Tumgik
#महात्माबुद्ध
rakesh-joher · 6 months
Text
इस कारण चीन हुआ नास्तिक #चीन #महात्माबुद्ध
6 notes · View notes
sahebraosblog · 1 year
Text
Tumblr media
#Real_Facts_About_Buddhism
🎋महात्माबुद्ध को परमात्मा प्राप्ति की प्रबल कसक थी। तभी वो सब कुछ त्यागकर घर से निकल गए। लेकिन पूर्ण गुरु नहीं मिला जिसके कारण शास्त्र विरुद्ध साधना करके जीवन व्यर्थ कर लिया। आज धरती पर पूर्ण गुरु "सतगुरु रामपाल जी महाराज" हैं। उनसे नाम दान लेकर अपना जीवन सफल बनायें।
0 notes
cooltimetravelking · 1 year
Text
Tumblr media
#Real_Facts_About_Buddhism
🎋महात्माबुद्ध को परमात्मा प्राप्ति की प्रबल कसक थी। तभी वो सब कुछ त्यागकर घर से निकल गए। लेकिन पूर्ण गुरु नहीं मिला जिसके कारण शास्त्र विरुद्ध साधना करके जीवन व्यर्थ कर लिया। आज धरती पर पूर्ण गुरु "सतगुरु रामपाल जी महाराज" हैं। उनसे नाम दान लेकर अपना जीवन सफल बनायें।
0 notes
sandip79 · 1 year
Text
#Real_Facts_About_Buddhism
🎋महात्माबुद्ध को परमात्मा प्राप्ति की प्रबल कसक थी। तभी वो सब कुछ त्यागकर घर से निकल गए। लेकिन पूर्ण गुरु नहीं मिला जिसके कारण शास्त्र विरुद्ध साधना करके जीवन व्यर्थ कर लिया। आज धरती पर पूर्ण गुरु "सतगुरु रामपाल जी महाराज" हैं। उनसे नाम दान लेकर अपना जीवन सफल बनायें।
Tumblr media
0 notes
allgyan · 4 years
Link
विपश्यना :भारत की सबसे पुरानी योग की तकनीक है -
विपश्यना भारत की सबसे पुरानी ध्यान केंद्रित करने वाली तकनीक है |इसका सरल सा मतलब है की सभी चीजें को उनके वास्तविक रूप में देखना |ये एक संस्कृत शब्द है -विपश्यना=  (वि + पश्य + ना)विशेष प्रकार से देखना|आज से करीब २५०० वर्ष पूर्व महात्मा बुद्ध ने इस तकनीक को पुनर्जीवित किया |महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं में से एक विपश्यना भी है। यह वास्तव में सत्य की उपासना है। सत्य में जीने का अभ्यास है। विपश्यना इसी क्षण में यानी तत्काल में जीने की कला है। भूत की चिंताएं और भविष्य की आशंकाओं में जीने की जगह भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को आज के बारे में सोचने केलिए कहा।
विपश्यना :एक कला -
विपश्यना सम्यक् ज्ञान है। जो जैसा है, उसे ठीक वैसा ही देख-समझकर जो आचरण होगा, वही सही और कल्याणकारी सम्यक आचरण होगा। विपश्यना जीवन की सच्चाई से भागने की शिक्षा नहीं देता है, बल्कि यह जीवन की सच्चाई को उसके वास्तविक रूप में स्वीकारने की प्रेरणा देता है।योग साधना के तीन मार्ग प्रचलित हैं - विपश्यना, भावातीत ध्यान और हठयोग।
विपश्यना करने का सही तरीका -
मन और शरीर की सर्वसामान्य जड़ की यह अवलोकन-आधारित, आत्म-खोजात्मक यात्रा है, जो मानसिक अशुद्धता को पिघलाता है, जिसके परिणामस्वरूप एक संतुलित मन प्यार और करुणा से भरा होता है|विपश्यना अनुशासन बहुत जरुरी है और साथ में लगन |क्योकि खुद को शांत और ख़ुशी आदमी खुद के दवरा ही दे सकता है |इसलिए ये योग केवल इसे गंभीरता से लेने वाले के लिए उपयोगी होता है | ये 10 दिवसीय प्रक्रिया है |इसका पूरा एक कोड ऑफ़ डिसिप्लिन होता है जिसको तीन भागों में बाटा गया है पहला चरण - इस चरण में आपको हत्या ,चोरी ,यौन गतिविधि , गलत तरीके से बात और नशे की आदतों को छोड़ना होता है ये मन को शांत करता है |
दूसरे चरण - इस चरण में आपको अपने श्वास लेने की विधि पर काबू करके मन को शांत रखना होता है |इस क्रिया में व्यक्ति का मन खुद बे खुद शांत हो जाता है चौथे दिन तक |खुद को केंद्रित करके अपने शरीर के बारे में जानने और संवेदनाओं को समझना और संतुलित करना इसके ही अंग है |
तीसरा चरण -ये अंतिम चरण है |व्यक्ति दया के प्रति प्रेम और सभी के लिए अच्छे काम करना और अपनी सब अशुद्धि भुलाकर ध्यान केंद्रित करना सीख चूका होता है |
इस तकनीक को इस समय क्या राजनेता और क्या अभिनेता और बिज़नेस मैन सब अपना रहे है | ये पुरे विश्व में प्रसिद्ध है | अगर आप सुकून चाहते है तो इसे आजमाए जरूर क्योकि हमारा काम बताना है |
1 note · View note
vikasnarwal · 4 years
Photo
Tumblr media
बुद्ध विश्व को भारत की सबसे अनमोल भेंट है। बुद्ध ने कहा था चाहे आप कितने ही पवित्र शब्द पढ़ लें या बोल लें, ये शब्द आपका भला तब तक नहीं करेंगे जब तक आप इनको उपयोग में नहीं लाते हैं। #HopeAndFaith #K.Vikas #LifeFile #बुद्धजयंती #बुद्धपूर्णिमा #महात्माबुद्ध (at DC Group) https://www.instagram.com/p/B_4yU1mnUgT/?igshid=59y995tznm4y
1 note · View note
manishsindhwani · 2 years
Text
