“प्रभु हम बच्चों को उस पार ले चलो उस पार का मतलब क्या है? क्या मनुष्य मनुष्य 84 लाख योनियां भोगते हैं?”
“तो अपने को इस संगम समय पर अपनी जीवन को पलटाए पापात्मा से पुण्यात्मा बनना है।“- ओम् शान्ति।
Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य:-
अब यह जो हम कहते हैं कि प्रभु हम बच्चों को उस पार ले चलो, उस पार का मतलब क्या है? लोग समझते हैं उस पार का मतलब है जन्म मरण के चक्र में न आना अर्थात् मुक्त हो जाना। अब यह तो हुआ मनुष्यों का कहना परन्तु वो कहता है बच्चों, सचमुच जहाँ सुख शान्ति है, दु:ख अशान्ति से दूर है उसको कोई दुनिया नहीं कहते। जब मनुष्य सुख चाहते हैं तो वो भी…
View On WordPress
0 notes
“तुम मात पिता हम बालक तेरे... अब यह महिमा किसके लिये गाई हुई है?”
"जब स्वयं परमात्मा आकर हमारे सारे कर्मों का खाता चुक्तू करता है, तब ही हम कहेंगे तुम माता पिता.."- ओम् शान्ति।
Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य:- “तुम मात पिता हम बालक तेरे… अब यह महिमा किसके लिये गाई हुई है?”
Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव
तुम मात पिता हम बालक तेरे, तुम्हरी कृपा से सुख घनेरे… अब यह महिमा किसके लिये गाई हुई है? अवश्य पर–मात्मा के लिये गायन है क्योंकि परमात्मा खुद माता पिता रूप में आए इस सृष्टि को अपार सुख देता है। जरूर परमात्मा ने कब सुख की…
View On WordPress
0 notes
“जिस समय “ओम् शान्ति” कहते हैं तो उसका यथार्थ अर्थ है?”
“तो अपने को आत्मा समझ परमात्मा की याद में रहना, यह है सच्चा ज्ञान।“- ओम् शान्ति।
Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य:-
जिस समय “ओम् शान्ति” कहते हैं तो उसका यथार्थ अर्थ है मैं आत्मा सालिग्राम उस ज्योति स्वरूप परमात्मा की संतान हूँ, हम भी वही पिता ज्योतिर्बिन्दू परमात्मा के मुआफिक आकार वाली हैं।
बाकी हम सालिग्राम बच्चे हैं तो इन्हों को अपने ज्योति स्वरूप परमात्मा के साथ योग रखना और लाइट माइट का वर्सा लेना है। उस निराकार परमात्मा को श्वांसों…
View On WordPress
0 notes
24-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “बच्चे मुझे याद करो और नॉलेज को धारण कर दूसरों की सेवा करो”
स्लोगन:- “व्यर्थ से बेपरवाह रहो, मर्यादाओं में नहीं।“ - ओम् शान्ति।
शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – तुम्हें श्रीमत पर पूरा-पूरा ध्यान देना है, बाप का फरमान है बच्चे मुझे याद करो और नॉलेज को धारण कर दूसरों की सेवा करो”
प्रश्नः– बाबा बच्चों की उन्नति के लिए कौन सी राय बहुत अच्छी देते हैं?
उत्तर:- मीठे बच्चे, अपना हिसाब–किताब (पोतामेल) रखो। अमृतवेले प्यार से याद करो, लाचारी याद में नहीं बैठो, श्रीमत पर देही–अभिमानी बन पूरा–पूरा रहमदिल बनो तो बहुत अच्छी उन्नति होती…
View On WordPress
0 notes
22-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “पुरुषार्थ कर सर्वगुण सम्पन्न बनना है दैवीगुण धारण करने हैं”
स्लोगन:- “निश्चित विजय और निश्चिंत स्थिति का अनुभव करने के लिए सम्पूर्ण निश्चयबुद्धि बनो।।“ - ओम् शान्ति।
शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – पुरुषार्थ कर सर्वगुण सम्पन्न बनना है दैवीगुण धारण करने हैं, देखना है मेरे में अब तक क्या-क्या अवगुण हैं, हम आत्म-अभिमानी कहाँ तक बने हैं”
प्रश्नः– सर्विसएबुल बच्चों की बुद्धि में अब कौन सी तात लगी रहनी चाहिए?
