magicalwords0903
magicalwords0903
Magical words
55 posts
....set of feelings... (rupaliyadav) insta: @magicalwords0903
Don't wanna be here? Send us removal request.
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
उधड़ी हुई जेबों से हमेशा गिरकर कुछ खोता नहीं है
कभी-कभी अटका रह जाता है दुबका हुआ कोई सिक्का या नोट
वो नहीं जाना चाहता बाहर उस जेब से
क्यूंकि जब वो मिला था जेब में रखे कई सिक्कों से
तब सीखा था पहली बार उसने खनखनाना।
उधड़ी हुई जेब से जब सरक गए बाकी के सिक्के
तो वो बचा हुआ सिक्का जेब का एक कोना पकड़ बैठा रहा
वापस खनखनाने के लिए।
1 note · View note
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
मैं जब भी
ज़िंदगी की भट्टी में तप कर
कई सच -झूठ से थक कर
कई दफ़ा ख़ुद से लड़ के
जब उस छोटी सी मेज़ तक जाती हूं
जहाँ जमा हैं कई किताबें
तो मानो यूँ लगता है
उन किताबों के पन्नों में समा गई हो
समस्त कोमलता।
Tumblr media
2 notes · View notes
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
4 notes · View notes
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
7 notes · View notes
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
3 notes · View notes
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
2 notes · View notes
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
2 notes · View notes
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
रात भर खुद से बात करते हैं,
जो पड़ा हुआ है आइना,
कोने में कहीं, उसे आज फिर से पकड़ते हैं।
चलो ना आज खुद से बातें करते हैं।।
क्यों ना खुद को रात भर उधेड़ कर,
सुबह फिर से बिनते हैं।
पुराने हो चुके धागों को,
एक बार फिर से रंगते हैं।
चलो आज अपनी बातें खुद से ही करते हैं।।
कई पैमानों पर नापे जाने के बाद,
क्यों ना अपने बनाए पैमाने पर नपते हैं।
देखो, खुद से ही खुद पर कितना खरे उतरते हैं।।
रात भर खुद से बातें करते हैं।।
वो मटमेली सी यादों में,
हम अपने बिछड़े कल से मिलते हैं।
सबकी बातें छोड़,
आज रात बस खुद से खुद की बातें करते हैं।
निराशा, दर्द के अंधेरे को दरकिनार कर,
उम्मीदों की रोशनी में चलते हैं।
आज रात एक नए भोर की ओर बढ़ते हैं।
रात भर खुद से खुद की बातें करते हैं।।
1 note · View note
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
जो दर्द ओ जख्म दिख रहे हैं,
वो सब से छुपाएं कैसे हम?
जो छिपे हुए हैं सब से,
उन्हें दिखाए कैसे हम??
और वो देखकर मरहम लगाएगें नहीं,
ये बात दिल तक पहुंचाए कैसे हम?
झूठ को हक़ीक़त
और हक़ीक़त को झुठलाये कैसे हम?
वो आँखों से रिसते आंसू,
उनकी हथेलियों तक लाये कैसे हम??
वो चल रहे हैं रफ़्तार से मंज़िल की ओर,
हम धीरे-धीरे उन तक जाएं तो जाएं कैसे??
Tumblr media
0 notes
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
Tumblr media
2 notes · View notes
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
तुम मेरे लिए एक टिमटिमाती लौ से हो,
जो मुझे जीवन भर अपनी और आकर्षित करती रहेगी।
Tumblr media
2 notes · View notes
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
मेरी मनमानियों पर हँस के पिघल जाने वाले ,
मुड़कर ना जाना इधर आने वाले।
देना दस्तकें तमाम दिल पर मेरे,
ना होना तुम रुसवा इधर आने वाले।
तुम कहना मुझे जो पसंद हो तुम्हें,
चुप रहना नहीं इधर आने वाले।
करते आते हैं आडंबर आने वाले कई,
तुम सादगी लाना इधर आने वाले।
मेरी मनमानियों पर हँस के पिघल जाने वाले,
ना लौटना कभी इधर आने वाले।
2 notes · View notes
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
जब माँगा गया होगा ईश्वर से मुट्ठी भर प्रेम,
ईश्वर ने थमा दिया होगा ह्रदय, भरकर अथाह प्रेम उसमें ।
रह गया होगा उधार उस ह्रदय में भरना एतबार,
जो चुकाता रहा वो व्यक्ति जो पड़ा होगा प्रेम में।
फिर माँगा गया ईश्वर से एतबार उधारी में,
ईश्वर ने बांध दिया होगा एक पतला रेशमी धागा एतबार का,
उन प्रेमियों के उंगलियों के मध्य ।
प्रेम में माँगा गया होगा उधार दर्द अपने प्रिय का,
और देनी चाही होंगी अपने हिस्से आई सारी खुशियां |
प्रेम में माँगी गई है उधारी ठीक वैसे,
जैसे समुन्द्र लेता है नदियों से पानी उधार ।
जैसे लिए होंगे कबूतर ने मोर के पैर उधार । जैसे सुबह के इंतज़ार में कई शामें लेतीं होंगी उधारी सूर्य से ।
पर उतर जाते होंगे ये सारे उधार,
जब मिल जाता होगा प्रेम के बदले प्रेम ब्याज में।
1 note · View note
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
कोई मरना आसान कहता रहा,
किसी ने जीवन कठिन बना दिया।
कोई जीने की आस किये था!
