यह दुनिया में ऐसे अनेक रहस्यो से लपेटे हुए जानने योग्य जानकारी है। किन्तु भौतिकवाद के प्रकाश में दृश्य होते हुए भी अदृश्य हो गये हैं। यह अनेक तस्वीरें मेरे जन्म भूमि की हैं। विंध्यांचल के गोद पर अठखेलियाँ करती रीवा रियासत के सतना जिले के अंतिम छोर में स्थित अमरपाटन के रामनगर के निकट देवरी कलां के पथरीली भूमि प्राकृतिक की अनमोल उपहार है। हरियाली और बाड़सागर बांध के जल प्रवाह से जलमग्न से दूर टापू पर बसा यह प्यारा गांव अपनी अतीत की यादे को बिखेर रही हैं। इस गांव की ऊपजाऊं मिट्टी कृषि व किसान भाईयो के लिए वरदान जैसी हैं। यह हरियाली से भरपूर ग्राम अब इंसानी आबादी से दूर अपने अतीतों के हलचल यादों के साथ जी रहा है। विगत १५ वर्षों पू्र्व बाड़ सागर बांध परियोजना के जल से डूबने से पूर्व यह के ग्रामवासी अपने पुरखों के प्यार, स्नेह व संपति से युक्त गांव को बड़ी वेदना से पीड़ित हो कर अन्य सुरक्षित स्थान की ओर अपने अतीतों के साथ पलायन कर गयें। और यह गांव पूरानी टूटे-भुटे खंडहर घरों के साथ अकेला रह गया। अब भी यह गांव अपनी अदभूत संपदा के साथ अपनी यादें ताजा कर रहे हैं।
इस तस्वीर मे प्रर्दशित छवि एक ओर प्राकृतिक हरियालो को बयां कर रहे हैं। तो बांध सागर जल से शीतलता को बयां कर रहे हैं। और दूसरी ओर हमारे ग्राम के प्राचीन परंपराएं, कथाओ और आस्था समेटे यह पौराणिक शिला खण्ड मे छवियां हमे गांव के प्रति अपनत्व से प्रेरित कर रहे हैं। आप सभी अपने जन्म भूमि व कर्म भूमि की रहस्यों व प्राकृतिक संसाधनो से युक्त छवि को दुनियां को दर्शन के लिए रखें। इसी के अपनी बातें को विराम देता हूं।
धन्यवाद।। समीर सिंह कर्चुली (@samirskarchuli)
2 notes
·
View notes
#SantRampalJiMaharaj
परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है - यजुर्वेद
परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है, यजुर्वेद में प्रमाण
क्या पूर्ण परमात्मा घोर से घोर पाप नष्ट कर सकता है ?
तत्वज्ञान के अभाव मे ये भ्रांति धर्म-गुरूओं द्वारा फैलाई गई है, जो परमात्मा के अतयंत महत्वपूर्ण गुण को छिपाती है वो ये कि संचित व प्रारब्ध के पाप कर्म काटे नहीं जा सकते, वो भोगने ही पड़ेंगे।
जबकी परमेश्वर के संविधान अनुसार,और उनके असंख्य गुण मे से एक महत्वपूर्ण गुण ये भी है कि पूर्ण परमात्मा पाप कर्म नष्ट कर देता है पूर्ण परमात्मा की भक्ति केवल सुख देने वाली होती है। इस तथ्य को पूर्ण रूप से सौ फीसदी सच हमारे वेद बताते हैं।
इतना जानने के बाद मन का ऐसे प्रश्नो से घिर जाना स्वाभविक है कि वो पूर्ण परमात्मा कौन है, क्या आज तक हमने कभी उसकी पूजा ही नही की जिसकी पूजा पापकर्म नाशक है ।
पूर्ण परमात्मा की जानकारी पवित्र प्रमाणित शास्त्रों में
