पराई बेटी ( praai beti ) भी अपनी बेटी : सबकी जिम्मेदारी
हर बेटी में नजर आए यदि अपनी बेटी,
फिर बेटियों को कैसा डर है,
पराई बेटी ( praai beti ) की इज्जत भी होती है अपनी इज्जत ,
याद रहे बेटियां हमारे भी घर हैं,
* * * *
सौ-बार सोचना किसी पराई बेटी पर,
गंदी नजर डालने से पहले,
अपनी ही बेटी की उसमें सूरत देखिए,
किसी बेटी की इज्जत उछालने से पहले,,
बेटी की इज्जत है कच्चे घड़े के समान,
पराई बेटी का भी कीजिए दिल से सम्मान,
ये कलियां हैं किसी…
लखनऊ, 16.04.2024 । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में मोती लाल नेहरू मेमोरियल गर्ल्स इंटर कॉलेज, न्यू हैदराबाद, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे 19 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी ज़िम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना ।
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा मोती लाल नेहरू मेमोरियल गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ नुजहत अंजुम एवं रेड ब्रिगेड से तंजीम अख्तर ने दीप प्रज्वलित किया ।
मोती लाल नेहरू मेमोरियल गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ नुजहत अंजुम ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “महिला सशक्तिकरण के लिए हमें उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में समर्थ बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए । वित्तीय, सांस्कृतिक, और सामाजिक क्षेत्रों में महिलाओं को समानता का मौका मिलना चाहिए । समानता एक समर्थ और संघर्षमुक्त समाज की नींव होती है जो हमें अन्य राष्ट्रों से अलग बनाती है । महिलाओं को अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने का मौका देना चाहिए क्योंकि उनमें अद्वितीय प्रकार की ताकत होती है । हमें अपने बच्चों को महिलाओं की इज्जत करना सिखाना चाहिए जिससे वे समाज में महिलाओं की अहमियत को जाने और उन्हें समानता का अधिकार दें । इसके लिए हमें उन्हें पूरी सहायता और प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए ताकि वे हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर अपने देश का नाम रोशन कर सकें ।“
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्र��ृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला में मोती लाल नेहरू मेमोरियल गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ नुजहत अंजुम एवं शिक्षिकाओं, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
🌼🌼🌼 आज से लगभग 625 वर्ष पहले कबीर साहेब के 64 लाख शिष्य हो गये थे,उस समय आज के जैसा प्रचार प्रसार के कोई माध्यम नहीं थे और कबीर साहेब ने अपने तत्वज्ञान के प्रचार प्रसार के कोई प्रचारक शिष्य भी नहीं बना रखे थे।
कबीर साहेब के शरणागति से लोगों के बड़े से बड़े संकटों का निवारण बड़ी सुगमता से हो जाता था और उन्हें अनेकों लाभ हो रहे हैं तब वे 64 लाख शिष्य यह किया करते थे कि
#हमारे_गुरूजी_तो_भगवान_ही_हैं
लेकिन कबीर साहेब ने अपने उन 64 लाख शिष्यों की परीक्षा लेने के प्रयोजन से एक हांथी किराये पर लिया और सन्त रविदास और अपनी एक शिष्या गणिका को लेकर उस हांथी पर तीनों सवार हो गये और उसके बाद कबीर साहेब ने लोगों को कुछ ऐसा करके दिखाया जिनकी अपेक्षा उन 64 लाख शिष्यों ने कबीर साहेब से नहीं किया था।
कबीर साहेब ने अपने एक हांथ को अपनी बेटी उस गणिका के कंधे पर रखा और एक बोतल में गंगा जी निर्मल जल को भरकर उसे शराब की तरह पीने का अभिनय करने लगा।
🌼🌼🌼 कबीर साहेब के इस अभिनय को देखकर उन 64 लाख शिष्यों ने यह सोचा कि हमारे गुरू जी तो सरेआम वैष्यावृत्ति कर रहा हैं और अपने सांथ सांथ हमारे भी इज्जत का नाश कर दिया और ऐसा जानकर वे सबके सब अर्थात् 64 लाख शिष्य अपने गुरू, अपने भगवान कबीर साहेब से विमुख हो गये, किसी ने भी सच्चाई का पता लगाने का किंचित मात्र प्रयास नहीं किया और इज्जत का ठेकेदार बनकर अपने भगवान को छोड़ गये।
इस विषय में सन्त ग़रीबदास महाराज ने कहा हैं कि
भड़वा भड़वा सब कहे, जानत नहीं खोज *
गरीबदास कबीर करम से,बांटत सिर के बोझ **
तो कहने के मतलब यह हैं कि
"कबीर साहेब कल भी भगवान थे और आज भी भगवान हैं,केवल एक वही सनातन परमधाम में निवास करने वाले सनातन परमात्मा/ सच्चिदानन्द घनब्रम्ह/ सत्यपुरूष हैं और
वर्तमान में भी "वही परमात्मा अपने चोला को बदलकर पवित्र भारत भूमि के हरियाणा राज्य के जिला हिसार में विराजमान हैं।"
हमारे मानने या ना मानने से उस परमेश्वर को कोई फर्क नहीं पड़ता हैं लेकिन यह सच्चाई हैं वह दयालु परमात्मा हमारे लिए ही अपने सुखसागर सत्यलोक के अनन्त सुख को त्यागकर यहां आकर के हमें जगा रहे हैं।
कबीर साहेब कहते हैं कि
मैं रोवत हुं सृष्टि को, ये सृष्टि रोवे मोहि *
गरीबदास इस वियोग को,समझ सके नहीं कोई **
यदि अब भी आपकी आंख नहीं खुली तो यह आपका बहुत बड़ा दुर्भाग्य हैं और यदि आप समझ गये तो
"समझा हैं तो सिर धर पांव, बहूर नहीं रे ऐसा दांव"
अतः भक्त समाज से प्रार्थना हैं कि देव दूर्लभ अपने अनमोल मानव जीवन के परम् उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सपरिवार देखिए साधना टीवी चैनल पर प्रसारित "सन्त रामपाल जी महाराज" के मंगल सत्संग प्रवचन का कार्यक्रम
दोस्तों, हम जानते हैं कि अगर इस दुनिया में कोई सच्चा हीरो है, तो वो हमारे पिता हैं। इसलिए हमने हर जगह पिताओं को सम्मान देने के लिए Papa Shayari बनाई है। अगर आप अपने पिता से प्यार करते हैं, तो ये Shayari आपको बहुत पसंद आएगी। पिता हमारी ज़िंदगी को आसान बनाते हैं और स्कूल से लेकर निजी मामलों तक हमारी सभी ज़रूरतों को पूरा करने में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं।
हमारे पिता से ज़्यादा हमारे लिए कोई और मेहनत नहीं करता और Best 35+ Papa Shayari in Hindi में एक ख़ास जगह रखती है। पिता के बिना ज़िंदगी बहुत मुश्किल है क्योंकि वो हमारी परेशानियों का भार उठाते हैं और हमें नुकसान से बचाते हैं। पिता के बिना हम अकेले ही चुनौतियों का सामना करते हैं। पिता हमारी ताकत हैं, जो हमें हर परेशानी से बचाते हैं।
यह पोस्ट पिताओं को सम्मान देने के लिए समर्पित है। इसे पढ़ें और अपने पिता के साथ शेयर करें, ताकि उन्हें भी आप पर गर्व हो!.
