Gram Sevak Bharti 2024: ग्राम सेवक भर्ती 21,000 रुपये प्रतिमाह मिलेगा वेतन, ऐसे करें अप्लाई
ग्राम सेवक भर्ती, आवेदन प्रक्रिया, शुल्क, योग्यता, आयु सीमा, चयन प्रक्रिया (Gram Sevak Bharti) (Application Process, Fees, Eligibility, Age Limit, Selection Process)
Gram Sevak Bharti 2024: यदि आपने 12वीं कक्षा उत्तीर्ण कर ली है और अभी भी नौकरी की तलाश में हैं, तो यह सुनने में आपको हर्षित करेगा कि उपायुक्त कार्यालय ने आपके लिए रोजगार का अवसर सृजित किया है। हाल ही में उपायुक्त कार्यालय से एक…
एमपी सरकार ने एमपीपीएससी उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा में तीन साल की वृद्धि की है
एमपी सरकार ने एमपीपीएससी उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा में तीन साल की वृद्धि की है
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की परीक्षाओं में बैठने वाले उम्मीदवारों की आयु सीमा में तीन साल की वृद्धि की घोषणा की।
यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि एमपीपीएससी की परीक्षाएं कोविद -19 महामारी के दौरान आयोजित नहीं की जा सकीं और कई उम्मीदवारों ने इस अवधि के दौरान पात्र आयु को पार कर लिया था।
चौहान ने कहा, “कोविड -19 महामारी के कारण…
भारतीय सेना अग्निवीर भर्ती रैली 2022: अग्निपथ योजना के लिए सीधे आवेदन पत्र लिंक यहां देखें
भारतीय सेना अग्निवीर भर्ती रैली 2022: अग्निपथ योजना के लिए सीधे आवेदन पत्र लिंक यहां देखें
भारतीय सेना अग्निवीर भर्ती रैली 2022: उम्मीदवार यहां पंजीकरण लिंक वेतन, योग्यता, आयु सीमा, चयन मानदंड और अन्य महत्वपूर्ण विवरण देख सकते हैं।
भारतीय सेना अग्निवीर भर्ती रैली 2022
भारतीय सेना अग्निवीर अधिसूचना 2022: भारतीय सेना में उन छात्रों से पंजीकरण हो रहा है जो रक्षा में शामिल होने के लिए ‘अग्निवर’ के रूप में पंजीकरण कर रहे हैं, जिसके लिए अगस्त और सितंबर 2022 के महीने में देश के विभिन्न…
Super TET क्या है ? Super TET कौन दे सकता है ? Super TET Exam सम्पूर्ण जानकारी हिन्दी में
Super TET क्या है ? Super TET कौन दे सकता है ? Super TET Exam सम्पूर्ण जानकारी हिन्दी में
Super TET Exam क्या है ? तो इस पोस्ट में हम आपको Super TET से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है जैसे Super TET Exam को कौन कौन दे सकता है ?
Super TET Exam क्या है ?
यदि आप नही जानते कि Super TET क्या है ? तो इस पोस्ट में हम आपको Super TET से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है जैसे कि Super TET क्या है ? एवं Super TET कौन दे सकता है ? इसको देने के लिए क्या योग्यता ( Super tet…
जब आदरणीय गरीबदास जी 10 वर्ष की आयु के थे, तब कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे परमेश्वर कबीर साहिब जी सतलोक से आकर मिले।
*विष्णु का अपने पिता की प्राप्ति के लिए प्रस्थान व माता का आशीर्वाद पाना*
📜इसके बाद विष्णु से प्रकृति ने कहा कि पुत्र तू भी अपने पिता का पता लगा ले। तब विष्णु अपने पिता जी काल (ब्रह्म) का पता करते-करते पाताल लोक में चले गए, जहाँ शेषनाग था। उसने विष्णु को अपनी सीमा में प्रविष्ट होते देख कर क्रोधित हो कर जहर भरा फुंकारा मारा। उसके विष के प्रभाव से विष्णु जी का रंग सांवला हो गया, जैसे स्प्रे पेंट हो जाता है। तब विष्णु ने चाहा कि इस नाग को मजा चखाना चाहिए। तब ज्योति निरंजन (काल) ने देखा कि अब विष्णु को शांत करना चाहिए। तब आकाशवाणी हुई कि विष्णु अब तू अपनी माता जी के पास जा और सत्य-सत्य सारा विवरण बता देना तथा जो कष्ट आपको शेषनाग से हुआ है, इसका प्रतिशोध द्वापर युग में लेना। द्वापर युग में आप (विष्णु) तो कृष्ण अवतार धारण करोगे और कालीदह में कालिन्द्री नामक नाग, शेष नाग का अवतार होगा।
