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बिहार की राजीनति में पर्सनल रिश्तों का है बड़ा मोल, देवेश ठाकुर ने इसी के बूते लहराया जीत का परचम
पटना: टकराहट की राजनीत में निजी संबंधों के आधार पर चुनावी रण जीतते रहे हैं। वह चाहे की राजनीति में रहे तब या फिर जदयू की राजनीति में रहे तब। जाहिर है जीत ने इनके जिस व्यक्तित्व का विकास किया वहां सब कुछ भीतर छुपाकर रखना इनकी नियति नहीं बनी। खुला खेल फरुखावादी इनका अंदाज रहा। जब व्यक्तिगत संबंध में भी कटुता आई तो भी बिफरे। राजनीति की विसात पर इनकी चाल सीधी सीधी रही है। आइए जानते हैं इनके राजनीतिक अध्याय में टकराहट का इतिहास...।
कांग्रेस की राजनीति और देवेश
लोकसभा सांसद की राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से हुई। चुनावी राजनीति में 1990 में प्रवेश कारण चाहते थे। इस चाहने के पीछे आलाकमान की इजाजत भी थी। और वे किसी के इशारे पर रूनी सैदपुर से चुनाव लड़ना चाहते थे। तैयारिया भी पूरी थी। पर देवेश चंद्र ठाकुर कांग्रेस की गुटबाजी का शिकार हुए और रूनी सैदपुर की जगह बथनाहा विधान सभा से टिकट आवंटित हुआ। क्षेत्र नया था। फिर भी कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति से लड़े पर जीत नहीं मिली। तीसरे नंबर पर रहे।
बीजेपी नेता ने बदल दी राजनीति की दिशा
बथनाहा की हार के बाद कांग्रेस से दूरी मिली। बकौल देवेश चंद्र ठाकुर उस हार के बाद उनकी मुलाकात शुक्रवार के विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह से हुई। उन्होंने कहा हर तरफ से मजबूत शख्स आप हैं। आप स्नातक क्षेत्र से चुनाव में उतरे। उनके सुझाव पर देवेश चंद्र ठाकुर तिरहुत स्नातक क्षेत्र से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते भी। यह वर्ष था 2002 का। इनकी जीत की दस्तक राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पहुंची। और वे अगला चुनाव तिरहुत स्नातक क्षेत्र 2008 का चुनाव जनता दल यू से लड़ा और जीता भी। लेकिन जदयू के भीतरी राजनीति का शिकार हुए और इन्होंने जदयू से नाता तोड़ा और फिर निर्दलीय वर्ष 2014 का तिरहुत स्नातक क्षेत्र का चुनाव निर्दलीय लड़कर जीता और नीतीश कुमार के आस पास जुड़े लोगों को अपने आकार का बोध कराया।
वर्ष 2020 का तिरहुत स्नातक क्षेत्र चुनाव
तिरहुत स्नातक क्षेत्र 2020 के पहले जो भी मतभेद जदयू के रणनीतिकारों के साथ थे वह दूर हो गए। और फिर 2020 तिरहुत स्नातक क्षेत्र जदयू की टिकट से लड़ा और जीता भी। और फिर सभापति भी बने।
2024 लोकसभा चुनाव में नीजि संबंध भी टूटे
यह पहला चुनाव होगा जिसमें देवेश चंद्र ठाकुर को नीजि संबंधों में टकराहट दिखी और अपने उन संबंधों पर वैसे बरसे जैस कोई साफ दिल का आदमी व्यक्त करता है। और कहा अब मैं यादव और मुसलमानों के लिए कोई काम नहीं करूंगा, क्योंकि उन्होंने मुझे वोट नहीं दिया है। यादव और मुसलमान अगर हमारे यहां आते हैं तो उनका स्वागत है। चाय पीजिए, मिठाई खाइए लेकिन मैं आपका कोई काम नहीं करूंगा।
और अब अपनो पर बरसे
जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर अपने स्वभाव के अनुकूल एक बार फिर बरसे। और अपने ही गठबंधन को धत्ता बताते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में हमें हराने के लिए सभी पार्टियों ने जोर लगा दिया था। हमको पता ही नहीं चला कि जेडीयू-बीजेपी हमारे आगे थी या पीछे। राजद, बीजेपी, जदयू, कांग्रेस, लिफ्ट सभी पार्टियों ने मिलकर उन्हें हराने की कोशिश की, लेकिन अपने व्यक्तिगत संबंधों के कारण वह चुनाव जीते हैं। http://dlvr.it/TBP3pG