Papa Shayari Collection | Papa Ke liye Shayari
वो शख्स Soorma हैं मगर बाप भी तो है,
रोटी खरीद लाया है तलवार बेच कर..!!!
उनकी मुस्कान से सवर जाति है तबियत मेरी,
मेरे पापा हसकर मेरी तकलीफ कम कर देते है..!!!
सफर सुहाना करते वो मेरी मां है,
और जो हर सफर आसान करते वो मेरे पापा है..!!!
कोई बाप गुस्से में बेटे से कुछ भी बोल दे,
पर वो अपने बेटे से बहुत प्यार करता है..!!!
पिता आपका वो आसू है,
जो आंख में भर तो आया पर गिरा नही..!!!
मुझे मौत से इतना डर नही लगता,
जितना मां, बाप, के बिना इस दुनियां में जीने से लगता है..!!!
कितनी दूर जाना होता है, पिता से,
पिता जैसा होने के लिए..!!!
पांव जलने लगे जब जिंदगी की राहों पर,
आपको हथेलियां याद आई होंगी अपने पापा की..!!!
बोझ कितना भी हो, कभी उफ नही करता,
कंधा बाप का है साहेब बड़ा मजबूत होता है.!!!!
पापा कहते है बेटा आसू आए तो खुद ही पोछना,
लोग पोछने आयेंगे तो सौदा करेगे..!!!
जाना ही छोड़ देंगे उन रास्तों पर,
जहां मां बाप की इज्जत खराब हो..!!!
घर से दूर रहने पर मां समझ आती है,
और नोकरी करने पर पिता..!!!
बाप की दौलत नही,
साया ही काफी होता है..!!!
हर उस आवाज का हिसाब रखना है अपने पापा की खातिर,
जो कहती है इनके परिवार में कामियाब है ही कौन..!!!
Beti Papa Ke Liye Shayari in Hindi
हमेशा हस्ता हु अपना गम किसी को बताता नही,
पर ऐसा कोई वक्त नही पापा, जब आपकी यादों का साया मुझे सताता नही..!!!
पराया धन होकर भी कभी पराई नही होती,
शायद इसी लिए किसी बाप से हंसकर किसी बेटी की बिदाई नही होती…!!!
मेरी आशा मेरा सम्मान भी है,
मेरे पापा मेरा अभि��ान भी है,
पापा कभी डांटे तो सर झुका लेना,
पर उन्हें कभी आंखे मत दिखाना,
जिस बाप ने तुम्हे इतना बड़ा किया,
उन्हे जीने का तरीका कभी मत सिखाना..!!!
मां बाप की जितनी जरूरत हमे बचपन में होती है,
उतनी ही जरूरत उन्हे हमारी होती है..!!!
कंधे पर झुलाया, कंधे पर घुमाया,
पापा की बदौलत ही मेरा जीवन खूबसूरत बन पाया.!!!
बाप वो अज़ीज़ हस्ती है,
जिसके एक पसीने की बूंद भी औलाद अदा नही कर सकती..!!!
आज मैं जो कुछ भी इस दुनिया में हु,
सब अपने पापा की बदौलत हु..!!!
मां बाप का हाथ पकड़कर रखिए,
लोगो के पाव पकड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी..!!!
2 Line Papa Shayari Hindi Mein
मां बाप का दिल जीत लो कमियाब हो जाओ,
वरना सारी दुनियां जीत कर भी हार जाओगे..!!!
दिन रात मेहनत करी उसने मेरे लिए,
कभी फिक्र नहीं किया उसने सूरज के ताप का,
इस दुनिया में सबका साथ छूट जाए,
पर कभी साथ नही छूटना चाहिए अपने बाप का…!!!
खुशी का हर लम्हा पास होता है,
जब मां बाप का साथ होता है…!!!
जिसकी रग रग में मेरे लिए प्यार भरा है,
हर मुस्कील से लड़ने को तैयार खड़ा है..!
– हां वही तो है मेरे पापा..!!!
कुछ भी सहना नही आता,
कुछ भी कहना नही आया,
मुझे पापा तुम्हारे बिन,
अभी रहना नही आग…!!!
कोई उनसे प्यारा नही हो सकता,
हां वही मेरे पापा हैं जिनके बिन मेरा गुजारा नहीं हो सकता…!!!
जब भी डूब जाति हैं कश्तियां सैलाब में आकर,
मेरे पापा मेरा हौसला बढ़ा देते है ख्वाब में आकर…!!!
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सनम कहूं पासबां कहूं या इज्जत ए उल्फत कहूं
इज्जत है निगाह में कहे तो सब एकजा कर के कहूं
सनम तो पत्थर है फिर तुझे उल्फते मिजाज कहूं
में सोचता हूं तुझे नूर ए नजर कहूं या नूर कहूं
तेरा इनसे क्या निस्बत तू कुदरत का करिश्मा है
तू बेटी है तो रहमत महबूबा है तो जीने की वजह
मां है तो तू जन्नत का दरवाजा मेरे लिए तो महताब है
में ने सोचा है तुझे मैं अपने जीने की वजह कह दूं।
एक बड़ी सी गाड़ी आकर बाजार में रूकी, कार में ही मोबाईल से बातें करते हुए महिला ने अपनी बच्ची से कहा, जा उस बुढिया से पूछ सब्जी कैसे दी, बच्ची कार से उतरते ही,
अरे बुढिया ये सब्जी कैसे दी?
40 रूपयें किलो बेबी जी.....
