सुप्रीम कोर्ट ने तय की नई गाइडलाइन, फांसी के खिलाफ अपील पर सुनवाई अब 6 महीने के अंदर
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा से जुड़े आपराधिक मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए नई गाइडलाइन तय की है। जानकारी के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने मौत की सजा के मामले में हाईकोर्ट के फैसले के छह माह के भीतर अपील पर सुनवाई तय कर दी है। यानी जिस दिन हाईकोर्ट मौत की सजा के मामले में फैसला सुनाएगा, उस दिन से अगले 6 महीने के अंदर सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच उस मामले की सुनवाई करेगी।
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कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया मामले में दोषियों की फांसी में हो रही देरी को देखते हुए यह गाइडलाइन तय की है। बता दें इस साल 22 जनवरी को केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। गृह मंत्रालय ने अपनी याचिका में यह मांग की थी कि मौत की सजा पर सुधारात्मक याचिका दाखिल करने के लिए समय सीमा तय की जाए। मौजूदा नियमों के मुताबिक, किसी भी दोषी की कोई भी याचिका लंबित होने पर उस केस से जुड़े बाकी दोषियों को भी फांसी नहीं दी जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले में परिपत्र जारी किया। इसमें कहा गया कि हाईकोर्ट ने जिस भी दिन आपराधिक मामले में दोषियों को मौत की सजा सुनाई और उनके लिए दूसरी कोर्ट में अपील दायर करने का रास्ता खोला, उस दिन से लेकर अगले 6 महीने में ही सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई कर लेगी, फिर चाहे उस मामले में दोषियों ने अपील दायर की हो या नहीं।
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बॉलीवुड डेस्क. निर्भयाकेस के अपराधियों की फांसी 9वीं बार टल गई है। न्याय प्रक्रियाका मजाक उड़ता देखकर बॉलीवुड सेलेब्स का गुस्सा भी सामने आ रहा है। कई सेलेब्स नेसोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है। ऋषि कपूर ने सनी देओल की फिल्म दामिनी का डायलाॅग तारीख पे तारीख लिखकर इसे बेहूदा बताया है।
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निर्भया केस: रो पड़ीं निर्भया की मां, कोर्ट के बाहर जमकर की नारेबाजी
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. निर्भया के दोषियों को फांसी की नई तारीख आज फिर जारी नहीं हुई। कोर्ट इस मामले में अब गुरुवार को अगली सुनवाई करेगा। कोर्ट ने कहा कि दोषी पवन के पिता को गुरुवार को कोर्ट द्वारा लीगल ऐड से वकील मिल जाएगा जिसके बाद मामले की सुनवाई की जाएगी।
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इस दौरान कोर्ट में पेश हुई निर्भया की मां वहीं रो पड़ीं और जज से दोषियों के नाम डेथ वारंट जारी करने की अपील की। उन्होंने अदालत से पूछा कि, 'मेरे अधिकारों का क्या होगा? मैं हाथ जोड़कर आपके सामने खड़ी हूं। कृपया डेथ वारंट जारी कर दीजिए। मैं भी इंसान हूं। सात साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है...' और ये कहते-कहते ही वह अदालत के अंदर ही रो पड़ीं। वहीं निर्भया के पिता भी भावुक होकर कोर्ट में बोल पड़े कि, 'निर्भया के साथ अन्याय हो रहा है। आपकी डयूटी है अन्याय न हो।'
Nirbhaya's mother breaks down in Court during hearing https://t.co/e1KCB5kmOs
— ANI (@ANI) February 12, 2020
इतना ही नहीं बल्कि निर्भया के माता-पिता और महिला कार्यकर्ता योगिता भयाना समेत अन्य ने बुधवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर नारेबाजी की। उन्होंने ‘निर्भया के हत्यारों को फांसी दो...फांसी दो’, निर्भया को न्याय दो...न्याय दो न्याय दो, ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ और ‘वी वांट जस्टिस’ के नारे लगाए।
Delhi: Parents of 2012 gang-rape victim and women rights activist Yogita Bhayana stage demonstration outside Patiala House Court, demanding hanging of convicts. pic.twitter.com/s9xRqExNx4
— ANI (@ANI) February 12, 2020
बता दें तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने मंगलवार को निचली अदालत में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर कहा था कि किसी भी दोषी ने पिछले सात दिनों में कोई कानूनी विकल्प नहीं चुना है, जो समय सीमा दिल्ली हाई कोर्ट ने दी थी। इन चारों दोषियों में मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) शामिल हैं।
