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#- देश समाचार
4rtheyenews · 1 month
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आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय में 1256 बच्चों का स्वर्णप्राशन
रायपुर। बच्चों के व्याधिक्षमत्व, पाचन शक्ति, स्मरण शक्ति, शारीरिक शक्तिवर्धन एवं रोगों से बचाव के लिए शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय रायपुर में सोमवार को 1256 बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया गया। आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय के कौमारभृत्य विभाग द्वारा हर पुष्य नक्षत्र तिथि में शून्य से 16 वर्ष के बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया जाता है। स्वर्णप्राशन के साथ ही डॉ. लवकेश चंद्रवंशी ने बच्चों के…
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livehindinews123 · 10 months
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Hindi News
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Chhattisgarh: CM भूपेश बघेल बोले- भाजपा कांग्रेस महाधिवेशन से डरी हुई है
दिल्ली एयरपोर्ट पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को रोक दिया गया। कांग्रेस ने दावा किया है कि पवन खेड़ा को दिल्ली एयरपोर्ट पर पुलिस ने हिरासत में लेने का प्रयास किया, वह रायपुर जा रहे थे। बता दें कि हाल ही में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणी की थी कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को दिल्ली एयरपोर्ट पर पुलिस द्वारा रोके जाने के मामले में छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल का बयान…
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mwsnewshindi · 2 years
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देश विरोधी सामग्री पोस्ट करने वाला गिरफ्तार
देश विरोधी सामग्री पोस्ट करने वाला गिरफ्तार
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सोशल मीडिया पर राष्ट्र विरोधी सामग्री अपलोड करने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपी शख्स को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने कहा, पुलवामा पुलिस द्वारा यह विश्वसनीय रूप से पाया गया है कि कुछ फेसबुक उपयोगकर्ता और पोर्टल जनता के बीच भय पैदा करने के लिए आपराधिक इरादे से तस्वीरें, वीडियो और पोस्ट सहित राष्ट्र-विरोधी सामग्री अपलोड…
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bharatlivenewsmedia · 2 years
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देश व जगातील सकारात्मक परंपरा:इराणमध्‍ये अनेक शतके लोक गातात त्यांच्या कविता
देश व जगातील सकारात्मक परंपरा:इराणमध्‍ये अनेक शतके लोक गातात त्यांच्या कविता
देश व जगातील सकारात्मक परंपरा:इराणमध्‍ये अनेक शतके लोक गातात त्यांच्या कविता Go to Source
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lok-shakti · 2 years
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दिल्ली में 5 मंकीपॉक्स के मामले बिना किसी यात्रा इतिहास के संक्रमण के कम निदान का सुझाव देते हैं: रिपोर्ट
दिल्ली में 5 मंकीपॉक्स के मामले बिना किसी यात्रा इतिहास के संक्रमण के कम निदान का सुझाव देते हैं: रिपोर्ट
एक नई रिपोर्ट में बिना किसी अंतरराष्ट्रीय यात्रा इतिहास के नई दिल्ली में पाए गए मानव मंकीपॉक्स संक्रमण के पांच मामलों का वर्णन किया गया है, जो समुदाय में कम निदान वाले मंकीपॉक्स संक्रमण का सुझाव देता है। नई दिल्ली में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च – पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और एम्स, नई दिल्ली के शोधकर्ताओं ने उच्च जोखिम वाली आबादी जैसे पुरुषों में…
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trendingwatch · 2 years
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नॉर्डिक देशों ने महिलाओं के यूरो 2025 . की मेजबानी के लिए बोली शुरू की
नॉर्डिक देशों ने महिलाओं के यूरो 2025 . की मेजबानी के लिए बोली शुरू की