सब्जी लेते ही उस बच्ची ने सौ रूपयें का नोट उस सब्जी वाली को फेंक कर दिया, और आकर कार में बैठ गयी, कार जाने लगी तभी अचानक किसी ने कार के शीशे पर दस्तक दी,
एक छोटी सी बच्ची जो हाथ में 60 रूपयें कार में बैठी उस औरत को देते हुये बोलती है आंटी जी ये आपके सब्जी के बचे 60 रूपये हैं, आपकी बेटी भूल आयी हैं, कार में बैठी औरत ने कहा तुम रख लो ।
उस बच्ची ने बड़ी ही मीठी और सभ्यता से कहा, नही आंटी जी हमारे जितने पैसे बनते थे हमने ले लिये , हम इसे नही रख सकते , मैं आपकी आभारी हूं, आप हमारी दुकान पर आए, आशा करती हूं, कि सब्जी आपको अच्छी लगे, जिससे आप हमारे ही दुकान पर हमेशा आएं, उस लड़की ने हाथ जोड़े और अपनी दुकान लौट गयी.......
कार में बैठी महिला उस लड़की से बहुत प्रभावित हुई और कार से उतर कर फिर सब्जी की दुकान पर जाने लगी, जैसे ही वहाँ पास गयी, सब्जी वाली अपनी बच्ची को पूछते हुये तुमने तमीज से बात की ना, कोई शिकायत का मौका तो नही दिया ना ?
बच्ची ने कहा, हां मां मुझे आपकी सिखाई हर बात याद हैं, कभी किसी बड़े का अपमान मत करो, उनसे सभ्यता से बात करो, उनकी कद्र करो, क्यूंकि बड़े बुजर्ग बड़े ही होते हैं, मुझे आपकी सारी बात याद हैं, और मैं सदैव इन बातों का स्मरण रखूगी,
बच्ची ने फिर कहा, अच्छा मां अब मैं स्कूल चलती हूं, शाम में स्कूल से छुट्टी होते ही, दुकान पर आ जाऊंगी.......
कार वाली महिला शर्म से पानी पानी थी, क्यूकि एक सब्जी वाली अपनी बेटी को इंसानियत और बड़ों से बात करने का, शिष्टाचार करने का पाठ सिखा रही थी और वो अपने अपनी बेटी को छोटा बड़ा ऊंच नीच का मन में बीज बो रही थी.....!!
गौर करना मित्रों सबसे अच्छा तो वो कहलाता है, जो आसमान पर भी रहता हैं, और जमींन से भी जुड़ा रहता है।
बस इंसानियत, भाईचारे, सभ्यता, आचरण, वाणी में मिठास, सब की इज्जत करने की सीख दीजिए अपने बच्चों को, क्योंकि अब बस यही पढ़ाई है जो आने वाले समय में बहुत ही ज्यादा मुश्किल होगी, इसे पढ़ने इसे याद रखने इसे ग्रहण करने में, और जीवन को उपयोगी बनानें में 🙏🙏
हवस में अंधा पिता:नशे में बेटी संग संबंध बनाने की कर रहा था कोशिश, फिर मां ने सुहाग खोकर बचाई बेटी की लाज - Woman Killed Her Husband While Trying To Misdeed Her Daughter In Jhansi S Mauranipur
घटना स्थल पर मौजूद भीड़
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
झांसी के मऊरानीपुर के भदरवारा गांव में एक लोमहर्षक घटनाक्रम में मां ने बेटी की इज्जत बचाने की खातिर लाठी से पीटकर नशेड़ी पति को मौत के घाट उतार दिया। घटनाक्रम से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। उसने हत्यारोपी पत्नी को हिरासत में ले लिया है।
#हवस #म #अध #पतनश #म #बट #सग #सबध #बनन #क #कर #रह #थ #कशश #फर #म #न #सहग #खकर…
*औरत , माँ , बहन, बीबी, बेटी, जिस रूप में भी हो कद्र करो, अल्लाह की नेमत है,*
________________________________
औरत एक ऐसा कीमती सरमाया है जो मौत की गोद में जाकर जिन्दगी को जन्म देती है, कहते हैं के शादी के बाद औरत का चेहरा और जिस्मानी हालत बताती है के उसके शौहर ने उसे किस हालत में रखा हुआ है, वह औरतें कभी बूढ़ी नहीं होती जिनके शौहर उन पर जान छिड़कते हैं,
शादी से पहले लड़की मुनासिब शक्ल सूरत की होती है जो पहन ओढ़ कर अच्छा लगती है, मगर शादी के बाद शौहर की तवज्जोह, मुहब्बत और इज़्ज़त औरत के चेहरे को ऐसा निखारती है के वह मजीद खूबसूरत होती चली जाती है,
शादी के दस बीस साल बीत जाने के बाद भी औरत खूबसूरत और कम उम्र लग सकती है के देखने वाले दंग रह जाएं और ज़ौजैन की किस्मत पर रश्क करते ना थकें, लोग हमेशा औरत को इल्जाम देते हैं के वह अपना ख्याल नहीं रखती जिसका शौहर ही उसे इज्जत वा अहमियत ना देता हो तो वह भला किसके लिए सजे संवरे,
कहते हैं के औरत को तुम जैसा कहोगे वह वैसा ही बनती चली जायेगी, उसे बदसूरत और फूहड़ कहोगे तो वही बनती चली जायेगी और उसे खूबसूरत और सलीकामंद कहोगे तो वह खुदबखुद वैसी ही बनती चली जायेगी,
*नबी ए करीम मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम फरमाते हैं," तुम में से सबसे बहतरीन शख्स वह है जो अपनी औरत के साथ सबसे बेहतर सुलूक करे "*
*औरत इतनी अजीम है, अशरफुल मखलूक है, इस हद तक नाजुक मिजाज़ है के फूल उसे राज़ी और खुश कर देता है, और एक लफ्ज़ उसे मार देता है,*
*तो बस ए मर्दों ख्याल रखो औरत तुम्हारे दिल के नजदीक बनाई गई है ताकि तुम अपने दिल में उसको जगह दो,*
औरत अपने बचपन में अपने बाप के लिए बरकत के दरवाज़े खोलती है, अपनी जवानी में अपने शौहर का ईमान मुकम्मल करती है, और जब मां बनती है तो जन्नत उसके कदमों के नीचे होती है,
औरत जिस रूप में भी आपकी ज़िंदगी में शामिल है उसकी कद्र करो,
बचपन के वह दिन याद करिये जब हम अपनी माँ के बिना जीना सोच भी नहीं सकते थे, फिर हमारी बहने बेटियाँ कितने खूबसूरत रिश्ते अल्लाह ने अता किये,
