करवा चौथ 2022: आपकी पत्नी के लिए अद्भुत उपहार विचार
करवा चौथ 2022: आपकी पत्नी के लिए अद्भुत उपहार विचार
Karwa Chauth 2022: Karwa Chauth will be observed on October 13, this year.
आश्चर्य है कि इस करवा चौथ पर अपनी पत्नी को कैसे विशेष महसूस कराया जाए? आप उसे उसके पसंदीदा रेस्तरां या स्पा सत्र के लिए ले जा सकते हैं। और, यदि आप उसे कुछ उपहार देना चाहते हैं, लेकिन सुनिश्चित नहीं हैं कि क्या खरीदा जाए, तो आपकी खोज यहाँ समाप्त होती है। हमने करवा चौथ 2022 के लिए कुछ बेहतरीन उपहार विचारों को चुना है।
करवा…
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करवा चौथ 2022: शुभकामनाएं, शुभकामनाएं, एसएमएस, व्हाट्सएप और फेसबुक स्टेटस, एचडी वॉलपेपर और अधिक
करवा चौथ 2022: शुभकामनाएं, शुभकामनाएं, एसएमएस, व्हाट्सएप और फेसबुक स्टेटस, एचडी वॉलपेपर और अधिक
छवि स्रोत: फ़ाइल छवि करवा चौथ 2022
करवा चौथ 2022: हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को शुभ त्योहार मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन के लिए एक दिन का उपवास रखती हैं। कारक चतुर्थी के रूप में भी जाना जाता है, यह हिंदू और पंजाबी समुदायों में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन…
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करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व
करवा चौथ का व्रत इस साल 13 अक्टूबर 2022, गुरुवार को रखा जाएगा. 46 साल बाद ऐसा संयोग बना है जब करवा चौथ वाले दिन गुरु ग्रह अपनी स्वराशि मीन में रहेंगे. गुरु को वैवाहिक जीवन का कारक माना जाता है. जब यह अपनी राशि में होते हैं तो साधक पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है.कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर 2022, सुबह 01.59 से शुरू होगी. चतुर्थी तिथि का समापन 14 अक्टूबर 2022 को सुबह 03.08 पर होगा.करवा चौथ…
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💐🌼🌺🛕[श्री भक्ति ग्रुप मंदिर]🛕🌺🌼💐
🕉️ ॐ शं शनैश्चराय नमः 🕉
🌄 #सुप्रभातम 🌄
🗓 #आज_का_पञ्चाङ्ग 🗓
🌻 #शनिवार, २५ #सितंबर २०२१ 🌻
सूर्योदय: 🌄 ०६:१३
सूर्यास्त: 🌅 ०६:१०
चन्द्रोदय: 🌝 २०:४७
चन्द्रास्त: 🌜०९:५१
अयन 🌕 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय
ऋतु: ❄️ शरद
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (राक्षस)
मास 👉 आश्विन
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 चतुर्थी (१०:३६ तक)
नक्षत्र 👉 भरणी (११:३३ तक)
योग 👉 हर्षण (१४:५१ तक)
प्रथम करण 👉 बालव (१०:३६ तक)
द्वितीय करण 👉 कौलव (२३:४८ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कन्या
चंद्र 🌟 वृष (१८:१६ से)
मंगल 🌟 कन्या (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 तुला (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 कुम्भ (उदय, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 तुला (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४४ से १२:३२
अमृत काल 👉 ०६:१४ से ०८:००
विजय मुहूर्त 👉 १४:०९ से १४:५७
गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:५८ से १८:२२
निशिता मुहूर्त 👉 २३:४५ से २४:३२
राहुकाल 👉 ०९:०७ से १०:३८
राहुवास 👉 पूर्व
यमगण्ड 👉 १३:३९ से १५:०९
होमाहुति 👉 मंगल (११:३३ तक)
दिशाशूल 👉 पूर्व
अग्निवास 👉 पृथ्वी
चन्द्रवास 👉 पूर्व (दक्षिण १८:१७ से)
शिववास 👉 कैलाश पर (१०:३६ नन्दी पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ - काल २ - शुभ
३ - रोग ४ - उद्वेग
५ - चर ६ - लाभ
७ - अमृत ८ - काल
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ - लाभ २ - उद्वेग
३ - शुभ ४ - अमृत
५ - चर ६ - रोग
७ - काल ८ - लाभ
नोट-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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दक्षिण-पूर्व (वाय विन्डिंग अथवा तिल मिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
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पंचमी तिथि का श्राद्ध, भरणी श्राद्ध आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज ११:३३ तक जन्मे शिशुओ का नाम
भरणी नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (लो) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम कृतिका नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय चरण अनुसार क्रमश (अ, ई, उ) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
कन्या - २९:३३ से ०७:५१
तुला - ०७:५१ से १०:१२
वृश्चिक - १०:१२ से १२:३१
धनु - १२:३१ से १४:३५
मकर - १४:३५ से १६:१६
कुम्भ - १६:१६ से १७:४२
मीन - १७:४२ से १९:०५
मेष - १९:०५ से २०:३९
वृषभ - २०:३९ से २२:३४
मिथुन - २२:३४ से २४:४९
कर्क - २४:४९ से २७:१०
सिंह - २७:१० से २९:२९
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - ०६:०७ से ०७:५१
रोग पञ्चक - ०७:५१ से १०:१२
शुभ मुहूर्त - १०:१२ से १०:३६
मृत्यु पञ्चक - १०:३६ से ११:३३
अग्नि पञ्चक - ११:३३ से १२:३१
शुभ मुहूर्त - १२:३१ से १४:३५
रज पञ्चक - १४:३५ से १६:१६
शुभ मुहूर्त - १६:१६ से १७:४२
चोर पञ्चक - १७:४२ से १९:०५
रज पञ्चक - १९:०५ से २०:३९
शुभ मुहूर्त - २०:३९ से २२:३४
चोर पञ्चक - २२:३४ से २४:४९
शुभ मुहूर्त - २४:४९ से २७:१०
रोग पञ्चक - २७:१० से २९:२९
शुभ मुहूर्त - २९:२९ से ३०:०७
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन आपके मन को प्रसन्न रखने के प्रसंग बनते रहेंगे। दैनिक जीवन की परेशानियों को गंभीर नही लेंगे अपने हास-परिहास के व्यवहार से आस-पास का वातावरण खुशनुमा बनाएंगे। महिलाये भी आज स्नेहीजन मित्रो के साथ समय बिताना अधिक पसंद करेंगी परन्तु ध्यान रहे आज आपके बड़बोलेपन के कारण किसी के दिल की ठेस भी लग सकती है। स्वयं को ऊंचा दिखाने की भावना मित्र मंडली में मतभेद बनाएगी। आर्थिक दृष्टिकोण से दिन शुभ रहेगा जहां से उम्मीद नही रहेगी वहां से भी धन अथवा अन्य लाभ अचानक होने से मन प्रसन्न रहेगा। सेहत में थोड़ा बदलाव आएगा फिर भी कार्य बाधित नही होंगे।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आपको आज के दिन धैर्य रखने की आवश्यकता है। आज आपके अधिकांश कार्य बनते बनते बिगड़ने से मन मे नकारात्मक भाव उत्पन्न होंगे। व्यावसायिक क्षेत्र पर जहां लाभ की आशा लगाए है वहां से हानि अथवा अन्य अशुभ समाचार मिलेंगे भागदौड़ के बाद ही निर्वाह योग्य आय बन पाएगी। कारोबार में आज जोखिम भूल कर भी ना लें। पारिवारिक वातावरण भी आज अस्त-व्यस्त ही रहेगा घर मे मौसमी बीमारियों का प्रकोप रहने के कारण दवाओं पर धन खर्च करना पड़ेगा। महिलाये आज शारीरिक रूप से असमर्थ रहेंगी स्वभाव में चिड़चिड़ा पन रहने से छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाएंगी।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपके साथ कुछ अकस्मात घटनायें घटित होंगी इनमें से अधिकांश आपके लिए फायदेमंद ही रहेंगी। परन्तु आज भागीदारी के कार्यो में हानि अथवा भागीदारों से अनबन होने की संभावना है। व्यावसाय की गति मंद रहेगी फिर भी पुराने व्यवहारों से धन लाभ हो जाएगा। निवेश भविष्य के लिये लाभ देने वाला रहेगा। महिलाये आज छोटी बचत से जमा धन एकत्रित होने से प्रसन्न रहेंगी पारिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति पर खर्च भी करेंगी। धार्मिक अथवा सामाजिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने के अवसर मिलेंगे। यात्रा पर्यटन की योजना बनाएंगे परन्तु किसी ना किसी कारण से निरस्त हो जाएंगे।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज के दिन आपको लाभ के अवसर मिलेंगे लेकिन निर्णय लेते समय जल्दबाजी ना करें अन्यथा लाभ हानि में बदल सकता है। कार्य-व्यवसाय अथवा कागजी कार्यो में पारिवारिक प���रतिष्ठा का लाभ मिलेगा। अधिकारी वर्ग की कृपा दृष्टि रहने से काम निकालना आसान बनेगा। सरकारी कार्य मे भी आज ढील ना दें अन्यथा अधूरे लटके रहेंगे। नौकरी वाले जाताक कार्य क्षेत्र बदलने का मन बनायेगे आज बदलना शुभ रहेगा इसके बाद परेशानी होगी। आर्थिक लाभ अनिश्चित रहेगा फिर भी धन संबंधित काम युक्तियो के बल पर बना ही लेंगे। घर के सदस्य आपके किसी निर्णय से असमहत हो सकते है थोड़ी मान-गुहार के बाद सहमत भी हो जाएंगे।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आपके अंदर धार्मिक भावनाएं बलवती रहेंगी। सार्वजनिक अथवा धार्मिक कार्यो के लिए अपने काम धंदे की परवाह नही करेंगे। आज आपको आर्थिक ना सही परन्तु आध्यात्मिक लाभ अवश्य होगा मन शांत रहने से आस-पास के लोग आपके समीप रहना चाहेंगे। कार्य-व्यवसाय से आज ज्यादा उम्मीद ना लगाए केवल खर्च निकालने लायक लाभ से ही संतोष करना पड़ेगा धन को लेकर ज्यादा खींच-तान में ना पढ़ें हानि हो सकती है। महिलाओ का मन चंचल रहेगा किसी भी कार्य को एक बार मे पूरा नही कर सकेंगी। बेरोजगार लोगो को आज कोई नई समस्या का सामना करना पड़ेगा। रक्त पित्त की समस्या से परेशानी होगी।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन आपके लिए अशुभ रहेगा। सेहत में आज भी उतार-चढ़ाव बना रहेगा। पाचन तंत्र अथवा श्वशन संबंधित रोग बढ़ने की संभावना है समय रहते जांच कराए अन्यथा स्थित गंभीर हो सकती है। आज आकस्मिक दुर्घटना के योग बन रहे है वाहन अथवा मशीनरी से सावधानी रखें। व्यवसाय में आज अनमने मन से काम करना पड़ेगा जिसके परिणामस्वरूप धन की आमद कम ही रहेगी उधारी के व्यवहार ना बढ़ाये वसूली में परेशानी आएगी। सार्वजनिक क्षेत्र पर लोग आपके विचारों के विपरीत आचरण करेंगे। नौकरी वाले लोगो का कार्य क्षेत्र पर किसी से झगड़ा हो सकता है। धैर्य से काम लें। महिलाये किसी गुप्त चिंता से व्याकुल रहेंगी।