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#दैनिक मुरली
asitbali · 5 months
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26-04-2024 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे - शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करते हुए बेहद की उन्नति करो, जितना अच्छी रीति बेहद की पढ़ाई पढ़ेंगे, उतनी उन्नति होगी”
“निगेटिव सोचने का रास्ता बंद कर दो तो सफलता स्वरूप बन जायेंगे। - ओम् शान्ति।
प्रश्नः तुम बच्चे जो बेहद की पढ़ाई पढ़ रहे हो, इसमें सबसे ऊंच डिफीकल्ट सब्जेक्ट कौन-सी है? उत्तर:- इस पढ़ाई में सबसे ऊंची सब्जेक्ट है भाई-भाई की दृष्टि पक्की करना। बाप ने ज्ञान का जो तीसरा नेत्र दिया है उस नेत्र से आत्मा भाई-भाई को देखो। जरा भी आंखे धोखा न दें। किसी भी देहधारी के नाम-रूप में बुद्धि न जाये। बुद्धि में जरा भी विकारी छी-छी सकंल्प न चलें। यह है मेहनत। इस सब्जेक्ट में पास होने वाले…
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jhorar · 5 years
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सरकार (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); सरकार दो प्रकार की होती है :- केन्द्रीय/संघीय/भारत सरकार राज्य सरकार दोनो सरकारों के तीन अंग होते है :- व्यवस्थापिका :- कानून बनाना। कार्यपालिका :- कानून लागू करना। न्यायपालिका :- कानून की रक्षा / व्याख्या करना संसद         = राष्ट्रपति  + लोकसभा + राज्यसभा             विधानमण्डल = राज्यपाल + विधानसभा + विधानपरिषद प्रधानमंत्री - केन्द्रीय मंद्घत्रपरिषद - महान्यायवादी - S.C. मुख्यमंत्री - राज्यमंद्घत्रपरिषद - महाधिवक्ता - H.C. भारत सरकार केन्द्रीय व्यवस्थापिका :- केन्द्रीय व्यवस्थापिका/विधायिका = ससंद अनुच्छेद 79 :- इसमें संसद का उल्लेख है। संसद = राष्ट्रपति + लोकसभा + राज्यसभा संसद के अंग :- 3 सदन :- 2 (लोकसभा + राज्यसभा) संविधान के अनुसार वर्ष में कम से कम संसद के    अधिवेशन:-2 संसद के  दो अधिवेशनों के मध्य अधिकतम समय अन्तराल:- 6 माह अनुच्छेद 85 के अनुसार राष्ट्रपति संसद के सत्र को प्रारम्भ (सत्राहुत) व समाप्त (सत्रावसान) करता है। वर्तमान में संसद के अधिवेशन :- 3 ग्रीष्मकाल (बजट काल):- फ रवरी - मई मानसून काल :- जुलाई - सितम्बर शीत काल :- नवम्बर - दिसम्बर अनुच्छेद 118 संसदीय प्रक्रिया का उल्लेख है। संसद की प्रतिदिन की कार्यवाही :-समय 10-5 बजे तक इसे चार काल में विभाजित किया गया है:- 1. प्रश्रकाल 2. शून्यकाल 3. मध्यान्तर काल 4. प्रस्ताव काल आधे घण्टे की चर्चा  ताराकिंत, अताराकिंत या अल्प सूचना प्रश्न द्वारा दिये गये उत्तर में कोई तथ्य स्पष्ट न हुआ हो तो इस चर्चा को किया जाता है। यह चर्चा बैठक के अन्तिम आधे घण्टे (5.00-5.30) तक होती है लोकसभा में तीन दिन सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को की जाती है। राज्यसभा में सभापति की अनुमति से कभी भी की जा सकती है। प्रश्रकाल :-  प्रतिदिन संसद की दोनो सदनो की बैठक के बाद कार्यवाही का प्रथम घण्टा शून्यकाल होता है। संसद सदस्यों द्वारा लोकमहत्व के मामले में मंत्रीपरिषद से प्रश्र पूछे जाते है। यह प्रक्रिया सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में 1721 में प्रारम्भ हुई। भारत में यह प्रक्रिया सर्वप्रथम 1892 के भारतीय परिषद अधिनियम से प्रारम्भ हुई। संसद में पूछे जाने वाले प्रश्र  1. ताराकिंत प्रश्र - जब संसद सदस्य द्वारा तुरन्त उत्तर प्राप्त करना हो तो वह प्रश्र के शीर्ष पर तारा लगा देता है। 10 दिन पूर्व आवेदन करना पड़ता है। इसका उत्तर मंत्री द्वारा तुरन्त मौखिक रूप में देना पड़ता है। प्रश्रों की संख्या सिमित होती है। पूरक प्रश्र भी पूछे जा सकते है। कोई प्रश्र ताराकिंत है या नही इस निर्���य अध्यक्ष या सभापति द्वारा किया जाता है। 2. अताराकिंत प्रश्र इसका उत्तर लिखित रूप में दिया जाता है 10 दिन पूर्व आवेदन करना पड़ता है। पूरक प्रश्र नही पूछा जा सकता। प्रश्रो की संख्या असिमित। 3. अल्प सूचना प्रश्र इनका सम्बन्ध किसी लोकमहत्व केे  तात्कालिन मामलों से होता है इसका जवाब 10 दिन की निर्धारित अवधि से पहले ही मंत्री द्वारा दिया जाता है। उत्तर मौखिक दिया जाता है। 4. गैर सरकारी सदस्यों से पूछे जाने वाले प्रश्र  मंत्री परिषद के अतिरिक्त अन्य सदस्यों से पूछे जाने वाले प्रश्र शून्य काल इस काल में बिना किसी सूचना के लोक महत्व का कोई भी प्रश्र उठाया जा सकता है तथा किसी मंत्री के उत्तर देने को कहा जा सकता है। इसे प्रश्र उत्तर सत्र भी कहते है। संसदीय व्यवस्था में शून्यकाल (1962) भारत की देन है। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव - अविलम्बनीय लोकमहत्व के किसी मामले की और किसी मंत्री का ध्यान आकर्षित करने हेतु। इसके स्त्रोत दैनिक समाचार पत्र होते है। यह नियम 1954 में बनाया गया। यह प्रस्ताव 10 बजे लिखित रूप में लिया जाता है। यह प्रस्ताव भारत की देन है। स्थगन प्रस्ताव/काम रोको प्रस्ताव - किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर वर्तमान कार्यवाही को रोककर सदन में चर्चा के लिए लाया जाता है। ऐसा मुद्दा/मामला स्पष्ट व तर्क पूर्ण होना चाहिए। इसके लिए सदन के 50 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है। इसके लिए स्पीक र की अनुमती आवश्यक है। प्रश्रकाल की समाप्ति पर यह पेश किया जाता है। विश्वास प्रस्ताव :- इसे राष्टपति के कहने पर पी.एम द्वारा लाया जाता है। इसके पारित होने पर 6 माह के लिए सरकार सुरक्षित हो जाती है। यह प्रस्ताव भारत की देन है। यदि यह बहुमत से स्वीकृत नही होता है तो सरकार को त्यागपत्र देना पड़ता है। अब तक 11 बार लगाया जा चुका है। अविश्वास प्रस्ताव :- यह विपक्षी दल या दलो द्वारा केवल लोकसभा में लाया जाता है। 50 सदस्यों का समर्र्थन आवश्यक बहुमत से पारित होन पर सरकार गिर जाती है। अब तक 27 बार पेश किया गया। 1978  में अविश्वास प्रस्ताव द्वारा मोराजी देसाई की सरकार को गिरा दिया गया।  27 वां 21 जुलाई 2008 मनमोहन सिह के विरूद्ध (19 वोटो से गिरा) प्रथम बार जे.एल. नेहरू के विरूद्ध 1963 में जे.बी. कृपलानी द्वारा लाया गया। निन्दा प्रस्ताव:- विपक्ष द्वारा लाया जाता है। 