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#10 रोचक तथ्य
technologymagan · 2 years
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About 5 cities where the wind is. | 5 शहरों के बारे में जहां की हवा है सबसे साफ जानें केरल से लेकर सिक्कम तक
About 5 cities where the wind is. | 5 शहरों के बारे में जहां की हवा है सबसे साफ जानें केरल से लेकर सिक्कम तक
5 शहरों के बारे में जहां की हवा है About 5 cities where the wind is. भारत में कई खूबसूरत शहर हैं, जहां हर किसी को अपने जीवन में एक बार जरूर जाना चाहिए और वहां की खूबसूरती का लुत्फ उठाना चाहिए। खासकर इस समय जब दिल्ली और आसपास के कई शहरों में हवा जहरीली हो रही है। तो अगर आप भी इस प्रदूषण से दूर स्वच्छ हवा में कुछ दिन बिताना चाहते हैं तो इन 5 शहरों की ओर रुख किया जा सकता है। किन्नौर, हिमाचल प्रदेश…
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स्वर्ण मंदिर, जिसे श्री हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है, अमृतसर, पंजाब, भारत में स्थित एक प्रतिष्ठित सिख गुरुद्वारा है। यह सिखों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है और हर साल लाखों लोगों द्वारा दौरा किया जाता है। स्वर्ण मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:
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sachinbiher · 2 years
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कॉफी के बारे में 10 रोचक तथ्य
कॉफी के बारे में 10 रोचक तथ्य कॉफी: सबसे लोकप्रिय पेय में से एक। कॉफी 10वीं शताब्दी से सबसे लोकप्रिय उपभोग्य पेय में से एक है। आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि दुनिया में प्रतिदिन लगभग 2.25 बिलियन कप खपत होती है। कॉफी में पाया जाने वाला प्राकृतिक पदार्थ कैफीन है। जो कॉफी के बाहरी या तरल रूप में सेवन के बाद सतर्कता को उत्तेजित करेगा। दुनिया की ज्यादातर 85% आबादी प्रतिदिन कैफीन पेय का सेवन करती है।…
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offcricket · 10 hours
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IND vs BAN: अश्विन, पंत, और गिल की धुआंधार परफॉर्मेंस के साथ मैच के 10 रोमांचक तथ्य, जो आपको हैरान कर देंगे
IND vs BAN: अश्विन, पंत, और गिल की धुआंधार परफॉर्मेंस के साथ मैच के 10 रोमांचक तथ्य, जो हैरान कर देंगे
चेन्नई, 2024 – भारत और बांग्लादेश के बीच खेले जा रहे पहले टेस्ट में भारतीय क्रिकेट टीम ने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए बांग्लादेश को 515 रन का बड़ा लक्ष्य दिया है। आइए जानें इस मुकाबले के 10 रोचक तथ्य जो आपको चौंका देंगे!   1. ऋषभ पंत की ज़बरदस्त वापसी ऋषभ पंत ने 634 दिनों के बाद टेस्ट क्रिकेट में वापसी करते हुए 109 रन की शतकीय पारी खेली। उन्होंने अपने करियर का छठा शतक जड़ा, जो एमएस धोनी के…
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animalvidoes · 3 months
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आज यह बिल्ली मेरी आवाज सुन कर मेरी ओर आने लगी #cat #cutecat #catlover #cute
बिल्ली के बारे में रोचक तथ्य (Interesting facts about cat)
हमारी पालतू बिल्लियों का DNA टाइगर से 96% मिलता है।
���िल्लियों को ठंड में आग के पास बैठना बहुत पसंद होता है।
बिल्लियां 50 डिग्री के तापमान तक आराम से रह सकती हैं।
अपना इलाका निश्चित करने के लिए बिल्लियां अपनी गंध छोड़ते हैं।
इन्सानों की तुलना में बिल्लियों की सूंघने की शक्ति चौदह गुना ज़्यादा होती है।
बिल्लियों की गंध में फेरोमोन्स होते हैं जो मादा को नर की ओर आकर्षित करते हैं।
यूरोप में घरेलू बिल्लियां सिर्फ एक साल में लगभग 8 करोड़ चूहों का शिकार करती है।
बिल्लियों के मूंछ के बाल उन्हे बहुत नजदीक के शिकार को पकड़ने मे सहायक होते हैं।
दुनिया मे पाई जाने वाली सभी बिल्लियों के पूर्वज का जन्म स्थान साउथ ईस्ट एशिया है।
बिल्लियां मीठा खाना पसंद नहीं करती हैं, क्‍योंकि उन्हे मीठे के स्वाद का पता ही नहीं चलता।
