इन उपायों से करें भगवान गणेश को प्रसन्न, धन और वैभव की होगी प्राप्ति
चैतन्य भारत न्यूज
बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना कर आप अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करवा सकते हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजन करने से विद्या, बुद्धि, विवेक की प्राप्ति होती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, बुधवार को किस तरह के उपाय करें ताकि आपको भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त हो।
इन उपायों से करें भगवान गणेश को खुश
बुधवार के दिन गणपति बप्पा को साबुत मूंग के साथ धनिया का चूरमा प्रसाद के तौर पर चढ़ाएं। गणेश जी को यह भोग बहुत पसंद है।
बुधवार को गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना चाहिए। यह पाठ मूलतः भगवान गणेश की वैदिक स्तुति है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, यह पाठ सभी दोषों से मुक्त करता है। इसके अलावा आपके सभी कष्टों और आने वाली बाधाओं से भी रक्षा करता है।
बुधवार को पूजा करने से पूर्व भगवान गणेश के माथे पर गाय के घी में सिंदूर मिलाकर तिलक लगाएं। इसके बाद आप स्वयं के माथे पर भी यह तिलक अवश्य लगाएं। इस उपाय से गणेश जी खुश होकर एकसाथ कई सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
गणेश गायत्री मंत्र
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
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बुधवार को इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा, जरूर मिलेगा फल
बुधवार व्रत रखने वाले इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा, पूरी होगी मनोकामना
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इन उपायों से करें भगवान गणेश को प्रसन्न, धन और वैभव की होगी प्राप्ति
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बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना कर आप अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करवा सकते हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजन करने से विद्या, बुद्धि, विवेक की प्राप्ति होती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, बुधवार को किस तरह के उपाय करें ताकि आपको भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त हो।
इन उपायों से करें भगवान गणेश को खुश
बुधवार के दिन गणपति बप्पा को साबुत मूंग के साथ धनिया का चूरमा प्रसाद के तौर पर चढ़ाएं। गणेश जी को यह भोग बहुत पसंद है।
बुधवार को गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना चाहिए। यह पाठ मूलतः भगवान गणेश की वैदिक स्तुति है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, यह पाठ सभी दोषों से मुक्त करता है। इसके अलावा आपके सभी कष्टों और आने वाली बाधाओं से भी रक्षा करता है।
बुधवार को पूजा करने से पूर्व भगवान गणेश के माथे पर गाय के घी में सिंदूर मिलाकर तिलक लगाएं। इसके बाद आप स्वयं के माथे पर भी यह तिलक अवश्य लगाएं। इस उपाय से गणेश जी खुश होकर एकसाथ कई सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
गणेश गायत्री मंत्र
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
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बुधवार को इन उपायों को अपनाकर करें भगवान गणेश को प्रसन्न, धन के साथ बढ़ेगा वैभव
चैतन्य भारत न्यूज
बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना कर आप अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करवा सकते हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजन करने से विद्या, बुद्धि, विवेक की प्राप्ति होती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, बुधवार को किस तरह के उपाय करें ताकि आपको भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त हो।
इन उपायों से करें भगवान गणेश को खुश
बुधवार के दिन गणपति बप्पा को साबुत मूंग के साथ धनिया का चूरमा प्रसाद के तौर पर चढ़ाएं। गणेश जी को यह भोग बहुत पसंद है।
बुधवार को गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना चाहिए। यह पाठ मूलतः भगवान गणेश की वैदिक स्तुति है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, यह पाठ सभी दोषों से मुक्त करता है। इसके अलावा आपके सभी कष्टों और आने वाली बाधाओं से भी रक्षा करता है।
