Bahraich:एक ही पटरी पर आ गईं दो ट्रेनें, दोनों ड्राइवरों के हाथ पाव फूले - Two Trains Came Face To Face In Risiya Railway Station In Bahraich.
Bahraich:एक ही पटरी पर आ गईं दो ट्रेनें, दोनों ड्राइवरों के हाथ पाव फूले – Two Trains Came Face To Face In Risiya Railway Station In Bahraich.
आमने-सामने आ गईं ट्रेनें।
– फोटो : amar ujala
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बहराइच जिले के रिसिया रेलवे स्टेशन पर शनिवार को बड़ा हादसा होने से टल गया। एक ही पटरी पर दोनों ट्रेनें आमने-सामने आ गईं। चालकों की सूझबूझ से समय रहते दोनों ट्रेनें दूरी बनाते हुए रुक गईं। जिससे कोई हादसा नहीं हुआ। सभी यात्री सुरक्षित हैं। एक ही पटरी पर दोनों ट्रेन कैसे आ गईं? इस बात की जांच रेलवे ने शुरू कर दी है।
बहराइच…
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बिना अंडे का पाव 30 मिनट से कम में कैसे बनाएं
बिना अंडे का पाव 30 मिनट से कम में कैसे बनाएं
ब्रेड भारतीय व्यंजनों का एक बड़ा हिस्सा हैं। और नहीं, हम रोटी, नान और भारतीय ब्रेड की अन्य किस्मों के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। यहां, हमारा मतलब उस साधारण टोस्ट से है जो आपके पास हर सुबह है। रोटी का एक टुकड़ा या पाव, चाहे चाय के साथ, मक्खन या जैम से भरा हुआ, सैंडविच की तरह भरवां, या किसी अन्य नुस्खा में, हमेशा आरामदायक और स्वादिष्ट होता है। हालाँकि, जब इस पाव रोटी की बात आती है, तो हम इसे…
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नरेंद्र कुमार शर्मा की जुहू बीच पर पान की दुकान है। वे छ: भाई हैं। हर भाई को दो महीने के लिए दुकान पर धंधा करने को मिलता है। इस दो महीने में अस्सी से नब्बे ह��ार रुपए तक की कमाई हो जाती है। परिवार में सब मिलाकर 40 लोग हैं। पिछले 34 सालों से यह सिलसिला ऐसा ही चला आ रहा था लेकिन लॉकडाउन ने इसे तोड़ दिया।
अब मुंबई तो अनलॉक हो गई लेकिन बीच अभी भी लॉक हैं। यहां धंधा करने की परमिशन किसी को नहीं मिली है। नरेंद्र एक सेठ के पास काम कर रहे हैं। कहते हैं, दुकान चलाने का टर्न अभी मेरे बड़े भाई का है। लेकिन वो चाहकर भी खोल नहीं सकते। अगले महीने मेरा टर्न आएगा, शायद तब तक परमिशन मिल जाए।
दो महीने पान की दुकान चलाते हो, फिर सालभर क्या करते हो? इस पर कहते हैं दूसरी जगह काम करते हैं। पान की दुकान पिताजी ने खोली थी और वो जुहू बीच पर है। यहां दूसरी दुकान खोलने की परमिशन नहीं है। इसलिए बारी-बारी से चलाते हैं, क्योंकि कमाई अच्छी हो जाती है।
नरेंद्र कुमार शर्मा पिछले 34 सालों से जुहू बीच पर पान की दुकान चला रहे हैं।
20 से 25 हजार लोग रोज आते थे
नरेंद्र ही नहीं उनके जैसे ढेरों लोग ऐसे हैं, जिनकी जिंदगी बीच के सहारे ही चल रही थी। इसमें फेरी लगाने वाले, ठेला लगाने वाले, फोटोग्राफी करने वाले, स्टॉल लगाने वालों से लेकर जादू दिखाने वाले तक शामिल हैं। साढ़े चार किमी लंबा जुहू मुंबई का सबसे बड़ा बीच है। इसके पांच से छ एंट्री पॉइंट हैं और लॉकडाउन के पहले यहां हर रोज 20 से 25 हजार लोगों का आना आम था।
वीकेंड में ये संख्या तीन गुना तक बढ़ जाती थी, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिलता था लेकिन अब सब ठप्प पड़ा है। जुहू बीच हॉकर्स एसोसिएशन के मेंबर खेमराज अग्रवाल कहते हैं, सात महीने में यहां के व्यापारियों का तीन से चार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
भेल, कोल्ड-ड्रिंक, आईस्क्रीम, वड़ा पाव, भाजी पाव जैसे आयटम यहां पर स्टॉल से बेचे जाते हैं। इनमें काम करने वाले वर्कर्स में अधिकतर यूपी, बिहार, उड़ीसा, केरल जैसे राज्यों के लोग थे जो लॉकडाउन लगते ही यहां से चले गए। कोरोना के डर से वो अभी आ भी नहीं रहे और उन्हें बुला भी लें तो धंधा कुछ नहीं है।
मुंबई तो अब अनलॉक हो चुकी है लेकिन बीच पर जो दुकानें हैं, वो बंद हैं। यहां काम करने वाले बेरोजगार हैं।
मुंबई में अभी टिकना मुश्किल है...
