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#कालसर्पदोष
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love marriage & success line in #palmistryinhindi | हस्तरेखा शास्त्र में प्रेम विवाह और सफलता रेखा
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Marriage and prosperity in life are two key components of human life. There are some lines that, according to palmistry, can portend a successful marriage and a happy life. In this essay, we'll look at the concept of love marriage and the success line in palmistry.
Relationships in the Palmistry
If two people fall in love and decide to spend the rest of their lives together, they are said to have married. The love marriage line is a vertical line placed on the mount of Mercury in palmistry. Mercury's mount, which is situated at the base of the little finger, is linked to business, intelligence, and communication.
Although the love marriage line does not appear on everyone's palm, it does indicate a high likelihood of a love marriage if it does. The love marriage line is frequently strong and distinct, and it is thought that the deeper the line, the greater the likelihood of a love marriage.
Line of Success in Palmistry
Success in life is crucial to human existence. The success line is a vertical line placed on the Sun's mount in palmistry. Sun's mount lies at the base of the ring finger and is associated with leadership, success, and riches.
Although the success line does not appear on everyone's palm, it does signify a high likelihood of success in life if it does. The success line is frequently long and distinct, and it is thought that the longer the line, the greater the likelihood of success.
Marriage, Love, and Success
The success line and the love marriage line are unrelated, but the appearance of both on the palm signifies a person who is likely to have both a successful job and a successful love marriage.
The combination of the love marriage line and the success line on the palm is regarded as auspicious, and such a person is thought to live a happy and fulfilled life.
Other Love-Marriage-Indicating Palm Lines
In addition to the love marriage line, there are additional palm lines that suggest the likelihood of a love union. These consist of:
The Fate Line 1.
The fate line is a vertical line that runs down the middle of the palm and is connected to career and destiny. If the fate line terminates at Mercury's mount, a love marriage may occur.
The Heart Line 2.
The heart line is a horizontal line on the palm that represents emotions and relationships. If the heart line is long and curves upwards towards Jupiter's mount, it implies the likelihood of a love marriage.
Other Success-Indicating Palm Lines
In addition to the success line, there are other palm lines that suggest success may be possible. These consist of:
The Fate Line 1.
The fate line is also related to success. If the fate line is deep and clear, it implies a high likelihood of success in life.
The Sun Line 2.
The sun line is a vertical line that runs across the Sun's mount. A strong likelihood of success in your work and business is indicated if the sun line is deep and clear.
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विवाह और जीवन में समृद्धि मानव जीवन के दो प्रमुख घटक हैं। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार कुछ रेखाएं ऐसी होती हैं, जो एक सफल विवाह और सुखी जीवन का पूर्वाभास करा सकती हैं। इस निबंध में, हम प्रेम विवाह की अवधारणा और हस्तरेखा विज्ञान में सफलता रेखा को देखेंगे।
हस्तरेखा शास्त्र में संबंध
अगर दो लोग प्यार में पड़ जाते हैं और अपना शेष जीवन एक साथ बिताने का फैसला करते हैं, तो यह कहा जाता है कि उन्होंने शादी कर ली है। प्रेम विवाह रेखा हस्तरेखा शास्त्र में बुध पर्वत पर स्थित एक खड़ी रेखा है। छोटी उंगली के नीचे स्थित बुध पर्वत व्यवसाय, बुद्धि और संचार से जुड़ा होता है।
हालाँकि प्रेम विवाह रेखा हर किसी की हथेली पर नहीं दिखाई देती है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह प्रेम विवाह की उच्च संभावना का संकेत देती है। प्रेम विवाह रेखा अक्सर मजबूत और विशिष्ट होती है, और यह माना जाता है कि रेखा जितनी गहरी होगी, प्रेम विवाह की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
हस्तरेखा विज्ञान में सफलता की रेखा
जीवन में सफलता मानव अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। हस्तरेखा शास्त्र में सफलता रेखा सूर्य पर्वत पर स्थित एक खड़ी रेखा होती है। सूर्य पर्वत अनामिका के आधार पर स्थित होता है और नेतृत्व, सफलता और धन से जुड़ा होता है।
हालाँकि सफलता रेखा हर किसी की हथेली पर नहीं दिखाई देती है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह जीवन में सफलता की उच्च संभावना का संकेत देती है। सफलता रेखा अक्सर लंबी और विशिष्ट होती है, और यह माना जाता है कि रेखा जितनी लंबी होगी, सफलता की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
शादी, प्यार और सफलता
सफलता रेखा और प्रेम विवाह रेखा असंबंधित हैं, लेकिन हथेली पर दोनों की उपस्थिति एक ऐसे व्यक्ति को दर्शाती है जिसके पास एक सफल नौकरी और एक सफल प्रेम विवाह दोनों होने की संभावना है।
हथेली पर प्रेम विवाह रेखा और सफलता रेखा का संयोग शुभ माना जाता है और ऐसा व्यक्ति सुखी और पूर्ण जीवन जीने वाला माना जाता है।
अन्य प्रेम-विवाह-हस्तरेखा का संकेत देने वाली रेखाएँ
प्रेम विवाह रेखा के अलावा, अतिरिक्त हस्त रेखाएँ भी हैं जो प्रेम मिलन की संभावना का सुझाव देती हैं। इनमें शामिल हैं:
भाग्य रेखा 1.