तो किसी ने मौत की ओर एक कदम बढ़ा दिया।
कोई आसान समझता रहा इश्क में पड़ना,
किसी ने उसे छोड़ पाना मुश्किल बता दिया।
कोई एकतरफा प्यार में पड़ रहा था,
तो किसी ने प्यार को तन्हाई बता दिया।
कोई समझा नहीं खुद को,
तो कोई समझा सका नहीं उसे।
वो फिरता रहा रात भर,
तो किसी ने किंवाड़ फिरा लिया।
कोई सफर में रहा,
किसी ने ठहरना अच्छा बता दिया।
कोई पा गया मंज़िल को,
तो किसी ने सफर को ही अपनी मंज़िल बना लिया।
1 note · View note
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
ये जो विशाल समुन्द्र है,
इसकी ओर कई नदियाँ बढ़ती हैं,
और हो जाती हैं आकर लोप इसमें।
पर इस समुन्द्र की भी तो होगी कोई पसंदीदा नदी!!
जिसे वो खुद मैं ना समाकर,
खुद उसमें मिल जाना चाहता होगा।
जिसे उसने उतारा होगा खुद मैं नम्रता से।
जिसके सूखने के ख्याल मात्र से घबरा जाता होगा वो शक्तिशाली समुन्द्र,
अपनी तलहटी में अपना पूरा खारापन छोड़ बन जाता होगा उसके लिए मीठे पानी का स्त्रोत।
मैंने तुममें पाया ठीक वही विशालकाय समुन्द्र,
जब तुमनें चाहा मुझे जैसे समुन्द्र ने चाही अपनी पसंदीदा नदी,
तो तुम भी छोड़ आए अपना सारा खारा���न अपने धरातल पर।
1 note · View note
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
मुझे कभी खोजना नहीं पड़ा तुम्हें
तुम सदैव से मेरे आस-पास ही मौजूद रहे
कभी तुम मुझे मिले किताबों के पन्नों में
एक सुर्ख गुलाब की तरह
कभी तुम मेरी सोच में उतर आये
एक सवाल की तरह
कभी मेरी नाराजगी में तो कभी
मेरी मुस्कुराहट में मुस्कुराते दिखाई दिए
कभी तुम मिले तो हकीकत में मौजूद रहे
गर ना मिल पाए तो ख्वाबों में अपनी मौजूदगी दर्ज करवा गए
कभी मेरी आदतो में दिखे तो
कभी मेरी समझदारी में दिखे किसी जवाब की तरह
कभी मेरी कहानियों में तो कभी कविताओं में नजर आये
मुझे कभी खोजना नहीं पड़ा तुम्हें
तुम सदैव मुझ से कही ज्यादा मेरे आस-पास ही मौजूद रहे।
©magicalwords0903
5 notes · View notes
magicalwords0903 · 2 years ago
Text
मैंने सिर्फ तुमसे प्रेम नहीं किया,
मैंने प्रेम किया तुम्हारी कही - अनकही अनगिनत बातों से।
मैंने प्रेम किया तुम्हारी खामोश मुस्कान से।
मैंने किया प्रेम तुम्हारे हर इम्तिहान से।
मैंने प्रेम किया तुम्हारी उन धड़कनों से, जो भीतर ही भीतर कई समीकरणों को हल कर रही थीं।
मैंने प्रेम किया तुम्हारे तर्क-वितर्क से।
मैंने तुम्हारे हर एक पल से प्रेम किया है , जिसमें तुम जिए हो।
मैंने प्रेम किया तुम्हारी स्मृतियों से।
मैंने सिर्फ तुमसे प्रेम नहीं किया।
मैंने तुम्हारे उस हर एक सूत्र से प्रेम किया है,जिसे तुमने बांधा अपने साथ।
2 notes · View notes