merisahelimagazine · 4 years ago
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कैंसर से बचाएंगी ये किचन रेमेडीज़ (Cancer Prevention: Best Home Remedies To Lower Your Risk)
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कैंसर से बचाएंगी ये किचन रेमेडीज़ (Cancer Prevention: Best Home Remedies To Lower Your Risk)
पूरी दुनिया में ही नहीं, भारत में भी कैंसर (Cancer) के रोगी लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन हमारे किचन में ही ऐसी बहुत सारी चीज़ें उपलब्ध हैं, जिनका नियमित सेवन कैंसर से लड़ने में सहायता कर सकता है. एक नजर किचन में मौजूद कुछ ऐसी ही एंटी कैंसर चीज़ों पर.
हल्दीःखाने में हल्दी का इस्तेमाल ज़रूर करें. इसमें मौजूद करक्यूमिन तत्व कैंसर से लड़ने में मदद करता है. हल्दी ख़ासकर ब्रेस्ट कैंसर, पेट के कैंसर और त्वचा के कैंसर में ज़्यादा प्रभावी है.
केसरःकेसर में क्रोसेटिन नाम का तत्व होता है, जो कैंसर से लड़ने में प्रभावी है. ये ना स़िर्फ कैंसर को स्प्रेड होने से रोकता है, बल्कि ट्यूमर के साइज़ को भी कम करता है.
जीराःजीरा खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही कैंसर से भी बचाता है. इसमें थाइमोक्वीनोन नाम का पदार्थ होता है, जो प्रोस्टेट कैंसर बनानेवाले सेल्स को बढ़ने से रोकता है. लिहाज़ा अगर कैंसर से बचना है और हेल्दी रहना है, तो अपने डेली डायट में जीरा शामिल करें.
दालचीनीःआयरन और कैल्शियम से भरपूर दालचीनी शरीर में ट्यूमर के साइज़ को कम करने में मदद करती है. हर रोज़ अपने दिन की शुरुआत दालचीनी की चाय से करें और सोने से पहले शहद और दालचीनी के साथ एक ग्लास दूध का सेवन करें. इससे आप कैंसर से सुरक्षित रहेंगे.
ऑरिगेनोःऑरिगेनो का इस्तेमाल स़िर्फ पिज़्ज़ा, पास्ता की टॉपिंग के रूप में ही नहीं होता, बल्कि ये प्रोस्टेट कैंसर के ख़िलाफ़ भी एक सशक्त एजेंट का काम करता है.
अदरक:औषधीय गुणों से भरपूर अदरक के सेवन से कोलेस्ट्रॉल कम होता है, मेटाबॉलिज़्म बढ़ता है और कैंसर सेल्स भी ख़त्म होते हैं. अदरक का अर्क कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी से होनेवाली परेशानी को भी कम कर सकता है. ये अन्य कई बीमारियों से भी बचाता है.
तुलसीः��ुलसी की पत्तियों में यूजेनॉल नामक तत्व होता है, जो कैंसर से सुरक्षा देता है. इस तत्व का इस्तेमाल एंटी कैंसर दवाएं बनाने के लिए भी किया जाता है.
नारियल तेलःरोज़ खाली पेट एक चम्मच नारियल तेल का सेवन करने से कैंसर से बचाव होता है. इसमें मौजूद लॉरिक एसिड कैंसर की कोशिकाओं को ख़त्म करने में सहायक होता है.
लहसुन और प्याज़ःलहसुन और प्याज़ में मौजूद सल्फर कंपाउंड बड़ी आंत, बे्रस्ट कैंसर, लिवर और प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं को मार देते हैं. यह इंसुलिन के प्रोडक्शन को कम करके शरीर में ट्यूमर नहीं बनने देते.
एंटी कैंसर सब्ज़ियां:फूलगोभी और ब्रोकोली कैंसर की कोशिकाओं को मारती हैं और ट्यूमर को बढ़ने से रोकती हैं. ये लिवर, प्रोस्टेट, मूत्राशय और पेट के कैंसर के ख़तरे को कम करती हैं.
फलियां और दाल:दाल और फलियां प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत होने के साथ ही फाइबर और फोलेट से भरपूर होती हैं, जो पैंक्रियाज़ के कैंसर के ख़तरे को कम कर सकती हैं.
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merisahelimagazine · 4 years ago
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त्वचा की रंगत बता देगी कि आपकी सेहत कैसी है? (Skin Color Gives Clues To Health)
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ख़ूबसूरत व मुस्कुराता चेहरा हर किसी को आकर्षित करता है, इसलिए इसका ख़्याल रखना भी ज़रूरी है. क्योंकि बदलती त्वचा की रंगत (Skin Color) आपके सेहत के राज़ (Health Secret) बयां कर देती है.
जिस तरह से हमारे मन की ख़ुशी चेहरे पर खिल कर दिखती है, जिससे हर कोई जान जाता है कि हम कितने ख़ुश हैं. ठीक उसी तरह हमारी त्वचा की रंगत, बदलाव आदि से हमारी सेहत का हाल भी पता चलता है. इस संबंध में क्योर स्किन की चीफ डर्मैटोलॉजिस्ट डॉ. चारू शर्माने उपयोगी जानकारी दी.
* यदि त्वचा चमकती हुई, गुलाबी रंगत लिए आकर्षक दिखती है, तो आप काफ़ी हद तक स्वस्थ हैं और अपनी सेहत का भी पूरा ख़्याल रखते हैं.
* यदि त्वचा पर कील-मुंहासे, दाग़-धब्बे, दाने, रूखापन आदि हो, तो यह शरीर में विटामिन, कैल्शियम, आयरन आदि की कमी के साथ-साथ किसी न किसी समस्या की ओर भी इशारा करते हैं.
* जब हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है, तब हमारी नेचुरल ब्यूटी प्रभावित होने के साथ-साथ त्वचा की रंगत में भी बदलाव आने लगता है. त्वचा रूखी, पीली, बेजान-सी दिखने लगती है.
* यदि त्वचा की चमक फीकी दिखने लगे, चेहरे पर तेज न रहे, माथे पर अधिक लकीरें उभरने लगें, चेहरा बुझा-बुझा-सा रहे... तो ये सब बताते हैं कि आप बेहद तनावग्रस्त हैं. टेंशन जहां दिल की धड़कन बढ़ाता है, वहीं चेहरे पर रैशेज़, कम नींद आना, माथे पर बल पड़ना जैसी परेशानियां देने लगता है.
* जिस तरह दिल-दिमाग़ का एक-दूसरे से संबंध है, ठीक उसी तरह त्वचा व तनाव का भी गहरा संबंध है. यदि आप चिंता करते हैं, तनावग्रस्त रहते हैं, डिप्रेशन का शिकार होते हैं, तो इन सबका सीधा असर आपकी त्वचा पर पड़ता है. त्वचा की रंगत बदलने लगती है. इस कारण शरीर पर कई नकारात्मक प्रभाव भी पड़ने लगते हैं.
* यदि चेहरे पर कील-मुंहासे होने लगें, कुछ पुरुषों को तो छाती व पीठ पर भी होते हैं, जो टेंशन की ओर इशारा करते हैं. अमूमन तनाव-चिंता के कारण शरीर में कार्बोंहाइड्रेट की मात्रा बढ़ जाती है, जो इंसुलिन को प्रभावित करता है और यह सबसे बड़ी वजह होती है मुंहासे होने और बढ़ने की.
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* यूं तो कई महिलाओं को माहवारी के समय भी मुंहासे निकलते हैं, लेकिन यदि वे तनावग्रस्त हैं, तो अधिक निकलते हैं और अधिक दर्द भी होता है.
* त्वचा अधिक रूखी हो जाना, खुजली होना, त्वचा पर चकत्ते बनना, जलन आदि एलर्जी व सोरायसिस होने के संकेत देते हैं.
* गले, नाक, ठोढी आदि के पास रेड कलर के पैचेस होने लगें, तो यह सोरायसिस के लक्षण होते हैं.
* चेहरे पर झुर्रियां अधिक होने लगें, तो यह विटामिन ई की कमी की ओर संकेत करते हैं.
* आंखों की सूजन आयोडीन की कमी की ओर इशारा करते हैं.
* आपका मुंह पेट की समस्याओं के बारे में और होंठ पेट और आंत के बारे में बताते हैं.
* यदि मसूड़ों से खून निकलता है, तो यह एसिडिटी की समस्या को दर्शाता है.
* सूखे होंठ पानी की कमी की ओर इशारा करते हैं.
* इसी तरह जब शरीर में आयरन की कमी होती है, तो होंठों के किनारे फटते हैं. इसके लिए बेहतरीन उपाय है दलिया व मसूर की दाल का सेवन करना.
* रूखे बाल व टूटे हुए नाख़ून बायोटिन की कमी के कारण होते हैं. इसके लिए टमाटर, सोया, सेम व अंडा खाना फ़ायदेमंद रहता है.
* जहां माथे से दिल, यूरिनरी संबंधी व छोटी आंतों के बारे में, तो वहीं आंखों के नीचे काले घेरों से न्यूट्रीशन की कमी के बारे में जानकारी मिलती है. यदि माथा लाल होने लगा है और उस पर परत पड़ने लगे, तो यह आपकी पाचन क्रिया की गड़बड़ी को
दर्शाता है.
* इसके लिए ज़रूरी है कि ढेर सारा पानी पीएं, इससे शरीर में मौजूद सारा टॉक्सिन निकल जाता है और पाचन क्रिया बेहतर होती है.
* साथ ही अच्छी नींद लेना भी ज़रूरी है.
* देर रात तक न जागें और लेट नाइट पार्टी में जाने से भी बचें.
* यदि होंठों के पास छोटे-छोटे दाने होने लगें, तो ये कब्ज़ की समस्या को उजागर करता है यानी आपका पेट ठीक नहीं रहता.
* अगर गालों में रैशेज़ पड़ जाते हैं, तो इसका मतलब है कि उन्हें भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है. इसके लिए योग-ध्यान करना बेहतर उपाय है.
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इन बातों पर भी ध्यान दें...
* भरपूर पानी पीएं, पर प्यार से मजबूरी में नहीं.
* मौसमी फल खाने के साथ-साथ सही मात्रा में गुड फैट लेते रहें.
* तनाव से दूर रहें, क्योंकि यह बहुत बड़ा कारण होता है त्वचा की रंगत को बदलने, नुक़सान पहुंचाने, बीमारियों आदि के पनपने के लिए.
* अच्छी त्वचा व सेहत के लिए ज़रूरी है कि कुछ चीज़ों से दूर रहा जाए, जैसे- अल्कोहल, शक्कर, डेयरी प्रोडक्ट्स.
* क्योंकि शक्कर का अधिक इस्तेमाल त्वचा को रूखी व बेजान बनाने के साथ-साथ रोमछिद्र को भी बंद कर देता है.
* व्हाइट ब्रेड, पास्ता, चावल का कम उपयोग करें, इनमें अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो त्वचा व सेहत को प्रभावित करते हैं.
* यदि आप अच्छी नींद लेते हैं, इसके बावजूद आंखों के नीचे कालापन है, तो यह सही व पर्याप्त न्यूट्रीशन न लेने की वजह से होता है. इसलिए पौष्टिकता से भरपूर संतुलित भोजन लें. यदि ज़रूरत हो, तो डायटीशियन की भी सलाह ले सकते हैं.
- ऊषा गुप्ता
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merisahelimagazine · 4 years ago
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लिविंग रूम के लिए 11 वास्तु टिप्स (11 Vastu Tips For Living Room)
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लिविंग रूम (Living Room) घर का सबसे ख़ूबसूरत कोना होता है. यदि आप चाहते हैं कि लिविंग रूम की ख़ूबसूरती बरक़रार रहने के साथ घर में सुख-शांति और समृद्धि भी आए, तो यहां पर गए वास्तु टिप्स (Vastu Tips) को अपनाएं.
1. मुख्य द्वार के ठीक सामनेवाला लिविंग रूम अत्यंत शुभ होता है.
2. साथ ही पूर्व और उत्तर दिशा की तरफ़ अधिक खुले हुए लिविंग रूम भी शुभ फलदायी होते हैं.
3. प्रकाशमय लिविंग रूम भी वास्तु के अनुसार बेहद शुभ माने जाते हैं.
4. ऐसा लिविंग रूम जिसकी खिड़की बहुत बड़ी तथा अंदर की ओर खुलनेवाली हो, उसे न ख़रीदें, क्योंकि ये वास्तु की दृष्टि से अशुभ होता है.
5. लिविंग रूम की दीवार से सटे फर्नीचर्स सौभाग्यवर्द्धक माने जाते हैं. परंतु सोफा के ठीक पीछे खिड़की या दरवाज़े का होना अशुभ होता है, ऐसे में दीवार पर आईना लगाकर इस दोष को दूर  किया जा सकता है.
6. लिविंग रूम में धारदार फर्नीचर न रखें. इससे परिवार के सदस्यों को क्षति पहुंच सकती है.
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7.  वास्तु के अनुसार लिविंग रूम में अधिक से अधिक खिड़कियां होनी चाहिए.
8. ड्रॉइंग रूम में अपने पूर्वजों की फोटो लगाई हैं, तो व्यवस्थित तरी़कें से रखें.
9. ड्रॉइंग रूम में ताज़े फूलों का वॉस रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
10. ड्रॉइंग रूम के मुख्य दरवाज़े पर तोरण ज़रूर लगाएं.
11. रूम में ग़ुस्से, उदासी, मौत और रोने वालाी फोटो न लगाएं.
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merisahelimagazine · 4 years ago
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सर्वगुण संपन्न बनने में खो न दें ज़िंदगी का सुकून (How Multitasking Affects Your Happiness)
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सर्वगुण संपन्न बनने में खो न दें ज़िंदगी का सुकून (How Multitasking Affects Your Happiness)
परफेक्ट बनने की चाह हर किसी की होती है, ख़ासकर महिलाओं की. लेकिन क्या कभी आपने ग़ौर किया है कि ख़ुद को सर्वगुण संपन्न साबित करने की चाह में आप अपना चैन-सुकून भी खोती जा रही हैं. इसी पहलू पर एक नज़र डालते हैं.
अरे, सुनती हो मेरा रूमाल नहीं मिल रहा.” रवि की आवाज़ पर सीमा दौड़कर गई और उसके हाथों में रूमाल पकड़ा आई. केवल इतना ही नहीं, बल्कि सास-ससुर की चाय और दवाइयां, चिंटू का टिफिन, बैंक और बाज़ार के काम और न जाने क्या-क्या सीमा करती रहती है और अपने घर को परफेक्ट रखती है. सभी रिश्तेदारों में वह चहेती है. सीमा की सास कहते नहीं थकती कि उनकी बहू तो सर्वगुण संपन्न है.
स़िर्फ सीमा ही क्यों ऐसी कई महिलाएं हैं, जो हर जगह परफेक्ट रहना चाहती हैं. इसमें कोई बुराई भी नहीं है, पर साथ ही यह ध्यान रखना भी ज़रूरी है कि जीवन की हर कमान को संभालते-संभालते कहीं आपकी कमान आपके हाथ से छूट तो नहीं गई. इसका अर्थ है कि कहीं इस सर्वगुण संपन्नता के प्रमाणपत्र की क़ीमत आपका अपना व्यक्तित्व या आपका स्वास्थ्य तो नहीं.
सर्वगुण संपन्न से जुड़ी कुछ भ्रांतियां
महिलाएं तो मल्टीटास्किंग होती हैं... यह जुमला आपको गाहे-बगाहे सुनने मिल जाएगा, फिर वह ऑफिस हो या घर. और विडंबना यह है कि इस तथ्य को बतान���वाली अमूमन कोई स्त्री ही होती है. मल्टीटास्किंग का मतलब बहुत ग़लत लगाया जाता है. इसका मतलब अपने आप को सुबह से शाम तक कामों के बोझ तले दबा लेना नहीं होता या फिर एक साथ कई काम करना भी नहीं होता है. मल्टीटास्किंग का मतलब होता है कुछ कामों को एक साथ स्मार्ट तरी़के से करना, जिससे समय और ऊर्जा की बचत हो. इसका स्त्री और पुरुष से कोई लेना-देना नहीं है. अतः मल्टीटास्किंग के नाम पर सर्वगुण संपन्नता की प्रतिस्पर्धा ग़लत है.
किसी काम के लिए ना कहना असमर्थता का प्रमाण है
यह भी एक भ्रांति है कि अगर आपने घर में या ऑफिस में किसी को कोई काम करने से मना कर दिया, तो वह आपकी कमी होगी. साथ ही सामनेवाला नाराज़ हो जाएगा. इस कशमकश में हम कई ऐसे काम कर जाते हैं, जिनकी या तो ज़रूरत नहीं होती या जो हमारी सामर्थ्य के बाहर होता है. कोई भी काम या ज़िम्मेदारी तभी उठाएं, जब वह आवश्यक हो और आपके सामर्थ्य के अंदर हो. इसका सर्वगुण संपन्नता से कोई लेना-देना नहीं है.
जो ख़ुद के लिए कम-से-कम समय निकाले, वही सर्वगुण संपन्न है
हमारे समाज में अगर स्त्री ख़ुद के लिए स्पेस रखती है या अपने लिए कुछ समय निकालती है, तो वह सर्वगुणता के पैमाने पर खरी नहीं उतरती. इस भ्रांति को बदलने की ज़रूरत है. स़िर्फ स्त्री ही नहीं, हर किसी को अपने लिए समय निकालने की आवश्यकता होती है. अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करते हुए ऐसा करना कोई अपराध नहीं है. समाज या परिवार क्या कहेगा, इस डर से अपनी किसी रुचि या अपने लिए समय निकालना ना छोड़ें.