जो जीव देई पीर पुनी काँहु, हम पुनि ओएल दिवावें ताहूँ।।
तब विष्णु जी माता जी के पास आए तथा सत्य-सत्य कह दिया कि मुझे पिता के दर्शन नहीं हुए। इस बात से माता (प्रकृति) बहुत प्रसन्न हुई और कहा कि पुत्र तू सत्यवादी है। अब मैं अपनी शक्ति से पिता से मिलाती हूँ तथा तेरे मन का संशय खत्म करती हूँ।
कबीर, देख पुत्र तोहि पिता भीटाऊँ, तौरे मन का धोखा मिटाऊँ। मन स्वरूप कर्ता कह जानों, मन ते दूजा और न मानो। स्वर्ग पाताल दौर मन केरा, मन अस्थीर मन अहै अनेरा। निंरकार मन ही को कहिए, मन की आस निश दिन रहिए। देख हूँ पलटि सुन्य मह ज्योति, जहाँ पर झिलमिल झालर होती।।
इस प्रकार माता (अष्टंगी, प्रकृति) ने विष्णु से कहा कि मन ही जग का कर्ता है, यही ज्योति निरंजन है। ध्यान में जो एक हजार ज्योतियाँ नजर आती हैं वही उसका रूप है। जो शंख, घण्टा आदि का बाजा सुना, यह महास्वर्ग में निरंजन का ही बज रहा है। तब माता (अष्टंगी, प्रकृति) ने कहा कि हे पुत्र तुम सब देवों के सरताज हो और तेरी हर कामना व कार्य मैं पूर्ण करूंगी। तेरी पूजा सर्व जग में होगी। आपने मुझे सच-सच बताया है। काल के इक्कीस ब्रह्माण्ड़ों के प्राणियों की विशेष आदत है कि अपनी व्यर्थ महिमा बनाता है। जैसे दुर्गा जी श्री विष्णु जी को कह रही है कि तेरी पूजा जग में होगी। मैंने तुझे तेरे पिता के दर्शन करा दिए। दुर्गा ने केवल प्रकाश दिखा कर श्री विष्णु जी को बहका दिया। श्री विष्णु जी भी प्रभु की यही स्थिति अपने अनुयाइयों को समझाने लगे कि परमात्मा का केवल प्रकाश दिखाई देता है। परमात्मा निराकार है। इसके बाद आदि भवानी रूद्र(महेश जी) के पास गई तथा कहा कि महेश तू भी कर ले अपने पिता की खोज तेरे दोनों भाइयों को तो तुम्हारे पिता के दर्शन नहीं हुए उनको जो देना था वह प्रदान कर दिया है अब आप माँगो जो माँगना है। तब महेश ने कहा कि हे जननी ! मेरे दोनों बड़े भाईयों को पिता के दर्शन नहीं हुए फिर प्रयत्न करना व्यर्थ है। कृपा मुझे ऐसा वर दो कि मैं अमर (मृत्युंजय) हो जाऊँ। तब माता ने कहा कि यह मैं नहीं कर सकती। हाँ युक्ति बता सकती हूँ, जिससे तेरी आयु सबसे लम्बी बनी रहेगी। विधि योग समाधि है (इसलिए महादेव जी ज्यादातर समाधि में ही रहते हैं)। इस प्रकार माता (अष्टंगी, प्रकृति) ने तीनों पुत्रों को विभाग बांट दिए: --
भगवान ब्रह्मा जी को काल लोक में लख चौरासी के चोले (शरीर) रचने (बनाने) का अर्थात् रजोगुण प्रभावित करके संतान उत्पत्ति के लिए विवश करके जीव उत्पत्ति कराने का विभाग प्रदान किया। भगवान विष्णु जी को इन जीवों के पालन पोषण (कर्मानुसार) करने, तथा मोह-ममता उत्पन्न करके स्थिति बनाए रखने का विभाग दिया। भगवान शिव शंकर (महादेव) को संहार करने का विभाग प्रदान किया क्योंकि इनके पिता निरंजन को एक लाख मानव शरीर धारी जीव प्रतिदिन खाने पड़ते हैं।
यहां पर मन में एक प्रश्न उत्पन्न होगा कि ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर जी से उत्पत्ति, स्थिति और संहार कैसे होता है। ये तीनों अपने-2 लोक में रहते हैं। जैसे आजकल संचार प्रणाली को चलाने के लिए उपग्रहों को ऊपर आसमान में छोड़ा जाता है और वे नीचे पृथ्वी पर संचार प्रणाली को चलाते हैं। ठीक इसी प्रकार ये तीनों देव जहां भी रहते हैं इनके शरीर से निकलने वाले सूक्ष्म गुण की तरंगें तीनों लोकों में अपने आप हर प्राणी पर प्रभाव बनाए रहती है।
