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arjunsinghveda · 3 months
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Shivratri 2024 Special: Must-Do 5 Works for the Pleasure of Lord Shiva
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The auspicious festival of Mahashivratri is arriving soon on 08 March 2024. This day is supremely sacred to Lord Shiva and observing a fast and worship on Shivratri 2024 is known to be extremely dear to Him. Here are some special things you can do on this blessed day for the pleasure of Lord Shiva:
1.Chant the Shiva Panchakshara Mantra
The five-syllable mantra “Om Namah Shivaya” is the most beloved by Lord Shiva. Chant this mantra 108 times with devotion and focus on Shivratri 2024 for the contentment of the Divine Lord.
- Chant slowly and pronounce each syllable.
- Use malas or japa beads to easily keep count.
- Set a target like 11, 21, or 108 repetitions.
2.Perform Abhishekam
Abhishekam is the practice of bathing a deity in sacred liquids while chanting mantras. On Shivratri 2024, perform abhishekam on a Shiva lingam at home or in the temple using substances like milk, honey, curd, ghee, sandal paste, and bilva leaves. Offering bilva leaves is said to be especially pleasing to Shiva.
3.Make Bael Leaves Offering
Bilva or bael leaves are extremely sacred to Lord Shiva. Offer three leaves on Shivratri 2024 to please Him. Place one leaf on the Shiva lingam and chant “Om Namah Shivaya”. Place the second leaf while chanting “Om Namah Shivaya” again. Place the third leaf and repeat the mantra a final time. This simple ritual delights Mahadev.
- Pick fresh, unbroken leaves for your offering.
- You can offer just one leaf if three are not available.
4.Fast and Keep Vigil
Observing a fast on Shivratri shows devotion. Eat only fruits and milk before sunset. Stay awake all night chanting, praying, and singing bhajans in Lord Shiva's honor. Staying up vigilantly is a way to show commitment to Mahadev.
- Take the next day off from work or school to rest after staying up all night.
- Share Shiva stories and serve Prasad to others to make the vigil more engaging.
5.Pray at a Shiva Temple
On the night of Shivratri 2024, spend time at a temple dedicated to Lord Shiva. Attend the special puja and celebrations held on this night. Offer prayers, meditate, and take darshan of the Shiva lingam. Seek blessings and inspiration to take your spiritual practice deeper.
By doing these observances on Mahashivratri, we can demonstrate our utmost devotion to Lord Shiva and earn his divine grace. May this Shivratri 2024 bring you peace, fulfillment, and closeness to the eternal Lord.
Har Har Mahadev!
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chaitanyabharatnews · 3 years
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महाशिवरात्रि 2021 : जानिए क्या है शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर
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चैतन्य भारत न्यूज फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा गया है। इस बार यह शिवरात्रि 11 मार्च को है। मान्यता है इस दिन शिव आराधना करने से सालभर की शिव पूजा का फल मिलता है। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने आती है लेकिन महाशिवरात्रि बड़ा पर्व माना जाता है। आइए जानते हैं शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का अंतर। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का अंतर हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि को केवल शिवरात्रि कहा जाता है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाले शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात भगवान शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इसके अलावा कई लोगों का कहना है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की शादी हुई थी। इसलिए महाशिवरात्रि का पर्व जोर-शोर से मनाया जाता है।
