Navadurga- Full Story Of The first Shailputri
दुर्गाजी पहले स्वरूप में ‘शैलपुत्री‘ के नाम से ही जानी जाती हैं। यह ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। शैलराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण ही इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। नवरात्र पूजन में प्रथम दिन इन्हीं देवी की पूजा और उपासना की जाती
नवदुर्गा- प्रथम शैलपुत्री
दुर्गाजी पहले स्वरूप में ‘शैलपुत्री‘ के नाम से ही जानी जाती हैं। यह ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। शैलराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण ही इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। नवरात्र पूजन में प्रथम दिन इन्हीं देवी की पूजा और उपासना की जाती है। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी जगत में वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं। इस देवी ने अपने दाएँ हाथ में…
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भजनों के साथ भक्तिरस में रातभर डूबे रहे ग्रामीण श्रद्धालु
इटारसी। ग्राम डोबी तालपुरा (Village Dobi Talpura) में अखंड रामायण (Akhand Ramayana) का आयोजन किया गया। इस दौरान आमंत्रित भजन संध्या मंडल, श्री हरि मंडल रंढाल, श्री मां वैष्णो मंडल सिंगोड़ी, श्री शारदा मंडल भोपाल (Bhopal), श्री बाल गोपाल मंडल श्री ढाना चूरना उपस्थित हुए। भजन सुनने के लिए आसपास के क्षेत्र ग्रामवासी ग्रामीण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे और रात भर भजन का आनंद लिया।
ये अतिथि पहुंचे…
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संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में 6, 7 और 8 सितंबर 2024 को भारत और नेपाल के 10 सतलोक आश्रमों में शुद्ध देसी घी से निर्मित तीन दिवसीय विशाल भंडारा और संत गरीबदास जी महाराज की अमृतमयी वाणी का अखंड पाठ आयोजित किया जा रहा है। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता है।
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VARANASI_NEWS_माता मंदिर पर अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया गया
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Jamshedpur rural hanuman mandir : दाहीगोड़ा स्थित श्रीश्री हनुमान मंदिर का दो दिवसीय वार्षिकोत्सव आरंभ, मंगलवार शाम सामूहिक हवन आरती व प्रसाद वितरण के साथ होगा समापन
घाटशिला : घाटशिला के दाहीगोड़ा स्थित श्री श्री हनुमान मंदिर का दो दिवसीय 32वां वार्षिकोत्सव सोमवार को शुरू हुआ. पूरे मंदिर परिसर को फूलों व प्रकाश से सजाया गया है. मुख्य यजमान राकेश अग्रवाल थे. वार्षिकोत्सव के अवसर पर सोमवार को मुख्य पुजारी सच्चिदानंद पांडेय, प्रशांत पांडेय के द्वारा प्रात: इष्टदेव की पूजा-अर्चना, आरती, रामायण पूजन, कलश स्थापना, अखंड रामायण पाठ से शुभारंभ हुआ. (नीचे भी…
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श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से देशभर में 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपये का हुआ व्यापार
2 हज़ार शोभायात्रा, 5 हज़ार से अधिक बाज़ारों में श्री राम फेरी, 1000 से अधिक श्रीराम संवाद कार्यक्रम, 2500 से ज़्यादा संगीतमय श्रीराम भजन एवं श्रीराम गीत कार्यक्रम आयोजित किए गए। 22 जनवरी को देशभर में व्यापारी संगठनों द्वारा बाज़ारों में 15 हज़ार से अधिक एलईडी स्क्रीन लगाई गईं तथा 50 हजार से अधिक स्थानों पर सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, अखंड रामायण एवं अखंड दीपक के कार्यक्रम किए गए। इसके साथ ही देशभर में 40 हजार से अधिक भंडारों के आयोजन व्यापारियों ने किए। खंडेलवाल ने यह भी बताया कि देशभर में करोड़ों की संख्या में श्रीराम मंदिर के मॉडल, माला, लटकन, चूड़ी, बिंदी, कड़े, राम ध्वज, राम पटके, राम टोपी, राम पेंटिंग, राम दरबार के चित्र, श्री राम मंदिर के चित्र आदि की भी जबरदस्त बिक्री हुई। इसके साथ ही देशभर में पंडितों एवं ब्राह्मणों को भी बड़े पैमाने पर इनकम ह���ई। Read more........