भाग्य रेखा एक खड़ी रेखा है जो हथेली के बीच से नीचे की ओर जाती है और करियर और भाग्य से जुड़ी होती है। यदि भाग्य रेखा बुध पर्वत पर समाप्त हो जाए तो प्रेम विवाह हो सकता है।
ह्रदय रेखा 2.
ह्रदय रेखा हथेली पर एक क्षैतिज रेखा है जो भावनाओं और रिश्तों को दर्शाती है। यदि हृदय रेखा लंबी है और गुरु पर्वत की ओर ऊपर की ओर झुकी हुई है, तो यह प्रेम विवाह की संभावना को दर्शाता है।
अन्य सफलता-संकेत देने वाली हस्त रेखाएँ
सफलता रेखा के अलावा, अन्य हस्त रेखाएँ भी हैं जो बताती हैं कि सफलता संभव हो सकती है। इनमें शामिल हैं:
भाग्य रेखा 1.
भाग्य रेखा का संबंध सफलता से भी होता है। यदि भाग्य रेखा गहरी और स्पष्ट है, तो यह जीवन में सफलता की उच्च संभावना को दर्शाती है।
सूर्य रेखा 2.
सूर्य रेखा एक खड़ी रेखा है जो सूर्य पर्वत को पार करती है। यदि सूर्य रेखा गहरी और स्पष्ट हो तो आपके कार्य और व्यवसाय में सफलता की प्रबल संभावना का संकेत मिलता है।
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rakeshkumarth · 3 years
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🙏महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में अराध्या और वैभव के आंशिक कालसर्पदोष के निवारण हेतु जलाभिषेक हवन पूजन🙏 ०१.०९.२०२१ (at महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन - Mahakaleshwar Jyotirlinga Ujjain) https://www.instagram.com/p/CTlS7m5BNoG/?utm_medium=tumblr
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nisthadhawani · 3 years
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बेरोजगारी को दूर करेगा ,अमावस्या पर किया गया ये उपाय
बेरोजगारी को दूर करेगा ,अमावस्या पर किया गया ये उपाय
हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या आती है। साल में कुल 12  अमावस्या आती हैं। जिनका अपना अलग महत्त्व होता हैं , इस बार आषाढ़ मास की अमावस्या 9  जुलाई को पड़ रही हैं।  इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व माना जाता है। पितरों का तर्पण, पिंडदान, कालसर्पदोष निवारण आदि करने के लिए अमावस्या तिथि बहुत उत्तम मानी जाती है। ज्योतिष शास्त्र में अमावस्या…
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karanaram · 3 years
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🚩 ऐसे खेले होली मिल जाएगा कालसर्पदोष से मुक्ति, होंगे ढेरों फायदे- 14 मार्च 2021
🚩होली का त्यौहार हास्य-विनोद करके छुपे हुए आनंद-स्वभाव को जगाने के लिए है, लेकिन आजकल केमिकल रंगों से होली खेलने का जो प्रचलन चल रहा है वो बहुत नुकसानदायक है । अगर पलाश के रंगों से होली खेलेंगे तो इतने फायदे होंगे कि आपको डॉक्टर की ज्यादा आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी ।
🚩पलाश को हिंदी में ढाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसूड़ा कहते हैं ।
🚩इसके पत्त्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी – पात्र में किये भोजन के तुल्य लाभ मिलते हैं ।
🚩कालसर्प दोष से मुक्ति
🚩कालसर्प दोष बहुत भयंकर माना जाता है और ये करो, वो करो, इतना खर्चा करो, इतना जप करो, कई लोग इनको ठग लेते हैं । फिर भी कालसर्प दोष से उनका पीछा नहीं छूटता, लेकिन ज्योतिष के अनुसार उनका कालसर्प योग नहीं रहता जो पलाश के रंग अपने पर डालते हैं । कालसर्प दोष के भय से पैसा खर्चना नहीं और अपने को ग्रह दोष है, कालसर्प है ऐसा मानकर डरना नहीं पलाश के रंग शरीर पर लगाओ जिससे काल कालसर्प दोष चला जायेगा ।
🚩पलाश से पाएं अनेक रोगों से मुक्ति