अगर आपसे सब ख़ुश हैं, तो ही आप सर्वगुण संपन्न हैं
सबको ख़ुश करना मुश्किल ही नहीं असंभव है, लेकिन सर्वगुण संपन्न बनने की चाह में हम हर किसी को ख़ुश करने की कोशिश करते रहते हैं. इसमें पूरी तरह से सफल कम ह��� हो पाते हैं, साथ ही कई बार निराशा भी हाथ लगती है. इससे अच्छा है कि हम यह कोशिश करें कि हमारी वजह से कोई दुखी ना हो.
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कैसे पहचानें कि सर्वगुण संपन्न बनने की चाहत में आप ख़ुद को खो रही हैं?
अक्सर छोटी छोटी बातें ही हमें किसी बड़े बदलाव का इशारा देती हैं-
*    अगर आपको अपने कामों को पूरा करने के लिए दिनभर का समय कम पड़ता है.
*    समय के साथ आप अपनी पसंद-नापसंद भूलती जा रही हैं.
*    आपकी अपनी कोई हॉबी नहीं है.
*    हमेशा थकान महसूस होती है.
*    अक्सर चिड़चिड़ापन और निराशा होती है.
*    आपके आसपास सब ख़ुश हैं, पर आपको अंदर से ख़ुशी का अनुभव नहीं होता है.
*    हमेशा तनाव और दबाव महसूस होता है.
*    अगर आपके दोस्त या सहेलियां नहीं हैं.
*    आप दिन का कोई भी समय अपने मन मुताबिक़ नहीं बिता पाती हैं.
*    आपको लोगों के बीच अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ता है.
समाधान के लिए इन बातों पर ध्यान दें
*    सबसे पहले और ज़रूरी है अपने लिए कुछ क्वालिटी समय निकालना.
*    अपने आसपास कुछ सहेलियां हमेशा रखें.
*    अपनी किसी भी रुचि को जीवित रखें.
*    अगर आप अपने बारे में सोच रही हैं, तो इसके लिए किसी भी प्रकार का अपराधबोध ना रखें.
*    कम-से-कम 15 दिनों में एक बार बाहर घूमने ज़रूर जाएं.
*    अपने बचपन का अलबम, कॉलेज के ज़माने की फोटोज़ ज़रूर देखें.
*    घर में हर किसी की ख़ुशी का ध्यान रखें, पर अपनी ख़ुशी को दांव पर ना लगाएं.
*    घर हो या ऑफिस, कामों को मिल-बांटकर करें. काम करने के लिए किसी की मदद लेने में कोई बुराई नहीं है.
सर्वगुण संपन्न नहीं स्मार्ट बनें
*    सर्वगुण संपन्न होना असल में किसी और के पैमाने पर ख़ुद को सिद्ध करना है.
*    यह तमगा लेने के लिए अपने स्व को खो देने से अच्छा है कि आप स्मार्ट बनें.
*    दिन के चौबीस घंटे का इस्तेमाल चतुराई और पूरी प्लानिंग से करें.
*    अपने रिश्तों में मधुरता बनाएं रखने के लिए किसी बड़े प्रयास की ज़रूरत नहीं है, बल्कि छोटी-छोटी बातों को याद रखें.
*    दिन में थोड़ा समय ख़ुद को ज़रूर दें, फिर चाहे वह योग हो या फिर डांस. तो स्मार्ट बनें और जीवन की हर कमान को कुशलता से संभालें.
- माधवी कठाले निबंधे
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merisahelimagazine · 4 years ago
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कहानी- मूल्यांकन (Short Story- Mulyankan)
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अपने जीवन में मैंने कई बुज़ुर्गों को उपेक्षित जीवन जीते देखा है. जब घर बनवाया, तभी सोच लिया था कि पापाजी को सबसे बड़ा, सुंदर और आरामदायक कमरा देंगे, पर इस चक्कर में हमने पापाजी को कमरे से ही बांध दिया. साथ ही अकेलेपन से भी.
“मम्मीजी, नेहा दीदी का फोन है.” स्वरा की आवाज़ पर नलिनी ने फोन हाथ में लिया. ‘हेलो’ कहते ही नेहा की घबराई-सी आवाज़ आई, “मम्मी, एक प्रॉब्लम हो गई है.  मां बाथरूम में गिर गई हैं. उनके बाएं हाथ में फ्रैक्चर आया  है.”
“अरे! कैसे... कहां... कब... अभी कैसी हैं? कोई है उनके पास...” नेहा की ‘मां’ यानी सास के गिरने की ख़बर सुनकर नलिनी ने एक साथ कई सवाल पूछ डाले, तो प्रत्युत्तर में नेहा रोनी आवाज़ में बोली, “वो इंदौर में ही हैं. आज रात उन्हें अहमदाबाद के लिए चलना था. उन्हें हाथ में फ्रैक्चर हुआ है. अब कैसे आएंगी. मम्मी, अब मेरा क्या होगा... दो हफ़्ते बाद सलिल को कनाडा जाना है और अगले हफ़्ते मेरी डिलीवरी है. मम्मी, आप आ पाओगी क्या?”
नेहा के पूछने पर नलिनी एकदम से कोई जवाब नहीं दे पाई. एक महीने पहले ही बेटे का ब्याह किया है. नई-नवेली बहू को देखते हुए ही प्रोग्राम तय हुआ था कि डिलीवरी के समय नेहा की सास अहमदाबाद आ जाएंगी और एक-डेढ़ महीना रुककर वापस आएंगी, तब वह जाएगी. ऐसे कम से कम ढाई-तीन महीने तक नेहा और उसके बच्चे की सार-संभाल हो जाएगी.
“तू घबरा मत, देखते हैं क्या हो सकता है.” नेहा को तसल्ली देकर नलिनी ने फोन रखा और प्रेग्नेंट बेटी की चिंता में कुछ देर यूं ही बैठी रही. परिस्थिति वाकई विकट थी. समधनजी के हाथ में फ्रैक्चर होने से उनके साथ-साथ सबके लिए मुश्किलें बढ़ गईं.
क्या-कैसे होगा इस चिंता से उन्हें बहू स्वरा ने उबारते हुए कहा,  “मम्मीजी आप दीदी के पास अहमदाबाद चली जाइए.  मैं यहां सब संभाल लूंगी.”
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नलिनी के हिचकने पर उसके ससुर भी  बोले, “इतना सोचनेवाली कौन-सी बात है. नील तो है यहां... अब तो स्वरा भी है. तुम और उपेन्द्र तुरंत निकलो.”
“पर पापाजी, आप कैसे रहेंगे? आपकी देखभाल, परहेज़ी खाना...”
“सब हो जाएगा, मेरे बहू-बेटे नहीं होंगे तो क्या, तुम्हारे बेटा-बहू तो हैं ना.”
“अरे पापाजी, नील को तो ऑफिस से ़फुर्सत नहीं है और इसे आए अभी महीनाभर ही हुआ है. इनके भरोसे कैसे...” नलिनी हिचकिचाई, तो 80 बरस के बूढ़े ससुरजी हंसते हुए बोले, “मैं कोई छोटा बच्चा हूं, जो अपनी देखभाल न कर पाऊं... और न स्वरा बच्ची है, जो घर न संभाल पाए. तुम्हारी शादी हुई थी, तब तुमने 20 बरस की उम्र में सब संभाल लिया था. और तुम्हारी सास तो 16 बरस की ही थी, जब ब्याहकर आई थी. अरे, स्वरा कैसे नहीं संभालेगी घर... क्यों स्वरा, संभालेगी न?”
“हां जी, दादाजी...” क्या कहती स्वरा और क्या कहती नलिनी अपने ससुर को कि तब के और आज के ज़माने में बहुत फ़र्क़ है. नलिनी का सिर अपने ससुर के सामने श्रद्धा से झुक गया.
विपरीत परिस्थितियों के चलते ‘मैं ख़ुद को संभाल लूंगा.’ कहकर उसका मनोबल बढ़ा रहे हैं, जबकि वह जानती है कि पापाजी  को बाथरूम तक जाना भारी पड़ता है. पापाजी और घर की ज़िम्मेदारी स्वरा के भरोसे  छोड़ने में उन्हें डर ही लग रहा था. आजकल की लड़कियां क्या जानें घर की सार-संभाल... पर पापाजी और परिस्थितियों के आगे वह विवश थी.
यूं तो स्वरा एक महीने से घर में है, पर अधिकतर समय तो मायके-हनीमून और घूमने-फिरने में ही निकल गया. वह स्वयं बेटे की शादी के बाद बड़े प्रयास से घर की व्यवस्था पुरानी पटरी पर लौटा पाई थी. अब यूं अचानक घर छोड़-छाड़कर अहमदाबाद के लिए निकलने को मन नहीं मान रहा था, पर मौ़के की नज़ाकत समझते हुए घर की व्यवस्था-पापाजी ��े परहेज़ों और दवाइयों के बा��े में  नील-स्वरा को समझाकर वह और उपेन्द्र तुरंत हवाई जहाज से अहमदाबाद के लिए निकल गए. नौवें महीने के आख़िरी हफ़्ते में कब डिलीवरी हो जाए, कुछ पता नहीं.
मम्मी-पापा को देखकर नेहा का सारा तनाव छूमंतर हो गया. उनके पहुंचने के चार दिन बाद ही उसने पुत्री को जन्म दिया. कुछ दिनों बाद दामाद सलिल कनाडा चले गए. नलिनी ने घर की सारी व्यवस्था संभाल ली और उपेन्द्र ने बाहर की. नेहा और नन्हीं परी के बीच समय कैसे निकलता, कुछ पता ही नहीं चलता. भोपाल फोन करने पर पापाजी- ‘यहां की चिंता मत करो सब ठीक है’ कहकर तसल्ली दे देते.
40 दिन बाद नेहा ने नलिनी से कहा, “मम्मी, अगले हफ़्ते सलिल आ जाएंगे. मैं भी चलने-फिरने लगी हूं. आप चाहो, तो भोपाल चली जाओ.” यह सुनकर नलिनी ने राहत की सांस ली. मन तो घर में अटका ही था, सो नेहा के कहने पर दो दिन और रुककर नलिनी ने वापसी का टिकट करवा लिया. साथ ही उपेन्द्र और नेहा को कह दिया कि उनके भोपाल पहुंचने की ख़बर पापाजी, नील-स्वरा को कतई न दें. सरप्राइज़ का मज़ा रहेगा.
सरप्राइज़ की बात सुनकर नेहा ख़ुशी-ख़ुशी मान गई, पर उपेन्द्र पहुंचने की सूचना न देने से कुछ असहज थे.
रास्ते में ट्रेन में उन्होंने इस बाबत नलिनी से बात की, तो वह बोली, “पहली बार स्वरा के भरोसे पापाजी और घर की ज़िम्मेदारी छोड़ी है. पापाजी-नील तो सीधे-सादे हैं, जब भी फोन किया ‘सब ठीक है, चिंता मत करो’ कहते रहे. अचानक पहुंचने पर स्वरा का असली मूल्यांकन हो पाएगा कि वो घर संभालने में कितनी सक्षम और घरवालों के प्रति कितनी संवेदनशील है.
यह सुनकर उपेन्द्र अवाक रह गए. नलिनी के फोन न करने के पीछे छिपी मानसिकता का उन्हें ज़रा भी भान नहीं था. वो तो समझे बैठे थे कि नलिनी अचानक पहुंचकर उन्हें सुखद आश्‍चर्य में डुबोने का मंतव्य रखती है.
बिना किसी को सूचित किए उपेन्द्र और नलिनी घर पहुंचे, तो ख़ुद सरप्राइज़ हो गए, जब घर में ताला लगा देखा. बाहर का गेट किराएदार ने खोला और बताया कि सब लोग सुबह से ही बाहर हैं. घर के बरामदे में उन्हें बैठाकर वह चाभी लेने चला गया. आसपास नज़र दौड़ाते नलिनी-उपेन्द्र बेतरह चौंके, जब उन्होंने पापाजी के कमरे की बेंत की आरामकुर्सी और मेज़ बरामदे में रखी देखी.
किराएदार से चाभी लेकर ताला खोला, तो सकते में आ गए. पापाजी के कमरे में परदे और पेंटिग्स के अलावा कुछ नहीं था. दीवान-आलमारी सब बरामदे से लगे छोटे-से गेस्टरूम में आ चुके थे. कमरे का हुलिया देखकर नलिनी को बहुत ग़ुस्सा आया. कितने सुरुचिपूर्ण ढंग से पापाजी का कमरा सजाया गया था. सुंदर परदे, पेंटिंग्स, केन की कुर्सियां, जिसमें मखमल की गद्��ी लगी हुई थी. अख़बार रखने के लिए तिपाई... एक छोटा टीवी... सारी सुविधा से संपन्न बुज़ुर्ग आज उसकी अनुपस्थिति में गेस्टरूम में पहुंच गए थे.
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“कल की आई लड़की की हिम्मत देखो उपेन्द्र, पापाजी का ये हाल किया, तो हमारा क्या हाल करेगी बुढ़ापे में.” आवेश में बड़बड़ाती हुई नलिनी पूरे घर में घूम आई थी. बाकी घर का हुलिया ठीक-ठाक ही था... नील के ऊपर भी उसे बहुत क्रोध आया.
उसी समय नलिनी से मिलने बगलवाली पड़ोसन आ गई. नलिनी को देखकर वह बोली, “तुम्हें ऑटो से उतरते देखा तो चली आई. अच्छा हुआ तुम आ गई. तुम नहीं थी, तो तुम्हारे ससुर का तो बड़ा बुरा हाल था.
एक-दो बार आई मिलने तभी जाना कि तुम्हारी नई-नवेली बहू ने उन्हें अपने कमरे से बेदख़ल कर दिया है. मैं तो अक्सर उन्हें बरामदे या लॉन में भटकते देखती थी. अब हम लोग तो उसे कुछ कह नहीं सकते, वैसे भी आजकल की लड़कियां किसकी सुनती हैं. कहीं पलटकर मुझे कुछ कह देती तो भई, मैं तो न सह पाती. बस, तुम्हारे ससुर को देखकर बुरा लगता था. तुम लोगों ने उन्हें इतने आदर से रखा, पर तुम्हारी बहू ने तो...” वह बोल ही रही थी कि पापाजी की रौबदार आवाज़ आई, “बेटाजी, आप मेरे लिए इतना परेशान थीं, यह जानकर बड़ा अच्छा लगा, पर अपनी परेशानी मुझसे साझा कर लेतीं, तो ज़्यादा अच्छा होता.”
यह सुनकर पड़ोसन हकबका गई और नलिनी सि�� पर आंचल रखकर ससुरजी के पांव छूने लगी.
“आप कहां गए थे पापा? और अकेले कहां से आ रहे हैं?”
“अकेला नहीं हूं स्वरा है बाहर. कोई जाननेवाला मिल गया है, उससे बात करने लगी है. पर ये बताओ, तुम लोग आनेवाले हो, ये किसी को बताया क्यों नहीं?” पापाजी ने पूछा तो उपेन्द्र बगले झांकते हुए बोले, “नलिनी आप लोगों को सरप्राइज़ देना चाहती थी.”
उपेन्द्र की बात सुनकर पापाजी कुर्सी से अपनी छड़ी टिकाते बोले, “सरप्राइज़ तो हम अच्छे से हो गए, पर जान जाते तुम लोग आनेवाले हो, तो डॉक्टर का अपॉइंटमेंट न लेते. घर पर ही मिलते.”
“सब ठीक तो है पापा...?” उपेन्द्र ने चिंता से पूछा, तो वह बोले, “सब ठीक है भई, डायबिटीज़ कंट्रोल में है.”
“पापाजी आप यहां कैसे आ गए? मतलब, इस छोटे से गेस्टरूम में.” नलिनी के पूछने पर वह बोले, “अरे, अभी इन्होंने तो बताया कि तुम्हारी बहू ने मुझे यहां भेज दिया और हां बेटाजी...” अब पापाजी पड़ोसन से मुखातिब थे, “तुम जो अभी मेरी बहू के कान भर रही थी कि मुझे मेरे कमरे से बेदख़ल कर दिया गया, तो सोचो, ऐसी हालत में तो मैं यहां दुखी-ग़मगी��-सा दिखता... और बेटे-बहू की नाक में दम न कर देता कि जल्दी आओ...”
“सॉरी अंकलजी, मैंने जो महसूस किया, सो कह दिया नलिनी से.”
“द़िक्क़त यही है, हम जो महसूस करते हैं, वो सही पात्र से नहीं कहते. तुमने जो महसूस किया, उसकी चर्चा मुझसे कर लेती तो ठीक रहता. अब देखो, जैसे मैं अपने बेटे-बहू से नहीं कह पाया कि मेरे बड़े से कमरे में मुझे अकेलापन लगता है.
नलिनी-उपेन्द्र ने इस घर का सबसे अच्छा कमरा मुझे दिया. इतने प्यार से सजाया-संवारा, पर सच कहूं तो कमरे से बरामदे और लॉन के बीच की दूरी के चलते आलसवश टहलना छूट गया.”
“अरे, तो ये बात पहले क्यों नहीं कही पापाजी?”