गौरतलब है कि कोर्ट ने हाईकोर्ट के 5 फरवरी के आदेश का संज्ञान लिया था, जिसमें दोषियों को एक हफ्ते के अंदर अपने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई थी। ये चारों तिहाड़ जेल में कैद हैं।
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जब जेल में दी जाती है दोषी को फांसी, तो रुक जाते हैं सारे काम, इन नियम-कानून का करना पड़ता है पालन
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड के आरोपितों में से चार गुनाहगारों की मौत की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। हर देशवासी को उस घड़ी का इंतजार है जब चारों दरिंदों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। चार में से तीन दोषी मुकेश, विनय और अक्षय पिछले सात सालों से तिहाड़ में बंद हैं। पवन को भी अब मंडोली जेल से तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया है। अब उनकी फांसी की तैयारी चल रही है। क्या आपको पता है कि जब किसी को फांसी दी जाती है, तो जेल में वक्त थम-सा जाता है। आइए जानते हैं फांसी के वक्त जेल में कैसा माहौल रहता है।
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आसान नहीं फांसी की प्रक्रिया
फांसी की प्रक्रिया आसान नहीं है। इस दौरान कई अहम बातों का ख्याल रखा जाता है। जैसे कि- कैदी को अलग रखा जाना, उसके स्वास्थ का अच्छे से ख्याल रखना, 24 घंटे उसकी निगरानी करना ताकि वो खुद को कोई नुकसान ना पहुंचा सके।
फांसी के दौरान जेल में रुक जाता है वक्त
किसी भी दोषी को फांसी देने की प्रक्रिया थोड़ी लंबी होती है। इसके लिए कई नियम-कानून का भी पालन सख्ती से किया जाता है। जब भी किसी दोषी कैदी को फांसी दी जाती है तो वह कार्रवाई तब तक अंजाम तक नहीं पहुंचती, जब तक लाश फंदे से नीचे नहीं उतार ली जाए। फांसी देते समय जेल के सभी काम रोक दिए जाते हैं। हर कैदी अपने सेल और अपने बैरक में होता है। यहां तक कि जेल में कोई मूवमेंट नहीं होता। यानी फांसी देते वक्त जेल में हर तरफ सन्नाटा-सा पसर जाता है। यह सब जेल मैनुअल का हिस्सा है। जैसे ही डॉक्टर कैदी को मृत घोषित कर देता है और उसकी लाश फंदे पर से उतार ली जाती है, उसके बाद फांसी की प्रक्रिया खत्म हो जाती है। फिर जेल में दोबारा सारे काम शुरू हो जाते हैं।
बैरक से काफी दूर है फांसी कोठी
तिहाड़ जेल का निर्माण 1958 में हुआ था। अंग्रेजों के जमाने में ही वहां फांसी घर (फांसी कोठी) का नक्शा बना दिया गया था। ये फांसी कोठी तिहाड़ के जेल नंबर तीन में कैदियों के बैरक से बहुत दूर बिल्कुल अलग सुनसान जगह पर है। जिस बिल्डिंग में फांसी कोठी बनी है उस बिल्डिंग में कुल 16 डेथ सेल हैं। बता दें डेथ सेल वो जगह होती है जहां सिर्फ उन्हीं कैदियों को रखा जाता है, जिन्हें मौत की सजा मिली है। डेथ सेल में कैदी को अकेला रखा जाता है। उसे 24 घंटे में सिर्फ आधे घंटे के लिए ही बाहर निकाला जाता है।
तमिलनाडु स्पेशल पुलिस करती डेथ सेल की पहरेदारी
जानकारी के मुताबिक, डेथ सेल की पहरेदारी तमिलनाडु स्पेशल पुलिस करती है। यहां दो-दो घंटे की शिफ्ट में काम किया जाता है। इनका काम मौत की सजा मिलने वाले कैदियों पर नजर रखना होता है, ताकि वे खुदकुशी न कर लें। डेथ सेल में कैदियों को कोई भी चीज खुद करने की इजाजत नहीं दी जाती है।
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निर्भया केस: दोषी पवन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 20 जनवरी को होगी सुनवाई
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. निर्भया केस के मामले में दोषी पवन गुप्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 20 जनवरी को सुनवाई होगी। इस याचिका में पवन ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें अदालत ने उसे 2012 में नाबालिग मानने से इनकार कर दिया था।
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बता दें 19 दिसंबर को हाईकोर्ट ने पवन गुप्ता की अपील को खारिज कर दिया था। वहीं राष्ट्रपति ने शुक्रवार को निर्भया के एक दोषी मुकेश की दया याचिका खारिज की है। खबरों के मुताबिक, राष्ट्रपति ने यह फैसला गृह मंत्रालय की ओर से भेजी गई सिफारिश के कुछ ही घंटे के भीतर ले लिया।
