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#क्या कहती है आज मेरी राशि
xmtnews · 2 years
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आज का राशिफल
अंक ज्योतिष की गणना में किसी व्यक्ति का मूलांक उस व्यक्ति की तारीख का योग होता है। उदाहरण के लिए समझिए यदि किसी व्यक्ति का जन्म 23 अप्रैल को हुआ है तो उसकी जन्म तारीख के अंकों का योग 2+3=5 आता है। यानि 5 उस व्यक्ति का मूलांक कहा जाएगा। अगर किसी की जन्मतिथि दो अंकों यानि 11 है तो उसका मूलांक 1+1= 2 होगा। वहीं जन्म तिथि, जन्म माह और जन्म वर्ष का कुल योग भाग्यांक कहलाता है। जैसे अगर किसी का जन्म…
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दूरियाँ नजदीकियां बन गई अजब इत्तफाक है
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एक डगर पे मिले है,हम तुम दो हमसाये
शंकरजयकिशन ने सदा देवानन्द के लिए मोहम्मद रफी की आवाज का उपयोग किया किन्तु फिल्म दुनियाँ एक अपवाद है जहां उन्होंने किशोरकुमार की आवाज को देवानन्द पर प्रयोग किया। शंकरजयकिशन गीत की आत्मा के अनुरूप ही गायक का चयन करते थे,इसके लिए वह किसी का भी हस्तक्षेप बर्दाश्त नही करते थे।फ़िल्म दुनियाँ का हसरत जयपुरी का लिखा यह एक युगल गीत था जिसमे किशोर कुमार का साथ आशा भोसले ने दिया था। यह किशोरकुमार व आशा भोसले का बेहतरीन युगल गीत कहा जा सकता है।शंकरजयकिशन आवाजों का बेहतरीन उपयोग करने में दक्ष थे।खूबसूरत वादियों में शांत झील को जैसे ही शंकरजयकिशन का संगीत स्पर्श करता है तो झील का नीर गोलाकार आकृति में जल तरंग के संगीत के साथ धीमे धीमे विस्तार पाने लगता है और दूर से एक प्रेमी की आवाज वादियों में गूँजने लगती है...
दूरियाँ नजदीकियां बन गई अजब इत्तफाक है
तो प्रत्युत्तर में प्रेमिका कहती है..
कह डाली किंतनी बाते अनकही अजब इत्तेफाक है..ओर जैसे ही मुखड़ा खत्म होता है सुदूर वादियों में शंकरजयकिशन का बेहतरीन सैक्सोफोन का संगीत अन्य वाद्यों के साथ गुंजयमान होने लगता है जो फ़िल्म देख रहे दर्शकों अथवा श्रोताओं को प्रकृति के सौंदर्य से परिचित कराने लगता है और अकार्डियन बजकर जैसे ही शान्त होता है गीत का शब्द जादू अपनी जादूगरी प्रकट करने लगता है।
ऐसी मिली दो निगाहे मिलती हो जैसे दो राहे
जागी ये उल्फत पुरानी गानी लगी है फिजाये
प्यार की शहनाइयां बज गई अजब इत्तफाक है
निसंदेह यह हसरत जयपुरी के बेहतरीन शब्द है जिन्हें शंकरजयकिशन अपनी शहनाइयों से सजा रहे है।इस गीत का जितना खूबसूरत संगीत है उतना ही उत्तम इसका बेहतरीन फिल्मांकन,देवानंद व वैजयंतीमाला की अदाएं देखती ही बनती है।
एक डगर पे मिले है हम तुम दो हमसाये
ऐसा लगा तुमसे मिलकर दिन बचपन के आये
वादियां उम्मीद की सज गई अजब इत्तफाक है...
उपरोक्त तीनो पंक्तियाँ शंकरजयकिशन जी के मिलने की कहानी को बयां करती है!वास्तव में यह अजीब सा ही इत्तफाक था कि विभिन्न परिवेश के दो हमसाये एक आंध्र प्रदेश से एक गुजरात से आकर क्या खूब मिले की समूचे हिंदुस्तान में ही नही अपितु सम्पूर्ण विश्व मे संगीत की वादियाँ सज गई जहाँ से आज भी उनका संगीत हम सभी को संगीत की शीतल बयार दे रहा है और देता रहेगा,यह वास्तव में अजब इत्तफाक है।
शब्दो मे संसार बसा है,प्यार बसा है,शब्द ही ब्रह्म है।शब्द में ही अहसास है,कितने खूबसूरत गीत पहले लिखे जाते थे जिनका आज के गीतों में चिन्ह तक नही मिलता?
पहले कभी अजनबी थे,अब तो मेरी ज़िन्दगी हो
सपनो में देखा था जिसको साथी पुराने तुम्ही हो
वादियाँ अरमा��� की सज गई अजब इत्तेफाक है...
इस गीत में वादियों तथा इत्तेफाक का बेहतरीन मिश्रण किया गया है,यह गीत एक प्रकार से शंकरजयकिशन की कहानी को भी जाने अनजाने परिभाषित कर जाता है।किशोर कुमार व आशा भोसले ने इस गीत को अपना सम्पूर्ण दिया है,बहुत ही माधुर्य से भरे स्वर जो प्यार की वादियों की शीतलता में सांसो की गरमाहट का अहसास कराते है।
शंकरजयकिशन एक दुर्लभ उपस्थिति है।उनकी उपस्थिति ऐसी है जैसे फूलों की दुर्लभ घाँटी के भीतर से बहकर जाता हुआ कोई झरना फूलों से लदकर स्वयं फूलों की प्रवाहमान नदी बनकर बहे, जैसे चंपा के विस्तृत बगीचे से बहकर जाता हुआ मंद समीरण अपनी सुवास-राशि से हमारे मन-प्राण को उन्मुक्त कर दे,जैसे किसी वन-प्रांतर में बहती चौड़े पाट वाली नदी पर पूनम की चांदनी बरसे और बरसती ही चली जाय।जहां भी शंकरजयकिशन की उपस्थिति होती है वहाँ उनके संगीत का साम्रराज्य स्वतः स्थापित हो जाता है!कोई स्वीकारे अथवा नही किन्तु प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नही होती।
फ़िल्म #दुनियाँ का यह गीत उन्ही प्रमाणों में से एक है।
by Shyam Shanker Sharma
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Jaipur,Rajasthan.
