26-04-2024 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे - शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करते हुए बेहद की उन्नति करो, जितना अच्छी रीति बेहद की पढ़ाई पढ़ेंगे, उतनी उन्नति होगी”
“निगेटिव सोचने का रास्ता बंद कर दो तो सफलता स्वरूप बन जायेंगे। - ओम् शान्ति।
प्रश्नः तुम बच्चे जो बेहद की पढ़ाई पढ़ रहे हो, इसमें सबसे ऊंच डिफीकल्ट सब्जेक्ट कौन-सी है?
उत्तर:- इस पढ़ाई में सबसे ऊंची सब्जेक्ट है भाई-भाई की दृष्टि पक्की करना। बाप ने ज्ञान का जो तीसरा नेत्र दिया है उस नेत्र से आत्मा भाई-भाई को देखो। जरा भी आंखे धोखा न दें। किसी भी देहधारी के नाम-रूप में बुद्धि न जाये। बुद्धि में जरा भी विकारी छी-छी सकंल्प न चलें। यह है मेहनत। इस सब्जेक्ट में पास होने वाले…
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ग्लोबल पिस पार्क : शान्ति खोज्दै पुग्छन् मन्त्रीदेखि प्रेमिल जोडी
११ चैत, बुटवल । एकदशक अघिसम्म बुटवलको ढबाहा उत्तरको वन क्षेत्रमा केही सालका रुख र झाडीमात्रै थियो । अधिकांश भाग खाली चौर थियो ।
झाडीमा कतिपय युवाहरुले लुकेर लागु औषध सेवन गर्ने गर्थे । त्यही उराठलाग्दो वन क्षेत्र अहिले रमणीय नमूना पर्यटकीय स्थल बनेको छ ।
बुटवल उपमहानगरपालिकाको १२ ढबाहाको उत्तरी क्षेत्रमा रहेको १० हेक्टर क्षेत्रलाई हाल आकर्षक अनि रमणीय उद्यानका रुपमा विकास गरेको हो । व्रह्मकुमारी इश्वरीय विश्वविद्यालय एवं राजयोग प्रशिक्षण केन्द्र बुटवलले चारपाला सामुदायिक वनको करिब १६ बिघा जग्गामा वृक्षारोपणसहित आध्यात्मिक संरचना बनाएर ग्लोबल पिस पार्क (विश्व शान्ति उद्यान) का रुपमा विकास गरेको छ ।
यो ठाउँ अहिले प्रकृतिमा रमाउने र शान्त एवं आध्यात्मिक वातावरण खोज्ने सबैको रोजाइ बनेको छ । पूर्वपश्चिम राजमार्गबाट २ सय मिटर उत्तरमा अवस्थित यो उद्यान बनाउन अहिलेसम्म करिब ५ करोड रुपैयाँ खर्च भइसकेको छ ।
केन्द्रका नाममा धार्मिक वनका रुपमा २०७३ सालमा दर्ता भएको यो शान्ति उद्यानमा करिब २ सय प्रजातिका विभिन्न प्रजातिका बृक्ष रोपिएका छन् । यहां वर, पिपल, समी, रुद्राक्ष, बेल, कपूर, चन्दनलगायत धार्मिक आस्थासंग सम्बन्धित करिब ५ हजार जति रुख/विरुवाहरु रोपिएका छन् ।
उद्यानभित्र ६० प्रकारका फलफूलका विरुवा पनि हुर्किएका छन् । जडिबुटी र शो प्लान्टहरु पनि छन् । यहाँको सबैभन्दा आकर्षण र विशेषता बाख्रे घाँस (सिंघोर) को बोटलाई मयूर, डांफे, खरायो, हात्ती आदि पंक्षी र जीवजन्तुको स्वरुप दिइएको छ ।
