23- रामगढ़ विधानसभा उप निर्वाचन, 2023 को स्वच्छ एवं निष्पक्ष बनाने हेतु आपस में समन्वय स्थापित कर कार्य करें: के. रवि कुमार
रांची। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने कहा कि सभी विभाग के पदाधिकारी 23- रामगढ़ विधानसभा उप निर्वाचन, 2023 को स्वच्छ एवं निष्पक्ष बनाने हेतु आपस में समन्वय स्थापित कर कार्य करें । उन्होंने कहा कि सभी विभाग निर्वाचन से संबंधित रिपोर्ट को ससमय बना ले एवं अपने द्वारा बनाये गए रिपोर्ट को समर्पित करते समय आपस में समन्वय अवश्य स्थापित करें। वे आज निर्वाचन आयोग के सभाकक्ष में इलेक्शन…
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Minor Missing Girl Dead Body Found In One Room Four Boys In Police Custody - झारखंड: रामगढ़ में नाबालिग के शव मिलने से सनीसनी, परिजनों के आरोप पर चार लड़के हिरासत में
Minor Missing Girl Dead Body Found In One Room Four Boys In Police Custody – झारखंड: रामगढ़ में नाबालिग के शव मिलने से सनीसनी, परिजनों के आरोप पर चार लड़के हिरासत में
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रांची
Published by: प्रशांत कुमार झा
Updated Mon, 23 Aug 2021 11:35 AM IST
सार
परिजनों ने शनिवार को भुरकुंडा थाना में उसके गुमशुदगी का मामला दर्ज कराते हुए चार लड़कों पर उसे भगाने का आरोप लगाया गया।पुलिस मामले की पड़ताल करते हुए चार लड़कों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया
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झारखंड के रामगढ़ जिले के भुरकुंडा…
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राम गढ़ताल एरिया मैप, कमेटी, गोरखपुर, गोरखपुर न्यूज, जीडीए, जीडीए मीटिंग, ग्रीन सेस टैक्स, राम गढ़ताल, गोरखपुर पास करने पर ग्रीन सेस नहीं लगेगा। ब्रेकिंग न्यूज | कमेटी रिपोर्ट पर अतिरिक्त फीस पर फैसला करेगी। रामगढ़ क्षेत्र का नक्शा पास कराने पर कोई हरित उपकर नहीं लिया जाएगा।कमिटी की रिपोर्ट पर आयुक्त अतिरिक्त शुल्क पर निर्णय लेंगे।
राम गढ़ताल एरिया मैप, कमेटी, गोरखपुर, गोरखपुर न्यूज, जी��ीए, जीडीए मीटिंग, ग्रीन सेस टैक्स, राम गढ़ताल, गोरखपुर पास करने पर ग्रीन सेस नहीं लगेगा। ब्रेकिंग न्यूज | कमेटी रिपोर्ट पर अतिरिक्त फीस पर फैसला करेगी। रामगढ़ क्षेत्र का नक्शा पास कराने पर कोई हरित उपकर नहीं लिया जाएगा।कमिटी की रिपोर्ट पर आयुक्त अतिरिक्त शुल्क पर निर्णय लेंगे।
हिंदी समाचार
स्थानीय
उत्तर प्रदेश
ورکھپور
राम गढ़ताल क्षेत्र का नक्शा पास करने पर नहीं लगेगा ग्रीन सेस : कमेटी गोरखपुर, गोरखपुर समाचार, जीडीए, जीडीए की बैठक, ग्रीन सेस टैक्स करेगी
ورکھپورतीन घंटे पहले
प्रतिरूप जोड़ना
जीडीए अध्यक्ष और आयुक्त रवि कुमार एनजी की अध्यक्षता में हुई बैठक में 19 एजेंडा पर चर्चा हुई.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के रामगढ़ताल क्षेत्र में मानचित्रों की स्वीकृति के दौरान…
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होली 2021: क्यों किया जाता है होलिका दहन, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा
चैतन्य भारत न्यूज
होलिका दहन हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के दिन किया जाता है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक होलाष्टक होता है। यह पूरा समय होली के उत्सव का होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हम इसे क्यों मनाते हैं। होली का क्या महत्व है और इसे मनाए जाने के पीछे क्या वजह है। तो आइए जानते हैं इसके पीछे की रोचक पौराणिक कहानी।
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होली से जुड़ी पौराणिक कहानी
पौराणिक मान्यता के मुताबिक, दैत्यराज हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानता था, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के अलावा किसी की पूजा नहीं करता था। यह देख हिरण्यकश्यप काफी क्रोधित हुआ और उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए।
होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे आग से कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद आग से बच गया, जबकि होलिका आग में जलकर भस्म हो गई। उस दिन फाल्गुन मास की पुर्णिमा थी। इसी घटना की याद में होलिका दहन करने का विधान है। बाद में भगवान विष्णु ने लोगों को अत्याचार से निजात दिलाने के लिए नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया।
होलिका दहन का इतिहास
कहते हैं कि प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में मिले 16वीं शताब्दी के एक चित्र में होली पर्व का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा विंध्य पर्वतों के पास रामगढ़ में मिले ईसा से 300 साल पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना राक्षसी का वध किया था। इस खुशी में गोपियों ने उनके साथ होली खेली थी।