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ashokgehlotofficial · 6 years
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मुझे बहुत ही ख़ुशी हो रही है आप सबको यहाँ पर देखकर के ये नजारा जो दिख रहा है इस हॉल के अंदर ये अपने आप में एक बहुत बड़ा सन्देश देता है प्रदेश को और देश को भी और इसके लिए मैं प्रमोद जैन भाया जी को बधाई देता हूँ कि जिन्होंने आगे बढ़कर के आप सबको याद किया व्यक्तिगत रूप से रूचि लेकर के इस प्रोग्राम को आयोजित किया गया और यही कारण है कि आप लोग इतनी बड़ी तादाद में आने में आप लोग तैयार ही नहीं हुए बल्कि आना स्वीकार किया। आपको विश्वास था कि जब हम लोग पिछली बार सरकार में थे मेरे मुख्यमंत्री काल में आप में से कई साधू-संत आये थे और गौशालाओ को कैसे अनुदान मिले, गौवंश का कैसे संरक्षण हो इस बारे में मुझ से चर्चा करी थी। पथमेड़ा के महाराज साहब दशानंद जी महाराज साहब तो कहते ही रहते थे उसके अलावा भी जिस रूप में मैंने देखा है विभिन्न गौशालाओ में जो लोग सेवा करते है मैंने जिन्दगी में अनुभव किया की वो गौ माता को मानकर के जो हमारे संस्कार है, संस्कृति है, पुरानी परम्पराएँ है गौमाता है हमारे जीवन में स्थान है उसको अपने आप को समर्पित करके सेवा करते हैं, ताजीवन सेवा करते है और गौमाता का जो स्थान हमारे दिलों में हैं वो देश और पूरी दुनियां जानती है आप जो ये सेवा का काम करते है इसके लिए मैं अपनी और से आप सबकी और से मैं आपको साधुवाद देता हूँ, बधाई देता हूँ और आपके प्रति शुभकामनाएँ करता हूँ की आप ये और बड़े रूप में करते जाए। सरकार ��ी तरफ से जैसे प्रमोद जैन भाया जी ने कहा, कटारिया जी ने कहा, विश्नोई जी ने कहा आप निश्चिंत रहे जिस सरकार ने पहल करके मेरे ख्याल से देश में पहली बार हुआ होगा की हमने गौ माता के लिए अलग से निदेशालय बना दिया, विभाग बना दिया यह पहली बार हुआ। 125 करोड़ रूपये मैंने अनुदान दिए थे गौशालाओ को 2013 के अंदर और 25 करोड़ रूपये रखे थे निशक्त गायों के लिए, ये शुरुआत जो हमने की थी, सरकार बदल गई हमारी तो नई सरकार ने निदेशालय का नाम बदल कर विभाग कर दिया हमें ख़ुशी है कि हमारे निर्णय को कम से कम उन्होंने बंद नहीं किया चालू रखा। क्योंकि हमारे कई ऐसे निर्णय थे बड़ी बड़ी योजनाएं थी जो ठप्प हो गई थी। मेरा मानना है कि सरकारे बदलती रहती है लोकतंत्र हैं आप लोग माई-बाप होते हो आप तय करते हो कौन कुर्सी पर बैठे चाहे मंत्री हो, प्रधानमंत्री हो, मुख्यमंत्री हो, MLA हो, MP हो, सरपंच हो या चाहे वार्ड पंच हो ये आपके उपर है पर पुरानी कहावत है हाकम बदल जाता है, हुकुम नहीं बदलना चाहिए तब जाके काम आगे बढ़ता हैं तो हमने सरकार छोड़ी, नई गवर्मेंट बनी उन्होंने निदेशालय जो गायों के लिए बनाया मैंने, उसको समाप्त नहीं किया उसका केवल नाम बदला विभाग करके और हम विश्वास दिलाते है की सेस लगाया गया करीब 800 करोड़ रूपये इक्कठे भी हुए, और मैंने पता किया की खर्च कम किया गया करीब 400 करोड़ ही खर्च हुए। मैं चाहूँगा की जो आपकी मांग हैं अभी प्रति पशु जो पैसा मिलता है वो बहुत कम पैसा मिलता है उसे गायों का भला नहीं हो सकता है। 32 रूपये और 16 रूपये ये एक गाय चाहे छोटा पशु हो या चाहे बड़ा पशु हो उसका पेट भरने के लिए संभव नहीं है इस बात का अहसास मुझे और मेरी सरकार को भी है आप निश्चित रहे मैंने विभाग के अधिकारियो को कह दिया है कि पूरी तरह परीक्षण करके हम जल्दी फैसला करेंगे कि कैसे ये राशि इतनी बढाई जाए कि गाय का पेट भर सके तब जाके गाय का भला होगा। गौशाला के जो आप लोग प्रबन्धक है वो अपने स्वयं का और अपने आस पास में जो दान दाता है, गौभक्त है उनसे चंदा लेके मुश्किल से गौशाला चलाते है उसके बावजूद भी आपको तकलीफ होती हैं की गाय को जितना आप चाहते है चाहे हरा चारा हो अन्य चारा हो पूरा पेट भर जाये आपको भी तकलीफ होती होगी उस तकलीफ का अहसास मुझे भी हैं मेरे साथियों को भी है और प्रमोद जैन भाया को जो हमने गोपालन विभाग का मंत्री बनाया इन्होंने कोई मांग नहीं करी थी मैं जब राहुल गांधी जी से बात कर रहा था तो मेरे दिमाग में आया कि गायों के विभाग का मंत्री कौन होना चाहिए? तो मैंने इनके काम को देखा बारां के अंदर 10 साल पहले ये गौशालाएं चलाते है ये और इनकी धर्मपत्नी उर्मिला जी, पूरी तरह समर्पित है गौशाला के लिए, शानदार गौशाला बनाई है वहां पर और गायो की सेवा करते है जो सेवा होनी चाहिए. गायो की सेवा में चाकरी में कोई कमी नहीं रखते हैं तो मैंने कहा इस काम के लिए उपयुक्त जो मंत्री प्रमोद जैन भाया ही होगा इसलिए इनको बनाया गया। और ये आज आपका नजारा बना करके इन्होने सिद्ध कर दिया की मेरा निर्णय बिलकुल सही निर्णय था इनके पक्ष में। तो आप निश्चित मान के चले शुरुआत भी हमने करी अनुदान देने की अकाल सूखा पड़ गया 6-7 जिलो के अंदर वहां भी हमने चारे के डिपो खोलने का, गाय के केम्प खोलने का हमने निर्णय किया है जल्दी ही वहां यह काम शुरू होगा ये मैं विश्वास दिलाता हूँ आपको। ये संवाद का जो कार्यक्रम रखा गया हैं अपने आप मैं ये बड़ी उपलब्धि है आपके साथ में संवाद करके आपने जो ज्ञापन दिए है उन ज्ञापन के माध्यम से जो सुझाव आयेगे मैं आपको यकीन दिलाता हूँ की प्रमोद जैन भाया जी अपने विभाग में तमाम सुझावों का जो संवाद हुआ उसकी भावनाओ का, साधू-संत जो हमारे पूज्यनीय यहाँ पर बैठे हुए है उनकी भावनाओं का समावेश करते हुए अच्छी से अच्छी नीति क्या बन सकती है गौशालाओ के लिए उसमे कोई कमी नहीं आएगी उसका मैं आपको यकीन दिलाना चाहता हूँ। गौचर भूमि हो उसकी प्रायोरिटी गौशालाओ के लिए मिलनी चाहिए। गौचर भूमि और चारागाह भूमि मैंने सुना है की कोई ऐसा मेरी जानकारी मैं नहीं आ पाया पहले की उसको गौचर और चारागाह के अलावा बेचने का कोई निर्णय हुआ होगा बहुत पहले मैं उसको दिखावा रहा हूँ मुझे अभी-अभी लालचंद कटारिया जी ने कहा था और ये मेरा मानना है कि हमारे बाप दादाओ ने आजादी के पहले से ही सोच समझ करके पशुधन के लिए चारागाह भूमि औरगौचर भूमि का जो प्रावधान किया वो सोच समझ करके किया हुआ होगा। आज भी हमारी कोर्ट कचहरी भी कहती है उसका संरक्षण होना चाहिए और आप सब सहमत होंगे की गौचर भूमि का संरक्षण हो उसको बढ़ावा मिले और पशुधन हमारा जो है चाहे वो गाय हो, भैंस हो, बकरी हो, ऊंट हो कोई भी हो उसको कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। इसी लिए हमने आपको याद होगा पिछली बार जब मैं मुख्यमंत्री था तब हमने निशुल्क दवा योजना प्रारम्भ की थी मनुष्यों के लिए, मुफ्त हमने जांचे शुरू करी थी डायलिसिस