घरेलू बिल्लियां पानी से नफरत करती है इसलिए उन्हें नहलाने पर वे तरह-तरह की आवाज़ें निकलती है।
बिल्लियां अपनी पूंछ ऊपर की ओर सीधी करके इन्सानों से प्यार जताती है और पूंछ हिलाकर चेतावनी देती है।
बेहद ठंडे इलाकों से बहुत गरम इलाकों तक और धरती की सतह से सबसे ऊंचे पहाड़ों तक बिल्लियों का बसेरा है।
बिल्लियां कैट फैमिली कि सबसे आखिरी और लाजवाब सदस्य हैं, जो आज जंगलों में नहीं बल्कि हमारे घरों में रहती है।
बिल्लियां लगभग 1,000 तरह की आवाजें निकलने में सक्षम हैं जबकि कुत्ते सिर्फ 10 प्रकार की आवाजें निकाल सकते है।
रीसर्च बताती है कि अगर बिल्लियों का आकार और वज़न शेरों जितना हो जाए तो वे इन्सानों को ही खाना शुरू कर देगी।
बिल्लियां हमेशा अपने इलाकों से दूर जाकर प्रजनन करती हैं और इसी कारण आज ये धरती के सभी जगहों पर पाई जाती है।
बिल्लियों की दूर की नज़र तो बहुत तेज़ होती है मगर बहुत नजदीक (लगभग 20 सेंटीमीटर) आने पर उन्हे सब धुंधला नज़र आता है।
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dryinkpot · 4 months
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प्रदेशवादियों के नाम संदेश,
4 जून 2024 को भारत के आम चुनाव यानि कि 18वें लोक सभा चुनाव समाप्त हो गए। चुनाव से संबंधित रोचक तथ्यों पर अगर नज़र डाली जाए तो दर्जनों तथ्य सामने आएं हैं जिस पर विश्वास कर पाना अधिकांश लोगों को असहज कर देता हैं। पर उस सभी में सबसे रोचक और चर्चा का विषय बनने वाला मुद्दा बना उत्तर प्रदेश के लोगों का चुनावी व्यवहार। पिछले दो लोक सभा चुनावों में भाजपा को पूर्ण बहुमत की परिस्थिति में लाने वाले और सीट(आबादी) के लिहाज से सबसे बड़े प्रदेश में इस बार एक बड़ा उलट फेर देखने को मिला। उत्तर प्रदेश में भाजपा के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने एक बड़ी जीत हासिल कर सबको चौंका दिया। किसी ने शायद ही सोचा होगा की राम मंदिर और मोदी – योगी के डबल इंजन वाले राज्य में ऐसा भी हो सकता है। इतना झटका कम नहीं था की प्रभु श्री राम नगरी अयोध्या(फैज़ाबाद) वासियों ने भी चौकाने वाले परिणाम देकर आखरी कील ठोकने का काम किया। ऐसे में अपनी पसंदीदा पार्टी को ना जीतता हुआ देखना कष्टदायी तो है। 
इन सभी कहानियों के बीच व्यक्तिगत रूप से जो चीज हृदय के सबसे करीब पहुंची वो थी पूरे प्रदेश वासियों की आलोचना और कई मौकों पर काफ़ी निचले स्तर की भाषा में आलोचना। आलोचकों में बीमारू राज्यों में गिने जाने वाले राज्यों के वासी भी हैं । आलोचकों का कहना है भाजपा के सबसे प्रिय राज्य होने के बाद भी उत्तर प्रदेश ने धोखा दे दिया। प्रदेशवासियों को देशद्रोही और गद्दार जैसे उपाधियों से सुशोभित किया जा रहा है। कहा जा रहा है दगाबाजी की सीमाओं को लांघने में उत्तर प्रदेश अब "सोनम बेवफा" से भी आगे निकल चुका है। राजनैतिक पार्टियां और उनके कार्यकर्ता आलोचना करें तो एक हद तक बातें समझ में आती हैं क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत की होती है। पर जब आम जनता पार्टी कैडर की तरह अपने ही देशवासियों का मखौल उड़ाने लगे तो सजग होने की आवश्यकता है। अपने पसंदीदा नेता से प्रेम करना, उसका प्रचार प्रसार करने या फिर फिर उसको आलोचना से बचाने के प्रयत्नों में कोई बुराई नहीं है। परंतु अपने नेता या पार्टी के प्रति अंधभक्ति किसी दिन आपके स्वयं के लिए भी भयावह साबित हो सकती है। सोचकर देखिए की अगर किसी दिन रोड ऐक्सिडेंट में अकारण आपके परिवार से किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है, जिसमें आपके परिवार के सदस्य की कोई गलती नहीं है। करोड़ों की गाड़ी से कुचलने वाला आपकी ही समर्थित पार्टी विशेष का विधायक या उसका बेटा निकलता है। आप आपने परिवार जन के लिए न्याय की गुहार लगाते हैं और आपके अन्य साथी आप पर ही पार्टी को बदनाम करने के प्रयास करने का आरोप लगाते हैं। इस परिस्थिति में आपकी पीड़ा असहज करने वाली होगी पर किसी से बताए, बताई नहीं जायेगी। ऐसी घड़ी में कोई पार्टी या नेता आपके दुखों पे मरहम की पट्टी बांधने नहीं आएगा। आपका पड़ोसी जो आ सकता