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Tomb Of Baba Chamiyal Near Indo Pakistan Border - कारगिल युद्ध में भी नहीं टला था ये मेला, इस मजार पर माथा टेकने के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं लोग
Tomb Of Baba Chamiyal Near Indo Pakistan Border – कारगिल युद्ध में भी नहीं टला था ये मेला, इस मजार पर माथा टेकने के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं लोग
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जम्मू
Updated Fri, 26 Jun 2020 01:25 PM IST
बाबा चमलियाल की मजार
– फोटो : अमर उजाला
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जम्मू संभाग में सांबा जिले के रामगढ़ सब सेक्टर में भारत-पाकिस्तान सीमा के नजदीक बाबा चमलियाल की मजार पर चादर चढ़ाकर मेले की रस्म पूरी की गई। इस दौरान स्थानीय लोगों…
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राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में मिले 242 गजराज, हरिद्वार रेंज में दिखे तीन टस्कर हाथी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हरिद्वार
Updated Tue, 09 Jun 2020 01:00 AM IST
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हरिद्वार में राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में दो दिन की गणना के बाद कुल 242 गजराज दिखाई दिए। दो दिन की इस गणना के आधार पर पार्क की चीला रेंज में सबसे ज्यादा तो कांसरो रेंज में एक भी हाथी दिखाई नहीं दिखा। अंतिम दिन पार्क और हरिद्वार वन प्रभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी देर रात तक हाथी गणना में जुटे रहे।
मंगलवार को पार्क प्रशासन और हरिद्वार वन प्रभाग की ओर से मिलान एवं पहचान के बाद हाथियों की प्रमाणिक संख्या जारी की जाएगी। राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के चीला वन्यजीव प्रतिपालक एलपी टम्टा ने बताया कि पार्क की चीला, गौहरी रेंज और रवासन यूनिटन में दो दिन की गणना के बाद कुल 120 हाथी दिखाई दिए।
यह भी पढ़ें : …अब पहाड़ भी चढ़ने लगे हाथी, राजाजी नेशनल पार्क से बेमुंडा के जंगल की पहाड़ियों तक पहुंचे गजराज
चीला रेंज में सबसे अधिक 80, रवासन में 37 और गौहरी रेंज में तीन हाथी दिखे। पार्क के हरिद्वार वन्यजीव प्रतिपालक कोमल सिंह ने बताया कि रामगढ़ रेंज में 53, मोतीचूर रेंज में 31, हरिद्वार एवं बेरिवाड़ा रेंज में 14-14 और धौलखंड रेंज में दो हाथी दिखाई दिए। कांसरों रेंज में एक भी हाथी नहीं दिखाई दिया। सोमवार को अंतिम दिन देर रात तक गणना जारी रही। मंगलवार को पार्क और हरिद्वार वन प्रभाग के मिलान के बाद हाथियों की प्रमाणिक संख्या जारी की जाएगी।
खास बात यह है कि पार्क की सभी रेंजों में दिखाई दिए कुल 242 हाथियों में से चीला और रामगढ़ रेंज में अकेले 133 हाथी दिखे। चीला और रामगढ़ रेंज में हाथियों की यह संख्या पार्क में दिखे कुल हाथियों की संख्या के आधे से भी अधिक है। हालांकि तीन दिन की पूर्ण हाथियों के गणना के बाद ही सही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
हरिद्वार रेंज में दिखे तीन टस्कर हाथी
हरिद्वार वन प्रभाग की हरिद्वार रेंज, श्यामपुर, रसियाबढ़, खानपुर और चिड़ियापुर रेंज में हाथी दिखाई दे रहे हैं। हरिद्वार रेंजर दिनेश नौडियाल ने बताया कि दो दिन की गणना में हरिद्वार रेंज में किशनपुर के पास खेर टापू पर तीन टस्कर हाथी दिखाई दिए। अन्य रेंजों में भी हाथी दिखाई दे रहे हैं।
सार
पार्क की चीला में सबसे ज्यादा तो कांसरो रेंज में नहीं दिखा एक भी हाथी
पार्क और वन विभाग में अंतिम दिन देर रात तक चलती रही हाथी की गणना
विस्तार
हरिद्वार में राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में दो दिन की गणना के बाद कुल 242 गजराज दिखाई दिए। दो दिन की इस गणना के आधार पर पार्क की चीला रेंज में सबसे ज्यादा तो कांसरो रेंज में एक भी हाथी दिखाई नहीं दिखा। अंतिम दिन पार्क और हरिद्वार वन प्रभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी देर रात तक हाथी गणना में जुटे रहे।
मंगलवार को पार्क प्रशासन और हरिद्वार वन प्रभाग की ओर से मिलान एवं पहचान के बाद हाथियों की प्रमाणिक संख्या जारी की जाएगी। राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के चीला वन्यजीव प्रतिपालक एलपी टम्टा ने बताया कि पार्क की चीला, गौहरी रेंज और रवासन यूनिटन में दो दिन की गणना के बाद कुल 120 हाथी दिखाई दिए।
यह भी पढ़ें : …अब पहाड़ भी चढ़ने लगे हाथी, राजाजी नेशनल पार्क से बेमुंडा के जंगल की पहाड़ियों तक पहुंचे गजराज
चीला रेंज में सबसे अधिक 80, रवासन में 37 और गौहरी रेंज में तीन हाथी दिखे। पार्क के हरिद्वार वन्यजीव प्रतिपालक कोमल सिंह ने बताया कि रामगढ़ रेंज में 53, मोतीचूर रेंज में 31, हरिद्वार एवं बेरिवाड़ा रेंज में 14-14 और धौलखंड रेंज में दो हाथी दिखाई दिए। कांसरों रेंज में एक भी हाथी नहीं दिखाई दिया। सोमवार को अंतिम दिन देर रात तक गणना जारी रही। मंगलवार को पार्क और हरिद्वार वन प्रभाग के मिलान के बाद हाथियों की प्रमाणिक संख्या जारी की जाएगी।
दो रेंज में ही पार्क के आधे से अधिक हाथी
खास बात यह है कि पार्क की सभी रेंजों में दिखाई दिए कुल 242 हाथियों में से चीला और रामगढ़ रेंज में अकेले 133 हाथी दिखे। चीला और रामगढ़ रेंज में हाथियों की यह संख्या पार्क में दिखे कुल हाथियों की संख्या के आधे से भी अधिक है। हालांकि तीन दिन की पूर्ण हाथियों के गणना के बाद ही सही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
हरिद्वार रेंज में दिखे तीन टस्कर हाथी
हरिद्वार वन प्रभाग की हरिद्वार रेंज, श्यामपुर, रसियाबढ़, खानपुर और चिड़ियापुर रेंज में हाथी दिखाई दे रहे हैं। हरिद्वार रेंजर दिनेश नौडियाल ने बताया कि दो दिन की गणना में हरिद्वार रेंज में किशनपुर के पास खेर टापू पर तीन टस्कर हाथी दिखाई दिए। अन्य रेंजों में भी हाथी दिखाई दे रहे हैं।
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दो रेंज में ही पार्क के आधे से अधिक हाथी
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झारखंड: छह साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या में तीन दोषी करार, कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा
झारखंड: छह साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या में तीन दोषी करार, कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रांची
Updated Tue, 03 Mar 2020 05:11 PM IST
झारखंड के दुमका जिले में छह साल की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के आरोप में पोक्सो कोर्ट ने तीन आरोपियों को मौत की सजा सुनाई है। मामला रामगढ़ प्रखंड का है, जहां विशेष न्यायाधीश तौफीकुल हसन की अदालत ने यह फैसला दिया है।
Dumka: A special Protection of Children from Sexual Offences (POCSO) court awarded capital…
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बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने कहा- जय श्रीराम बोलो वरना फूंक देंगे कार: पत्रकार का आरोप
बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने कहा- जय श्रीराम बोलो वरना फूंक देंगे कार: पत्रकार का आरोप
http://www.bharatmedia.in/hindi-news-story-3012
खबर के मुताबिक घटना 29 जून की है जब भगवा धारण किए हुए कुछ लोगों ने नेशनल हाईवे को जाम कर दिया था।
न्यूज चैनल NDTV इंडिया में काम करने वाले एक पत्रकार एम. अतहरउद्दीन मुन्ने भारती ने बजरंग दल कार्यकर्ताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पत्रकार एम. अतहरउद्दीन मुन्ने भारती ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ बिहार के वैशाली से अपनी मां के गांव समस्तीपुर जा रहे थे। पत्रकार ने दावा किया कि रास्ते में उनकी कार को रोका गया और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने “जय श्री राम” बोलने को मजबूर किया। बीबीसी में छपी खबर के मुताबिक घटना 29 जून की है जब भगवा धारण किए हुए कुछ लोगों ने नेशनल हाईवे को जाम कर दिया था।
पत्रकार ने दावा किया कि कार में बैठे उनके पिता की दाड़ी और पत्नी के नकाब को देख 4-5 बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उनकी कार को रोक लिया। वह अपने पिता और पत्नी के साथ बीमार मामा से मिलने जा रहे थे। भारती ने लिखा, ” जय श्री राम ना बोलने पर उन्होंने कार को आग लगाने की धमकी दी थी।” खतरे को भांपते हुए भारती और उनके परिवार ने इस आदेश का पालन किया। एम. अतहरउद्दीन मुन्ने भारती ने इसके बाद रास्ता बदलकर अपनी आगे की यात्रा शुरू की। उन्होंने ट्विटर पर नेशनल हाइवे की एक तस्वीर पोस्ट की और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को टैग करते हुए लिखा, “समसतीपुर के मारगन चौक पर बजरंग दल ने नेशनल हाईवे को रोका, मेरी कार को रोक कर कहा जय श्रीराम वरना कार फूँक देंगे, जान बचाकर वापस”
@NitishKumar समसतीपुर के मारगन चौक पर बजरंग दल ने नेशनल हाईवे को रोका, मेरी कार को रोक कर कहा जय श्रीराम वरना कार फूँक देंगे,जान बचाकर वापस pic.twitter.com/lXrBH7FIYO
— Munne Bharti (@munnebharti) June 28, 2017
बता दें कि यह घटना देश भर में भीड़ द्वारा निर्दोषों की हत्या के बढ़ रहे मामलों के बीच सामने आई है। बता दें कि 29 जून को स्वघोषित गो-रक्षकों द्वारा हिंसा पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि गौ-भक्ति के नाम पर लोगों की हत्या स्वीकार नहीं की जा सकती। मोदी के बयान वाले दिन ही झारखंड में बीफ के शक में एक शख्स की हत्या कर दी गई थी। घटना रामगढ़ जिले में हुई थी, जहां एक व्यक्ति को बीफ ले जाने के आरोप में पीट-पीटकर मार डाला गया था।
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J&K के सांबा में 20 मीटर लंबी सुरंग मिली, तीन महीने में BSF को दूसरी कामयाबी - दैनिक भास्कर