#RealKnowledgeOfBuddhism महात्माबुद्ध को परमात्मा प्राप्ति की प्रबल कसक थी।तभी वो सब कुछ त्यागकर घर से निकल गए। लेकिन पूर्ण गुरु नहीं मिला जिसके कारण शास्त्र विरुद्ध साधना करके जीवन व्यर्थ कर लिया।आज धरती पर पूर्ण गुरु "सतगुरु रामपाल जी"हैं।उनसे नाम दान लेकर अपना जीवन सफल बनायें
Tumblr media
0 notes
gkinhindi971-blog · 4 years
Text
history gk in hindi
नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका मेरे tumblr account  में और आज मैं आपके लिए लाया हूं इतिहास से संबंधित ऐसे 50 प्रश्न जोकि आपकी प्रतियोगिता परीक्षाओं में बार-बार पूछे जाते हैं तो आइए :
( History question in hindi )
प्राचीनतम सिक्के को क्या कहा जाता था - आहत सिक्के काषार्पण  
राजतरंगिणी के लेखक कौन है - कल्हण
चंचनामा के लेखक कौन हैं - अली अहमद
अष्टाध्यायी के लेखक कौन है - पणिनि
गार्गी संहिता क्या है - एक ज्योतिषी ग्रंथ
पतंजलि किस राजा के पुरोहित थे-  पुष्यमित्र शुंग
टेसियस कौन था - ईरान का राज वैद्य
फाहियान कौन था - एक चीनी बौद्ध यात्री
फाहियान किस राजा के शासनकाल में भारत आया था - गुप्त नरेश चंद्रगुप्त द्वितीय
सर्वप्रथम भारत वर्ष का उल्लेख किस अभिलेख में मिलता है - हाथी गुफा अभिलेखओं में
महावीर का जन्म कहां पर हुआ था - वैशाली
महावीर की मृत्यु कहां पर हुई थी - पावापुरी
महावीर किस राजघराने में पैदा हुए थे - क्षत्रिय राजघराने में
महावीर का प्रथम अनुयाई कौन था - जमाली
महावीर तथा महात्मा बुद्ध दोनों ने किस राजा के शासनकाल में उपदेश दिया  थे - मगध नरेश बिंबिसार के शासनकाल में
चंद्रगुप्त ने जैन धर्म की दीक्षा किस संत से ली थी - भद्रबाहु
चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आने वाला प्रसिद्ध यूनानी यात्री कौन था - मेगास्थनीज ( पुस्तक ) : इंडिका
चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने जीवन के अंतिम दिन कहां पर गुजारे थे - श्रवणबेलगोला
बुद्ध चरिता के रचयिता कौन है - अश्व़घोष
जैन धर्म के प्रथम तीर्थकार कौन है - ऋषभदेव
महात्मा बुद्ध की गृह त्याग की घटना को क्या कहा जाता है - महाभिनिष्क्रमण
महात्मा बुद्ध का प्रथम प्रवचन क्या कहलाता है - धर्मचक्र प्रवर्तन
महात्मा बुद्ध ने किस भाषा में उपदेश दिया करते थे - पाली भाषा
महात्मा बुद्ध ने सर्वप्रथम उपदेश कहां पर दिया था - सारनाथ
बौद्ध धर्म के त्रिरत्न है - बुद्ध,  धम्म,  संघ
शिशुनाग वंश का संस्थापक कौन था - शिशुनाग
पाटलिपुत्र की स्थापना किसने की थी - उदायिन ने
हर्यक वंश का संस्थापक कौन था - बिंबिसार
नंद वंश का अंतिम शासक कौन था - धनानंद
सिकंदर की मृत्यु कहां पर हुई थी - बेबीलोन
सुदर्शन झील का निर्माण किस शासक ने करवाया था - चंद्रगुप्त मौर्य
मौर्य वंश की जानकारी किस पुराण से मिलती है - विष्णु पुराण
चंद्रगुप्त मौर्य किस धर्म का अनुयाई था - जैन धर्म
चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री कौन थे - चाणक्य
भारत का मैक्यावैली कहा जाता है  - आचार्य चाणक्य
महात्मा बुद्ध के प्रथम गुरु कौन थे - अलारकलाम
महात्माबुद्ध की मृत्यु की घटना को क्या कहा जाता है - महापरीनिवार्ण
उपनिषदों की संख्या कितनी है - 108
सबसे प्राचीन पुराण कौन सा है - मत्स्य पुराण
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग किसकी पूजा करते थे - ��ातृदेवी की
मोसोपोटामिया का आधुनिक नाम क्या है - इराक
मोहनजोदड़ो किस देश में स्थित है - पाकिस्तान
हड़प्पा सभ्यता में मिट्टी के बर्तन किस रंग के होते थे - लाल रंग
सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख बंदरगाह कौन सा था - लोथल
आदि मानव ने सर्वप्रथम क्या सीखा था - आग जलाना
सिंधु घाटी सभ्यता किस लिए प्रसिद्ध थी - सुनियोजित शहर व्यवस्था के लिए
सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का व्यवसाय क्या था - कृषि पालन
हड़प्पा सभ्यता किस युग की है - कांस्ययूग
स्वास्तिक चिन्ह किस सभ्यता की देन है - सिंधु सभ्यता
सिंधु सभ्यता की लिपि कैसी थी - चित्रात्मक
Read More click this link : https://gkstudydose.blogspot.com/
0 notes
फेंगशुई 
चीन का एक अदृश्य  "हथियार"  एक कटु सत्य
Tumblr media
फेंगशुई
चीन का एक अदृश्य "हथियार" एक कटु सत्य!
यह सच्ची घटना एक परिचित के साथ घटी थी,उन्होंने बाद में सुनाया था। जब गृह प्रवेश के वक्त मित्रों ने नए घर की ख़ुशी में उपहार भेंट किए थे। अगली सुबह जब उन्हेंने उपहारों को खोलना शुरू किया तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं था!