50 सदस्यों का समर्थन आवश्यक किसी एक मंत्री के विरूद्ध लाया जाता है। इसके लिए लिखित कारण/विशेष आरोप बताने होते है। पारित होने पर सरकार नही गिरती है। अनुच्छेद 108 - के द्वारा राष्ट्रपति संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाता है। संसद के संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता :- लोकसभा अध्यक्ष करता है। संसद के सदस्यों की योग्यता व अयोग्यता का निर्णय निर्वाचन आयोग के परामर्श से राष्ट्रपति करता है। दल-बदल कानून के आधार पर संसद के सदस्यों की योग्यता व आयोग्यता का निर्णय सदन के अध्यक्ष करते है। नोट :- अगर कोई संसद सदस्य लगातार बिना सूचित किये 60 दिनो तक संसद के सभी अधिवेशनों में अनुपस्थित रहता है तो उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाती है। अनुच्छेद 120 (1) के , द्वारा लोकसभा व राज्यसभा का अध्यक्ष किसी सदस्य को जो हिन्दी और अंगे्रजी में अपनी पर्याप्त अभिव्यक्ति नही कर सकता है उसकी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुमति दे सकता है। अनुच्छेद 88 के द्वारा के न्द्रीय मंत्रीपरिषद का कोई भी सदस्य तथा महान्यायवादी को यह अधिकार होगा की वह संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग ले सक ते है परन्तु महान्यायवादी को किसी विधेयक पर मतदान करने का अधिकार नही है तथा मंत्री केवल उसी सदन में मतदान करता है जिसका वह सदस्य होता है। संसद की प्रथम बैठक 13 मई, 1952 को हुई थी। गणपूर्ति (कोरम) - सदन के अध्यक्ष सहित सदन की कुल सदस्य संख्या का 1/10 भाग  संसदीय समितियाँ :- 1. प्राकलन समिति :- 1950 में तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई की सिफारीश पर इसका गठन किया गया। कु ल सदस्य = 30 इसमें सभी सदस्य लोकसभा के सदस्य होते है। इसके अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा अध्यक्ष इन सदस्यों में से करते है जो सत्ता रूढ़ दल का होता है। वर्तमान अध्यक्ष :- मुरली मनोहर जोशी कार्यकाल 1 वर्ष कार्य :- सरकारी व्यय में मितव्ययता लाने के लिए सूझाव देना तथा वार्षिक बजट अनुमोदन की जाँच करना। संसद की स्थाई समिति। 2. लोकलेखा समिति :- कुल सदस्य - 22 15 लोकसभा से और 7 राज्य सभा से वर्तमान अध्यक्ष :- मल्लिकार्जुन खडग़े अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा कि जाती है, जो विपक्षी दल का सदस्य होता है। कोई भी मंत्री इसका सदस्य नही बन सकता। कार्य :- नियंत्रक महालेखा परिक्षक द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट की सूक्ष्म जाँच करना। नोट :- इस समिति को प्राकलन समिति की जुडवा बहन कहते है। यह संसद की स्थायी समिति है। राज्यसभा (अनुच्छेद - 80)  मूल संविधान में नाम Council of State 23 अगस्त 1954 को इसका नाम बदलकर राज्यसभा कर दिया गया। गठन - 3 अप्रैल 1952  प्रथम बैठक - 13 मई 1952 विशेषताएँ :- संसद का द्वितीय/उच्च/स्थायी सदन है। संसद का ऐसा सदन जो कभी भंग नही होता है। योग्यता -   न्यूनतम आयु :- 30 वर्ष  भारत का नागरिक हो पागल दिवालिया व लाभ के पद पर न हो। संसद द्वारा निर्धारित योग्यताऐ निर्वाचन प्रणाली :- आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणी खुली मतदान प्रणाली। निर्वाचक मंडल :- देश की सभी विधानसभा के केवल निर्वाचित सदस्य अर्थाता निर्वाचित एम.एल.ए. राज्यसभा का कार्यकाल :- स्थायी सदन होता है। राज्यसभा कभी भंग नहीं होती है। संविधान में राज्यसभा सदस्यों की पदावधि निर्धारित नही कि और इसे संसद पर छोड़ दिया गया। जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 के आधार पर संसद ने कहा कि राज्यसभा के सदस्यों की पदावधि 6 वर्ष से अधिक नही होगी। सदस्यों का कार्यकाल :- 6 वर्ष तथा प्रत्येक दो वर्ष बाद कुल सदस्यों का 1/3 सदस्य सेवानिवृत हो जाते है तथा इतने ही सदस्य नये आ जाते है। निम्र अनुच्छेद में राज्यसभा क ो विशेष अधिकार दिये गये है। अनुच्छेद 249 -राज्यसभा राज्यसूची के किसी विषय को संघ सूचि का विषय घोषित कर सकती है। अनुच्छेद 312 :- नयी अखिल भारतीय सेवाओं का गठन /सर्जन और समाप्त कर सकती है। संविधान की अनूसूची 4 में राज्यसभा की सीटों के आंवटन का वर्णन है। राज्यसभा में राज्यो को समान प्रतिनिधित्व प्राप्त नही है बल्कि जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व दिया गया है। 50 लाख की जनसंख्या तक प्रत्येक 10 लाख पर 1 सीट तथा 50 लाख से अधिक जनसंख्या पर 20 लाख की जनसंख्या पर 1 सीट  राज्यसभा की अधिकतम सीटें - 250  अधिकतम निर्वाचित सदस्य 238 अनुच्छेद 80 के द्वारा राष्ट्रपति अधिकतम मनोनीत करता है 12 जो किसी कला साहित्य विज्ञान व समाज सेवा से जुडे होते है। वर्तमान में सीटे - 245 वर्तमान में राज्यों से कुल निर्वाचित :- 229 वर्तमान में केन्द्र शासित प्रदेशों में निर्वाचित :- 4 नोट :-वर्तमान में केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली से - 3 तथा  पाण्डिचेरी से -1 सर्वाधिक राज्यसभा की सीटे :- यू.पी. - 31, महाराष्ट्र - 19, तमिलनाडु - 18 सबसे कम राज्यसभा की सीटें :- अरूणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, सिक्किम, गोवा  नोट :- इन सभी राज्यों में राज्यसभा की सीट एक-एक राजस्थान में राज्यसभा की सीटें :- 10 अनुच्छेद 89 (1) राज्यसभा का सभापति - उपराष्ट्रपति.   उपसभापति - सदस्यो द्वारा निर्वाचित सभापति को निर्णायक मत देने का अधिकार होता है। उपसभापति अपना त्याग - पत्र सभापति को व सभापति अपना त्याग-पत्र राष्ट्रपति को देता है लोकसभा (अनुच्छेद - 81) प्रथम लोकसभा का गठन-17 अप्रैल, 1952 प्रथम बैठक- 13 मई 1952 प्रथम आम चुनाव - 1951-52 विशेषताएँ :-  संसद का प्रथम/ निम्र/ अस्थाई सदन है। सबसे लोकप्रिय सदन है। जनप्रतिनिधि सदन है। योग्यता :- न्यूनतम आयु :- 25 वर्ष निर्वाचन प्रणाली:-  लोक सभा के सदस्यों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से व्यस्यक मताधिकार द्वारा किया जाता है। नोट:- राजीव गांधी सरकार के समय 61 वें संविधान संशोधन, 1989 के द्वारा मत डालने की आयु को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया। अनुच्छेद 83, कार्यकाल :- सामान्यत: 5 वर्ष/ अनिश्चित काल/ लोकसभा के विश्वास तक।  नोट:- 42 वें स. सशो.  1976 द्वारा लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष से बढ़ाकर छ: वर्ष कर दिया गया। 