नलिनी के कहने पर पापाजी भावुक होकर बोले, “संकोचवश न कह पाया. कैसे कहता बेटी, जिस कमरे के परदे के सेलेक्शन के लिए तुम दस दुकानें घूमी हो, जिसके डेकोर के लिए तुम घंटों नेट के सामने बैठी हो, उस कमरे के लिए कैसे कह देता कि मुझे यहां नहीं रहना है. तू तो मेरी प्यारी बहू है, पर तेरी बहू तो मेरी मां बन गई. वह तो सीधे ही बोली, ‘दादाजी, आप दिनभर कमरे में क्यों बैठे रहते हैं. आलस छोड़िए, बैठे-बैठे घुटने और ख़राब हो जाएंगे.’ उसने मेरे कमरे से
कुर्सी-मेज़ निकलवाकर बरामदे में डलवा दिया. मैंने कहा कि लेटने के लिए कमरे तक जाना भारी पड़ता है, तो यह सुनकर तुम्हारी बहू बोली, ‘दादाजी जब तक सर्दी है, तब तक के लिए गेस्टरूम में शिफ्ट हो जाएं.’ मुझे भी सही लगा. आराम करने की तलब होने पर बरामदे और लॉन से गेस्टरूम आना सुविधाजनक था. गेस्टरूम से लॉन-बरामदा सब दिखता है. जब मन करता है बरामदे में टहल लेता हूं... जब इच्छा हो, लॉन में पेड़-पौधे, फूल-पत्तियां देख लेता हूं... किराएदार के बच्चे खेलते हैं, तो उनकी आवाज़ मन में ऊर्जा भर देती है. किराएदार के बच्चे नीचे खेलने आते हैं, तो दो बातें उनसे भी कर लेता हूं... छोटावाला तो रोज़ नियम से शाम छह बजे लूडो ले आता है. बुरा न मानना बेटी, ये कमरा छोटा ज़रूर है, पर इसमें पूर्णता का एहसास है. चलने-फिरने  में गिरने का डर नहीं रहता  है. आसपास खिड़की-दरवाज़े, मेज़-कुर्सी का सहारा है. छड़ी की ज़रूरत नहीं.”
“अरे वाह! मम्मीजी आ गईं...” सहसा स्वरा का प्रफुल्लित स्वर गूंजा. पैर छूते हुए वह चहकी, “अरे, बताया नहीं कि आप आ रहे हैं. पता होता तो आज हम हॉस्पिटल न जाते.”
नलिनी चुप रही, तो पापाजी बोले, “तुम्हारी मम्मी तुम्हें सरप्राइज़ देना चाहती थीं.”
स्वरा चहकते हुए बोली, “आज सरप्राइज़ का दिन है क्या...? मम्मीजी पता है दादाजी की सारी रिपोर्ट्स नॉर्मल आई हैं.”
“देख लो, मेरी सैर रंग लाई.”
पापाजी के कहने पर स्वरा बोली, “मम्मीजी, बड़े जोड़-तोड़ किए दादाजी को टहलाने के लिए... रोज़ ��म कहते टहलने को, तो दादाजी आज-कल कहकर टाल देते और अपने कमरे में बंद रजाई ओढ़े ठिठुरते रहते थे. बस, एक दिन इलाज निकाला पापाजी की रजाई और दीवान कमरे से हटाकर यहां डाल दी. अब प्यासे को कुएं के पास तो जाना ही था. इस कमरे के पास बरामदा होने से इनका अड्डा यहीं जमने लगा है. बरामदे और लॉन की पूरी धूप वसूलते हैं.” स्वरा हंस रही थी, पापाजी मुस्करा रहे थे, पर नलिनी मौन थी. उसे गंभीर देखकर स्वरा की हंसी थम गई.
यहभीपढ़े: अंग्रेज़ी बोलना सीखेंः रोज़ाना काम आनेवाले 40 सामान्य वाक्य अंग्रेज़ी में (40 Useful Sentences In English)
वह कान पकड़ते हुए बोली, “सॉरी मम्मी, नील ने पहले ही कहा था कि मेरी हरकत पर मुझे ख़ूब डांट पड़नेवाली है. सोचा था जब आप आएंगी, तब तक जनवरी की कड़ाके की सर्दी निकल जाएगी. आपके आने से पहले सारी व्यवस्था पहले जैसी कर दूंगी. पर आप तो बिना बताए आ गईं और मेरी ख़ुराफ़ात पकड़ी गई.”
यह सुनकर नलिनी गंभीरता से बोली, “बताकर आती, तो मूल्यांकन कैसे करती.”
“किस बात का?” स्वरा ने अचरज से पूछा, तो नलिनी बोली, “सिक्के के दूसरे पहलू का मूल्यांकन... सिक्के का एक पहलू सही तस्वीर नहीं दिखाता है ये आज जान लिया. अपने जीवन में मैंने कई बुज़ुर्गों को उपेक्षित जीवन जीते देखा है. जब घर बनवाया, तभी सोच लिया था कि पापाजी को सबसे बड़ा, सुंदर और आरामदायक कमरा देंगे, पर इस चक्कर में हमने पापाजी को कमरे से ही बांध दिया. साथ ही अकेलेपन से भी. इसका तोड़ निकालना पड़ेगा. सर्दी तक तो यहां ठीक है,  पर गर्मियों में पुराने कमरे में रहेंगे पापाजी. पापाजी के पुराने कमरे में लाइब्रेरी शिफ्ट करके एक छोटा-सा सोफा और क्वीन साइज़ बेड लगा देंगे. आने-जानेवाले पापाजी के कमरे में बैठेंगे, ताकि वहां रौनक़ भी रहे और बड़ा कमरा छोटा भी लगे और पापाजी का दिल भी लगा रहे.”
“अरे वाह! मम्मीजी, ये तो और भी बढ़िया आइडिया है. वैसे दादाजी दिन में यहां और रात को वहां सो सकते हैं.”
“ये लो जी, एक और आइडिया.” उपेन्द्र हंसकर बोले, तो पापाजी बनावटी दुख के साथ कहने लगे, “इसका मतलब है कि मुझे दोनों कमरों की देखभाल करनी होगी.”
स्वरा हंसकर बोली, “और नहीं तो क्या. इसी बहाने आपका एक कमरे से दूसरे तक चलना-फिरना तो होगा. कम से कम ये तो नहीं कहेंगे, हाय मेरा घुटना जाम हो गया.” अपनी नकल करती स्वरा को देख पापाजी मुस्कुराकर बोले, “नलिनी, तेरी बहू बहुत शरारती है.”
यह सुनकर नलिनी तपाक से बोली, “मेरी बहू नहीं पापाजी, आपकी मां...” सब हंसने लगे.
इस बीच किराएदार के बच्चों की गेंद बरामदे में आ गई, जो पापाजी दो कदम चलने से कतराते थे, वह बच्चों की गेंद उठाने के लिए लॉन की ओर बढ़ रहे थे. नलिनी-उपेन्द्र के लिए यह दृश्य सुखद था.
“आंटीजी, आप चाय पियेंगी?” स्वरा ने पड़ोसन से प���छा, तो वह ‘घर में काम बहुत है’ कहते हुए उठ गई. शायद उन्हें भी सिक्के के दूसरे पहलू का भान हो गया था. जाती हुई पड़ोसन को नलिनी ने नहीं रोका, उसका ध्यान तो पापाजी की ओर था... जो खिलखिलाते चेहरे के साथ गेंद बच्चों की ओर उछाल रहे थे.
    मीनू त्रिपाठी
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merisahelimagazine · 4 years ago
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भगवान शिव के 108 नाम और उनका अर्थ (108 Names Of Lord Shiva With Meanings)
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भगवान शिव के 108 नाम और उनका अर्थ जानना हर शिवभक्त के लिए ज़रूरी है. देवों के देव महादेव के अनेक रूप हैं और उनके हर रूप का अलग नाम है. सोमवार के दिन जब भगवान शिव की उपासना करें, तो शिव के 108 नाम जरूर जपें. भगवान शिव के 108 नाम जपने से पहले आपको यदि उनके हर नाम का अर्थ पता हो, तो आप भगवान शिव के हर रूप को भलीभांति समझ सकेंगे. हर शिवभक्त को भगवान शिव के 108 नाम और उनका अर्थ मालूम होना ही चाहिए इसलिए हम आपको बता रहे हैं भगवान शिव के 108 नाम और उनका अर्थ.
भगवान शिव के 108 नाम और उनका अर्थ
1. शिव - कल्याण स्वरूप 2. महेश्वर - माया के अधीश्वर 3. शम्भू - आनंद स्वरूप वाले 4. पिनाकी - पिनाक धनुष धारण करने वाले 5. शशिशेखर - चंद्रमा धारण करने वाले 6. वामदेव - अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले 7. विरूपाक्ष - विचित्र अथवा तीन आंख वाले 8. कपर्दी - जटा धारण करने वाले 9. नीललोहित - नीले और ल���ल रंग वाले 10. शंकर - सबका कल्याण करने वाले 11. शूलपाणी - हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले 12. खटवांगी - खटिया का एक पाया रखने वाले 13. विष्णुवल्लभ - भगवान विष्णु के अति प्रिय 14. शिपिविष्ट - सितुहा में प्रवेश करने वाले 15. अंबिकानाथ - देवी भगवती के पति 16. श्रीकण्ठ - सुंदर कण्ठ वाले 17. भक्तवत्सल - भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले 18. भव - संसार के रूप में प्रकट होने वाले 19. शर्व - कष्टों को नष्ट करने वाले 20. त्रिलोकेश - तीनों लोकों के स्वामी 21. शितिकण्ठ - सफेद कण्ठ वाले 22. शिवाप्रिय - पार्वती के प्रिय 23. उग्र - अत्यंत उग्र रूप वाले 24. कपाली - कपाल धारण करने वाले 25. कामारी - कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले 26. सुरसूदन - अंधक दैत्य को मारने वाले 27. गंगाधर - गंगा को जटाओं में धारण करने वाले 28. ललाटाक्ष - माथे पर आंख धारण किए हुए 29. महाकाल - कालों के भी काल 30. कृपानिधि - करुणा की खान 31. भीम - भयंकर या रुद्र रूप वाले 32. परशुहस्त - हाथ में फरसा धारण करने वाले 33. मृगपाणी - हाथ में हिरण धारण करने वाले 34. जटाधर - जटा रखने वाले 35. कैलाशवासी - कैलाश पर निवास करने वाले 36. कवची - कवच धारण करने वाले 37. कठोर - अत्यंत मजबूत देह वाले 38. त्रिपुरांतक - त्रिपुरासुर का विनाश करने वाले 39. वृषांक - बैल-चिह्न की ध्वजा वाले 40. वृषभारूढ़ - बैल पर सवार होने वाले 41. भस्मोद्धूलितविग्रह - भस्म लगाने वाले 42. सामप्रिय - सामगान से प्रेम करने वाले 43. स्वरमयी - सातों स्वरों में निवास करने वाले 44. त्रयीमूर्ति - वेद रूपी विग्रह करने वाले 45. अनीश्वर - जो स्वयं ही सबके स्वामी है 46. सर्वज्ञ - सब कुछ जानने वाले 47. परमात्मा - सब आत्माओं में सर्वोच्च 48. सोमसूर्याग्निलोचन - चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले 49. हवि - आहुति रूपी द्रव्य वाले 50. यज्ञमय - यज्ञ स्वरूप वाले 51. सोम - उमा के सहित रूप वाले 52. पंचवक्त्र - पांच मुख वाले 53. सदाशिव - नित्य कल्याण रूप वाले 54. विश्वेश्वर - विश्व के ईश्वर 55. वीरभद्र - वीर तथा शांत स्वरूप वाले 56. गणनाथ - गणों के स्वामी 57. प्रजापति - प्रजा का पालन- पोषण करने वाले 58. हिरण्यरेता - स्वर्ण तेज वाले 59. दुर्धुर्ष - किसी से न हारने वाले 60. गिरीश - पर्वतों के स्वामी 61. गिरिश्वर - कैलाश पर्वत पर रहने वाले 62. अनघ - पापरहित या पुण्य आत्मा 63. भुजंगभूषण - सांपों व नागों के आभूषण धारण करने वाले 64. भर्ग - पापों का नाश करने वाले 65. गिरिधन्वा - मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले 66. गिरिप्रिय - पर्वत को प्रेम करने वाले 67. कृत्ति��ासा - गजचर्म पहनने वाले 68. पुराराति - पुरों का नाश करने वाले 69. भगवान् - सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न 70. प्रमथाधिप - प्रथम गणों के अधिपति 71. मृत्युंजय - मृत्यु को जीतने वाले 72. सूक्ष्मतनु - सूक्ष्म शरीर वाले 73. जगद्व्यापी - जगत में व्याप्त होकर रहने वाले 74. जगद्गुरू - जगत के गुरु 75. व्योमकेश - आकाश रूपी बाल वाले 76. महासेनजनक - कार्तिकेय के पिता 77. चारुविक्रम - सुन्दर पराक्रम वाले 78. रूद्र - उग्र रूप वाले 79. भूतपति - भूतप्रेत व पंचभूतों के स्वामी 80. स्थाणु - स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले 81. अहिर्बुध्न्य - कुण्डलिनी- धारण करने वाले 82. दिगम्बर - नग्न, आकाश रूपी वस्त्र वाले 83. अष्टमूर्ति - आठ रूप वाले 84. अनेकात्मा - अनेक आत्मा वाले 85. सात्त्विक - सत्व गुण वाले 86. शुद्धविग्रह - दिव्यमूर्ति वाले 87. शाश्वत - नित्य रहने वाले 88. खण्डपरशु - टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले 89. अज - जन्म रहित 90. पाशविमोचन - बंधन से छुड़ाने वाले 91. मृड - सुखस्वरूप वाले 92. पशुपति - पशुओं के स्वामी 93. देव - स्वयं प्रकाश रूप 94. महादेव - देवों के देव 95. अव्यय - खर्च होने पर भी न घटने वाले 96. हरि - विष्णु समरूपी 97. पूषदन्तभित् - पूषा के दांत उखाड़ने वाले 98. अव्यग्र - व्यथित न होने वाले 99. दक्षाध्वरहर - दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले 100. हर - पापों को हरने वाले 101. भगनेत्रभिद् - भग देवता की आंख फोड़ने वाले 102. अव्यक्त - इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले 103. सहस्राक्ष - अनंत आँख वाले 104. सहस्रपाद - अनंत पैर वाले 105. अपवर्गप्रद - मोक्ष देने वाले 106. अनंत - देशकाल वस्तु रूपी परिच्छेद से रहित 107. तारक - तारने वाले 108. परमेश्वर - प्रथम ईश्वर
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merisahelimagazine · 4 years ago
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ब्लड प्रेशर से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई (Myths And Facts About Blood Pressure)
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हाइपरटेंशन (Hypertension) यानी हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), बदलते लाइफस्टाइल के चलते होने वाली एक आम स्वास्थ्य समस्या है. हालांकि अधिकांश लोग इस बात से बेख़बर होते हैं कि वो ब्लड प्रेशर से संबंधित बीमारी की गिरफ़्त में हैं. चूंकि इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं, इसलिए इस रोग को साइलेंट किलर भी कहा जाता है. आंकड़ों के मुताबिक़, दुनिया में हर तीसरा व्यक्ति इस बीमारी से ग्रसित है. हालांकि कई लोग इस रोग से जुड़ी कुछ भ्रांतियों को सच मानकर टेंशन में आ जाते हैं, तो चलिए जानते हैं ब्लड प्रेशर से जुड़ी 10 भ्रांतियां और उनकी वास्तविकता.
भ्रम- अगर ब्लड प्रेशर कम हो जाए, तो नमक खाने से वह नॉर्मल हो जाता है. सच- अगर आप यह सोचते हैं कि ब्लड प्रेशर कम होने पर नमक खाने से वह नॉर्मल हो जाता है, तो आपकी यह धारणा बिल्कुल ग़लत है. ब्लड प्रेशर कम है या ज़्यादा यह हम ख़ुद तय नहीं कर सकते. इसके बारे में हमें सही जानकारी स़िर्फ डॉक्टर ही दे सकता है. हालांकि जिन लोगों का ब्लड प्रेशर ज़्यादा रहता है, उन्हें कम नमक खाना चाहिए.
भ्रम- ब्लड प्रेशर कम हो जाने पर दवाइयों का सेवन बंद कर देना चाहिए. सच-ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है जो जीवनभर व्यक्ति का पीछा नहीं छोड़ती. इससे पूरी तरह से निजात पाना नामुमक़िन है, लेकिन इसे कंट्रोल किया जा सकता है. इसलिए अगर दवाइयों के सेवन से ब्लड प्रेशर कम हो गया हो, तब भी दवाइयां बंद नहीं करनी चाहिए. ऐसी स्थिति में डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए.
भ्रम- वाइन दिल के लिए सेहतमंद होती है, इसलिए अत्यधिक मात्रा मंें इसका सेवन करने पर भी यह नुकसान नहीं पहुंचाती. सच-वाइन फ़ायदा तभी पहुंचाती है, जब इसका सेवन सीमित मात्रा में किया जाए. ख़ासकर जिन लोगों को हाइपरटेंशन की समस्या है उन लोगों को अल्कोहल का सेवन करने से बचना चाहिए या फिर बहुत सीमित मात्रा में पीना चाहिए. ऐसे लोग अगर ज़्यादा शराब पीते हैं तो उन्हें हार्ट फेल, स्ट्रोक, अनियमित हार्टबीट जैसी समस्याएं हो सकत�� हैं.
