खेती बाड़ी समाचार: गंगानगर हनुमानगढ़ जिले में इस साल ग्वार का रकबा घटा, जबकि नरमा (कॉटन) का बढ़ा
खेती बाड़ी समाचार 8 जुलाई 2022: राजस्थान प्रदेश के हनुमानगढ़ और श्री गंगानगर जिलों में इस बार ताज़ा आकड़ों के मुताबिक ग्वार का रकबा (क्षेत्रफल) घटा है जबकि कॉटन का रकबा इस बार बढ़ा है। आइये जाने, सरकारी आकड़ों के मुताबिक अब तक ग्वार और नरमे की बजाई कितनी की जा चुकी है?
ग्वार की बिजाई का रकबा घटा:-
हनुमानगढ़ जिले में इस बार अब तक ग्वार की बिजाई 2 लाख 11 हजार 554 हेक्टेयर में हुई है, जोकि बीते साल के…
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नरमा कपास बिजाई की तैयारी https://www.instagram.com/p/B_y5ig7g7AE/?igshid=1x54pi4ejyhek
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भारत मौसम विज्ञान विभाग ने दी किसानों को सलाह, कैसे करें मानसून में फसलों और जानवरों की देखभाल
मानसून का आगमन हो गया है. इस मौसम में फसलों और पशुओं की विशेष देखभाल की जरूरत होती है, पर किसानों को इसकी पूरी जानकारी नहीं होती. इसी को देखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग चंडीगढ़ ने पंजाब के किसानों को सलाह दी है, जिसके आधार पर किसान अपने फसलों और जानवरों को मानसून में होने वाली क्षति से बचा सकेंगे. किसानों को बताया गया है कि वह इस मौसम में कैसे अपनी फसल और पशुधन का ध्यान रखें.
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धान के लिये आवश्यक सलाह
धान के खेत में केवल दो सप्ताह तक ही पानी लगाने दें और पानी को रोक कर रखें.
धान के रोपनी के ३ सप्ताह और ६ सप्ताह के बाद ३० किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से दूसरी और तीसरी बार पौधों को पोषक तत्व दें.
शाकनाशी (हर्बीसाइड, Herbicides) के छिड़काव के बाद हीं पटवन करें. खेत में पानी जमा हो तो छिड़काव नहीं करें.
अगर बरसात की आशंका हो तो छिड़काव को रोक दें, बाद में छिड़काव करें.
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मक्का की फसल के लिए जरूरी सलाह
बारिश की संभावना के कारण, ध्यान देना चाहिये कि मक्का की फसल में बारिश का पानी को जमा नहीं हो, क्योंकि यह फसल जमा पानी में ख़राब हो सकता है, यह पानी के प्रति बहुत संवेदनशील होता है और बैक्टीरिया से बर्बाद हो सकती है.
अगर किसान के सभी प्रयासों के बाद भी मक्का का फसल बरसात के कारण ख़राब हो जाता है, तो वैसी स्थिति में बाढ़ समाप्त होने के बाद ७-८ दिनों के अंतराल पर ३% यूरिया को २०० लीटर पानी में ६ किग्रा यूरिया प्रति एकड़ की दर से फसल पर दो बार छिड़काव करें.
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कपास की खेती के लिए आवश्यक सलाह
कपास में 33 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से और पतले होने के बाद बीटी और गैर बीटी संकरों में 45 किलो यूरिया परती एकड़ की दर से खाद डालें.
बीटी कपास में आवश्यकता के अनुसार पीएयू-एलसीसी का उपयोग एन लागू करने के लिए किया जा सकता है.
स्टॉम्प 30 ईसी को 1 लीटर प्रति एकड़ 200 लीटर पानी डालकर पहली सिंचाई या बारिश की बौछार के साथ डालें.
कोबाल्ट क्लोराइड का 10 मिलीग्राम प्रति लीटर पानी का छिडकाव पैराविल्ट प्रभावित पौधों पर मुरझाने के शुरुआत में छिड़काव किया जा सकता है. इससे कपास के पौधों में पैराविल्ट की रोकथाम की जा सकती है.
कपास की फसल को गुलाबी सुंडी से बचाने के लिए किसान कर रहे हैं इस तकनीकी का प्रयोग
जानवरों का ऐसे रखें ध्यान
गाय
बरसात के मौसम में जानवरों खासकर गाय पर विशेष ध्यान देना आवश्यक होता है.
गाय के छोटे बछड़ों के लिए साफ, सूखा और मुलायम बिस्तर की व्यवस्था करें.
बछड़ों को जन्म के आधे घंटे के भीतर कोलोस्ट्रम जरूर खिलाएं.
