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vlogrush · 5 months
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lucifar7000 · 20 days
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कानपुर वाले घर में मेरी मां, पापा और छोटी बहन रहती थी. मेरी बहन का नाम सुषमा है. उम्र में वो मुझसे तीन साल छोटी है. वो घर में सबकी लाडली है. ये कहानी जो मैं आप लोगों को आज बताने जा रहा हूं, यह करीबन दो साल पुरानी है.
उस वक्त मेरी बहन ने अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी की थी. पढ़ाई में हम दोनों भाई-बहन ही अच्छे थे. एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद मेरी बहन अब जॉब की तलाश में थी.
चूंकि मैं हैदराबाद जैसे बड़े शहर में रह रहा था तो मैंने उससे कहा कि तुम मेरे ही शहर में जॉब ढूंढ लो. मेरी यह बात मेरे माता-पिता को भी ठीक लगी. मेरे शहर में रहने से उनको भी अपनी बेटी की सेफ्टी की चिंता करने की आवश्यकता नहीं थी.
हैदराबाद में पी.जी. रूम लेकर मैं रह रहा था. मगर अब सुषमा भी साथ में रहने वाली थी तो मैंने एक बीएचके वाला फ्लैट ले लिया. कुछ दिन के बाद बहन भी मेरे साथ मेरे फ्लैट में शिफ्ट हो गई.
सुषमा के बारे में आपको बता दूं कि वो काफी खुलकर बात करने वालों में से है. उसकी हाइट 5.6 फीट है और मेरी हाइट 6 फीट के लगभग है. मेरी बहन के बदन की बात करूं तो उसकी गांड काफी उठी हुई है. जब वो अपनी कमर को लचकाते हुए चलती है तो किसी भी मर्द को घायल कर सकती है.
मेरी बहन का फीगर 36-30-38 का है. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उसकी चूचियां भी कितनी बड़ी होंगी. उसकी चूचियां हमेशा उसके कपड़ों से बाहर झांकती रहती थीं. मैंने सुना था कि जवान लड़की की चूत चुदाई होने के बाद उसकी चूचियों का साइज भी बढ़ जाता है.
अपनी बहन की चूचियों को देख कर कई बार मेरे मन में ख्याल आता था कि कहीं यह भी अपनी चूत चुदवा रही होगी. मगर मैं इस बारे में विश्वास के साथ कुछ नहीं कह सकता था. मेरी बहन खुले विचारों वाली थी तो दोनों तरह की बात हो सकती थी.
जब वो मेरे साथ फ्लैट में रहने लगी तो अभी उसके पास जॉब वगैरह तो थी नहीं. वो अपना ज्यादातर समय फ्लैट पर ही बिताती थी. मैं सुबह ही अपने काम पर निकल जाता था. पूरा दिन फ्लैट पर रह कर वो बोर हो जाती थी.
एक रोज वो कहने लगी कि वो सारा दिन फ्लैट पर रह कर बोर हो चुकी है. उसका मन कहीं बाहर घूमने के लिए कर रहा था. उसने मुझसे कहीं बाहर घूमने चलने के लिए कहा.मैंने कह दिया कि हम लोग मेरी छुट्टी वाले दिन चलेंगे.
फिर वीकेंड पर मैंने अपनी बहन के साथ बाहर घूमने का प्लान किया. अभी तक मेरे मन में मेरी बहन के लिए कोई गलत ख्याल नहीं था. हम लोग पास के ही एक मॉल में घूमने के लिए गये. मेरी बहन उस दिन पूरी तैयार होकर बाहर निकली थी.
उसके कुर्ते में उसकी चूचियां पूरे आकार में दिखाई दे रही थीं. हम लोगों ने साथ में घूमते हुए काफी मस्ती की और फिर घर वापस लौटने लगे. मगर रास्ते में बारिश होने लगी. इससे पहले कि हम लोग बारिश से बचने के लिए कहीं रुकते, हम दोनों ऊपर से लेकर नीचे तक पूरे भीग चुके थे.
बारिश काफी तेज थी इसलिए मैंने सोचा कि बारिश रुकने का इंतजार करना ही ठीक रहेगा. हम दोनों बाइक रोक कर एक मकान के छज्जे के नीचे खड़े हो गये. सुषमा के बदन पर मेरी नजर गई तो मैं चाह कर भी खुद को उसे ताड़ने से नहीं रोक पाया.
उसकी मोटी चूचियों की वक्षरेखा, जिस पर पानी की बूंदें बहती हुई अंदर जा रही थी, मेरी नजरों से कुछ ही इंच की दूरी पर थी. उसको देख कर मेरे लौड़े में अजीब सी सनसनी होने लगी. मैंने उसकी सलवार की तरफ देखा तो उसकी भीगी हुई गांड और जांघें देख कर मेरे लंड में और ज्यादा हलचल होने लगी.