बुधवार को पूजा करने से पूर्व भगवान गणेश के माथे पर गाय के घी में सिंदूर मिलाकर तिलक लगाएं। इसके बाद आप स्वयं के माथे पर भी यह तिलक अवश्य लगाएं। इस उपाय से गणेश जी खुश होकर एकसाथ कई सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
गणेश गायत्री मंत्र
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
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घर में सुख-समृद्धि पाने के लिए बुधवार को भगवान गणेश की ऐसे करें पूजा
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बुधवार को इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा, जरूर मिलेगा फल
चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में सप्ताह के हर दिन को किसी न किसी देवता के नाम किया गया है। इसी क्रम में आज का दिन यानी बुधवार भगवान गणेश को समर्पित है। हिंदू धर्म में प्रमुख पांच देवी-देवता यानी कि सूर्य, विष्णु, शिव, शक्ति और गणपति में भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है। श्री गणेश की आराधना शुभ फलदायी होती है। आइए जानते हैं बुधवार व्रत का महत्व और पूजन-विधि।
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बुधवार व्रत का महत्व
इस दिन भगवान गणेश जी की आराधना की जाती है। मान्यता है कि, इस दिन सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही गणेश जी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। यह भी माना जाता है कि, यदि बुधवार को श्री गणेश की पूजा की जाए तो वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। बुधवार के व्रत की शुरुआत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से की जानी चाहिए।
बुधवार व्रत पूजा-विधि
बुधवार के सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं।
उसके बाद गणेश जी की पूजा आरंभ करें।
भगवान गणेश की पूजा करते वक्त पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुंह करें।
गणपति जी की प्रतिमा के नीचे लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
श्री गणेश के सामने दीपक जलाएं और लाल गुलाब के पुष्प से भगवान को सजाएं।
गणेश जी की पूजा में तिल के लड्डू गुड़ रोली, मोली, चावल, पुष्प तांबे के लौटे में जल, धूप, प्रसाद के तौर पर केला और मोदक रखें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
संकष्टी चतुर्थी का उपवास तिल के लड्डू या तिल खाकर खोलना चाहिए।
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बुधवार को इन उपायों को अपनाकर करें भगवान गणेश को प्रसन्न, धन के साथ बढ़ेगा वैभव
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बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना कर आप अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करवा सकते हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजन करने से विद्या, बुद्धि, विवेक की प्राप्ति होती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, बुधवार को किस तरह के उपाय करें ताकि आपको भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त हो।
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बुधवार के दिन गणपति बप्पा को साबुत मूंग के साथ धनिया का चूरमा प्रसाद के तौर पर चढ़ाएं। गणेश जी को यह भोग बहुत पसंद है।
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बुधवार को पूजा करने से पूर्व भगवान गणेश के माथे पर गाय के घी में सिंदूर मिलाकर तिलक लगाएं। इसके बाद आप स्वयं के माथे पर भी यह तिलक अवश्य लगाएं। इस उपाय से गणेश जी खुश होकर एकसाथ कई सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
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एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
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गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
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गणेश चतुर्थी 2020 : ये हैं पोटली वाले गणपति बप्पा, रुकी हुई शादियों की मन्नत करते हैं पूरी
चैतन्य भारत न्यूज