और हमारी बीबी , दुनियाँ से हर किसी को जाना है एक दिन लेकिन कभी कभी सोचता हूँ कि अगर मेरी बीबी मुझसे पहले चली गई तो कैसा जीना होगा, कैसे घर आऊगाँ , कैसे रहूगाँ , सायद जिन्दगी का हर लम्हा एक दिन जैसा गुजरे , कद्र करिये अपने तमाम रिश्तों की , यह अल्लाह की नेमत है, इनकी कीमत इनके जाने के बाद ही पता चलती है, समझदार है वह जो पहले इनकी कीमत जान ले और कद्र करे ।
चलते चलते आखिर में गुजारिश मेरे छोटे भाई की बीबी बहुत ज्यादा बीमार है , पंत होस्पिटल दिल्ली में एडमिट है , रिश्तों के अहसास के साथ उनकी सेहत के लिये दुआ करिये, कि अल्लाह अपने फज़्ल से उन्हे जल्द सेहतयाब करें, आमीन ।
इसलिये काफी दिनों से जेहनी तौर पर परेशान भी हूँ , और जब जेहन ठीक न हो तो काम भी नहीं हो पाता, दिन में भागदौड़ रहती है, काफी लोगों के मैसेज वगैरह आते है उनके सवाल होते है जवाब में देरी भी हो जाती है, जब भी वक़्त मिलता है कुछ बना लेता हूँ, कुछ लिख लेता हूँ, क्यों कि बात तो पहुँचती रहनी चाहिये चाहे थोड़ी ही पहुँचे । मैसेज पूरा पढ़ा उसके लिये शुक्रिया ।
लड़की के मां बाप जो बहुत ही गरीब थे| जिनके पास एक दिन की रोटी जुटाने का कोई आधार नहीं था | लड़की बहुत ही खूबसूरत
थी | जिसका विवाह एक बहुत ही धनवान व्यकित से तय हुआ था | विवाह के लिए धन
उस धनवान व्यकित ने दिया था | जिसका नाम सूर्यप्रताप था
उस सुन्दर कन्या का धूम धाम से विवाह हुआ था | विवाह के बाद लड़की बहुत ही खुश रहती थी | एक दिन खबर आई कि उस लड़की के पिता जी का स्वर्गवास हो गया है | लड़की बेचारी क्या करती घर में उसका पति नही था | पति केदारनाथ कि
यात्रा में गया था | पति आता है पत्नी खबर देती है कि अब उसके पिता जी अब इस दुनिया में नहीं रहे | लड़की अपने माइके जाने को कहती है |अपने पति से परन्तु उसका पति लिवाकर जाने से इन्कार कर देता है | पति कि बात सुनकर पत्नी के हदय में बहुत ही कष्ट होता है |
क्या करे बेचारी उसकी खरी खोटी सुनकर रह गयी | करती भी तो क्या करती क्यो कि ज्यादा बोलती तो मार भी खाना पड़ता बेचारी को क्यो कि उसका कोई और वहाँ पर था भी नहीं शांत रह गयी | जैसे तैसे करके कुछ साल बीते |
फिर उसके एक बेटी हुई जो बहुत ही सुन्दर थी |
जिसका नाम उसकी माता ने " मैथिली "रखा |
एक दिन मैथिली को बुखार आ गया |
बुखार से बच्ची बहुत ही पीड़ित थी |
बुखार मे मैथिली बहुत रोती थी बुखार आने से
बच्ची को रोने की आदत लग गई |
मैथिली जब जब रोती उसकी माता को उसका पिता मारता था | उसकी माता करती भी तो क्या करती क्यो कि ओ एक औरत थी न मर्दो से औरतें बहुत ही ज्यादा डरती थी |
इसी तरह करके समय बीतता गया |
एक दिन खबर आई कि किशोरी की माता का
स्वर्गवास हो गया |
फिर भी उसका पति उसे माईके नहीं लिवाकर
नहीं जाता जब भी मौका मिलता किशोरी को
सिर्फ मारता |
धीरे-धीरे करके समय बीतता गया | और सूर्यप्रताप का धन भी नष्ट होता गया |
क्योकि शराब का सेवन भी करता था |
और मांस भी खाता था | और अपनी देवी की
बेइज्जती भी दिन करता था |
क्यो जो व्यकित अपनी धर्मपत्नी की इज्जत नहीं करता और शराब , मांस सेवन करता है
उसके पास कितना भी धन क्यूँ न हो सब नष्ट हो जाता है | धीरे-धीरे करके समय बीतता गया किशोरी के कुल छः बच्ची और छः बच्चे हुए
और किशोरी के धीरे-धीरे सब बच्चे बड़े हुए
और किशोरी के जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ थी
02/06/1999
दोस्तों अगर आपने कुछ भी इस कहानी से अच्छा सीखा हो तो अपने जीवन में उन बातों को अवश्य उतारिये और अपना जीवन सफल
बेटी का लालन-पालन (beti ka lalan-palan ) : महत्वपूर्ण फ़र्ज़
बेटी का लालन-पालन (beti ka lalan-palan ) करते हैं,
माता-पिता मिट्टी की घाघर के जैसे,
बेटी की इज्जत होती है,
एक सफेद चादर के जैसे,
* * * *
बेटी की परवरिश पर माता-पिता,
कुछ ज्यादा ही ध्यान देते हैं,
सबसे ज्यादा बेटी को घर में सम्मान देते हैं,
सर से पाँव तक ढककर रखतें हैं,
बेटी के होश संभालते ही,
अपने संस्कारों का रंग भरते हैं,
बेटी के होश संभालते ही,
बेटी है रेशम की डोर,
प्यार की…
ता चढ़ मुल्ला बांक दे क्या बहरा हुआ खुदाय|कबीर-हिन्दू के दया नहीं, मिहर तुरकके नाहिं।
कहै कबीर दोनूं गया, लख चौरासी माहिं।।कबीर-मुसलमान मारै करदसो, हिंदू मारे तरवार।
कहै कबीर दोनूं मिलि, जैहैं यमके द्वार।।कबीर-अलख इलाही एक है, नाम धराया दोय।
कहै कबीर दो नाम सुनि, भरम परो मति कोय।।कबीर-राम रहीमा एक है, नाम धराया दोय।
कहै कबीर दो नाम सुनि, भरम परो मति कोय।।कबीर-कृष्ण करीमा एक है, नाम धराया दोय।
कहै कबीर दो नाम सुनि, भरम परो मति कोय।।कबीर, ये तन विष की बेलड़ी, गुरु अमृत की खान।
शीश दिए जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।।