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महाशिवरात्रि पर बेल-पत्र चढाने का महत्व पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, सृष्टि को संकट से बचाने के लिए भगवान शिव ने विष पिया था। वह विष इतना घातक था कि शिव का कंठ नीला पड़ गया। उस विष में इतनी गर्मी थी कि उसे पीने से भगवान शिव का मस्तक गर्म हो गया और उनके शरीर में पानी की कमी होने लगी। इसके बाद समस्त देवताओं ने उनके मस्तक पर बेल-पत्र चढ़ाए और जल अर्पित किया क्योंकि बेल-पत्र की तासीर ठंडी होती है और वह शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है। ऐसा करने से शिव को बहुत आराम मिला और वह तुरंत प्रसन्न हो गए। इसके बाद भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महाशिवरात्रि पर उन्हें बेल-पत्र और जल/दूध अर्पित किया जाता है। Read the full article
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chaitanyabharatnews · 3 years
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महाशिवरात्रि पर राशिनुसार करें भोलेनाथ की पूजा-अर्चना, मिलेगा मनचाहा फल
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चैतन्य भारत न्यूज देवाधिदेव महादेव भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने के लिए फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाने की परंपरा हैै। इस साल यह तिथि 11 मार्च गुरूवार को मनाई जाएगी। पौरााणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और पार्वतीजी की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है और उन्हें भांग, धतूरा, बेल पत्र और बेर चढ़ाए जाते हैं। इसी दिन महान शिव और सिद्ध योग भी है। जन्मकुंडली में मंगल और राहू के दोषों से मुक्ति पाने के नजरिेए से, इस वर्ष की महाशिवरात्रि श्रेष्ठ अवसर है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि के दिन अपनी राशि के अनुसार कैसे करें आराधना और पाएं शुभ फल। मेष - गुलाल से शिवजी की पूजा करें साथ में शिवरात्रि के दिन ॐ ममलेश्वाराय नमः मंत्र का जाप करें। वृषभ - दूध से शिवजी का अभिषेक करें और ॐ नागेश्वराय नमः मंत्र का जाप करें। मिथुन- गन्ने के रस से शिवजी का अभिषेक करें और ॐ भुतेश्वरा��� नमः मंत्र का जाप करें। कर्क- पंचामृत से शिवजी का अभिषेक करें और महादेव के द्वादश नाम का स्मरण करें। सिंह- शहद से शिवजी का अभिषेक करें और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। कन्या- शुद्ध जल से शिवजी का अभिषेक करें और शिव चालीसा का पाठ करें। तुला- दही से शिवजी का अभिषेक करें और शांति से शिवाष्टक का पाठ करें। वृश्चिक- दूध और घी से शिवजी का अभिषेक करें और ॐ अन्गारेश्वराय नमः मंत्र का जाप करें। धनु- दूध से शिवजी का अभिषेक करें और ॐ समेश्वरायनमः मंत्र का जाप करें। मकर- अनार से शिवजी का अभिषेक करें और शिव सहस्त्रनाम का उच्चारण करें। कुम्भ- दूध, दही, शक्कर, घी, शहद सभी से अलग अलग शिवजी का अभिषेक करें और ॐ शिवाय नमः मंत्र का जाप करें। मीन- ऋतुफल(जो मौसम का ख़ास फल हों) से शिवजी का अभिषेक करें और ॐ भामेश्वराय नमः मंत्र का जाप करें। Read the full article
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chaitanyabharatnews · 3 years
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महाशिवरात्रि 2021: भगवान शिव ने माता पार्वती को बताए थे ये 4 रहस्य, खुशहाल जीवन जीने के लिए आप भी जानें
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चैतन्य भारत न्यूज फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा गया है। इस बार यह शिवरात्रि 11 मार्च को है। मान्यता है इस दिन शिव आराधना करने से सालभर की शिव पूजा का फल मिलता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान शिव के उन रहस्यों के बारे में जो उन्होंने माता पार्वती के साथ साझा थे। भगवान शिव ने पार्वती माता को जो पाठ पढ़ाए, वे मानव जीवन, परिवार, और शादीशुदा जिंदगी के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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सबसे बड़ा गुण और पाप भगवान शिव से एक बार माता पार्वती ने पूछा कि मानव का सबसे बड़ा गुण क्या है? मानव सबसे बड़ा पाप कौन सा करता है? भगवान शिव ने इसका उत्तर दिया कि, इस दुनिया में सबसे बड़ा पाप बेईमानी और धोखा करना है। धोखा इस दुनिया का सबसे बड़ा पाप है जो मानव करता है। मानव को अपनी जिंदगी में हमेशा ईमानदार रहना चाहिए।
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कभी भी ये इन तीन काम न करें भगवान शिव ने पार्वती को बताया कि किसी भी मनुष्य को वाणी, कर्मों और विचार के माध्यम से पाप नहीं करने चाहिए। यानी पापपूर्ण कर्म नहीं करने चाहिए और विचारों और वाणी में भी अशुद्धता नहीं होनी चाहिए। मनुष्य वही काटता है जो वह बोता है। इसलिए हमेशा व्यक्ति को अपने कर्मों के प्रति सतर्क रहना चाहिए।
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सफलता का एक मंत्र भगवान शिव ने बताया कि, मोह ही सभी समस्याओं की जड़ है। मोह-माया सफलता के रास्ते में बाधा उत्पन्न करती है। जब आप दुनिया की सभी तरह की मोह-मायाओं से मुक्त हो जाते हैं तो आपको अपनी जिंदगी में सफलता प्राप्त करने से कोई रोक नहीं हो सकता है।
