बिहार में चार दिवसीय छठ पर्व के दौरान 53 लोग डूबे
बिहार में चार दिवसीय छठ पर्व के दौरान 53 लोग डूबे
द्वारा पीटीआई
पटना : बिहार के विभिन्न हिस्सों में चार दिवसीय छठ पर्व के दौरान कम से कम 53 लोग नदियों और अन्य जलाशयों में डूब गए.
अधिकारी ने कहा कि दुख व्यक्त करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रत्येक मृतक के परिजन को चार-चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।
सीएम ने सभी जिलाधिकारियों को पीड़ित परिवारों को शीघ्र भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
अधिकारी के अनुसार,…
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मामले को देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री ने आईएएस अधिकारी पर कहा, 'कंडोम अगला' किसने पूछा? सेनेटरी नैपकिन के लिए स्कूली लड़कियों का अनुरोध
मामले को देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री ने आईएएस अधिकारी पर कहा, ‘कंडोम अगला’ किसने पूछा? सेनेटरी नैपकिन के लिए स्कूली लड़कियों का अनुरोध
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार ने एक वरिष्ठ महिला आईएएस अधिकारी द्वारा सैनिटरी नैपकिन पैड को लेकर एक स्कूली छात्रा के अपमान का संज्ञान लिया है।
उन्होंने कहा कि उन्हें इस घटना के बारे में तब पता चला जब घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और देश भर में सुर्खियों में आ गया। उन्होंने कहा, ‘यह हमारे संज्ञान में आया है और हम इसकी जांच कर रहे हैं।
बिहार महिला और बाल…
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तेजस्वी यादव की ताजपोशी जल्द होगी, RJD-JDU में सहमति: जगदानंद के बाद भाई वीरेंद्र का बयान
तेजस्वी यादव की ताजपोशी जल्द होगी, RJD-JDU में सहमति: जगदानंद के बाद भाई वीरेंद्र का बयान
भाई वीरेंद्र ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद तेजस्वी की ताजपोशी करेंगे और वे केंद्र की राजनीति में चले जाएंगे। जेडीयू और आरजेडी में आम सहमति पहले ही बनी है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जल्द ही डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को राज्य की कमान सौंप देंगे। आरजेडी और जेडीयू में इस बात पर सहमति बन गई है। आरजेडी प्रदेशाध्यक्ष जगदानंद सिंह के बयान के बाद पार्टी प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने ये बात कही…
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पटना /मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व मंत्री चंद्रिका राय पर जताया भरोसा, दी अपने नये कार्यकारिणी में जगह- पार्टी को दे रहे हैं मुख्यमंत्री "धार"
प्रियंका भारद्वाज : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू की राज्यस्तरीय बैठक में सूबे के JDU को मजबूत और निगरानी हेतु कुल 68 प्रदेश कार्यकारिणी सदस्यों मनोनित किया है।CM के निर्देश पर सदस्यों में कई सांसद,मंत्री,पूर्वमंत्री,विधान पार्षद,विधायक,पूर्व विधायक सहित कई राजनेता मनोनित किए गए है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा परसा विधानसभा क्षेत्र के बजहिया निवासी सह बिहार सरकार के पूर्वमंत्री…
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Brahmin Saansadon ka Bhaaratiya Raajaniti Mein Badhata Dabdaba
भारत की राजनीति में जाति का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। समय के साथ कई जातियों और वर्गों ने सत्ता में अपनी पकड़ मजबूत की है। इन्हीं जातियों में ब्राह्मण समुदाय भी एक प्रमुख भूमिका में रहा है। "भारत में ब्राह्मण सांसद" इस बात का प्रमाण है कि भारतीय लोकतंत्र में यह जाति सदियों से प्रभावी भूमिका निभाती आई है। चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम का दौर हो या आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्था, ब्राह्मण समाज ने सत्ता के विभिन्न स्तरों पर अपनी उपस्थिति दर्ज की है।
ब्राह्मणों का ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व
भारतीय समाज में ब्राह्मणों का स्थान सदियों से ऊँचा माना जाता रहा है। उन्हें विद्या, धर्म, और नीति का संरक्षक माना गया है। प्राचीन समय से ही यह समुदाय राजा और शासकों के सलाहकार की भूमिका में रहा है। वे न केवल धार्मिक कार्यों में अग्रणी रहे, बल्कि नीति-निर्धारण और प्रशासनिक जिम्मेदारियों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
आधुनिक भारत में भी ब्राह्मणों ने स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर संविधान सभा तक अपनी पहचान बनाई है। महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद, और गोविंद बल्लभ पंत जैसे प्रमुख नेताओं का संबंध ब्राह्मण समुदाय से रहा है, जिन्होंने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। स्वतंत्रता के बाद से भारत में ब्राह्मण सांसदों की संख्या और उनका प्रभाव लगातार बना हुआ है, हालांकि यह समय-समय पर घटता-बढ़ता रहा है।
