How is the रोष ! Extreme sir ! (#Pulwama)
पुलवामा के शहीदों के बारे में बातचीत करते हुए जब एक टेलिविज़न ऐंकर ने एक भूतपूर्व सैन्य अधिकारी से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने कहा के कुछ उनके (ख़ुद के) जैसे बदनसीब सैनिक भी होते हैं जो ऐसे टेलिविज़न कार्यक्रमों में शिरकत करने के लिए ज़िंदा रह जाते हैं। एक सैनिक की शहादत के बारे में ऐसी भावनात्मक बात एक दूसरा सैनिक ही कह सकता है। उनके जवाब के अनोखेपन ने हृदय को मानो झकझोर कर रख दिया और कुछ पुरानी स्मृतियाँ मन में जीवंत हो उठीं।
मेरा गृह शहर किशनगंज। छात्रजीवन में मेरी और मेरे कुछ दोस्तों की दिनचर्या का एक नियमित हिस्सा था कि हम किशनगंज रेलवे स्टेशन की एक बेंच पर कुछ वक़्त ज़रूर गुज़ारते थे। स्टेशन पर बैठकर देश के विभिन्न कोनों से होते हुए हमारे शहर से गुज़रने वाली रेलगाड़ियाँ तथा उनपर चढ़ने-उतरने वाले यात्रियों को देखना हमारे लिए एक मज़ेदार अनुभव होता था, क्यूँकि वह हमें एक छोटे शहर में रहने के बावजूद पूरे देश से जुड़े होने का अहसास दिलाता था। तब हमें यह नहीं मालूम था कि हमारी ये आदत एक दिन हमें एक अविस्मरणीय अनुभव दे जाएगी।
वर्ष 1999। कारगिल में युद्ध के बादल मँडराने लगे। देश के विभिन्न भागों में तैनात सैनिक टुकड़ियों को कश्मीर की तरफ़ कूच करने का आदेश दे दिया गया। किशनगंज से होकर गुज़रने वाली गाड़ियों के स्वरूप में भी परिवर्तन हो गया। सवारी गाड़ियों में कई यात्री अब वर्दियों में नज़र आने लगे। जो मालगाड़ियाँ पहले गेहूँ, चावल, सिमेंट और इस्पात ढोती थीं, अब उनके ऊपर तोप, जीप और अन्य सैन्य साज़ो-सामान दिखने लगे। इन मालगाड़ियों पर युद्ध उपकरणों के साथ सैनिक भी आरूढ़ होते थे। कश्मीर में पाकिस्तानी घुसपैठ पर पूरा देश रोष में था, और देशभक्ति से लबरेज़ भी। हम भी कश्मीर की ओर उन्मुख ओजस्वी सैनिकों को रोज़ अपनी आँखों से देख रहे थे और ये जुड़ाव कुछ इस तरह बढ़ चला था कि हमलोग रोज़ घंटों स्टेशन पर ऐसी रेलगाड़ियों के इंतज़ार में बैठे रहते थे। फिर एक दिन ये अहसास हुआ कि सिर्फ़ हम ही उन्हें नहीं देखते थे, उनकी निगाहें भी हम पर होती थी। शायद वो निगाहें हमसे कहती थीं “चिंता मत करो, हम हैं ना।” और हमलोग जवाब में मन ही मन शायद कहना चाहते थे कि हम आपके पराक्रम को लेकर आश्वस्त हैं, लेकिन ईश्वर से सिर्फ़ एक प्रार्थना है कि विजयोपरांत आपकी वापसी की यात्रा के भी साक्षी बनें।
फिर अचानक एक दिन जब ऐसी ही एक मालगाड़ी काफ़ी धीमी गति से किशनगंज स्टेशन से गुज़र रही थी और उसपर सवार सैनिक स्टेशन पर मौजूद लोगों की तरफ़ देख रहे थे, स्वतः, हम दोस्तों के मुँह से निकला “भारत माता की” और इसका उत्तर सैनिकों की तरफ़ से समवेत स्वर में आया “जय”! अब बारी उनकी थी लेकिन उनके उद्घोश का उत्तर सिर्फ़ हम दोस्तों ने नहीं बल्कि स्टेशन पर मौजूद सारे जनसमूह ने दिया। देखते ही देखते सारा वातावरण सैनिकों की सिंह गर्जना और स्थानीय लोगों के नारों से गुंजायमान हो उठा। और यह तब तक चलता रहा जब तक की गाड़ी का आख़िरी डब्बा स्टेशन से गुज़र नहीं गया। और उस लम्हे में हमें यह अहसास हुआ कि हमारे सैनिकों के ल��ए वर्दी सिर्फ़ एक रोज़गार का अवसर नहीं बल्कि उनका धर्म है, गर्व है, जुनून है। वरना युद्धभूमि की ओर जाते हुए भी इतना उत्साह और चेहरे पर गर्वमिश्रित मुस्कान वो लाते कहाँ से हैं।