नॉर्डिक देशों में फुटबॉल महासंघों ने बुधवार को घोषणा की कि उन्होंने 2025 में महिला यूरोपीय चैम्पियनशिप की मेजबानी के लिए एक संयुक्त बोली प्रस्तुत की है। संगठनों ने एक बयान में कहा, डेनमार्क, स्वीडन, नॉर्वे और फ़िनलैंड की बोली ने “यूरोप में महिला फ़ुटबॉल के लिए वास्तव में समान अवसर बनाने के लिए प्रेरित करने” के लिए उनके दृष्टिकोण पर जोर दिया। यह भी पढ़ें | महिला यूरो 2022: फाइनल में पहुंचने के लिए…
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योगेंद्र यादव ने संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति से दिया इस्तीफा, जानिए वजह
योगेंद्र यादव ने संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति से दिया इस्तीफा, जानिए वजह
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के जाने माने समाजसेवी योगेंद्र यादव ने रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा है कि वह किसान समूह के सिपाही बने रहेंगे। उन्होंने अपने पत्र में इस्तीफे की वजह भी बताई है। योगेंद्र यादव ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि पिछले 31 अगस्त की जूम मीटिंग में मैंने जानकारी दी थी कि मैं अब संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति के सदस्य की…
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helputrust · 8 months
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YouTube Link : https://youtu.be/hM5RaWE6Cu4 
लखनऊ, 23.10.2023 | 1959 में भारत चीन की सीमा पर देश की रक्षा करते हुए शहीद  हो  गए पुलिस जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा  शहीद स्मारक, महात्मा गांधी मार्ग, लखनऊ पर आयोजित नुक्कड़ नाटक "मित्र पुलिस" के मंचन की, दिनांक 24.10.2023 के समाचार पत्रो मे प्रकाशित खबर |
#मित्र_पुलिस #FriendlyPolice #पुलिस_स्मृति_दिवस #Dial1090 #Dial112 #PoliceSmritiDiwas #PoliceCommemorationDay #UttarPradeshPolice #UPPolice #LucknowPolice #PoliceHeroes #PoliceBravery #RememberingOurHeroes #PoliceService #police #lawenforcement #cops #policeofficer #military  #army #नुक्कड़_नाटक
#NarendraModi  #PMOIndia
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4rtheyenews · 1 month
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भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारी ने एशियन पॉवरलिफ़्टिंग चैंपियनशिप में देश के लिए जीता कास्य पदक
दुर्ग। भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारी जे भागवत राव ने एशियन पॉवरलिफ़्टिंग चैंपियनशिप में देश के लिए कास्य पदक जीता है। पदक जीतने के बाद 14 मई को वापस भिलाई लौटा तो दुर्ग रेलवे स्टेशन में उसका भव्य स्वागत किया गया। जानकारी मुताबिक हांगकांग में 5 से 11 मई तक एशियन पॉवरलिफ़्टिंग चैंपियनशिप का आयोजन किया गया था। इसमें भारत की तरफ से सीनियर कैटेगरी में बीएसपी कर्मी जे भागवत हिस्सा लिया था। उसने 66…
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kaminimohan · 1 year
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1383.
अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति से विचलित थे भारतेंदु हरिश्चंद्र
- कामिनी मोहन पाण्डेय। 
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मुंशी प्रेमचंद ने लिखा है कि जिन्होंने राष्ट्र का निर्माण किया है उनकी कृति अमर हो गई है। त्याग तपस्या और बलिदान 1857 की क्रांति के रणबांकुरों ने ही नहीं किया बल्कि उससे प्रभावित होकर कई लेखकों, साहित्यकारों, पत्रकारों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उसी त्याग की भावना व संघर्ष की प्रेरणा को जगाने में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने महती भूमिका निभाई। 
भारतेंदु ने भारत की स्वाधीनता, राष्ट्र उन्नति और सर्वोदय भावना का विकास किया। आज के संदर्भ में बात करें तो भारतेंदु ने हीं देश के सभी पत्रकारों, संपादकों व लेखकों को देश की दुर्दशा यानी देश की दशा और दिशा को समझने का मंत्र दिया। अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति की हुंकार की गूंज के बाद इस संबंध पर बेतहाशा लेखन और पठन-पाठन हुआ। उस समय क्रांति के असफल होने के बाद जब  निराशा का बीज व्याप्त हो गया था, तब समाज की दुर्दशा देखकर भारतेंदु का हृदय काफी व्यथित हुआ। देश की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक गिरावट देखकर वह तिलमिला उठे थे। देश की दशा पर उनकी अभिव्यक्ति थी- "हां हां भारत दुर्दशा न देखी जाई।" उनके इस प्रलाप पर भारत आरत, भारत सौभाग्य, वर्तमान-दशा, देश-दशा, भारत दुर्दिन जैसे नवजागरण की पोषक रचनाएँ प्रकाशित हुई। 
