📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (प्रतिपदा तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-26-मार्च-2024
वार :------मंगलवार
तिथि :---01प्रतिपदा:-14:56
माह:------चैत्र
पक्ष:------कृष्णपक्ष
नक्षत्र:-----हस्त:-13:34
योग:-------ध्रुव:-22:18
करण:-----कोलव:-14:56
चन्द्रमा:---कन्या 26:57/तुला
सूर्योदय:------06:39
सूर्यास्त:------18:48
दिशा शूल------उत्तर
निवारण उपाय: --तिल का सेवन
ऋतु:----------बसंत ऋतु
गुंलिक काल:---12:41से 14:12
राहू काल:---15:44से17:16
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
चंचल:-09:40से11:12तक
लाभ:-11:12से12:44तक
अमृत:-12:44से14:16तक
शुभ:-15:48से17:20तक
🌗चोघङिया रात🌓
लाभ:-20:16से21:44तक
शुभ:-23:14से00:42तक
अमृत:-00:42से02:10तक
चंचल:-02:10से03:39तक
🌸आज के विशेष योग🌸
वर्ष का 369वाँ दिन, बसंतोत्सव प्रारंभ, आम्रकुसुमप्राशन, राजयोग 14:56 से, कुमारयोग 13:34 तक,
🙏 टिप्स 🙏
दक्षिण दिशा में बैडरूम ना बनवाएं ।
*सुविचार*
अगर आपके लिए रिश्ते महत्वपूर्ण है तो कान के पक्के बनो।👍🏻 सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे।
राधे राधे वोलने में व्यस्त रहे।।
आध्यात्मिक गुरु करौली राज...
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
मौसम बदल रहा है , ~ प्रतिदिन गौ घृत , गिलोय,गूगल खांड सामिग्री में मिलाकर हवन करें, अधपका अन्न जैसे गेहं,चना,जौ भूनकर खाएँ!,व्यायाम करें!
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
☀️ मेष राशि :- आज आपकी आदतों के कारण अपने अपनों से दूरिया बना ली हैं। समय रहते अपने सामान्य स्वभाव और व्यवहार को बदलें तो अच्छा होगा। आर्थिक स्थिति में पहले से सुधार होगा। नए संपर्क स्थापित होंगे।
☀️ वृषभ राशि :- आज पारिवारिक लोगों से संबंध मधुर होंगे। कार्यस्थल पर किसी से आकर्षित होंगे। भाग्योदय संभव है। जो भी काम करें पूरे आत्मविश्वास के साथ और आनंद से करें। निश्चित सफल होंगे।
☀️ मिथुन राशि :- आज नए व्यापार की शुरुआत अनुकूल होगी। कान संबंधित पीड़ा हो सकती है। अनावश्यक विवादों में न बोलें नुक्सान हो सकता है। नौकरी में बदलाव के योग हैं। राजनीति से जुड़े लोग मनचाही सफलता पा सकते हैं।
☀️ कर्क राशि :- आज आर्थिक मामले सुलझने की उमीद है। जिन लोगों की आपने मदद की थी वही आपका विरोध करेंगे। रूचि अनुसार काम मिलने से मन प्रसन्न रहेगा। सुख सुविधा पर खर्च संभव है। मानसिक अस्थिरता रहेगी।
☀️ सिंह राशि :- आज वैचारिक मतभेद दूर होंगे। किसी को अपने मन की बात बताने का मौका मिलेगा। कारोबार में नए सौदे लाभप्रद रहेंगे। रुके कार्य पूरे होने में अभी समय लग सकता है। मांगलिक खर्च संभव है।
☀️ कन्या राशि :- आज बीती बातों को भुलाकर अपने रिश्तों की नई शुरुआत करें। आपकी उन्नती से विरोधी को तकलीफ हो सकती है। राजनीति के चलते शत्रु आपको नुकसान पहुंचाने का हर संभव प्रयास करेंगे।
☀️ तुला राशि :- आज सामाजिक वर्चस्व में वृद्धि होगी। मन में किसी बात को लेकर दुविधा है उसी के कारण आप तनाव महसूस कर रहे हैं। उधार दिया पैसा आने में संदेह है। मित्र आपके कार्यो में साहयक होंगे। यात्रा सुखद होगी।
☀️ वृश्चिक राशि :- आज कार्यस्थल पर सहकर्मी आपकी सफलता से ईर्ष्या करेंगे। कार्यो में हो रही देरी से चिंतित होंगे। कारोबार में नई तकनीक का प्रयोग लाभान्वित करेगा। बहनों से झगड़ा हो सकता है। धन आगमन में हो रही रुकावट दूर होगी।
☀️ धनु राशि :- आज धार्मिक माहौल में समय व्यतीत होगा। धनार्जन के नए श्रोत स्थापित होंगे। माता के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। पारिवारिक मांगलिक आयोजनों की रुपरेखा बनेगी। दोस्तों के साथ किसी जरूरी मसले पर चर्चा होगी।
☀️ मकर राशि :- आज रुके कार्य और योजनाओं को क्रियाशील करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। बिमारी के कारण तनाव पैदा होगा पर घबरायें नहीं अपने इष्ट पर भरोसा रखें, सब अनुकूल होगा। जीवन-साथी का साथ मिलेगा।
☀️ कुंभ राशि :- आज नई योजनाओं में पूंजी निवेश सोच समझकर करें। पुराने विवाद से युक्त जमीन जायदाद के मसले लंबित होंगे। शत्रु परास्त होंगे। नए संपर्क आपको ख्याति दिलवा सकते हैं। कारोबार विस्तार के योग हैं।
☀️ मीन राशि :- आज नया काम शुरू करने से पहले अनुभवियों और बड़ों से मार्गदर्शन लें। पूंजी निवेश करने में सतर्क रहें। किसी की बातों में जल्द फंस जाते हैं। खुद को परिपक्व करें। अध्ययन के लिए कर्ज लेना पड़ सकता है।
प्रेमानंद जी महाराज कहते है कि कोई भी संत आपके दुख दूर नही कर सकता है। जबकि संत रामपाल जी महाराज जी से लाखों लोगों से भक्ति लेकर अपने असाध्य रोगों से मुक्ति पाई है।
विचार करें आज जिस कारण भक्त समाज को अपार हानि हो रही है। सब अपने अनुमान से व झूठे गुरुओं द्वारा बताई गई शास्त्र विरूद्ध साधना करते हैं। जिससे न मानसिक शांति मिलती है और न ही शारीरिक सुख, न ही घर व कारोबार में लाभ होता है और न ही परमेश्वर का साक्षात्कार होता है और न ही मोक्ष प्राप्ति होती है।
पूर्ण परमात्मा अर्थात् परम अक्षर ब्रह्म (सत्य पुरूष) की शरण पूर्ण सन्त के बताए मार्ग से ग्रहण करता है। वह जब तक संसार में भक्ति करता रहेगा, उसको उपरोक्त कष्ट आजीवन नहीं होते। जो व्यक्ति इस पुस्तक ‘‘ज्ञान गंगा’’ को पढ़ेगा उसको ज्ञान हो जाएगा कि हम अपने निज घर को भूल गए हैं। वह परम शांति व सुख यहां न होकर निज घर सतलोक में है जहां पर न जन्म है, न मृत्यु है, न बुढ़ापा, न दुःख, न कोई लड़ाई-झगड़ा है, न कोई बिमारी है, न पैसे का कोई लेन-देन है, न मनोरंजन के साधन खरीदना है। वहां पर सब परमात्मा द्वारा निःशुल्क व अखण्ड है।
कुंडलिनीयोग और सिगमंड फ्रायड का मनोविज्ञान एक ही बात कहता है
दोस्तो, हाल की पिछली कुछ पोस्टों के विश्लेषण से लगता है कि हो सकता है कि जिन्हें हम मानसिक बिमारी समझते हों, वे दरअसल जागृति की तरफ बढ़ रहे मन के लक्षण हों, पर उन्हें हम ढंग से संभाल न पाने के कारण वे मानसिक रोग बन जाते हों। मैं इसे अपनी आपबीती से भी सिद्ध कर सकता हूं। जिस किसी स्थान विशेष पर मुझे यौनबल मिलता था, वहां मेरा ध्यानचित्र मुझे हर क्षेत्र में अव्वल बनाता था, चाहे वह आध्यात्मिक हो या…
हम सभी देवी देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं, लेकिन फिर भी वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति दुःखी हैं। कोई निर्धनता से तो कोई बिमारी शारीरिक कष्ट से, कोई आपसी विवाद से तो कोई मानसिक तनाव से। और ये सब हमारे पाप कर्मों के कारण ही हो रहा है।
वर्तमान में चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। अनेकों बिमारीयां चारों तरफ फैली हुई है। लेकिन कभी सोचा है कि, वह पूर्ण परमात्मा कौन है जो हमें सर्व सुख शांति दे सकता है।
आइए जानते हैं कि, हमारे सदग्रंथों में पूर्ण परमात्मा कौन है।
वह पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी है, जो चारों युगों में पृथ्वी पर सशरीर प्रकट होते हैं और सशरीर वापस अपने लोक सतलोक को चले जाते हैं।
यजुर्वेद अध्याय 1 श्लोक 15,
यजुर्वेद अध्याय 5 श्लोक 1 तथा 32,
यजुर्वेद अध्याय 29 श्लोक 25 तथा अध्याय 40 श्लोक 8 में प्रमाण है कि, सशरीर है, वह कबीर परमेश्वर (कविर्देव) है, जो पाप कर्म काटने वाला बंदी छोड़ है जो सतलोक में रहता है।
ऐसा ही चलता रहा तो मानसिक रूप से बीमार हो जाएगा विराट कोहली, रोहित शर्मा, जैसे क्रिकेटर!
ऐसा ही चलता रहा तो मानसिक रूप से बीमार हो जाएगा विराट कोहली, रोहित शर्मा, जैसे क्रिकेटर!