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भ्रम- हाई ब्लड प्रेशर ज़िंदगी भर ठीक नहीं हो सकता. सच-हां, यह सच है कि ब्लड प्रेशर ज़िंदगी भर व्यक्ति के साथ रहता है, लेकिन हेल्दी लाइफस्टाइल की मदद से इस समस्या को काफ़ी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. इसे कंट्रोल करने के लिए हेल्दी डायट लें, वेट कंट्रोल करें व खाने में कम नमक का इस्तेमाल करें. इसके अलावा शराब और सिगरेट से परहेज़ करें.
भ्रम-जब ब्लड प्रेशर हाई होता है तो सिरदर्द होता है. सच-यह धारणा बिल्कुल ग़लत है, क्योंकि सिरदर्द से ये पता नहीं चलता कि ब्लड प्रेशर बढ़ गया है, लेकिन यह सच है कि अगर आपको किसी तरह का दर्द महसूस होता है, तो इससे हार्ट रेट बढ़ जाती है.
भ्रम-हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों को केला नहीं खाना चाहिए. सच-यह बिल्कुल भी सच नहीं है कि ब्लड प्रेशर के मरीज़ केला नहीं खा सकते. सच्चाई तो यह है कि अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर है तो आपको केले का सेवन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि केला ब्लड प्रेशर के स्तर को कम करने में मदद करता है.
भ्रम-शरीर में किसी तरह की परेशानी या बीमारी महसूस नहीं होने का अर्थ यह है कि आपको ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं है. सच-अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो यह ग़लत है, क्योंकि हाई ब्लड प्रेशर होने पर शरीर में तुरंत किसी तरह की परेशानी महसूस नहीं होती है. यह रोग धीरे-धीरे शरीर के अंगों को नुक़सान पहुंचाना शुरू करता है और आगे चलकर यह हार्ट व किडनी फेल होने के अलावा हार्ट स्ट्रोक जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है.
भ्रम-एक्सरसाइज़ व डायट से बीपी कंट्रोल हो जाए तो इससे डरने की ज़रूरत नहीं है. सच-वेट कंट्रोल, हेल्दी डायट और एक्सरसाइज़ की मदद से हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह समस्या जड़ से ख़त्म हो गई है. यह समस्या कंट्रोल में रहे इसके लिए अनुशासित जीवनशैली का पालन करने के साथ समय-समय पर बीपी चेक करवाना आवश्यक है.
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भ्रम- हाई ब्लड प्रेशर के मरीज़ रक्तदान नहीं कर सकते. सच-हाई ब्लड प्रेशर के मरीज़ भी रक्तदान कर सकते हैं, बशर्ते रक्तदान के समय आपका बीपी 180 सिस्टोलिक से कम और 100 डायस्टोलिक तक होना चाहिए. बीपी की गोलियों का रक्तदान से कोई संबंध नहीं है, लेकिन हां, सर्दी-ज़ुकाम, पेट की समस्या या एंटीबायोटिक्स लेते समय रक्तदान करने से बचें.
भ्रम-गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर होना आम है, इससे कोई गंभीर समस्या नहीं होती. सच- गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर की संभावना उन महिलाओं में अधिक होती है, जिन्हें पहले से हाई बीपी की समस्या होती है. ज़्यादातर मामलों में गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर ज़्यादा होना परेशानी पैदा नहीं करता, जबकि कुछ मामलों में यह विकासशील भ्रूण और मां के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकता है.
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merisahelimagazine · 4 years ago
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मॉनसून में ऐसे करें त्वचा की देखभाल (Quick And Easy Monsoon Skin Care Tips)
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बदलते मौसम का असर हर चीज़ पर पड़ता है और यह असर हमारी स्किन (Skin) पर सबसे ज़्यादा पड़ता है, क्योंकि स्किन सबसे ज़्यादा सेंसिटिव होती है और सबसे पहले वातावरण के संपर्क में भी वही आती है. ऐसे में आपको ज़रूरत होती है एक्स्ट्रा केयर की. बारिश के मौसम में भी आपको अपनी स्किन का ख़ास ख़्याल रखना होगा, जिसके लिए हम दे रहे हैं ख़ास टिप्स (Tips), जो आपकी मदद करेंगे.
मॉनसून स्किन केयर के जनरल टिप्स
1) मॉनसून में दिन में तीन बार चेहरा क्लीन करें, क्योंकि इस मौसम में त्वचा चिपचिपी हो जाती है, इसलिए अतिरिक्त ऑयल व धूल को हटाने के लिए क्लींज़िंग रूटीन बदलें. 2) टोनर ज़रूर यूज़ करें, वो भी अल्कोहल फ्री टोनर, ताकि स्किन का पीएच बैलेंस बना रहे. 3) स्किन को मॉइश्‍चराइज़ ज़रूर करें. 4) बारिश के मौसम में भी बाहर जाते समय सनस्क्रीन का इस्तेमाल ज़रूर करें. 5) इस सीज़न में रेग्युलर एक्सफोलिएट करें, ताकि डेड स्किन सेल्स हट जाएं और पिंपल्स की परेशानी न हो. बेहतर होगा आप माइल्ड स्क्रब यूज़ करें. 6) केमिकल्स का प्रयोग अवॉइड करें. ब्लीचिंग और फेशियल इस मौसम में न करवाएं. 7) स्टीम लें. यह भी स्किन को हेल्दी रखेगी. 8) क्ले मास्क भी लगा सकते हैं. यह अतिरिक्त ऑयल को निकाल देगा. 9) नींबू को काटकर चेहरे पर रगड़ें या नींबू का रस अप्लाई करें. 10) गुल��बजल भी अप्लाई कर सकते हैं. 11) हाइड्रेटेड रहें. पानी भरपूर पीएं और हेल्दी डायट लें.
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मॉनसून फेस पैक्स से निखारें चेहरे की रंगत
1) एक टेबलस्पून मुल्तानी मिट्टी और गुलाबजल को मिलाकर पैक बना लें. चेहरे व गर्दन पर लगाएं. सूखने पर धो लें. 2) पुदीने के पत्तों को पीस लें. आधा पका हुआ केला मैश करें. इसमें पुदीने के पत्ते मिलाकर चेहरे पर लगाएं. 10 मिनट बाद धो लें. 3) दो टेबलस्पून चंदन पाउडर में गुलाबजल मिलाएं. इसमें एक टेबलस्पून हल्दी पाउडर मिक्स करें. इस पैक को 20-30 मिनट तक लगाकर रखें, फिर धो लें. 4) एक टेबलस्पून बेसन, चुटकीभर हल्दी पाउडर, 2-3 बूंदें नींबू का रस और दो टीस्पून गुलाबजल- सबको मिलाकर पेस्ट तैयार करें. अप्लाई करें और सूखने पर धो लें. 5) दो-दो टेबलस्पून जोजोबा ऑयल और दही, एक टेबलस्पून शहद बाउल में मिला लें. इस पैक को 10-15 मिनट लगाकर रखें, फिर माइल्ड फेस वॉश से धो लें. 6) आलू को कद्दूकस करके उसका रस निकाल लें. इसमें दो टीस्पून नींबू का रस और थोड़ा गुलाबजल मिलाएं. इसे चेहरे व गर्दन पर अप्लाई करें. आधे घंटे बाद धो लें. 7) कुकुंबर के रस में गुलाबजल मिलाकर फ्रिज में रखें और ठंडा होने पर इसे अप्लाई करें. 8) केले में वेजीटेबल ऑयल मिलाकर मैश करें. इसे अप्लाई करें और सूखने पर धो लें. 9) चार-पांच स्ट्रॉबेरीज़ (मैश की हुई), एक टीस्पून ब्रैंडी, दो टीस्पून बे्रड क्रम्ब्स, एक टीस्पून मुल्तानी मिट्टी और कुछ बूंदें गुलाबजल- सबको मिला लें. 20 मिनट तक चेहरे पर लगाकर रखें, फिर धो लें. 10) एक अंडे के स़फेद भाग में एक टीस्पून शहद मिलाएं. चेहरे पर लगाएं. सूखने पर धो लें.
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11) शुगर और ऑलिव ऑयल मिक्स करें. चेहरे पर मसाज करते हुए अप्लाई करें. यह एक्सफोलिएट करेगा. 20 मिनट बाद धो लें. 12) हल्दी पाउडर, चंदन पाउडर और गुलाबजल का पेस्ट बनाकर अप्लाई करें. सूखने पर धो लें. 13) फ्रूट पैक बनाएं- केला, सेब, पीच, स्ट्रॉबेरीज़ या अपनी पसंद का कोई भी फ्रूट लें और सबको मैश करके शहद व गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बना लें. चाहें तो दूध भी मिला सकते हैं. 15-20 मिनट तक इसे चेहरे पर लगाकर रखें, फिर धो लें. 14) दो टेबलस्पून चावल का आटा और दही- दोनों को मिलाकर पेस्ट तैयार करें. 10 मिनट तक चेहरे पर लगाकर रखें और धोते समय स्क्रब करते हुए धोएं. 15) पपीते का पल्प और एक टीस्पून शहद मिक्स करें. चेहरे और गर्दन पर 15 मिनट तक लगाकर रखें, फिर धो लें. 16) एक कप गुलाब की पत्तियां, 1-1 टेबलस्पून दही व शहद. गुलाब की पत्तियों को पानी में भिगोकर पीस लें. शहद व दही मिलाकर पेस्ट बना लें. इसे 10-15 मिनट तक चेहरे पर लगाकर रखें, फिर धो लें. 17) टमाटर के पल्प को मैश करके चेहरे पर मसाज करते हुए अप्लाई करें. सूखने पर धो लें. 18) एक टीस्पून एलोवीरा पल्प में एक टेबलस्पून दही मिलाएं. 15-20 मिनट तक इस पैक को चेहरे पर लगाकर रखें, फिर धो लें. - विजयलक्ष्मी
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merisahelimagazine · 4 years ago
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सीखें ब्यूटी रूटीन के 5 नियम (5 Basic Skincare Rules Everyone Should Know)
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यह सच है कि हम सभी ख़ूबसूरत नज़र आना चाहते हैं, लेकिन ब्यूटी से जुड़ी छोटी-छोटी बातों को हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं. बेहतर होगा कि इन 5 ब्यूटी बेसिक्स पर ध्यान दें और अपना ब्यूटी रूटीन परफेक्ट बनाएं.
1) सॉफ्ट-स्मूद स्किन के लिए पानी से स्किन के नेचुरल ऑयल्स धुल जाते हैं. ऐसे में स्किन की नमी बरक़रार रखने के लिए नहाने के बाद स्किन पर मॉइश्‍चराइज़िंग क्रीम या लोशन ज़रूर लगाएं.
2) ऑयली स्किन के लिए चेहरे से एक्स्ट्रा ऑयल हटाने के लिए ब्लॉटिंग पेपर का इस्तेमाल करें. ब्लॉटिंग पेपर सारा एक्स्ट्रा ऑयल सोख लेता है, साथ ही ऑयल सेक्रिशन को भी कम करता है.
3) प्राइमर का सही इस्तेमाल प्राइमर भले ही मेकअप को लॉक करने में मदद करता है, लेकिन जिन हिस्सों पर कलर या मेकअप अप्लाई नहीं करना है, वहां प्राइमर का ज़्यादा इस्तेमाल करेंगी, तो पूरा ध्यान प्राइमर पर ही जाएगा और आपका लुक बेहतर होने की बजाय ख़राब हो सकता है, क्योंकि मेकअप शेड्स के मुकाबले प्राइमर का टोन अधिक ब्राइट होता है.
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4) सेक्��ी लिप्स के लिए ���गर आपके होंठ पतले हैं, तो उन्हें फुल और सेक्सी लुक देने के लिए यह ट्रिक ट्राई करें- न्यूट्रल टोन की लिप लाइनर पेंसिल से लिप्स की नेचुरल लाइन से बाहर लाइन ड्रॉ करें. उसके बाद लिपस्टिक अप्लाई करें. चाहें तो लिपग्लॉस अप्लाई करें या फिर ग्लॉस का एक डॉट सेंटर में लगाएं.
5) ब्लशर के बहुत ज़्यादा इस्तेमाल से बचें बहुत ज़्यादा ब्लशऑन करेंगी, तो आर्टिफिशियल लुक मिलेगा. ब्लश हमेशा ही सोच-समझकर लगाएं. दो उंगलियों जितनी चौड़ाई रखें, नाक से दूर और स़िर्फ गालों के उभार पर ही अप्लाई करें.
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स्मार्ट टिप: स्किन को डेली एक्सफॉलिएट करें आपकी स्किन रोज़ धूल-मिट्टी के संपर्क में आती है, तो रोज़ाना एक्सफॉलिएट करना भी ज़रूरी है. लेकिन यह बहुत ही माइल्ड होना चाहिए. इससे डेड स्किन निकल जाती है और इंस्टेंट फ्रेशनेस आती है.
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merisahelimagazine · 4 years ago
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क्रोध (गुस्से) पर नियंत्रण के 5 आसान उपाय (How To Control Your Anger)
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गुस्सा (Anger) आना सामान्य व्यवहार है, लेकिन जब किसी को बात-बात पर गुस्सा आए तो ये सामान्य बात नहीं है. गुस्सैल लोगों से सब दूर ही रहना चाहते हैं, क्योंकि ऐसे लोग गुस्से में कुछ भी बोल देते हैं, जिससे माहौल बिगड़ जाता है. गुस्सैल लोग दूसरों का कम और अपना नुकसान ज़्यादा करते हैं. यदि आपको भी बात-बात पर गुस्सा आता है, तो आपको गुस्से को काबू करने के ये 5 उपाय ज़रूर जानने चाहिए.
गुस्सैल लोगों को होते हैं ये 5 नुकसान 1) आपका गुस्सा सबसे पहले आपके स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है. गुस्से से तनाव बढ़ता है और तनाव से कई स्वास्थ्य समस्याएं शुरू हो जाती हैं. अत: गुस्सैल स्वभाव के लोगों को अपने स्वास्थ्य का ख़ास ध्यान रखना चाहिए. 2) गुस्से के कारण आपकी छवि ख़राब हो सकती है. लोग आप पर विश्‍वास कम करते हैं, क्योंकि उन्हें हमेशा इस बात का डर लगा रहता है कि गुस्से में कहीं आप बना बनाया काम न बिगाड़ दें. 3) गुस्से के कारण आप अपनों को खो सकते हैं. गुस्से में आपको समझ नहीं आता कि आप क्या कह रहे हैं, लेकिन ऐसा करके आप कई बार अपनों का दिल दुखाते हैं, जिससे वो आपसे दूर होते चले जाते हैं. 4) अपने गुस्सैल स्वभाव के कारण आप अपने अच्छे दोस्त भी खो सकते हैं. 5) यदि आपको बात-बात पर गुस्सा आता है और आप गुस्से में किसी को कुछ भी बोल देते हैं, तो लोग आपसे बात करने से कतराने लगते हैं. ऐसे में आप अपना सम्मान खो सकते हैं और अकेलेपन के शिकार भी हो सकते हैं.
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गुस्से से बचने के 5 कारगर उपाय 1) आवेश में आकर कुछ भी बोलने से पहले सोचें कि क्या आपको ऐसा करने की ज़रूरत है. ऐसा करके आप कई ग़लतियों से बच सकते हैं. यदि गुस्से पर काबू नहीं कर पा रहे हैं तो मन ही मन दस से लेकर एक तक उल्टी गिनती गिनें. ऐसा करने से आपका ध्यान बंट जाएगा और आपका गुस्सा शांत हो जाएगा. 2) नियमित रूप से योग व मेडिटेशन करें, ऐसा करने से आप अपने गुस्से पर नियंत्रण कर पाएंगे. साथ ही सात्विक भोजन करें, ऐसा भोजन करने से गुस्सा कम आता है. 3) हमेशा हंसते-मुस्कुराते रहें, इससे आप अच्छा महसूस करेंगे और आपको गुस्सा कम आएगा. 4) ख़ुद को काम में व्यस्त रखें, इससे आप जल्दी थक जाएंगे और आपको गुस्सा कम आएगा. 5) अपने शौक के लिए समय निकालें. जब आप अपना मनपसंद काम करेंगे, तो आप ख़ुश रहेंगे और आपको गुस्सा कम आएगा.
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merisahelimagazine · 4 years ago
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पढ़ाई में न लगे बच्चे का मन तो करें ये 11 उपाय (11 Ways To Increase Concentration Power In Kids)
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आजकल पढ़ाई के बढ़ते दबाव और टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रभाव के कारण बच्चे पढ़ाई से जी चुराने लगे हैं या फिर उनका मन पढ़ाई में लगता ही नहीं है. अधिकतर पैरेंट्स बच्चों की इस आदत से परेशान हैं. पढ़ाई के ये तरी़के अपनाकर आप इस परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं.
1. पढ़ाई के लिए सही जगह चुनें कुछ बच्चे स्वभाव से बहुत चंचल होते हैं. पढ़ाई करते समय उन पर आसपास के वातावरण का बहुत असर पड़ता है, जिसकी वजह से उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता है. बच्चे की पढ़ाई के लिए घर का वह कमरा चुनें, जहां पर शांति हो, शोर-शराबा बिल्कुल न हो. बैठने के लिए मेज़-कुर्सी और कॉपी-किताबें सही ढंग से सही क्रम में लगी हुई हों. उसका कमरा पूरी तरह से व्यवस्थित होना चाहिए, ताकि बच्चे का ध्यान इधर-उधर भटकने की बजाय अपनी पढ़ाई पर केंद्रित हो.