शान्त र मनोरम वातावरणमा रमाउन यहाँ सरदर दैनिक ६ सयजनाका दरले पर्यटक पुग्ने गरेका छन् । सार्वजनिक विदा र चाडपर्वका दिनमा त उद्यान हजारौं मान्छेले भरिभराउ हुने केन्द्रका सचिव ब्रह्मकुमार नरेन्द्र बताउँछन् । शिवको मुर्ति सहित यहां रहेको कैलाश पर्वत र ध्यानकुटीले पनि पर्यटकलाई तानेको छ । घुम्न आउनेहरुलाई विश्राम गर्न तीनवटा सेड र बगैंचा बनाइएको छ ।
अरु पार्कहरुमा जस्तो जोडीहरु खुलेआम आलिंगन गरेर घुम्न, चर्को स्वरमा हल्ला गर्न, उच्छृङ्खल गतिविधि गर्न यहाँ पाइंदैन । मदिरा तथा माछा, मासु माछा सेवन गर्न पनि मनाही गरिएको छ ।
यो पार्कमा शान्ति र आध्यात्मिक चेतना खोज्दै प्र��मिल जोडीदेखि प्रदेश सरकारका मुख्यमन्त्री शंकर पोखरेल र मन्त्री, सांसदसम्म पुगेका छन् । घुम्न आएकाहरुलाई आध्यात्मिक ज्ञान लिन पाउने व्यवस्थ पनि गरिएको छ ।
पार्क घुम्दै प्रदेश ५ का आन्तरिक मामिला मन्त्री कुलप्रसाद केेसीलगायतका पदाधिकारी ।
‘पिस पार्कमा आएर घुम्दा र यहाँ आध्यात्मिक प्रशिक्षण लिंदा सकारात्मक सोंच, शान्तिको महसुस हुँदोरहेछ’ प्रदेश ५ कि भूमि व्यवस्था, कृषि तथा सहकारी मन्त्री आरती पौडेलले भनिन् । पार्कमा खानेपानी आपुर्तिका लागि २ करोड ६२ लाख रुपैयाँ लागतमा सवा १ लाख लिटर क्षमताको पानी ट्यांकी निर्माण गरिएको छ ।
यहाँ करिब ५० जना स्वयंसेवी ब्रह्मकुमार र ब्रह्मकुमारीहरु बस्न सातवटा कटेज पनि बनेका छन् । उद्यानको दुबैतर्फ रहेको सतगढी खोलामा केन्द्रले तटबन्ध गरेको छ । पार्कमा घुम्न आउने पर्यटकको संख्या थपिंदै जान थालेपछि गुरुयोजना बनाएर अन्तर्राष्ट्रिय स्तरको विश्व शान्ति उद्यान बनाउने लक्ष्य रहेको केन्द्रकी प्रमुख कमला दिदीले बताइन् ।
ग्लोबल पिस पार्कलाई प्रकृति र अध्यात्ममा रमाउने नेपालकै नमूना पार्कको रुपमा विकास गर्न करिब ५० करोड अनुमानित लागतमा २ बिघामा दिल्ली अक्षरधामको जस्तै म्युजिकल फाउन्टेन, १० कठ्ठामा आर्ट ग्यालरी, अडिटोरियम हल, भ्यू टावर, झर��ा, गार्डेन, पोखरी र थप सेडहरु बनाउने लक्ष्य रहेको छ ।
वुद्ध जन्मस्थल लुम्बिनी आउने पर्यटकलाई पिस पार्कसम्म ल्याई उनीहरुको बसाई लम्ब्याउने गरी गुरुयोजना बनाइएकाले संघ, प्रदेश र स्थानीय सरकारले सहयोग गर्नुपर्ने केन्द्रका सचिव नरेन्द्रको धारणा छ ।
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19-04-2024 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे - बाप आये हैं सारी दुनिया का हाहाकार मिटाकर जयजयकार करने - पुरानी दुनिया में है हाहाकार, नई दुनिया में है जयजयकार”
“बापदादा के राइट हैण्ड बनो, लेफ्ट हैण्ड नहीं।" - ओम् शान्ति।
प्रश्नः कौन-सा ईश्वरीय नियम है जो गरीब ही बाप का पूरा वर्सा लेते, साहूकार नहीं ले प��ते?