उपरोक्त विवरण एक ब्रह्माण्ड में ब्रह्म (काल) की रचना का है। ऐसे-ऐसे क्षर पुरुष (काल) के इक्कीस ब्रह्माण्ड हैं।
परन्तु क्षर पुरूष (काल) स्वयं व्यक्त अर्थात् वास्तविक शरीर रूप में सबके सामने नहीं आता। उसी को प्राप्त करने के लिए तीनों देवों (ब्रह्मा जी, विष्णु जी, शिव जी) को वेदों में वर्णित विधि अनुसार भरसक साधना करने पर भी ब्रह्म (काल) के दर्शन नहीं हुए। बाद में ऋषियों ने वेदों को पढ़ा। उसमें लिखा है कि ‘अग्नेः तनूर् असि‘ (पवित्र यजुर्वेद अ. 1 मंत्र 15) परमेश्वर सशरीर है तथा पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 में लिखा है कि ‘अग्नेः तनूर् असि विष्णवे त्वा सोमस्य तनूर् असि‘।
इस मंत्र में दो बार वेद गवाही दे रहा है कि सर्वव्यापक, सर्वपालन कर्ता सतपुरुष सशरीर है। पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में कहा है कि (कविर् मनिषी) जिस परमेश्वर की सर्व प्राणियों को चाह है, वह कविर् अर्थात् कबीर है। उसका शरीर बिना नाड़ी (अस्नाविरम्) का है, (शुक्रम्) वीर्य से बनी पाँच तत्व से बनी भौतिक (अकायम्) काया रहित है। वह सर्व का मालिक सर्वोपरि सत्यलोक में विराजमान है, उस परमेश्वर का तेजपुंज का (स्वज्र्योति) स्वयं प्रकाशित शरीर है जो शब्द रूप अर्थात् अविनाशी है। वही कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है जो सर्व ब्रह्माण्डों की रचना करने वाला (व्यदधाता) सर्व ब्रह्माण्डों का रचनहार (स्वयम्भूः) स्वयं प्रकट होने वाला (यथा तथ्य अर्थान्) वास्तव में (शाश्वत्) अविनाशी है (गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में भी प्रमाण है।) भावार्थ है कि पूर्ण ब्रह्म का शरीर का नाम कबीर (कविर देव) है। उस परमेश्वर का शरीर नूर तत्व ���े बना है। परमात्मा का शरीर अति सूक्ष्म है जो उस साधक को दिखाई देता है जिसकी दिव्य दृष्टि खुल चुकी है। इस प्रकार जीव का भी सुक्ष्म शरीर है जिसके ऊपर पाँच तत्व का खोल (कवर) अर्थात् पाँच तत्व की काया चढ़ी होती है जो माता-पिता के संयोग से (शुक्रम) वीर्य से बनी है। शरीर त्यागने के पश्चात् भी जीव का सुक्ष्म शरीर साथ रहता है। वह शरीर उसी साधक को दिखाई देता है जिसकी दिव्य दृष्टि खुल चुकी है। इस प्रकार परमात्मा व जीव की स्थिति को समझें। वेदों में ओ3म् नाम के स्मरण का प्रमाण है जो केवल ब्रह्म साधना है। इस उद्देश्य से ओ3म् नाम के जाप को पूर्ण ब्रह्म का मान कर ऋषियों ने भी हजारों वर्ष हठयोग (समाधि लगा कर) करके प्रभु प्राप्ति की चेष्टा की, परन्तु प्रभु दर्शन नहीं हुए, सिद्धियाँ प्राप्त हो गई। उन्हीं सिद्धी रूपी खिलौनों से खेल कर ऋषि भी जन्म-मृत्यु के चक्र में ही रह गए तथा अपने अनुभव के शास्त्रों में परमात्मा को निराकार लिख दिया। ब्रह्म (काल) ने कसम खाई है कि मैं अपने वास्तविक रूप में किसी को दर्शन नहीं दूँगा। मुझे अव्यक्त जाना करेंगे (अव्यक्त का भावार्थ है कि कोई आकार में है परन्तु व्यक्तिगत रूप से स्थूल रूप में दर्शन नहीं देता। जैसे आकाश में बादल छा जाने पर दिन के समय सूर्य अदृश हो जाता है। वह दृश्यमान नहीं है, परन्तु वास्तव में बादलों के पार ज्यों का त्यों है, इस अवस्था को अव्यक्त कहते हैं।)। (प्रमाण के लिए गीता अध्याय 7 श्लोक 24-25, अध्याय 11 श्लोक 48 तथा 32)