प्रति दिन सुबह शाम नियमित रूप से पशुओं के गर्मी में होने वाली बिमारियों के लक्षण की जांच करें. जैसे श्लेष्म स्राव, पेट फूलना आदि लक्षणों पर ध्यान दें.
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जानवरों को नियमित आधार पर खनिज मिश्रण खिलाएं और ताजा पानी पिलायें.
गंदे जमा पानी से ज��नवरों को दूर रखें..
पशुओं का शेड हवादार होना जरूरी है ताकि गर्मी से पशुओं का बचाव हो सके.
दुधारू जानवरों का गर्मी के कारण दुग्ध क्षमता कम नहीं हो इसके लिये आवश्यकता के अनुसार कूलर और पंखा लगाया जा सकता है.
भैंस
दुधारू पशुओं को सड़े हुए या गंदे आलू कभी नहीं खिलाएं. इनको खिलाने से गंभीर और घातक बीमारी हो सकता है.
कृत्रिम गर्भाधान के ३ महीने बाद अपने पशुओं की नियमित जांच कराएं.
भैंस पालन से भी किसान कमा सकते हैं बड़ा मुनाफा
source भारत मौसम विज्ञान विभाग ने दी किसानों को सलाह, कैसे करें मानसून में फसलों और जानवरों की देखभाल
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Rewari Crime: महेश्वरी के युवक से ठगे थे 4.28 लाख, लालच देकर ठग गिरोह का बदमाश चढा हत्थे-Best24News
आरोपी से 3000 रुपए, 3 आधार कार्ड, एक पैन कार्ड तथा एक मोबाइल बरामद
धारूहेडा: इनाम का लालच देकर 4 लाख 28 हजार 700 रुपये की ठगी करने के मामले में एक आरोपित को पुलिस ने काबू किया है। आरोपित की पहचान बिहार के जिला नवादा गुंभीरपुरदा संभे निवासी नीतीश कुमार के रूप में हुई है।
देसी कपास की करे बिजाई, सरकार देगी तीन हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान-Best24News
क्या था मामला: गांव महेश्वरी के विकास नगर निवासी…
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गेहूं की नई किस्में बढ़ाएंगी किसानों की आमदनी
नई दिल्ली। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल कई किस्मों पर शोध कर रहा है। दो नई किस्म इजाद हो चुकी हैं। डीबीडल्ब्यू-221, 222, 252 और डीडीडब्ल्यू-47 और पीबीडब्ल्यू-771 फाइनल स्टेज पर हैं। इनकी अगस्त माह में आने की संभवाना है। इनकी पैदावार अच्छी होगी। बीमारी कम आएगी। गर्मी लगतार बढ़ रही है, ऐसे में यह किस्म सही रहेगी। यह जानकारी भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक डाॅ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने दी। भारत में लगभग 29.8 मिलियन हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है, देश में 2006-07 में गेहूं का उत्पादन 75.81 मिलियन मिट्रिक टन था, जोकि 2011-12 में काफी बढ़कर 94.88 मिलियन मीट्रिक टन हो गई है।
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हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य हैं। साथं ही डीबीडब्ल्यू-173 इजाद की, औसतन पैदावार 47.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर: डीबीडब्ल्यू इजाद हो चुकी है। इसकी पैदावार अच्छी है। इसकी बिजाई भी लेट कर सकते हैं। बासमती, गन्ना और कपास की कटाई के बाद भी इसकी बिजाई भी की जा सकती है। हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसकी बिजाई की जा सकती है।
औसतन पैदावार 47.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसकी पैदावार प्रति एक हेक्टेयर 57 क्विंटल तक ली जा सकती है। प्रायद्वीपीय क्षेत्रों जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गोवा और तमिलनाडू के लिए डीडीडब्ल्यू 48 (DDW 48), जोकि सिंचित और समय पर बोई जाने वाली किस्म है, एचआई 1633 (HI 1633) जो कि सिंचित और देर से बोई जाने वाली किस्म है, इसके साथ ही इन क्षेत्रों के लिए सिंचित और समय से बोई जाने वाली किस्म एनआईडीडब्ल्यू 1149 ( NIDW 1149) विकसित की गई है।
महिला किसानों के लिए कारगर साबित होंगे : कृषि यंत्र
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आइये जानें कैसे करना होगा कपास का बीज उपचार: कपास: कपास की फसल में मिट्टी व बीजों द्वारा फैलने वाले रोगों से बचाव के लिए बीजों का उपचार कर के ही फसल बिजाई करें। बीज उपचार हेतु 1 ग्राम स्ट्रैप्टोसाइक्लिन, 1 ग्राम सक्सीनिक तेज़ाब व 5 ग्राम एमीसान को 10 लीटर पानी में मिलाकर 5 कि.ग्रा.