ब्राह्मण सांसदों की वर्तमान स्थिति
भारत में ब्राह्मण सांसदों की स्थिति समय के साथ बदलती रही है। 1950 और 1960 के दशक में, जब कांग्रेस पार्टी का प्रभुत्व था, तब ब्राह्मण नेता भारतीय राजनीति में शीर्ष पर थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक, कई प्रमुख नेता ब्राह्मण समाज से थे। लेकिन समय के साथ, विशेष रूप से 1980 के दशक के बाद, मंडल आयोग और पिछड़ी जातियों के आरक्षण के बाद, जातिगत राजनीति ने एक नया मोड़ लिया।
हालांकि, इसके बावजूद, आज भी संसद और राज्य विधानसभाओं में ब्राह्मण सांसदों का महत्वपूर्ण स्थान है। वे न केवल बड़े राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता बने हुए हैं, बल्कि कई राज्यों में मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी आसीन हैं। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ब्राह्मण सांसदों की संख्या और प्रभाव आज भी चर्चा का विषय बना रहता है।
जातिगत समीकरण और ब्राह्मणों का दबदबा
भारत में जातिगत राजनीति ने हमेशा चुनावी समीकरणों को प्रभावित किया है। पिछले कुछ दशकों में, पिछड़ी जातियों और दलितों के उभरने के बावजूद, ब्राह्मण समुदाय ने अपनी पकड़ बनाए रखी है। इसका कारण यह है कि ब्राह्मण नेता उच्च राजनीतिक सूझ-बूझ और व्यापक प्रशासनिक अनुभव के कारण विभिन्न दलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
ब्राह्मण नेताओं का महत्व इस बात में भी देखा जा सकता है कि जब किसी भी पार्टी को चुनाव जीतने के लिए जातिगत समीकरणों की जरूरत होती है, तब ब्राह्मण समाज को नजरअंदाज करना कठिन होता है। भाजपा, कांग्रेस, और अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों ने समय-समय पर ब्राह्मण नेताओं को अपने शीर्ष पदों पर बिठाया है ताकि ब्राह्मण मतदाताओं का समर्थन प्राप्त किया जा सके।
विभिन्न राज्यों में ब्राह्मणों का प्रभाव
उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ब्राह्मण सांसदों का महत्वपूर्ण प्रभाव है। उत्तर प्रदेश, जो देश का सबसे बड़ा राज्य है, वहां के चुनावी समीकरण जातिगत आधार पर तय होते हैं। यहां पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या अधिक है, और इसलिए, चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, सभी पार्टियां ब्राह्मण नेताओं को टिकट देने में पीछे नहीं रहतीं।
बिहार में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। यहां जातिगत समीकरण में ब्राह्मणों का महत्वपूर्ण स्थान है। राज्य में जब चुनाव होते हैं, तो ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए राजनीतिक पार्टियां अपने प्रमुख नेताओं के रूप में ब्राह्मणों को पेश करती हैं। नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और भाजपा दोनों ने ब्राह्मण समुदाय से कई महत्वपूर्ण नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है।
ब्राह्मण सांसदों की भूमिका और चुनौतियाँ
हालांकि ब्राह्मण सांसदों का दबदबा आज भी बरकरार है, लेकिन उन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ जहां पिछड़ी जातियों और दलितों का राजनीतिक सशक्तिकरण हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ ब्राह्मण नेताओं को जातिगत राजनीति के भीतर अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है।
इसके अलावा, मंडल आयोग के बाद से ब्राह्मणों की राजनीतिक स्थिति कुछ हद तक कमजोर हुई है, क्योंकि आरक्षण नीति ने पिछड़ी जातियों को अधिक अवसर प्रदान किए हैं। फिर भी, ब्राह्मण सांसदों ने अपनी राजनीतिक कौशल और कूटनीति से अपने लिए एक मजबूत आधार बनाए रखा है।
भविष्य में ब्राह्मणों की भूमिका
भारत में ब्राह्मण सांसदों की भूमिका भविष्य में भी महत्वपूर्ण बनी रहेगी। हालांकि राजनीति का जातिगत समीकरण समय-समय पर बदलता रहेगा, लेकिन ब्राह्मण नेताओं की बौद्धिक और संगठनात्मक क्षमता के कारण उनका स्थान हमेशा खास रहेगा। वर्तमान समय में जब राजनीति का ध्रुवीकरण हो रहा है, तब ब्राह्मण समुदाय को अपनी एकता और प्रभाव को बनाए रखना होगा।
इसके अलावा, ब्राह्मण समाज को सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अधिक संवेदनशील और प्रगतिशील होना पड़ेगा, ताकि वे बदलते भारत के साथ तालमेल बिठा सकें। अगर वे इन चुनौतियों का सामना कर पाते हैं, तो निश्चित रूप से भारत में ब्राह्मण सांसदों का प्रभाव भविष्य में भी बरकरार रहेगा।
निष्कर्ष