उत्तर:- ईश्वरीय नियम है – पूरा बेगर बनो, जो कुछ भी है उसे भूल जाओ। तो गरीब बच्चे सहज ही भूल जाते हैं परन्तु साहूकार जो अपने को स्वर्ग में समझते हैं उनकी बुद्धि में कुछ भूलता नहीं इसलिए जिनको धन, दौलत, मित्र, सम्बन्धी याद रहते वह सच्चे योगी बन ही नहीं सकते हैं। उन्हें स्वर्ग में ऊंच पद नहीं मिल सकता।
गीत:-…
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17-02-2024 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे - यह बना-बनाया नाटक है, इस नाटक से एक भी आत्मा छूट नहीं सकती, मोक्ष किसी को मिल नहीं सकता”
“विघ्न रूप नहीं, विघ्न-विनाशक बनो।" - ओम् शान्ति।
प्रश्नः ऊंचे ते ऊंचा पतित-पावन बाप भोलानाथ कैसे है?
उत्तर:- तुम बच्चे उन्हें चावल मुट्ठी दे महल ले लेते हो, इसलिए ही बाप को भोलानाथ कहा जाता है। तुम कहते हो शिवबाबा हमारा बेटा है, वह बेटा ऐसा है जो कभी कुछ लेता नहीं, सदा ही देता है। भक्ति में कहते हैं जो जैसा कर्म करता है वैसा फल पाता है। परन्तु भक्ति में तो अल्पकाल का मिलता। ज्ञान में समझ से करते इसलिये सदाकाल का मिलता है।
गीत:- हमें उन राहों…
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17-02-2024 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – तुम्हें याद के बल से पावन बन ऊंच पद पाना है”
भगवानुवाच: “मीठे बच्चे – तुम्हें याद के बल से पावन बन ऊंच पद पाना है” - ओम् शान्ति!
प्रश्नः बाप रूहानी सर्जन है, वह तुम्हें कौन-सा धीरज देने आये हैं?
उत्तर:- जैसे वह सर्जन रोगी को धीरज देते हैं कि अभी बीमारी ठीक हो जायेगी, ऐसे रूहानी सर्जन भी तुम बच्चों को धीरज देते हैं – बच्चे, तुम माया की बीमारी से घबराओ नहीं, सर्जन दवा देते हैं तो यह बीमारियां स�� बाहर निकलेंगी, जो ख्यालात अज्ञान में भी नहीं आये होंगे, आयेंगे। लेकिन तुम्हें सब सहन करना है। थोड़ा मेहनत करो, तुम्हारे अब सुख के…
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21-12-2023 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – शिवबाबा के सिवाए तुम्हारा यहाँ कुछ भी नहीं”
"हर आत्मा के संबंध-सम्पर्क में आते कभी चित के अन्दर यह प्रश>> उत्पन्न न हो कि यह ऐसा क्यों करता वा क्यों कहता, यह बात ऐसे नहीं, ऐसे होनी चाहिए। जो इन प्रश्नों से पार रहते हैं वही सदा प्रसन्नचित रहते हैं।"- ओम् शान्ति।
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12-4-2023 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे - ज्ञान अमृत है और योग अग्नि है”
स्लोगन:- “सेवा में त्रिकालदर्शी का सेन्स और रूहानियत का इसेन्स भरने वाले ही सर्विसएबल हैं। “ - ओम् शान्ति।
शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – ज्ञान अमृत है और योग अग्नि है, ज्ञान और योग से तुम्हारे सब दु:ख-दर्द दूर हो जायेंगे”
प्रश्नः कौन सा रस ज्ञान से प्राप्त होता है, भक्ति से नहीं?