था, उसे आप पहले ही राजनैतिक मतभेद के कारण द्वेष से भर चुके हैं। अंत में बचेगी न्यायलय जिसमें 6 महीने घिसने के बाद आपको अपनी औकात और लाचारी दोनों स्वयं महसूस होने लगेगी। उदाहरण के तौर पे भारत में अगर हर महीने आप ₹ 25000 कमाते हैं तो भारत में टॉप 10% अमीरों की श्रेणी में आते हैं और वहीं कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ वकील केस की एक उपस्थिति के ₹ 2500000 तक चार्ज करते हैं। ध्यान रहे कि ये जरूरी भी नहीं है की आपके मामले में सीसीटीवी कैमरा लगा हो और लगा भी तो सही अवस्था में सही प्राधिकरण तक पहुंच जाए। मुझे पता है अधिकांश लोगों को ऊपर बनाती गई मेरी मनगढ़ंत घटना प्रासंगिक न लगे, परंतु ऐसा कुछ भी कभी नहीं होगा जैसे ढीठ खयाल भी मन से त्याग देना ही उचित होगा। प्रोपेगेंडा, नैरेटिव और विचारधारा की लड़ाई एक हद तक उचित है पर जब विचार मतभेद से मनभेद में बदलने लगे, तो सतर्क और सजग होने की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है। सुख दुख बाटने वाले अपने निजी स्पेस को हुंडा पे चढ़ा के तीरथ पर निकलने के बजाय उसे संजोहने का प्रयत्न करें।लोकतंत्र में मतदान का अधिकार ही सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है और उसके इस्तेमाल के लिए लोगों को गद्दार बोलना अन��तिक ही नहीं अपमानित करने जैसा है। यूटयूब पे गीता ज्ञान अर्जित करने और भजन सुनने से कुछ नही होगा जबतक जीवन में उन मूल्यों को बिना किसी शर्त आत्मसात किया जाए।
मेरा द्वेष में आकर साथी बीमारू राज्यों का मखौल उड़ाने का कोई मकसद नहीं है क्योंकि सभी राज्य अपनी–अपनी विशेष परिस्थियों के अधीन हैं और सभी के माखौल बनाने के पर्याप्त कारण भी मौजूद हैं। परंतु साथ ही सभी की अपनी चुनौतियां हैं और सभी की अपनी विशेषताएं भी।" राम–श्याम" जैसे द्वंद समासी उदाहरण स्वरूप और एक स्वास में लिए जाने वाले दो जमीनी सीमा से जुड़े हुए भाई समान राज्य एक दूसरे का मखौल बनाएं ये शोबनिया कहीं से नहीं प्रतीत होता है। लेकिन एक बात मैं फिर भी कहना चाहूंगा की उत्तर प्रदेश का वर्तमान और भविष्य बाकी पिछड़े हुए उत्तर के राज्यों के मुकाबले सबसे उज्ज्वल है। उदहारण के तौर पर अगर माना जाए की  सभी राज्य कैंसर से ग्रस्त हैं तो उत्तर प्रदेश अभी भी इस स्टेज में हैं जिसके लिए पूर्ण प्रभावी इलाज़ सबसे ज्यादा संभव है। 
खैर साथी राज्यों का भी समय के अनुसार मौज लेना उतना नहीं खलता है जितना की प्रदेश के वासियों का अपने ही प्रदेश वासियों के प्रति नफरत और द्वेष। विशेषकर फैज़ाबाद के वासियों के प्रति तो नफ़रत और गालियों के कसीदे पढ़े जा रहें हैं। लोगों का कहना है की मोदी जी इस प्रदेश के लोग आपके प्रेम और सम्मान के लायक नहीं हैं। "यू डिजर्व बैटर" जैसे हैशटैग का इस्तेमाल जोरो शोरो पे है। कुछ लोग तो राज्य छोड़ने तक की बात कर रहे हैं। व्यक्तिगत तौर पे मेरा साफ और स्पष्ट तौर पे मत है कि ना तो उत्तर प्रदेश के मुखिया आदित्यनाथ प्रदेश से बड़े हैं और ना ही माननीय प्रधान मंत्री मोदी जी। प्रजा से राजा की पहचान है राजा से प्रजा की नहीं। राष्ट्र से बड़े होने का तो दूर–दूर तक सवाल ही नहीं है। आपका मत मेरे मत से भिन्न हो सकता है। उत्तर प्रदेश के लोग अपना नेता चुनने का अधिकार रखते हैं और वही वो हर चुनाव में करते आ रहे हैं। गुजरात से आने वाले व्यक्ति को बनारस के लोगों ने और गंगा मां ने ना केवल अपने बेटे की तरह प्यार और सम्मान दिया है, बल्कि प्रधानमंत्री तक के सफर को सुगम बनाने का हर संभव प्रयास किया जो की अपने आप में प्रदेशवासियों के उदारता का प्रतीक है। 
नोएडा में पिताजी जी की chauffeur–सहित चार चूड़ी वाली ऑटोमैटिक ई वी में बैठी चिंकी और ओमान –मस्कट में फ्री टाइम में नान खटाई की रेडी लगाने वाला गोरखपुर का दिनेश भी ट्वीट कर रहें हैं की "यूपी पीपल यू ��ैव लेड द गॉड डाउन" । "बट विच गॉड ?" पूछने पे सकपका जा रहे हैं कि भगवान राम का नाम लें या मोदी जी का। एक व्यक्ति चाहें कितना भी सम्मानित, प्रिय और ताकतवर क्यूं ना हो, वो ईश्वर से ऊपर स्थान कभी नहीं पा सकता। इतनी सीख तो हिंदुओं को कम से कम मुस्लिमों  से ही ले लेनी चाहिए।
