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##जैसे आपके द्वारा खाये गये भोजन को दूसरा कोई पचा नही सकता, ठीक उसी प्रकार आपके भीतर के भाव को आपके अतिरिक्त कोई दूसरा बदल नहीं सकता। इतनी सामर्थ्य ही नहीं है किसी में।।##
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Life without a goal is like a swing of children, which moves but reaches nowhere!
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Meditation is the way to live life consciously!
Meditation # Being alive # Open hearted # Love # Help
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Fear # Darkness # Alone # Unknown # Loneliness # Bad Things # Quotes # Writing # 10 May
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"ईश्वर को ईश्वर के लिए प्रेम करें।।"
Quote # Love # God # Realisation # Heartful
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ईश्वर मिल जाऐंगे
प्रेम में मीरा हो जाओ या फिर नफरत में रावण
नमस्ते प्रिय भाईयों और बहनों,
हम प्रेम के बारे में बहुत बातें करते हैं, परन्तु क्या सचमुच में हम प्रेम करते हैं, "प्रेम का मतलब है अपने को भुलाकर प्रेमी जैसा हो जाना अर्थात कुछ और हो जाना जैस मीराबाई कृष्ण के प्रेम में कृष्णमयीं हो गई उन्हें खुद के होने में कोई लगाव न रहा।"
मीराबाई जब कृष्णमयीं हो गई तो उन्हें अपनी सुध न थी। यही कारण था कि वह इतनी यातनाएं, दुःख, तकलीफें सहती रहीं और यह यहाँ तक बढ़ गया कि राणाजी ने उन्हें विष का प्याला दिया और कहा यह अंतिम चेतावनी है या तो कृष्ण को छोड़ दें या जीवन छोड़ दें, तो उन्हें श्रीकृष्ण को छोड़ना मंजूर नहीं था और उन्होंने अपने जीवन को ही छोड़ना स्वीकार कर लिया कि सबकुछ मेरे कानहा की मर्जी है, यह उन्हीं की मर्जी है कि मै जहर पिऊँ और वही जहर का प्याला लाकर उन्हें दे रहे हैं तो इसपर भरी सभा में बड़े प्रेम से उन्होंने उस विष के प्याले का सारा जहर पी लिया परन्तु उन्हें कुछ न हुआ और तब वह वहाँ से चलीं गई-और कहते हैं कि वह श्रीकृष्ण के मंदिर में पहुँचीं और मंदिर के कपाट बंद हो गए और फिर वह कभी नहीं दिखाई दीं और कहते हैं कि वह वहीं कृष्ण में समा गई।

वहीं दूसरी तरफ़ महान विद्वान और पंडित लंका का राजा रावण था, जो ईश्वर से इतनी नफरत करता था कि ईश्वर को उसे मारने के लिए स्वयं अवतार व लीलाएं करनी पड़ी। वह ईश्वर से इतनी अधिक नफरत करता था कि वह ईश्वर का ही जाप किया करता था, और उसके अंत समय में यह नफरत चरम सीमा तक पहुँच गई कि उसने भाई, भातीजों, बेटे, बंधुओं-बंधवों, और देश की समूची सेना सहित स्वयं को भी इस नफरत की बेदी पर चढ़ा दिया और वह स्वयं अंत में ईश्वर के हाथों मारा गया और मरते ही ईश्वर को स्वीकार कर स्वयं ईश्वरमय हो गया।
ईश्वर को ईश्वर के लिए प्रेम करें।।
Love #hate # kindness # Constant remembrance # Acceptance #Motivation # Spirituality # Meera bai # Ravan # Day2.
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Writing# Artical #Quotes #Motivation #Meditation #Heartfulness #Mindfulness
नमस्ते
प्रिय भाईयों एवं बहनों,
हम भौतिकता की इस दौड़ में इतने व्यस्त हो गए हैं कि हम यह तक भूल बैठे हैं कि आखिर हम जी क्यों रहे हैं?
किसके लिए जी रहे हैं?
क्या जिनके लिए आप इस तरह जी रहे हैं, उनके जीवन बेहतर हो गए हैं या उन्हें वह प्राप्त हो गया है या हो रहा है, जिसके लिए आपने सर्वस्व की बाजी लगा रखी है!
क्या आप जो अभी कर रहे हैं, वही करना, होना, बनना चाहते थे या कि आप उन चीजों को न करके आपने आपको ति�� तिलकर रोज मार रहे हैं।
जरा ठहरिये!थोड़ी साँस तो लीजिये,
कुछ सुस्ताइये, दिमाग को शांत कीजिए।।
"अपने आपको कोलाहल से भर दिया है।"
आपके अंदर एक सब्जी मंडी सजी हुई है, जो हर पल आपको सूचित करती है- यह व्यक्ति ठीक है, यह ठीक नहीं है, वह चोर है, उसे वो करना चाहिए था, या उसे वह नहीं करना चाहिए था, वह कितना घमंडी है, उसके साथ ठीक हुआ, यही होना चाहिए था उसके साथ, आज मजा चखाया उसे बहुत बनता था अपने आपको!,अब आया न ऊँट पहाड़ के नीचे आदि आदि आदि।
आप अपने खुद के बारे मे दिन में कितनी बार विचार करते हैं! खुद की आपको कितनी फिकर है, क्या यह आप अपने दिमाग में सोंचते हैं या फिर यह सिर्फ तब याद आता है जब हताश, निराश, बिमार, असहाय, गरीब, दीन-हीन, दुःखी,बेबश आदि पाते हैं!
बंद कीजिए अपने अंदर की बेमतलब की सब्जी मंडी को, कुछ देर शांत होकर आँखें बंद करके बैठ जाइऐ चिंतन कीजिए अपने जीवन के बारे में कि आप इसे कैसा बनाना चाहते हैं?क्या आपको नहीं लगता कि आपको भी खुश होने का हक है या फिर किस्तों में रख रहे हैं रिटयरमेंट के लिये कि तब जीऐंगें, अरे किसे मूर्ख बना रहे हो, क्या आपके पास आपने लिए समय है????
अपने घर पर कोई एक छोटा सा कोना देखिये, अब से यह कोना आपके लिए है और वहाँ कम से कम 5 मिनट ही सही एकांत में रहने और अपने लिए चिंतन के लिए समय निकालिये और देखिए यह समय आपके जीवन को नये मायने देता है, परिवर्तन लाता है, आपको जीवांत बनाता है। आपके जीवन को अबसे एक नयी छलाँग मिलेगी।
तो अपने लिए सिर्फ 5 मिनट.
1 सप्ताह के लिए ही सही इसे ईमानदारी से करके देखें, और जो विचार आते हैं उन्हें वैसा वैसा डायरी में उतार दें और एक सप्ताह बाद ! जादू
तो अपने लिए एक कोना तशाल करना न भूलें!

