#brahmavishnumahesh
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bhagavanbhakthi · 1 year ago
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Brahma Vishnu Mahesh
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mount-moksha · 3 years ago
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Bhole Baba Jatadhari, Ganga Maiya ko de utari, kaam kiyo sabse bhaari🕉❣️ Har Har Mahadev #mountmoksha #azhimala #gangadhar #jatadhari #shivdarshan #incredibleindia #incrediblekerala #thiruvananthapuram #omnamahshivaye #omnamonarayanaya #brahmavishnumahesh #sivanandayoga (at Azhimala Siva Temple ആഴിമല ശ്രീ മഹാദേവ ക്ഷേത്രം) https://www.instagram.com/p/CbG9ULjL_eT/?utm_medium=tumblr
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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त्र्यंबकेश्वर में एक साथ मौजूद हैं ब्रह्मा-विष्‍णु-महेश, जानिए इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता और महत्व
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चैतन्य भारत न्यूज सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस महीने में शिवभक्त भोले बाबा के प्रति अपना प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए अलग-अलग कार्य करते हैं। मान्यता है कि, सावन महीने में जो भी भक्त भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का नाम जपता है उसके सातों जन्म तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। इन्हीं में से एक है त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग जिसे प्रमुख माना गया है। आइए जानते हैं त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता के बारे में। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व
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भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का आठवां स्थान है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर तीन पहाड़ियों के बीच स्थित है, जिसमें ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और कालगिरी शामिल हैं। मंदिर में ��्थित कुण्ड को अमृतवष्र्णी कहा जाता है। मंदिर के अंदर तीन छोट-छोटे लिंग हैं, जिन्हे ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है। यही केवल ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां तीनों ब्रह्मा, विष्णु और महेश साथ विराजते हैं। इसके अलावा मंदिर में संतों के कई मठ और समाधि भी हैं। सावन सोमवार के दिन त्र्यंबकेश्वर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां कालसर्प योग और नारायण नागबलि नामक खास पूजा-अर्चना भी होती है, जिसके कारण यहां साल भर श्रद्धालु आते रहते हैं। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता
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कहा जाता है कि, इस लिंग को आभूषित मुकुट (मुग्ध मुकुट) से सजाया गया है, जो पहले त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के सिर पर चढ़ाया जाता था। लोगों का कहना है कि, यह मुकुट पांडवों के जमाने से चढ़ाया हुआ है और इस मुकुट में हीरे, जवाहरात और बहुत से कीमती पत्थर भी जड़े हुए हैं। त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर को पेशवा नानासाहेब द्वारा बेसाल्ट से बनवाया गया था। कहा जाता है कि, पेशवा ने एक शर्त लगाई थी कि ज्योतिर्लिंग में लगा पत्थर अंदर से खोखला है या नहीं। पत्थर खोखला साबित हुआ और शर्त हारने पर पेशवा ने वहां एक अद्भुत मंदिर बनवाया। कहां है और कैसे पहुंचे त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
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त्र्यंबकेश्वर एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है, जो भारत में नाशिक शहर से 28 किलोमीटर और नाशिक रोड से 40 किलोमीटर दूर त्र्यंबकेश्वर तहसील के त्रिंबक शहर में बना हुआ है। हवाई मार्ग : त्र्यंबकेश्वर पहुंच���े के लिए निकटतम हवाई अड्डा नासिक है। नासिक हवाई अड्डे से आप त्रयंबकेश्वर के लिए टैक्सी किराए पर लेकर आसानी से पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग : त्र्यंबकेश्वर पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन नासिक रोड रेलवे स्टेशन है। आप मुंबई या भारत के किसी अन्य शहर से नासिक रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं। इसके बाद यहां से टैक्सी लेकर त्र्यंबकेश्वर जा सकते हैं। सड़क मार्ग : त्र्यंबकेश्वर सड़क मार्ग मुंबई से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां से आप त्र्यंबकेश्वर के लिए बस, ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं। ये भी पढ़े... 125 साल बाद सावन सोमवार के दिन बना नाग पंचमी का शुभ योग, कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए करें ये उपाय भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सातों जन्म के पाप हो जाते हैं नष्ट, जानिए इसका महत्व और विशेषता भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है केदारनाथ धाम, जानिए इस ज्योतिर्लिंग का इतिहास और महत्व Read the full article
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shahjayshree29 · 6 years ago
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Lotus Light- 23"x46" #oilpainting #acrylicpainting #mixedmedium #canvaspainting #snake #lotus #Indianminiature #mannequin #cycling #universe #glow #stars #lotusleaf #spiritualart #mythology #instaart #instaartist #brahmavishnumahesh #contemporaryart #indianart #indianartist #vishnu https://www.instagram.com/p/By7G49yllGP/?igshid=isf9pqfnnjyv
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swapnil1690 · 8 years ago