पुलवामा की कायरतापूर्ण घटना को अंजाम देकर आतंकियों और उनके सरपरस्तों ने हिंदुस्तान के सीने पर एक बहुत ही गहरा ज़ख़्म दिया है। साथ ही उन्होंने साबित कर दिया है कि ऑडीओ/विडीओ मेसजेज़ में उनकी बड़ी-बड़ी गीदड़ भभकियों के बावजूद उनकी हिम्मत नहीं है हमारे जवानों के पौरुष का सामने से मुक़ाबला करने की। और मेरे शहीद सैनिकों के परिवारों का हौसला तो देखो, जो अपने दूसरे बेटों और बेटियों को देशसेवा में अर्पित करने के लिए अभी से तैयार हैं।
पुलवामा हमले के तार हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से साफ़-साफ़ जुड़े हैं। ये वही पाकिस्तान है जिसके पेशावर में जब कुछ वर्ष पूर्व एक स्कूल पर हमला करके आतंकियों ने कई बच्चों की हत्या कर दी थी तब पूरा हिंदुस्तान उनके दर्द में उनके साथ नम आँखों से खड़ा था, यहाँ तक की हमारे कवियों ने इस बर्बर कृत्य को अपनी कविताओं में कुछ इस तरह व्यक्त किया था:
बड़े सहमे हैं सब, स्कूल से लौटे नहीं बच्चे
भला कैसे बचें आतंक के इस शूल से बच्चे
खुदा रहने के क़ाबिल अब नहीं दुनिया रही तेरी
ये कह कर सो गए क़ब्रों में प्यारे फूल से बच्चे ।
(दिनेश रघुवंशी की मुक्तक)
इसके विपरीत पाकिस्तान भारत विरोधी आतंकी संगठनों को खुलेआम अपनी सरज़मीं का इस्तेमाल करने दे रहा है। और आज जब हिंदुस्तान लहूलुहान हुआ है तो ये पाकिस्तान हमेशा की तरह ये मानने से ही इंकार कर रहा है कि इसमें उसकी कोई संलिप्तता है। साथ ही वो भारत से हमेशा की तरह सबूत माँगने का नाटक कर रहा है, जो जब मुहैया कराए जाते हैं तो नकार दिए जाते हैं। और इसलिए कहता हूँ कि बस अब बहुत हुआ। अमेरिका ने लादेन को पाकिस्तान में घुस कर मारने से पहले कौन से सबूत उसे सौंपे थे। हाँ मैं जानता हूँ कि हम अमेरिका नहीं हैं। लेकिन अब वक़्त आ गया है अपने आप को सामरिक एवं अन्य मापदंडों पर सशक्त बनाने का और अपनी ‘soft state’ वाली छवि से बाहर निकलने का। सामरिक शक्ति, तकनीक एवं सटीक ख़ुफ़िया जानकारी के बल पर अमेरिका अगर 12000 किलोमीटर दूर आकर पाकिस्तान में बैठे लादेन का सफ़ाया कर सकता है तो हम भी ऐसा ही कुछ क्यूँ नहीं कर सकते। बहुत हुआ हमारी फ़िल्मों में दाऊद को घसीट कर भारत लाना, अब हम हक़ीक़त में चाहते हैं कि पाकिस्तान की गोद में बैठे भारत के सारे दुश्मनों को उनके गिरेबाँ पकड़ कर भारत में लाया जाए, चाहे हो हाफ़िज़ सईद हो, चाहे मसूद अजहर हो।
हमें पुलवामा मामले में विश्व के लगभग 60 देशों का समर्थन मिलना हमारी कूटनीतिक विजय हो सकती है, लेकिन आतंकवाद और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जब सशस्त्र संघर्ष की बात होगी तो आपको अपने बलबूते पर ही लड़ाई लड़नी है। और यह सम्भव है। इज़्रेल का मॉडल आपके सामने है।
पुलवामा हमले की प्रतिक्रिया में भारत को कुछ कठोरतम एवं अभूतपूर्व क़दम उठाने की ज़रूरत है। पाकिस्तान से मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन का दर्जा और कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा एवं अन्य सहूलियतों का वापस लिया जाना बिल्कुल सही निर्णय हैं। अब ज़रूरत है पाकिस्तान को शत्रु राष्ट्र घोषित करके उससे सभी प्रकार के व्यापारिक, वाणिज्यिक और सांस्कृतिक रिश्ते ख़त्म कर देने की। व्यापार और वाणिज्य बंद हो जाने से अगर हमारी आर्थिक क्षति भी होती है तो स्वीकार्य है। रही बात सांस्कृतिक रिश्तों की, तो हमें राहत फ़तेह अली खान और आतिफ़ असलम के गाने हमारे सैनिकों और देशवाशियों के प्राण से ज़्यादा प्यारे नहीं हैं। इसके बाद शीघ्र-अतिशीघ्र आतंकवादियों और उनके ठिकानों पर, चाहे वो सीमापार ही हों, सामरिक कार्यवाही की जाए। अगर इसकी परिणिति युद्ध में होती है तो ये भी स्वीकार्य है।
