बिना अंडे का पाव 30 मिनट से कम में कैसे बनाएं
बिना अंडे का पाव 30 मिनट से कम में कैसे बनाएं
ब्रेड भारतीय व्यंजनों का एक बड़ा हिस्सा हैं। और नहीं, हम रोटी, नान और भारतीय ब्रेड की अन्य किस्मों के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। यहां, हमारा मतलब उस साधारण टोस्ट से है जो आपके पास हर सुबह है। रोटी का एक टुकड़ा या पाव, चाहे चाय के साथ, मक्खन या जैम से भरा हुआ, सैंडविच की तरह भरवां, या किसी अन्य नुस्खा में, हमेशा आरामदायक और स्वादिष्ट होता है। हालाँकि, जब इस पाव रोटी की बात आती है, तो हम इसे…
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फूली हुई रोटी, पूरी वगैरह बनाने के लिए गेहूँ के आटे के 4 विकल्प
फूली हुई रोटी, पूरी वगैरह बनाने के लिए गेहूँ के आटे के 4 विकल्प
हम बाहर कितना भी खा लें, घर का बना खाना नाम की कोई चीज नहीं होती। एक कटोरी ताजी सब्जियां या मसूर की दाल में फूली हुई रोटी/फुल्का कुछ ही समय में पौष्टिक भोजन बन जाता है। जब रोटी की बात आती है, तो यह हमारे दैनिक आहार का एक अभिन्न अंग है और हम इससे इनकार नहीं कर सकते। हल्की और फूली, रोटी बहुत जरूरी है, चाहे हम कितनी भी सब्जियां बना लें। हालांकि घर पर ब्रेड बनाने के लिए हमें आटा, अच्छी क्वालिटी का…
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🚩स्वतंत्रता दिवस तो मना लेते हैं, पर क्या हम स्वतन्त्र हैं? 13 अगस्त 2021
🚩सभी देशवासी 15 अगस्त की खुशियां मनाते हैं और मनानी भी चाहिए क्योंकि हमें 700 साल मुसलमानों और मुगलों ने तथा 200 साल अंग्रेजों ने गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था उससे हमें स्वतंत्रता मिली तो खुशी होनी चाहिए, लेकिन मुसलमानों और मुगलों से आज़ाद होने के लिए लाखों तथा अंग्रेजों के अत्याचारी शासन से मुक्त होने के लिए 732000 शहीदों ने बलिदान दिया है।
🚩15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की बाह्य गुलामी तो दूर हुई, लेकिन अंग्रेजी भाषा की, उनके बनाये कानून और उनके विचारों की गुलामी तो हमारे दिमाग में घुसी हुई है। उनकी बनाई हुई शिक्षा प्रणाली आज भी चल रही है।
🚩स्वतंत्रता दिवस की खुशियाँ मनानी चाहिए पर खुशी मनाने के साथ खुशी शाश्वत रहे, ऐसी नजर रखो। इसके लिए देश को तोड़ने वाले षड्यंत्रों से बचें, संयमी और साहसी बनें, बुद्धिमान बनें। अपनी संस्कृति व उसके रक्षक संतों के प्रति श्रद्धा तोड़ने वालों की बातें मानकर अपने देश की जड़ें खोदने का दुर्भाग्य अपने हाथ में न आये। बड़ी कुर्बानी देकर आजादी मिली है। फिर यह आजादी विदेशी ताकतों के हाथ में न चली जाय, उसका ध्यान रखना ही 15 अगस्त याद दिलाता है।
🚩आज कॉन्वेंट स्कूल, मीडिया, टीवी, इंटरनेट आदि के माध्यम से उनकी संस्कृति हमें परोसकर हमारे देशवासियों को कमजोर कर रहे हैं। दूसरा, अंग्रेजों के बनाये कानून के द्वारा आज भी निर्दोष को न्याय और अपराधियों को सजा नहीं होने के कारण अपने भारतीय संस्कृति के अनुसार भारत की व्यवस्था करनी चाहिए जिसके कारण देशवासियों को न्याय मिल पाए।
🚩विदेशी लोग अपनी पाश्चात्य संस्कृति से परेशान होकर हमारी संस्कृति व भाषा अपना रहे हैं।
🚩हमें भी अपनी वैदिक संस्कृति, अपने देश की जलवायु और रीति-रिवाजों के अनुसार स्वास्थ्य लाभ, सामाजिक जीवन और आत्मिक उन्नति करानेवाली भारत की महान संस्कृति का आदर करना चाहिये, लाभ लेना चाहिए। अंग्रेजी कल्चर का दिखावटी जीवन भीतर से खोखला कर देता है। संयमी, सदाचारी और साहसी भारतीय संस्कृति के सपूतों को अपनी मिली हुई आजादी को सावधानी से सँभाले रखना चाहिये। उनकी संस्कृति अपनाकर हमें परतंत्र नहीं बनना चाहिए बल्कि अपनी महान भारतीय वैदिक संकृति अपनाकर स्वतंत्र बनना चाहिए।
🚩आइये आपको कुछ नमूने बताते हैं जो विदेशियों की विवशता और भारतवासियों की महामूर्खता को बयां कर रहे हैं-
🚩1. आठ महीने ठण्ड पड़ने के कारण कोट पैंट पहनना विदेशियों की विवशता और शादी वाले दिन भरी गर्मी में कोट-पैंट डालकर बारात लेकर जाना हमारी मूर्खता।
🚩2. ठण्ड में नाक बहते रहने के कारण टाई लगाना विदेशियों की विवशता और दूसरों को प्रभावित करने के लिए जून महीने में टाई कसकर घर से निकलना हमारी मूर्खता।