2020 के कोविड लॉकडॉन में ट्यूटर चलाना सीखने वाला रिंकू भी ट्वीट कर रहा है की ये "अजय राय कौन है ?" जो मोदी जी के जीत के मार्जिन को इतना कम कर दिया। रिंकू को मेरा उत्तर ये है की ट्यूटर से पहले जो भारत में चुनाव हुआ करते थे, जिस समय तुम टूटी–फ्रूटी के टेट्रा पैक में ��्ट्रॉ फसाना सीख रहे थे तब अजय राय पांचवी बार विधायिकी की शपथ ले रहे थे। संभवतः अगर स्वयं प्रधानमंत्री वाराणसी सीट से ना लड़ रहे होते तो इस बार भाजपा के किसी और उम्मीदवार को मुंह की भी खानी पड़ सकती थी। खैर ऐसी अनेक जानकारियों के लिए ट्यूटर अनइंस्टॉल करके किताब ना सही तो कम से कम विकिपीडिया तक का सफर तो तय ही करना पड़ेगा। 
किसी सीट पे कौन सी पार्टी/उम्मीदवार जीती और कौन सी हारी के अनेकों कारण गिनाए जा सकते हैं। भारत जैसे विकासशील और विविधताओं से भरे देश में इसका आंकलन लगाना और भी मुश्किल हो जाता है। मैं कोई चुनावी विशेषज्ञ तो नहीं हूं पर मुझे लगता है सभी मुद्दों में "निजी मुद्दे" सभी के निर्णयों में अनुपातहीन तरीके से दखलंदाजी करता है । भारत, जिसकी अधिकांश आबादी या तो मिडल क्लास या गरीब है उसके लिए जीडीपी, इंफ्रास्ट्रक्चर ,इकोनॉमिक आउटलुक, इज ऑफ डूइंग बिजनेस, फॉरेक्स रिज़र्व ,ग्लोबल स्ट्रेचर, वर्ल्ड ऑर्डर, ग्लोबलाइजेशन आदि जैसे जटिल राष्ट्रहित के मुद्दों से ज्यादा दिलचस्पी और भावना महंगाई, शिक्षा, नौकरी, सेहत, पानी, बिजली, मकान आदि मुद्दों से जुड़ी होती है। क्या लोगों के विचारों में इन बातों को लेकर कोई बदलाव नहीं हुए हैं? हुए हैं, पर महज़ 70 साल पहले शारीरिक गुलामी त्यागने वाले देश की तुलना आप अमरीका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन सरीखे देशों से नहीं कर सकते। इन बदलावों के लिए जागरूक करने का श्रेय भी काफी हद तक पिछले 10 साल के मोदी कार्यकाल को भी जाता है।
ऐसा ही एक "निजी मुद्दा" था अयोध्या निवासियों का अपने मूल स्थानों से विस्थापन । अयोध्या में ऐसे हजारों परिवार हैं जिन्हें राम मंदिर निर्माण कार्य के अंतर्गत चलाए गए भूमि अधिग्रहण कार्यक्रम के दौरान अपने निजी जमीन, मकान और दुकानों को ना चाहते हुए भी या फिर बाज़ार से कम कीमत पर बेचना पड़ गया। ऐसी परिस्थिति के कारण जनता में काफी रोष और गुस्सा भी था जो शायद लोगों ने अपने वोट के माध्यम से प्रदर्शित करने का प्रयत्न किया है। आम जनमानस के पास सरकारों के खिलाफ़ लड़ने का बस ये एकमात्र हथियार होता है। आप इसे छीन नहीं सकते। हो सकता है इंदौर, लखनऊ, रायपुर जैसे शहरों में एसी में बैठकर, इस सितंबर परिवार संग अयोध्या में रामलला के दर्शन की प्लानिंग के हिसाब से ये तर्कसंगत न लगे पर वास्तविकता यही है। ईश्वर से किसी को बैर नहीं हैं, अयोध्या निवासियों को तो बिलकुल नहीं। वो तो रामलला को सदियों से पूज रहें हैं जब किसी मंदिर की कोई आस भी नहीं थी परंतु मंदिर बन जाने के कारण वो अपने आज और कल से मुंह तो नही मोड़ सकते। जब ठोकर आपके निजी स्वार्थ पे लगती है तो पीड़ा असहज कर ही जाती है। जिस मकान को आपके पुरखों ने बनाया हो, जिसे आपके माता पिता ने अपनी मेहनत से रंगत दी हो, जहां आप ने अपने भाई बहन के साथ अपना बचपन हंसते–खेलते काटा हो, जिसकी छतों से आप ने दूसरों की पतंगे काटी हो, जिसके आंगन में आपकी मां ने अचार और पापड़ सुखाएं हों, जिसके दुआर पर आपके पिताजी की स्कूटर वर्षों से खड़ी होती आई हो, उसको एक झटके में खो देना कभी भी आसान नहीं होता है। बात कई बार सिर्फ़ आर्थिक कीमत की नहीं, बल्कि उससे जुड़े हुए आपके हृदय में बसी हुए भावनाओं की होती है। बजार संगत कीमत तो बस एक समझौता है जिसे हासिल करने के बाद भी कभी टीस नहीं जाती। जिस दुकान से घरों की रोजी रोटी चल रही हो उसे यूं एक पल में पराया कर देना किसी के लिए आसान नहीं होगा। इसमें कोई दो राय नहीं है की मंदिर निर्माण और उससे संबंधित विकास कार्यों से अयोध्या की अर्थव्यवस्था में आने वाले वर्षों में काफ़ी वृद्धि होगी। पर इन वृद्धियों से लाभ उठाने का घाटा भी अयोध्यावासियों को ही सहना पड़ रहा है। ऐसे में जनता