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क्या जल संसाधन विभाग के अधिकारी पंजाब में रात्रि गश्त करेंगे?
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पंजाब में गंगनहर फिरोजपुर फीडर का अंश है। फिरोजपुर फीडर की हालत क्या है, इस बात का अनुमान इससे भी लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं पंजाब के मुख्यमंत्री से पुकार कर चुके हैं कि फिरोजपुर फीडर मरम्मत मांग रही है और उसका काम करवाया जाये। फिरोजपुर फीडर क्षमता के अनुसार पानी नहीं ले रही है तो गंगनहर को भी उसके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल पाता।
श्रीगंगानगर जिले के किसानों ने नरमा-कपास की बिजाई की हुई है। मानसून में देरी से गर्मी का प्रकोप फसलों पर दिखायी दे रहा है और फसलें पानी मांग रही है। अतिरिक्त तो क्या जो बारी के अनुसार पानी मिलना चाहिये, वो भी नहीं मिल रहा है।
किसानों के लिए परेशानी की बात यह भी है कि पंजाब में गंगनहर से पानी चोरी हो रहा है। इससे किसानों की परेशानियां बढ़ गयी हैं। पंजाब में किसानों ने साइफन लगाकर अपने खेतों में पानी पहुंचाया जाता है। पिछले कई सालों से ऐसा ही हो रहा है। जल संसाधन विभाग के अधिकारी भी जानते हैं लेकिन वे पंजाब के समक्ष उच्च स्तर पर इसका विरोध दर्ज नहीं करवा पाये हैं।
मंगलवार को किसान नेता पृथ्वीपालसिंह संधू, राजेन्द्रसिंह राजू, संतवीरसिंह आदि जिला कलक्टर से मिले। किसान नेताओं ने जिला कलक्टर से मांग की कि पंजाब में पानी चोरी को रोका जाये।
जिला कलक्टर ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को यह आदेशित किया है कि वे पानी चोरी की घटनाओं को रोका जाना सुनिश्चित करें। अधिकारियों को गश्त करने के भी आदेश दिये हैं।
पानी चोरी अक्सर रात में होता है तो क्या पंजाब जाकर जल संसाधन विभाग के अधिकारी पानी चोरी को पकड़ने और उसका मामला दर्ज करवाने की हिम्मत कर पायेंगे? पंजाब में किसान एकता भी काफी मजबूत है। इससे अधिकारी भी अनभिज्ञ नहीं है।
सवाल वही है कि आखिर सालों से जो पानी चोरी की परंपरा पंजाब में चल रही है, उसको कैसे रोका जाये? पंजाब में सिंचाई पानी सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा है। पंजाब का पानी को लेकर हरियाणा, दिल्ली के साथ भी विवाद रहा है। पंजाब विधानसभा तो अपनी नहरों का पानी अन्य राज्यों को नहीं दिये जाने का प्रस्ताव भी पारित कर चुकी है।
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कपास में बूंद- बूंद सिंचाई पद्धति अपनायें
कपास में बूंद- बूंद सिंचाई पद्धति अपनायें
कपास में बूंद- बूंद सिंचाई पद्धति अपनायें (drip irrigation )
श्रीगंगानगर एवं हनुमानगढ़ जिले के विभिन्न फसलों में कपास खरीफ की प्रमुख फसल है। यह फसल इन जिलों के सिंचित क्षेत्रों में लगाई जाती है। इन जिलों में अमेरिकन कपास (नरमा) तथा देशी कपास दोनों को लगभग बराबर महत्व दिया जाता है। देशी कपास की बिजाई ज्यादातर पड़त या चने की फसल के बाद की जाती है जबकि अमेरिकन कपास की बिजाई पड़त, गेहूं, सरसों, चना…
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हल्के मानसून ने खरीफ की फसलों का खेल बिगाड़ा, बुवाई में पिछड़ गईं फसलें
नई दिल्ली।
कहावत है ”बिन पानी सब सून”। वाकई बिना पानी के सब कुछ शून्य है। बारिश बिना खरीफ के आठ फसलों का पूरा खेल बिगड़ता दिखाई दे रहा है। हल्के मानसून के चलते खरीफ की फसलों की बुवाई पिछड़ती जा रही है।
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पिछले साल के मुकाबले, इस बार खरीफ की फसलों की बुवाई में ९.२७ फीसदी गिरावट हुई है। बुवाई का यह आंकड़ा ४१.५७ हेक्टेयर तक पीछे जा रहा है। साल २०२१ में ४४८.२३ लाख हेक्टेयर जमीन में खरीफ की फसलें बोई गईं थीं, लेकिन इस साल आठ जुलाई तक सिर्फ ४०६.६६ लाख हेक्टेयर फसल बोई गईं हैं।
कम बारिश के चलते धान और तिलहन की फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहीं हैं। महाराष्ट्र, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड के कई क्षेत्रों में कमजोर बारिश के कारण खेती लगातार पिछड़ती जा रही है।
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पंपसेट लगाकर महंगा डीजल फूंककर धान की रोपाई कर रहे किसान
कमजोर मानसून की मार झेल रहे किसान पंपसेट लगाकर धान की रोपाई कर रहे हैं। समय पर धान की रोपाई हो जाए, इसके लिए महंगा डीजल भी फूंक रहे हैं। इससे फसल की लागत बढ़ रही है, जो भविष्य में घाटे का सौदा बन सकती है।
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धान रोपाई की क्या स्थिति है ?