🚩3. ताजा भोजन उपलब्ध ना होने के कारण सड़े आटे से पिज्जा, बर्गर, नूडल्स आदि खाना विदेशियों की विवशता और 56 भोग छोड 400/- की सड़ी रोटी (पिज्जा ) खाना हमारी मूर्खता।
🚩4. ताजे भोजन की कमी के कारण फ्रीज का इस्तेमाल करना यूरोप की विवशता और रोज दो समय ताजी सब्जी बाजार में मिलने पर भी हफ्ते भर की सब्जी मंडी से लेकर फ्रीज में ठूसकर सड़ा-सड़ा कर खाना हमारी मूर्खता।
🚩5. जड़ी बूटियों का ज्ञान ना होने के कारण जीव-जंतुओं के हाड़-मांस से दवाएं बनाना उनकी विवशता और आयुर्वेद जैसा महान चिकित्सा ग्रंथ होेने के बावजूद हाड़-मांस की दवाईयां उपयोग करना हमारी महामूर्खता।
🚩6. पर्याप्त अनाज ना होने के कारण जानवरों को खाना उनकी विवशता और 1600 किस्मों की फसलें होने के बावजूद जीभ के स्वाद के लिए किसी निर्दोष प्राणी को मारकर उसे खाना हमारी मूर्खता।
🚩7. लस्सी, दूध, जूस आदि ना होने के कारण कोल्ड ड्रिंक को पीना उनकी विवशता और 36 तरह के पेय पदार्थ होते हुए भी कोल्ड ड्रिंक नामक जहर को पीकर खुद को आधुनिक समझ कर इतराना हमारी महा मूर्खता।
🚩8. टाइट कपड़े पहनने के कारण जमीन की जगह कुर्सी पर बैठ कर भोजन करना उनकी विवशता और हमारी मूर्खता।
🚩9. न बोल पाने की असमर्थता के कारण उनका संस्कृत ना बोलना और जोड़-तोड़ वाली अंग्रेजी से काम चलाना उनकी विवशता और दूसरी ओर अपनी महान संस्कृत से विमुख होकर अंग्रेजी बोलने का प्रयास करना हमारी मूर्खता।
🚩10. असभ्य, लालची और स्वार्थी स्वभाव के कारण अपने माँ-बाप से अलग रहने का उनका दुर्व्यवहार अपने में लाना हमारी मूर्खता।
🚩क्या ये भारतीयों को शोभा देता है..???
🚩भारतीय अपनी मूर्खता छोड़ें और अपनी दिव्य, महान संस्कृति पर ध्यान देें...
🚩भारत महान था, महान है, किंतु महान तब रहेगा जब देशवासी ऐसी महामूर्खताओं को त्याग कर अपने देश की महानता को समझेंगे।
🚩हमें स्वतंत्र होना है तो उनके कानून, उनकी शिक्षा और उनकी संस्कृति को खत्म करके हमारी संस्कृति के अनुसार सब कुछ करना होगा, तभी पूर्ण स्वतंत्र होंगे।
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काेराेना वायरस के संक्रमण से बचाव काे लेकर जिले के चार अनुमंडल में क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। इन सेंटराें पर सरकार प्रवासियों के बीच नाश्ता, भाेजन व स्वच्छ पेयजल सहित दैनिक जरूरत के सामान भी दिए जाने का निर्देश दिया है। लेकिन सरकार के अधिकारी उनके अादेश की अवहेलना कर रहे हैं। मंगलवार काे निर्मली अनुमंडल मुख्यालय स्थित उच्च विद्यालय निर्मली स्थित क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे लाेगाें काे सुबह के नाश्ता में अालू का भूजिया व राेटी से ही संताेष करना पड़ रहा है। मच्छरदानी तक की व्यवस्था प्रवासियों काे ही करनी पड़ी है। गाैरतलब है कि सरकार के द्वारा सेंटराें पर रह रहे लाेगाें काे दूध, ताजे फल, अंडे व खाने पीने के लिए शानदार सुविधाएं देने का जिक्र किया गया है। लेकिन सरकार व डीएम के अादेश के बाद भी क्वारेंटाइन सेंटर पर काेताही बरती जा रही है।
दाे हजार लोग पहुंच सकते हैं कोचगामा पंचायत : एंटी कोरोना टास्क फोर्स के जिलाध्यक्ष सह सरपंच पति कोचगामा समशेर आलम ने बताया कि जिस प्रकार मजदूर बस में सोशल डिस्टेंसिंग के तहत आते हैं। वीरपुर स्थित कंट्राेल रूम में सभी को एक साथ भेड़ बकरी की तरह रखा जाता है। आने वाले समय में पंचायत में दो हजार से अधिक प्रवासी मजदूरों के पहुंचने की संभावना है।
बसंतपुर में भोजन के लिए मेन्यू का नहीं हो रहा पालन, जनरेटर भी नहीं
वीरपुर में सोमवार को जयपुर से 700 व मंगलवार को 500 से अधिक प्रवासी मजदूर पहुंचे। कोचगामा पंचायत के मध्य विद्यालय पटेरवा स्थित क्वारेंटाइन सेंटर के प्रभारी जयशंकर प्रसाद ने बताया कि विद्यालय के सात कमरों में 205 मजदूरों को रखा गया है। सेंटर पर दरी, तकिया, त्रिपाल की व्यवस्था स्थानीय मुखिया ने कराई है। शाम के इफ्तार में चुरा, मुढ़ी, चना, फल (खीरा, खजूर, खरभुज, केला), प्याजी, दो जलेबियां व रात के खाना में चावल, दाल, सब्जी, चोखा, सलाद दिया जा रहे है। सुबह की शेहरी में चावल दाल व सब्जी दी जाती है। जेनरेटर की व्यवस्था नहीं है।