पैडी अपटन ने बीसीसीआई सहित सभी क्रिकेट बोर्ड को दी बड़ी चेतावनी (फोटो- एपी)
मेंटल कॉनडिक्शनिंग कोच पैडी अप्टन (धान अप्टन) ने बीसीसीआई सहित सभी बड़े क्रिकेट बोर्ड को कहा है कि बायो बबल में रहकर खिलाड़ी मानसिक रूप से बीमार हो सकते हैं।
News18Hindi
आखरी अपडेट:29 जनवरी, 2021, 7:26 PM IST
नई दिल्ली। भार��ीय क्रिकेट टीम के पूर्व मानसिक अनुकूलन कोच पैडी अपटन (धान अप्टन) ने BCCI (भारतीय क्रिकेट बोर्ड)…
लखनऊ 10 अप्रैल, 2022 - हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में Post COVID-19 Complication & Care के अंतर्गत "विश्व होम्योपैथी दिवस" के अवसर पर "निःशुल्क होम्योपैथिक परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर" का आयोजन ट्रस्ट के इंदिरा नगर सेक्टर - 25 स्थित कार्यालय में हुआ l शिविर का शुभारम्भ ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, शिविर के परामर्शदाता चिकित्सक डॉ० संजय कुमार राणा तथा डॉ० सुमित गुप्ता ने दीपप्रज्वलन करके किया l
ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी को विश्व होम्योपैथी दिवस और श्री राम नवमी की बधाई देते हुए कहा कि, दुनिया भर में 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है l इस दिवस को मनाने का लक्ष्य है लोगों को होम्योपैथिक के प्रति जागरूक करना है l हाल के वर्षों में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति तेजी से बढ़ रही है l होम्योपैथी यूनानी शब्द (homeopathy meaning) होमो से आया है जिसका अर्थ है समान और पैथोस जिसका अर्थ है दुःख या बीमारी l होम्योपैथी इलाज इस विश्वास पर आधारित है कि, शरीर खुद को ठीक कर सकता है l होम्योपैथी चिकित्सा की एक प्रणाली है, जो शरीर के अपने उपचार प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर करने के सिद्धांत पर आधारित है l होम्योपैथी शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा को तेज करती है l वर्तमान में विश्व के 100 से अधिक देशों में होम्योपैथी से ईलाज हो रहा है l होम्योपैथी दुनिया में सबसे लोकप्रिय वैकल्पिक उपचारों में से एक है l ट्रस्ट द्वारा आयोजित निःशुल्क होम्योपैथिक शिविर का उद्देश्य होम्योपैथी के बारे में जागरूकता पैदा करना, इसकी पहुंच में सुधार करना और चिकित्सा प्रणाली को आधुनिक बनाना है ।
श्री अग्रवाल ने यह भी कहा कि, वर्तमान में होम्योपैथी दवाएं जटिल बीमारियों जैसे स्वाइन फ्लू, डेंगू, खसरा, चिकन पॉक्स, कालरा, दिमागी बुखार, गुर्दे में पथरी आदि बीमारियों से बचाव में कारगर हो रही हैं l दुनियाभर में एलोपैथी के बाद होम्योपैथी सबसे अधिक कारगर और पसंद की जानेवाली तथा प्रयोग में लायी जाने वाली चिकित्सा पद्धति है l होम्योपैथिक दवा सांस की बीमारी, पेट, त्वचा और मानसिक विकार जैसी पुरानी बीमारियों में भी प्राकृतिक समाधान प्रदान करती है l जो मरीज एलोपैथी और सर्जरी के जरिये जल्दी राहत चाहते हैं, वह केवल अपना आधा जीवन ही जीते हैं, किन्तु इसके विपरीत जो मरीज स्थायी सुधार के लिए होम्योपैथी को अपनाते हैं, वे पूर्ण जीवन का आनंद लेते हैं l
इस अवसर पर डॉ० संजय कुमार राणा ने कहा कि, वर्तमान समय में इंटरनेट का उपयोग बहुत बढ़ गया है और ऐसे में बहुत सारे लोग इंटरनेट पर जाकर होम्योपैथिक चिकित्सा का ज्ञान ले रहे हैं और इंटरनेट पर बहुत सारे लोग होम्योपैथिक चिकित्सा का ज्ञान दे भी रहे हैं l ऐसे में परेशानियां उनके साथ हो रही है जो स्वास्थ्य से पीड़ित है, क्योंकि हर मरीज इंटरनेट पर जाकर दवाई देख रहा है और बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयां खा रहा है l जबकि होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में दवाई एवं दवाइयों कि मात्रा का चुनाव मरीज के विचारों के आधार पर और मरीज की संवेदनशीलता के आधार पर होता है l होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में दवाइयों का चुनाव भी व्यक्ति के व्यवहार उसकी प्यास, भूख, उसकी प्रकृति (ठंडा- गर्म), उसके तौर-तरीकों को देख कर की जाती है, जो की एक ही बीमारी से पीड़ित दो व्यक्तियों में अलग अलग हो सकती है l जब तक डॉक्टर मरीज को देख कर उसकी हिस्ट्री नहीं ले लेते मेडिसिन नहीं दी जा सकती है । डॉ० राणा ने लोगों से अपील की है कि, सब लोग ध्यान रखें इंटरनेट से जानकारी लेना ठीक है लेकिन इंटरनेट पर देख कर बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई खाना अपने ही शरीर के साथ खिलवाड़ करना है ऐसे में शरीर में बहुत सारे बुरे बदलाव भी आ सकते हैं ।
होम्योपैथी शिविर में विभिन्न बीमारियों जैसे कि, सीने में दर्द होना, भूख न लगना, सांस फूलना, ह्रदय व गुर्दे की बीमारी, मधुमेह (Diabetes / Sugar), रक्तचाप (Blood Pressure), उलझन या घबराहट होना, पेट में दर्द होना, गले में दर्द होना, थकावट होना, पीलिया (Jaundice), थाइरोइड (Thyroid), बालों का झड़ना (Hair Fall) आदि से पीड़ित 39 रोगियों का वजन, रक्तचाप (Blood Pressure) तथा मधुमेह (Sugar-Random) की जांच की गयी l डॉ० संजय कुमार राणा तथा डॉ० सुमित गुप्ता ने परामर्श प्रदान किया तथा निःशुल्क होम्योपैथी दवा प्रदान की l महिलाएं, पुरुष, बुजुर्गों तथा बच्चों सभी उम्र के लोगों ने होम्योपैथी परामर्श लिया l ज्यादातर मरीज सांस लेने में तकलीफ और जोड़ों में दर्द की बिमारी से ग्रसित पाए गए l
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों तथा डॉ० संजय कुमार राणा तथा डॉ० सुमित गुप्ता की टीम के सदस्य दिनकर दुबे, विष्णु, रमणसन तथा राहुल राणा की उपस्थिति रही l
🎨कबीर परमेश्वर की सतभक्ति करने से वर्तमान में हो रहे हैं अद्भुत लाभ🎨
हम सभी देवी देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं, लेकिन फिर भी वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति दुःखी हैं। कोई निर्धनता से तो कोई बिमारी शारीरिक कष्ट से, कोई आपसी विवाद से तो कोई मानसिक तनाव से। और ये सब हमारे पाप कर्मों के कारण ही हो रहा है।
वर्तमान में चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। अनेकों बिमारीयां चारों तरफ फैली हुई है। लेकिन कभी सोचा है कि, वह पूर्ण परमात्मा कौन है जो हमें सर्व सुख शांति दे सकता है।
आइए जानते हैं कि, हमारे सदग्रंथों में पूर्ण परमात्मा कौन है।
वह पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी है, जो चारों युगों में पृथ्वी पर सशरीर प्रकट होते हैं और सशरीर वापस अपने लोक सतलोक को चले जाते हैं।
यजुर्वेद अध्याय 1 श्लोक 15,
यजुर्वेद अध्याय 5 श्लोक 1 तथा 32,
यजुर्वेद अध्याय 29 श्लोक 25 तथा अध्याय 40 श्लोक 8 में प्रमाण है कि, सशरीर है, वह कबीर परमेश्वर (कविर्देव) है, जो पाप कर्म काटने वाला बंदी छोड़ है जो सतलोक में रहता है।
कलयुग में आज़ से 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर काशी शहर में आए थे। और उस समय उन्होंने अनेकों लीलाएं की थी। मुर्दे तक को जीवित किया था। उस समय उनके 64 लाख शिष्य हुए थे। सतभक्ति करने वाले साधको को कबीर परमेश्वर ने आश्चर्यचकित लाभ दिए थे।
"मृत लड़के तथा लड़की को जीवित करना"
600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने शेखतकी की मृत लड़की को जीवित करके उसकी आयु बढाई। इसी तरह
दरिया में बहते हुए शव को हजारों लोगों के सामने जीवित किया था।
"सेउ की कटी हुई गर्दन जोड़कर जीवित करना"
अपने भक्त सेउ की कटी हुई गर्दन को जोड़कर नया जीवन दान दिया था।
"रामानंद जी को जीवित करना"
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी के हाथों रामानंद जी का कत्ल होने पर कबीर परमेश्वर ने रामानंद जी को पुनः जीवित किया था। ऐसे अनेकों प्रमाण है जिससे साफ होता है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही है।
सामवेद संख्या नं. 822 में प्रमाण है कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर सत्य भक्ति करने वाले भक्त को तीन बार में नाम प्रदान करके काल के जाल से छुड़वाता है तथा भक्त की आयु भी बढ़ा देता है।
ऋग्वेद मंडल 10, सुक्त 161, मंत्र 2,
ऋग्वेद मंडल 9, सुक्त 80, मंत्र 2,
ऋग्वेद मंडल 9, सुक्त 86, मंत्र 20,
संख्या नं. 822, सामवेद उतार्चिक अध्याय 3, खण्ड 5, श्लोक 8. में प्रमाण है:-
यदि किसी रोगी की प्राण शक्ति क्षीण हो चुकी है तथा उसकी आयु (जीवन-श्वांस) भी शेष न रही हो तो उसके प्राणों की रक्षा करूं तथा उसे 100 वर्ष आयु प्रदान करता हुं अर्थात् सत्य भक्ति करने वाले साधक को स्वस्थ करके परमात्मा 100 वर्ष की आयु प्रदान कर देता है यानि पूर्ण आयु प्रदान करता है।
सिकंदर लोधी का असाध्य रोग ठीक करना"
कबीर परमेश्वर ने सिकंदर लोधी का जलन का रोग अपने आशीर्वाद मात्र से ठीक किया था।
"नल नील का शारीरिक तथा मानसिक रोग ठीक करना"
नल नील कर्म फल से पीडित थे, कबीर परमेश्वर ने उनके शारीरिक तथा मानसिक रोग को सत्संग के दौरान आशीर्वाद से ठीक किया था।
ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा सतभक्ति करने वाले अपने साधक के भयंकर रोग समाप्त कर देता है। यदि आयु शेष न हो तो भी परमात्मा उसको स्वस्थ करके सौ वर्ष तक की आयु प्रदान करता है।
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में भी प्रमाण है कि
"कविरंघारि: असि, बम्भारी: असि स्वज्योति ऋतधामा असि" अर्थात कबीर परमेश्वर ही पापों का शत्रु यानि सर्व पापों से मुक्त करवाकर, सर्व बंधनों से छुड़वाता है। वह स्वप्रकाशित सशरीर है और सतलोक में रहता है। वहीं पाप विनाशक है।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी है जिनकी सतभक्ति करने से साधक को ऐसे अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। वर्तमान में ऐसे ही आश्चर्यजनक लाभ संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान की जा रही कबीर परमेश्वर की सतभक्ति से लाखों लोगों को हो रहे हैं।
आइए जानते हैं कुछ अनुभव,
नाम- सुरेन्द्र, गांव-गांधरा रोहतक ने बताया कि 25 फिट की ऊंचाई से गिरने के कारण रीढ़ की हड्डी टूट गई, शरीर का निचला हिस्सा अधर्गं मार गया था। डॉक्टर की रिपोर्ट अनुसार तीन महीने के अंदर मृत्यु हो जानी थी। लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सतभक्ति करने से तथा उनके आशीर्वाद मात्र से ठीक हो गया।
नाम- महावीर, गांव ढराणा, झज्जर निवासी ने बताया कि, मेरे लीवर तथा गुर्दे में मवाद पड़ गई थी। काफी इलाज कराने के बाद डॉक्टरों ने तीन ओप्रेशन बोल दिए। फिर बड़े भाई के कहने से संत रामपाल जी महाराज से नाम दिक्षा लेकर सतभक्ति करनी शुरू की। कुछ दिन बाद उसी अस्पताल में फिर से जांच कराई तो डॉक्टर भी हैरान हो गए कि बिना किसी इलाज और ओप्रेशन के मेरे गुर्दे और लीवर बिल्कुल ठीक हो चूके थे। संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सतभक्ति से ही बिना किसी दवा के ठीक हुआ। डॉक्टर भी है इस बात के गवाह।
नाम- सतीश, निवासी दिल्ली ने बताया कि, मेरी पत्नी को ब्रेन ट्यूमर (दिमाग का कैंसर) हो गया था। जांच कराने पर डॉक्टर ने कहा कि तुरंत ऑपरेशन करना होगा और ऑपरेशन के एक हाथ पैरालाईसिस हो सकता है। ब्रेन ट्यूमर ऐसी जगह पर है जिसके कारण आंखों की रोशनी कभी भी खत्म हो सकती है। इसके बाद एक दोस्त को साथ लेकर पत्नी के साथ संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लिया। उनके बताए अनुसार मर्यादा में रहकर सतभक्ति करना शुरू किया। कुछ दिन बाद जब ओप्रेशन की तारीख लेने हॉस्पिटल गए तो डॉक्टर ने M.R.I देखकर कहा कि ओप्रेशन की जरूरत नहीं है,आपकी पत्नी बिल्कुल ठीक है।
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा अपने साधक के सर्व पापों को नाश करके सुखी करता है।
कबीर परमेश्वर ने भी अपनी अमरवाणी में कहा है कि,
"जो मेरी भक्ति पीछोड़ी होई, हमरा नाम न लेवे कोई"
ऐसे ऐसे अनेकों लाभ आज़ संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर सतभक्ति करने वाले लाखों लोगों को हों रहे हैं। वहीं आश्चर्यजनक चमत्कार हो रहें हैं जो 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने किए थे।
कबीर परमेश्वर ने अपनी वाणी में कहा है कि,
"मासा घटै ना तिल बढ़े, विधना लिखे जो लेख।
सांचा सतगुरु मेट कर, ऊपर मार दे मेख।।"
संत रामपाल जी महाराज सच्चे सतगुरु हैं। जिनके रुप में स्वयं कबीर परमेश्वर आए हुए हैं। आप भी संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर सतभक्ति करके अपना कल्याण कराएं।
वर्तमान में मानव अनेक प्रकार की बीमारियों से घिरा हुआ है। इस समय सारा विश्व कोविड-19 से परेशान है। दिन में कई बार सावधान किया जाता है कि जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं। ऐसा करो, वैसा करो आदि। क्या दवा आयेगी और हम कोवडि-19 के भय से मुक्त हो जायेंगे? और भविष्य में भी जब कोई बीमारी आयेगी, तो विज्ञान उसका उपचार कर लेगा? इस चर्चा को आगे बढ़ाने से पहले मैं एक घोषणा करना चाहता हूँ और इसी घोषणा के अनुसार ही कोई समाधान हाथ लग सकता है, इसके विरुद्ध कुछ हाथ आने वाला नहीं है। घोषणा यह है कि सिद्धान्त सर्वोपरी होता है।
सिद्धान्त के सामने किसी की कोई औकात नहीं होती। सिद्धान्त विरुद्ध चलने से हानि होगी, कष्ट होगा। सुख केवल सिद्धान्त अनुसार चलने से ही हो सकता है। घोषणा में ‘किसी’ शब्द का अभिप्राय राजनेता, वैज्ञानिक, धनपति आदि सभी से है। ये कितने ही बड़े हो, कितनी ही संख्या में हो, इससे कोई अन्तर नहीं पड़ता, सिद्धान्त के सामने इन सबकी सम्मिलित सत्ता का भी कोई अर्थ नहीं है। अब विज्ञान बिमारी पर काबू पा लेगा, इसका निर्णय कुछ सिद्धान्तों के आधार पर ही हो सकता हैं। ये सिद्धान्त निम्र प्रकार हैं -
बीमारी और गन्दगी का सीधा सम्बन्ध है।
जितनी प्रकार की गन्दगी, उतनी प्रकार की बीमारियाँ।
किसी वस्तु के बारे में जानकारी उपयोग करने वाले से उस वस्तु को बनाने वाले को अधिक होती है।
भवन की नींव कमजोर करने से भवन सुरक्षित नहीं रह सकता।
सुखी जीवन का आधार स्वस्थ शरीर और संतोष हैं।
अब देखते हैं आधुनिक विज्ञान और उसका प्रयोग करने वाले उपरोक्त नियमों का कितना पालन कर रहे हैं।
प्रत्येक जीवधारी का जीवन हवा-पानी और भोजन पर टिका हुआ है। यह बात भी सर्वमान्य है कि हवा-पानी-भोजन भी जीवन को नहीं टिका पायेंगे, यदि ये शुद्ध नहीं है तो। शुद्ध हवा-पानी-भोजन ही जीवन के आधार हैं। यदि इनमें से एक भी प्रदूषित हुआ, तो जीवन टिक नहीं पायेगा और यदि ये सारे ही प्रदूषित हो गये, तो किसी की कोई औकात नहीं कि जीवन को बचा पाये। अब विस्तार में न जाते हुए वर्तमान में हवा की क्या स्थिति है, थोड़ा आँकलन करें। शुद्ध हवा जीवन का पहला आधार है। हवा सभी जीवों को श्वास लेने के लिये परमात्मा की दी हुई है, यदि आप परमात्मा को नहीं मानते, तो प्रकृति की दी हुई है, किसी की बपौती नहीं है, तो इसका मतलब हुआ हवा पर सभी जीवों का बराबर अधिकार है।
वर्तमान में विश्वस्तर पर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 10 युनिट बिजली खपत है। एक युनिट बिजली उत्पादन में लगभग 80 व्यक्तियों द्वारा दिनभर श्वास लेने में प्रयोग होने वाली हवा के बराबर वायु प्रदूषित होती है, तो प्रत्येक व्यक्ति 800 व्यक्तियों की हवा को 10 युनिट बिजली प्रयोग करके खर्च कर रहा है। विश्व स्तर पर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन लगभग 1.5 किलोग्राम सिमेण्ट का उत्पादन हो रहा है। 1 किलो सिमेण्ट उत्पादन में 110 व्यक्तियों के हवा का कोटा खत्म होता है। विश्व स्तर पर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन लगभग 2 लिटर डीजल व पैट्रोल खर्च हो रहा है। 1 लीटर तेल जलने से 10 व्यक्तियों का प्रतिदिन हवा का कोटा खप जाता है। केवल इन तीन गतिविधियों से प्रतिदिन 985 अर्थात् लगभग 1000 व्यक्तियों के हवा का कोटा एक व्यक्ति खर्च कर रहा है। यदि सभी प्रकार के उद्योग धन्धों को मिला लें, तो लगभग आधुनिक मानव विज्ञान के प्रयोग द्वारा 2000 व्यक्तियों के बराबर हवा को प्रदूषित कर रहा है। सभी प्रकार की तथाकथित विकास की गतिविधियों द्वारा न केवल हवा को ही अपितु पानी और जमीन को भी प्रदूषित किया जा रहा है। इस बात से कौन इनकार कर सकता है कि सभी प्रकार के भोजन हवा-पानी और जमीन से ही पैदा होते हैं, तो हवा-पानी-जमीन के प्रदूषित होने पर शुद्ध भोजन कैसे मिल सकता है? इन आधारभूत वस्तुओं के गन्दा या प्रदूषित होने पर पहले सिद्धान्त के अनुसार बीमारियों होंगी और इनके बढ़ते प्रदुषण से ज्यादा बीमारियों होंगी। ये भी सभी की जानकारी में है कि न केवल प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है बल्कि प्रदूषण की प्रकार भी बढ़ रहे हैं।
दूसरे सिद्धान्त के अनुसार जितने प्रकार के प्रदूषण होंगे, उतने प्रकार की बीमारी होती चली जायेंगी, तो क्या विज्ञान भी साथ-साथ दवाई व उपचार नहीं निकाल लेगा? इस स्थिति में विज्ञान कभी सफल नहीं होगा क्योंकि विज्ञान एक बीमारी का उपचार निकलेगा, उतने समय में तीन नई बीमारी पैदा हो जायेंगी। इसका कारण एक तो लगातार बढ़ता प्रदूषण और दूसरा कारण यह कि कोई भी दवा ऐसी नहीं बन सकती, जिसका साईड इफैक्ट ना हो, तो बढ़ता और नई-नई दवाईयाँ नये-नये रोग पैदा करते चले जायेंगे और विज्ञान कभी इसको रोक नहीं पायेगा। यहाँ विज्ञान एक और मूलभूत नियम की अनदेखी कर रहा है। यह नियम कार्य-कारण का है। वर्तमान में कारणों को हटाये बिना परिणाम आने से रोकने का असफल और नियम विरुद्ध प्रयास किया जा रहा है। बीमारियों के कारणों को हटाने का कोई प्रयास न करके विज्ञान के बलबूते बीमारियों को रोकने का भ्रम पाला जा रहा है।
