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#ऑयल इंडिया बिजनेस
business7773 · 1 year
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सरसों तेल का व्यापार कैसे करें ?How To Trade Mustard Oil.
बात जब खाने में स्वाद की हो तो सरसों के तेल में पक्की हुई चीजों का कोई जवाब नहीं| फिर चाहे दाल सब्जी हो पकोड़े हो या पापड़ हो या फिर चिकन मटन और मछली हो | इंडिया में ज्यादातर सरसों का ही तेल इस्तेमाल होता है| खाने के अलावा औषधि गुण होने के चलते सरसों का तेल मालिश इलाज में भी इस्तेमाल होता है| त्योहारों में भी हम दिया जलाने के लिए सरसों के तेल का यूज करते हैं और आज बिजनेस 7773 के इस ब्लॉग में आप जानेंगे की कैसे शुरू किया जा सकता है सरसों तेल मैन्युफैक्चरिंग का कारोबार | मार्केट साइज की बात करें तो मस्टर्ड ऑयल यानी कि सरसों के तेल की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खोलना क्यों एक फायदेमंद बिजनेस हो सकता है| इस बात को इस फैक्ट से आप समझ सकते हैं कि अपने देश में क सरसों के तेल का कंजप्शन पिछले 40 सालों से हर साल 5 % के हिसाब से बढ़ रहा है और अभी इंडिया में हर साल लगभग 2. 50 मिलियन मेट्रिक टन सरसों का तेल इस्तेमाल होता है| हमारे देश की जरूरत के हिसाब से सरसों के तेल का एक बड़ा हिस्सा इंपोर्ट के जरिए पूरी दुनिया से मंगवाया जाता है | फाइनेंशियल ईयर 2020 से 2021 की बात करें तो लगभग 17 देशों से 83 मिलियन डॉलर का सरसों का तेल इंडिया ने इंपोर्ट करवाया जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 25% ज्यादा है| जब भी आप अपनी ग्लोसरी का सामान लेने जाते हैं और सरसों का तेल मांगते हैं तो कोई ना कोई नया ब्रांड आपको पक्के से जरूर दिया जाता है| इससे समझिए कि सरसों तेल का बिजनेस किस तरह से आगे बढ़ रहा है और दिन-ब-दिन बढ़ती कीमतों के बाद भी हमें खाने में यह चाहिए ही होता है| 
इस ब्लॉग मे हम आपको बतायेगे की सरसों तेल का व्यापार कैसे करें ?How To Trade Mustard Oil. सरसो के तेल का बिज़नेस करने करने से से कितना प्रॉफिट होता है | 
 तो चलिए अब जानते हैं इस बिजनेस की बारीकियों को 
 1. बिजनेस मॉडल 
 आपका बिजनेस मॉडल क्या होगा | यह आपको डिसाइड करना होगा कि आप किस तरह अपनी यूनिट को चलाएंगे| जैसे कि आप खुद से रो मटेरियल से तेल निकाल कर उसको भेजेंगे या फिर किसी कंपनी के बिहाफ पर अपनी यूनिट चलाएंगे या फिर अपनी खुद की कंपनी बनाकर अपना सरसों के तेल का नया ब्रांड लॉन्च करेंगे | अगर आप खुद का इंडिविजुअल ब्रांड लॉन्च करेंगे तो इसके लिए आपको कंपनी रजिस्टर करवानी होगी लाइसेंस लेना होगा ब्रांडिंग मार्केटिंग और लेवलिंग डिमांड एंड सप्लाई सब कुछ देखना होगा| 
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suryyaskiran · 2 years
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एयर इंडिया ने नए घरेलू इन-फ्लाइट मेनू का किया अनावरण
 एयर इंडिया ने अपने घरेलू यात्रियों के लिए एक विशेष रूप से तैयार किए गए मेनू का अनावरण किया है, जो 1 अक्टूबर से त्योहारी सीजन की शुरुआत के साथ प्रभावी हो गया है।नए इन-फ्लाइट मेनू, स्वादिष्ट भोजन, ट्रेंडी ऐपेटाइजर और डिकैडेंट डेसर्ट की विशेषता के साथ, भारत के स्थानीय रूप से सोर्स किए गए प्रभाव को प्रदर्शित करता है। यह वैश्विक स्वाद को तृप्त करने के लिए दुनिया भर की रसोई और सड़कों से क्षेत्रीय विशिष्टताओं की उत्कृष्ट प्रस्तुतियों को भी शामिल करता है।