2. रोज़ाना स्टडी कराएं बच्चे का मन पढ़ाई में लगाने के लिए ज़रूरी है कि उसे रोज़ाना एक तय समय पर पढ़ाया जाए. नियमित रूप से पढ़ाई करने की योजना बनाएं. स्कूल की तरह घर में भी पढ़ाई का टाइम टेबल बनाएं. टाइम टेबल ऐसा होना चाहिए कि बच्चे को पढ़ाई उबाऊ न लगे.
3. धीरे-धीरे पढ़ने का समय बढ़ाएं चंचल स्वभाव होने के कारण बच्चों को पढ़ने के लिए बिठाना आसान नहीं होता है. अगर वे बैठ भी जाएं, तो उनमें एकाग्रता का अभाव होता है. उनकी एकाग्रता बढ़ाने और स्टडीज़ को रोचक बनाने के लिए शुरुआत में स्टडीज़ का समय कम रखें, लेकिन धीरे-धीरे समय बढ़ाएं. नियमित रूप से पढ़ाई करने पर एकाग्रता बढ़ने लगेगी और मन भी पढ़ाई में लगने लगेगा.
4. पर्याप्त नींद लें बच्चे के लिए जितना ज़रूरी समय पर पढ़ना, खेलना और भोजन करना है, उतना ही ज़रूरी पर्याप्त नींद लेना भी है. नींद पूरी होने पर वह पूरी एकाग्रता के साथ पढ़ाई कर सकता है और चीज़ों को भी अच्छी तरह से याद रख सकता है.
5. समय पर पढ़ने की आदत डालें पढ़ाई ही नहीं, बच्चे को हर काम समय पर करने की आदत डालें. शुरुआत में बच्चे को थोड़ा मुश्किल लगेगा, लेकिन धीरे-धीरे उसको आदत हो जाएगी. उसे समझाएं कि पढ़ाई ��ो टालने से पढ़ाई का बोझ दिनोंदिन बढ़ता जाएगा और तनाव के कारण पढ़ाई में भी मन नहीं लगेगा.
6. क्यों ज़रूरी है पढ़ाई?
यदि बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है या फिर वह प़ढ़ने से कतरा रहा है, तो यह जानने की कोशिश करें कि वह ऐसा क्यों कर रहा है? हो सकता है कि उसका विज़न स्पष्ट नहीं हो? वह क्या करना चाहता है? पहले उसकी इस समस्या का हल ढूंढें. इसके अलावा उसे पढ़ाई का महत्व समझाएं. उसका लक्ष्य निर्धारित करने में उसकी मदद करें. एक बार वह लक्ष्य निर्धारित कर लेगा, तो उसे पढ़ाई का महत्व भी समझ में आने लगेगा.
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7. पूरी तैयारी के साथ पढ़ाई के लिए बैठें बच्चे को पढ़ाई के लिए कॉपी-किताबों और अन्य चीज़ों की ज़रूरत पड़ती है, उसे अपने साथ लेकर बैठें. बार-बार उठने से बच्चे का ध्यान भंग होगा. तैयारी के अंतर्गत एक अन्य बात यह भ��� आती है कि पढ़ाई शुरू करने से पहले यह तय करें कि आज क्या पढ़ना है, कितने चैप्टर ख़त्म करने हैं और कितने समय में, परीक्षा में किस तरह के प्रश्‍न आएंगे आदि बातों की तैयारी पहले से ही कर लें, वरना पढ़ाई के दौरान सारा समय यह तय करने में ही निकल जाएगा.
8. पढ़ाई करने के बाद बच्चे को रिवॉर्ड दे छोटे बच्चे को पढ़ाई के लिए बिठाना, उसे प्रोत्साहित करना पैरेंट्स के लिए थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन अगर उसे पढ़ाई के बदले कुछ ईनाम दिया जाए, तो वह ज़रूर आपकी बात मानेगा, पर बच्चे को बार-बार ईनाम की आदत न लगने दें.
9. खानपान का ध्यान रखें हेल्दी डायट लेने से तन-मन दोनों ही स्वस्थ रहते हैं, इसलिए बच्चे को ब्रेन बूस्टर फूड खिलाएं. ब्रेन बूस्टर फूड खाने से दिमाग़ न केवल तेज़ होता है, बल्कि पढ़ाई में भी मन लगता है. ऑयली, जंक और हैवी फूड खाने से आलस आता है और पढ़ाई में भी मन नहीं लगता.
10. योग-प्राणायाम बच्चे को नियमित रूप से कम-से-कम 30 मिनट तक योग-प्राणायाम ज़रूर कराएं.इनसे बच्चे में एकाग्रता बढ़ती है. पूरे दिन बच्चा एनर्जेटिक रहता है. आरंभ में योग करने का समय कम रखें, फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं.
11. ध्यान भटकानेवाली चीज़ों को दूर रखें टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रभाव से बड़े तो क्या, बच्चे भी अछूते नहीं हैं. टीवी, स्मार्टफोन, टैबलेट, कंप्यूटर, लैपटॉप, रिमोट कंट्रोल गेम और सोशल मीडिया बच्चों के ध्यान में खलल डालते हैं, एकाग्रता को भंग करते हैं. यदि पैरेंट्स चाहते हैं कि बच्चे का मन अधिक समय तक पढ़ाई में लगे, तो उसे इन चीज़ों से दूर रखें.
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- पूनम कोठारी
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merisahelimagazine · 4 years ago
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कहानी- सफ़र (Short Story- Safar)
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“अपने से कमतर ओहदे और वेतनवाले जीवनसाथी के साथ हंसते-खेलते पूरी ज़िंदगी जी जा सकती है, लेकिन ऐसी कमतर सोचवाले इंसान के साथ एक-एक पल गुज़ारना भारी पड़ जाता है. इसलिए जब मेरे सम्मुख यह प्रस्ताव आया, तो मैंने बिना एक पल गंवाए तुरंत स्वीकार कर लिया.”
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की चकाचौंध देखते ही बन रही थी. मुझे ऑस्ट्रेलिया की फ्लाइट पकड़नी थी, पर इसके लिए अभी ढेर सारी औपचारिकताएं पूरी करनी थीं. घरेलू उड़ानें तो मैं कुछ भर चुका था, पर अंतर्राष्ट्रीय उड़ान का यह मेरा पहला अवसर था. किस काउंटर पर जाना है, क्या करना है... सोच ही रहा था कि मेरी नज़रें इन्क्वॉयरी काउंटर पर जा टिकीं. वहां एक आधुनिका को बैठे  देखकर मेरा आत्मविश्‍वास थोड़ा डगमगाने लगा. जो-जो प्रश्‍न पूछने थे, उनका मन ही मन अंग्रेज़ी में अनुवाद करने लगा. तसल्ली हो जाने पर मैंने क़दम उधर बढ़ाए ही थे कि दूर से मोबाइल पर बतियाती एक बाला को इधर आता देखकर मेरे क़दम ठिठक गए. यह तो स्वाति है, पहचानते ही मैंने तुरंत मुंह घुमा लिया.
ऊंची हील की सैंडल खटखटाती सधे क़दमों से आगे बढ़ती स्वाति ने मुझे नहीं देखा था. वह दनदनाती सीधे इन्क्वॉयरी काउंटर पर पहुंच गई थी. मोबाइल बंद कर उसने फ़र्राटेदार अंग्रेज़ी में उसी फ्लाइट के बारे में पूछना आरंभ कर दिया, जिसकी जानकारी मैं जुटाना चाह रहा था. मैं तुरंत उधर लपक लिया और ध्यान से सारी बातें सुनने लगा. स्वाति का ध्यान अब भी मेरी ओर नहीं था. वह अपने डॉक्यूमेंट्स चेक कराती एक के बा�� एक सवाल दागे जा रही थी. यही फ़र्क़ होता है अंग्रेज़ी में ही सोचकर बोलनेवालों और मुझ जैसों में. एयरकंडीशन हॉल में भी मुझे पसीने आ रहे थे. सारी जानकारी जुटाकर स्वाति मुड़ी, तो मुझे खड़ा देखकर बुरी तरह चौंक उठी.
“राहुल, तुम यहां क्या कर रहे हो?”
“म... मैं भी इसी फ्लाइट से ऑस्ट्रेलिया जा रहा हूं.”
“तो यहां क्यों खड़े हो? कुछ समस्या है? नहीं तो फिर आओ.”
“हं...हां.” मैं स्वाति के साथ हो लिया था. उसके साथ चलने में ही समझदारी है. कहीं कोई समस्या हुई, कुछ पूछना हुआ, तो यह संभाल लेगी. हर काउंटर पर चतुराई से लेडीज़ फर्स्ट की सभ्यता निभाते हुए मैं स्वाति को आगे करता रहा. औपचारिकताएं पूरी करते हमारा औपचारिक वार्तालाप भी चलता रहा. पता चला वह भी अपनी कंपनी के किसी प्रोजेक्ट के तहत ऑस्ट्रेलिया जा रही थी. वह पहले से भी ज़्यादा चुस्त, स्मार्ट और आत्मविश्‍वास से भरपूर नज़र आ रही थी. कोई भी लड़का उसे जीवनसंगिनी के रूप में पाकर ख़ुद को धन्य समझेगा. यह मैं क्या सोचने लगा.
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यदि ऐसा है तो फिर मैंने उसे क्यों ठुकरा दिया था? मेरी अंतरात्मा ने मुझसे अचानक सवाल किया, तो मैं बगलें झांकने लगा. मेरे मन का चोर, जिसे मैंने आज तक सबसे, यहां तक कि अपने घरवालों तक से छुपाकर रखा था, आज खुलकर सामने आकर मुझे ललकार रहा था. मैं जितना घबराकर उससे नज़रें चुराने का प्रयास करता, वह उतना ही सामने आकर मुझे ललकारने लगता. ख़ुद को उससे बचाने में सर्वथा असमर्थ पाकर अंततः मैंने उसके सम्मुख आत्मसमर्पण कर दिया. बह जाने दिया मन को अतीत के झंझावात के साथ.
हम दोनों के परिवार एक-दूसरे से परिचित थे. न केवल परिचित, वरन् मैत्री संबंध भी थे उनमें. इंजीनियरिंग की कोचिंग के दौरान मुझे स्वाति को और भी नज़दीक से जानने-पहचानने का मौक़ा मिला. मैं पढ़ने में अच्छा था, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि स्वाति मुझसे बेहतर थी. मैं अंतर्मुखी और झेंपू था. टीचर द्वारा पूछे सारे सवालों के जवाब मुझे आते तो थे, पर मैं कभी हाथ ऊपर नहीं कर पाता था. यदि कभी टीचर की पकड़ में आ भी जाता, तो जवाब देते वक़्त कहीं न कहीं लड़खड़ा जाता था. हालांकि लिखित टेस्ट के परिणामों में मैं अव्वल विद्��ार्थियों में शुमार था. दूसरी ओर स्वाति अपने बहिर्मुखी व्यक्तित्�� के कारण टीचर्स की पहली पसंद थी. अक्सर टीचर्स मुझे उसका उदाहरण देते हुए उसकी तरह आत्मविश्‍वासी और स्मार्ट होने की सीख देते, लेकिन इससे मैं और अधिक हीनभावना से घिर जाता. उससे नज़रें चुराता फिरता.
यदि किसी दिन उसका परिवार हमारे घर भोजन पर आमंत्रित होता या हमें वहां जाना होता, तो मैं पहले ही पढ़ाई का बहाना बनाकर अपने किसी दोस्त के यहां खिसक लेता. स्वाति मेरे बारे में क्या सोचती थी मुझे नहीं मालूम, पर जहां तक मैं समझता था उसे मेरी सोच की कभी परवाह नहीं रही. वह अपने में मस्त रहनेवाली बिंदास लड़की थी. वैसे भी उसके आगे-पीछे घूमनेवालों की कमी नहीं थी. उसे कहां ़फुर्सत थी यह देखने की कि कौन उसके लिए क्या सोचता है?
हम दोनों को ही अलग-अलग अच्छे कॉलेजों में प्रवेश मिल गया था. अपने-अपने परिवारों से दूर हमें पता ही नहीं था कि हमारे परिवार मिलकर क्या खिचड़ी पका रहे हैं? कैंपस इंटरव्यू देकर छुट्टियों में मैं जब घर पहुंचा, तो पता चला कि घर में मेरी स्वाति से शादी की चर्चा ज़ोरों पर है. मैं यह जानकर भौचक्का-सा रह गया और मौक़ा पाते ही मम्मी पर बरस पड़ा, “किससे पूछकर किया जा रहा है यह सब?”
“इसमें पूछना कैसा बेटा? तू और स्वाति साथ-साथ पढ़े हो. दोनों ने इंजीनियरिंग कर ली है. अब दोनों की नौकरी भी लग गई है. तुम्हें तो पता होगा उसका एक नामी कंपनी में सिलेक्शन हुआ है. फोन पर बात होती रहती होगी न तुम्हारी?”
“नहीं, काफ़ी समय से हमारी बात नहीं हुई है और न ही मुझे यह पता था कि उसका किस कंपनी में रिक्रूटमेंट हुआ है?”
“चलो कोई बात नहीं. अब बात कर लेना. तुम्हें तो ख़ुश होना चाहिए कि घर बैठे इतनी सुंदर, पढ़ी-लिखी, कमाऊ और सुशील लड़की मिल रही है.”
मेरे ग़ुस्से को देखकर मां का स्वर कुछ मंद अवश्य पड़ गया था, पर उत्साह तनिक भी कम नहीं हुआ था. मैं उनकी बातों से मन ही मन और भी भड़क उठा था. क्या समझते हैं ये लोग... कि इस रिश्ते से मुझे ख़ुद को कृतज्ञ समझना चाहिए. स्वाति और उसके घरवालों के सामने दंडवत् हो जाना चाहिए कि अपनी प्रतिभाशाली कन्या के लिए मेरा वरण कर आपने मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है. मैं आजीवन आपका आभारी रहूंगा.
प्रत्यक्ष में मैं चिल्ला उठा था, “मुझे यह रिश्ता मंज़ूर नहीं है.”
“क्यों? क्या ख़राबी है इस रिश्ते में? या तुझे कोई और पसंद आ गई है?” पापा ने तल्ख़ी से पूछा था. घर में पापा के दबदबे से आतंकित एकबारगी तो मैं सहम उठा था. पर फिर भविष्य की कल्पना कर मैं भी त���्ख़ हो उठा था.
“मैं यह शादी नहीं करूंगा. यह मेरा अंतिम ़फैसला है और इसके लिए मुझे किसी को कोई सफ़ाई देने की आवश्यकता नहीं है.” मेरे निर्णय से सबके चेहरे बुझ गए थे. मुझे दुख तो हुआ था, पर अपने निर्णय से मैं संतुष्ट था. जिस लड़की के सामने पड़ते ही मेरा आत्मविश्‍वास डगमगाने लगता है, ज़ुबान लड़खड़ाने लगती है, उसके साथ ज़िंदगीभर...? नहीं! बचपन से पितृसत्तात्मक परिवार और उसमें पुरुष की महत्ता देखते हुए मैं ख़ुद को भी अपने भावी परिवार के एकछत्र मुखिया के रूप में देखने लगा था, जिसकी आज्ञा को शिरोधार्य करना परिवार के बाकी सदस्य अपना कर्त्तव्य समझें. पत्नी के रूप में मुझे अपने से श्रेष्ठतर तो क्या बराबर की लड़की भी गवारा नहीं थी. और यहां... मैं अगले ही दिन हॉस्टल रवाना हो गया, यह कहकर कि फाइनल परीक्षा की तैयारी वहां रहकर अच्छे-से कर सकूंगा. मेरे तेवर देखकर घरवालों ने भी अपने क़दम पीछे खींच लिए थे और इस तरह वह क़िस्सा वहीं समाप्त हो गया था.
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विमान के गेट पर खड़ी एयर होस्टेस ने मुस्कुराकर हमारा अभिवादन किया, तो मैं वर्तमान में लौटा. अपने-अपने बैग ऊपर रख हम पास-पास की सीटों पर जम गए. स्वाति ने बैठने के साथ ही सामने से तकिया निकालकर पीछे लगा लिया था. अपना टीवी ऑन कर लिया था और आर्मरेस्ट से हेडफोन निकालकर सेट करने लगी थी. ऊपर से कोई बटन दबाकर पानी भी ऑर्डर कर दिया था. “तुम्हें चाहिए?” उसने मुस्कुराते हुए पानी की बॉटल मेरी ओर बढ़ा दी थी, जिसे मैंने भी मुस्कुराकर ‘थैंक्स’ कहते हुए थाम लिया. मुझ पर एक बार फिर से उसकी स्मार्टनेस का नशा छाने लगा था. ऐसी स्मार्ट लड़की का दोस्त होने पर गर्व किया जा सकता है, पर पति के रूप में...?
“तुम तो बाहर जाती रहती होगी?” उसकी स्मार्ट गतिविधियों से मैंने अंदाज़ा लगाया था.
“नहीं, पहली बार विदेश जा रही हूं.”