की भी, सोनोग्राफी की भी, खून की जांच तो हमने पशुओ का भी ख्याल रखा तो हमने पशुओ के लिए भी निशुल्क दवा योजना शुरू की थी आपको याद होगा, पहली बार देश में हुआ है वो। हमने कहा हमारे बारे में कई बाते की जाती थी ये तो जो दवाइयां फ्री हो रही है, जांचे फ्री हो रही हैं, एक रूपये किलो गेहूं दिया जा रहा हैं जितने भी हमारी अच्छी स्कीम थी उसको हमारे विपक्षी लोगो ने बदनाम भी किया किये तो रेवड़ियाँ बंट रही है। मैंने कहा कोई रेवड़ियाँ नहीं बंट रही है हमारी जनता का अधिकार हैं लोकतंत्र में, सोशियल सिक्योरिटी, सामाजिक सुरक्षा देना सरकार का कर्तव्य है प्रत्येक इन्सान को। कोई आदमी भूखा नहीं रहे, भूखा नहीं सोये रोटी, कपडा, मकान उनका अधिकार हैं वो हम देने का प्रयास कर रहे थे और मैंने कहा उस वक्त में की आप कहते हो रेवड़ियाँ बंट रही है चुनाव जीतने के लिए तो पशुधन तो गाये, भैंस, बकरी तो कोई वोट देती नहीं है हमने उनकी दवाइयां भी फ्री करी ये नहीं बोलना चाहिए। इस रूप में हमने तमाम फैसले जनकल्याण कारी थे वो किये सब आपकी जानकारी के अंदर है। इसलिए मैं कहना चाहूँगा की गौशालाएं आत्मनिर्भर बने, स्वावलंबी बने सरकार की भी एक सीमा होती है और जो सरकार के साथ में समाज सहयोग करता हैं तो जाके कोई भी परियोजना ज्यादा कामयाब होती है। सरकार अगर गौशाला खोल दे और आप यहाँ जो बैठे हुए हो गौभक्त आप का इन्वॉल्वमेंट नहीं हो तो सरकारी कर्मचारियों के आधार पर गौशालाएं कभी नहीं चल सकती। इसका मायने हुआ आपका गौरक्षण में, गौसंरक्षण में गायो की सेवा करने में आपका जो योगदान है वो अमूल्य है उसकी कोई कीमत नहीं हो सकती यह मैं निदेवन करना चाहता हूँ। इसलिए हम चाहेंगे कि अल्टीमेटली गौशालाएं आत्मनिर्भर बने कई गौशालाओं में दुधारू पशु भी होते हैं, दूध भी देते हैं घी बनता है, डेयरी बनाई गई है तो उसका अपना उपयोग है। गौशालाएं कई दूध भी, घी भी बेचती भी है हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम गौशाला चलाये तो इस प्रकार का मैनेजमेंट करें कि सरकार भी सहयोग करे, समाज भी सहयोग करे हमारी अपनी आमदनी भी हो जिससे कि गौशालाएं आत्मनिर्भर बने और आपको काम करने का आपकी हौसलाफजाई भी हो। इस रूप में मैं समझता हूँ कि हमें आने वाले वक्त में काम करना हैं। आवारा पशु की बात की जाती है ये समस्या बहुत बड़ी समस्या है, आप में से कई लोग किसान होंगे आपने देखा होगा कि आवारा पशु को आम जनता भी कई बार शिकायत करती है क्योंकि कई बार एक्सीडेंट होते है, गायो को भी चोट लगती है कई बार गाय मर जाती है, बछड़ा मर जाता है कई बार मनुष्य भी मर जाता है ये समस्या रहती है। अभी प्रमोद जैन भाया बोल रहे थे इनका संकल्प है की वो कैसे इस समस्या का समाधान हो। हम आपका सहयोग भी चाहेंगे आपने सुझाव दिया उसको हम देखेंगे हम चाहेंगे की कोई ऐसे तरीके निकाले जिसके की गो पशुपालकों को भी जो दूध देती है गाय तब तक तो उसको घर में रखते है, दूध नहीं देती है तो उसको छोड़ देते है ये अच्छी बात नहीं है। जब गौमाता को हम माता मानते है तो माँ को कैसे छोड़ सकते हो आप, दूध नहीं दे तो आप, कैसे छोड़ सकते हो? हमें चाहिए की उसकी देखभाल करना हमारा कर्तव्य है। सरकार योजना ऐसे बनाएगी कैसे ऐसे पशु को अगर दूध नहीं देती है परिवार की केपिसिटी नहीं है कोई रास्ता निकाले, गौशाला में उनको भेजे अनुदान सरकार दे रही है, थोडा अनुदान वो खुद दे परिवार वाले सरकारी अनुदान गौशाला के प्रबंधनक सेवा करते है वो सहयोग, खुद कुछ कोंट्रीब्युट करे अपनी गाय को भेजे गौशाला में, कुछ सरकार करेगी, कुछ प्रबंधक करेगे तो तकलीफ गाय को नहीं आएगी। गाय अगर फिरती है आवारा गलियों में, चारा मिलता नहीं है तो क्या क्या वो घास-फूस खाती है वो आप सबको मालूम हैं. कितनी तकलीफ भी रहती होगी उसकी तकलीफ को भी हमें गौशालाओं में गाये नहीं रहती है आवारा फिरती है गली-मोहल्ले के अंदर उसपे क्या बीतती होगी? एक तरफ तो जो गौशालाओ में आ गई उसके लिए हम अपनी जान लगा रहे है और दूसरी तरफ वो ही गौवंश, वो ही गाये गली मोहल्ले में फिरकर के कचरा खाती है उसको हम कैसे देख सकते है? ये पूरे समाज का कर्तव्य है हम उन गायो को कैसे संभाले, सार संभाल करें। खेतो में कैसा नुकसान होता है पशुधन का उनका कोई प्रबन्धन करे और मैं कहुँगा कि प्रमोद जैन भाया की जो सोच है वो सोच आगे बढ़ेगी और कोई ऐसी योजना बने राजस्थान भर के लिए किसानों को भी आवारा पशुओ की तकलीफ नहीं हो, रोजड़ो की तकलीफ बहुत बड़ी है उनके सामने वो नील गाय कहलाती है उससे तकलीफ नहीं हो। गायो की हम लोग और ज्यादा सेवा कर सके ये तभी संभव है जब हम लोग सब मिलकर के इन कामो को आगे बढ़ाये। इसलिए मैं आपको कहने को तो बहुत सारी बातें है किस प्रकार गौवंश में भूर्ण प्रत्यारोपण के माध्यम से अच्छी नस्ल की गाये पैदा हो तमाम हमारी योजनाओ में है विभाग इसको दिखवा रहा है। मुझे कहने की आवश्यकता नहीं है। नंदी गौशालाएं खोलने की बात जो हैं जिन जिलो में निराश्रित पशु जो है, निशक्त है, अपंग हैं उनके लिए सरकार योजनांए बना रही है इस प्रकार से आज जो पुरस्कृत किया गया है वो तीनों गौशालाओ को मैं बधाई देना चाहूँगा आप सबकी और से ये तो एक मोटिवेट करने का, प्रोत्साहन करने का तरीका है और नई शुरुआत करी है पहली बार संवाद का प्रोग्राम रखा गया है ये भी अभिनव प्रयोग है। मेरे ख़याल से देश में कहीं भी गायों को लेकर इतने बड़े रूप में संवाद पहली बार हो रहा होगा, इस बात का मुझे फ़ख़्र है, गर्व है खुशी है....इसको हम और मजबूत करेंगे और जब भी कभी अवसर मिलेगा इससे भी बड़ा कार्यक्रम करने का प्रयास करेंगे। समय-समय पर जो भी आपकी सलाह हो वह मंत्री जी को लिखकर भेजें सरकार हमेशा आपको महसूस करवाएगी कि आपके साथ खड़ी है यह मैं विश्वास दिलाता हूँ। यही बात कहता हुआ मैं फिर कहना चाहूँगा की मेरे पास की आंकड़े है अभी जो अनुदान मिलता हैं अनुदान से गायो का पेट नहीं भर सकता मुझे मालूम है मैं कह चूका हूँ और इसलिए इन तमाम कामो को हम लोग आने वाले वक्त में और आगे बढायेगे और किस प्रकार से आपको मदद कर सके। अनुदान बाकी गौशालाओ का जनवरी, फरवरी, मार्च का मैंने अपने वित्त विभाग को कह दिया है कोई तकलीफ भी है थोड़ी बहुत हो तो क्यों कि बड़े बड़े फैसले सरकार ने किये है अभी किसानो के कर्जे माफ़ किये है, और भी कई फैसले किये है इसलिए मैंने कहा है कि आप गौशालाओ का जो अनुदान है उसको आप रोको मत और जल्दी की उसको रिलीज करे जिससे कि आपको सहयोग मिल सके। ये काम भी हम जल्दी ही करवाएंगे वो अनुदान आपको जल्दी ही मिलने लग जायेगा और मैं आपको