पवित्र गीता जी बोलने वाला ब्रह्म (काल) श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रेतवत प्रवेश करके कह रहा है कि अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ और सर्व को खाने के लिए आया हूँ। (गीता अध्याय 11 का श्लोक नं. 32) यह मेरा वास्तविक रूप है, इसको तेरे अतिरिक्त न तो कोई पहले देख सका तथा न कोई आगे देख सकता है अर्थात् वेदों में वर्णित यज्ञ-जप-तप तथा ओ3म् नाम आदि की विधि से मेरे इस वास्तविक स्वरूप के दर्शन नहीं हो सकते। (गीता अध्याय 11 श्लोक नं 48) मैं कृष्ण नहीं हूँ, ये मूर्ख लोग कृष्ण रूप में मुझ अव्यक्त को व्यक्त (मनुष्य रूप) मान रहे हैं। क्योंकि ये मेरे घटिया नियम से अपरिचित हैं कि मैं कभी वास्तविक इस काल रूप में सबके सामने नहीं आता। अपनी योग माया से छुपा रहता हूँ (गीता अध्याय 7 श्लोक नं 24-25)
विचार करें:- अपने छुपे रहने वाले विधान को स्वयं अश्रेष्ठ (अनुत्तम) क्यों कह रहे हैं?
यदि पिता अपनी सन्तान को भी दर्शन नहीं देता तो उसमें कोई त्रुटि है जिस कारण से छुपा है तथा सुविधाएं भी प्रदान कर रहा है। काल (ब्रह्म) को शापवश एक लाख मानव शरीर धारी प्राणियों का आहार करना पड़ता है तथा 25 प्रतिशत प्रतिदिन जो ज्यादा उत्पन्न होते हैं उन्हें ठिकाने लगाने के लिए तथा कर्म भोग का दण्ड देने के लिए चौरासी लाख योनियों की रचना की हुई है। यदि सबके सामने बैठकर किसी की पुत्री, किसी की पत्नी, किसी के पुत्र, माता-पिता को खा गए तो सर्व को ब्रह्म से घृणा हो जाए तथा जब भी कभी पूर्ण परमात्मा कविरग्नि (कबीर परमेश्वर) स्वयं आए या अपना कोई संदेशवाहक (दूत) भेंजे तो सर्व प्राणी सत्यभक्ति करके काल के जाल से निकल जाएं।
इसलिए धोखा देकर रखता है तथा पवित्र गीता अध्याय 7 श्लोक 18, 24, 25 में अपनी साधना से होने वाली मुक्ति (गति) को भी (अनुत्तमाम्) अति अश्रेष्ठ कहा है तथा अपने विधान (नियम)को भी (अनुत्तम) अश्रेष्ठ कहा है।
प्रत्येक ब्रह्माण्ड में बने ब्रह्मलोक में एक महास्वर्ग बनाया है। महास्वर्ग में एक स्थान पर नकली सतलोक - नकली अलख लोक - नकली अगम लोक तथा नकली अनामी लोक की रचना प्राणियों को धोखा देने के लिए प्रकृति (दुर्गा/आदि माया) द्वारा करवा रखी है। कबीर साहेब का एक शब्द है ‘कर नैनों दीदार महल में प्यारा है‘ में वाणी है कि ‘काया भेद किया निरवारा, यह सब रचना पिण्ड मंझारा है। माया अविगत जाल पसारा, सो कारीगर भारा है। आदि माया किन्ही चतुराई, झूठी बाजी पिण्ड दिखाई, अविगत रचना रचि अण्ड माहि वाका प्रतिबिम्ब डारा है।‘
एक ब्रह्माण्ड में अन्य लोकों की भी रचना है, जैसे श्री ब्रह्मा जी का लोक, श्री विष्णु जी का लोक, श्री शिव जी का लोक। जहाँ पर बैठकर तीनों प्रभु नीचे के तीन लोकों (स्वर्गलोक अर्थात् इन्द्र का लोक - पृथ्वी लोक तथा पाताल लोक) पर एक- एक विभाग के मालिक बन कर प्रभुता करते हैं तथा अपने पिता काल के खाने के लिए प्राणियों की उत्पत्ति, स्थिति तथा संहार का कार्यभार संभालते हैं। तीनों प्रभुओं की भी जन्म व मृत्यु होती है। तब काल इन्हें भी खाता है। इसी ब्रह्माण्ड {इसे अण्ड भी कहते हैं क्योंकि ब्रह्माण्ड की बनावट अण्डाकार है, इसे पिण्ड भी कहते हैं क्योंकि शरीर (पिण्ड) में एक ब्रह्माण्ड की रचना कमलों में टी.