एक दो उपहारों को छोड़कर बाकी सभी में लाफिंगबुद्धा, फेंगशुई पिरामिड, चाइनीज़ ड्रेगन, कछुआ, फेंगसुई सिक्के, तीन टांगों वाला मेंढक और हाथ हिलाती हुई बिल्ली जैसी अटपटी वस्तुएं दी गई थी।
जिज्ञासावश उन्होंने इन उपहारों के साथ आए कागजों को पढ़ना शुरू किया जिसमें इन चाइनीज़ फेंगशुई के मॉडलों का मुख्य काम और उसे रखने की दिशा के बारे में बताया गया था। जैसे लाफिंग बुद्धा का काम घर में धन, दौलत, अनाज और प्रसन्नता लाना था और उसे दरवाजे की ओर मुख करके रखना पड़ता था। कछुआ पानी में डूबा कर रखने से कर्ज से मुक्ति, सिक्के वाला तीन टांगों वाला मेंढक रखने से धन का प्रभाव, चाइनीज ड्रैगन को कमरे में रखने से रोगों से मुक्ति, विंडचाइम लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह, प्लास्टिक के पिरामिड लगाने से वास्तुदोषों से मुक्ति, चाइनीज सिक्के बटुए में रखने से सौभाग्य में वृद्धि होगी ऐसा लिखा था।
यह सब पढ़ कर वह हैरान हो गया क्योंकि यह उपहार उन दोस्तों ने दिए थे जो पेशे से इंजीनियर, डॉक्टर और वकील जैसे पदों पर काम कर रहे थे। हद तो तब हो गई जब डॉक्टर मित्र ने रोग भगाने वाला और आयु बढ़ाने वाला चाइनीज ड्रैगन गिफ्ट किया! जिसमें लिखा था “आपके और आपके परिवार के सुखद स्वास्थ्य का अचूक उपाय”!
इन फेंगशुई उपहारों में एक प्लास्टिक की सुनहरी बिल्ली भी थी जिसमें बैटरी लगाने के बाद, उसका एक हाथ किसी को बुलाने की मुद्रा में आगे पीछे हिलता रहता था। कमाल तो यह था कि उसके साथ आए कागज में लिखा था “ मुबारक हो, सुनहरी बिल्ली के माध्यम से अपनी रूठी किस्मत को वापस बुलाने के लिए इसे अपने घर, कार्यालय अथवा दुकान के उत्तर-पूर्व में रखिए!”
उन्होंने इंटरनेट खोलकर फेंगशुई के बारे में और पता लगाया तो कई रोचक बातें सामने आई। ओह! जब गौर किया तो ' चीनी आक्रमण का यह गम्भीर पहलू समझ में आया।
दुनिया के अनेक देशों में कहीं न कहीं फेंगशुई का जाल फैला हुआ है। इसकी मार्केटिंग का तंत्र इंटरनेट पर मौजूद हजारों वेबसाइट के अलावा, TV कार्यक्रमों, न्यूज़ पेपर्स, और पत्रिकाओं तक के माध्यम से चलता है। मजहबी बनावट के कारण अमूमन मुस्लिम उसके शिकार नही होते। यानी इस हथियार का असल शिकार कौन है? आप समझ सकते हैं। चीनी इस फेंगसुई का इस्तेमाल किसी बाजार में प्रारंम्भिक घुसपैठ के लिए करते हैं।
अनुमानत: भारत में ही केवल इस का कारोबार लगभग 200 करोड रुपए से अधिक का है। उसी के सहारे धीरे-धीरे भारत के उत्पाद मार्केट पर चीनी उत्पादों ने पचास प्रतिशत तक कब्ज़ा लिया है। किसी छोटे शहर की गिफ्ट शॉप से लेकर सुपर माल्स तक चीनी प्रोडक्ट्स आपको हर जगह मिल जाएंगे....वह छा गये है। उन्होंने स्थानीय उत्पादों को लगभग समाप्त कर दिया है। चाइनीज उत्पादों का आक्रामक माल, भारत सहित दुनिया के अलग-अलग देशों में इस कदर बेचा जाता है कि दूसरों की मौलिक अर्थ-व्यवस्था तबाह हो जाती है। सस्ता और बड़ी मात्रा में होना उसका पैंतरा है।
अब आते हैं उसके जादुई हथियार पर जो जेहन का शिकार करती है !!!
चीन में "फेंग" का अर्थ होता है वायु और "शुई" का अर्थ है जल अर्थात फेंगशुई का पूरा मतलब है जलवायु। इसका आपके सौभाग्य, स्वास्थ्य और मुकदमे में हार जीत से क्या संबंध है? आप खुद ही समझ सकते हैं।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिपेक्ष्य से भी देखा जाए तो कौन सा भारतीय अपने घर में आग उगलने वाली चाइनीज छिपकली यानी dragon को देख कर प्रसन्नता महसूस कर सकता है? बल्कि घर मे नवजात शिशु भयानक मुख वाले ड्रेगन को देखकर अंदर ही अंदर भयभीत होता रहता है और जिसे डॉक्टर भी न समझ पाए ऐसी बीमारी के गिरफ्त में आ जाता है। उनके जिन में ड्रेगन को देवता मनाने की गुण हो सकता है। पर हम उनसे भिन्न हैं।, किसी जमाने में जिस बिल्ली को अशुभ मानकर रास्ते पर लोग रुक जाया करते थे; उसी बिल्ली के सुनहरे पुतले को घर में सजाकर सौभाग्य की मिन्नतें करना महामूर्खता नहीं तो और क्या है?
अब जरा सर्वाधिक लोकप्रिय फेंगशुई उपहार लाफिंगबुद्धा की बात करें- धन की टोकरी उठाए, मोटे पेट वाला गोल मटोल सुनहरे रंग का पुतला- क्या सच में महात्माबुद्ध है? किसी तरह वह बुध्द सा सौम्य,शांत और सुडौल दीखता है??
क्या बुद्ध ने अपने किसी प्रवचन में कहीं यह बताया था कि मेरी इस प्रकार की मूर्ति को अपने घर में रखो और मैं तुम्हें सौभाग्य और धन दूंगा? उन्होंने तो सत्य की खोज के लिए स्वयं अपना धन और राजपाट त्याग दिया था।
एक बेजान चाइनीज पुतले ( लाफिंगबुद्धा) को हमने तुलसी के बिरवे से ज्यादा बढ़कर मान लिया और तुलसी जैसी रोग मिटाने वाली सदा प्राणवायु देने वाली और हमारी संस्कृति की याद दिलाने वाली प्रकृति के सुंदर देन को अपने घरों से निकालकर, हमने लाफिंग बुद्धा को स्थापित कर दिया और अब उससे सकारात्मकता और सौभाग्य की उम्मीद कर रहे हैं? क्या यही हमारी तरक्की है?
