पाकिस्तान के दावों की खुली पोल, ट्रेस किया गया 132 बच्चों की हत्या करने वाला आतंकी
पाकिस्तान के दावों की खुली पोल, ट्रेस किया गया 132 बच्चों की हत्या करने वाला आतंकी
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नई दिल्ली: पाकिस्तान के पेशावर आर्मी स्कूल में हुए आतंकी हमले के मुख्य आरोपी से जुड़ा बड़ा खुलासा हुआ है. ताजा रिपोर्ट और सूत्रों के मुताबिक टॉप पाकिस्तान (Pakistan) तालिबान लीडर एहसानुल्लाह एहसान को इस्लामाबाद में ट्रेस किया गया है. यानी ये टॉप तालिबानी नेता और पेशावर आर्मी स्कूल में हुए आतंकी हमले का मुख्य आरोपी पाकिस्तान में छुपा हुआ है.
ट्विटर के फोरेंसिक विश्लेषण के आधार पर…
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पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में तलब हुए इमरान को मिली फटकार, जज बोले- आपके पास होने चाहिए सवालों के जवाब
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में तलब हुए इमरान को मिली फटकार, जज बोले- आपके पास होने चाहिए सवालों के जवाब
इस्लामाबादपाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान बुधवार को पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच के समक्ष पेश हुए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में कोई भी ‘पवित्र गाय’ नहीं है। मैं कानून के शासन में विश्वास करता हूं। आर्मी पब्लिक स्कूल (एपीएस) हत्याकांड से संबंधित एक मामले में चीफ जस्टिस की ओर से तलब किए जाने के बाद इमरान खान मंगलवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट…
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पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान भिड़ते क्यों रहते हैं
पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में मौजूद अपने दूतावास के वीज़ा सेक्शन को अनिश्चित काल के लिए बंद करने का ऐलान किया है.
इस घोषणा के बाद से अफ़ग़ान नागरिकों को वीज़ा दिए जाने की प्रक्रिया भी रोक दी गई है. इसके पीछे पाकिस्तान ने सुरक्षा कारणों का हवाला दिया है.
यह घोषणा उस समय की गई है जब काबुल में अफ़ग़ान अधिकारियों द्वारा पाकिस्तानी राजनयिकों के कथित उत्पीड़न की दो घटनाएं सामने आई थीं.
इसके अलावा, कुछ दिन पहले पाक-अफ़ग़ान सीमा पर दोनों देशों के सुरक्षाबलों की ओर से गोलीबारी भी हुई थी जिसमें पाकिस्तानी इलाक़े में पांच लोग ज़ख़्मी हो गए थे.
काबुल में पाकिस्तानी दूतावास की ओर से जारी एक संक्षिप्त बयान में कहा गया है कि वीज़ा सेक्शन सुरक्षा कारणों से सोमवार से बंद रहेगा. इसके अलावा और कोई जानकारी नहीं दी गई.
दो दिन पहले, अफ़ग़ानिस्तान में तैनात पाकिस्तानी राजनयिकों ने आरोप लगाया था कि अफ़ग़ान अधिकारी उन्हें काबुल में परेशान कर रहे हैं. उनका कहना था कि पाकिस्तानी राजनयिकों के वाहनों को कई बार रोका गया और वापस दूतावास भेज दिया गया.
पाकिस्तानी प्रशासन ने मीडिया को एक वीडियो भी जारी किया जिसमें अफ़ग़ान प्रशासन के लोग काबुल में उप राजदूत हसन वज़ीर और एक अन्य राजनयिक की गाड़ी को रोक रहे हैं.
पाकिस्तानी राजनयिकों का दावा है कि उन्हें अपनी मर्ज़ी से काबुल स्थिति दूतावास से बाहर भी नहीं निकलने दिया जा रहा, जिससे उन्हें कई समस्याएं हो रही हैं.
पाकिस्तान ने बाद में इस्लामाबाद में अफ़ग़ानिस्तान के कूटनीतिक प्रतिनिधि को विदेश मंत्रालय बुलाया और अपने राजनयिकों से हो रहे व्यवहार को लेकर चिंता जताई.