चालू खरीफ सीजन २०२२ में ८ जुलाई तक ७२.२४ लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई और बुवाई हो चुकी है। जबकि २०२१ में ८ जुलाई तक यह ९५ लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। मतलब इसमें करीब २३.९५ फीसदी की कमी है, जो २२.७५ लाख हेक्टेयर की कमी को दर्शाता है। धान सबसे ज्यादा पानी खपत वाली फसलों में से एक है। इसलिए इसकी रोपाई के लिए किसान आमतौर पर बारिश का ही इंतजार करते हैं।
बुवाई में दलहन आगे तो तिलहन की फसल हैं पीछे
पिछले साल के मुकाबले बात करें तो दलहन की फसलों की बुवाई में ०.९८ फीसदी का इजाफा है। साल २०२१ में कुल दलहन फसलों की ४६.१० लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी, जबकि इस बार ४६.५५ लाख हेक्टेयर की हो चुकी है। हालांकि, अरहर की बुवाई में २८.५८ परसेंट की गिरावट है। पिछले साल मतलब २०२१ में २३.२२ लाख हेक्टेयर में अरहर की बुवाई हुई थी। जबकि इस बार १६.५८ लाख हेक्टेयर में ही हो सकी है। उड़द की बुवाई में १०.३४ फीसदी की कमी है।
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उधर तिलहन की फसलों की बुवाई में लगभग २०.२६ फीसदी की गिरावट है। साल २०२१ में ८ जुलाई तक ९७.५६ लाख हेक्टेयर में मूंगफली, सूरजमुखी, नाइजर सीड सोयाबीन और अन्य तिलहन फसलों की बुवाई हो चुकी थी। जबकि इस साल सिर्फ ७७.८० लाख हेक्टेयर में हुई है। सोयाबीन की बुवाई में २१.७४ फीसदी की कमी है। क्योंकि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बारिश में देरी हुई है। इसकी बुवाई के लिए खेत में नमी की जरूरत होती है।
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२०२२ में बाजरा की बुवाई की स्थिति?
बात करते हैं साल २०२२ में बाजरे के बुवाई की। बाजरा की बुवाई पिछले साल से अधिक हो चुकी है। इस साल ६५.३१ लाख हेक्टेयर में ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का और स्माल मिलेट्स की बुवाई हुई है। जबकि २०२१ में ८ जुलाई तक सिर्फ ६४.३६ लाख हेक्टेयर में हुई थी। बाजरा की बुवाई पिछले साल के मुकाबले इस बार ७९.२६ फीसदी अधिक है. हालांकि, मक्का की बुवाई २३.५३ फीसदी जबकि रागी की ४७.४४ परसेंट पिछड़ी हुई है।
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लोकेन्द्र नरवार
source हल्के मानसून ने खरीफ की फसलों का खेल बिगाड़ा, बुवाई में पिछड़ गईं फसलें
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मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत, 7,000 रूपये प्रति एकड़ का लाभ प्राप्त करने के लिए 25 जून तक करें आवेदन
सिंचाई में अधिक पानी के उपयोग के चलते भूमिगत जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है | जिसे रोकने के लिए राज्य सरकारों द्वारा कई प्रयास किये जा रहें हैं | राज्य सरकारों के द्वारा किसानों को ऐसी फसलें लगाने के लिए प्रोत्सहित किया जा रहा है जिसमें कम सिंचाई की आवश्यकता हो | हरियाणा में पिछले वर्ष से मेरा पानी–मेरी विरासत योजना चलाई जा रही है जिसके तहत धान की फसल बुआई वाली भूमि में 50 प्रतिशत से अधिक भूमि पर अन्य फसल बोने पर 7,000 रूपये प्रति एकड़ की दर से इनपुट सब्सिडी देगी |
