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#kapas ki kheti
khetikisaniwala · 1 year
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आईये जानते है की Kapas Kya Hota Hai? और इसके Top 15 फायदे
परिचय
आपने सुना होगा की बाजार में कपास के तार और कपास (Cotton)देखने को मिलते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि Kapas Kya Hota Hai (कपास क्या होता है) और इसके फायदे क्या हैं? यदि आप भी इसके बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं। इस Post में हम आपको कपास के बारे में विस्तार से बताएंगे और आपको इसके Top- 15 फायदों के बारे में भी बताएंगे।
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आइए जानें Kapas Kya Hota Hai (कपास क्या होता है) ?
अगर हम विज्ञान की बात करें तो कपास, जिसे अंग्रेजी में 'Cotton' कहा जाता है, एक सूक्ष्म रेशा होती है जो कपास की खेती में प्राप्त की जाती है। कपास की पैदावार कर्मचारियों के द्वारा की जाती है जो इसे ध्यानपूर्वक उगाते हैं। कपास को अलग करने के बाद, यह काटी जाती है और इसके बाद उसे धोया और साफ किया जाता है। इसके बाद, इसे ढलाई या मशीनों के उपयोग से अलग किया जाता है ताके कपास को रूपांतरित किया जा सके। कपास का उपयोग वस्त्र उद्योग, चारधारा, औषधीय उपयोग, और अन्य उद्योगों में किया जाता है।
कपास के Top 15 फायदे
यहां हम आपको कपास के Top- 15 फायदों के बारे में बता रहे हैं:
1. स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
कपास के कपड़ों का उपयोग आपके त्वचा के लिए बहुत लाभदायक होता है। यह मुलायम और सुंदर कपड़ों का निर्माण करता है जो आपको ठंड में गर्म रखता है और त्वचा को स्वस्थ बनाये रखता है।
2. पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता
कपास की खेती एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाती है। कपास की उत्पादन में विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि यह पर्यावरण के लिए हानिकारक पदार्थों से मुक्त रहे।
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3. आर्थिक संप्रभुता
कपास की खेती एक मुख्य आय स्रोत हो सकती है जो ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आर्थिक संप्रभुता लाती है। इसके साथ ही, कपास के उत्पादन से संबंधित उद्योग भी रोजगार का निर्माण करते हैं, जिससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
4. कपास के उपयोग का विस्तार
कपास का उपयोग सिर्फ वस्त्र निर्माण तक ही सीमित नहीं होता है। इसका उपयोग चारधारा, तार, रस्सी, तारपाया, रस्सी आदि के निर्माण में भी किया जाता है।
5. प्राकृतिक रंगों में सुंदरता
कपास की तार का उपयोग रंगों के निर्माण में किया जाता है। इससे अद्भुत प्राकृतिक रंगों की प्राप्ति होती है जो वस्त्रों को अत्यधिक सुंदर बनाते हैं।
6. शुद्धता और सुरक्षा
कपास के कपड़ों का उपयोग करने से आपकी त्वचा सुरक्षित रहती है और आपको धूल और कीटाणुओं से बचाती है। यह अन्य संशोधित या केमिकल सामग्रियों से बने कपड़ों की तुलना में अधिक शुद्ध होता है।
7. कपास के वित्तीय लाभ
कपास की खेती से किसानों को वित्तीय लाभ मिलता है। यह उचित मूल्य पर बिकता है और किसानों को मार्केट में अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है।
8. संरक्षण का साधनिक उपाय
कपास एक अच्छा संरक्षण साधन भी हो सकती है। इसका उपयोग उत्पादों को रखने और पैक करने में किया जा सकता है, जो उन्हें कीटाणुओं, फफूंदों और नमकीन पानी से बचाता है।
9. परंपरागत संगणकों की संरक्षणा
