Haryana Weather: हरियाणा में मानसून की हुई विदाई, जानिए अब आगे कैसा रहेगा मौसम
Haryana Weather: हरियाणा में मानसून की हुई विदाई, जानिए अब आगे कैसा रहेगा मौसम
हरियाणा: जैसे जैस हरियाणा मे मानसून लौट रही है। गर्मी ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दी है। लगातार पांच दिन बरसात देखने के बाद अब बारिश का दौर भी थम चुका है।
मौसम विभाग का कहना है कि हरियाणा में मानसून की लगभग विदाई हो चुकी है। इसके साथ ही अब 4 अक्टूबर तक मौसम शुष्क बना रहेगा। वहीं, राज्य में मानसून सीजन में सामान्य से 8 फीसदी अधिक बारिश हुई है। 6 जिलों में सामान्य से कम और 16 जिलों में सामान्य से…
देसिकहानियाँ में हम हर दिन एक से बढ़कर एक अजब गजब प्यार की कहानी प्रकाशित करते हैं। इसी कड़ी में हम आज “love story in hindi ” प्रकाशित कर रहे हैं। आशा है ये आपको अच्छी लगेगी।
short stories in Hindi
लेखक – खुश्बू
श्रेया बहुत खुश थी. क्योंकि उसकी हाल ही में शादी होने वाली थी. लड़का पढ़ा लिखा पढ़ा लिखा और सुंदर सुशील था. और अमेरिका में नौकरी करता था. और वहां श्रेया से बहुत प्यार करता था. श्रेया की शादी उसके पिताजी ने बड़ी धूमधाम से की. क्योंकि वह उनके एकलौती संतान थी. श्रेया घर में सबकी लाडली थी. उसकी विदाई हो चुकी थी, श्रेया को विदाई का इतना रोना नहीं आ रहा था, जितनी खुशी उसे आशीष के साथ जाने में हो रही थी. ऐसे बता दें, कि आशीष और श्रेया बचपन के दोस्त है, साथी स्कूल पड़े, साथी कॉलेज गए. शादी पूरी तरीके से हो चुकी थी. और शादी के अगले दिन उन्हें हनीमून पर निकलना था. श्रेया और आशीष दोनों अपनी कार में बैठकर जा रहे थे. और श्रेया से बात करने के चक्कर में कार का ट्रक से भीषण एक्सीडेंट हो गया. और आशीष की वही मौके पर ही मौत हो गई. और श्रेया को मामूली खरोच आई. श्रेया के तो जैसे प्राणी निकल गए 1 दिन पहले ही शादी हुई और विधवा हो गई, श्रेया के लिए सब कुछ टूट चुका था. वह अंदर से ही मर चुकी थी. और ऊपर से रोज उसके साथ ससुर उसे ताने देते. फिर एक दिन स्वर्गीय आशीष की बुआ आई. और उसे मथुरा ले जाने की जिद करने लगी. और श्रेया और आशीष के मां बाप मान गए. और उसे वहां मथुरा विधवा आश्रम में भेज दिया. वहां जाते से ही उसके बाल कटवा दिए गए, सुंदर सी दिखने वाली श्रेया. जो कि अपने बालों से बहुत अत्यधिक प्यार करती थी. उसके भी बाल कटवा दिए गए. अब श्रेया का जीवन नर्क से कम नहीं था, श्रेया रोज आशीष को याद करते करते घुट-घुट कर मरते और सोचती कि मेरी ही गलती थी. ना में बात करती, ना आशीष की मौत होती. मैं ही जिम्मेदार हूं, और फिर एक दिन विधवा आश्रम में मुंबई का एक छात्र विक्रांत ��या. विक्रांत दिखने में बहुत ही खूबसूरत था. और फोटोग्राफी का कोर्स कर रहा था. वह एक प्रोजेक्ट के तहत विधवा आश्रम आया था. वहां पर उसे विधवा आश्रम मैं जीवन के विषय का टॉपिक मिला था. उसने विधवा आश्रम के पंडित जी से बात कर ली थी. कि वह वही रहेगा, 1 महीने तक, पंडित जी मान चुके थे. विक्रांत बहुत ही खुशमिजाज इंसान था. जहां भी जाता, खुशियां फैला देता विधवा आश्रम में जाते से ही उसने दुखी विधवाओं के चेहरे पर मुस्कान सी ला दी. पंडित जी भी उसे बहुत खुश थे. वह बहुत शरारती था. तो सारी महिला उसके साथ हास-परिहास करती थी. फिर एक दिन उसने श्रेया को देखा और उसे भी हंसाने की कोशिश की पर वह नाकामयाब रहा. फिर एक महीने के अंदर उसे श्रेया से प्यार हो गया. उसने श्रेया से कहा, कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं.
और तुम्हें यहां से ले जाना चाहता हूं. श्रेया ने मानने से मना कर दिया, और कहां की वह कभी शादी नहीं करेगी. क्योंकि उसके कारण आशीष की जान गई थी. विक्रांत के लाख समझाने पर भी श्रेया नहीं मानी. पर श्रेया फिर भी विक्रांत ने जिद नहीं छोड़ी. फिर एक दिन विक्रांत ने इस विषय में पंडित जी से बात की पंडित जी उसकी बात सुनकर आग बबूला हो गए. और उसे बुरी तरीके से पीटा गया. फिर भी विक्रांत के हौसले और प्यार कम नहीं हुआ. फिर विक्रांत श्रेया को लेने के लिए आया. विक्रांत को उसे देखकर श्रेया को रोना आ गया.श्रेया ने कहा, मैं भी तुमसे प्यार करती हूं. पर तुम भी मर जाओगे. विक्रांत ने समझाया जीवन मरण, भगवान के हाथ में है. इंसान के हाथ में कुछ नहीं होता. पर फिर भी श्रेया संकोच में थी और फिर पंडित जी ने दोनों को बात करते हुए देख लिया. पंडित जी का क्रोध सातवें आसमान पर था उन्होंने बाहर से अखाड़े के आदमियों को बुलाया. और विक्रांत की पिटाई करना शुरु की इतना देख कर श्रेया से रहा नहीं गया, और श्रेया ने विक्रांत को बचा लिया. दोनों की अब शादी हो चुकी है, दोनों बहुत खुश है, और साल में तीन से चार बार विधवा आश्रम में जाकर सेवा देते हैं.