“हं... अ... ओह, म... मेरा भी फर्स्ट टाइम है.” मेरा आत्मविश्‍वास फिर से लड़खड़ाने लगा था. अवचेतन में एक आवाज़ गूंजी. इस लड़की को तो मैं जीवनसंगिनी के तौर पर नकार चुका हूं. हीनभावना तो इसमें होनी चाहिए. मैं क्यों दबा जा रहा हूं? मुझे एक नया डर सताने लगा था. इतनी लंबी यात्रा है, तो बातों का सिलसिला भी लंबा ही चलेगा. यदि कहीं स्वाति ने बातों ही बातों में मेरे इंकार की वजह जाननी चाही तो? तो मैं क्या जवाब दूंगा? यदि उस पर मेरी हीनभावना का राज़ खुल गया तो? तो क्या बच्चू, बची-खुची इज़्ज़त भी जाती रहेगी. नहीं, मुझे संभलकर रहना होगा. मैंने भी स्वाति की तरह ��पनी सीट पुशबैक करके तकिया लगाया और अपनी टीवी पर प्रोग्राम सेट करने लगा. स्वाति किनारेवाली सीट पर थी, इसलिए अंदर आते लोग उसे साफ़ नज़र आ रहे थे. एक लड़की को आते देख वह ख़ुशी से सीट से उठ खड़ी हुई और उसके गले लग गई.
“तनु दीदी आप? विश्‍वास नहीं हो रहा है. अनु कैसी है? उससे तो बस फेसबुक पर ही मुलाक़ात होती है.”
आगंतुका की सीट हमारे पीछे ही थी. वह अपना सामान व्यवस्थित करने में व्यस्त हो गई. सीट पर बैठते ही उनका वार्तालाप आरंभ हो गया था, जो विमान के उड़ान भरने के बाद भी ज़ारी रहा. इस प्रयास में स्वाति को बार-बार मुझे ठेलकर अपनी गर्दन पीछे करनी पड़ रही थी और उन आगंतुका को भी बार-बार आगे झुकना पड़ रहा था. जब सीट बेल्ट खोलने का संकेत हुआ, तो वह आगंतुका मुंह आगे करके अंग्रेज़ी में फुसफुसाई, “मैं आगे आ जाऊं क्या? ऐसे तो हमारी गर्दन दुखने लग जाएगी. तेरे पासवाले को पीछे आने के लिए बोल ना? मेरे पास तो कपल बैठा है, उन्हें नहीं कह सकती.”
ज़ाहिर है, मुझे ही सुनाने के लिए कहा गया था. मैं तुरंत अपनी सीट छोड़ उठ खड़ा हुआ और पीछे जाने लगा. स्वाति, “अरे रहने दो...” करती ही रह गई, पर मैं पीछे जाकर ही माना. आख़िर मुझे भी तो दर्शाना था कि मैं एक सभ्य पुरुष हूं. अब मुझे एक तसल्ली और थी कि स्वाति को कोई सफ़ाई नहीं देनी पड़ेगी. हालांकि उसकी ओर से ऐसा कोई सवाल किए जाने की कोई गुंजाइश मुझे अभी तक नज़र नहीं आई थी. वह हमेशा की ही तरह अपने में मस्त और आत्मविश्‍वास से लबरेज़ नज़र आ रही थी. कहीं ऐसा तो नहीं कि मेरे इंकार से वह ख़ुश ही हुई हो कि चलो अच्छा हुआ एक दब्बू के पल्ले पड़ने से बच गई, वरना घरवालों ने तो सूली पर चढ़ाने की पूरी तैयारी कर ली थी. उत्सुकतावश मैंने अपने कान उनकी बातचीत पर केंद्रित कर लिए.
सहेली अनु का हाल जानने के बाद स्वाति अब अपने जीजू का हाल पूछने लगी थी. “आपको तो आख़िरी बार आपकी शादी में ही देखा था. जंच रही थीं आप! सालभर की पोस्टिंग पर जा रही हैं आप ऑस्ट्रेलिया. जीजू तो बेचारे एकदम उदास हो गए होंगे न?”
तनु दीदी... हां, यही नाम था स्वाति की सहेली की दीदी का, उनका चेहरा उतर गया था. ‘कुछ कहना मुश्किल है अभी.’
��सब ठीक तो है न दीदी?” स्वाति को झटका-सा लगा था.
“कुछ भी ठीक नहीं है स्वाति. तुझसे कुछ नहीं छुपाऊंगी. अनु की तरह ही छोटी बहन मानती हूं तुझे. मैं और करन एक ही घर में दो अलग-अलग कमरे में अजनबी की तरह रह रहे हैं.”
“क्या? पर क्यों?”
“पुरुषोचित दंभ.”
“यह क्या होता है?” स्वाति चौंक गई थी, पर मेरे कान और भी सतर्क हो उठे थे.
“जब हमारा रिश्ता तय हुआ था, तब हम अलग-अलग क��पनियों में कार्यरत थे. करन ने 3 साल का बॉन्ड भरकर कंपनी जॉइन की थी. उसका पैकेज मुझसे ज़्यादा था. करन देहाती परिवेश से थे व मैं महानगरीय परिवेश से. लेकिन वे इतने मासूम थे और मुझे इतना प्यार करते थे, इतना सपोर्ट करते थे कि मैं ख़ुद को दुनिया की सबसे भाग्यशाली पत्नी समझती थी. दो साल बाद मेरा दूसरी कंपनी में सिलेक्शन हो गया. मेरा पैकेज व ओहदा बढ़ गया. मैं बहुत ख़ुश थी व सोच रही थी कि करन भी मेरी ख़ुशी व तरक़्क़ी में बहुत ख़ुश होंगे. ऊपर से वे थे भी, पर अंदर से ऐसा बिल्कुल नहीं था.”
“क्यों? वे तो आपसे इतना प्यार करते थे? उनकी तरक़्की होती, तो आप भी तो ख़ुश होतीं न?”
“सौ फ़ीसदी, पर हमारे भारतीय समाज की यही तो विडंबना है. यहां पुरुष लैंगिक समानता की बात कर प्रगतिवादी होने का ढोंग तो करते हैं, पर हक़ीक़त में स्त्री को उच्चतर तो क्या, समकक्ष भी नहीं कर पाते.”
मुझे लगा किसी ने मेरे गाल पर भरपूर तमाचा जड़ दिया है. मेरी भावनाओं से सर्वथा अनजान उनका वार्तालाप जारी था.
“जीजू ने कुछ कहा आपसे?”
“हर चीज़ कहने से ही नहीं समझी जाती. महसूस भी तो होती है. पहले घर, घर के काम हमारे थे. अब वे स़िर्फ मेरे हैं. करन का रवैया कुछ ऐसा हो गया है कि मर्ज़ी हुई, तो मदद करके एहसान-सा जता दिया, वरना मेरी तो ज़िम्मेदारी है ही. मैं देर से लौटती, तो उनकी नज़रें मुझे ऐसे भेदतीं, मानो मैं कोई गुनाह करके लौटी हूं. फिर पता चला वे वक़्त-बेवक़्त मेरे ऑफिस फोन करके जानकारी जुटाते थे कि मैं कहां हूं, किसके साथ हूं? मेरे लिए घर-ऑफिस दोनों जगह का वातावरण दमघोंटू हो गया था. तब मैंने अपने घर को बचाना ज़्यादा ज़रूरी समझते हुए करन के ही ऑफिस में कम पैकेज पर नौकरी जॉइन कर ली. उसकी आंखों के सामने रहूंगी, तो वह शक़ भी नहीं करेगा और उससे कम कमाऊंगी, तो उसका पुरुषोचित दंभ भी संतुष्ट रहेगा. लेकिन यह मेरी बहुत बड़ी भूल थी. घर में हमारे रिश्ते में इतनी बड़ी खाई आ चुकी थी और ऑफिस में हम दिखावा करते थे कि हमारे मध्य दरार तक नहीं है.
कभी-कभी तो बड़ी खिसियानी-सी स्थिति पैदा हो जाती थी. जैसे वेलेंटाइन डे पर वहीं कार्यरत विवाहित जोड़ों को कहा गया कि वे अपने प्यार का इज़हार करें. करन ने मेरे लिए सकुचाते हुए गाना गाया. लोग समझ रहे थे कि वे शरमा रहे हैं, पर मैं महसूस कर सकती थी कि उन शब्दों का एक भी तार दिल से जुड़ा नहीं रह गया था.
स्वाति, अपने से कमतर ओहदे और वेतनवाले जीवनसाथी के साथ हंसते-खेलते पूरी ज़िंदगी जी जा सकती है, लेकिन ऐसी कमतर सोचवाले इंसान के साथ एक-एक पल गुज़ारना भारी पड़ जाता है. इसलिए जब मेरे सम्मुख यह प्रस्ताव आया, तो मैंने बिना एक पल गंवाए तुरंत स्वीकार कर लिया.”
“आपको क्या लगता है कि आपके इस क़दम से जीजू को अपनी ग़लती का एहसास होगा?”
���नहीं जानती. पर कई बार पास रहते हुए भी दिलों में मीलों का फासला बना रहता है, जबकि मीलों का फासला दिलों को पास ले आता है.”
“भगवान करे ऐसा ही हो.”
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हमारा गंतव्य आ चुका था. दोनों अपने-अपने बैग लेकर निकल चुकी थीं. स्वाति को शायद मेरा ध्यान ही नहीं रहा था. या शायद उसने मुझसे विदा लेना ज़रूरी नहीं समझा था. मुझमें इतना भी साहस शेष नहीं था कि आगे बढ़कर उससे माफ़ी मांग लेता. ग्लानिबोध से मेरे क़दम मानो भारी हो गए थे. अन्य यात्रियों के लिए यह कुछ घंटों का हवाई सफ़र मात्र होगा, मेरे लिए तो अर्श से फ़र्श तक का सफ़र था.
 संगीता माथुर
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merisahelimagazine · 4 years ago
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क्यों ज़रूरी है वेजाइनल हेल्थ और हाइजीन? (Vaginal Health And Hygiene)
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क्यों ज़रूरी है वेजाइनल हेल्थ और हाइजीन? (Vaginal Health And Hygiene)
सतर्कता व जागरूकता की कमी के चलते आज भी अधिकांश महिलाएं वेजाइनल हेल्थ को इग्नोर करती हैं. शायद कम ही लोग जानते हैं कि वेजाइनल हेल्थ व हाइजीन का ख़्याल न रखने की वजह से कई गंभीर यौन रोग व इंफेक्शन का ख़तरा पनप सकता है. बेहतर होगा कि ऐसे में वेजाइनल हाइजीन का पूरा ख़्याल रखें.
हेल्दी वेजाइना के बेसिक रूल्स अक्सर महिलाएं अपने प्राइवेट पार्ट की हेल्थ की ज़रूरत का महत्व नहीं समझतीं. शायद इस तरफ़ उनका ध्यान ही नहीं जाता, क्योंकि ये बातें उन्हें बचपन से घर पर भी नहीं सिखाई जातीं. लेकिन अब व़क्त बदल रहा है, ऐसे में वेजाइनल हेल्थ के महत्व को समझना बेहद ज़रूरी है.
वेजाइनल हेल्थ को प्रोटेक्ट करने ईज��ी स्टेप्स
- वेजाइनल पीएच बैलेंस को करें प्रोटेक्ट यदि सही पीएच बैलेंस बना रहे, तो वो हेल्दी बैक्टीरिया की ग्रोथ को बढ़ाता है. इस वजह से बेहद ज़रूरी है कि वेजाइनल पीएच बैलेंस को प्रोटेक्ट किया जाए.
- हेल्दी वेजाइना के लिए ज़रूरी है हेल्दी डायट हाइजीन के साथ-साथ वेजाइना की हेल्थ की लिए सही-संतुलित डायट भी ���ेहद ज़रूरी है.
- करें सेफ सेक्स अक्सर झिझक के चलते महिलाएं अपने मेल पार्टनर से सेफ सेक्स पर चर्चा तक नहीं करतीं. लेकिन आपकी सेहत आपके हाथ में है. संकोच न करें और पार्टनर से कंडोम यूज़ करने को कहें, क्योंकि यह कई तरह के यौन संक्रमण से आपका बचाव करता है.
- रेग्यूलर चेकअप करवाएं भारत में अभी भी यह कल्चर डेवलप नहीं हुआ. यही वजह है कि वेजाइनल इंफेक्शन और यहां तक कि कैंसर तक भी सतर्कता की कमी के चलते हो रहे हैं. नियमित चेकअप से आप इन सबसे बच सकती हैं.
- क्या करें अगर इंफेक्शन हो जाए? इंफेक्शन होने पर सही इलाज व सही केयर करें, ताकि वह बढ़ नहीं और भविष्य में इंफेक्शन न हो इसके लिए भी सतर्कता बरतें.
- सही हो अंडरगार्मेंट सिलेक्शन
कॉटन पैंटीज़ लें. सिंथेटिक से बचें. वेजाइनल भाग ड्राय रखने की कोशिश करें.
- हाइजीन का रखें ख़ास ख़्याल साफ़-सफ़ाई रखें. टॉयलेट में भी इसका ख़्याल रखें. पब्लिक टॉयलेट्स के इस्तेमाल के व़क्त सावधानी बरतें.
पेल्विक एक्सरसाइज़ से रखें वेजाइना को हेल्दी स़िर्फ डायट ही नहीं सही एक्सरसाइज़ भी वेजाइनल हेल्थ के लिए ज़रूरी है.
सर्वे- क्यों झिझकती हैं महिलाओं? एक्सपर्ट्स का कहना है कि आज भी बहुत बड़ी संख्या में भारतीय महिलाएं वेजाइनल हेल्थ व हाइजीन के महत्व को न तो समझती हैं और न ही इस पर खुलकर बात करती हैं. यही वजह है कि वो वेजाइनल प्रॉब्लम्स से दो-चार होती हैं.
जागरूकता की कमी भी एक सबसे बड़ी वजह हमारा सामाजिक ढांचा इसकी बड़ी वजह है. यहां इन अंगों पर बात तक करने से लोग हिचकते हैं. यहां तक के अपने डॉक्टर्स से भी इस पर बात करने से कतराते हैं..
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merisahelimagazine · 4 years ago
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कहानी- क्यूटनेस ओवरलोडेड (Short Story- Cuteness Overloaded)
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स्मिता ने वीडियो देखने आरंभ किए, तो देखती ही रह गई. मॉल में हिचकिचाती मां को हाथ पकड़कर एस्केलेटर चढ़ाते नीलेश और पल्लवी, मां का विस्फारित नेत्रों से चारों ओर ताकना उसे अंदर तक गुदगुदा गया... यह मेरा धूप में सूखता स्मार्टफोन! चिकनाई हटाने के लिए मां ने डिटर्जेंट से धोकर सुखा दिया था... और यह उदास मां! चार दिनों से अनजाने में हुए इस नुक़सान का मातम मना रही हैं. मैं और पल्लवी समझा-समझाकर थक गए.
डॉ. स्मिता वैसे भी कोई कॉन्फ्रेंस, सेमिनार आदि नहीं छोड़ती थी. फिर इस बार तो कॉन्फ्रेंस उनके छोटे भाई के शहर में थी. मां से मिलने का यह सुनहरा अवसर वह भला कैसे छोड़ सकती थी? शादी के बाद से ही नीलेश और पल्लवी उसे बुला रहे हैं. पर आजकल हर कोई अपने काम में इतना मसरूफ़ है कि बिना काम कहीं जाने का व़क्त निकाल ही नहीं पाता. तभी तो पति निशांत ने भी साथ चलने से इंकार कर दिया था.
“नहीं बाबा, तुम्हारी गायनाकोलॉजिस्ट मीट में मेरा क्या काम? मैं अपना क्लीनिक ही देखना पसंद करूंगा.”
स्मिता का उत्साह इससे ज़रा भी कम नहीं हो पाया था. ‘मायका’ शब्द मात्र से स्त्रियों में भर जानेवाली ऊर्जा से वह भी अछूती नहीं थी. भाई-भाभी के लिए उपहार ख़रीदने के बाद उसने मां के लिए भी एक सुंदर-सी गरम शॉल ख़रीद ली थी. वज़न में हल्की, आरामदायक हल्के रंग की यह शॉल मां को अवश्य पसंद आएगी. कल्पना में शॉल ओढ़े सैर के लिए निकलती मां का चेहरा आंखों के सामने आया, स्मिता के चेहरे पर स्वतः ही स्मित मुस्कान बिखर गई.
मां तो उसे देखकर ही उल्लासित हुई थीं, छोटे भाई नीलेश और नई भाभी पल्लवी ने भी उसे हाथों हाथ लिया, तो स्मिता का मायके आने का उत्साह द्विगुणित हो गया. नाश्ते में मां ने उसकी मनपसंद बेडमी पूरी बनाकर परोसी, तो स्मिता के मुंह में पानी भर आया. इससे पूर्व कि वह ढेर सारी पूरियां अपनी प्लेट में रख पाती, उसके मोबाइल पर कोई आवश्यक कॉल आ गई. वह मोबाइल लेकर थोड़ा दूर हटकर बतियाने लगी, पर उसकी नज़रें डायनिंग टेबल पर ही जमी थीं. मां उठकर अपने हाथों से नीलेश की प्लेट में पूरियां परोसने लगीं, तो नीलेश ने झटके से प्लेट हटा ली.
“क्या कर रही हो मां? जानती तो हो मैं डायट पर हूं. पल्लवी मेरे लिए दो टोस्ट पर बटर लगा दो.”
