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studycarewithgsbrar · 2 years
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यूपी: बरेली के शिक्षक 800 से अधिक विकलांग बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने में मदद करते हैं - टाइम्स ऑफ इंडिया
यूपी: बरेली के शिक्षक 800 से अधिक विकलांग बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने में मदद करते हैं – टाइम्स ऑफ इंडिया
बरेली: आज जीवन के सभी क्षेत्रों में विशेष विकलांग लोगों की मदद के लिए कई कदम और पहल की जा रही है. ऐसा ही एक उदाहरण बरेली के दभौरा गांव में देखने को मिला जहां एक शिक्षक ने 800 से अधिक विकलांग बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाने में मदद की। नाम के एक शिक्षक दीपमाला पांडे से गंगापुर प्राइमरी स्कूल विशेष रूप से विकलांग बच्चों के लिए एक अनूठी पहल की है। इसके तहत वह हर शिक्षक से कम से कम एक ऐसे बच्चे का…
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नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के आरोप में दंपत्ति गिरफ्तार
नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के आरोप में दंपत्ति गिरफ्तार
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। तमिलनाडु की अपराध शाखा ने शुक्रवार को कुड्डालोर में एक दंपति को नौकरी दिलाने के नाम पर 40 लाख रुपये ठगने के आरोप में गिरफ्तार किया। गिरफ्तार सुधाकर और उनकी पत्नी सागया विन्नारसी को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस ने कहा कि शिकायतकर्ता जे. जयमाधव सारथी ने वृद्धाचलम के एक दोस्त के जरिए दंपति से मुलाकात की थी। पुलिस के…
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jayshriram2947 · 1 year
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श्रीराम वाल्मीकि संबाद का कुछ अंश
छन्द :
श्रुति सेतु पालक राम तुम्ह जगदीस माया जानकी जो सृजति जगु पालति हरति रुख पाइ कृपानिधान की
जो सहससीसु अहीसु महिधरु लखनु सचराचर धनी सुर काज धरि नरराज तनु चले दलन खल निसिचर अनी
हे राम आप वेद की मर्यादा के रक्षक जगदीश्वर हैं और जानकीजी (आपकी स्वरूप भूता) माया हैं, जो कृपा के भंडार आपका रुख पाकर जगत का सृजन, पालन और संहार करती हैं जो हजार मस्तक वाले सर्पों के स्वामी और पृथ्वी को अपने सिर पर धारण करने वाले हैं, वही चराचर के स्वामी शेषजी लक्ष्मण हैं देवताओं के कार्य के लिए आप राजा का शरीर धारण करके दुष्ट राक्षसों की सेना का नाश करने के लिए चले हैं
सोरठा :
राम सरूप तुम्हार बचन अगोचर बुद्धिपर अबिगत अकथ अपार नेति नेति नित निगम कह
महर्षी श्री वाल्मीकि जी कहरहे हैं
हे राम आपका स्वरूप वाणी के अगोचर, बुद्धि से परे, अव्यक्त, अकथनीय और अपार है वेद निरंतर उसका नेति-नेति कहकर वर्णन करते हैं
चौपाई :
जगु पेखन तुम्ह देखनिहारे बिधि हरि संभु नचावनिहारे
तेउ न जानहिं मरमु तुम्हारा औरु तुम्हहि को जाननिहारा
हे राम जगत दृश्य है, आप उसके देखने वाले हैं आप ब्रह्मा विष्णु और शंकर को भी नचाने वाले हैं जब वे भी आपके मर्म को नहीं जानते, तब और कौन आपको जानने वाला है?
सोइ जानइ जेहि देहु जनाई जानत तुम्हहि तुम्हइ होइ जाई
तुम्हरिहि कृपाँ तुम्हहि रघुनंदन जानहिं भगत भगत उर चंदन
वही आपको जानता है, जिसे आप जना देते हैं और जानते ही वह आपका ही स्वरूप बन जाता है हे रघुनंदन हे भक्तों के हृदय को शीतल करने वाले चंदन आपकी ही कृपा से भक्त आपको जान पाते हैं
जय श्री सीताराम🏹ᕫ🚩🙏#श्रीरामचरितमानस
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vvldevotional · 1 year
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जय श्री राम 🙏🌺
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर । वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥
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aartividhi · 21 days
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कालो की काल महाकाली लिरिक्स | Kaalo ki Kal Mahakali Lyrics
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कालो की काल महाकाली लिरिक्स
कालो की काल महाकाली भवानी माई कलकत्ता वाली कलकत्ता वाली भवानी माई काली महिमा तुम्हारी निराली भवानी माई कलकत्ता वाली हे अंगारों जैसे नयन लाल लाल अधरों की लाली गले मुंड माल जा लम्बी जीभ न काली भवानी माई कलकत्ता वाली आगे है हनुमत जी झंडा संभाले पीछे कुबेर संग भैरव मतवाले अरे बिच में विकराल रूप वाली भवानी माई कलकत्ता वाली दानव दलन करे दुष्टों को मारे काली की शक्ति जगत जन के तारे अरे हाथो में भारी भुजाली भवानी माई कलकत्ता वाली काली की शक्ति को जिसने भी जाना मौनी दीवाना हुआ उसका जमाना दुष्टों से जगत करो खाली भवानी माई कलकत्ता वाली कालो की काल महाकाली भवानी माई कलकत्ता वाली कलकत्ता वाली भवानी माई काली महिमा तुम्हारी निराली भवानी माई कलकत्ता वाली Read the full article
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bigdigitalbrand · 1 month
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लाल देह लाली लसे अरू धरि लाल लंगूर। वज्र देह दानव दलन जय जय जय कपि सूर।।🙏
हनुमान जयंती के इस पावन पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। 🙏🕉️
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jyotishwithakshayg · 2 months
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*🌳 नटराज और अपस्मार राक्षस 🌳*
नटराज के पैरों के नीचे कौन दबा रहता है?