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न बैण्ड बाजा न डीजे फिजूल खर्ची बंद करने की अपील, आशीर्वाद देकर की गई बेटियों की विदाई
संत के अनुयायियों ने कराई दहेज रहित 3 शादियां
सामूहिक विवाह बाराबंकी हिन्दुस्तान संवाद
एक ऐसा वैवाहिक कार्यक्रम जहां न तो बैण्ड बाजा था न ही डीजे। न दहेज का सामान रखा था और न ही तामझाम था। था तो, बस लोगों का आशीर्वाद और वर वधु का एक दूसरे के प्रति विश्वास और लगाव।
जी हां हम बात कर रहे हैं। शहर के सरदार पटेल महिला डिग्री कॉलेज में आयोजित दहेज रहित तीन बेटियों के वैवाहिक कार्यक्रम की। यहां पर संत रामपाल जी महाराज की शिक्षा को आधार बनाते हुए तीन दहेज रहित (रमैणी) शादियां मात्र 17 मिनट में समपन्न कराई गई। इसमें रविदास पुत्र छोटे
रविवार को सरदार पटेल महिला डिग्री कॉलेज में हो रही शादियां हिन्दुस्तान
लाल दास ग्राम सेंदर दक्खिन पोस्ट खिजना फतेहपुर, का विवाह मधु दासी के साथ, नितिन दास की शादी सौम्या दासी के साथ, सरवन दास की शादी पूजा दासी के साथ हुई। संत रामपाल जी महाराज के शिष्य दूढ संकल्पित हैं। वह न दहेज लेते हैं न
देते हैं। इस शादी में कोई भी फिजूल खर्ची नहीं की गयी। न ही कोई बैण्ड बाजा तथा बिल्कुल साधारण तरीके से यह विवाह सम्पन्न हुआ। संत रामपाल जी महाराज एक स्वच्छ समाज तैयार कर रहे हैं। समाज में यह बदलाव आ जाए तो बेटियां बोझ
दहेज का किया विरोध
• संत रामपाल के अनुयायियों ने
की दहेज न देने की अपील • वैवाहिक कार्यक्रम में दिखा कोविड का प्रोटोकॉल
नहीं बनेगी। महाराज के अनुयायियों ने वैवाहिक कार्यक्रम में मौजूद लोगों से शादियों में फिजूल खर्ची बंद करने की अपील की और दहेज न देने व लेने का संकल्प भी दिलाया।
आयोजकों में मनोज दास, उमाकांत दास, मदन दास, पवन दास, दिलीप दास, अमन दास, रामदास, रामहर्ष दास, आद्या दासी, जयप्रकाश दास, त्रिभुवन दास, कृष्णा दास, अरुणेश दास, आदित्य दास, कृष्णा दासी आदि सेवादार मौजूद रहे।
जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान धर्मजयगढ़ मे प्रथम वर्ष के प्रशिक्षार्थियो के द्वारा द्वितिय वर्ष के प्रशिक्षार्थियो को दी गयी विदाई
धर्मजायगढ़ में प्रथम वर्ष के प्रशिक्षार्थियो द्वारा द्वितीय वर्ष के प्रशिक्षार्थियों के लिए विदाई समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से की गई डाइट के प्रचार्य श्री अनिल पैकरा एव अन्य व्याख्याताओं ने सरस्वती माता के चित्र पर पुष्प अर्पण करके कार्यक्रम की शुरुआत हुई | कार्यक्रम में डाइट के व्याख्याता अनिल गबेल, भूषण प्रधान,संतोष पटेल,ब्रजेश द्विवेदी,,अजित नायक एव लिपिक…
कबीर परमेश्वर (कविर्देव) ने आगे बताया है कि परब्रह्म (अक्षर पुरुष) ने अपने कार्य में गफलत की क्योंकि यह मानसरोवर में सो गया तथा जब परमेश्वर (मैंनें अर्थात् कबीर साहेब ने) उस सरोवर में अण्डा छोड़ा तो अक्षर पुरुष (परब्रह्म) ने उसे क्रोध से देखा। इन दोनों अपराधों के कारण इसे भी सात शंख ब्रह्माण्ड़ों सहित सतलोक से बाहर कर दिया।
अन्य कारण अक्षर पुरुष (परब्रह्म) अपने साथी ब्रह्म (क्षर पुरुष) की विदाई में व्याकुल होकर परमपिता कविर्देव (कबीर परमेश्वर) की याद भूलकर उसी को याद करने लगा तथा सोचा कि क्षर पुरुष (ब्रह्म) तो बहुत आनन्द मना रहा होगा, वह स्वतंत्र राज्य करेगा, मैं पीछे रह गया तथा अन्य कुछ आत्माएँ जो परब्रह्म के साथ सात शंख ब्रह्माण्डों में जन्म-मृत्यु का
कर्मदण्ड भोग रही हैं, उन हंस आत्माओं की विदाई की याद में खो गई जो ब्रह्म (काल) के साथ इक्कीस ब्रह्माण्डों में फंसी हैं तथा पूर्ण परमात्मा, सुखदाई कविर्देव की याद भुला दी।
परमेश्वर कविर् देव के बार-बार समझाने पर भी आस्था कम नहीं हुई। परब्रह्म (अक्षर पुरुष) ने सोचा कि मैं भी अलग स्थान प्राप्त करूँ तो अच्छा रहे। यह सोच कर राज्य प्राप्ति की
इच्छा से सारनाम का जाप प्रारम्भ कर दिया। इसी प्रकार अन्य आत्माओं ने (जो परब्रह्म के सात शंख ब्रह्माण्डों में फंसी हैं) सोचा कि वे जो ब्रह्म के साथ आत्माएँ गई हैं वे तो वहाँ मौज-मस्ती मनाएँगे, हम पीछे रह गये। परब्रह्म के मन में यह धारणा बनी कि क्षर पुरुष
अलग होकर बहुत सुखी होगा। यह विचार कर अन्तरात्मा से भिन्न स्थान प्राप्ति की ठान ली। परब्रह्म (अक्षर पुरुष) ने हठ योग नहीं किया, परन्तु केवल अलग राज्य प्राप्ति के लिए
सहज ध्यान योग विशेष कसक के साथ करता रहा। अलग स्थान प्राप्त करने के लिए पागलों की तरह विचरने लगा, खाना-पीना भी त्याग दिया। अन्य कुछ आत्माएँ जो पहले काल ब्रह्म के साथ गई आत्माओं के प्रेम में व्याकुल थी, वे अक्षर पुरूष के वैराग्य पर आसक्त होकर उसे चाहने लगी। पूर्ण प्रभु के पूछने पर परब्रह्म ने अलग स्थान माँगा तथा कुछ हंसात्माओं