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खुद का मूल्यांकन जरूरी है भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया कि, मानव को परिश्रम करने के साथ खुद का मूल्यांकन करते रहना चाहिए। मानव को हमेशा अपने कृत्यों और व्यवहार पर खुद ही नजर रखनी चाहिए। किसी भी मनुष्य को ऐसे कामों में लिप्त नहीं होना चाहिए जो नैतिक रूप से गलत हो। Read the full article
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chaitanyabharatnews · 3 years
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महाशिवरात्रि 2021 : इस बार महाशिवरात्रि पर पंचक, इस दौरान ये कार्य बिलकुल भी ना करें
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चैतन्य भारत न्यूज भगवान आशुतोष यानी महादेव को प्रसन्न करने के लिए फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाने की परंपरा हैै। इस साल यह तिथि 11 मार्च गुरूवार को मनाई जाएगी। महत्वपूर्ण बात ये है कि इस बार महाशिवरात्रि के दिन पंचक लग रहे हैं। पंचक में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है। कब से कब तक लगेगा पंचक? हिन्दू पंचांग के अनुसार, पंचक 11 मार्च को सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 16 मार्च की सुबह 4 बजकर 44 मिनट तक रहेंगे। पंचक के दौरान इन बातों का रखें ध्यान पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्यों को करना वर्जित माना जाता है। पंचक के दौरान लकड़ी इकठ्ठी करना, चारपाई खरीदना या बनवाना, घर की छत बनवाना एवं दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना अशुभ माना जाता है। इन कामों को छोड़कर आप कोई भी काम कर सकते हैं। वह शुभ माना जाता है। पंचक के प्रकार  रोग पंचक - रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है। राज पंचक - सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है ये पंचक शुभ माना जाता है। अग्नि पंचक - मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। चोर पंचक - शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के लेन-देन से बचना चाहिए। बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक सभी तरह के कार्य कर सकते हैं यहाँ तक कि सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। Read the full article
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chaitanyabharatnews · 3 years
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इस महाशिवरात्रि पर बन रहे हैं दो महान योग, शिव साधना से पूरी होगी समस्त मनोकामनाएं
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चैतन्य भारत न्यूज देवाधिदेव महादेव भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने के लिए फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाने की परंपरा हैै। इस साल यह तिथि 11 मार्च गुरूवार को मनाई जाएगी। पौरााणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और पार्वतीजी की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है और उन्हें भांग, धतूरा, बेल पत्र और बेर चढ़ाए जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि दो महान योगों में मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि का महत्व शिवपुराण के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है। दरअसल महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं। महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए तभी इसका फल मिलता है। इस दिन का प्रत्येक घड़ी-पहर परम शुभ रहता है। कुवांरी कन्याओं को इस दिन व्रत करने से मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों का वैधव्य दोष भी नष्ट हो जाता है। सिद्धयोग और शिवयोग सिद्धयोग और शिवयोग को बेहद महत्वपूर्ण और प्रभावी योग माना जाता है। इस शुभ योग के दौरान जो व्यक्ति साधना और शुभ संकल्प लेता है उसके कार्य अवश्य सफल और पूर्ण होते हैं। शिव साधना में इन योगों से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त महाशिवरात्रि तिथि- 11 मार्च 2021 (बृहस्पतिवार) चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 11 मार्च 2021 को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 मार्च 2021 को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट तक शिवरात्रि पारण समय: 12 मार्च की सुबह 6 बजकर 34 मिनट से शाम 3 बजकर 2 मिनट तक Read the full article
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chaitanyabharatnews · 3 years
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शिव-पार्वती के मिलन का पर्व महाशिवरात्रि आज, भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से करें पूजा