यह मानव शरीर विषय-विकारों रुपी विष का घर है। गुरु तत्वज्ञान रुपी अमृत की खान है। ऐसा गुरु शीश दान करने से मिल जाए तो सस्ता जानें। शीश दान अर्थात गुरु दीक्षा किसी भी मूल्य में मिल जाए।कबीर, राम कृष्ण से को बड़ा, तिन्हूं भी गुरु कीन्ह।
तीन लोक के वे धनी, गुरु आगै आधीन।।
कबीर जी ने कहा है कि आप जी श्री राम तथा श्री कृष्ण जी से तो किसी को बड़ा नहीं मानते। ये तीन लोक के मालिक (धनी) होकर भी अपने गुरु जी के आगे नतमस्तक होते थे। इसलिए सर्व मानव को गुरु बनाना अनिवार्य है।
कबीर जी ने कहा है कि :-
जो जाकि शरणा बसै, ताको ताकी लाज। जल सौंही मछली चढ़ै, बह जाते गजराज।।
जो साधक जिस राम (देव-प्रभु) की भक्ति पूरी श्रद्धा से करता है तो वह राम उस साधक की इज्जत रखता है।कबीर, मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारं-बार।
तरवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर ना लागे डार।।
कबीर परमात्मा जी ने समझाया है कि हे मानव शरीरधारी प्राणी! यह मानव जन्म बार-बार नहीं मिलता। इस शरीर के रहते-रहते शुभ कर्म तथा परमात्मा की भक्ति कर, अन्यथा यह शरीर समाप्त हो गया तो आप पुनः मानव शरीर को प्राप्त नहीं कर पाओगे।
कबीर परमेश्वर जी ने फिर बताया है कि:-
बिन उपदेश अचम्भ है, क्यों जिवत हैं प्राण।
भक्ति बिना कहाँ ठौर है, ये नर नाहीं पाषाण।
परमात्मा कबीर जी कह रहे हैं कि हे भोले मानव! मुझे आश्चर्य है कि बिना गुरू से दीक्षा लिए किस आशा को लेकर जीवित है। न तो शरीर तेरा है, यह भी त्यागकर जाएगा। फिर सम्पत्ति आपकी कैसे है?कबीर, काया तेरी है नहीं, माया कहाँ से होय।
भक्ति कर दिल पाक से, जीवन है दिन दोय।।कबीर, नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झख मार।
सतगुरू ऐसा सुलझा दे, उलझे न दूजी बार।।
परमेश्वर कबीर जी ने कहा है कि अध्यात्म ज्ञान रूपी नौ मन सूत उलझा हुआ है।कबीर जी ने कहा है कि:-
क्या मांगुँ कुछ थिर ना रहाई। देखत नैन चला जग जाई।।
एक लख पूत सवा लख नाती। उस रावण कै दीवा न बाती।।
कबीर, मानुष जन्म पाय कर, नहीं रटैं हरि नाम।
जैसे कुंआ जल बिना, बनवाया क्या काम।।
म��नव जीवन में यदि भक्ति नहीं करता तो वह जीवन ऐसा है जैसे सुंदर कुंआ बना रखा है। यदि उसमें जल नहीं है या जल है तो खारा है, उसका भी नाम भले ही कुंआ है, परंतु गुण कुंए वाले नहीं हैं।कबीर साहेब जी ने सुक्ष्म वेद में कहा है कि -
गुरू बिन काहू न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भूष छिड़े मूढ़ किसाना।
गुरू बिन वेद पढ़े जो प्राणी, समझे ना सार रहे अज्ञानी।।
संत गरीबदास जी को भी सतगुरू कबीर परमेश्वर जी मिले थे। अपनी वाणी में लिखा है :-
गरीब, अलल पंख अनुराग है, सुन मण्डल रह थीर। दास गरीब उधारिया, सतगुरू मिले कबीर।।बुद्धिमान को चाहिए कि सोच-विचार कर भक्ति मार्ग अपनांए क्योंकि मनुष्य जन्म अनमोल है, यह बार-बार नहीं मिलता। कबीर साहेब कहते हैं कि :-
कबीर मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार। तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डारि।।कबीर, जिव्हा तो वोहे भली, जो रटै हरिनाम।
ना तो काट के फैंक दियो, मुख में भलो ना चाम।।
जैसे जीभ शरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंग है। यदि परमात्मा का गुणगान तथा नाम-जाप के लिए प्रयोग नहीं किया जाता है तो व्यर्थ है।कबीर, राम नाम से खिज मरैं, कुष्टि हो गल जाय।
शुकर होकर जन्म ले, नाक डूबता खाय।।
कबीर जी ने कहा है कि अभिमानी व्यक्ति राम नाम की चर्चा से खिज जाता है। फिर कोढ़ (कुष्ट रोग) लगकर गलकर मर जाता है।कुष्टी हो संत बंदगी कीजिए।
जे हो वैश्या को प्रभु विश्वास, चरण चित दीजिए।।
यदि किसी भक्त को कुष्ट रोग है और वह भक्ति करने लगा है तो उससे घृणा न करे। उसको प्रणाम करे। उसका हौंसला बढ़ाना चाहिए। भक्ति करने से उसका जीवन सफल होगा, रोग भी ठीक हो जाएगा। इसी प्रकार किसी वैश्या बेटी-बहन को प्रेरणा बनी है भक्ति करने की, सत्संग में आने की तो उसको परमात्मा पर विश्वास हुआ है। वह सत्संग विचार सुनेगी तो बुराई भी छूट जाएगी।कबीर, सुख के माथे पत्थर पड़ो, नाम हृदय से जावै।
हम वैसे तो अक्सर सीना तान के कहते हुए दिखाई देते हैं कि हम माडर्न हो गये हैं और पूर्वजों से अलग हैं रूढ़िवादिता को नहीं मानते लेकिन फिर हम ही इन बातों पर चुप्पी साध लेते हैं। महिला सशक्तिकरण का नाम तो लेते हैं लेकिन वहीं उन्हें आजादी के नाम पर हमारा समाज बस उन्हें कुछ चंद कपड़ों की छूट, पढ़ाई और मोबाइल थमा देने की बात करता है। इससे आगे की बात किजिएगा तो इज्जत नाम का रोड़ा लगा के नथुना फूला के बाप-दादाओं का नाम और जाति का पहचान देने लग जाते हैं।
समाज क्या कहेगा? तुम युवा लोग क्या जानो? समाज के लोग क्या कहेंगे? हमें समाज बहिष्कार कर देगा। हम मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे।
मतलब बस ऐसे-ऐसे बहाने की ख़ुद बहाना भी शरमा जाए।
