चीन हाइड्रोजन संचालित ट्रेन शुरू करने वाला एशिया का पहला और दुनिया का दूसरा देश बन गया है।
चीन हाइड्रोजन संचालित ट्रेन शुरू करने वाला एशिया का पहला और दुनिया का दूसरा देश बन गया है।
चीन हाइड्रोजन संचालित ट्रेन शुरू करने वाला एशिया का पहला और दुनिया का दूसरा देश बन गया है।
चीन हाइड्रोजन संचालित शहरी ट्रेनों को लॉन्च करने वाला एशिया का पहला और दुनिया का दूसरा देश बन गया है।
सितंबर 2022 में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों की शुरुआत करने वाला जर्मनी पहला देश था। फ्रांसीसी कंपनी एल्सटॉम द्वारा विकसित जर्मन कोराडिया आईलिंट सीरियल ट्रेन ने बिना ईंधन भरे 1175 किलोमीटर की दूरी तय की…
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#चीन #हाइड्रोजन संचालित #ट्रेन शुरू करने वाला #Asia का #पहला #देश बन गया है. चीन हाइड्रोजन संचालित शहरी ट्रेनों को लॉन्च करने वाला एशिया का पहला और दुनिया का दूसरा देश बन गया है। सितंबर 2022 में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों की शुरुआत करने वाला जर्मनी विश्व का पहला देश था। चीनी कंपनी सीआरआरसी कॉर्पोरेशन लिमिटेडने एक ऐसी ट्रेन बनाई है जिसकी अधिकतम गति 160 किमी प्रति घंटा है और यह बिना ईंधन भरे 600 किमीतक चल सकता है। फ्रांसीसी कंपनी एल्सटॉम द्वारा विकसित जर्मन कोराडिया आईलिंट सीरियल ट्रेन बिना ईंधन भरे 1175 किलोमीटर की दूरी तय की है। चीनी अधिकारियों के अनुसार, ट्रेन के संचालन से डीजल कर्षण की तुलना में कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन में प्रति वर्ष 10 टन की कमी आएगी। #apcbheja #nonprofitorganization #newsupdate #educationforall #madhubani #Bihar (at Bheja, Bihār, India) https://www.instagram.com/p/CnBb8vcyEq7/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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रेलवे 2023 में वंदे भारत हाइड्रोजन ट्रेन लाएगा, लंबी यात्रा के लिए वंदे भारत-3 स्लीपर ट्रेन
रेलवे 2023 में वंदे भारत हाइड्रोजन ट्रेन लाएगा, लंबी यात्रा के लिए वंदे भारत-3 स्लीपर ट्रेन
छवि स्रोत: पीटीआई वंदे भारत ट्रेन
भारत में हाइड्रोजन ट्रेन: भारतीय रेलवे हाइड्रोजन-ईंधन से चलने वाली ट्रेनों को शुरू करने की योजना बना रहा है, जो दिसंबर 2023 में शुरू होने की संभावना है। रिपोर्टों में कहा गया है कि ट्रेनों को स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया जाएगा।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारतीय इंजीनियरों द्वारा हाइड्रोजन से चलने वाली नई ट्रेनों को वंदे भारत की तरह डिजाइन किया…
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हिंदुस्तान में दौड़ेगी हाइड्रोजन संचालित ट्रेन, जानिए कितनी होगी स्पीड
हिंदुस्तान में दौड़ेगी हाइड्रोजन संचालित ट्रेन, जानिए कितनी होगी स्पीड
दिल्ली: केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अगले स्वतंत्रता दिवस पर भारत की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन पेश की जाएगी। इन ट्रेनों का निर्माण और डिजाइन पूरी तरह से स्वदेशी होगा। मंत्री ने कहा कि ‘भारत दुनिया की सर्वश्रेष्ठ ट्रेने बनाने में सक्षम है और अगला बड़ा काम 15 अगस्त 2023 को होगा।