अब तो दुकानदार भी अपनी दुकान का शटर खोलकर सबसे पहले लाफिंग बुद्धा को नमस्कार करते हैं और कभी-कभी तो अगरबत्ती भी लगाते हैं!
फेंगसुई की दुनिया का एक और लोकप्रिय मॉडल है चीनी देवता फुक, लुक और साऊ। फुक को समृद्धि, लुक को यश-मान-प्रतिष्ठा और साउ को दीर्घायु का देवता कहा जाता है। फेंगशुई ने बताया और हम अंधभक्तों ने अपने घरों में इन मूर्तियों को लगाना शुरु कर दिया। मैंने देखा कि इंटरनेट पर मिलने वाली इन मूर्तियों की कीमत भारत में ₹200 से लेकर ₹15000 तक है, मसलन जैसी जेब- वैसी मूर्ति और उसी हिसाब से सौभाग्य का भी हिसाब-किताब सेट है।
क्या आप अपनी लोककथाओं और कहानियों में इन तीनों देवताओं का कोई उल्लेख पाते हैं? क्या भारत में फैले 33 कोटि देवी देवताओं से हमारा मन भर गया कि अब इन चाइनीज देवताओं को भी घर में स्थापित किया जा रहा है?
जरा सोचिए कि किसी कम्युनिस्ट चीन के बूढ़े देवता की मूर्ति घर में रखने से हमारी आयु कैसे ज्यादा हो सकती है? क्या इतना सरल तरीका विश्व के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को अब तक समझ में नहीं आया था?
इसी तरह का एक और फेंगशुई प्रोडक्ट है तीन चाइनीज सिक्के जो लाल रिबन से बंधे होते हैं, फेंगशुई के मुताबिक रिबिन का लाल रंग इन सिक्कों की ऊर्जा को सक्रिय कर देता है और इन सिक्कों से निकली यांग(Yang) ऊर्जा आप के भाग्य को सक्रिय कर देती है। दुकानदारों का कहना है कि ��न सिक्कों पर धन के चाइनीज मंत्र भी खुदे होते हैं लेकिन जब मैंने उनसे इन चाइनीज अक्षरों को पढ़ने के लिए कहा तो ना वे इन्हें पढ़ सके और नहीं इनका अर्थ समझा सके?
मेरा पूछना है कि क्या चीन में गरीब लोग नहीं रहते? क्यों चीनी क्म्यूनिष्ट खुद हर नागरिक के बटुवे में यह सिक्के रखवा कर अपनी गरीबी दूर नहीं कर लेती? हमारे देश के रुपयों से हम इन बेकार के चाइनीससिक्के खरीद कर न सिर्फ अपना और अपने देश का पैसा हमारे शत्रु मुल्क को भेज रहे हैं बल्कि अपने कमजोर और गिरे हुए आत्मविश्वास का भी परिचय दे रहे हैं।
फेंगशुई के बाजार में एक और गजब का प्रोडक्ट है तीनटांगोंवालामेंढक जिसके मुंह में एक चीनी सिक्का होता है। फेंगशुई के मुताबिक उसे अपने घर में धन को आकर्षित करने के लिए रखना अत्यंत शुभ होता है। जब मैंने इस मेंढक को पहली बार देखा तो सोचा कि जो देखने में इतना भद्दा लग रहा है वह मेरे घर में सौभाग्य कैसे लाएगा?
मेंढक का चौथा पैर काट कर उसे तीन टांग वाला बनाकर शुभ मानना किस सिरफिरे की कल्पना है?
क्या किसी मेंढक के मुंह में सिक्का रखकर घर में धन की बारिश हो सकती है? संसार के किसी भी जीव विज्ञान के शास्त्र में ऐसे तीन टांग वाले ओर सिक्का खाने वाले मेंढक का उल्लेख क्यों नहीं है?
कम्युनिष्ट चाइना ने इसी तरह के आक्रामक रणनीति के सहारे धीरे-धीरे भारतीय अर्थ-व्यवस्था पर लगभग कब्ज़ा लिया है। उनके इस हथियार से देश के हजारों छोटे कारीगर, लघु उद्यमी, स्थानीय व्यापार, छोटे-कल कारखाने नष्ट हो चुके है। सब वस्तुएं China से बनकर आ रही हैं।
वह वस्तुएं भी जिन्हें बनाने में हजारों सालो से हमारे कारीगर निपुण थे। केवल कुम्हार, बढ़ई, लुहार, कर्मकार आदि 2 करोड़ से अधिक जनसँख्या वाली जातियां थे। वे बेकारी के शिकार हो रहे हैं। आप लिस्टिंग करें। ऐसे हजारों काम-व्यापार दिखेगा जिसे चीन ने अपने छोटे-सस्ते उत्पादों को पाट कर नष्ट करके कब्ज़ा लिया।
हम केवल एक बिचौलिए विक्रेता की भूमिका में ही रह गये हैं।
बहुत दिमाग लगाकर समझिये अब युद्द के हथियार वह नही होते हैं जो पारपंरिक थे। अब पूरी योजना से शत्रु के पास जाकर उसके दिमाग को ग्रिप में लेना पड़ता है। यह फेंग-शुई भी उसी दिमागी खेल का हिस्सा है, जो हमारे हजारों साल के अध्यात्मिक ज्ञान को कमजोर करने के लिए भेजा गया है। कम्युनिष्टों ने उसे गोरिल्लारणनीति की तरह अपनाया है।
अपनी वैज्ञानिक सोच को जागृत करना और इनसे पीछा छुड़ाना अत्यंत आवश्यक है। आप भी अपने आसपास गौर कीजिए आपको कहीं ना कहीं इस फेंगशुई की जहरीली और अंधविश्वास को बढ़ावा देती चीजें अवश्य ही मिल जाएगी।
जब पूरे संसार ने एक मत से यह माना है कि सनातन धर्म ही विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। और हमारे उसी धर्म ने हमे आवास ( मकान और व्यापारिक स्थल ) निर्माण एवं उनके आंतरिक विन्यास को लेकर बहोत ही पवित्र, वैज्ञानिक, उन्नत तथा ग्राह्य शास्त्र दिया है जिसे हम "वास्तुशास्त्र" के नाम से जानते हैं. वास्तुशात्र हमे हमारी भौगोलिक स्थिति जैसे- हमारे उत्तर-पूर्व में हिमालय, दक्षिण और पश्चिम में विशाल सागर, दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी आदि के अनुरूप दिशाओं के वर्गीकरण, उत्तरीय और दक्षिणी ध्रुओं की चुम्बकीय रेखा और सूर्य रश्मियों के आधार पर हमारी सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा सुख-सौभाग्य निर्धारण करने में शसक्त और सक्षम है। यह हमारे स्वास्थ्य, सौभाग्य, प्रगति के साथ-साथ ही पूरे विश्व के लिए कल्याणकारक है।
यह तो बस हमारी "विदेशी चीज सदा अच्छी" जैसी सस्ती मानसिकता की वजह से अपने महान "वास्तुशात्र" के सहज और सरल निर्देशों का पालन न कर के स्मार्ट बनने के अंधे दौड़ में सामिल हैं. और फेंगसुई उत्पादों जैसे वाहियात चीजों के लिए अपनी गाढ़ी कमाई को खर्च कर के खुद और देश को कमजोर करने में लगे हैं।
0 notes
raviparkash108 · 5 years
Text
Tumblr media Tumblr media Tumblr media
मेरी कलम से: ‘बुद्ध का परम संदेश “मौन” है !’