🚩‘लिंग पुराण’ में आता है कि पलाश की समिधा से ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र द्वारा 10 हजार आहुतियाँ दें तो सभी रोगों का शमन होता है ।
🚩पलाश के फूल : प्रेमह (मूत्रसंबंधी विकारों) में: पलाश-पुष्प का काढ़ा (50 मि.ली.) मिश्री मिलाकर पिलायें ।
🚩रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में : फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है । आँखे आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजे ।
🚩वीर्यवान बालक की प्राप्ति : एक पलाश-पुष्प पीसकर, उसे दूध में मिला के गर्भवती माता को रोज पिलाने से बल-वीर्यवान संतान की प्राप्ति होती है ।
🚩पलाश के बीज : 3 से 6 ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें | चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. अरंडी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि निकल जायेंगे ।
🚩पत्ते : पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिला के धूप करने से बुद्धि की शुद्धि व वृद्धि होती है ।
🚩बवासीर में : पलाश के पत्तों की सब्जी घी व तेल में बनाकर दही के साथ खायें ।
🚩छाल : नाक, मल-मूत्र मार्ग या योनि द्वारा रक्तस्त्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें ।
🚩पलाश का गोंद : पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध या आँवला रस के साथ लेने से बल-वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं । यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है ।
🚩पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत आसाराम बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है ।
🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामूहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. से कम पानी लगता है ।
🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है ।पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है ।
🚩इतना ही नहीं, पलाश के फूलों का रंग रक्त-संचार में वृद्धि करता है, मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ मानसिक शक्ति व इच्छाशक्ति को बढ़ाता है । शरीर की सप्तधातुओं एवं सप्तरंगों का संतुलन करता है । (स्त्रोत : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद पत्रिका)
🚩आपको बता दें कि पलाश से वैदिक होली खेलने का अभियान हिन्दू संत आशाराम बापू ने शुरू किया था जिसके कारण केमिकल रंगों का और उससे फलने-फूलनेवाला अरबों रुपयों का दवाइयों का व्यापार प्रभावित हो रहा था ।
🚩बापू आसारामजी के सामूहिक प्राकृतिक होली अभियान से शारीरिक मानसिक अनेक बीमारियों में लाभ होकर देश के अरबो रुपयों का स्वास्थ्य-खर्च बच रहा है । जिससे विदेशी कंपनियों को अरबों का घाटा हो रहा था इसलिए एक ये भी कारण है उनको फंसाने का । साथ ही उनके कार्यक्रमों में पानी की भी बचत हो रही है ।
🚩पर मीडिया ने तो ठेका लिया है समाज को गुमराह करने का। 5-6 हजार लीटर प्राकृतिक रंग (जो कि लाखों रुपयों का स्वास्थ्य व्यय बचाता है) के ऊपर बवाल मचाने वाली मीडिया को शराब, कोल्डड्रिंक्स उत्पादन तथा कत्लखानों में गोमांस के लिए प्रतिदिन हो रहे अरबों-खरबों लीटर पानी की बर्बादी जरा भी समस्या नही लगती। ऐसा क्यों ???
🚩कुछ सालों से अगर गौर करें तो जब भी कोई हिन्दू त्यौहार नजदीक आता है तो दलाल मीडिया और भारत का तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग हमारे हिन्दू त्यौहारों में खोट निकालने लग जाता है ।
🚩जैसे दीपावली नजदीक आते ही छाती कूट कूट कर पटाखों से होने वाले प्रदूषण का रोना रोने वाली मीडिया को 31 दिसम्बर को आतिशबाजियों का प्रदूषण नही दिखता ।आतिशबाजियों से क्या ऑक्सीजन पैदा होती है?