कपास का उपयोग परंपरागत संगणकों की संरक्षा में भी किया जाता है। इसकी तार का उपयोग किसी भी अंधकार और तापमान पर प्रकाश संगणकों को सुरक्षित रखने के लिए किया जा सकता है।
10. कपास का उपयोग औषधीय उद्योग में
कपास का उपयोग विभिन्न औषधीय उद्योगों में भी किया जाता है। इसकी फाइबर्स का उपयोग विभिन्न दवाओं और स्वास्थ्य सप्लीमेंट में किया जाता है।
11. वातावरण संरक्षण
कपास की खेती वातावरण के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कपास की उत्पादन प्रक्रिया में केवल प्राकृतिक तत्वों का ही उपयोग किया जाता है, जो पर्यावरण के लिए अच्छा होता है।
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12. कपास की आवश्यकता
कपास विश्व भर में उपयोग होने वाली मुख्य कृषि फसलों में से एक है। इसकी मांग वस्त्र उद्योग, टेक्सटाइल उद्योग, औषधीय उपयोग, और अन्य उद्योगों में बढ़ती जा रही है।
13. कृषि विकास के लिए महत्वपूर्ण
कपास की खेती कृषि विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करती है और किसानों को आर्थिक स्वावलंबी बनाने में मदद करती है।
14. क्षेत्रीय विकास का सहारा
कपास की खेती क्षेत्रीय विकास के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा साबित हो सकती है। यह क्षेत्रीय आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करती है और सामाजिक व आर्थिक समानता में मदद करती है।
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merikheti · 2 years
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पंजाबः पिंक बॉलवर्म, मौसम से नुकसान, विभागीय उदासीनता, फसल विविधीकरण से दूरी
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लक्ष्य की आधी हुई कपास की खेती, गुलाबी सुंडी के हमले से किसान परेशान
मुआवजा न मिलने से किसानों ने लगाए आरोप
भूजल एवं कृषि भूमि की उर्वरता में क्षय के निदान के तहत, पारंपरिक खेती के साथ ही फसलों के विविधीकरण के लिए, केंद्र एवं राज्य सरकारें फसल विविधीकरण प्रोत्साहन योजनाएं संचालित कर रही हैं। इसके बावजूद हैरानी करने वाली बात है कि, सरकार से सब्सिडी जैसी मदद मिलने के बाद भी किसान फसल विविधीकरण के तरीकों को अपनाने से कन्नी काट रहे हैं।
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क्या वजह है कि किसान को फसल विविधीकरण विधि रास नहीं आ रही? क्यों किसान इससे दूर भाग रहे हैं? इन बातों को जानिये मेरी खेती के साथ। लेकिन पहले फसल विवधीकरण की जरूरत एवं इसके लाभ से जुड़े पहलुओं पर गौर कर लें।
फसल विविधीकरण की जरूरत
खेत पर परंपरागत रूप से साल दर साल एक ही तरह की फसल लेने से खेत की उपजाऊ क्षमता में कमी आती है। एक ही तरह की फसलें उपजाने वाला किसान एक ही तरह के रसायनों का उपयोग खेत में करता है। इससे खेत के पोषक तत्वों का रासायनिक संतुलन भी गड़बड़ा जाता है।
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भूमि, जलवायु, किसान का भला
यदि किसान एक सी फसल की बजाए भिन्न-भिन्न तरह की फसलों को खेत में उगाए तो ऐसे में भूमि की उर्वरकता बरकरार रहती है। निवर्तमान जैविक एवं प्राकृतिक खेती की दिशा में किए जा रहे प्रयासों से भी भूमि, जलवायुु संग कमाई के मामले में किसान की स्थिति सुधरी है।
नहीं ��पना रहे किसान
पंजाब सरकार द्वारा विविधीकृत कृषि के लिए किसानों को सब्सिडी प्रदान करने के बावजूद किसान कृषि की इस प्रणाली की ओर रुख नहीं कर रहे है। प्रदेश में आलम यह है कि यहां कुछ समय तक विविधीकरण खेती करने वाले किसान भी अब पारंपरिक मुख्य खेती फसलों की ओर लौट रहे हैं।
किसानों को नुकसान