वी. की तरह देखी जाती है} में एक मानसरोवर तथा धर्मराय (न्यायधीश) का भी लोक है तथा एक गुप्त स्थान पर पूर्ण परमात्मा अन्य रूप धारण करके रहता है जैसे प्रत्येक देश का राजदूत भवन होता है। वहाँ पर कोई नहीं जा सकता। वहाँ पर वे आत्माऐं रहती हैं जिनकी सत्यलोक की भक्ति अधूरी रहती है। जब भक्ति युग आता है तो उस समय परमेश्वर कबीर जी अपना प्रतिनिधी पूर्ण संत सतगुरु भेजते हैं। इन पुण्यात्माओं को पृथ्वी पर उस समय मानव शरीर प्राप्त होता है तथा ये शीघ्र ही सत भक्ति पर लग जाते हैं तथा सतगुरु से दीक्षा प्राप्त करके पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर जाते हैं। उस स्थान पर रहने वाले हंस आत्माओं की निजी भक्ति कमाई खर्च नहीं होती। परमात्मा के भण्डार से सर्व सुविधाऐं उपलब्ध होती हैं। ब्रह्म (काल) के उपासकों की भक्ति कमाई स्वर्ग-महा स्वर्ग में समाप्त हो जाती है क्योंकि इस काल लोक (ब्रह्म लोक) तथा परब्रह्म लोक में प्राणियों को अपना किया कर्मफल ही मिलता है।
क्षर पुरुष (ब्रह्म) ने अपने 20 ब्रह्माण्डों को चार महाब्रह्माण्डों में विभाजित किया है। एक महाब्रह्माण्ड में पाँच ब्रह्माण्डों का समूह बनाया है तथा चारों ओर से अण्डाकार गोलाई (परिधि) में रोका है तथा चारों महाब्रह्माण्डों को भी फिर अण्डाकार गोलाई (परिधि) में रोका है। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड की रचना एक महाब्रह्माण्ड जितना स्थान लेकर की है। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड में प्रवेश होते ही तीन रास्ते बनाए हैं। इक्कीसवें ब्रह्माण्ड में भी बांई तरफ नकली सतलोक, नकली अलख लोक, नकली अगम लोक, नकली अनामी लोक की रचना प्राणियों को धोखे में रखने के लिए आदि माया (दुर्गा) से करवाई है तथा दांई तरफ बारह सर्व श्रेष्ठ ब्रह्म साधकों (भक्तों) को रखता है। फिर प्रत्येक युग में उन्हें अपने संदेश वाहक (सन्त सतगुरू) बनाकर पृथ्वी पर भेजता है, जो शास्त्रा विधि रहित साधना व ज्ञान बताते हैं तथा स्वयं भी भक्तिहीन हो जाते हैं तथा अनुयाइयों को भी काल जाल में फंसा जाते हैं। फिर वे गुरु जी तथा अनुयाई दोनों ही नरक में जाते हैं। फिर सामने एक ताला (कुलुफ) लगा रखा है। वह रास्ता काल (ब्रह्म) के निज लोक में जाता है। जहाँ पर यह ब्रह्म (काल) अपने वास्तविक मानव सदृश काल रूप में रहता है। इसी स्थान पर एक पत्थर की टुकड़ी तवे के आकार की (चपाती पकाने की लोहे की गोल प्लेट सी होती है) स्वतः गर्म रहती है। जिस पर एक लाख मानव शरीर धारी प्राणियों के सूक्ष्म शरीर को भूनकर उनमें से गंदगी निकाल कर खाता है। उस समय सर्व प्राणी बहुत पीड़ा अनुभव करते हैं तथा हाहाकार मच जाती है। फिर कुछ समय उपरान्त वे बेहोश हो जाते हैं। जीव मरता नहीं। फिर धर्मराय के लोक में जाकर कर्माधार से अन्य जन्म प्राप्त करते हैं तथा जन्म-मृत्यु का चक्कर बना रहता है। उपरोक्त सामने लगा ताला ब्रह्म (काल) केवल अपने आहार वाले प्राणियों के लिए कुछ क्षण के लिए खोलता है। पूर्ण परमात्मा के सत्यनाम व सारनाम से यह ताला स्वयं खुल जाता है। ऐसे काल का जाल पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) ने स्वयं ही अपने निजी भक्त धर्मदास जी को समझाया।
जब गरीबदास जी 10 वर्ष की आयु के थे कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में बालक गरीबदास जी जांडी के पेड़ के नीचे बैठ अन्य ग्वालों के साथ भोजन कर रहे थे। उस समय परमात्मा कबीर जी जिंदा बाबा के रूप में सतलोक से आकर उनको मिले ।
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नेशनल इंश्योरेंस कंपनी में लैटरल एंट्री का कर्मचारियों ने किया विरोध
नेशनल इंश्योरेंस कंपनी में लैटरल एंट्री का कर्मचारियों ने किया विरोध