🚩जन्माष्टमी पर दही हांडी कार्यक्रम नहीं हो लेकिन खून-खराबा वाला ताजिया पर आपत���ति नही है।
🚩ऐसे ही शिवरात्रि के पावन पर्व पर दूध की बर्बादी की दलीलें देने वाली मीडिया हजारों दुधारू गायों की हत्या पर मौन क्यों हो जाती है?
🚩अब होली आई है तो बिकाऊ मीडिया पानी बचत की दलीलें लेकर फिर उपस्थित होंगी । लेकिन पानी बचाना है तो साल में 364 दिन बचाओ पर पलाश की वैदिक होली अवश्य मनाओ । क्योंकि बदलना है तो अपना व्यवहार बदलो....त्यौहार नहीं ।
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शनिवार, 23 मार्च 2019 श्री अरविन्द केजरीवाल {आप अध्यक्ष }-2019 -में प्रभाव पढ़ें ?-ज्योतिषी झा "मेरठ ,झंझारपुर ,मुम्बई ----भारतीय राजनैतिक पार्टी --आम आदमी पार्टी "आप "---मुख्यमन्त्री दिल्ली सरकार --के संचालक श्री अरविन्द केजरीवालजी का जन्म 16 /08 /1968 की रात्रि में 11 /46 पर -शिवानी- {हरियाणा }में हुआ था । आपकी प्राप्त जन्म कुण्डली के अनुसार संवत -२०७४ {यानि 2017 +18 का पूर्व भाग तक }के अनुसार --विगत साल की शुरुआत में ही लग्नेश -शुक्र ,भाग्येश -कर्मेश शनि अच्छी स्थिति में उपस्थित थे । इस संवत 2074 -के प्रारम्भ में शनि +मंगल का षडाष्टक ,दशम ,चतुर्थ सम्बन्ध ,समसप्तक योग तथा फरवरी 2018 से मार्च 2018 तक शनि -मंगल का सम्बन्ध के कारण आप पार्टी के लिये समस्या -उलझन पूर्ण रूप से व्याप्त तो रही | आगे -- इस अवधि में श्री केजरीवालजी को अपनी पार्टी को एकजूट रखने में बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पडा और करते आ भी रहे हैं । -सबसे बड़ी बात --आप पार्टी को अन्य कुछ प्रान्तों में अपनी पैठ बनाने में सफलता भी मिली | --आगे 23 /03 /2018 से २३/08 /2020 तक गुरु में शुक्र का अंतर चलेगा --जन्मपत्रिका में यह एक विषम योग है ,थोड़ी सी असावधानी पतन की ओर ले जायेगा | यदि थोड़ी सजगता बरती जाय तो मंज़िल बरकरार रहेगी | अंत में - श्री केजरीवालजी की कुण्डली में कालसर्पदोष है ,शनि नीच का व्यय क्षेत्र में है जो ---मित्रों से सदा हानि ,कर्मक्षेत्र का समुचित लाभ नहीं होने देगा ----इस बात के प्रति सजगता रखने से विशेष लाभ होगा । ---श्री केजरीवालजी का मंगल बहुत ही अच्छा है ,चन्द्रमा भी उच्च का है जो राजयोग तो दिलाते हैं किन्तु स्थिरता में दिक्कत भी करता है | आगामी लोकसभा चुनाव में तटस्थ रहने से ही लाभ संभव है अन्यथा सही समय का आगमन ह�� लाभ दिलाएगा | नववर्ष में आय ,संतान और बौद्धिक क्षेत्रों में हानि भी संभव है | आपका नववर्ष मंगलमय हो | ----कृपया ध्यान दें, ज्योतिष सेवा के लिए एक सौ रूपये -का 9897701636 पर पेटीएम करें -इसकी रशीद भी इसी नंबर पर डालें, साथ ही अपना जन्म विवरण भी इसी सेल नम्बर ही लिखें -तत्काल ज्योतिष सेवा में तीन बातों की जानकारी करें एवं उपाय भी जान सकते हैं | --अगर ज्योतिष की समस्त जानकारी करनी है लिखित और मौखिक तो पांच सौ रूपये इसी पेटीएम करें साथ ही रशीद और अपना जन्म विवरण भी इसी नंबर पर भेजें इसकी जानकारी -एक दिन बाद मिलेगी | ,आपका एस्ट्रो वर्ल्ड हिन्दी सर्विस ज्योतिषी झा मेरठ---ज्योतिष की सेवा जानने हेतु पढ़ें - झा मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई " https://www.facebook.com/kanhaiyalal.jhashas (at Jhanjharpur Purani Bazar Machata Chauk) https://www.instagram.com/p/BvYyztDnYtX/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=1g1i3vivfphjy
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rajeshksahu · 5 years
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पलाश रंग से होली खेलने के जानिए अनेक फायदे और पाइए कालसर्पदोष से मुक्ति
पलाश रंग से होली खेलने के जानिए अनेक फायदे और पाइए कालसर्पदोष से मुक्ति
20 मार्च 2019 www.azaadbharat.org
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होली का त्यौहार हास्य-विनोद करके छुपे हुए आनंद-स्वभाव ���ो जगाने के लिए है, लेकिन आजकल केमिकल रंगों से होली खेलने का जो प्रचलन चल रहा है वो बहुत नुकसानदायक है । अगर पलाश के रंगों से होली खेलेंगे तो इतने फायदे होंगे कि आपको डॉक्टर की ज्यादा आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी । https://youtu.be/DMVf3mo2Frs
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पलाश को हिंदी में ढ़ाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती…
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onlinekhabarapp · 6 years
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पितृ र कालसर्प दोष कसरी शान्त गर्ने ?