दैनिक भास्कर J&K के सांबा में 20 मीटर लंबी सुरंग मिली, तीन महीने में BSF को दूसरी कामयाबी दैनिक भास्कर कश्मीर के आरएसपुरा सेक्टर में पिछले साल मार्च में एक सुरंग का पता बीएसएफ ने लगाया था। - फाइल. जम्मू.जम्मू कश्मीर के सांबा जिले में बीएसएफ ने 20 मीटर लंबी सुरंग का पता लगाया है। माना जा रहा है कि इसका इस्तेमाल आतंकी भारत में घुसने के लिए करते थे। बीएसएफ डीआईजी धर्मेंद्र पारीक ने सुरंग मिलने की पुष्टि की है। ये सुरंग रामगढ़ सेक्टर में मिली है। बता दें कि पिछले साल दिसंबर और उसके पहले मार्च में भी इंटरनेशनल बॉर्डर पर सुरंग मिलने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। बीएसएफ की स्पेशल टीम ने इनका पता लगाया था। क्या है मामला... - न्यूज एजेंसी के मुताबिक, बीएसएफ की एंटी टनल एंड ... आतंकियों की घुसपैठ के लिए पाकिस्तान ले रहा है सुरंग का सहाराआज तक जम्मू के सांबा में BSF को इंटरनेशनल बॉर्डर पर मिली सुरंगOneindia Hindi भारत-पाक बॉर्डर पर मिली सुरंग, बीएसएफ कर रही है जांचABP News News18 इंडिया -Patrika -पंजाब केसरी -अमर उजाला सभी १० समाचार लेख » http://dlvr.it/NN1v2h
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होली 2020 : क्यों किया जाता है होलिका दहन, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा
चैतन्य भारत न्यूज
होलिका दहन हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के दिन किया जाता है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक होलाष्टक होता है। यह पूरा समय होली के उत्सव का होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हम इसे क्यों मनाते हैं। होली का क्या महत्व है और इसे मनाए जाने के पीछे क्या वजह है। तो आइए जानते हैं इसके पीछे की रोचक पौराणिक कहानी।
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होली से जुड़ी पौराणिक कहानी
पौराणिक मान्यता के मुताबिक, दैत्यराज हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानता था, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के अलावा किसी की पूजा नहीं करता था। यह देख हिरण्यकश्यप काफी क्रोधित हुआ और उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए।
होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे आग से कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद आग से बच गया, जबकि होलिका आग में जलकर भस्म हो गई। उस दिन फाल्गुन मास की पुर्णिमा थी। इसी घटना की याद में होलिका दहन करने का विधान है। बाद में भगवान विष्णु ने लोगों को अत्याचार से निजात दिलाने के लिए नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया।
होलिका दहन का इतिहास
कहते हैं कि प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में मिले 16वीं शताब्दी के एक चित्र में होली पर्व का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा विंध्य पर्वतों के पास रामगढ़ में मिले ईसा से 300 साल पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना राक्षसी का वध किया था। इस खुशी में गोपियों ने उनके साथ होली खेली थी।
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झारखंड चुनाव तीसरा चरण : कड़ी सुरक्षा के बीच 17 सीटों पर मतदान जारी, पूर्व मुख्यमंत्री मरांडी समेत 309 उम्मीदवार मैदान में
चैतन्य भारत न्यूज
रांची. झारखंड विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण का मतदान गुरुवार सुबह 7 बजे से शुरू हो चुका है। इस चरण में 17 सीटों पर 309 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा। इन प्रत्याशियों में 32 महिलाएं भी शामिल हैं। सुबह 9 बजे तक 13.05% वोटिंग हो चुकी है।
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राजधानी रांची में भी इसी चरण में मतदान हो रहा है। 17 में से पांच सीटों रांची, हटिया, कांके, रामगढ़ और बरकट्टा पर सुबह सात से शाम पांच बजे तक मतदान होगा, जबकि शेष 12 सीटों पर दोपहर तीन बजे मतदान संपन्न हो जाएगा। इस चरण में झाविमो प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो, मंत्री चंदेश्वर प्रसाद सिंह, शिक्षा मंत्री नीरा यादव समेत कई दिग्गजों की किस्मत जनता तय करेगी।
Preparations underway at a polling booth in St. Anne's School in Ranchi for the third phase of #JharkhandAssemblyPolls pic.twitter.com/jEqOR7DLmt
— ANI (@ANI) December 12, 2019
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
झारखंड में चुनाव के तीसरे चरण में शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष मतदान के लिए मतदान केंद्रों पर विशेष चौकसी बरती जा रही है। बता दें पहले और दूसरे चरण के मतदान के दौरान हिंसक झड़प को देखते हुए इस बार संवेदनशील इलाकों के मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों के साथ ही जिला पुलिस की भी तैनाती की गई है।
The third phase of Jharkhand polls will take place today.