"भारत में ब्राह्मण सांसद" एक ऐसा विषय है जो भारतीय राजनीति के कई आयामों को छूता है। ब्राह्मणों का दबदबा केवल जातिगत समीकरणों के आधार पर नहीं है, बल्कि यह उनकी राजनीतिक कुशलता, शिक्षा, और अनुभव के कारण भी है। हालांकि, बदलते सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में ब्राह्मण नेताओं को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन उनके ऐतिहासिक और सामाजिक प्रभाव को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारतीय राजनीति में ब्राह्मण सांसदों की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण बनी रहेगी।
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आठ महीने बाद एक साथ दिखे नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव, जानें लोग क्या लगा रहे कयास
Bihar News: बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात काफी चर्चा में रही। दरअसल, सीएम नीतीश कुमार और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की यह मुलाकात मंगलवार को पटना स्थित सचिवालय में हुई। एक तरफ इस मुलाकात को लेकर काफी राजनीतिक हलचल रही, वहीं दूसरी तरफ कई लोग अपनी-अपनी तरफ से कयास लगा रहे थे। हालांकि, इस मुलाकात के बाद जब तेजस्वी यादव बाहर निकले तो उन्होंने मीडिया से बात…
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असम में नमाज ब्रेक पर 'ब्रेक' से एनडीए में ही खटपट, JDU और LJP ने सीएम हिमंता को घेरा
नई दिल्ली : असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के एक फैसले पर अब राजनीतिक घमासान तेज होने लगा है। सरमा ने राज्य विधानसभा में मुस्लिम विधायकों को नमाज के लिए मिलने वाले दो घंटे के ब्रेक को खत्म कर दिया है। इस फैसले की जहां विपक्षी पार्टियां आलोचना कर रहीं, वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA में भी इस फैसले के खिलाफ आवाज उठी है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दो प्रमुख सहयोगी दलों जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी ने इस फैसले की आलोचना की है।
फैसला संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ: JDU
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के नेता नीरज कुमार ने असम सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कि हिमंता बिस्वा सरमा को गरीबी उन्मूलन और बाढ़ की रोकथाम जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री की ओर से लिया गया फैसला देश के संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। हर धार्मिक आस्था को अपनी परंपराओं को संरक्षित रखने का अधिकार है। मैं असम के सीएम सरमा से पूछना चाहता हूं: आप रमजान के दौरान शुक्रवार की छुट्टियों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं और दावा करते हैं कि इससे कार्य क्षमता बढ़ेगी। हिंदू परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मां कामाख्या मंदिर है - क्या आप वहां बलि प्रथा पर प्रतिबंध लगा सकते हैं?
चिराग की पार्टी ने भी फैसले पर जताई आपत्ति
वरिष्ठ JDU नेता केसी त्यागी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता का प्रावधान है। किसी को भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे संविधान की भावना और लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे। LJP के दिल्ली अध्यक्ष राजू तिवारी ने भी असम सरकार के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि धार्मिक आचरण की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए। बिहार के इन दोनों सहयोगी दलों ने हाल ही में केंद्र के 'लैटरल एंट्री' के कदम पर भी सवाल उठाए थे, जिसके बाद फैसला वापस ले लिया गया था।
असम के सीएम ने फैसले पर दी सफाई
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी असम सरकार के फैसले पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाह रहे हैं। उधर, हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने फैसले का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला हिंदू और मुस्लिम विधायकों के बीच आम सहमति से लिया गया था। सभी विधायकों की साथ बैठक हुई और इसमें सर्वसम्मति से यह संकल्प लिया गया कि दो घंटे का ब्रेक सही नहीं है। हमें इस दौरान भी काम करना चाहिए। यह प्रथा 1937 में शुरू हुई थी और अब बंद कर दी गई है। http://dlvr.it/TCfCpF
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राज्य के 20 प्रतिशत थानों की "थानेदार" होंगी महिलाएं
पटना:महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने का संकल्प लेने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए ऐलान किया है कि अब बिहार के 20% थानों में थानेदार की जिम्मेदारी महिला निभाएंगी।बिहार सरकार हमेशा से ही महिलाओं को आगे बढ़ाने को लेकर तत्पर नजर आती है। सूबे के मुखिया यह बात दुहराते हुए भी नजर आते हैं कि हमने महिलाओं को सबसे अधिक आगे बढ़ाने का काम किया है। ऐसे में अब…