के लिए भी याचना की। तब कविर्देव ने कहा कि जो आत्मा आपके साथ स्वेच्छा से जाना चाहें उन्हें भेज देता हूँ। पूर्ण प्रभु ने पूछा कि कौन हंस आत्मा परब्रह्म के साथ जाना चाहता है, सहमति व्यक्त करे। बहुत समय उपरान्त एक हंस ने स्वीकृति दी, फिर देखा-देखी उन सर्व आत्माओं ने भी सहमति व्यक्त कर दी। सर्व प्रथम स्वीकृति देने वाले हंस को स्त्रा रूप
बनाया, उसका नाम ईश्वरी माया (प्रकृति सुरति) रखा तथा अन्य आत्माओं को उस ईश्वरी माया में प्रवेश करके अचिन्त द्वारा अक्षर पुरुष (परब्रह्म) के पास भेजा। (पतिव्रता पद से गिरने की सजा पाई।) कई युगों तक दोनों सात शंख ब्रह्माण्डों में रहे, परन्तु परब्रह्म ने दुर्व्यवहार नहीं किया। ईश्वरी माया की स्वेच्छा से अंगीकार किया तथा अपनी शब्द शक्ति द्वारा नाखुनों से स्त्री इन्द्री (योनि) बनाई। ईश्वरी देवी की सहमति से संतान उत्पन्न की।
इस लिए परब्रह्म के लोक (सात शंख ब्रह्माण्डों) में प्राणियों को तप्तशिला का कष्ट नहीं है तथा वहाँ पशु-पक्षी भी ब्रह्म लोक के देवों से अच्छे चरित्र युक्त हैं। आयु भी बहुत लम्बी है, परन्तु जन्म - मृत्यु कर्माधार पर कर्मदण्ड तथा परिश्रम करके ही उदर पूर्ति होती है। स्वर्ग तथा नरक भी ऐसे ही बने हैं। परब्रह्म (अक्षर पुरुष) को सात शंख ब्रह्माण्ड उसके इच्छा रूपी भक्ति ध्यान अर्थात् सहज समाधि विधि से की उस की कमाई के प्रतिफल में प्रदान किये तथा सत्यलोक से भिन्न स्थान पर गोलाकार परिधि में बन्द करके सात शंख ब्रह्माण्डों सहित अक्षर ब्रह्म व ईश्वरी माया को निष्कासित कर दिया।
पूर्ण ब्रह्म (सतपुरुष) असंख्य ब्रह्माण्डों जो सत्यलोक आदि में हैं तथा ब्रह्म के इक्कीस ब्रह्माण्डों तथा परब्रह्म के सात शंख ब्रह्माण्डों का भी प्रभु (मालिक) है अर्थात् परमेश्वर कविर्देव कुल का मालिक है।
श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी आदि के चार-चार भुजाएं तथा 16 कलाएं हैं तथा प्रकृति देवी (दुर्गा) की आठ भुजाएं हैं तथा 64 कलाएं हैं। ब्रह्म (क्षर पुरुष) की एक
हजार भुजाएं हैं तथा एक हजार कलाएं है तथा इक्कीस ब्रह्माण्ड़ों का प्रभु है। परब्रह्म (अक्षर पुरुष) की दस हजार भुजाएं हैं तथा दस हजार कला हैं तथा सात शंख ब्रह्माण्डों का प्रभु है।
पूर्ण ब्रह्म (परम अक्षर पुरुष अर्थात् सतपुरुष) की असंख्य भुजाएं तथा असंख्य कलाएं हैं तथा ब्रह्म के इक्कीस ब्रह्माण्ड व परब्रह्म के सात शंख ब्रह्माण्डों सहित असंख्य ब्रह्माण्डों का प्रभु है। प्रत्येक प्रभु अपनी सर्व भुजाओं को समेट कर केवल दो भुजाएं भी रख सकते हैं तथा जब
चाहें सर्व भुजाओं को भी प्रकट कर सकते हैं। पूर्ण परमात्मा परब्रह्म के प्रत्येक ब्रह्माण्ड में भी अलग स्थान बनाकर अन्य रूप में गुप्त रहता है। यूं समझो जैसे एक घूमने वाला कैमरा
बाहर लगा देते हैं तथा अन्दर टी.वी. (टेलीविजन) रख देते हैं। टी.वी. पर बाहर का सर्व दृश्य नजर आता है तथा दूसरा टी.वी. बाहर रख कर अन्दर का कैमरा स्थाई करके रख दिया जाए, उसमें केवल अन्दर बैठे प्रबन्धक का चित्रा दिखाई देता है। जिससे सर्व कर्मचारी सावधान रहते हैं।
इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा अपने सतलोक में बैठ कर सर्व को नियंत्रित किए हुए हैं तथा प्रत्येक ब्रह्माण्ड में भी सतगुरु कविर्देव विद्यमान रहते हैं जैसे सूर्य दूर होते हुए भी अपना प्रभाव अन्य लोकों में बनाए हुए है।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
संस्कृति फैशन डिजाइन स्कूल की फेयरवेल में शालू बनीं मिस फेयरवेल
संस्कृति फैशन डिजाइन स्कूल की फेयरवेल में शालू बनीं मिस फेयरवेल
मथुरा। संस्कृति स्कूल आफ फैशन डिजाइनिंग में अपनी पढ़ाई पूरी कर विदाई ले रहे विद्यार्थियों को उनके जूनियर साथियों द्वारा फेयरवेल पार्टी दी गई। पार्टी में साथ पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों ने साथ बिताए पलों को एक दूसरे से साझा किया और भविष्य में जहां कहीँ भी रहें, हमेशा जुड़े रहने का वादा भी किया। इस मौके पर विभिन्न विशेषताओं को हासिल करने वाली छात्राओं को सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। मुख्य अतिथि संस्कृति विवि के कुलपति प्रोफेसर एनबी चेट्टी ने विद्यार्थियों से अपने विद्यार्थी जीवन के मधुर संस्मरण साझा करते हुए कहा कि विद्यार्थी जीवन काल एक ऐसा समय है जहां हम सही माइने में दोस्ती का अर्थ समझ पाते हैं। बहुत सारे पल ऐसे होते हैं जिन्हें हम भूल नहीं पाते और हमेशा हमारी यादों में खुशियों की तरह बस जाते हैं। उन्होंने पाठ्यक्रम पूरा कर विदाई ले रहे विद्यार्थियों से कहा कि आप जहां भी जाएं तरक्की का मार्ग प्रशस्त हो। स्टूडेंट वेलफेयर के डीन डा. डी.एस. तोमर ने कहा कि आपके वर्तमान भावों को हम अच्छी तरह से समझते हैं क्योंकि हम सबने ये विद्यार्थी जीवन व्यतीत किया है। इस जीवन से जुड़ी अनेक खट्टी-मिठी यादें जीवनभर गुदगुदाती रहती हैं। उन्होंने सभी विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने साथियों से तो जुड़े रहें, साथ ही विवि जो उनका दूसरा घर रहा है उससे भी हमेशा जुडे रहें।