मैं बहाने से उसको घूरने लग गया था. ऐसा मेरे साथ पहली बार हो रहा था. फिर कुछ देर के बाद बारिश रुक गयी और हम अपने फ्लैट के लिए निकल गये. उस दिन के बाद से मेरी बहन के लिए मेरा नजरिया बदल गया था.
अपनी बहन की चूचियों को मैं घूरने लगा था. बहन की गांड को ताड़ना अब मेरी आदत बन चुकी थी. मेरी हाइट उससे ज्यादा थी तो जब भी वो मेरे सामने आती थी उसकी चूचियां ऊपर से मुझे दिखाई दे जाती थीं. कई बार हंसी-मजाक में मैं उसको गुदगुदी कर दिया करता था.
इस बहाने से मैं उसकी चूचियों को छेड़ दिया करता था. कभी उसकी गांड को सहला देता था. यह सब हम दोनों के बीच में अब नॉर्मल सी बात हो गई थी. जब भी वो नहा कर बाहर आती थी तो वह तौलिया में होती थी. ऐसे मौके पर मैं जानबूझकर उसके आस-पास मंडराने लगता था.
जब मैं उसके साथ छेड़खानी करता था तो वो मेरी हर हरकत को नोटिस किया करती थी. उसको मेरी हरकतें पसंद आती थीं. इस बात का पता मुझे भी था. जब भी मैं उसको छेड़ता था तो वो मेरी हरकतों को हंसी में टाल दिया करती थी.
वो भी कभी-कभी मुझे यहां-वहां से छूती रहती थी. कई बार तो उसका हाथ मेरे लंड पर भी लग जाता था या फिर यूं समझें कि वो मेरे लंड बहाने से छूने की कोशिश करने लगी थी. अब आग दोनों तरफ शायद बराबर की ही लगी हुई थी.
ऐसे ही मस्ती में दिन कट रहे थे. एक दिन की बात है कि मैं उस दिन ऑफिस से जल्दी आ गया. हम दोनों के पास ही फ्लैट की एक-एक चाबी रहती थी. मैंने बाहर से ही लॉक खोल लिया था.
जब मैं अंदर गया तो उस वक्त सुषमा बाथरूम के अंदर से नहा कर बाहर आ रही थी. मैंने उसे देख लिया था मगर उसकी नजर मुझ पर नहीं पड़ी थी. उसने अपने बदन पर केवल एक टॉवल लपेटा हुआ था.
Nangi Behan
वो सीधी कबॉर्ड की तरफ जा रही थी. मैं भी उसको जाते हुए देख रहा था. अंदर जाकर उसने अलमारी से एक ब्रा और पैंटी को निकाला. उसने अपना टॉवल उतार कर एक तरफ डाल दिया. बहन के नंगे चूतड़ मेरे सामने थे.
मेरे सामने ही वो ब्रा और पैंटी पहनने लगी. उसका मुंह दूसरी तरफ था इसलिए उसकी नंगी चूत और चूचियां मैं नहीं देख पाया. मगर जल्दी ही उसको किसी के होने का आभास हो गया और वो पीछे मुड़ गई.
जैसे ही उसने मुझे देखा वो जोर से चिल्लाई और मैं भी घबरा कर बाहर हॉल में आ गया. कुछ देर के बाद वो कपड़े पहन कर बाहर आई और मुझ पर गुस्सा होते हुए कहने लगी कि भैया आपको नॉक करके आना चाहिए था.
मैंने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा- अगर मैं नॉक करके आता तो क्या तुम मुझे वैसे ही अंदर आने देती?उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया. मैं समझ गया कि उसकी इस खामोशी में उसकी हां छुपी हुई है.
अब मैंने थोड़ी हिम्मत की और उसके करीब आकर उसको अपनी बांहों में भर लिया. वो मेरी तरफ हैरानी से देख रही थी. मैंने उसकी आंखों में देखा और देखते ही देखते हम दोनों के होंठ आपस में मिल गये. मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया.
पहले तो मेरी बहन दिखावटी विरोध करती रही. फिर कुछ पल के बाद ही उसने विरोध करना बंद कर दिया. शायद उसको भी इस बात का अंदाजा था कि आज नहीं तो कल ये सब होने ही वाला है. इसलिए अब वो मेरा पूरा साथ दे रही थी.