पंजाब सरकार खरीफ कृषि के मौसम में पारंपरिक फसल धान की जगह अन्य फसलों खास तौर पर कम पानी में पैदा होने वाली फसलों की फार्मिंग को सब्सिडी आदि के जरिए प्रेरित कर रही है।
सब्सिडी पर नुकसान भारी
सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी के मुकाबले विविधीकृत फसल पर कीटों के हमले से प्रभावित फसल का नुकसान भारी पड़ रहा है।
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पंजाब के किसानों क मुताबिक उन्हें विविधीकरण कृषि योजना के तहत सब्सिडी आधारित फसलों पर कीटों के हमले के कारण पैदावार कम होने से आर्थिक नुकसान हो रहा है। इस कारण उन्होंने फसल विविधीकरण योजना एवं इस किसानी विधि से दूसी अख्तियार कर ली है।
कपास का लक्ष्य अधूरा
पंजाब कृषि विभाग द्वारा संगरूर जिले में तय किया गया कपास की खेती का लक्ष्य तय मान से अधूरा है। कपास के लिए निर्धारित 2500 हेक्टेयर खेती का लक्ष्य यहां अभी तक आधा ही है।
पिंक बॉलवर्म (गुलाबी सुंडी)
किसान कपास की खेती का लक्ष्य अधूरा होने का कारण पिंक बॉलवर्म का हमला एवं खराब मौसम की मार बताते हैं।
गुलाबी सुंडी क्या है
गुलाबी सुंडी (गुलाबी बॉलवार्म), पिंक बॉलवर्म या गुलाबी इल्ली (Pink Bollworm-PBW) कीट कपास का दुश्मन माना जाता है। इसके हमले से कपास की फसल को खासा नुकसान पहुंचता है।
किसानो के मुताबिक, संभावित नुकसान की आशंका ने उनको कपास की पैदावार न करने पर मजबूर कर दिया।
एक समाचार सेवा ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि, जिले में 2500 हेक्टेयर कपास की खेती का लक्ष्य तय मान से अधूरा है, अभी तक केवल 1244 हेक्टेयर में ही कपास की खेती हो पाई है।
7 क्षेत्र पिंक बॉलवर्म प्रभावित
विभागीय तौर पर फिलहाल अभी तक 7 क्षेत्रों में पिंक बॉलवर्म के हमलों की जानकारी ज्ञात हुई है। विभाग के अनुसार कपास के कुल क्षेत्र के मुकाबले प्रभावित यह क्षेत्र 3 प्रतिशत से भी कम है।
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नुकसान आंकड़ों में भले ही कम हो, लेकिन पिछले साल हुए नुकसान और मुआवजे संबंधी समस्याओं के कारण भी न केवल फसल विविधीकरण योजना से जुड़े किसान अब योजना से पीछे हट रहे हैं, बल्कि प्रोत्साहित किए जा रहे किसान आगे नहीं आ रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स में किसानों ने बताया कि, पिछली सरकार ने पिंक बॉलवर्म के हमले से हुए नुकसान के लिए आर्थिक सहायता देने का वादा किया था।
नहीं मिला धान का मुआवजा
भारी बारिश से धान की खराब हुई फसल के लिए मुआवजे से वंचित किसान प्रभावित 47 गांवों के किसानों की इस तरह की परेशानी पर नाराज हैं।
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बार-बार नुकसान वजह
किसानों की फसल विविधीकरण योजना से दूरी बनाने का एक कारण उन्हें इसमें बार-बार हो रहा घाटा भी बताया जा रहा है। दसका गांव के एक किसान के मुताबिक इस वर्ष गेहूं की कम उपज से उनको बड़ा झटका लगा। पिछले दो सीजन से नुकसान होने की जानकारी किसानों ने दी है।
कझला गांव के एक किसान ने खेती में बार-बार होने वाले नुकसान को किसानों को नई फसलों की खेती के प्रयोग से दूर रहने के लिए मजबूर करने का कारण बताया है। उन्होंने कई किसानों का उदाहरण सामने रखने की बात कही जो, फसल विविधीकरण के तहत अन्य फसलों के लिए भरपूर मेहनत एवं कोशिशों के बाद वापस धान–गेहूं की खेती करने में जुट गए हैं।
किसानों के अनुसार फसल विविधीकरण के विस्तार के लिए प्रदेश में सरकारी मदद की कमी स्पष्ट गोचर है।
सिर्फ जानकारी से कुछ नहीं होगा