संस्कृति ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट सेल के डाइरेक्टर शरद गर्ग ने विदाई ले रहे सभी विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आप सभी या तो अच्छी कंपनियों में नौकरी करेंगे या फिर अपना उद्यम शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि हमेशा ध्यान रखें कि आप संस्कृति विवि ब्रांड एंबेस्डर हैं, जहां भी रहें इस बात को हमेशा दिमाग में रखें और ख्याति स्वयं पाएं तथा अपने विवि का नाम ऊंचाई पर ले जाएं। फैशन डिजाइनिंग स्कूल के विभागाध्यक्ष शांतनु पाल ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि जिस तरह से पिछले सैशन के सभी विद्यार्थी अच्छी-अच्छी कंपनियों में गए हैं, उम्मीद है कि आप भी अच्छी कंपनियों में रोजगार पाएंगे। कार्यक्रम के दौरान हुई प्रतियोगिता में शालू को मिस फेयरवेल, छात्र मो. जाफर को मिस्टर फेयरवेल, निधि सिंह को मिस ज़ॉर्जियस, छात्र नवीन को मिस्टर हैंडसम, संध्या को मिस बोहेमिया, छात्रा मीनाक्षी को मिस सिंसियर के खिताब से सुशोभित किया गया। निर्णायक मंडल में डा.रतीश, डाइरेक्��र एचआर शरदी गर्ग और विभागाध्यक्ष शांतनु पाल थे।
कबीर परमेश्वर (कविर्देव) ने आगे बताया है कि परब्रह्म (अक्षर पुरुष) ने अपने कार्य में गफलत की क्योंकि यह मानसरोवर में सो गया तथा जब परमेश्वर (मैंनें अर्थात् कबीर साहेब ने) उस सरोवर में अण्डा छोड़ा तो अक्षर पुरुष (परब्रह्म) ने उसे क्रोध से देखा। इन दोनों अपराधों के कारण इसे भी सात शंख ब्रह्माण्ड़ों सहित सतलोक से बाहर कर दिया।
अन्य कारण अक्षर पुरुष (परब्रह्म) अपने साथी ब्रह्म (क्षर पुरुष) की विदाई में व्याकुल होकर परमपिता कविर्देव (कबीर परमेश्वर) की याद भूलकर उसी को याद करने लगा तथा सोचा कि क्षर पुरुष (ब्रह्म) तो बहुत आनन्द मना रहा होगा, वह स्वतंत्र राज्य करेगा, मैं पीछे रह गया तथा अन्य कुछ आत्माएँ जो परब्रह्म के साथ सात शंख ब्रह्माण्डों में जन्म-मृत्यु का
कर्मदण्ड भोग रही हैं, उन हंस आत्माओं की विदाई की याद में खो गई जो ब्रह्म (काल) के साथ इक्कीस ब्रह्माण्डों में फंसी हैं तथा पूर्ण परमात्मा, सुखदाई कविर्देव की याद भुला दी।
परमेश्वर कविर् देव के बार-बार समझाने पर भी आस्था कम नहीं हुई। परब्रह्म (अक्षर पुरुष) ने सोचा कि मैं भी अलग स्थान प्राप्त करूँ तो अच्छा रहे। यह सोच कर राज्य प्राप्ति की
इच्छा से सारनाम का जाप प्रारम्भ कर दिया। इसी प्रकार अन्य आत्माओं ने (जो परब्रह्म के सात शंख ब्रह्माण्डों में फंसी हैं) सोचा कि वे जो ब्रह्म के साथ आत्माएँ गई हैं वे तो वहाँ मौज-मस्ती मनाएँगे, हम पीछे रह गये। परब्रह्म के मन में यह धारणा बनी कि क्षर पुरुष
अलग होकर बहुत सुखी होगा। यह विचार कर अन्तरात्मा से भिन्न स्थान प्राप्ति की ठान ली। परब्रह्म (अक्षर पुरुष) ने हठ योग नहीं किया, परन्तु केवल अलग राज्य प्राप्ति के लिए
सहज ध्यान योग विशेष कसक के साथ करता रहा। अलग स्थान प्राप्त करने के लिए पागलों की तरह विचरने लगा, खाना-पीना भी त्याग दिया। अन्य कुछ आत्माएँ जो पहले काल ब्रह्म के साथ गई आत्माओं के प्रेम में व्याकुल थी, वे अक्षर पुरूष के वैराग्य पर आसक्त होकर उसे चाहने लगी। पूर्ण प्रभु के पूछने पर परब्रह्म ने अलग स्थान माँगा तथा कुछ हंसात्माओं
के लिए भी याचना की। तब कविर्देव ने कहा कि जो आत्मा आपके साथ स्वेच्छा से जाना चाहें उन्हें भेज देता हूँ। पूर्ण प्रभु ने पूछा कि कौन हंस आत्मा परब्रह्म के साथ जाना चाहता है, सहमति व्यक्त करे। बहुत समय उपरान्त एक हंस ने स्वीकृति दी, फिर देखा-देखी उन सर्व आत्माओं ने भी सहमति व्यक्त कर दी। सर्व प्रथम स्वीकृति देने वाले हंस को स्त्रा रूप
बनाया, उसका नाम ईश्वरी माया (प्रकृति सुरति) रखा तथा अन्य आत्माओं को उस ईश्वरी माया में प्रवेश करके अचिन्त द्वारा अक्षर पुरुष (परब्रह्म) के पास भेजा। (पतिव्रता पद से गिरने की सजा पाई।) कई युगों तक दोनों सात शंख ब्रह्माण्डों में रहे, परन्तु परब्रह्म ने दुर्व्यवहार नहीं किया। ईश्वरी माया की स्वेच्छा से अंगीकार किया तथा अपनी शब्द शक्ति द्वारा नाखुनों से स्त्री इन्द्री (योनि) बनाई। ईश्वरी देवी की सहमति से संतान उत्पन्न की।
इस लिए परब्रह्म के लोक (सात शंख ब्रह्माण्डों) में प्राणियों को तप्तशिला का कष्ट नहीं है तथा वहाँ पशु-पक्षी भी ब्रह्म लोक के देवों से अच्छे चरित्र युक्त हैं। आयु भी बहुत लम्बी है, परन्तु जन्म - मृत्यु कर्माधार पर कर्मदण्ड तथा परिश्रम करके ही उदर पूर्ति होती है। स्वर्ग तथा नरक भी ऐसे ही बने हैं। परब्रह्म (अक्षर पुरुष) को सात शंख ब्रह्माण्ड उसके इच्छा रूपी भक्ति ध्यान अर्थात् सहज समाधि विधि से की उस की कमाई के प्रतिफल में प्रदान किये तथा सत्यलोक से भिन्न स्थान पर गोलाकार परिधि में बन्द करके सात शंख ब्रह्माण्डों सहित अक्षर ब्रह्म व ईश्वरी माया को निष्कासित कर दिया।