44 वें स. सविधान 1978 द्वारा लोकसभा का कार्यकाल 6 वर्ष से घटाकर पुन: 5 वर्ष कर दिया गया। अनुच्छेद 85 (2) समय से पूर्व प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति लोकसभा को भंग कर सकता है ऐसा अब तक 9 बार हुआ है। आपातकाल में संसद कानून बना कर एक बार में एक वर्ष तक लोकसभा का कार्यकाल बढ़ा सकती है। नोट - 1976 में दो बार एक-एक वर्ष के लिए लोकसभा का कार्यलकाल बढ़ाया गया था। समान्य स्थिति में लोकसभा का कार्यकाल एक बार के लिए 6 माह तक बढ़ाया जा सकता है। नोट :- संसद के लिए क ोरम/गणपूर्ती कु ल सदस्यों का 1/10 होती चाहिए। मूल संविधान में लोकसभा की अधिकतम सीटे :- 500 31 वें संविधान संशोधन, 1973 के द्वारा लोकसभा की सीटों को 500 से बढ़ाकर 550 + 2 = 552 कर दिया गया। वर्तमान में लोकसभा की सीटों का निर्धारण 1971 की जनगणना के आधार पर किया गया है। 84 वें संविधान संशोधन 2001 के द्वारा लोकसभा की अधिकतम सीटें 2026 तक 552 सीटे निर्धारित की गयी। लोकसभा में अधिकतम सीटे :- 552 सीट अधिकतम निर्वाचित सदस्य - 550 अधिकतम मनोनीत सदस्य -2 (एग्लो इण्डियन) अधिकतम राज्यों से निर्वाचित सदस्य - 530 अधिकतम केन्द्र शासित प्रदेशो से निर्वाचित सदस्य-20 लोकसभा में वर्तमान में सीटे - 545 वर्तमान में कुल निर्वाचित सदस्य - 543 वर्तमान में कुल मनोनित - 2 (रिचर्ड हे - केरल व जॉर्ज बेकर-पं. बंगाल) वर्तमान में राज्यों से कुल निर्वाचित - 530 वर्तमान में के न्द्रशासित प्रदेशों से कुल निर्वाचित - 13 केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली से वर्तमान में कुल निर्वाचित सात तथा अन्य केन्द्र शासित प्रदेशो में कुल निर्वाचित एक-एक सीटें है। लोक सभा की सर्वाधिक सीटे :- यू.पी. -  80, महाराष्ट्र - 48, पश्चिम बंगाल - 42 नोट - सबसे कम सीटे - नागालेण्ड, सिक्कीम, मिर्जोरम व दिल्ली के अलावा प्रत्येक केन्द्र शासित प्रदेश में लोकसभा की सीटे एक है। राजस्थान में लोकसभा सीटे :- 25 विशेष तथ्य - एक व्यक्ति अधिकतम दो स्थानों से लोकसभा का चुनाव लड़ सकता है। जमानत राशि -  एस.सी. व एस.टी. - 12500 सामान्य - 25000 चुनावी खर्च राशि -  अरूनाचल प्रदेस व गोवा - 54 लाख। अन्य राज्यों में 70 लाख। दिल्ली में 70 लाख। अन्य केन्द्र शासित प्रदेशों में 54 लाख। आरक्षण - अनुच्छेद 330  एस.सी. -  79 -   84 (वर्तमान) एस.टी. -  41    -  47 (वर्तमान) नोट : 95 संविधान संशोधन 2009 के द्वारा आरक्षण को बढ़ाकर 2020 तक कर दिया गया है। राजस्थान में - एस.सी. - 4 एस.टी. - 3 सामान्य - 18 एस.सी. लोकसभा सीटें - भरतपुर, बीकानेर, गंगानगर व करौली-धौलपुर एस.टी. लोकसभा सीटें - बांसवाड़ा, दौसा व उदयपुर
http://advancestudytricks.blogspot.com/2020/01/government-indian-government.html
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vilaspatelvlogs · 3 years
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अगवा DRG जवान की हत्या: बीजापुर में SI मुरली ताती की नक्सलियों ने गला घोंटकर हत्या की; देर रात सड़क किनारे फेंका शव
अगवा DRG जवान की हत्या: बीजापुर में SI मुरली ताती की नक्सलियों ने गला घोंटकर हत्या की; देर रात सड़क किनारे फेंका शव
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप बीजापुर42 मिनट पहले कॉपी लिंक छत्तीसगढ़ के बीजापुर में अगवा किए गए DRG के SI मुरली ताती की नक्सलियों ने हत्या कर दी। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में अगवा किए गए DRG (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) के SI मुरली ताती की नक्सलियों ने शुक्रवार देर रात हत्या कर दी। उनका शव सड़क किनारे फेंक कर नक्सली भाग निकले। SI मुरली ताती को 3 दिन पहले…
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shivam11110000 · 4 years
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India's long jumper Murali Sreeshankar qualifies for Tokyo Olympics with a national record | लॉन्ग जंप में 8.26 मी के नए नेशनल रिकॉर्ड के साथ क्वालिफाई किया; 2016 में 8.29 मी पर रदरफोर्ड ने जीता था ब्रॉन्ज
India’s long jumper Murali Sreeshankar qualifies for Tokyo Olympics with a national record | लॉन्ग जंप में 8.26 मी के नए नेशनल रिकॉर्ड के साथ क्वालिफाई किया; 2016 में 8.29 मी पर रदरफोर्ड ने जीता था ब्रॉन्ज
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shaileshg · 4 years
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अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिराए करीब 28 साल पूरे हो गए हैं। ढांचे को गिराने के क्रिमिनल केस की सुनवाई लखनऊ में सीबीआई स्पेशल कोर्ट कर रहा था। इस मामले में 32 आरोपी हैं। इनमें पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार और साक्षी महाराज के साथ-साथ विश्व हिंदू परिषद के कई नेता भी आरोपी हैं।
मामले की सुनवाई लखनऊ की पुरानी हाईकोर्ट बिल्डिंग में अयोध्या प्रकरण कोर्टरूम नंबर 18 में पिछले 28 साल से कछुए की चाल चल रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को आदेश दिया कि इस मामले में डे-टू-डे बेसिस पर सुनवाई की जाए और मामले की सुनवाई कर रहे जज का ट्रांसफर नहीं होगा। तब जाकर अब फैसले की घड़ी आई है।
सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुना तो दिया, अब यह मामला क्या है? 6 दिसंबर 1992 को राम मंदिर आंदोलन के लिए जुटी भीड़ ने बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिरा दिया था। यह माना जाता है कि विवादित ढांचा भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर बनाया गया था। ढांचा गिरने के बाद पूरे देश में दंगे भड़के थे। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इन दंगों में 1,800 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 में जो फैसला सुनाया था, वह जमीन के मालिकाना हक को लेकर था। उसमें कोर्ट ने राम जन्मभूमि मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था। 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर का भूमिपूजन किया। यह क्रिमिनल केस उससे पूरी तरह अलग है।
क्या है यह मामला और दर्ज एफआईआर क्या है?