कोविड-19 की दवा के बारे में विचार करते है। विश्व स्तर पर दवा कम्पनीयाँ शीघ्र से शीघ्र कोविड-19 का टीका बाजार में उतारने का जोर-शोर से प्रयास कर रहे हैं। विश्वभर के चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिक, जो सरकारों और दवा कम्पनीयों के दबाव व प्रभाव में नहीं है, जल्दबाजी में बनाये जा रहे टीका को प्रभावी व सुरक्षित नहीं मानते और स्पष्ट रूप से लोगों को इस प्रकार के टीके के प्रयोग से बचने का परामर्श दे रहे हैं। हम जल्दबाजी वाली बात को छोड़ कर सिद्धान्त-३ के अनुसार इन सभी प्रकार के टीकों पर विचार करते हैं। सभी प्रकार के टीकों में जिस बीमारी का टीका तैयार किया जाता है, उसमें उसी बीमारी को पैदा करने वाले वायरस का प्रयोग किया जाता है। वायरस एक प्रकार का DNA होता है, जो जिस भी शरीर में संक्रमण करता है, उस शरीर की कोशिकाओं के DNA के साथ छेड़-छाड़ करता है। शरीर की कोशिकायें इस छेड़-छाड़ को निष्फल करने की कोशिश करती हैं। इस प्रतिरोध को शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कहते हैं। शरीर की कोशिकायें कैसे कार्य करती हैं? इसको इन कोशिकाओं को बनाने वाला ईश्वर या प्रकृति किसी वैज्ञानिक से अधिक जानते हैं। वैज्ञानिक वायरस के माध्यम से इन कोशिकाओं का उपयोग करके टीका बनाकर बीमारी को कन्ट्रोल करना चाहता है। इस प्रक्रिया में कोशिका के DNA के साथ छेड़-छाड़ की जाती है। यह वैज्ञानिक छेड़-छाड़ मन चाहे परिणाम लायेगी, इसकी कोई गारण्टी नहीं है, क्योंकि परमात्मा या प्रकृति की बनाई वस्तु की पूरी समझ वैज्ञानिक को कभी भी नहीं हो सकती। इसका कारण यह है कि परमात्मा या प्रकृति के ज्ञान के सामने मनुष्य का ज्ञान बहुत छोटा है और सिद्धान्त यह है कि बड़ी वस्तु छोटी में नहीं आ सकती। मनुष्य ने पौधौं के DNA में छेड़-छाड़ करके देखा है। उदाहरण के लिये सोयाबीन, कपास, मक्का, बाजरा आदि के बीजों के साथ छेड़-छाड़ करके देखा है। इन सभी के परिणाम नकारात्मक आये हैं। रूसी वैज्ञानिक Alexey V. Surov का अध्ययन GM Soy Linked to Steritily जो Jehhery Smith द्वारा www.rense.com जनरल Health Reports में दिया है, के अनुसार GM उत्पादों से कई प्रकार की विकृतियाँ जैसे - गर्भपात, कद-काठी में कमी, बीमार होना आदि पाये गये हैं। GM सद्ब्रजी, फल, अनाज के शरीर पर दुष्प्रभाव तो हैं ही, इनका स्वाद भी जाता रहता है। जब पेड़-पौधौं के DNA से छेड़-छाड़ के नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं, तो मनुष्य के DNA के साथ टीकों के माध्यम से की जा रही जल्दबाजी वाली छेड़-छाड़ कैसे सुरक्षित हो सकती है? वैज्ञानिकों की मानव DNA की छेड़-छाड़ कभी अच्छे परिणाम नहीं ला सकेगी, क्योंकि मानव की समझ सीमित है। इस दृष्टि से कोविड-19 का टीका सुरक्षित नहीं हो सकता।
हवा-पानी-जमीन जीवन के आधार हैं। इनको प्रदूषित करके विज्ञान के बलबूत��� स्वस्थ जीवन बनाये रखना ऐसी ही बात हुई कि भवन की नींव को कमजोर करके, भवन के ऊपरी भाग की लीपा-पोती करना, पेन्ट करना, सजावट करना और यह मान बैठना की भवन सुरक्षित हो गया। विज्ञान के सहारे दवाईयाँ बनाकर और टीकें बनाकर स्वास्थ्य के भवन को टिकाये रखने की इच्छा करना ऐसा ही है जैसे नींव की देखभाल छोड़कर भवन को रंग-रोगन करके सुरक्षित मानना। मानव जीवन को सुखी बनाना विज्ञान का उद्देश्य माना जाता है। आधुनिक विज्ञान इस उद्देश्य में भी कभी सफल नहीं हो सकेगा। कारण यह कि विज्ञान ने मनुष्य को वह टैक्नोलाॅजी दी है, जो हवा-पानी-जमीन-समुद्र-आकाश सभी का निर्मम दोहन व दुरुपयोग करने की क्षमता देती है। जब मनुष्य का जीवन आधार और उसका सभी प्रकार का पर्यावरण प्रदूषित होगा, तो मनुष्य विज्ञान के किसी भी प्रयास के होने पर भी बीमार रहेगा। दूसरी तरफ संसाधनों के दोहन का लालच बढ़ता चला जायेगा, जो मनुष्य में असंतोष पैदा करेगा। स्वस्थ शरीर और मानसिक संतोष सुखी जीवन की मूलभूत शर्तें हैं। विज्ञान इन दोनों को उपलब्ध नहीं करवा सकता, तो विज्ञान के सहारे सुखी जीवन एक स्वप्न ही रहेगा, तो क्या विज्ञान छोड़ दिया जाये? बीमारी और प्रदुषण तो विज्ञान के दुरुपयोग के परिणाम हैं, इसमें विज्ञान का क्या दोष है? विज्ञान का वर्तमान में दोष यह है कि आज विज्ञान का बोलबाला इतना बढ़ गया है कि जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं बचा, जहाँ विज्ञान का हस्तक्षेप न हो। विज्ञान ने प्रत्येक क्षेत्र की तकनीक दी, पर तकनीक का कहाँ, कितना, कैसे प्रयोग करना है, यह नहीं बताया। आधुनिक विज्ञान यह मार्गदर्शन दे भी नहीं सकता, क्योंकि आधुनिक विज्ञान केवल जड़ पदार्थ का अध्ययन करता है। जड़ पदार्थ में उपयोग तो होता है, प्रयोजन नहीं होता। आधुनिक विज्ञान को प्रयोजन कौन दे सकता है? यह कार्य वेद-विज्ञान कर सकता है। वेद-विज्ञान सभी क्षेत्रों का मार्गदर्शन दे सकता है। वर्तमान में वेद-विज्ञान आधुनिक विज्ञान को कैसे मार्गदर्शन दे सकता है? यह अति महत्वपूर्ण और मानवता के हित का कार्य श्रद्धेय आचार्य अग्निव्रत जी ने वेद से विज्ञान का ग्रन्थ वेदविज्ञान-आलोकः तैयार कर दिया है। यह मानवता की महान् सेवा है। आचार्य जी वैदिक फिजिक्स चैनल के माध्यम से यह मानव कल्याण का कार्य कर रहे हैं। हम सबके हित में है कि हम इस चैनल से जुड़े और आचार्य अग्निव्रत जी के मानव कल्याण कार्य को आगे बढ़ायें, यही अन्तिम सुरक्षा है।
🎨कबीर परमेश्वर की सतभक्ति करने से वर्तमान में हो रहे हैं अद्भुत लाभ🎨
हम सभी देवी देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं, लेकिन फिर भी वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति दुःखी हैं। कोई निर्धनता से तो कोई बिमारी शारीरिक कष्ट से, कोई आपसी विवाद से तो कोई मानसिक तनाव से। और ये सब हमारे पाप कर्मों के कारण ही हो रहा है।
वर्तमान में चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। अनेकों बिमारीयां चारों तरफ फैली हुई है। लेकिन कभी सोचा है कि, वह पूर्ण परमात्मा कौन है जो हमें सर्व सुख शांति दे सकता है।
आइए जानते हैं कि, हमारे सदग्रंथों में पूर्ण परमात्मा कौन है।
वह पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी है, जो चारों युगों में पृथ्वी पर सशरीर प्रकट होते हैं और सशरीर वापस अपने लोक सतलोक को चले जाते हैं।
यजुर्वेद अध्याय 1 श्लोक 15,
यजुर्वेद अध्याय 5 श्लोक 1 तथा 32,
यजुर्वेद अध्याय 29 श्लोक 25 तथा अध्याय 40 श्लोक 8 में प्रमाण है कि, सशरीर है, वह कबीर परमेश्वर (कविर्देव) है, जो पाप कर्म काटने वाला बंदी छोड़ है जो सतलोक में रहता है।
कलयुग में आज़ से 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर काशी शहर में आए थे। और उस समय उन्होंने अनेकों लीलाएं की थी। मुर्दे तक को जीवित किया था। उस समय उनके 64 लाख शिष्य हुए थे। सतभक्ति करने वाले साधको को कबीर परमेश्वर ने आश्चर्यचकित लाभ दिए थे।
"मृत लड़के तथा लड़की को जीवित करना"
600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने शेखतकी की मृत लड़की को जीवित करके उसकी आयु बढाई। इसी तरह
दरिया में बहते हुए शव को हजारों लोगों के सामने जीवित किया था।
"सेउ की कटी हुई गर्दन जोड़कर जीवित करना"
अपने भक्त सेउ की कटी हुई गर्दन को जोड़कर नया जीवन दान दिया था।
"रामानंद जी को जीवित करना"
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी के हाथों रामानंद जी का कत्ल होने पर कबीर परमेश्वर ने रामानंद जी को पुनः जीवित किया था। ऐसे अनेकों प्रमाण है जिससे साफ होता है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही है।
सामवेद संख्या नं. 822 में प्रमाण है कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर सत्य भक्ति करने वाले भक्त को तीन बार में नाम प्रदान करके काल के जाल से छुड़वाता है तथा भक्त की आयु भी बढ़ा देता है।
ऋग्वेद मंडल 10, सुक्त 161, मंत्र 2,
ऋग्वेद मंडल 9, सुक्त 80, मंत्र 2,
ऋग्वेद मंडल 9, सुक्त 86, मंत्र 20,
संख्या नं. 822, सामवेद उतार्चिक अध्याय 3, खण्ड 5, श्लोक 8. में प्रमाण है:-
यदि किसी रोगी की प्राण शक्ति क्षीण हो चुकी है तथा उसकी आयु (जीवन-श्वांस) भी शेष न रही हो तो उसके प्राणों की रक्षा करूं तथा उसे 100 वर्ष आयु प्रदान करता हुं अर्थात् सत्य भक्ति करने वाले साधक को स्वस्थ करके परमात्मा 100 वर्ष की आयु प्रदान कर देता है यानि पूर्ण आयु प्रदान करता है।
सिकंदर लोधी का असाध्य रोग ठीक करना"
कबीर परमेश्वर ने सिकंदर लोधी का जलन का रोग अपने आशीर्वाद मात्र से ठीक किया था।
"नल नील का शारीरिक तथा मानसिक रोग ठीक करना"
नल नील कर्म फल से पीडित थे, कबीर परमेश्वर ने उनके शारीरिक तथा मानसिक रोग को सत्संग के दौरान आशीर्वाद से ठीक किया था।
ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा सतभक्ति करने वाले अपने साधक के भयंकर रोग ��माप्त कर देता है। यदि आयु शेष न हो तो भी परमात्मा उसको स्वस्थ करके सौ वर्ष तक की आयु प्रदान करता है।
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में भी प्रमाण है कि