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हम सभी ने भगवान शिव के नटराज रूप को कई बार देखा है। किन्तु क्या आपने ध्यान दिया है कि नटराज की प्रतिमा के पैरों के नीचे एक दानव भी दबा रहता है..?
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आम तौर पर देखने से हमारा ध्यान उस राक्षस की ओर नहीं जाता किन्तु नटराज की मूर्ति के दाहिने पैर के नीचे आपको वो दिख जाएगा।
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क्या आपको पता है कि वास्तव में वो है कौन? आइये आज इस लेख में हम उस रहस्य्मयी दानव के विषय में जानते हैं।
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सबसे पहले तो आपको बता दूँ कि भगवान नटराज के पैरों के नीचे जो दानव दबा रहता है उसका नाम है "अपस्मार"। उसका एक नाम "मूयालक" भी है।
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अपस्मार एक बौना दानव है जिसे अज्ञानता एवं विस्मृति का जनक बताया गया है। इसे रोग का प्रतिनिधि भी माना जाता है। आज भी मिर्गी के रोग को संस्कृत में अपस्मार ही कहते हैं।
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योग में "नटराजासन" नामक एक आसन है जिसे नियमित रूप से करने पर निश्चित रूप से मिर्गी के रोग से मुक्ति मिलती है।
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एक कथा के अनुसार अपस्मार एक बौना राक्षस था जो स्वयं को सर्वशक्तिशाली एवं दूसरों को हीन समझता था। स्कन्द पुराण में उसे अमर बताया गया है।
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उसे वरदान प्राप्त था कि वो अपनी शक्तियों से किसी की भी चेतना का हरण कर सकता था। उसे लापरवाही एवं मिर्गी के रोग का प्रतिनिधि भी माना गया है।
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अपनी इसी शक्ति के बल पर अपस्मार सभी को दुःख पहुँचता रहता था। उसी के प्रभाव के कारण व्यक्ति मिर्गी के रोग से ग्रसित हो जाते थे और बहुत कष्ट भोगते थे।
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अपनी इस शक्ति एवं अमरता के कारण उसे अभिमान हो गया कि उसे कोई परास्त नहीं कर सकता।
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एक बार अनेक ऋषि अपनी-अपनी पत्नियों के साथ हवन एवं साधना कर रहे थे। प्रभु की माया से उन्हें अपने त्याग और सिद्धियों पर अभिमान हो गया और उन्हें लगा कि संसार केवल उन्ही की सिद्धियों पर टिका है।
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तभी भगवान शंकर और माता पार्वती भिक्षुक के वेश में वहाँ पधारे जिससे सभी स्त्रियाँ उन्हें प्रणाम करने के लिए यज्ञ छोड़ कर उठ गयी।
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इससे उन ऋषियों को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने अपनी सिद्धि से कई विषधर सर्पों को उत्पन्न किया और उन्हें भिक्षुक रुपी महादेव पर आक्रमण करने को कहा किन्तु भगवान शंकर ने सभी सर्पों का दलन कर दिया।
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तब उन ऋषियों ने वही उपस्थित अपस्मार को उनपर आक्रमण करने को कहा। स्कन्द पुराण में ऐसा भी वर्णित है कि उन्ही साधुओं ने अपनी सिद्धियों से ही अपस्मार का सृजन किया।
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अपस्मार ने दोनों पर आक्रमण किया और अपनी शक्ति से माता पार्वती को भ्रमित कर दिया और उनकी चेतना लुप्त कर दी जिससे माता अचेत हो गयी।
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ये देख कर भगवान शंकर अत्यंत क्रुद्ध हुए और उन्होंने १४ बार अपने डमरू का नाद किया। उस भीषण नाद को अपस्मार सहन नहीं कर पाया और भूमि पर गिर पड़ा।
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तत्पश्चात उन्होंने एक आलौकिक नटराज का रूप धारण किया और अपस्मार को अपने पैरों के नीचे दबा कर नृत्य करने लगे।
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नटराज रूप में भगवान शंकर ने एक पैर से उसे दबा कर तथा एक पैर उठाकर अपस्मार की सभी शक्तियों का दलन कर दिया और स्वयं संतुलित हो स्थिर हो गए। उनकी यही मुद्रा "अंजलि मुद्रा" कहलाई।
