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#होलिका दहन की कथा
publickart · 6 months
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Holi 2024: होली से जुड़ी है यह पौराणिक कथा, जानिए क्या हुआ था हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के साथ
Holi 2024: रंगों के त्योहार होली का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. पारंपरिक रूप से होली 2 दिन मनाई जाती है. इस त्योहार की शुरुआत फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन (Holika Dahan) से होता है और अगले दिन रंग खेलने का दिन होता है. होली के दिन लोग आपस की सारी शिकायतें भूल जाते हैं और जमकर रंगों से खेलते हैं. यह त्योहार प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है. आइए जानते हैं किस दिन मनाई जाएगी होली, कितने बजे…
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bachpankikahaniya · 6 months
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होलिका दहन की कथा I Holika Dahan Ki Katha I #BhaktiKahani I #BhaktiStori...
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prabudhajanata · 2 years
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रंगों का त्योहार होली छातापुर प्रखण्ड मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत तरीके से हर्षोल्लास के साथ बुधवार को मनाया गया। छातापुर प्रखंड मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में होली खेले रघुवीरा अवध में होली खेलें रघुवीरा,  रंग बरसै चुनरवाली रंग बरसै, होली के दिन दिल मिल जाते हैं, रंगों में रंग खिल जाते हैं आदि गीतों की धुन पर मुख्यालय बाजार समेत अन्य स्थानों पर टोली में शामिल युवा थिरकते नजर आए। छातापुर में कई स्थानों पर होलेया टीम द्वारा होली के रंग गुलाल खेलने समेत होली गीत की प्रस्तुति दी गई। छातापुर सदर पंचायत में होलिका दहन के साथ ही होली गीतों की धूम रही। जो कि मंगलवार की रात मनाई गई। जबकि अगले दिन बुधवार को सुबह में ही लोग होलिका दहन स्थलों पर  होली गीत गाते हुए पहुंचे और विधि विधान से होलिका की धूल उड़ाई और मौके पर वाद्ययंत्रों के साथ होली गीत के कार्यक्रम हुए। इसके साथ शुरू होली गीतों का कार्यक्रम दोपहर तक चलता रहा। रंग का दौर थमने के बाद लोगों का एक दूसरे घरों आकर गले मिलने तथा बड़ों को प्रणाम करने का सिलसिला शुरू हुआ। जो देर शाम तक चलता रहा। घरों में होली का मुख्य पकवान पुआ के साथ दही बाड़े, पूड़ी, सब्जी, खीर तथा तरह-तरह के व्यंजन  पकाए गए। इन्हीं व्यंजनों से आगंतुकों का स्वागत किया गया। होली को लेकर खासकर बच्चों में व्यापक उत्साह दिख रहा था।  गली कूचों में फिल्मी धुन पर होली गीतों में बच्चे तथा युवा थिरकते दिखाई पड़े। होली को लेकर हर तबके में काफी उत्साह था। जबकि विधि व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन काफी सजग दिखे। मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में समय समय पर निरीक्षण करते दिखे।  क्यों होती है होली पर्व:  ‘रंगों के त्यौहार’ के तौर पर मशहूर होली का त्योहार फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। तेज संगीत और ढोल के बीच एक दूसरे पर रंग और पानी फेंका जाता है। भारत के अन्य त्यौहारों की तरह होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। प्राचीन पौराणि��� कथा के अनुसार होली का त्योहार, हिरण्यकश्यप की कहानी जुड़ी है। बताया जाता है कि … हिरण्यकश्यप प्राचीन भारत का एक राजा था जो कि राक्षस की तरह था। वह अपने छोटे भाई की मौत का बदला लेना चाहता था जिसे भगवान विष्णु ने मारा था। इसलिए अपने आप को शक्तिशाली बनाने के लिए उसने सालों तक प्रार्थना की। आखिरकार उसे वरदान मिला। लेकिन इससे हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझने लगा और लोगों से खुद की भगवान की तरह पूजा करने को कहने लगा। इस दुष्ट राजा का एक बेटा था जिसका नाम प्रहलाद था और वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। प्रहलाद ने अपने पिता का कहना कभी नहीं माना और वह भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। बेटे द्वारा अपनी पूजा ना करने से नाराज उस राजा ने अपने बेटे को मारने का निर्णय किया। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए क्योंकि होलिका आग में जल नहीं सकती थी। उनकी योजना प्रहलाद को जलाने की थी, लेकिन उनकी योजना सफल नहीं हो सकी क्योंकि प्रहलाद सारा समय भगवान विष्णु का नाम लेता रहा और बच गया पर होलिका जलकर राख हो गई। होलिका की ये हार बुराई के नष्ट होने का प्रतीक है। इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया, इसलिए होली का त्योहार, होलिका की मौत की कहानी से जुड़ा हुआ है। इसके चलते भारत के कुछ राज्यों में होली से एक दिन पहले बुराई के अंत के प्रतीक के तौर पर होली जलाई जाती है।
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animation-stories · 2 years
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होलिका दहन की कथा | Holika Dahan Ki Katha | Hindi Kahani | Bhakti Kahani...