"कविरंघारि: असि, बम्भारी: असि स्वज्योति ऋतधामा असि" अर्थात कबीर परमेश्वर ही पापों का शत्रु यानि सर्व पापों से मुक्त करवाकर, सर्व बंधनों से छुड़वाता है। वह स्वप्रकाशित सशरीर है और सतलोक में रहता है। वहीं पाप विनाशक है।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी है जिनकी सतभक्ति करने से साधक को ऐसे अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। वर्तमान में ऐसे ही आश्चर्यजनक लाभ संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान की जा रही कबीर परमेश्वर की सतभक्ति से लाखों लोगों को हो रहे हैं।
आइए जानते हैं कुछ अनुभव,
नाम- सुरेन्द्र, गांव-गांधरा रोहतक ने बताया कि 25 फिट की ऊंचाई से गिरने के कारण रीढ़ की हड्डी टूट गई, शरीर का निचला हिस्सा अधर्गं मार गया था। डॉक्टर की रिपोर्ट अनुसार तीन महीने के अंदर मृत्यु हो जानी थी। लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सतभक्ति करने से तथा उनके आशीर्वाद मात्र से ठीक हो गया।
नाम- महावीर, गांव ढराणा, झज्जर निवासी ने बताया कि, मेरे लीवर तथा गुर्दे में मवाद पड़ गई थी। काफी इलाज कराने के बाद डॉक्टरों ने तीन ओप्रेशन बोल दिए। फिर बड़े भाई के कहने से संत रामपाल जी महाराज से नाम दिक्षा लेकर सतभक्ति करनी शुरू की। कुछ दिन बाद उसी अस्पताल में फिर से जांच कराई तो डॉक्टर भी हैरान हो गए कि बिना किसी इलाज और ओप्रेशन के मेरे गुर्दे और लीवर बिल्कुल ठीक हो चूके थे। संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सतभक्ति से ही बिना किसी दवा के ठीक हुआ। डॉक्टर भी है इस बात के गवाह।
नाम- सतीश, निवासी दिल्ली ने बताया कि, मेरी पत्नी को ब्रेन ट्यूमर (दिमाग का कैंसर) हो गया था। जांच कराने पर डॉक्टर ने कहा कि तुरंत ऑपरेशन करना होगा और ऑपरेशन के एक हाथ पैरालाईसिस हो सकता है। ब्रेन ट्यूमर ऐसी जगह पर है जिसके कारण आंखों की रोशनी कभी भी खत्म हो सकती है। इसके बाद एक दोस्त को साथ लेकर पत्नी के साथ संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लिया। उनके बताए अनुसार मर्यादा में रहकर सतभक्ति करना शुरू किया। कुछ दिन बाद जब ओप्रेशन की तारीख लेने हॉस्पिटल गए तो डॉक्टर ने M.R.I देखकर कहा कि ओप्रेशन की जरूरत नहीं है,आपकी पत्नी बिल्कुल ठीक है।
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा अपने साधक के सर्व पापों को नाश करके सुखी करता है।
कबीर परमेश्वर ने भी अपनी अमरवाणी में कहा है कि,
"जो मेरी भक्ति पीछोड़ी होई, हमरा नाम न लेवे कोई"
ऐसे ऐसे अनेकों लाभ आज़ संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर सतभक्ति करने वाले लाखों लोगों को हों रहे हैं। वहीं आश्चर्यजनक चमत्कार हो रहें हैं जो 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने किए थे।
कबीर परमेश्वर ने अपनी वाणी में कहा है कि,
"मासा घटै ना तिल बढ़े, विधना लिखे जो लेख।
सांचा सतगुरु मेट कर, ऊपर मार दे मेख।।"
संत रामपाल जी महाराज सच्चे सतगुरु हैं। जिनके रुप में स्वयं कबीर परमेश्वर आए हुए हैं। आप भी संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर सतभक्ति करके अपना कल्याण कराएं।
🎨कबीर परमेश्वर की सतभक्ति करने से वर्तमान में हो रहे हैं अद्भुत लाभ🎨
हम सभी देवी देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं, लेकिन फिर भी वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति दुःखी हैं। कोई निर्धनता से तो कोई बिमारी शारीरिक कष्ट से, कोई आपसी विवाद से तो कोई मानसिक तनाव से। और ये सब हमारे पाप कर्मों के कारण ही हो रहा है।
वर्तमान में चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। अनेकों बिमारीयां चारों तरफ फैली हुई है। लेकिन कभी सोचा है कि, वह पूर्ण परमात्मा कौन है जो हमें सर्व सुख शांति दे सकता है।
आइए जानते हैं कि, हमारे सदग्रंथों में पूर्ण परमात्मा कौन है।
वह पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी है, जो चारों युगों में पृथ्वी पर सशरीर प्रकट होते हैं और सशरीर वापस अपने लोक सतलोक को चले जाते हैं।
यजुर्वेद अध्याय 1 श्लोक 15,
यजुर्वेद अध्याय 5 श्लोक 1 तथा 32,
यजुर्वेद अध्याय 29 श्लोक 25 तथा अध्याय 40 श्लोक 8 में प्रमाण है कि, सशरीर है, वह कबीर परमेश्वर (कविर्देव) है, जो पाप कर्म काटने वाला बंदी छोड़ है जो सतलोक में रहता है।
कलयुग में आज़ से 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर काशी शहर में आए थे। और उस समय उन्होंने अनेकों लीलाएं की थी। मुर्दे तक को जीवित किया था। उस समय उनके 64 लाख शिष्य हुए थे। सतभक्ति करने वाले साधको को कबीर परमेश्वर ने आश्चर्यचकित लाभ दिए थे।
"मृत लड़के तथा लड़की को जीवित करना"
600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने शेखतकी की मृत लड़की को जीवित करके उसकी आयु बढाई। इसी तरह
दरिया में बहते हुए शव को हजारों लोगों के सामने जीवित किया था।
"सेउ की कटी हुई गर्दन जोड़कर जीवित करना"
अपने भक्त सेउ की कटी हुई गर्दन को जोड़कर नया जीवन दान दिया था।
"रामानंद जी को जीवित करना"
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी के हाथों रामानंद जी का कत्ल होने पर कबीर परमेश्वर ने रामानंद जी को पुनः जीवित किया था। ऐसे अनेकों प्रमाण है जिससे साफ होता है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही है।
सामवेद संख्या नं. 822 में प्रमाण है कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर सत्य भक्ति करने वाले भक्त को तीन बार में नाम प्रदान करके काल के जाल से छुड़वाता है तथा भक्त की आयु भी बढ़ा देता है।
ऋग्वेद मंडल 10, सुक्त 161, मंत्र 2,
ऋग्वेद मंडल 9, सुक्त 80, मंत्र 2,
ऋग्वेद मंडल 9, सुक्त 86, मंत्र 20,
संख्या नं. 822, सामवेद उतार्चिक अध्याय 3, खण्ड 5, श्लोक 8. में प्रमाण है:-
यदि किसी रोगी की प्राण शक्ति क्षीण हो चुकी है तथा उसकी आयु (जीवन-श्वांस) भी शेष न रही हो तो उसके प्राणों की रक्षा करूं तथा उसे 100 वर्ष आयु प्रदान करता हुं अर्थात् सत्य भक्ति करने वाले साधक को स्वस्थ करके परमात्मा 100 वर्ष की आयु प्रदान कर देता है यानि पूर्ण आयु प्रदान करता है।
सिकंदर लोधी का असाध्य रोग ठीक करना"
कबीर परमेश्वर ने सिकंदर लोधी का जलन का रोग अपने आशीर्वाद मात्र से ठीक किया था।
"नल नील का शारीरिक तथा मानसिक रोग ठीक करना"
नल नील कर्म फल से पीडित थे, कबीर परमेश्वर ने उनके शारीरिक तथा मानसिक रोग को सत्संग के दौरान आशीर्वाद से ठीक किया था।
ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा सतभक्ति करने वाले अपने साधक के भयंकर रोग समाप्त कर देता है। यदि आयु शेष न हो तो भी परमात्मा उसको स्वस्थ करके सौ वर्ष तक की आयु प्रदान करता है।
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में भी प्रमाण है कि
"कविरंघारि: असि, बम्भारी: असि स्वज्योति ऋतधामा असि" अर्थात कबीर परमेश्वर ही पापों का शत्रु यानि सर्व पापों से मुक्त करवाकर, सर्व बंधनों से छुड़वाता है। वह स्वप्रकाशित सशरीर है और सतलोक में रहता है। वहीं पाप विनाशक है।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी है जिनकी सतभक्ति करने से साधक को ऐसे अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। वर्तमान में ऐसे ही आश्चर्यजनक लाभ संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान की जा रही कबीर परमेश्वर की सतभक्ति से लाखों लोगों को हो रहे हैं।
आइए जानते हैं कुछ अनुभव,
नाम- सुरेन्द्र, गांव-गांधरा रोहतक ने बताया कि 25 फिट की ऊंचाई से गिरने के कारण रीढ़ की हड्डी टूट गई, शरीर का निचला हिस्सा अधर्गं मार गया था। डॉक्टर की रिपोर्ट अनुसार तीन महीने के अंदर मृत्यु हो जानी थी। लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सतभक्ति करने से तथा उनके आशीर्वाद मात्र से ठीक हो गया।
नाम- महावीर, गांव ढराणा, झज्जर निवासी ने बताया कि, मेरे लीवर तथा गुर्दे में मवाद पड़ गई थी। काफी इलाज कराने के बाद डॉक्टरों ने तीन ओप्रेशन बोल दिए। फिर बड़े भाई के कहने से संत रामपाल जी महाराज से नाम दिक्षा लेकर सतभक्ति करनी शुरू की। कुछ दिन बाद उसी अस्पताल में फिर से जांच कराई तो डॉक्टर भी हैरान हो गए कि बिना किसी इलाज और ओप्रेशन के मेरे गुर्दे और लीवर बिल्कुल ठीक हो चूके थे। संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सतभक्ति से ही बिना किसी दवा के ठीक हुआ। डॉक्टर भी है इस बात के गवाह।
नाम- सतीश, निवासी दिल्ली ने बताया कि, मेरी पत्नी को ब्रेन ट्यूमर (दिमाग का कैंसर) हो गया था। जांच कराने पर डॉक्टर ने कहा कि तुरंत ऑपरेशन करना होगा और ऑपरेशन के एक हाथ पैरालाईसिस हो सकता है। ब्रेन ट्यूमर ऐसी जगह पर है जिसके कारण आंखों की रोशनी कभी भी खत्म हो सकती है। इसके बाद एक दोस्त को साथ लेकर पत्नी के साथ संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लिया। उनके बताए अनुसार मर्यादा में रहकर सतभक्ति करना शुरू किया। कुछ दिन बाद जब ओप्रेशन की तारीख लेने हॉस्पिटल गए तो डॉक्टर ने M.R.I देखकर कहा कि ओप्रेशन की जरूरत नहीं है,आपकी पत्नी बिल्कुल ठीक है।