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज का दिन आपके लिए आनंद के क्षण उपलब्ध कराएगा। आज आप जिस भी कार्य को करने के लिए प्रतिबद्ध होंगे चाहे वो नया हो या पुराना उसमे सफलता अवश्य मिलेगी। व्यवसाय में भी उन्नति होगी धन लाभ के स्त्रोत्र बढ़ेंगे नौकरी पेशा लोग भी अतिरिक्त आय बनाने का प्रयास करेंगे इसमे कुछ हद तक सफल रहेंगे। आज पैतृक अथवा सरकारी कार्यो में धन ना लगाए उधार भी किसी को ना दे धन के फंसने की सम्भवना है परन्तु जोखिम वाले व्यवसाय शेयर सट्टे में निवेश धन को अवश्य ही दुगुना करेगा। महिला वर्ग महत्त्वपूर्ण घरेलू मामलो में मार्गदर्शक बनेगी परन्तु स्वयं के कार्यो में ढील देंगी। बुजुर्गो से लाभ होगा।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपके लिये भगोन्नति कारक रहेगा इसका लाभ उठायें। आज आपका व्यवहार अन्य लोगो के लिए सहायक रहेगा शीघ्र ही किसी की बातों में आने से पहले सोच-विचार अवश्य करें जल्दबाजी में निर्णय लेने से धोखा हो सकता है। व्यवसाय में पुराने अनुबंध के पूर्ण होने पर धन लाभ होगा नए अनुबंध भी शीघ्र ही मिलेंगे। विदेशी वस्तुओ के व्यवसाय अथवा अचल संपत्ति से लाभ की अधिक संभावना है। पारिवारिक वातावरण कुछ समय के लिए अशान्त होगा परिजनों की मांग मान लेने से प्रसन्नता का वातावरण बनेगा। आज खर्च करने के लिए आपको सोचना नही पड़ेगा फिर भी व्यर्थ खर्च ना हो इसका भी ध्यान रखें। सेहत उत्तम रहेगी लेकिन क्रोध आएगा।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज के दिन आप लाभ पाने के लिए अपनी योग्यता एवं बुद्धिबल का पूर्ण उपयोग करेंगे इसका परिणाम आशाजनक ही रहेगा लेकिन किसी निकटस्थ व्यक्ति से विचार मेल ना खाने पर मतभेद भी होंगे। आज स्वयं के बल पर लिए निर्णय अन्य लोगो के मार्गदर्शन की अपेक्षा अधिक फलदायी सिद्ध होंगे। धन लाभ थोड़े परिश्रम के बाद जरूरत के अनुसार हो जाएगा लेकिन आज उधारी के कारण दिक्कते भी आएंगी। धन को लेकर किसी से तकरार हों सकती है। नौकरी पेशाओ पर अधिकारी मेहरबान रहेंगे फिर भी सतर्क रहें किसी अन्य की गलती की भरपाई आपको ही करनी पड़ेगी। महिलाओ में अहम की भावना रहेगी व्यवहार में भी स्वार्थ दिखेगा।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपके लिए विविध परेशानियों से भरा रहेगा आर्थिक कारणों से भाग दौड़ लगी रहेगी लेकिन परिणाम विपरीत ही रहेंगे। आज व्यावसायिक उठा-पटक चैन से नही बैठने देंगी ऊपर से घरेलू उलझने बनने से मन अशांत रहेगा। परिवार के सदस्य आपस मे उलझेंगे महिलाओ में भी आज धैर्य की कमी रहेगी बिना तथ्यों को जाने कलह पर उतारू रहेंगी। धन लाभ के लिये किसी की सहायता एवं चापलूसी करनी पड़ेगी फिर भी आशानुकूल नही होगा। आज आप अन्य लोगो के कार्यो को छोड़ अपने कार्यो पर ध्यान दें आज किया परिश्रम निकट भविष्य के लिए लाभदायक रहेगा। सेहत भी आज नरम रहेगी रक्तचाप अथवा अन्य शारीरिक दर्द की समस्या से ग्रस्त होंगे।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आपके सुख-सौभाग्य में वृद्धि करेगा परन्तु ज्यादा लोभ में पड़ने से बचे अन्यथा शारीरक एवं मानसिक पीड़ा होने की संभावना है। व्यावसायिक क्षेत्र पर सहयोगी वातावरण मिलने का भरपूर लाभ उठा सकेंगे। सहकर्मी आज आपको बिना मांगे सहयोग करेंगे परन्तु अंदर स्वार्थी सिद्धि की भावना भी छुपी होगी। धन लाभ आशानुकूल एवं जरूरत के समय पर होने से योजनाए व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ेंगी। सरकार संबंधित कार्य आज ले देकर ही पूर्ण कर पाएंगे। महिलाये आज केवल दिखावे के लिए ही धार्मिक कार्यो पूजा पाठ में समिल्लित होंगी। मित्र-रिश्तेदारों के ऊपर खर्च करना पड़ेगा। सेहत सामान्य रहेगी।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिए साधारण ही रहेगा। दिन के आरंभ में व्यक्तिगत अथवा घरेलू कार्य में व्यस्त रहेंगे बेमन से करने के कारण कोई त्रुटि भीं होगी। कार्य क्षेत्र पर भी यही हाल रहेगा मन कही और भटकने के कारण कुछ ना कुछ नुक्स रह जायेगा फिर भी आज आपका व्यक्तित्त्व उच्च कोटि का रहेगा। लोग आपकी गलती को स्वार्थ सिद्धि के कारण अनदेखा करेंगे। रिश्तेदार अथवा पड़ोसी अपनी उलझनों को सुलझाने के लिये आपकी सहायता मागेंगे लेकिन आज किसी को बिन मांगे सलाह ना दे ना ही किसी के कार्यो में दखल दें। धन लाभ मध्यान के बाद ही अल्प मात्रा में होगा। शारीरिक अकडन जोड़ो में दर्द संबंधित व्याधि सताएगी।
🦚🌈[ श्री भक्ति ग्रुप मंदिर ]🦚🌈
🙏🌹🙏जय श्री शनिदेव जी🙏🌹🙏
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Aaj Ka Rashifal - राशिफल आज 16 अप्रैल 2021: शुक्रवार को बदलेंगे इन राशियों के भाग्य की चाल, जानिए कैसा रहेगा आपका हाल?
Aaj Ka Rashifal – राशिफल आज 16 अप्रैल 2021: शुक्रवार को बदलेंगे इन राशियों के भाग्य की चाल, जानिए कैसा रहेगा आपका हाल?
दैनिक राशिफल: आज चतुर्थी तिथि 06:05 अपराह्न बाद तक पञ्चमी: 16 अप्रैल 2021 राशिफल आज हिंदी में
आज वर्ष 2021 में अप्रैल की 16 तारीख को शुक्रवार शुक्रवार का दिन है। ज्योतिष में शुक्र को दैत्यों का गुरु यानि दैत्य गुरु माना जाता है। शरीर में यह कमर से नीचे के हिस्से तो वहीं कुंडली में भाग्य के कारक माने गए हैं। इनका रंग गुलाबी व रत्न हीरा है। इस दिन की कारक देवी माता लक्ष्मी हैं। इस दिन माता संतोषी…
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गणेश चतुर्थी पर अबकी बार सूर्य व मंगल के कारण इन राशियों के लिए खुलेगा धन का भंडार
गणेश चतुर्थी की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। लेकिन इस चतुर्थी को 126 साल बाद बेहद ही खास योग बन रहा। आज यानी 22 अगस्त दिन शनिवार को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। गणेशजी को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना गया है। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी की आरती की जाती है। गणेश चतुर्थी पर लोग गणेश जी को अपने घर लाते हैं, गणेश चतुर्थी के ग्यारहवें दिन धूमधाम के साथ उन्हें विसर्जित कर दिया जाता है और अगले साल जल्दी आने की प्रार्थना की जाती है। गिलहराज मंदिर के महंत योगी कौशलनाथ ने बता कि 22 अगस्त शनिवार के दिन गणेश चतुर्थी शाम 7:57 बजे तक है और हस्त नक्षत्र भी शाम 7:10 बजे तक है।
इस दिन चौघड़िया मुहूर्त शुभ है। 22 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से शाम 4 बजकर 48 मिनट तक चर, लाभ और अमृत के चौघड़िया है।
इस वर्ष गणेश चतुर्थी ऐसे समय में मनाई जा रही है जब सूर्य सिंह राशि में और मंगल मेष राशि में हैं। सूर्य और मंगल का यह योग 126 साल बाद बन रहा है। यह योग विभिन्न राशियों के लिए अत्यंत फलदायी रहेगा। गणेश चतुर्थी पर हर साल जगह-जगह झांकी पांडाल सजाए जाते थे व प्रतिमाएं स्थापित की जाती थीं, लेकिन इस वर्ष कोरोना के चलते गणेश जी की झांकियां लगाना प्रतिबंधित है।
यह किस राशि के लोगों के लिए ये बेहद फलदायी है। सूर्य और मंगल का यह योग 126 साल बाद बन रहा है। यह योग विभिन्न राशियों के लिए अत्यंत फलदायी रहेगा।
मेष राशि
राशि से पंचम मूल त्रिकोण में सूर्य का गोचर आपके प्रभाव में वृद्धि करेगा, नई कार्य योजनाएं फलीभूत होंगी।
वृषभ राशि
राशि से चतुर्थ भाव में सूर्य का गोचर पारिवारिक कलह के कारण मानसिक अशांति पैदा कर सकता है
मिथुन राशि
राशि से पराक्रम भाव में सूर्य का गोचर आप में ऊर्जा शक्ति का भंडार भर देगा। अपनी जिद एवं आवेश पर नियंत्रण रखते हुए विवेक का सही उपयोग करेंगे तो कामयाबियों के चरम तक पहुंचेंगे।
कर्क राशि
राशि से धनभाव में सूर्य का गोचर आर्थिक पक्ष को मजबूत करेगा किंतु कई बार अपनी ही कटु वाणी के द्वारा आप बनते हुए कार्य को भी बिगाड़ सकते हैं इसलिए भाषा का प्रयोग बहुत समझ बूझ के साथ करें।
सिंह राशि
आपकी स्वयं की राशि में राशि स्वामी सूर्य का आना आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है किंतु यह समय आपकी परीक्षा का भी है इसलिए अपने क्रोध पर नियंत्रण रखते हुए तथा ऊर्जाशक्ति का सही दिशा में उपयोग करते हुए कार्य करें
कन्या राशि
राशि से हानि भाव में सूर्य का गोचर मिलाजुला फल कारक सिद्ध होगा। कष्ट कारक यात्रा भी करनी पड़ सकती है तथा किसी संबंधी अथवा मित्र के द्वारा अशुभ समाचार भी मिल सकता है।
तुला राशि
राशि से लाभ भाव में सूर्य का गोचर आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है,सभी अरिष्टों का शमन होगा। चुनाव संबंधी कोई भी निर्णय लेना चाह रहे हों तो उसमें भी सफलता मिलेगी। आय के साधन बढ़ेंगे।
धनु राशि
राशि से भाग्यभाव में सूर्य का गोचर बेहतरीन सफलता दायक सिद्ध होगा। आपकी भाग्य उन्नति तो होगी ही आर्थिक पक्ष भी मजबूत होगा। धर्म-कर्म के मामलों में भी आगे रहेंगे।
म��र राशि
राशि से अष्टमभाव में सूर्य का गोचर आपको प्रत��पी-यशस्वी बनाएगा। किसी नए पुरस्कार अथवा कार्यक्षेत्र में बड़े सम्मान की प्राप्ति के योग किंतु आपके अपने ही लोग नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे।
कुंभ राशि
राशि से सप्तम भाव में सूर्य का गोचर कार्य व्यापार में उन्नति तो देगा ही आय में वृद्धि भी होगी। नए अनुबंध पर हस्ताक्षर भी कर सकते हैं, किंतु दांपत्य जीवन के लिए यह संयोग अच्छा नहीं रहेगा।
मीन राशि
राशि से छठे शत्रुभाव में सूर्य का गोचर भी आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है किंतु, अत्यधिक खर्च के कारण आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ सकता है।
https://is.gd/4cyZ3m #TheReservesOfTheseFundsWillBeOpened, #ThisTimeDueToSunAndMarsOnGaneshChaturthi the reserves of these funds will be opened, This time due to Sun and Mars on Ganesh Chaturthi National, State, Top #National, #State, #Top KISAN SATTA - सच का संकल्प
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अंगारक विनायक चतुर्थी आज, इस पूजा विधि से करें भगवान गणेश और मंगलदेव की पूजा, जरूर पूरी होगी मनोकामना
चैतन्य भारत न्यूज
मंगलवार, 26 मई को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। जब भी मंगलवार को चतुर्थी तिथि होती है तो उसे अंगारक विनायक चतुर्थी कहते हैं। इस तिथि पर गणेशजी के साथ ही मंगल ग्रह की विशेष पूजा करनी चाहिए। इस दिन गणपति महाराज का उपवास करने से और उनकी पूजा-पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। मंगलवार का कारक ग्रह मंगल है। इस वजह से चतुर्थी पर मंगल की भी पूजा करें।