ये जो अरेंज मैरेज का नाम लेकर अपनी मानसिकता और जिम्मेदारी थोपते हो उस समय शर्म नहीं आता? जो एक दूसरे को सही से जानते भी उनको जिंदगी भर का साथ के नाम पर शादी नाम का सजा सुना देते हो। थू है ऐसे समाज पर जहां इज्जत का नाम लेकर खुशियां का गला घोंटा जाता है, जहां खुशी एक बनावटी इज्जत के सामने छोटी पड़ जाती है। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो खुद तो लव और लव मैरेज पर राज़ी हो तो जाते हैं लेकिन यहीं बात उनके घर के किसी बहन या बेटी पर आ जाए तो भौंहें चढ़ जाएगी।
थू है ऐसे लोगों पर भी जो दिखावे का चोला पहन कर घुम रहे हैं। हो सके तो अब दुनिया को उस बनावटी इज्जत के चश्मे से नहीं खुशियों के चश्मे से देखिए। वैसे जिस समाज का आप बात करते हैं ना वहीं समाज अगर आपके घर में एक शाम का अनाज नहीं हो तो खिलाएगा नहीं बल्कि कुछ तथाकथित लोगों के साथ मिलकर उपहास करेगा आपका। एक बार लड़िए समाज से , सब सही होगा। दो-तीन तक बातें चलेंगी फिर सब सही। आपसे समाज है समाज से आप नहीं। यह वही समाज है जो तलाकशुदा मर्द के शादी के पक्ष में तो रहता है लेकिन तलाकशुदा महिला के नहीं। वो महिला इनके अनुसार अपशकुन होती है और मर्द नहीं। यह है आपका दोगला समाज।
दूसरा मुद्दा है सेक्स। विज्ञान के अनुसार देखें तो मनुष्य के साथ पशु और पक्षियों के लिए भी यह अनिवार्य है। यहां सभी हिचकते हैं इस मुद्दे पर बात करने से। आप बस इसका नाम लिजिए दस में से नौ हंस पड़ेंगे। यहां इसके नाम पर व्यापार तक फैला हुआ है। वयस्क किताबें बेची गयी वयस्क फिल्में बनायी गयी लेकिन दुर्भाग्य ये जो फिल्में कामुकतापूर्ण होती हैं इन्होंने भी कुछ समझाया नहीं बस टैबू को टैबू रहने दिया। हम सिखे भी तो कैसे ? बस विधालय के कुछ कक्षाओ तक सीमित है इसका पढ़ाई वो भी संक्षिप्त मात्र ही है। घर में कोई बताएगा नहीं ना ही कोई सेफ सेक्स के बारे भी बात करेगा। गलती से भी सेक्सी बोल दिए तो आपको बिगड़े हुए का तमगा मिल जाएगा। हम आज भी इस तरह से कुंठाग्रस्त है कि हमें सेक्स का मतलब बस इतना पता है कि यह दो विपरीत लिंग धारियों के बीच होता है और इसका मूल कार्य बच्चा पैदा करना है। हमारे समाज ने समान लिंग वाले के रिलेशन को कभी सही से समझा ही नहीं और उन्हें एक मजाक का जरिया बना कर छोड़ दिया और दूसरी तरफ औरत को भोग का वस्तु समझ कर बच्चा पैदा करने का मशीन बनाने लगा। ना किसी ने कभी औरगैज्म को कभी सही से समझा ही नहीं। अगर कोई समझ कर किसी को सेक्स शिक्षा दे तो लोग यहीं बोलेंगे कि यह उसको बिगाड़ रहा है। थोड़ा बदलिए खुद को। बच्चों को जब तक आप यह शिक्षा नहीं देंगे तब तक वो किसी साइट या विज्ञापन या वयस्क किताबें या वयस्क फिल्मों के जरिए वो सीखेंगे जहां सिर्फ एक जानवर बनना सिखाया जाता है इंसान नहीं। प्रिवेंशन बताइए , सही उम्र समझाए,उपयोग और दुरूपयोग समझाइए। क्यूंकि यह सबका जरूरत है और जरूरत के चीजों अच्छे से समझने का सबका हक है और अभिभावक के तौर पर पहला कदम आप उठाएं तो बेहतर हो।
शादी (विवाह) में रुकावट बनते गोत्र व अधूरी जानकारी !
Society Need Updation
कटघरे में प्रेम संबंध व सामाजिक नियमो के समक्ष बेबस परिवार ।
सृष्टि के रचयिताओ ने सृष्टि बनाते वक़्त जो कुछ नियम कायदे कानून बनाए थे उसका हर इंसान इस आधुनिक काल में अपनी सुविधा अनुसार मतलब निकाल लेता है और उसे अपनी इज्जत और सामाजिक नियमों से जोड़ने का प्रयास करता है, जबकि ऐसा हकीकत हो यह आवश्यक नहीं ।
मुझे ना मालूम था कि मेरी पवित्रता को लोग समाज के नियमों तले ऐसे कुचल कर फेंक देंगे जैसे हाथ पर बैठे किसी मच्छर को झट से पिट कर फेंक देते है , भले ही वो मच्छर नुकसान देह हो पर मै तो वो हूं जो सब के चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ मुस्कान देखना चाहता हूं । मैंने तो कभी शर्तों और नियमों में बंधना नहीं चाहा था और ना ही सृष्टि के रचयिता ने मुझे उसमें बंधने के लिए बनाया था मै तो सिर्फ एक एहसास ही तो हूं फिर क्यों हर वो चीज मुझे केंद्रित कर कहीं जाती है जिस से वो परेशान होता है जिस में मै बसता हूं । मै प्रेम हूं मुझे बिना शर्तों व बिना नियमों के ही महसूस करो वरना वो भी मै ही हूं जो शर्तों और नियमों के बंधन में बंध वो विकराल रूप धारण करता जिस से सिर्फ और सिर्फ विनाश की उत्पति होती है ।
आज के दौर में समाज में व लोगो में जागरूकता की अत्यंत आवश्यकता है वरना कुछ ही वर्षों में यह समाज और इसके मायने बट्ठी में जलते नजर आएंगे जैसा कि अभी इस दौर में हमें कई दफा देखने को मिलता भी है ।
परिवर्तन प्रकृति का नियम है और यह आवश्यक भी है वरना पतझड़ के मौसम में यदि पत्ते नहीं झड़ेंगे तो नए कैसे आएंगे । ठीक उसी प्रकार यदि समाज में समय समय पर परिवर्तन और नए विचार नहीं आए तो यह ठीक उसी प्रकार उखड़ जाएगा जैसे आंधी में पेड़ ।
वक़्त बदल रहा है लोग बदल रहे है साथ ही लोगो की सोच बदल रही है तो फिर सामाजिक नियमो में नयापन क्यों नहीं ?