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नमस्ते
प्रिय भाईयों एवं बहनों,
हम भौतिकता की इस दौड़ में इतने व्यस्त हो गए हैं कि हम यह तक भूल बैठे हैं कि आखिर हम जी क्यों रहे हैं?
किसके लिए जी रहे हैं?
क्या जिनके लिए आप इस तरह जी रहे हैं, उनके जीवन बेहतर हो गए हैं या उन्हें वह प्राप्त हो गया है या हो रहा है, जिसके लिए आपने सर्वस्व की बाजी लगा रखी है!
क्या आप जो अभी कर रहे हैं, वही करना, होना, बनना चाहते थे या कि आप उन चीजों को न करके आपने आपको तिल तिलकर रोज मार रहे हैं।
जरा ठहरिये!थोड़ी साँस तो लीजिये,
कुछ सुस्ताइये, दिमाग को शांत कीजिए।।
"अपने आपको कोलाहल से भर दिया है।"
आपके अंदर एक सब्जी मंडी सजी हुई है, जो हर पल आपको सूचित करती है- यह व्यक्ति ठीक है, यह ठीक नहीं है, वह चोर है, उसे वो करना चाहिए था, या उसे वह नहीं करना चाहिए था, वह कितना घमंडी है, उसके साथ ठीक हुआ, यही होना चाहिए था उसके साथ, आज मजा चखाया उसे बहुत बनता था अपने आपको!,अब आया न ऊँट पहाड़ के नीचे आदि आदि आदि।
आप अपने खुद के बारे मे दिन में कितनी बार विचार करते हैं! खुद की आपको कितनी फिकर है, क्या यह आप अपने दिमाग में सोंचते हैं या फिर यह सिर्फ तब याद आता है जब हताश, निराश, बिमार, असहाय, गरीब, दीन-हीन, दुःखी,बेबश आदि पाते हैं!
बंद कीजिए अपने अंदर की बेमतलब की सब्जी मंडी को, कुछ देर शांत होकर आँखें बंद करके बैठ जाइऐ चिंतन कीजिए अपने जीवन के बारे में कि आप इसे कैसा बनाना चाहते हैं?क्या आपको नहीं लगता कि आपको भी खुश होने का हक है या फिर किस्तों में रख रहे हैं रिटयरमेंट के लिये कि तब जीऐंगें, अरे किसे मूर्ख बना रहे हो, क्या आपके पास आपने लिए समय है????
अपने घर पर कोई एक छोटा सा कोना देखिये, अब से यह कोना आपके लिए है और वहाँ कम से कम 5 मिनट ही सही एकांत में रहने और अपने लिए चिंतन के लिए समय निकालिये और देखिए यह समय आपके जीवन को नये मायने देता है, परिवर्तन लाता है, आपको जीवांत बनाता है। आपके जीवन को अबसे एक नयी छलाँग मिलेगी।
तो अपने लिए सिर्फ 5 मिनट.
1 सप्ताह के लिए ही सही इसे ईमानदारी से करके देखें, और जो विचार आते हैं उन्हें वैसा वैसा डायरी में उतार दें और एक सप्ताह बाद ! जादू
तो अपने लिए एक कोना तशाल करना न भूलें!

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