त्रिवेणीगंज में अप्रवासियों को नाश्ते में मिल रहा चूढ़ा, मुढ़ी और चने की सब्जी
त्रिवेणीगंज के एएलवाई कॉलेज परिसर स्थित क्वारेंटाइन सेंटर में सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में लगभग 65 प्रवासी मजदूर रह रहे है। 10 व्यक्तियों पर 1 शौचालय व स्नान घर चिन्हित किए गए है। प्रवासी दुर्गानंद कामत ने बताया कि सुबह के नाश्ते में चूड़ा, मुढ़ी व चने की सब्जी, दोपहर में दाल, चावल व सब्जी खाने दिए जा रहे है। राजस्व पदाधिकारी शतम सुंदर ने बताया कि बाढ़ आपदा राहत शिविर की तरह सेंटर का संचालन हाे रहा है। प्रति व्यक्ति 500 ग्राम चावल, 100 ग्राम दाल व 200 ग्राम सब्जी का आवंटन है। कॉलेज परिसर स्थित अम्बेडकर बालिका आवास विद्यालय में महिलाओं व पुरुष को रखने के लिए अलग-अलग व्यवस्था है।
क्वारेंटाइन सेंटरों पर अप्रवासियों को मिलनी है ये सुविधाएं
सेंटरों पर लोगों काे नियमानुसार सुबह 6 बजे प्रति व्यक्ति एक पैकेट बिस्किट, चाय व दो लीटर का दो बोतल सीलबंद मिनरल वाटर दिया जाना है। प्रत्येक व्यक्ति काे प्रतिदिन 5 डिस्पोजल ग्लास भी दिया जाना है। सुबह साढ़े 8 बजे नाश्ते में प्रति व्यक्ति आधा लीटर दूध, 200 ग्राम ब्रेड का एक पैकेट, एक अंडा या शाकाहारी लोगों को 150 ग्राम सेब दिया जाना है। दोपहर 12.30 बजे खाने में चावल, दाल, ताजी हरी सब्जी, भुजिया, दही व 200 ग्राम संतरा दिए जाने का निर्देश है। इसी तरह शाम 5 बजे एक पैकेट बिस्किट व चाय तथा रात 9 बजे भोजन में प्रत्येक व्यक्ति को मांग के अनुसार चावल या रोटी, सब्जी, दाल और एक एक निंबू दिया जाना है।
सेंटराें पर बच्चाें के लिए होगी दूध की व्यवस्था
काेराेना के संक्रमण से बचाव काे लेकर जिले के सभी चार अनुमंडल क्षेत्राें में क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। प्रवासियाें के बीच डिग्निटी किट का वितरण किया गया है। अापदा प्रबंधन के तहत क्वारेंटाइन सेंटर पर लाेगाें के लिए फिलहाल दूध का प्रबंध नहीं है। लेकिन क्वारेंटाइन सेंटराें पर बच्चाें के लिए दूध की व्यवस्था हाेगी। प्रवासियाें काे ससमय नाश्ता, भाेजन व स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने का निर्देश संबंधित पदाधिकारियाें व कर्मियाें काे दिए गए है।
महेंद्र कुमार, जिलाधिकारी, सुपौल
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त्रिवेणीगंज के क्वारेंटाइन सेंटर पर प्रवासी की जांच करते मेडिकलकर्मी।
वीरपुर के क्वारेंटाइन सेंटर के बरामदे में प्रवासियाें की भीड़।
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बॉलीवुड के दमदार एक्टर्स की लिस्ट में शामिल इरफान खान (irfan khan) ने 53 साल की आयु में ही दुनिया को अलविदा कह दिया. एक्टर के निधन से फैंस में अब भी शोक का माहौल है. इरफान खान करीब 2 सालों से कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे थे. हालांकि, उन्होंने विदेश जाकर भी अपना इलाज कराया था मगर उनके जीने का हौंसला बीमारी के आगे कमजोर पड़ गया और 29 अप्रैल को निधन हो गया. उनके जाने के बाद से ही सोशल मीडिया पर उनसे जुड़े कई किस्से वायरल हो रहे हैं. हम आपको उनका ऐसा किस्सा बताएंगे जिसे जानने के बाद आपके दिल में उनके लिए प्यार और इज्जत दोनों बढ़ जाएगी. मुस्लिम होकर भी मंदिर जाते थे इरफान खान की कुछ समय पहले ही 'अंग्रेजी मीडियम' फिल्म रिलीज हुई है. इस फिल्म को प्रमोट करने का उनका काफी मन था. मगर लॉकडाउन के कारण संभव न हो सका. इस फिल्म की शूटिंग के समय इरफान उदयपुर में थे. जहां उनके ड्राइवर ने एक्टर से जुड़ी कई ऐसी बातें बताईं. जिन पर विश्वास करना जल्दी मुमकिन नहीं है. ड्राइवर नरपत का यह इंटरव्यू इस समय काफी वायरल है. रिपोर्ट की मानें तो, अंग्रेजी मीडियम के दौरान नरपत (Narpat singh) ने इरफान के साथ करीब 45 दिन गुजारे. वह हर पल उनके साथ रहते थे. नरपत ने बताया कि, एक्टर खुलकर जिंदगी जीने वालों में से थे और एक मुस्लिम होने के बावजूद वह भगवान को मानते थे और मंदिर भी जाते थे. जब