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(दिलीप चौकीकर संवाददाता आमला) आमला। नगर के गोविंद कॉलोनी स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर में निरंतर 20 सालों से मकर संक्रांति के पावन पर पर अखंड रामायण का आयोजन किया…
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नौरोजाबाद थाना परिसर मे अखंड रामायण का समापन
नौरोजाबाद थाना परिसर मे अखंड रामायण का समापन
बांधवभूमि न्यूज, हुकुम सिंह
मध्यप्रदेश
उमरिया
नौरोजाबाद। नये वर्ष के उपलक्ष्य मे स्थानीय थाना परिसर मे आयोजित अखंड रामायण का समापन धूमधाम से किया गया। इस दौरान आयोजित पूजा-अर्चना तथा विशाल भण्डारे मे सैकड़ों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। बताया गया कि संगीतमय अखंड रामायण की बैठकी शुक्रवार को हुई। भगवान के प्रसंगों का गायन निरंतर 24 घंटे तक चलता रहा।…
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CM योगी का नवरात्र में देवी और अखंड रामायण पाठ का ऐलान, निर्णय में क्या है ख़ास?
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🎋संत गरीबदास जी महाराज का जीवन परिचय एवं आध्यात्मिक यात्रा🎋
संत गरीबदास जी का जन्म गाँव-छुड़ानी जिला-झज्जर, हरियाणा में सन् 1717 (विक्रमी संवत् 1774) में हुआ। सन् 1727 फाल्गुन सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे 10 वर्ष की आयु में परमात्मा गरीबदास जी को मिले सर्व ज्ञान कराया सतलोक लेकर गए। सभी लोकों से परिचित कराया ब्रह्मा विष्णु महेश का लोक काल का लोक दुर्गा का लोक गणेश जी का लोक आदि इन सभी से परिचित कराया और उनका ज्ञान योग खोला परमेश्वर कबीर जी ही सतलोक से जिन्दा महात्मा के रूप में आकर संत गरीबदास जी को मिले, नाम उपदेश दिया, उनको अजब नगर (सतलोक) में लेकर गए। जहाँ पर आनन्द ही आनन्द है, कोई चिन्ता नहीं, जन्म-मृत्यु, अन्य प्राणियों के शरीर में कष्ट आदि का शोक नहीं है। लगभग 6 से 8 घंटे के बाद वापस पृथ्वी पर छोड़ा तब गरीबदास जी ने बताया कि काशी में जो 120 वर्ष कबीर जुलाहा की भूमिका करके गए वह स्वयं परमात्मा है।
जिस कूं कहते कबीर जुलाहा । सब गति पूर्ण अगम अगाहा।।
पूर्ण संत गरीबदास जी अपनी वाणी में प्रमाण देते हैं -
हम सुल्तानी नानक तारे, दादू कूं उपदेश दिया।
जात जुलाहा भेद नहीं पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।
गरीबदास जी ने पृथ्वी पर आकर अपने यथार्थ ज्ञान से व यथार्थ स्थान से परिचित करवाया। जिसका बाद में लेखन किया गया जिसे आज सद्ग्रन्थ साहिब (अमर ग्रन्थ) साहिब के नाम से जाना जाता है।
यह ग्रंथ आज तक लिखे गए सभी रामायण, महाभारत,सुधासागर,सुखसागर आदि सभी धर्मग्रंथों से भिन्न है।
जिसमें जन्म से लेकर मृत्यु तक मानव को केसे रहना चाहिए सत भक्ति से लेकर मोक्ष प्राप्ति से लेकर सतयुग से कलयुग के अंत तक की पूरी यथार्थ जानकारी अपनी अमृतवाणीयों के माध्यम से बताया हैं
जिसके बारे में यह भी बताया गया है कि इन वाणियों का सही सरलार्थ करके उजागर वही करेगा जो पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब का अवतार आयेगा