में नाराज़गी होना स्वाभाविक था। हार जीत समीकरण के सैकड़ों कारकों में एक महत्वपूर्ण कारक यह भी था। और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी विकास कार्य के कारण आम जनता को परेशानी न उठानी पड़ी हो। जब काशी विश्वनाथ कोरिडोर निर्माणाधीन था तब इस कार्य से प्रभावित जनता ने अपना आक्रोश 2019 लोक सभा चुनावों में व्यक्त भी किया था। विकास और उसके प्रभावों के बीच के सामंजस्य और संतुलन होना अति आवश्यक हैं। ऐसा संतुलन ना हो तो क्या हो सकता है उसका एक बेहतरीन उदाहरण इस ग्रीष्म ऋतु ने बयां कर ही दिया है। मुझे यकीन है की इतना कहने के बाद भी लोग इसे मोदीजी के विकास कार्यों के बाधा के रूप में ही देख रहे होंगे। दुखों में साथी बनने और स्वयं आत्मसात करने में भरी अंतर होता है।पर विश्वास कीजिए जब कोई सरकार आपके पिताजी/माताजी या स्वयं की अर्जित कमाई को अपनी शर्तों पे लेने आएगी तो आप भी ज्यादा देर तक नाराज़गी छुपा नहीं पाएंगे। उदाहरणस्वरूप इनकम टैक्स भरने वाले शायद इस भावना से ज्यादा जुड़ पाएंगे। आप अपनी कमाई का हिस्सा देने में कतराते हैं और कोई बिना इच्छा अपनी विरासत नीलाम कर के वोट भी खिलाफत में देने का अधिकार खो दे । ये तो न्यायसंगत बात नहीं होगी। जैसे कि करोड़ों भारतीयों के लिए "विंडफाल टैक्स" या फिर " POEM रूल्स" या "NPA" जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दे चुनावी मुद्दों की सूची में पहली प्राथमिकता पाने में असफल महसूस करते हैं वैसे ही अयोध्यावासी या कोई आम नागरिक भी पहले अपने परिवार का पेट पालने को सोचता है फिर कहीं समाज हित की बात करता है। आधुनिक काल में दार्शनिक बनने की सबसे पहली शर्त होती पेट में अन्न होना। आदर्श समाधान प्रायः दूसरों के संदर्भ में ही दिए जाते हैं। बाकि ये "एक" चुनाव हारने का "एक" खास चुनाव क्षेत्र से संबंधित "एक" विशेष मुद्दा है। चुनाव जीतने और नहीं जीतने के अनेकों और कारण होते हैं। ज्यादा दिलचस्पी के लिए विशेषज्ञों के लेखों को पढ़ा जा सकता है।
हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने भी रूस से तेल आयात पर लगे आरोपों के सन्दर्भ में पूछे गए प्रश्न के दौरान यही कहा की" यूरोप की तकलीफें विश्व की तकलीफें नहीं हो सकती। भारत वो हर संभव प्रयास करेगा जो उसके निजी हित के लिए उचित होगा।" विश्वगुरु होने के नाते हमें सभी के बारे में सोचना चाहिए ये आदर्श नीति तो हो सकती है पर व्यवहारिक नीति नहीं। शायद इससे कुछ मिलता जुलता विचार आक्रोशित अयोध्यावासियों का भी रहा होगा। अगर मंदिर निर्माण के बाद भी कुछ लोगो ने वोट नहीं दिया है तो मंदिर निर्माण के कारण से ही बहुत से लोगो ने वोट दिया भी है।
चर्चा में थोड़ा भटक गया था। मूल मुद्दा था उत्तर प्रदेश वासियों का अपने की सह–प्रदेशवासियों के प्रति कटुता। वैसे तो मैं मूलतः गोरखपुर का निवासी हूं पर पिताजी के कड़ी मेहनत के पैसे उड़ाने के कारण गोरखपुर और और उत्तर प्रदेश से बाहर रहने का भी कई बार सौभाग्य मिला। इन तमाम जगहों पर रहने के बाद एक व्यतिगत अनुभव साझा करने के कारण ही इतना लंबा लेख लिखना पड़ गया। हो सकता शायद सभी लोग इस बात से इत्तेफाक ना रखें पर मैंने ऐसा महसूस किया है की एकता के नाम पे सबसे कमज़ोर राज्य अगर कोई है तो वो उत्तर प्रदेश है। आप देश में कहीं भी चले जाएं आपको हर जगह बिहारी, मराठी, बंगाली, तमिल, तेलगु , मलयाली , कन्नड़, पंजाबी, हरयाणवी, हिमाचली, कश्मीरी,आसामी,आदि ग्रुप मिल जायेगा पर उत्तर प्रदेश के लोगों का कोई ग्रुप मिल पाना संभव नहीं होता। उत्तर प्रदेश वासी अक्सर आलू/भाटा की भांति किसी अन्य ग्रुप का हिस्सा बना हुआ मिल सकता है। या ज्यादा से ज्यादा बिहारी का साथ पकड़ के माहौल बनने की कोशिश करता हुआ मिल सकता है। और एक प्रदेश से होने की जो खुशी अन्य राज्य के लोगों में देखने को मिलती है वो खुशी उत्तर प्रदेश वासियों में नगण्य के समान है। एक कारण तो है उत्तर प्रदेश का पूरब से पश्चिम तक भगौलिक विस्तार जो की मूलतः बोली के आधार पे मोटा–मोटा ब्रज, अवध, पूर्वांचल, बुंदेलखंड, बघेलखंड जैसे क्षेत्रों में बांटा जा