श्रीनाथजी को तस्वीर को माथे से लगाया नरपत ने बताया कि, शूटिंग के समय ही एक बार एक्टर उनके घर आए. इस दौरान उन्होंने खेतों की हरियाली का लुत्फ उठाया और गाय-बछड़ों को भी खूब दुलार किया. पर वह उस समय हैरान रह गए जब मां ने एक्टर को आशीर्वाद के रूप में श्रीनाथजी की तस्वीर दी जिसे इरफान ने माथे से लगा लिया. इस दौरान जब मां ने चाय बनाकर पिलाई तो एक्टर ने बिना हिचके चाय पी ली और दोबारा से मांगी. इरफान ने मेरी मां से कहा कि, 'मां मेरी अम्मी जैसी चाय बनाती है वैसी तुम्हारी चाय है एक और चाय पिलाओ ना.' महादेव को चढ़ाते थे जल इंटरव्यू में नरपत ने आगे बताया कि, शूटिंग के समय इरफान शहर के एक होटल में रुके थे. तो जब भी वह होटल से निकलते थे सबसे पहले इरफान महादेव के मंदिर जाते और जल अर्पित कर आशीर्वाद लेकर आते थे. इसके अलावा वह शूटिंग से पहले गायों को चारा खिलाना, कुत्तों को रोटी खिलाना जैसे काम जरूर करते थे. एक तरह से ये उनका रूटीन था. जिसे वह खुशी-खुशी निभाते थे. मक्की की रोटी और घी बहुत पसंद था नरपत ने बताया था कि, एक्टर बीमार थे इस कारण डॉक्टर्स ने उनसे ऑर्गेनिक फूड खाने की सलाह दी. इसलिए वह अक्सर अपने गांव से बकरी का दूध और कुछ ताजी सब्जियां लेकर आते थे. ड्राइवर ने इरफान की पसंद बताते हुए कहा कि, उन्हें मक्की की रोटी और गाय का घी खाना काफी पसंद था. जानवरों को मारने के खिलाफ थे इरफान वैसे आपको शायद ही मालूम होगा कि, इरफान जानवरों को मारकर खाने के सख्त खिलाफ थे. एक बार उन्होंने बताया था कि, अक्सर उनके पिता कहते थे कि, पठानों के घर में ये ब्राह्मण कैसे पैदा हो गया. मगर इरफान जानवरों से प्यार करते थे और जिंदादिल इंसान थे. ये भी पढ़ेंः- जब लाखों लोग के बीच किंग खान पर भड़के थे इरफान खान, अपनी फिल्मों को बताया था वड़ा पाव..video
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श्री साईं चालीसा SAI CHALISA LYRICS
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Sai Chalisa Lyrics in Hindi and english from the album Shri Sai Chalisa, sung by Raja Pandit, Harish Gwala, lyrics written by Dasganu and music created by Raja Pandit.
Sai Bhajan: Shri Sai Chalisa Lyrics
Album: Shri Sai Chalisa
Singers: Raja Pandit, Harish Gwala
Lyrics: Dasganu
Music: Raja Pandit
Music Label: T-Series
Sai Chalisa Lyrics in Hindi
पहले साई के चरणों में,अपना शीश नमाऊं मैं |
कैसे शिरडी साई आए, सारा हाल सुनाऊं मैं ||
कौन है माता, पिता कौन है, यह ना किसी ने भी जाना |
कहाँ जन्म साई ने धारा, प्रश्र्न पहेली रहा बना ||
कोई कहे अयोध्या के, ये रामचंद्र भगवान हैं |
कोई कहता साई बाबा, पवन पुत्र हनुमान हैं ||
कोई कहता मंगल मूर्ति, श्री गजानंद हैं साई |
कोई कहता गोकुल मोहन, देवकी नन्दन हैं साई ||
शंकर समझे भकत कई तो, बाबा को भजते रहते |
कोई कह अवतार दत्त का, पूजा साई की करते ||
कोई भी मानो उनको तुम, पर साई हैं सच्चे भगवान |
बड़े दयालु दीनबंधु, कितनों को दिया जीवन दान ||
कई वर्ष पहले की घटना, तुम्हें सुनाऊँगा मैं बात |
किसी भाग्यशाली की, शिरडी में आई थी बारात ||
आया साथ उसी के था, बालक एक बहुत सुन्दर |
आया, आकर वहीं बस गया, पावन शिरडी किया नगर ||
कई दिनों तक भटकता, भिक्षा मांग उसने दर-दर |
और दिखाई ऐसी लीला, जग में जो हो गई अमर ||
जैसे-जैसे उमर बढ़ी, बढ़ती ही वैसे गई शान |
घर-घर होने लगा नगर में, साई बाबा का गुणगान ||
दिग दिगंत में लगा गूँजने, फिर तो साई जी का नाम |
दीन-दुखी की रक्षा करना, यही रहा बाबा का काम ||
बाबा के चरणों में जाकर, जो कहता मैं हूँ निर्धन |
दया उसी पर होती उनकी, खुल जाते दुख के बंधन ||
कभी किसी ने मांगी भिक्षा, दो बाबा मुझको संतान |
एवमस्तु तब कहकर साई, देते थे उसको वरदान ||
स्वयं दुखी बाबा हो जाते, दीन-दुखीजन का लख हाल |
अंत:करण श्री साई का, सागर जैसा रहा विशाल ||
भकत एक मद्रासी आया, घर का बहुत बड़ा धनवान |
माल खजाना बेहद उसका, केवल नहीं रही संतान ||
लगा मनाने साईनाथ को, बाबा मुझ पर दया करो |
झंझा से झंकृत नैया को, तुम्हीं मेरी पार करो ||