पवित्र धर्मग्रंथ श्रीमदभगवत गीता के अध्याय 4 श्लोक 34 के अनुसार पूर्ण परमात्मा की जानकारी तत्वज्ञानी संत ही दे सकते हैं क्योंकि वह पूर्ण परमात्मा का कृपा पात्र संत होता है जिसकी वजह से वह तत्वज्ञान देकर सभी धर्मग्रंथों में खोलकर प्रमाणित करके पूर्ण परमात्मा की जानकारी देता है (जो आज पृथ्वी पर अवतरित जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही है जिन्होंने पूर्ण परमात्मा की जानकारी सद ग्रंथों के आधार पर कराई है) यही कारण रहा कि अब तक युगो युगो से धर्म गुरुओं द्वारा समाज़ और कथाओ मे प्रचलित की गयी पूजा साधना करते हुये हमें ये पता ही नहीं चल सका कि वह पाप नाशक केवल सुखदाई पूर्ण परमात्मा इन देवी-देवताओं ब्रह्मा विष्णु महेश से कहीं ऊपर निराकार नहीं साकार है उसका नाम कबीर है।
प्रमाण ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5 के अनुसार
परमात्मा साकार मानव सदृश है वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है ���सका नाम कविर्देव (कबीर) है ।
सभी वेद गीता कुरान और गुरु ग्रंथ साहिब मे पूर्ण परमात्मा कबीर को ही बताया गया है।
यजुर्वेद के अध्याय 5 के श्लोक नंबर 32 में ,
सामवेद संख्या नं 1400, 822 में,अथर्ववेद के काण्ड नं 4 के अनुवाक 1 के श्लोक नं 7, ऋग्वेद में मंत्र 1 अध्याय 1 के सूक्त 11 के श्लोक नं 4 मे कबीर नाम लिखकर बताया गया है ।
श्रीमद भगवत गीता जी के अ 15 के श्लोक नं 16, 17 अ.18 के श्लोक नंबर 46 और 62 अध्याय 8 के श्लोक नं 8 से 10 तथा 22 में अध्याय 15 के श्लोक नंबर 1, 2, 4 में उसी पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने का इशारा किया गया है पंजाबी धर्मग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में पेज नंबर 24 पर और पेज नं 721 पर नाम लिखकर बताया गया है कि वो पूर्ण परमात्मा कबीर है।
कुरान शरीफ में सूरत फ़ूर्कानि नं 25 आयात नं 52 से 59 तक मे कबीरन्, खबीरा, कबिरु आदी शब्द लिखकर उसी एक कबीर अल्लाह की पाकी बयान की हुई है जिसने 6 दिन में सृष्टि रची और सातवें दिन तखत पर जा विराजा।
यही स्पस्टीकरण पवित्र ईसाई धर्म के पवित्र बाइबल में भी मिलता है जिसे उत्पत्ति ग्रंथ के 1:20 2.5 में सृष्टि क्रम मे बताया गया है ।
हम सब बचपन से सुनते आए हैं कि चाहे हम किसी भी धर्म के हो मालिक तो सबका एक ही है तो सभी धर्मों के ग्रंथ खोलने पर भ��� मालिक एक ही होना चाहिए यह प्रमाण तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने खुल कर दिखाया कि वह एक पूर्ण परमात्मा कबीर है जिनकी भक्ति पाप नाशक है।
पाप नाशक है पूर्ण परमात्मा इसका प्रमाण
ऋग्वेद, मंडल १०, सूक्त १६३, मंत्र १
अक्षीभ्यां ते नासिकाभ्यां कर्णाभ्यां छुबुकादधि ।
यक्ष्मं शीर्षण्यं मस्तिष्काज्जिह्वाया वि वृहामि ते ॥१॥
परमात्मा पाप कर्म से हमारा नाश करने वाले हर कष्ट को दूर कर विषाक्त रोग को काटकर हमारे नाक, कान, मुख, जिव्हा, शीर्ष, मस्तिष्क सभी अंग-प्रत्यंगों की रक्षा कर सकते हैं।
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है परमेश्वर हमारे पापो का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते है इसके अलावा भी अनगिनत प्रमाण सदग्रंथो मे मौजूद है जिनका उल्लेख यहाँ सम्भव नही इसके लिये
वेबसाइट पर उप्लब्ध पुस्तक निशुल्क डाउनलोड करे।
कैसे प्राप्त हो पापकर्म नाशक (पूर्ण परमात्मा की) भक्ति??
