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Hindi Christian Worship Song With Lyrics | धन्य है अंत के दिनों की पीढ़ी
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Hindi Christian Worship Song With Lyrics | धन्य है अंत के दिनों की पीढ़ी
है सब परमेश्वर का अनुग्रह कि हम देख सकते हैं उसकी सुंदरता,
कि आज हम करते हैं उसे प्रेम करने की कोशिश,
कि हम चाहते हैं स्वीकार करना
हमारे समय के राज्य का प्रशिक्षण।
है ये सब परमेश्वर का अनुग्रह,
जिससे करता है वो हमारा उत्थान।
जब मैं सोचता हूं इस बारे में,
मुझे होता है परमेश्वर की सुंदरता का एहसास।
परमेश्वर सच में करता है हमें प्यार,
वरना हमें होता न यह एहसास, यह एहसास।
यह सब है योजना परमेश्वर की।
परमेश्वर ने बहुत पहले अंतिम दिनों में
हमें हासिल करना पूर्वनियत किया था,
ताकि पूरा ब्रह्मांड हम में देख पाए परमेश्वर की महिमा।
हम हैं परमेश्वर की योजना का फल, उसके काम का प्रतीक।
परमेश्वर का वचन और जो काम वो हम में करता है,
सभी बीते हुए युगों से लाख गुना अधिक है।
इज़राइल में नहीं, पतरस के साथ भी नहीं,
परमेश्वर ने कभी किया नहीं इतना काम,
परमेश्वर ने नहीं इतना कहा, नहीं इतना कहा।
जब मैं सोचता हूं इस बारे में,
मुझे होता है परमेश्वर की सुंदरता का अहसास।
परमेश्वर सच में करता है हमें प्यार, वरना हमें होता न यह अहसास।
यह दिखाता है हम हैं धन्य
संतों से अधिक, दूसरों से ज़्यादा।
परमेश्वर कहता है हमेशा अंतिम दिनों के लोग हैं धन्य।
यह दिखाता है हम हैं धन्य, हम हैं धन्य, हम हैं धन्य, हम हैं धन्य।
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Hindi Christian Worship Song With Lyrics | समय
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Hindi Christian Worship Song With Lyrics | समय
अकेली रूह चली आई है इतनी दूर से,
भविष्य को जाँचती, अतीत को खोजती,
कड़ी मेहनत करती, सपनों का पीछा करती।
इस बात से अनजान, कहाँ से आती-जाती है वो,
आँसुओं में पैदा होती, मायूसी में गुम होती।
कदमों तले कुचली जाती ख़ुद को संभालती फिर भी।
तुम्हारा आना कर देता है भटके व्यथित जीवन का अंत।
मुझको दिखती उम्मीद की किरण,
स्वागत करती हूँ सुबह की रोशनी का।
दूर कोहरे में पाती हूँ झलक तुम्हारे रूप की।
वो चमक है, वो चमक है तुम्हारे चेहरे की।
भटक गई थी मैं कल अनजान देश में,
मगर आज पा ली है राह मैंने अपने घर की।
ज़ख़्मों से छलनी, इंसान से अलग,
जीवन सपना है, मैं विलाप करती हूँ।
तुम्हारा आना कर देता है भटके व्यथित जीवन का अंत।
अब खोई हुई नहीं हूँ, भटकी हुई नहीं हूँ मैं।
अब अपने घर में हूँ मैं। तुम्हारा सफ़ेद लिबास दिखता है मुझे।
वो चमक है, वो चमक है तुम्हारे चेहरे की।
कितने जनम लिये, जनम लिये कितने साल इंतज़ार किया,
सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अब आगमन हुआ।
अकेली रूह को मिल गई राह, अब दुखी नहीं है ये।
हज़ारों साल का ये सपना।
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Hindi Christian Worship Song With Lyrics | सच्ची प्रार्थना का प्रभाव
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Hindi Christian Worship Song With Lyrics | सच्ची प्रार्थना का प्रभाव
ईमानदारी से चलो,
और प्रार्थना करो कि तुम अपने दिल में बैठे, गहरे छल से छुटकारा पाओगे।प्रार्थना करो, खुद को शुद्ध करने के लिए;
प्रार्थना करो, परमेश्वर का स्पर्श महसूस करो।
तब तुम्हारा स्वभाव बदल जायेगा।
मनुष्य का स्वभाव प्रार्थना से बदलता है।
जितना अधिक आत्मा स्पर्श करे, उतना ही वे मानेंगे,
अधिक सक्रिय वे हो जायेंगे।
और सच्ची प्रार्थना के कारण, उनके दिल धीरे-धीरे शुद्ध हो जाएंगे।
सच्चा आध्यात्मिक जीवन प्रार्थना का जीवन है।
एक जीवन जो कि परमेश्वर के स्पर्श के साथ है।
जब परमेश्वर तुम लोगों को छूता है,
इस तरह, तुम सब बदलते हो और तुम्हारा स्वभाव बदल सकता है।
मनुष्य का स्वभाव प्रार्थना से बदलता है।
जितना अधिक आत्मा स्पर्श करे, उतना ही वे मानेंगे,
अधिक सक्रिय वे हो जायेंगे।
और सच्ची प्रार्थना के कारण, उनके दिल धीरे-धीरे शुद्ध हो जाएंगे।
जब जीवन पर पवित्र आत्मा का स्पर्श ना हो,
तब जीवन धर्म से ज्यादा ���ुछ नहीं है।
लेकिन जब परमेश्वर करता है प्रकाशित और अक्सर छूता है तुम्हें,
तुम सब तब एक आध्यात्मिक जीवन जियोगे।
मनुष्य का स्वभाव प्रार्थना से बदलता है।
जितना अधिक आत्मा स्पर्श करे, उतना ही वे मानेंगे,
अधिक सक्रिय वे हो जायेंगे।
और सच्ची प्रार्थना के कारण, उनके दिल धीरे-धीरे शुद्ध हो जाएंगे,
सच्ची प्रार्थना से वे शुद्ध हो जाएंगे,
सच्ची प्रार्थना से वे शुद्ध हो जाएंगे।
"मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना" से
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Hindi Christian Devotional Song | कोई थाह लगा नहीं सकता परमेश्वर के अधिकार और सामर्थ्य (Lyrics)
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Hindi Christian Devotional Song | कोई थाह लगा नहीं सकता परमेश्वर के अधिकार और सामर्थ्य (Lyrics)
जब परमेश्वर के शब्द बोले जाते हैं, उसका अधिकार कमान लेता है
और जो उसने वचन दिया है सब धीरे धीरे सच हो जाता है।
सारी चीज़ों में बदलाव चारों तरफ़ होने लगता है।
ये हैं चमत्कार बनाने वाले के हाथों के।
जैसे बहारों में, घास हरी हो, फूल खिले,
कोंपलें फूटे, पंछी गाए, भर जाए मैदान लोगों से।
परमेश्वर के अधिकार और सामर्थ्य, बंधे नहीं हैं समय से,
जगह, व्यक्ति और वस्तु से, किन्हीं चीज़ों से।
उसके अधिकार और सामर्थ्य, आदमी की कल्पना के पार हैं।
उनके लिए है मुश्किल थाह लगाना या पूरा समझना।
जब परमेश्वर वचन पूरा करता है, सारी चीज़ें स्वर्ग और धरती में
उसके विचारों से नई होतीं, बदलती हैं।
सारी चीज़ें उसके वचन को पूरा करने के लिए कार्य करती हैं।
सारे प्राणी उसके प्रभुत्व के अधीन हैं।
सब अपनी भूमिका निभाते हैं; सब अपना कार्य करते हैं।
ये परमेश्वर के अधिकार की घोषणा करता है।
जैसे बहारों में, घास हरी हो, फूल खिले,
कोंपलें फूटे, पंछी गाए, भर जाए मैदान लोगों से।
परमेश्वर के अधिकार और सामर्थ्य, बंधे नहीं हैं समय से,
जगह, व्यक्ति और वस्तु से, किन्हीं चीज़ों से।
उसके अधिकार और सामर्थ्य, आदमी की कल्पना के पार हैं।
उनके लिए है मुश्किल थाह लगाना या पूरा समझना।
अधिकार की अभिव्यक्तियाँ एक आदर्श प्रदर्शन है
उसकी बातों का, जो लोगों और चीज़ों को दिखाई गई।