अंगारक चतुर्थी पर सबसे पहले गणेश पूजा करें, इसके बाद मंगल ग्रह को लाल फूल चढ़ाना चाहिए। इस ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। मंगल को जल चढ़ाएं, लाल गुलाल चढ़ाएं। इस शुभ योग में मंगल के लिए भात पूजा कर सकते हैं। इसमें शिवलिंग का पके हुए चावल से श्रृंगार किया जाता है और फिर पूजा की जाती है। ऊँ अं अंगारकाय नम: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
पूजा विधि और नियम
चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद किसी गणेश मंदिर जाएं या घर पर ही उनकी पूजा करें।
भगवान को सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, प्रसाद चढ़ाएं।
धूप-दीप जलाएं।
श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें।
गणेशजी के सामने व्रत करने का संकल्प लें और पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें।
व्रत में फलाहार, पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजों का सेवन किया जा सकता है।
पूजा में भगवान को दूर्वा और जनेऊ चढ़ाएं।
फलों का भोग लगाएं।
दीपक जलाकर आरती करें।
पूजा के बाद प्रसाद अन्य भक्तों को बांटेें और स्वयं भी ग्रहण करें।
इसके बाद उनके 12 नाम वाले मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करें।
गणेशजी के मंत्र- ऊँ सुमुखाय नम:, ऊँ एकदंताय नम:, ऊँ कपिलाय नम:, ऊँ गजकर्णाय नम:, ऊँ लंबोदराय नम:, ऊँ विकटाय नम:, ऊँ विघ्ननाशाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ धूम्रकेतवे नम:, ऊँ गणाध्यक्षाय नम:, ऊँ भालचंद्राय नम:, ऊँ गजाननाय नम:।
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मंगलवार और चतुर्थी के योग को कहते हैं अंगारक विनायक चतुर्थी, इस दिन करें गणेशजी और मंगलदेव की पूजा
मंगलवार और चतुर्थी के योग को कहते हैं अंगारक विनायक चतुर्थी, इस दिन करें गणेशजी और मंगलदेव की पूजा
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26 मई को करें गणेशजी के 12 नामों का जाप, मंगल ग्रह को चढ़ाएं लाल फूल
दैनिक भास्कर
May 25, 2020, 02:00 PM IST
मंगलवार, 26 मई को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। मंगलवार को चतुर्थी होने से इसे अंगारक विनायक चतुर्थी कहते हैं। मंगलवार का कारक ग्रह मंगल है। मंगल की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। गणेश पूजा के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। पूजा करें और लाल फूल अर्पित करें। चतुर्थी…
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हरतालिका तीज (गौरी तृतीया) व्रत
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हरतालिका तीज का व्रत हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा व्रत माना जाता हैं। यह तीज का त्यौहार भाद्रपद मास शुक्ल की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं।
यह आमतौर पर अगस्त – सितम्बर के महीने में ही आती है. इसे गौरी तृतीया व्रत भी कहते है। भगवान शिव और पार्वती को समर्पित इस व्रत को लेकर इस बार उलझन की स्थिति बनी हुई है। व्रत करने वाले इस उलझन में हैं कि उन्हें किस दिन यह व्रत करना चाहिए। इस उलझन की वजह यह है कि इस साल पंचांग की गणना के अनुसार तृतीया तिथि का क्षय हो गया है यानी पंचांग में तृतीया तिथि का मान ही नहीं है।
आपको बता दें कि इस विषय पर ना सिर्फ व्रती बल्कि ज्योतिषशास्त्री और पंचांग के जानकर भी दो भागों में बंटे हुए हैं। एक मत के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत 1 सितंबर को करना शास्त्र सम्मत होगा क्योंकि यह व्रत हस्त नक्षत्र में किया जाता है जो एक सितंबर को है। 1 सितंबर को पूरे दिन तृतीया तिथि होगी। संध्या पूजन के समय भी तृतीया तिथि का मान रहेगा जिससे व्रत के लिए 1 सितंबर का दिन ही सब प्रकार से उचित है। 2 तारीख को सूर्योदय चतुर्थी तिथि में होने से इस दिन चतुर्थी तिथि का मान रहेगा ऐसे में तृतीया तिथि का व्रत मान्य नहीं होगा।
1 सितंबर को सूर्योदय द्वितीया तिथि में होगा जो 8 बजकर 27 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसके बाद से तृतीया यानी तीज शुरू हो जाएगी और अगले दिन यानी 2 सितंबर को सूर्योदय से पूर्व ही सुबह 4 बजकर 57 मिनट पर तृतीया समाप्त होकर चतुर्थी शुरू हो जाएगी।
2 सितंबर को हरतालिका तीज को उचित मानने वाले विद्वानों का तर्क है कि शास्त्रों में चतुर्थी तिथि व्याप्त तृतीया तिथि को सौभाग्य वृद्धि कारक मा��ा गया है लेकिन इसका कोई (एकमत) शास्त्रीय प्रमाण देखने को नही मिला। इनके अनुसार ग्रहलाघव पद्धति से बने पंचांग के अनुसार 8 बजकर 58 मिनट तक तृतीया तिथि रहेगी। इसके बाद चतुर्थी तिथि हो जाएगी। हरतालिका व्रत में एक नियम यह भी है कि हस्त नक्षत्र में व्रत करके चित्रा नक्षत्र में व्रत का पारण करना चाहिए। हस्त नक्षत्र 2 सितंबर के दिन प्रातः 8 बजकर 34 मिनट तक रहेगा इसलिये व्रति 1 सितंबर के दिन व्रत रखकर 2 सितंबर के दिन प्रातः 8 बजकर 34 मिनट के बाद चित्रा नक्षत्र में पारण कर सकते है यही शास्त्रसम्मत भी रहेगा।
खासतौर पर महिलाओं द्वारा यह त्यौहार मनाया जाता हैं। कम उम्र की लड़कियों के लिए भी यह हरतालिका का व्रत श्रेष्ठ समझा गया हैं।
विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से जहाँ कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है।
हरतालिका तीज में भगवान शिव, माता गौरी एवम गणेश जी की पूजा का महत्व हैं। यह व्रत निराहार एवं निर्जला किया जाता हैं। शिव जैसा पति पाने के लिए कुँवारी कन्या इस व्रत को विधि विधान से करती हैं।
महिलाओं में संकल्प शक्ति बढाता है हरितालिका तीज का व्रत
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हरितालिका तीज का व्रत महिला प्रधान है।इस दिन महिलायें बिना कुछ खायें -पिये व्रत रखती है।यह व्रत संकल्प शक्ती का एक अनुपम उदाहरण है। संकल्प अर्थात किसी कर्म के लिये मन मे निश्चित करना कर्म का मूल संकल्प है।इस प्रकार संकल्प हमारी अन्तरीक शक्तियोंका सामोहिक निश्चय है।इसका अर्थ है-व्रत संकल्प से ही उत्पन्न होता है।व्रत का संदेश यह है कि हम जीवन मे लक्ष्य प्राप्ति का संकल्प लें ।संकल्प शक्ति के आगे असंम्भव दिखाई देता लक्ष्य संम्भव हो जाता है।माता पार्वती ने जगत को दिखाया की संकल्प शक्ति के सामने ईश्वर भी झुक जाता है।
अच्छे कर्मो का संकल्प सदा सुखद परिणाम देता है। इस व्रत का एक सामाजिक संदेश विषेशतः महिलाओं के संदर्भ मे यह है कि आज समाज मे महिलायें बिते समय की तुलना मे अधिक आत्मनिर्भर व स्वतंत्र है।महिलाओं की भूमिका मे भी बदलाव आये है ।घर से बाहर निकलकर पुरुषों की भाँति सभी कार्य क्षेत्रों मे सक्रिय है।ऎसी स्थिति मे परिवार व समाज इन महिलाओं की भावनाओ एवं इच्छाओं का सम्मान करें,उनका विश्वास बढाएं,ताकि स्त्री व समाज सशक्त बनें।
हरतालिका तीज व्रत विधि और नियम
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हरतालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता हैं। प्रदोष काल अर्थात दिन रात के मिलने का समय। हरतालिका पूजन के लिए शिव, पार्वती, गणेश एव रिद्धि सिद्धि जी की प्रतिमा बालू रेत अथवा काली मिट्टी से बनाई जाती हैं।
विविध पुष्पों से सजाकर उसके भीतर रंगोली डालकर उस पर चौकी रखी जाती हैं। चौकी पर एक अष्टदल बनाकर उस पर थाल रखते हैं। उस थाल में केले के पत्ते को रखते हैं। सभी प्रतिमाओ को केले के पत्ते पर रखा जाता हैं। सर्वप्रथम कलश के ऊपर नारियल रखकर लाल कलावा बाँध कर पूजन किया जाता हैं कुमकुम, हल्दी, चावल, पुष्प चढ़ाकर विधिवत पूजन होता हैं। कलश के बाद गणेश जी की पूजा की जाती हैं।
उसके बाद शिव जी की पूजा जी जाती हैं। तत्पश्चात माता गौरी की पूजा की जाती हैं। उन्हें सम्पूर्ण श्रृंगार चढ़ाया जाता हैं। इसके बाद अन्य देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन किया जाता है।
इसके बाद हरतालिका व्रत की कथा पढ़ी जाती हैं। इसके पश्चात आरती की जाती हैं जिसमे सर्वप्रथम गणेश जी की पुनः शिव जी की फिर माता गौरी की आरती की जाती हैं। इस दिन महिलाएं रात्रि जागरण भी करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है। आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है। हरतालिका व्रत का नियम हैं कि इसे एक बार प्रारंभ करने के बाद छोड़ा नहीं जा सकता।
प्रातः अन्तिम पूजा के बाद माता गौरी को जो सिंदूर चढ़ाया जाता हैं उस सिंदूर से सुहागन स्त्री सुहाग लेती हैं। ककड़ी एवं हलवे का भोग लगाया जाता हैं। उसी ककड़ी को खाकर उपवास तोडा जाता हैं। अंत में सभी सामग्री को एकत्र कर पवित्र नदी एवं कुण्ड में विसर्जित किया जाता हैं।
भगवती-उमा की पूजा के लिए ये मंत्र बोलना चाहिए 👇
ऊं उमायै नम:
ऊं पार्वत्यै नम:
ऊं जगद्धात्र्यै नम:
ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:
ऊं शांतिरूपिण्यै नम:
ऊं शिवायै नम:
भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करनी चाहिए 👇
ऊं हराय नम:
ऊं महेश्वराय नम:
ऊं शम्भवे नम:
ऊं शूलपाणये नम:
ऊं पिनाकवृषे नम:
ऊं शिवाय नम:
ऊं पशुपतये नम:
ऊं महादेवाय नम:
निम्न नामो का उच्चारण कर बाद में पंचोपचार या सामर्थ्य हो तो षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाता है। पूजा दूसरे दिन सुबह समाप्त होती है, तब महिलाएं द्वारा अपना व्रत तोडा जाता है और अन्न ग्रहण किया जाता है।
हरतालिका व्रत पूजन की सामग्री
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1- फुलेरा विशेष प्रकार से फूलों से सजा होता है।
2- गीली काली मिट्टी अथवा बालू रेत।
3- केले का पत्ता।
4- विविध प्रकार के फल एवं फूल पत्ते।
5- बेल पत्र, शमी पत्र, धतूरे का फल एवं फूल, तुलसी मंजरी।
6- जनेऊ , नाडा, वस्त्र,।
7- माता गौरी के लिए पूरा सुहाग का सामग्री, जिसमे चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, महावर, मेहँदी आदि एकत्र की जाती हैं। इसके अलावा बाजारों में सुहाग पूड़ा मिलता हैं जिसमे सभी सामग्री होती हैं।