उपरोक्त विवरण से स्पस्ट है कि यदि हम कबीर परमेश्वर की "पूर्ण सतगुरु" द्वारा बताई गई सत भक्ति करते हैं तो परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देते है।
कबीर परमेश्वर के संविधान अनुसार उनके कृपा पात्र संत जो तत्वदर्शी संत कहलाता है जो हर युग में केवल एक होता है और वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर के अधिकारी संत है उनसे 3 चरणों में प्राप्त किए गए नाम मंत्र से भक्तों के पाप कर्म कष्ट भी मिट जाते हैं।
इस संबंध में परमेश्वर कबीर कहते है
मासा घटे न तिल बढे, विधिना लिखे जो लेख
सच्चा सतगुरु मेट के, ऊपर मार दे मेख
अर्थात भक्त के किस्मत मे लिखे पापकर्मो के लेख को काटकर नया विधान केवल सतगुरु यानि सच्चा गुरु ही लिख सकता है।
और सच्चे गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा दिया गया सत्यनाम ही वो पाप नाशक मंत्र है जिसकी महिमा धर्मग्रंथों में गाई गई है की ....
जब ही सतनाम ह्रदय धरयो ,भयों पाप को नाश।
जैसे चिंगारी अग्नि की, पड़े पुराने घास।।
अर्थात
पूर्ण गुरु से प्राप्त सतनाम के एक जाप से पाप कर्म का नाश ठीक उस तरह से होता है जैसे कहीं सुखी घास का ढेर लगा हो और वहां अग्नि की एक चिंगारी पूरे घास को स्वाहा कर राख बना देतीं हैं।
इस तरह से हम समझ सकते हैं की पूर्ण संत द्वारा दिए गए सत्यनाम की भक्ति करने से हमारे सभी पाप कर्मों का नाश हो जाता है मतलब सभी पाप कर्म कट जाते हैं और जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे सभी कष्ट हमारे पाप कर्म का ही कारण है तो जब पाप कर्म ही कट जाएंगे तो कोई कष्ट भी नहीं रहेगा न धन का न शारीरिक व मानसिक अर्थात सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी।
इस तरह से पूर्ण परमात्मा ने अपने बहुत से भक्तों के पाप कर्म काटे और उन्हें सुखमय जीवन देकर मुक्त किया यहाँ एक उदाहरण त्रेता युग में जन्मे दो भक्त आत्मा का मिलता है जो कि मुनींद्र ऋषि जो कबीर परमात्मा का ही रूप थे उनसे नाम दीक्षा ली सद्भक्ति की जिससे कि उनको असाध्य रोग से छुटकारा मिला ऐसे ऐसे बहुत से भक्त है जिनको परमात्मा ने पाप कर्म से छुटकारा दिलाया सद्भक्ति कराई और उनका कल्याण किया।।
निष्कर्ष
पाप नाशक भक्ति का विवरण सदग्रंथो मे बताया गया है की
पहली सत साधना हो
दुसरे पूर्ण गुरु की शरण हो
तीसरे पूर्ण परमात्मा समर्थ कबीर साहिब की भक्ति हो तो ऐसी भक्ति साधक के पाप को खत्म कर देती है
इसका प्रमाण हमारे शास्त्रों में भी है :-
यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापो का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते है।
