सांस लेने में हो रही है परेशानी, हो सकता है इस बीमारी का लक्षण, जानिए कारण और बचाव के तरीके
सांस लेने में हो रही है परेशानी, हो सकती है इस बीमारी का लक्षणImage Credit source: boonchai wedmakawand/Getty Images
आज के अनहेल्दी लाइफस्टाइल और प्रदूषण भरे वातावरण में रहने की मजबूरी सांस से संबंधित कई बीमारियों का खतरा बढ़ा रही हैं. इन्हीं में से एक है एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम जिसमें मरीज को सांस लेने में परेशानी से लेकर कई अन्य तरह के लक्षण दिखाई देते हैं. ये सिंड्रोम आपके लंग्स…
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फेंफडे की गंभीर बीमारी से जूझते एलन के दिव्यांश बने नीट टॉपर
सैनिक पुत्र को एलन कोटा में मिला हौसला, नीट में 720 मार्क्स के साथ AIR-1
न्यूजवेव @कोटा
हौसला मजबूत हो तो राह की बाधायें खुद राह दिखाने लगती हैं। एलन क्लासरूम छात्र दिव्यांश ने फेफडों की गंभीर बीमारी न्यूमोथौरेक्स से संघर्ष करते हुये नीट-यूजी 2024 में एआईआर-1 हासिल की। उसका परिवार हरियाणा के चरखी दादरी में है। पापा जितेन्द्र सेना में नायब सूबेदार और मां मुकेश देवी गृहिणी हैं, चाचा भी सेना में हैं। उनको देख वह भी सेना में जाना चाहता था। उसने एनडीए की इच्छा जताई तो पिता ने कहा कि परिवार के लोग देश सेवा में हैं। मैं चाहता हूं तुम डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करो। उसने तैयारी का मन बनाकर 15 जून 2023 को एलन कोटा में एडमिशन लिया।
दिव्यांश ने बताया कि यहां कॉम्पिटिशन बहुत था लेकिन मैंने टीचर्स की गाइडेंस को फॉलो किया। मेरे पहले माइनर टेस्ट में 720 में से 720 मार्क्स आए, जिससे आत्मविश्वास दोगुना हो गया। टीचर्स ने बताया कि मोबाइल से मन भटकता है। इसलिए स्मार्ट फोन की जगह कीपैड वाला फोन इस्तेमाल किया। सोशल मीडिया से दूरी रखी। कोटा आने पर जुलाई 2023 में मुझे सांस लेने में प्रॉब्लम होने लगी। जांच में पता चला कि मुझे न्यूमोथौरेक्स है। इस बीमारी में लंग्स फट जाते हैं। मेरा एक साइड का फेफड़ा फट गया था और एक ही फेफड़े से सांस लेता था। एक सप्ताह तक हॉस्पिटल में भर्ती रहा। इस दौरान एलन फैकल्टी ने मोटिवेट किया। मैं घर आकर माइनर टेस्ट की तैयारी में जुट गया। एक सप्ताह हॉस्पिटल में खराब हुआ था। मैंने 720 में से 686 स्कोर हासिल किया।
इलाज के लिए चंडीगढ़-दिल्ली गया
उसने बताया कि दूसरे माइनर टेस्ट के अगले दिन फिर बीमार हुआ। पापा मुझे आर्मी हॉस्पिटल चंडीगढ़ लेकर गए। वहां दो सप्ताह भर्ती रहा लेकिन, आराम नहीं आया। इसके बाद दिल्ली लेकर गए। वहां भी दो सप्ताह तक रहा। मैं 1 जुलाई को बीमार हुआ था और कोटा, चंडीगढ व दिल्ली में इलाज कराने के बाद सितंबर में वापिस कोटा आया।
न्यूरोथौरेक्स खत्म हुआ तो डेंगू हुआ
दिव्यांश ने बताया कि तीन माह इलाज लेकर पढ़ाई करने कोटा आया तो आते ही डेंगू हो गया। एक सप्ताह उससे जूझता रहा। मैं ठीक हुआ तो मम्मी को डेंगू हो गया। उनकी देखभाल की। रोजाना हॉस्पिटल खाना देने जाता था। मैं 15 सितंबर को वापिस कोचिंग गया। इतना समय निकल गया कि मेरी उम्मीद खत्म हो गई थी लेकिन टीचर्स ने सपोर्ट किया। एक बार फिर जीरो से शुरुआत की। करीब 10-15 दिन मुझे समझने में लगे। दूसरे स्टूडेंट्स तो सिलेबस में काफी आगे निकल चुके थे लेकिन मैंने उन पर ध्यान देने की जगह खुद पर विश्वास रखा और टीचर्स को फॉलो किया।
पढ़ा हुआ भूल गए तो क्या डॉक्टर बनना...