22 अगस्त से देशभर में गणेश उत्सव शुरू हो चुका है। भक्त 10 दिनों तक भगवान गणेश की पूजा अर्चना करेंगे। वैसे तो भगवान गणेश के कई रूप और नाम है लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं इंदौर के एक ऐसे गणेश मंदिर के बारे में जो बेहद अनोखा है। जूनी इंदौर में शनि मंदिर के पास लगभग 750 साल पहले राजस्थान से आए गड़रियों ने सिद्दी विनायक गणेश की स्थापना की थी।
ऐसा कहा जाता है कि ये भगवान गणेश की एकमात्र ऐसी प्रतिमा है जिसमें वे अपने हाथ में एक पोटली लिए हुए हैं। मान्यता है कि पोटली लिए हुए भगवान गणेश की पूजा करने से घर में संपन्नता आती है। यही कारण है कि गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ होती है।
हल्दी की गांठों से होती है मन्नत पूरी
इस मंदिर की एक और विशेषता यह है कि जिन लोगों की शादी रुकी होती है उन्हें गुरूवार के दिन इस मंदिर में पूजन के लिए गणेश जी को चढ़ाई हुई हल्दी की गांठ दी जाती है। ये गांठे भक्त अपने घर में रखकर इनकी पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी सभी मन्नतें पूरी हो जाती हैं और शादी भी हो जाती है।
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ऐसा कहा जाता है कि ये भगवान गणेश की एकमात्र ऐसी प्रतिमा है जिसमें वे अपने हाथ में एक पोटली लिए हुए हैं। मान्यता है कि पोटली लिए हुए भगवान गणेश की पूजा करने से घर में संपन्नता आती है। यही कारण है कि गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ होती है।
हल्दी की गांठों से होती है मन्नत पूरी
इस मंदिर की एक और विशेषता यह है कि जिन लोगों की शादी रुकी होती है उन्हें गुरूवार के दिन इस मंदिर में पूजन के लिए गणेश जी को चढ़ाई हुई हल्दी की गांठ दी जाती है। ये गांठे भक्त अपने घर में रखकर इनकी पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी सभी मन्नतें पूरी हो जाती हैं और शादी भी हो जाती है।
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चैतन्य भारत न्यूज
गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन गणेश जी की पूजा अराधना की जाती है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेश जी का उत्सव शुरू होकर लगातार दस दिनों तक यानी अनंत चतुर्दशी के दिन तक चलता है।
कहा जाता है जो भी भक्त गणेश जी की पूजा सच्चे मन से करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। आइए जानते हैं गणेश जी किन चीजों को अर्पित करने से प्रसन्न होते हैं।
गणेश जी को ये चीजें करें अर्पित
गणेश जी की पूजा में दूर्वा का विशेष महत्व होता है। बिना दूर्वा के इनकी पूजा अधूरी मानी जाती है।
गणपति को मोदक भी प्रिय है। इसे गणेश जी को अर्पित करने से वह प्रसन्न होकर आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
श्रीगणेश की पूजा करते वक्त शमी पत्र चढ़ाएं साथ ही 'सुमुखाय नमः' मंत्र पढ़ें।
भगवान गणेश को बिल्वपत्र चढ़ाते समय 'उमापुत्राय नमः' का मंत्रोच्चारण करें।
इसके अलावा दूर्वदल चढ़ाते वक्त 'गजमुखाय नमः' का मंत्रोच्चारण करें।
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माता पार्वती के मैल से हुआ था भगवान गणेश का जन्म, जानिए वे क्यों कहलाएं गजमुख
चैतन्य भारत न्यूज
गणेशोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। इसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता श्री गणेश का जन्म हुआ था। इस पर्व को देश भर में खास तौर से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में हर्षोल्लास, उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है। श्री गणेश माता पार्वती और शिवजी के बेटे हैं। गणेश चतुर्थी के मौके पर आइए जानते हैं गणेश की जन्म कथा।
श्री गणेश की जन्म कथा
कहा जाता है कि देवी पार्वती ने एक बार शिव के गण नंदी के द्वारा उनकी आज्ञा के पालन में त्रुटि के कारण अपने शरीर के मैल और उबटन से एक बालक का निर्माण कर उसमें प्राण डाल दिए और कहा कि 'तुम मेरे पुत्र हो। तुम मेरी ही आज्ञा का पालन करना और किसी की नहीं। हे पुत्र! मैं स्नान के लिए भोगावती नदी जा रही हूं। कोई भी अंदर न आने पाए।' कुछ देर बाद वहां भगवान शंकर आए और पार्वती के भवन में जाने लगे। यह देखकर उस बालक ने उन्हें रोकना चाहा, बालक हठ देखकर भगवान शंकर क्रोधित हो गए। इसे उन्होंने अपना अपमान समझा और अपने त्रिशूल से बालक का सिर धड़ से अलग कर भीतर चले गए।
जब इस बारे में माता पार्वती को पता लगा तो वह बाहर आईं और रोने लगीं। उन्होंने शिवजी से कहा कि, आपने मेरे बेटा का सिर काट दिया। शिवजी ने पूछा कि ये तुम्हारा बेटा कैसे हो सकता है? इसके बाद माता पार्वती ने शिवजी को पूरी कथा बताई।