कुलदीपक के बिना अँधेरा छाया हुआ घर में मेरे |
इसलिए आया हूँ बाबा, होकर शरणागत तेरे ||
कुलदीपक के अभाव में, व्यर्थ है दौलत की माया |
आज भिखारी बनकर बाबा, शरण तुम्हारी मैं आया ||
दे-दो मुझको पुत्र-दान, मैं ऋणी रहूँगा जीवन भर |
और किसी की आशा न मुझको, सिर्फ भरोसा है तुम पर ||
अनुनय-विनय बहुत की उसने, चरणों में धर के शीश |
तब प्रसन्न होकर बाबा ने, दिया भकत को यह आशीष ||
'अल्ला भला करेगा तेरा' पुत्र जन्म हो तेरे घर |
कृपा रहेगी तुझ पर उसकी, और तेरे उस बालक पर ||
अब तक नहीं किसी ने पाया, साई की कृपा का पार |
पुत्र रत्न दे मद्रासी को, धन्य किया उसका संसार ||
तन-मन से जो भजे उसी का, जग में होता है उद्धार |
सांच को आंच नहीं हैं कोई, सदा झूठ की होती हार ||
मैं हूँ सदा सहारे उसके, सदा रहूँगा उसका दास |
साई जैसा प्रभु मिला है, इतनी ही कम है क्या आस ||
मेरा भी दिन था एक ऐसा, मिलती नहीं मुझे रोटी |
तन पर कपड़ा दूर रहा था, शेष रही नन्हीं सी लंगोटी ||
सरिता सन्मुख होने पर भी, मैं प्यासा का प्यासा था |
दुर्दिन मेरा मेरे ऊपर, दावाग्नी बरसाता था ||
धरती के अतिरिक्त जगत में, मेरा कुछ अवलंब न था |
बना भिखारी मैं दुनिया में, दर-दर ठोकर खाता था ||
ऐसे में एक मित्र मिला जो, परम भकत साई का था |
जंजालों से मुकत मगर, जगत में वह भी मुझसा था ||
बाबा के दर्शन की खातिर, मिल दोनों ने किया विचार |
साई जैसे दया मूर्ति के, दर्शन को हो गए तैयार ||
पावन शिरडी नगर में जाकर, देख मतवाली मूर्ति |
धन्य जन्म हो गया कि हमने, जब देखी साई की सूरति ||
जब से किए हैं दर्शन हमने, दुख सारा काफूर हो गया |
संकट सारे मिटे और, विपदाओं का अंत हो गया ||
मान और सम्मान मिला, भिक्षा में हमको बाबा से |
प्रतिबिंबित हो उठे जगत में, हम साई की आभा से ||
बाबा ने सन्मान दिया है, मान दिया इस जीवन में |
इसका ही संबल ले मैं, हसंता जाऊँगा जीवन में ||
साई की लीला का मेरे, मन पर ऐसा असर हुआ |
लगता जगती के कण-कण में, जैसे हो वह भरा हुआ ||
'काशीराम' बाबा का भक्त, शिरडी में रहता था |
मैं साई का साई मेरा, वह दुनिया से कहता था ||
सीकर स्वयं वस्त्र बेचता, ग्राम-नगर बाजारों में |
झंकृत उसकी हृदय तंत्री थी, साई की झंकारों में ||
स्तब्ध निशा थी, थे सोए, रजनी आंचल में चांद सितारे |
नहीं सूझता रहा हाथ को हाथ तिमिर के मारे ||
वस्त्र बेचकर लौट रहा था, हाय! हाट से काशी |
विचित्र बड़ा संयोग कि उस दिन, आता था एकाकी ||
घेर राह में खड़े हो गए, उसे कुटिल अन्यायी |
मारो काटो लूटो इसकी ही, ध्वनि पड़ी सुनाई ||
लूट पीटकर उसे वहाँ से कुटिल गए चम्पत हो |
आघातों में मर्माहत हो, उसने दी संज्ञा खो ||
बहुत देर तक पड़ा रह वह, वहीं उसी हालत में |
जाने कब कुछ होश हो उठा, वहीं उसकी पलक में ||
अनजाने ही उसके मुंह से, निकल पड़ा था साई |
जिसकी प्रतिध्वनि शिरडी में, बाबा को पड़ी सुनाई ||
क्षुब्ध हो उठा मानस उनका, बाबा गए विकल हो |
लगता जैसे घटना सारी, घटी उन्हीं के सन्मुख हो ||
उन्मादी से इधर-उधर तब, बाबा लेगे भटकने |
सन्मुख चीजें जो भी आई, उनको लगने पटकने ||
और धधकते अंगारों में, बाबा ने अपना कर डाला |
हुए सशंकित सभी वहाँ, लख तांडवनृत्य निराला ||
समझ गए सब लोग, कि कोई भकत पड़ा संकट में |
क्षुभित खड़े थे सभी वहाँ, पर पड़े हुए विस्मय में ||
उसे बचाने की ही खातिर, बाबा आज विकल है |
उसकी ही पीड़ा से पीड़ित, उनकी अंत:स्थल है ||
इतने में ही विविध ने अपनी, विचित्रता दिखलाई |
लख कर जिसको जनता की, श्रद्धा सरिता लहराई ||
लेकर संज्ञाहीन भकत को, गाड़ी एक वहाँ आई |
सन्मुख अपने देख भकत को, साई की आँखे भर आ ||
शांत, धीर, गंभीर, सिंधु-सा, बाबा का अंत:स्थल |
आज न जाने क्यों रह-रहकर, हो जाता था चंचल ||
आज दया की मूर्ति स्वयं था, बना हुआ उपचारी |
और भकत के लिए आज था, देव बना प्रतिहारी ||
आज भकत की विषम परीक्षा में, सफल हुआ था काशी |
उसके ही दर्शन की खातिर थे, उमड़े नगर-निवासी ||
जब भी और जहाँ भी कोई, भकत पड़े संकट में |
उसकी रक्षा करने बाबा, आते हैं पलभर में ||
युग-युग का है सत्य यह, नहीं कोई नई कहानी |
आपद्ग्रस्त भकत जब होता, जाते खुद अंर्तयामी ||