उत्तर:- मनुष्यों को देवता कैसे बनायें, कैसे सबको लक्ष्मी–नारायण, राम–सीता की बायोग्राफी सुनायें – यह तात बच्चों में लगी रहनी चाहिए। लक्ष्मी–नारायण के मन्दिर…
View On WordPress
0 notes
“निराकारी दुनिया अर्थात् आत्माओं का निवास।“
परमात्मा के महावाक्य :"मनुष्य आत्मायें अपने आपको और मुझ परमात्मा को भूलने के कारण यह हिसाब किताब भोग रहे हैं।" - ओम् शान्ति।
मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य :
Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
अब यह तो हम जानते हैं कि जब हम निराकारी दुनिया कहते हैं तो निराकार का अर्थ यह नहीं कि उनका कोई आकार नहीं है, जैसे हम निराकारी दुनिया कहते हैं तो इसका मतलब है जरूर कोई दुनिया है, परन्तु उसका स्थूल सृष्टि मुआफिक आकार नहीं है, ऐसे परमात्मा निराकार है लेकिन उनका अपना सूक्ष्म रूप अवश्य है। तो हम आत्मा और परमात्मा का धाम निराकारी…
View On WordPress
0 notes
“हम ईश्वर के दरबार में कुछ भी जमा कैसे कर सकते?“
“जब तक हम व्यावहारिक रूप से ईश्वर की संतान नहीं बन जाते, हम ईश्वर के दरबार में कुछ भी जमा नहीं कर सकते।“ -ओम् शान्ति।
Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य :-
उत्तर:- “जब तक हम व्यावहारिक रूप से ईश्वर की संतान नहीं बन जाते, हम ईश्वर के दरबार में कुछ भी जमा नहीं कर सकते।“
कई मनुष्य ऐसे समझते हैं कि हम जो भी कुछ कर्म करते हैं, चाहे अच्छे चाहे बुरे कर्म करते हैं उनका फल अवश्य मिलता है। जैसे कोई दान पुण्य करते हैं, यज्ञ हवन करते हैं, पाठ पूजा करते हैं वो समझते हैं कि हमने ईश्वर के…
View On WordPress
0 notes
20-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “बाप समान पतितों को पावन बनाने का पुरूषार्थ करो”
स्लोगन:- “बेफिक्र बादशाह बनना है तो तन-मन-धन को प्रभू समर्पित कर दो। “ - ओम् शान्ति।
भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – बाप समान पतितों को पावन बनाने का पुरूषार्थ करो, यह समय बहुत वैल्युबुल है, इसलिए व्यर्थ बातों में अपना समय बरबाद मत करो”
प्रश्नः– बाप बच्चों की किस ए�� बात पर बहुत तरस खाते हैं?
उत्तर:- कई बच्चे आपस में झरमुई झगमुई कर अपना समय बहुत गंवाते हैं। घूमने फिरने जाते हैं तो बाप को याद करने के बजाए व्यर्थ चिंतन करते हैं। बाप को उन बच्चों पर बहुत तरस पड़ता है। बाबा कहते मीठे…
View On WordPress
0 notes
“कर्मबन्धन से रहित जीवनमुक्त”
परमात्मा खुद आकर हमें 5 भूतों से छुड़ाते हैं और भविष्य प्रालब्ध देवी देवता पद प्राप्त कराते हैं। - ओम् शान्ति।
मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य:- “कर्मबन्धन से रहित जीवनमुक्त”जीवन
Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
“कांटों की दुनिया से ले चलो फूलों की छांव में”, अब यह बुलावा सिर्फ परमात्मा के लिये कर रहे हैं। जब मनुष्य अति दु:खी होते हैं तो परमात्मा को याद करते हैं, परमात्मा इस कांटों की दुनिया से ले चल फूलों की छांव में, इससे सिद्ध है कि जरूर वो भी कोई दुनिया है।
अब यह तो सभी मनुष्य जानते हैं कि अब का…
View On WordPress
0 notes