और आज वर्तमान में वो अवतार संत रामपाल जी महाराज के रूप में आये हुए हैं
और इन सभी वाणीयों का (अमर ग्रन्थ) का अपने सभी 10 आश्रमों में 2 से 04 मार्च तक पाठ प्रकाश करवा रहे हैं और साथ में तीन दिन का देशी घी का अखंड भंडारा करा रहे हैं जिसमें आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित हैं
इस भंडारे बने पकवान लड्डू जलेबी पूड़ी सब्जी हलवा आदि का सर्व प्रथम पूर्ण परमात्मा को भोग लगाया जाता है जिससे सर वह सामग्री प्रसाद में परिवर्तित हो जाती है और इस प्रसाद को ग्रहण करने वाले हर प्राणी के करोड़ों पाप नाश हो जाते हैं जिसका प्रमाण गीता अध्याय 3 के श्लोक 13 में भी है
आप सभी इन दस जगहों में से किसी आपके नजदीक वाले समागम में आकर इस महासमागम की शोभा बढाएं और इस अमृत भोजन को गृहण करके अपने आपको धन्य बनाएं
1 सतलोक आश्रम सोजत (राजस्थान)
2 सतलोक आश्रम मुंडका (दिल्ली)
3 सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा)
4 सतलोक आश्रम सिंहपूरा रोहतक (हरियाणा)
5 सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
6 सतलोक आश्रम खमानों (पंजाब)
7 सतलोक आश्रम धुरी (पंजाब)
8 सतलोक आश्रम शामली (उत्तर प्रदेश)
9 सतलोक आश्रम बेतूल (मध्यप्रदेश)
10 सतलोक आश्रम धनुषा (नेपाल)
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड सर्ग- १०
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण- बालकाण्ड सर्ग- १० अंगदेश में ऋष्यश्रृंग के आने तथा शान्ता के साथ विवाह होने के प्रसंग का विस्तार के साथ वर्णन।
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण- बालकाण्ड सर्ग- १० भावार्थ सहित
॥ 卐 ॥॥ श्री गणेशाय नमः ॥॥ श्री कमलापति नम: ॥॥ श्री जानकीवल्लभो विजयते ॥॥ श्री वाल्मीकि रामायण ॥
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मुख पृष्ठ अखंड रामायण वाल्मीकि रामायण बालकाण्ड सर्ग- १०
वाल्मीकि रामायण(भावार्थ सहित)सब एक ही स्थान पर
बालकाण्ड सर्ग- १०
बालकाण्डम्
दशमः सर्गः (सर्ग 10)
( अंगदेश में ऋष्यश्रृंग के आने तथा…
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🎯संत गरीबदास जी महाराज का जीवन परिचय एवं आध्यात्मिक यात्रा🎯
संत गरीबदास जी का जन्म हरियाणा के जिला झज्जर, गांव छुड़ानी में सन 1717 में जाटों के एक प्रसिद्ध धनखड़ परिवार में पिता श्री बलरामजी और माता श्रीमती रानीदेवीजी के यहाँ हुआ था।
गरीबदासजी बचपन से ही अन्य ग्वालों के साथ गौ चराने जाते थे। कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में 10 वर्ष के बालक गरीबदासजी जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे अन्य ग्वालों के साथ जब भोजन कर रहे थे तभी वहाँ से कुछ दूरी पर सत्यपुरुष कबीर साहब जिंदा महात्मा के रूप में सतलोक से अवतरित हुए और गरीबदास जी महाराज से मिलकर उन्हें तत्वज्ञान समझाया और उन्हें सतलोक का साक्षी बनाया। संत गरीब दास जी महाराज की आत्मा को जब कबीर परमेश्वर सतलोक ले गए तो वे तीन दिन अचेत रहे। तीन दिन बाद जब वे वापिस शरीर में आए तो परमात्मा की महिमा की वाणी सुनाने लगे उससे उनके गाँव के लोग उन्हें बावला कहने लगे ।