5 मई 2024 को नीट का एग्जाम था और 2 मई को मेरा नीट का सिलेबस पूरा हुआ था। दो दिन बचे थे। मैंने टीचर्स की बात मानी और 3 व 4 मई को बिल्कुल पढ़ाई नहीं की। हालांकि मन में आता था कि रिवीजन कर लूं, कही सब कुछ भूल नहीं जाऊं। फिर मन में आया कि ‘तीन दिन में पढ़ा हुआ भूल गया तो फिर क्या डॉक्टर बनना...’ आराम से फुटबॉल खेली। 5 मई को यही सोचकर पेपर देने गया कि जितने मार्क्स आएंगे, भगवान की दया से बहुत हैं। मेहनत जारी रखी तो मुझ पर ईश्वर की कृपा बरसी।
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Healthy Food For Heart: दिल को स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए अपनी डायट में शामिल करें ये फूड्स, नहीं होगा हार्ट अटैक का खतरा
Healthy Food For Heart: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में कम उम्र में ज्यादातर लोगों को दिल की बीमारी (Heart Diseases) से लेकर हार्ट अटैक जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. आज भारत में दिल से जुड़ी बीमारियों और हार्ट अटैक (Heart Attack) का खतरा लोगों में बहुत अधिक देखा जा रहा है.
हार्ट अटैक एक गंभीर समस्या बन गई है, जिसमें ध्यान न देने पर व्यक्ति की जान भी जा सकती है. वहीं, गलत खान-पान, मोटापा, हाई बीपी, डायबिटीज (Diabetes) , स्ट्रेस या डिप्रेशन जैसी अन्य समस्याओं की वजह से लोगों में हार्ट अटैक का खतरा सबसे बढ़ जाता है. लेकिन आप अपनी डाइट में हेल्दी फूड्स (Healthy Foods) को शामिल करके हार्ट अटैक और दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम कर सकते है. तो आइए जानते है इन फूड्स के बारे में.
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ओमेगा 3 (Omega 3)
ओमेगा 3 एक तरह का गुड फैट होता है जो फिश और फ्लैक्स सीड्स में सबसे ज्यादा पाया जाता है. ओमेगा 3 सोयबीन और उसके ऑयल के साथ साथ कनोला ऑयल में भी होता है. ओमेगा 3 हमारे दिल के अलावा लंग्स को भी स्वस्थ्य रखता है.
फाइबर (Fiber)
फाइबर हमारी बॉडी से LDL (Low Density Lipoprotein) को कम करता है. LDL बैड कोलेस्ट्रोल के नाम से भी जाना जाता है जो हेल्दी हार्ट के लिये बढ़ा हुआ नहीं होना चाहिये . फाइबर के लिये चोकर वाली या मल्टी ग्रेन आटे की रोटी खायें. इसके दालें, चना, पेयर फ्रूट , चिया सीड्स और बादाम में खूब पाया जाता है.
विटामिन (Vitamins)
विटामिन B के लिये मिल्क प्रोडक्ट, पनीर चीज खायें. विटामिन A पालक, गाजर, शकरक���द में पायी जाती है. विटामिन C खट्टे फल जैसे संतरा, नींबू , मौसमी में होता है, विटामिन D दूध, सीरियल और फिश में होता है. विटामिन E साबुत अनाज, पत्तेदार सब्जियों, ड्राईफ्रूट्स में होता है.
फाइटोकैमिकल (Phytochemical)
हमें खाने में कलरफुल सब्जियां और फल खाने चाहिये. रुटीन में लाल और पीली शिमला मिर्च, ब्रोकली, बीटरूट, बैंगन, गाजर सब खाने में शामिल करना चाहिये . कलरफुल सब्जी और फ्रूट्स खाने से इम्यून बढ़ता है और ये डैमेज सेल्स को सही करता है. ये कैंसर वाली सेल्स को भी कम करता है.