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चैतन्य भारत न्यूज आज महाशिवरात्रि का पर्व है। भगवान शिव और माता पार्वती की इस दिन विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ पार्वती की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि का महत्व और पूजन विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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महाशिवरात्रि का महत्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस दिन को शिव भक्त बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन व्रत रखने से कई व्रतों के बराबर पुण्य प्राप्त होने की मान्यता है। इसलिए इस व्रत को व्रतों का राजा कहा गया है। कहा जाता है महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ माता पार्वती की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। शास्त्रों के मुताबिक, महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।
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महाशिवरात्रि पूजा-विधि इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव को चदंन लगाएं और उन्हें फूल, बेलपत्र, भांग, बेर आदि सभी चीजें शिवलिंग पर अर्पित करें। जलाभिषेक करते समय लगातार ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। इसके बाद वहीं शिवलिंग के आगे धूप व दीप जलाएं और उनकी आरती करें। भगवान शिव की आरती करने के बाद वहीं बैठकर शिव स्तुति आवश्य करें। आप चाहें तो शिव तांडव स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। पूजा के बाद महाशिवरात्रि के दिन गरीबों में दान का काफी महत्व है। अपनी इच्छानुसार दान करें। Read the full article
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chaitanyabharatnews · 3 years
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महाशिवरात्रि 2021 : इस बार महाशिवरात्रि पर पंचक, इस दौरान ये कार्य बिलकुल भी ना करें
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चैतन्य भारत न्यूज भगवान आशुतोष यानी महादेव को प्रसन्न करने के लिए फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाने की परंपरा हैै। इस साल यह तिथि 11 मार्च गुरूवार को मनाई जाएगी। महत्वपूर्ण बात ये है कि इस बार महाशिवरात्रि के दिन पंचक लग रहे हैं। पंचक में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है। कब से कब तक लगेगा पंचक? हिन्दू पंचांग के अनुसार, पंचक 11 मार्च को सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 16 मार्च की सुबह 4 बजकर 44 मिनट तक रहेंगे। पंचक के दौरान इन बातों का रखें ध्यान पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्यों को करना वर्जित माना जाता है। पंचक के दौरान लकड़ी इकठ्ठी करना, चारपाई खरीदना या बनवाना, घर की छत बनवाना एवं दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना अशुभ माना जाता है। इन कामों को छोड़कर आप कोई भी काम कर सकते हैं। वह शुभ माना जाता है। पंचक के प्रकार  रोग पंचक - रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है। राज पंचक - सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है ये पंचक शुभ माना जाता है। अग्नि पंचक - मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। चोर पंचक - शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के लेन-देन से बचना चाहिए। बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक सभी तरह के कार्य कर सकते हैं यहाँ तक कि सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। Read the full article
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chaitanyabharatnews · 3 years
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इस महाशिवरात्रि पर बन रहे हैं दो महान योग, शिव साधना से पूरी होगी समस्त मनोकामनाएं
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चैतन्य भारत न्यूज देवाधिदेव महादेव भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने के लिए फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाने की परंपरा हैै। इस साल यह तिथि 11 मार्च गुरूवार को मनाई जाएगी। पौरााणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और पार्वतीजी की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है और उन्हें भांग, धतूरा, बेल पत्र और बेर चढ़ाए जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि दो महान योगों में मनाई जाएगी। ��हाशिवरात्रि का महत्व शिवपुराण के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण ��क्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है। दरअसल महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं। महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए तभी इसका फल मिलता है। इस दिन का प्रत्येक घड़ी-पहर परम शुभ रहता है। कुवांरी कन्याओं को इस दिन व्रत करने से मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों का वैधव्य दोष भी नष्ट हो जाता है। सिद्धयोग और शिवयोग सिद्धयोग और शिवयोग को बेहद महत्वपूर्ण और प्रभावी योग माना जाता है। इस शुभ योग के दौरान जो व्यक्ति साधना और शुभ संकल्प लेता है उसके कार्य अवश्य सफल और पूर्ण होते हैं। शिव साधना में इन योगों से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त महाशिवरात्रि तिथि- 11 मार्च 2021 (बृहस्पतिवार) चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 11 मार्च 2021 को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 मार्च 2021 को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट तक शिवरात्रि पारण समय: 12 मार्च की सुबह 6 बजकर 34 मिनट से शाम 3 बजकर 2 मिनट तक Read the full article
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chaitanyabharatnews · 3 years
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शिव-पार्वती के मिलन का पर्व महाशिवरात्रि आज, भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से करें पूजा
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चैतन्य भारत न्यूज आज महाशिवरात्रि का पर्व है। भगवान शिव और माता पार्वती की इस दिन विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ पार्वती की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि का महत्व और पूजन विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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महाशिवरात्रि का महत्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस दिन को शिव भक्त बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन व्रत रखने से कई व्रतों के बराबर पुण्य प्राप्त होने की मान्यता है। इसलिए इस व्रत को व्रतों का राजा कहा गया है। कहा जाता है महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ माता पार्वती की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। शास्त्रों के मुताबिक, महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।
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महाशिवरात्रि पूजा-विधि इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव को चदंन लगाएं और उन्हें फूल, बेलपत्र, भांग, बेर आदि सभी चीजें शिवलिंग पर अर्पित करें। जलाभिषेक करते समय लगातार ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। इसके बाद वहीं शिवलिंग के आगे धूप व दीप जलाएं और उनकी आरती करें। भगवान शिव की आरती करने के बाद वहीं बैठकर शिव स्तुति आवश्य करें। आप चाहें तो शिव तांडव स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। पूजा के बाद महाशिवरात्रि के दिन गरीबों में दान का काफी महत्व है। अपनी इच्छानुसार दान करें। Read the full article
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chaitanyabharatnews · 3 years
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महाशिवरात्रि 2021 : इस बार महाशिवरात्रि पर पंचक, इस दौरान ये कार्य बिलकुल भी ना करें
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चैतन्य भारत न्यूज भगवान आशुतोष यानी महादेव को प्रसन्न करने के लिए फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाने की परंपरा हैै। इस साल यह तिथि 11 मार्च गुरूवार को मनाई जाएगी। महत्वपूर्ण बात ये है कि इस बार महाशिवरात्रि के दिन पंचक लग रहे हैं। पंचक में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है। कब से कब तक लगेगा पंचक? हिन्दू पंचांग के अनुसार, पंचक 11 मार्च को सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 16 मार्च की सुबह 4 बजकर 44 मिनट तक रहेंगे। पंचक के दौरान इन बातों का रखें ध्यान पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्यों को करना वर्जित माना जाता है। पंचक के दौरान लकड़ी इकठ्ठी करना, चारपाई खरीदना या बनवाना, घर की छत बनवाना एवं दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना अशुभ माना जाता है। इन कामों को छोड़कर आप कोई भी काम कर सकते हैं। वह शुभ माना जाता है। पंचक के प्रकार  रोग पंचक - रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है। राज पंचक - सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है ये पंचक शुभ माना जाता है। अग्नि पंचक - मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। चोर पंचक - शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के लेन-देन से बचना चाहिए। बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक सभी तरह के कार्य कर सकते हैं यहाँ तक कि सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। Read the full article