जब एक प्रधानमंत्री अपने शहीद सैनिकों के शवों की हाथ जोड़े दीर्घ परिक्रमा करता है तो उनके मन की वेदना के साथ उनका उनके अंतर्मन में किया गया कोई निश्चय स्वतः ज़ाहिर हो उठता है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मेरे देश का राजनैतिक नेतृत्व इस बार आतंकवाद के ख़िलाफ़ एक निर्णायक लड़ाई लड़ेगा, जिसमें वो पूरी तरह से सक्षम भी है।
लेकिन सारी ज़िम्मेदारी सिर्फ़ सरकार और सेना की भी नहीं। देश सबका है और उसे उन्नत बनाना और महफ़ूज़ रखना हम सब का फ़र्ज़ है। सैनिक अपना कर्तव्य बख़ूबी निभा रहे हैं, यह अब हम पर है कि हम उनकी कुर्बनियों के लायक़ बनें। इसलिए ज़रूरी है कि हम जिस किसी भी क्षेत्र में कार्य करते हों, अपना काम पूरी ईमानदारी से करें ताकि भारत मज़बूत बने। अगर आप का काम एक जूते में कील ठोकना ही हो तो इसे भी पूरी लगन से करें। क्या पता आपके द्वारा लापरवाही से ठोका गया कोई कील युद्धभूमि में किसी जवान के लिए ज़िंदगी और मौत का सवाल बन जाए।
अंत में मैं पुलवामा के शहीदों की आत्माओं को साष्टांग नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि हम देशवासियों का रोम-रोम आप सबों का ऋणी है। ये देश आप सबों की शहादत का बदला ज़रूर लेगा और यथाशीघ्र लेगा।
तेरे ऊपर हुआ हर वार, अब तो वार है मुझ पर
मेरी ख़ातिर बहा तेरा लहू, उधार है मुझ पर
ना भूलूँगा कभी, और ना ही अब मैं भूलने दूँगा
गर भूल जाऊँ मैं कभी, धिक्कार है मुझ पर।
- अमरेश कुमार मिश्रा
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राजनैतिक जागरूकता अभियान का हिस्सा बने 5068 मुस्लिम बदायूं जिले में पूर्व दर्जा राज्यमंत्री आबिद रजा द्वारा चलाये जा रहे मुस्लिम राजनैतिक जागरूकता अभियान को अपार समर्थन मिलता नजर आ रहा है। शहर में तमाम स्थानों पर कैंप लगाये गये, जिसमें सदस्यता ग्रहण करने को मुस्लिम समाज का हुजूम उमड़ता नजर आया। शहर में छः सड़का पर मुस्लिम समाज के समाजसेवियों व युवाओं द्वारा कैंप लगाया गया, जिसमें मुस्लिम राजनैतिक जागरूकता अभियान के अंतर्गत हस्ताक्षर कराए गये। मुस्लिम समाज की महिलाओं, बुजर्गों, दुकानदारों और युवाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। कैंप में स्वयं आकर 5068 लोगों ने हस्ताक्षर किये, जिसके बाद सभी मिशन के सदस्य बन गये। सामाजिक जागरूकता के उद्देश्य से चलाए जा रहे मिशन का हिस्सा बनने के लिए पहली बार मुस्लिम समाज की महिलाएं भी सामने आते हुए दिखाई दे रही हैं। मुस्लिम समाज की महिलाओं, बुजर्गों और युवाओं ने आबिद रजा को मुसलमानों का सबसे बड़ा वकील बताते हुए मिशन को मुस्लिमों के हक में सराहनीय और मजबूत कदम बताया। लोगों ने आश्वस्त किया कि मुसलमान आबिद रजा के साथ खड़े हैं और खड़े रहेंगे। आबिद रजा यह लड़ाई कौम के लिए लड़ रहे हैं, इसलिए प्रत्येक मुसलमान आबिद रजा के साथ है। इस अवसर पर भोला, अबरार अहमद, मोहम्मद ताजीम, असद, पप्पू, डॉ. आशू, फिरोज अंसारी, सलमान अकरम, डॉ. फारुख, रशीद, हीरो, अफसर अली, अनीस सिद्दीकी, अली अल्वी, नजमुल हसन, कल्लू, पप्पू गांधी, नीरज राठौर, हसरत अली, सलमान खान, आमिर अली, अमन अंसारी, शारूख गाजी, शानू अली, फहीम और असलम सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। (गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)