सभी वेद धर्म ग्रंथ पुराण यही बताते हैं कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की सतभक्ति उन्ही के कृपा पात्र संत से प्राप्त कर (जो 4 वेद 16 शास्त्र 18 पुराण उपनिषद ग्रंथ का ज्ञाता होगा) संत के आदेशानुसार करने से साधक के घोर से घोर पापकर्म का भी नाश हो जाता है।
अतः विनम्र निवेदन है - अपने शिक्षित होने का पूरा लाभ उठाये और पूर्ण परमात्मा की पाप नाशक सतभक्ति करे परम पूज्य पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं आज हमे शिक्षित ही कबीर परमेश्वर ने इसलिये किया है की हम अज्ञानी धर्म गुरुओं की मनमानी साधना मे ना फसकर अपनी आंखो से धर्मग्रंथ मे मिलान करके इस सत्य की परख कर पूर्ण परमात्मा को जाने ताकी हमे भगवान के उन सभी गुणों का लाभ मिल सके जिसके बारे मे हम बचपन से ही सुनते आये हैं।
इससे पहले कि केवल और केवल पूर्ण परमात्मा की भक्ति के लिये मिला ये अनमोल मानव शरीर नष्ट हो जाए पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर के कृपा पात्र संत जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण करें ।
0 notes
*बौद्ध धर्म के "सुखावति स्वर्ग" संकल्पना को ही बाद मे "वैकुंठ स्वर्ग" कहा जाने लगा था|* *'Plato and Pure Land Buddhism' इस संशोधन लेख मे एंड्रयू शुमन (Andrew Schumann) ने लिखा है कि, बौद्ध धर्म के सुखावति संकल्पना को ही बाद मे वैष्णव धर्म मे वैकुंठ स्वर्ग कहा जाने लगा था|* *तथागत बुद्ध ने धम्म का निर्माण कर दिया था, उसपर आधारित "धम्मराज्य" तथा धम्मराजा यह संकल्पनाएँ भी बुद्ध के समय मे विकसित हुई थी| तथागत बुद्ध के जीवनकाल मे सम्राट अजातशत्रु खुद को बुद्ध का अनुयायी और धम्मराजा कहते है| सेल सुत्त मे तथागत बुद्ध को धम्मराजा कहा गया है और भविष्य मे आनेवाले राजाओ ने बुद्ध को धम्मराजा के रूप मे आदर्श मानकर धम्मराजा बनना चाहिए तथा धम्मराज्य निर्माण करना चाहिए ऐसा बताया गया है| सत्ता बदलती रहती है, लेकिन धम्म चिरंतन है (ऐस धम्मो सनंतनो), इसलिए धम्मराजा बुद्ध धार्मिक क्षेत्र के अनभिषिक्त चक्रवर्ती सम्राट अर्थात धम्मराजा है ऐसा बौद्ध साहित्य बताता है|* *बहुजनो के कल्याण के लिए राजाओ ने धम्मराजा बुद्ध के धम्म का अनुसरण करते हुए एक आदर्श धम्मराजा बनकर धम्मराज्य स्थापित करना चाहिए, ऐसा बौद्ध धर्म मे निहित है| इसका अनुसरण करते हुए सम्राट अशोक ने ख़ुद को धम्मराजा घोषित करते हुए एक आदर्श धम्मराज्य स्थापित कर दिया था| इसलिए, सम्राट अशोक को अपने राज्य मे धम्मचक्र स्थापित करने वाले चक्रवर्ती सम्राट कहा जाता है|* *सम्राट अशोक का धम्मराज्य दुनिया का एक आदर्श राज्य था, जहाँ पर केवल मनुष्य ही नही बल्कि पशु पंछी भी खुशहाल थे और मनुष्यो की तरह प्राणियो के लिए भी सभी सुविधाएं बनाई गई थी| इसलिए सम्राट अशोक के धम्मराज्य को "धरती का स्वर्ग ( Paradise upon the Earth)" कहा गया है और वहां पर मधु और दुध की नदियाँ बहती