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chaitanyabharatnews · 4 years
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महाशिवरात्रि 2020: चक्की की तरह चारों तरफ घूमता है यह अनोखा शिवलिंग, 1100 साल पुराना है मंदिर
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चैतन्य भारत न्यूज श्योपुर. ज्यादातर शिव मंदिरों में शिवलिंग की जलहरी उत्तर की ओर रखी जाती है। किसी-किसी मंदिर में शिवलिंग की दिशा दक्षिण भी होती है। आज महाशिवरात्रि के इस खास मौके पर हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां भक्त अपनी सहूलियत से शिवलिंग को किसी भी दिशा में घुमा सकते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); इस मंदिर का नाम है गोविंदेश्वर महादेव, जो मध्य प्रदेश के श्योपुर के छारबाग मोहल्ले में स्थित अष्टफलक की छत्री में है। यह देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां शिवलिंग अपनी धुरी पर चक्की की तरह 360 डिग्री तक घूम जाता है। श्रद्धालु अपनी इच्छा के मुताबिक शिवलिंग की जलहरी को दिशा देकर भोलेनाथ को रिझाते हैं। श्रद्धालु इस मंदिर में शिवलिंग को घुमाकर मन्नत मांगते हैं। चारों दिशाओं में घूमने वाले इस शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा श्योपुर के गौड़ वंशीय राजा पुरुषोत्तम दास ने सन् 1722 में करवाई थी। इस मंदिर में लगे शिलापट्ट पर भी इसका उल्लेख है। पहले यह शिवलिंग सोलापुर महाराष्ट्र में बाम्बेश्वर महादेव के रूप में स्थापित था। लेकिन फिर गौड़ ने शिवनगरी के रूप में शिवपुर (अब श्योपुर) नगर बसाया और यहां शिवलिंग स्थापित किया। गोविंदेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित मोहन बिहारी शास्त्री ने बताया कि, शिवलिंग का मुख हमेशा नंदी की प्रतिमा की तरफ रहता है। कोई भी भक्त शिवलिंग घुमाकर दिशा में बदलाव कर सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ��ोविंदेश्वर दक्षिणमुखी शिवलिंग की पूजा सबसे पहले पांडवों ने की थी। गोविंदेश्वर मंदिर करीब 1100 साल पुराना है। लेकिन इस घूमाने वाले शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा 300 साल पहले हुई है। ये भी पढ़े.... महाशिवरात्रि 2020: इस अनोखे मंदिर में एक शिवलिंग में होते हैं 1008 शिवलिंग के दर्शन महाशिवरात्रि 2020: हजारों साल पुराने इस मंदिर में साल में एक बार पाषाण शिवलिंग के होते है दर्शन महाशिवरात्रि 2020 : एकमात्र मंदिर जहां स्थापित हैं सैंकड़ों शिवलिंग, दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामना Read the full article
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chaitanyabharatnews · 4 years
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महाशिवरात्रि 2020 : पचमढ़ी में भगवान शिव का अनोखा मंदिर, यहां श्रद्धालु चढ़ाते हैं दो क्विंटल तक के त्रिशूल
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चैतन्य भारत न्यूज 21 फरवरी यानी शुक्रवार को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इस खास अवसर पर हम आपको आज भोलेनाथ के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां मन्न्त पूरी होने पर श्रद्धालु यहां दो क्विंटल तक वजनी त्रिशूल भेंट करते हैं। आइए जानते हैं महादेव के इस अनोखे मंदिर के बारे में। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले की पिपरिया तहसील में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में स्थित चौरागढ़ मंदिर है, जिसे नागलोक का मार्ग या नागद्वार के नाम से भी जाना जाता है। खास बात यह है कि, साल में सिर्फ एक बार ही नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का मौका मिलता है। यहां हर साल महाशिवरात्रि पर एक मेला लगता है जिसमें भाग लेने के लिए लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं। नागद्वार के अंदर चिंतामणि नाम की एक गुफा भी है जो 100 फीट लंबी है। इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं। मन्न्त पूरी होने पर श्रद्धालु यहां महाशिवरात्रि पर एक इंच आकार से लेकर दो क्विंटल तक वजनी त्रिशूल भेंट करने आते हैं। करीब 200 साल से यहां महाशिवरात्रि पर आठ दिनी मेला लगने की परंपरा जारी है।
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महाराष्ट्र से आते हैं सबसे ज्यादा श्रद्धालु मेले में मध्यप्रदेश के अनेक जिलों के अलावा महाराष्ट्र, छतीसगढ़, गुजरात और राजस्थान से यहां श्रद्धालु आते हैं। चौरागढ़ मेला के नोडल अधिकारी जिला पंचायत सीईओ आदित्य सिंह का कहना है कि महाशिवरात्रि पर सबसे ज्यादा यहां महाराष्ट्र के लोग आते हैं। इस साल एक लाख से ज्यादा त्रिशूल भेंट होने का अनुमान है। यहां की प्रमुख कथाएं चौरागढ़ महादेव की मान्यता को लेकर अनेक कथाएं हैं। महादेव मंदिर के पुजारी बाबा गरीबदास के मुताबिक, एक कथा यह है कि भस्मासुर को वरदान देने के बाद भगवान शिव ने यहां निवास किया था। यहां का पूरा आदिवासी समाज शिवजी को बड़ादेव के रूप में पूजता है। वहीं दूसरी कथा है कि माता पार्वती ने महाराष्ट्र में एक बार मैना गोंड़नी का रूप धारण किया था। इस कारण महाराष्ट्र के लोग माता पार्वती को बहन और शिवजी को बहनोई मानकर यहां पूजन करने महाशिवरात्रि पर आते हैं। जबकि तीसरी कथा यह है कि यहां के तपस्वी चौरा बाबा को महादेव ने दर्शन देकर उन्हें चौरागढ़ के नाम से अमर होने और श्रद्धालुओं की मन्न्त पूरी करने का आशीर्वाद दिया था।