उसके अधिकार से सब पूरा हुआ,
तुलना से परे सुंदर और निर्दोष है।
जैसे बहारों में, घास हरी हो, फूल खिले,
कोंपलें फूटे, पंछी गाए, भर जाए मैदान लोगों से।
परमेश्वर के अधिकार और सामर्थ्य, बंधे नहीं हैं समय से,
जगह, व्यक्ति और वस्तु से, किन्हीं चीज़ों से।
उसके अधिकार और सामर्थ्य, आदमी की कल्पना के पार हैं।
उनके लिए है मुश्किल थाह लगाना या पूरा समझना।
उसके काम, विचार, शब्द, अधिकार,
सब बनाते हैं चित्र, सुंदर, अतुलनीय।
सभी प्राणियों के लिए, मानवीय भाषा
बता नहीं पाते इसका मूल्य और अभिप्राय।
परमेश्वर के अधिकार और सामर्थ्य, बंधे नहीं हैं समय से,
जगह, व्यक्ति और वस्तु से, किन्हीं चीज़ों से।
उसके अधिकार और सामर्थ्य, आदमी की कल्पना के पार हैं।
उनके लिए है मुश्किल थाह लगाना या पूरा समझना।
"मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना" से
ईसाई गीत—चुने हुए भजनों को सूची—यह वास्तव में हृदय से गाया गया गीत है।
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Hindi Christian Movie "भक्ति का भेद - भाग 2" क्लिप 5 - परमेश्वर के दो बार देहधारण करने के महत्व को समझना
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Hindi Christian Movie "भक्ति का भेद - भाग 2" क्लिप 5 - परमेश्वर के दो बार देहधारण करने के महत्व को समझना
पहले देहधारी परमेश्वर को सूली पर टांग दिया गया था, इस प्रकार मानवजाति के छुटकारे का कार्य पूरा हुआ था। अंत के दिनों में, दूसरे देहधारी परमेश्वर सत्य को व्यक्त करते हैं, न्याय और ताड़ना का अपना कार्य करते हैं, मनुष्य को शैतान के क्षेत्र से पूरी तरह बचाते हैं। परमेश्वर के दो बार देहधारी होने का दूरगामी महत्व है, जैसा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "यीशु ने कार्य का एक चरण किया, जिसने केवल "वचन परमेश्वर के साथ था" के सार को पूरा किया: परमेश्वर का सत्य परमेश्वर के साथ था, और परमेश्वर का आत्मा देह के साथ था और उससे अभिन्न था, अर्थात्, देहधारी परमेश्वर का देह परमेश्वर के आत्मा के साथ था, जो कि एक अधिक बड़ा प्रमाण है कि देहधारी यीशु परमेश्वर का प्रथम देहधारण था। कार्य के इस चरण ने "वचन देह बनता है" के आंतरिक अर्थ को पूरा किया, "वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था", को और गहन अर्थ प्रदान किया और तुम कोतुम्हें इन वचनों पर दृढ़ता से विश्वास करने की अनुमति देता है......" ( वचन देह में प्रकट होता है) अधिक परमेश्वर के वचनों को पढ़ें, और विश्वास के बारे में विभिन्न समस्याओं को हल करें।
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Hindi Christian Movie "भक्ति का भेद - भाग 2" क्लिप 6 - क्या प्रभु यीशु परमेश्वर के पुत्र हैं या स्वयं परमेश्वर हैं?
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Hindi Christian Movie "भक्ति का भेद - भाग 2" क्लिप 6 - क्या प्रभु यीशु परमेश्वर के पुत्र हैं या स्वयं परमेश्वर हैं?
बाइबल में यह बात स्पष्ट रूप से दर्ज है कि प्रभु यीशु ही मसीह हैं, वे परमेश्वर के पुत्र हैं। फिर भी चमकती पूर्वी बिजली यह गवाही देती है कि देहधारी मसीह परमेश्वर का स्वरूप हैं, यह कि वे स्वयं परमेश्वर हैं। तो क्या देहधारी मसीह परमेश्वर के पुत्र हैं? या वे स्वयं परमेश्वर हैं? सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "'यीशु परमेश्वर का प्रिय पुत्र है, जिस पर वह प्रसन्न है' ..... यह परमेश्वर की स्वयं के लिए गवाही थी, लेकिन केवल एक अलग परिप्रेक्ष्य से, स्वर्ग में आत्मा के अपने स्वयं के देहधारण को साक्ष्य देना। यीशु उसका देहधारण है, स्वर्ग में उसका पुत्र नहीं। क्या तुम समझते हो? यीशु के शब्द, 'पिता मुझ में है और मैं पिता में हूं,' क्या यह संकेत नहीं देते कि वे एक आत्मा हैं? और यह देहधारण के कारण नहीं है कि वे स्वर्ग और पृथ्वी के बीच अलग हो गए थे? वास्तव में, वे अभी भी एक हैं; चाहे कुछ भी हो, यह केवल परमेश्वर की स्वयं के लिए गवाही है।" ( वचन देह में प्रकट होता है)
यीशु की कहानी—प्रभु को जानने में आपकी मदद—बाइबल की व्याख्या 2019
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Hindi Gospel Movie "जागृति" क्लिप 1 - क्या बचाये जाने को पूर्ण उद्धार माना जा सकता है?
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Hindi Gospel Movie "जागृति" क्लिप 1 - क्या बचाये जाने को पूर्ण उद्धार माना जा सकता है?
धार्मिक दुनिया के पादरी और एल्डर्स विश्वासियों को अक्सर यह उपदेश देते हैं कि प्रभु यीशु में विश्वास करने से उनके पाप माफ़ हो जाएंगे, और उनकी आस्था उन्हें धर्मी बना देती है, और जब एक बार कोई बचा लिया जाता है, तो वह हमेशा के लिए बचा लिया जाता है। इसके चलते बहुत-से विश्वासी यकीन करते हैं कि जब प्रभु लौटेंगे, तो हम फ़ौरन स्वर्गारोहित हो जाएँगे और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर लेंगे। फिर भी प्रभु यीशु ने कहा था, "जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु! कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।(© BSI) प्रभु ऐसा क्यों कहते हैं कि सभी विश्वासी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर पायेंगे? बचाये जाने और पूर्ण उद्धार के बीच ठीक किस प्रकार का रिश्ता है?
परमेश्वर के वचनो ने उन सत्यो को उजागर किया हैं जिसे हमें समझने की आवशकता हैं, और अधिक वीडियो देखने के लिए हमारे आधिकारिक वेबसाइट पर आपका स्वागत है।
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Hindi Christian Video "सुसमाचार दूत" क्लिप 1 - जब प्रभु यीश ने क्रूस पर, "पूरा हुआ" कहा तो इसका क्या अर्थ था?
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Hindi Christian Video "सुसमाचार दूत" क्लिप 1 - जब प्रभु यीश ने क्रूस पर, "पूरा हुआ" कहा तो इसका क्या अर्थ था?
धार्मिक जगत में बहुत से लोग सोचते हैं: "प्रभु यीशु का सूली पर यह कहना 'यह पूरा हुआ' साबित करता है कि मानव जाति को बचाने का परमेश्वर का कार्य समाप्त हो गया था। प्रभु में विश्वास मात्र से, हमारे पाप क्षमा कर दिए जाते हैं, आस्था से से हमारा न्याय होता है और अनुग्रह से हम बचा लिये जाते हैं। प्रभु जब आएगा तो वे हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाएगा। वह संभवतः उद्धार का कोई और कार्य नहीं कर सकता।" क्या यह विचार परमेश्वर के कार्य के तथ्यों के अनुरूप है?