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पत्रकार शिवकुमार सोनी की जीवनसंगिनी लक्ष्मी देवी को श्रद्धांजलि
पत्रकार शिवकुमार सोनी की जीवनसंगिनी लक्ष्मी देवी को श्रद्धांजलि
वरिष्ठ पत्रकार एवं जनसंपर्ककर्मी पत्रकार शिवकुमार सोनी की जीवनसंगिनी लक्ष्मी देवी सोनी का स्वर्गवास शुक्रवार को हो गया। श्रीमती लक्ष्मी के पार्थिव देह की अन्त्येष्टि शुक्रवार को ही मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार मुक्तिधाम में किया गया। अनेक गणमान्यो, मीडियाकर्मियों स्वर्णकार समाज द्वारा उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गई।स्व.सोनी फैफडो में सिकुड़न (फाइब्रोसिस) , पल्मोनरी लंग्स यानी फैफडो की असाध्य बीमारी के…
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साउथ एक्ट्रेस मीना पर टूटा दुखों का पहाड़, पति का हुआ निधन, कोरोना से बिगड़ी थी तबीयत
साउथ एक्ट्रेस मीना पर टूटा दुखों का पहाड़, पति का हुआ निधन, कोरोना से बिगड़ी थी तबीयत
Image Source : INDIA TV
Meena’s husband Vidyasagar passed away
आज साउथ फिल्म इंडस्ट्री से एक बेहद दुखद घटना सामने आई है। दरअसल, साउथ की मशहूर अभिनेत्री मीना के पति विद्यासागर का आज निधन हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था। मीना के पति विद्या सागर लंबे समय से फेफड़े की बीमारी से जूझ रहे थे, वहीं कोरोना की चपेट में आने की वजह से उनकी हालत और नाजुक हो गई और महज 48…
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मूलाधार चक्र। चक्रो में सबसे पहले मूलाधार चक्र का आता है मूलाधार चक्र के खराब होने से मुख्यता प्रोस्टेट,गठिया,वेरिकोज वेन,कूल्हे की समस्या,घुटनों में समस्या,खाना अच्छा न लगना,लूज मोशन या कब्ज की समस्या,बवासीर आदि है। दूसरा चक्र है सेक्रल चक्र। सक्रेल चक्र के खराब होने से निम्न बीमारी होती है। हर्निया,आतों की दिक्कत,महिलाओं में मासिक धर्म,खून की कमी,नपुंसकता,गुर्दे की समस्या,मूत्र संबंधि रोग आदि। तीसरा चक्र है मणिपुर चक्र। मणिपुर चक्र के खराब होने से निम्न बीमारी होती है। लीवर सिरोसिस,फैटी लीवर,शुगर,किडनी संबंधित समस्या,पाचन संबंधी समस्या,पेट में गैस,अल्सर आदि। चौथा चक्र है हार्ट चक्र। हार्ट चक्र के खराब होने से ह्रदय की बीमारी,बी पी हाई या लौ होना,लंग्स में दिक्कत,स्तन कैंसर,छाती में दर्द, रक्षाप्रणाली में विकार आदि। पांचवा चक्र है थ्रोट चक्र। थ्रोट चक्र के खराब होने से मुख्यतः निम्न बीमारी होती है। थ्योरोइड,जुकाम,बुखार,मुँह,जबड़ा,जिव्हा,कंधा और गर्दन,हार्मोन राजोवृति आदि। छटा चक्र है थर्ड ऑय। चक्र थर्ड ऑय चक्र के खराब होने से निम्न बीमारी होती हैं। आँख,कान,नाक हार्मोन्स की प्रोब्लम,सिर दर्द,अनिंद्रा, आधे सिर में दर्द आदि। सातवाँ चक्र है क्राउन चक्र क्राउन चक्र के खराब होने से निम्न बीमारी होती है। मानसिक रोग,नाडी रोग,मिर्गी,अधरंग,लकवा,सिर दर्द, हाथ पैरों का सुन्न होना। https://www.instagram.com/p/CYD7EpglRAb/?utm_medium=tumblr
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Corona Death: कोरोना से मरने वाले लोगों के परिजनों को चार लाख का मुआवजा देगी केंद्र सरकार, जानिए क्या है मामला Divya Sandesh
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Corona Death: कोरोना से मरने वाले लोगों के परिजनों को चार लाख का मुआवजा देगी केंद्र सरकार, जानिए क्या है मामला
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया (SCI) ने सोमवार को केंद्र सरकार से उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें देश में कोरोना संक्रमण (Covid Infection) से मरने वाले लोगों के परिजनों को ₹4,00,000 का मुआवजा देने की मांग की गई है। देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने दो अलग-अलग याचिका पर सुनवा�� करते हुए यह जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दायर की गई याचिका में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट (DMA), 2005 के हिसाब से कोरोना संक्रमण से मरने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की गई है।
इसके साथ ही डेथ सर्टिफिकेट जारी करने के लिए एक यूनिफॉर्म पॉलिसी बनाने की मांग की गई है। केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल 2015 को डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के प्रावधानों के हिसाब से किसी राष्ट्रीय आपदा की स्थिति में मरने वाले लोगों के परिजनों को ₹4,00,000 मुआवजा देने के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया था।
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सरकार के नियम का हवाला
पिछले करीब 15 महीने से भारत कोरोना के गंभीर संकट (Covid crisis) का सामना कर रहा है। केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी को डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट (DMA) के तहत राष्ट्रीय आपदा (national disaster) घोषित कर दिया है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि कोरोना संक्रमण (Covid Infection) की वजह से मरने वाले लोगों के परिजनों को सरकार द्वारा निर्धारित मुआवजा दिया जाए।
कितना खर्च आएगा?