#lallulal #lallulalnews @lallulalnews भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने सीएम नीतीश कुमार को लेकर कर दिया साफ; विधानसभा चुनाव में नीतीश ही चेहरा #bjp #nitishkumar #biharassemblyelections #biharassemblyelections2025 #biharassemblyelections2020 #nitishkumar #nitishkumarresignation #nitishkumarmukul #nitishkumarcm Bihar : लोकसभा 2024 चुनाव के बाद अब बिहार विधान सभा चुनाव को लेकर भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह कैसे चुनाव लड़ेगी। भाजपा का कहना है कि बिहार विधान सभा चुनाव भी नीतीश कुमार के साथ मिलकर लड़ेगी। nitish kumar,bihar assembly election 2020,bihar assembly elections,nitish kumar news,bihar cm nitish kumar,bihar elections,bihar elections 2020,nitish kumar jdu,nitish kumar bihar,bihar assembly election,bihar assembly election results live,nitish kumar latest news,cm nitish kumar,nitish kumar bihar election 2020,nitish kumar cm face,bihar assembly election result,nitish kumar resignation,bihar election 2020,nitish kumar bjp Lallu Lal (लल्लू लाल)- हे भैया सच्ची खबर तो लल्लू लाल ही देंगे..भारत के हर कोने से चुनी गई खबरों का संग्रह। भारत के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर गहराई से जानकारी देना हमारा लक्ष्य है। हम यहाँ पर हर विषय को गहराई से देखते हैं, ताकि भारत के करोड़ों Online User के पास सही खबर मिले।
बिहार में नीतीश कुमार को लेकर जनता का मूड ठीक नहीं है। बिहार में भारतीय जनता पार्टी यानी की बीजेपी ने नीतीश कुमार को फिर से साथ लेकर बड़ी भूल कर दी। ये हम नहीं कह रहे ये जनता कह रही है। इंडिया टुडे सी वोटर के सर्वे के मुताबिक नीतीश कुमार ने पलटी मारकर अपनी छवि धूमल कर ली है।
दूसरी तरह बीजेपी ने एक बार फिर नीतीश कुमार को एनडीए में ले लिया, जिसका नुकसान होता हुआ एनडीए को दिख रहा है।
क्या है जनता का मूड़
नीतिश कुमार के बार - बार पलटी मारने से चुनाव पर क्या असर पड़ता है
क्या है जनता का मूड़
मूड ऑफ़ दी नेशन में जनता से सवाल पूछा गया कि क्या बार बार पलटी मारने से नीतीश की छवि खराब होती है? इस सवाल के जवाब में 71% लोगों ने कहा है यानी कि जितनी बार नीतीश ने पलटी मारी, उतनी बार उनकी छवि खराब हो रही है, जबकि 17% लोगों का मानना है कि बार बार पलटी मारने से नीतीश की छवि पर कोई असर नहीं पड़ता।
अब ये 71% लोगों का जो जवाब है वो बेहद महत्वपूर्ण है। ये नतीजे बेहद चौंकाने वाले है। इस लिहाज से आप इसको देखिए कि नीतीश कुमार के लिए एनडीए का दरवाजा बंद करने वाली बीजेपी ने ऐलान तो खूब किया लेकिन अंत में नीतीश की ऐसी जरूरत पड़ी कि बीजेपी ने बंद दरवाजा खोल दिया और बाहे फैला कर नीतीश का दिल खोल कर स्वागत किया।
नीतीश कुमार को साथ लेकर Bjp ने कर दी बड़ी भूल ?
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देना बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा था। कहा जा रहा था कि इसके जरिए बीजेपी ने बिहार में जाती जनगणना का तोड़ निकाल लिया।
पिछड़ा अति पिछड़ा वोट बैंक अपने पाले में कर लिया लेकिन अंत में बीजेपी ने नीतीश एनडीए में शामिल करके बहुत बड़ी भूल कर बैठी ।
इंडिया टुडे ने सी वोटर के साथ मिलकर मूड ऑफ़ दी नेशन सर्वे किया। उसमें नीतीश को लेकर जो लोगों का जवाब आया उससे यही लगता है नीतीश कुमार को लेकर बीजेपी ने कहीं ना कहीं भूल कर दी है।
हालांकि अस�� नतीजे तो चुनाव के वक्त ही देखने को मिलेंगे, लेकिन फिलहाल ज़रा इन आंकड़ों को भी आप नजर डालिये जितनी बार नीतीश कुमार ने पलटी मारा, उतनी बार नीतीश के परफॉरमेंस में कितना फर्क पड़ा है?