पूर्ण ब्रह्म (सतपुरुष) असंख्य ब्रह्माण्डों जो सत्यलोक आदि में हैं तथा ब्रह्म के इक्कीस ब्रह्माण्डों तथा परब्रह्म के सात शंख ब्रह्माण्डों का भी प्रभु (मालिक) है अर्थात् परमेश्वर कविर्देव कुल का मालिक है।
श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी आदि के चार-चार भुजाएं तथा 16 कलाएं हैं तथा प्रकृति देवी (दुर्गा) की आठ भुजाएं हैं तथा 64 कलाएं हैं। ब्रह्म (क्षर पुरुष) की एक
हजार भुजाएं हैं तथा एक हजार कलाएं है तथा इक्कीस ब्रह्माण्ड़ों का प्रभु है। परब्रह्म (अक्षर पुरुष) की दस हजार भुजाएं हैं तथा दस हजार कला हैं तथा सात शंख ब्रह्माण्डों का प्रभु है।
पूर्ण ब्रह्म (परम अक्षर पुरुष अर्थात् सतपुरुष) की असंख्य भुजाएं तथा असंख्य कलाएं हैं तथा ब्रह्म के इक्कीस ब्रह्माण्ड व परब्रह्म के सात शंख ब्रह्माण्डों सहित असंख्य ब्रह्माण्डों का प्रभु है। प्रत्येक प्रभु अपनी सर्व भुजाओं को समेट कर केवल दो भुजाएं भी रख सकते हैं तथा जब
चाहें सर्व भुजाओं को भी प्रकट कर सकते हैं। पूर्ण परमात्मा परब्रह्म के प्रत्येक ब्रह्माण्ड में भी अलग स्थान बनाकर अन्य रूप में गुप्त रहता है। यूं समझो जैसे एक घूमने वाला कैमरा
बाहर लगा देते हैं तथा अन्दर टी.वी. (टेलीविजन) रख देते हैं। टी.वी. पर बाहर का सर्व दृश्य नजर आता है तथा दूसरा टी.वी. बाहर रख कर अन्दर का कैमरा स्थाई करके रख दिया जाए, उसमें केवल अन्दर बैठे प्रबन्धक का चित्रा दिखाई देता है। जिससे सर्व कर्मचारी सावधान रहते हैं।
इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा अपने सतलोक में बैठ कर सर्व को नियंत्रित किए हुए हैं तथा प्रत्येक ब्रह्माण्ड में भी सतगुरु कविर्देव विद्यमान रहते हैं जैसे सूर्य दूर होते हुए भी अपना प्रभाव अन्य लोकों में बनाए हुए है।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
Uma Ramanan: प्रसिद्ध पार्श्व गायिका उमा रामानन, जिन्हें संगीत उस्ताद इलैयाराजा के साथ उनके सहयोग के लिए जाना जाता है, का लंबी बीमारी के बाद दुखद निधन हो गया है। तमिल संगीत में अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों के लिए मशहूर उमा रामानन ने 1 मई को चेन्नई में दुनिया को अलविदा कह दिया। जैसा कि हम उनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था के बारे में अधिक जानकारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं, संगीत उद्योग एक प्रतिभाशाली कलाकार के निधन पर शोक मना रहा है, जिसकी सुरीली आवाज ने अनगिनत दिलों पर अमिट छाप छोड़ी है।
उमा रामानन का बीमारी से साहसी संघर्ष के बाद बुधवार को निधन हो गया। हालांकि उनके निधन का सटीक कारण अज्ञात है, संगीत बिरादरी एक प्रिय प्रतिभा के निधन पर शोक मनाती है, जिनके योगदान ने तमिल संगीत परिदृश्य को समृद्ध किया। 72 साल की उम्र में उमा रामानन ने अविस्मरणीय धुनों की विरासत छोड़कर अपनी अंतिम विदाई ली। जैसा कि हम उनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था के बारे में अधिक जानकारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं, हम अपने संगीत के माध्यम से उनके द्वारा किए गए गहरे प्रभाव और अपने पीछे छोड़ी गई यादों पर विचार करते हैं।
उमा रामानन के परिवार में उनके पति एवी रामानन, जो एक गायक हैं, और उनका बेटा विग्नेश रामानन हैं। संगीत में उमा की यात्रा पज़ानी विजयलक्ष्मी के मार्गदर्शन में शास्त्रीय प्रशिक्षण से शुरू हुई। भाग्य ने तब हस्तक्षेप किया जब उसकी मुलाकात रामानन से हुई, जो अपने लाइव प्रदर्शन के लिए गायकों की तलाश में था। उनका पेशेवर सहयोग जल्द ही एक गहरे और स्थायी प्यार में बदल गया, जिससे मंच पर और बाहर दोनों जगह एक खूबसूरत यात्रा की शुरुआत हुई।
Musical Legacy of Three Decades
एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायिका के रूप में उमा रामानन का शानदार करियर ��ीन दशकों तक चला, इस दौरान उन्होंने 6,000 से अधिक संगीत कार्यक्रमों में मंच की शोभा बढ़ाई। उनकी संगीत यात्रा की शुरुआत 1977 में फिल्म “श्री कृष्ण लीला” के लिए एसवी वेंकटरमन द्वारा रचित गीत “मोहनन कन्नन मुरली” से हुई। इसने एक उल्लेखनीय यात्रा की शुरुआत की, जिसके माध्यम से उमा रामानन ने संगीत की दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी। उनका मंत्रमुग्ध कर देने वाला प्रदर्शन और सदाबहार धुनें।
Jamshedpur rural headmistress retires : बड़ाजुड़ी उत्क्रमित उच्च विद्यालय की प्रधानाध्यापिका फूलमनी मुर्मू सेवानिवृत्त, स्कूल के शिक्षकों व विद्यार्थियों ने भी श्रीमती मुर्मू को दी भावभीनी विदाई
घाटशिला : घाटशिला प्रखंड अंतर्गत बड़ाजुड़ी उत्क्रमित उच्च विद्यालय की प्रधानाध्यापिका फूलमनी मुर्मू मंगलवार को सेवानिवृत्त हो गईं. फुलमनी मुर्मू बड़ाजुड़ी में 31 सितम्बर 2017 को पदस्थापित हुई थीं. उनकी पहली पदस्थापना बराज मध्य विद्यालय, गालूडीह में हुई थी. उसके बाद कन्या मध्य विद्यालय घाटशिला में भी उन्होंने अपनी सेवा दी. श्रीमती मुर्मू ने माधुरी कुमारी को विद्यालय का प्रभार सौंपने के बाद आभार…