भेदभाव से परे पुजारी, मानवता के थे साई |
जितने प्यारे हिन्दू-मुस्लिम, उतने ही थे सिक्ख ईसाई ||
भेद-भाव मंदिर-मिस्जद का, तोड़-फोड़ बाबा ने डाला |
राह रहीम सभी उनके थे, कृष्ण करीम अल्लाताला ||
घंटे की प्रतिध्वनि से गूंजा, मस्जिद का कोना-कोना |
मिले परस्पर हिन्दू-मुस्लिम, प्यार बढ़ा दिन-दिन दूना ||
चमत्कार था कितना सुन्दर, परिचय इस काया ने दी |
और नीम कडुवाहट में भी, मिठास बाबा ने भर दी ||
सब को स्नेह दिया साई ने, सबको संतुल प्यार किया |
जो कुछ जिसने भी चाहा, बाबा ने उसको वही दिया ||
ऐसे स्नेहशील भाजन का, नाम सदा जो जपा करे |
पर्वत जैसा दुख न क्यों हो, पलभर में वह दूर टरे ||
साई जैसा दाता हमने, अरे नहीं देखा कोई |
जिसके केवल दर्शन से ही, सारी विपदा दूर गई ||
तन में साई, मन में साई, साई-साई भजा करो |
अपने तन की सुधि-बुधि खोकर, सुधि उसकी तुम किया करो ||
जब तू अपनी सुधि तज, बाबा की सुधि किया करेगा |
और रात-दिन बाबा-बाबा, ही तू रटा करेगा ||
तो बाबा को अरे! विवश हो, सुधि तेरी लेनी ही होगी |
तेरी हर इच्छा बाबा को पूरी ही करनी होगी ||
जंगल, जंगल भटक न पागल, और ढूढ़ने बाबा को |
एक जगह केवल शिरडी में, तू पाएगा बाबा को ||
धन्य जगत में प्राणी है वह, जिसने बाबा को पाया |
दुख में, सुख में प्रहर आठ हो, साई का ही गुण गाया ||
गिरे संकटों के पर्वत, चाहे बिजली ही टूट पड़े |
साई का ले नाम सदा तुम, सन्मुख सबके रहो अड़े ||
इस बूढ़े की सुन करामत, तुम हो जाओगे हैरान |
दंग रह गए सुनकर जिसको, जाने कितने चतुर सुजान ||
एक बार शिरडी में साधु, ढ़ोंगी था कोई आया |
भोली-भाली नगर-निवासी, जनता को था भरमाया ||
जड़ी-बूटियाँ उन्हें दिखाकर, करने लगा वह भाषण |
कहने लगा सुनो श्रोतागण, घर मेरा है वृन्दावन ||
औषधि मेरे पास एक है, और अजब इसमें शक्ति |
इसके सेवन करने से ही, हो जाती दुख से मुक्ति ||
अगर मुकत होना चाहो, तुम संकट से बीमारी से |
तो है मेरा नम्र निवेदन, हर नर से, हर नारी से ||
लो खरीद तुम इसको, इसकी सेवन विधियां हैं न्यारी |
यद्यपि तुच्छ वस्तु है यह, गुण उसके हैं अति भारी ||
जो है संतति हीन यहाँ यदि, मेरी औषधि को खाए |
पुत्र-रत्न हो प्राप्त, अरे वह मुँह मांगा फल पाए ||
औषधि मेरी जो न खरीदे, जीवन भर पछताएगा |
मुझ जैसा प्राणी शायद ही, अरे यहाँ आ पाएगा ||
दुनिया दो दिनों का मेला है, मौज शौक तुम भी कर लो |
अगर इससे मिलता है, सब कुछ, तुम भी इसको ले लो ||
हैरानी बढ़ती जनता की, देख इसकी कारस्तानी |
प्रमुदित वह भी मन ही मन था, देख लोगों की नादानी ||
खबर सुनाने बाबा को यह, गया दौड़कर सेवक एक |
सुनकर भृकुटी तनी और, विस्मरण हो गया सभी विवेक ||
हुक्म दिया सेवक को, सत्वर पकड़ दुष्ट को लाओ |
या शिरडी की सीमा से, कपटी को दूर भगाओ ||
मेरे रहते भोली-भाली, शिरडी की जनता को |
कौन नीच ऐसा जो, साहस करता है छलने को ||
पलभर में ऐसे ढोंगी, कपटी नीच लुटेरे को |
महानाश के महागर्त में पहुंचना, दूं जीवन भर को ||
तनिक मिला आभास मदारी, क्रूर, कुटिल अन्यायी को |
काल नाचता है अब सिर पर, गुस्सा आया साई को ||
पलभर में सब खेल बंद कर, भागा सिर पर रखकर पैर |
सोच रहा था मन ही मन, भगवान नहीं है अब खैर ||
सच है साई जैसा दानी, मिल न सकेगा जग में |
अंश ईश का साई बाबा, उन्हें न कुछ भी मुश्किल जग में ||
स्नेह, शील, सौजन्य आदि का, आभूषण धारण कर |
बढ़ता इस दुनिया में जो भी, मानव सेवा के पथ पर ||
वही जीत लेता है जगत के, जन जन का अंत:स्थल |
उसकी एक उदासी ही, जग को कर देती है विह्वल ||
जब-जब जग में भार पाप का, बढ़-बढ़ ही जाता है |
उसे मिटाने की ही खातिर, अवतारी ही आता है ||
पाप और अन्याय सभी कुछ, इस जगती का हर के |
दूर भगा देता दुनिया के, दानव को क्षण भर के ||
ऐसे ही अवतारी साईं, मृत्युलोक में आकर |
समता का यह पाठ पढ़ाया, सबको अपना आप मिटाकर ||
नाम द्वारका मस्जिद का, रखा शिरडी में साई ने |
दाप, ताप, संताप मिटाया, जो कुछ आया साई ने ||
सदा याद में मस्त राम की, बैठे रहते थे साई |
पहर आठ ही राम नाम को, भजते रहते थे साई ||
सूखी-रूखी ताजी बासी, चाहे या होवे पकवान |