उत्तर:- जीवनमुक्ति का रस। भक्ति से किसी को भी जीवनमुक्ति का रस नहीं मिल सकता। बाप जब आते हैं तो बच्चों को जो डायरेक्शन देते, वही ज्ञान है उसी पर चलने से स्वर्ग की राजाई मिल जाती है।
गीत:- “ भोलेनाथ से…
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11-4-2023 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे - जीते जी मरजीवा बनो”
स्लोगन:- “जो बाप के प्यारे हैं, उनका अन्य किसी व्यक्ति वा वैभव से प्यार हो नहीं सकता।“ - ओम् शान्ति।
शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – जीते जी मरजीवा बनो, हम अशरीरी आत्मा हैं, यही पहला पाठ अच्छी तरह से रोज़ पक्का करते रहो”
प्रश्नः सम्पूर्ण सरेन्डर किसको कहा जायेगा?
उत्तर:- जो सम्पूर्ण सरेन्डर हैं वह देही–अभिमानी होंगे। यह देह भी हमारी नहीं, अभी हम नंगे बनते हैं अर्थात् तन–मन–धन जो कुछ है, वह बाबा को अर्पण करते हैं। सब मेरा मेरा समाप्त कर पूरे ट्रस्टी होकर रहना ही सम्पूर्ण सरेन्डर होना है। बाबा…
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“प्रभु हम बच्चों को उस पार ले चलो उस पार का मतलब क्या है? क्या मनुष्य मनुष्य 84 लाख योनियां भोगते हैं?”
“तो अपने को इस संगम समय पर अपनी जीवन को पलटाए पापात्मा से पुण्यात्मा बनना है।“- ओम् शान्ति।
Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य:-
अब यह जो हम कहते हैं कि प्रभु हम बच्चों को उस पार ले चलो, उस पार का मतलब क्या है? लोग समझते हैं उस पार का मतलब है जन्म मरण के चक्र में न आना अर्थात् मुक्त हो जाना। अब यह तो हुआ मनुष्���ों का कहना परन्तु वो कहता है बच्चों, सचमुच जहाँ सुख शान्ति है, दु:ख अशान्ति से दूर है उसको कोई दुनिया नहीं कहते। जब मनुष्य सुख चाहते हैं तो वो भी…
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“तुम मात पिता हम बालक तेरे... अब यह महिमा किसके लिये गाई हुई है?”
"जब स्वयं परमात्मा आकर हमारे सारे कर्मों का खाता चुक्तू करता है, तब ही हम कहेंगे तुम माता पिता.."- ओम् शान्ति।
Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य:- “तुम मात पिता हम बालक तेरे… अब यह महिमा किसके लिये गाई हुई है?”
Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव
तुम मात पिता हम बालक तेरे, तुम्हरी कृपा से सुख घनेरे… अब यह महिमा किसके लिये गाई हुई है? अवश्य पर–मात्मा के लिये गायन है क्योंकि परमात्मा खुद माता पिता रूप में आए इस सृष्टि को अपार सुख देता है। जरूर परमात्मा ने कब सुख की…
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6-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “जब तक बेहद बाप को पहचानकर पावन नहीं बने हैं तब तक वर्सा मिल नही सकता”
स्लोगन:- “संगम पर जिन्हें सेवा का श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त है वही पदमापदम भाग्यवान हैं।“ - ओम् शान्ति।
शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – 3 बाप का राज़ सबको कहानी मिसल सुनाओ, जब तक बेहद बाप को पहचानकर पावन नहीं बने हैं तब तक वर्सा मिल नही सकता”
प्रश्नः– बाबा बिल्कुल ही नया है, उसने तुमको अपना कौन सा नया परिचय दिया है?
उत्तर:- बाबा को मनुष्यों ने हजारों सूर्य से तेजोमय कहा लेकिन बाबा कहता मैं तो बिन्दी हूँ। तो नया बाबा हुआ ना। पहले अगर बिन्दी का साक्षात्कार होता तो कोई मानता ही नहीं इसलिए जैसी जिसकी…
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“जिस समय “ओम् शान्ति” कहते हैं तो उसका यथार्थ अर्थ है?”