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स्वतंत्रता दिवस के राष्ट्रीय समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐतिहासिक गांधी मैदान में ध्वजारोहण किया।
पटना: स्वतंत्रता दिवस के राजकीय समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार (15 अगस्त) को ऐतिहासिक गांधी मैदान में ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने आधारभूत संरचना, कानून व्यवस्था और महिला सशक्तिकरण में सरकार के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहां कि बिहार पुलिस में महिलाओं को आरक्षण देने का परिणाम यह है कि देश में सबसे अधिक महिला पुलिसकर्मी बिहार में हैं। बिना किसी का नाम लिए, उन्होंने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर तंज करते हुए कहा कि लोग इधर-उधर बातें करते रहते हैं, लेकिन हमने 5.16 लाख नौकरी दी।
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मामले को देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री ने आईएएस अधिकारी पर कहा, 'कंडोम अगला' किसने पूछा? सेनेटरी नैपकिन के लिए स्कूली लड़कियों का अनुरोध
मामले को देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री ने आईएएस अधिकारी पर कहा, ‘कंडोम अगला’ किसने पूछा? सेनेटरी नैपकिन के लिए स्कूली लड़कियों का अनुरोध
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार ने एक वरिष्ठ महिला आईएएस अधिकारी द्वारा एक सैनिटरी नैपकिन पैड पर एक स्कूली छात्रा के अपमान का संज्ञान लिया है।
उन्होंने कहा कि उन्हें इस घटना के बारे में तब पता चला जब घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और देश भर में सुर्खियों में आ गया। उन्होंने कहा, ‘यह हमारे संज्ञान में आया है और हम इसकी जांच कर रहे हैं।
बिहार महिला और बाल…
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प्रशांत किशोर का नीतीश कुमार पर हमला, कहा- मैंने बिहार के विकास के लिए कुछ नहीं मांगा
प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने यह नहीं कहा था कि हम आपको तभी समर्थन देंगे जब आप बिहार में बंद चीनी मिलों को फिर से चालू करेंगे।
जन सुराज पार्टी के अध्यक्ष प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार सिर्फ सत्ता में बने रहना चाहते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार का समर्थन किया,…
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से मारेंगे पलटी ?
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बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी “सुषुप्त अवस्था” में है-तेजस्वी
बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी “सुषुप्त अवस्था” में है। प्रदेश में बेलगाम अपराध और ध्वस्त विधि व्यवस्था के कारण प्रतिदिन सैकड़ों लोगों की सत्ता प्रायोजित पूर्व नियोजित हत्याएं हो रही है लेकिन किसी पुलिस अधिकारी पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई एवं तबादला करने की बजाय अपराध वाले जिलों/क्षेत्रों में ही उन्हें लंबी अवधि तक, तब तक पोस्टिंग दी जा रही कि जब तक पोस्टिंग के वक़्त निवेशित राशि पर…
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"आप एक महिला हैं, क्या आपको कुछ नहीं पता?": नीतीश कुमार ने विधानसभा में आरजेडी विधायक से कहा
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को विधानसभा में विपक्ष के जोरदार विरोध का सामना करते हुए अपना आपा खो बैठे और राजद विधायक पर अपना गुस्सा निकालते हुए पूछा, “आप एक महिला हैं, क्या आपको कुछ नहीं पता?”
इस टिप्पणी पर राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और आरोप लगाया कि महिलाओं के खिलाफ टिप्पणी करने के मामले में श्री कुमार आदतन अपराधी…
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12 सीटों पर उपचुनाव से पहले निर्विरोध जीते भाजपा के तीन उम्मीदवार, जानें कौन है रवनीत सिंह बिट्टू, उपेंद्र कुशवाहा और मनन कुमार मिश्रा
Delhi News: 9 राज्यों की 12 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले ही बीजेपी के 3 उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए हैं. इनमें राजस्थान से रवनीत सिंह बिट्टू, बिहार से उपेंद्र कुशवाहा और मनन कुमार मिश्रा शामिल हैं.
तीनों उम्मीदवारों को जीत का सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया है. बिहार में जीतने के बाद दोनों उम्मीदवारों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शिष्टाचार मुलाकात की. दरअसल, असम, बिहार और महाराष्ट्र की…
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