हालांकि, चार नवंबर को अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री की ओर से जारी बयान में दावा किया गया है कि पाकिस्तान में अफ़ग़ान राजनयिक को आईएसआई ने बुलाया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया.
पाकिस्तान ने अभी तक इस आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. न तो कोई पुष्टि की गई है और न ही इसका खंडन किया गया है.
यह ध्यान देने वाली बात है कि पेशावर में अफ़ग़ान वाणिज्य दूतावास भी पिछले तीन हफ्तों में बंद है जिसके कारण अफ़ग़ानिस्तान जाने की इच्छा रखने वाले पाकिस्तानियों को वीज़ा लेने में दिक्कत हो रही है.
अफ़ग़ान सरकार का कहना है कि पेशावर में अफ़ग़ान बाज़ार से अफ़ग़ानिस्तान का झंडा जबरन उतारे जाने के विरोध में उसने अपने इस दफ़्तर को बंद किया है.
अफ़ग़ान सरकार लंबे समय से इस बाज़ार पर अपने मालिकाना हक़ का दावा करती है जबकि एक पाकिस्तानी नागरिक ने दावा किया कि उसके पूर्वजों ने इस बाज़ार को लीज़ पर अफ़ग़ान सरकार को दिया था. मगर बाद में मामला कोर्ट में चला गया जहां फ़ैसला पाकिस्तानी नागरिक के पक्ष में आया.
पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के रिश्ते अधिकतर समय तनाव भरे रहे हैं. अगर ऐतिहासिक तौर पर देखें तो दोनों पड़ोसियों के बीच कई मामले अनसुलझे हैं.
अक्सर देखा गया है कि इन अनसुलझी समस्याओं के कारण ही कई बार गंभीर समस्याएं खड़ी हो जाती हैं.
पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच मुख्य मुद्दा है सीमा का, जिसे डूरंड रेखा कहते हैं. इसे लेकर दोनों देशों के बीच विवाद रहता है.
अफ़ग़ानिस्तान शुरू से ही इस रेखा को मानने से इनकार करता है जबकि पाकिस्तान मानता है कि यह अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सीमा है.
दोनों देशों के बीच लंबी सीमा है और आरोप लगते हैं कि डूरंड रेखा के दोनों ओर मौजूद चरमपंथी इधर-उधर आते-जाते रहते हैं और एक-दूसरे के इलाक़ों में हमले करते हैं.
हालांकि, दिसंबर 2014 में पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान ने सीमा पर कई इंतज़ाम किए थे. इनमें बाड़ लगाने और अफ़ग़ान नागरिकों को क़ानूनी ढंग से ही पाकिस्तान आने की इजाज़त देना प्रमुख हैं.
फिर भी, सीमा पर तनाव कम होने के कोई संकेत नहीं मिले. हाल के समय में दोनों देशों के बीच सीमा में फ़ायरिंग हुई है और पाकिस्तान के क्षेत्र में लोग भी जख़्मी हुए हैं.
