💜💜संत रामपाल जी महाराज वह महान संत हैं जिनका जन्म पवित्र हिन्दू धर्म में सन् (ई.सं.) 1951 में 8 सितम्बर को गां�� धनाना जिला सोनीपत, प्रांत हरियाणा (भारत) में एक किसान परिवार में हुआ। जिनके बारे में विश्व के सभी भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियां खरी उतरती हैं। 17 फरवरी 1988 को उनको स्वामी रामदेवानंद जी से नाम उपदेश प्राप्त हुआ था जिसे संत मत में उपदेशी का बोध दिवस अर्थात आध्यात्मिक जन्म दिवस कहा जाता है।#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
💜💜संत रामपाल जी महाराज केवल एक मात्र जगतगुरु तत्वदर्शी संत हैं। जिन्होंने हमारे सभी शास्त्रों के गूढ़ रहस्यों को उजागर करके बताया कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की भक्ति करने से घोर से घोर पाप का भी नाश हो जाता है और मोक्ष भी प्राप्त होता है। ऐसे परम संत का 17 फरवरी को बोध दिवस है।#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
💜💜संत रामपाल जी महाराज जी का उद्देश्य है कि सभी शास्त्रों के अनुसार पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की पूजा करें और अपने मूल निवास सतलोक में वापस लौटकर पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर की शरण ग्रहण करें।
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💜💜संत रामपाल जी महाराज वह सच्चे सतगुरु है जिन्होंने सदग्रंथों से प्रमाण देकर पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की संपूर्ण जानकारी और सतभक्ति सर्व मानव समाज को देकर पूर्ण मोक्ष का मार्ग बताया जो आज तक किसी ने नहीं बताया। ⭐💫
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#संत_रामपालजी_के_उद्देश्य
परम संत रामपाल जी महाराज को नाम उपदेश 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को स्वामी रामदेवानंद जी महाराज से प्राप्त हुआ।
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परम संत रामपाल जी महाराज जी को नाम उपदेश 17 फरवरी 1988 को प्राप्त हुआ। जिसके पश्चात संत रामपाल जी महाराज जी ने शास्त्र अनुकूल ज्ञान देकर करोड़ों लोगों में नैतिकता, चरित्र व संस्कार का निर्माण किया और उनको जीने की नयी राह दी।
#TheMission_Of_SantRampalJi
#SatlokAshramMundka
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#दुनिया_का_तारणहार
परम संत रामपाल जी महाराज जी को नाम उपदेश 17 फरवरी 1988 को प्राप्त हुआ। जिसके पश्चात संत रामपाल जी महाराज जी ने शास्त्र अनुकूल ज्ञान देकर करोड़ों लोगों में नैतिकता, चरित्र व संस्कार का निर्माण किया और उनको जीने की नयी राह दी।
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#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
♻️महान परम पूज्य संत रामपाल जी महाराज को 17 फरवरी 1988 को उनको नाम उपदेश प्राप्त हुआ था। तब से लेकर अब तक उन्होंने करोड़ों लोगों को विकारों से मुक्त कर मोक्ष की राह दिखाई। – at Koiripur🙏🙏🙏🙏
🪷🪷#SantRampalji🪷🪷
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#SantRampalJiBodhDiwas
🎉 परम संत रामपाल जी महाराज जी को नाम उपदेश 17 फरवरी 1988 को प्राप्त हुआ। जिसके पश्चात संत रामपाल जी महाराज जी ने शास्त्र अनुकूल ज्ञान देकर करोड़ों लोगों में नैतिकता, चरित्र व संस्कार का निर्माण किया और उनको जीने की नयी राह दी।
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#दुनिया_का_तारणहार
🎉परम संत रामपाल जी महाराज को नाम उपदेश 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को स्वामी रामदेवानंद जी महाराज से प्राप्त हुआ।
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🎋संत रामपालजी महाराज का जीवन परिचय व् आध्यात्मिक संघर्ष🎋
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में जाट किसान परिवार में हुआ, जिन्होंने हम जीवों के उद्धार के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद संत ऱामपालजी महाराज हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। इसी दौरान संत रामपाल जी महाराज जी ने 17 फरवरी सन् 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को परम संत रामदेवानंद जी से नाम दीक्षा प्राप्त की। उनके अनुयायी इस दिवस को बोध दिवस के रूप में मनाते हैं।
अपने गुरु जी से नाम दीक्षा लेकर दृढ भक्ति करने के बाद संत रामपाल जी महाराज जी को 1994 में स्वामी रामदेवानंद जी ने आदेश दिया कि अब आप लोगों को नाम दीक्षा दिया करो। अपने गुरुजी की आज्ञा को मानकर संत रामपाल जी महाराज ने 18 साल की अपनी नौकरी से 21/05/1995 को इस्तीफा दे दिया और पूर्णतः नामदान देने लग गए।
वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे संत है जो शास्त्रों के आधार पर लोगों को तत्वज्ञान का भेद करा रहे हैं व् लोगों को पाखंडवाद से मुक्त कर शास्त्रानुसार कबीर साहेब की सतभक्ति करने के लिए जागृत कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी अपने तत्वज्ञान के माध्यम से लोगों को यह बताते हैं कि मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य क्या है, हमें किस तरह से मनुष्य जीवन में रहना चाहिए, किस की भक्ति करनी चाहिए, शास्त्रानुसार वास्तविक भक्ति विधि क्या है इन सबकी जानकारी बताते हैं।
सतगुरु रामपाल जी महाराज को लोगों तक वास्तविक तत्वज्ञान पहुँचाने के लिए अनेकों संघर्षों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