दस मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को पीते रहे. उसके बाद मैंने उसके कपड़ों उतारना शुरू कर दिया. उसका टॉप उतारा और उसको ब्रा में कर दिया. फिर मैंने उसकी जीन्स को खोला और उसकी जांघों को भी नंगी कर दिया.
अब मैंने उसकी ब्रा को खोलते हुए उसकी चूचियों को नंगी कर दिया. उसकी मोटी चूचियां मेरे सामने नंगी हो चुकी थीं. उसकी चूचियों को मैंने अपने हाथों में भर लिया.
उसके नर्म-नर्म गोले अपने हाथ में भर कर मैंने उनको दबा दिया. अब एक हाथ से उसकी एक चूची को दबाते हुए मैं दूसरे हाथ को नीचे ले गया. उसकी पैंटी के अंदर एक उंगली डाल कर मैंने उसकी चूत को कुरेद दिया.
बहन की चूत पानी छोड़ कर गीली हो रही थी. मैंने उसकी चूत को कुरेदना जारी रखा. उसका हाथ अब मेरे लंड पर आ गया था. मेरा लंड भी पूरा तना हुआ था. वो अब मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से ही पकड़ कर सहला रही थी.
मैं भी उत्तेजित हो चुका था और मैंने अपनी पैंट को खोल दिया. पैंट नीचे गिर गयी. सुषमा ने मेरी पैन्ट को मेरी टांगों में से निकलवा दिया. वो अब खुद ही आगे बढ़ रही थी. उसने मेरे अंडरवियर को भी निकाल दिया.
मेरे लंड को पकड़ कर वो उसकी मुठ मारने लगी. मैं तो पागल ही हो उठा. मैं उसकी चूचियों को जोर से भींचने लगा. फिर मैंने झुक कर उसकी चूचियों को मुंह में भर लिया और उसके निप्पलों को काटने लगा.
इतने में ही मेरी बहन ने अपनी पैन्टी को खुद ही नीचे कर लिया. उसकी चूत अब नंगी हो गई थी. मैं उसकी चूचियों को चूस रहा था. उसके निप्पलों को काट रहा था. बीच-बीच में चूचियों के निप्पलों को दो उंगलियों के बीच में लेकर दबा रहा था.
सुषमा अब काफी उत्तेजित हो गई थी. अचानक ही वो मेरे घुटनों के बीच में बैठ गई और अपने घुटनों के बल होकर उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया. मेरी बहन मस्ती से मेरे 8 इंची लंड को चूसने लगी. ऐसा लग रहा था जैसे उसको मेरा लंड बहुत पसंद है.
वो जोर से मेरे लंड को चूसती रही और मेरे मुंह से अब उत्तेजना के मारे जोर की आवाजें सिसकारियों के रूप में बाहर आने लगीं. आह्ह … सुषमा, मेरी बहन, मेरे लंड को इतना क्यों तड़पा रही हो!मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपने लंड पर अंदर दबाना और घुसाना शुरू कर दिया.
दो-तीन मिनट तक लंड को चुसवाने के ��ाद मैं स्खलन के करीब पहुंच गया. मैंने बहन के मुंह में लंड को पूरा घुसेड़ दिया और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी बहन के मुंह में जाकर गिरने लगी.
मेरी बहन मेरा सारा माल पी गयी. मैंने उसको बेड पर लिटा लिया और उसकी चूत में उंगली करने लगा. वो तड़पने लगी. उसकी चूत पानी छोड़ रही थी. मगर उसकी चूत की चुदाई शायद पहले भी हो चुकी थी. चूत भले ही टाइट थी लेकिन कुंवारी चूत की बात ही अलग होती है. मुझे इस बात का अन्दाजा हो गया था.
मैं उसकी चूत को चाटने लगा. उसकी चूत का सारा रस मैंने चाट लिया.जब उससे बर्दाश्त न हुआ तो वो कहने लगी- भैया, अब चोद दो मुझे… आह्ह … अब और नहीं रुका जा रहा मुझसे.मैंने उसकी चूत में अन्दर तक जीभ घुसेड़ दी और वो मेरे मुंह को अपनी चूत पर जोर से दबाने लगी.
फिर मैंने मुंह हटा लिया. अब उसकी टांगों को मैंने बेड पर एक दूसरे की विपरीत दिशा में फैला दिया. बहन की चूत पर अपने लंड को रख दिया और रगड़ने लगा. मेरा लंड फिर से तनाव में आ गया. देखते ही देखते मेरा पूरा लंड तन गया.
मैंने अपने तने हुए लंड के सुपाड़े को चूत पर रखा और एक झटका दिया. पहले ही झटके में लंड को आधे से ज्यादा उसकी चूत में घुसा दिया. वो दर्द से चिल्ला उठी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…मगर मैं अब रुकने वाला नहीं था. मैंने लगातार उसकी चूत में झटके देना शुरू कर दिया. बहन की चूत की चुदाई शुरू हो गई.