8- घी, तेल, दीपक, कपूर, कुमकुम, सिंदूर, अबीर, चन्दन, नारियल, कलश।
9- पञ्चामृत - घी, दही, शक्कर, दूध, शहद।
हरतालिका तीज व्रत कथा
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भगवान शिव ने पार्वतीजी को उनके पूर्व जन्म का स्मरण कराने के उद्देश्य से इस व्रत के माहात्म्य की कथा कही थी।
श्री भोलेशंकर बोले- हे गौरी! पर्वतराज हिमालय पर स्थित गंगा के तट पर तुमने अपनी बाल्यावस्था में बारह वर्षों तक अधोमुखी होकर घोर तप किया था। इतनी अवधि तुमने अन्न न खाकर पेड़ों के सूखे पत्ते चबा कर व्यतीत किए। माघ की विक्राल शीतलता में तुमने निरंतर जल में प्रवेश करके तप किया। वैशाख की जला देने वाली गर्मी में तुमने पंचाग्नि से शरीर को तपाया। श्रावण की मूसलधार वर्षा में खुले आसमान के नीचे बिना अन्न-जल ग्रहण किए समय व्यतीत किया।
तुम्हारे पिता तुम्हारी कष्ट साध्य तपस्या को देखकर बड़े दुखी होते थे। उन्हें बड़ा क्लेश होता था। तब एक दिन तुम्हारी तपस्या तथा पिता के क्लेश को देखकर नारदजी तुम्हारे घर पधारे। तुम्हारे पिता ने हृदय से अतिथि सत्कार करके उनके आने का कारण पूछा।
नारदजी ने कहा- गिरिराज! मैं भगवान विष्णु के भेजने पर यहां उपस्थित हुआ हूं। आपकी कन्या ने बड़ा कठोर तप किया है। इससे प्रसन्न होकर वे आपकी सुपुत्री से विवाह करना चाहते हैं। इस संदर्भ में आपकी राय जानना चाहता हूं।
नारदजी की बात सुनकर गिरिराज गद्गद हो उठे। उनके तो जैसे सारे क्लेश ही दूर हो गए। प्रसन्नचित होकर वे बोले- श्रीमान्! यदि स्वयं विष्णु मेरी कन्या का वरण करना चाहते हैं तो भला मुझे क्या आपत्ति हो सकती है। वे तो साक्षात ब्रह्म हैं। हे महर्षि! यह तो हर ��िता की इच्छा होती है कि उसकी पुत्री सुख-सम्पदा से युक्त पति के घर की लक्ष्मी बने। पिता की सार्थकता इसी में है कि पति के घर जाकर उसकी पुत्री पिता के घर से अधिक सुखी रहे।
तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारदजी विष्णु के पास गए और उनसे तुम्हारे ब्याह के निश्चित होने का समाचार सुनाया। मगर इस विवाह संबंध की बात जब तुम्हारे कान में पड़ी तो तुम्हारे दुख का ठिकाना न रहा।
तुम्हारी एक सखी ने तुम्हारी इस मानसिक दशा को समझ लिया और उसने तुमसे उस विक्षिप्तता का कारण जानना चाहा। तब तुमने बताया - मैंने सच्चे हृदय से भगवान शिवशंकर का वरण किया है, किंतु मेरे पिता ने मेरा विवाह विष्णुजी से निश्चित कर दिया। मैं विचित्र धर्म-संकट में हूं। अब क्या करूं? प्राण छोड़ देने के अतिरिक्त अब कोई भी उपाय शेष नहीं बचा है। तुम्हारी सखी बड़ी ही समझदार और सूझबूझ वाली थी।
उसने कहा- सखी! प्राण त्यागने का इसमें कारण ही क्या है? संकट के मौके पर धैर्य से काम लेना चाहिए। नारी के जीवन की सार्थकता इसी में है कि पति-रूप में हृदय से जिसे एक बार स्वीकार कर लिया, जीवनपर्यंत उसी से निर्वाह करें। सच्ची आस्था और एकनिष्ठा के समक्ष तो ईश्वर को भी समर्पण करना पड़ता है। मैं तुम्हें घनघोर जंगल में ले चलती हूं, जो साधना स्थली भी हो और जहां तुम्हारे पिता तुम्हें खोज भी न पाएं। वहां तुम साधना में लीन हो जाना। मुझे विश्वास है कि ईश्वर अवश्य ही तुम्हारी सहायता करेंगे।
तुमने ऐसा ही किया। तुम्हारे पिता तुम्हें घर पर न पाकर बड़े दुखी तथा चिंतित हुए। वे सोचने लगे कि तुम जाने कहां चली गई। मैं विष्णुजी से उसका विवाह करने का प्रण कर चुका हूं। यदि भगवान विष्णु बारात लेकर आ गए और कन्या घर पर न हुई तो बड़ा अपमान होगा। मैं तो कहीं मुंह दिखाने के योग्य भी नहीं रहूंगा। यही सब सोचकर गिरिराज ने जोर-शोर से तुम्हारी खोज शुरू करवा दी।
इधर तुम्हारी खोज होती रही और उधर तुम अपनी सखी के साथ नदी के तट पर एक गुफा में मेरी आराधना में लीन थीं। भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र था। उस दिन तुमने रेत के शिवलिंग का निर्माण करके व्रत किया। रात भर मेरी स्तुति के गीत गाकर जागीं। तुम्हारी इस कष्ट साध्य तपस्या के प्रभाव से मेरा आसन डोलने लगा। मेरी समाधि टूट गई। मैं तुरंत तुम्हारे समक्ष जा पहुंचा और तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न होकर तुमसे वर मांगने के लिए कहा।
तब अपनी तपस्या के फलस्वरूप मुझे अपने समक्ष पाकर तुमने कहा - मैं हृदय से आपको पति के रूप में वरण कर चुकी हूं। यदि आप सचमुच मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर आप यहां पधारे हैं तो मुझे अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लीजिए।
तब मैं 'तथास्तु' कह कर कैलाश पर्वत पर लौट आया। प्रातः होते ही तुमने पूजा की समस्त सामग्री को नदी में प्रवाहित करके अपनी सहेली सहित व्रत का पारणा किया। उसी समय अपने मित्र-बंधु व दरबारियों सहित गिरिराज तुम्हें खोजते-खोजते वहां आ पहुंचे और तुम्हारी इस कष्ट साध्य तपस्या का कारण तथा उद्देश्य पूछा। उस समय तुम्हारी दशा को देखकर गिरिराज अत्यधिक दुखी हुए और पीड़ा के कारण उनकी आंखों में आंसू उमड़ आए थे।
तुमने उनके आंसू पोंछते हुए विनम्र स्वर में कहा- पिताजी! मैंने अपने जीवन का अधिकांश समय कठोर तपस्या में बिताया है। मेरी इस तपस्या का उद्देश्य केवल यही था कि मैं महादेव को पति के रूप में पाना चाहती थी। आज मैं अपनी तपस्या की कसौटी पर खरी उतर चुकी हूं। आप क्योंकि विष्णुजी से मेरा विवाह करने का निर्णय ले चुके थे, इसलिए मैं अपने आराध्य की खोज में घर छोड़कर चली आई। अब मैं आपके साथ इसी शर्त पर घर जाऊंगी कि आप मेरा विवाह विष्णुजी से न करके महादेवजी से करेंगे।
गिरिराज मान गए और तुम्हें घर ले गए। कुछ समय के पश्चात शास्त्रोक्त विधि-विधानपूर्वक उन्होंने हम दोनों को विवाह सूत्र में बांध दिया।
हे पार्वती! भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के फलस्वरूप मेरा तुमसे विवाह हो सका। इसका महत्व यह है कि मैं इस व्रत को करने वाली कुंआरियों को मनोवांछित फल देता हूं। इसलिए सौभाग्य की इच्छा करने वाली प्रत्येक युवती को यह व्रत पूरी एकनिष्ठा तथा आस्था से करना चाहिए।
हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि
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👉 हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। यह दिन और रात के मिलन का समय होता है।
👉 हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं।
👉 पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
👉 इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।
👉 सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की मुख्य परंपरा है।
👉 इसमें ��िव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है। यह सुहाग सामग्री सास के चरण स्पर्श करने के बाद ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान देना चाहिए।
👉 इस प्रकार पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें। आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।
हरितालका तीज पूजा मुहूर्त
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हरितालिका पूजन प्रातःकाल ना करके प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त में किया जाना ही शास्त्रसम्मत है।
प्रदोषकाल निकालने के लिये आपके स्थानीय सूर्यास्त में आगे के 96 मिनट जोड़ दें तो यह एक घंटे 36 मिनट के लगभग का समय प्रदोष काल माना जाता है।
प्रदोष काल मुहूर्त : सायं 06:41 से रात्रि:8:58 तक
पारण अगले दिन प्रातः काल 8 बजकर 34 मिनट के बाद करना उत्तम रहेगा।
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🦚🌈 [भक्ति🛕ग्रुप🛕मंदिर™] 🦚🌈
🕉 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🕉
🌄 सुप्रभातम 🌄
🗓 आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻 गुरुवार, १२ अगस्त २०२१ 🌻
सूर्योदय: 🌄 ०५:५२
सूर्यास्त: 🌅 ०६:५८
चन्द्रोदय: 🌝 ०९:११
चन्द्रास्त: 🌜२१:३९
अयन 🌕 दक्षिणायने (उत्तरगोलीय)
ऋतु: 🌦️ वर्षा
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 श्रावण
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 चतुर्थी (१५:२४ तक)
नक्षत्र 👉 उत्तराफाल्गुनी (०८:५३ तक)
योग 👉 सिद्ध (१६:१३ तक)
प्रथम करण 👉 विष्टि (१५:२४ तक)
द्वितीय करण 👉 बव (२६:३५ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कर्क
चंद्र 🌟 कन्या
मंगल 🌟 सिंह (उदित, पूर्व, मार्गी)
बुध 🌟 सिंह (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 कुम्भ (उदय, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 कन्या (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५५ से १२:४८
अमृत काल 👉 २६:१३ से २७:४५
रवियोग 👉 ०५:४२ से ०८:५३
विजय मुहूर्त 👉 १४:३५ से १५:२८
गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:४८ से १९:१२
निशिता मुहूर्त 👉 २४:०१ से २४:४३
राहुकाल 👉 १४:०१ से १५:४१
राहुवास 👉 दक्षिण
यमगण्ड 👉 ०५:४२ से ०७:२२
होमाहुति 👉 बुध
दिशाशूल 👉 दक्षिण
नक्षत्र शूल 👉 उत्तर - ०८:५३ तक
अग्निवास 👉 पाताल - १५:२४ पृथ्वी
भद्रावास 👉 पाताल - १५:२४ तक
चन्द्रवास 👉 दक्षिण
शिववास 👉 क्रीड़ा में - १५:२४ कैलाश पर
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ - शुभ २ - रोग
३ - उद्वेग ४ - चर
५ - लाभ ६ - अमृत
७ - काल ८ - शुभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ - अमृत २ - चर
३ - रोग ४ - काल
५ - लाभ ६ - उद्वेग
७ - शुभ ८ - अमृत
नोट-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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दक्षिण-पूर्व (दही का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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विनायक दूर्वा चतुर्थी व्रत, विवाहदी मुहूर्त (पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, कश्मीर) आदि प्रदेशो के लिये तुला लग्न प्रातः १०:५२ से दोपहर ०१:१० तक, व्यवसाय आरम्भ+वाहनादि क्रय-विक्रय मुहूर्त प्रातः १०:५३ से दोपहर ०३:४८ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज ०८:५३ तक जन्मे शिशुओ का नाम
