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Friends, you must have often heard that some people's are always unhappy with their lives, and they are not able to enjoy their life, have you ever wondered why? Let us tell you.
#life#mental-health#people who are always unhappy#People&039;s Who are never able to enjoy life#Unhappy people&039;s
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में श्रद्धा का और शास्त्रविपरीत घोर तप करने वालों का विषय, आहार, यज्ञ, तप और दान के पृथक- पृथक।
#अध्याय-१७#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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में त्याग का विषय, तीनों गुणों के अनुसार ज्ञान, कर्म, कर्ता, बुद्धि, धृति और सुख के पृथक-पृथक भेद, फल सहित वर्ण धर्म का विषय, ज्ञाननिष्ठा का विषय, भक्ति सहित कर्मयोग का विषय, श्रीगीताजी का माहात्म्य।
#अध्याय-१८#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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में फलसहित दैवी और आसुरी संपदा का कथन, आसुरी संपदा वालों के लक्षण और उनकी अधोगति का कथन, शास्त्रविपरीत आचरणों को त्��ागने और शास्त्रानुकूल आचरणों के लिए प्रेरणा।
#अध्याय-१६#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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में संसार रूपी वृक्ष का वर्णन, जीव और आत्मा का वर्णन, जगत में परमात्मा की स्थिति का वर्णन, शरीर, आत्मा और परमात्मा का वर्णन।
#अध्याय-१५#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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में ज्ञानसहित क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय, ज्ञानसहित प्रकृति-पुरुष का विषय।
#अध्याय-१३#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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मे ज्ञान की महिमा और प्रकृति-पुरुष से जगत् की उत्पत्ति, सत्, रज, तम- तीनों गुणों का विषय, भगवत्प्राप्ति का उपाय और गुणातीत पुरुष के लक्षण।
#अध्याय-१४#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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में साकार और निराकार के उपासकों की उत्तमता का निर्णय और भगवत्प्राप्ति के उपाय का विषय, भगवत्-प्राप्त पुरुषों के लक्षण।
#अध्याय-१२#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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में विश्वरूप के दर्शन हेतु अर्जुन की प्रार्थना, भगवान द्वारा अपने विश्व रूप का वर्णन, संजय द्वारा धृतराष्ट्र के प्रति विश्वरूप का वर्णन, अर्जुन द्वारा भगवान के विश्वरूप का देखा जाना और उनकी स्तुति करना, भगवान द्वारा अपने प्रभाव का वर्णन और अर्जुन को युद्ध के लिए उत्साहित करना, भयभीत हुए अर्जुन द्वारा भगवान की स्तुति और चतुर्भुज रूप का दर्शन कराने के लिए प्रार्थना, भगवान द्वारा अपने विश्वरूप के दर्शन की महिमा का कथन तथा चतुर्भुज और सौम्य रूप का दिखाया जाना, बिना अनन्य भक्ति के चतुर्भुज रूप के दर्शन की दुर्लभता का और फलसहित अनन्य भक्ति का कथन।
#अध्याय-११#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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में भगवान की विभूति और योगशक्ति का कथन तथा उनके जानने का फल, फल और प्रभाव सहित भक्तियोग का कथन, अर्जुन द्वारा भगवान की स्तुति तथा विभूति और योगशक्ति को कहने के लिए प्रार्थना, भगवान द्वारा अपनी विभूतियों और योगशक्ति का कथन।
#अध्याय-१०#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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में प्रभावसहित ज्ञान का विषय, जगत की उत्पत्ति का विषय, भगवान का तिरस्कार करने वाले आसुरी प्रकृति वालों की निंदा और दैवी प्रकृति वालों के भगवद्भजन का प्रकार, सर्वात्म रूप से प्रभाव सहित भगवान के स्वरूप का वर्णन, सकाम और निष्काम उपासना का फल, निष्काम भगवद् भक्ति की महिमा।
#अध्याय-९#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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AI अयोध्याकाण्ड सर्ग- २४ महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत का महाकाव्य और स्मृति का एक अंग है। और पापो का नाश कराने वाले श्रीरामचन्द्र जी के जीवन की गाथा है।

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में विज्ञान सहित ज्ञान का विषय, संपूर्ण पदार्थों में कारण रूप से भगवान की व्यापकता का कथन, आसुरी स्वभाव वालों की निंदा और भगवद्भक्तों की प्रशंसा, अन्य देवताओं की उपासना का विषय, भगवान के प्रभाव और स्वरूप को न जानने वालों की निंदा और जानने वालों की महिमा।
#अध्याय-७#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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में ब्रह्म, अध्यात्म और कर्मादि के विषय में अर्जुन के सात प्रश्न और उनका उत्तर, भक्ति योग का विषय, शुक्ल और कृष्ण मार्ग का विषय।
#अध्याय-८#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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में कर्मयोग का विषय और योगारूढ़ पुरुष के लक्षण, आत्म-उद्धार के लिए प्रेरणा और भगवत्प्राप्त पुरुष के लक्षण, विस्तार से ध्यान योग का विषय, मन के निग्रह का विषय, योगभ्रष्ट पुरुष की गति का विषय और ध्यानयोगी की महिमा।
#अध्याय-६#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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में सांख्य-योग और कर्म-योग के भेद, कर्म-योग मे स्थित जीवात्मा के लक्षण, सांख्य-योग मे स्थित जीवात्मा के लक्षण, भक्ति-युक्त ध्यान-योग का निरूपण।
#अध्याय-५#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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में सगुण भगवान का प्रभाव और कर्मयोग का विषय, योगी महात्मा पुरुषों के आचरण और उनकी महिमा, फलसहित पृथक-पृथक यज्ञों का कथन, ज्ञान की महिमा।
#अध्याय-४#श्री भगवद् गीता#श्रीभगवद्गीता#bhagavadgeeta#Hindu Dharma#shri bhagavad geeta#shribhagavadgeeta
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