6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा टूटने के बाद पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की थीं। पहली एफआईआर-नंबर 197/92, जो लाखों अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ थी। इन कारसेवकों ने कथित तौर पर हथौड़ों और कुदाल से विवादित ढांचा गिराया था।
दूसरी एफआईआर- नंबर 198/92 आठ लोगों के खिलाफ थी। इनमें आडवाणी, जोशी, उमा भारती और विनय कटियार भाजपा से थे। वहीं, विहिप के अशोक सिंहल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया और साध्व�� ऋतंभरा थे। इनमें डालमिया, किशोर और सिंहल की मौत हो चुकी है। 47 और एफआईआर दर्ज हुई थी, जो बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद पत्रकारों पर हमलों से जुड़ी थीं। मामले में कुल 32 लोग आरोपी हैं।
इन केसों के बंटवारे पर विवाद था। कारसेवकों के खिलाफ दर्ज एफआईआर 197/92 जांच के लिए सीबीआई के पास गई थी, जबकि एफआईआर 198/92 जांच के लिए सीआईडी को सौंपी गई थी। 27 अगस्त 1993 को यूपी सरकार ने इस मामले से जुड़े सभी केस सीबीआई को दे दिए गए थे।
आपराधिक साजिश का आरोप कब जुड़ा? सीबीआई ने 5 अक्टूबर 1993 को पहली चार्जशीट दाखिल की। इसमें 40 लोगों को आरोपी बनाया था। इनमें भाजपा-विहिप के 8 नेता भी शामिल थे। दो साल चली जांच के बाद 10 जनवरी 1996 को सीबीआई ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की। आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद गिराने की एक सुनियोजित साजिश थी।
सीबीआई ने एफआईआर में 9 और लोगों को जोड़ा। उनके खिलाफ आपराधिक साजिश यानी आईपीसी की धारा 120(बी) के आरोप लगाए। इनमें शिवसेना के नेता बाल ठाकरे और मोरेश्वर सावे शामिल थे। 1997 में लखनऊ मजिस्ट्रेट ने सभी 48 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दिए। लेकिन, 34 आरोपियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में आरोप तय करने के खिलाफ याचिका लगाई और प्रक्रिया पर रोक लग गई।
इस मामले में सुनवाई में देर कहां हुई? इस मामले में चार साल तक कुछ नहीं हुआ। हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर की वजह से कागज तक नहीं हिला। 12 फरवरी 2001 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आडवाणी, जोशी, उमा, कल्याण सिंह और अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश की धारा हटाने का आदेश दिया। इससे केस कमजोर हो गया।
तीन महीने के भीतर 4 मई 2001 को लखनऊ की स्पेशल कोर्ट ने एफआईआर 197/92 और 198/92 को अलग-अलग सुनवाई के लिए लिया। यह भी कहा कि 21 आरोपियों के खिलाफ रायबरेली की कोर्ट में सुनवाई होगी। वहीं, 27 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई लखनऊ में होगी।
सीबीआई ने तब इलाहाबाद हाईकोर्ट में आपराधिक साजिश का आरोप हटाने के आदेश का रिव्यू करने के लिए याचिका लगाई। लेकिन, यह याचिका खारिज हो गई। 16 जून को सीबीआई ने यूपी सरकार को पत्र लिखकर कहा कि ट्रायल दोबारा शुरू करने के लिए नोटिफिकेशन जारी करें।
जुलाई 2003 में सीबीआई ने आडवाणी के खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप वापस ले लिया और रायबरेली कोर्ट में नए सिरे से चार्जशीट दाखिल की। लेकिन, जुलाई 2005 में हाईकोर्ट ने आडवाणी के खिलाफ 'नफरत फैलाने' का आरोप तय किया। 2010 तक दोनों केस अलग-अलग अदालतों में चलते रहे।
2011 में सीबीआई आखिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची और वहां यह तय हुआ कि रायबरेली की सुनवाई भी लखनऊ ट्रांसफर की जाए। अगले सात साल तक अदालतों में आरोप तय होने को लेकर रिव्यू याचिकाएं दाखिल होती रहीं। 19 अप्रैल 2017 को आडवाणी और अन्य आरोपियों पर फिर से आपराधिक साजिश का आरोप तय हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को त्रुटिपूर्ण करार देते हुए सीबीआई की भी इस बात को लेकर खिंचाई की कि उस आदेश को पहले चुनौती क्यों नहीं दी गई? तकनीकी तौर पर 2010 में ही ट्रायल शुरू हो सका। आरोप तय होने के स्टेज पर सुनवाई अटकी रही क्योंकि अधिकांश आरोपी हाईकोर्ट में थे।
इस मामले में आरोपियों के खिलाफ सबूत क्या हैं? बाबरी ढांचे के विध्वंस से जुड़े मामले में 30-40 हजार गवाह थे। ट्रायल में मौखिक गवाही महत्वपूर्ण रही। मौखिक सबूतों में गवाहों के पुलिस को दिए बयानों को लिया गया। सीबीआई ने जांच के दौरान 1,026 गवाहों की सूची बनाई। इसमें ज्यादातर पुलिसकर्मी और पत्रकार थे।
आठ भाजपा और विहिप नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप साबित करने के लिए मौखिक आरोप ही हैं। इस वजह से सीबीआई ने अतिरिक्त प्रयास किए ताकि ज्यादा से ज्यादा गवाहों को जुटाया जा सके। 2010 से सीबीआई की कई टीमों ने देशभर का दौरा किया और लोगों को कोर्ट में पेश होने के लिए समन दिए। कुछ को तो इंग्लैंड और म्यांमार में भी ट्रेस किया है। हजारों में से सिर्फ 351 गवाह ही कोर्ट में बयान देने पहुंच सके।
मौखिक सबूतों में इन नेताओं की ओर से दिए गए भाषण शामिल हैं। खासकर 1990 में अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के लिए जब लालकृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा शुरू की, उस दौरान दिए गए बयानों को सबूत माना गया। यह बताता है कि ढांचे को गिराने का विचार 1990 में ही आया, जो बताता है कि यह साजिश थी।
दस्तावेजी सबूत भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसमें घटना की न्यूज रिपोर्ट्स शामिल हैं। साथ ही 6 दिसंबर 1992 को खींचे गए फोटोग्राफ्स और बनाए गए वीडियो। विभिन्न चैनलों ने 100 यू-मेटिक वीडियो कैसेट्स सौंपे हैं, जिन्हें 27-इंच के सोनी टीवी और दो वीसीआर पर चलाया गया।