औसी पवित्र तिथि हो । यो तिथिमा पितृहरूको पूजा गरिन्छ जसबाट पितृदोष तथा कालसर्पदोष शान्ति हुन्छ भन्ने मान्यता छ । सोमबार औंसी वर्षमा २-३ पटकसम्म पर्न पनि सक्छ र नपर्न
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hotnewslink · 4 years
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Kaal Sarp Dosh Puja: सुशांत सिंह राजपूत ने करवाई थी कालसर्पदोष की पूजा सामने आया वीडियो
Kaal Sarp Dosh Puja: सुशांत सिंह राजपूत ने करवाई थी कालसर्पदोष की पूजा सामने आया वीडियो
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Updated: | Wed, 19 Aug 2020 02:38 PM (IST)
सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस की जांच जारी है। सीबीआई के साथ ही ईडी ने भी मोर्चा संभाल लिया है। इस बीच, अभिनेता से जुड़ा एक पुराना वीडियो सामने आया है। यह वीडियो 9 अप्रैल 2019 का है। उस दिन सुशांत सिंह ने अपने परिवार के साथ काल सर्प दोष पूजा (Kaal Sarp Dosh Puja) की थी। वीडियो में सुशांत सिंह की बहन और बहनोई भी पूजा में बैठे नजर आ रहे हैं।…
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journalistcafe · 4 years
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नाग पंचमी 2020: कालसर्पदोष के निवारण का है विशेष दिन
नाग पंचमी 2020: कालसर्पदोष के निवारण का है विशेष दिन
नाग पंचमी : 25 जुलाई, शनिवार को 
★ कालसर्पदोष के निवारण का है विशेष दिन
★ नाग देवता की पूजा से मिलती है सुख-समृद्धि, खुशहाली
★ नाग देवता की पूजा से मिलता है संतान सुख, होती है वंश वृद्धि 
भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में श्रावण मास के विशेष तिथियों की खास महिमा है। श्रावण मास का विशेष पर्व है नागपंचमी, जो कि श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विधि-विधानपूर्वक मनाने की पौराणिक परम्परा है।इस दिन…
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acharyarajeshwar · 4 years
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Detecting Kal Sarpa Dosh in AURA  Remedy through Yagya, Abhishek, Daan
Aura Scanner/ Lecher Antenna के माध्यम से व्यक्ति के आभामण्डल से कालसर्पदोष आदि की जानकारी मिलती है। उसके उपरान्त यज्ञ , दान, अभिषेक द्वारा दोष का नीवार्ण किया जाता है। इस वीडियो में यही दिखाया गया है।
Pt Rajeshwar Prasad Pokhriyal, Astrologer, Purohit and Energy Vastu Consultant
Mob: 9811121267 Email: [email protected]
Facebook: indian vedic culture and rituals
Youtube Channel: RAJESHWAR PRASAD
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azaadbharat-blog · 5 years
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पलाश रंग से होली खेलने के जानिए अनेक फायदे और पाइए कालसर्पदोष से मुक्ति
पलाश रंग से होली खेलने के जानिए अनेक फायदे और पाइए कालसर्पदोष से मुक्ति
20 मार्च 2019 www.azaadbharat.org होली का त्यौहार हास्य-विनोद करके छुपे हुए आनंद-स्वभाव को जगाने के लिए है, लेकिन आजकल केमिकल रंगों से होली खेलने का जो प्रचलन चल रहा है वो बहुत नुकसानदायक है । अगर पलाश के रंगों से होली खेलेंगे तो इतने फायदे होंगे कि आपको डॉक्टर की ज्यादा आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी । https://youtu.be/DMVf3mo2Frs पलाश को हिंदी में ढ़ाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती…
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chaitanyabharatnews · 4 years
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सतपुड़ा के जंगलों में छुपा है पृथ्वी का नागलोक, यहां की कठिन यात्रा पूरी करने से दूर हो जाता है कालसर्प दोष
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चैतन्य भारत न्यूज  सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। शिवभक्त इस दिन मंदिरों में जाकर शिव की पूजा अर्चना करते हैं। आज नागपंचमी है। इस मुकर पर हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में जिसके दर्शन करने मात्र से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