नीतिश कुमार के बार - बार पलटी मारने से चुनाव पर क्या असर पड़ता है
नीतीश कुमार इतनी बार पलटी मारी हैं उतनी ही बार उनकी लोकप्रियता कम हुआ है। साल 2013 में बीजेपी ने जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया तो नीतीश कुमार नाराज़ हो गए। उन्होंने 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया 2014 का लोकसभा चुनाव जेडीयु ने सीपीएम के साथ मिलकर लड़ा
वही बीजेपी और एलजेपी का गठबंधन हुआ इस चुनाव में जेडीयु सिर्फ दो सीट ही जीत सकी जबकि बीजेपी एलजेपी गठबंधन ने 31 सीटों पर जीत दर्ज की।
बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने।
वही 2015 का विधानसभा चुनाव जेडीयु ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा। इस बार जेडीयु ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा और 71 सीटों पर उन्हें जीत मिली जबकि 2010 का चुनाव जेडीयु ने बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था तब नीतीश। कुमार की पार्टी ने 115 सीटों पर जीत हासिल की थी।
लेकिन पाला बदलने के बाद जब नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ चुनाव लड़ा तो उनकी लोकप्रियता घटकर 115 से 71 पर आ गई।
वहीं 2020 में फिर से आरजेडी के साथ छोड़कर जब बीजेपी के साथ पाला बदलकर नीतीश कुमार ने चुनाव लड़ा तो उनकी लोकप्रियता 71 से घटकर 43 पर आ गई।
अब देखना 2024 के चुनाव में नितिश कुमार को BJP में आने के बाद BJP को कितना नुकसार उठाना पड़ता है क्योकीं जनता का मूंढ कुछ नहीं लग रहा है ।
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#BJP भूल गई है,2020 के चुनाव में श्री नीतीश कुमार जी को #NDA का चेहरा बनया था, नेतृत्व वही करता है जिनमें दूरदर्शी और सभी को साथ ले चल कर विकास करने कि सोच होती है और वो हमारे नेता बिहार के माननीय मुख्यमंत्री आदरणीय श्री नीतीश कुमार जी में है - डॉ. चन्दन कुमार यादव (अधिवक्ता), प्रदेश सचिव - जनता दल यूनाइटेड,बिहार
नीतीश कुमार का बीजेपी पर हमला, कहा- 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के खिलाफ साजिश रची
नीतीश कुमार का बीजेपी पर हमला, कहा- 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के खिलाफ साजिश रची
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को 2020 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन में होने के बावजूद जद (यू) के खिलाफ काम करने के लिए बिना नाम लिए भाजपा पर जमकर निशाना साधा। जदयू नेता नीतीश कुमार ने कहा कि हमारी पार्टी ने 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान कम सीटें जीतीं। क्योंकि गठबंधन के बावजूद सहयोगी (भारतीय जनता पार्टी) हमारी हार सुनिश्चित करने में लगी थी.
उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि उस पार्टी…
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द्वारा लिखित गोपाल बी कटेशिया
| धोर्डो (कच्छ) |
13 नव��बर, 2020 12:58:41 सुबह
गुजरात के कच्छ के ढोर्डो में स्थानीय कारीगरों के साथ अमित शाह। (PTI)
प्रबंधन में दोष ढूंढकर विपक्ष को “कुटिल दृष्टि (वक्रदंती)” होने का आरोप लगाना कोविड -19और सीमा सुरक्षा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने “देश में…
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इन 14 सीटों पर NDA भारी मुश्किल में, अगर समीकरण उल्टे बैठे तो लालू-राहुल का बंपर फायदा
पटना: लोकसभा 2024 के चुनाव में की परफॉर्मेंस को ले कर कई सवाल उठ रहे थे, जैसे अकेले चना भांड नहीं फोड़ता वगैरह... वगैरह। लेकिन सातवें चरण के बाद आए एग्जिट पोल से एक बात तो साफ हो गई कि बिहार में इंडिया गठबंधन की जान तेजस्वी यादव ही हैं। यह दीगर है कि कई एग्जिट पोल में इंडिया गठबंधन को दहाई आंकड़ों तक ही ले जाया गया है। पर यहां गौरतलब यह है कि तेजस्वी यादव उस एनडीए के विरुद्ध लड़ रहे थे जिनके 40 में से 39 सांसद थे। तुलना तो इस बात की भी होनी चाहिए कि एनडीए की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जे पी नड्डा, राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ, नीतीश कुमार जैसे स्टार प्रचारक थे जबकि दूसरी तरफ अकेले लालू परिवार ने मोर्चा संभाल रखा था। हां कभी कभार राहुल गांधी की भी जनसभाएं हुई।
क्या है एग्जिट पोल का लब्बोलुआब?