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अधिकारी निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण करेंः धन सिंह रावत ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं को ध्यान में रखकर जिला योजना में हो उसका प्राविधान : अजय अल्मोड़ा । जिला योजना अन्तर्गत स्वीकृत धनराशि से निर्माण कार्यों में तेजी लाने के साथ ही साथ कार्यों में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखना होगा इस सम्बन्ध में लापरवाही किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं होगी। यह बात जनपद के प्रभारी मंत्री एवं उच्च शिक्षा, सहकारिता राज्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने विकास भवन में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में कही। उन्होंने कहा कि जनपद में जहॉ पर भी निर्माण कार्य हो रहे है उसका स्थलीय निरीक्षण मेरे द्वारा समय-समय पर स्वंय किया जायेगा इसके साथ ही जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी प्रत्येक माह जनपद के सभी क्षेत्रों में भ्रमण कर निमार्ण कार्यों का औचक निरीक्षण करेंगे। प्रभारी मंत्री ने कहा कि इस बार जिला योजना में चालू योजनाओं को ही महत्व दिया जा रहा है। नये कार्यों को जिला योजना में नहीं रखा जायेगा जब तक पुराने कार्य पूर्ण नहीं होंगे तब तक नये कार्यों को रखना औचित्यपूर्ण नहीं होगा। जिला योजना की संरचना बनाते समय अधिकारियों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य, सड़क, शिक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को उसमें समावेश करना होगा तभी हमारी विकेन्द्रीकरण की परिकल्पना साकार होगी। प्रभारी मंत्री ने कहा कि हमें शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने जिला योजना की संरचना के बारे में सभी विभागों के अधिकारियों के साथ विस्तृत वार्ता की। इस बैठक में उन्होंने कहा ि कवे जिला योजना समिति के सदस्यों के साथ पृथक से वार्ता करेंगे और प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर से बहुउद्देशीय कैम्प लगाकर लोगों की समस्या सुनेंगे इसके साथ ही जनपद में दस दिन तक भ्रमण पर रह कर लोगों की समस्या को सुनेंगे। बैठक में आगामी वित्त वर्ष 2017-18 हेतु 52.49 लाख रूपये का परिव्यय रखे जाने पर सहमति बनी और कहा कि योजना तभी सम्मिलित होगी जब सदस्यों के साथ व्यापक विचार विर्मश होगा। उन्होंने सभी अधिकारियों से अपने विभाग से सम्बन्धित अद्यतन जानकारी रखने के निर्देश दिये। प्रभारी मंत्री ने जनपद में पेयजल समस्या से निपटने के लिए जल संरक्षण व जल संवर्द्धन के कार्यों को प्राथमिकता देने के साथ ही चाल-खाल निर्माण पर भी प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने कहा कि जनपद की पेयजल समस्या से निपटने के लिए शासन कटिबद्व है। नगरीय पेयजल समस्या को दूर करने के लिए शासन द्वारा कोसी बैराज में पम्प लगाने हेतु टोकन मनी स्वीकृत कर दी है। शीघ्र ही अन्य धनराशि को प्राथमिकता से स्वीकृत कराने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जनपद में पलायन को रोकने के लिए वन विभाग, उद्यान, कृषि, पर्यटन, मत्स्य पालन, दुग्ध पालन, पशुपालन, रेशम पालन से जुड़े अधिकारी आपस में समन्वय स्थापित कर ठोस कार्य योजना तैयार करेंगे जिससे गॉवों से पलायन रूक सके इसके लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को हमें प्रोत्साहित करना होगा। उन्होंने कहा कि जनपद में पर्यटन की अपार सम्भावनाओं को देखते हुए पर्यटन विभाग के अधिकारियों को होम स्टे योजना के साथ ही अन्य योजनाओं से युवाओं को जोड़ना होगा साथ ही नये ट्रेकिंग रूटो का चयन करना होगा ताकि