सौदा प्यार के भूखे साई की, खातिर थे सभी समान ||
स्नेह और श्रद्धा से अपनी, जन जो कुछ दे जाते थे |
बड़े चाव से उस भोजन को, बाबा पावन करते थे ||
कभी-कभी मन बहलाने को, बाबा बाग में जाते थे |
प्रमुदित मन में निरख प्रकृति, आनंदित वे हो जाते थे ||
रंग-बिरंगे पुष्प बाग के, मन्द -मन्द हिल-डुल करके |
बीहड़ वीराने मन में भी स्नेह सलिल भर जाते थे ||
ऐसी सुमधुर बेला में भी, दुख आपात, विपदा के मारे |
अपने मन की व्यथा सुनाने, जन रहते बाबा को घेरे ||
सुनकर जिनकी करूणकथा को, नयन कमल भर आते थे |
दे विभूति हर व्यथा, शांति, उनके उर में भर देते थे ||
जाने क्या अद्भुत शक्ति, उस विभूति में होती थी |
जो धारण करते मस्तक पर, दुख सारा हर लेती थी ||
धन्य मनुज वे साक्षात् दर्शन, जो बाबा साई के पाए |
धन्य कमल कर उनके जिनसे, चरण-कमल वे परसाए ||
काश निर्भय तुमको भी, साक्षात् साई मिल जाता |
वर्षों से उजड़ा चमन अपना, फिर से आज खिल जाता ||
गर पकड़ता मैं चरण श्री के, नहीं छोड़ता उम्रभर |
मना लेता मैं जरूर उनको, गर रूठते साई मुझ पर ||
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श्री साईं अमृतवाणी Shree Sai Amritvani
साईं ���े मांगो Sai Se Mango Sai Re
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माँ लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना के सबसे अच्छा दिन शुक्रवार का दिन माना जाता है। अगर इस दिन धन प्राप्ति की कामना से तंत्र शास्त्र में बताए इन टोटको को किया जाए तो माँ लक्ष्मी प्रसन्न होकर सारी मनोकामनाएं पूरी कर देती है। तंत्र के अलावा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये उपाय बहुत ही चमत्कारी है, इनका प्रयोग कभी खाली नहीं जाता। धन प्राप्ति के लिए शुक्रवार को एक बार जरूर आजमा कर देखें ये अचूक टोटके।
गुप्त नवरात्रः माँ दुर्गा के महाचमत्कारी मंत्र करेंगे हर इच्छा पूरी
धन प्राप्ति के लिए करें ये टोटके
1- शुक्रवार के दिन धन प्राप्ति के लिए घर के पूजा स्थल में लभ्मी जी की स्थापना करके गाय के घी का दो मुह वाला दीपक जलायें। ऐसा करने से घर में धन आवक में वृद्धि होने लगेगी।
2- शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति पर मोगरे का इत्र अर्पित करें।
3- शुक्रवार के दिन महा लक्ष्मी को गुलाब का इत्र चढ़ाने से रति और कामसुख की प्राप्ति होती है।
4- शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को केवड़े का इत्र अर्पित करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
5- शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी को चंदन का इत्र चढ़ाने से भाग्य में वृद्धि होने लगती है।
शुक्रवार अमावस्या की रात मिलेगा छप्पर फाड़ के धन, केवल एक बार कर लें ये तांत्रिक उपाय
6- धन के साथ दांपत्य जीवन को प्रेम से परिपूर्ण और समृद्ध बनाने के लिए शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी के मंदिर सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें ।
7- शुक्रवार के दिन घर से चंदन का इत्र लगाकर निकलने से कार्य और व्यवसाय में उन्नति दोगुना ज्यादा होने की स्थिति बनने लगती है।
8- हर शुक्रवार को गाय को ताजी रोटी में गुड़ मिलाकर खिलाने से माता लक्ष्मी की कृपा पूरे परिवार पर जीवन भर बनी रहती है।
9- शुक्रवार के दिन 11 छोटे आकार के नारियल लेकर उनको एक पीले कपड़े में बांधकर घर की रसोई के पूर्व दिशा वाले कोने में बांध दें, ऐसा करने से घर में कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं आयेगी।
10- इस मंत्र का जप गर दिन करने से माँ लक्ष्मी हमेशा साथ रहती है।
मंत्र-
ऊँ ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।
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source https://www.patrika.com/dharma-karma/friday-dhan-prapti-ke-tantrik-tone-totke-in-hindi-5710052/
http://www.poojakamahatva.site/2020/01/blog-post_858.html