नई दिल्ली। देश की सबसे पुरानी सामान्य बीमा कम्पनियों में से एक नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी में सूचना और प्रौद्योगिकी के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पद, मुख्य तकनीकी अधिकारी पर लैटरल एंट्री का जनरल इंश्योरेंस एम्प्लॉइज ऑल इंडिया एसोसिएशन ने विरोध किया है। संगठन का कहना है कि वह प्रारम्भ से ही मुख्य तकनीकी अधिकारी की नियुक्ति की संदिग्ध आउटसोर्सिंग का विरोध करता रहा है। इस पद के लिए आयु सीमा 50- 52 के बीच…
CPCB ने Accounts Assistant, Sr. Lab Assistant ओर अन्य 163 पदों के लिए निकली बंपर वैकेंसी, जानें पूरी डिटेल।
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Central Pollution Control Board of India में नौकरी रिक्तियों पदों को भरने के संबंध में अधिसूचना (नोटिफिकेशन) जारी कर दी गई है। योग्य और इच्छुक उम्मीदवार https://cpcb.nic.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। महत्वपूर्ण तिथियां, वेतन, रिक्ति, आयु सीमा, चयन प्रक्रिया और आवेदन प्रक्रिया यहां देखें।
• विभाग का नाम (Organization) : Central Pollution Control Board of India ने अधिसूचना जारी कि।
• पद का नाम…
विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा बढ़ाने सहित राज्य मंत्रिमंडल ने 12 प्रस्तावों पर लगायी मुहर....
नवीन समाचार, देहरादून, 22 जून, 2024। लोक सभा चुनाव की आचार संहिता के बादयानी करीब 3 माह बाद शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में राज्य सचिवालय में मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित हुई। बैठक में 12 प्रस्तावों पर मुहर लगी है। मंत्रिमंडल में लिये गये बड़े निर्णयों में राज्य में कार्यरत विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष करने का निर्णय शामिल है।
इसके अलावा…
Mangal Kavach Stuti: विवाह में हो रही है देरी? तो करें ये छोटा सा काम, जल्द बजेगी शहनाईMangal Kavach Benefits: जिस तरह हर काम के लिए एक समय होता है, उसी तरह विवाह के लिए भी एक आयु सीमा सही मानी जाती है।
“विष्णु का अपने पिता (काल/ब्रह्म) की प्राप्ति के लिए प्रस्थान व माता का आशीर्वाद पाना”
इसके बाद विष्णु से प्रकृति ने कहा कि पुत्र तू भी अपने पिता का पता लगा ले। तब विष्णु अपने पिता जी काल (ब्रह्म) का पता करते-करते पाताल लोक में चले गए, जहाँ शेषनाग था।
उसने विष्णु को अपनी सीमा में प्रविष्ट होते देख कर क्रोधित हो कर जहर भरा फुंकारा मारा।
उसके विष के प्रभाव से विष्णु जी का रंग सांवला हो गया, जैसे स्प्रे पेंट हो जाता है। तब विष्णु ने चाहा कि इस नाग को मजा चखाना चाहिए। तब ज्योति निरंजन (काल) ने देखा कि अब विष्णु को शांत करना चाहिए। तब आकाशवाणी हुई कि विष्णु अब तू अपनी माता जी के पास जा और
सत्य-सत्य सारा विवरण बता देना तथा जो कष्ट आपको शेषनाग से हुआ है, इसका प्रतिशोध द्वापर युग में लेना। द्वापर युग में आप (विष्णु) तो कृष्ण अवतार धारण करोगे और कालीदह में
जो जीव देई पीर पुनी काँहु, हम पुनि ओएल दिवावें ताहूँ।।
तब विष्णु जी माता जी के पास आए तथा सत्य-सत्य कह दिया कि मुझे पिता के दर्शन नहीं हुए। इस बात से माता (प्रकृति) बहुत प्रसन्न हुई और कहा कि पुत्र तू सत्यवादी है। अब मैं
अपनी शक्ति से तेरे पिता से मिलाती हूँ तथा तेरे मन का संशय खत्म करती हूँ।
कबीर, देख पुत्र तोहि पिता भीटाऊँ, तौरे मन का धोखा मिटाऊँ।
मन स्वरूप कर्ता कह जानों, मन ते दूजा और न मानो।