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (पी) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम हस्त नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (पू, ष, ण, ठ) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
कर्क - २७:४६ से ०६:०७
सिंह - ०६:०७ से ०८:२६
कन्या - ०८:२६ से १०:४४
तुला - १०:४४ से १३:०५
वृश्चिक - १३:०५ से १५:२४
धनु - १५:२४ से १७:२८
मकर - १७:२८ से १९:०९
कुम्भ - १९:०९ से २०:३५
मीन - २०:३५ से २१:५८
मेष - २१:५८ से २३:३२
वृषभ - २३:३२ से २५:२७
मिथुन - २५:२७ से २७:४२
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पञ्चक रहित मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - ०५:४२ से ०६:०७
रोग पञ्चक - ०६:०७ से ०८:२६
शुभ मुहूर्त - ०८:२६ से ०८:५३
मृत्यु पञ्चक - ०८:५३ से १०:४४
अग्नि पञ्चक - १०:४४ से १३:०५
शुभ मुहूर्त - १३:०५ से १५:२४
रज पञ्चक - १५:२४ से १५:२४
शुभ मुहूर्त - १५:२४ से १७:२८
चोर पञ्चक - १७:२८ से १९:०९
शुभ मुहूर्त - १९:०९ से २०:३५
रोग पञ्चक - २०:३५ से २१:५८
चोर पञ्चक - २१:५८ से २३:३२
शुभ मुहूर्त - २३:३२ से २५:२७
रोग पञ्चक - २५:२७ से २७:४२
शुभ मुहूर्त - २७:४२ से २९:४३
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज के दिन आपका मुख्य लक्ष्य अधिक से अधिक धन कमाना रहेगा। व्यावसायिक कार्य भी निर्बाध्य रूप से चलते रहेंगे आय के एक से अधिक साधन बनेंगे व्यस्तता भी अधिक रहने के कारण बीच बीच में शारीरिक समस्या खड़ी हो सकती है फिर भी आप परवाह किये बिना कार्यो में लगे रहेंगे। धन लाभ आशा के अनुरूप होगा परंतु अंतिम समय में व्यवधान भी आएंगे। कार्य क्षेत्र पर अधीनस्थों पर नजर रखें लापरवाही नुक्सान कराएगी। नौकरी पेशा जातक बेहतर कार्य के लिए पदोन्नत हो सकते है। लेकिन घरेलु वातावरण शंका के कारण ख़राब हो सकता है। स्त्री वर्ग से नाराजगी रहेगी।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज का दिन मिला जुला फल देगा। प्रातः काल से ही किसी कार्य को करने में किसी के सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी एवं जो सहयोग मिलेगा वह भी पर्याप्त नहीं रहेगा। बाहर की अपेक्षा घर के लोग ही सहायता के लिए आगे आएंगे फिर भी अन्य कार्यो की और ध्यान दें अन्यथा यहाँ भी लाभ से वंचित रहना पड़ेगा। नौकरी पेशा जातको को अतिरिक्त आय के अवसर मिलेंगे परन्तु अनैतिक कार्यो में ना पढ़ें हानि ही होगी इसका ध्यान रखें। अधिकारी वर्ग आपके प्रति उदासीन रहेंगे इसलिए कार्य निकालने के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी। गृहस्थ में आपसी तालमेल बना रहेगा। महिलाएं अधिक सहयोगी सिद्ध होंगी।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज कोई भी अविचारी कदम उठाने से बचे। हालांकि आज जिस भी कार्य को करेंगे देर-अबेर उसमें सफलता तो आपको मिलेगी ही। प्रतिस्पर्धियों को भी आप परास्त कर सकेंगे। भाई बंधुओं और पड़ोसियों के साथ खूब अच्छे सम्बंध रहेंगे लेकिन ज्यादा स्नेह भी आज कलह का कारण बन सकता है इसका ध्यान रखें। कार्य क्षेत्र से आर्थिक लाभ भी होंगे। परिवार जनों का सहयोग कम मिलेगा लेकिन आज सार्वजनिक मान-सम्मान मिलेगा। चित्त में प्रसन्नता रहेगी। सेहत में थोडी नरमी रहने पर भी परवाह नही करेंगे।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आपका आज का दिन अवश्य धन लाभ कराएगा। लाभ की उम्मीद प्रातः काल से ही रहेगी लेकिन टलते टलते दोपहर तक ही इसमें सफलता मिलेगी। प्रातः काल में कुछ दिनों से टल रहे कार्य को करने की जल्दी रहेगी। मध्यान का समय काम ना होने से आराम में बीतेगा। महिलाएं भी कामना पूर्ती से प्रसन्न रहेंगी। सामाजिक क्षेत्र पर वर्चस्व में कमी आने पर भी दिनचर्या सामान्य ही रहेगी। नौकरी पेशा जातक किसी जटिल कार्य को लेकर परेशान हो सकते है परन्तु सहायता मिलने पर कार्य पूर्ण कर लेंगे। दाम्पत्य जीवन में आज भी नीरसता ही अधिक रहने वाली है। सामाजिक आयोजनों में जाना टल भी सकता है।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आपका स्वभाव संतोषी रहेगा। घर एवं बाहर परिस्थिति के अनुसार खुद को ढाल लेंगे। कार्य क्षेत्र पर भी सुविधा अनुसार ही कार्य करेंगे कार्य विस्तार के मूड में आज बिलकुल नहीं रहेगें। बीच-बीच में अकारण ही क्रोध की स्थिति भी बनेगी फिर भी हालात खराब नहीं होने देंगे। सरकारी कार्यो में ढील देना हानि कारक रह सकता है। प्रतिस्पर्धी भी आपकी मनोदशा देख कर जम कर फायदा उठाएंगे लेकिन परोपकार की भावना प्रबल रहने से इन बातों का आपके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। परिजन आपकी अधिक उदार वृति का विरोध कर सकते है। संताने मनमानी करेंगी। आर्थिक स्थिति मध्यम रहेगी।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आपके अंदर चंचलता अधिक रहेगी। किसी भी बात पर ज्यादा देर नहीं टिकेंगे इससे आस पास के लोगो को परेशानी हो सकती है साथ ही आपकी प्रतिष्ठा भी कम होगी। कार्य क्षेत्र पर भी विचार निरंतर बदलते रहेंगे जिससे सही निर्णय नहीं ले पाएंगे लाभ के अवसर हाथ से निकल सकते है। आज मन को एकाग्र करके ही लाभ कमाया जा सकता है। आध्यत्म में भी यही स्थिति बनेगी रूचि होने पर भी मन इधर उधर भटकने से कोई लाभ नहीं होगा। पारिवारिक वातावरण अधिक बोलने की प्रवृति के कारण अस्त-व्यस्त रहेगा। घर के लोग आपकी बातों पर जल्दी से यकीन नहीं करेंगे।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन अधिक संवेदनहीनता प्रत्येक कार्यो में हानि करा सकती है। आज आप हर किसी को शक की दृष्टि से देखेंगे जिससे मन हीन भावना से ग्रस्त रहेगा। कार्य व्यवसाय के साथ-साथ गृहस्थ में भी संघर्ष अधिक रहेगा। परिवार की शांति स्वार्थ के कारण भंग हो सकती है। भाई बंधू अपनी बात मनवाने के लिए गलत व्यवहार से भी नहीं चूकेंगे। परिवार में किसी के आकस्मिक बीमार पड़ने के कारण भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। स्त्रीवर्ग अधिक भावुक रहेंगी जिससे आपसी सम्बन्ध बिखरने से बच भी सकते है। सरकारी अथवा अन्य कागजी कार्य आँख बंद कर ना करें। सन्तानो के साथ कुछ समय अवश्य बिताएं।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज का दिन आपके लिए लाभदायक रहेगा सेहत एवं व्यापार दोनों उत्तम रहेंगे। क्रय-विक्रय के व्यवसाय अथवा शेयर सट्टे में निवेश से धन लाभ होगा। अन्य व्यवसाय में भी नए अनुबंध मिलने की सम्भवना रहेगी परन्तु नए व्यवसाय का आरम्भ अभी ना करें। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी साथ ही धन की उगाही भी कर पाएंगे। नौकरी पेशा जातको की कार्य क्षेत्र पर सामान्य दिनचर्या रहेगी। धार्मिक कृत्यों विशेषकर टोन टोटको में विश्वास करेंगे। पारिवारिक जीवन में खुशियां बढ़ेंगी शुभसमाचार की प्राप्ति होगी। विरोधीयो के सडयंत्र असफल रहेंगे।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन भी शुभफलदायी रहेगा। कुछ दिनों से मन में चल रही योजनाएं आज फलीभूत हो सकेंगी परन्तु इसके लिए अधिक परिश्रम भी करना पड़ेगा। धन लाभ के भी कई अवसर आएंगे लेकिन सफलता कुछ में ही मिलेगी फिर भी संध्या तक पर्याप्त धन अर्जित कर लेंगे। नौकरी पेशा जातक कार्यो के प्रति अधिक समर्पित रहने पर भी कुछ ना कुछ कमी का अनुभव करेंगे। सामाजिक जीवन पहले की अपेक्षा ज्यादा बेहतर बनेगा। मित्र स्वयजनो के साथ यात्रा प्रवास की योजना बनेगी। दाम्पत्य जीवन भी आज बेहतर रहेगा लेकीन किसी के रूठने मनाने का क्रम लगा रहेगा।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आपका आज का दिन मिश्रित फलदायक रहेगा दिन के आरंभिक भाग में कल वाली स्थिति यथावत रहेगी। जिस कार्य को करने की सोचेंगे उसीमें किसी के हस्तक्षेप करने से भ्रामक स्थिति बनेगी। विलम्ब से बचने के लिये जल्दबाजी करेंगे जिससे कार्य में सफाई नहीं रहेगी। परन्तु दोपहर के बाद स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने लगेगी धन लाभ होने से रुके कार्यो में गति आएगी। नौकरी पेशा जातको पर अधिकारी वर्ग अधिक विश्वास करेंगे। सरकारी कार्यो में भी सफलता की संभावना बढ़ने से प्रसन्नता रहेगी लेकिन इनके आज पूर्ण होने में संदेह रहेगा। घरेलु वातावरण में भी सुधार आएगा।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज आर्थिक विषयो को लेकर नई समस्याएं बनेगी जिनका समाधान होने में समय लग सकता है। कार्य क्षेत्र पर उदासीनता रहने से धन की आमद कम रहेगी। नौकरी पेशा जातक अथवा महिलाएं मनोकामना पूर्ती ना होने से अनमने मन से कार्य करेंगे। बीमारियों पर भी खर्च होने के योग है शारीरिक समस्याएं मध्यान के समय प्रबल रहेंगी अधिक मसाले वाले भोजन अथवा बाहर के खान-पान से परहेज करें। विद्यार्थी वर्ग को भी परिश्रम का उचित परिणाम न��ीं मिलने से दुःख होगा। किसी से धन सम्बंधित वादे ना करे फिजूल खर्च पर भी नियंत्रण रखें। घर में थोड़ी खींच-तान होने पर भी स्थिति नियंत्रित रहेगी।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन सुयोग बन रहे है कार्यो में सहज सफलता मिलने से उत्साह बढ़ेगा। भाग्य साथ देने से अटके कार्य पूर्ण होंगे धन की आमद भी रुक रुक कर होती रहेगी। पारिवारिक सदस्यों की कार्य क्षेत्र पर भी सहायता मिलेगी। परन्तु सरकारी कार्य में बाधा आने की संभावना है फिर भी किसी के सहयोग से इसे भी पार कर लेंगे। नौकरी पेशा जातको को अतिरिक्त कार्य सौंपा जा सकता है इसका लाभ भी शीघ्र मिल जायेगा। दूर रहने वाले रिश्तेदारो से मिलने के प्रसंग बनेंगे। पारिवारिक वातावरण में प्रेम एवं निकटता का अहसास होगा। संताने आज्ञा का पालन करेंगी। स्त्री सुख सामान्य रहेगा।
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🦚🌈 श्री भक्ति ग्रुप मंदिर 🦚🌈
🙏🌹🙏जय श्री राधे कृष्ण🙏🌹🙏
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💐🌼🌺🛕[श्री भक्ति ग्रुप मंदिर]🛕🌺🌼💐
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Aaj Ka Rashifal - राशिफल आज 15 अप्रैल 2021: सूर्य के गोचर के साथ ही मजबूत हुआ ये 6 राशियां, जानें 12 राशियों के लिए गुरुवार कैसा रहेगा?