“ला, मैं लगा देती हूं. उसे नाश्ता करने दे. उसे भी तो ऑफिस निकलना है.” मां ने अपना नाश्ता छोड़कर उसके लिए टोस्ट पर बटर लगा दिया था. लेकिन ढेर सारा बटर देख नीलेश फिर भड़क उठा था.
“इतना सारा बटर! मां तुम रहने दो. पल्लवी, मैंने तुम्हें लगाने को कहा था.”
“हूं... हां!” सहमी-सी पल्लवी ने अपना दूध का ग्लास रख तुरंत दूसरे टोस्ट पर हल्का-सा बटर लगा दिया था और नीलेश की प्लेट में रख दिया था. तब तक स्मिता भी फोन पर वार्तालाप समाप्त कर डायनिंग टेबल पर आ चुकी थी. सब चुपचाप नाश्ता करते रहे. स्मिता ने चाहा पूरियों की तारीफ़ कर वह वातावरण को हल्का बना दे, पर मां का उतरा चेहरा देखकर उसने चुप रह जाना ही श्रेयस्कर समझा. शाम को जल्दी लौटने का आश्‍वासन देकर तीनों निकल गए थे.
रात का खाना कुक ने ही बनाया था. सबने साथ बैठकर खाया. स्मिता ने खाने की तारीफ़ की, साथ ही मां के हाथ की उड़द दाल, चावलवाली तहरी खाने की इच्छा भी ज़ाहिर की.
“पल्लवी, पता है मां साबूत उड़द और चावल की इतनी खिली-खिली तहरी बनाती हैं कि देखकर ही दिल ख़ुश हो जाता है. उसमें ढेर सारे घी वाला साबूत लाल मिर्च और जीरे का तड़का! उफ़्फ़! मेरे तो अभी से मुंह में पानी आने लगा. मैंने कई बार बनाने का प्रयास किया, पर वो मां वाला स्वाद नहीं ला पाई.” स्मिता पल्लवी को विस्तार से रेसिपी समझाने लगी. फिर अंत में यह और जोड़ दिया, “नीलेश को भी बहुत पसंद हेै यह डिश. क्यों नीलेश?”
“हां बिल्कुल! बनाओ न मां!” मोबाइल पर व्यस्त नीलेश ने संक्षेप में सहमति दे दी थी.
अगले दिन स्मिता को देर से जाना था, इसलिए वह अभी तक सो ही रही थी. कानों में नीलेश के ज़ोर से बोलने का स्वर पड़ा, तो उसकी आंख खुल गई.
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“यह मेरे पसंदीदा शर्ट का क्या कबाड़ा कर दिया है पल्लवी तुमने? स़फेद को आसमानी कर दिया है. आजकल कौन नील लगाता है?”
पल्लवी सकपकाई-सी खड़ी थी. तभी मां आ गईं, “अरे, तेरे सारे स़फेद कपड़ों पर कल मैंने नील लगाई थी. याद नहीं, तू कितनी गहरी नीलवाले कपड़े पहनता था? पूरे नीले ही करवा लेता था. यह तो मैंने बहुत हल्की लगाई है, ताकि ऑफिस में ख़राब न दिखे.”
नीलेश ने झुंझलाहट में शर्ट पलंग पर फेंक दी थी और पल्लवी से आलमारी में से दूसरी शर्ट देने को कहा. मां निढाल-सी लौट आई थीं. उनकी बेचारगी देख स्मिता की आंखें गीली हो गई थीं. मां का हाथ अपने हाथों में ले वह कहे बिना नहीं रह सकी थी, “क्यों करती हो मां यह सब? जब किसी को आपकी, आपके काम की, आपकी भावनाओं की कद्र ही नहीं है...”
“मैं नहीं करती बेटी! मेरी ममता मुझसे यह सब करवा लेती है. मैं तो उन लोगों की मदद करना चाहती हूं. मेरा आत्मसम्मान मुझे किसी पर बोझ बनकर रहने की इजाज़त नहीं देता. पर क्या करूं? सब उलट-पुलट हो जाता है.”
“नीलेश-पल्लवी भी तुम्हें आराम देना चाहते हैं मां! घर में इतने नौकर-चाकर हैं तो सही. फिर अब तो पल्लवी भी है नीलेश की देखरेख को. आपको क्या ज़रूरत है सबकी फ़िक्र करने की?” स्मिता ने मां को थोथी सांत्वना दी थी. थोथी इसलिए, क्योंकि अपने आश्‍वासनों के प्रति वह स्वयं भी आश्‍वस्त नहीं थी. उसे अपना बचपन और मां-पापा का लाड़-दुलार याद आ रहा था. व़क्त के साथ-साथ रिश्तों के समीकरण इतने उलट-पुलट क्यों जाते हैं? माता-पिता के लिए अपने बच्चों की लापरवाहियों, ग़ैरज़िम्मेदाराना हरकतों को माफ़ या नज़रअंदाज़ करना कितना आसान होता है. नाराज़ या क्रोधित होने की बजाय वे उसमें भी बच्चों की मासूमियत खोज लेते हैं. लेकिन बड़े होने पर वे ही बच्चे बुज़ुर्ग माता-पिता की अज्ञानतावश की गई ग़लतियों पर खीझ जाते हैं, ग़ुस्सा करने लगते हैं. हमारी सहनशीलता इतनी कम क्यों हो गई है? यदि बुढ़ापा बचपन का पुनरागमन है, तो बुढ़ापे की नादानियों में हमें मासूमियत नज़र क्यों नहीं आती? जो कुछ उनके लिए इतना सहज, सरल था हमारे लिए इतना मुश्किल क्यों है?
बे्रकफास्ट टेबल पर नीलेश ने बताया कि रात के खाने पर उसने अपने कुछ विदेशी क्लाइंट्स को आमंत्रित किया है. उनके लिए सी फूड, मैक्सिकन आदि बाहर से आ जाएगा.
“पल्लवी, तुम थोड़ा ड्रिंक्स, क्रॉकरी, सजावट आदि देख लेना. मैं शायद उन लोगों के साथ ही घर पहुंचूं. दीदी, आप भी हमें जॉइन करेंगी न?”
“अं... टाइम पर आ गई, तो मिल लूंगी सबसे. थोड़ा-बहुत साथ खा भी लूंगी, पर वैसे मुझे यह सब ज़्यादा पसंद नहीं है. मां, आपके लिए जो बनेगा, मैं तो वही खाऊंगी.”
नीलेश पल्लवी को और भी निर्देश देता रहा. नाश्ता समाप्त कर उठने तक पार्टी की समस्त रूपरेखा तैयार हो चुकी थी. स्मिता ने कहा, वह जल्दी लौटने का प्रयास करेगी, ताकि पल्लवी की मदद कर सके. किंतु लौटते-लौटते उसे देर हो गई थी. घर पहुंचकर पता चला कि पल्लवी ख़ुद भी थोड़ी देर पहले ही लौटी है. ऑफिस में कुछ काम आ गया था.
“पर तैयारी तो सब हो गई दिखती है?” चकित-सी स्मिता ने सब ओर नज़रें दौड़ाते हुए हैरानी ज़ाहिर की, तो कृतज्ञता से अभिभूत पल्लवी ने रहस्योद्घाटन किया.
“यह सब मम्मीजी ने करवाया है. मैं तो देर हो जाने के कारण ख़ुद घबराई-सी घर पहुंची थी, पर यहां आकर देखा, तो सब तैयार मिला.”
“सब मेरे सामने ही तो तय हुआ था. तुम्हें आते नहीं देखा, तो मैंने सोचा मैं ही करवा लूं, वरना नीलेश आते ही तुम पर सवार हो जाएगा. बचपन से ही थोड़ा अधीर है वह! तुम उसकी बातों का बुरा मत माना करो... हां, कुछ कमी रह गई हो, तो तुम ठीक कर लो.”
“कोई कमी नहीं है मम्मीजी. सब एकदम परफेक्ट है! इतना अच्छा तो मैं भी नहीं कर सकती थी.” पल्लवी ने भूरि-भूरि प्रशंसा की, तो मां एकदम बच्चों की तरह उत्साहित हो उठीं.
“तुम लोग अब तैयार हो जाओ. नीलेश मेहमानों को लेकर आता ही होगा.”
जैसी कि उम्मीद थी, पार्टी बहुत अच्छी रही. सबके कहने पर मां एक बार बैठक में आकर मेहमानों से मिल लीं. बाकी समय वे अंदर ही व्यवस्था देखती रहीं. मेहमानों को विदा कर जब तीनों घर में प्रविष्ट हुए, तो देसी घी के तड़के की सुगंध से घर महक रहा था.
“वॉव, लगता है मेरी पसंदीदा तहरी बनी है.” स्मिता सुगंध का आनंद लेती हुई डायनिंग टेबल तक पहुंच गई. उसका अनुमान सही था. गरमागरम तहरी सजाए मां उसी का इंतज़ार कर रही थीं.
“तुमने तो खा लिया होता मां. तुम क्यों भूखी रहीं? मैंने तो मेहमानों के संग थोड़ा खा लिया था.” कहते हुए स्मिता ने प्लेट में तहरी परोसकर पहला चम्मच मां के मुंह में और दूसरा चम्मच अपने मुंह में रख लिया.
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“वाह, कब से इस स्वाद के लिए तरस रही थी. नीलेश, आ चख. तुझे भी तो यह बहुत पसंद है.” स्मिता ने आग्रह किया, तो नीलश ने एक चम्मच भरकर उसी प्लेट से खाना आरंभ कर दिया. एक, दो, तीन... नीलेश को गपागप खाते देख स्मिता चिल्ला पड़ी.
“तू अलग ही ले ले भाई.”
नीलेश सचमुच अलग प्लेट भरकर खाने बैठ गया.
“आपने अभी तो भरपेट खाना खाया था.” पल्लवी के मुंह से बेसाख़्ता निकल गया.
“लो, तुम भी टेस्ट करो. इसके लिए तो मैं बचपन में भी पेट में अलग जगह रखता था.” नीलेश को स्पीड से खाता देख पल्लवी के मन का डर ज़ुबां पर आ गया.
“आप लोगों को कम न पड़ जाए. और कुछ बना दूं?”
“अरे, तू अपने लिए परोस ना. मैंने बहुत सारी बनाई है. कम होगी, तो मैं बना दूंगी.” मां ने पल्लवी को जबरन साथ खाने बैठा लिया.
“मां, याद है बचपन में एक बार नीलेश सारी तहरी चट कर गया था. तुम दोबारा बनाने उठीं, तो वह तुम्हारी मदद के लिए रसोई में आ गया था और फिर जल्दबाज़ी में दाल-चावल के डिब्बे ही उलट डाले थे.”
“यह नटखट तो हमेशा ऐसे ही काम बढ़ाता था. मेरा किशन कन्हैया!” मां ने लाड़ से बेटे को देखा. “जाले उतारने में मदद करने आता, तो एकाध बल्ब या ट्यूबलाइट फूटना तय था. एक बार तो टीवी स्क्रीन ही तोड़ डाली थी.” मां ख़ूब रस ले-लेकर बता रही थीं.
“क्या? फिर तो ख़ूब मार पड़ी होगी इन्हें?” पल्लवी बोल पड़ी.
“नहीं. मारता तो कोई भी नहीं था. पापा ने डांटा अवश्य था और मां ने तो हमेशा की तरह प्यार से समझा भर दिया था.” कहने के बाद अपने ही शब्दों पर ग़ौर करता नीलेश कुछ सोचने लगा था.
“एक बार तो इसने मां की महंगी सिल्क साड़ी पानी में डुबोकर सत्यानाश कर डाली थी.” स्मिता ने याद दिलाया.
“दरअसल, पार्टी में मैं इसे गोद में बिठाकर खाना खिला रही थी. इससे मेरी साड़ी पर कुछ गिर गया. घर लौटकर मैंने साड़ी उतारकर ड्राइक्लीन के लिए रख दी. इसने चुपके से उसे पानी में भिगो दिया. पूरी साड़ी ही गई. बेचारा मासूम नेकी करना चाहता और नुक़सान हो जाता.”
“काहे का मासूम! बदमाश था.” स्मिता बोली.
“तू बड़ी दूध की धुली थी! रोज़ रसोई में रोटी बनाने के लिए खिलौने के चौका-बेलन लेकर आ जाती और मेरा दिमाग़ खाती.”
मां ने याद दिलाया.
“और क्या? एक बोरी आटा, तो बिगाड़ा ही होगा इसने!” नीलेश कहां चूकनेवाला था.
“किसी ने कुछ नहीं बिगाड़ा. उन छोटे-छोटे शरारती पलों ने तो रिश्तों को जोड़ने का काम किया. अपनत्व जगाकर प्यार के तंतुओं को जोड़े रखा. समय की आड़ में जब रिश्तों के महल ढहने लगते हैं, तब अपनत्वभरे उन पलों की स्मृति ही हमारा संबल बन जाती है.” भावनाओं में बहती मां उन पलों को याद कर एकाएक बहुत प्रसन्न और संतुष्ट नज़र आने लगी थीं.
दो दिनों के अल्प प्रवास में स्मिता के लिए ये सबसे यादगार सुकूनमय पल थे और सबसे भव्य दावत भी.
अपने शहर लौटकर, तो वह फिर आपाधापीभरी ज़िंदगी में व्यस्त हो गई थी. नीलेश का नाराज़गी भरा फोन आया, तो वह चौंकी, “आपको कुछ वीडियोज़ भेजे थे. तब से आपके कमेंट का इंतज़ार कर रहा हूं.”
“ओह, देखती हूं.” स्मिता ने वीडियो देखने आरंभ किए, तो देखती ही रह गई. मॉल में हिचकिचाती मां को हाथ पकड़कर एस्केलेटर चढ़ाते नीलेश और पल्लवी, मां का विस्फारित नेत्रों से चारों ओर ताकना उसे अंदर तक गुदगुदा गया... यह मेरा धूप में सूखता स्मार्टफोन! चिकनाई हटाने के लिए मां ने डिटर्जेंट से धोकर सुखा दिया था... और यह उदास मां! चार दिनों से अनजाने में हुए इस नुक़सान का मातम मना रही हैं. मैं और पल्लवी समझा-समझाकर थक गए.
‘ओह! बेचारी भोली मां.’ स्मिता बुदबुदा उठी. एक अन्य वीडियो में मां बेहद डरते हुए फुट मसाजर पर पांव रखे हुए थीं. नीलेश और पल्लवी ने एक-एक पांव जबरन पकड़ रखा था. थोड़ी देर में वे रिलैक्स होती नज़र आईं, तो स्मिता के होंठों पर मुस्कुराहट और आंखों में नमी तैर गई. उसके लिए समय थम-सा गया था. इससे पूर्व कि उसका अधीर भाई उसे दोबारा कमेंट के लिए कॉल करे, स्मिता की उंगलियां मोबाइल पर थिरकने लगी ��ीं.
‘क्यूटनेस ओवरलोडेड...’
इतने क्यूट कमेंट ने नीलेश की आंखें नम कर दी थीं.
संगीता माथुर
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merisahelimagazine · 4 years ago
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Personal Problems: प्रेग्नेंसी में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? (Do's And Don'ts For A Safer Pregnancy)
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मेरी शादी को 4 साल हो गए हैं. मैं प्रेग्नेंट हूं. सोनोग्राफ़ी से पता चला कि मेरे गर्भ में जुड़वां बच्चे हैं. कृपया, बताएं कि प्रेग्नेंसी में मुझे किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?- वैजयंती गोखले, नासिक.
आपको पौष्टिक और संतुलित आहार लेना चाहिए. बेहतर होगा कि अपने गायनाकोलॉजिस्ट से संपर्क करें और अपना रेग्युलर चेकअप करवाती रहें. इसके अतिरिक्त सावधानी के तौर पर यौन संबंधों से दूर रहें. कोई भी भारी सामान न उठाएं. मोटर साइकिल और ऑटोरिक्शा में ट्रैवलिंग से बचें. गायनाकोलॉजिस्ट द्वारा बताए गए सभी सप्लीमेंट्स और वैक्सिनेशन समय पर लें. सारे टेस्ट समय पर कराएं. घबराने की कोई बात नहीं. यदि टेस्ट नॉर्मल होंगे, तो डिलीवरी भी नॉर्मल होने की संभावना अधिक होगी.
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मेरी उम्र 17 साल है. पिछले कुछ दिनों से मेरे राइट ब्रेस्ट में गांठ-सी महसूस हो रही है, जिसमें दर्द तो बिल्कुल नहीं होता, पर सूजन बनी हुई है. मुझे डर है, कहीं ये गांठ कैंसर की तो नहीं है? - वंदना मैथ्यू, दिल्ली.
��पको फाइब्रोएडेनोमा की शिकायत हो सकती है, जो टीनएजर लड़कियों में अधिक देखी जाती है. फाइब्रोएडेनोमा में होनेवाली सूजन व गांठ कैंसर की नहीं होती. आप किसी गायनाकोलॉजिस्ट या जनरल सर्जन से संपर्क करें, जो आपका मार्गदर्शन कर सही इलाज करेंेगे. अगर सूजन नॉर्मल है तो चिंता की कोई बात नहीं. लेकिन अगर यह सूजन अधिक दिनों तक बनी रहती है, तो हो सकता है कि सर्जन इससे संबंधित कोई टेस्ट कराएं और सर्जरी की सलाह दें.