आज शादी करते वक़्त समाज के कुछ वर्गो में आज भी बहुत अधिक रूढ़िवादिता विद्यमान है जिसके चलते लड़का व लड़की को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है , उसका कारण सिर्फ है तो वो है अधूरा ज्ञान ।
आज विवाह संबंधो में गोत्र एक बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण समस्या है , जिसके चलते समाज मरने मारने पर आतुर हो बैठता है । जबकि उसे जब पूछा जाए कि क्यों ? क्यों नहीं कर सकते तो बस उसके पास रटे रटाए एक दो उत्तर होते है जो भी उनके द्वार पहले परिवार या फिर कहे कि समाज से सुने सुनाए होते है । कारण क्या है और इसके पीछे हकीकत क्या है यह कुछ को पता होता है ।
यदि इस मुद्दे पर किसी को समझाने की कोशिश की जाए तो ऐसा लगता है जैसे कि हम सबसे बड़ा गुनाह कर रहे है ।
दरअसल में यह सब वो बाते और चीज़े होती है जो सिर्फ कहीं और सुनाई जाती है , कारण और उपाय किसी ने बताया नहीं है ।
बुजुर्ग अपनी आने वाली पीढ़ी को वो बता के जाते है जो उनके बुजुर्ग उन्हें बताकर गए , कुछ कहानियां थी तो कुछ हकीकत , और आज के आधुनिक दौर में उस रूढ़िवादिता को मानने वाले तबका उन कहानियों को भी हकीकत मान बैठा है और उस से बाहर ही नहीं आना चाहता अपितु अपनी आने वाली पीढ़ी को भी वही अधूरी जानकारी प्रदान कर उनके साथ खिलवाड़ कर रहा है ।
हमें चूहे और शेर की कहानी सुनाई इस कहानी में कभी चुहिया क्यों नहीं आयी या यूं कहे कि कोई खरगोश या गिलहरी क्यों नहीं आए , हमें बरसो पहले एक कहानी सुनाई और कभी उसके साथ किसी ने कुछ बदलाव करने का ही नहीं सोचा बस साहब जो जल रहा वो चलने दो , खेर जाने दो मुद्दे पर आते है ।
तो दरअसल में होता क्या है कि जब सृष्टि की शुरुवात होती है तो कुछ ऐसा है कि सप्त ऋषि थे उन्हीं के नाम पर गोत्र थे और वही आगे सातो महाद्वीपों पर विस्तारित होते गए ।
समाज जाती धर्म संप्रदाय यह सब इंसान कि खुद की सुविधा अनुसार बनाई गई चीज़े है , और इनमें वो इतना खो गया की वो समझना ही नहीं चाहता ये है क्या ?
विवाह संबंधो के अन्तर्गत जब गोत्र का मिलान किया जाता है तो होने वाले रिश्ता नहीं हो पाता है , कारण गोत्र समान होने पर
जैसे
लड़का लड़की दोनों का समान
लड़का व लड़की की मां का समान
लड़की व लड़के की मां का समान
लड़के की दादी व लड़की का समान
लड़की की दादी व लड़के का समान
लड़के की नानी व लड़की का समान
लड़की की नानी व लड़के का समान
या दादी दादी व नानी नानी का समान
ऐसी समानता आने पर विहाह संबंध नहीं हो पाते है समाज के नियमो के चलते फिर चाहे लड़का व लड़की के बीच प्रेम संबंध हो ।
अब आने वाले समय में बढ़ती जनसंख्या देख ऐसा लगता है जैसे इस गोत्र system के चलते शादियां मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगी ।
सामाजिक नियमो के तहत पहली शर्त समान जाती में विवाह करो उसके बाद गोत्र मिलान ऐसा होता रहा था खुद के सामज में तो सभी गोत्र के इतने हो जाएंगे की हर दूसरा व्यक्ति स्वयं के गोत्र का मिलेगा तो फिर क्या शादी नहीं होगी , इसी समस्या का समाधान है वंश मिलान ।
गोत्र समान हो जाने से शादी ना हो ऐसा नहीं है यदि गोत्र समान है व वंश अलग है तो विवाह किया जा सकता है ।
गोत्र समान होने पर वंशावली का मिलान किया जाए 500 साल तक यदि गोत्र के वंशज नहीं है तो शादी करने में कोई समस्या नहीं है वैसे ही धूम धाम से शादी करे जैसे होती है क्यों कि यह समझौते की बात नहीं यह बात है नए विचार की और सिर्फ गोत्र तक मिलान कि बात थी अधूरी जानकारी की ���
मुख्य बिंदु समान गोत्र में शादी नहीं करने के पीछे Medical कारण होता है जिसके चलते आने वाले वंश या पीढ़ी में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि बच्चे का पूर्ण रूप से विकसित ना हो पाना व पुरानी बीमारियों का नहीं पीढ़ी में प्रवेश कर जाना इत्यादि।
वर्तमान दौर में प्रेम संबंध हो जाने पर कुछ परिवार तो जाती भी नहीं देखते तो कुछ परिवार जाती के साथ साथ गोत्र भी देखते है ,
उन्हें यह समझने की आवश्यकता है कि इस आधुनिक काल में जो बच्चे अपने परिवार को साथ ले उनकी खुशी अपनी खुशी में देखना चाहते है तो इस से सुंदर बात और कुछ नहीं , ऐसा होने पर अपने बच्चों का साथ दे ना की अधूरी जानकारी का ।
समान जाती में यदि गोत्रो का मिलान करने पर गोत्र समान पाए जाते है तो फिर आप अपनी वंशावली की जांच करवाए व यदि उस जांच में 500 वर्ष तक आपका वह गोत्र का वंशज नहीं है तो आप खुशी खुशी विवाह संपन्न करवाए , कोई समस्या नहीं है ।
समाज को यदि बचाए रखना है उसके नियम कायदे कानून यदि बनाए रखने है यदि समाज को आने वाली पीढ़ियों में जिंदा रखना है तो जरूरी है परिवर्तन , जरूरी है लचीलापन वरना आनी वाली पीढ़ियां इस अलग अलग वर्गो के समाज को पीछे छोड़ अपना ऐक समाज बनाएगी और वो होगा मानवता व मशीनीकरण ।
आधुनिक युग में जब आपके प्यारे बच्चे आपके पास आकर अपनी उचित और पूरा होने वाली खुशी कि ख्वाइश करे तो उसे पूरा करने में अपना पूरा सहयोग प्रदान करे , वरना आप उस खुशी से वंचित रह जाओगे जो उनके पैदा होते वक़्त आपने देखी थी ।