इस मामले में क्या उम्मीद कर सकते हैं? 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं के दावे को स्वीकार करते हुए कहा कि बाबरी ढांचे को गिराना कानून के शासन का उल्लंघन था। जो भी गलत हुआ है, उसे ठीक किया जाना आवश्यक है। संविधान के आर्टिकल 142 के तहत कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार या उत्तरप्रदेश सरकार को अयोध्या में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन देनी चाहिए।
यह देखा जाना चाहिए कि क्या सुप्रीम कोर्ट के बयान का इस फैसले पर कोई असर होता है। सरकारी पक्ष ने अपनी अंतिम दलीलों में कहा है कि जिन भी लोगों ने साजिश रची, उन्हें सजा दी जानी चाहिए। डिफेंस का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले ने हिंदुओं के दावे को सही साबित किया है।
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Everything you need to know about the Criminal Case a day before the result
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confectioneryvixen · 4 years
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‘शक्तिमान’ की अगली कड़ी में, मुकेश खन्ना कहते हैं कि यह ‘हमारे मूल्यों में निहित है’
लोकप्रिय 80 और 90 के दशक के टेलीविजन शो को कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण देश में बढ़ती अशांति के बीच वापसी करने के लिए प्राइम किया गया है। इस सप्ताह की शुरुआत में, पौराणिक शो जैसे रामायण तथा महाभारत, जो एक समय देश का सबसे प्रमुख पसंदीदा रहा था, नागरिकों के बीच मनोरंजन और सामंजस्य बनाए रखने के लिए फिर से शुरू किया गया था। अन्य शो जैसे ब्योमकेश बख्शी तथा सर्कस 21 दिनों के राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान छोटे पर्दे पर अपने प्रदर्शन को फिर से शुरू किया।
पढ़ें | शक्तिमान टू मिस्टर बीन: विराट कोहली के ‘कैप्शन इस’ को अजीब प्रतिक्रियाएं मिलती हैं
90 के दशक के लोकप्रिय टीवी शो को वापस लाने के लिए नेटिज़न्स की बढ़ती मांग के साथ, भारत की मूल सुपरहीरो श्रृंखला को प्रसारित करने के लिए उनका सुझाव, शक्तिमान, सूची में सबसे ऊपर है। उनकी मांगों पर प्रतिक्रिया देते हुए, अनुभवी अभिनेता मुकेश खन्ना ने खुलासा किया है कि मूल शो का सीक्वल इस समय काम कर रहा है।
एक प्रमुख मनोरंजन दैनिक के साथ अपने साक्षात्कार में, अभिनेता ने कहा कि का दूसरा संस्करण शक्तिमान समकालीन समय में एक ही कहानी को आगे बढ़ाएगा और ‘हमारे मूल्यों में निहित’ होगा।
पढ़ें | PM CARES फंड ऑनलाइन डोनेशन स्टेप-बाय-स्टेप गाइड: भारत के कोरोनावायरस फाइट में योगदान दें
खन्ना, जिन्होंने मूल शो पर भी अंकुश लगाया है, कथित तौर पर लॉकडाउन के बीच नेटिज़न्स की मांगों से अभिभूत हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट टल जाने के बाद और उद्योग अपने परिचालन को फिर से शुरू करेगा, वह जरूरतों को पूरा करेगा शक्तिमान प्रशंसक और शो का सीक्वल जारी करते हैं।
पढ़ें | COVID-19 रोगियों के लिए 28-दिवसीय भुगतान अवकाश प्रदान करने के लिए नोएडा; श्रमिकों के लिए दैनिक तालाबंदी मजदूरी
प्रतिष्ठित 90 के दशक के शो वापस लाएं
रामानंद सागर के फिर से दौड़ने के बाद रामायण और बी.आर. च��पड़ा की महाभारत शनिव��र को, प्रशंसक 80 और 90 के दशक से अपने सभी पसंदीदा शो के छोटे परदे पर वापसी की मांग कर रहे हैं। पूरे भारत में लोग उदासीनता से भर गए थे क्योंकि दो महाकाव्यों ने वापसी की और इसने डेरेक ओ’ब्रायन जैसे अधिक शो की मांग को पूरा किया। बोर्नविटा क्विज प्रतियोगिता, अंताक्षरी, डेख भाई देख, श्रीमन श्रीमति, मालगुडी डेज़, ऑफिस ऑफ़िस, हिप हिप हुर्रे, मुरली एंड मेकर्स और कई अन्य लोग वापसी करने के लिए।
पढ़ें | रामायण और महाभारत के बाद, नेटिज़ेंस भी शक्तिमान, अंताक्षरी और अन्य आइकन वापस चाहते हैं
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asitbali · 5 months
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19-04-2024 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे - बाप आये हैं सारी दुनिया का हाहाकार मिटाकर जयजयकार करने - पुरानी दुनिया में है हाहाकार, नई दुनिया में है जयजयकार”
“बापदादा के राइट हैण्ड बनो, लेफ्ट हैण्ड नहीं।" - ओम् शान्ति।
प्रश्नः कौन-सा ईश्वरीय नियम है जो गरीब ही बाप का पूरा वर्सा लेते, साहूकार नहीं ले पाते? उत्तर:- ईश्वरीय नियम है – पूरा बेगर बनो, जो कुछ भी है उसे भूल जाओ। तो गरीब बच्चे सहज ही भूल जाते हैं परन्तु साहूकार जो अपने को स्वर्ग में समझते हैं उनकी बुद्धि में कुछ भूलता नहीं इसलिए जिनको धन, दौलत, मित्र, सम्बन्धी याद रहते वह सच्चे योगी बन ही नहीं सकते हैं। उन्हें स्वर्ग में ऊंच पद नहीं मिल सकता। गीत:-…
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onlinekhabarapp · 5 years
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वीरगञ्जमा तरकारी, फलफूल र खाद्यान्न किन्न बाहिर निस्कन दिइने
१३ चैत, वीरगञ्ज । कोरोना भाइरस (कोभिड–१९) को संक्रमणबाट जोगाउन सरकारले लकडाउनको घोषणा गरेको छ । त्यसको पालना गराउन सुरक्षाकर्मीहरु खटिएका छन् । उलंघन गर्नेलाई कारबाही भइरहेको छ । सवारी साधन नियन्त्रणमा लिएर जरीवाना लिएर छोडिएको छ ।
तर वीरगञ्ज महानगरपालिकामा तरकारी फलफूल र खाद्यान्न खरिदका लागि निस्कन दिइने भएको छ । तरकारी र फलफूल खरिद गर्न बिहान र खाद्यान्न खरिदका लागि दिउँसोको समय छुट्याइएको छ ।
पर्साका प्रमुख जिल्ला अधिकारी विष्णु कुमार कार्कीको अध्यक्षतामा बुधबार बसेको बैठकले त्यस्तो निर्णय गरेको हो ।