तीन वर्ष उपरांत दादू संत मत के दीक्षित संत गोपालदास जो वैश्य परिवार से थे, उस गाँव में आए । गाँव वालों के निवेदन पर संत गरीबदास जी से बात कर 62 वर्षीय गोपालदासजी समझ गए यह विशिष्ट ज्ञानी बालक परमात्मा से मिलकर आया है । गोपालदासजी के यह प्रश्न करने पर कि उन्हे कौन मिले थे और कहाँ लेकर गए थे 13 वर्षीय तत्वदर्शी संत गरीबदासजी ने उत्तर दिया कि जिंदा बाबा मुझे मिले थे और मुझे सतलोक लेकर गए वही स्वयं कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा काल के जाल से छुड़वाते हैं ।
ऐसा बोलकर संत गरीबदास जी वहाँ से चल दिए।गोपालदासजी पीछे पीछे चले और गरीबदासजी से नम्र निवेदन किया कि यह ज्ञान लिपिबद्ध कराएं। पूरा होने तक लिखने की शर्त पर गरीबदासजी लिखवाने के लिए सहमत हो गए। परमात्मा से प्राप्त तत्वज्ञान को गरीबदासजी के बेरी के बाग में एक जांडी के नीचे बैठकर छः माह में लिखवाया गया और इस प्रकार हस्तलिखित ग्रंथ सतग्रंथ साहिब (अमरबोध, अमरग्रन्थ ) की रचना हुई ।
इस ग्रंथ में कबीर सागर के 7000 शब्द सहित कुल 24000 शब्द लिखे हैं। इस महान ग्रंथ में गुजराती, अरबी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द प्रयुक्त किये गए हैं।
अमर ग्रंथ अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों से बिल्कुल अलग है। इसमें सृष्टि रचना से लेकर चारों युगों का विस्तार से वर्णन किया गया है। गरीबदास जी महाराज जो पूर्ण परमात्मा के अवतार हैं उन्होंने इस ग्रंथ के पूर्ण रहस्य को खोला है। इसमें भूतकाल, वर्तमान काल तथा भविष्य काल की घटनाओं को विस्तार से बताया है। इसमें सत्भक्ति मंत्रों की पूर्ण जानकारी दी गई है। जिसकी मर्यादा पूर्वक साधना से पूर्ण मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है। वर्तमान में पूर्ण परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज ने इस अमर ग्रंथ के रहस्य को जनता के सामने रखा और उन्हें सत्भक्ति दी। महाभारत, रामायण, रामचरित मानस में वास्तविक भक्ति मार्ग नहीं है और ना ही ऐसा गूढ़ ज्ञान है।
गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन् 1778 में सतलोक गमन किया । ग्राम छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार, छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है ।
कबीर चरित्र बोध अध्याय के पृष्ठ 1870 पर स्पष्ट है कि बारहवां पंथ गरीबदास जी का है। कबीर परमेश्वर ने कहा है कि बारहवें पंथ में मेरी महिमा की वाणी प्रकट होगी यानी बारहवें पंथ वाला मेरी महिमा की वाणी बोलेगा। इसी पंथ में संत रामपाल जी महाराज आए हैं जो नाम दीक्षा देने के वास्तविक अधिकारी हैं। 2 से 4 मार्च 2023 को संत गरीब दास जी महाराज के बोध दिवस के अवसर पर 10 सतलोक आश्रमों में गरीब दास जी महाराज की अमर वाणी का तीन दिवसीय अखंड पाठ, देसी घी से निर्मित निःशुल्क विशाल भंडारा, दहेज मुक्त विवाह व रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