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दरअसल मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी में घनी पहाड़ियों के बीच एक ऐसा देवस्थान है, जिसे नागलोक का मार्ग या नागद्वार के नाम से जाना जाता है। खास बात यह है कि, साल में सिर्फ एक बार ही नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का मौका मिलता है। यहां हर साल नागपंचमी पर एक मेला लगता है जिसमें भाग लेने के लिए लोग अपनी जान जोखिम में डालकर कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं। हालांकि, इस बार कोरोना वायरस के चलते इस मेले के आयोजन पर रोक लगा दी गई है। नागद्वार के अंदर चिंतामणि नाम की एक गुफा भी है जो 100 फीट लंबी है। इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं।
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चिंतामणि गुफा से लगभग आधा किमी की दूरी पर एक गुफा में स्वर्ग द्वार है जिसमें भी नागदेव की कई सारी मूर्तियां हैं। बता दें 16 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा पूरी कर लौटने में भक्तों को दो दिन लगते हैं। मान्यता है कि, पहाड़ियों पर सर्पाकार पगडंडियों से नागद्वारी की कठिन यात्रा पूरी करने से कालसर्प दोष दूर होता है। नागद्वारी मंदिर की धार्मिक यात्रा को सैंकड़ों साल से ज्यादा हो गए हैं। कहा जाता है कि नागद्वारी यात्रा दुनिया की सबसे कठिन यात्रा है। यहां दुर्गम पहाड़ियों के बीच से होते हुए जहरीले और विषैले सांपों का सामना करते हुए नाग मंदिर तक पहुंचना होता है। हिंदुस्तान में हर साल होने वाली अमरनाथ यात्रा से भी इस यात्रा को कठिन माना गया है। ये भी पढ़े...  नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं सभी कष्ट, जानिए इसकी विशेषता और महत्व लंकापति रावण से जुड़ा है वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का संबंध, जानिए इसकी विशेषता और महत्व त्र्यंबकेश्वर में एक साथ मौजूद हैं ब्रह्मा-विष्‍णु-महेश, जानिए इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता और महत्व Read the full article
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premvivah · 6 years
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Mor pankh ke upay | मोरपंख के टोटके | मोर पंख के चमत्कारी उपाय, " Mor Pankh Ke Kuch Ese Upay Bataye Gaye Hai Jinhe Shubh Mhurat Me Karne Se Sabhi Samsyaa Se Turant Chutkaara Mil Jata Hai. Jyotish Me Morpankh Ko Sabhi 9 Garho Ka Partinidhitav Mana Gaya Hai. Aaj Hum Ese Hi Kuch Shaktishaali Upay Aap Ko Batane Ja Rahe Hai, Jin Ko Karne Se Aap Anek Samsyaa Ka Samadhaan Bhut Hi Jald Aap Paa Sakte Hai. Mor pankh ke upay | मोरपंख के टोटके | मोर पंख के चमत्कारी उपाय
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अपार संपत्ति पाने तथा रूके हुए काम पूरे करने के लिए
अगर आपके काम अटके हुए हैं या आपके मन में धन-वैभव की इच्छा है तो श्रीराधाकृष्ण के मंदिर में मोर पंख की स्थापना करवाएं। प्रतिदिन उस प्रतिमा की पूजा करें तथा 40वें दिन उस मोरपंख को लाकर अपनी तिजोरी या लॉकर में रख दें। उसी दिन से धन-संपत्ति में वृद्धि आरंभ हो जाएगी और लंबे समय से अटके पड़े काम भी पूरे होने लगेंगे।
शत्रु से मुक्ति पाने के लिए
कोई व्यक्ति (या शत्रु) बहुत ज्यादा परेशान कर रहा हो तो किसी मंगलवार या शनिवार को मोर के पंख पर हनुमानजी की प्रतिमा के मस्तक के सिंदूर से एक मोरपंख पर शत्रु का नाम लिखें तथा घर के मंदिर में रात भर रखें। सुबह उठकर बिना नहाए-धोए तथा बिना किसी से बात किए बहते पानी में उस मोरपंख को बहा दें। ऐसा करने से बड़े से बड़ा शत्रु भी मित्र बन जाता है और आपका साथ देने लगता है।