आज के दौर में जब स्कूल में टीचर मार लगा देता है और टीचर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो जाता है तो उस बच्चे को पता है उस उसके खुशी कैसे लेनी है , भारतीय कानून व्यवस्था उन्हें उनकी खुशी के वो सब अधिकार प्रदान करता है शादी में जो उन्हें चाहिए ।
यह बंधन है प्रेम का पूजा का पवित्रता का इसे बनाने में साथ दे इस पूजा को पूरी करने में अपना सहयोग दे यह पल आपकी खुशी का आपके परिवार और सबसे मुख्य आपके बच्चे की खुशी का इसे अपने से जोड़े , कोई समस्या आने पर उसे सुलझा इस धार्मिक कार्य को कर पुण्य की प्राप्ति करे, नाकी किसी सामाजिक डर व अधूरी जानकारी के अभाव में अपनी व अपने बच्चो की उस खुशी का अंत करे जिसके सपने आपने बरसो सजाए । एक माता पिता के लिए अपने बच्चो की खुशी से बढ़कर कुछ नहीं होता उनकी शादी से पहले लेकिन जब शादी के वक़्त ऐसी कोई समस्या आ जाति है तो या तो बच्चो को मार दिया जाता है या उनकी खुशियों का अंत कर दिया जाता है समाज की आड़ में ।
ऐसा करने से बचें क्यों की यह वक़्त वो है जिसमें दहेज प्रताड़ना में परिवार का दोष व ias बनने पर समाज की बेटी ।
इस लिए यदि इस दौर में बच्चे आपके पास है तो आप आधुनिक युग के सबसे खुशहाल माता पिता है ।
याद रहे आपके पास वो है जो हर किसी के पास नहीं , आपके लिए जैसे वो अनमोल है वैसे ही आप भी अनमोल है उनके जीवन में ।
बलात्कार करने पर परिवार और संगत खराब व मेरिट आने पर समाज का बेटा । इस दौर में समाज के अधूरे ज्ञान की वजह से या उसके डर में बच्चो का साथ ना छोड़े उन्हें आपकी जरूरत है समाज के उस डर की नहीं जो उन्हें सबसे दूर करे । नयापन लाए व समाज को ताजगी का एहसास करवाए । बच्चो के मन में नफरत नहीं समाज से जुड़ने की भावना उत्पन्न करे ।
वादा तो था क्योटो बनाने का किसे पता था युगांडा बनाएगा
कहा तो था बेटी बचाओ किसे पता था बेटियों की इज्जत खुद लुटवाएगा
वोट दिया था २००२ के मॉडल पर नही पता था मणिपुर को गुजरात बनाएगा
कोई तो कह दो भारत देश है सभ्यता संस्कृति का वरना वह सबको शैतान बनाएगा
जिसने मां को भी नोट बंदी में खड़ा कर दिया ऐसा आदमी कब औरतों। की इज्जत बचाएगा
कभी नेनुँआ टाटी पे चढ़ के रसोई के दो महीने का इंतज़ाम कर देता था। कभी खपरैल की छत पे चढ़ी लौकी महीना भर निकाल देती थी, कभी बैसाख में दाल और भतुआ से बनाई सूखी कोहड़ौरी, सावन भादो की सब्जी का खर्चा निकाल देती थी!
वो दिन थे, जब सब्जी पे खर्चा पता तक नहीं चलता था। देशी टमाटर और मूली जाड़े के सीजन में भौकाल के साथ आते थे,लेकिन खिचड़ी आते-आते उनकी इज्जत घर जमाई जैसी हो जाती थी!
तब जीडीपी का अंकगणितीय करिश्मा नहीं था।
ये सब्जियाँ सर्वसुलभ और हर रसोई का हिस्सा थीं। लोहे की कढ़ाई में, किसी के घर रसेदार सब्जी पके तो, गाँव के डीह बाबा तक गमक जाती थी। धुंआ एक घर से निकला की नहीं, तो आग के लिए लोग चिपरि लेके दौड़ पड़ते थे संझा को रेडियो पे चौपाल और आकाशवाणी के सुलझे हुए समाचारों से दिन रुखसत लेता था!
रातें बड़ी होती थीं, दुआर पे कोई पुरनिया आल्हा छेड़ देता था तो मानों कोई सिनेमा चल गया हो।
किसान लोगो में कर्ज का फैशन नहीं था, फिर बच्चे बड़े होने लगे, बच्चियाँ भी बड़ी होने लगीं!
बच्चे सरकारी नौकरी पाते ही,अंग्रेजी इत्र लगाने लगे। बच्चियों के पापा सरकारी दामाद में नारायण का रूप देखने लगे, किसान क्रेडिट कार्ड डिमांड और ईगो का प्रसाद बन गया,इसी बीच मूँछ बेरोजगारी का सबब बनी!
बीच में मूछमुंडे इंजीनियरों का दौर आया। अब दीवाने किसान,अपनी बेटियों के लिए खेत बेचने के लिए तैयार थे, बेटी गाँव से रुखसत हुई,पापा का कान पेरने वाला रेडियो, साजन की टाटा स्काई वाली एलईडी के सामने फीका पड़ चुका था!
अब आँगन में नेनुँआ का बिया छीटकर,मड़ई पे उसकी लताएँ चढ़ाने वाली बिटिया, पिया के ढाई बीएचके की बालकनी के गमले में क्रोटॉन लगाने लगी और सब्जियाँ मंहँगी हो गईं!
बहुत पुरानी यादें ताज़ा हो गई, सच में उस समय सब्जी पर कुछ भी खर्च नहीं हो पाता था, जिसके पास नहीं होता उसका भी काम चल जाता था!
दही मट्ठा का भरमार था, सबका काम चलता था। मटर,गन्ना,गुड़ सबके लिए इफरात रहता था। सबसे बड़ी बात तो यह थी कि, आपसी मनमुटाव रहते हुए भी अगाध प्रेम रहता था!
आज की छुद्र मानसिकता, दूर-दूर तक नहीं दिखाई देती थी, हाय रे ऊँची शिक्षा, कहाँ तक ले आई। आज हर आदमी, एक दूसरे को शंका की निगाह से देख रहा है!
विचारणीय है कि क्या सचमुच हम विकसित हुए हैं या यह केवल एक छलावा है?
बेटी और दामाद साथ में खाना खाएं तो कितनी मोहब्बत है "Mashallah" और अगर बेटा बहु साथ में खाना खाएं तो "Tawiz" का असर है❣️🥀 वाह रे दुनिया के लोगो,,,सब सोच का फर्क है,,अक्सर देखने को यही मिलता है माँ,, बाप सब बेटी और दामाद को जियादह इज्जत,,मुहब्बत और तरजीह देते है जब कि बहु कही दूर से अपने सारे लोगो को छोड़ कर नए घर मे आती है ,,,,आखिर बहु भी किसी घर की बेटी होती है ये बात लोगो को कियु नही समझ आती है ,,बेहद अफ़सोस की बात है अल्लाह हिदायत दे,,सोचने और समझने की सही तौफीक अता फमाये,,आमीन https://www.instagram.com/p/Cf-jgaHKwRj/?igshid=NGJjMDIxMWI=