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होली की अनजानी कथा : इलोजी और होलिका की प्रेम गाथा
Holika katha    Holika dahan 2023 : धार्मिक शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन का पर्व विष्णु भक्त प्रहलाद की कथा से जुड़ा है। होलिका उनकी बुआ थी और हिरण्यकश्यप उनके पिताजी थे। होलिका को ब्रह्माजी ने अग्नि से जलकर नहीं मरने का वरदान दिया था। इसी वरदान के चलते होलिका ने हिरण्यकश्यप के कहने पर भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में बैठाकर अग्निकुंड में बैठ गई थीं।    हालांकि वरदान के दुरुपयोग करने के चलते वे…
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ragbuveer · 2 years
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*होली त्योहार 2023*
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*महत्वपूर्ण जानकारी*
होली और होलिका दहन 2023
बुधवार, 08 मार्च 2023
होलिका दहन मुहूर्त - मंगलवार, 07 मार्च 2023, समय 06:29 अपराह्न से 08:54 अपराह्न तक
पूर्णिमा तिथि शुरू - 06 मार्च 2023 अपराह्न 04:17 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 07 मार्च 2023 अपराह्न 06:09 बजे*
होली स्पेशल भोग और प्रसाद
होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला रंगों का एक त्योहार है। यह एक प्राचीन हिंदू धार्मिक उत्सव है और कभी-कभी इस त्योहार को प्यार का त्योहार भी कहा जाता है।
यह मुख्यतः भारत, नेपाल और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में मुख्य रूप से भारतीय मूल के लोगों के बीच मनाया जाता है। यह त्यौहार यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है। यह प्रेम, उल्लास और रंगों का एक वसंत उत्सव है। मथुरा, वृन्दावन, बरसाने और नंदगाँव की लठमार होली तो प्रसिद्ध है ही देश विदेश के अन्य स्थलों पर भी होली की परंपरा है। उत्साह का यह त्योहार फाल्गुन मास (फरवरी व मार्च) के अंतिम पूर्णिमा के अवसर पर उल्लास के साथ मनाया जाता है।
त्योहार का एक धार्मिक उद्देश्य भी है, जो प्रतीकात्मक रूप से होलिका की किंवदंती के द्वारा बताया गया है। होली से एक रात पहले होलिका जलाई जाती है जिसे होलिका दहन (होलिका के जलने) के रूप में जाना जाता है। लोग आग के पास इकट्ठा होते है नृत्य और लोक गीत गाते हैं। अगले दिन, होली का त्योहार मनाया जाता जिसे संस्कृत में धुलेंडी के रूप में जाना जाता हैै। रंगों का उत्सव आनंदोत्सव शुरू करता है, जहां हर कोई खेलता है, सूखा पाउडर रंग और रंगीन पानी के साथ एक दूसरे का पीछा करते है और रंग लगाते है। कुछ लोग पानी के पिचकारी और रंगीन पानी से भरा गुब्बारे लेते हैं और दूसरों पर फेंक देते हैं और उन्हें रंग देते हैं। बच्चे और एक दूसरे पर युवाओं स्प्रे रंग, बड़े एक-दूसरे के चेहरे पर सूखी रंग का पाउडर गुलाल लगाते है। आगंतुकों को पहले रंगों से रंगा जाता है, फिर होली के व्यंजनों, डेसर्ट और पेय जल परोसा जाता है।
यह त्यौहार सर्दियों के अंत के साथ वसंत के आने का भी प्रतीक है। कई लोगों के लिए यह ऐसा समय होता है जिसमें लोग आपसी दुश्मनी और संचित भावनात्मक दोष समाप्त करके अपने संबंधों को सुधारने के लिए लाता है।
होलिका दहन की तरह, कामा दहानाम भारत के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। इन भागों में रंगों का त्योहार रंगपंचमी कहलाता है, और पंचमी (पूर्णिमा) के बाद पांचवें दिन होता है।
*क्यो मनाया जाता है होली त्योहार*