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दाल बुखारा दाल बुखारा की रेसीपी बहुत ही आसान है और अगर इसमें घर की क्रीम और मसाले डालेगें तो यह स्वाद में और भी निखर के आएगी। यह दाल देखने में बिल्कुडल ही दाल मखनी की तरह लगती है क्यों कि इसमें भी काली उड़द पड़ती है। सामग्री- काली उड़द दाल- 2 कप जीरा- 1 चम्मच प्याज – 2 बड़े अदरक-लहसुन पेस्ट- 2 चम्मच टमाटर- 1 लाल मिर्च पाउडर- 1 चम्मच हींग- 1 चुटकी कस्तूिरी मेथी या मेथी की पत्ती्- 1 चम्मच मक्खन / तेल - 2 चम्मच ताजी क्रीम- 2 चम्मच नमक- स्वाद अनुसार बनाने की विधि दाल को अच्छी तरह से धो कर पानी में रातभर के लिये भिगो दीजिये और सुबह उसे 3 कप साफ पानी में उबाल लीजिये। जब दाल पक जाए तब उसे किसी चम्मच से हल्का सा पीस लीजिये और पेस्ट बना लीजिये। एक कड़ाई में मक्खन या तेल डालकर गर्म करे , उसके बाद उसमें जीरा और हींग डाल कर चलाइये। फिर इसमें प्याज डालकर हल्का गुलाबी होने तक पकाइये। अब इसमें अदकर-लहसुन पेस्ट डाल कर मध्यम आंच पर 5 म���नट तक पकाए . अब इसमें कटे हुए टमाटर डाले. जब टमाटर गल जाए तब इसमें नमक और लाल मिर्च पाउडर डाल कर आंच को धीमा कर दीजिये और 5 मिनट तक पकाइये। जब ग्रेवी में तेल उपर दिखाई देने लगे तब इसमें मैश की हुई दाल डालिये और फिर उसमें क्रीम डालिये और तक तक पकाइये जब तक कि बटर दाल के ऊपर तैरने न लगे। इसमें कसूरी मेथी मिलाये और कुछ देर ढककर रख दे. आपकी दाल बुखारा तैयार है, इसे नान या रोटी के साथ सर्व करें।
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नए साल का आरंभ हो चूका है। नए साल में हर किसी की कामना होती है कि उनके घर परिवार में साल भर खुशहाली बनी रहे। धन की देवी माँ लक्ष्मी उन पर सदैव प्रसन्न रहे और सभी समस्याएं दूर हो जाएं। नए साल पहले शुक्रवार की रात्रि में केवल एक बार कर लें ये तांत्रिक महाउपाय, इस उपाय को करते ही माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर उपायकर्ता की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देगी। जानें 2020 नए साल के पहले शुक्रवार को किस उपाय को करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है।
पुत्रदा पौष एकादशी शुभ मुहूर्त : व्रत पूजा से संतान सुख की कामना हो जाती है पूरी
1- धन प्राप्ति के लिए साल 2020 के पहले शुक्रवार की रात को शुद्ध होकर घर के पूजा स्थल में लभ्मी जी की स्थापना करके गाय के घी का दो मुह वाला दीपक जलायें।
2- शुक्रवार की रात्रि में इस मंत्र का जप करने से माँ लक्ष्मी हमेशा साथ रहती है- मंत्र- ऊँ ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।
3- शुक्रवार की रात्रि में पूजा के बाद गुलाब का इत्र चढ़ाने से रति और कामसुख की प्राप्ति होती है।
4- माँ लक्ष्मी जी को केवड़े का इत्र अर्पित करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
5- महालक्ष्मी माता को शुक्रवार की रात्रि में चंदन का इत्र चढ़ाने से भाग्य में वृद्धि होने लगती है।
नए साल 2020 का पहला चंद्रग्रहण जनवरी में इस दिन
6- शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के मंदिर सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करने से धन के साथ दांपत्य जीवन को प्रेम से परिपूर्ण और सुख समृद्धि से भर देती है माँ लक्ष्मी।
7- शुक्रवार के दिन घर से चंदन का इत्र लगाकर निकलने से कार्य और व्यवसाय में उन्नति दोगुना ज्यादा होने की स्थिति बनने लगती है।
8- शुक्रवार के दिन गाय को ताजी रोटी में गुड़ मिलाकर खिलाने से माता लक्ष्मी की कृपा पूरे परिवार पर जीवन भर बनी रहती है।
9- साल के पहले शुक्रवार की रात्रि में 11 छोटे आकार के नारियल लेकर उनको एक पीले कपड़े में बांधकर घर की रसोई के पूर्व दिशा वाले कोने में बांध दें, ऐसा करने से घर में कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं आयेगी।
10- माँ लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति पर मोगरे का इत्र अर्पित करें।
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source https://www.patrika.com/dharma-karma/friday-laxmi-pooja-vidhi-in-3-january-2020-5590230/
http://poojakamahatva.blogspot.com/2020/01/2020_55.html
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