राहू के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए
मोर सर्प का शत्रु है, अतः जिन लोगों की कुंडली में राहू बुरा असर दे रहा हो या कालसर्पदोष हो, उन्हें सदैव मोरपंख अपने साथ रखना चाहिए।
बच्चे की जिद दूर करने के लिए
अगर बच्चा बहुत ज्यादा जिद्दी हो गया है और आपकी कोई बात नहीं मानता है तो उसे रोजाना मोर पंखे से बने पंखे से हवा करें अथवा अपने सीलिंग फैन पर ही मोर पंख चिपका दें। बच्चे का जिद्दी स्वभाव कुछ ही दिनों में अपने आप सही हो जाएगा।
कालसर्पयोग दोष दूर करने के लिए
जिन लोगों की कुण्डली में कालसर्प योग हो उन्हें अपने तकिये के खोल में 7 मोर पंख सोमवार की रात्रि में डालकर उस तकिए का उपयोग ��रना चाहिए। इसके साथ ही बेडरूम की पश्चिम दिशा की दीवार पर मोर पंखों का पंखा जिसमें कम से कम 11 मोर पंख लगे हों लगा देना चाहिए। इससे कुंडली में राहू-केतू का अशुभ प्रभाव कम हो जाएगा।
Mor pankh ke upay | मोरपंख के टोटके | मोर पंख के चमत्कारी उपाय
नवजात शिशु के सिरहाने पर चांदी के ताबीज में एक मोर पंख भरकर रखने से बच्चे को नजर नहीं लगेगी और उसे डर भी नहीं लगेगा।
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Name :- Manoj Sharma
Contact Number :- +91-9950420009
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priyasharantripathi · 7 years
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chaitanyabharatnews · 4 years
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महाशिवरात्रि 2020 : पचमढ़ी में भगवान शिव का अनोखा मंदिर, यहां श्रद्धालु चढ़ाते हैं दो क्विंटल तक के त्रिशूल
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चैतन्य भारत न्यूज 21 फरवरी यानी शुक्रवार को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इस खास अवसर पर हम आपको आज भोलेनाथ के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां मन्न्त पूरी होने पर श्रद्धालु यहां दो क्विंटल तक वजनी त्रिशूल भेंट करते हैं। आइए जानते हैं महादेव के इस अनोखे मंदिर के बारे में। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले की पिपरिया तहसील में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में स्थित चौरागढ़ मंदिर है, जिसे नागलोक का मार्ग या नागद्वार के नाम से भी जाना जाता है। खास बात यह है कि, साल में सिर्फ एक बार ही नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का मौका मिलता है। यहां हर साल महाशिवरात्रि पर एक मेला लगता है जिसमें भाग लेने के लिए लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं। नागद्वार के अंदर चिंतामणि नाम की एक गुफा भी है जो 100 फीट लंबी है। इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं। मन्न्त पूरी होने पर श्रद्धालु यहां महाशिवरात्रि पर एक इंच आकार से लेकर दो क्विंटल तक वजनी त्रिशूल भेंट करने आते हैं। करीब 200 साल से यहां महाशिवरात्रि पर आठ दिनी मेला लगने की परंपरा जारी है।
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महाराष्ट्र से आते हैं सबसे ज्यादा श्रद्धालु मेले में मध्यप्रदेश के अनेक जिलों के अलावा महाराष्ट्र, छतीसगढ़, गुजरात और राजस्थान से यहां श्रद्धालु आते हैं। चौरागढ़ मेला के नोडल अधिकारी जिला पंचायत सीईओ आदित्य सिंह का कहना है कि महाशिवरात्रि पर सबसे ज्यादा यहां महाराष्ट्र के लोग आते हैं। इस साल एक लाख से ज्यादा त्रिशूल भेंट होने का अनुमान है। यहां की प्रमुख कथाएं चौरागढ़ महादेव की मान्यता को लेकर अनेक कथाएं हैं। महादेव मंदिर के पुजारी बाबा गरीबदास के मुताबिक, एक कथा यह है कि भस्मासुर को वरदान देने के बाद भगवान शिव ने यहां निवास किया था। यहां का पूरा आदिवासी समाज शिवजी को बड़ादेव के रूप में पूजता है। वहीं दूसरी कथा है कि माता पार्वती ने महाराष्ट्र में एक बार मैना गोंड़नी का रूप धारण किया था। इस कारण महाराष्ट्र के लोग माता पार्वती को बहन और शिवजी को बहनोई मानकर यहां पूजन करने महाशिवरात्रि पर आते हैं। जबकि तीसरी कथा यह है कि यहां के तपस्वी चौरा बाबा को महादेव ने दर्शन देकर उन्हें चौरागढ़ के नाम से अमर होने और श्रद्धालुओं की मन्न्त पूरी करने का आशीर्वाद दिया था।