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उन्होंने उसका वध इसीलिए नहीं किया क्यूंकि एक तो वो अमर था और दूसरे उसके मरने पर संसार से उपेक्षा का लोप हो जाता जिससे किसी भी विद्या को प्राप्त करना अत्यंत सरल हो जाता। इससे विद्यार्थियों में विद्या को प्राप्त करने के प्रति सम्मान समाप्त हो जाता।
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जब उन साधुओं भगवान शंकर का वो रूप देखा तो उनका अभिमान समाप्त हो ��या और वे बारम्बार उनकी स्तुति करने लगे।
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उन्होंने उसी प्रकार अपस्मार को निष्क्रिय रखने की प्रार्थना की ताकि भविष्य में संसार में कोई उसकी शक्तियों के प्रभाव में ना आये।
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नटराज रूप में महादेव ने जो १४ बार अपने डमरू का नाद किया था उसे ही आधार मान कर महर्षि पाणिनि ने १४ सूत्रों वाले रूद्राष्टाध्यायी "माहेश्वर सूत्र" की रचना की।
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एक अन्य कथा के अनुसार एक बार भगवान शंकर के मन में एक आलौकिक नृत्य करने की इच्छा हुई। उसे देखने के लिए सभी देवता, यक्ष, ऋषि, गन्धर्व इत्यादि कैलाश पर एकत्र हुए।
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स्वयं महाकाली ने उस सभा की अध्यक्षता की। देवी सरस्वती तन्मयता से अपनी वीणा बजाने लगी, भगवान विष्णु मृदंग बजाने लगे, माता लक्ष्मी गायन करने लगी, परमपिता ब्रह्मा हाथ से ताल देने लगे, इंद्र मुरली बजाने लगे एवं अन्य सभी देवताओं ने अनेक वाद्ययंत्रों से लयबद्ध स्वर उत्पन किया।
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तब महादेव ने नटराज का रूप धर कर ऐसा अद्भुत नृत्य किया जैसा आज तक किसी ने नहीं देखा था। उस मनोहारी नृत्य को देख कर सभी अपनी सुध-बुध खो बैठे।
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जब नृत्य समाप्त हुआ तो सभी ने एक स्वर में महादेव को साधुवाद दिया। महाकाली तो इतनी प्रसन्न हुई कि उन्होंने कहा - "प्रभु! आपके इस नृत्य से मैं इतनी प्रसन्न हूँ कि मुझे आपको वर देने की इच्छा हुई है। अतः आप मुझसे कोई वर मांग लीजिये।"
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तब महादेव ने कहा - "देवी! जिस प्रकार आप सभी देवगण मेरे इस नृत्य से प्रसन्न हो रहे हैं उसी प्रकार पृथ्वी के सभी प्राणी भी हों, यही मेरी इच्छा है। अब मैं तांडव से विरत होकर केवल "रास" करना चाहता हूं।"
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ये सुनकर महाकाली ने सभी देवताओं को पृथ्वी पर अवतार लेने का आदेश दिया और स्वयं श्रीकृष्ण का अवतार लेकर वृन्दावन पधारी।
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भगवान शंकर ने राधा का अवतार लिया और फिर दोनों ने मिलकर देवदुर्लभ "महारास" किया जिससे सभी पृथ्वी वासी धन्य गए। यही कारण है कि देवी भागवत में श्रीकृष्ण को माता काली का अवतार बताया गया है।
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तो इस प्रकार अपस्मार को अपने पैरों के नीचे दबाये अभय मुद्रा में भगवान शंकर का नटराज स्वरुप ये शिक्षा देता है कि यदि हम चाहें तो अपने किसी भी दोष को स्वयं संतुलित कर उसका दलन कर सकते हैं।
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महादेव का नटराज स्वरुप पाप के दलन का प्रतीक तो है ही किन्तु उसके साथ-साथ आत्मसंयम एवं इच्छाशक्ति का भी प्रतीक है। जय श्री नटराजन।
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sharpbharat · 4 months
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Jamshedpur rural hanuman chalisa vyakhyan : उल्दा वैष्णोदेवी मंदिर में महा भंडारे के साथ हुई हनुमान चालीसा व्याख्यान की पूर्णाहुति, प्रवचन में स्वामी हृदयानंद गिरि ने सुनाई सुदर्शन चक्र अहंकार दलन की कथा
गालूडीह : उल्दा स्थित माता वैष्णोदेवी मंदिर परिसर में चल रहा 9 दिवसीय हनुमान चालीसा व्याख्यान रविवार को पूर्णाहुति के साथ संपन्न हो गया. आयोजन में हरिद्वार से आये स्वामी महेंद्रानन्द गिरि, स्वामी समाधान जी, सत्येंद्र दास व मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य राहुल शास्त्री ने विशेष पूजा-अर्चना की. पूजा में राजकिशोर साहू, किरण साहू, शैलेंद्र मिश्रा आदि शामिल रहे. अंतिम दिन स्वामी हृदयानंद गिरि नेआज के…
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jaiminiofficial · 7 months