सुषमा की चूत में अब मेरा पूरा लंड जा रहा था. वो भी अब मजे से मेरे लंड को अंदर तक लेने लगी थी. मैं पूरे लंड को बाहर निकाल कर फिर से पूरा लंड अंदर तक डाल रहा था. दोनों को ही चुदाई का पूरा आनंद मिल रहा था.
अब मैंने उसको बेड पर घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी चूत में लंड को पेलने लगा. उसकी चूत में लंड घुसने की गच-गच आवाज होने लगी. मेरे लंड से भी कामरस निकल रहा था और उसकी चूत भी पानी छोड़ रही थी इसलिए चूत से पच-पच की आवाज हो रही थी.
फिर मैंने उसको सीधी किया और उसके मुंह में लंड दे दिया. मेरे लंड पर उसकी चूत का रस लगा हुआ था. वो फूल चुके लंड को चूसने-चाटने लगी. उसकी लार मेरे लंड पर ऊपर से नीचे तक लग गई.
अब दोबारा से मैंने उसकी टांगों को फैलाया और उसकी चूत में जोर से अपने लंड के धक्के लगाने लगा. पांच मिनट तक इसी पोजीशन में मैंने उसकी चूत को चोदा और वो झड़ गई. अब मेरा वीर्य भी दोबारा से निकलने के कगार पर पहुंच गया था.
मैंने उसकी चूत में तेजी के साथ धक्के लगाना शुरू कर दिया. उसकी चूत मेरे लंड को पूरा का पूरा अंदर ले रही थी. फिर मैंने दो-तीन धक्के पूरी ताकत के साथ लगाये और मैं अपनी बहन की चूत में ही झड़ने लगा. उसकी चूत को मैंने अपने वीर्य से भर दिया.
हम दोनों थक कर शांत हो गये. उस दिन हम दोनों नंगे ही पड़े रहे. शाम को उठे और फिर खाना खाया. उसके बाद रात में एक बार फिर से मैंने अपनी बहन की चूत को जम कर चोदा. उसने भी मेरे लंड को चूत में लेकर पूरा मजा लिया और फिर हम सो गये.
उस दिन के बाद से हम भाई-बहन में अक्सर ही चुदाई होने लगी. अब उसको मेरे साथ रहते हुए काफी समय हो गया है लेकिन हम दोनों अभी भी चुदाई करते हैं. मुझे तो आज भी ये सोच कर विश्वास नहीं होता है कि मैं इतने दिनों से अपनी बहन की चूत की चुदाई कर रहा हूं.
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helputrust-harsh · 5 months
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धरोहर सेमिनार: हमारी धरोहर, हमारा उत्तरदायित्व | Dharohar Seminar: Our Heritage, Our Responsibility
लखनऊ, 15.09.2023 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) तथा समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समर्पित सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर" के अंतर्गत सेमिनार विषयक "हमारी धरोहर, हमारा उत्तरदायित्व" का आयोजन राधा कमल मुखर्जी सभागार, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय में किया गया |
सेमिनार में सम्मानित वक्तागण के रूप में पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह, साहित्यकार, डॉ रवि भट्ट, इतिहासविद, प्रो विभूति राय, डीन, विज्ञान विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, श्रीमती मीनू खरे, निदेशक, आकाशवाणी तथा प्रो श्री अनूप कुमार भरतिया, विभागाध्यक्ष, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने सहभागिता की | सेमिनार का शुभारंभ राष्ट्रगान एवं दीप प्रज्वलन से हुआ | सभी विद्वान वक्ताओं का ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति (जनसंपर्क) की सदस्य तथा सेमिनार की निवेदक वंदना त्रिभुवन सिंह द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मान किया गया |