इटारसी। कहते हैं, इस जीवन में कभी कुछ साथ जाता है तो आपका व्यक्तित्व है, जिसे लोग वर्षों-बरस याद रखते हैं। ऐसे ही एक कुशल व्यवहार के धनी रेंजर की ऐसी विदाई हुई कि इससे पहले किसी रेंजर को ऐसे कर्मचारियों ने विदा नहीं किया। रेंजर नवन सिंह चौहान सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बोरी रेंज से रिटायर हुए तो कर्मचारियों ने मन से उनको शुभकामनाएं देकर विदा किया। विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों ने उनके सेवानिवृत्ति…
आज साल 2023 की विदाई हो रही है, यह साल किसी के लिए खुशियां लाई तो किसी को अति दुःख भरी तोहफा दिया है। हमारे लिए साल का पहला महीना अच्छा रहा.... बेटी की जन्म हुई , 22/01/2023को,घर में अपार खुशियां मनाई गई
उसके बाद साल के बीच में काफी उतार आए, फाइनली हमारे पूजनीय माता जी हमे छोड़कर चली गई 😭😭
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आज पूरी दुनिया new year की स्वागत में जश्न में डूबे हैं, हमारे चॉल में new year celebration किया जा रहा है
तेलंगाना में क्याें जा रही है केसीआर की सरकार, क्या है कांग्रेस की वापसी का कारण, जानें सबकुछ
हैदराबाद: तेलंगाना विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल के आंकड़ों में परिवर्तन का अनुमान व्यक्त किया गया है।आज तक-एक्सिस माइ इंडिया के एग्जिट पोल में भी केसीआर की सरकार की विदाई होने की तस्वीर उभरी है। इसमें केसीआर की अगुवाई वाली बीआरएस आधी सीटों पर सिमट गई है। एग्जिट पोल में बीआरएस को 34 से 44 दी गई हैं। 2018 के चुनावों में केसीआर ने 88 सीटें जीतकर वापसी की थी। एग्जिट पोल में कांग्रेस को 63 से 73 सीटें तक मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है। अगर ऐसा होता है तो राज्य में पहली बार कांग्रेस की सरकार बनेगी। यूपीए सरकार ने 2013 में तेलंगाना को राज्य बनाने का ऐलान किया था। 2014 में राज्य बनने के बाद से वहां पर केसीआर ही मुख्यमंत्री हैं। किन मुद्दों पर हुई वोटिंग? आज तक-एक्सिस माइ इंडिया के एग्जिट पोल बीजेपी को 4 से 8 और को 5 से सात सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया है। एग्जिट पोल में केसीआर सरकार की विदाई और परिवर्तन के पीछे के कारणों को बताया गया है। इसमें सामने आया है कि राज्य के 25 फीसदी लोगों ने परिवर्तन के लिए वोट किया। तेलंगाना विधानसभा चुनावों में बदलाव एक बड़ा मुद्दा बना। जिसका फायदा कांग्रेस को मिला। एग्जिट पोल के अनुसार राज्य का विकास दूसरा बड़ा मुद्दा रहा। इस पर 15 फीसदी लोगों ने वोट किया। 12 फीसदी लोगों ने सीएम केसीआर के काम को ध्यान में रख मतदान किया। बीआरएस को वोट बैंक गिरा एग्जिट पोल में जहां बीआरएस की सीटें आधी रह गई हैं तो वहीं पार्टी के वोट प्रतिशत में भारी गिरावट आई है। 119 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 60 सीटों का है। 2018 के चुनावों में बीआरएस (पहले TRS) को 46.9 फीसदी वोट मिले थे। इस बार के चुनाव नतीजों में बीआरएस का वोट प्रतिशत 36 फीसदी रहने की उम्मीद है। कांग्रेस को 42 फीसदी और बीजेपी को 14 फीसदी वोट मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है। एआईएमआईएम को तीन फीसदी वोट और अन्य के खाते में पांच फीसदी रहने का अनुमान है। तेलंगाना के चुनाव नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे। एग्जिट पोल में बीआर��स के बाहर के अनुमान के बाद पार्टी नेताओं को हैट्रिक की उम्मीद है। http://dlvr.it/SzZPvJ
चौकी प्रभारी की भव्य विदाई के दौरान नम हुई सैकड़ो आंखे
संवाददाता -तेज नारायण गुप्ता जनपद
कानपुर नगर घाटमपुर- थाना रेउना के चौकी प्रभारी कुलदीप सिंह यादव जिन्होंने ड्यूटी पर तैनात रहते माफियाओ और अपराधियों को पुलिस की ताकत का अहसास कराया और माफियाओ और अपराधियों पर ताबड़तोड़ कार्यवाही करते हुए कानपुर पुलिस पर चार चाँद लगा दिए क्षेत्रीय लोगो की माने तो अपने कार्यों को लेकर समाज में प्रशंसा के पात्र बन कर रहने वाले साधारण स्वभाव के साथ लोगो की समस्याओं का…
Yeh Rishta Kya Kehlata Hai 12th August 2023 Hindi Written Episode Update
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आज के इस एपिसोड की शुरुआत अभिनव के यह कहते हुए होती है कि मैंने सोचा था कि तुम मुझे थप्पड़ मारोगे, तुम्हें अस्पताल में थप्पड़ मारना पसंद है। वह कहती है कि अगर तुम मुझे इस तरह डराओगे तो मैं तुम्हें और थप्पड़ मारूंगी,
तुमने मुझे बहुत डरा दिया है, कृपया दोबारा ऐसा मत करो, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती। वह सॉरी कहता है. वह कहती है धन्यवाद, आपने अभीर और मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ा, हम आपके बिना नहीं रह सकते। वह कहता है