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा अपने साधक के सर्व पापों को नाश करके सुखी करता है।
कबीर परमेश्वर ने भी अपनी अमरवाणी में कहा है कि,
"जो मेरी भक्ति पीछोड़ी होई, हमरा नाम न लेवे कोई"
ऐसे ऐसे अनेकों लाभ आज़ संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर सतभक्ति करने वाले लाखों लोगों को हों रहे हैं। वहीं आश्चर्यजनक चमत्कार हो रहें हैं जो 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने किए थे।
कबीर परमेश्वर ने अपनी वाणी में कहा है कि,
"मासा घटै ना तिल बढ़े, विधना लिखे जो लेख।
सांचा सतगुरु मेट कर, ऊपर मार दे मेख।।"
संत रामपाल जी महाराज सच्चे सतगुरु हैं। जिनके रुप में स्वयं कबीर परमेश्वर आए हुए हैं। आप भी संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर सतभक्ति करके अपना कल्याण कराएं।
🎨कबीर परमेश्वर की सतभक्ति करने से वर्तमान में हो रहे हैं अद्भुत लाभ🎨
हम सभी देवी देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं, लेकिन फिर भी वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति दुःखी हैं। कोई निर्धनता से तो कोई बिमारी शारीरिक कष्ट से, कोई आपसी विवाद से तो कोई मानसिक तनाव से। और ये सब हमारे पाप कर्मों के कारण ही हो रहा है।
वर्तमान में चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। अनेकों बिमारीयां चारों तरफ फैली हुई है। लेकिन कभी सोचा है कि, वह पूर्ण परमात्मा कौन है जो हमें सर्व सुख शांति दे सकता है।
आइए जानते हैं कि, हमारे सदग्रंथों में पूर्ण परमात्मा कौन है।
वह पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी है, जो चारों युगों में पृथ्वी पर सशरीर प्रकट होते हैं और सशरीर वापस अपने लोक सतलोक को चले जाते हैं।
यजुर्वेद अध्याय 1 श्लोक 15,
यजुर्वेद अध्याय 5 श्लोक 1 तथा 32,
यजुर्वेद अध्याय 29 श्लोक 25 तथा अध्याय 40 श्लोक 8 में प्रमाण है कि, सशरीर है, वह कबीर परमेश्वर (कविर्देव) है, जो पाप कर्म काटने वाला बंदी छोड़ है जो सतलोक में रहता है।
कलयुग में आज़ से 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर काशी शहर में आए थे। और उस समय उन्होंने अनेकों लीलाएं की थी। मुर्दे तक को जीवित किया था। उस समय उनके 64 लाख शिष्य हुए थे। सतभक्ति करने वाले साधको को कबीर परमेश्वर ने आश्चर्यचकित लाभ दिए थे।
"मृत लड़के तथा लड़की को जीवित करना"
600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने शेखतकी की मृत लड़की को जीवित करके उसकी आयु बढाई। इसी तरह
दरिया में बहते हुए शव को हजारों लोगों के सामने जीवित किया था।
"सेउ की कटी हुई गर्दन जोड़कर जीवित करना"
अपने भक्त सेउ की कटी हुई गर्दन को जोड़कर नया जीवन दान दिया था।
"रामानंद जी को जीवित करना"
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी के हाथों रामानंद जी का कत्ल होने पर कबीर परमेश्वर ने रामानंद जी को पुनः जीवित किया था। ऐसे अनेकों प्रमाण है जिससे साफ होता है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही है।
सामवेद संख्या नं. 822 में प्रमाण है कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर सत्य भक्ति करने वाले भक्त को तीन बार में नाम प्रदान करके काल के जाल से छुड़वाता है तथा भक्त की आयु भी बढ़ा देता है।
ऋग्वेद मंडल 10, सुक्त 161, मंत्र 2,
ऋग्वेद मंडल 9, सुक्त 80, मंत्र 2,
ऋग्वेद मंडल 9, सुक्त 86, मंत्र 20,
संख्या नं. 822, सामवेद उतार्चिक अध्याय 3, खण्ड 5, श्लोक 8. में प्रमाण है:-
यदि किसी रोगी की प्राण शक्ति क्षीण हो चुकी है तथा उसकी आयु (जीवन-श्वांस) भी शेष न रही हो तो उसके प्राणों की रक्षा करूं तथा उसे 100 वर्ष आयु प्रदान करता हुं अर्थात् सत्य भक्ति करने वाले साधक को स्वस्थ करके परमात्मा 100 वर्ष की आयु प्रदान कर देता है यानि पूर्ण आयु प्रदान करता है।
सिकंदर लोधी का असाध्य रोग ठीक करना"
कबीर परमेश्वर ने सिकंदर लोधी का जलन का रोग अपने आशीर्वाद मात्र से ठीक किया था।
"नल नील का शारीरिक तथा मानसिक रोग ठीक करना"
नल नील कर्म फल से पीडित थे, कबीर परमेश्वर ने उनके शारीरिक तथा मानसिक रोग को सत्संग के दौरान आशीर्वाद से ठीक किया था।
ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा सतभक्ति करने वाले अपने साधक के भयंकर रोग समाप्त कर देता है। यदि आयु शेष न हो तो भी परमात्मा उसको स्वस्थ करके सौ वर्ष तक की आयु प्रदान करता है।
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में भी प्रमाण है कि
"कविरंघारि: असि, बम्भारी: असि स्वज्योति ऋतधामा असि" अर्थात कबीर परमेश्वर ही पापों का शत्रु यानि सर्व पापों से मुक्त करवाकर, सर्व बंधनों से छुड़वाता है। वह स्वप्रकाशित सशरीर है और सतलोक में रहता है। वहीं पाप विनाशक है।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी है जिनकी सतभक्ति करने से साधक को ऐसे अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। वर्तमान में ऐसे ही आश्चर्यजनक लाभ संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान की जा रही कबीर परमेश्वर की सतभक्ति से लाखों लोगों को हो रहे हैं।
आइए जानते हैं कुछ अनुभव,
नाम- सुरेन्द्र, गांव-गांधरा रोहतक ने बताया कि 25 फिट की ऊंचाई से गिरने के कारण रीढ़ की हड्डी टूट गई, शरीर का निचला हिस्सा अधर्गं मार गया था। डॉक्टर की रिपोर्ट अनुसार तीन महीने के अंदर मृत्यु हो जानी थी। लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सतभक्ति करने से तथा उनके आशीर्वाद मात्र से ठीक हो गया।
नाम- महावीर, गांव ढराणा, झज्जर निवासी ने बताया कि, मेरे लीवर तथा गुर्दे में मवाद पड़ गई थी। काफी इलाज कराने के बाद डॉक्टरों ने तीन ओप्रेशन बोल दिए। फिर बड़े भाई के कहने से संत रामपाल जी महाराज से नाम दिक्षा लेकर सतभक्ति करनी शुरू की। कुछ दिन बाद उसी अस्पताल में फिर से जांच कराई तो डॉक्टर भी हैरान हो गए कि बिना किसी इलाज और ओप्रेशन के मेरे गुर्दे और लीवर बिल्कुल ठीक हो चूके थे। संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सतभक्ति से ही बिना किसी दवा के ठीक हुआ। डॉक्टर भी है इस बात के गवाह।
नाम- सतीश, निवासी दिल्ली ने बताया कि, मेरी पत्नी को ब्रेन ट्यूमर (दिमाग का कैंसर) हो गया था। जांच कराने पर डॉक्टर ने कहा कि तुरंत ऑपरेशन करना होगा और ऑपरेशन के एक हाथ पैरालाईसिस हो सकता है। ब्रेन ट्यूमर ऐसी जगह पर है जिसके कारण आंखों की रोशनी कभी भी खत्म हो सकती है। इसके बाद एक दोस्त को साथ लेकर पत्नी के साथ स��त रामपाल जी महाराज से उपदेश लिया। उनके बताए अनुसार मर्यादा में रहकर सतभक्ति करना शुरू किया। कुछ दिन बाद जब ओप्रेशन की तारीख लेने हॉस्पिटल गए तो डॉक्टर ने M.R.I देखकर कहा कि ओप्रेशन की जरूरत नहीं है,आपकी पत्नी बिल्कुल ठीक है।
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा अपने साधक के सर्व पापों को नाश करके सुखी करता है।
कबीर परमेश्वर ने भी अपनी अमरवाणी में कहा है कि,
"जो मेरी भक्ति पीछोड़ी होई, हमरा नाम न लेवे कोई"
ऐसे ऐसे अनेकों लाभ आज़ संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर सतभक्ति करने वाले लाखों लोगों को हों रहे हैं। वहीं आश्चर्यजनक चमत्कार हो रहें हैं जो 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने किए थे।
कबीर परमेश्वर ने अपनी वाणी में कहा है कि,
"मासा घटै ना तिल बढ़े, विधना लिखे जो लेख।
सांचा सतगुरु मेट कर, ऊपर मार दे मेख।।"
संत रामपाल जी महाराज सच्चे सतगुरु हैं। जिनके रुप में स्वयं कबीर परमेश्वर आए हुए हैं। आप भी संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर सतभक्ति करके अपना कल्याण कराएं।
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🎨कबीर परमेश्वर की सतभक्ति करने से वर्तमान में हो रहे हैं अद्भुत लाभ🎨
हम सभी देवी देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं, लेकिन फिर भी वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति दुःखी हैं। कोई निर्धनता से तो कोई बिमारी शारीरिक कष्ट से, कोई आपसी विवाद से तो कोई मानसिक तनाव से। और ये सब हमारे पाप कर्मों के कारण ही हो रहा है।
वर्तमान में चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। अनेकों बिमारीयां चारों तरफ फैली हुई है। लेकिन कभी सोचा है कि, वह पूर्ण परमात्मा कौन है जो हमें सर्व सुख शांति दे सकता है।
आइए जानते हैं कि, हमारे सदग्रंथों में पूर्ण परमात्मा कौन है।
वह पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी है, जो चारों युगों में पृथ्वी पर सशरीर प्रकट होते हैं और सशरीर वापस अपने लोक सतलोक को चले जाते हैं।
यजुर्वेद अध्याय 1 श्लोक 15,