डॉ रूपल अग्रवाल ने सभी गणमान्य अतिथियों तथा श्रोताओं का स्वागत करते हुए कहा कि, धरोहर शब्द का अर्थ है विरासत जो कि हमें हमारे पूर्वजों से उपहार में मिली है | दुनिया भर में अनेक इमारतें हैं जिन्हें  देखकर यकीन नहीं होता कि उन्हें इंसान ने बनाया है | इमारत के साथ-साथ हमारी भाषा, धर्म, संस्कृति, साहित्य सभी कुछ हमारी विरासत है, हमारा उपहार है और यह हम सबका कर्तव्य बनता है कि हम इसको सहेज कर रखें, संभाल कर रखें | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट समाज के सभी क्षेत्रों मे कार्य कर रहा है | ट्रस्ट द्वारा समय-समय पर धर्मार्थ, साँस्कृतिक, जागरूकता व अनेक प्रकार के कार्यक्रम कराए जाते हैं | आप सभी से अनुरोध है कि ट्रस्ट को उसके जन सेवा कार्यों मे अपना सहयोग प्रदान करें तथा यह संकल्प लें कि अपनी धरोहर, अपनी विरासत को संभाल कर रखेंगे एवं भारत का नाम विश्व पटल पर सुनहरे अक्षरों में अंकित करेंगे |
प्रोफेसर अनूप कुमार भरतिया ने भारत देश की धरोहर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, समय के अनुसार हर एक चीज परिवर्तित होती जाती है और उसकी प्रकृति में भी परिवर्तन होता जाता है | हमें हमारी संस्कृति, विश्वास और परंपराओं को पूरी तरह से आत्मसात करना चाहिए | पहले के समय में लोगों में सहयोग की भावना होती थी अगर कहीं शादी होती थी तो पूरा गांव शादी की तैयारी में जुट जाता था | लेकिन आज यह संस्कृति समाप्त हो चुकी है आज सारा काम घर वाले नहीं बाहर वाले करते हैं और इसी वजह से लोगों के बीच आत्मीयता कम हो गई है | हमें अपनी उसी आत्मीयता के साथ अपनी धरोहर का अपनी विरासत का संरक्षण करना चाहिए व लोगों को भी इसके लिए जागरूक करना चाहिए | 
प्रोफेसर विभूति राय ने लखनऊ विश्वविद्यालय का इतिहास बताते हुए कहा कि, लखनऊ विश्वविद्यालय एक ऐतिहासिक बिल्डिंग है और करीब 20 वर्ष पूर्व विश्वविद्यालय का नाम बदलने का प्रयास किया, जिसके खिलाफ सभी शिक्षकों को लेकर हम लोगों ने तत्कालीन सरकार के खिलाफ अनशन किया, प्रोटेस्ट मार्च निकाला और कुछ ऐतिहासिक ऐसे पत्र आदि मिल गए जिसके अनुसार इस विश्वविद्यालय का नाम बदला नहीं जा सका |
डॉ रवि भट्ट ने भारतीय इतिहास, संवाद, संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, धरोहर दो प्रकार की होती है, एक मूर्त और एक अमूर्त | मूर्त धरोहर वह धरोहर है जिसे हम छू सकते हैं, देख सकते हैं जैसे हमारी इमारतें लेकिन अमूर्त धरोहर को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं जैसे हमारी भाषा, संस्कृति, ���ाहित्य आदि | मेरा ऐसा मानना है कि हमें मूर्त धरोहर के साथ-साथ अमूर्त धरोहर को सहेज कर रखना चाहिए क्योंकि अमूर्त धरोहर जैसे अपनी भाषा, संस्कृति, साहित्य, इतिहास के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी इकट्ठा करके हम आने वाली पीढ़ियों को जागरूक कर सकते हैं |
पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह ने बताया कि किसी भी देश की धरोहर के आधार पर किसी भी राष्ट्र के महत्व का मूल्यांकन होता है ।मूर्त धरोहर में स्थापत्य कलाएं मूर्तियां चित्र आदि हैं और अमूर्त में जिन्हें देखा नहीं जा सकता वह धरोहर है। पूर्वजों से प्राप्त संस्कार, साहित्य, संगीत, कला संस्कृति के रूप में हम सुरक्षित इसे पाते हैं । इन सब का संरक्षण और भावी पीढ़ियों में इनका प्रसार करना हम सभी का दायित्व है ।
डॉ जानिसार आलम, असिस्टेंट प्रोफेसर, उर्दू विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने सेमिनार में अपना पेपर प्रस्तुतीकरण किया |
छात्र-छात्राओं ने विद्वान वक्ताओं से भारतीय धरोहर एवं विरासत के बारे में कई प्रश्न पूछे जिसका उत्तर पाकर उनके चेहरे खुशी से खिल उठे | प्रश्न पूछने वाले छात्र-छात्राओं को ट्रस्ट द्वारा सम्मानित किया गया |
सेमिनार में डॉ शिखा सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, स्वयंसेवकों व मीडिया कर्मियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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helputrust · 1 year
