सपाटे के लिये बहुत सारे स्थान हैं। माल रोड सैलानियों के घूमने के लिए अच्छी जगह है। वहीं, बस स्टैण्ड, तिब्बति बाजार और बड़ा बाजार में भी पर्यटकों की बहुत आवाजाही रहती है। इसके साथ ही नैनीताल में हिमालय दर्शन करने के अलावा आप पंगूट, किलबरी, खुर्पाताल, भीमताल, सडियाताल झरना, स्नोव्यूह, हनुमानगढ़ी और राजभवन में भी आसानी से घूम सकते हैं। नैनीताल से अगर बाहर जाना है तो श्यामखेत टी गार्ड़न, कार्बेट नेशनल पार्क, रामगढ़, मुक्तेश्वर, घोड़ाखाल गोल्ज्यू मंदिर, कैंची धाम मन्दिर और काकडीघाट जैसे पर्यटन स्थल हैं।
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भाजपा जैन समाज की आस्था से कर रही खिलवाड़ - इंडियन पीपुल्स पार्टी
भाजपा जैन समाज की आस्था से कर रही खिलवाड़ – इंडियन पीपुल्स पार्टी
झारखंड के जैन तीर्थ सम्मेद शिखरजी को टूरिस्ट प्लेस बनाए जाने का विरोध कर रहे जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने जयपुर में प्राण त्याग दिए। 72 साल के सुज्ञेयसागर झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ पिछले 10 दिन से आमरण अनशन पर थे। झारखंड सरकार ने गिरिडीह जिले के पारसनाथ पहाड़ी को टूरिस्ट प्लेस घोषित किया है। इसके खिलाफ देशभर में जैन समाज के लोगों का प्रदर्शन जारी है।
पं. पुरूषोत्तम तिवारी राष्ट्रीय अध्यक्ष…
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ऐतिहासिक पब्लिक पार्क में लिलिपौंड का व्यावसायिक उपयोग कर टूरिस्ट प्लेस बनाने का विरोध, कोर्ट में पहुंचा मामला
ऐतिहासिक पब्लिक पार्क में लिलिपौंड का व्यावसायिक उपयोग कर टूरिस्ट प्लेस बनाने का विरोध, कोर्ट में पहुंचा मामला
ऐतिहासिक पब्लिक पार्क में लिलिपौंड का व्यावसायिक उपयोग कर टूरिस्ट प्लेस बनाने का विरोध, कोर्ट में पहुंचा मामला यूआईटी व फर्म के खिलाफ मामला कोर्ट पहुंचाबीकानेर । लिलिपौंड को टूरिस्टप्लेस बना��े के लिए किराये पर देकरव्यावसायिक उपयोग करने का मामलाकोर्ट पहुंच गया है। स्थानीय लोगों नेआरोप लगाया है कि ऐतिहासिक पब्लिक पार्क स्थित लिलिपौंड के मूल स्वरूप सेछेड़छाड़ और निर्माण कर स्वरूप बिगाड़ाजा रहा है।…
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जानिए उमेद भवन प्लेस जोधपुर की यात्रा और इतिहास
उम्मेद भवन जो दूर से देखने पर जोधपुर शहर नीले रंग की लहर की तरह दिखाई देता है जो शहर की सभी घरों के बाहर रंग देता है सही मायने में ब्लू सिटी के रूप में जाने जाने वाला जोधपुर विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने वाला गतअव्य है। यात्रा करने के लिए अद्भुत स्थानों की एक अंतहीन सूची के साथ जोधपुर की स्थापना 1559 में हुई थी पुराने शहर में प्राचीन वाली महलों की अपनी गूंज को बनाए रखना है जो एक विस्तृत खुली सड़क और जोधपुर की आधुनिक केंद्र से जुड़ा हुआ है अगर आप कभी जोधपुर घूमने जाते हैं तो आप हमारे इस शानदार टूरिस्ट प्लेस पर जरूर जाएं जो आपको विदेशी पर्यटकों और वहां के रहने वाले लोगों और जोधपुर के इस किले के इतिहास के बारे में काफी जानकारी और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
https://tourhindiguide.blogspot.com/2022/09/blog-post_8.html
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BIG INCIDENT- गंगटोक में बड़ा हादसा, भारी हिमस्खलन, सात सैलानियों की मौत, 150 फंसे
सिक्किम: सिक्किम के टूरिस्ट प्लेस गंगटोक में मंगलवार को एक बड़ा हासदा हुआ, जिसमें सात सैलानियों की मौत हो गयी है. जबकि 150 लोगों के फंसे होने की खबर है. जानकारी के अनुसार मरने वालों में चार पुरुष, महिला व बच्चा शामिल है. उक्त घटना दोपहर करीबन 12.30 बजे गंगटोक को नाथुला दर्रे से जोड़ने वाले जवाहरलाल नेहरु मार्ग पर हुई है.(नीचे भी पढ़े)
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जहां पर हादसा हुआ, वहां जाने के…
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Religious Destinations: धार्मिक स्थलों पर घूमने का है प्लान, तो ये हो सकती हैं 4 बेहतरीन डेस्टिनेशन
Religious Destinations: धार्मिक स्थलों पर घूमने का है प्लान, तो ये हो सकती हैं 4 बेहतरीन डेस्टिनेशन
Top Religious Destinations in India: भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है. यहां के हर राज्य में कई ऐतिहासिक मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल हैं, जो इसे पूरी दुनिया से खास बनाते हैं. हमारा देश विश्व के अध्यात्म का केंद्र भी माना जाता है. गर्मियों के सीजन में बड़ी संख्या में लोग टूर पर जाते हैं. अगर आप इन दिनों धार्मिक स्थलों को घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको कुछ ऐसी जगहों के बारे में जान लेना चाहिए,…
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*नवम्बर में कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो भारत के ये 12 शहर देंगे पैसा वसूल Trip का भरपूर मज़ा-
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यहाँ का अनुकूल वातावरण, सुरम्य प्राकृतिक दृश्य, रंगीन संस्कृति, साहसिक खेल, दर्शनीय स्थल सहित अलग-अलग प्रकार के मेले त्योहार और समारोह इस प्रदेश को पर्यटकों के लिए और ख़ास बना देती है।
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