अभी सुबह 5 से 9 और शाम को 5 से 7 बजे तक बीच पर लोगों को आने की परमिशन दी गई है, लेकिन दुकानें नहीं खोली जा सकतीं। शुक्रवार को जब हम बीच पर पहुंचे तो कैमरा हाथ में लिए विनोद पंडित मिले। वे कई सालों से जुहू बीच पर ही फोटोग्राफी कर रहे हैं। इसी से उनका गुजर बसर चलता है।
लॉकडाउन लगा तो गांव चले गए थे। दस दिन पहले वापस आए लेकिन अब फिर अपने गांव जाने का सोच रहे हैं, क्योंकि कोई फोटो खिंचवाने वाला नहीं है। पहले जब लोग आते थे तो महीने का पंद्रह से बीस हजार रुपए आसानी से कमा लेते थे। कहते हैं, बिना काम के मुंबई में ज्यादा टिकना बहुत मुश्किल है।
विनोद पंडित बीच पर लोगों की फोटो लिया करते हैं, इससे पहले अच्छी कमाई हो जाती थी लेकिन अब गुजर बसर नहीं कर पा रहे।
एक कमरे में दस-पंद्रह लोगों के रहने की मजबूरी...
यही कहानी बीच पर कुल्फी बेचने वाले सुभाष सिंह की भी है। जिस कंपनी की कुल्फी बेचते हैं, उसने सुभाष को ठहरने की व्यवस्था फ्री में दी है लेकिन एक कमरे में दस से बारह लोग रहते हैं। अब ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग कैसे फॉलो करें? सुभाष के परिवार में पांच भाई हैं, सब गांव में रहते हैं।
आप महीने का कितना कमा लेते हो? इस पर बोले, बारह से पंद्रह हजार की बचत हो जाती है। सब कुल्फी बेचने वाले एक ही कमरे में रहते हैं। सबके परिवार गांव में हैं। अपना बनाते-खाते हैं और यहीं पड़े रहते हैं। चार-चार माह में पैसा जोड़कर घर भेज देते हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई हो सके।
लेकिन अभी तो हालत ऐसी है कि जो कुल्फी ला रहे हैं, वो ही गल जा रही है, क्योंकि खरीदने वाला कोई नहीं है। कुछ लोग आ रहे हैं, लेकिन कोरोना के डर से कुल्फी नहीं खरीद रहे।
सुभाष जिस कमरे में रहते हैं, वो आठ-दस लोग और रहते हैं। कहते हैं हर कोई पेट पालने के लिए मुंबई में है।
वो महिला सीधे दौड़ते हुए पानी में घुस गई थी
पिछले दिनों गणेश उत्सव के दौरान एक महिला दौड़ते हुए आई और सीधे पानी की तरफ बढ़ने लगी। वो काफी अंदर चली गई थी, तब मुझे कुछ गड़बड़ लगी तो मैं उसके पीछे दौड़ा और उसे पकड़कर पानी से बाहर निकाला। दरअसल वो सुसाइड करने आई थी। इस महिला की जान बचाने वाले थे लाइफगार्ड सागर ठाकुर।
सागर बेवाच लाइफगार्ड एसोसिएशन के साथ बीच पर लोगों की जान बचाने का काम करते हैं। इसके अलावा वो बीच पर ही एक रेस्टोरेंट में नौकरी भी करते थे। कोरोना के चलते उनकी नौकरी चली गई। कहते हैं, तब से दिनभर बीच पर ही रहता हूं। हमारे साथ 125 लोगों की टीम है, जो फ्री में यह काम कर रही है।
महिला सुसाइड क्यों कर रही थी? इस पर सागर ने बताया कि हम उसे पुलिस के पास ले गए थे। उसने पुलिस को बताया कि कामधंधा कुछ नहीं है। जिंदगी से परेशान हो गई हूं। इसलिए मरना चाहती हूं। कुछ समय पहले एक बीस साल का लड़का भी ऐसे भी सुसाइड के लिए जुहू बीच पर आया था, उसे भी बड़ी मुश्किल से बचाया।
सागर बेवाच लाइफगार्ड एसोसिएशन से जुड़े हैं। ये लोग बिना कोई शुल्क लिए बीच पर लोगों की जान बचाने का काम करते हैं।
मुंबई में जुहू के अलावा वर्सोवा, गिरगांव चौपाटी, मड आइलैंड, अक्सा, मार्वे, कळंब ऐसे बीच हैं, जहां काफी संख्या में टूरिस्ट पहुंचते थे। अब सभी बीच पर सुबह और शाम के समय ही आने-जाने की परमिशन दी गई है लेकिन यहां दुकानें खोलने की मनाही है।