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लखनऊ, 15.09.2023 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) तथा समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समर्पित सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर" के अंतर्गत सेमिनार विषयक "हमारी धरोहर, हमारा उत्तरदायित्व" का आयोजन राधा कमल मुखर्जी सभागार, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय में किया गया |
सेमिनार में सम्मानित वक्तागण के रूप में पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह, साहित्यकार, डॉ रवि भट्ट, इतिहासविद, प्रो विभूति राय, डीन, विज्ञान विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, श्रीमती मीनू खरे, निदेशक, आकाशवाणी तथा प्रो श्री अनूप कुमार भरतिया, विभागाध्यक्ष, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने सहभागिता की | सेमिनार का शुभारंभ राष्ट्रगान एवं दीप प्रज्वलन से हुआ | सभी विद्वान वक्ताओं का हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति (जनसंपर्क) की सदस्य तथा सेमिनार की निवेदक वंदना त्रिभुवन सिंह द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मान किया गया |
डॉ रूपल अग्रवाल ने सभी गणमान्य अतिथियों तथा श्रोताओं का स्वागत करते हुए कहा कि, धरोहर शब्द का अर्थ है विरासत जो कि हमें हमारे पूर्वजों से उपहार में मिली है | दुनिया भर में अनेक इमारतें हैं जिन्हें  देखकर यकीन नहीं होता कि उन्हें इंसान ने बनाया है | इमारत के साथ-साथ हमारी भाषा, धर्म, संस्कृति, साहित्य सभी कुछ हमारी विरासत है, हमारा उपहार है और यह हम सबका कर्तव्य बनता है कि हम इसको सहेज कर रखें, संभाल कर रखें | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट समाज के सभी क्षेत्रों मे कार्य कर रहा है | ट्रस्ट द्वारा समय-समय पर धर्मार्थ, साँस्कृतिक, जागरूकता व अनेक प्रकार के कार्यक्रम कराए जाते हैं | ट्रस्ट के पदाधिकारी का यही प्रयास है कि वे अपने कार्यों से समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने में सफल हो जिसके लिए वे निरंतर कार्य कर रहे हैं| आप सभी से अनुरोध है कि ट्रस्ट को उसके जन सेवा कार्यों मे अपना सहयोग प्रदान करें तथा यह संकल्प लें कि अपनी धरोहर, अपनी विरासत को संभाल कर रखेंगे एवं भारत का नाम विश्व पटल पर सुनहरे अक्षरों में अंकित करेंगे |
प्रोफेसर अनूप कुमार भरतिया ने भारत देश की धरोहर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, मैं इतिहासकार पदम श्री योगेश प्रवीण जी के एक कलाम से अपने वक्तव्य की शुरुआत करना चाहूंगा "घड़ी भर ठहरे थे, जिस पेड़ के नीचे, सुना है उसका साया, आज भी महकता है | समय के अनुसार हर एक चीज परिवर्तित होती जाती है और उसकी प्रकृति में भी परिवर्तन होता जाता है | हमें हमारी संस्कृति, विश्वास और परंपराओं को पूरी तरह से आत्मसात करना चाहिए | पहले के समय में लोगों में सहयोग की भावना होती थी अगर कहीं शादी होती थी तो पूरा गांव शादी की तैयारी में जुट जाता था | लेकिन आज यह संस्कृति समाप्त हो चुकी है आज सारा काम घर वाले नहीं बाहर वाले करते हैं और इसी वजह से लोगों के बीच आत्मीयता कम हो गई है| हमें अपनी उसी आत्मीयता के साथ अपनी धरोहर का अपनी विरासत का संरक्षण करना चाहिए व लोगों को भी इसके लिए जागरूक करना चाहिए | 
प्रोफेसर विभूति राय ने लखनऊ विश्वविद्यालय का इतिहास बताते हुए कहा कि, लखनऊ विश्वविद्यालय एक ऐतिहासिक बिल्डिंग है और करीब 20 वर्ष पूर्व विश्वविद्यालय का नाम बदलने का प्रयास किया, जिसके खिलाफ सभी शिक्षकों को लेकर हम लोगों ने तत्कालीन सरकार के खिलाफ अनशन किया, प्रोटेस्ट मार्च निकाला और कुछ ऐतिहासिक ऐसे पत्र आदि मिल गए जिसके अनुसार इस विश्वविद्यालय का नाम बदला नहीं जा सका |