Urging all those whose seats go to the polls today to vote in large numbers. I particularly urge my young friends to vote.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 12, 2019
मतदान के लिए पीएम मोदी की अपील
मतदान शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि, 'ज्यादा ज्यादा लोग मतदान के लिए जाए।' साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ने विशेष रूप युवाओं से मतदान के लिए अनुरोध किया।
#JharkhandAssemblyPolls: Voting underway at polling booth number 82 in Chatra. Polling in 17 constituencies in the state for the third phase of elections being held today. pic.twitter.com/Nn7yNFfM1I
— ANI (@ANI) December 12, 2019
इन सीटों पर हो रहा मतदान
तीसरे चरण के चुनाव में जिन सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं उनके नाम हैं- कोडरमा, बरकट्ठा, बरही, बड़कागांव, रामगढ़, मांडू, हजारीबाग, सिमरिया (एससी), धनवार, गोमिया, बेरमो, ईचागढ़, सिल्ली, खिजरी (एसटी), रांची, हटिया और कांके (एससी)।
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शहरों के नाम बदलने के दौर जारी, अब दिल्ली को 'ढिल्ली' और अलीगढ़ को 'हरिगढ़' किए जाने की मांग
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदलने के बाद आगरा का नाम बदलकर अग्रवन करने की कोशिशों में हैं। इस दौरान अलीगढ़ का नाम भी हरिगढ़ करने की आवाज तेज हो गई है। कई शहरों के नाम बदले जाने की कोशिशों के बीच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के प्रोफेसर इरफान हबीब ने कहा कि, नाम तो दिल्ली का भी बदला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, सरकार को दिल्ली का नाम बदलकर 'ढिल्ली' कर देना चाहिए, क्योंकि दिल्ली में खुदाई में मिले शिलालेखों में संस्कृत में यही नाम दर्ज है।
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प्रोफेसर इरफान हबीब ने कहा कि, योगी सरकार ने पहले इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया और अब आगरा का नाम बदलने के लिए आवाज उठ रही है। प्रोफेसर हबीब के मुताबिक, आगरा का अस्तित्व 16वीं शताब्दी से मिलता है। लोधी राजाओं ने ही आगरा का किला बनवाया था। इस किले का पुनर्निर्माण अकबर के कार्यकाल में हुआ। फिर शाहजहां के कार्यकाल में आगरा का नाम बदलकर अकबराबाद किया गया। शाहजहां ने न सिर्फ आगरा बल्कि पुरानी दिल्ली के नाम में भी परिवर्तन कर उसे शाहजहांनाबाद कर दिया। लेकिन पुराने दोनोंं नाम सभी की जुबान पर चढ़े हुए थे इसलिए ये दोनों नए नाम चल ही नहीं सके।
दिल्ली का भी नाम बदला जाए
प्रोफेसर हबीब का कहना है कि, किसी भी सरकार के लिए शहर का नाम बदलना कोई बड़ा काम नहीं है। लेकिन जब सभी जगहों का नाम बदला ही जा रहा है तो फिर राजधानी दिल्ली का नाम भी ढिल्ली कर देना चाहिए, क्योंकि खुदाई में मिले शिलालेखों (इंस्क्रप्शन) में संस्कृत में इसका नाम 'ढिल्ली' ही लिखा हुआ मिला है। वही कुछ इतिहासकारों का कहना है कि, दिल्ली के पहले मध्यकालीन नगर की स्थापना तोमरों द्वारा की गई थी, जो ढिल्ली या ढिल्लिका कही जाती थी। उन्होंने यह भी बताया कि, राजस्थान के उदयपुर जिले में बिजोलिया के 1170 ईस्वी के अभिलेखों में ढिल्लिका का नाम आता है। इसमें दिल्ली में चौहानों के अधिकार किए जाने का जिक्र है।
पहले ये थे अलीगढ़ के नाम
जानकारी के मुताबिक, 18वीं शताब्दी से पहले अलीगढ़ को कोल या कोइल नाम से भी जाना जाता था। प्राचीन ग्रंथों में कोल को पर्वत का नाम, किसी जगह का नाम, एक जनजाति या जाति और ऋषि या राक्षस का नाम माना जाता है। भारतीय सिविल सेवा में आयरिश वकील रह चुके एडविन फेलिक्स थॉमस एटकिंसन ने बताया था कि, बलराम ने जब कोल राक्षस का वध किया था, उसके बाद से ही इस शहर का नाम कोल पड़ गया था। साल 1194 में कुतबुद्दीन ऐबक ने हिसमउददीन उलबाक को कोल का पहला राज्यपाल बनाया था। 1524-25 के दौरान इब्राहिम लोधी के कार्यकाल में किले की नींव रखी गई। उस समय इस जगह को मुगलों की छोटी गढ़ी के तौर पर जाना जाता था। फिर मुहम्मद शाह के कार्यकाल में गवर्नर साबित खान ने किले का पुनर्निर्माण किया और शहर का नाम अपने नाम पर सब्तगढ़ रख लिया। 1753 में जाट शासक सूरजमल और मुस्लिम सेना ने कोइल के किले पर कब्जा कर लिया और फिर इस शहर का नाम रामगढ़ पड़ गया। अंत में शिया कमांडर नजाफ खान ने कोल पर कब्जा करके शहर का नाम अलीगढ़ रख दिया। तब से लेकर अब तक इस शहर का नाम अलीगढ़ ही है।