है (rivers of milk and honey flowing) ऐसा ग्रीक कथाओ मे बताया गया है|* *सम्राट अशोक का धम्मराज्य खत्म होने के बाद उसे पुनः स्थापित करने के सपने लोग देखने लगे थे और उसकी याद मे खुशहाल जीवन बहाल करनेवाले "सुखावति स्वर्ग" अर्थात धम्मराज्य का सपना देखने लगे थे| सुखावति व्युह सुत्र मे यह स्वर्ग कैसा होता है और उसे कैसे स्थापित कर सकते है, इसकी जानकारी मिलती है|* *लेकिन ब्राह्मणवाद के बढ़ते प्रभाव के साथ धम्मराज्य केवल एक सपना ही बनकर रह गया था| उसे इस धरती पर नही स्थापित किया जा सकता, ऐसी लोगो की भावना बनती गयी| उसे अब मरने के बाद ही हम प्राप्त कर सकेंगे, ऐसा लोग सोचने लगे और इस जीवन मे नही तो कम से कम मरने के बाद तो सुखावति स्वर्ग मिलने की अपेक्षा करने लगे थे| इस तरह, प्रति https://www.instagram.com/p/CYYZnyKl9l-/?utm_medium=tumblr
0 notes
लेखनी पटल पर हिंदी के कई सर्वश्रेष्ठ लेखक/कवि मौजूद है।
हिंदी लेखनी
मुझे बचपन से ही पढने का बहुत शौक था।इतना ज्यादा कि कोर्स की किताबो के साथ साथ घर मे मिलने वाले उपन्यास, कॉमिक्स, मैग्जीन बाल पत्रिकाये सभी कुछ पढ डालती थी।मुझे आज भी याद है जब मै फोर्थ क्लास मे थी तब मैने राहुल सांस्कृत्यायन जी की एक रचना पढी थी घुमक्क्ड़ जिग्यासा नाम से।हालांकि वह बाल कहानी थी लेकिन उसमे छोटे छोटे कीट जीव को आधार बना कर उनकी घूमने की इछा का बहुत सुंदर तरीके से वर्णन किया गया था।फिर समय आया बाल पत्रिकाओ को पढने का।उस समय नंदन, नन्हे सम्राट बालहंस जैसी पत्रिकायें कहानियो मे ही बहुत सी प्रेरक बाते सिखा जाती थीं।खैर बचपन की बाल कथाओ से उपर उठ कर धीरे धीरे कहानियो के साथ उपन्यास की ओर मुड़ गये।डिजिटलीकरण के इस दौर मे मै भी किताबो से निकल कर ऑनलाइन रीडिंग यूथ का हिस्सा बन गयी।या कह सकते हैं व्यस्तता के कारण किताबो से नाता छूट गया, लेकिन पढने का लोभ नही छोड़ पाई।परिणाम मे हिंदी लेखन वेबसाइट को तलाशा, उनकी रचनाये खंगाली।कुछ रुचिपूर्वक पूरी पढ डाली तो कई अरुचि के कारण अधूरी ही छोड़ दी।कई कई बार तो रचनाओ मे समानता दिखने के कारन दोबारा प्लेट्फॉर्म पर जाने का मन भी नही हुआ।लेकिन पढना तो था ही तलाश जारी रही और एक सोशल मीडिया प्लेट्फॉर्म इस्तेमाल करने के दौरान नजर पड़ी lekhny.com इस नाम पर..!यहाँ लेखन से सम्बंधित कुछ और शब्द लिखे नजर आ रहे थे।ख्याल आया एक बार विजिट कर लेना चाहिये।घूमते हुए पहुंच गयी मै इस हिंदी लेखन वेबसाइट पर।यहाँ कई कैटेगिरि थी जिनमे कई लेखको की रचनाये थीं।यहाँ सबसे पहली कहानी पढी थी ‘पहल’ जिसे लिखा था ‘शबा’ जी ने। रिश्तो मे आयी तकरार के तानो बानो को लेकर बुनी इस कहानी ने लेखिका की अन्य रचनाओ को पढने के लिये प्रेरित किया।एक एक कर इनकी कई छोटी बड़ी रचनाये पढी मसलन राज, ये तेरा घर ये मेरा घर, बिन ब्याही मां, बागी, मुकम्मल इश्क आदि एक से बढकर एक रचनाये थीं।