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The view of the Shikhar Jagatpita Brahma Mandir (जगत्-पिता ब्रह्मा मंदिर) is a Hindu temple situated at Pushkar in the Indian state of Rajasthan, close to the sacred Pushkar Lake to which its legend has an indelible link. The temple is one of very few existing temples dedicated to the Hindu creator-god Brahma in India and remains the most prominent among them. Although the present temple structure dates to the 14th century, the temple is believed to be 2000 years old. The temple is mainly built of marble and stone stabs. It has a distinct red pinnacle (shikhara) and a hamsa bird motif. The temple sanctum sanctorum holds the central images of Brahma and his second consort Gayatri. The temple is governed by the Sanyasi (ascetic) sect priesthood. On Kartik Poornima, a festival dedicated to Brahma is held when large number of pilgrims visit the temple, after bathing in the sacred lake. (at Brahma Temple, Pushkar)
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trishnavision · 8 years ago
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#hinduamerican #july4th #independenceday #lordshiva #lordvishnu #lordbrahma #brahmavishnumahesh #godsandgoddeses #onenationundergodS #happy4th #freedomofreligion
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iamaakash · 8 years ago
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#brahmavishnumahesh #peace✌ (at Elephanta Caves)
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bhaktigallery · 3 years ago
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Brass Dattatreya Statue, 8 Inch Tall Brass Dattatreya Idol, Bhagwan Dattatrey Murty, Dattaguru, Saint Dattatreaya, Datta Guru, First Teacher #sridattatreyamorti #sadgurulordofyoga #tridevgodwithcow #brahmavishnumahesh #dattatreayastatue #brassdattatreyidol #shreegurudevdatta #shreedattamurti https://etsy.me/3hfNsCP
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chaitanyabharatnews · 6 years ago
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त्र्यंबकेश्वर में एक साथ मौजूद हैं ब्रह्मा-विष्‍णु-महेश, जानिए इस ज्योतिर्लिंग की विशेषता और महत्व
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चैतन्य भारत न्यूज सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस महीने में शिवभक्त भोले बाबा के प्रति अपना प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए अलग-अलग कार्य करते हैं। मान्यता है कि, सावन महीने में जो भी भक्त भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का नाम जपता है उसके सातों जन्म तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। इन्हीं में से एक है त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग जिसे प्रमुख माना गया है। आइए जानते हैं त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता के बारे में। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व
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भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का आठवां स्थान है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर तीन पहाड़ियों के बीच स्थित है, जिसमें ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और कालगिरी शामिल हैं। मंदिर में स्थित कुण्ड को अमृतवष्र्णी कहा जाता है। मंदिर के अंदर तीन छोट-छोटे लिंग हैं, जिन्हे ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है। यही केवल ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां तीनों ब्रह्मा, विष्णु और महेश साथ विराजते हैं। इसके अलावा मंदिर में संतों के कई मठ और समाधि भी हैं। सावन सोमवार के दिन त्र्यंबकेश्वर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां कालसर्प योग और नारायण नागबलि नामक खास पूजा-अर्चना भी होती है, जिसके कारण यहां साल भर श्रद्धालु आते रहते हैं। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता
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कहा जाता है कि, इस लिंग को आभूषित मुकुट (मुग्ध मुकुट) से सजाया गया है, जो पहले त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के सिर पर चढ़ाया जाता था। लोगों का कहना है कि, यह मुकुट पांडवों के जमाने से चढ़ाया हुआ है और इस मुकुट में हीरे, जवाहरात और बहुत से कीमती पत्थर भी जड़े हुए हैं। त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर को पेशवा नानासाहेब द्वारा बेसाल्ट से बनवाया गया था। कहा जाता है कि, पेशवा ने एक शर्त लगाई थी कि ज्योतिर्लिंग में लगा पत्थर अंदर से खोखला है या नहीं। पत्थर खोखला साबित हुआ और शर्त हारने पर पेशवा ने वहां एक अद्भुत मंदिर बनवाया। कहां है और कैसे पहुंचे त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
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त्र्यंबकेश्वर एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है, जो भारत में नाशिक शहर से 28 किलोमीटर और नाशिक रोड से 40 किलोमीटर दूर त्र्यंबकेश्वर तहसील के त्रिंबक शहर में बना हुआ है। हवाई मार्ग : त्र्यंबकेश्वर पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा नासिक है। नासिक हवाई अड्डे से आप त्रयंबकेश्वर के लिए टैक्सी किराए पर लेकर आसानी से पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग : त्र्यंबकेश्वर पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन नासिक रोड रेलवे स्टेशन है। आप मुंबई या भारत के किसी अन्य शहर से नासिक रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं। इसके बाद यहां से टैक्सी लेकर त्र्यंबकेश्वर जा सकते हैं। सड़क मार्ग : त्र्यंबकेश्वर सड़क मार्ग मुंबई से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां से आप त्र्यंबकेश्वर के लिए बस, ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं। ये भी पढ़े... 125 साल बाद सावन सोमवार के दिन बना नाग पंचमी का शुभ योग, कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए करें ये उपाय भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सातों जन्म के पाप हो जाते हैं नष्ट, जानिए इसका महत्व और विशेषता भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है केदारनाथ धाम, जानिए इस ज्योतिर्लिंग का इतिहास और महत्व Read the full article
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