आश्वासन देता हुआ आपको मैं धन्यवाद देता हूँ की आप लोग बहुत ही शानदार तरीके से आप लोग इस गौरक्षा सम्मलेन का आगाज किया हैं और जो जो हमारे यहाँ पर व्यापारी है, उद्योगपति है, समाजसेवी है दो पैसा कमाने वाले लोग हैं उन सबको मैं आह्वान करूँगा की वो अपने काम धंधे के साथ साथ में गौरक्षा के लिए भी आगे आये, गौशालाओ को अनुदान दे समय समय में उनकी मदद करे। मैं गया था नाथद्वारा के अंदर एक मदन पालीवाल जी हमारे वहां पर हैं मिराज के उनकी खुद की गौशाला को मैंने देखा और मैं बहुत प्रभावित हुआ, मुरारी बापू भी वहां आये थे पर ये उद्योग धंधा करने वाले की रूचि गौशाला में हो यह अच्छी बात है ऐसे कई लोग आगे आएँगे तो मैं समझता हूँ कि आप लोगो का काम आसान हो जायेगा यही बात कहता हुआ मैं आप सबको और इस आयोजन के प्रबधंक प्रमोद जैन भाया जी को, तमाम इनके विभाग के अधिकारियों को बधाई देता हूँ कि आप सबके सहयोग से बहुत शानदार प्रोग्राम आज संभव हुआ। धन्यवाद....जय हिन्द।
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aajkarashifal · 7 years
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घर को पानी से धुलवाते हैं, जान लीजिए कितना नुकसानदायक
सद्गुरु स्वामी आनंदजी (आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषीय चिंतक) टिप्स ऑफ द वीक * घर में घंटियों की ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा का शमन करती है, ऐसा हमारी पारंपरिक मान्यताएं कहती हैं। इसी सूत्र की पुष्टि फेंगशुई भी विंडचाइम्स के रूप में करती है। * घर को नित्य ढेरों जल से धुलते रहना आर्थिक कष्ट को जन्म देता है, ऐसा मान्यताएं कहती हैं। अनिवार्य परिस्थितियों के अलावा घर को धुलने की अपेक्षा गीले कपड़े से पोंछकर साफ करना ही उचित है। ये भी जानें सामान्य अवधारणा '9' के अंक को शुभ यानि लकी मानती है। 9 का अंक मंगल से सम्बंधित है। मंगल को पृथ्वी का पुत्र कहा जाता है। धरती के भीतर और बाहर उसकी समस्त संपदा का स्वामी उसका बेटा मंगल है। 9 का अंक अच्छा तो है, पर इसे सार्वभौमिक रूप से सबके लिए लकी नहीं माना जा सकता है। विशेषत: किसी भी माह की 4, 8, 13, 17, 22 और 26 तारीख को जन्मे लोगों के लिए यह कठिनाई और संघर्ष का भी सबब बन सकत��� है। प्रश्न: मेरा साड़ी का धंधा तकरीबन 6 साल से बहुत मंदा हो गया है। क्या करूं/ अच्छा समय कब आएगा/ जन्म तिथि- 11.08.1989, जन्म समय- 11.45, जन्म स्थान- व्यावर, अजमेर (राजस्थान)। -देवेंद्र उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि वृश्चिक और लग्न तुला है। आप तकरीबन 6 वर्षों से शनि की साढ़ेसाती के अधीन हैं। यह साढ़ेसाती का आखिरी चरण है। उतरता हुआ शनि थोड़ी जद्दोजहद के बाद आनंद देने के लिए भी जाना जाता है। सनद रहे, आपका शनि बुरा नहीं है। वह आपके सुख भाव और पंचम भाव का स्वामी होकर पराक्रम भाव में विराजमान है। ये शनि की अच्छी स्थितियों में से एक है। इस समय आप केतु की महादशा भी भोग रहे हैं। दो साल बाद आप साढ़ेसाती से मुक्त हो जाएंगे। 25.03.2020 से आरंभ होने वाली शुक्र की महादशा आपके जीवन में आनंद का सूत्रपात करेगी। नेत्रहीन और विकलांग व्यक्तियों की सेवा से लाभ होगा, ऐसा मान्यताएं कहती हैं। प्रश्न: मेरी हथेली पर कनिष्ठा उंगली के ठीक नीचे, कलाई से ऊपर चंद्र पर्वत के आगे एक मोटी रेखा बन गई है। ये शुभ है या अशुभ/ -मनोहर नामदेव पाटील उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि चंद्रपर्वत के ऊपर निर्मित होने वाली आड़ी रेखा का संबंध अध्यात्म, आंतरिक शक्ति और मानसिक ऊर्जा से है। ऐसे लोग आधुनिक होते हुए भी आध्यात्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। पाखंड और ढकोसलों का इनके जीवन में कोई स्थान नहीं होता। इनके अंदर किसी भी विषय के विश्लेषण की विशेष क्षमता होती है। इन्हें कई बार किसी घटना का पूर्वाभास हो जाता है। ऐसे लोगों का मस्तिष्क बेहद प्रखर होता है। ये लोग दूरदृष्टि के स्वामी होते हैं, पर इनका लगाव भौतिक जगत की ओर कम ही होता है। निश्चित रूप से ये रेखा शुभ रेखा में शुमार होती है। प्रश्न: कई कथाओं में उल्लेख मिलता है कि जिसके हाथ में भाग्यरेखा न हो, या स्पष्ट न हो तो क्या चाकू से खींच कर भाग्यरेखा में इजाफा किया जा सकता है/ क्या ये संभव है/ -मयंक पांडेय उत्तर: नहीं। हर्गिज नहीं। सद्गुरुश्री कहते हैं कि भविष्य देखने की किसी भी विधा द्वारा विश्लेषण का आशय स्वमेव उत्पन्न स्थिति के आंकलन से है। किस्सों में चाकुओं से हाथ की लकीर खींचने का उल्लेख महज प्रतीकात्मक है। अपने हाथों की लकीरों में इजाफे से आशय दृढ़ विचारों और कड़े परिश्रम से भाग्य लिखने से है, न कि हथेली को लहूलुहान करने से। चाकू से हाथ में लकीर खींचने का ख्याल अपरिपक्व, हास्यास्पद और बेमानी है, फिर तो लोग जन्म कुंडली में भी अपनी कलम से अपने मन माफिक ग्रह बिठाने लगेंगे। प्रश्न: हथेली पर एक ही लकीर से वृत्त या अर्ध चंद्र जैसी आकृति का क्या अर्थ है। ये शुभ है या अशुभ/ -अनुप्रिया गोस्वामी उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि सामुद्रिक शास्त्र यानि हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार किसी रेखा में से कोई उपरेखा निकलकर वापस उसी रेखा में समा कर एक छोटा सा घेरा बनाए, तो निर्मित वह आकृति द्वीप कहलाती है। क्योंकि गौर से देखने पर इसका आकार किसी द्वीप या टापू की तरह प्रतीत होता है। हर रेखा पर बने द्वीप का अर्थ अलग-अलग होता है। पर सामान्यत: द्वीप को शुभ चिह्न के रूप में मान्यता हासिल नहीं है। प्रश्न: क्या तंत्र साधना से जीवन बदला जा सकता है/ -राजीव प्रधान उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि हमारा सुख-दुख हमारे ही ज्ञात-अज्ञात कर्मों की देन है। कर्म पर नियंत्रण से अवश्य ही जीवन को बदला जा सकता है। रही बात तंत्र और साधना की, तो तंत्र जहां तकनीकी विज्ञान है, वहीं साधना नि:स्वार्थ कर्म और श्रम का दूसरा नाम है। तंत्र की साधना के लिए जहां उसकी तकनीकी का पूर्ण ज्ञान अनिवार्य है, वहीं किसी विशेषज्ञ का मार्गदर्शन भी आवश्यक है। आज तंत्र के अधिकतर शोधकार्य लुप्त हो चुके हैं। अत: मैं आपको अपनी योग्यता बढ़ाने और सतत कर्मशील रहने की सलाह देता हूं। मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट। http://dlvr.it/Q45NhX
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xmtnews · 2 years
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श्रावण मास इन राशि वालों को मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद।