2012 Delhi gang-rape case: Supreme Court will hear on 20th Jan, the Special Leave Petition (SLP) filed by Pawan, one of the convicts, claiming that he was a juvenile at the time of crime, and the Delhi High Court had ignored this fact. pic.twitter.com/yydZKJ7rh3
— ANI (@ANI) January 18, 2020
नीचली अदालत ने अब इन चारों को 1 फरवरी को सुबह छह बजे फांसी पर लटकाने का नया आदेश दिया है। इससे पहले इन्हें 22 जनवरी को फांसी देनी थी। लेकिन विनय कुमार के क्यूरेटिव पेटीशन और मुकेश की दया याचिका के चलते फांसी की तारीख आगे बढ़ानी पड़ी। जानकारी के मुताबिक, अब मुकेश के माफीनामें के सभी विकल्प खत्म हो चुके हैं। लेकिन बाकी तीन दोषी राष्ट्रपति के पास दया याचिका के लिए जा सकते हैं। इस स्थिति में फांसी की तारीख फिर से बढ़ाई जा सकती है।
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निर्भया के दोषियों को खुद फांसी देना चाहती हैं यह महिला शूटर, अमित शाह को लिखी खून से चिट्ठी
चैतन्य भारत न्यूज
लखनऊ. निर्भया के दोषियों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग पूरे देश में हो रही है। इसी मांग को लेकर पिछले 13 दिन से दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल भी अनशन पर बैठी हैं। अब अंतरराष्ट्रीय शूटर वर्तिका सिंह ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को खून से पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने निर्भया के दोषियों को महिला द्वारा फांसी दिए जाने की मांग की है।
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एक महिला भी फांसी दे सकती है
वर्तिका ने पत्र में लिखा है कि, 'जैसी बर्बरता उन्होंने (निर्भया कांड के दोषी) एक महिला के साथ की थी, मेरी मांग है कि उसकी सजा देने का हक भी एक महिला को ही मिलना चाहिए। इससे समाज में बदलाव का संदेश भी जाएगा। निर्भया मामले के दोषियों को फांसी मेरे द्वारा दी जानी चाहिए। यह पूरे देश में एक संदेश देगा कि एक महिला भी फांसी दे सकती है।' उन्होंने आगे लिखा है कि, 'मैं चाहती हूं कि महिला कलाकार और सांसद मेरा समर्थन करें। मुझे उम्मीद है कि इससे समाज में बदलाव आएगा।'
Lucknow: International shooter Vartika Singh has written a letter in blood to Union Home Minister Amit Shah stating that the four men convicted in Nirbhaya gang-rape case should be executed by a woman. (14.12.19) pic.twitter.com/Urgev019xf
— ANI UP (@ANINewsUP) December 15, 2019
अक्सर ही विवादों में रहती हैं वर्तिका
बता दें वर्तिका सिंह अक्सर ही अपने विवादों को लेकर चर्चा में रहती हैं। इससे पहले अयोध्या में बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने उनके खिलाफ हमला करने का केस दर्ज कराया, जिसके बाद वर्तिका को पुलिस ने हिरासत में ले लिया गया था। हालांकि, पूछताछ के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था।
कोर्ट के अंतिम फैसले का इंतजार
गौरतलब है कि ऐसी चर्चाएं हो रही है कि जल्द ही निर्भया के दोषियों को फांसी हो सकती है। इसके लिए तिहाड़ जेल प्रशासन ने उत्तर प्रदेश जेल मुख्यालय से जल्लाद की मांग की है। फांसी के डर से चारों दोषियों की भूख-प्यास खत्म हो गई है। जेल में उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। दिन में दो बार उनका हेल्थ चेकअप हो रहा है। अब बस सभी को कोर्ट के अंतिम फैसले का इंतजार है।
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चैतन्य भारत न्यूज
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— ANI (@ANI) February 12, 2020
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— ANI (@ANI) February 12, 2020
बता दें तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने मंगलवार को निचली अदालत में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर कहा था कि किसी भी दोषी ने पिछले सात दिनों में कोई कानूनी विकल्प नहीं चुना है, जो समय सीमा दिल्ली हाई कोर्ट ने दी थी। इन चारों दोषियों में मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) शामिल हैं।
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