Aaj Ka Rashifal – राशिफल आज 15 अप्रैल 2021: सूर्य के गोचर के साथ ही मजबूत हुआ ये 6 राशियां, जानें 12 राशियों के लिए गुरुवार कैसा रहेगा?
दैनिक राशिफल: आज तृतीया तिथि 03:27 बजे तक उपरांत चतुर्थी …
आज का वर्ष 2021 में अप्रैल की 15 तारीख को बृहस्पतिवार गुरुवार का दिन है। ज्योतिष में बृहस्पति को भगवान का गुरु यानि देवगुरु माना गया है। इसी कारण इस दिन को गुरुवार को भी कहा जाता है। शरीर में यह ह्दय तो वहीं कुंडली में विद्या के कारक माने गए हैं।
इनका रंग पीला व रत्न पुखराज है। इस दिन के कारक देव स्व भगवान विष्णु हैं। वहीं विद्या का कारक…
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Govt Job पाने के लिए बेहद आसान और अचूक टोटके, इन्हे करने मात्र से ही मिलेगी सफलता
tone totke for govt jobs : देश में बढ़ती हुई जनसंख्या और नवीनतम तकनीक से बेरोजगारी भी हावी हो गई है। आज नौकरी के लिए हजारों युवा दफ्तरों के बाहर घंटों लाइनों में खड़े रहते हैं। सरकारी नौकरी में मामूली से पदों के लिए लाखों की संख्या में आवेदन आ रहे हैं। रेलवे में 'ग्रुप सी और डी' जैसी भर्ती में आवेदन संख्या 2 करोड़ के करीबन तक पहुँच गई। सरकारी नौकरी पाने वाला व्यक्ति खुद को बेहद खुश नसीब मानता है क्योंकि प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के लिए मेहनत बहुत करनी पड़ती है। मेहनत के साथ इंसान को भाग्य का सहारा भी मिलता है। बहुत से ऐसे भी उदहारण है जो बहुत कम मेहनत में ही अच्छी सफलता हासिल कर लेते हैं। कुछ उदहारण ऐसे भी हैं जो निम्न लेवल की परीक्षा में फ़ैल हो जाते हैं और उच्च अधिकारी के लिए आयोजित हुई परीक्षा में सफलता हासिल कर लेते हैं। ऐसे में कर्म के साथ भाग्य भी अपना कार्य करता है। जितना कर्म करोगे उसी के अनुसार भाग्य भी अपना रोल अदा करेगा। मेहनत के बिना कुछ भी संभव नहीं है।कुछ लोग मेहनत के दम पर आगे बढ़ जाते हैं लेकिन भाग्य का साथ न मिलने पर रुकावटें आती रहती हैं। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे ही जरुरी उपाय बताते हैं जो आपके भाग्य को अनुकूल बनाने में आपकी मदद करेंगे।
नौकरी पाने के उपाय Govt Jobs Remedies
सुबह पक्षियों को सातों अनाज मिलाकर खिलाएं और मंदिर में नित्य दर्शन करें। सभी तरह के पक्षी अपना पसंदीदा अनाज खा सके। गणेश चतुर्थी को गणेश जी का दाईं ओर मुड़ी हुई सूंड का चित्र लगाएं। उनकी आराधना करें। उनके आगे हरी दूब, लौंग तथा सुपारी रखें। जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो इस लौंग तथा सुपारी को साथ लेकर जाएं, तो जिससे काम सिद्ध होगा। नौकरी के लिए माँ गायत्री और बजरंग बलि की नित्य दर्शन और पूजा करें। सुबह सूर्योदय पर सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं। ग्रहों की अनुकूलता को बनाने के लिए कुछ ग्रहों को अपने पक्ष में प्रभावी भी बनाया जाता है।
नौकरी के लिए परीक्षा/इंटरव्यू देने जाते समय गुड़ और रोटी जरूर लेकर निकलें और उसे रास्ते में कहीं भी गाय को खिला कर जाएं। एक नींबू के ऊपर चार लौंग गाड़ दें और ॐ श्री हनुमते नम: मंत्र का 108 बार जप करके नींबू को अपने साथ लेकर जाएं। आपका काम अवश्य बन जाएगा। शनिवार के दिन शनि देव को सरसों का तेल और उसमें लोहे की धातु/सिक्का जरूर चढ़ाएं। घर में बजरंग बली का फोटो जिसमें उनका उड़ता हुआ चित्र हो, उसकी पूजा करना चाहिए। मंगलवार और शनिवार को किए गए हनुमान चालीसा के पाठ सफलता के लिए बेहद ही अचूक उपाय है। जब भी आप नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाएं तो ॐ नम: भगवती पद्मावती ऋद्धि-सिद्धि दायिनी इस मंत्र का जप 108 कर लें। एकाग्र मन से जप करने पर आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी। रूके हुए कार्य सिद्धि के लिए यह टोटका बहुत ही लाभदायक है।
ऐसे पहचानें सरकारी नौकरी के योग govt jobs in horoscope
नौकरी का मुख्य कारक शनि ग्रह होता है। नौकरी पाने में अन्य पाप ग्रहों की भी भूमिका होती है। कुंडली का छठवां और ग्यारहवां भाव नौकरी से सीधे सम्बंधित होते हैं, इनके स्वामी भी नौकरी पाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इन भावों में गुरु और सूर्य जैसे गृह बैठें हो तो नौकरी पाना आसान होता है। कुंडली में अग्नि और पृथ्वी राशियां नौकरी पाने में खूब सहायता करती हैं।
Govt Jobs In Kundali
आपकी कुंडली में सूर्य या चन्द्रमा में से कोई एक मजबूत हो। छठे भाव में गुरु या सूर्य बैठे हों। कुंडली में पञ्च महापुरुष योग में से एक या ज्यादा योग हों। जब शनि की स्थिति मजबूत हो और शनि की साढे साती या ढैया चल रही हो। हाथ में सूर्य की दोहरी रेखा हो और बृहस्पति के पर्वत पर क्रास हो। बृहस्पति पर्वत तक रेखा पहुँच जाती ��ै तो भी सरकारी नौकरी के योग बन जाते हैं।
How To Get Govt Jobs
रोज सुबह नित्यकर्म के बाद सूर्योदय के वक्त सूर्य भगवान को जल अर्पित करें। सुबह और शाम 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें। राशि के अनुसार ग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए अच्छे विद्वान पंडित से सलाह लेकर एक माणिक्य अथवा नीलम धारण करें और हल्के लाल रंग का ज्यादा प्रयोग करें।
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ऐसे करे इस नवरात्री पूजा, मिलेगा माँ का आर्शीवाद
चैत्र नवरात्रि शुरू होने वाली है| 25 मार्च, दिन बुधवार वर्ष 2020 से यह चैत्र नवरात्रि शुरू होगा| इस नवरात्री अगर आपकी कोई मनोकामना है तो इस दिन से आपको नौ दिन सच्चे मैं से पूजा करनी होगी|अपने अगर पूरी श्रद्धा और निष्ठा से इस पूजा को कर कर लिया तो ये आपकी मनोकामना पूरी होगी|और आपको माँ जगदम्बा भवानी का आपको आशीर्वाद मिलेगा| क्या आपको जानते है की है हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत नवरात्रि से हो जाती है|आइये आपको बताते है कैसे इन दिनों में माँ के 9 रूपों की पूजा कर माँ का आशार्वाद मिले|
नवरात्रि का पहला दिन-
नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा को गौ घृत से षोडशौपचार पूजा कर गौ धृत अपर्ण करें। इससे आरोग्य लाभ होता है और माँ प्रसन्न होती है|
नवरात्रि का दूसरा दिन-
द्वितीया तिथि को शक्कर का भोग उसे दान करें। वहीं शक्कर का दान दीर्घायु कारक होता है।
नवरात्रि का तीसरा दिन-
नवरात्रि के तीसरे दिन(तीया तिथि) को दूध की प्रधानता होती है। पूजन में दूध का उपयोग कर उसे ब्राह्मण को दान करें। दूध का दान दुखों से मुक्ति का परम साधन होता है।
नवरात्रि का चौथा दिन –
चतुर्थी तिथि को मालपुआ का नैवेद्य अर्पण करें। सुयोग्य ब्राह्मण को दान करे��। इससे बुद्धि का विकास होता है। निर्णय शक्ति में असाधारण विकास होता है।
नवरात्रि का पांचवा दिन-
पंचमी तिथि को केले का नैवेद्य चढ़ावें प्रसाद ब्राह्मण को दान करें। इससे बुद्धि का विकास होता है। निर्णय शक्ति में असाधारण विकास होता है।
नवरात्रि का छटवां दिन-
षष्ठी तिथि को मधु का विशेष महत्व है। मधु से पूजन कर ब्राह्मण को दान करने से स्वरूप में आकर्षण का उदय होता है और सुंदरता में वृद्धि होती है।
नवरात्रि का सातवां दिन-
सप्तमी तिथि को गुड़ का नैवद्य अर्पण ब्राह्मण को करना शोक मुक्ति का कारक है। गुड़ दान से आकस्मिक विपत्ति से रक्षा होती है।
नवरात्रि का आठवां दिन –
अष्टमी तिथि को नारियल का भोग लगाना और नारियल का दान करना संताप रक्षक है। किसी भी प्रकार की पीड़ा का शमन होता है।
नवरात्रि का नौवां दिन-
नवमी तिथि को धान के लावा से पूजा करना चाहिए। धान के दान करने से लोक परलोक का सुख प्राप्त होता है। दशम तिथि को काले तिल का नैवेद्य का अर्पण का दान करने से परलोक का भय नहीं होता है।
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अपनी जन्म कुंडली से जानें विवाह में देरी बाधा के योग विस्तार से !!शादी विशेष !!