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🎋संत गरीबदास जी महाराज का जीवन परिचय एवं आध्यात्मिक यात्रा🎋
संत गरीबदास जी का जन्म गाँव-छुड़ानी जिला-झज्जर, हरियाणा में सन् 1717 (विक्रमी संवत् 1774) में हुआ। सन् 1727 फाल्गुन सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे 10 वर्ष की आयु में परमात्मा गरीबदास जी को मिले सर्व ज्ञान कराया सतलोक लेकर गए। सभी लोकों से परिचित कराया ब्रह्मा विष्णु महेश का लोक काल का लोक दुर्गा का लोक गणेश जी का लोक आदि इन सभी से परिचित कराया और उनका ज्ञान योग खोला परमेश्वर कबीर जी ही सतलोक से जिन्दा महात्मा के रूप में आकर संत गरीबदास जी को मिले, नाम उपदेश दिया, उनको अजब नगर (सतलोक) में लेकर गए। जहाँ पर आनन्द ही आनन्द है, कोई चिन्ता नहीं, जन्म-मृत्यु, अन्य प्राणियों के शरीर में कष्ट आदि का शोक नहीं है। लगभग 6 से 8 घंटे के बाद वापस पृथ्वी पर छोड़ा तब गरीबदास जी ने बताया कि काशी में जो 120 वर्ष कबीर जुलाहा की भूमिका करके गए वह स्वयं परमात्मा है।
जिस कूं कहते कबीर जुलाहा । सब गति पूर्ण अगम अगाहा।।
पूर्ण संत गरीबदास जी अपनी वाणी में प्रमाण देते हैं -
हम सुल्तानी नानक तारे, दादू कूं उपदेश दिया।
जात जुलाहा भेद नहीं पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।
गरीबदास जी ने पृथ्वी पर आकर अपने यथार्थ ज्ञान से व यथार्थ स्थान से परिचित करवाया। जिसका बाद में लेखन किया गया जिसे आज सद्ग्रन्थ साहिब (अमर ग्रन्थ) साहिब के नाम से जाना जाता है।
यह ग्रंथ आज तक लिखे गए सभी रामायण, महाभारत,सुधासागर,सुखसागर आदि सभी धर्मग्रंथों से भिन्न है।
जिसमें जन्म से लेकर मृत्यु तक मानव को केसे रहना चाहिए सत भक्ति से लेकर मोक्ष प्राप्ति से लेकर सतयुग से कलयुग के अंत तक की पूरी यथार्थ जानकारी अपनी अमृतवाणीयों के माध्यम से बताया हैं
जिसके बारे में यह भी बताया गया है कि इन वाणियों का सही सरलार्थ करके उजागर वही करेगा जो पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब का अवतार आयेगा
और आज वर्तमान में वो अवतार संत रामपाल जी महाराज के रूप में आये हुए हैं
और इन सभी वाणीयों का (अमर ग्रन्थ) का अपने सभी 10 आश्रमों में 2 से 04 मार्च तक पाठ प्रकाश करवा रहे हैं और साथ में तीन दिन का देशी घी का अखंड भंडारा करा रहे हैं जिसमें आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित हैं
इस भंडारे बने पकवान लड्डू जलेबी पूड़ी सब्जी हलवा आदि का सर्व प्रथम पूर्ण परमात्मा को भोग लगाया जाता है जिससे सर वह सामग्री प्रसाद में परिवर्तित हो जाती है और इस प्रसाद को ग्रहण करने वाले हर प्राणी के करोड़ों पाप नाश हो जाते हैं जिसका प्रमाण गीता अध्याय 3 के श्लोक 13 में भी है
आप सभी इन दस जगहों में से किसी आपके नजदीक वाले समागम में आकर इस महासमागम की शोभा बढाएं और इस अमृत भोजन को गृहण करके अपने आपको धन्य बनाएं