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भारतीय रेलवे ने डीजल से चलने वाली डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) को हाइड्रोजन ईंधन आधारित ट्रेन में बदलने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। भारतीय रेलवे ने हाइड्रोजन ईंधन सेल-आधारित प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं जिसका उपयोग मौजूदा डीजल-संचालित ट्रेनों को अपग्रेड करने के लिए किया जा सकता है। इस परियोजना में 89 किलोमीटर सोनीपत-जींद खंड में डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डीईएमयू) की रेट्रोफिटिंग की आवश्यकता है। "भारतीय रेलवे के वैकल्पिक ईंधन संगठन (IROAF), भारतीय रेलवे के ग्रीन फ्यूल वर्टिकल ने रेलवे नेटवर्क पर हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित ट्रेन के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। यह परियोजना उत्तर रेलवे के 89 किमी सोनीपत-जींद खंड में शुरू होगी," मंत्रालय रेलवे ने एक बयान में कहा। राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या मौजूदा डीजल ट्रेनों को हाइड्रोजन का उपयोग करने के लिए रेट्रोफिट किया जा सकता है । "डीजल संचालित डेमू की retrofitting और यह हाइड्रोजन ईंधन चालित ट्रेन सेट में परिवर्तित होगा न केवल की धुन के लिए लागत बचाने ₹ डीजल से हाइड्रोजन को परिवर्तित करके सालाना 2.3 करोड़, लेकिन यह भी बचाने 11.12 की कार्बन पदचिह्न (NO2) प्रति वर्ष किलो टन और प्रति वर्ष 0.72 किलो टन के कण, " रेल मंत्रालय ने एक बयान में कहा। मंत्रालय ने नोट किया कि यदि परियोजना सफल होती है, तो विद्युतीकरण के बाद डीजल ईंधन पर चलने वाले सभी रोलिंग स्टॉक को हाइड्रोजन ईंधन पर चलाने की योजना बनाई जा सकती है। परियोजना के तहत, हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में उपयोग करने के लिए पहले दो डीईएमयू रेक को परिवर्तित किया जाएगा। चालू वर्ष में इस चरण के लिए ₹ 8 करोड़ का आवंटन अलग रखा गया है। बाद में दो हाइब्रिड नैरो गेज इंजनों को हाइड्रोजन फ्यूल सेल पावर मूवमेंट के साथ रेट्रोफिट किया जाएगा। हाइड्रोजन का उपयोग ट्रेनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा क्योंकि गैस को हरित परिवहन ईंधन के रूप में जाना जाता है। मंत्रालय ने कहा कि सौर ऊर्जा से पानी को इलेक्ट्रोलाइज करके आसानी से हाइड्रोजन उत्पन्न किया जा सकता है। वर्तमान में, बहुत कम देश इस पद्धति का उपयोग कर रहे हैं। एक रेक का परीक्षण जर्मनी में और दूसरे का पोलैंड में परीक्षण किया जा रहा है। #Globalstartupgyaan #india #ig #viral #post . . . . . . . #instagram #facebook #twitter #tumblr #business #businessman #businessopportunity #businessbuilder #businesscardsde (at Unnao Nawabo ka Saher) https://www.instagram.com/p/CSZZy3eKKCX/?utm_medium=tumblr
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हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन ब्रिटेन की पहली यात्रा बनाती है https://tinyurl.com/y4tquu89 #क #चलन #टरन #पहल #बनत #बरटन #यतर #वल #स #ह #हइडरजन
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खेल डेस्क. एक रोबोट स्टेडियम में आपको सीट तक ले जाता है, आकाश में कृत्रिम उल्कापिंड दिख रहे हैं, फ्लाइंग कार में बैठा खिलाड़ी स्टेडियम में ओलिंपिक टार्च रोशन कर रहा है। यह सब भले ही पढ़ने-सुनने में साइंस फिक्शन जैसा लगता है, पर सच है। वेलकम टू टोक्यो ओलिंपिक। यह सब 2020 टोक्यो ओलिंपिक के दौरान दिखेगा। 2011 के भूकंप, उससे आई सुनामी और फिर फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट से फैले रेडिएशन से री-इनवेंट होकर जापान दुनियाभर के हजारों खिलाड़ियों की मेजबानी के लिए तैयार है। यह ओलिंपिक इतिहास का सबसे हाई-टेक ओलिंपिक होने जा रहा है।