यजुर्वेद अध्याय 5 श्लोक 1 तथा 32,
यजुर्वेद अध्याय 29 श्लोक 25 तथा अध्याय 40 श्लोक 8 में प्रमाण है कि, सशरीर है, वह कबीर परमेश्वर (कविर्देव) है, जो पाप कर्म काटने वाला बंदी छोड़ है जो सतलोक में रहता है।
कलयुग में आज़ से 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर काशी शहर में आए थे। और उस समय उन्होंने अनेकों लीलाएं की थी। मुर्दे तक को जीवित किया था। उस समय उनके 64 लाख शिष्य हुए थे। सतभक्ति करने वाले साधको को कबीर परमेश्वर ने आश्चर्यचकित लाभ दिए थे।
"मृत लड़के तथा लड़की को जीवित करना"
600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने शेखतकी की मृत लड़की को जीवित करके उसकी आयु बढाई। इसी तरह
दरिया में बहते हुए शव को हजारों लोगों के सामने जीवित किया था।
"सेउ की कटी हुई गर्दन जोड़कर जीवित करना"
अपने भक्त सेउ की कटी हुई गर्दन को जोड़कर नया जीवन दान दिया था।
"रामानंद जी को जीवित करना"
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी के हाथों रामानंद जी का कत्ल होने पर कबीर परमेश्वर ने रामानंद जी को पुनः जीवित किया था। ऐसे अनेकों प्रमाण है जिससे साफ होता है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही है।
सामवेद संख्या नं. 822 में प्रमाण है कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर सत्य भक्ति करने वाले भक्त को तीन बार में नाम प्रदान करके काल के जाल से छुड़वाता है तथा भक्त की आयु भी बढ़ा देता है।
ऋग्वेद मंडल 10, सुक्त 161, मंत्र 2,
ऋग्वेद मंडल 9, सुक्त 80, मंत्र 2,
ऋग्वेद मंडल 9, सुक्त 86, मंत्र 20,
संख्या नं. 822, सामवेद उतार्चिक अध्याय 3, खण्ड 5, श्लोक 8. में प्रमाण है:-
यदि किसी रोगी की प्राण शक्ति क्षीण हो चुकी है तथा उसकी आयु (जीवन-श्वांस) भी शेष न रही हो तो उसके प्राणों की रक्षा करूं तथा उसे 100 वर्ष आयु प्रदान करता हुं अर्थात् सत्य भक्ति करने वाले साधक को स्वस्थ करके परमात्मा 100 वर्ष की आयु प्रदान कर देता है यानि पूर्ण आयु प्रदान करता है।
सिकंदर लोधी का असाध्य रोग ठीक करना"
कबीर परमेश्वर ने सिकंदर लोधी का जलन का रोग अपने आशीर्वाद मात्र से ठीक किया था।
"नल नील का शारीरिक तथा मानसिक रोग ठीक करना"
नल नील कर्म फल से पीडित थे, कबीर परमेश्वर ने उनके शारीरिक तथा मानसिक रोग को सत्संग के दौरान आशीर्वाद से ठीक किया था।
ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा सतभक्ति करने वाले अपने साधक के भयंकर रोग समाप्त कर देता है। यदि आयु शेष न हो तो भी परमात्मा उसको स्वस्थ करके सौ वर्ष तक की आयु प्रदान करता है।
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में भी प्रमाण है कि
"कविरंघारि: असि, बम्भारी: असि स्वज्योति ऋतधामा असि" अर्थात कबीर परमेश्वर ही पापों का शत्रु यानि सर्व पापों से मुक्त करवाकर, सर्व बंधनों से छुड़वाता है। वह स्वप्रकाशित सशरीर है और सतलोक में रहता है। वहीं पाप विनाशक है।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी है जिनकी सतभक्ति करने से साधक को ऐसे अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। वर्तमान में ऐसे ही आश्चर्यजनक लाभ संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान की जा रही कबीर परमेश्वर की सतभक्ति से लाखों लोगों को हो रहे हैं।
आइए जानते हैं कुछ अनुभव,
नाम- सुरेन्द्र, गांव-गांधरा रोहतक ने बताया कि 25 फिट की ऊंचाई से गिरने के कारण रीढ़ की हड्डी टूट गई, शरीर का निचला हिस्सा अधर्गं मार गया था। डॉक्टर की रिपोर्ट अनुसार तीन महीने के अंदर मृत्यु हो जानी थी। लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सतभक्ति करने से तथा उनके आशीर्वाद मात्र से ठीक हो गया।
नाम- महावीर, गांव ढराणा, झज्जर निवासी ने बताया कि, मेरे लीवर तथा गुर्दे में मवाद पड़ गई थी। काफी इलाज कराने के बाद डॉक्टरों ने तीन ओप्रेशन बोल दिए। फिर बड़े भाई के कहने से संत रामपाल जी महाराज से नाम दिक्षा लेकर सतभक्ति करनी शुरू की। कुछ दिन बाद उसी अस्पताल में फिर से जांच कराई तो डॉक्टर भी हैरान हो गए कि बिना किसी इलाज और ओप्रेशन के मेरे गुर्दे और लीवर बिल्कुल ठीक हो चूके थे। संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सतभक्ति से ही बिना किसी दवा के ठीक हुआ। डॉक्टर भी है इस बात के गवाह।
नाम- सतीश, निवासी दिल्ली ने बताया कि, मेरी पत्नी को ब्रेन ट्यूमर (दिमाग का कैंसर) हो गया था। जांच कराने पर डॉक्टर ने कहा कि तुरंत ऑपरेशन करना होगा और ऑपरेशन के एक हाथ पैरालाईसिस हो सकता है। ब्रेन ट्यूमर ऐसी जगह पर है जिसके कारण आंखों की रोशनी कभी भी खत्म हो सकती है। इसके बाद एक दोस्त को साथ लेकर पत्नी के साथ संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लिया। उनके बताए अनुसार मर्यादा में रहकर सतभक्ति करना शुरू किया। कुछ दिन बाद जब ओप्रेशन की तारीख लेने हॉस्पिटल गए तो डॉक्टर ने M.R.I देखकर कहा कि ओप्रेशन की जरूरत नहीं है,आपकी पत्नी बिल्कुल ठीक है।
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा अपने साधक के सर्व पापों को नाश करके सुखी करता है।
कबीर परमेश्वर ने भी अपनी अमरवाणी में कहा है कि,
"जो मेरी भक्ति पीछोड़ी होई, हमरा नाम न लेवे कोई"
ऐसे ऐसे अनेकों लाभ आज़ संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर सतभक्ति करने वाले लाखों लोगों को हों रहे हैं। वहीं आश्चर्यजनक चमत्कार हो रहें हैं जो 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने किए थे।
कबीर परमेश्वर ने अपनी वाणी में कहा है कि,
"मासा घटै ना तिल बढ़े, विधना लिखे जो लेख।
सांचा सतगुरु मेट कर, ऊपर मार दे मेख।।"
संत रामपाल जी महाराज सच्चे सतगुरु हैं। जिनके रुप में स्वयं कबीर परमेश्वर आए हुए हैं। आप भी संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर सतभक्ति करके अपना कल्याण कराएं।
लखनऊ 10 अप्रैल, 2022 - हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में Post COVID-19 Complication & Care के अंतर्गत "विश्व होम्योपैथी दिवस" के अवसर पर "निःशुल्क होम्योपैथिक परामर्श, निदान एवं दवा वितरण शिविर" का आयोजन ट्रस्ट के इंदिरा नगर सेक्टर - 25 स्थित कार्यालय में हुआ l शिविर का शुभारम्भ ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, शिविर के परामर्शदाता चिकित्सक डॉ० संजय कुमार राणा तथा डॉ० सुमित गुप्ता ने दीपप्रज्वलन करके किया l
ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी को विश्व होम्योपैथी दिवस और श्री राम नवमी की बधाई देते हुए कहा कि, दुनिया भर में 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है l इस दिवस को मनाने का लक्ष्य है लोगों को होम्योपैथिक के प्रति जागरूक करना है l हाल के वर्षों में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति तेजी से बढ़ रही है l होम्योपैथी यूनानी शब्द (homeopathy meaning) होमो से आया है जिसका अर्थ है समान और पैथोस जिसका अर्थ है दुःख या बीमारी l होम्योपैथी इलाज इस विश्वास पर आधारित है कि, शरीर खुद को ठीक कर सकता है l होम्योपैथी चिकित्सा की एक प्रणाली है, जो शरीर के अपने उपचार प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर करने के सिद्धांत पर आधारित है l होम्योपैथी शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा को तेज करती है l वर्तमान में विश्व के 100 से अधिक देशों में होम्योपैथी से ईलाज हो रहा है l होम्योपैथी दुनिया में सबसे लोकप्रिय वैकल्पिक उपचारों में से एक है l ट्रस्ट द्वारा आयोजित निःशुल्क होम्योपैथिक शिविर का उद्देश्य होम्योपैथी के बारे में जागरूकता पैदा करना, इसकी पहुंच में सुधार करना और चिकित्सा प्रणाली को आधुनिक बनाना है ।
श्री अग्रवाल ने यह भी कहा कि, वर्तमान में होम्योपैथी दवाएं जटिल बीमारियों जैसे स्वाइन फ्लू, डेंगू, खसरा, चिकन पॉक्स, कालरा, दिमागी बुखार, गुर्दे में पथरी आदि बीमारियों से बचाव में कारगर हो रही हैं l दुनियाभर में एलोपैथी के बाद होम्योपैथी सबसे अधिक कारगर और पसंद की जानेवाली तथा प्रयोग में लायी जाने वाली चिकित्सा पद्धति है l होम्योपैथिक दवा सांस की बीमारी, पेट, त्वचा और मानसिक विकार जैसी पुरानी बीमारियों में भी प्राकृतिक समाधान प्रदान करती है l जो मरीज एलोपैथी और सर्जरी के जरिये जल्दी राहत चाहते हैं, वह केवल अपना आधा जीवन ही जीते हैं, किन्तु इसके विपरीत जो मरीज स्थायी सुधार के लिए होम्योपैथी को अपनाते हैं, वे पूर्ण जीवन का आनंद लेते हैं l