होली के पर्व से अनेक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी है प्रह्लाद की। माना जाता है कि प्राचीन काल में हिरण्यक्श्यप नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था। अपने बल के अभिमान में वह स्वयं को ही ईश्वर मानने लगा था। हिरण्यक्श्यप का पुत्र प्रह्लाद विष्णु भक्त था। प्रह्लाद की विष्णु भक्ति से क्रोधित होकर हिरण्यक्श्यप ने उसे अनेक कठोर दंड दिए, परंतु उसने विष्णु की भक्ति नही छोड़ी। हिरण्यक्श्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हिरण्यक्श्यप ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है। जिसे होलिका दहन कहा जाता है।
प्रह्लाद की कथा के अतिरिक्त यह पर्व राक्षसी ढुंढी, राधा कृष्ण के रास और कामदेव के पुनर्जन्म से भी जुड़ा हुआ है। कुछ लोगों का मानना है कि होली में रंग लगाकर, नाच-गाकर लोग शिव के गणों का वेश धारण करते हैं तथा शिव की बारात का दृश्य बनाते हैं।
रंगों का त्यौहार होली भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली जहाँ एक ओर सामाजिक एवं धार्मिक है, वहीं रंगों का भी त्योहार है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन को धुलंडी कहते है इस दिन एक दूसरे को गुलाल अबीर लगाते हैं। होली क्यों मनाई जाती है इस संदर्भ में पुराणों में अनेक कथाएं है। जिसमें सबसे प्रमुख विष्णु भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका से सम्बंधित है। आइए जानते है होली से सम्बंधित कुछ कथाएं।
*होली व्रत कथा*
प्रथम कथा – नारद पुराण के अनुसार आदिकाल में हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस हुआ था। दैत्यराज खुद को ईश्वर से भी बड़ा समझता था। वह चाहता था कि लोग केवल उसकी पूजा करें। लेकिन उसका खुद का पुत्र प्रह्लाद परम विष्णु भक्त था। भक्ति उसे उसकी मां से विरासत के रूप में मिली थी। हिरण्यकश्यप के लिए यह बड़ी चिंता की बात थी कि उसका स्वयं का पुत्र विष्णु भक्त कैसे हो गया? और वह कैसे उसे भक्ति मार्ग से हटाए। होली की कथा के अनुसार जब हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को विष्णु भक्ति छोड़ने के लिए कहा परन्तु अथक प्रयासों के बाद भी वह सफल नहीं हो सका। कई बार समझाने के बाद भी जब प्रह्लाद नहीं माना तो हिरण्यकश्यप ने अपने ही बेटे को जान से मारने का विचार किया। कई कोशिशों के बाद भी वह प्रह्लाद को जान से मारने में नाकाम रहा। बार-बार की कोशिशों से नाकम होकर हिरण्यकश्यप आग बबूला हो उठा। इसके बाद उसने अपनी बहन होलिका से मदद ली जिसे भगवान शंकर से ऐसा चादर मिला था जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। तय हुआ कि प्रह्लाद को होलिका के साथ बैठाकर अग्निन में स्वाहा कर दिया जाएगा। होलिका अपनी चादर को ओढकर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गयी। लेकिन विष्णु जी के चमत्कार से वह चादर उड़ कर प्रह्लाद पर आ गई जिससे प्रह्लाद की जान बच गयी और होलिका जल गई। इसी के बाद से होली की संध्या को अग्नि जलाकर होलिका दहन का आयोजन किया जाता है।
दूसरी कथा – एक अन्य पौराणिक कथा शिव और पार्वती से संबद्ध है। हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो जाए पर शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे। कामदेव पार्वती की सहायता को आए व उन्होंने अपना पुष्प बाण चलाया। भगवान शिव की तपस्या भंग हो गयी। शिव को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आँख खोल दी। उनके क्रोध की ज्वाला में कामदेव का भस्म हो गए। तदुपरान्तर शिवजी ने पार्वती को देखा और पार्वती की आराधना सफल हुई। शिवजी ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीका�� कर लिया। इस प्रकार इस कथा के आधार पर होली की अग्नि में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकत्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है।