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Hanuman Ji Ki Aarti » श्री हनुमान जी आरती
Hanuman Ji Ki Aarti » श्री हनुमान जी आरती Hanuman Ji Ki Aarti Hanuman Ji Ki Aarti » श्री हनुमान जी आरती ॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥ मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥ ॥ श्री हनुमान जी आरती ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ जाके बल से गिरवर काँपे ।रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥अंजनि पुत्र महा बलदाई ।संतन…
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dh5-presents · 7 months
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।। जय श्री राम ।।
।। संकट मोचन हनुमानाष्टक ।।
।। दोहा ।।
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥
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kwebhakti · 1 year
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जय श्री राम 🙏🌺 लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर । वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥ Dekhiye Bajrangbali Ka Sundar Bhajan 👉 https://youtu.be/d3APoPyL-0w
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aartisangrah · 1 year
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templeinindia · 1 year
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आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे।
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jayshriram2947 · 2 years
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श्रीरामायणजी की आरती
आरती श्रीरामायणजी की
कीरति कलित ललित सिय पी की
गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद
बालमीक बिग्यान बिसारद
सुक सनकादि सेष अरु सारद
बरनि पवनसुत की‍रति नीकी
गावत बेद पुरान अष्टदस
छओ सास्त्र सब ग्रंथन को रस
मुनि जन धन संतन को सरबस
सार अंस संमत सबही की
गावत संतत संभु भवानी
अरु घट संभव मुनि बिग्यानी
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी
कागभुसुंडि गरुड के ही की
कलिमल हरनि बिषय रस फीकी
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की
दलन रोग भव मूरि अमी की
तात मात सब बिधि तुलसी की
आरती श्रीरामायणजी की
कीरति कलित ललित सिय पी की
जय सियावररामचंद्र की जय
पवनसुत हनुमान की जय
🌞🏹᳀ᕫ🚩🦚🌺🙏
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rajasthanilyrics · 1 year
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हनुमान हमारे आँगन में भजन लिरिक्स | Hanumaan Hamare Aangan Me Bhajan Lyrics
हनुमान हमारे आँगन में भजन लिरिक्स | Hanumaan Hamare Aangan Me Bhajan Lyrics
हनुमान हमारे आँगन में भजन लिरिक्स, Hanumaan Hamare Aangan Me Bhajan Lyrics ।। दोहा ।। लाल देह लाली लसे, अरूधर लाल लंगोट। वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपीसुर। ~ नैना तरसे तेरे दर्शन को ~ हनुमान हमारे आँगन में , कब आओगे कब आओगे। नैना तरसे तेरे दर्शन को , कब आके दरश दिखाओगे। पलके भी दुखन लागी मेरी , मन को पल चेन न आता हैं। में जाऊ कहा तू कुछ तो बता, क्या तुम से न कोई नाता हैं। क्यों तरसाते हो सेवक…
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dgnews · 2 years
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मुख्यमंत्री निवास कार्यालय का भवन ‘समत्व’ सेवा के मंदिर के रूप में पहचान बनाएगा – मुख्यमंत्री श्री चौहान
मुख्यमंत्री निवास कार्यालय का भवन ‘समत्व’ सेवा के मंदिर के रूप में पहचान बनाएगा – मुख्यमंत्री श्री चौहान
प्रत्येक क्षण का उपयोग प्रदेश की प्रगति, विकास और जन-कल्याण में करने का लें महासंकल्प मुख्यमंत्री के साथ श्रमिक श्रीमती विद्याबाई ने दीप जलाकर किया भवन का लोकार्पण मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मुख्यमंत्री निवास परिसर में नवनिर्मित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय भवन “समत्व” प्रदेश के विकास, समृद्धि, जनता के कल्याण, न्यायशील व्यवस्था और दुष्टों के दलन के केन्द्र के रूप में अपनी…
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