साथ ही, यह सुनिश्चित करने के लिए अत्यधिक ध्यान दिया जाएगा कि व्यंजनों की श्रृंखला स्वस्थ है और रसोई से लेकर ट्रे-टेबल तक, स्वच्छ रहती है। एयर इंडिया के ग्राहक बुकिंग के समय अपने पसंदीदा भोजन का चयन कर सकते हैं।नए मेनू में शानदार गर्म भोजन, अनूठा डेसर्ट, और ताजा जूस और स्मूदी सहित ताजा पेय पदार्थो का विस्तृत चयन शामिल है। प्रत्येक भोजन स्वच्छता और गुणवत्ता के उच्चतम मानकों के अनुसार तैयार किया जाता है।बोर्ड पर, बिजनेस क्लास के यात्री शुगर-फ्री डार्क चॉकलेट ओटमील मफिन, चीस और ट्रफल ऑयल स्क्रैम्बल्ड एग विथ चिव्स, मस्टर्ड क्रीम कोटेड चिकन सॉसेज आदि का आनंद ले सकते हैं। नाश्ते के लिए आलू पराठा, मेदु वड़ा और पोडी इडली जैसे भारतीय व्यंजनों के साथ, दोपहर के भोजन के लिए मछली करी, चिकन चेट्टीनाड, आलू पोडिमा आदि के साथ उपलब्ध है। एयरलाइन चिकन 65, ग्रिल्ड स्लाईस्ड पेस्टो चिकन सैंडविच, मुंबई बटाटावड़ा की चाय भी परोसेगी।इकोनॉमी क्लास के ग्राहकों को दोपहर के भोजन के लिए पनीर मशरूम ऑमलेट, सूखे जीरा आलू वेजेस, गार्लिक टॉस्ड पालक और नाश्ते के लिए मकई के चयन से प्रसन्न होंगे, इसके बाद स्वादिष्ट सब्जी बिरयानी, मालाबारचिकन करी और मिश्रित सब्जी परोसी जाएगी। यात्रियों को चाय के लिए वेजिटेबल फ्राइड नूडल्स, चिली चिकन और ब्लूबेरी वनीला पेस्ट्री, कॉफी ट्रफल स्लाइस का आनंद मिलेगा। Read the full article
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rudrjobdesk · 2 years
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रिलायंस इंडस्ट्रीज, ONGC और ऑयल इंडिया का खेल बिगाड़ेगा विंडफॉल टैक्स
रिलायंस इंडस्ट्रीज, ONGC और ऑयल इंडिया का खेल बिगाड़ेगा विंडफॉल टैक्स
केंद्र सरकार ने हाल में सेज रिफाइनरीज समेत सभी रिफाइनर्स पर डीजल, पेट्रोल और एयर टर्बाइन फ्यूल (ATF) के एक्सपोर्ट पर विंडफॉल टैक्स लगा दिया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने डोमेस्टिक क्रूड आउटपुट पर सेस भी लगाया है। मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि यह डिवेलपमेंट रिफाइनर्स को झटका देने वाला है, क्योंकि उन्होंने FY23 एस्टिमेट्स में तेज कटौती की है। एनालिस्ट्स का कहना है कि टैक्स का इस्तेमाल ऑटो…
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shaileshg · 4 years
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उत्तर प्रदेश के मेरठ जैसे छोटे शहर से निकलकर देश की राजधानी दिल्ली में अपने दम पर अपनी मुकाम हासिल करने वाली गीता सिंह एक पब्लिक रिलेशन (पीआर) कंपनी चलाती हैं, 200 से ज्यादा उनके क्लाइंट्स हैं, 50 के करीब लोग उनके यहां काम करते हैं। सालाना 7 करोड़ रुपए का टर्नओवर है। अभी पिछले ही महीने उन्होंने एस्टोनिया(यूरोप) में भी अपना एक ऑफिस खोला है।
33 साल की गीता एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखती हैं। उनकी 12वीं तक पढ़ाई मेरठ के सरकारी स्कूल में हुई। उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस से ग्रेजुएशन किया फिर एक निजी संस्थान से मास कम्युनिकेशन में डिप्लोमा किया।
उनके पापा सरकारी नौकरी करते थे, चार भाई बहनों की जरूरतें पूरी करने के लिए वे दिन-रात लगे रहते थे। वे चाहते थे कि गीता पढ़ लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर या आईएएस बने, लेकिन गीता को कभी इनमें दिलचस्पी नहीं रही, वो हमेशा से चाहती थीं कि कुछ अपना करूं, 10 से 5 की शिफ्ट में काम करना उन्हें पसंद नहीं था।