श्रावण मास इन राशि वालों को मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद।
श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। इस महीने से पहले भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं और भगवान शिव दुनिया की कमान संभाल लेते हैं। इस वर्ष श्रावण मास 14 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा। इस बीच, शिव भक्त पवित्र नदियों के जल से भगवान का अभिषेक करते हैं। सावन सोमवार का व्रत करते हैं और सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा करते हैं। इस महीने में भक्त भोलेनाथ की कृपा…
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aajkarashifal · 7 years
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8 का अंक अशुभ क्यों है?
आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषीय चिंतक सद्‌गुरु आनंद जी प्रश्न: आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और आनंद के लिए क्या करूं/ जन्म तिथि- 09.04.1964, जन्म समय- 13.49, जन्म स्थान- सुजानगढ़ (राजस्थान)। -दामोदर करवा उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि कुंभ और लग्न कर्क है। लग्नेश चंद्रमा अष्टम में बैठकर जहां आपके मन को अशांत कर रहा है, वहीं अष्टमेश शनि स्वघर में यानि अष्टम में ही विराजकर आपकी प्रवृत्ति को आध्यात्मिक बना रहा है। इस समय आप अष्टमेश शनि की महादशा भोग रहे हैं, जो मिलाजुला पर सुख में कुछ कमी का काल है। मान्यताओं के अनुसार नित्य प्राणायाम, श्मशान भूमि के कुएं या नल का जल को अपने घर में रखने, सोमवार को चने व दाल तथा शनिवार को तैलीय भोजन का दान, स्नान के जल में दुग्ध की कुछ बूंदों का समावेश मानसिक शांति व आध्यात्मिक प्रगति के साथ सुख प्राप्ति में सहायक होगा। प्रश्न: पति से अलग रहती हूं। वो प्यार बहुत करते हैं, पर उनके साथ रहने का मन नहीं करता। क्या करूं/ जन्म तिथि- 10.03.1990, जन्म समय- 13.14, जन्म स्थान- पालघर (महाराष्ट्र)। -सपना राठौड़ उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि सिंह और लग्न मिथुन है। मंगल आपकी कुंडली में अष्टम में बैठकर आपको मांगलिक तो बना ही रहा है, साथ में राहु की युति उसकी तीव्रता में इजाफा कर रही है। शनि भी सप्तम भाव में बैठकर आपके दांपत्य जीवन को नाटकीय रूप से प्रभावित कर रहा है। इस समस्या के पूर्ण आंकलन के लिए आपके पति की कुंडली का अध्ययन भी जरूरी है। आपको अपने जज्बात पर काबू पाने का और स्वभाव की नाटकीयता से बचने का प्रयास अनिवार्य रूप से करना होगा। पति के साथ मिलकर बात करें। अलग रहने का विचार समस्या को विकराल बना सकता है। पारंपरिक मान्यताएं कहती हैं कि मांसाहार का त्याग, शनिवार को काजल का भूमि प्रवाह और नेत्रहीन लोगों को तैलीय भोजन अर्पित करने तथा कुत्तों को मीठी तंदूरी रोटी खिलाने से लाभ होगा। प्रश्न: मेरी कुंडली में मेरा शनि खराब है। बहुत परेशान हूं। ठीक करने का कोई उपाय बताइए। जन्म तिथि- 21.08.1992, जन्म समय- 12.34, जन्म स्थान- मथुरा (उप्र)। -रोहित सिंह उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि वृष और लग्न वृश्चिक है। आपकी कुंडली में शनिदेव पराक्रम भाव और सुखभाव के स्वामी होकर पराक्रम भाव में ही विराजमान हैं। यह शनि की अति श्रेष्ठ स्थितियों में से एक है। आपका शनि आपके जीवन की आपाधापी को कम करके आपको फर्श से उठाकर अर्श पर बैठाने की क्षमता रखता है। अतः अब आप तनाव मुक्त रहें, क्योंकि अब आपके परेशान होने का कोई कारण नजर नहीं आता। आगे बढ़ने के लिए ग्रहों से ज्यादा स्वयं पर भरोसा अनिवार्य है। ध्यान रखें, बेवजह का वहम अच्छे भले जीवन का बेड़ा गर्क कर सकता है। प्रश्न: क्या घर में ऊन के गोल��� नहीं रखने चाहिए/ -सविता जोगानी उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि प्राचीन सलोहित शास्त्र (जो आज लाल किताब के नाम से जानी जाती है) में ऊन और पतली रस्सी के बंधे गोले की घर में उपस्थिति को शुभ नहीं माना गया है। उस ग्रंथ के बहुत से शोध और हिस्से अब लुप्त हो चुके हैं। हो सकता है कि खोए हुए शोध पत्रों में इसका कोई तकनीकी या तार्किक पक्ष भी रहा हो, पर आज का सत्य तो ये है कि बचे हुए पन्नों में इस मान्यता का कोई वैज्ञानिक और तार्किक कारण नहीं मिलता। प्रश्न: 8 का अंक अशुभ क्यों है/ -ऋतिका झुनझुनवाला उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि हर अंक का अपना पृथक अस्तित्व, गुण-धर्म और महत्व है। कोई भी अंक श्वेत-श्याम की कसौटी पर न तो शुभ है, न ही अशुभ। अंक ज्योतिष के अनुसार 8 की संख्या स्वयं में विराट मानसिक क्षमता और अपार संभावना समेटे हुए है। यह अंक खुद में आध्यात्म, लेखन, कला, संगीत, अर्थशास्त्र, नीति, राजनीति, सामाजिक सुधार और वैचारिक क्षमता की अप्रतिम प्रतिभा से ओतप्रोत है। हां, विचारों की प्रचुरता के कारण यह अंक भौतिक रूप से अन्य कई अंकों के पीछे खड़ा नजर आता है, शायद, इसीलिए अपरिपक्व मान्यताएं इस अंक को अशुभ घोषित कर देती हैं, जो उचित नहीं है। टिप्स ऑफ द वीक यदि आर्थिक कष्ट विकराल हो गया हो, तो किसी कागज पर लाल स्याही से बड़ी संख्या में श्रींकार बीज यानि श्रीं लिखकर, काटकर, आटे में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर किसी जलाशय में मछलियों को अर्पित कर देनी चाहिए। इस पूरी प्रक्रिया में श्रीं बीज का मानसिक जाप करते रहना चाहिए। शीघ्र लाभ होगा, ऐसा आध्यात्मिक मान्यताएं कहती हैं। ये भी जानें जन्म कुंडली का छठा खाना रोग भाव कहलाता है। इस भाव से शारीरिक विकारों और बीमारियों की स्थिति का अध्ययन किया जाता है। यह भाव शत्रु भाव भी कहलाता है। विरोधियों, शत्रुओं और उनके षड्यंत्रों की पड़ताल इसी खाने से होती है। यौन कष्टों, कलह, विवाद, झगड़े, मुकदमे, डर, तनाव और उलझन का आंकलन भी इसी भाव से होता है। कुंडली में मामा और मौसी के सुख की स्थिति इसी से जानी जाती है। सेवकों और अनुयायियों की जानकारी षष्ठ भाव से ही मिलती है। नोट : अगर, आपकी कोई समस्या है, तो आप अपनी जन्म तारीख, जन्म समय और जन्म स्थान के साथ अपना सवाल [email protected] पर मेल कर सकते हैं। Subject: NBT Astro Numero जरूर लिखें। चुनिंदा सवालों के जवाब छापे जाएंगे। मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट। http://dlvr.it/PxD9bh
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aajkarashifal · 7 years
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8 का अंक अशुभ क्यों है?
आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषीय चिंतक सद्‌गुरु आनंद जी प्रश्न: आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और आनंद के लिए क्या करूं/ जन्म तिथि- 09.04.1964, जन्म समय- 13.49, जन्म स्थान- सुजानगढ़ (राजस्थान)। -दामोदर करवा उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि कुंभ और लग्न कर्क है। लग्नेश चंद्रमा अष्टम में बैठकर जहां आपके मन को अशांत कर रहा है, वहीं अष्टमेश शनि स्वघर में यानि अष्टम में ही विराजकर आपकी प्रवृत्ति को आध्यात्मिक बना रहा है। इस समय आप अष्टमेश शनि की महादशा भोग रहे हैं, जो मिलाजुला पर सुख में कुछ कमी का काल है। मान्यताओं के अनुसार नित्य प्राणायाम, श्मशान भूमि के कुएं या नल का जल को अपने घर में रखने, सोमवार को चने व दाल तथा शनिवार को तैलीय भोजन का दान, स्नान के जल में दुग्ध की कुछ बूंदों का समावेश मानसिक शांति व आध्यात्मिक प्रगति के साथ सुख प्राप्ति में सहायक होगा। प्रश्न: पति से अलग रहती हूं। वो प्यार बहुत करते हैं, पर उनके साथ रहने का मन नहीं करता। क्या करूं/ जन्म तिथि- 10.03.1990, जन्म समय- 13.14, जन्म स्थान- पालघर (महाराष्ट्र)। -सपना राठौड़ उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि सिंह और लग्न मिथुन है। मंगल आपकी कुंडली में अष्टम में बैठकर आपको मांगलिक तो बना ही रहा है, साथ में राहु की युति उसकी तीव्रता में इजाफा कर रही है। शनि भी सप्तम भाव में बैठकर आपके दांपत्य जीवन को नाटकीय रूप से प्रभावित कर रहा है। इस समस्या के पूर्ण आंकलन के लिए आपके पति की कुंडली का अध्ययन भी जरूरी है। आपको अपने जज्बात पर काबू पाने का और स्वभाव की नाटकीयता से बचने का प्रयास अनिवार्य रूप से करना होगा। पति के साथ मिलकर बात करें। अलग रहने का विचार समस्या को विकराल बना सकता है। पारंपरिक मान्यताएं कहती हैं कि मांसाहार का त्याग, शनिवार को काजल का भूमि प्रवाह और नेत्रहीन लोगों को तैलीय भोजन अर्पित करने तथा कुत्तों को मीठी तंदूरी रोटी खिलाने से लाभ होगा। प्रश्न: मेरी कुंडली में मेरा शनि खराब है। बहुत परेशान हूं। ठीक करने का कोई उपाय बताइए। जन्म तिथि- 21.08.1992, जन्म समय- 12.34, जन्म स्थान- मथुरा (उप्र)। -रोहित सिंह उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि वृष और लग्न वृश्चिक है। आपकी कुंडली में शनिदेव पराक्रम भाव और सुखभाव के स्वामी होकर पराक्रम भाव में ही विराजमान हैं। यह शनि की अति श्रेष्ठ स्थितियों में से एक है। आपका शनि आपके जीवन की आपाधापी को कम करके आपको फर्श से उठाकर अर्श पर बैठाने की क्षमता रखता है। अतः अब आप तनाव मुक्त रहें, क्योंकि अब आपके परेशान होने का कोई कारण नजर नहीं आता। आगे बढ़ने के लिए ग्रहों से ज्यादा स्वयं पर भरोसा अनिवार्य है। ध्यान रखें, बेवजह का वहम अच्छे भले जीवन का बेड़ा गर्क कर सकता है। प्रश्न: क्या घर में ऊन के गोले नहीं रखने चाहिए/ -सविता जोगानी उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि प्राचीन सलोहित शास्त्र (जो आज लाल किताब के नाम से जानी जाती है) में ऊन और पतली रस्सी के बंधे गोले की घर में उपस्थिति को शुभ नहीं माना गया है। उस ग्रंथ के बहुत से शोध और हिस्से अब लुप्त हो चुके हैं। हो सकता है कि खोए हुए शोध पत्रों में इसका कोई तकनीकी या तार्किक पक्ष भी रहा हो, पर आज का सत्य तो ये है कि बचे हुए पन्नों में इस मान्यता का कोई वैज्ञानिक और तार्किक कारण नहीं मिलता। प्रश्न: 8 का अंक अशुभ क्यों है/ -ऋतिका झुनझुनवाला उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि हर अंक का अपना पृथक अस्तित्व, गुण-धर्म और महत्व है। कोई भी अंक श्वेत-श्याम की कसौटी पर न तो शुभ है, न ही अशुभ। अंक ज्योतिष के अनुसार 8 की संख्या स्वयं में विराट मानसिक क्षमता और अपार संभावना समेटे हुए है। यह अंक खुद में आध्यात्म, लेखन, कला, संगीत, अर्थशास्त्र, नीति, राजनीति, सामाजिक सुधार और वैचारिक क्षमता की अप्रतिम प्रतिभा से ओतप्रोत है। हां, विचारों की प्रचुरता के कारण यह अंक भौतिक रूप से अन्य कई अंकों के प��छे खड़ा नजर आता है, शायद, इसीलिए अपरिपक्व मान्यताएं इस अंक को अशुभ घोषित कर देती हैं, जो उचित नहीं है। टिप्स ऑफ द वीक यदि आर्थिक कष्ट विकराल हो गया हो, तो किसी कागज पर लाल स्याही से बड़ी संख्या में श्रींकार बीज यानि श्रीं लिखकर, काटकर, आटे में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर किसी जलाशय में मछलियों को अर्पित कर देनी चाहिए। इस पूरी प्रक्रिया में श्रीं बीज का मानसिक जाप करते रहना चाहिए। शीघ्र लाभ होगा, ऐसा आध्यात्मिक मान्यताएं कहती हैं। ये भी जानें जन्म कुंडली का छठा खाना रोग भाव कहलाता है। इस भाव से शारीरिक विकारों और बीमारियों की स्थिति का अध्ययन किया जाता है। यह भाव शत्रु भाव भी कहलाता है। विरोधियों, शत्रुओं और उनके षड्यंत्रों की पड़ताल इसी खाने से होती है। यौन कष्टों, कलह, विवाद, झगड़े, मुकदमे, डर, तनाव और उलझन का आंकलन भी इसी भाव से होता है। कुंडली में मामा और मौसी के सुख की स्थिति इसी से जानी जाती है। सेवकों और अनुयायियों की जानकारी षष्ठ भाव से ही मिलती है। नोट : अगर, आपकी कोई समस्या है, तो आप अपनी जन्म तारीख, जन्म समय और जन्म स्थान के साथ अपना सवाल [email protected] पर मेल कर सकते हैं। Subject: NBT Astro Numero जरूर लिखें। चुनिंदा सवालों के जवाब छापे जाएंगे। मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट। http://dlvr.it/PVFNNy