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ऐसे पहुंचें चौरागढ़ चौरागढ़ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में है। यहां पचमढ़ी से 10 किमी तक वाहन जाता है। इसके बाद चार किमी पैदल रास्ता है। फिर 325 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर पहुंचते हैं। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन पिपरिया है। पचमढ़ी तक सड़क मार्ग भोपाल, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, बैतूल, जबलपुर, नागपुर से जुड़ा हुआ है। ये भी पढ़े... महाशिवरात्रि 2020: हजारों साल पुराने इस मंदिर में साल में एक बार पाषाण शिवलिंग के होते है दर्शन महाशिवरात्रि 2020: भगवान शिव ने माता पार्वती को बताए थे ये 4 रहस्य, खुशहाल जीवन जीने के लिए आप भी जानें महाशिवरात्रि 2020: आखिर क्यों महाशिवरात्रि को कहा जाता है सिद्धि रात्रि? शिव की पूजा से होते हैं दोषमुक्त महाशिवरात्रि 2020 : उज्जैन के राजा हैं महादेव तो रूद्र के रूप हैं काशी के कोतवाल Read the full article
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chaitanyabharatnews · 4 years
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महाशिवरात्रि 2020 : इसलिए भगवान शिव पर चढ़ाए जाते हैं बेल-पत्र, जानिए क्या है शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर
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चैतन्य भारत न्यूज फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा गया है। इस बार यह शिवरात्रि 21 फरवरी दिन शुक्रवार को है। मान्यता है इस दिन शिव आराधना करने से सालभर की शिव पूजा का फल मिलता है। इस दिन भगवान शिव को बेल-पत्र चढाने का भी काफी महत्व है। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने आती है लेकिन महाशिवरात्रि बड़ा पर्व माना जाता है। आइए जानते हैं शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का अंतर और शिव को क्यों चढ़ाए बेल-पत्र। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का अंतर हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि को केवल शिवरात्रि कहा जाता है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाले शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात भगवान शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इसके अलावा कई लोगों का कहना है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की शादी हुई थी। इसलिए महाशिवरात्रि का पर्व जोर-शोर से मनाया जाता है।
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महाशिवरात्रि पर बेल-पत्र चढाने का महत्व पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, सृष्टि को संकट से बचाने के लिए भगवान शिव ने विष पिया था। वह विष इतना घातक था कि शिव का कंठ नीला पड़ गया। उस विष में इतनी गर्मी थी कि उसे पीने से भगवान शिव का मस्तक गर्म हो गया और उनके शरीर में पानी की कमी होने लगी। इसके बाद समस्त देवताओं ने उनके मस्तक पर बेल-पत्र चढ़ाए और जल अर्पित किया क्योंकि बेल-पत्र की तासीर ठंडी होती है और वह शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है। ऐसा करने से शिव को बहुत आराम मिला और वह तुरंत प्रसन्न हो गए। इसके बाद भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महाशिवरात्रि पर उन्हें बेल-पत्र और जल/दूध अर्पित किया जाता है। ये भी पढ़े... 21 फरवरी को है महाशिवरात्रि, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से करें आराधना महाशिवरात्रि 2020 : पाकिस्तान में है सबसे रहस्यमयी शिव मंदिर, यहां सती की याद में भगवान शिव ने बहाए थे आंसू महाशिवरात्रि 2020 : एकमात्र मंदिर जहां स्थापित हैं सैंकड़ों शिवलिंग, दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामना Read the full article
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chaitanyabharatnews · 4 years
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महाशिवरात्रि 2020: इस अनोखे मंदिर में एक शिवलिंग में होते हैं 1008 शिवलिंग के दर्शन