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कुलभूषण जाधव मामले का फैसला 17 को
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इस्लामाबाद 05 जुलाई,पाकिस्तान में कथित जासूसी के आरोप में सैन्य अदालत से फांसी की सजा सुनाए गए भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत 17 जुलाई को फैसला सुनाएगी। यह जानकारी शुक्रवार को अदालती पत्र से मिली।विदित हो कि इस मामले में बहस पूरी हो चुकी है। इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि फैसला कुछ सप्ताहों में आ जाएगा।
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हालांकि उन्होंने तारीख तय नहीं होने की बात कही थी। उल्ल्खनीय है कि जाधव फिलहाल पाकिस्तानी जेल में बंद हैं। पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने 48 वर्षीय जाधव को अप्रैल, 2017 में फांसी की सजा सुनाई थी। पाकिस्तान ने उन पर जासूसी करने के आरोप लगाए हैं, जबकि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने उन्हें ईरान से उन्हें अगवा किया था। भारत को जाधव की हिरासत के बारे में 25 मार्च , 2016 में जानकारी मिली और 11 अप्रैल 2017 को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई। इसके बाद 8 मई, 2017 को भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाया। 18 मई 2017 को आईसीजे ने कुलभूषण की फांसी पर रोक लगा दी थी।
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इस साल 19 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय अदालत में कुलभूषण मामले की सुनवाई हुई जहां पाकिस्तानी एटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान ने अपने देश का पक्ष रखा और जाधव को रॉ का एजेंट बताया। पेशावर में आर्मी स्कूल में हमले के लिए भी भारत को दोषी ठहराया।इससे पहले 18 फरवरी को सुनावाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए भारत ने कहा था कि पाकिस्तान इस मामले में उचित प्रक्रिया के न्यूनतम मानकों को भी पूरा करने में असफल रहा है। भारत ने यह भी अपील की थी कि इंटरनेशनल कोर्ट पाकिस्तान के फैसले को गैरकानूनी घोषित करे।
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लोग चीख रहे हैं, पाकिस्तान में इलेक्शन नहीं सेलेक्शन होने जा रहा है'
आज चुनाव से सिर्फ़ नौ दिन की दूरी पर पाकिस्तान के जो हालात हैं, उन्हें देखकर माओत्से तुंग का ऐतिहासिक विश्लेषण याद आता है कि आकाश तले ज़बरदस्त उथल-पुथल है और परिस्थिति अति उत्तम है.
जो कल तक सत्ता में थे आज उनपर एक के बाद एक पर्चे कट रहे हैं. जिसके पास भी मुस्लिम लीग नवाज़ का टिकट है, उस पर ऊपर-नीचे, दाएं-बाएं से दबाव है- टिकट वापस करो या दूसरी पार्टी में शामिल हो जाओ या फिर आज़ाद चुनाव लड़ो या फिर फ्लां-फ्लां मुकदमे में सरकारी गवाह बन जाओ.
वरना ये बताओ इतने ठाटबाट से अब तक कैसे रह रहे हो, टैक्स कितना दिया, कितना छुपाया, फ्लां ठेके में कितना कमाया, अदालतों की तौहीन क्यों की, सरकारी काम में बाधा क्यों पहुंचाई, लोगों को तोड़-फोड़ के लिए क्यों उकसा रहे हो? नैब, एफ़आईए और अदालत का सामना करो या फिर सामने की लॉन्ड्री में जाओ और सारे गंध से पाक साफ़ हो जाओ.
इमरान की तहरीक-ए-इंसाफ जिसे 2013 के चुनाव में पहली बार कौमी असेंबली की 32 सीटें मिली थीं वो 166 सीटें जीतने वाली नवाज़ शरीफ़ की पार्टी पर चुनाव में धांधली के आरोपों पर धरने देती रही और करप्शन फ़्री पाकिस्तान के पांच वर्ष नारे लगाती रही.
टीवी चैनलों को देखा जाए तो इमरान ख़ान जीत चुके हैं. जो एक-आध चैनल ऐसा नहीं कह पा रहे, उनकी कहीं तस्वीर ग़ायब हो रही है तो कहीं आवाज़. इमरान ख़ान कहते हैं कि इस वक़्त ऊपर वाला उनके साथ है. बाक़ी कह रहे हैं ऊपर वाला साथ हो न हो, धरती के ख़ुदा उनके साथ ज़रूर हैं.
जब सारी मशीनरी इलेक्शन का रुख़ मोड़ने पर लगी हुई है तो चरमपंथी भी खुल कर खेल रहे हैं. सिर्फ़ एक हफ़्ते में तीन बड़ी घटनाएं 168 जानें ले चुकी हैं. बलूचिस्तान के मस्तूम शहर में एक चुनावी रैली में आत्मघाती हमले में 142 लोग मारे गए.
चार साल पहले पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमले में 150 बच्चों और अध्यापकों के मारे जाने और बाद में फ़ौजी ऑपरेशन में आतंकवाद की कमर तोड़ने के बाद मस्तूम का हमला सबसे ख़ूनी है.
मगर जिस दिन मस्तूम में लाशें उठाई जा रही थीं मीडिया के कैमरे लाहौर एयरपोर्ट पर नवाज़ शरीफ़ और मरियम नवाज़ की गिरफ्तारी कवर कर रहे थे.
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