वो बताती हैं कि डिप्लोमा करने के दौरान जब मैं अपने घर से कॉलेज के लिए निकलती थी तो रास्ते में इंडियन ऑयल की एक बड़ी बिल्डिंग दिखती थी। मैं पूरी राह उसे निहारते हुए जाती थी, सोचती थी कि एक दिन ऐसी ही बिल्डिंग में मेरा दफ्तर होगा, जहां मैं खुद का काम करूंगी। लेकिन कब और कैसे करूंगी, यह तय नहीं कर पा रही थी। डिप्लोमा के बाद 4 साल तक मैंने कई कंपनियों में काम किया। पीआर मैनेजमेंट से लेकर कंटेंट क्रिएशन तक। इससे मुझे बहुत कुछ सीखने समझने को मिला।
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गीता अपने टीम मेंबर्स के साथ। आज उनकी टीम में 50 लोग हैं, 300 से ज्यादा लोग फ्रीलांस के रूप में भी काम करते हैं।
गीता बताती हैं कि 2011-12 में फेसबुक पर एक ग्रुप में किसी ने पोस्ट शेयर किया था, उन्हें कुछ कंटेंट राइटर की जरूरत थी। मैंने उनसे कॉन्टैक्ट किया और उनका काम ले लिया। तब मैं अपनी जॉब भी कर रही थी, कुछ दिन उनका काम किया। फिर मुझे बर्डेन महसूस होने लगा, मैं अकेले इतना कुछ कैसे कर पाऊंगी। मैंने एक दोस्त से बात की और उनकी मदद से कुछ और लोगों में काम बांट दिया। तब एक महीने में 70-80 हजार रुपए मैंने कमाए थे। मेरे लिए वो काम टर्निंग पॉइंट था। मेरा आत्मविश्वास मजबूत हुआ था। मेरे दोस्त भी कहने लगे कि तुम अब अपना काम शुरू करो।
लेकिन एक मिडिल क्लास फैमिली में वो भी एक लड़की के लिए नौकरी छोड़कर खुद का बिजनेस शुरू करना आसान नहीं था। जब मैंने पापा को नौकरी छोड़ने और अपना काम शुरू करने के बारे में बताया तो वे इसके लिए बिल्कुल भी राजी नहीं हुए। उन्होंने कहा कि अगर जॉब छोड़ रही हो तो फिर सरकारी नौकरी की तैयारी करो, कोचिंग करो। उनको कहीं न कहीं यह लगता था कि अकेली लड़की सबकुछ कैसे मैनेज कर पाएगी, पैसे कहां से आएंगे।
फिर मैंने उन्हें काफी समझाया। पापा उस समय दिल्ली में ही पोस्टेड थे, मैं भी उनके साथ ही रहती थी। तब मेरे पास कुछ सेविंग थी। कुछ पैसे पापा से लिए और कुछ दीदी से। करीब 50 हजार रुपए से 2012-13 में काम शुरू किया। शुरुआत में घर के एक कमरे को ही ऑफिस बनाया। तब सिर्फ एक स्टाफ को मैंने हायर किया था। पैसों की बचत के लिए खुद ही कमरे की साफ सफाई करती थी, सबके टेबल अरेंज करती थी, क्योंकि ऑफिस में एक्स्ट्रा स्टाफ रखने के पैसे नहीं थे।
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तस्वीर तब की है जब गीता के मम्मी-पापा उनके ऑफिस पहुंचे थे। ��ीता के पापा एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं जबकि मां हाउस वाइफ हैं।
जहां तक मुझे याद है, पहले महीने में 60-70 हजार रुपए की आमदनी हुई थी। जिससे मैंने कुछ कम्प्यूटर और ऑफिस के सामान खरीदे थे। चूंकि मैंने इस फील्ड में काम किया था तो क्लाइंट्स बनाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। जैसे- जैसे काम बढ़ता गया वैसे-वैसे क्लाइंट्स बढ़ते गए। उसके बाद हमने दूसरी जगह अपना ऑफिस शिफ्ट किया। आज देश के 180 से ज्यादा शहरों में हमारा नेटवर्क है। अभी हाल ही में एस्टोनिया में भी हमने अपना एक ऑफिस खोला है, जहां मेरी छोटी बहन काम संभालती है।
वो कहती हैं, 'अगर लॉकडाउन नहीं हुआ होता तो हमारा मुंबई में भी एक ऑफिस होता। हमने डील फाइनल कर ली थी, बस पेमेंट करना बाकी था तभी लॉकडाउन लग गया। इस दौरान मुझे भी दूसरे लोगों की तरह दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई प्रोजेक्ट पेंडिंग रह गए, कई क्लाइंट्स मजबूरी का फायदा उठाकर आधे दाम में डील करने का दबाव बनाते थे। इस साल को तो हम अपने बिजनेस ईयर में काउंट ही नहीं कर रहे हैं। हालांकि अब पिछले दो महीने से धीरे- धीरे चीजें वापस पटरी पर लौट रही हैं।