सकता है । ये सभी क्षेत्र अन्य राज्यों से भी जुड़े हुए है जैसे ब्रज/ पश्चिमी यूपी जुड़ा है दिल्ली और हरियाणा से, पूर्वांचल जुड़ा है बिहार से, बुंदेलखंड जुड़ा है मध्य प्रदेश से और बघेलखंड जुड़ा है छत्तीसगढ़ और झारखंड से, जिसके फलस्वरूप इन सभी क्षेत्रों की एक प्रदेश के रूप में पहचान न होकर एक क्षेत्रीय पहचान तक ही सीमित रह गई है या यूं कहें कि इन जुड़े हुए राज्यों में आवश्यकता से अधिक मिश्रित हो गई है। दूसरा कारण है अपने ही मन में धारण किया हुआ पूर्वाग्रह। पूर्वांचल का व्यक्ति जब किसी पश्चिमी यूपी के व्यक्ति से मिलता है तो उसको मन ही मन "दिल्ली से है बे***" वाली कैटेगरी में डाल के खुश हो जाता है और पश्चिमी यूपी वाला पूर्वांचल वाले को "भोजपुरी स्पीकिंग इलिटरेट बिहारी टाइप्स" वाली कैटेगरी में डाल के खुश। बुंदेली और बघेली बाकी तीनों से रिजोनेट ना ही करते हैं, और लगता है ना ही करना चाहते हैं और अपनी चौड़ में मस्त रहते हैं। अवध भी बाकी चारों से कोई खास जुड़ाव शायद ही महसूस करता है क्योंकि शायद आज भी मुग़लकालीन बादशाहत उसके दिमाग पे काबिज है। इसलिए पांचों भाई अपने को एक परिवार का हिस्सा मानने के बजाय अपनी ही धुन में सवार रहते हैं। परंतु ऐसा भी नहीं है की कम से कम एक क्षेत्र के ही दो लोगों में कोई खास भाईचारा उत्पन्न हो जाए। गोरखपुर के ही अगर पांच अपरिचित लोगों को अगर एक कमरे में बंद कर दिया जाए तो वो भी बस ज्यादा से ज्यादा नाम पूछने की इच्छा जाहिर कर सकते हैं , इस बात की एक प्रतिशत भी खुशी नहीं जाहिर करेंगे की एक ही जिले से हैं एक राज्य तो दूर की बात हैं। हैरत की बात नही है की एक समय पर राज्य को चार भाग में विभाजित करने की बात भी चर्चा में आई थी। जिले स्तर पर भी देखा जाए तो गाजियाबाद, नोएडा वाले उनका पता पूछने पर असली नाम कम, एनसीआर कहना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि उससे दिल्ली वाली फील आती है तो वहीं बलिया के लोग मंगल पांडे के जमाने से ही अपने आप को राज्य के भीतर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में देखते हैं और बागी तमगे के साथ जायज भी ठहराते हैं। गाजीपुर वाले मानते है की एक दिन पहले आजाद होने के कारण वो भी विशेष दर्जा ही रखते हैं। पूरे प्रदेश को शायद जमीन पे जोड़ रखा है मां गंगा ने और आसमान में 80 लोक सभा सीटों ने। पर आज जब कुछ लोग राजनैतिक मतभेद के चक्कर में अपने ही लोगों को गाली देने में लगे थे तो फिर लगा की अपनी पीड़ा साझा की जाए और प्रदेशवासियो को याद दिलाया जाए की एक "स्टेट आइडेंटिटी" के रूप तो आज भी कोई ठोस भावनात्मक पहचान बना पाने में अक्षम रहें हैं हम उत्तर प्रदेश के लोग। इसलिए समय रहते प्रयत्न करें की अपनों के साथ अपनो जैसे व्यवहार हो पाए और पूरा प्रदेश एक परिवार जैसा महसूस करे। अपने आप को श्रेष्ठकर और दूसरों को न्यूंतर मानकर अपनी मानसिक कुंठा से बाहर निकलने का प्रयास करें। प्रदेश में मानसिक विभाजन के अनेक कारण पहले ही मौजूद हैं, एक और न बनाकर अपना बंटाधार होने से बचाएं।
विशेष नोट : बीजेपी को वोट हमारे परिवार की तरफ से जनसंघ के जमाने से दिया जा रहा जब मोदीजी गुजरात की राजनीति में भी कोई मशहूर चेहरा नहीं थे और मैं शायद 4 या 5 पांचवी पीढ़ी हूं जो आम चुनावों में बीजेपी को समर्थन देता है।
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healthsanta-12 · 6 months
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Amazing Facts About Health tips|भोजन के बारे में रोचक तथ्य #facts #viral #amazingfacts#youtubeshorts
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jeevanjali · 8 months
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10 Mukhi Rudraksha:आइये जानते हैं दस मुखी रुद्राक्ष के रोचक तथ्य, और लाभ10 Mukhi Rudraksha: दस मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। और ये रुद्राक्ष दसों दिशाओं का प्रतीक है ऐसी मान्यता भी है कि दस मुखी रुद्राक्ष में भगवान विष्णु के दस अवतारों की शक्तियां विराजमान हैं।