भारत में कोरोना संक्रमण की वजह से मरने वाले लोगों की संख्या तीन लाख को पार कर चुकी है। इस हिसाब से अगर सरकार आपदा कानून (DMA) 2005 के प्रावधानों पर अमल करती है और मृतकों के परिजनों को मुआवजा देती है तो उसे नेशनल एवं स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड (SDRF) से 12,000 करोड़ रुपये की रकम देनी पड़ेगी।
क्या आ सकती है दिक्कत?
देश में कोरोना संक्रमण (Covid Infection) की वजह से भले ही 3,00,000 से अधिक लोगों की जान चली गई हो लेकिन डेथ सर्टिफिकेट में आमतौर पर हार्ट अटैक, लंग्स प्रॉब्लम या अन्य बीमारियों का ही जिक्र किया जाता है। इसकी वजह से कोरोना की वजह से मरने वाले लोगों के परिजन भी इस मुआवजे का दावा नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या कोरोनावायरस डेथ सर्टिफिकेट जारी करने में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के गाइडलाइन्स की मदद ली जा रही है?
ICMR की गाइडलाइंस
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इनफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च (NSDIR) ने पिछले साल कोविड-19 की वजह से होने वाली मौत को लेकर एक गाइडलाइंस जारी की थी। इस गाइडलाइंस में कहा गया था अगर मरीज को पहले से कोई और गंभीर बीमारी हो तो कोरोना संक्रमण होने की वजह से सांस लेने की समस्या पैदा हो सकती है। इसके साथ ही मरीजों को और गंभीर स्थिति से गुजरना पड़ सकता है। इसकी वजह से उनमें कोविड-19 वाले लक्षण बढ़ सकते हैं। इस वजह से होने वाली मौत को कोरोनावायरस से मौत नहीं माना जा सकता क्योंकि उसमें सीधे महामारी का असर नहीं है।
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1.किस सरकार ने ‘मो सरकार’ अभियान लांच किया है?–[ओडिशा ]
2.मोंट्रिक्स रिकॉर्ड किसका रजिस्टर है?–[मानव जनित गतिविधियों के तहत खतरे में जलीय स्थान]
3 .निम्नलिखित में कौन सी बीमारी से कोयले की खान में काम करने वाले मजदूरों की उम्र कम हो जाती है और उस बीमारी को ब्लैक लंग्स बीमारी कहा जाता…
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RJD सुप्रीमो लालू यादव की बिगड़ी तबीयत, सांस लेने में हो रही दिक्कत; रिम्स में डॉक्टर कर रहे इलाज
RJD सुप्रीमो लालू यादव की बिगड़ी तबीयत, सांस लेने में हो रही दिक्कत; रिम्स में डॉक्टर कर रहे इलाज
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के फेफड़ों में संक्रमण की शिकायत मिली है। उनकी हालत फिलहाल स्थिर है। रांची के रिम्स अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा है। संस्थान के निदेशक डा. कामेश्वर प्रसाद का कहना है कि यह एक तरह का निमोनिया है। एम्स के लंग्स डिपार्टमेंट से उनकी बीमारी पर सलाह ली गई है। उनकी कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आई है। आरटी-पीसीआर रिपोर्ट के शुक्रवार तक आने की संभावना है।
चारा घोटाले में सजा…
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कायम की मिसाल: 44 साल की लीसिया लंग्स डिसीज के मरीजों को फ्री जनरेटर उपलब्ध कराती हैं, अपने 3 महीने के बेटे की परवरिश के साथ करती हैं ये नेक काम
कायम की मिसाल: 44 साल की लीसिया लंग्स डिसीज के मरीजों को फ्री जनरेटर उपलब्ध कराती हैं, अपने 3 महीने के बेटे की परवरिश के साथ करती हैं ये नेक काम
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लीसिया लित्व्नोवा का फोन लगातार बजता है। वह एक हाथ में अपने तीन महीने को बेटे को पकड़े रखती है तो दूसरे हाथ से कोरोना वायरस पेशेंट्स के रिश्तेदारों के फोन अटैंड करती हैं जो उनसे ऑक्सीजन जनरेटर की मांग कर रहे हैं। लीसिया यूक्रेन में 'ऑवर्स' के नाम से एक चैरिटी चलाती हैं। इसके माध्यम से वे सांस की बीमारी से जूझ पेशेंट और कोरोना मरीजों को फ्री जनरेटर उपलब्ध कराती हैं। यूक्रेन में कोरोना…
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ब्लैक और व्हाइट फंगस का इलाज मौजूद , लेकिन सर्तकता जरूरी : विशेषज्ञ Divya Sandesh
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ब्लैक और व्हाइट फंगस का इलाज मौजूद , लेकिन सर्तकता जरूरी : विशेषज्ञ