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aajkarashifal · 7 years
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आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषीय चिंतक सद्‌गुरु आनंद जी प्रश्न: आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और आनंद के लिए क्या करूं/ जन्म तिथि- 09.04.1964, जन्म समय- 13.49, जन्म स्थान- सुजानगढ़ (राजस्थान)। -दामोदर करवा उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि कुंभ और लग्न कर्क है। लग्नेश चंद्रमा अष्टम में बैठकर जहां आपके मन को अशांत कर रहा है, वहीं अष्टमेश शनि स्वघर में यानि अष्टम में ही विराजकर आपकी प्रवृत्ति को आध्यात्मिक बना रहा है। इस समय आप अष्टमेश शनि की महादशा भोग रहे हैं, जो मिलाजुला पर सुख में कुछ कमी का काल है। मान्यताओं के अनुसार नित्य प्राणायाम, श्मशान भूमि के कुएं या नल का जल को अपने घर में रखने, सोमवार को चने व दाल तथा शनिवार को तैलीय भोजन का दान, स्नान के जल में दुग्ध की कुछ बूंदों का समावेश मानसिक शांति व आध्यात्मिक प्रगति के साथ सुख प्राप्ति में सहायक होगा। प्रश्न: पति से अलग रहती हूं। वो प्यार बहुत करते हैं, पर उनके साथ रहने का मन नहीं करता। क्या करूं/ जन्म तिथि- 10.03.1990, जन्म समय- 13.14, जन्म स्थान- पालघर (महाराष्ट्र)। -सपना राठौड़ उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि सिंह और लग्न मिथुन है। मंगल आपकी कुंडली में अष्टम में बैठकर आपको मांगलिक तो बना ही रहा है, साथ में राहु की युति उसकी तीव्रता में इजाफा कर रही है। शनि भी सप्तम भाव में बैठकर आपके दांपत्य जीवन को नाटकीय रूप से प्रभावित कर रहा है। इस समस्या के पूर्ण आंकलन के लिए आपके पति की कुंडली का अध्ययन भी जरूरी है। आपको अपने जज्बात पर काबू पाने का और स्वभाव की नाटकीयता से बचने का प्रयास अनिवार्य रूप से करना होगा। पति के साथ मिलकर बात करें। अलग रहने का विचार समस्या को विकराल बना सकता है। पारंपरिक मान्यताएं कहती हैं कि मांसाहार का त्याग, शनिवार को काजल का भूमि प्रवाह और नेत्रहीन लोगों को तैलीय भोजन अर्पित करने तथा कुत्तों को मीठी तंदूरी रोटी खिलाने से लाभ होगा। प्रश्न: मेरी कुंडली में मेरा शनि खराब है। बहुत परेशान हूं। ठीक करने का कोई उपाय बताइए। जन्म तिथि- 21.08.1992, जन्म समय- 12.34, जन्म स्थान- मथुरा (उप्र)। -रोहित सिंह उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि वृष और लग्न वृश्चिक है। आपकी कुंडली में शनिदेव पराक्रम भाव और सुखभाव के स्वामी होकर पराक्रम भाव में ही विराजमान हैं। यह शनि की अति श्रेष्ठ स्थितियों में से एक है। आपका शनि आपके जीवन की आपाधापी को कम करके आपको फर्श से उठाकर अर्श पर बैठाने की क्षमता रखता है। अतः अब आप तनाव मुक्त रहें, क्योंकि अब आपके परेशान होने का कोई कारण नजर नहीं आता। आगे बढ़ने के लिए ग्रहों से ज्यादा स्वयं पर भरोसा अनिवार्य है। ध्यान रखें, बेवजह का वहम अच्छे भले जीवन का बेड़ा गर्क कर सकता है। प्रश्न: क्या घर में ऊन के गोले नहीं रखने चाहिए/ -सविता जोगानी उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि प्राचीन सलोहित शास्त्र (जो आज लाल किताब के नाम से जानी जाती है) में ऊन और पतली रस्सी के बंधे गोले की घर में उपस्थिति को शुभ नहीं माना गया है। उस ग्रंथ के बहुत से शोध और हिस्से अब लुप्त हो चुके हैं। हो सकता है कि खोए हुए शोध पत्रों में इसका कोई तकनीकी या तार्किक पक्ष भी रहा हो, पर आज का सत्य तो ये है कि बचे हुए पन्नों में इस मान्यता का कोई वैज्ञानिक और तार्किक कारण नहीं मिलता। प्रश्न: 8 का अंक अशुभ क्यों है/ -ऋतिका झुनझुनवाला उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि हर अंक का अपना पृथक अस्तित्व, गुण-धर्म और महत्व है। कोई भी अंक श्वेत-श्याम की कसौटी पर न तो शुभ है, न ही अशुभ। अंक ज्योतिष के अनुसार 8 की संख्या स्वयं में विराट मानसिक क्षमता और अपार संभावना समेटे हुए है। यह अंक खुद में आध्यात्म, लेखन, कला, संगीत, अर्थशास्त्र, नीति, राजनीति, सामाजिक सुधार और वैचारिक क्षमता की अप्रतिम प्रतिभा से ओतप्रोत है। हां, विचारों की प्रचुरता के कारण यह अंक भौतिक रूप से अन्य कई अंकों के पीछे खड़ा नजर आता है, शायद, इसीलिए अपरिपक्व मान्यताएं इस अंक को अशुभ घोषित कर देती हैं, जो उचित नहीं है। टिप्स ऑफ द वीक यदि आर्थिक कष्ट विकराल हो गया हो, तो किसी कागज पर लाल स्याही से बड़ी संख्या में श्रींकार बीज यानि श्रीं लिखकर, काटकर, आटे में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर किसी जलाशय में मछलियों को अर्पित कर देनी चाहिए। इस पूरी प्रक्रिया में श्रीं बीज का मानसिक जाप करते रहना चाहिए। शीघ्र लाभ होगा, ऐसा आध्यात्मिक मान्यताएं कहती हैं। ये भी जानें जन्म कुंडली का छठा खाना रोग भाव कहलाता है। इस भाव से शारीरिक विकारों और बीमारियों की स्थिति का अध्ययन किया जाता है। यह भाव शत्रु भाव भी कहलाता है। विरोधियों, शत्रुओं और उनके षड्यंत्रों की पड़ताल इसी खाने से होती है। यौन कष्टों, कलह, विवाद, झगड़े, मुकदमे, डर, तनाव और उलझन का आंकलन भी इसी भाव से होता है। कुंडली में मामा और मौसी के सुख की स्थिति इसी से जानी जाती है। सेवकों और अनुयायियों की जानकारी षष्ठ भाव से ही मिलती है। नोट : अगर, आपकी कोई समस्या है, तो आप अपनी जन्म तारीख, जन्म समय और जन्म स्थान के साथ अपना सवाल [email protected] पर मेल कर सकते हैं। Subject: NBT Astro Numero जरूर लिखें। चुनिंदा सवालों के जवाब छापे जाएंगे। मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट। http://dlvr.it/NrJ68s