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ऐसे पहुंचें चौरागढ़ चौरागढ़ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में है। यहां पचमढ़ी से 10 किमी तक वाहन जाता है। इसके बाद चार किमी पैदल रास्ता है। फिर 325 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर पहुंचते हैं। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन पिपरिया है। पचमढ़ी तक सड़क मार्ग भोपाल, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, बैतूल, जबलपुर, नागपुर से जुड़ा हुआ है। ये भी पढ़े... महाशिवरात्रि 2020: हजारों साल पुराने इस मंदिर में साल में एक बार पाषाण शिवलिंग के होते है दर्शन महाशिवरात्रि 2020: भगवान शिव ने माता पार्वती को बताए थे ये 4 रहस्य, खुशहाल जीवन जीने के लिए आप भी जानें महाशिवरात्रि 2020: आखिर क्यों महाशिवरात्रि को कहा जाता है सिद्धि रात्रि? शिव की पूजा से होते हैं दोषमुक्त महाशिवरात्रि 2020 : उज्जैन के राजा हैं महादेव तो रूद्र के रूप हैं काशी के कोतवाल Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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सतपुड़ा के जंगलों में छुपा है पृथ्वी का नागलोक, अमरनाथ से भी कठिन है यहां की यात्रा 
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चैतन्य भारत न्यूज  सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। शिवभक्त इस दिन मंदिरों में जाकर शिव की पूजा अर्चना करते हैं। आज नागपंचमी है और आज के दिन शिव शंकर के मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में जिसके दर्शन करने मात्र से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
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दरअसल मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी में घनी पहाड़ियों के बीच एक ऐसा देवस्थान है, जिसे नागलोक का मार्ग या नागद्वार के नाम से जाना जाता है। खास बात यह है कि, साल में सिर्फ एक बार ही नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का मौका मिलता है। यहां हर साल नागपंचमी पर एक मेला लगता है जिसमें भाग लेने के लिए लोग अपनी जान जोखिम में डालकर कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं। नागद्वार के अंदर चिंतामणि नाम की एक गुफा भी है जो 100 फीट लंबी है। इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं।
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चिंतामणि गुफा से लगभग आधा किमी की दूरी पर एक गुफा में स्वर्ग द्वार है जिसमें भी नागदेव की कई सारी मूर्तियां हैं। बता दें 16 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा पूरी कर लौटने में भक्तों को दो दिन लगते हैं। मान्यता है कि, पहाड़ियों पर सर्पाकार पगडंडियों से नागद्वारी की कठिन यात्रा पूरी करने से कालसर्प दोष दूर होता है। नागद्वारी मंदिर की धार्मिक यात्रा को सैंकड़ों साल से ज्यादा हो गए हैं। कहा जाता है कि नागद्वारी यात्रा दुनिया की सबसे कठिन यात्रा है। यहां दुर्गम पहाड़ियों के बीच से होते हुए जहरीले और विषैले सांपों का सामना करते हुए नाग मंदिर तक पहुंचना होता है। हिंदुस्तान में हर साल होने वाली अमरनाथ यात्रा से भी इस यात्रा को कठिन माना गया है। ये भी पढ़े...  नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं सभी कष्ट, जानिए इसकी विशेषता और महत्व लंकापति रावण से जुड़ा है वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का संबंध, जानिए इसकी विशेषता और महत्व त्र्यंबकेश्वर में एक साथ मौजूद हैं ब्रह्मा-विष्‍णु-महेश, जानिए इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता और महत्व Read the full article
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