शिवजी ने माता पार्वती को मनाते हुए कहा कि, 'ठीक है मैं इसमें प्राण डाल देता हूं, लेकिन प्राण डालने के लिए एक सिर चाहिए।' इस पर उन्होंने गरूड़ जी से कहा कि, 'उत्तर दिशा में जाओ और वहां जो भी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ कर के सोई हो उस बच्चे का सिर ले आना।'
गरूड़ जी भटकते रहे पर उन्हें ऐसी कोई मां नहीं मिली क्योंकि हर मां अपने बच्चे की तरफ मुंह कर के सोती है। अंतत: उन्हें एक हथिनी दिखाई दी। हथिनी का शरीर का प्रकार ऐसा होता हैं कि वह बच्चे की तरफ मुंह कर के नहीं सो सकती है। गरूड़ जी उस शिशु हाथी का सिर ले आए। भगवान शिवजी ने वह बालक के शरीर से जोड़ दिया। उसमें प्राणों का संचार कर दिया। उनका नामकरण कर दिया। इस तरह श्रीगणेश को हाथी का सिर लगा। इसके बाद से भगवान गणेश को गजमुख भी कहा जाने लगा।
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दरिद्रता से बचना चाहते हैं तो गणेश चतुर्थी पर भूलकर भी न करें ये गलतियां
चैतन्य भारत न्यूज
हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक गणेश चतुर्थी का काफी महत्व है। मान्यता है कि इसी दिन बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता श्री गणेश का जन्म हुआ था। इसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व को देशभर में खास तौर से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
गणेशजी का यह जन्मोत्सव चतुर्थी तिथि से लेकर 10 दिनों तक चलता है। इस बार यह चतुर्थी 22 अगस्त दिन शनिवार को है। भगवान गणेश प्रथम पूजनीय हैं इसलिए उनकी पूजा में छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात का ध्यान रखा जाता है। आइए जानते हैं गणेश पूजा के दौरान किन किन बातों का ध्यान रखा जाता है।
गणेश पूजा में न करें ये गलतियां
गणपति के पूजन में गलती से किसी भी व्यक्ति को नीले और काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए।
भगवान गणेश की पीठ के दर्शन कभी नहीं करने चाहिए। कहा गया है कि गणेश के शरीर पर ब्रह्मांड के सभी अंग निवास करते हैं। उनकी पीठ पर दरिद्रता का वास है, जो भी पीठ के दर्शन करता है तो दरिद्रता का प्रभाव बढ़ जाता है।
यदि गणपति की मूर्ति के पास अंधेरा है तो उनकी मूर्ति को स्पर्श न करें। अंधरे में भगवान की मूर्ति को छूना महापाप माना जाता है।
पूजा स्थान पर एक साथ दो गणेश प्रतिमाएं नहीं होना चाहिए। इससे फल प्राप्ति में बाधा आती है। वास्तु विज्ञान के अनुसार पूजा घर में केवल एक गणपति प्रतिमा रखनी चाहिए।
गणेशजी की पूजा में लाल रंग का विशेष महत्व है। इनकी पूजा करते समय सफेद चंदन की बजाय लाल चंदन का प्रयोग करना चाहिए।
गणेशजी को दूर्वा चढ़ाना शुभ और फलदायी होता है। पूजा के समय 21 दूर्वा अर्पित करें। मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
गणेश जी को जनेऊ पहनाएं। उनकी पूजा तीनों समय की जाती है। तीनों पहर न हो पाए तो दोपहर और शाम को केवल पुष्प अर्पित कर पूजा कर लें।
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सोमवार और गणेश चतुर्थी व्रत का खास संयोग, इस विधि से पूजा करने पर बन जाएंगे बिगड़े काम
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आज इस शुभ मुहूर्त में करें गणेश स्थापना, घर लाए शुभ फल देने वाली ऐसी प्रतिमा
चैतन्य भारत न्यूज
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। मान्यता अनुसार भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस बार देशभर में गणेश चतुर्थी 22 अगस्त को यानी आज मनाई जा रही है। इसके लिए तैयारियां शुरू भी हो चुकी हैं। आइए जानते हैं किस मुहूर्त में गणेश स्थापना करना सही होगा। इसके अलावा हम आपको बताएंगे की गणेश जी की कैसी प्रतिमा स्थापित करना चाहिए।
गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा दोपहर के समय करना शुभ माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर मध्याह्न काल में अभिजित मुहूर्त के संयोग पर गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना करना शुभ रहेगा।
चौघड़िया अनुसार
गणेश चतुर्थी का आरंभ 21 अगस्त की रात 11 बजकर 4 मिनट से।
गणेश चतुर्थी तिथि का समापन 22 अगस्त शाम 7 बजकर 58 मिनट।
शुभ चौघड़िया सुबह 7 बजकर 58 से 9 बजकर 30 तक।