यह पहली बार नहीं है, जब दुनिया का सबसे बड़ा और अमीर शहर टोक्यो ओलिंपिक की मेजबानी कर रहा है। 1964 में जापान ओलिंपिक की मेजबानी करने वाला एशिया का पहला देश बना था। तब जापान दूसरे विश्व युद्ध से उबर रहा था। उसने खुद को री-इनवेंट कर सबसे तेज चलने वाली ट्रेन लाकर दुनिया को चौंकाया था। उन गेम्स को अमेरिका की लाइफ मैग्जीन ने "बेस्ट ओलिंपिक इन हिस्ट्री' कहा था। टेक्नोलॉजी के मामले में हमेशा अव्वल रहने वाला जापान करीब आधी सदी बाद एक बार फिर ओलिंपिक के जरिए री-इनवेंट कर रहा है।
8-के रिजॉल्यूशन वाली अल्ट्रा एचडी टीवी लगीं
ओलिंपिक देखने के लिए 8-के रिजॉल्यूशन वाली अल्ट्रा एचडी टीवी लगाई हैं। शहर में लगी हाई टेक्नोलॉजी वाली स्क्रीन फैंस को ऐसा व्यू देगी, जिससे उन्हें लगेगा कि वे उसमें हिस्सा ले रहे हैं।
फेस रिकग्निशन 0.3 सेकंड में पहचानेगा
इस बार ओलिंपिक में वॉलंटियर की भूमिका में रोबोट होंगे। हर साइज के ये रोबोट खेल गांव में खिलाड़ियों की मदद करेंगे। फेशियल रिकग्निशन सिस्टम 0.3 सेकंड में पहचान कर लेगा।
आतिशबाजी की बजाय कृत्रिम टूटते तारे दिखेंगे
जापान ओपनिंग सेरेमनी में फ्लाइंग कार से ओलिंपिक टॉर्च को रोशन करना चाहता है। टोक्यो में आतिशबाजी तो होगी, ��ेकिन पटाखों से नहीं। बल्कि कृत्रिम टूटते तारे दिखाई देंगे।
भीषण गर्मी से बचाने लार्ज स्पॉट कूलर लगे
उसी नेशनल स्टेडियम को री-इनवेंट किया है, जो 1964 के लिए बना था। उस समय उसके ऊपर छत नहीं थी। सिर्फ एक साइड शेड था। गर्मी से बचाने के लिए नए बने नेशनल स्टेडियम में 185 लार्ज स्पॉट कूलर्स लगाए गए हैं, जो स्टेडियम को ठंडा रखेंगे।
स्टेडियम के दूसरे और तीसरे फ्लोर को ऐसा डिजाइन किया गया है कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में 80 हजार लोगों को यहां रखा जा सके। बैकअप पावर सप्लाई की व्यवस्था भी है। सोलर एनर्जी का इस्तेमाल होगा।
स्टेडियम बनाने में 87% लकड़ी का इस्तेमाल हुआ। इसे बनाने में 10 हजार करोड़ रु. लगे। ओलिंपिक के 60% वेन्यू रियूज्ड-रिसाइकल चीजों से बने हैं।
सभी वेन्यू खेलगांव के आसपास 8 किमी के दायरे में हैं। टोक्यो ओलिंपिक के लिए करीब 5 हजार मेडल और पोडियम रिसाइकल चीजों से बने हैं।
खिलाड़ियों के लिए ड्राइवरलेस गाड़ियां
खिलाड़ियों और फैंस के लिए ड्राइवरलेस गाड़ियां चलाई जाएंगी। इन्हें खिलाड़ियों से फीडबैक लेकर डिजाइन किया गया है। क्लीन एनर्जी सोर्स के रूप में हाइड्रोजन और एल्गी (शैवाल) का इस्तेमाल होगा।
जापान सिलिकॉन वैली तक को चुनौती दे रहा है
जापान के ओलिंपिक इतिहास के जानकार सेंड्रा कोलिंस कहते हैं- जापान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने इनोवेशन के जरिए आगे बढ़ रहा है। वह सिलिकॉन वैली के जाएंट्स को चुनौती दे रहा है।
प्रधानमंत्री आबे पिछले गेम्स में सुपर मारियो की ड्रेस में पहुंचे
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे 2016 रियो ओलिंपिक की क्लोजिंग सेरेमनी में सुपर मारियो की ड्रेस में पहुंचे थे। आबे को उम्मीद है कि ओलिंपिक से 2.96 ट्रिलियन येन (करीब 19 लाख करोड़ रुपए) का रेवेन्यू जनरेट होगा। साथ ही डेढ़ लाख से ज्यादा रोजगार पैदा होंगे।
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इसी स्टेडियम में ओलिंपिक की ओपनिंग और क्लोजिंग सेरेमनी होगी।
ओलिंपिक 24 जुलाई से 9 अगस्त तक होगा।
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