अधिकाधिक लोग पर्यटन का लुफ्त ले सकें। कृषि व उद्यान विभाग से जुड़े अधिकारियों को फ्लोरीकल्चर के साथ ही बेमौसमी सब्जी के उत्पादन को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने कहा कि हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि उनसे उत्पादित माल के विपणन के लिए भी एक कार्य योजना तैयार करनी होगी ताकि उन्हें नजदीक में ही विपणन की सुविधा सुलभ हो सके। काश्तकारों को समय पर बीज उपलब्ध हो सके इसका भी ध्यान रखना होगा। वन विभाग के अधिकारियों को विभिन्न जगहो पर बने विश्राम गृहों को आधुनिक तरीके से सुसज्जित करना होगा तथा वनों में फलदार पौधों के रोपण को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने यह भी निर्देश अधिकारियों को दिये कि ग्रामीण क्षेत्रों का अधिकाधिक भ्रमण कर लोगो कि समस्याओं का निदान मौके पर ही किया जाय। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि सड़कों के निर्माण में तेजी लाने के साथ-साथ वन भूमि हस्तान्तरण के मामलों पर विशेष ध्यान देना होगा। नगर की यातायात व्यवस्था को और अधिक सुव्यवस्थित करने के लिए हमें नये रोडो के निर्माण में तेजी लानी होगी ताकि शहर में वाहनो का दवाब कम हो सके। प्रभारी मंत्री ने इस अवसर पर रिक्त शिक्षिकों के पदों, रिक्त चिकित्सकों के पदों सहित सभी विभागों में रिक्त पदों की जानकारी प्राप्त की और कहा क प्रत्येक अधिकारी अद्यतन सूचना अपने पास रखें। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को मिटाने के लिये हम सभी को मिलकर कार्य करना होगा। साथ ही नई कार्य संस्कृति को बढावा देना होगा। इस बैठक में केन्द्रीय कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा, विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान, विधायक द्वाराहाट महेश नेगी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं को ध्यान में रखकर जिला योजना में उसका प्राविधान रखना होगा तभी हमें सही मायने में इसका लाभ मिलेगा। विधायक रानीखेत करन महरा ने धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये द्वाराहाट तहसील के बग्वालीपोखर क्षेत्र में स्थिति पूज्य सुखदेव जी की तपोस्थली को विकासित करने की बात कही। इस अवसर पर अनेक जिला पंचायत सदस्यों ने अपनी बात रखते हुये कहा कि जिला योजना के सदस्यों की योजनाओं को जिला योजना में प्राथमिकता से सम्मिलित किया जाय। जिलाधिकारी सविन बंसल ने विगत वर्ष कि जो जिला योजना हेतु धनराशि स्वीकृत हुई थी उसकी जानकारी देते हुये कहा कि शासन से प्राप्त शासनादेशों से अवगत कराया और आश्वस्त किया कि सभी जनप्रतिनिधियों की भावनाओं का सम्मान किया जायेगा। मुख्य विकास अधिकारी जे.एस. नगन्याल ने प्रभारी मंत्री का स्वागत करते हुये सभी सैक्टर जानकारी दी। इस बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष पार्वती महरा, नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चन्द्र जोशी, नगर पंचायत अध्यक्ष द्वाराहाट बिमला शाह, भाजपा के जिला अध्यक्ष ललित लटवाल, ब्लाक प्रमुख हवालबाग सूरल सिरड़ी, ताकुला दीपक बोरा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दलीप सिंह कुॅवर, जिला विकास अधिकारी मो. असलम, उपजिलाधिकारी सदर विवेक राय, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी जी.एस. कालाकोटी सहित जिला योजना समिति के सदस्य व जनपद स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।
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