rahatindori
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Dr. Rahat Indori
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Celebrating the legendary Urdu Poet.
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rahatindori · 5 years ago
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A must-read for anyone interested in Urdu poetry:
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rahatindori · 5 years ago
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बीमार को मर्ज़ की दवा देनी चाहिए,
वो पीना चाहता है तो पिला देनी चाहिए।
अल्लाह बरकतों से नवाज़ेगा इश्क़ में,
है जितनी पूँजी पास लगा देनी चाहिए।
ये दिल किसी फ़कीर के हुजरे से कम नहीं,
ये दुनिया यही पे लाके छुपा देनी चाहिए।
मैं फूल हूँ तो फूल को गुलदान हो नसीब,
मैं आग हूँ तो आग बुझा देनी चाहिए।
मैं ख़्वाब हूँ तो ख़्वाब से चौंकाईये मुझे,
मैं नीद हूँ तो नींद उड़ा देनी चाहिए।
मैं जब्र हूँ तो जब्र की ताईद हो बंद,
मैं सब्र हूँ तो मुझ को दुआ देनी चाहिए।
मैं ताज हूँ तो ताज को सर पे सजायें लोग,
मैं ख़ाक हूँ तो ख़ाक उड़ा देनी चाहिए।
सच बात कौन है जो सरे-आम कह सके,
मैं कह रहा हूँ मुझको सज़ा देनी चाहिए।
सौदा यही पे होता है हिन्दोस्तान का,
संसद में आग लगा देनी चाहिए।।
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rahatindori · 5 years ago
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तेरे वादे की तेरे प्यार की मोहताज नहीं,
ये कहानी किसी किरदार की मोहताज नहीं।
लोग होठों पे सजाये हुए फिरते हैं मुझे,
मेरी शोहरत किसी अखबार की मोहताज नहीं।
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rahatindori · 5 years ago
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ये सानेहा तो किसी दिन गुज़रने वाला था,
मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था।
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rahatindori · 5 years ago
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लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं,
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं।
मैं न जुगनू हूँ, न दिया हूँ, न कोई तारा हूँ,
रोशनी वाले मेरे नाम से इतना जलते क्यों हैं।
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rahatindori · 5 years ago
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रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है।
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rahatindori · 5 years ago
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कभी दिमाग़ कभी दिल कभी नज़र में रहो, 
ये सब तुम्हारे ही घर हैं किसी भी घर में रहो। 
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rahatindori · 5 years ago
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तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा कर के,
दिल के बाज़ार में बैठे हैं ख़सारा कर के।
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भँवर है जिस की,
तुम ने अच्छा ही किया मुझ से किनारा कर के।
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rahatindori · 5 years ago
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अभी सलामत है ज़र्फ़ मेरा, लबालब भरा नहीं हूं,
वो मुझको मुर्दा समझ रहा है, उसको बतलाओ मैं मरा नहीं हूं।
अजीब माहौल ख़ौफ का फैला है चारों ओर,
उसकी आदत है डरा रहा है, मेरी फितरत है डरा नहीं हूं।
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rahatindori · 5 years ago
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ये ज़िन्दगी सवाल थी, जवाब माँगने लगे,
फ़रिश्ते आ के ख़्वाब में हिसाब माँगने लगे।
इधर किया करम, और उधर जता दिया,
नमाज़ पढ़के आए और शराब माँगने लगे।
सुख़नवरों ने ख़ुद बना दिया सुख़न को इक मज़ाक,
ज़रा-सी दाद क्या मिली ख़िताब माँगने लगे।
दिखाई जाने क्या दिया है जुगनुओं को ख़्वाब में,
खुली है आँख जबसे आफ़ताब माँगने लगे।
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rahatindori · 5 years ago
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सुला चुकी थी ये दुनिया थपक-थपक के मुझे,
जगा दिया तेरी पाज़ेब ने खनक के मुझे।
कोई बताए मैं इसका क्या इलाज करूं,
परेशां करता है ये दिल धड़क-धड़क के मुझे।
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