इस मिथ्या जगत में #मौन के सर्वोत्तम महत्व को #महात्माबुद्ध ने सर्वाधिक जाना और सभी जीव-जंतुओं को मौन का परम संदेश दिया। बुद्ध का शब्द संसार और उनका संपूर्ण ओजस्वी-तेजस्वी व्यक्तित्व सुनिश्चित मौन का सृजन करता है।
वस्तुतः बुद्ध मौन की प्र���िमूर्ति हैं और बुद्ध का परम संदेश ‘मौन’ है!
आज #बुद्धपूर्णिमा’ के पावन सुअवसर पर माँ सरस्वती जी की असीम अनुकंपा से मुझ प्रकाशरविगर्ग की क़लम से “मौन” के परम महत्व को अंकित और परिभाषित करती यह कविता- “बुद्ध का परम संदेश ‘मौन’ है !”
जब मौन हृदय पर छाता है
जब मौन भीतर में उतर जाता है
अनसुलझे सभी सवालों के
उत्तर सहज ही दे जाता है !
मौन वाणी मधुर बोलता है
मौन रहस्य सभी खोलता है
मौन का धवल सा दिव्य प्रकाश
जग और जीवन दोनों के
घोर अंधकार को हर डालता है !!
बुद्ध मौन की प्रतिमूर्ति हैं
बुद्ध मौन का परम पुंज हैं
बुद्ध की परम ज्योति से उपजा
बुद्ध का परम संदेश मौन है
बुद्ध कहते हैं मौन बनकर खेवनहार
भवसागर से पार उतारता है !!!
सर्वाधिकार सुरक्षित रचना: Copyrights © प्रकाशरविगर्ग # 18/05/2019
0 notes
jmyusuf · 4 years
Text
फेंगशुई का मतलब है 'जलवायु'
यह सच्ची घटना एक परिचित के साथ घटी थी, उन्होंने बाद में सुनाया था।
जब गृह प्रवेश के वक्त मित्रों ने नए घर की ख़ुशी में उपहार भेंट किए थे। अगली सुबह जब उन्हेंने उपहारों को खोलना शुरू किया तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं था!
एक दो उपहारों को छोड़कर बाकी सभी में लाफिंग-बुद्धा, फेंगशुई-पिरामिड, चाइनीज़-ड्रेगन, कछुआ, फेंगशुई-सिक्के, तीन टांगों वाला मेंढक और हाथ हिलाती हुई बिल्ली जैसी अटपटी वस्तुएं दी गई थीं।
जिज्ञासावश उन्होंने इन उपहारों के साथ आए कागजों को पढ़ना शुरू किया जिसमें इन चाइनीज़ फेंगशुई के मॉडलों का मुख्य काम और उसे रखने की दिशा के बारे में बताया गया था। जैसे लाफिंग बुद्धा का काम घर में धन, दौलत, अनाज और प्रसन्नता लाना था और उसे दरवाजे़ की ओर मुख करके रखना पड़ता था। कछुआ पानी में डूबा कर रखने से कर्ज से मुक्ति, सिक्के वाला तीन टांगों वाला मेंढक रखने से धन का प्रभाव, चाइनीज़ ड्रैगन को कमरे में रखने से रोगों से मुक्ति, विंडचाइम लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह, प्लास्टिक के पिरामिड लगाने से वास्तुदोषों से मुक्ति, चाइनीज सिक्के बटुए में रखने से सौभाग्य में वृद्धि होगी ऐसा लिखा था।
यह सब पढ़ कर वह हैरान हो गया क्योंकि यह उपहार उन दोस्तों ने दिए थे जो पेशे से इंजीनियर, डॉक्टर और वकील जैसे पदों पर काम कर रहे थे। हद तो तब हो गई जब डॉक्टर मित्र ने रोग भगाने वाला और आयु बढ़ाने वाला चाइनीज़ ड्रैगन गिफ्ट किया! जिसमें लिखा था “आपके और आपके परिवार के सुखद स्वास्थ्य का अचूक उपाय”!
इन फेंगशुई उपहारों में एक प्लास्टिक की सुनहरी बिल्ली भी थी जिसमें बैटरी लगाने के बाद, उसका एक हाथ किसी को बुलाने की मुद्रा में आगे पीछे हिलता रहता था। कमाल तो यह था कि उसके साथ आए कागज में लिखा था “ मुबारक हो, सुनहरी बिल्ली के माध्यम से अपनी रूठी किस्मत को वापस बुलाने के लिए इसे अपने घर, कार्यालय अथवा दुकान के उत्तर-पूर्व में रखिए!”