1 सतलोक आश्रम सोजत (राजस्थान)
2 सतलोक आश्रम मुंडका (दिल्ली)
3 सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा)
4 सतलोक आश्रम सिंहपूरा रोहतक (हरियाणा)
5 सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
6 सतलोक आश्रम खमानों (पंजाब)
7 सतलोक आश्रम धुरी (पंजाब)
8 सतलोक आश्रम शामली (उत्तर प्रदेश)
9 सतलोक आश्रम बेतूल (मध्यप्रदेश)
10 सतलोक आश्रम धनुषा (नेपाल)
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♦️संत गरीबदास जी महाराज का जीवन परिचय एवं आध्यात्मिक यात्रा♦️
आदरणीय संत गरीबदास जी का जन्म गाँव-छुड़ानी, जिला-झज्जर, हरियाणा में सन् 1717 (विक्रमी संवत् 1774) में हुआ। सन् 1727 फाल्गुन सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे परमेश्वर कबीर जी गरीबदास जी को नला नामक खेत में मिले सर्व ज्ञान कराया सतलोक लेकर गए और पृथ्वी पर वापस छोड़ा। तब गरीबदास जी महाराज ने सतलोक का वर्णन आंखों देखा किया उन्होंने अपनी वाणी में कहा है –
गरीब, हम देखा सो साच है और सकल प्रपंच।
फाल्गुन सुदी द���वादशी को जिस दिन परमेश्वर कबीर देव जी ने गरीब दास जी को गुरु उपदेश दिया था उस दिन से गरीबदास जी बोध दिवस के रूप में समागम करते थे। गरीब दास जी ने अपने मुख कमल से अमृतवाणी बोली थी तथा दादू पंथी गोपाल दास जी से लिपिबद्ध करवाया था जिसे "सतग्रंथ साहिब" के नाम से जाना जाता है।
अमर ग्रंथ अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों से बिल्कुल अलग है। इसमें सृष्टि रचना से लेकर चारों युगों का विस्तार से वर्णन किया गया है। गरीबदास जी महाराज जो पूर्ण परमात्मा के अवतार हैं उन्होंने इस ग्रंथ के पूर्ण रहस्य को खोला है। इसमें भूतकाल, वर्तमान काल तथा भविष्य काल की घटनाओं को विस्तार से बताया है। इसमें सत्भक्ति मंत्रों की पूर्ण जानकारी दी गई है। जिसकी मर्यादा पूर्वक साधना से पूर्ण मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है। वर्तमान में पूर्ण परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज ने इस अमर ग्रंथ के रहस्य को जनता के सामने रखा और उन्हें सत्भक्ति दी। महाभारत, रामायण, रामचरित मानस में वास्तविक भक्ति मार्ग नहीं है और ना ही ऐसा गूढ़ ज्ञान है।
कबीर सागर के अध्याय कबीर वाणी में पृष्ठ 136 पर परमेश्वर कबीर साहिब जी ने 12 पंथों की जानकारी दी है–
साखि हमार लै जिव समुझावै।
असंख्य जन्म में ठौर ना पावै।।
बारवै पन्थ प्रगट होवै बानी।
शब्द हमारे की निर्णय ठानी।।
अस्थिर घर का मरम न पावैं।
ये बारा पंथ हमही को ध्यावैं।।
बारहें पन्थ हमही चलि आवै।
सब पंथ मिटा एक ही पंथ चलावै।।
आदरणीय गरीबदास पंथ, बारहवां पंथ है (प्रमाण – कबीर सागर, कबीर चरित्र बोध पृष्ठ 1870 पर) इसी पंथ में संत रामपाल जी महाराज जी आए हुए हैं जिनसे सभी पंथों को समाप्त कर एक पंथ का निर्माण होगा।
कबीर सागर में वर्णन है कि 12 पंथ कबीर साहेब जी के नाम से चलाए जाएंगे लेकिन मूल ज्ञान इनसे कोसो दूर रहेगा।
नकली 12 पंथ मिटने के बाद मूल ज्ञान का उजागर होगा।