तीसरी कथा – एक आकाशवाणी हुई कि कंस को मारने वाला गोकुल में जन्म ले चुका है। अत: कंस ने इस दिन गोकुल में जन्म लेने वाले हर शिशु की हत्या कर देने का आदेश दे दिया। इसी आकाशवाणी से भयभीत कंस ने अपने भांजे कृष्ण को भी मारने की योजना बनाई और इसके लिए पूतना नामक राक्षसी का सहारा लिया। पूतना मनचाहा रूप धारण कर सकती थी। उसने सुंदर रूप धारण कर अनेक शिशुओं को अपना विषाक्त स्तनपान करा मौत के घाट उतार दिया। फिर वह बाल कृष्ण के पास जा पहुंची किंतु कृष्ण उसकी सच्चाई को जानते थे और उन्होंने पूतना का वध कर दिया। यह फाल्गुन पूर्णिमा का दिन था अतः पूतनावध के उपलक्ष में होली मनाई जाने लगी।
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everynewsnow · 4 years
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होलाष्टक 2021: होलाष्टक में यह उपाय देता है धन लाभ, जानें इस दौरान क्या करें व क्या करें?
होलाष्टक 2021: होलाष्टक में यह उपाय देता है धन लाभ, जानें इस दौरान क्या करें व क्या करें?
ज्योतिष शास्त्र में होली से आठ दिन पूर्व शुभ कार्यों के करने की मनाही …। हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों से एक होली का पावन त्योहार इस महीने यानि मार्च 2021 में आने वाला है। इसके पूर्व होलाष्टक प्रारंभ हो जाएगा। होलाष्टक प्रत्येक वर्ष होली के लगभग आठ दिन पहले शुरू हो जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक इस वर्ष होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरु हो रहे हैं। ऐसे में यह 22 मार्च से शुरू…
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rjvaishnav-blog · 7 years
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होली कब और क्यों मनाई जाती है ? होली से जुड़ा इतिहास और कथा | Holi In Hindi
होली कब और क्यों मनाई जाती है ? होली से जुड़ा इतिहास और कथा | Holi In Hindi
नमस्कार दोस्तों, Speed India 24 आपका हार्दिक स्वागत करता है और आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं. आज हम आपको “होली कब और क्यों मनाई जाती है ? होली से जुड़ा इतिहास और कथा | Holi In Hindi”की पूरी जानकारी देने जा रहे है. होली का त्यौहार भारतीय और नेपाली लोगो के अलावा पूरी दुनिया में जहा भी भारतीय रहते है उनके द्वारा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. आप सभी होली मनाते है लेकिन क्या आप जानते है आखिर…
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publickart · 6 months
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Narsimha Dwadashi 2024: कब मनाई जाएगी नरसिंह द्वादशी, जानिए होलिका दहन से जुड़ा क्या है इस दिन का महत्व
Narsimha Dwadashi 2024: हर साल होलिका दहन से पहले नरसिंह द्वादशी मनाई जाती है. इसे नरसिंह जयंती के नाम से भी जाना जाता है. नरसिंह द्वादशी का विशेष धार्मिक महत्व है और इसकी कथा होलिका दहन (Holika Dahan) से जुड़ी है. पौराणिक कथा के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप एक पापी राजा था जिसने अपने पुत्र को मारने के लिए अपनी बहन होलिका से उसे अग्नि में बैठने के लिए कहा था. लेकिन, भगवान विष्��ु की कृपा से प्रह्लाद बच…
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imsaki07 · 3 years
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भक्त प्रह्लाद के बारे में 10 बातें होली के दिन जरूर पढ़ें #news4
होलिका दहन का त्योहार भक्त प्रहलाद की कथा से जुड़ा हुआ है। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि कुंड में बैठ गई थी लेकिन होलिका अग्नि में भस्म हो गई और भक्त प्रहलाद बच गए थे। आओ जानते हैं उनके संबंध में 10 खास बातें। 1. भक्त प्रहलाद के पिता का नाम हिरण्यकश्यप और दादा का नाम कश्‍यप ऋषि और दादी का नाम दिति था। उनकी माता का नाम कयाधु था। माता विष्णु की भक्त थीं। कयाधु…