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राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में मिले 242 गजराज, हरिद्वार रेंज में दिखे तीन टस्कर हाथी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हरिद्वार
Updated Tue, 09 Jun 2020 01:00 AM IST
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हरिद्वार में राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में दो दिन की गणना ���े बाद कुल 242 गजराज दिखाई दिए। दो दिन की इस गणना के आधार पर पार्क की चीला रेंज में सबसे ज्यादा तो कांसरो रेंज में एक भी हाथी दिखाई नहीं दिखा। अंतिम दिन पार्क और हरिद्वार वन प्रभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी देर रात तक हाथी गणना में जुटे रहे।
मंगलवार को पार्क प्रशासन और हरिद्वार वन प्रभाग की ओर से मिलान एवं पहचान के बाद हाथियों की प्रमाणिक संख्या जारी की जाएगी। राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के चीला वन्यजीव प्रतिपालक एलपी टम्टा ने बताया कि पार्क की चीला, गौहरी रेंज और रवासन यूनिटन में दो दिन की गणना के बाद कुल 120 हाथी दिखाई दिए।
यह भी पढ़ें : …अब पहाड़ भी चढ़ने लगे हाथी, राजाजी नेशनल पार्क से बेमुंडा के जंगल की पहाड़ियों तक पहुंचे गजराज
चीला रेंज में सबसे अधिक 80, रवासन में 37 और गौहरी रेंज में तीन हाथी दिखे। पार्क के हरिद्वार वन्यजीव प्रतिपालक कोमल सिंह ने बताया कि रामगढ़ रेंज में 53, मोतीचूर रेंज में 31, हरिद्वार एवं बेरिवाड़ा रेंज में 14-14 और धौलखंड रेंज में दो हाथी दिखाई दिए। कांसरों रेंज में एक भी हाथी नहीं दिखाई दिया। सोमवार को अंतिम दिन देर रात तक गणना जारी रही। मंगलवार को पार्क और हरिद्वार वन प्रभाग के मिलान के बाद हाथियों की प्रमाणिक संख्या जारी की जाएगी।
खास बात यह है कि पार्क की सभी रेंजों में दिखाई दिए कुल 242 हाथियों में से चीला और रामगढ़ रेंज में अकेले 133 हाथी दिखे। चीला और रामगढ़ रेंज में हाथियों की यह संख्या पार्क में दिखे कुल हाथियों की संख्या के आधे से भी अधिक है। हालांकि तीन दिन की पूर्ण हाथियों के गणना के बाद ही सही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
हरिद्वार रेंज में दिखे तीन टस्कर हाथी
हरिद्वार वन प्रभाग की हरिद्वार रेंज, श्यामपुर, रसियाबढ़, खानपुर और चिड़ियापुर रेंज में हाथी दिखाई दे रहे हैं। हरिद्वार रेंजर दिनेश नौडियाल ने बताया कि दो दिन की गणना में हरिद्वार रेंज में किशनपुर के पास खेर टापू पर तीन टस्कर हाथी दिखाई दिए। अन्य रेंजों में भी हाथी दिखाई दे रहे हैं।
सार
पार्क की चीला में सबसे ज्यादा तो कांसरो रेंज में नहीं दिखा एक भी हाथी
पार्क और वन विभाग में अंतिम दिन देर रात तक चलती रही हाथी की गणना
विस्तार
हरिद्वार में राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में दो दिन की गणना के बाद कुल 242 गजराज दिखाई दिए। दो दिन की इस गणना के आधार पर पार्क की चीला रेंज में सबसे ज्यादा तो कांसरो रेंज में एक भी हाथी दिखाई नहीं दिखा। अंतिम दिन पार्क और हरिद्वार वन प्रभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी देर रात तक हाथी गणना में जुटे रहे।
मंगलवार को पार्क प्रशासन और हरिद्वार वन प्रभाग की ओर से मिलान एवं पहचान के बाद हाथियों की प्रमाणिक संख्या जारी की जाएगी। राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के चीला वन्यजीव प्रतिपालक एलपी टम्टा ने बताया कि पार्क की चीला, गौहरी रेंज और रवासन यूनिटन में दो दिन की गणना के बाद कुल 120 हाथी दिखाई दिए।