जब संत रामपाल जी महाराज ने नौकरी छोड़ी तब वह नौकरी ही उनके परिवार के निर्वाह का एकमात्र साधन थी पर अपने सतगुरु के आदेश का पालन करने के लिए और परमात्मा के बच्चों के उद्धार के लिए उन्होंने नौकरी त्याग दी। उन्होंने अपने परिवार तथा बच्चों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया और परमात्मा के लिए अपना जीवन समर्पण कर दिया।
उन्होंने अपने कुछ भक्तों के सहयोग से गाँव गाँव, नगर नगर जाकर सत्ज्ञान का प्रचार किया। सर्व धर्मों के शास्त्रों का अध्ययन किया और उनमें से परमात्मा का सच्चा ज्ञान निकालकर भक्त समाज के सामने रख दिया। दिन रात सत्संग किये, पुस्तकें लिखी। 20-20 घंटे लगातार काम किया। समाज में व्यापत कुरीतियों तथा नकली संतो द्वारा फैलाये गए गलत ज्ञान पर दृढ़ लोगों ने परम संत और उनके द्वारा दिये गए ज्ञान का बहुत विरोध किया पर सतगुरु जी द्वारा दिया गया परमेश्वर कबीर साहेब का ज्ञान ऐसा था जैसे तोप का गोला हो जिसके आगे कोई टिक नही सका।
इस पृथ्वी पर सिर्फ संत रामपाल जी ही पूर्ण संत हैं फिर चाहे वे जेल में ही क्यों न हों। परमार्थ के लिए, हम जीवों के उद्धार के लिए ही आज उनको जेल जाना पड़ा है। इस तत्वज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने इतना संघर्ष किया है, उसे समझकर संत जी से नाम उपदेश लेना हमारा परम कर्तव्य बनता है क्योंकि मोक्ष प्राप्त करना ही इस मानव जीवन का प्रथम कर्तव्य है।
#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
#SantRampalJiMaharaj
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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🎋संत रामपालजी महाराज का जीवन परिचय व् आध्यात्मिक संघर्ष🎋
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में जाट किसान परिवार में हुआ, जिन्होंने हम जीवों के उद्धार के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद संत ऱामपालजी महाराज हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। इसी दौरान संत रामपाल जी महाराज जी ने 17 फरवरी सन् 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को परम संत रामदेवानंद जी से नाम दीक्षा प्राप्त की। उनके अनुयायी इस दिवस को बोध दिवस के रूप में मनाते हैं।
अपने गुरु जी से नाम दीक्षा लेकर दृढ भक्ति करने के बाद संत रामपाल जी महाराज जी को 1994 में स्वामी रामदेवानंद जी ने आदेश दिया कि अब आप लोगों को नाम दीक्षा दिया करो। अपने गुरुजी की आज्ञा को मानकर संत रामपाल जी महाराज ने 18 साल की अपनी नौकरी से 21/05/1995 को इस्तीफा दे दिया और पूर्णतः नामदान देने लग गए।
वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे संत है जो शास्त्रों के आधार पर लोगों को तत्वज्ञान का भेद करा रहे हैं व् लोगों को पाखंडवाद से मुक्त कर शास्त्रानुसार कबीर साहेब की सतभक्ति करने के लिए जागृत कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी अपने तत्वज्ञान के माध्यम से लोगों को यह बताते हैं कि मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य क्या है, हमें किस तरह से मनुष्य जीवन में रहना चाहिए, किस की भक्ति करनी चाहिए, शास्त्रानुसार वास्तविक भक्ति विधि क्या है इन सबकी जानकारी बताते हैं।
सतगुरु रामपाल जी महाराज को लोगों तक वास्तविक तत्वज्ञान पहुँचाने के लिए अनेकों संघर्षों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
जब संत रामपाल जी महाराज ने नौकरी छोड़ी तब वह नौकरी ही उनके परिवार के निर्वाह का एकमात्र साधन थी पर अपने सतगुरु के आदेश का पालन करने के लिए और परमात्मा के बच्चों के उद्धार के लिए उन्होंने नौकरी त्याग दी। उन्होंने अपने परिवार तथा बच्चों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया और परमात्म�� के लिए अपना जीवन समर्पण कर दिया।
उन्होंने अपने कुछ भक्तों के सहयोग से गाँव गाँव, नगर नगर जाकर सत्ज्ञान का प्रचार किया। सर्व धर्मों के शास्त्रों का अध्ययन किया और उनमें से परमात्मा का सच्चा ज्ञान निकालकर भक्त समाज के सामने रख दिया। दिन रात सत्संग किये, पुस्तकें लिखी। 20-20 घंटे लगातार काम किया। समाज में व्यापत कुरीतियों तथा नकली संतो द्वारा फैलाये गए गलत ज्ञान पर दृढ़ लोगों ने परम संत और उनके द्वारा दिये गए ज्ञान का बहुत विरोध किया पर सतगुरु जी द्वारा दिया गया परमेश्वर कबीर साहेब का ज्ञान ऐसा था जैसे तोप का गोला हो जिसके आगे कोई टिक नही सका।
इस पृथ्वी पर सिर्फ संत रामपाल जी ही पूर्ण संत हैं फिर चाहे वे जेल में ही क्यों न हों। परमार्थ के लिए, हम जीवों के उद्धार के लिए ही आज उनको जेल जाना पड़ा है। इस तत्वज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने इतना संघर्ष किया है, उसे समझकर संत जी से नाम उपदेश लेना हमारा परम कर्तव्य बनता है क्योंकि मोक्ष प्राप्त करना ही इस मानव जीवन का प्रथम कर्तव्य है।
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🌅बोध दिवस परम संत रामपाल जी महाराज को नाम उपदेश 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को स्वामी रामदेवानंद जी महाराज से प्राप्त हुआ।
👉पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा निःशुल्क पायें अपना नाम, पूरा पता भेजें +91 7496801825
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