महानगरपलिका प्रमुख विजयकुमार सरावगी समेतको उपस्थितिमा बसेको बैठकले जनप्रतिनिधि तथा वडा अध्यक्षहरुले खाद्यान्न बिक्री वितरणका लागि स्थान तोक्ने निर्णय गरेको छ । ती पसलमा आवश्यकता परेका सर्वसाधरणले गएर बिहान ११ बजेदेखि दिउँसो ३ बजेसम्म अत्यावश्यक दैनिक उपभोग्य खाद्यान्न खरिद गर्न सक्नेछन् ।
त्यसैगरी सामुदायिक प्रहरी बिट रहेका स्थानहरु मीनाबजार, मुरली, ग्रिनसिटी (पुरानो बसपार्क), छपकैया, कुम्हालटोल, बिर्ता तथा रानीघाटबाट तरकारी तथा फलफूल बिक्री गर्न दिइने भएको छ । बिहान ७ बजेदेखि दिउँसो १ बजेसम्म ती स्थानमा पसल खुल्ला रहनेछन् । तरकारी, फलफूल तथा खाद्यान्न बिक्री वितरण गर्दा भिडभाड नगरी कम्तिमा ३ फिटको दुरी कायम हुने गरी व्यवस्थित रुपमा लाइन मिलाउनुपर्ने निर्णय बैठकले गरेको छ ।
बैठकले अत्यावश्यक सेवामा काम गर्ने कर्मचारीहरुलाई विशेष अवस्थामा बाहेक बिहान ७ बजेभन्दा अगाडिनै कार्यालयमा पुग्न र साँझ ६ बजेपछि मात्र फर्कन निर्देशन दिएको छ ।
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realtimesmedia · 4 years
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"वसुंधरा सम्मान" से नवाज़े गए मुरली
“वसुंधरा सम्मान” से नवाज़े गए मुरली
रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित संक्षिप्त और गरिमामय समारोह में वरिष्ठ पत्रकार और अंग्रेजी दैनिक ‘हितवाद’ के स्थानीय सम्पादक ई. वी. मुरली को 20 वें ’वसुंधरा सम्मान’ से सम्मानित किया।
देवी प्रसाद चौबे की स्मृति में स्थापित यह सम्मान विगत 20 वर्षों से लोकजागरण के लिए दिया जा रहा है। वसुंधरा सम्मान समारोह का आयोजन देवी प्रसाद चौबे की पुण्यतिथि के अवसर पर…
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vilaspatelvlogs · 4 years
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टोक्यो ओलिंपिक में खेलेंगे मुरली श्रीशंकर: लॉन्ग जंप में 8.26 मी के नए नेशनल रिकॉर्ड के साथ क्वालिफाई किया; 2016 में 8.29 मी पर रदरफोर्ड ने जीता था ब्रॉन्ज
टोक्यो ओलिंपिक में खेलेंगे मुरली श्रीशंकर: लॉन्ग जंप में 8.26 मी के नए नेशनल रिकॉर्ड के साथ क्वालिफाई किया; 2016 में 8.29 मी पर रदरफोर्ड ने जीता था ब्रॉन्ज
Hindi News Sports India’s Long Jumper Murali Sreeshankar Qualifies For Tokyo Olympics With A National Record Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप नई दिल्ली38 मिनट पहले कॉपी लिंक मुरली ने 8.26 मीटर की छलांग लगाई और टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई किया। (फाइल फोटो) भारत के लॉन्ग जंपर मुरली श्रीशंकर ने टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर लिया है। उन्होंने पटियाला…
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shivam11110000 · 4 years
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Movie Review: Drishyam 2 | परिवार को बचाने की जुगत में भिड़े आम आदमी के एक्स्ट्राऑर्डिनरी बन जाने की कहानी, देखने लायक है मोहनलाल की 'दृश्यम 2'
Movie Review: Drishyam 2 | परिवार को बचाने की जुगत में भिड़े आम आदमी के एक्स्ट्राऑर्डिनरी बन जाने की कहानी, देखने लायक है मोहनलाल की ‘दृश्यम 2’
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप 6 मिनट पहलेलेखक: अमित कर्ण कॉपी लिंक रेटिंग 4/5 स्टारकास्ट मोहनलाल, मीना, अनसिबा हासन, एस्थर अनिल, आशा सरत, मुरली गोपी, केबी गणेश कुमार डायरेक्टर जीतू जोसेफ प्रोड्यूसर एंटनी पेरुंब��वूर म्यूजिक डायरेक्टर अनिल जॉनसन अवधि 2 घंटे 33 मिनट ‘दृश्यम2’ कहानी, पटकथा, संवाद, अदायगी और ट्रीटमेंट समेत हर मोर्चे पर परफेक्शन से लैस…
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shaileshg · 4 years
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अयोध्या में एक तरफ राममंदिर का निर्माण शुरू हो गया है, वहीं विवादित ढांचा गिराने के मामले में आज फैसला आना है। 28 साल पहले 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया था। ढांचा गिराने का आरोप लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसी हस्तियों समेत 48 लोगों पर लगा था। इनमें से 16 की मृत्यु हो चुकी है। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट 32 आरोपियों की किस्मत का आज फैसला सुनाएगी। 6 दिसम्बर 1992 को 10 मिनट के अंतराल पर दर्ज हुईं दो एफआईआर
पहली एफआईआर मुकदमा संख्या 197/92 को प्रियवदन नाथ शुक्ल ने शाम 5:15 पर बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में तमाम अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 395, 397, 332, 337, 338, 295, 297 और 153ए में मुकदमा दर्ज किया।
दूसरी एफआईआर मुकदमा संख्या 198/92 को चौकी इंचार्ज गंगा प्रसाद तिवारी की तरफ से आठ नामजद लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया, जिसमें भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, तत्कालीन सांसद और बजरंग दल प्रमुख विनय कटियार, तत्कालीन वीएचपी महासचिव अशोक सिंघल, साध्वी ऋतंभरा, विष्णु हरि डालमिया और गिरिराज किशोर शामिल थे। इनके खिलाफ धारा 153ए, 153बी, 505 में मुकदमा लिखा गया।
बाद में जनवरी 1993 में 47 अन्य मुकदमे दर्ज कराए गए, जिनमें पत्रकारों से मारपीट और लूटपाट जैसे आरोप थे।
1993 में हाईकोर्ट के आदेश पर लखनऊ में बनी विशेष अदालत 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर लखनऊ में विशेष अदालत बनाई गई थी, जिसमें मुकदमा संख्या 197/92 की सुनवाई होनी थी। इस केस में हाईकोर्ट की सलाह पर 120बी की धारा जोड़ी गई, जबकि मूल एफआईआर में यह धारा नहीं जोड़ी गई थी। अक्टूबर 1993 में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में 198/92 मुकदमे को भी जोड़कर संयुक्त चार्जशीट फाइल की। क्योंकि दोनों मामले जुड़े हुए थे।