स्वर्ग पाताल दौर मन केरा, मन अस्थीर मन अहै अनेरा।
निंरकार मन ही को कहिए, मन की आस निश दिन रहिए।
देख हूँ पलटि सुन्य मह ज्योति, जहाँ पर झिलमिल झालर होती।।
इस प्रकार माता (अष्टंगी, प्रकृति) ने विष्णु से कहा कि मन ही जगत का कर्ता है, यही ज्योति निरंजन है। ध्यान में जो एक हजार ज्योतियाँ नजर आती हैं वही उसका रूप है। जो शंख, घण्टा आदि का बाजा सुना, यह महास्वर्ग में निरंजन का ही बज रहा है। तब माता
(अष्टंगी, प्रकृति) ने कहा कि हे पुत्रा तुम सब देवों के सरताज हो और तेरी हर कामना व कार्य मैं पूर��ण करूंगी। तेरी पूजा सर्व जगत में होगी। आपने मुझे सच-सच बताया है। काल के इक्कीस ब्रह्माण्ड़ों के प्राणियों की विशेष आदत है कि अपनी व्यर्थ महिमा बनाता है। जैसे दुर्गा जी श्री
विष्णु जी को कह रही है कि तेरी पूजा जगत में होगी। मैंने तुझे तेरे पिता के दर्शन करा दिए।
दुर्गा ने केवल प्रकाश दिखा ��र श्री विष्णु जी को बहका दिया। श्री विष्णु जी भी प्रभु की यही स्थिति अपने अनुयाइयों को समझाने लगे कि परमात्मा का केवल प्रकाश दिखाई देता है।
परमात्मा निराकार है। इसके बाद आदि भवानी रूद्र(महेश जी) के पास गई तथा कहा कि महेश तू भी कर ले अपने पिता की खोज तेरे दोनों भाइयों को तो तुम्हारे पिता के दर्शन नहीं हुए
उनको जो देना था वह प्रदान कर दिया है अब आप माँगो जो माँगना है। तब महेश ने कहा कि हे जननी ! मेरे दोनों बड़े भाईयों को पिता के दर्शन नहीं हुए फिर प्रयत्न करना व्यर्थ है। कृपा मुझे ऐसा वर दो कि मैं अमर (मृत्युंजय) हो जाऊँ। तब माता ने कहा कि यह मैं नहीं कर सकती। हाँ युक्ति बता सकती हूँ, जिससे तेरी आयु सबसे लम्बी बनी रहेगी। विधि योग समाधि है (इसलिए महादेव जी ज्यादातर समाधि में ही रहते हैं)। इस प्रकार माता (अष्टंगी, प्रकृति) ने तीनों पुत्रों को विभाग बांट दिए :-
भगवान ब्रह्मा जी को काल लोक में लख चौरासी के चोले (शरीर) रचने (बनाने) का अर्थात् रजोगुण प्रभावित करके संतान उत्पत्ति के लिए विवश करके जीव उत्पत्ति कराने का विभाग प्रदान किया। भगवान विष्णु जी को इन जीवों के पालन पोषण (कर्मानुसार) करने, तथा मोह-ममता उत्पन्न करके स्थिति बनाए रखने का विभाग दिया।
भगवान शिव शंकर (महादेव) को संहार करने का विभाग प्रदान किया क्योंकि इनके पिता निरंजन को एक लाख मानव शरीर धारी जीव प्रतिदिन खाने पड़ते हैं।
यहां पर मन में एक प्रश्न उत्पन्न होगा कि ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर जी से उत्पत्ति, स्थिति और संहार कैसे होता है। ये तीनों अपने-2 लोक में रहते हैं। जैसे आजकल संचार प्रणाली को
चलाने के लिए उपग्रहों को ऊपर आसमान में छोड़ा जाता है और वे नीचे पृथ्वी पर संचार प्रणाली को चलाते हैं। ठीक इसी प्रकार ये तीनों देव जहां भी रहते हैं इनके शरीर से निकलने वाले सूक्ष्म गुण की तरंगें तीनों लोकों में अपने आप हर प्राणी पर प्रभाव बनाए रहती है।
उपरोक्त विवरण एक ब्रह्माण्ड में ब्रह्म (काल) की रचना का है। ऐसे-ऐसे क्षर पुरुष (काल) के इक्कीस ब्रह्माण्ड हैं।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
अगर पोस्ट ऑफिस में कर रहे है निवेश तो एक बार इस स्कीम के बारे में जरूर जाने, मिलेगा तगड़ा ब्याज : Post Office Scheme
News Desk | Post Office Scheme : अगर आप अपने भविष्य के लिए पैसे निवेश करना चाहते है साथ ही निवेश किये गए पैसे सुरक्षित हो इसके लिए आप पोस्ट ऑफिस में निवेश कर रहे है तो आप एक बार पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम के बारे में जान ले जिससे की आपके निवेश राशि पर आपको अच्छा खास ब्याज का लाभ मिल पाएगा पोस्ट ऑफिस की यह स्कीम टाइम डिपॉजिट स्कीम के नाम से जानी जाती है ।