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अधिक परमेश्वर के वचनों को पढ़ें, और विश्वास के बारे में विभिन्न समस्याओं को हल करें।
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VI. बचाया जाना और अंततः बचाया जाना पर प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 2: बाइबल में कहा गया है, "परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्‍वर ही है जो उनको धर्मी ठहरानेवाला है। फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा?" (रोमियों 8:33-34)। इससे सिद्ध होता है कि प्रभु यीशु ने सलीब पर चढ़कर हम सबके पापों को क्षमा कर दिया। प्रभु यीशु अब हमें पापी नहीं मानते। अब हम पर इल्ज़ाम कौन लगाएगा? उत्तर: बाइबल में लिखा है, "परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा?" यहां एक बात स्पष्ट होनी चाहिये। वो कौन लोग हैं जिन्हें परमेश्वर ने चुना है? जो लगातार पाप करने वाले हैं, जो प्रभु को और अपने दोस्तों को बेचते हैं, वो जो परमेश्वर की भेंटें चुरा लेते हैं, व्यभिचारी, डरपोक और पाखंडी फरीसी, क्या वे परमेश्वर के चुने हुए लोग हैं? जो भी परमेश्वर में विश्वास करता है, वो परमेश्वर का चुना हुआ है, तो फिर जो प्रकाशित-वाक्य में लिखा है, उसे कैसे समझें, "पर कुत्ते, और टोन्हें, और व्यभिचारी, और हत्यारे और मूर्तिपूजक, और हर एक झूठ का चाहनेवाला और गढ़नेवाला बाहर रहेगा" (प्रकाशितवाक्य 22:15)। इसलिये परमेश्वर में विश्वास करने वाला हर इंसान परमेश्वर का चुना हुआ नहीं है। जो वाकई परमेश्वर की सेवा करते हैं और उन्हें प्रेम करते हैं, जो उनकी सच्ची गवाही देते हैं, वही परमेश्वर के चुने हुए लोग हैं। मिसाल के तौर पर, अब्राहम, अय्यूब और पतरस परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते थे और उन्हें पूजते थे। उनके कर्म धार्मिक थे और वे अच्छे गवाह थे। उनके हर क���र्य को परमेश्वर की मंज़ूरी मिली थी। कोई भी उन पर इल्ज़ाम नहीं लगा पाया। परमेश्वर ने ये कब कहा कि सभी आस्थावान धार्मिक हैं? उनमें से अधिकतर पाप करते हैं, परमेश्वर का विरोध करते हैं और उन्हें धोखा देते हैं। ये सच है। प्रभु यीशु ने कभी नहीं कहा कि अधिकतर विश्वासी धार्मिक हैं। इसलिये, परमेश्वर के चुने हुए लोगों के मायने हैं वो लोग जो धार्मिक कार्य करते हैं और परमेश्वर की इच्छा को पूरा करते हैं।
"मर्मभेदी यादें" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश
 प्रभु यीशु का वचन——वे प्रभु की इच्छा रखते हैं——अधिक जानने के लिए अभी पढ़ें
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VI. बचाया जाना और अंततः बचाया जाना पर प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: बाइबल में लिखा है, "क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्‍वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है" (रोमियों 10:10)। यीशु में अपने विश्वास के कारण हमें पहले ही बचा लिया गया है। एक बार बचा लिए जाने पर, हम अनंत काल के लिये बच जाते हैं। प्रभु के आने पर हम ज़रूर स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पा सकेंगे। उत्तर: "एक बार हम बचा लिये जाते हैं तो हम हमेशा के लिये बच जाते हैं और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पा सकते हैं," ये इंसानी दिमाग की उपज और कल्पना है। ये बात परमेश्वर के वचनों से बिल्कुल मेल नहीं खाती। प्रभु यीशु ने कभी नहीं कहा कि विश्वास के कारण बचाए जाने पर लोग स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पा सकते हैं। प्रभु यीशु ने कहा है कि जो स्वर्ग के पिता की इच्छा को पूरा करते हैं, केवल वही स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पा सकते हैं। केवल प्रभु यीशु के वचनों में ही अधिकार और सत्य है। इंसान की धारणाएं और कल्पनाएं सच नहीं होतीं। वे स्वर्ग के राज्य में जाने का पैमाना नहीं हैं। हम जिस "विश्वास के ज़रिए उद्धार" की बात करते हैं, इसमें इंसान को सिर्फ क्षमा किया जाता है, उसे मुजरिम नहीं ठहराया जाता कानूनन मौत की सज़ा नहीं दी जाती। इसका मतलब ये नहीं है कि जिसे "बचा" लिया गया है, वो परमेश्वर के मार्ग पर चल सकता है, पापमुक्त और पवित्र हो गया है। इसका ये मतलब तो बिल्कुल नहीं है कि वो स्वर्ग के राज्य में जा सकता है। भले ही आस्था के ज़रिये हमें अपने पापों से क्षमा मिल गई है, लेकिन हमारे पाप फिर भी हैं। हम अभी भी पाप और परमेश्वर का विरोध कर सकते हैं। हम लगातार पाप करने और उन्हें स्वीकार करने के फेर में रहते हैं। इस तरह के लोग भला स्वर्ग के राज्य में कैसे प्रवेश पा सकते हैं? बाइबल कहती है, "और उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा" (इब्रानियों 12:14)। अगर तुम कहते हो कि बार-बार पाप करने वाला स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पा सकता है तो ये सच्चाई के अनुरूप नहीं है। क्या तुम ये बात कह पाओगे कि अशुद्ध, दूषित और लगातार पाप करने वाले स्वर्ग के राज्य में रहते हैं? क्या तुमने कभी किसी अशुद्ध और दुष्ट व्यक्ति को स्वर्ग के राज्य में देखा है? प्रभु धार्मिक और पवित्र हैं। क्या प्रभु लगातार पाप करने वाले को स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने देंगे? प्रभु यीशु ने एक बार कहा था, "मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है" (यूहन्ना 8:34-35)। इसलिये ज़ाहिर है, जो लोग पापों से मुक्त होकर पवित्र नहीं हुए हैं, वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। अगर तुम्हारी बात सच है, और आस्था के ज़रिए उद्धार पाने वाला स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकता है, तो फिर प्रभु यीशु ने ये क्यों कहा, "जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है।" उन्होंने क्यों कहा, वो बकरियों को भेड़ों से और गेहूं को घास-फूस से अलग कर देंगे? इसलिये "विश्वास के ज़रिए उद्धार पाने वाले स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर जाएंगे" वाली बात सही नहीं हो सकती है। ये विश्वास प्रभु यीशु के वचनों के बिल्कुल विपरीत है।
"मर्मभेदी यादें" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश
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IV. परमेश्वर की वाणी को कैसे पहचानें पर प्रश्न और उत्तर