पहले वर्ष की अच्छी सफलता के बाद योजना को दुसरे वर्ष भी जारी रखा गया है | योजना के तहत जो भी इच्छुक किसान धान की खेती छोड़ कर अन्य फसल लगाना चाहते हैं वह अभी पंजीकरण कर योजना का लाभ ले सकते हैं | राज्य सरकार ने आवेदन की अंतिम तिथि 25 जून 2021 निर्धारित की है |
इन फसलों पर दिया जायेगा अनुदान हरियाणा के किसानों को मेरा पानी मेरा विरासत योजना के तहत धान के बदले दूसरी फसलों की खेती पर 7,000 रूपये की इनपुट सब्सिडी दे रही है | राज्य के किसान मक्का/ सोयाबीन/ ज्वार/ मूंग/ मूंगफली/ कपास /सब्जी/ चारा/ बागवानी तथा अन्य फसल बोने पर योजना का लाभ ले सकते हैं |
मेरी पानी मेरा विरासत योजना के तहत किसानों को दिए जाने वाले लाभ-
इस योजना के तहत जिस किसान ने अपनी कुल जमीन के 50 प्रतिशत या उससे अधिक क्षेत्र पर धान के बजाय मक्का/ कपास/ बाजरा/ दलहन/ सब्जियां इत्यादि फसल उगाई है तो उसको 7,000 रूपये प्रति एकड़ की दर से राशि प्रदान की जाएगी | परन्तु यह राशि उन्ही किसानों को ही दी जाएगी जिन्होंने गत वर्ष के धान के क्षेत्रफल में से 50 प्रतिशत या उससे अधिक क्षेत्र में फसल विविधिकरण अपनाया है |
उपरोक्त राशि 7,000 रूपये प्रति एकड़ के अतिरिक्त जिन किसानों ने धान के बजाय फलदार पौधो तथा सब्जियों की खेती से फसल विविधिकरण अपनाया है उनको बागवानी विभाग द्वारा चालित परियोजनाओं के प्रावधान के अनुसार अनुदान राशि अलग से दी जाएगी |
जिन खंडों का भूजल स्तर 35 मीटर अथवा उससे अधिक गहराई पर है तथा पंचायत भूमि पर धान के अतिरिक्त मक्का / कपास / बाजरा / दलहन / सब्जियां फसल उगाई है तो 7,000 रूपये प्रति एकड़ की दर से राशि ग्राम पंचायत को दी जाएगी |
मक्का खरीद के दौरान मंडियों में मक्का सुखाने के लिए मशीने लग��ई जाएगी ताकि किसानों को पर्याप्त नमी के आधार पर उचित मूल्य मिल सके | मक्का की मशीनों द्वारा बिजाई करने हेतु लक्षित खंडों में किसानों को मक्का बिजाई मशीनों पर 40 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा |
फसल विविधिकरण के अंतर्गत अपनाई गई फसल की बीमा राशि / किसान के हिस्से की राशि को सरकार द्वारा दिया जाएगा | फसल विविधिकरण अपनाने वाले किसानों को सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र लगाने पर कुल लागत का केवल जी.एस.टी. ही देना होगा |
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फ़सली ज्ञान: कपास की बिजाई से पहले सावधानी
फ़सली ज्ञान: कपास की बिजाई से पहले सावधानी
कपास की बिजाई से पहले खेत के आस-पास उग रहे खर-पतवारों को नष्ट करें व छंट्टियों के ढेरो के नीचे गिरे टिंडो व पत्तों आदि को नष्ट कर दें।
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इस सप्ताह किस फ़सल के लिए क्या करें किसान? जानिए उपयुक्त फ़सली सलाह
दिल्ली, 22 अप्रैल/ एग्रोमीडिया
रबी का सीजन समाप्त हो चुका है और ग्रीष्म कालीन व खरीफ फसलों की बुवाई का समय आ रहा है। ऐसे में इस सप्ताह किसानों को कपास की फसल में अच्छे फुटाव के लिए खेत को भली-भांति तैयार करना चाहिए। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करना उपयुक्त होगा, इसके बाद आवश्यकतानुसार 3-4 जुताइयाँ करके खेत तैयार करें। अच्छा पलेवा भी करें।
मौसम साफ हो जाने पर कपास की बिजाई प्रारम्भ…
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