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yugrishianusthan · 3 years
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ऑनलाइन यजमान बनने के लिए संपर्क करें +91 8826891955, 95899 38938, 96859 38938, 7291986653 For registration, kindly contact: https://www.vishwajagritimission.org/phalgun-purnima-2022/ फाल्गुन मास की पूर्णिमा संवत्सर की अंतिम पूर्णिमा मानी जाती है। 17 मार्च गुरुवार को फाल्गुन पूर्णिमा के अवसर पर होलिका दहन (यज्ञ) किया जायेगा और 18 मार्च शुक्रवार को होली रंग उत्सव का त्योहार मनाया जायेगा। ज्योतिष के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा पर भद्रा रहित प्रदोष काल में होली दहन को श्रेष्ठ माना जाता है। होली पूर्णिमा पर होली पूजन, भगवान विष्णु की आराधना, सत्यनारायण की कथा, पूजा-पाठ-यज्ञ-अनुष्ठान मंत्र जाप एवं भक्त प्रह्लाद की कथा सुनने से मनुष्य के जीवन में सुख-शांति-समृद्धि व संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह पर्व भगवान और भगवान के भक्त प्रह्लाद जी को समर्पित है। फाल्गुन पूर्णिमा के शुभ अवसर पर 17 मार्च, 2022 गुरुवार को परमपूज्य सद्गुरु श्री सुधांशु जी महाराज के आशीर्वाद से युगट्टषि पूजा एवं अनुष्ठान केन्द्र द्वारा आनन्दधाम आश्रम, दिल्ली में विभिन्न पूजा-पाठ आयोजित किये जा रहे हैं। भक्तों से अनुरोध है कि ऐसे शुभ अवसर का लाभ उठाते हुए ऑनलाइन यजमान बनकर भगवान लक्ष्मी-नारायण की कृपा प्राप्त करें।
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khutkhuta · 3 years
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फाल्गुन पूर्णिमा व्रत कथा पूजा विधि
फाल्गुन पूर्णिमा व्रत कथा पूजा विधि
हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा हिन्दू वर्ष के मुताबिक साल की अंतिम पूर्णिमा होती है। इसी पूर्णिमा को होली का त्यौहार मनाया जाता है जो कि सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है। फाल्गुन पूर्णिमा को इस दिन होलिका पूजन, होलिका दहन किया जाता है और भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा की जाती है। वैसे तो हर पूर्णिमा को व्रत करने का बड़ा प्रावधान है लेकिन फाल्गुन पूर्णिमा को व्रत करने का…
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chaitanyabharatnews · 3 years
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होली 2021: क्यों किया जाता है होलिका दहन, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा
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चैतन्य भारत न्यूज होलिका दहन हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के दिन किया जाता है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक होलाष्टक होता है। यह पूरा समय होली के उत्सव का होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हम इसे क्यों मनाते हैं। होली का क्या महत्व है और इसे मनाए जाने के पीछे क्या वजह है। तो आइए जानते हैं इसके पीछे की रोचक पौराणिक कहानी। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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होली से जुड़ी पौराणिक कहानी पौराणिक मान्यता के मुताबिक, दैत्यराज हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानता था, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के अलावा किसी की पूजा नहीं करता था। यह देख हिरण्यकश्यप काफी क्रोधित हुआ और उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए।