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प्रप्रश्न 4: प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों को स्वर्ग का राज्य के रहस्यों के बारे में बताया, और क्या प्रभु यीशु की वापसी के रूप में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने भी अनेक रहस्य उजागर किए हैं? क्या आप लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा प्रकट किए गए कुछ रहस्यों के बारे में हमारे साथ संगति कर सकते हैं? इससे परमेश्वर की वाणी पहचानने में हमें बहुत सहायता मिलेगी। उत्तर: प्रत्येक बार जब परमेश्वर देहधारण करते हैं, वे हमारे लिए अनेक सत्यों और रहस्यों को प्रकट करते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं। मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर देहधारण करते हैं, और इसलिए स्वाभाविक रूप से वे अनेक सत्यों को अभिव्यक्त करते हैं, और अनेक रहस्यों को प्रकट करते हैं। उदाहरण के लिए, अनुग्रह के युग में, देहधारी परमेश्वर, प्रभु यीशु ने उपदेश देने और अपना कार्य करने के क्रम में अनेक रहस्यों को प्रकट किया, "मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है" (मत्ती 4:17)। "जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा: परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)। इसके अतिरिक्त, प्रभु यीशु ने और भी अनेक रहस्य प्रकट किए, जिनके बारे में मैं अभी नहीं बोलूँगी। अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर आए हैं और परमेश्वर के घर से आरंभ करते हुए उन्होंने न्याय का कार्य शुरू किया है, और मानवजाति की शुद्धि और उद्धार के लिए सभी सत्यों को प्रकट कर दिया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने न केवल प्रभु यीशु की सभी भविष्यवाणियों को पूरा किया है, बल्कि उन्होंने हमारे सामने अतीत, वर्तमान और भविष्य के उन सभी महान रहस्यों को भी उजागर कर दिया है जिनका सम्बंध परमेश्वर की प्रबंधन योजना से है। आइए, हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ें। "वह कार्य जिसका मैं हज़ारों सालों से प्रबंधन करता आ रहा हूँ वह केवल अंत के दिनों में ही मनुष्य के सामने पूर्णतः प्रकट होता है। केवल अब है कि मैंने अपने प्रबन्धन के पूरे रहस्य को मनुष्य के लिए खोला है। मनुष्य मेरे कार्य के उद्देश्य को जानता है और इसके अतिरिक्त उसने मेरे सभी रहस्यों की समझ प्राप्त कर ली है। और मैंने मनुष्य को उस मंज़िल के बारे में सब कुछ बता दिया है जिसके बारे में वह चिंतित है। मैंने पहले से ही मनुष्य के लिए अपने सारे रहस्यों को अनावृत कर दिया है जो लगभग 5,900 सालों से अधिक समय से गुप्त थे" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "सुसमाचार को फैलाने का कार्य मनुष्यों को बचाने का कार्य भी है")। "कार्य का यह चरण तुम्हारे लिए यहोवा की व्यवस्था और यीशु द्वारा छुटकारे को स्पष्ट करेगा, और मुख्य रूप से इसलिए है ताकि तुम परमेश्वर की छह-हजार वर्षीय प्रबंधन योजना के पूरे कार्य को समझ सको, और इस छः-हज़ार वर्ष की प्रबंधन योजना के महत्व और सार की सराहना कर सको, और यीशु द्वारा किए गए सभी कार्यों और उसके द्वारा बोले गए वचनों के प्रयोजन, और यहाँ तक कि बाइबल में तुम्हारे अंध विश्वास और श्रद्धा को समझ सको। यह तुम्हें इन सबको समझने की अनुमति देगा। यीशु द्वारा किया गया कार्य और परमेश्वर का आज का कार्य दोनों तुम्हारी समझ में आ जाएँगे; तुम समस्त सत्य, जीवन और मार्ग को समझ जाओगे और देख लोगे। …अंत में, यह वर्तमान चरण परमेश्वर के कार्य का पूर्णतः अंत करेगा, और इसका उपसंहार प्रदान करेगा। परमेश्वर की प्रबंधन योजना सभी की समझ और सभी के ज्ञान में आ जाएगी। मनुष्य के भीतर धारणाएँ, उसके इरादे, उसकी त्रुटिपूर्ण समझ, यहोवा और यीशु के कार्यों के प्रति उसकी धारणाएँ, अन्य जतियों के बारे में उसके विचार और उसके सभी विचलन और उसकी सभी त्रुटियाँ ठीक कर दी जाएँगी। और जीवन के सभी सही मार्ग, और परमेश्वर द्वारा किया गय समस्त कार्य और संपूर्ण सत्य मनुष्य की समझ में आ जाएँगे। जब ऐसा होगा, तो कार्य का यह चरण समाप्त हो जाएगा" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के कार्य का दर्शन (2)")।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मानवजाति के उद्धार के लिए अपनी 6,000-वर्षीय प्रबंधन योजना के सभी रहस्यों को प्रकट कर दिया है। और सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मानवजाति के प्रबंधन में परमेश्वर के लक्ष्य के बारे में हमें बताया है। उन्होंने हमें यह दिखाया है कि परमेश्वर ने मानवजाति की रक्षा के लिए कार्य के तीन चरण क्यों पूरे किए हैं, कार्य के ये तीनों चरण कदम-दर-कदम कैसे आगे बढ़े हैं, और उनके बीच आपस में क्या संबंध और अंतर हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमें यह भी बताया है कि परमेश्वर के नामों का क्या महत्व है, परमेश्वर अंत के दिनों में न्याय का कार्य कैसे करते हैं, और न्याय के कार्य का क्या महत्व है। उन्होंने हमारे सामने देहधारण के रहस्यों और बाइबल की अंदरूनी कथा को प्रकट किया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने यह खुलासा किया है कि परमेश्वर सभी वस्तुओं के जीवन का स्रोत हैं, और यह कि परमेश्वर सभी वस्तुओं को कैसे नियंत्रित करते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमें परमेश्वर के अनूठे अधिकार के बारे में, परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव के बारे में, उनकी पवित्रता और सर्वशक्तिमत्ता तथा बुद्धिमत्ता के बारे में बताया है। इतना ही नहीं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमारे सामने यह भी प्रकट किया है कि समस्त मानवजाति का अभी तक कैसे विकास हुआ है, और शैतान ने मानवजाति को कैसे भ्रष्ट किया है, और उन्होंने शैतान द्वारा मानवजाति के भ्रष्ट होने की सच्चाई बताई है, जो कि भ्रष्ट मानवजाति द्वारा परमेश्वर का विरोध किए जाने और उनके प्रति विश्वासघात का मूल स्रोत है, यह कि मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर कैसे कार्य करते हैं, परमेश्वर के कार्य में अवरोध और बाधा उत्पन्न करने के लिए शैतान ने कैसी धूर्ततापूर्ण योजनाओं पर काम किया है, और परमेश्वर किस तरह शैतान को पराजित करते और उसकी नियति का अंत करते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमें एक सच्चे जीवन का अर्थ दर्शाया है, यह कि सचमुच खुश रहने के लिए मनुष्य को कैसे कार्य करना चाहिए, साथ ही यह कि विभिन्न प्रकार के लोगों का अंत कैसे होता है, मनुष्य का सही गंतव्य क्या है, और अंत में यह कि परमेश्वर इस युग का अंत कैसे करेंगे, और मसीह का साम्राज्य कैसे स्थापित होगा, इत्यादि। ये सभी रहस्य हमारे सामने सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा प्रकट किए गए हैं। प्रभु यीशु और सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा प्रकट किए गए सत्यों और रहस्यों से हम यह देख सकते हैं कि ये सारे रहस्य परमेश्वर और स्वर्ग का राज्य से सम्बंधित हैं, साथ ही इनका संबंध परमेश्वर द्वारा भविष्य में पूरे किए जाने वाले कार्यों से भी है। ये सारे रहस्य परमेश्वर की प्रबंधन योजना से और मानवजाति के अंतिम लक्ष्य से जुड़े हुए हैं। परमेश्वर द्वारा इन रहस्यों को प्रकट किए जाने का गहरा अर्थ है। प्रभु यीशु और सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा प्रकट किए गए सत्यों और रहस्यों से हम यह जान सकते हैं कि ये सभी शब्द परमेश्वर की वाणी हैं। क्योंकि परमेश्वर के सिवा अन्य कोई भी इन रहस्यों को नहीं जान सकता था। केवल परमेश्वर ही इसे जानते हैं। फ़रिश्ते नहीं जानते, मनुष्य तो और भी कम जानता है। और इसलिए, प्रभु यीशु और सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा प्रकट किए गए सत्य एवं रहस्य एक ही आत्मा की अभिव्यक्ति हैं, और एक ही परमेश्वर के कार्य हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा अंत के दिनों में किया गया न्याय का कार्य प्रभु यीशु द्वारा किए गए कार्य के बाद जारी रहता है। इससे प्रभु यीशु के ये वचन पूरे हो जाते हैं: "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा: और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही प्रभु यीशु की वापसी हैं, यह कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर एक ही सच्चे परमेश्वर के प्रकटन हैं!
सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमारे समक्ष उन सभी सत्यों और रहस्यों को प्रकट करते हैं जिन्हें भ्रष्ट मानवजाति को समझ लेना चाहिए और अपनी रक्षा के लिए उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए। इस तरह हम परमेश्वर के प्रति अपनी आस्था में स्पष्ट, शांत और कांतिमान अनुभव करते हैं। इस तरह हम परमेश्वर के प्रति अपनी आस्था के सही मार्ग में प्रवेश करने में सक्षम होते हैं। हमें केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने और उनकी आज्ञा मानने और सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा अभिव्यक्त किए गए सभी सत्यों में प्रवेश पाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है, ताकि हम सत्य को अपने जीवन के रूप में पा सकें, अपना उद्धार कर सकें और स्वर्ग का राज्य में प्रवेश पा सकें। अब हम एक अंश सुनें जिसमें सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने परमात्मा के स्वभाव के रहस्य को उजागर किया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "परमेश्वर का स्वभाव सब बातों में जीवित प्राणियों के शासक, और सारी सृष्टि के प्रभु से सम्बन्ध रखता है। उसका स्वभाव आदर, सामर्थ, कुलीनता, महानता, और सब से बढ़कर, सर्विच्चता का प्रतिनिधित्व करता है। उसका स्वभाव अधिकार और उन सब का प्रतीक है जो धर्मी, सुन्दर, और अच्छा है। इस के अतिरिक्त, यह इस का भी प्रतीक है कि परमेश्वर को अंधकार और शत्रु के बल के द्वारा दबाया या उस पर आक्रमण नहीं किया जा सकता है[क], साथ ही इस बात का प्रतीक भी है कि उसे किसी भी सृजे गए प्राणी के द्वारा ठेस नहीं पहुंचाई जा सकती है (और उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं है)[ख]। उसका स्वभाव सब से ऊँची सामर्थ का प्रतीक है। कोई भी मनष्य उसके कार्य और उसके स्वभाव को अस्थिर नहीं कर सकता है। …परमेश्वर का आनन्द धार्मिकता और ज्योति की उपस्थिति और अभ्युदय से है; अँधकार और बुराई के विनाश से है। वह आनन्दित होता है क्योंकि वह मानव जाति के लिए ज्योति और अच्छा जीवन ले कर आया है; उसका आनन्द धार्मिकता का है, हर चीज़ के सकारात्मक होने का एक प्रतीक, और सब से बढ़कर कल्याण का प्रतीक। परमेश्वर का क्रोध अन्याय की मौजूदगी और उस अस्थिरता के कारण है जो इससे पैदा होती है जो उसकी मानव जाति को हानि पहुँचा रही है; बुराई और अँधकार की उपस्थिति के कारण, और ऐसी चीज़ों की उपस्थिति जो सत्य को बाहर धकेल देती है, और उस से भी बढ़कर ऐसी चीज़ों की उपस्थिति के कारण जो उनका विरोध करती हैं जो भला और सुन्दर है। उसका क्रोध एक चिन्ह है कि वे सभी चीज़ें जो नकारात्मक हैं आगे से अस्तित्व में न रहें, और इसके अतिरिक्त यह पवित्रता का प्रतीक है। उसका दुखः मानव जाति के कारण है, जिसके लिए उस ने आशा की थी परन्तु वह अंधकार में गिर गई, क्योंकि जो कार्य वह मनष्यों के लिए करता है मनुष्य वह उसकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता, और क्योंकि वह जिस मानव जाति से प्रेम करता है वह ज्योति में पूरी तरह जीवन नहीं जी पाती। वह अपनी भोलीभाली मानव जाति के लिए, ईमानदार किन्तु अनजान मनुष्य के लिए, और अच्छे और अनिश्चित भाव वाले मनुष्य के लिए दुखः की अनुभूति करता है। उसका दुखः उसकी भलाई और उसकी करूणा का चिन्ह है, और सुन्दरता और उदारता का चिन्ह है। उसकी प्रसन्नता, वास्तव में, अपने शत्रुओं को हराने और मनुष्यों के भले विश्वास को प्राप्त करने से आती है। इसके अतिरिक्त, सभी शत्रु ताकतों को भगाने और हराने से और मनुष्यों के द्वारा भले और शांतिपूर्ण जीवन को प्राप्त करने से आती है। परमेश्वर की प्रसन्नता, मनुष्य के आनंद के समान नहीं है; उसके बजाए, यह मनोहर फलों को प्राप्त करने का एहसास है, एक एहसास जो आनंद से बढ़कर है। उसकी प्रसन्नता इस बात का चिन्ह है कि मानव जाति दुखः की जंज़ीरों को तोड़कर आज़ाद होकर ज्योति के संसार में प्रवेश करती है" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के स्वभाव को समझना अति महत्वपूर्ण है")।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमारे सामने यह प्रकट किया है कि परमेश्वर का स्वभाव किस बात को दर्शाता है, और परमेश्वर के स्वभाव का संकेत और अर्थ क्या है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने परमेश्वर के स्वभाव और मनुष्य जाति में आनन्द, क्रोध, दुख और खुशी के बीच के संबंध को भी व्यक्त किया है। स्वयं परमेश्वर के सिवा उनके स्वभाव के बारे में इतनी स्पष्टता से और कौन बता सकता है? और परमेश्वर के स्वभाव के संकेत और अर्थ को और कौन जान सकता है? प्राचीन काल से लेकर अब तक, परमेश्वर के स्वभाव के बारे में इतना सही और स्पष्ट गवाही दे सकने, और हमें पूरी तरह आश्वस्त करने में कोई भी सक्षम नहीं हो सका। परमेश्वर का आनन्द, क्रोध, दुख और प्रसन्नता मानवजाति के प्रबंधन से जुड़े उनके समस्त कार्य में परिलक्षित होते हैं। और जब हम परमेश्वर के कार्य का अनुभव करते हैं, तो हम भी यह आस्वाद पाने और समझने में समर्थ होते हैं कि परमेश्वर के स्वभाव में निहित आनन्द, क्रोध, दुख और प्रसन्नता केवल शब्द नहीं हैं बल्कि वे व्यावहारिक, वास्तविक और स्पष्ट तथ्य हैं। परमेश्वर का आनन्द, क्रोध, दुख और प्रसन्नता, ये सब परमेश्वर के जीवन के सार की अभिव्यक्ति हैं। वे सकारात्मक बातों के यथार्थ और धार्मिकता के प्रतीक हैं। परमेश्वर द्वारा मनुष्य की रक्षा के कार्य में, हम देखते हैं कि परमेश्वर द्वारा प्रकट किए गए आनन्द, क्रोध, दुख और प्रसन्नता, ये सब मानव जाति के अस्तित्व में बने रहने के लिए हैं। ये सब मानव जाति की रक्षा के लिए हैं ताकि मानव जाति शैतान की यातनाओं से मुक्त हो सके और ज्ञान के प्रकाश में जी सके। और फिर वे इसलिए हैं ताकि वे मानव जाति को सुन्दर गंतव्य की ओर ले जा सकें। परमेश्वर द्वारा मानव जाति का उद्धार किए जाने के क्रम में, हमने यह देखा है कि परमेश्वर वास्तव में हर वस्तु पर नियंत्रण रखते हैं, और सभी वस्तुओं पर शासन करते हैं। परमेश्वर का स्वभाव उच्चतम अधिकार का प्रतीक है। यह इस बात का प्रतीक है कि अंधकार की कोई भी शक्ति दमन नहीं कर सकती, न हानि पहुँचा सकती है, और न ही कोई शत्रुतापूर्ण शक्ति परमेश्वर को उनकी इच्छा पूरी करने से रोक सकती है। अनुग्रह के युग को याद करो: जब यीशु उपदेश दे रहे थे और अपना कार्य कर रहे थे, तब धार्मिक समुदाय के नेता लोग उन्माद में आकर प्रभु यीशु की निंदा और उनका विरोध किया करते थे। यहाँ तक कि उन्होंने रोम की सरकार से मिली-भगत करके यीशु को सूली पर भी चढ़ा दिया। फिर भी शैतान की धूर्तता भरी योजना पर परमेश्वर की बुद्धिमत्ता हावी हुई। यीशु के सूली पर चढ़ाए जाने से ही मानव जाति का उद्धार हो पाया, और इस