इलाके के किसानो का कहना है कि, जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए सिर्फ जानकारी प्रदान करने से लक्ष्य पूरे नहीं होंगे। उनके मुताबिक कृषि अधिकारी फसलों की जानकारी तो प्रदान करते हैं, लेकिन फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रोत्साहन राशि के साथ अधिकारी किसानों के पास बहुत कम पहुंचते हैं।
हां नुकसान हुआ
किसान हित के प्रयासों में लगे अधिकारियों ने भी क्षेत्र में फसलों को नुकसान होने की बात कही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार किसानों को हो रहे नुकसान को उन्होंने भी फसल विविधीकरण नहीं अपनाने की वजह माना है।
नाम पहचान की गोपनीयता रखने की शर्त पर कृषि विकास अधिकारी ने बताया कि, फसल के नुकसान की वजह से कृषक फसल विविधीकरण कार्यक्रम में अधिक रुचि नहीं दिखा रहे हैं। उन्होंने बताया कि, केवल 1244 हेक्टेयर भूमि पर इस बार कपास की खेती की जा सकी है।
source पंजाबः पिंक बॉलवर्म, मौसम से नुकसान, विभागीय उदासीनता, फसल विविधीकरण से दूरी
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merikhetisblog · 2 years
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किसानों के लिए सफेद सोना साबित हो रही कपास की खेती : MSP से डबल हो गए कपास के दाम
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MSP से डबल हो गए कपास के दाम – किसानों के लिए सफेद सोना साबित हो रही कपास की खेती
नई दिल्ली। कपास की खेती करने वाले किसानों की इस साल खूब बल्ले-बल्ले हुई है। बाजार में कपास को अच्छा भाव मिला है। एमएसपी से भी डबल दामों में कपास की बिक्री हुई। कपास की खेती किसानों के लिए सफेद सोना साबित हुई है।
लांग स्टेपल कॉटन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6025 रुपए प्रति क्विंटल है। जबकि बाजार में इसके भाव 12000 से 13000 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है। ऐसे में किसानों के लिए इस बार कपास की खेती सफेद सोना बनी हुई है।
पिछले साल प्रकृति के कहर से सभी फसल बर्बाद हुईं थीं। उधर कपास को अच्छा भाव भी नहीं मिला। जिसके चलते किसानों व बड़े व्यापारियों ने कपास का भंडारण भी कम ही किया गया। जिसके चलते इस बार कपास की फसल ने किसानों को अच्छा मुनाफा दिया है। और उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले सीजन में भी कपास की खेती फायदे का सौदा रहेगी।
कपास के बीज खरीदने लगे किसान
– कपास की खेती करने वाले किसानों ने कपास के बीज खरीदना शुरू कर दिया है। कपास के बीज बिक्री पर 31 मई तक रोक थी, अब बाजार में कपास के बीज की बिक्री शुरू हो गई है। अनुमान है कि बारिश होते ही कपास की बुवाई शुरू हो जाएगी।
ये भी देखें: कपास की खेती की सम्पूर्ण जानकारी
कपास के पौधों का रखरखाव एवं बचाव
– कपास की खेती में जब पौधों में फूल लगने वाले हो तब खरपतवार पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। उस समय कई तरह के खरपतवार उग आते है, जिसमे कई प्रकार की कीट जन्म लेते है | यही कीट पौधों में कई तरह के रोग उत्पन्न करते है। इन रोगो से बचाव के लिए ही खरपतवार नियंत्रण पर अधिक ध्यान देना चाहिए। इसके लिए समय-समय पर कपास के खेत की निराई – गुड़ाई करते रहना चाहिए। खेत में बीज लगाने के 25 दिन के बाद से ही निराई-गुड़ाई शुरू कर देनी चाहिए। इससे पौधों के विकास में किसी तरह की रुकावट नहीं आती है, तथा पौधे अच्छे से विकास भी कर पाते है।
कैसे करें कपास की फसल की सिंचाई