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चीला रेंज में सबसे अधिक 80, रवासन में 37 और गौहरी रेंज में तीन हाथी दिखे। पार्क के हरिद्वार वन्यजीव प्रतिपालक कोमल सिंह ने बताया कि रामगढ़ रेंज में 53, मोतीचूर रेंज में 31, हरिद्वार एवं बेरिवाड़ा रेंज में 14-14 और धौलखंड रेंज में दो हाथी दिखाई दिए। कांसरों रेंज में एक भी हाथी नहीं दिखाई दिया। सोमवार को अंतिम दिन देर रात तक गणना जारी रही। मंगलवार को पार्क और हरिद्वार वन प्रभाग के मिलान के बाद हाथियों की प्रमाणिक संख्या जारी की जाएगी।
दो रेंज में ही पार्क के आधे से अधिक हाथी
खास बात यह है कि पार्क की सभी रेंजों में दिखाई दिए कुल 242 हाथियों में से चीला और रामगढ़ रेंज में अकेले 133 हाथी दिखे। चीला और रामगढ़ रेंज में हाथियों की यह संख्या पार्क में दिखे कुल हाथियों की संख्या के आधे से भी अधिक है। हालांकि तीन दिन की पूर्ण हाथियों के गणना के बाद ही सही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
हरिद्वार रेंज में दिखे तीन टस्कर हाथी
हरिद्वार वन प्रभाग की हरिद्वार रेंज, श्यामपुर, रसियाबढ़, खानपुर और चिड़ियापुर रेंज में हाथी दिखाई दे रहे हैं। हरिद्वार रेंजर दिनेश नौडियाल ने बताया कि दो दिन की गणना में हरिद्वार रेंज में किशनपुर के पास खेर टापू पर तीन टस्कर हाथी दिखाई दिए। अन्य रेंजों में भी हाथी दिखाई दे रहे हैं।
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दो रेंज में ही पार्क के आधे से अधिक हाथी
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शहरों के नाम बदलने की मांग जारी, अब दिल्ली को 'ढिल्ली' और अलीगढ़ को 'हरिगढ़' किए जाने की मांग
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदलने के बाद आगरा का नाम बदलकर अग्रवन करने की कोशिशों में हैं। इस दौरान भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने अलीगढ़ का नाम भी हरिगढ़ करने की बात करना प्रांरभ कर दिया है। कई शहरों के नाम बदले जाने की कोशिशों के बीच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के प्रोफेसर इरफान हबीब ने कहा कि, नाम तो दिल्ली का भी बदला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, सरकार को दिल्ली का नाम बदलकर 'ढिल्ली' कर देना चाहिए, क्योंकि दिल्ली में खुदाई में मिले शिलालेखों में संस्कृत में यही नाम दर्ज है।
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प्रोफेसर इरफान हबीब ने कहा कि, योगी सरकार ने पहले इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया और अब आगरा का नाम बदलने के लिए आवाज उठ रही है। प्रोफेसर हबीब के मुताबिक, आगरा का अस्तित्व 16वीं शताब्दी से मिलता है। लोधी राजाओं ने ही आगरा का किला बनवाया था। इस किले का पुनर्निर्माण अकबर के कार्यकाल में हुआ। फिर शाहजहां के कार्यकाल में आगरा का नाम बदलकर अकबराबाद किया गया। शाहजहां ने न सिर्फ आगरा बल्कि पुरानी दिल्ली के नाम में भी परिवर्तन कर उसे शाहजहांनाबाद कर दिया। लेकिन पुराने दोनोंं नाम सभी की जुबान पर चढ़े हुए थे इसलिए ये दोनों नए नाम चल ही नहीं सके।
दिल्ली का भी नाम बदला जाए
प्रोफेसर हबीब का कहना है कि, किसी भी सरकार के लिए शहर का नाम बदलना कोई बड़ा काम नहीं है। लेकिन जब सभी जगहों का नाम बदला ही जा रहा है तो फिर राजधानी दिल्ली का नाम भी ढिल्ली कर देना चाहिए, क्योंकि खुदाई में मिले शिलालेखों (इंस्क्रप्शन) में संस्कृत में इसका नाम 'ढिल्ली' ही लिखा हुआ मिला है। वही कुछ इतिहासकारों का कहना है कि, दिल्ली के पहले मध्यकालीन नगर की स्थापना तोमरों द्वारा की गई थी, जो ढिल्ली या ढिल्लिका कही जाती थी। उन्होंने यह भी बताया कि, राजस्थान के उदयपुर जिले में बिजोलिया के 1170 ईस्वी के अभिलेखों में ढिल्लिका का नाम आता है। इसमें दिल्ली में चौहानों के अधिकार किए जाने का जिक्र है।
पहले ये थे अलीगढ़ के नाम