लखनऊ। कोरोना संक्रमण के बीच ब्लैक और व्हाइट फंगस की दस्तक लोगों को बेचैन कर रही है। इस बीमारी से आम लोग परेशानी और चिंता में आ गये हैं। डाक्टरों की मानें तो ब्लैक फंगस दिल, नाक और आंख को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। फेफड़ों पर भी इसका असर है। जबकि व्हाइट फंगस फेफड़ों को इसके मुकाबले ज्यादा नुकसान देता है। हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्लैक और व्हाइट फंगस का इलाज पूरी तरह से मौजूद है। बस इसमें सर्तक रहने की जरूरत है। पूर्वांचल के मऊ इलाके में व्हाइट फंगस के केस मिलने से लोगों में चिंता है। इसे लेकर हर जगह के स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट किया गया है। यह कोरोना से मिलते-जुलते लक्षणों के वाली बीमारी बताई जा रही है। व्हाइट फंगस फेफड़ों को संक्रमित कर उसे डैमेज कर देता है और सांस फूलने की वजह से मरीज कोरोना की जांच कराता रह जाता है। छाती की एचआरसीटी और बलगम के कल्चर से इस बीमारी का पता चलता है।
केजीएमयू की रेस्पेटरी मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. ज्योति बाजपेई ने बताया, ” फंगस सिर्फ फंगस होता है। न तो वह सफेद होता न ही काला होता है। म्यूकरमाइकिस एक फंगल इन्फेक्शन है। यह काला दिखाई पड़ने के कारण इसका नाम ब्लैक फंगस दे दिया गया है। काला चकत्ता पड़ने इसका नाम ब्लैक फंगस पड़ जाता है। मेडिकल लिटरेचर में व्हाइट और ब्लैक फंगस कुछ नहीं है। यह अलग क्लास होती है। यह लोगों को समझने के लिए ब्लैक एंड व्हाइट का नाम दिया गया है। व्हाइट फंगस कैडेंडियासिस (कैंडिडा) आंख, नांक, गला को कम प्रभावित करता है। यह सीधे फेफड़ो को प्रभावित करता है।”
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छाती की एचआरसीटी और बलगम के कल्चर से इस बीमारी का पता चलता है। लंग्स में कोरोना की तरह धब्बे मिलते हैं। पहली लहर में इन दोंनों का कोई खासा प्रभाव नहीं दिखा है। दूसरी लहर में वायरस का वैरिएंट बदला है। इस बार की लहर के चपेट में खासकर युवा आए। यह कम दिनों में बहुत तीव्र गति से बढ़ा है। इसके कारण लोगों को लंबे समय तक अस्पतालों में रहना पड़ा है। इसके अलावा स्टेरॉयड का काफी इस्तेमाल करना पड़ा है। शुगर के रोगी भी ज्यादा इसकी चपेट में आए हैं।
उन्होंने बताया, ” आक्सीजन की पाइपलाइन व ह्यूमिडीफायर साफ हो। शुगर नियंत्रित रखें। फेफड़ों में पहुंचने वाली आक्सीजन शुद्ध व फंगसमुक्त हो। इसे लेकर सर्तक रहें बल्कि पेनिक नहीं होना चाहिए। ब्लैक फंगल इंफेक्शन से वे लोग संक्रमित हो रहे हैं, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, जो पहले से किसी गंभीर बीमारी के शिकार हैं, जैसे डायबिटीज या फिर स्टेरॉयड्स का इस्तेमाल किया है। जिन लोगों को उच्च ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ी, इनमें भी इस बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है। चलता फिरता मरीज ब्लैक फंगस से पीड़ित नहीं होता है। स्टेराइड सही मात्रा में सही समय दिए जाने ब्लैक फंगस का कोई खतरा नहीं है। ब्लैक फंगस में 50 से 80 प्रतिशत मृत्युदर के चांस है। व्हाइट फंगस का अभी कोई मृत्युदर का रिकार्ड नहीं है। ब्लैक फंगस इम्युनिटी कम होंने पर तुरंत फैल जाता है। ब्लैक फंगस नई बीमारी नहीं है। इसका इलाज मौजूद है। एंटी फंगल दवांए इसमें प्रयोग हो रही है। इसमें मेडिकल और सर्जिकल दोंनों थेरेपी में इसका इलाज संभव है।
–आईएएनएस
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Sanjay Dutt Cancer Free Now | 61 साल के संजय दत्त का कैंसर ठीक हुआ, 2 महीने पहले चौथी स्टेज का पता चला था
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Sanjay Dutt Cancer Free Now | 61 साल के संजय दत्त का कैंसर ठीक हुआ, 2 महीने पहले चौथी स्टेज का पता चला था
6 मिनट पहलेलेखक: अमित कर्ण
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अगस्त में संजय दत्त को लंग्स कैंसर होने का पता चला था। उन्होंने कहा था कि कैंसर को जल्द हरा देंगे।- फाइल फोटो।
संजय के दोस्त ने दैनिक भास्कर को बताया
सोमवार को एक्टर का पीईटी स्कैन हुआ
एक्टर संजय दत्त का कैंसर ठीक हो गया है। उनके करीबी दोस्त और ट्रेड एनालिस्ट राज बंसल ने यह जानकारी दी। दैनिक भास्कर को कोकिलाबेन अस्पताल के सूत्रों ने भी इस बारे में बताया। शाम तक संजय दत्त और उनकी पत्नी मान्यता भी ऑफिशियली डिक्लेयर कर सकती हैं।
सोमवार को 61 साल के संजू की पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) रिपोर्ट सामने आई, जिसमें वे कैंसर फ्री पाए गए। पीईटी स्कैन कैंसर की सबसे ऑथेंटिक जांच मानी जाती है, उसमें पता चल जाता है कि पीड़ित की कैंसर सेल्स की क्या हालत है।
हॉस्पिटल से जुड़े सूत्रों ने क्या कहा?