वर्तमान में युवक-युवतियां का उच्च शिक्षा या अच्छा करियर बनाने के चक्कर में अधिक उम्र के हो जाने पर विवाह में काफी विलंब हो जाता है। उनके माता-पिता भी असुरक्षा की भावनावश अपने बच्चों के अच्छे खाने-कमाने और आत्मनिर्भर होने तक विवाह न करने पर सहमत हो जाने के कारण विवाह में विलंब-देरी हो जाती है।इस समस्या के निवारणार्थ अच्छा होगा की किसी विद्वान ज्योतिषी को अपनी जन्म कुंडली दिखाकर विवाह में बाधक ग्रह या दोष को ज्ञात कर उसका निवारण करें।
ज्योतिषीय दृष्टि से जब विवाह योग बनते हैं, तब विवाह टलने से विवाह में बहुत देरी हो जाती है। वे विवाह को लेकर अत्यंत चिंतित हो जाते हैं। वैसे विवाह में देरी होने का एक कारण बच्चों का मांगलिक होना भी होता है। इनके विवाह के योग 27, 29, 31, 33, 35 व 37वें वर्ष में बनते हैं। जिन युवक-युवतियों के विवाह में विलंब हो जाता है, तो उनके ग्रहों की दशा ज्ञात कर, विवाह के योग कब बनते हैं, जान सकते हैं। जिस वर्ष शनि और गुरु दोनों सप्तम भाव या लग्न को देखते हों, तब विवाह के योग बनते हैं। सप्तमेश की महादशा-अंतर्दशा या शुक्र-गुरु की महादशा-अंतर्दशा में विवाह का प्रबल योग बनता है। सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश के साथ बैठे ग्रह की महादशा-अंतर्दशा में विवाह संभव है।
अन्य योग निम्नानुसार हैं-
(1) लग्नेश, जब गोचर में सप्तम भाव की राशि में आए।
(2) जब शुक्र और सप्तमेश एक साथ हो, तो सप्तमेश की दशा-अंतर्दशा में।
(3) लग्न, चंद्र लग्न एवं शुक्र लग्न की कुंडली में सप्तमेश की दशा-अंतर्दशा में।
(4) शुक्र एवं चंद्र में जो भी बली हो, चंद्र राशि की संख्या, अष्टमेश की संख्या जोड़ने पर जो राशि आए, उसमें गोचर गुरु आने पर।
(5) लग्नेश-सप्तमेश की स्पष्ट राशि आदि के योग के तुल्य राशि में जब गोचर गुरु आए।
(6) दशमेश की महादशा और अष्टमेश के अंतर में।
(7) सप्तमेश-शुक्र ग्रह में जब गोचर में चंद्र गुरु आए।
(8) द्वितीयेश जिस राशि में हो, उस ग्रह की दशा-अंतर्दशा में।
विवाह में बाधक योग :=
जन्म कुंडली में 6, 8, 12 स्थानों को अशुभ माना जाता है। मंगल, शनि, राहु-केतु और सूर्य को क्रूर ग्रह माना है। इनके अशुभ स्थिति में होने पर दांपत्य सुख में कमी आती है। सप्तमाधिपति द्वादश भाव में हो और राहू लग्न में हो, तो वैवाहिक सुख में बाधा होना संभव है। सप्तम भावस्थ राहू युक्त द्वादशाधिपति से वैवाहिक सुख में कमी होना संभव है। द्वादशस्थ सप्तमाधिपति और सप्तमस्थ द्वादशाधिपति से यदि राहू की युति हो तो दांपत्य सुख में कमी के साथ ही अलगाव भी उत्पन्न हो सकता है। लग्न में स्थित शनि-राहू भी दांपत्य सुख में कमी करते हैं। सप्तमेश छठे, अष्टम या द्वादश भाव में हो, तो वैवाहिक सुख में कमी होना संभव है। षष्ठेश का संबंध यदि द्वितीय, सप्तम भाव, द्वितीयाधिपति, सप्तमाधिपति अथवा शुक्र से हो, तो दांपत्य जीवन का आनंद बाधित होता है। छठा भाव न्यायालय का भाव भी है। सप्तमेश षष्ठेश के साथ छठे भाव में हो या षष्ठेश, सप्तमेश या शुक्र की युति हो, तो पति-पत्नी में न्यायिक संघर्ष होना भी संभव है।यदि विवाह से पूर्व कुंडली मिलान करके उपरोक्त दोषों का निवारण करने के बाद ही विवाह किया गया हो, तो दांपत्य सुख में कमी नहीं होती है। किसी की कुंडली में कौन सा ग्रह दांपत्य सुख में कमी ला रहा है। इसके लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह लें।
विवाह योग के लिये जो कारण मुख्य है वे इस प्रकार हैं-
सप्तम भाव का स्वामी खराब है या सही है वह अपने भाव में बैठ कर या किसी अन्य स्थान पर बैठ कर अपने भाव को देख रहा है। सप्तम भाव पर किसी अन्य पाप ग्रह की द्रिष्टि नही है। कोई पाप ग्रह सप्तम में बैठा नही है। यदि सप्तम भाव में सम राशि है। सप्तमेश और शुक्र सम राशि में है। सप्तमेश बली है। सप्तम में कोई ग्रह ��ही है। किसी पाप ग्रह की द्रिष्टि सप्तम भाव और सप्तमेश पर नही है। दूसरे सातवें बारहवें भाव के स्वामी केन्द्र या त्रिकोण में हैं,और गुरु से द्रिष्ट है। सप्तमेश की स्थिति के आगे के भाव में या सातवें भाव में कोई क्रूर ग्रह नही है।
विवाह नही होगा अगर :=
सप्तमेश शुभ स्थान पर नही है। सप्तमेश छ: आठ या बारहवें स्थान पर अस्त होकर बैठा है। सप्तमेश नीच राशि में है। सप्तमेश बारहवें भाव में है,और लगनेश या राशिपति सप्तम में बैठा है। चन्द्र शुक्र साथ हों,उनसे सप्तम में मंगल और शनि विराजमान हों। शुक्र और मंगल दोनों सप्तम में हों। शुक्र मंगल दोनो पंचम या नवें भाव में हों। शुक्र किसी पाप ग्रह के साथ हो और पंचम या नवें भाव में हो। शुक्र बुध शनि तीनो ही नीच हों। पंचम में चन्द्र हो,सातवें या बारहवें भाव में दो या दो से अधिक पापग्रह हों। सूर्य स्पष्ट और सप्तम स्पष्ट बराबर का हो।
विवाह में देरी :—-
सप्तम में बुध और शुक्र दोनो के होने पर विवाह वादे चलते रहते है,विवाह आधी उम्र में होता है। चौथा या लगन भाव मंगल (बाल्यावस्था) से युक्त हो,सप्तम में शनि हो तो कन्या की रुचि शादी में नही होती है।सप्तम में शनि और गुरु शादी देर से करवाते हैं।
चन्द्रमा से सप्तम में गुरु शादी देर से करवाता है,यही बात चन्द्रमा की राशि कर्क से भी माना जाता है। सप्तम में त्रिक भाव का स्वामी हो,कोई शुभ ग्रह योगकारक नही हो,तो पुरुष विवाह में देरी होती है।सूर्य मंगल बुध लगन या राशिपति को देखता हो,और गुरु बारहवें भाव में बैठा हो तो आध्यात्मिकता अधिक होने से विवाह में देरी होती है।लगन में सप्तम में और बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योग कारक नही हों,परिवार भाव में चन्द्रमा कमजोर हो तो विवाह नही होता है,अगर हो भी जावे तो संतान नही होती है।महिला की कुन्डली में सप्तमेश या सप्तम शनि से पीडित हो तो विवाह देर से होता है।राहु की दशा में शादी हो,या राहु सप्तम को पीडित कर रहा हो,तो शादी होकर टूट जाती है,यह सब दिमागी भ्रम के कारण होता है।
विवाह का समय ;—–
सप्तम या सप्तम से सम्बन्ध रखने वाले ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा में विवाह होता है।कन्या की कुन्डली में शुक्र से सप्तम और पुरुष की कुन्डली में गुरु से सप्तम की दशा में या अन्तर्दशा में विवाह होता है।सप्तमेश की महादशा में पुरुष के प्रति शुक्र या चन्द्र की अन्तर्दशा में और स्त्री के प्रति गुरु या मंगल की अन्तर्दशा में विवाह होता है।सप्तमेश जिस राशि में हो,उस राशि के स्वामी के त्रिकोण में गुरु के आने पर विवाह होता है।गुरु गोचर से सप्तम में या लगन में या चन्द्र राशि में या चन्द्र राशि के सप्तम में आये तो विवाह होता है।गुरु का गोचर जब सप्तमेश और लगनेश की स्पष्ट राशि के जोड में आये तो विवाह होता है। सप्तमेश जब गोचर से शुक्र की राशि में आये और गुरु से सम्बन्ध बना ले तो विवाह या शारीरिक सम्बन्ध बनता है। सप्तमेश और गुरु का त्रिकोणात्मक सम्पर्क गोचर से शादी करवा देता है,या प्यार प्रेम चालू हो जाता है।चन्द्रमा मन का कारक है,और वह जब बलवान होकर सप्तम भाव या सप्तमेश से सम्बन्ध रखता हो तो चौबीसवें साल तक विवाह करवा ही देता है।
दाम्पत्य-वैवाहिक सुख के उपाय :—-
१॰ यदि जन्म कुण्डली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, द्वादश स्थान स्थित मंगल होने से जातक को मंगली योग होता है इस योग के होने से जातक के विवाह में विलम्ब, विवाहोपरान्त पति-पत्नी में कलह, पति या पत्नी के स्वास्थ्य में क्षीणता, तलाक एवं क्रूर मंगली होने पर जीवन साथी की मृत्यु तक हो सकती है। अतः जातक मंगल व्रत। मंगल मंत्र का जप, घट विवाह आदि करें।
२॰ सप्तम गत शनि स्थित होने से विवाह बाधक होते है। अतः “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मन्त्र का जप ७६००० एवं ७६०० हवन शमी की लकड़ी, घृत, मधु एवं मिश्री से करवा दें।
३॰ राहु या केतु होने से विवाह में बाधा या विवाहोपरान्त कलह होता है। यदि राहु के सप्तम स्थान में हो, तो राहु मन्त्र “ॐ रां राहवे नमः” का ७२००० जप तथा दूर्वा, घृत, मधु व मिश्री से दशांश हवन करवा दें। केतु स्थित हो, तो केतु मन्त्र “ॐ कें केतवे नमः” का २८००० जप तथा कुश, घृत, मधु व मिश्री से दशांश हवन करवा दें।