जानकारी के मुताबिक, 18वीं शताब्दी से पहले अलीगढ़ को कोल या कोइल नाम से भी जाना जाता था। प्राचीन ग्रंथों में कोल को पर्वत का नाम, किसी जगह का नाम, एक जनजाति या जाति और ऋषि या राक्षस का नाम माना जाता है। भारतीय सिविल सेवा में आयरिश वकील रह चुके एडविन फेलिक्स थॉमस एटकिंसन ने बताया था कि, बलराम ने जब कोल राक्षस का वध किया था, उसके बाद से ही इस शहर का नाम कोल पड़ गया था। साल 1194 में कुतबुद्दीन ऐबक ने हिसमउददीन उलबाक को कोल का पहला राज्यपाल बनाया था। 1524-25 के दौरान इब्राहिम लोधी के कार्यकाल में किले की नींव रखी गई। उस समय इस जगह को मुगलों की छोटी गढ़ी के तौर पर जाना जाता था। फिर मुहम्मद शाह के कार्यकाल में गवर्नर साबित खान ने किले का पुनर्निर्माण किया और शहर का नाम अपने नाम पर सब्तगढ़ रख लिया। 1753 में जाट शासक सूरजमल और मुस्लिम सेना ने कोइल के किले पर कब्जा कर लिया और फिर इस शहर का नाम रामगढ़ पड़ गया। अंत में शिया कमांडर नजाफ खान ने कोल पर कब्जा करके शहर का नाम अलीगढ़ रख दिया। तब से लेकर अब तक इस शहर का नाम अलीगढ़ ही है।
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शहरों के नाम बदलने के दौर जारी, अब दिल्ली को 'ढिल्ली' और अलीगढ़ को 'हरिगढ़' किए जाने की मांग
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नई दिल्ली. उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदलने के बाद आगरा का नाम बदलकर अग्रवन करने की कोशिशों में हैं। इस दौरान अलीगढ़ का नाम भी हरिगढ़ करने की आवाज तेज हो गई है। कई शहरों के नाम बदले जाने की कोशिशों के बीच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के प्रोफेसर इरफान हबीब ने कहा कि, नाम तो दिल्ली का भी बदला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, सरकार को दिल्ली का नाम बदलकर 'ढिल्ली' कर देना चाहिए, क्योंकि दिल्ली में खुदाई में मिले शिलालेखों में संस्कृत में यही नाम दर्ज है।
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प्रोफेसर इरफान हबीब ने कहा कि, योगी सरकार ने पहले इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया और अब आगरा का नाम बदलने के लिए आवाज उठ रही है। प्रोफेसर हबीब के मुताबिक, आगरा का अस्तित्व 16वीं शताब्दी से मिलता है। लोधी राजाओं ने ही आगरा का किला बनवाया था। इस किले का पुनर्निर्माण अकबर के कार्यकाल में हुआ। फिर शाहजहां के कार्यकाल में आगरा का नाम बदलकर अकबराबाद किया गया। शाहजहां ने न सिर्फ आगरा बल्कि पुरानी दिल्ली के नाम में भी परिवर्तन कर उसे शाहजहांनाबाद कर दिया। लेकिन पुराने दोनोंं नाम सभी की जुबान पर चढ़े हुए थे इसलिए ये दोनों नए नाम चल ही नहीं सके।
दिल्ली का भी नाम बदला जाए
प्रोफेसर हबीब का कहना है कि, किसी भी सरकार के लिए शहर का नाम बदलना कोई बड़ा काम नहीं है। लेकिन जब सभी जगहों का नाम बदला ही जा रहा है तो फिर राजधानी दिल्ली का नाम भी ढिल्ली कर देना चाहिए, क्योंकि खुदाई में मिले शिलालेखों (इंस्क्रप्शन) में संस्कृत में इसका नाम 'ढिल्ली' ही लिखा हुआ मिला है। वही कुछ इतिहासकारों का कहना है कि, दिल्ली के पहले मध्यकालीन नगर की स्थापना तोमरों द्वारा की गई थी, जो ढिल्ली या ढिल्लिका कही जाती थी। उन्होंने यह भी बताया कि, राजस्थान के उदयपुर जिले में बिजोलिया के 1170 ईस्वी के अभिलेखों में ढिल्लिका का नाम आता है। इसमें दिल्ली में चौहानों के अधिकार किए जाने का जिक्र है।
पहले ये थे अलीगढ़ के नाम
जानकारी के मुताबिक, 18वीं शताब्दी से पहले अलीगढ़ को कोल या कोइल नाम से भी जाना जाता था। प्राचीन ग्रंथों में कोल को पर्वत का नाम, किसी जगह का नाम, एक जनजाति या जाति और ऋषि या राक्षस का नाम माना जाता है। भारतीय सिविल सेवा में आयरिश वकील रह चुके एडविन फेलिक्स थॉमस एटकिंसन ने बताया था कि, बलराम ने जब कोल राक्षस का वध किया था, उसके बाद से ही इस शहर का नाम कोल पड़ गया था। साल 1194 में कुतबुद्दीन ऐबक ने हिसमउददीन उलबाक को कोल का पहला राज्यपाल बनाया था। 1524-25 के दौरान इब्राहिम लोधी के कार्यकाल में किले की नींव रखी गई। उस समय इस जगह को मुगलों की छोटी गढ़ी के तौर पर जाना जाता था। फिर मुहम्मद शाह के कार्यकाल में गवर्नर साबित खान ने किले का पुनर्निर्माण किया और शहर का नाम अपने नाम पर सब्तगढ़ रख लिया। 1753 में जाट शासक सूरजमल और मुस्लिम सेना ने कोइल के किले पर कब्जा कर लिया और फिर इस शहर का नाम रामगढ़ पड़ गया। अंत में शिया कमांडर नजाफ खान ने कोल पर कब्जा करके शहर का नाम अलीगढ़ रख दिया। तब से लेकर अब तक इस शहर का नाम अलीगढ़ ही है।
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