उन्होंने इंटरनेट खोलकर फेंगशुई के बारे में और पता लगाया तो कई रोचक बातें सामने आई। जब गौर किया तो 'चीनीआकमण का यह गम्भीर पहलू समझ में आया।
दुनिया के अनेक देशों में कहीं न कहीं फेंगशुई का जाल फैला हुआ है। इसकी मार्केटिंग का तंत्र इंटरनेट पर मौजूद हजारों वेबसाइट के अलावा, TV कार्यक्रमों, न्यूज़ पेपर्स, और पत्रिकाओं तक के माध्यम से चलता है। मजहबी बनावट के कारण अमूमन मुस्लिम उसके शिकार नही होते। यानी इस हथियार का असल शिकार कौन है? आप समझ सकते हैं। चीनी इस फेंगशुई का इस्तेमाल किसी बाजार में प्रारंम्भिक घुसपैठ के लिए करते हैं।
अनुमानत: भारत में ही केवल इस का कारोबार लगभग 200 करोड रुपए से अधिक का है। उसी के सहारे धीरे-धीरे भारत के उत्पाद मार्केट पर चीनी उत्पादों ने पचास प्रतिशत तक कब्ज़ा लिया है। किसी छोटे शहर की गिफ्ट शॉप से लेकर सुपर माल्स तक चीनी प्रोडक्ट्स आपको हर जगह मिल जाएंगे....वह छा गये है। उन्होंने स्थानीय उत्पादों को लगभग समाप्त कर दिया है। चाइनीज़ उत्पादों का आक्रामक माल, भारत सहित दुनिया के अलग-अलग देशों में इस कदर बेचा जाता है कि दूसरों की मौलिक अर्थ-व्यवस्था तबाह हो जाती है। सस्ता और बड़ी मात्रा में होना उसका पैंतरा है यानी रणनीति।
यहां मैं भारत-चीन सीमा संघर्ष, हमसे शत्रुता, उसके इतिहास, तिब्बत को हड़पना, पाकिस्तान-परस्ती और आतंक को समर्थन, उसकी मिज़इल पालिसी, मक्कारिया आदि नही लिखूंगा जो समझदार है वे खुद समझ जाएंगे।
अब आते हैं उसके जादुई हथियार पर जो जेहन का शिकार करती है !!!
चीन में फेंग का अर्थ होता है ‘वायु’ और शुई का अर्थ है ‘जल’ अर्थात फेंगशुई का मतलब है 'जलवायु'। इसका आपके सौभाग्य, स्वास्थ्य और मुकदमे में हार जीत से क्या संबंध है? आप खुद ही समझ सकते हैं.
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिपेक्ष्य से भी देखा जाए तो कौन सा भारतीय अपने घर में आग उगलने वाली चाइनीज़ छिपकली यानी dragon को देख कर प्रसन्नता महसूस कर सकता है? किसी जमाने में जिस बिल्ली को अशुभ मानकर रास्ते पर लोग रुक जाया करते थे; उसी बिल्ली के सुनहरे पुतले को घर में सजाकर सौभाग्य की मिन्नतें करना महामूर्खता नहीं तो और क्या है?
अब ज़रा सर्वाधिक लोकप्रिय फेंगशुई उपहार लाफिंगबुद्धा की बात करें- धन की टोकरी उठाए, मोटे पेट वाला गोल मटोल सुनहरे रंग का पुतला- क्या सच में महात्माबुद्ध है? किसी तरह वह बुध्द सा सौम्य,शांत और सुडौल दीखता है??
क्या बुद्ध ने अपने किसी प्रवचन में कहीं यह बताया था कि मेरी इस प्रकार की मूर्ति को अपने घर में रखो और मैं तुम्हें सौभाग्य और धन दूंगा? उन्होंने तो सत्य की खोज के लिए स्वयं अपना धन और राजपाट त्याग दिया था।
एक बेजान चाइनीज पुतले (लाफिंगबुद्धा) को हमने तुलसी के बिरवे से ज्यादा बढ़कर मान लिया और तुलसी जैसी रोग मिटाने वाली सदा प्राणवायु देने वाली और हम���री संस्कृति की याद दिलाने वाली प्रकृति की सुंदर देन को अपने घरों से निकालकर, हमने लाफिंग बुद्धा को स्थापित कर दिया और अब उससे सकारात्मकता और सौभाग्य की उम्मीद कर रहे हैं? क्या यही हमारी तरक्की है?
अब तो दुकानदार भी अपनी दुकान का शटर खोलकर सबसे पहले लाफिंग बुद्धा को नमस्कार करते हैं और कभी-कभी तो अगरबत्ती भी लगाते हैं!
फेंगशुई की दुनिया का एक और लोकप्रिय मॉडल है चीनी देवता फुक, लुक और साऊ। फुक को समृद्धि, लुक को यश-मान-प्रतिष्ठा और साउ को दीर्घायु का देवता कहा जाता है। फेंगशुई ने बताया और हम अंधभक्तों ने अपने घरों में इन मूर्तियों को लगाना शुरु कर दिया। मैंने देखा कि इंटरनेट पर मिलने वाली इन मूर्तियों की कीमत भारत में ₹200 से लेकर ₹15000 तक है, मतलब जैसी जेब- वैसी मूर्ति और उसी हिसाब से सौभाग्य का भी हिसाब-किताब सेट है।
क्या आप अपनी लोककथाओं और कहानियों में इन तीनों देवताओं का कोई उल्लेख पाते हैं? क्या भारत में फैले 33 कोटि देवी देवताओं से हमारा मन भर गया कि अब इन चाइनीज़ देवताओं को भी घर में स्थापित किया जा रहा है?
जरा सोचिए कि किसी कम्युनिस्ट चीन के बूढ़े देवता की मूर्ति घर में रखने से हमारी आयु कैसे ज्यादा हो सकती है? क्या इतना सरल तरीका विश्व के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को अब तक समझ में नहीं आया था?
इसी तरह का एक और फेंगशुई प्रोडक्ट है तीन चाइनीज सिक्के जो लाल रिबन से बंधे होते हैं, फेंगशुई के मुताबिक रिबिन का लाल रंग इन सिक्कों की ऊर्जा को सक्रिय कर देता है और इन सिक्कों से निकली यांग (Yang) ऊर्जा आप के भाग्य को सक्रिय कर देती है। दुकानदारों का कहना है कि इन सिक्कों पर धन के चाइनीज़ मंत्र भी खुदे होते हैं लेकिन जब मैंने उनसे इन चाइनीज़ अक्षरों को पढ़ने के लिए कहा तो ना वे इन्हें पढ़ सके और नहीं इनका अर्थ समझा सके?