“कैंसर सेल्स में दूसरी सेल्स की तुलना में मेटाबोलिक रेट ज्यादा होती है। केमिकल एक्टिविटी के इस हाई लेवल की वजह से कैंसर सेल्स पीईटी स्कैन पर चमकीले धब्बों के रूप में दिखाई देती हैं। इस वजह से पीईटी स्कैन कैंसर का पता लगाने के लिए उपयोगी तो है ही, साथ ही यह पता भी चल पाता है कि कैंसर शरीर में कितना फैल चुका है।”
संजय ने पिछले दिनों कहा था- मैं इसे हरा दूंगा
पिछले दिनों संजय दत्त ने एक वीडियो में पहली बार अपनी बीमारी के बारे में बात की थी। सेलिब्रिटी हेयर स्टाइलिस्ट अलीम हाकिम ने अपने सोशल मीडिया पेज पर संजय दत्त का वीडियो शेयर किया था। इसमें संजय दत्त ने अलीम से सबका इंट्रोडक्शन कराया था और फिर अपने माथे पर आया निशान दिखाते हुए कहा था, “अगर आप यह देखें तो पाएंगे कि यह मेरी जिंदगी का हालिया निशान है, लेकिन मैं इसे हरा दूंगा। मैं कैंसर से जल्दी ही मुक्त हो जाऊंगा।”
11 अगस्त को कैंसर की बात सामने आई थी
संजय दत्त 8 अगस्त को सांस लेने में तकलीफ होने के बाद लीलावती हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे, जहां उनके कुछ टेस्ट हुए थे। इसके 3 दिन बाद 11 अगस्त को यह बात सामने आई थी कि वे लंग्स के कैंसर से जूझ रहे हैं।
कोकिलाबेन हॉस्पिटल में चल रहा था इलाज
रिपोर्ट्स के मुताबिक, संजू चौथी स्टेज के कैंसर से पीड़ित थे और उनका इलाज मुंबई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल में चल रहा था। हालांकि, उन्होंने या उनके परिवार ने इस बात की पुष्टि नहीं की थी। संजू की बीमारी की खबर मीडिया में आने के बाद उनकी पत्नी मान्यता ने लोगों से अपील की थी कि अफवाहों पर ध्यान नहीं दें।
मान्यता ने पोस्ट में लिखा था, “मैं उन सभी का धन्यवाद करती हूं, जिन्होंने संजू के जल्द से जल्द ठीक होने की दुआएं मांगी हैं। हमें इस मुसीबत की घड़ी से बाहर आने के लिए आप सबकी प्रार्थनाओं की जरूरत है। इस परिवार ने पहले भी बहुत कुछ सहन किया है, लेकिन मुझे विश्वास है कि यह वक्त भी बीत जाएगा। आप सबसे मेरी यह गुजारिश है संजू के चाहने वाले किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें।
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देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. राजस्थान में कोरोना की रिकवरी रेट बहुत अच्छी है और डेथ रेट बहुत कम है. इसलिये लोग यहां कोविड-19 को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. पिछले छह महीनों के अनुभवों के आधार पर कोरोना से जुड़ी बहुत सी नई जानकारियां सामने आई हैं. कोविड-19 से संक्रमित होकर ठीक होने के बाद भी शरीर पर इसके दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं.