उसी आरोप पत्र में विवेचना में आए नाम बाल ठाकरे, नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह, चम्पत राय जैसे 48 नाम जोड़े गए। केस से जुड़े वकील मजहरुद्दीन बताते हैं कि सीबीआई की सभी चार्जशीट मिला लें तो दो से ढाई हजार पन्नों की चार्जशीट रही होगी।
यूपी सरकार की एक गलती से अलग-अलग जिलों में हुई सुनवाई अक्टूबर 1993 में जब सीबीआई ने संयुक्त चार्जशीट दाखिल की तो कोर्ट ने माना कि दोनों केस एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए दोनों केस की सुनवाई लखनऊ में बनी विशेष अदालत में होगी, लेकिन लालकृष्ण आडवाणी समेत दूसरे आरोपियों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दे दी।
दलील में कहा गया कि जब लखनऊ में विशेष कोर्ट का गठन हुआ तो अधिसूचना में मुकदमा संख्या 198/92 को नहीं जोड़ा गया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया कि मुकदमा संख्या 198/92 में चार्जशीट रायबरेली कोर्ट में फाइल करे।
जब कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया 2003 में सीबीआई ने चार्जशीट तो दाखिल की, लेकिन आपराधिक साजिश की धारा 120 बी नहीं जोड़ सके। चूंकि, दोनों मुकदमे अलग थे, ऐसे में रायबरेली कोर्ट ने आठ आरोपियों को इसलिए बरी कर दिया, क्योंकि उनके खिलाफ मुकदमे में पर्याप्त सबूत नहीं थे। इस मामले में दूसरा पक्ष हाईकोर्ट चला गया तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2005 में रायबरेली कोर्ट का आर्डर रद्द किया और आदेश दिया कि सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलता रहेगा।
2007 से शुरू हुआ ट्रायल, हुई पहली गवाही इसके बाद मामले में ट्रायल शुरू हुआ और 2007 में पहली गवाही हुई। केस से जुड़े वकील केके मिश्रा बताते हैं कि कुल 994 गवाहों की लिस्ट थी, जिसमें से 351 की गवाही हुई। इसमें 198/92 मुकदमा संख्या में 57 गवाहियां हुईं, जबकि मुकदमा संख्या 197/92 में 294 गवाह पेश हुए। कोई मर गया, किसी का एड्रेस गलत था तो कोई अपने पते पर नहीं मिला।
जून 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ मामले की सुनवाई के आदेश दिए हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 2011 में सीबीआई सुप्रीम कोर्ट गई। अपनी याचिका में उसने दोनों मामलों में संयुक्त रूप से लखनऊ में बनी विशेष अदालत में चलाने और आपराधिक साजिश का मुकदमा जोड़ने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चलती रही। जून 2017 में हाईकोर्ट ने सीबीआई के पक्ष में फैसला सुनाया।
यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने दो साल में इस केस को खत्म करने की समय सीमा भी तय कर दी। 2019 अप्रैल में वह समय सीमा खत्म हुई तो नौ महीने की डेडलाइन फिर मिली। इसके बाद कोरोना संकट को देखते हुए 31 अगस्त तक सुनवाई पूरी करने का और 30 सितंबर को फैसला सुनाने का समय दिया गया है।
17 साल चली लिब्रहान आयोग की जांच, 48 बार मिला विस्तार 6 दिसंबर 1992 के 10 दिन बाद केंद्र सरकार ने लिब्रहान आयोग का गठन कर दिया, जिसे तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन आयोग की जांच पूरी होने में 17 साल लग गए। जानकारी के मुताबिक, इस दौरान तकरीबन 48 बार आयोग को विस्तार मिला।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आयोग पर आठ से दस करोड़ रुपए भी खर्च किए गए। 30 जून 2009 को आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। जांच रिपोर्ट का कोई भी प्रयोग मुकदमे में नहीं हो पाया न ही सीबीआई ने आयोग के किसी सदस्य का बयान लिया।
आडवाणी-उमा समेत पांच नेता नहीं रहेंगे मौजूद
बाबरी विध्वंस केस पर फैसले के समय पांच आरोपी लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, शिवसेना के सांसद रहे सतीश प्रधान, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास मौजूद नहीं रहेंगे। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह कोर्ट में पेश होने के लिए लखनऊ पहुंच चुके हैं। बीते दिनों वे कोरोना की चपेट में आ गए थे, जिसके बाद से उनका इलाज चल रहा था।
महंत नृत्य गोपाल दास अपनी बिगड़ी सेहत के कारण नहीं पेश होंगे। उनके उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने कहा कि महंत नृत्यगोपाल दास महाराज का स्वास्थ ठीक नहीं है। कोरोना संक्रमित होने के बाद वे बाहर नहीं जा रहे हैं। उनकी नियमित मेडिकल जांच हो ��ही है। कोर��ट को सब मालूम है। वे कल कोर्ट में हाजिर नहीं हो सकेंगे। मणिराम छावनी में रह कर ही कोर्ट का फैसला सुनेंगे।
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Babri, CBI Court Babri Masjid Demolition Case Verdict Faisla LIVE [Updates]; Lal Krishna Advani, Uma Bharti, Kalyan Singh and Murli Manohar Joshi
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gokul2181 · 4 years
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Market News In Hindi : Market regulator SEBI imposed penalty of Rs 11 crore on 28 people including Murali Industries and 18 of its promoters | मार्केट रेगुलेटर सेबी ने मुरली इंडस्ट्रीज और उसके 18 प्रमोटर्स सहित 28 लोगों पर 11 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई
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Market News In Hindi : Market regulator SEBI imposed penalty of Rs 11 crore on 28 people including Murali Industries and 18 of its promoters | मार्केट रेगुलेटर सेबी ने मुरली इंडस्ट्रीज और उसके 18 प्रमोटर्स सहित 28 लोगों पर 11 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई
सेबी के अनुसार यह सभी एक दूसरे से कनेक्टेड होकर शेयरों में कारोबार कर रहे थे
टेकओवर के नियमों का उल्लंघन और एक दूसरे के खाते में पैसों का ट्रांसफर कर रहे थे
दैनिक भास्कर
Jun 30, 2020, 06:38 PM IST
मुंबई. पूंजी बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को मुरली इंडस्ट्रीज और इसके 18 प्रमोटर्स सहित कुल 28 लोगों पर 11 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई है। यह पेनाल्टी टेकओवर नियमों के उल्लंघन के मामले में लगाई गई है। जिन लोगों पर पेनाल्टी लगाई गई है उसमें प्रमोटर्स  बजरंगलाल मालू, बजरंग बी मालू, दिनेश मालू, लालचंद मालू, लालचंद बी मालू, मधु सुनील मालू, महेश मालू का समावेश है। यह सभी प्रमोटर्स हैं। 
इसी तरह प्रमोटर्स के अन्य सदस्यों में मुरली मालू, नंदलाल मालू, निर्मला देवी मालू, प्रेमादेवी मालू, संगीता देवी मालू, सरिता मालू, शांतिदेवी मालू, शिल्पा मालू, शोभा मालू, सुनील कुमार मालू का समावेश है। 
प्रमोटर्स के अलावा 10 और लोगों पर पेनाल्टी
इनके अलावा रुंचिका अलायज एंड स्टील, इंको इंफ्रा, रामजी एग्री बिजनेस, अंबाजी पेपर्स, कन्हैया माइनिंग, कृष्णम इनवेस्टमेंट, लखी पैकेजिंग, सिंपल माइनिंग, टाइटन मैनेजमेंट और रामकृष्णा फैब्रिकेशन का समावेश है। इन सभी को कंपनी के शेयरों को खरीदने के एवज में टेकओवर के नियमों के तहत खुलासा करना था। इन लोगों ने 15 दिसंबर 2006 को शेयरों को खरीदा था। लेकिन इन लोगों ने इस तरह का कोई खुलासा नहीं किया।
शेयरों को खरीदने और बेचनेवाले एक दूसरे से कनेक्टेड थे
सेबी की जांच में पाया गया कि जिन लोगों ने शेयरों को खरीदा और जिन लोगों ने बेचा, वे सभी एक दूसरे से पहले से ही कनेक्टेड थे। इसके मुताबिक प्रमोटर्स के अलावा जो 10 लोग थे, उनके पास कुल 29.83 प्रतिशत शेयर था। जबकि प्रमोटर्स ग्रुप की होल्डिंग मिला दें तो इसके साथ ही कुल होल्डिंग 85.18 प्रतिशत हो जाती है। सेबी के मुताबिक मुरली इंडस्ट्रीज ने शेयरों के प्रफरेंशियल अलॉटमेंट से पहले साइकाम से 4.86 करोड़ रुपए 5 लोगों ने अलग अलग लिया। इसके एवज में इन लोगों ने मुरली इंडस्ट्रीज के 5 लाख इक्विटी शेयरों को गिरवी रख दिया था।
पांच लोगों का कोई बिजनेस नहीं था
हालांकि गिरवी रखने से पहले मुरली इंडस्ट्रीज के प्रमोटर्स को 1.5 लाख शेयर सभी से अलग-अलग लेना था। इस तरह से कुल 5 लोगों से 7.5 लाख शेयर मुरली इंडस्ट्रीज को लेना था। सेबी की जां�� में पाया गया कि ये सभी लोग आपस में कनेक्टेड थे और इन्होंने एक दूसरे को बाद की तारीख का चेक भी दे रखा था। लेकिन बाद में यह सब एक ही लोग निकले। बाद में पता चला कि जो पांच लोग थे, उनका कोई बिजनेस नहीं था और वे लोग आईसीडी लेने की पोजीशन में नहीं थे।
सेबी ने मधुलिका को बिना गारंटी 28.27 करोड़ रुपए दिया
सेबी ने कहा कि मुरली इंडस्ट्रीज ने 28.27 करोड़ रुपए मधुलिका को बिना किसी कोलैटरल के 20 नवंबर 2007 को कर्ज दिया था। हालांकि मधुलिका ने यह राशि तुरंत पांच लोगों कन्हैया, रुनिचा, रामजी, इंको और अंबाजी को को ट्रांसफर कर दिया। इसमें से मधुलिका ने सवा लाख रुपए अपने पास रख लिया। इससे यह पता चला कि प्रमोटर ने जो प्लांट और मशीनरी के लिए ट्रांसफर की बात कही थी, वह झूठा निकला। मधुलिका ने कभी भी इस पैसे का उपयोग प्लांट या मशीनरी के लिए नहीं किया। मधुलिका को इस मामले में केवल फ्रंट एंटिटी के रूप में ट्रांसफर करने के लिए उपयोग किया गया था।
कई कनेक्टेड कंपनियों का प्रबंधन सीए राजा कर रहे थे
सेबी ने पाया की सभी कनेक्टेड कंपनीज का प्रबंधन अमित राजा कर रहे थे। राजा सीए थे और जांच में पाया गया कि इनका सभी के साथ कनेक्शन था। यही नहीं, कई और कंपनियां भी इसी तरह कनेक्टेड थीं। सेबी ने पाया कि मुरली इंडस्ट्रीज और प्रमोटर्स ने इन कनेक्टेड कंपनियों के लिए फंडिंग की व्यवस्था की। यह एक मोडस ऑपरेंडी थी।
मुरली इंडस्ट्रीज ने रामकृष्णा को 1.82 करोड़ रुपए दिए
बैंक खाते से पता चला कि 2007 में मुरली इंडस्ट्रीज ने कुल 1.82 करोड़ रुपए रामकृष्णा को ट्रांसफर किया। रामकृष्णा कंपनी भी एक दूसरे से कनेक्टेड थी। यह सभी कनेक्टेड कंपनीज मुरली इंडस्ट्रीज के शेयर में कारोबार कर रही थी। 10 कनेक्टेड कंपनियां एक दूसरे से कनेक्शन में थीं। इसमें कंपनी के प्रमोटर्स भी थे। सेबी ने यह भी पाया कि साइकाम ने पांच कनेक्टेड एंटीटीज को गारंटी लेटर के आधार पर लोन दिया। यह लेटर मुरली इंडस्ट्रीज और इसके प्रमोटर्स ने दिया था।
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asitbali · 5 months
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17-02-2024 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे - यह बना-बनाया नाटक है, इस नाटक से एक भी आत्मा छूट नहीं सकती, मोक्ष किसी को मिल नहीं सकता”
“विघ्न रूप नहीं, विघ्न-विनाशक बनो।" - ओम् शान्ति।
प्रश्नः ऊंचे ते ऊंचा पतित-पावन बाप भोलानाथ कैसे है? उत्तर:- तुम बच्चे उन्हें चावल मुट्ठी दे महल ले लेते हो, इसलिए ही बाप को भोलानाथ कहा जाता है। तुम कहते हो शिवबाबा हमारा बेटा है, वह बेटा ऐसा है जो कभी कुछ लेता नहीं, सदा ही देता है। भक्ति में कहते हैं जो जैसा कर्म करता है वैसा फल पाता है। परन्तु भक्ति में तो अल्पकाल का मिलता। ज्ञान में समझ से करते इसलिये सदाकाल का मिलता है। गीत:- हमें उन राहों…
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एक्सपर्ट्स बोले- भारत में अभी चरम पर नहीं पहुंचा है कोरोना, आने वाले वक्त में 5 राज्यों में वेंटिलेटर्स और आईसीयू की कमी हो सकती है
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reviewsground · 4 years
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