बिहार से जो एग्जिट पोल आया है, उससे इतना तो साफ है कि इस बार राजद शून्य पर नहीं सिमटने वाला। वहीं NDA की बिहार में पिछली बार की तरह बंपर जीत भी मुश्किल दिख रही है। यही नहीं, आशंका है कि एनडीए को दोहरी मार से भी गुजरना पड़ सकता है। मतलब एनडीए के वोट प्रतिशत में कमी आ सकती है और सीटें भी घट सकती हैं। एग्जिट पोल का सार यही है कि एनडीए 28 से 32 लोकसभा सीट जीतने जा रही है और इंडिया गठबधन को 8 से 10 लोकसभा सीटें मिलने जा रही है। एनडीए में शामिल दलों की बात करें तो बीजेपी को 14 से 15 सीट पर जीत मिल सकती है। जदयू को 8 से 10 सीट पर जीत हासिल हो सकती है। इंडिया गठबंधन की बात करें तो राजद को 7 से 9 सीट मिल सकती हैं। जबकि कांग्रेस को दो से तीन सीटें मिल सकती है। वीआईपी और वाम दल के उम्मीदवार जीत दर्ज करते नहीं दिख रहे हैं। आरा और काराकाट में माले के उम्मीदवार कांटे की टक्कर देते जरूर दिख रहे हैं।
लेफ्ट और MY का पॉलिटिकल कॉकटेल
तेजस्वी यादव की सोच में वाम दलों के संगठन के साथ एम वाई समीकरण तो था ही। इस बार राजद सुप्रीमों की रणनीति में कुशवाहा, भूमिहार और वैश्विक उम्मीदवार दे कर एनडीए के सामाजिक सामाजिक समीकरण में सेंधमारी का जो लक्ष्य था, वे भी एक हद तक तो पूरा होता दिखा। कुशवाहा की बात करें तो औरंगाबाद, नवादा, काराकाट, खगड़िया लोकसभा सीटों पर ज्यादातर कुशवाहा वोटरों के इंडिया गठबंधन को वोट देने की चर्चा है। बीजेपी के कैडर वैश्य वोटरों की भी नाराजगी दिखी, जिसका असर शिवहर और सीतामढ़ी में पड़ सकता है।
तो इसीलिए तेजस्वी ने लेफ्ट को साधा
तेजस्वी यादव के वाम दलों के साधने की रणनीति का एक आधार भी था। वो था बिहार विधानसभा 2020 का चुनाव। इस चुनाव में वाम दलों ने 16 सीटें जीतकर महागठबंधन को मजबूत आधार दिया। ये अलग बात है कि वो असर लोकसभा चुनाव 2024 में सीटों के मामले में नहीं दिख रहा है। लेकिन वाम दलों के कैडर के सपोर्ट से राजद के कई उम्मीदवारों को जीत हासिल हो सकती है। वीआईपी का साथ लेना भी राजद को एक हद तक फायदा पहुंचा गया है। वीआईपी भले कोई सीट निकाल नहीं पा रही है पर राजद और कांग्रेस उम्मीदवार को सदन भेजने में सहायक सिद्ध हो सकती है।
इन 14 सीटों पर NDA के लिए भारी मुश्किल!
अब असल बात कि एनडीए के लिए वो कौन सी सीटें हैं जहां उसे दिक्कत पेश आ सकती है। सीधे शब्दों में कहें तो इन 14 सीटों पर NDA का खेल खराब होता दिख रहा है। ये 14 लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां कोई भी जीत हार सकता है। जातीय गणित और उसकी आक्रामकता में राजद आगे है तो सरकारी योजनाओं से लाभार्थी वर्ग के मामले में NDA। अगर ये लाभार्थी वर्ग जाति में न टूटे तो एनडीए को फायदा होगा और अगर टूट गया तो इंडिया गठबंधन को शुद्ध सियासी मुनाफा हो सकता है। 1. शिवहर2. सीतामढ़ी3. पाटलिपुत्र4. औरंगाबाद 5. नवादा6. जहानाबाद7. खगड़िया8. सिवान9. पूर्णिया10. किशनगंज11. कटिहार12. बांका13. मुंगेर14. बक्सर http://dlvr.it/T7k1yb
आरजेडी ने सीएम नीतीश कुमार पर चुनाव के नतीजों में हेरफेर कराने का आरोप लगाया आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. नई दिल्ली: Bihar Assembly Results 2020: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने बिहार …
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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Updated Thu, 05 Nov 2020 04:38 PM IST
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
– फोटो : पीटीआई (फाइल)
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