कोविड-19 की शुरुआत में इसका असर पहले सिर्फ लंग्स (फेफड़ों) पर ही माना गया था लेकिन अब डॉक्टरों ने बताया है कि यह वायरस मरीज के दिल, दिमाग और किडनी पर गंभीर असर डाल रहा है. इस बीमारी से ठीक होने के बाद भी नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) पर गंभीर असर पड़ रहा है. ऐसे में इस बीमारी से संक्रमित लोग ठीक होने के बाद भी पूरी सावधानियां बरतें. यह वायरस सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है इसलिये सभी को इससे सावधान रहना चाहिये.
राजस्थान में करवाये जा रहे RT-PCR टेस्ट अभी तक इस बीमारी की जांच के लिये विश्व में सबसे विश्वसनीय टेस्ट है. लेकिन इस टेस्ट में कोरोना होने के बावजूद भी 30 प्रतिशत फॉल्स निगेटिव आने की संभावना रहती है. ऐसे में निगेटिव टेस्ट आने के बाद भी शरीर में कोरोना के लक्षण दिखें तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें और जरूरत होने पर सीटी स्कैन भी करायें. सीटी स्कैन से फेफड़ों की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल जाती है.
अभी तक इस बीमारी की कोई वैक्सीन नहीं बनी है. इसलिये हम सबको इस बीमारी से बचाव के सभी उपाय अपनाने चाहिये. मास्क लगाना, हाथ साफ करना, सोशल डिस्टैंसिंग रखना और भीड़भाड़ में ना जाना अपनी आदत में शामिल रखें.
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सामने आई संजय दत्त की कमजोरी वाली तस्वीर की सचाई, हॉस्पिटल में कीमो नहीं इम्युनोथेरेपी से इलाज करवा रहे संजय दत्त!
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सामने आई संजय दत्त की कमजोरी वाली तस्वीर की सचाई, हॉस्पिटल में कीमो नहीं इम्युनोथेरेपी से इलाज करवा रहे संजय दत्त!
दोस्तों अभिनेता संजय दत्त फ़िलहाल लंग्स के कैंसर से लड़ रहे है, हाल ही में सोशल मीडिया में संजय दत्त की एक फोटो वायरल हुई थी, जिसमें वे काफी कमजोर नजर आ रहे थे। इसे लेकर कहा जा रहा था कि कीमोथेरेपी की वजह से उनका वजन गिर गया है। हालांकि सच्चाई कुछ और है। दैनिक भास्कर को मिली जानकारी के मुताबिक ना तो उनका वजन 20 किलो कम हुआ है और ना ही उनकी कीमोथेरेपी हो रही है।
बता दे की अभिनेता संजू बाबा के करीबियों ने बताया कि उनके वजन में मात्र पांच किलो की गिरावट हुई है और वो कीमो की बजाय इम्युनोथेरेपी करवा रहे हैं। करीबियों की मानें तो अभिनेता की बीमारी उतनी गंभीर नहीं है, जितनी कि मीडिया में बताई जा रही है। उनके करीबी ने कहा कि संजय ने पिछले काफी लंबे समय से शेव नहीं की थी। ऐसे में बढ़ी दाढ़ी की वजह से उनके चेहरे व गले की सिलवटें नहीं दिखती थीं और चेहरा भरा हुआ नजर आता था।
हाल ही में दुबई जाने से पहले उन्होंने क्लीन शेव की और जब वो वहां से वापस आए तो पतले चेहरे के चलते उन्हें बीमारू बता दिया गया, जबकि असल में वे फिट एंड फाइन हैं और हर रोज नए राइटरों और डायरेक्टरों से मिल रहे हैं। पिछले दो दिनों में उन्होंने दो-तीन डायरेक्टरों से नई कहानियों के नरेशन लिए हैं।
संजय दत्त के करीबियों की बातों की पुष्टि फिल्म मेकर रवि चड्ढा के करीबियों ने भी की है। रवि चड्ढा उनके साथ ‘डम डम डिगा डिगा’ फिल्म बना रहे हैं। इसमें जैकी श्रॉफ और सुनील शेट्टी भी हैं। इसे यासवी फिल्म्स प्रोड्यूस कर रहे हैं। जिन्होंने हाल ही में श्रेयस तलपड़े और पवन मल्होत्रा आदि के साथ ‘सेटर्स’ बनाई थी। संजय दत्त के करीबियों ने उनकी हेल्थ को लेकर भी नई डेवलपमेंट बताई है। उनके मुताबिक संजय कीमो की बजाय इम्युनोथेरेपी ले रहे हैं। यह एक नई तकनीक है। जिसमें शरीर की प्रतिरक्षक कोशिकाएं, कैंसर की मेलिनेंट कोशिकाओं से लड़ने में मदद करती हैं।