कि मैंने तुमसे हमेशा तुम्हारे साथ रहने और जीवन जीने का वादा किया है, मैं अपना वादा निभाना चाहता हूं, मुझे तुम्हारे थप्पड़ से डर लगता है, क्या तुम कृपया एक गाना गाओगे।
वह सिर हिलाती है और कहती है कि मैं तब तक गाऊंगी जब तक आप मुझे नहीं रोकेंगे। मनीष कहते हैं, हमारे बच्चे को बचाने के लिए धन्यवाद, मैं अभिनव के नाम से अस्पताल को कुछ दान करना चाहता हूं। डॉक्टर कहते हैं कि हमने अपना काम किया,
हाथ की पट्टी पर ILU लिखती है
यह अच्छा है। अक्षु धीमे-धीमे गौं गाती है... वे समय बिताते हैं। वह उसके हाथ की पट्टी पर ILU लिखती है। वह उसे गले लगाती है और मुस्कुराती है। अभि कहता है कि उन्हें सर्जरी के बाद 24 घंटे तक अभिनव की देखभाल करनी होगी, कुछ भी हो सकता है। अभिनव ��हते हैं मैं तुमसे प्यार करता हूं अक्षरा।
वह कहती है कि आई लव यू अभिनव। वह उसकी जाँच करती है और पूछती है कि क्या हुआ। वह चिल्लाती है डॉक्टर... बाहर हर कोई उसकी बात सुनता है। डॉक्टरों की भीड़ है. वार्ड ब्वॉय ने परिवार को रोका। वे चिंता करते हैं।
अभि तनावग्रस्त महसूस करता है। डॉक्टर अभिनव की जाँच करते हैं। उनका कहना है कि यह आंतरिक रक्तस्राव है। अक्षु और अभिनव एक दूसरे को देखते हैं। कायरव कहता है अक्षु अकेला है, चलो अंदर चलते हैं।
मुस्कान कहती है चलो चलें। वह आदमी कहता है कि इसकी अनुमति नहीं है। अभि कहता है कि मेरा दिल क्यों तनावग्रस्त है, अक्षरा या जूनियर, शर्मा जी, क्या वह ठीक है।
उसे अपना लॉकेट चेंजिंग रूम में रखना याद है। वह कहता है सर, मैं एक फोन करना चाहता हूं, यह जरूरी है। कांस्टेबल ने मना कर दिया. अभिनव अक्षु और उसके पूरे जीवन को याद करता है।
मैं तुम दोनों से प्यार करता हूं
डॉक्टर का कहना है कि शरीर दौरे पर जा रहा है। अभिनव अभिर चिल्लाता है...उसे बताओ कि मैं तुम दोनों से प्यार करता हूं। वह मर जाता है। उसका हाथ छूट जाता है. अक्षु चौंक जाती है और अभिनव को चिल्लाती है।
डॉक्टर कहते हैं, क्षमा करें, वह अब नहीं रहे। वह उसके बारे में सोचती है और पीछे हट जाती है। वह बैठ कर रोने लगती है. मनीष और सभी लोग दौड़ते हुए आते हैं। नर्स को अभिनव को सफेद कपड़े से ढकते हुए देखकर वे चौंक जाते हैं।
मुस्कान भाई जी चिल्लाती है और नर्स को रोकती है। नीला सदमे में रोती है। वह अभिनव को पकड़ती है और कहती है कि नहीं, ऐसा नहीं हो सकता, एक बार फिर से जांच लें, उसका हाथ गर्म है, उसमें जान है, वह जिंदा है, प्लीज। वह अक्षु से कहती है कि वह उन्हें बताए कि वह जीवित है। कायरव उसे गले लगाता है।
वे सब रोते हैं. सुवर्णा अक्षु को उठने के लिए कहती है। मुस्कान अभिनव को गले लगाती है और रोती है। मंजिरी और परिवार आते हैं। वे चौंक जाते हैं. मुस्कान का कहना है कि अभिनव एक अच्छा आदमी था,
वह कहती है कि आपके बेटे ने अभिनव को मार डाला है
लोग लंबे समय तक जीवित रहते हैं, वह इतनी जल्दी क्यों मर गया। वह मंजिरी को अभिनव को छूने से रोकती है। वह कहती है कि आपके बेटे ने अभिनव को मार डाला है, मैं यहां हूं, मैं कसम खाती हूं, मैं आपके बेटे को जेल भेजूंगी। मंजिरी रोती है.
कायरव कहता है मुस्कान शांत हो जाओ। मुस्कान का कहना है कि उन्होंने मेरे भाई को छीन लिया, वे यहां आंसू बहाने आए थे। अक्षु उठती है और अभिनव का हाथ पकड़ लेती है। वह आपकी नजरों ने समझा...गाती है।
हर कोई रोता है. वह उसे कंबल से ढक देती है और उसके बाल सेट करती है। वह उसे काजल लगाती है और कहती है आराम करो, हमें घर जाना है, अभिर इंतजार कर रहा है, उसने कहा कि हम आपका जन्मदिन नहीं मना सकते, हम विदाई मनाएंगे और कसौली जाएंगे।
कायरव कहता है अक्षु, अभिनव है... वह कहती है सावधान, वह सो रहा है, उसकी सर्जरी हुई है, उसे ठीक होना है। अभिर उसे फोन करता है और पूछता है कि तुम और पापा कब आ रहे हो। अक्षु अभिर से कहता है... वह कहता है कि मैं रूही को दोस्त के घर ले आया, क्या पिताजी कसौली से वापस आए। अक्षु मुस्कुराती है और कहती है हाँ, हम घर आ रहे हैं।
आगे क्या देखने को मिलेगा
मंजिरी का कहना है कि अभिनव ने हमें छोड़ दिया। अभि हैरान है. पंडित पूछता है कि अंतिम संस्कार कौन करेगा। दादी का कहना है कि अभीर को यह करना चाहिए। अक्षु कहता है नहीं, मैं यह करूंगा।