जानिए पोस्ट ऑफिस की टाइम डिपॉजिट स्कीम के बारे में
पोस्ट ऑफिस की जो टाइम डिपॉजिट स्कीम है वह एक स्मॉल सेविंग स्कीम है जिसमे आप कम समय के निवेश पर ज्यादा ब्याज का लाभ ले सकते है साथ ही में मार्च में इसके ब्याज में भी बढ़ोतरी की गई थी जिसमे पहले इस स्कीम में निवेश करने वाले निवेशक को 7 फीसदी ब्याज का लाभ दिया जाता था लेकिन अब इस स्कीम में निवेश करने वाले व्यक्ति को 7.5 फीसदी ब्याज का लाभ दिया जाता है ।
7.5 फीसदी ब्याज का लाभ दिया जाता है
पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम में 1 साल से लेकर 5 साल तक निवेश किया जा सकता है जिसमे 5 साल के निवेश पर ही आपको 7.5 फीसदी ब्याज का लाभ दिया जाता है इससे कम समी के निवेश पर आपको 6.90 फीसदी से लेकर 7 फीसदी तक ब्याज का लाभ प्रदान किया जाता है इस स्कीम में आप न्यूनतम 250 रुपए के निवेश से अधिकतम अपनी सीमा के अनुसार निवेश कर सकते है ।
टैक्स छूट का दिया जाता है लाभ
इस स्कीम में 10 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी नागरिक निवेश कर सकते है साथ ही में इस स्कीम में निवेश किये गए पैसों में इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत टैक्स छूट का भी लाभ प्रदान किया जाता है जिससे की आपके निवेश किये गए पैसों और ब्याज के लाभ में आपको किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं देना पड़ता है ।
पोस्ट ऑफिस में जाकर खुलवा सकते है खाता
इस स्कीम में आप अपने नजदीकी पोस्ट ऑफिस में जाकर खाता खुलवा सकते है साथ ही में अगर आप अपना घर बदल रहे है या किसी दूसरे शहर में शिफ्ट भी हो रहे है तो आप अपने अकाउंट को एक स्थान से दूसरे स्थान में भी ट्रांसफर कर सकते है साथ ही इस स्कीम का लाभ भी केवल भारत के नागरिक भी ले सकते है ।
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एम्स रायपुर में ग्रुप 'ए' के पदों पर भर्ती, वेतन 56 हजार प्रति माह, ऑनलाइन आवेदन करें
AIIMS Raipur Group ‘A’ Recruitment 2024: जूनियर रेजिडेंट (गैर) के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन सरकार के अधीन छह (06) महीनों के लिए भारत रेजीडेंसी योजना एम्स रायपुर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायपुर आवेदन आमंत्रित करता है, जिसके अनुसार दिनांक 26-04-2024 तक ऑनलाइन (Online) आवेदन कर सकते हैं। अन्य सभी जानकारी शैक्षणिक योग्यता, आयु सीमा, आवेदन प्रक्रिया, अनुभव एवं चयन प्रक्रिया की जानकारी नीचे…
OSSC Junior Engineer Recruitment 2024 Important Dates
ऐसे कैंडिडेट्स जो आवेदन करने के लिए इच्छुक और योग्य है वे ओएसएससी की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर 07 मार्च 2024 से 07 अप्रैल 2024 के बीच आवेदन कर सकते हैं I
भ��्ती के लिए आवेदन प्रिक्रिया शुरू होने के तिथि – 07/03/2024
भर्ती के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि – 07/04/2024
OSSC Junior Engineer Recruitment 2024 Age Limit –
इस भर्ती के लिए आवेदन करने वाले उम्मीद्वारों की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम आयु 38 वर्ष तक रखी गयी है I आयु की गणना 01/01/2024 के अनुसार की जाएगी I आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारो को आयु सीमा में नियमानुसार छूट दी जाएगी