– कपास की खेती में बहुत ही कम पानी की जरूरत होती है, यदि फसल बारिश के मौसम में की गयी है तो इसे पहली सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, और यदि खेती बारिश के मौसम में नहीं की गयी है तो 45 दिन के बाद सिंचाई कर देनी चाहिए। कपास के पौधे अधिक धूप में अच्छे से विकसित होते है इसलिए पहली सिंचाई करने के बाद जरूरत पड़ने पर ही इसकी सिंचाई करनी चाहिए किन्तु पौधों में फूल लगने के वक़्त खेत में नमी की उचित मात्रा बनी रहनी चाहिए जिससे पौधों के फूल झड़े नहीं, किन्तु अधिक पानी भी नहीं देना चाहिए इससे फूलो के ख़राब होने का खतरा हो सकता।
—– लोकेन्द्र नरवार
Source : https://www.merikheti.com/msp-se-dabal-hue-kapaas-ke-daam-kisaanon-ke-lie-saphed-sona-ho-rahee-kapaas/
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farmingstudy · 4 years
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कपास की खेती (kapas ki kheti) कैसे करें, पूरी जानकारी हिंदी में कपास विश्व की सबसे महत्वपूर्ण रेशे वाली फसल है और भारतवर्ष में प्राचीनकाल से ही कपास की खेती (kapas ki kheti) एक व्यापारिक फसल के रूप में उगाई जाती है । कपास की खेती कौन से महीने में की जाती है? कपास की खेती कैसे होती है? कपास की खेती कहाँ होती है? कपास की खेती के लिए सबसे उचित मिट्टी कौन सी है? कपास सबसे ज्यादा कहाँ होता है कपास में कौन सा खाद डालें? कपास की खेती सबसे ज्यादा कहा होती है कपास की खेती pdf कपास की जैविक खेती कपास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी कपास की खेती राजस्थान कपास की खेती मध्यप्रदेश कपास की दवा कपास की खेती के लिए सबसे उचित भूमि कौन सी है राजस्थान में कपास की खेती कहां होती है कपास की किस्मों ��े नाम कपास की उन्नत किस्में कपास के बीज की नई किस्म
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mytrupti123stuff · 5 years
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John Deere 5050D Reviews – TractorGuru
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John Deere 5050D is the most famous and preferred Tractor Industry and as well as in the 50 HP category. The Tractor is of 50 HP and has a PTO HP of 42.5 HP with 8 forward and 4 reserves gears, mechanical / power steering and oil-immersed brakes. The tractor has a lifting capacity of 1600 kg.
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The following are some of the reviews of John Deere 5050D
1) Dinesh J says:  Average bahut accha deta hai aur power bhi bahut deta hai. Maintenance kam hai , driver ko aram milta hai, kam karte vakt rukna nahi padta, vibrate nahi karta. Adrak, maka, gheun, kapas Iss kheti keliye iss tractor ka istamal karta hu.
2) Gaurav T: 5 mai se 5 rating deunga iss tractor ne mera munafa dugna kardiya hai. Average ko ye badiya hai, aur diesal ki khapat bhi bahut kam karta hai aur powerful bhi hai.
3) Aashish D says: कोनसे भी काम के लिए पीछे नहीं हटता | पावर बहुत ज्यादा है इस ट्रेक्टर मै, सूखे जमीनपे भी ये काम कर सकता है और पीटीओ की पावर भी ज्यादा है| बहुत बढ़िया ट्रेक्टर है चलाने मै ये ट्रेक्टर बहुत बढ़िया है। बहुत कम मेंटेनेंस है। एवरेज अच्छा देता है एक बार टंकी भर दू तो दो तीन दिन तक देखना नहीं पड़ता टंकी बड़ी होने के कारन। मुझे ये ट्रेक्टर बहुत अच्छा लगा इसका लुक भी बढ़िया और स्टाइलिश भी है।मेरे पास दो ट्रेक्टर है | बाकी ब्रांड से बहुत बढ़िया है ट्रेक्टर|
For more reviews do visit our Page: John Deere 5050D.