कबीर परमेश्वर (कविर्देव) ने आगे बताया है कि परब्रह्म (अक्षर पुरुष) ने अपने कार्य में गफलत की क्योंकि यह मानसरोवर में सो गया तथा जब परमेश्वर (मैंनें अर्थात् कबीर साहेब ने) उस सरोवर में अण्डा छोड़ा तो अक्षर पुरुष (परब्रह्म) ने उसे क्रोध से देखा। इन दोनों अपराधों के कारण इसे भी सात संख ब्रह्माण्ड़ों सहित सतलोक से बाहर कर दिया। अन्य कारण अक्षर पुरुष (परब्रह्म) अपने साथी ब्रह्म (क्षर पुरुष) की विदाई में व्याकुल होकर परमपिता कविर्देव (कबीर परमेश्वर) की याद भूलकर उसी को याद करने लगा तथा सोचा कि क्षर पुरुष (ब्रह्म) तो बहुत आनन्द मना रहा होगा, वह स्वतंत्र राज्य करेगा, मैं पीछे रह गया तथा अन्य कुछ आत्माऐं जो परब्रह्म के साथ सात संख ब्रह्माण्डों में जन्म-मृत्यु का कर्मदण्ड भोग रही हैं, उन हंस आत्माओं की विदाई की याद में खो गई जो ब्रह्म (काल) के साथ इक्कीस ब्रह्माण्डों में फंसी हैं तथा पूर्ण परमात्मा, सुखदाई कविर्देव की याद भुला दी। परमेश्वर कविर् देव के बार-बार समझाने पर भी आस्था कम नहीं हुई। परब्रह्म (अक्षर पुरुष) ने सोचा कि मैं भी अलग स्थान प्राप्त करूं तो अच्छा रहे। यह सोच कर राज्य प्राप्ति की इच्छा से सारनाम का जाप प्रारम्भ कर दिया। इसी प्रकार अन्य आत्माओं ने (जो परब्रह्म के सात संख ब्रह्माण्डों में फंसी हैं) सोचा कि वे जो ब्रह्म के साथ आत्माऐं गई हैं वे तो वहाँ मौज-मस्ती मनाऐंगे, हम पीछे रह गये। परब्रह्म के मन में यह धारणा बनी कि क्षर पुरुष अलग होकर बहुत सुखी होगा। यह विचार कर अन्तरात्मा से भिन्न स्थान प्राप्ति की ठान ली। परब्रह्म (अक्षर पुरुष) ने हठ योग नहीं किया, परन्तु केवल अलग राज्य प्राप्ति के लिए सहज ध्यान योग विशेष कसक के साथ करता रहा। अलग स्थान प्राप्त करने के लिए पागलों की तरह विचरने लगा, खाना-पीना भी त्याग दिया। अन्य कुछ आत्माऐं जो पहले काल ब्रह्म के साथ गई आत्माओं के प्रेम में व्याकुल थी, वे अक्षर पुरूष के वैराग्य पर आसक्त होकर उसे चाहने लगी। पूर्ण प्रभु के पूछने पर परब्रह्म ने अलग स्थान माँगा तथा कुछ हंसात्माओं के लिए भी याचना की। तब कविर्देव ने कहा कि जो आत्मा आपके साथ स्वेच्छा से जाना चाहें उन्हें भेज देता हूँ। पूर्ण प्रभु ने पूछा कि कौन हंस आत्मा परब्रह्म के साथ जाना चाहता है, सहमति व्यक्त करे। बहुत समय उपरान्त एक ह���स ने स्वीकृति दी, फिर देखा-देखी उन सर्व आत्माओं ने भी सहमति व्यक्त कर दी। सर्व प्रथम स्वीकृति देने वाले हंस को स्त्राी रूप बनाया, उसका नाम ईश्वरी माया (प्रकृति सुरति) रखा तथा अन्य आत्माओं को उस ईश्वरी माया में प्रवेश करके अचिन्त द्वारा अक्षर पुरुष (परब्रह्म) के पास भेजा। (पतिव्रता पद से गिरने की सजा पाई।) कई युगों तक दोनों सात संख ब्रह्माण्डों में रहे, परन्तु परब्रह्म ने दुव्र्यवहार नहीं किया। ईश्वरी माया की स्वेच्छा से अंगीकार किया तथा अपनी शब्द शक्ति द्वारा नाखुनों से स्त्राी इन्द्री (योनि) बनाई। ईश्वरी देवी की सहमति से संतान उत्पन्न की। इस लिए परब्रह्म के लोक (सात संख ब्रह्माण्डों) में प्राणियों को तप्तशिला का कष्ट नहीं है तथा वहाँ पशु-पक्षी भी ब्रह्म लोक के देवों से अच्छे चरित्र युक्त हैं। आयु भी बहुत लम्बी है, परन्तु जन्म - मृत्यु कर्माधार पर कर्मदण्ड तथा परिश्रम करके ही उदर पूर्ति होती है। स्वर्ग तथा नरक भी ऐसे ही बने हैं। परब्रह्म (अक्षर पुरुष) को सात संख ब्रह्माण्ड उसके इच्छा रूपी भक्ति ध्यान अर्थात् सहज समाधि विधि से की उस की कमाई के प्रतिफल में प्रदान किये तथा सत्यलोक से भिन्न स्थान पर गोलाकार परिधि में बन्द करके सात संख ब्रह्माण्डों सहित अक्षर ब्रह्म व ईश्वरी माया को निष्कासित कर दिया।
पूर्ण ब्रह्म (सतपुरुष) असंख्य ब्रह्माण्डों जो सत्यलोक आदि में हैं तथा ब्रह्म के इक्कीस ब्रह्माण्डों तथा परब्रह्म के सात संख ब्रह्माण्डों का भी प्रभु (मालिक) है अर्थात् परमेश्वर कविर्देव कुल का मालिक है।
श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी आदि के चार-चार भुजाएं तथा 16 कलाएं हैं तथा प्रकृति देवी (दुर्गा) की आठ भुजाएं हैं तथा 64 कलाएं हैं। ब्रह्म (क्षर पुरुष) की एक हजार भुजाएं हैं तथा एक हजार कलाएं है तथा इक्कीस ब्रह्माण्डों का प्रभु है। परब्रह्म (अक्षर पुरुष) की दस हजार भुजाऐं हैं तथा दस हजार कला हैं तथा सात संख ब्रह्माण्डों का प्रभु है। पूर्ण ब्रह्म (परम अक्षर पुरुष अर्थात् सतपुरुष) की असंख्य भुजाएं तथा असंख्य कलाएं हैं तथा ब्रह्म के इक्कीस ब्रह्माण्ड व परब्रह्म के सात संख ब्रह्माण्डों सहित असंख्य ब्रह्माण्डों का प्रभु है। प्रत्येक प्रभु अपनी सर्व भुजाओं को समेट कर केवल दो भुजाएं भी रख सकते हैं तथा जब चाहें सर्व भुजाओं को भी प्रकट कर सकते हैं। पूर्ण परमात्मा परब्रह्म के प्रत्येक ब्रह्माण्ड में भी अलग स्थान बनाकर अन्य रूप में गुप्त रहता है। यूं समझो जैसे एक घूमने वाला कैमरा बाहर लगा देते हैं तथा अन्दर टी.वी. (टेलीविजन) रख देते हैं। टीवी. पर बाहर का सर्व दृश्य नजर आता है तथा दूसरा टी.वी. बाहर रख कर अन्दर का कैमरा स्थाई करके रख दिया जाए, उसमें केवल अन्दर बैठे प्रबन्धक का चित्र दिखाई देता है। जिससे सर्व कर्मचारी सावधान रहते हैं।
इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा अपने सतलोक में बैठ कर सर्व को नियंत्रित किए हुए हैं तथा प्रत्येक ब्रह्माण्ड में भी सतगुरु कविर्देव विद्यमान रहते हैं जैसे सूर्य दूर होते हुए भी अपना प्रभाव अन्य लोकों में बनाए हुए है।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।