माध्यम से प्रभु यीशु का सुसमाचार विश्व के कोने-कोने तक फैल गया, और जिन्होंने परमेश्वर के कार्य का विरोध किया और उनकी निंदा की, उन्हें परमेश्वर के दंड का भागी होना पड़ा। इस तरह, हम देखते हैं कि मनुष्य परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव का उल्लंघन नहीं कर सकता! साम्राज्य का युग आ चुका है। जबसे उन्होंने चीन में न्याय का कार्य आरंभ किया है, तब से नास्तिकता के इस मजबूत गढ़ में, देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर का धार्मिक नेताओं ने फिर से उन्मादपूर्ण विरोध और निंदा करना शुरू कर दिया है। इसी तरह, शैतानी सीसीपी शासन द्वारा निर्दयतापूर्वक लोगों को गिरफ़्तार करने और यातनाएँ देने का दौर चल पड़ा है। इसके बावजूद, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के साम्राज्य का सुसमाचार चीन के समस्त मुख्य भूभाग में फ़ैल गया है। विभिन्न समुदायों और पृष्ठभूमियों के लोग, जो सचमुच और सम्पूर्ण रूप से परमेश्वर में विश्वास करते हैं, वे परमेश्वर के सिंहासन के समक्ष लौट आए हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा अभिव्यक्त किए गए सभी सत्य भी सबके लिए ऑनलाइन उपलब्ध हैं जिन्हें दुनिया भर के देशों-प्रदेशों के लोग खोज सकते हैं, और प्राप्त कर सकते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में अधिकार और शक्ति है, और उन्होंने हजारों-हजार लोगों के दिलों को जीता है। खास तौर पर, वे जो सचमुच परमेश्वर में विश्वास करते हैं और जिन्हें सचमुच सच्चे मार्ग की प्रबल इच्छा है वे सब परमेश्वर के सिंहासन के समक्ष वापस लौट आए हैं। और उन सबको परमेश्वर की वाणी से पोषित और अभिसिंचित होने का आनन्द प्राप्त है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने सचमुच विजेताओं के एक पूरे समूह को सम्पूर्ण बनाया है और ऐसे लोगों का समूह प्राप्त किया जो परमेश्वर के साथ एकमत हैं। इस दौरान, धार्मिक समुदाय के वे लोग जो परमेश्वर के कार्य का विरोध और उसकी निंदा करते हैं, उन सबको विभिन्न अनुपातों में दंड और श्राप का भागी बनना पड़ा है। कुछ लोगों का तो यीशु-विरोधी होने के रूप में भंडाफोड़ भी हुआ है और उन्हें ऐसा दंड मिला है जो असहनीय रूप से कठोर है। उनकी मौत यहूदा से भी बुरी हुई है। इस तरह, हम देखते हैं कि परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव सचमुच मनुष्य के लिए अनापत्ति के योग्य रहा है। इसी तरह, शैतानी सीसीपी शासन, जो परमेश्वर से प्रतिस्पर्द्धा करता है और जिसने स्वयं को परमात्मा के विरुद्ध खड़ा कर रखा है, उसे भी परमेश्वर द्वारा श्रापित होना पड़ा है। उसका नष्ट हो जाना तय है, जो कि परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव को पूर्णता से दर्शाता है। परमेश्वर के दो देहधारणों के कार्य के तथ्य से, हम सभी वस्तुओं को नियंत्रित करने वाले परमेश्वर के अनूठे अधिकार को देखते हैं। परमेश्वर का स्वभाव एक संकेत है जिसे अंधकार की किसी भी शक्ति द्वारा दबाया नहीं जा सकता। परमेश्वर से शत्रुता रखने वाली हर शक्ति परमेश्वर के दंड से डगमगा जाएगी और उसका अस्तित्व ही नहीं रहेगा। यह एक तथ्य है। हमने इतने वर्षों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय को वचन रूप में अनुभव किया है। हमने यह देखा है कि परमेश्वर का स्वभाव न केवल दयालु और करुणामय है बल्कि धार्मिक और महिमावान भी है। ऐसा बहुत बार हुआ है जब हमने परमेश्वर को गलत समझा है क्योंकि हम उनकी इच्छा को नहीं समझ पाते, किन्तु परमेश्वर फिर भी हमें याद दिलाते हैं, सांत्वना देते और समझाते हैं, और इस तरह हम परमेश्वर की दया और करुणा का अनुभव कर पाते हैं। लेकिन जब हम परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं करते, तो वे कठोर न्याय करते हैं, हमारा पर्दाफाश करते और हमें अनुशासित करते हैं, इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि परमेश्वर का स्वभाव धार्मिक एवं महिमामय है और लोगों को अपराध नहीं करने देता है। अपने वास्तविक अनुभवों में, हमने देखा है कि परमेश्वर का स्वभाव कितना सच्चा, वास्तविक और सुस्पष्ट है, परमेश्वर अत्यंत पवित्र हैं, अत्यंत धार्मिक, सुहृदय और आदरणीय हैं। परमेश्वर वास्तव में और सही मायनों में लोगों के बीच अपना कार्य करने के लिए अवतरित हुए हैं और वे हमारे बिल्कुल सम्मुख हैं, व्यक्तिगत रूप से हमारा मार्गदर्शन और हमारी रक्षा करते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमारे प्रभु, हमारे परमेश्वर हैं, वे एकमात्र सच्चे परमेश्वर हैं जिन्होंने स्वर्गों, इस धरती और सभी वस्तुओं को बनाया है, और जो सभी वस्तुओं पर शासन करते हैं।
"प्रतीक्षारत" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश
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III. स्वर्गारोहण पर प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 4: आपकी बातों से मुझे एक बात समझ में आई है कि प्रभु की वापसी और आरोहण की हमारी उम्मीदें वाकई इंसानी मान्यताओं और कल्पनाओं की देन हैं। हम पहले ही प्रभु के वचनों को धोखा दे चुके हैं। ख़ैर, अब हम प्रभु की वापसी और आरोहण का इंतज़ार कैसे करें? इस पर थोड़ा और विस्तार से चर्चा कर लें? उत्तर: आरोहित किए जाने की संतों की उम्मीदों का मुख्य आधार, स्वयं प्रभु यीशु के वचन हैं: "क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि ज���ाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2-3)। हम प्रभु यीशु के वचनों की व्याख्या अपनी कल्पनाओं के आधार पर करते हैं। हमें लगता है, चूँकि स्वर्ग में प्रभु यीशु का आरोहण एक बादल पर हुआ था, तो प्रभु ने मनुष्यों के लिये स्वर्ग में ही स्थान तैयार किया होगा। इसलिये हम लोग प्रभु यीशु की वापसी और स्वर्ग में उन्नत किये जाने का इंतज़ार कर रहे हैं। इसके अलावा, हम लोग खास तौर से पौलुस के वचनों में श्रद्धा रखते हैं: "तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे उनके साथ बादलों पर उठा लिये जाएँगे कि हवा में प्रभु से मिलें; और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे" (1 थिस्सलुनीकियों 4:17)। इसीलिये हम लोगों ने उम्मीद करनी शुरु कर दी कि प्रभु लौटने पर हमें स्वर्ग में उन्नत कर देंगे। आरोहण को, लोग अलग-अलग तरीके से समझते हैं। अधिकतर लोग मानते हैं, जब प्रभु आएँगे तो वे संतों को स्वर्ग में उन्नत कर लेंगे। हम लोग बरसों से, इस तरह के आरोहण की उम्मीद लगाए बैठे हैं। अच्छा तो, ये आरोहण दरअसल है क्या? ज़्यादातर लोग इस बारे में कुछ जानते नहीं हैं। संतों के आरोहण का राज़, तभी उजागर हुआ जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर का आगमन हुआ। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: ""स्वर्गारोहण" नीचे स्थानों से उँचे स्थानों पर उठाया जाना नहीं है जैसा कि लोग कल्पना करते हैं। यह एक बहुत बड़ी ग़लती है। स्वर्गारोहण मेरे द्वारा पूर्वनियत और चयनित किए जाने को संदर्भित करता है। यह उन सभी पर लक्षित है जिन्हें मैंने पूर्वनियत और चयनित किया है। …यह लोगों की अवधारणाओं के साथ सर्वाधिक असंगत है। जिन लोगों का भविष्य में मेरे घर में हिस्सा है वे सभी ऐसे लोग हैं जो मेरे सामने स्वर्गारोहित किये जा चुके हैं। यह पूर्णतः सत्य है, कभी भी नहीं बदलता है, और किसी के द्वारा भी अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह शैतान के विरुद्ध जवाबी हमला है। जिस किसी को भी मैंने पूर्व नियत किया है वह मेरे सामने स्वर्गारोहित किया जाएगा" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "एक सौ चौथा कथन")। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन स्पष्ट हैं। "उठा लिये जाने" का अर्थ वो नहीं है जो हम लोग समझते हैं-धरती से हवा में उठा लिया जाना और बादलों पर प्रभु से मिलना। न की इसका अर्थ स्वर्ग में ले जाया जाना है। इसका अर्थ है कि जब परमेश्वर धरती पर अपने वचन बोलने और अपना कार्य करने वापस आएँगे, तो हम लोग उनकी वाणी सुनेंगे और अंत के दिनों में उनका अनुसरण और उनके कार्य का पालन कर पाएँगे। परमेश्वर के सिंहासन के सामने उठाए जाने का यही सच्चा अर्थ है। जो लोग प्रभु की वाणी में भेद कर पाते हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में, सत्य ढूंढ पाते हैं, सत्य को स्वीकार कर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर लौट पाते हैं, वे बुद्धिमान कुँवारियाँ हैं। वे लोग सोना, चाँदी और बेशकीमती पत्थर हैं, जिन्हें प्रभु ने "चुरा" कर परमेश्वर के भवन में लौटा दिया है क्योंकि उन सब की क्षमता अच्छी है, वे सत्य को समझ और स्वीकार करके परमेश्वर की वाणी को सुन सकते हैं। उन्हीं लोगों ने सही मायने में आरोहण पाया है। जब परमेश्वर अंत के दिनों में चुपचाप धरती पर उतरकर अपना कार्य करेंगे तो इन्हीं लोगों को विजेता बनाया जाएगा। जब से सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने अंतिम दिनों का कार्य शुरू किया है, तब से, परमेश्वर के प्रकटन की प्यास से युक्त लोगों ने, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में उनकी वाणी को पहचाना है। एक एक करके, उन्होंने परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार किया है। उन्हें परमेश्वर से मिलने के लिए सिंहासन के सामने उठा लिया गया है और उनके वचनो के जीवन-जल और पोषण को स्वीकार कर लिया है उन्होंने परमेश्वर का सच्चा ज्ञान पा लिया है। उनका स्वभाव शुद्ध कर दिया गया है वे परमेश्वर के वचनों को समझ पाए हैं। उन्हें परमेश्वर का उद्धार प्राप्त हो गया है। इन लोगों को, महाविपदा आने, से पहले विजेता बना दिया गया है। वे परमेश्वर को प्रथम-फल के रूप में, प्राप्त हो गए हैं। जो लोग अपनी कल्पनाओं से चिपके हुए हैं आंखें मूंदे, स्वर्ग में ले जाये जाने के इंतज़ार में हैं, वो परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय को नकारते हैं वे मूर्ख कुँवारियाँ हैं। ऐसे लोगों को परमेश्वर त्याग देंगे। ऐसे लोगों की नियति है कि वे महाविपदा में तड़पें; वे रोएंगे और अपने दाँत पीसेंगे। ये सच है।
"स्वप्न से जागृति" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश  
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Hindi Christian Song 2019 | तुम्हें जानना चाहिए परमेश्वर को उसके कार्य द्वारा
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परमेश्वर देहधारी हुआ, आम इन्सान बना।
इस इंसां ने परमेश्वर के कार्य,
आदेश को स्वयं पर लिया।
उसे ऐसा काम करना था,
ऐसी पीड़ा सहनी थी
जो सह नहीं सकता आम इन्सा कोई।
उसकी पीड़ा दिखाती है इन्सा के लिए परमेश्वर की निष्ठा।
इन्सान को बचाने,
उसे पाप से छुड़ाने,
इस चरण को पूरा करने की कीमत का,
उसने जो सहा अपमान उसका यह प्रतीक है।
इसके मायने हैं कि परमेश्वर क्रूस पर से इन्सान को छुड़ाएगा।
यह है एक कीमत जो लहू और जान से चुकाई गयी,
इसे देना सृजे गये जीव के बस में नहीं।
चूँकि उसके पास है परमेश्वर का स्वरूप और सार,
वो वहन कर सकता ऐसी पीड़ा, ऐसा कार्य।
जो करता है वो,
कोई सृजित जीव कर सकता नहीं।
अनुग्रह के युग में,
परमेश्वर का कार्य है ये,
उसके स्वभाव का प्रकाशन है ये।
राज्य के युग में परमेश्वर देहधारी हुआ है फिर से,
वैसे ही जैसे हुआ था पहली बार।
अभी भी व्यक्त करता है अपना स्वरूप और वचन,
सारे काम करता है वो जो उसे करने चाहिए।
इन्सान की नाफ़रमानी और अज्ञानता को,
वो सहता, बर्दाश्त भी करता है।
वो सदा अपना स्वभाव उजागर करता है,
साथ ही अपनी इच्छा भी दर्शाता है।
इन्सान के सृजन से अब तक,
परमेश्वर का स्वभाव और स्वरूप
रहा है खुला सभी के लिए,
नहीं छुपाया गया कभी जान कर इसे।
सच तो ये है, इन्सान को परवाह नहीं,
परमेश्वर के काम और इच्छा की।
और इसीलिए, जानता नहीं इन्सान
परमेश्वर के बारे में ज़्यादा कुछ भी।
"मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना" से
ईसाई गीत—चुने हुए भजनों को सूची—यह वास्तव में हृदय से गाया गया गीत है।
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New Hindi Christian Song 2019 | परमेश्वर के नाम का अर्थ
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New Hindi Christian Song 2019 | परमेश्वर के नाम का अर्थ
हर युग में, उसके कार्य के हर चरण में,
हर युग में सार्थक रहा है परमेश्वर का नाम,
आधारहीन नहीं है परमेश्वर का नाम।
हर नाम उसका एक युग दर्शाता है।
यहोवा, यीशु और मसीहा सभी परमेश्वर के आत्मा को दर्शाते हैं।
फिर भी, ये नाम परमेश्वर के प्रबंधन में, युगों को दर्शाते हैं,
मगर नहीं दर्शाते उसकी समग्रता को।
नाम जिन्हें धरती पर इंसान कहता है परमेश्वर,
नहीं व्यक्त कर सकते उसके समग्र स्वभाव को,
नहीं व्यक्त कर सकते वो जो है उसको।
वे महज़ नाम हैं परमेश्वर के अलग-अलग युगों में।
इसलिये आएगा जब अंतिम युग, अंत के दिनों का युग,
बदलेगा परमेश्वर का नाम फिर से।
न यहोवा, न यीशु, न मसीहा कहलाएगा वो।
शक्तिशाली और सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहलाएगा वो।
और इसी नाम से करेगा समापन युग का वो।
परमेश्वर कभी कहलाता था यहोवा, कभी कहलाता था मसीहा भी वो।
और कभी प्यार और सम्मान से, लोग कहते थे यीशु उद्धारक उसको।
आज परमेश्वर न यहोवा है, न यीशु है, लोग जानते थे पहले जिसको।
ये वो परमेश्वर है जो लौट आया है अंत के दिनों में,
जो ख़त्म करेगा इस युग को।
अपने पूरे स्वभाव के साथ, अधिकार, सम्मान और महिमा के साथ,
ये परमेश्वर है, स्वयं परमेश्वर है।