कबीर वाणी:-
तेंतीस अरब ज्ञान हम भाखा,
तत्वज्ञान हम गुप्त राखा।
मूलज्ञान (तत्वज्ञान) तब तक छुपाई,
जब लग द्वादश पंथ ना मिट जाई।।
कबीर साहेब जी के नाम से चले 12 पंथो के वास्तविक मुखिया काल/ज्योति निरंजन है।
कबीर साहेब जी ने कहा था , तेरहवे पंथ हम ही चल आये, सब पंथ मिटा कर एक पंथ चलाये। वो तेरहवाँ पंथ कबीर साहेब के अवतार संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाया जा रहा है।
कबीर परमेश्वर ने धर्मदास जी को कहा कि मेरे नाम से कलयुग में काल 12 पंथ चलाएगा 12 पंथ वाले सब मेरी महिमा गाएंगे परंतु सतलोक नहीं जा पाएंगे क्योंकि उनके पास में सत मंत्र नहीं होंगे सत मंत्र देने के लिए कलयुग 5505 बीतेगा तब मैं आऊंगा धर्मदास इन सब पंथो को मेट कर एक पंथ चलाऊंगा जो मेरा नाम लेगा उसका जन्म मरण छुड़ाऊंगा।
कलयुग के 5505 वर्ष बीतने के पश्चात् सभी स्त्री-पुरूष कपट व व्यर्थ की चतुराई त्यागकर कबीर जी की शरण ग्रहण करेंगे। सभी धर्म पुनः एक हो जाएंगे। कबीर जी के आध्यात्म ज्ञान की चर्चा घर-घर में होगी, सभी शांतिपूर्वक जीवन जीएंगे, तब सभी के संसारिक कष्ट समाप्त हो जाएंगे, उस समय कबीर जी के 13 वें पंथ का प्रवर्तक सबको समान दृष्टि से देखेगा अर्थात् ऊँच-नीच में भेदभाव नहीं करेगा। वह समर्थ सत्य कबीर ही होगा।
कबीर परमेश्वर की प्यारी आत्मा गरीबदासजी महाराज के बोध दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 2, 3 व 4 मार्च 2023 को देश के 10 सतलोक आश्रमों में संत गरीबदास जी महाराज की अमरवाणी का अखंड पाठ, शुद्ध देशी घी से निर्मित विशाल भंडारा, रक्तदान शिविर, नशामुक्त कार्यक्रम, दहेजमुक्त विवाह जैसे अद्भुत समाज सेवी कार्यक्रम चल रहे हैं। आप सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
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आदरणीय संत गरीबदास जी का जन्म गाँव-छुड़ानी, जिला-झज्जर, हरियाणा में सन् 1717 (विक्रमी संवत् 1774) में हुआ। सन् 1727 फाल्गुन सुदी द्वादशी के दिन के लगभग 10 बजे परमेश्वर कबीर जी गरीबदास जी को नला नामक खेत में मिले सर्व ज्ञान कराया सतलोक लेकर गए और पृथ्वी पर वापस छोड़ा। तब गरीबदास जी महाराज ने सतलोक का वर्णन आंखों देखा किया उन्होंने अपनी वाणी में कहा है –
गरीब, हम देखा सो साच है और सकल प्रपंच।
फाल्गुन सुदी द्वादशी को जिस दिन परमेश्वर कबीर देव जी ने गरीब दास जी को गुरु उपदेश दिया था उस दिन से गरीबदास जी बोध दिवस के रूप में समागम करते थे। गरीब दास जी ने अपने मुख कमल से अमृतवाणी बोली थी तथा दादू पंथी गोपाल दास जी से लिपिबद्ध करवाया था जिसे "सतग्रंथ साहिब" के नाम से जाना जाता है।