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aajkarashifal · 7 years
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पारसमणि का रहस्य जानें, स्वामी आनंद जी से
स्वामी आनंद जी आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषीय चिंतक प्रश्न: मैं मांगलिक हूं। ये योग कब तक रहेगा? क्या पूजा से इसकी शांति हो सकती है? इसमें कितना खर्च होता है? -ऋतुजा चोपड़ा उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि जन्म कुंडली में बारह खाने होते हैं, जिन्हें द्वादश भाव या बारह घर कहा जाता है। लग्न (अर्थात प्रथम भाव), चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में मंगल की मौजूदगी ही मंगल दोष कहलाती है। इससे प्रभावित व्यक्ति को मांगलिक कहा जाता है। यह योग परिवर्तनशील नहीं है। यानि कुंडली में यदि मंगलदोष है, तो वह आजन्म रहेगा। साधारण रूप से बोला जाने वाला उपक्रम 'मंगल की शांति' से है, तो उसका आशय ही स्पष्ट नहीं है। क्योंकि यह अशांति की स्थिति है ही नहीं, बल्कि यह तो एक भिन्न परिस्थिति है। आंतरिक संकल्प तो ठीक है, पर कोई धार्मिक अनुष्ठान या बाह्य क्रिया कलाप इस योग को बदल देगा, अपरिपक्व अवधारणा है। मांगलिक लोगों में ऊर्जा की अधिकता होती है। अतः यदि नियमित रूप से रोज लंबी दौड़, योगाभ्यास या वर्जिश की जाए, तो जरूर लाभ होगा। प्रश्न: पारसमणि क्या होती है? क्या इसे आज के दौर में प्राप्त किया जा सकता है? -विद्याधर उपासे उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि पारस पत्थर या पारसमणि से आशय उस रत्न से है, जिसके संपर्क, संसर्ग और स्पर्श से लोहे जैसी साधारण धातु भी स्वर्ण या स्वर्ण सदृश बेशकीमती हो जाती है। पर ऐसे पत्थर सिर्फ मान्यताओं, काल्पनिक अवधारणाओं और परियों के किस्सों में ही सुनाई देते हैं। इसकी पुष्टि का कोई प्रत्यक्ष और स्पष्ट आधार अब तक प्राप्त नहीं हो सका है। सिर्फ स्पर्श मात्र से ही किसी धातु या पदार्थ के समस्त गुणधर्म, स्वरूप और दशा बदल जाएं, ऐसा तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टि से संभव प्रतीत नहीं होता। हां, आध्यात्मिक नजरिए से मैं इस रत्न को स्थूल न मानकर गुण, खासियत व क्षमता के रूप में देखता हूं। आपकी योग्यता, सामर्थ्य, विशेषता और आंतरिक गुण अवश्य ही किसी पारस पत्थर की मानिंद आपके अंदर और आपके संपर्क में आने वाले लोगों में सुख, शांति, ऐश्वर्य, आनंद और समृद्धि का सूत्रपात कर सकती हैं। प्रश्न: बवासीर योग क्या होता है? क्या यह मेरी कुंडली में है? जन्म तिथि- 19.08.1981, जन्म समय- 02.43, प्रातः, जन्म स्थान- देवरिया (उप्र)। -प्रताप चंद कुशवाहा उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि बवासीर योग नाम से किसी योग का ग्रंथों में वर्णन तो नहीं है, पर हां, यदि केतु अष्टम भाव में आसीन हो, तो शरीर के निचले भाग में समस्या, मसालेदार भोजन से कष्ट, विशेषत: गुदा से संबंधित विकार जैसे बवासीर इत्यादि से ग्रसित होने की संभावना अवश्य प्रबल हो जाती है। आपका केतु अष्टम भाव में ही बैठा है, लिहाजा, हां। आपकी कुंडली में इस समस्या के संकेत नजर तो आते हैं, पर उन्हें खानपान, योगाभ्यास और स्वस्थ दिनचर्या से रोका या काबू में किया जा सकता है। प्रश्न: भाग्येश क्या होता है? मेरा भाग्येश क्या है? जन्म तिथि- 14.09.1979, जन्म समय- 03.41, जन्म स्थान- बस्ती(उप्र)। - प्रतिष्ठा शाह उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि कुंडली के बारहों भाव की अपनी भिन्न राशियां होती हैं। नवम भाव को भाग्य भाव कहते हैं। इस भाव में स्थित राशि के स्वामी को ही नवमेश या भाग्येश कहा जाता है। आपके भाग्य भाव की राशि 2 यानि वृष है, जो दैत्यगुरु शुक्रदेव की राशि हैं। अतः आपके भाग्येश यानि भाग्य के स्वामी शुक्र हैं। प्रश्न: क्या वायव्य कोण में कांच की मौजूदगी स्वास्थ्य के लिए घातक है? -सुनयना चक्रवर्ती उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि वायव्य कोण जीवन में आकांक्षा, उमंगों और तरंगों को नियंत्रित करता है। वास्तु के नियम इस कोने में कांच की मौजूदगी को अपव्यय का कारक मानते हैं। यहां रहने वाले लोग अपने शौक पर अधिक धन खर्च करके कर्ज के जाल में फंस जाते हैं। इस कोण का सेहत से कोई संबंध नहीं है। ये भी जाने -मंत्रों ऋषि एवं छंद का ज्ञान न होने पर मंत्र का फल नहीं मिलता और विनियोग न करने पर मंत्र दुर्बल हो जाते हैं, ऐसा गौतमीय तंत्र कहता है। मंत्रों को फल का दिशा निर्देश देने की प्रक्रिया को ही 'विनियोग' कहते है। विनियोग में ऋषि, छंद, देवता, बीज एवं शक्ति के साथ एक और तत्व होता है, जिसे बीजक कहते हैं। बीजक 'मंत्र शक्ति' को संतुलित रखने वाला तत्त्व है। इसका सर्वांग न्यास मंत्र सिद्धि की अनिवार्य शर्त है। टिप्स- - शनि जनित कष्टों से निजात पाने के लिए नेत्रहीन और शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर व्यक्तियों की सेवा बेहद असरदार होती है, ऐसा मान्यताएं कहती हैं। - यदि शनि की दशा में कष्ट हो, तो इलेक्ट्रोनिक और चमड़े की वस्तुएं उपहार स्वरूप स्वीकारने से कष्ट में वृद्धि हो सकती है। हां, इनका उपहार देना लाभदायक होगा। मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट। http://dlvr.it/Nk8mJl
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