मेरा पूछना है कि क्या चीन में गरीब लोग नहीं रहते? क्यों चीनी क्म्यूनिस्ट खुद हर नागरिक के बटुवे में यह सिक्के रखवा कर अपनी गरीबी दूर नहीं कर लेती? हमारे देश के रुपयों से हम इन बेकार के चाइनीज़ सिक्के खरीद कर न सिर्फ अपना और अपने देश का पैसा हमारे शत्रु मुल्क को भेज रहे हैं बल्कि अपने कमजोर और गिरे हुए आत्मविश्वास का भी परिचय दे रहे हैं।
फेंगशुई के बाजार में एक और गजब का प्रोडक्ट है तीन टांगोंवाला मेंढक जिसके मुंह में एक चीनी सिक्का होता है। फेंगशुई के मुताबिक उसे अपने घर में धन को आकर्षित करने के लिए रखना अत्यंत शुभ होता है। जब मैंने इस मेंढक को पहली बार देखा तो सोचा कि जो देखने में इतना भद्दा लग रहा है वह मेरे घर में सौभाग्य कैसे लाएगा?
मेंढक का चौथा पैर काट कर उसे तीन टांग वाला बनाकर शुभ मानना किस सिरफिरे की कल्पना है?
क्या किसी मेंढक के मुंह में सिक्का रखकर घर में धन की बारिश हो सकती है?
संसार के किसी भी जीव विज्ञान के शास्त्र में ऐसे तीन टांग वाले ओर सिक्का खाने वाले मेंढक का उल्लेख क्यों नहीं है?
क्म्यूनिस्ट चाइना ने इसी तरह के आक्रामक रणनीति के सहारे धीरे-धीरे भारतीय अर्थ-व्यवस्था पर लगभग कब्ज़ा लिया है। उनके इस हथियार से देश के हजारों छोटे कारीगर, लघु उद्यमी, स्थानीय व्यापार, छोटे-कल कारखाने नष्ट हो चुके है। सब वस्तुएं China से बनकर आ रही हैं।
वह वस्तुएं भी जिन्हें बनाने में हजारों सालो से हमारे कारीगर निपुण थे। केवल कुम्हार, बढ़ई, लुहार, कर्मकार आदि 2 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाली जातियां थीं। वे बेकारी के शिकार हो रहे हैं। आप लिस्टिंग करें। ऐसे हजारों काम-व्यापार दिखेगा जिसे चीन ने अपने छोटे-सस्ते उत्पादों को पाट कर नष्ट करके कब्ज़ा लिया।
हम केवल एक बिचौलिए विक्रेता की भूमिका में ही रह गये हैं।
बहुत दिमाग लगाकर समझिये अब युद्द के हथियार वह नही होते हैं जो पारपंरिक थे। अब पूरी योजना से शत्रु के पास जाकर उसके दिमाग को ग्रिप में लेना पड़ता है। यह फेंग-शुई भी उसी दिमागी खेल का हिस्सा है, जो हमारे हजारों साल के अध्यात्मिक ज्ञान को कमजोर करने के लिए भेजा गया है। क्म्यूनिस्टों ने उसे गोरिल्ला रणनीति की तरह अपनाया है।
अपनी वैज्ञानिक सोच को जागृत करना और इनसे पीछा छुड़ाना अत्यंत आवश्यक है। आप भी अपने आसपास गौर कीजिए आपको कहीं ना कहीं इस फेंगशुई की ज़हरीली और अंधविश्वास को बढ़ावा देती चीजे़ं अवश्य ही मिल जाएगी। अब जरा इस पर गौर फरमाएं!! आपने किसी प्रगतिशीलतावादी क्म्यूनिस्ट को इनकी बुराई करते देखा है??
दिन भर टीवी पर हिन्दू विश्वासों का "मखौल उड़ाने वाले सो-काल्डों को आपने कभी इस क्म्यूनिस्ट अंध-विश्वास के खिलाफ बोलते सुना है???
समय रहते स्वयं को अपने परिवार को और अपने मित्रों को इस अंधे-कुएं से निकालकर अपने देश की मूल्यवान मुद्रा को क्म्यूनिस्ट चाइना के फैलाए षड्यंत्र की बलि चढ़ने से बचाइए।
मस्तिष्क का इस्तेमाल बढाइये....हथियार पहचानिए......!
ऐसी बेहूदा वस्तुओं को आज ही अपने घर से बाहर फेंकिए
0 notes
sahebraosblog · 1 year
Text
Tumblr media
#Real_Facts_About_Buddhism
🎋महात्माबुद्ध को परमात्मा प्राप्ति की प्रबल कसक थी। तभी वो सब कुछ त्यागकर घर से निकल गए। लेकिन पूर्ण गुरु नहीं मिला जिसके कारण शास्त्र विरुद्ध साधना करके जीवन व्यर्थ कर लिया। आज धरती पर पूर्ण गुरु "सतगुरु रामपाल जी महाराज" हैं। उनसे नाम दान लेकर अपना जीवन सफल बनायें।
0 notes
cooltimetravelking · 1 year
Text
Tumblr media
#Real_Facts_About_Buddhism
🎋महात्माबुद्ध को परमात्मा प्राप्ति की प्रबल कसक थी। तभी वो सब कुछ त्यागकर घर से निकल गए। लेकिन पूर्ण गुरु नहीं मिला जिसके कारण शास्त्र विरुद्ध साधना करके जीवन व्यर्थ कर लिया। आज धरती पर पूर्ण गुरु "सतगुरु रामपाल जी महाराज" हैं। उनसे नाम दान लेकर अपना जीवन सफल बनायें।
0 notes
Video
आज आसमान मैं बनी महात्माबुद्ध की आकृति
0 notes
allgyan · 4 years
Photo
Tumblr media
विपश्यना :भारत की सबसे पुरानी योग की तकनीक है -
विपश्यना भारत की सबसे पुरानी ध्यान केंद्रित करने वाली तकनीक है |इसका सरल सा मतलब है की सभी चीजें को उनके वास्तविक रूप में देखना |ये एक संस्कृत शब्द है -विपश्यना=  (वि + पश्य + ना)विशेष प्रकार से देखना|आज से करीब २५०० वर्ष पूर्व महात्मा बुद्ध ने इस तकनीक को पुनर्जीवित किया |महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं में से एक विपश्यना भी है। यह वास्तव में सत्य की उपासना है। सत्य में जीने का अभ्यास है। विपश्यना इसी क्षण में यानी तत्काल में जीने की कला है। भूत की चिंताएं और भविष्य की आशंकाओं में जीने की जगह भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को आज के बारे में सोचने केलिए कहा।