अमर ग्रंथ अन्य आध्यात्मिक ग्रंथों से बिल्कुल अलग है। इसमें सृष्टि रचना से लेकर चारों युगों का विस्तार से वर्णन किया गया है। गरीबदास जी ��हाराज जो पूर्ण परमात्मा के अवतार हैं उन्होंने इस ग्रंथ के पूर्ण रहस्य को खोला है। इसमें भूतकाल, वर्तमान काल तथा भविष्य काल की घटनाओं को विस्तार से बताया है। इसमें सत्भक्ति मंत्रों की पूर्ण जानकारी दी गई है। जिसकी मर्यादा पूर्वक साधना से पूर्ण मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है। वर्तमान में पूर्ण परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज ने इस अमर ग्रंथ के रहस्य को जनता के सामने रखा और उन्हें सत्भक्ति दी। महाभारत, रामायण, रामचरित मानस में वास्तविक भक्ति मार्ग नहीं है और ना ही ऐसा गूढ़ ज्ञान है।
कबीर सागर के अध्याय कबीर वाणी में पृष्ठ 136 पर परमेश्वर कबीर साहिब जी ने 12 पंथों की जानकारी दी है–
साखि हमार लै जिव समुझावै।
असंख्य जन्म में ठौर ना पावै।।
बारवै पन्थ प्रगट होवै बानी।
शब्द हमारे की निर्णय ठानी।।
अस्थिर घर का मरम न पावैं।
ये बारा पंथ हमही को ध्यावैं।।
बारहें पन्थ हमही चलि आवै।
सब पंथ मिटा एक ही पंथ चलावै।।
आदरणीय गरीबदास पंथ, बारहवां पंथ है (प्रमाण – कबीर सागर, कबीर चरित्र बोध पृष्ठ 1870 पर) इसी पंथ में संत रामपाल जी महाराज जी आए हुए हैं जिनसे सभी पंथों को समाप्त कर एक पंथ का निर्माण होगा।
कबीर सागर में वर्णन है कि 12 पंथ कबीर साहेब जी के नाम से चलाए जाएंगे लेकिन मूल ज्ञान इनसे कोसो दूर रहेगा।
नकली 12 पंथ मिटने के बाद मूल ज्ञान का उजागर होगा।
कबीर वाणी:-
तेंतीस अरब ज्ञान हम भाखा,
तत्वज्ञान हम गुप्त राखा।
मूलज्ञान (तत्वज्ञान) तब तक छुपाई,
जब लग द्वादश पंथ ना मिट जाई।।
कबीर साहेब जी के नाम से चले 12 पंथो के वास्तविक मुखिया काल/ज्योति निरंजन है।
कबीर साहेब जी ने कहा था , तेरहवे पंथ हम ही चल आये, सब पंथ मिटा कर एक पंथ चलाये। वो तेरहवाँ पंथ कबीर साहेब के अवतार संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाया जा रहा है।
कबीर परमेश्वर ने धर्मदास जी को कहा कि मेरे नाम से कलयुग में काल 12 पंथ चलाएगा 12 पंथ वाले सब मेरी महिमा गाएंगे परंतु सतलोक नहीं जा पाएंगे क्योंकि उनके पास में सत मंत्र नहीं होंगे सत मंत्र देने के लिए कलयुग 5505 बीतेगा तब मैं आऊंगा धर्मदास इन सब पंथो को मेट कर एक पंथ चलाऊंगा जो मेरा नाम लेगा उसका जन्म मरण छुड़ाऊंगा।
कलयुग के 5505 वर्ष बीतने के पश्चात् सभी स्त्री-पुरूष कपट व व्यर्थ की चतुराई त्यागकर कबीर जी की शरण ग्रहण करेंगे। सभी धर्म पुनः एक हो जाएंगे। कबीर जी के आध्यात्म ज्ञान की चर्चा घर-घर में होगी, सभी शांतिपूर्वक जीवन जीएंगे, तब सभी के संसारिक कष्ट समाप्त हो जाएंगे, उस समय कबीर जी के 13 वें पंथ का प्रवर्तक सबको समान दृष्टि से देखेगा अर्थात् ऊँच-नीच में भेदभाव नहीं करेगा। वह समर्थ सत्य कबीर ही होगा।
कबीर परमेश्वर की प्यारी आत्मा गरीबदासजी महाराज के बोध दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 2, 3 व 4 मार्च 2023 को देश के 10 सतलोक आश्रमों में संत गरीबदास जी महाराज की अमरवाणी का अखंड पाठ, शुद्ध देशी घी से निर्मित विशाल भंडारा, रक्तदान शिविर, नशामुक्त कार्यक्रम, दहेजमुक्त विवाह जैसे अद्भुत समाज सेवी कार्यक्रम चल रहे हैं। आप सपरिवार सादर आमंत्रित हैं।
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