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होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे आग से कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद आग से बच गया, जबकि होलिका आग में जलकर भस्म हो गई। उस दिन फाल्गुन मास की पुर्णिमा थी। इसी घटना की याद में होलिका दहन करने का विधान है। बाद में भगवान विष्णु ने लोगों को अत्याचार से निजात दिलाने के लिए नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया। होलिका दहन का इतिहास
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कहते हैं कि प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में मिले 16वीं शताब्दी के एक चित्र में होली पर्व का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा विंध्य पर्वतों के पास रामगढ़ में मिले ईसा से 300 साल पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना राक्षसी का वध किया था। इस खुशी में गोपियों ने उनके साथ होली खेली थी। Read the full article
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youthtrend · 3 years
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Holika Dahan: होलिका दहन आज, जाने शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि, महत्व तथा त्योहार से जुड़ी महत्वपुर्ण बातें
Holika Dahan: होलिका दहन आज, जाने शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि, महत्व तथा त्योहार से जुड़ी महत्वपुर्ण बातें
रंगों का त्योहार होली आ चुका हैं, होली के त्योहार का इंतजार तो बहुत से लोगों को वर्ष भर रहता हैं, होली से एक दिन पहले होलिका दहन का पर्व मनाया जाता हैं, हम सबने होलिका दहन से जुड़ी भक्त प्रहलाद और राजा हिरण्यकश्यप की कथा अवश्य सुनी होगी। होलिका दहन (Holika Dahan) का पावन त्योहार रविवार 28 मार्च को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाएगा, होलिका दहन के पर्व को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक भी माना जाता हैं।…
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dkpkkk · 3 years
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Holika Dahan 2021 Katha: जानें क्यों करते हैं होलिका दहन, पढ़ें भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा
Holika Dahan 2021 Katha: जानें क्यों करते हैं होलिका दहन, पढ़ें भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा
Holika Dahan 2021 Katha: जानें क्यों करते हैं होलिका दहन, पढ़ें भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा | Holika Dahan 2021 Katha: जानें क्यों करते हैं होलिका दहन, पढ़ें भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा | Holika Dahan 2021 Katha मान्यताओं के अनुसार विष्णु भक्त प्रहलाद को जब राक्षस हिरण्यकश्यप की बहन और प्रहलाद की बुआ होलिका आग पर बिठाकर मारने की कोशिश करती है तो वे खुद जल जाती है। इसी के नाम पर…
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vilaspatelvlogs · 4 years
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उत्सव: रविवार को शुभ योगों में जलेगी होलिका, पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करने की है परंपरा
उत्सव: रविवार को शुभ योगों में जलेगी होलिका, पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करने की है परंपरा
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप 11 घंटे पहले कॉपी लिंक 28 मार्च की शाम को होलिका दहन के समय भद्रा नहीं रहेगी रविवार, 28 मार्च को फाल्गुन मास की पूर्णिमा है। रविवार की रात ही होलिका दहन किया जाएगा। इसके बाद अगले दिन यानी 29 मार्च को होली खेली जाएगी। इस साल होलिका दहन के समय भद्रा नहीं रहेगी। 28 मार्च को भद्रा दोपहर करीब 1.35 तक ही रहेगी। इस दिन सर्वार्थ…
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