इनमें देश के प्राचीन गौरव के स्मरण, समाज में व्याप्त आलस्य तथा देश की दीनता का वर्णन होता था। क्रांति के समय एवं उसके बाद स्वदेशाभिमानी पत्रकारों ने अपनी विवेचना शक्ति के बल पर जनमानस को सशक्त अभिव्यक्ति दी। उस समय हिंदी अपने विकास के नए आयाम गढ़ रही थी। सारे प्रतिरोधों के बीच पत्रकारिता की पैनी नज़र खुल चुकी थी। ऐसे में स्वाभिमान के संचार व स्वदेश प्रेम के उदय तथा आंग्ल शासन के प्रबल प्रतिरोध पत्रों में प्रकाशित तत्वों में दिखता था। पत्र और पत्रकार ख़ुद स्वतंत्रता आंदोलन के सक्षम सेनानी बन गए थे। अन्याय, अज्ञान, प्रपीड़न व प्रव॔चना के संहारक समाचार पत्रों ने ही हिंदी पत्रकारिता की आधारशिला रखी थी।
राष्ट्र उत्थान की दृष्टि से इतिहास एवं पत्रकारिता दोनों संश्लिष्ट हैं। राष्ट्रीय अस्मिता को समर्पित भारतेंदु की रचनाओं का मूलाधार गौरव की वृद्धि रहा है। नौ सितंबर 1850 को काशी में जन्मे भारतेंदु को हिंदी पत्रकारिता का आधार स्तंभ कहा जाता है। भारतेंदु द्वारा पत्रकारिता में देश प्रेम के लिए जलाई गई अलख काशी में अब भी दिखती है। इसका कारण यह है कि यहाँ जो पैदा हुआ वह भी गुरु जो मर गया वह भी गुरु होता है। यहाँ किसी बात के लिए कोई हाय-हाय नहीं है। 
काशी की हिंदी पत्रकारिता की नींव 1845 में बनारस अखबार के रूप में पड़ी। इसके बारह साल बाद देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम आम लोगों को गहरे तक प्रभावित कर गया था। क्रांति का बिगुल काशी में भी सुनाई दिया। क्रांति के दौर में देश की आज़ादी के लिए यहाँ कई अख़बार प्रकाशित होते रहे। स्वाभिमान के साथ उठ खड़े होने को आमजन और क्रांतिकारियों को जो उसे से भरते रहे।
प्रमुख प्रकाशनों में कवि वचन सुधा (1867) हरिश्चंद्र मैगजीन (1875), हरिश्चंद्र चंद्रिका (1879) में भारतेंदु का मूल मंत्र सामाजिक और राष्ट्रीय उन्नति जगाना तथा सभी जातियों के अंदर स्वाभिमान का भाव भरना था। वे मानते थे कि "जिस देश में और जिस समाज में उसी समाज और उसी देश की भाषा में समाचार पत्रों का जब तक प्रचार नहीं होता, तब तक उसे देश और समाज की उन्नति नहीं हो सकती। समाचार पत्र राजा और प्रजा के वकील है। समाचार पत्र दोनों की ख़बर दोनों को पहुँचा सकता है जहाँ सभ्यता है, वहीं स्वाधीन समाचार पत्र है"।
देश में लकड़ी बीनने वाले से लेकर लकड़ी का तमाशा दिखाने वाले तक सभी ने क्रांति के जयकारे में लकड़ी बजाते हुए आहुति दी थी। यह वह दौर था, जिस पर क्रांति ने अपना असर गहरे तक छोड़ा था। इसी का परिणाम रहा कि देश के हर नौजवान ने अपनी छाती अंग्रेजों की गोलियाँ खाने के लिए चौड़ी कर ली थी। अल्पायु में ही भारतेंदु अपने युग का प्रतिनिधित्व करने लगे थे  रचनात्मक लेखन, पत्रकारिता के माध्यम से भारतेंदु ने देश की राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक विसंगतियों पर अपने आक्रामक तेवर के साथ संवेदन पूर्ण विचारों से सार्थक हस्तक्षेप किया था। साहित्य को उन्होंने जनसामान्य के बीच लाकर खड़ा कर दिया था।
घोर उथल-पुथल के बावजूद उनके काल में साहित्यिक विचारों के कारण आत्ममंथन शुरू हो गया था। वे ब्रिटिश राज की कार्यप्रणाली पर जमकर बरसते थे। हर समस्या के प्रति भारतेंदु का दृष्टिकोण दूरगामी होता था। वे वैचारिक क्रांति लाने के लिए हर घड़ी प्रतिबद्ध दिखते थे। भारतेंदु चाहते थे कि भारतवासी स्वयं आत्मोत्थान और देशोत्थान में सक्रिय हो। यह बात आज भी प्रासंगिक है कि आर्थिक उत्थान से ही देश का भला हो सकता है। 
आर्थिक लूट पर वे लिखते हैं- 
भीतर-भीतर सब रस चूसै, बाहर से तन-मन-धन मूसै। 
जाहिर बातन में अति तेज, क्यों सखि सज्जन नहिं अंग्रेज अंग्रेजों।। 
अंग्रेजों को अपना भाग्य विधाता मानने वालों को भारतेंदु ने झकझोरा था। कविवचन सुधा में वे लिखते हैं- "देशवासियों तुम इस निद्रा से चौको, इन अंग्रेजों के न्याय के भरोसे मत फूले रहो।... अंग्रेजों ने हम लोगों को विद्यामृत पिलाया और उससे हमारे देश बांधवों को बहुत लाभ हुए, इसे हम लोग अमान्य नहीं करते, परंतु उन्हीं के कहने के अनुसार हिंदुस्तान की वृद्धि का समय आने वाला हो, सो तो, एक तरफ रहा, पर प्रतिदिन मूर्खता दुर्भिक्षता और दैन्य प्राप्त होता जाता है।... अख़बार इतना भूंकते हैं, कोई नहीं सुनता। अंधेर नगरी है। व्यर्थ न्याय और आज़ादी देने का दावा है।"