डॉ रवि भट्ट ने भारतीय इतिहास, संवाद, संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, धरोहर दो प्रकार की होती है, एक मूर्त और एक अमूर्त | मूर्त धरोहर वह धरोहर है जिसे हम छू सकते हैं, देख सकते हैं जैसे हमारी इमारतें लेकिन अमूर्त धरोहर को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं जैसे हमारी भाषा, संस्कृति, साहित्य आदि| मेरा ऐसा मानना है कि हमें मूर्त धरोहर के साथ-साथ अमूर्त धरोहर को सहेज कर रखना चाहिए क्योंकि अमूर्त धरोहर जैसे अपनी भाषा, संस्कृति, साहित्य, इतिहास के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी इकट्ठा करके हम आने वाली पीढ़ियों को जागरुक कर सकते हैं |
पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह ने बताया कि किसी भी देश की धरोहर के आधार पर किसी भी राष्ट्र के महत्व का मूल्यांकन होता है ।मूर्त धरोहर में स्थापत्य कलाएं मूर्तियां चित्र आदि हैं और अमूर्त में जिन्हें देखा नहीं जा सकता वह धरोहर है। पूर्वजों से प्राप्त संस्कार, साहित्य, संगीत, कला संस्कृति के रूप में हम सुरक्षित इसे पाते हैं । इन सब का संरक्षण और भावी पीढि़यो में इनका प्रसार करना हम सभी का दायित्व है ।
डॉ जानिसार आलम, असिस्टेंट प्रोफेसर, उर्दू विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने  सेमिनार में अपना पेपर प्रस्तुतीकरण किया |
छात्र-छात्राओं ने विद्वान वक्ताओं से भारतीय धरोहर एवं विरासत के बारे में कई प्रश्न पूछे जिसका उत्तर पाकर उनके चेहरे खुशी से खिल उठे | प्रश्न पूछने वाले छात्र-छात्राओं को ट्रस्ट द्वारा सम्मानित किया गया |
सेमिनार में डॉ शिखा सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, स्वयंसेवकों व मीडिया कर्मियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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singhmanojdasworld · 11 months
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🌷 *जीने की राह* 🌷
*(Part-10)*
*आज भाई को फुरसत*
*(Part -A)*
*Today Brother Has Time (Way of Living)*
📜एक भक्त सत्संग में जाने लगा। दीक्षा ले ली, ज्ञान सुना और भक्ति करने लगा। अपने मित्र से भी सत्संग में चलने तथा भक्ति करने के लिए प्रार्थना की। परंतु दोस्त नहीं माना। कह देता कि कार्य से फुर्सत (खाली समय) नहीं है। छोटे-छोटे बच्चे हैं। इनका पालन-पोषण भी करना है। काम छोड़कर सत्संग में जाने लगा तो सारा धँधा चैपट हो जाएगा।
वह सत्संग में जाने वाला भक्त जब भी सत्संग में चलने के लिए अपने मित्र से कहता तो वह यही कहता कि अभी काम से फुर्सत नहीं है। एक वर्ष पश्चात् उस मित्र की मृत्यु हो गई। उसकी अर्थी उठाकर कुल के लोग तथा नगरवासी चले, साथ-साथ सैंकड़ों नगर-मौहल्ले के व्यक्ति भी साथ-साथ चले। सब बोल रहे थे कि राम नाम सत् है, सत् बोले गत् है। भक्त कह रहा था कि राम नाम तो सत् है परंतु आज भाई को फुर्सत है। नगरवासी कह रहे थे कि सत् बोले गत् है, भक्त कह रहा था कि आज भाई को फुर्सत है। अन्य व्यक्ति उस भक्त से कहने लगे कि ऐसे मत बोल, इसके घर वाले बुरा मानेंगे। भक्त ने कहा कि मैं तो ऐसे ही बोलूँगा। मैंने इस मूर्ख से हाथ जोड़कर प्रार्थना की थी कि सत्संग में चल, कुछ भक्ति कर ले। यह कहता था कि अभी फुर्सत अर्थात् खाली समय नहीं है। आज इसको परमानैंट फुर्सत है। छोटे-छोटे बच्चे भी छोड़ चला जिनके पालन-पोषण का बहाना करके परमात्मा से दूर रहा। भक्ति करता तो खाली हाथ नहीं जाता। कुछ भक्ति धन लेकर जाता। बच्चों का पालन-पोषण तो परमात्मा करता है। भक्ति करने से साधक की आयु भी परमात्मा बढ़ा देता है। भक्तजन ऐसा विचार करके भक्ति करते हैं, कार्य त्यागकर सत्संग सुनने जाते हैं।