गीता कहती हैं, ' पहले पापा मुझसे कहते थे कि उनके डायरेक्टर का बेटा डॉक्टर बना है, उनके दोस्त की बेटी इंजीनियर बनी है और तुम मेरी सुनती ही नहीं हो। लेकिन आज वे मेरे काम से बहुत खुश हैं, वे अपने दोस्तों से मेरे काम के बारे में बात करते हैं। वो कहती हैं, ' 2015 में अपने पेरेंट्स के साथ पुष्कर गई थी। मम्मी- पापा पहली बार प्लेन में चढ़े थे। वे लोग बहुत खुश थे, उस समय उनकी जो फीलिंग्स थी उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है, सिर्फ महसूस किया जा सकता है। उनके इस सफर में उनके हसबैंड का भी भरपूर सपोर्ट रहा है। वे अक्सर उन्हें गिफ्ट के रूप में लैपटॉप या ऑफिस की जरूरत वाली चीजें दिया करते हैं।
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गीता सिंह पतंजलि के को-फाउंडर आचार्य बालकृष्ण के साथ। उनकी कंपनी ने पंतजलि के लिए कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया है।
पीआर मैनेजमेंट से लेकर पॉलिटिकल कैम्पेनिंग तक
गीता बताती हैं कि हम लोग मुख्य रूप से अभी सोशल मीडिया मार्केटिंग, पॉलिटिकल इमेज ब्रांडिंग और कैम्पेनिंग, पब्लिक रिलेशन (पीआर), कंटेंट क्रिएशन और ट्रांसलेशन का काम करते हैं। लोकसभा चुनाव और दिल्ली विधानसभा चुनाव में हमारी टीम काम कर चुकी है। अभी भी कुछ पॉलिटिकल लोगों के काम हमारे पास हैं।
200 से ज्यादा क्लाइंट्स जुड़े हैं
गीता की कम्पनी के साथ अभी 200 से ज्यादा क्लाइंट्स जुड़े हैं। जिनमें पतंजलि, पियर्सन, आईआईटी दिल्ली, पायोनियर इंडिया जैसे ब्रांड्स शामिल हैं। गीता बताती हैं कि पतंजलि के लिए हमने ट्रांसलेशन और बुक पब्लिकेशन का काम किया है और अभी भी कर रहे हैं।
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यूपी के मेरठ की रहने वाली गीता सिंह दिल्ली में एक पीआर कंपनी चलाती हैं। देश के 180 शहरों में उनका नेटवर्क हैं। हाल ही में एस्टोनिया में भी उन्होंने अपना एक ऑफिस खोला है।
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लिस्टिंग के बाद सरकारी कंपनियों का प्रदर्शन खराब, कैसा रहेगा IRCTC का भविष्य?
ट्रेड निवेश सोमवार को घरेलू शेयर बाजार पर IRCTC के शेयर को जोरदार लिस्टिंग मिली. लिस्ट होते ही इस शेयर ने निवेशकों का पैसा दोगुना कर दिया. मगर निवेशक यह समझ नहीं पा रहे हैं कि इस शेयर के बारे में उनका प्लान क्या होना चाहिए.
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गौरतलब है कि लिस्टिंग के समय प्रदर्शन चाहे जितना शानदार रहा हो, उसके बाद सरकारी कंपनियों के शेयरों का लड़खड़ाने का रिकॉर्ड रहा है. बीते 10 साल में 17 सरकारी कंपनियों ने आईपीओ पेश किया है. इनमें से 13 कंपनियों ने निवेशकों को पैसा घटाया है.
मसलन, न्यू इंडिया एश्योरेंस (NIA) ने नवंबर 2017 में घरेलू बाजार पर दस्तक दी थी. इस चर्चित शेयर ने निवेशकों को सबसे बड़ी चपत लगाते हुए उनकी 90 फीसदी तक दौलत साफ कर दी है. इस शेयर का इश्यू प्राइस 800 रुपये था. सोमवार को यह शेयर 96.25 रुपये के भाव पर बंद हुआ था.
इसी तरह, एनर्जी सेक्टर की ऑयल इंडिया के शेयर साल 2009 में शेयर बाजार पर लिस्ट हुए थे. इस शेयर ने इश्यू प्राइस से 85 फीसदी तक का गोता लगाया है. बीते 10 साल में लिस्ट हुए आधे सरकारी कंपनियों के आईपीओ डिस्काउंट पर लिस्ट हुए. इसके बाद लगातार गिरते ही रहे.
केआर चोकसी इंवेस्टमेंट मैनेजर्स के देवेन चोकसी ऐसे निराशाजनक प्रदर्शन की वजह गैर-जरूरी सरकारी हस्तक्षेप मानते है. उन्होंने कहा, "सरकार विनिवेश के बाद भी हस्तक्षेप करती है. यह काफी स्पष्ट है. यदि वह विनिवेश के बाद भी दखल देगी, तो कंपनी बर्बाद भी हो सकती है."