विपश्यना :एक कला -
विपश्यना सम्यक् ज्ञान है। जो जैसा है, उसे ठीक वैसा ही देख-समझकर जो आचरण होगा, वही सही और कल्याणकारी सम्यक आचरण होगा। विपश्यना जीवन की सच्चाई से भागने की शिक्षा नहीं देता है, बल्कि यह जीवन की सच्चाई को उसके वास्तविक रूप में स्वीकारने की प्रेरणा देता है।योग साधना के तीन मार्ग प्रचलित हैं - विपश्यना, भावातीत ध्यान और हठयोग।
विपश्यना करने का सही तरीका -
मन और शरीर की सर्वसामान्य जड़ की यह अवलोकन-आधारित, आत्म-खोजात्मक यात्रा है, जो मानसिक अशुद्धता को पिघलाता है, जिसके परिणामस्वरूप एक संतुलित मन प्यार और करुणा से भरा होता है|विपश्यना अनुशासन बहुत जरुरी है और साथ में लगन |क्योकि खुद को शांत और ख़ुशी आदमी खुद के दवरा ही दे सकता है |इसलिए ये योग केवल इसे गंभीरता से लेने वाले के लिए उपयोगी होता है | ये 10 दिवसीय प्रक्रिया है |इसका पूरा एक कोड ऑफ़ डिसिप्लिन होता है जिसको तीन भागों में बाटा गया है पहला चरण - इस चरण में आपको हत्या ,चोरी ,यौन गतिविधि , गलत तरीके से बात और नशे की आदतों को छोड़ना होता है ये मन को शांत करता है |
दूसरे चरण - इस चरण में आपको अपने श्वास लेने की विधि पर काबू करके मन को शांत रखना होता है |इस क्रिया में व्यक्ति का मन खुद बे खुद शांत हो जाता है चौथे दिन तक |खुद को केंद्रित करके अपने शरीर के बारे में जानने और संवेदनाओं को समझना और संतुलित करना इसके ही अंग है |
तीसरा चरण -ये अंतिम चरण है |व्यक्ति दया के प्रति प्रेम और सभी के लिए अच्छे काम करना और अपनी सब अशुद्धि भुलाकर ध्यान केंद्रित करना सीख चूका होता है |
इस तकनीक को इस समय क्या राजनेता और क्या अभिनेता और बिज़नेस मैन सब अपना रहे है | ये पुरे विश्व में प्रसिद्ध है | अगर ��प सुकून चाहते है तो इसे आजमाए जरूर क्योकि हमारा काम बताना है |
1 note · View note
allgyan · 4 years
Text
विपश्यना क्या है ?
विपश्यना :भारत की सबसे पुरानी योग की तकनीक है -
विपश्यना भारत की सबसे पुरानी ध्यान केंद्रित करने वाली तकनीक है |इसका सरल सा मतलब है की सभी चीजें को उनके वास्तविक रूप में देखना |ये एक संस्कृत शब्द है -विपश्यना=  (वि + पश्य + ना)विशेष प्रकार से देखना|आज से करीब २५०० वर्ष पूर्व महात्मा बुद्ध ने इस तकनीक को पुनर्जीवित किया |महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं में से एक विपश्यना भी है। यह वास्तव में सत्य की उपासना है। सत्य में जीने का अभ्यास है। विपश्यना इसी क्षण में यानी तत्काल में जीने की कला है। भूत की चिंताएं और भविष्य की आशंकाओं में जीने की जगह भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को आज के बारे में सोचने केलिए कहा।
विपश्यना :एक कला -
विपश्यना सम्यक् ज्ञान है। जो जैसा है, उसे ठीक वैसा ही देख-समझकर जो आचरण होगा, वही सही और कल्याणकारी सम्यक आचरण होगा। विपश्यना जीवन की सच्चाई से भागने की शिक्षा नहीं देता है, बल्कि यह जीवन की सच्चाई को उसके वास्तविक रूप में स्वीकारने की प्रेरणा देता है।योग साधना के तीन मार्ग प्रचलित हैं - विपश्यना, भावातीत ध्यान और हठयोग।
विपश्यना करने का सही तरीका -
मन और शरीर की सर्वसामान्य जड़ की यह अवलोकन-आधारित, आत्म-खोजात्मक यात्रा है, जो मानसिक अशुद्धता को पिघलाता है, जिसके परिणामस्वरूप एक संतुलित मन प्यार और करुणा से भरा होता है|विपश्यना अनुशासन बहुत जरुरी है और साथ में लगन |क्योकि खुद को शांत और ख़ुशी आदमी खुद के दवरा ही दे सकता है |इसलिए ये योग केवल इसे गंभीरता से लेने वाले के लिए उपयोगी होता है | ये 10 दिवसीय प्रक्रिया है |इसका पूरा एक कोड ऑफ़ डिसिप्लिन होता है जिसको तीन भागों में बाटा गया है पहला चरण - इस चरण में आपको हत्या ,चोरी ,यौन गतिविधि , गलत तरीके से बात और नशे की आदतों को छोड़ना होता है ये मन को शांत करता है |
दूसरे चरण - इस चरण में आपको अपने श्वास लेने की विधि पर काबू करके मन को शांत रखना होता है |इस क्रिया में व्यक्ति का मन खुद बे खुद शांत हो जाता है चौथे दिन तक |खुद को केंद्रित करके अपने शरीर के बारे में जानने और संवेदनाओं को समझना और संतुलित करना इसके ही अंग है |
तीसरा चरण -ये अंतिम चरण है |व्यक्ति दया के प्रति प्रेम और सभी के लिए अच्छे काम करना और अपनी सब अशुद्धि भुलाकर ध्यान केंद्रित करना सीख चूका होता है |
इस तकनीक को इस समय क्या राजनेता और क्या अभिनेता और बिज़नेस मैन सब अपना रहे है | ये पुरे विश्व में प्रसिद्ध है | अगर आप सुकून चाहते है तो इसे आजमाए जरूर क्योकि हमारा काम बताना है |
पूरा जानने के लिए -http://bit.ly/3pboxSG
1 note · View note