ये स्वयं परमेश्वर है, जो उदित होता है धरती के किनारों पर।
ये स्वयं परमेश्वर है, जो उदित होता है धरती के किनारों पर।
परमेश्वर के वचनों से आख़िरकार, दुनिया के देश सभी आशीष पाएँगे
और साथ ही उन वचनों से रौंदे जाएँगे।
देखेंगे इस तरह अंत के दिनों के लोग, उद्धारक परमेश्वर लौट आया है।
ये वो शक्तिशाली सर्वशक्तिमान परमेश्वर है,
जो जीत लेता है हर इंसान को, जीत लेता है हर इंसान को।
वो दिखलाएगा लोगों को, कभी इंसान की पाप-बलि हुआ करता था वो।
मगर अंत के दिनों में, आग है सूरज की वो,
जो भस्म कर देती है हर चीज़ को।
मगर अंत के दिनों में, आग है सूरज की वो,
जो भस्म कर देती है हर चीज़ को।
और धार्मिकता का सूरज है वो, प्रकट करता है हर चीज़ को।
अंत के दिनों में परमेश्वर का यही कार्य है, परमेश्वर का यही कार्य है।
"मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना" से
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New Hindi Christian Song | परमेश्वर के स्वभाव का प्रतीक | The Disposition of God Is Supreme
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New Hindi Christian Song | परमेश्वर के स्वभाव का प्रतीक | The Disposition of God Is Supreme
परमेश्वर के स्वभाव में है शामिल
मानव जाति के लिए उसका प्यार और दिलासा,
शामिल है मानव जाति के लिए उसकी नफ़रत और उसकी पूरी समझ।
परमेश्वर का स्वभाव,
परमेश्वर का स्वभाव है मौजूद जीवित चीज़ों के शासक में,
पूरी सृष्टि के प्रभु में।
परमेश्वर का स्वभाव,
करता है प्रतिनिधित्व सम्मान, शक्ति, कुलीनता का,
महानता और सर्वोच्चता का।
परमेश्वर का स्वभाव।
परमेश्वर का स्वभाव है अधिकार और सभी धर्मी चीज़ों,
सभी सुंदर और सभी अच्छी चीज़ों का प्रतीक।
परमेश्वर का स्वभाव,
है प्रतीक कि दबाया जा नहीं सकता परमेश्वर को,
हमला कर नहीं सकता अंधेरा या कोई दुश्मन उस पर।
किसी प्राणी को नहीं है इजाज़त, कोई उसका कर नहीं सकता अपमान।
परमेश्वर का स्वभाव है प्रतीक उच्चतम सामर्थ्य का।
परमेश्वर का स्वभाव।
कोई भी इंसान उसके काम या स्वभाव को डगमगा नहीं सकता।
परमेश्वर हमेशा करता है मेहनत मानव जाति के अस्तित्व के लिए,
फिर भी इंसान कभी रोशनी या धार्मिकता को देता नहीं योगदान।
कुछ समय के लिए इंसान कर सकता है मेहनत,
लेकिन एक झटके का भी सामना वो कर नहीं सकता।
क्योंकि इंसान की हर मेहनत होती है उसके लिए,
नहीं होती दूसरों के लिए।
परमेश्वर है हमेशा सर्वोच्च और सम्माननीय,
और इंसान है हमेशा निम्न, कोई मूल्य नहीं है उसका।
क्योंकि परमेश्वर हमेशा इंसान के लिए करता है मेहनत,
जबकि इंसान हमेशा लेता है, सिर्फ़ ख़ुद के लिए करता है मेहनत।
इंसान है हमेशा ख़ुदगरज़, परमेश्वर है हमेशा बेगरज़।
परमेश्वर है सभी धर्मी, अच्छी, सुंदर चीज़ों का स्रोत,
जबकि इंसान करता अभिव्यक्त सारी गंदगी और बुराई,
और है उनका उत्तराधिकारी।
परमेश्वर का धार्मिक और सुंदर तत्व नहीं बदलेगा कभी भी।
परमेश्वर हमेशा करता है मेहनत मानव जाति के अस्तित्व के लिए,
फिर भी इंसान कभी रोशनी या धार्मिकता को देता नहीं योगदान।
कुछ समय के लिए इंसान कर सकता है मेहनत,
लेकिन एक झटके का भी सामना वो कर नहीं सकता।
क्योंकि इंसान की हर मेहनत होती है उसके लिए।
परमेश्वर है हमेशा सर्वोच्च और सम्माननीय,
और इंसान है हमेशा निम्न, कोई मूल्य नहीं है उसका।
परमेश्वर का धार्मिक और सुंदर तत्व नहीं बदलेगा कभी भी।
उस तत्व को वह कभी नहीं बदलेगा जो है उसके पास।
जबकि इंसान किसी भी समय या जगह, मुंह मोड़ सकता है धार्मिकता से,
भटक सकता है दूर परमेश्वर से, परमेश्वर से।
"मेमने का अनुसरण करना और नए गीत गाना" से ईसाई गीत—चुने हुए भजनों को सूची—यह वास्तव में हृदय से गाया गया गीत है।
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Best Hindi Christian Song | कैसे परमेश्वर करते हैं सब पर राज | Praise God's Great Power
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Best Hindi Christian Song | कैसे परमेश्वर करते हैं सब पर राज | Praise God's Great Power
जिस पल तुम आये दुनिया पर, रोते हुए,
उस पल से ही तुम कर्त्तव्य सारा, निभाते गए,
मानते हुए परमेश्वर के हर विधान, और योजना,
तुम समझ लिए, हर काम अपना, और किया शुरू इस जीवन का सफर...
जो भी हो तेरा कल, या हो सफर आगे का,
कोई नहीं बच सकता है, स्वर्ग के आयोजन से,
किस्मत किसी के बस में है तो नहीं,
क्योंकि वो ही है, जो राजा सभी का, कर सकते हैं ऐसा काम...
जब से मानव आया, संसार में,
परमेश्वर अपना हर एक काम करते गए,
करते हुए सदा ही हर प्रबंध, संसार का,
सभी की गति और बदलाव का करते गए सदा ही संचालन।
सभी चीज़ों की तरह मानव भी, शांति से और अनजाने में,
मधुर पोषण, ओस और बरसात पाता है परमेश्वर से,
सभी की तरह, अनजाने में ही,
मानव भी परमेश्वर के आयोजन में है जीता।
हर मानव का दिल, और आत्मा,
है तो बस प्रभु के हाथों में,
उसका पूरा जीवन प्रभु देखते हैं ध्यान से,
तुम चाहे मानो या फिर ना मानो,
ऐसा ही होता है संसार में;
हर वस्तुएँ, जीवित या मृत,
बदल जाएंगी, और हो जाएंगी फिर से नयी, और खो जाएंगी,
परमेश्वर की इच्छानुसार,
ऐसे ही परमेश्वर करते हैं सभी पर राज।
"वचन देह में प्रकट होता है" से
ईसाई गीत—चुने हुए भजनों को सूची—यह वास्तव में हृदय से गाया गया गीत है।
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Hindi Christian Video "धन्‍य हैं वे, जो मन के दीन हैं" क्लिप 3 - बचाए जाने और उद्धार के बीच अंतर कैसे करें
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Hindi Christian Video "धन्‍य हैं वे, जो मन के दीन हैं" क्लिप 3 - बचाए जाने और उद्धार के बीच अंतर कैसे करें
धार्मिक संसार में बहुत से लोग हैं जो मानते हैं कि प्रभु में विश्वासी हम लोग अपने पापों से दोषमुक्त होकर उनके अनुग्रह से बचाए जा चुके हैं, और हम क्रूस को धारण करते और बहुत सा अच्‍छा व्यवहार करते हुए, नम्रता और धैर्यपूर्ण व्‍यवहार करते हैं, तो क्‍या इसका मतलब यह है कि हम बदलाव पा चुके है? उनका मानना है कि, अगर हम हमेशा इस तरह से अपने विश्वास पर कायम रह सकते हैं, तो अंत में हम स्वर्गारोहित किए जाएंगे और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर पाएंगे। क्या वास्तव में ये तथ्य ऐसे ही हैं? क्या अच्‍छे व्‍यवहार में हमारा विश्वास ही उद्धार का प्रतिनिधित्व कर सकता है? बचाए जाने और उद्धार के बीच वास्तव में क्या अंतर है? स्वर्गारोहण के बारे में जो हमारा धारणा हैं, क्या यह प्रभु येशु के वचन के अनुरूप हैं? परमेश्वर के वचनो ने उन सत्यो को उजागर किया हैं जिसे हमें समझने की आवशकता हैं, और अधिक वीडियो देखने के लिए हमारे आधिकारिक वेबसाइट पर आपका स्वागत है।
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