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factober · 1 year
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स्थलीय जानवरों के बारे में 10 आश्चर्यजनक रोचक तथ्य @factober #animals
स्थलीय जानवरों के बारे में 10 आश्चर्यजनक रोचक तथ्य @factober #animals #w... https://youtu.be/T2PYHTVwbrY?si=Uti3QW0mLk3z9p7r via @youtube #animals #animal #wildlife #animalkingdom #interesting #facts #funfacts #SundayFunday 
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*_(सनातनपूजनसामग्रीभण्डार)_* *_(📿रोचक तथ्य एवं अध्यात्मिक ज्ञान🚩)_* *चतुर्मास महात्म्य ...*
💫इस बार चातुर्मास 29 जून (देव शयनी एकादशी) से 23 नवंबर (देव ऊठनी एकादशी तक है)💫
शास्त्रों में स्पष्ट निर्देश व आदेश है कि किसी भी व्यक्ति को बिना कुछ नियम लिए चतुर्मास व्यतीत नहीं करना चाहिए कुछ ना कुछ नियम अवश्य लेना चाहिए।
स्कंद पुराण ,पद्म पुराण आदि में वर्णित नियम जो चतुर्मास में लिए जा सकते हैं वह निम्नलिखित है उसमें से किसी भी दो-तीन नियमों का या एक नियम का चयन करके आप पालन कर सकते हैं
1) नित्य मंदिर दर्शन का नियम
2)* नित्य निर्धारित संख्या मे नाम जप का नियम*
3) नित्य भगवद्गीता के एक श्लोक या एक अध्याय के पाठ का नियम
4) नित्य श्रीमद्भागवत महापुराण के पाठ का नियम
5) नित्य पवित्र नदियों के स्नान का नियम ( नित्य संभव नहीं हो तो अमावस्या पूर्णिमा का एकादशी के दिन स्नान करे)
6) शैय्या त्याग का नियम
8) शास्त्र विरुद्ध आहार के त्याग का नियम( प्याज लहसुन गाजर भटा मूली कद्दू लेसुआ, मशरूम)
9) नित्य विष्णु सहस्त्रनाम के जप का नियम
10) नित्य शिव सहस्त्रनाम के जप का नियम
11) शिव महापुराण के पारायण का नियम
12) वट वृक्ष रोपण
13) पीपल वृक्ष रोपण
14) तुलसी वृक्षारोपण
15) नित्य पुरुष सूक्त के जप का नियम
16) बिल्व वृक्ष रोपण
17) *चतुर्मास की एकादशी के व्रत का नियम*
18) पलाश के पत्ते की पत्तल में भोजन का नियम
19) नित्य दीपदान का नियम
20) तीर्थ दर्शन का नियम
21) *अपने प्रिय भोज्य पदार्थ का चतुर्मास में त्याग*
22) विविध शास्त्रोक्त वस्तुओ के दान का नियम
23) देवीभागवत के पारायण का नियम
इन 23 नियमों में से प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 1 नियम तो अवश्य लेना चाहिए। *इसी प्रकार के रोचक तथ्य एवं अध्यात्मिक ज्ञान हेतू हमारे पेज से जुड़े टम्बलर पर (tumblr par👇🏻)* https://www.tumblr.com/sanatan-poojan-samagri-bhandar, *(instragram page par👇🏻)* https://www.instagram.com/sanatanpoojansamagribhandar?igshidMzNINGNkZWQ4Mg==
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भारत के बारे में 10 रोचक तथ्य भारत दुनिया का सबसे बड़ा देशों में से एक है, जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग 3.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर है। भारत दुनिया का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है, जिसमें 1.3 अरब से अधिक लोग रहते हैं। भारत में 22 आधिकारिक भाषाएं हैं और भाषाओं की विविधता वहाँ की सबसे विशिष्ट विशेषता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है।
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hindikala · 1 year
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श्री केदारनाथ मंदिर के बारे में 10 आश्चर्यजनक और रोचक तथ्य | Top 10 Amazing & Interesting Facts about Shri Kedarnath Temple #HarHarMahadev #kedarnath Read More: https://hindikala.com/article/facts-about-shri-kedarnath-temple/
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alltoptendpatel · 2 years
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Top 10 Amazing Facts Of The World In Hindi - हैरान कर देने वाले रोचक तथ्य
Part - 4
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animalvidoes · 3 months
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आज मुझे पार्क के पास मस्ती करती बिल्ली देखी दो बच्चे बिल्ली के मस्ती कर ...