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videofiree · 4 years
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कपास की खेती से करे अब दोहरी कमाई|| Cotton farming in india || kapas ki organic kheti ||Desi jamidar | #Breaking
कपास की खेती से करे अब दोहरी कमाई|| Cotton farming in india || kapas ki organic kheti ||Desi jamidar | #Breaking
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merikheti · 2 years
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किसानों के लिए सफेद सोना साबित हो रही कपास की खेती : MSP से डबल हो गए कपास के दाम
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MSP से डबल हो गए कपास के दाम – किसानों के लिए सफेद सोना साबित हो रही कपास की खेती
नई दिल्ली। कपास की खेती करने वाले किसानों की इस साल खूब बल्ले-बल्ले हुई है। बाजार में कपास को अच्छा भाव मिला है। एमएसपी से भी डबल दामों में कपास की बिक्री हुई। कपास की खेती किसानों के लिए सफेद सोना साबित हुई है।
लांग स्टेपल कॉटन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6025 रुपए प्रति क्विंटल है। जबकि बाजार में इसके भाव 12000 से 13000 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है। ऐसे में किसानों के लिए इस बार कपास की खेती सफेद सोना बनी हुई है।
पिछले साल प्रकृति के कहर से सभी फसल बर्बाद हुईं थीं। उधर कपास को अच्छा भाव भी नहीं मिला। जिसके चलते किसानों व बड़े व्यापारियों ने कपास का भंडारण भी कम ही किया गया। जिसके चलते इस बार कपास की फसल ने किसानों को अच्छा मुनाफा दिया है। और उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले सीजन में भी कपास की खेती फायदे का सौदा रहेगी।
कपास के बीज खरीदने लगे किसान
– कपास की खेती करने वाले किसानों ने कपास के बीज खरीदना शुरू कर दिया है। कपास के बीज बिक्री पर 31 मई तक रोक थी, अब बाजार में कपास के बीज की बिक्री शुरू हो गई है। अनुमान है कि बारिश होते ही कपास की बुवाई शुरू हो जाएगी।
ये भी देखें: कपास की खेती की सम्पूर्ण जानकारी
कपास के पौधों का रखरखाव एवं बचाव
– कपास की खेती में जब पौधों में फूल लगने वाले हो तब खरपतवार पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। उस समय कई तरह के खरपतवार उग आते है, जिसमे कई प्रकार की कीट जन्म लेते है | यही कीट पौधों में कई तरह के रोग उत्पन्न करते है। इन रोगो से बचाव के लिए ही खरपतवार नियंत्रण पर अधिक ध्यान देना चाहिए। इसके लिए समय-समय पर कपास के खेत की निराई – गुड़ाई करते रहना चाहिए। खेत में बीज लगाने के 25 दिन के बाद से ही निराई-गुड़ाई शुरू कर देनी चाहिए। इससे पौधों के विकास में किसी तरह की रुकावट नहीं आती है, तथा पौधे अच्छे से विकास भी कर पाते है।
कैसे करें कपास की फसल की सिंचाई
– कपास की खेती में बहुत ही कम पानी की जरूरत होती है, यदि फसल बारिश के मौसम में की गयी है तो इसे पहली सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, और यदि खेती बारिश के मौसम में नहीं की गयी है तो 45 दिन के बाद सिंचाई कर देनी चाहिए। कपास के पौधे अधिक धूप में अच्छे से विकसित होते है इसलिए पहली सिंचाई करने के बाद जरूरत पड़ने पर ही इसकी सिंचाई करनी चाहिए किन्तु पौधों में फूल लगने के वक़्त खेत में नमी की उचित मात्रा बनी रहनी चाहिए जिससे पौधों के फूल झड़े नहीं, किन्तु अधिक पानी भी नहीं देना चाहिए इससे फूलो के ख़राब होने का खतरा हो सकता।
Source: किसानों के लिए सफेद सोना साबित हो रही कपास की खेती : MSP से डबल हो गए कपास के दाम
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