यदि कुछ दिन और यूं ही सब बंद रहता है तो बीच के सहारे अपनी जिंदगी काट रहे लोगों पर बड़ी आफत आ जाएगी। जुहू हॉकर्स सोसायटी के मेंबर गणेश तंवर कहते हैं, सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए। अभी जिन लोगों से काम करवा रहे हैं, उन्हें आधा पगार दे रहे हैं। अधिकतर वर्कर बिहार के थे। अभी लौटे नहीं हैं। कोरोना बढ़ रहा है इसलिए दुकानें खुलने की अभी कोई उम्मीद भी नहीं दिख रही।
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पाव पकोड़ा। होटल को भी पीछे छोड़ दे इस तरीके से बनाएं पाव पकोड़ा।
आज लेकर आए हैं एकदम हटके पाव पकोड़ा रेसिपी शायद ही कभी आपने इस तरीके से बनाई होगी ।जी.एल मालवीय द्वारा बनाई है रेसिपी आज आप सभी के साथ शेयर कर रहे हैं। पाव पकोड़े बनाने का अलग तरीका तो चलें जानते हैं कैसे बनाते हैं नए तरीके का पाव पकोड़ा।
आवश्यक सामग्री
बेसन, पाव, प्याज, मिर्ची, धनिया, हल्दी, हींग,लाल मिर्च, जीरा, राई, चाट मसाला, मीठा सोडा, आमचूर नमक स्वाद अनुसार ।
विधि
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पाव भाजी बनाने की विधि हिंदी में (pavbhaji)
पाव भाजी एक भारतीय फास्ट फूड है जिसमें मसालेदार सब्जी की ग्रेवी होती है जिसे नरम डिनर रोल के साथ परोसा जाता है | पाव भाजी जो है वह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगता है | यह सबसे आसान और बढ़िया डिनर विकल्प है |पाव भाजी छोटे से बड��े सब ही बच्चे को पसंद आती है |
मुंबई में आपको रेहड़ी-पटरी वालों को लोहे के बड़े तवे पर भाजी पकाते और असेंबल करते हुए मिल जाएंगे | पाव भाजी हर उम्र के लोगो को पसंद आती है | इसे हर तरह की सब्जी को मिलाकर बनाया जाता है | पाव भाजी को आप लंच या फिर डिनर मैं बनाकर खा सकते हो | पाव भाजी को कटे टमाटर, प्याज़ और नींबू के साथ सर्व कर सकते हो | पाव भाजी का मसाला आप चाहे तो घर पर या आप किसी भी भारतीय स्टोर से खरीद सकते हैं |
यह जीरा, धनिया के बीज, अमचूर पाउडर, सौंफ और दालचीनी जैसे मसालों का मिश्रण है और भी बहुत कुछ है | आप पाव भाजी मसाला के एवरेस्ट ब्रांड को पसंद कर सकते हैं | भाजी का सबसे अच्छा स्वाद सही और बेहतरीन पाव भाजी मसाला के उपयोग से आता है |
यह व्यंजन इतना लोकप्रिय व्यंजन बन गया है | अब इसे भारत में स्ट्रीट फूड के रूप में परोसा जाता है | पाव भाजी का नाम सुनते ही लोगो के मुह में पानी आने लगता है | पाव भाजी कैसे बनाते हैं | नीचे दी गई समग्री इस्तमाल होता है |
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महत्वपूर्ण सामग्री:पाव भाजी बनाने की विधिपाव को स्वाद करने के लिए समग्रीपाव सेख ने की विधि
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साबूदाना वड़ा कैसे बनाते हैं - Sabudana vada recipe in hindi
साबूदाना, स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा होता है और ये बात सब जानते हैं। साबूदाने का इस्तेमाल करके कई प्रकार की डिश तैयार की जाती हैं, जिनमें से एक है साबूदाने के वड़े। इसमें आलू और साबूदाने को मसाले के साथ मिलाकर पकोड़े की तरह तला जाता है, जिससे एक बहुत ही लज़ीज़ रेसिपी बनती है। इस डिश को आप स्नैक्स के तौर पर भी खा सकते हैं और इसे उपवास में भी खाया जाता है। इस लेख में हमने आपको साबूदाना वड़ा बनाने के लिए आवश्यक सामग्री, बनाने का तरीका और इसमें मौजूद पोषक तत्वों के बारे में बताया है।