बिल्ली के बारे में रोचक तथ्य (Interesting facts about cat)
हमारी पालतू बिल्लियों का DNA टाइगर से 96% मिलता है।
बिल्लियों को ठंड में आग के पास बैठना बहुत पसंद होता है।
बिल्लियां 50 डिग्री के तापमान तक आराम से रह सकती हैं।
अपना इलाका निश्चित करने के लिए बिल्लियां अपनी गंध छोड़ते हैं।
इन्सानों की तुलना में बिल्लियों की सूंघने की शक्ति चौदह गुना ज़्यादा होती है।
बिल्लियों की गंध में फेरोमोन्स होते हैं जो मादा को नर की ओर आकर्षित करते हैं।
यूरोप में घरेलू बिल्लियां सिर्फ एक साल में लगभग 8 करोड़ चूहों का शिकार करती है।
बिल्लियों के मूंछ के बाल उन्हे बहुत नजदीक के शिकार को पकड़ने मे सहायक होते हैं।
दुनिया मे पाई जाने वाली सभी बिल्लियों के पूर्वज का जन्म स्थान साउथ ईस्ट एशिया है।
बिल्लियां मीठा खाना पसंद नहीं करती हैं, क्‍योंकि उन्हे मीठे के स्वाद का पता ही नहीं चलता।
घरेलू बिल्लियां पानी से नफरत करती है इसलिए उन्हें नहलाने पर वे तरह-तरह की आवाज़ें निकलती है।
बिल्लियां अपनी पूंछ ऊपर की ओर सीधी करके इन्सानों से प्यार जताती है और पूंछ हिलाकर चेतावनी देती है।
बेहद ठंडे इलाकों से बहुत गरम इलाकों तक और धरती की सतह से सबसे ऊंचे पहाड़ों तक बिल्लियों का बसेरा है।
बिल्लियां कैट फैमिली कि सबसे आखिरी और लाजवाब सदस्य हैं, जो आज जंगलों में नहीं बल्कि हमारे घरों में रहती है।
बिल्लियां लगभग 1,000 तरह की आवाजें निकलने में सक्षम हैं जबकि कुत्ते सिर्फ 10 प्रकार की आवाजें निकाल सकते है।
रीसर्च बताती है कि अगर बिल्लियों का आकार और वज़न शेरों जितना हो जाए तो वे इन्सानों को ही खाना शुरू कर देगी।
बिल्लियां हमेशा अपने इलाकों से दूर जाकर प्रजनन करती हैं और इसी कारण आज ये धरती के सभी जगहों पर पाई जाती है।
बिल्लियों की दूर की नज़र तो बहुत तेज़ होती है मगर बहुत नजदीक (लगभग 20 सेंटीमीटर) आने पर उन्हे सब धुंधला नज़र आता है।
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khemkumar122 · 2 years
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fact in hindi - amazing fact in hindi
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fact 1.क्या आपको पता है की पृथ्वी की जितना भी पानी है उसका 97% पानी सिर्फ समुन्द्र मैं है और 2% जमीन के अंदर है। 
हैरान कर देने वाले रोचक तथ्य
fact 2.क्या आपको पता है की वेटिकन सिटी विश्वा सबसे काम जनसख्या वाला देश है यहाँ सिर्फ 500 isan hai
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fact 3.क्या आपको पता है की हम आपने जीवन के लगभग 25.1  करोड़ बार सिर्फ आखें झपकते है। 
fact 4.क्या आपको पता है की हम आपने लाइफ के लगभग 22900  बार सास लेते है। 
fact 5.क्या आपको पत्ता है की सानमारिनो एक ऐसा देश है जहा दो राष्टपति है। 
fact 6.क्या आपको पता है की स्पेन की तियोटिन  नदी का पानी खून जैसा लाल होता है।
fact 7.क्या आपको पता है की हमारे मस्तिष्क की वजन लगभग । 26  kg  होता है। हैरान कर देने वाले रोचक तथ्य
fact 8.क्या  आपको पता है की गुंजन नाम  की पक्षी है न वो पीछे की ओर उड़ता है। 
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fact 9.क्या आपको पता है की खट्टा सहद ब्राजील की जंगलो मै मिलता है।
fact 10.क्या आपको पता है की चीन की सींग नाईट चू सिटी मै सूर्य 2 दिखाई देता है 
fact 11.क्या आपको पता है की स्पेन मै कपड़ो पर अखबार प्रकाशित होता है। 
fact 12.क्या आपको पता है की फिलिस्तीन की जाजरन नदी मै एक भी मछली नहीं है। 
fact 13.क्या आपको पता है की अंग्रेजी भाषा मै सबसे ज्यादा शब्द होता है।  इस भाषा मै कुल लगभग  7,90,000 शब्द है। 
fact 14.क्या आपको पता है की सहारा रेगिस्तान के लोग बालू से नहाते है , क्योंकी वहाँ पानी नहीं है।
fact 15.क्या आपको पता है की सऊदी अरब एक ऐसा देश है जहा एक भी नदी नहीं है।
fact 16.क्या आपको पता है की मिश्रा की पानी हमेशा गर्म होता है। 
fact 17.क्या आपको पता है की कोस्टार नाम की एक इंसान ने संसार की पहली पुस्तक छापा। 
fact 18.क्या आपको पता है की सहतूत नाम की एक फल है जिसमे न ही फल और न ही बीज होता  है 
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fact 19.क्या आपको पता है की पक्षी एवरेस्ट के उचाई के बराबर उडाता है। 
fact 20.क्या आपको पता है की चींटी  एक ऐसा जिव है जो आपने वजन से 50 गुना ज्यादा भर के उठता है। हैरान कर देने वाले रोचक तथ्य
fact 21.क्या आपको पता है की उकाब पक्षी आपने पंजे मै हाथी को भी दबार कर भी उड़ा सकता है।
fact 22.क्या आपको पता है की एक ऐसा भी जिव है जिसमे तीन आँखें होती है उसका नाम है टू आटेरा 
fact 23.क्या आपको पता है की पृथ्वी की वजन प्रतिवर्ष 250 किलोग्राम बढ़ता है। 
fact 24.क्या आपको पता है की मनुष्य के साँस के लिए हवा की 1,000धन फुट वायु प्रत्येक 10 सेकंड मै आवश्यक होता है। 
fact 25.क्या आपको पता है की सूर्य की प्रकाश पृथ्वी तक पहुंचने मै मात्रा ।  8.14  से आठ पॉइंट 42 मिनट्स की समय लगता है। 
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fact 26.क्या आपको पता है की समुन्द्र की डूबी वास्तु की खोज करने के लिए सोनार नाम की वास्तु की प्रयोग करता है। 
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