लाभ चौघड़िया दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से 3 बजकर 52 मिनट तक।
अमृत चौघड़िया शाम 3 बजकर 53 मिनट से 5 बजकर 17 मिनट तक।
ऐसी प्रतिमा करें स्थापित
बैठी मुद्रा में लें प्रतिमा
शास्त्रों के मुताबिक, गणेश प्रतिमा हमेशी बैठी हुई मुद्रा में ही लेनी चाहिए। क्योंकि खड़े हुए गणेश को चलायमान माना जाता है।
बाईं सूंड ���ाले गणेश जी
यदि गणेश की सूंड प्रतिमा के बाएं हाथ की ओर घूमी हुई हो तो उन्हें वक्रतुंड कहा जाता है। इनकी पूजा-आराधना में बहुत ज्यादा नियम नहीं रहते हैं। आप आसानी से इनकी पूजा कर सकते हैं।
दाईं सूंड वाले गणेशजी
सिद्धि विनायक का पूजन करते समय भक्त को रेशमी वस्त्र धारण कर नियम से सुबह-शाम पूजा करनी चाहिए। भक्त को जनेऊ धारण कर उपवास रखना होता है।
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चैतन्य भारत न्यूज
देशभर में गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस साल चतुर्थी तिथि 22 अगस्त यानी शनिवार को है। इस चतुर्थी को बहुत ही खास योग बन रहा। ऐसा योग 126 साल बाद बना है। गणेश पुराण के मुताबिक, इसी शुभ दिन गणेशजी का जन्म हुआ था।
कहा जाता है कि गणेश जी ही एक ऐसे देवता हैं, जो भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही प्रकार की सफलताओं को एक साथ देने में समर्थ-सक्षम हैं। किसी भी मांगलिक कार्य में सबसे पहले गणपति का ध्यान और पूजन किया जाता है। बता दें गणेश स्थापना से ही गणेशोत्सव की शुरुआत हो जाएगी और 10 दिन के बाद यानी अनंत चतुर्दशी के दिन ये उत्सव खत्म होता है।
इस चतुर्थी बन रहा है शुभ संयोग
इस वर्ष गणेश चतुर्थी ऐसे समय में मनाई जा रही है जब सूर्य सिंह राशि में और मंगल मेष राशि में हैं। सूर्य और मंगल का यह योग 126 साल बाद बन रहा है। यह योग विभिन्न राशियों के लिए अत्यंत फलदायी रहेगा। गणेश चतुर्थी पर हर साल जगह-जगह झांकी पांडाल सजाए जाते थे व प्रतिमाएं स्थापित की जाती थीं, लेकिन इस वर्ष कोरोना के चलते गणेश जी की झांकियां लगाना प्रतिबंधित है।
गणेश पूजन के लिए शुभ मुहूर्त
इस दिन चौघड़िया मुहूर्त शुभ है। 22 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से शाम 4 बजकर 48 मिनट तक चर, लाभ और अमृत के चौघड़िया है।
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देशभर में गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस साल चतुर्थी तिथि 22 अगस्त यानी शनिवार को है। इस चतुर्थी को बहुत ही खास योग बन रहा। ऐसा योग 126 साल बाद बना है। गणेश पुराण के मुताबिक, इसी शुभ दिन गणेशजी का जन्म हुआ था।
कहा जाता है कि गणेश जी ही एक ऐसे देवता हैं, जो भौति��� और आध्यात्मिक दोनों ही प्रकार की सफलताओं को एक साथ देने में समर्थ-सक्षम हैं। किसी भी मांगलिक कार्य में सबसे पहले गणपति का ध्यान और पूजन किया जाता है। बता दें गणेश स्थापना से ही गणेशोत्सव की शुरुआत हो जाएगी और 10 दिन के बाद यानी अनंत चतुर्दशी के दिन ये उत्सव खत्म होता है।
इस चतुर्थी बन रहा है शुभ संयोग
इस वर्ष गणेश चतुर्थी ऐसे समय में मनाई जा रही है जब सूर्य सिंह राशि में और मंगल मेष राशि में हैं। सूर्य और मंगल का यह योग 126 साल बाद बन रहा है। यह योग विभिन्न राशियों के लिए अत्यंत फलदायी रहेगा। गणेश चतुर्थी पर हर साल जगह-जगह झांकी पांडाल सजाए जाते थे व प्रतिमाएं स्थापित की जाती थीं, लेकिन इस वर्ष कोरोना के चलते गणेश जी की झांकियां लगाना प्रतिबंधित है।
गणेश पूजन के लिए शुभ मुहूर्त
इस दिन चौघड़िया मुहूर्त शुभ है। 22 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से शाम 4 बजकर 48 मिनट तक चर, लाभ और अमृत के चौघड़िया है।
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बुधवार को इन उपायों को अपनाकर करें भगवान गणेश को प्रसन्न, धन के साथ बढ़ेगा वैभव
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बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना कर आप अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करवा सकते हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजन करने से विद्या, बुद्धि, विवेक की प्राप्ति होती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, बुधवार को किस तरह के उपाय करें ताकि आपको भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त हो।
इन उपायों से करें भगवान गणेश को खुश