इन्हे पढकर इतना तो समझ मे आ गया इस हिंदी लेखन वेबसाइट पर लेखन मे विविधता देखने को मिलेगी।इसी क्रम मे मैंने संतोष भट्ट जी की रचना पढी “लौट जा”। एक शहरी युवा के रोजगार की तलाश मे किये संघर्ष की झलक दिखलाती यह कहानी वाकई मन को छू गयी।लेखक की अन्य रचना पर नजर डाली तो यहाँ भी विविधता ही देखने को मिली।सस्पेंस-मर्डर, हास्य, के साथ एक्शन का संगम इनकी रचनाओ मे देखने को मिला।हां छुट पुट गलतियां दिखी लेकिन लेखक की काल्पनिकता और शैली इतना बांध कर रखती कि वह गलतियां नजर ही न आती। “कौन है वो” सस्पेंस थ्रिलर के साथ मर्डर मिस्ट्री सॉल्व करता ये लघु उपन्यास पहले भाग से लेकर अंतिम भाग तक एक ही सवाल मन मे छोड़ता आखिर कौन है वो..!लेखक की अन्य रचनाये साजिश, खिड़की और वो, मर्डर – एक प्रेम कहानी, सभी बांधे रखने वाली रचनाये हैं।
लेखनी हिंदी वेबसाइट पर दो लेखको को पढने के बाद ये समझ आ गया कि लेखनी हिंदी वेबसाइट पर हिंदी के अच्छे लेखक लेखन कार्य कर रहे हैं। ‘मनोज कुमार एम जे’ जी की रचना विस्तार सीक्रेट ऑफ डार्कनेस पढने के बाद मन मे एड्वेंचर पढने का शौक बढा।जिसके चलते कई अच्छे लेखको की रचनाये पढी।अमन एजे की आई नोट, आंचल राठौर जी की एक खौफनाक एहसास, मनीष पांडे जी की ’द बीच हाउस’ इतने सधे और रोचक अंदाज मे लिखी गयी है पढते समय बोरियत महसूस नही होती।
उपन्यास से इतर जब छोटी कहानियो को तलाशा तो महावीर उत्तरांचली जी की रचना “मां:फातिमा एक अनाथ बच्ची” कहानी के लिये शब्द ही नही मिले मै क्या लिखूं इसकी समीक्षा मे।सिमरन अंसारी, कावेरी जी दिवाकर जी आदि की रचनाओ मे हर बार कुछ नयापन मिलता है।लेखक तो बहुत है यहाँ जो छोटे छोटे सामजिक विषयो को उठाकर उन्हे शब्दो से सजाने का कार्य बखूबी कर रहे हैं।
जिस कारण मेरे हालात ये है दिन मे जरा सा भी समय मिलता तो जाकर वेबसाइट पर खंगाल लेती हूं कुछ नयी रचनाओ के लिये।
ऐसा नही है कि सिर्फ कहानियो मे ही इस हिंदी लेखनी वेबसाइट पर अच्छे लेखक मौजूद है यहाँ, नही हिंदी मे कहानियो के जितने अच्छे लेखक है यहाँ उतने ही अच्छे लेखक कविताओ मे भी मौजूद हैं।कावेरी लिली जी को मैंने पढा उनकी रचनाओ मे ठहराव के साथ साथ एक रस है जो मन को अनंदित कर देता ���ै।संगीता शर्मा जी, भारत सिह जी, रवि गोयल जी, रेनू सिन्ह जी, जैसे कई और अच्छे कवि यहाँ इस वेबसाइट पर मौजूद है जिनकी कविताये मन को हर रस मे डुबो अनंदित करती है।
लेखनी वेबसाइट पर हिंदी साहित्य के कुछ अनुभवी तो कुछ उभरते हुए कई लेखको को मैने पढा अंत मे मै मेरे शब्दो मे यही कह रही हूं लेखनी पटल पर हिंदी के कई सर्वश्रेष्ठ लेखक/कवि मौजूद है।जिनकी रचनाये पाठक को एक अलग दुनिया मे ले जाने का माद्दा रखती है।
0 notes