सतपुड़ा के जंगलों में छुपा है पृथ्वी का नागलोक, यहां की कठिन यात्रा पूरी करने से दूर हो जाता है कालसर्प दोष
चैतन्य भारत न्यूज
सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। शिवभक्त इस दिन मंदिरों में जाकर शिव की पूजा अर्चना करते हैं। आज नागपंचमी है। इस मुकर पर हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में जिसके दर्शन करने मात्र से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी में घनी पहाड़ियों के बीच एक ऐसा देवस्थान है, जिसे नागलोक का मार्ग या नागद्वार के नाम से जाना जाता है। खास बात यह है कि, साल में सिर्फ एक बार ही नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का मौका मिलता है। यहां हर साल नागपंचमी पर एक मेला लगता है जिसमें भाग लेने के लिए लोग अपनी जान जोखिम में डालकर कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं। हालांकि, इस बार कोरोना वायरस के चलते इस मेले के आयोजन पर रोक लगा दी गई है। नागद्वार के अंदर चिंतामणि नाम की एक गुफा भी है जो 100 फीट लंबी है। इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं।
चिंतामणि गुफा से लगभग आधा किमी की दूरी पर एक गुफा में स्वर्ग द्वार है जिसमें भी नागदेव की कई सारी मूर्तियां हैं। बता दें 16 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा पूरी कर लौटने में भक्तों को दो दिन लगते हैं। मान्यता है कि, पहाड़ियों पर सर्पाकार पगडंडियों से नागद्वारी की कठिन यात्रा पूरी करने से कालसर्प दोष दूर होता है। नागद्वारी मंदिर की धार्मिक यात्रा को सैंकड़ों साल से ज्यादा हो गए हैं। कहा जाता है कि नागद्वारी यात्रा दुनिया की सबसे कठिन यात्रा है। यहां दुर्गम पहाड़ियों के बीच से होते हुए जहरीले और विषैले सांपों का सामना करते हुए नाग मंदिर तक पहुंचना होता है। हिंदुस्तान में हर साल होने वाली अमरनाथ यात्रा से भी इस यात्रा को कठिन माना गया है।
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सतपुड़ा के जंगलों में छुपा है पृथ्वी का नागलोक, अमरनाथ से भी कठिन है यहां की यात्रा
चैतन्य भारत न्यूज
सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। शिवभक्त इस दिन मंदिरों में जाकर शिव की पूजा अर्चना करते हैं। आज नागपंचमी है और आज के दिन शिव शंकर के मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में जिसके दर्शन करने मात्र से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी में घनी पहाड़ियों के बीच एक ऐसा देवस्थान है, जिसे नागलोक का मार्ग या नागद्वार के नाम से जाना जाता है। खास बात यह है कि, साल में सिर्फ एक बार ही नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का मौका मिलता है। यहां हर साल नागपंचमी पर एक मेला लगता है जिसमें भाग लेने के लिए लोग अपनी जान जोखिम में डालकर कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं। नागद्वार के अंदर चिंतामणि नाम की एक गुफा भी है जो 100 फीट लंबी है। इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं।
चिंतामणि गुफा से लगभग आधा किमी की दूरी पर एक गुफा में स्वर्ग द्वार है जिसमें भी नागदेव की कई सारी मूर्तियां हैं। बता दें 16 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा पूरी कर लौटने में भक्तों को दो दिन लगते हैं। मान्यता है कि, पहाड़ियों पर सर्पाकार पगडंडियों से नागद्वारी की कठिन यात्रा पूरी करने से कालसर्प दोष दूर होता है। नागद्वारी मंदिर की धार्मिक यात्रा को सैंकड़ों साल से ज्यादा हो गए हैं। कहा जाता है कि नागद्वारी यात्रा दुनिया की सबसे कठिन यात्रा है। यहां दुर्गम पहाड़ियों के बीच से होते हुए जहरीले और विषैले सांपों का सामना करते हुए नाग मंदिर तक पहुंचना होता है। हिंदुस्तान में हर साल होने वाली अमरनाथ यात्रा से भी इस यात्रा को कठिन माना गया है।
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