चोकसी का मानना है कि IRCTC का हश्र भी ऐसा ही हो सकता है. कंपनी में सरकार की बड़ी हिस्सेदारी है. उन्होंने कहा, "सरकार के पास 87 फीसदी हिस्सेदारी है. उसका दखल जारी रहेगा. कंपनी का नजरिया सामान्य कंपनी से अलग हो जाता है. लिस्टिंग की सफलता और बिजनेस की सफलता अलग होती है."
उन्होंने हिंदुस्तान जिंक का उदाहरण दिया, जिसमें सरकार की छोटी हिस्सेदारी है. वेदांता ने साल 2002-03 में कंपनी की बड़ी हिस्सेदारी खरीद ली थी, जिसके बाद यह दुनिया की सबसे बड़ी जिंक उत्पादक कंपनियों में शामिल हो गई. हालांकि, HDFC सिक्योरिटीज के दीपक जसाणी को कुछ जोखिमों के बावजूद रेलवे से जुड़े आईपीओ पर भरोसा है.
ईटी नाउ से बातचीत में उन्होंने कहा, "बीते दो साल में रेलवे से जुड़े जितने आईपीओ आए हैं, सभी की कीमत काफी आकर्षक रही है. सभी का बिजनेस भी बढ़िया है. मौजूदा पीई काफी वाजिब है. इन शेयरों में तेजी भी आ सकती है. मगर निवेशकों को रेलवे कंपनियों के आईपीओ के जखिम का भी पता होना चाहिए."
सवाल यह भी है कि क्या सरकार के आगामी आईपीओ को भी ऐसी ही बंपर प्रतिक्रिया मिलेगी? जसाणी को नहीं लगता कि बाकी कंपनियों को ऐसी लिस्टिंग मिलेगी. सराकरी BPCL, BEML, कॉनकोर, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, THDC इंडिया और नीप्को समते कई कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने वाली है.
IIFL सिक्योरिटीज के ईवीपी मार्केट्स संजीव भसीन का मानना है कि रणनीतिक हिस्सेदारी बेचने पर सरकारी कंपनियों के लिए बदलाव का समय हो सकता है. उन्होंने कहा, "सबसे बड़ी बात यह है कि ये कंपनियां भारत के बाहर रणनीतिक निवेशक हासिल नहीं कर पाई हैं."
भसीन ने IRCTC पर भरोसा जताते हुए कहा कि कंपनी में काफी संभवानाएं हैं. उन्होंने कहा, "कंपनी के बिजनेस बेजोड़ है. यदि आप रेलवे का निजीकरण करते हैं, जो इस कंपनी को भरपूर फायदा होगा. अभी यह थोड़ा मंहगा लग रहा है, क्योंकि बिजनेस का प्रीमियम ही ऐसा है."
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RIL पर बड़ा दांव लगाएगी सऊदी अरामको, रिफाइनिंग बिजनेस की खरीद सकती है 25% हिस्सेदारी दुनिया की सबसे बड़ी क्रूड ऑयल प्रोड्यूसर सऊदी अरामको (Saudi Aramco) मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) पर बड़ा दांव लगाने की तैयारी में है।दुनिया की सबसे बड़ी क्रूड ऑयल प्रोड्यूसर सऊदी अरामको (Saudi Aramco) मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) पर बड़ा दांव लगाने की तैयारी में है। दरअसल, सऊदी अरब सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी आरआईएल (RIL) के रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल्स बिजनेस में 25 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए ‘गंभीर बातचीत’  कर रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं। To Get Free Trial  Missed call @ 8817002233  Call Us @ 9893024247 Mail Us = [email protected] Visit = 
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ripplesad-blog · 6 years
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सीएलएसए के 22 स्टॉक्स की इस लिस्ट में छह इंडियन मार्केट के दिग्गज हैं। ये ओएनजीसी, कोल इंडिया, भारती एयरटेल, एसीसी, आईसीआईसीआई प्रू और जी एंटरटेनमेंट हैं। ओएनजीसी के बारे में कहा गया है कि यूनियन गवर्नमेंट ने ऑयल सब्सिडी बजट एलोकेशन 22% बढ़ा दिया है। इसका मतलब यह है कि कंपनी को उनके प्रॉडक्ट्स के लिए मिलनेवाला दाम मौजूदा स्टॉक प्राइस के हिसाब से काफी ज्यादा हो सकता है। ओएनजीसी दुनिया की सबसे सस्ती एक्सप्लोरेशन और प्रॉडक्शन कंपनियों में एक है क्योंकि सब्सिडी के दबाव के चलते इसके प्रॉफिट में सुधार की संभावना सीमित रहती है।