४॰ सप्तम भावगत सूर्य स्थित होने से पति-पत्नी में अलगाव एवं तलाक पैदा करता है। अतः जातक आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ रविवार से प्रारम्भ करके प्रत्येक दिन करे तथा रविवार कप नमक रहित भोजन करें। सूर्य को प्रतिदिन जल में लाल चन्दन, लाल फूल, अक्षत मिलाकर तीन बार अर्ध्य दें।
५॰ जिस जातक को किसी भी कारणवश विवाह में विलम्ब हो रहा हो, तो नवरात्री में प्रतिपदा से लेकर नवमी तक ४४००० जप निम्न मन्त्र का दुर्गा जी की मूर्ति या चित्र के सम्मुख करें।
“ॐ पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम��।।”
६॰ किसी स्त्री जातिका को अगर किसी कारणवश विवाह में विलम्ब हो रहा हो, तो श्रावण कृष्ण सोमवार से या नवरात्री में गौरी-पूजन करके निम्न मन्त्र का २१००० जप करना चाहिए-
“हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी कान्त कान्तां सुदुर्लभाम।।”
७॰ किसी लड़की के विवाह मे विलम्ब होता है तो नवरात्री के प्रथम दिन शुद्ध प्रतिष्ठित कात्यायनि यन्त्र एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर स्थापित करें एवं यन्त्र का पंचोपचार से पूजन करके निम्न मन्त्र का २१००० जइ लड़की स्वयं या किसी सुयोग्य पंडित से करवा सकते हैं।
“कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नन्दगोप सुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः।।”
८॰ जन्म कुण्डली में सूर्य, शनि, मंगल, राहु एवं केतु आदि पाप ग्रहों के कारण विवाह में विलम्ब हो रहा हो, तो गौरी-शंकर रुद्राक्ष शुद्ध एवं प्राण-प्रतिष्ठित करवा कर निम्न मन्त्र का १००८ बार जप करके पीले धागे के साथ धारण करना चाहिए। गौरी-शंकर रुद्राक्ष सिर्फ जल्द विवाह ही नहीं करता बल्कि विवाहोपरान्त पति-पत्नी के बीच सुखमय स्थिति भी प्रदान करता है।
“ॐ सुभगामै च विद्महे काममालायै धीमहि तन्नो गौरी प्रचोदयात्।।”
९॰ “ॐ गौरी आवे शिव जी व्याहवे (अपना नाम) को विवाह तुरन्त सिद्ध करे, देर न करै, देर होय तो ��िव जी का त्रिशूल पड़े। गुरु गोरखनाथ की दुहाई।।”
उक्त मन्त्र की ११ दिन तक लगातार १ माला रोज जप करें। दीपक और धूप जलाकर ११वें दिन एक मिट्टी के कुल्हड़ का मुंह लाल कपड़े में बांध दें। उस कुल्हड़ पर बाहर की तरफ ७ रोली की बिंदी बनाकर अपने आगे रखें और ऊपर दिये गये मन्त्र की ५ माला जप करें। चुपचाप कुल्हड़ को रात के समय किसी चौराहे पर रख आवें। पीछे मुड़कर न देखें। सारी रुकावट दूर होकर शीघ्र विवाह हो जाता है।
१०॰ जिस लड़की के विवाह में बाधा हो उसे मकान के वायव्य दिशा में सोना चाहिए।
११॰ लड़की के पिता जब जब लड़के वाले के यहाँ विवाह वार्ता के लिए जायें तो लड़की अपनी चोटी खुली रखे। जब तक पिता लौटकर घर न आ जाए तब तक चोटी नहीं बाँधनी चाहिए।
१२॰ लड़की गुरुवार को अपने तकिए के नीचे हल्दी की गांठ पीले वस्त्र में लपेट कर रखे।
१३॰ पीपल की जड़ में लगातार १३ दिन लड़की या लड़का जल चढ़ाए तो शादी की रुकावट दूर हो जाती है।
१४॰ विवाह में अप्रत्याशित विलम्ब हो और जातिकाएँ अपने अहं के कारण अनेल युवकों की स्वीकृति के बाद भी उन्हें अस्वीकार करती रहें तो उसे निम्न मन्त्र का १०८ बार जप प्रत्येक दिन किसी शुभ मुहूर्त्त से प्रारम्भ करके करना चाहिए।
“सिन्दूरपत्रं रजिकामदेहं दिव्ताम्बरं सिन्धुसमोहितांगम् सान्ध्यारुणं धनुः पंकजपुष्पबाणं पंचायुधं भुवन मोहन मोक्षणार्थम क्लैं मन्यथाम।
महाविष्णुस्वरुपाय महाविष्णु पुत्राय महापुरुषाय पतिसुखं मे शीघ���रं देहि देहि।।”
१५॰ किसी भी लड़के या लड़की को विवाह में बाधा आ रही हो यो विघ्नकर्ता गणेशजी की उपासना किसी भी चतुर्थी से प्रारम्भ करके अगले चतुर्थी तक एक मास करना चाहिए। इसके लिए स्फटिक, पारद या पीतल से बने गणेशजी की मूर्ति प्राण-प्रतिष्टित, कांसा की थाली में पश्चिमाभिमुख स्थापित करके स्वयं पूर्व की ओर मुँह करके जल, चन्दन, अक्षत, फूल, दूर्वा, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा करके १०८ बार “ॐ गं गणेशाय नमः” मन्त्र पढ़ते हुए गणेश जी पर १०८ दूर्वा चढ़ायें एवं नैवेद्य में मोतीचूर के दो लड्डू चढ़ायें। पूजा के बाद लड्डू बच्चों में बांट दें।
यह प्रयोग एक मास करना चाहिए। गणेशजी पर चढ़ये गये दूर्वा लड़की के पिता अपने जेब में दायीं तरफ लेकर लड़के के यहाँ विवाह वार्ता के लिए जायें।
१६॰ तुलसी के पौधे की १२ परिक्रमायें तथा अनन्तर दाहिने हाथ से दुग्ध और बायें हाथ से जलधारा तथा सूर्य को बारह बार इस मन्त्र से अर्ध्य दें- “ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्त्र किरणाय मम वांछित देहि-देहि स्वाहा।”
फिर इस मन्त्र का १०८ बार जप करें-
“ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्र प्रिय यामिनि। विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रलाभं च देहि मे।”
१७॰ गुरुवार का व्रत करें एवं बृहस्पति मन्त्र के पाठ की एक माला आवृत्ति केला के पेड़ के नीचे बैठकर करें।
१८॰ कन्या का विवाह हो चुका हो और वह विदा हो रही हो तो एक लोटे में गंगाजल, थोड़ी-सी हल्दी, एक सिक्का डाल कर लड़की के सिर के ऊपर ७ बार घुमाकर उसके आगे फेंक दें। उसका वैवाहिक जीवन सुखी रहेगा।
१९॰ जो माता-पिता यह सोचते हैं कि उनकी पुत्रवधु सुन्दर, सुशील एवं होशियार हो तो उसके लिए वीरवार एवं रविवार के दिन अपने पुत्र के नाखून काटकर रसोई की आग में जला दें।
२० ॰ किसी भी शुक्रवार की रात्रि में स्नान के बाद १०८ बार स्फटिक माला से निम्न मन्त्र का जप करें-
“ॐ ऐं ऐ विवाह बाधा निवारणाय क्रीं क्रीं ॐ फट्।”
२१ ॰ लड़के के शीघ्र विवाह के लिए शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को ७० ग्राम अरवा चावल, ७० सेमी॰ सफेद वस्त्र, ७ मिश्री के टुकड़े, ७ सफेद फूल, ७ छोटी इलायची, ७ सिक्के, ७ श्रीखंड चंदन की टुकड़ी, ७ जनेऊ। इन सबको सफेद वस्त्र में बांधकर विवाहेच्छु व्यक्ति घर के किसी सुरक्षित स्थान में शुक्रवार प्रातः स्नान करके इष्टदेव का ध्यान करके तथा मनोकामना कहकर पोटली को ऐसे स्थान पर रखें जहाँ किसी की दृष्टि न पड़े। यह पोटली ९० दिन तक रखें।
२२ ॰ लड़की के शीघ्र विवाह के लिए ७० ग्राम चने की दाल, ७० से॰मी॰ पीला वस्त्र, ७ पीले रंग में रंगा सिक्का, ७ सुपारी पीला रंग में रंगी, ७ गुड़ की डली, ७ पीले फूल, ७ हल्दी गांठ, ७ पीला जनेऊ- इन सबको पीले वस्त्र में बांधकर विवाहेच्छु जातिका घर के किसी सुरक्षित स्थान में गुरुवार प्रातः स्नान करके इष्टदेव का ध्यान करके तथा मनोकामना कहकर पोटली को ऐसे स्थान पर रखें जहाँ किसी की दृष्टि न पड़े। यह पोटली ९० दिन तक रखें।
२३ ॰ श्रेष्ठ वर की प्राप्ति के लिए बालकाण्ड का पाठ करे।
वास्तु दोष तो नहीं हें कारण आपके विवाह में देरी?
आजकल अनेक अभिभावक अपने बच्चों की शादी-विवाह को लेकर बहुत परेशान-चिंतित रहते हें और पंडितों तथा ज्योतिर्विदों के पास जाकर परामर्श-सलाह लेते रहते है किन्तु क्या कभी आपने सोचा की विवाह में विलंब के कई कारण हो सकते हैं? इनमे से एक मुख्य कारण वास्तु दोष भी हो सकता है। यदि आप भी अपनी संतान के विवाह बाधा देरी की वजह से चिंतित हैं तो इन वास्तु दोषों पर विचार करें-
1- जिन विवाह योग्य युवक-युवतियों का विवाह नहीं हो पा रहा हें उनको उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित कमरे में रहना चाहिए। इससे विवाह के लिए रिश्ते आने लगते हैं।उस कमरे में उन्हें सोते समय अपना सर हमेशा पूर्व दिशा में रखना चाहिए…
2- जिन विवाह योग्य युवक-युवतियों का विवाह नहीं हो पा रहा हें को ऐसे कक्ष में नहीं रहना चाहिए जो अधूरा बना हुआ हो अथवा जिस कक्ष में बीम लटका हुआ दिखाई देता हो।
3- जिन विवाह योग्य युवक-युवतियों का विवाह नहीं हो पा रहा हें तो उनके शयन कक्ष/ कमरे एवं दरवाजा का रंग गुलाबी, हल्का पीला, सफेद(चमकीला) होना चाहिए।
4- जिन विवाह योग्य युवक-युवतियों का विवाह नहीं हो पा रहा हें तो उन्हें विवाह के लिए अपने कमरे में पूर्वोत्तर दिशा में पानी का फव्वारा रखना चाहिए।
5- कई बार ऐसा भी होता की कोई युवक या युवती विवाह के लिए तैयार/राजी नहीं होते हें हो तो उसके कक्ष के उत्तर दिशा की ओर क्रिस्टल बॉल कांच की प्लेट अथवा प्याली में रखनी चाहिए।
नोट ;= जिन युवक-युवतियों का विवाह नहीं हो पा रहा है शादी में बिलम्व हो रहा हैं वो हम से शीघ्र सम्पर्क करें
आचार्य पं.
सतीश कुमार 9210103470, 9555869444
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