संक्षेप में तैयारी करने का समय 10 मिनट बनाने का समय 20 मिनट कुल समय आधा घंटा कितने वड़ों के लिए है ये रेसिपी आठ से दस वड़े कहां की है ये डिश महाराष्ट्र टाइप वेज (शाकाहारी) एक वड़े में कैलोरी 140Kcal
(और पढ़ें - वड़ा पाव रेसिपी)
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख
via https://www.myupchar.com/tips/sabudana-ke-fayde-aur-nuksan-in-hindi/sabudana-vada-recipe
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*पॉलीथिन पर पूर्णतः पाबन्दी ??*
*पॉलीथिन पर पूर्णतः पाबन्दी ??* *सुन के हंसी भी आती है और गुस्सा भी है ??* *इस कानून के तहत किस पॉलीथिन को हटाया जाएगा ?* *कुरकुरे की पैकिंग बदली जाएगी या अंकल चिप्स की? या किसी और बड़ी कम्पनी की ? जैसे अमूल ,केडबरी,पारले,ब्रिटानिया, ??* *हिन्दुस्तान लीवर के शैम्पू,सोप,बिस्किट के प्लास्टिक रैपर चलने देंगे,और गरीब कुछ बना के पैकिंग ना करे कुछ दाल में काला जरूर है।।* जी नही .....😡ये तो सिर्फ आम दुकानदार या गरीब रेहड़ी वाले ही पिसेंगे इस सरकारी चक्की में *इसको लागू करने से पहले कोई वैकल्पिक साधन नही सुझाया गया।* *कैसे कोई समोसे लेने गया व्यक्ति सब्जी या चटनी कपड़े के थैले में डाल के घर लाएगा ??* *ऑफिस से घर आता व्यक्ति दही को क्या अपनी जेब में डाल के लाएगा?* *पाबन्दी से सिर्फ घरेलू दुकानदार की तबाह होंगे । हलवाई ,गृह उद्योग बंद हो जाएंगे,पापड़,चकली,फरसाण बनानेवाले क्या करेंगे ? क्यो की हल्दीराम,बालाजी को पैकिग पे तो कोई बंदी नही* *घर पर बनने वाली मोमबत्ती,कपास की बाती, मसाले, अब पैकिंग किसमे करें* 👉🏿 *हम पांच रूपये वाली चाय भी बनाते है उसकी पचास पीस की पैकिंग करते है अब उसको क्या लूज़ ही बेचे किसमे पैक करें सरकार सुझाव दे* *मोजे,टी शर्ट,ड्रेसस,ड्रेस मटेरियल,गारमेंट,रुमाल,साड़ीया धूल-मिट्टी और बरसात से बचाने हेतु किस में पैकिग कराये ??* *बड़े शहर में ठीक है,, घर जब बरसात में गले तो, गरीब क्या करे??* *बेकरी प्रौडक्ट- याने ब्रेड,खारी, टोस्ट,बिस्किट,पाव जो महाराष्ट्र की पहचान है,, अब ये लगभग महाराष्ट्र के 13 हजार बेकरी वाले क्या करे?* *विदेशी पिज़्ज़ा और बर्गर के साथ तो सॉस के पाउच दे दिए जाएंगे पॉलीथिन के (जिन पे कोई पाबन्दी नही)* *लेकिन आप दुकान दार जिसने खुद की बनाई हुई सब्जी या चटनी बेचनी है वो क्या करेगा??* *आमूल का दही भी पैक में मखन भी और घी भी सब पॉली पैक में आते हैं फिर ग्राहक तो अपनी सुविधा को देखते हुए लोकल सामान नही खरीदेगा* *इस पर फिर से विचार होना जरूरी है।* *या तो इसे पूरी तरह से लागू करो चाहे नुक्कड़ की हलवाई की दुकान हो या मल्टीनेशनल कम्पनी पॉलीथिन पर पाबन्दी मतलब पूरी पाबन्दी नही तो make in india तो जब होगा तब होगा अभी तो मोजुदा व्यापारी ही रो रहे है।* *अपने शहर के आम व्यापारी को बचाने के लिए उसे समर्थन दिजिये।।*
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