इस अवसर पर डॉ० संजय कुमार राणा ने कहा कि, वर्तमान समय में इंटरनेट का उपयोग बहुत बढ़ गया है और ऐसे में बहुत सारे लोग इंटरनेट पर जाकर होम्योपैथिक चिकित्सा का ज्ञान ले रहे हैं और इंटरनेट पर बहुत सारे लोग होम्योपैथिक चिकित्सा का ज्ञान दे भी रहे हैं l ऐसे में परेशानियां उनके साथ हो रही है जो स्वास्थ्य से पीड़ित है, क्योंकि हर मरीज इंटरनेट पर जाकर दवाई देख रहा है और बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयां खा रहा है l जबकि होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में दवाई एवं दवाइयों कि मात्रा का चुनाव मरीज के विचारों के आधार पर और मरीज की संवेदनशीलता के आधार पर होता है l होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में दवाइयों का चुनाव भी व्यक्ति के व्यवहार उसकी प्यास, भूख, उसकी प्रकृति (ठंडा- गर्म), उसके तौर-तरीकों को देख कर की जाती है, जो की एक ही बीमारी से पीड़ित दो व्यक्तियों में अलग अलग हो सकती है l जब तक डॉक्टर मरीज को देख कर उसकी हिस्ट्री नहीं ले लेते मेडिसिन नहीं दी जा सकती है । डॉ० राणा ने लोगों से अपील की है कि, सब लोग ध्यान रखें इंटरनेट से जानकारी लेना ठीक है लेकिन इंटरनेट पर देख कर बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई खाना अपने ही शरीर के साथ खिलवाड़ करना है ऐसे में शरीर में बहुत सारे बुरे बदलाव भी आ सकते हैं ।
होम्योपैथी शिविर में विभिन्न बीमारियों जैसे कि, सीने में दर्द होना, भूख न लगना, सांस फूलना, ह्रदय व गुर्दे की बीमारी, मधुमेह (Diabetes / Sugar), रक्तचाप (Blood Pressure), उलझन या घबराहट होना, पेट में दर्द होना, गले में दर्द होना, थकावट होना, पीलिया (Jaundice), थाइरोइड (Thyroid), बालों का झड़ना (Hair Fall) आदि से पीड़ित 39 रोगियों का वजन, रक्तचाप (Blood Pressure) तथा मधुमेह (Sugar-Random) की जांच की गयी l डॉ० संजय ��ुमार राणा तथा डॉ० सुमित गुप्ता ने परामर्श प्रदान किया तथा निःशुल्क होम्योपैथी दवा प्रदान की l महिलाएं, पुरुष, बुजुर्गों तथा बच्चों सभी उम्र के लोगों ने होम्योपैथी परामर्श लिया l ज्यादातर मरीज सांस लेने में तकलीफ और जोड़ों में दर्द की बिमारी से ग्रसित पाए गए l
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के स्वयंसेवकों तथा डॉ० संजय कुमार राणा तथा डॉ० सुमित गुप्ता की टीम के सदस्य दिनकर दुबे, विष्णु, रमणसन तथा राहुल राणा की उपस्थिति रही l
🎨कबीर परमेश्वर की सतभक्ति करने से वर्तमान में हो रहे हैं अद्भुत लाभ🎨
हम सभी देवी देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं, लेकिन फिर भी वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति दुःखी हैं। कोई निर्धनता से तो कोई बिमारी शारीरिक कष्ट से, कोई आपसी विवाद से तो कोई मानसिक तनाव से। और ये सब हमारे पाप कर्मों के कारण ही हो रहा है।
वर्तमान में चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। अनेकों बिमारीयां चारों तरफ फैली हुई है। लेकिन कभी सोचा है कि, वह पूर्ण परमात्मा कौन है जो हमें सर्व सुख शांति दे सकता है।
आइए जानते हैं कि, हमारे सदग्रंथों में पूर्ण परमात्मा कौन है।
वह पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी है, जो चारों युगों में पृथ्वी पर सशरीर प्रकट होते हैं और सशरीर वापस अपने लोक सतलोक को चले जाते हैं।
यजुर्वेद अध्याय 1 श्लोक 15,
यजुर्वेद अध्याय 5 श्लोक 1 तथा 32,
यजुर्वेद अध्याय 29 श्लोक 25 तथा अध्याय 40 श्लोक 8 में प्रमाण है कि, सशरीर है, वह कबीर परमेश्वर (कविर्देव) है, जो पाप कर्म काटने वाला बंदी छोड़ है जो सतलोक में रहता है।
कलयुग में आज़ से 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर काशी शहर में आए थे। और उस समय उन्होंने अनेकों लीलाएं की थी। मुर्दे तक को जीवित किया था। उस समय उनके 64 लाख शिष्य हुए थे। सतभक्ति करने वाले साधको को कबीर परमेश्वर ने आश्चर्यचकित लाभ दिए थे।
"मृत लड़के तथा लड़की को जीवित करना"
600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने शेखतकी की मृत लड़की को जीवित करके उसकी आयु बढाई। इसी तरह
दरिया में बहते हुए शव को हजारों लोगों के सामने जीवित किया था।
"सेउ की कटी हुई गर्दन जोड़कर जीवित करना"
अपने भक्त सेउ की कटी हुई गर्दन को जोड़कर नया जीवन दान दिया था।
"रामानंद जी को जीवित करना"
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी के हाथों रामानंद जी का कत्ल होने पर कबीर परमेश्वर ने रामानंद जी को पुनः जीवित किया था। ऐसे अनेकों प्रमाण है जिससे साफ होता है कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही है।
सामवेद संख्या नं. 822 में प्रमाण है कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर सत्य भक्ति करने वाले भक्त को तीन बार में नाम प्रदान करके काल के जाल से छुड़वाता है तथा भक्त की आयु भी बढ़ा देता है।
ऋग्वेद मंडल 10, सुक्त 161, मंत्र 2,
ऋग्वेद मंडल 9, सुक्त 80, मंत्र 2,
ऋग्वेद मंडल 9, सुक्त 86, मंत्र 20,
संख्या नं. 822, सामवेद उतार्चिक अध्याय 3, खण्ड 5, श्लोक 8. में प्रमाण है:-
यदि किसी रोगी की प्राण शक्ति क्षीण हो चुकी है तथा उसकी आयु (जीवन-श्वांस) भी शेष न रही हो तो उसके प्राणों की रक्षा करूं तथा उसे 100 वर्ष आयु प्रदान करता हुं अर्थात् सत्य भक्ति करने वाले साधक को स्वस्थ करके परमात्मा 100 वर्ष की आयु प्रदान कर देता है यानि पूर्ण आयु प्रदान करता है।
सिकंदर लोधी का असाध्य रोग ठीक करना"
कबीर परमेश्वर ने सिकंदर लोधी का जलन का रोग अपने आशीर्वाद मात्र से ठीक किया था।
"नल नील का शारीरिक तथा मानसिक रोग ठीक करना"
नल नील कर्म फल से पीडित थे, कबीर परमेश्वर ने उनके शारीरिक तथा मानसिक रोग को सत्संग के दौरान आशीर्वाद से ठीक किया था।
ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा सतभक्ति करने वाले अपने साधक के भयंकर रोग समाप्त कर देता है। यदि आयु शेष न हो तो भी परमात्मा उसको स्वस्थ करके सौ वर्ष तक की आयु प्रदान करता है।
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में भी प्रमाण है कि
"कविरंघारि: असि, बम्भारी: असि स्वज्योति ऋतधामा असि" अर्थात कबीर परमेश्वर ही पापों का शत्रु यानि सर्व पापों से मुक्त करवाकर, सर्व बंधनों से छुड़वाता है। वह स्वप्रकाशित सशरीर है और सतलोक में रहता है। वहीं पाप विनाशक है।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी है जिनकी सतभक्ति करने से साधक को ऐसे अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। वर्तमान में ऐसे ही आश्चर्यजनक लाभ संत रामपाल जी महाराज द्वारा प्रदान की जा रही कबीर परमेश्वर की सतभक्ति से लाखों लोगों को हो रहे हैं।
आइए जानते हैं कुछ अनुभव,
नाम- सुरेन्द्र, गांव-गांधरा रोहतक ने बताया कि 25 फिट की ऊंचाई से गिरने के कारण रीढ़ की हड्डी टूट गई, शरीर का निचला हिस्सा अधर्गं मार गया था। डॉक्टर की रिपोर्ट अनुसार तीन महीने के अंदर मृत्यु हो जानी थी। लेकिन संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सतभक्त��� करने से तथा उनके आशीर्वाद मात्र से ठीक हो गया।
नाम- महावीर, गांव ढराणा, झज्जर निवासी ने बताया कि, मेरे लीवर तथा गुर्दे में मवाद पड़ गई थी। काफी इलाज कराने के बाद डॉक्टरों ने तीन ओप्रेशन बोल दिए। फिर बड़े भाई के कहने से संत रामपाल जी महाराज से नाम दिक्षा लेकर सतभक्ति करनी शुरू की। कुछ दिन बाद उसी अस्पताल में फिर से जांच कराई तो डॉक्टर भी है��ान हो गए कि बिना किसी इलाज और ओप्रेशन के मेरे गुर्दे और लीवर बिल्कुल ठीक हो चूके थे। संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई सतभक्ति से ही बिना किसी दवा के ठीक हुआ। डॉक्टर भी है इस बात के गवाह।
नाम- सतीश, निवासी दिल्ली ने बताया कि, मेरी पत्नी को ब्रेन ट्यूमर (दिमाग का कैंसर) हो गया था। जांच कराने पर डॉक्टर ने कहा कि तुरंत ऑपरेशन करना होगा और ऑपरेशन के एक हाथ पैरालाईसिस हो सकता है। ब्रेन ट्यूमर ऐसी जगह पर है जिसके कारण आंखों की रोशनी कभी भी खत्म हो सकती है। इसके बाद एक दोस्त को साथ लेकर पत्नी के साथ संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लिया। उनके बताए अनुसार मर्यादा में रहकर सतभक्ति करना शुरू किया। कुछ दिन बाद जब ओप्रेशन की तारीख लेने हॉस्पिटल गए तो डॉक्टर ने M.R.I देखकर कहा कि ओप्रेशन की जरूरत नहीं है,आपकी पत्नी बिल्कुल ठीक है।
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा अपने साधक के सर्व पापों को नाश करके सुखी करता है।
कबीर परमेश्वर ने भी अपनी अमरवाणी में कहा है कि,
"जो मेरी भक्ति पीछोड़ी होई, हमरा नाम न लेवे कोई"
ऐसे ऐसे अनेकों लाभ आज़ संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर सतभक्ति करने वाले लाखों लोगों को हों रहे हैं। वहीं आश्चर्यजनक चमत्कार हो रहें हैं जो 600 वर्ष पहले कबीर परमेश्वर ने किए थे।
कबीर परमेश्वर ने अपनी वाणी में कहा है कि,
"मासा घटै ना तिल बढ़े, विधना लिखे जो लेख।
सांचा सतगुरु मेट कर, ऊपर मार दे मेख।।"
संत रामपाल जी महाराज सच्चे सतगुरु हैं। जिनके रुप में स्वयं कबीर परमेश्वर आए हुए हैं। आप भी संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर सतभक्ति करके अपना कल्याण कराएं।