ओएनजीसी के अलावा कोल इंडिया दुनिया की बड़ी कोयला उत्पादक कंपनियों में एक है। फिस्कल ईयर 2020 के अनुमानित प्रॉफिट के हिसाब से इसकी डिविडेंड यील्ड 9% है जो एशिया (जापान को छोड़कर) में तीसरी सबसे ऊंची है। कोल इंडिया का स्टॉक फिस्कल ईयर 2020 के अनुमानित ईपीएस के नौ गुना पर मिल रहा है। इसका रिटर्न ऑन इक्विटी भी 70% है इसलिए इसको लेकर इनवेस्टर्स कंफर्टेबल पोजिशन में रह सकते हैं।
जहां तक भारती एयरटेल की बात है तो यह रेवेन्यू मार्केट शेयर के हिसाब से देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी है। भारती एयरटेल के मैनेजमेंट के कर्ज घटाने पर फोकस करने, भारती इंफ्राटेल में सेल स्टेक करने और अफ्रीकी बिजनेस के आईपीओ के पब्लिक ऑफरिंग के चलते कंपनी के कर्ज के बोझ में 24% की कमी आ सकती है। CLSA ने भारती एयरटेल के लिए ~410 का टारगेट प्राइस दिया है जो मौजूदा लेवल से 34% ऊपर है। ICICI प्रू लाइफ में HDFC लाइफ के मुकाबले 40% डिस्काउंट पर ट्रेड हो रहा है। वैल्यूएशन डिस्काउंट घटने से स्टॉक में तेजी आ सकती है।
सीएलएसए की लिस्ट में शामिल एशियाई कंपनियों में स्टैंडर्ड चार्टर्ड, रोबॉट मेकर फानूस, सिंगटेल, बायदू और निनतेंदू शामिल हैं। CLSA ने 10 पिगलेट स्टॉक्स की भी लिस्ट बनाई है जो मूल रूप से स्मॉल कैप कंपनियां हैं, लेकिन इनमें एक भी इंडियन कंपनी नहीं है।
कम वैल्यूएशन पर क्वालिटी स्टॉक, डिस्काउंट पर डिविडेंड ग्रोथ और आकर्षक कीमत पर हाई ग्रोथ यहां क्लिक करें और देखें- Indian Stock Market Tips
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jmyusuf · 5 years
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अगर LIC डूब गई तो आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा?
2019-20 की दूसरी तिमाही में LIC के एसेट्स के मूल्यांकन में 57000 करोड़ की कमी आई है. आम आदमी को पैसा निवेश करना हो तो वो LIC के जीवन बीमा को एक सुरक्षित ऑप्शन मानता है. 29 करोड़ बीमा पॉलिसियां इस बात की तस्दीक करती हैं. लेकिन वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही LIC के लिए अच्छी नहीं जा रही है. बिजनेस स्टैंडर्ड की ख़बर के मुताबिक, इस दौरान LIC के कुल एसेट यानी कुल परिसंपत्तियों में 57 हज़ार करोड़ की कमी आई है. जून में ख़त्म हुई तिमाही में LIC का शेयर पोर्टफोलियो यानी बाज़ार में हुए निवेश का मूल्यांकन 5.43 लाख करोड़ था. जो इस तिमाही में घटकर 4.86 लाख करोड़ रह गया है. LIC ने जिन बड़ी कंपनियों में निवेश किया है, वो बड़ा घाटा झेल रही हैं. ऊपर से IDBI जैसे NPA से दबे बैंकों में निर्णायक हिस्सेदारी ख़रीदी गई है, सो अलग. भारतीय जीवन बीमा निगम यानी LIC of India ने जब IDBI बैंक को ख़रीदा था तब भी जानकारों ने आपत्ति उठाई थी. कहा था- डूबते बैंक में कौन भला पैसा लगाता है. LIC ने 21000 करोड़ रुपये का निवेश करके 51 फीसदी हिस्सेदारी ख़रीदी थी. लेकिन इतना निवेश भी IDBI के हालात सुधार नहीं पाया. जून 2019 में ख़त्म हुई पहली तिमाही में IDBI को 3800 करोड़ का घाटा हुआ है. अब फिर LIC और सरकार मिलकर 9300 करोड़ रुपये IDBI बैंक को देने वाले हैं. IDBI में LIC को 51 फीसदी हिस्सेदारी मिलने के बाद RBI ने इसे प्राइवेट बैंक की कैटेगरी में डाल दिया है, ये बैंक पहले सरकारी हुआ करता था. इसकी ख़स्ता हालत सरकारी रहते हुए ही हो गई थी. IDBI के अलावा LIC ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB), इलाहाबाद बैंक और