बुधवार के दिन गणपति बप्पा को साबुत मूंग के साथ धनिया का चूरमा प्रसाद के तौर पर चढ़ाएं। गणेश जी को यह भोग बहुत पसंद है।
बुधवार को गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना चाहिए। यह पाठ मूलतः भगवान गणेश की व��दिक स्तुति है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, यह पाठ सभी दोषों से मुक्त करता है। इसके अलावा आपके सभी कष्टों और आने वाली बाधाओं से भी रक्षा करता है।
बुधवार को पूजा करने से पूर्व भगवान गणेश के माथे पर गाय के घी में सिंदूर मिलाकर तिलक लगाएं। इसके बाद आप स्वयं के माथे पर भी यह तिलक अवश्य लगाएं। इस उपाय से गणेश जी खुश होकर एकसाथ कई सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
गणेश गायत्री मंत्र
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
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हिंदू धर्म में सप्ताह के हर दिन को किसी न किसी देवता के नाम किया गया है। इसी क्रम में आज का दिन यानी बुधवार भगवान गणेश को समर्पित है। हिंदू धर्म में प्रमुख पांच देवी-देवता यानी कि सूर्य, विष्णु, शिव, शक्ति और गणपति में भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है। श्री गणेश की आराधना शुभ फलदायी होती है। आइए जानते हैं बुधवार व्रत का महत्व और पूजन-विधि।
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बुधवार व्रत का महत्व
इस दिन भगवान गणेश जी की आराधना की जाती है। मान्यता है कि, इस दिन सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही गणेश जी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। यह भी माना जाता है कि, यदि बुधवार को श्री गणेश की पूजा की जाए तो वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। बुधवार के व्रत की शुरुआत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से की जानी चाहिए।
बुधवार व्रत पूजा-विधि
बुधवार के सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं।
उसके बाद गणेश जी की पूजा आरंभ करें।
भगवान गणेश की पूजा करते वक्त पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुंह करें।
गणपति जी की प्रतिमा के नीचे लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
श्री गणेश के सामने दीपक जलाएं और लाल गुलाब के पुष्प से भगवान को सजाएं।
गणेश जी की पूजा में तिल के लड्डू गुड़ रोली, मोली, चावल, पुष्प तांबे के लौटे में जल, धूप, प्रसाद के तौर पर केला और मोदक रखें।
पूजा के दौरान भगवान श्री गणेश के बीज मंत्रों का जप भी करना चाहिए।
संकष्टी चतुर्थी का उपवास तिल के लड्डू या तिल खाकर खोलना चाहिए।
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बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन विशेष रूप से गणेश जी की पूजा-अर्चना होती है। हिंदू धर्म में प्रमुख पांच देवी-देवता यानी कि सूर्य, विष्णु, शिव, शक्ति और गणपति में भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है। श्री गणेश की आराधना शुभ फलदायी होती है। आइए जानते हैं बुधवार व्रत का महत्व और पूजन-विधि।
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बुधवार को भगवान गणेश जी की आराधना की जाती है। मान्यता है कि, इस दिन सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही गणेश जी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। यह भी माना जाता है कि, यदि बुधवार को श्री गणेश की पूजा की जाए तो वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। बुधवार के व्रत की शुरुआत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से की जानी चाहिए।
बुधवार व्रत पूजा-विधि
इस ��िन सुबह उठकर नित्य कर्म करने के बाद श्रीगणेश भगवान की पूजा करें।
इसके बाद गणेशजी के मंदिर में दूर्वा की 11 या 21 गांठ अर्पित करें।
बुधवार के दिन गणेश मंत्र का जाप विधि-विधान से करें। भगवान गणेश को लाल गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें।
इसके अलावा "ॐ सर्वसौख्यप्रदाय नमः" मंत्र का लाल चन्दन या रुद्राक्ष की माला से जाप करें।
पूजा के दौरान गणपति को 108 लड्डुओं का भोग लगाएं और जरूरतमंद बच्चों में बांट दें।
पूर्ण रूप से पूजा करने और गणेश को तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर भी तिलक लगाएं।
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