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चैतन्य भारत न्यूज बड़वानी. इस बार 21 फरवरी यानी शुक्रवार को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इस खास अवसर पर हम आपको आज भोलेनाथ के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां एक ही शिवलिंग पर छोटे-छोटे 1008 शिवलिंग बने हुए हैं। जी हां... देशभर से श्रद्धालु इस अनोखे शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); 1100 साल पुराना शिवलिंग भोलेनाथ का यह अनोखा व अतिप्राचीन शिवलिंग मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के निवाली के समीप ग्राम वझर में है। शिवलिंग की ऊंचाई करीब साढ़े तीन फीट है। कहा जाता है कि इस अनोखे शिवलिंग के दर्शन-पूजन से 1008 शिवलिंग की पूजा का पुण्य एकसाथ मिल जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक, भोलेनाथ का यह शिवलिंग परमारकालीन राजाओं द्वारा बनवाया गया है। लिहाजा यह 1100 साल से भी ज्यादा पुरानी है। अच्छे से नहीं हो रहा रखरखाव काले पत्थर पर बने एक शिवलिंग पर बड़ी-ही नाजुकता और सफाई से 1008 शिवलिंगों को उकेरा गया है। हालांकि, इस अति महत्वपूर्ण प्राचीन शिवलिंग का रखरखाव अच्छे से नहीं हो रहा है। शिवलिंग को एक पेड़ के नीचे स्थापित किया गया है। पास ही नंदी भगवान की भी एक विशाल प्रतिमा रखी गई है। अन्य देवताओं की प्रतिमा भी विराजित मंदिर परिसर में न सिर्फ 1008 मुख वाला शिवलिंग बल्कि और भी कई देवताओं की प्रतिमा विराजित है। साथ ही यहां जैन प्रभु की प्रतिमाएं भी हैं। उचित रख-रखाव के अभाव के कारण यहां से कुछ प्रतिमाओं को केंद्रीय संग्रहालय इंदौर व अन्य स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। वर्षभर जलमग्न रहता है शिवलिंग वझर में स्थित 1008 शिवलिंग वाले मंदिर के अलावा यहां से 3 किमी दूर ग्राम फुलज्वारी में भी एक प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर गर्भगृह में है। जानकारी के मुताबिक, गर्भगृह में स्थापित यह शिवलिंग सालभर जलमग्न रहता है। वर्त्तमान में भी मंदिर के गर्भगृह में छह इंच से अधिक पानी भरा हुआ मिला। इस मंदिर के आसपास भी कई खंडित प्राचीन प्रतिमाएं रखी हुई हैं। ये भी पढ़े... महाशिवरात्रि 2020: आखिर क्यों महाशिवरात्रि को कहा जाता है सिद्धि रात्रि? शिव की पूजा से होते हैं दोषमुक्त महाशिवरात्रि 2020 : उज्जैन के राजा हैं महादेव तो रूद्र के रूप हैं काशी के कोतवाल महाशिवरात्रि 2020 : पाकिस्तान में है सबसे रहस्यमयी शिव मंदिर, यहां सती की याद में भगवान शिव ने बहाए थे आंसू Read the full article
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chaitanyabharatnews · 4 years
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महाशिवरात्रि पर आधी शताब्दी पहले महाकाल के पूजन का समय बताती थी जल घड़ी
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चैतन्य भारत न्यूज उज्जैन. मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित कालो के काल महाकाल मंदिर का पौराणिक ग्रंथों में काफी सुंदर वर्णन मिलता है। महाशिवरात्रि के पर्व पर मंदिर में भक्तों का तांता लगा कहता है। जानकारी के मुताबिक, करीब आधी शताब्दी पहले महाशिवरात्रि के अवसर पर बाबा महाकाल के चारों प्रहर की पूजा का समय जल घड़ी तय करती थी। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); मंदिर के सभा मंडप में जल घड़ी द्वारा समय की गणना करने वाले जानकर को बैठाया जाता था। जानकर घटी, पल के अनुसार समय निर्धारित कर पुजारियों को जानकारी देते थे। प्रसिद्ध ज्योतिर्विद पं। आनंदशंकर व्यास के मुताबिक, करीब 50 साल पहले मंदिर में घड़ी नहीं हुआ करती थी। उस समय महाशिवरात्रि की पूजा के लिए स्टेट द्वारा जल घड़ी का इंतजाम किया जाता था। घटी के अनुसार समय की गणना कर जल विशेषज्ञ घंटा बजाकर इसकी सूचना देते थे।
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ढाई घटी बराबर एक घंटा  पं. आनंदशंकर व्यास के मुताबिक, एक घटी 24 मिनट की होती है। यानी ढाई घटी एक घंटे और साठ घटी का दिन रात होता है। इसी के आधार पर एक घंटा पूरा होने पर घंटा बजाया जाता था। इसके अनुसार ही पुजारी महाअभिषेक पूजन का क्रम निर्धारित करते थे। बता दें महाशिवरात्रि पर महाकाल मंदिर में चार प्रहर की पूजा होती है। दोपहर 12 बजे स्टेट द्वारा (वर्तमान में तहसील की ओर से होने वाली पूजा) पूजा की जाती है। फिर शाम को 4 बजे सिंधिया व होलकर राजवंश द्वारा पूजन होता है। इसके बाद रात 11 बजे महानिशाकाल के पूजन की शुरुआत होती है। अगले दिन सुबह तड़के 4 बजे भगवान को सप्तधान अर्पित कर सवामन फूल व फलों का सेहरा सजाया जाता है। तपेले में पानी भरकर बनाई जाती थी जल घड़ी जल घड़ी बनाने की अलग ही कला होती थी। इसके लिए सबसे पहले एक बड़े तपेले में पानी भरा जाता था। फिर उसमे एक कटोरा डाला जाता था और उसके नीचे छिद्र होता था। इस छिद्र के जरिए पानी कटोरे में भरने लग जाता है। उसी से समय की गणना की जाती है। Read the full article
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