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डॉ. राजश्री कुमार स्त्रीरोग व कैंसर विशेषज्ञ [email protected]
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merisahelimagazine · 4 years ago
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लव गेम: पार्टनर से पूछें ये नॉटी सवाल (Love Game: Some Naughty Questions To Ask Your Partner)
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जब कभी आपके वैवाहिक जीवन में नीरसता-सी आने लगे, तब लव गेम ज़रूर खेलें और पार्टनर से पूछें नॉटी सवाल. इसमें ख़ासतौर पर जीवनसाथी से कुछ मज़ेदार शरारतभरे सवाल पूछें, जो न केवल उनको गुदगुदा दें, बल्कि उन्हें प्यार के सागर में बहने के लिए बेताब भी कर दें. तो शुरू करें प्यार का खेल और थोड़ा-सा रोमानी होकर शरारती सवालों से अपने प्यार को एक नया रंग दें.
* मेरे शरीर के किन हिस्सों पर प्यार करना और ख़ासकर किस (चुंबन) करना अच्छा लगता है.
* पार्टनर संभवत: होंठ, गाल, माथा कुछ भी कह सकते हैं, पर आप अलर्ट रहें. उनके इस जवाब के साथ ही आपका दूसरा सवाल भी जुड़ा हुआ है.
* मेरा प्यारभरा स्पर्श आपको किस तरह की अनुभूति कराता है- बेचैनी, उत्तेजना, दीवानगी..?
* जहां साथी ने दीवानगी कहा, तब माहौल को और भी रोमांटिक बनाने के लिए प्यारभरा गीत गुनगुना सकते हैं.
* सेक्सुअल रिलेशन में प्यार करने का कौन-सा अंदाज़ आपको पागल कर देता है?
* पार्टनर के जवाब के बाद उसी अंदाज़ को जब भी मौक़ा मिले दोहराते रहें और प्यार का पागलपन बरक़रार रखें.
* मेरे साथ न रहने पर मुझे लेकर कोई फैंटेसी होती है?
यहभीपढ़े: लव से लेकर लस्ट तक… बदल रही है प्यार की परिभाषा (What Is The Difference Between Love And Lust?)
* यक़ीनन कुछ दिलचस्प जवाब सुनने को मिल सकते हैं. ख़्वाबों-ख़्यालों का यह प्यार का शीशमहल दोनों को लंबे समय तक रोमांच से सराबोर करता रहेगा.
* पहली बार प्यार करते समय कौन-सी क्रिया-प्रतिक्रिया दिल को छू गई थी?06
* हर कपल को पहली बार का किया गया प्यार कई तरह के खट्टे-मीठे अनुभव दे जाता है, जिन्हें वे ताउम्र ख़ूबसूरत लम्हे के रूप में दिल के कोने में संजोए रखते हैं.
* प्यार करते समय ऑर्गैज़्म के समय किस तरह की हलचल दिलो-दिमाग़ में हो रही थी?
* अव्वल तो अक्सर यह पल कोई भी सही तरी़के से शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाता. हां, पर कुछ अधिक शरारती कपल भी होते हैं, जो उस पल को बढ़ा-चढ़ाकर बताने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखते. देखें, आपके पार्टनर क्या कहते हैं?
* मेरे होंठों व आंखों में से सबसे अधिक सेक्स अपील आपको किसमें लगती है?
* दोनों के ही बेहद ख़ास मायने है, एक चिंगारी है, तो दूसरा आग. अब भला पार्टनर क्या कहें कैसे कहें.
* क्या कभी ऐसा हुआ है कि सेक्सुअल रिलेशन के उन ख़ास मदहोशभरे पलों में किसी और की याद आ गई हो, फिर चाहे वो अफेयर, क्रश या फिर कोई और ही क्यों न हो.
* पति महोदय से इसका तुरंत जवाब शायद ही मिल पाए, लेकिन दिल में प्यार का तूफ़ान ज़रूर हिचकोले लेने लगेगा.
* आज रात को बेडरूम में क्या पहनूं- नाइटी, मिनी या कोई सेक्सी ड्रेस, शॉर्ट्स या फिर कुछ भी नहीं..?
* आपका यह मदभरा सवाल उन्हें न केवल प्यार में घायल कर देगा, बल्कि रात के इंतज़ार के लिए बेसब्र भी कर देगा.
* सेक्स करते समय लाइट्स ऑन रखें या फिर ऑफ, किस तरह के रूप-अंदाज़ में प्यार करना चाहते हैं?
* अक्सर कपल प्यार करते समय लाइट्स ऑफ रखना ही पसंद करते हैं, पर कुछ ऐसे भी होते हैं, जो ऐसे समय में पार्टनर के हर रंग, रूप का दीदार करना चाहते हैं.
* पिछली बार जब हम साथ नहाए, तो उस समय मेरे किस एक्शन ने तुम्हें सबसे ज़्यादा क्रेज़ी कर दिया था?
* कई पार्टनर्स रोमांटिक लाइफ में एक्साइटमेंट लाने के लिए साथ नहाने के फंडे को भी अपनाते हैं. लेकिन इसमें आपकी कौन-सी हरकत, शरारत उनको पागल कर गई जानना भी तो ज़रूरी है.
* मैं प्रेमिका के रूप में अधिक सेक्सी थी या फिर शादी के बाद पत्नी के रूप में अधिक हूं?
* बेचारे पति महाश��� कंफ्यूज़ कि क्या जवाब दें. हो सकता है कि वे बीच का रास्ता अपनाएं और कह दें कि दोनों में तुम लाजवाब हो...
* अंतरंग संबंध के समय फोरप्ले अधिक उत्तेजित करता है कि सेक्स में वाइल्ड एक्शन,  ओरल सेक्स, सॉफ्ट टच या फिर कुछ और..?
* हर किसी की पसंद अपनी-अपनी होती है, पर उद्देश्य एक ही होता है चरमोत्कर्ष यानी ऑर्गैज़्म तक पहुंचना.
- ऊषा गुप्ता
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merisahelimagazine · 4 years ago
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स्लिम और जवां नज़र आने के प्रेशर में बिगड़ता महिलाओं का बजट (Weight Management: Myths And Facts About Weight Loss)
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घर में शादी है, किसी ख़ास पार्टी-फंक्शन में जाना है, लड़के वाले देखने आ रहे हैं... ऐसे कई बहाने हैं जो महिलाओं को झटपट स्लिम नज़र आने के लिए उकसाते हैं... फिर शुरू होती है स्लिम नज़र आने के शॉर्टकट तरीफ़ों की तलाश... स्लिम नज़र आने के शॉर्टकट तरीके जितने ��ुभावने होते हैं, उतने ही महंगे भी होते हैं... लेकिन महिलाओं पर स्लिम और जवां नज़र आने का इतना प्रेशर होता है कि इसके लिए वो बजट से ज़्यादा ख़र्च करने के लिए भी तैयार रहती हैं... महिलाओं की झटपट स्लिम और जवां नज़र आने की चाहत के कारण ही स्लिमिंग इंडस्ट्री ख़ूब फल-फूल रही है... आइए, जानें फिटनेस के बाज़ार के सच-झूठ.
महिलाओं पर ख़ूबसूरत दिखने का प्रेशर हमेशा से रहा है. ख़ूबसूरत महिलाओं की ख़ातिर बड़े-बड़े युद्ध तक हुए हैं. आज भी ख़ूबसूरती की डिमांड कम नहीं है. शादी का रिश्ता तय होते समय आज भी ख़ूबसूरत लड़कियों को प्राथमिकता मिलती है. ख़ूबसूरती के मापदंड पर स्लिम बॉडी और ख़ूबसूरत-जवां त्वचा आज भी टॉप पर हैं, इसीलिए हर महिला स्लिम और जवां नज़र आना चाहती है. लेकिन ख़ूबसूरती की इस होड़ में कई महिलाएं अपने बजट और शरीर दोनों का नुक़सान कर रही हैं. झटपट स्लिम और जवां नज़र आने के क्या साइइ इफेक्टस हैं तथा प्राकृतिक तरीके से आप कैसे स्लिम और जवां बनी रह सकती हैं, इसके बारे में बता रही हैं डायटीशियन कंचन पटवर्धन.
स्लिम नज़र आने की वजहें डायटीशियन कंचन पटवर्धन के अनुसार, पहले तो लड़कियां ही स्लिम बॉडी के लिए डायटिंग करती थीं, लेकिन अब महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. महिलाएं भी स्लिम-ट्रिम नज़र आने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहती हैं. लुक्स और फिटनेस को लेकर इतनी कॉम्पटीशन की कई वजहें हैं, जैसे-
* आजकल मिस, मिसेस, मिस्टर... जैसे कई ब्यूटी पेजेंट्स शुरू हो गए हैं, इनमें हिस्सा लेने के लिए अब लड़कियां, महिलाएं, पुरुष सभी अपने लुक्स और बॉडी पर ख़ास ध्यान देने लगे हैं. * सोशल मीडिया पर फोटोज़ अपलोड करने और लाइक्स-कमेंट्स की चाह में भी लोग महंगे कपड़े, कॉस्मेटिक्स और स्लिमिंग ट्रीटमेंट्स लेने गुरेज नहीं करते. * कम समय में झटपट स्लिम-ट्रिम बनाने का प्रलोभन देने वाले विज्ञापनों को देखकर भी महिलाओं के मन में विज्ञापन में दिखाई जाने वाली परफेक्ट बॉडी पाने की इच्छा जागने लगती है. इसके लिए वो अपने बजट से ज़्यादा पैसे खर्च करने के लिए भी तैयार रहती हैं.
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खतरनाक हो सकता है स्लिमिंग का शॉर्टकट फॉमूला स्लिम नज़र आने के शॉर्टकट तरीके जितने महंगे होते हैं, उतने ही लंबे भी होते हैं. जब तक आप इस गणित को समझ पाती हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. पहले आप झटपट स्लिम नज़र आने के लिए पैसे ख़र्च करती हैं, फिर उससे हुए नुक़सान की भरपाई करने के लिए ख़र्च करती हैं और ये सिलसिला चलता जाता है. ये एक तरह से साइकिल की तरह काम करता है, जिसके कारण स्लिमिंग इंडस्ट्री फल-फूल रही है. लोग डिमांड करते जा रहे हैं और स्लिमिंग इंडस्ट्री सप्लाई करती जा रही है और इसमें नुक़सान स़िर्फ आपका हो रहा है.
जानें फैट बर्नर के साइड इफेक्ट्स स्लिमिंग इंडस्ट्री में आजकल फैट बर्नर फैशन में हैं. हर कोई फैट बर्नर का प्रयोग करके स्लिम बॉडी पाना चाहता है, लेकिन कई फैट बर्नर आपके मेटाबॉलिज़्म को इतना बढ़ा देने हैं कि इसके कारण ब्लडप्रेशर, स्ट्रोक्स जैसी बीमारी होने की संभावना तक बढ़ जाती है. कुछ फैट बर्नर इंटेस्टाइन में फैट के एब्ज़ॉर्शन को रोकते हैं, जिससे आपकी बॉडी में फैट एब्ज़ॉर्ब नहीं होता. इससे थोड़े दिनों तक तो सब ठीक चलता है, क्योंकि हमारी बॉडी सुपर कंप्यूटर की तरह होती है, वो अपनी ज़रूरत की चीज़ें कहीं न कहीं से निकाल ही देती है. लेकिन थोड़े समय बाद शरीर में फैट की डेफिशियंसी बढ़ने लगती है. धीरे-धीरे शरीर में फैट की इतनी कमी हो जाती है कि विटामिन ए, डी, ई और के की कमी हो जाती है. इससे आगे चलकर कई हेल्थ प्रॉब्लम्स शुरू हो जाती हैं. विटामिन ए की कमी से इम्यूनिटी कम हो जाती है, विटामिन डी की कमी हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं, विटामिन ई की कमी से फर्टिलिटी और मेमोरी प्रभावित होती है, स्किन प्रॉब्मल्म होने लगती हैं. विटामिन के की कमी से खूब में थक्के जमने की समस्या हो सकती है.
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कितने हेल्दी हैं प्रोटीन शेक? आजकल प्रोटीन शेक का सेवन भोजन के विकल्प के तौर पर किया जाने लगा है. कई मल्टीनेशनल कंपनियों के महंगे प्रोटीन शेक का प्रयोग अमीर घर की महिलाएं ही नहीं, बल्कि मध्यमवर्गीय महिलाएं भी कर रही हैं. ये कंपनियां कहती हैं कि आप स़िर्फ दिन में दो बार ये प्रोटीन शेक पीयो और खाना मत खाओ. एक ग्लास प्रोटीन शेक में करीब 190 कैलोरी होती हैं और ये एक ग्लास शेक पीकर आपका पेट भर जाता है. प्रोटीन शेक पीकर आपको खाने की संतुष्टि तो मिलती है, लेकिन आपके शरीर में फैट एब्ज़ॉर्ब नहीं होता. इटपट स्लिम नज़र आने के लिए महिलाएं इन्हें ख़रीदने के लिए अपने बजट से अधिक ख़र्च तो कर लेती हैं, लेकिन कुछ समय बाद जब ये महिलाएं अपना नॉर्मल खाना खाती हैं, तो इनका वज़न दुगुनी गति से बढ़ने लगता है. ऐसे में इन्हें फिर से वही डायट शुरू करनी पड़ती है और ये साइकिल चलता रहता है. इसके अलावा फिटनेस के इस शॉर्टकट प्रोसेस में फैट से ज़्यादा मसल लॉस होता है. जब आप कम समय में ज़्यादा वज़न घटाती हैं, तो आपके शरीर और चेहरे की त्वचा लूज़ हो जाती है, जिससे जल्दी झुर्रियां आ जाती हैं, चेहरा बेजान दिखने लगता है, डबल चिन की समस्या हो जाती है. बाद में आपको स्किन टाइटनिंग के लिए अलग से खर्च करना पड़ता है, महंगे फेशियल करवाने पड़ते हैं, स्किन टाइटनिंग पैकेज लेने पड़ते हैं.
ये है स्लिम और जवां नज़र आने का प्राकृतिक तरीक़ा आप अपने मोटापे और बढ़ती उम्र के संकेतों को प्राकृतिक तरी़के से आसानी से रोक सकती हैं. इसके लिए आपको अलग से कुछ भी ख़र्च करने की ज़रूरत नहीं है. आइए, हम आपको स्लिम और जवां बने रहने के आसान और असरदार प्राकृतिक उपाय बताते हैं. स्लिम नज़र आने के शॉर्टकट तरीके अपनाने के बजाय प्राकृतिक तरीके से वज़न घटाएं, जिससे आप हमेशा स्लिम और सुंदर बनी रहेंगी.
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* हेल्दी डायट का पहला मंत्र है दिनभर में थोड़ा-थोड़ा खाना इसलिए पूरे दिनभर में 5 बार खाएं. साथ ही यह भी देखें कि आप किस समय क्या खा रही हैं. * रोज़ सुबह उठकर सबसे पहले नींबू का रस और शहद मिला गरम पानी पीएं. अगर आपको अपना कोलेस्ट्रॉल कम करना है, तो गरम पानी में दालचीनी मिला सकती हैं, डायबिटीज़ कम करना है तो मेथी दाना भिगोकर मिला सकती हैं, सर्दी है तो ��ानी में हल्दी मिला सकती हैं. इन चीज़ों से सेहत अच्छी रहती है, वज़न घटना है और ख़ूबसूरती बढ़ती है. * अंकुरित अनाज, गाय का दूध, अंडे, नट्स आदि को अपने सुबह के नाश्ते में शामिल करें. इडली, डोसा, पोहा आदि भी ले सकती हैं. * नाश्ता व दोपहर के खाने के बीच में जब थोड़ी भूख होती है, उस समय मौसमी फल खाने चाहिए. ये आपको एनर्जी के साथ-साथ विटामिन्स और मिनरल्स भी प्रदान करते हैं, जिससे रोग-प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ती है. फलों के नियमित सेवन से आपको कम कैलोरी में सभी न्यूट्रीएंट्स मिल जाते हैं और ये वज़न कम करने में मददगार होते हैं.
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* दोपहर के खाने में ज्वारी, बाजरा, नाचनी से बनी रोटी खाएं. साथ ही हरी सब्ज़ियां व सभी प्रकार की दालें खा सकती हैं. भोजन के साथ सलाद भी खाएं. कैलोरीज़ कम करने के लिए रोटी में घी न लगाएं. सब्ज़ियों व दाल में भी कम घी/तेल का तड़का लगाएं. मसाले जैसे- हल्दी, कालीमिर्च, हींग आदि के प्रयोग से भोजन को स्वादिष्ट बनाया जा सकता है. इन मसालों से शरीर का मेटाबॉलिज़्म भी बढ़ता है, जिससे वज़न कम होने में मदद मिलती है. * शाम के नाश्ते में नारियल पानी, छाछ या दही लिया जा सकता है. भूने हुए चने, ब्राउन ब्रेड सैंडविच, फ्रूट आदि भी ले सकती हैं. * रात को हल्का खाना जैसे- सूप, सलाद, खिचड़ी आदि लेने से वज़न कम होता है. रात के खाने और सोने में लगभग 3 घंटे का अंतर होना चाहिए. * स्लिम और जवां नज़र आने के लिए हेल्दी डायट के साथ-साथ वर्कआउट भी बेहद ज़रूरी है. इसके लिए रोज़ाना एक घंटा मॉर्निंग वॉक, जॉगिंग, एक्सरसाइज़, योग, मेडिटेशन आदि के लिए ज़रूर निकालें.
- कमला बडोनी
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