“तो अपने को आत्मा समझ परमात्मा की याद में रहना, यह है सच्चा ज्ञान।“- ओम् शान्ति।
Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य:-
जिस समय “ओम् शान्ति” कहते हैं तो उसका यथार्थ अर्थ है मैं आत्मा सालिग्राम उस ज्योति स्वरूप परमात्मा की संतान हूँ, हम भी वही पिता ज्योतिर्बिन्दू परमात्मा के मुआफिक आकार वाली हैं।
बाकी हम सालिग्राम बच्चे हैं तो इन्ह��ं को अपने ज्योति स्वरूप परमात्मा के साथ योग रखना और लाइट माइट का वर्सा लेना है। उस निराकार परमात्मा को श्वांसों…
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24-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “बच्चे मुझे याद करो और नॉलेज को धारण कर दूसरों की सेवा करो”
स्लोगन:- “व्यर्थ से बेपरवाह रहो, मर्यादाओं में नहीं।“ - ओम् शान्ति।
शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – तुम्हें श्रीमत पर पूरा-पूरा ध्यान देना है, बाप का फरमान है बच्चे मुझे याद करो और नॉलेज को धारण कर दूसरों की सेवा करो”
प्रश्नः– बाबा बच्चों की उन्नति के लिए कौन सी राय बहुत अच्छी देते हैं?
उत्तर:- मीठे बच्चे, अपना हिसाब–किताब (पोतामेल) रखो। अमृतवेले प्यार से याद करो, लाचारी याद में नहीं बैठो, श्रीमत पर देही–अभिमानी बन पूरा–पूरा रहमदिल बनो तो बहुत अच्छी उन्नति होती…
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22-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “पुरुषार्थ कर सर्वगुण सम्पन्न बनना है दैवीगुण धारण करने हैं”
स्लोगन:- “निश्चित विजय और निश्चिंत स्थिति का अनुभव करने के लिए सम्पूर्ण निश्चयबुद्धि बनो।।“ - ओम् शान्ति।
शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – पुरुषार्थ कर सर्वगुण सम्पन्न बनना है दैवीगुण धारण करने हैं, देखना है मेरे में अब तक क्या-क्या अवगुण हैं, हम आत्म-अभिमानी कहाँ तक बने हैं”
प्रश्नः– सर्विसएबुल बच्चों की बुद्धि में अब कौन सी तात लगी रहनी चाहिए?
उत्तर:- मनुष्यों को देवता कैसे बनायें, कैसे सबको लक्ष्मी–नारायण, राम–सीता की बायोग्राफी सुनायें – यह तात बच्चों में लगी रहनी चाहिए। लक्ष्मी–नारायण के मन्दिर…
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“SPIRITUAL BOOK’S – आद्यात्मिक किताबे”: ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय।
Sacred books of Gods Verses : Srimad Bhagwat GEETA etc, परमात्मा के वच��ो की पवित्र पुस्तकें: भगवानुवाच भागवत गीता, आदि.
Brahma kumaries Spiritual Litrature, ब्रह्मा कुमारी आध्यात्मिक साहित्य -– Please select Visit Page
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“निराकारी दुनिया अर्थात् आत्माओं का निवास।“
परमात्मा के महावाक्य :"मनुष्य आत्मायें अपने आपको और मुझ परमात्मा को भूलने के कारण यह हिसाब किताब भोग रहे हैं।" - ओम् शान्ति।
मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य :
Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
अब यह तो हम जानते हैं कि जब हम निराकारी दुनिया कहते हैं तो निराकार का अर्थ यह नहीं कि उनका कोई आकार नहीं है, जैसे हम निराकारी दुनिया कहते हैं तो इसका मतलब है जरूर कोई दुनिया है, परन्तु उसका स्थूल सृष्टि मुआफिक आकार नहीं है, ऐसे परमात्मा निराकार है लेकिन उनका अपना सूक्ष्म रूप अवश्य है। तो हम आत्मा और परमात्मा का धाम निराकारी…
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