इम्युनोथेरेपी लेने से बीमारी से लड़ने की ताकत इतनी मजबूत हो जाती है कि कैंसर तक का मुकाबला किया जा सकता है। रिपोर्ट में बहुत से लोगों को इम्युनो ओंकोलॉजी से फायदा हुआ है। इस तकनीक में हर इंसान की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इम्युन बूस्टर थेरेपी दी जाती है। लिहाजा इम्युन सेल्स खासतौर पर कैंसर की कोशिकाओं पर हमला करती हैं और शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती। कीमोथेरेपी के मुकाबले यही यहां फर्क है। कीमो के दौरान हेल्दी सेल्स भी अफेक्ट हो जाती हैं। नतीजतन कैंसर रोग के दोबारा होने के आसार रहते हैं। संजय दत्त इम्युनोथेरेपी ले रहे हैं। इससे इलाज के साइड इफेक्ट से वो बचे रह सकते हैं।
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कोरोना संक्रमण के कारण ज्यादातर मरीजों को सांस लेने में दिक्कत है। आक्सीजन का लेवल गिरने पर अस्पतालों में वेंटीलेटर नहीं मिल पा रहा है। ऐसे मरीजों के लिए प्रोन पोजीशन आक्सीजनेशन तकनीक 80% तक कारगर है। हर चिकित्सा प्रणाली के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने प्रोन पोजिशन को अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों के लिए ‘संजीवनी’ बताया है।
सांस लेने में तकलीफ होने पर इस अवस्था में 40 मिनट लेटकर आक्सीजन लेवल सुधरता है। पेट के बल लेटने से वेंटिलेशन परफ्यूजन इडेक्स में सुधार आता है। डॉक्टरों ने कोरोनाकाल में कोविड के सांस लेने में दिक्कत आने वाले मरीजों के लिए तकनीक को जरूर आजमाने की सलाह दी है।
पानी की वजह से ऑक्सीजन नहीं ले पाते
प्रोन पॉजिशन एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम में इस्तेमाल की जाती है। एआरडीएस होने से फेफड़ों के निचले हिस्से में पानी आ जाता है। पीठ के बल लेटने से फेफड़ों के निचले हिस्से की एल्वियोलाई में खून तो पहुंच जाता है, लेकिन पानी की वजह से आक्सीजनेशन व कार्बन डाइआक्साइड को निकालने के प्रोसेस में दिक्कत होती है।
ऐसे हालात में ठीक तरीके से ऑक्सिजिनेशन नहीं होने पर ‘प्रोन वेंटिलेशन’ दिया जाता है। यानी मरीज को पेट के बल लिटा दिया जाता है। गर्दन के नीचे एक तकिया, पेट-घुटनों के नीचे दो तकिए लगाते हैं और पंजों के नीचे एक। हर 6 से 8 ���ंटे में 40 से 45 मिनट तक ऐसा करने से मरीज को फायदा मिलता है।
पेट के बल लेटकर हाथों को कमर के पास पैरलल भी रख सकते हैं
साधारणतया पेट के बल लिटाकर हाथों को कमर के पास पैरलल भी रख सकते है। इस अवस्था में फेफड़ों में खून का संचार अच्छा होने लगता है। फेफड़ों में मौजूद फ्लूड इधर-उधर हो जाता है, जिससे लंग्स में आक्सीजन आसानी से पहुंचती रहती है। आक्सीजन का लेवल गिरता भी नहीं है।
प्रोन पोजीशन वेंटिलेशन सुरक्षित और खून में आक्सीजन लेवल बिगड़ने पर नियंत्रण में मददगार है। बीमारी के कारण मृत्यु दर को कम करने सहायक है। आईसीयू में भर्ती मरीजों में अच्छे परिणाम मिलते हैं। वेंटीलेटर नहीं मिलने की स्थिति में सबसे अधिक कारगर। 80% नतीजे वेंटीलेटर जैसे ही।
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1 तकिया सिर के नीचे, 2 तकिये घुटनों पर पेट के नीचे, 1 तकिया पंजों के नीचे।
from Dainik Bhaskar /national/news/if-there-is-difficulty-in-breathing-then-lie-on-your-stomach-for-40-minutes-this-is-a-self-natural-ventilator-127760406.html
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कैंसर ने संजू बाबा की जिंदगी में मचाया कोहराम, पहले मां ने छोड़ा साथ, अब खुद भी हुए बीमारी के शिकारPatrika : India's Leading Hindi News Portal
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नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त (Actor Sanjay Dutt) के जेल से निकलने बाद उन्होंने अपनी दूसरी पारी शुरू की थी। एक के बाद एक अच्छी फिल्में करके उनके करियर की डूबती नैय्या दोबारा पटरी पर लौट ही रही थी। तभी उन्हें लंग्स कैंसर (Lung Cancer) के होने का पता चला। जिसके चलते संजू बाबा ने एक बार फिर रुपहले पर्दे से ब्रेक ले लिया है। वैसे संजय दत्त का नाता कैंसर से काफी पहले से रहा है। इस बीमारी के चलते…
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