कॉरपोरेशन बैंक में भी हिस्सेदारी बढ़ाई है. ये सभी सरकारी क्षेत्र के बैंक हैं. बैंकिग सेक्टर, खासतौर पर सरकारी बैंकों की ख़स्ता हालत किसी से छुपी नहीं है. सरकार भी मानती है कि NPA यानी फंसे हुए कर्ज़ों के चलते बैंकिंग सेक्टर चुनौतियों का सामना कर रहा है. RBI की रिपोर्ट के बाद आलोचना बढ़ी RBI ने एक रिपोर्ट जारी की है. जिसमें 1988 से 2019 तक LIC की ओर से प्राइवेट और सरकारी क्षेत्र में हुए निवेश के आंकड़े दिए हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, LIC का बाज़ार में निवेश 2014 से 2019 के बीच लगभग दोगुना हो गया है. यानी LIC के 1956 में बनने से लेकर 2013 तक जितना पैसा बाज़ार में निवेश किया था, लगभत उतना ही निवेश बीते 5 सालों में कर दिया है. 1956 से 2013 तक LIC ने बाज़ार में 13.48 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था. 2014 से 2019 के बीच एलआईसी का कुल निवेश बढ़कर 26.61 लाख करोड़ हो गया है. यानी, 5 सालों में क़रीब 13.13 लाख करोड़ का निवेश. सरकार ने ज़बरदस्ती LIC से पैसा छीना है. अब पता चला है कि सरकार ने LIC,जहां मेरे-आपके जैसे लोग इन्वेस्ट करते हैं, के साढ़े 10 लाख करोड़ रुपये 5 सालों में बैंकों को दे दिए हैं. जिन बैंकों को दिए वो घाटे में जा रहे हैं. इससे साफ पता चलता है कि भाजपा की फाइनेंशियल मैनेजमेंट बेहद ख़राब है. आम आदमी पर क्या फर्क पड़ेगा? फर्क बिल्कुल सीधा है. पैसा लोगों का है. अगर LIC को निवेश में घ��टा होगा तो लोगों को मिलने वाले रिटर्न में भी कमी आने की आशंका है. LIC देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है. जब भी सरकार किसी डूबती या कर्जे से जूझती सरकारी क्षेत्र की कंपनी में पैसा लगाती है तो LIC के पोर्टफॉलियो पर असर पड़ता है. LIC पर बड़ा आरोप है कि ये सरकार के दवाब में डूबती कंपनियों में पैसा लगाती है. इंडिया टुडे हिंदी के संपादक अंशुमान तिवारी के मुताबिक, LIC के कुप्रबंधन की वजह से लोगों को कम रिटर्न मिलेंगे. सभी को दिखता है कि LIC कर्ज में फंसी कंपनियों और बैंकों में पैसा लगा रही है. अगर ऐसा ही रहा तो सकता है कि लोगों को जितना रिटर्न का ��ादा LIC ने किया है, वो न दे पाए. इससे LIC पर सवाल खड़े होंगे. इस समय पूरे फाइनेंस सेक्टर में LIC ही है जिसके पास पैसा है. अगर वो भी किसी मुसीबत में फंसती है तो अर्थ जगत में बड़ा बवंडर होगा. जिसे संभाल पाना सरकार के लिए भी चुनौतीपूर्ण होगा. एलआईसी भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है. RBI की ओर से जारी रिपोर्ट पर अंशुमान ने कहा, ये बड़ा रेड सिग्नल है. LIC इंडिया ने जोख़िम लिया हुआ है. जब बाज़ार बढ़ता है तो सब ठीक दिखता है. लेकिन जब गिरता है तो ये सब बातें बाहर आती हैं. सरकार को LIC में पारदर्शिता लानी चाहिए क्योंकि LIC पर बहुत दारोमदार है. अगर LIC लड़खड़ाई तो देश का बहुत नुकसान होगा. लोगों का बीमा क्षेत्र से भरोसा उठ जाएगा. भारत की बड़ी आबादी है जिनके पास बीमा कवर नहीं है. अगर इसी बीच देश के सबसे बड़ी कंपनी लड़खड़ा गई तो उसकी साख पर बट्टा लगेगा और फिर LIC से बीमा ख़रीदने से लोग हिचकेंगे. LIC को जिन शेयरों में इस तिमाही के दौरान जो 57 हज़ार करोड़ का नुकसान हुआ है, उसमें बड़ा हिस्सा सरकारी क्षेत्र की कंपनियों का है. जैसे SBI, ONGC, कोल इंडिया, NTPC और इंडियन ऑयल. वहीं, ITC, L&T, रिलायंस, ICICI बैंक जैसी प्राइवेट कंपनियों में LIC के निवेश को नुकसान हुआ है. अगर यूं ही चलता रहा तो सरकार के कामाऊ पूत को मुश्किलात का सामना पड़ सकता है. और अगर कमाऊ पूत को दिक्कत हुई तो सीधा नुकसान आम लोगों का होगा.