गांधीजी की कई नीतियों व योजनाओं के बीज भारतेंदु साहित्य में पहले ही आ चुके थे। भारतीय धर्मनिरपेक्षता, जाति निरपेक्षता, जो भारतीय संविधान के मूलाधार है, उन पर भारतेंदु के चिंतन में तात्कालिकता ही नहीं, भविष्योन्मुखता भी थी। वे हिंदू व मुसलमानों के प्रति भाईचारे का भाव रखने को प्रेरित करते थे। कहना ही पड़ता है कि देश के विकास उसकी उन्नति के लिए भारतेंदु स्वदेशी और राष्ट्रीयता के संदर्भ में दूरगामी अंतर्दृष्टि रखते थे। 
समय बदल गया, हम आज़ाद हैं। भारत वही है। संविधान वही है। भारत में रहने वाले जीव-जंतु, पशु-पक्षी और मनुष्य भी वही है। विभिन्न धर्मों, मज़हबों,पंथों को मानने वाले मुसलमानों के सभी फ़िरक़ों, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाईयों तथा सनातन धर्म की गहराई में उतरने वाले हिन्दू क्रांति के बीज को आज भी वृक्ष बनते देखते हैं। उन विचारों की जो भारतेंदु के समय लोगों तक पत्रकारिता के माध्यम से पहुंचे थे, वे विचार आज भी प्रासंगिक हैं। देश के लोगों को इसकी परम आवश्यकता है। 
- © Image art by Chandramalika 
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navinsamachar · 3 days
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कैंची धाम में आज ऐसे उमड़ रहे श्रद्धा और श्रद्धालु
नवीन समाचार, नैनीताल, 15 जून, 2024। 20वीं शताब्दी के बड़े आध्यात्मिक गुरु बाबा नीब करौरी के नैनीताल जनपद में जनपद मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर देश में विरले ही मिलने वाली उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी के किनारे स्थित विश्व प्रसिद्ध प्रसिद्ध कैंची धाम में शनिवार को हर वर्ष की तरह भव्यता व धार्मिक हर्षोल्लास के साथ वार्षिक महोत्सव मनाया जा रहा है। इस बार जितनी भारी संख्या में सुबह से ही श्रद्धालु उमड़…
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sugandhaessence · 8 days
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bharatlivenewsmedia · 2 years
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देश व जगातील सकारात्मक परंपरा:स्पेनमध्‍ये घराबाहेर खुर्च्या टाकून तासन््तास गप्पा मारण्याची परंपरा
देश व जगातील सकारात्मक परंपरा:स्पेनमध्‍ये घराबाहेर खुर्च्या टाकून तासन््तास गप्पा मारण्याची परंपरा
देश व जगातील सकारात्मक परंपरा:स्पेनमध्‍ये घराबाहेर खुर्च्या टाकून तासन््तास गप्पा मारण्याची परंपरा Go to Source
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manmohan888-blog · 9 days
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संघ समाचार
समाज के प्रोत्साहन से दिव्यांग देश के लिए बड़ा योगदान देंगे – सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाळे पुणे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि न्यूनता हर किसी में होती है. हम सब अपूर्ण है. इस न्यूनता को परिपूर्णता की दिशा में ले जाने के लिए ईश्वर ने समाज के रूप में हमें दिव्यांगों का स्वाभिमान जागृत रखने हेतु सेवा का अवसर दिया है. दिव्यांग व्यक्ति में क्या नहीं है, इसकी…
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trendingwatch · 2 years
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तूलिका मान के सीडब्ल्यूजी जूडो सिल्वर के पीछे, उनकी सिंगल मदर दिल्ली पुलिस की लड़ाई
तूलिका मान के सीडब्ल्यूजी जूडो सिल्वर के पीछे, उनकी सिंगल मदर दिल्ली पुलिस की लड़ाई
अपने जूडो करियर में सबसे बड़े पुरस्कार का दावा करने से बमुश्किल दो दिन पहले, तूलिका मान ने अपनी मां अमृता मान को फोन किया। ” Kitna chahiye (आपको कितना चाहिए)?” दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की सहायक उप-निरीक्षक अमृता ने पूछा। “5,000 रु,” 7,500 किमी दूर से घबराया हुआ उत्तर आया। “जब वह फोन करती है, मुझे पता है कि उसे पैसे की जरूरत है। वह अन्यथा फोन नहीं करेगी,” अमृता कहती हैं, केवल आधा मजाक। ” Bhejti…
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