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डाबर ने आमेजन पर 30 उत्पाद लांच किए has been published on PRAGATI TIMES
डाबर ने आमेजन पर 30 उत्पाद लांच किए
नई दिल्ली, (आईएएनएस)| वैश्विक स्तर पर लोगों के बीच पहुंच बनाने की कोशिश के तहत एफएमसीजी कंपनी डाबर इंडिया ने मंगलवार को कहा कि उसने ई-कॉमर्स कंपनी आमेजन के साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर अपने 30 उत्पाद लांच किए हैं।
कंपनी ने कहा कि आमेजन के ‘वैश्विक बिक्री कार्यक्रम’ के सहयोग से हम अपने प्रसिद्ध उत्पाद जैसे वाटिका हेयर ऑयल, मिशवाक टूथपेस्ट, रेड टूथपेस्ट और च्यवनप्रास को अमेरिका में उपभोक्ताओं को बेच पाएंगे। डाबर इंडिया के कंज्यूमर केयर बिजनेस के कार्यकारी निदेशक कृष्ण कुमार चुटानी ने कहा, “हमलोग 30 उत्पादों के साथ शुरुआत कर रहे हैं और जल्द ही हम अपने 80 उत्पादों को लांच करेंगे। हम इसपर अपने स्थानीय टीम के साथ मिलकर योजना बना रहे हैं।” चुटानी ने कहा कि ये 80 उत्पाद अगले छह-आठ महीनों के दौरान लांच किए जाएंगे। डाबर इंडिया के अनुसार, आमेजन के वैश्विक ग्राहकों को ध्यान में रखकर उत्पादों की विशेष श्रृंखला लांच की गई है। डाबर इंडिया के नाम 250 से ज्याद हर्बल और आयुर्वेदिक उत्पाद दर्ज हैं। डाबर बाल, मुंह, स्वास्थ्य, चर्म और घर की देखभाल और खाने से संबंधित उत्पाद लोगों को बेचता है। आमेजन इंडिया के बिक्री सेवा के निदेशक और महाप्रबंधक गोपाल पिल्लई ने कहा, “वैश्विक बिक्री कार्यक्रम के अंतर्गत आमेजन डाबर को अपने उत्पादों के लिए विस्तृत बाजार उपलब्ध कराएगा, जो कि वैश्विक उपभोक्ताओं की भारतीय उत्पादों को लेकर बढ़ती भूख को शांत करेगा।”
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नई दिल्ली, (आईएएनएस)| वैश्विक स्तर पर लोगों के बीच पहुंच बनाने की कोशिश के तहत एफएमसीजी कंपनी डाबर इंडिया ने मंगलवार को कहा कि उसने ई-कॉमर्स कंपनी आमेजन के साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर अपने 30 उत्पाद लांच किए हैं।
कंपनी ने कहा कि आमेजन के ‘वैश्विक बिक्री कार्यक्रम’ के सहयोग से हम अपने प्रसिद्ध उत्पाद जैसे वाटिका हेयर ऑयल, मिशवाक टूथपेस्ट, रेड टूथपेस्ट और च्यवनप्रास को अमेरिका में उपभोक्ताओं को बेच पाएंगे। डाबर इंडिया के कंज्यूमर केयर बिजनेस के कार्यकारी निदेशक कृष्ण कुमार चुटानी ने कहा, “हमलोग 30 उत्पादों के साथ शुरुआत कर रहे हैं और जल्द ही हम अपने 80 उत्पादों को लांच करेंगे। हम इसपर अपने स्थानीय टीम के साथ मिलकर योजना बना रहे हैं।” चुटानी ने कहा कि ये 80 उत्पाद अगले छह-आठ महीनों के दौरान लांच किए जाएंगे। डाबर इंडिया के अनुसार, आमेजन के वैश्विक ग्राहकों को ध्यान में रखकर उत्पादों की विशेष श्रृंखला लांच की गई है। डाबर इंडिया के नाम 250 से ज्याद हर्बल और आयुर्वेदिक उत्पाद दर्ज हैं। डाबर बाल, मुंह, स्वास्थ्य, चर्म और घर की देखभाल और खाने से संबंधित उत्पाद लोगों को बेचता है। आमेजन इंडिया के बिक्री सेवा के निदेशक और महाप्रबंधक गोपाल पिल्लई ने कहा, “वैश्विक बिक्री कार्यक्रम के अंतर्गत आमेजन डाबर को अपने उत्पादों के लिए विस्तृत बाजार उपलब्ध कराएगा, जो कि वैश्विक उपभोक्ताओं की भारतीय उत्पादों को लेकर बढ़ती भूख को शांत करेगा।”
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