भक्त विचार करते हैं कि परमात्मा न करे, हमारी मृत्यु हो जाए। फिर हमारे कार्य कौन करेगा? हम यह मान लेते हैं कि हमारी मृत्यु हो गई। हम तीन दिन के लिए मर गया, यह विचार करके सत्संग में चलें, अपने को मृत मान लें और सत्संग में चले जायें। वैसे तो परमात्मा के भक्तों का कार्य बिगड़ता नहीं, फिर भी हम मान लेते हैं कि हमारी गैर-हाजिरी में कुछ कार्य खराब हो गया तो तीन दिन बाद जाकर ठीक कर लेंगे। यदि वास्तव में टिकट कट गई अर्थात् मृत्यु हो गई तो परमानैंट कार्य बिगड़ गया। फिर कभी ठीक करने नहीं आ सकते। इस स्थिति को जीवित मरना कहते हैं।
वाणी का शेष सरलार्थ:- द्वादश मध्य महल मठ बौरे, बहुर न देहि धरै रे। सरलार्थ:- श्रीमद् भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वज्ञान की प्राप्ति के पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् साधक लौटकर संसार में कभी नहीं आते अर्थात् उनका पुनर्जन्म नहीं होता। वे फिर देह धारण नहीं करते। सूक्ष्मवेद की यह वाणी यही स्पष्ट कर रही है कि वह परम धाम द्वादश अर्थात् 12वें द्वार को पार करके उस परम धाम में जाया जाता है। आज तक सर्व ऋषि-महर्षि, संत, मंडलेश्वर केवल 10 द्वार बताया करते। परंतु परमेश्वर कबीर जी ने अपने स्थान को प्राप्त कराने का सत्यमार्ग, सत्य स्थान स्वयं ही बताया है। उन्होंने 12वां द्वार बताया है। इससे भी स्पष्ट हुआ कि आज तक (सन् 2012 तक) पूर्व के सर्व ऋषियों, संतों, पंथों की भक्ति काल ब्रह्म तक की थी। जिस कारण से जन्म-मृत्यु का चक्र चलता रहा।
वाणी सँख्या 5:- दोजख बहिश्त सभी तै देखे, राजपाट के रसिया।
तीन लोक से तृप्त नाहीं, यह मन भोगी खसिया।।
सरलार्थ:- तत्वज्ञान के अभाव में पूर्णमोक्ष का मार्ग न मिलने के कारण कभी दोजख अर्थात् नरक में गए, कभी बहिश्त अर्थात् स्वर्ग में गए,कभी राजा बनकर आनन्द लिया। यदि इस मानव को तीन लोक का राज्य भी दे दंे तो भी तृप्ति नहीं होती।
उदाहरण:- यदि कोई गाँव का सरपंच बन जाता है तो वह इच्छा करता है कि विधायक बने तो मौज होवे। विधायक इच्छा करता है कि मन्त्राी बनूं तो बात कुछ अलग हो जाएगी। मंत्राी बनकर इच्छा करता है कि मुख्यमंत्राी बनूं तो पूरी चैधर हो। आनन्द ही न्यारा होगा। सारे प्रान्त पर कमांड चलेगी। मुख्यमंत्राी बनने के पश्चात् प्रबल इच्छा होती है कि प्रधानमंत्राी बनूं तो जीवन सार्थक हो। तब तक जीवन लीला समाप्त हो जाएगी। फिर गधा बनकर कुम्हार के लठ (डण्डे) खा रहा होगा। इसलिए तत्वज्ञान में समझाया है कि काल ब्रह्म द्वारा बनाई स्वर्ग-नरक तथा राजपाट प्राप्ति की भूल-भुलईया में सारा जीवन व्यर्थ कर दिया। कहीं संतोष नहीं हुआ, यह मन ऐसा खुसरा (हिजड़ा) है।
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sstkabir-0809 · 11 months
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( #MuktiBodh_Part115 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part116
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 227-228
वाणी नं. 134.141 :-
गरीब, कर्म लगे शिब बिष्णु कै, भरमें तीनौं देव।
ब्रह्मा जुग छतीस लग, कछू न पाया भेव।।134।।
गरीब, शिब कूं ऐसा बर दिया, अपनेही परि आय।
भागि फिरे तिहूं लोक में, भस्मागिर लिये ताय।।135।।
गरीब, बिष्णु रूप धरि छल किया, मारे भसमां भूत।
रूप मोहिनी धरि लिया, बेगि सिंहारे दूत।।136।।
गरीब, शिब कूं बिंदु जराईयां, कंदर्प कीया नांस।
फेरि बौहरि प्रकाशियां, ऐसी मनकी बांस।।137।।
गरीब, लाख लाख जुग तप किया, शिब कंदर्प कै हेत।
काया माया छाडिकरि, ध्यान कंवल शिब श्वेत।।138।।
गरीब, फूक्या बिंदु बिधान सैं, बौहर न ऊगै बीज।
कला बिश्वंभर नाथ की, कहां छिपाऊं रीझ।।139।।
गरीब, पारबती पत्नी पलक परि, त्रिलोकी का रूप।
ऐसी पत्नी छाडिकरि, कहां चले शिब भूप।।140।।
गरीब, रूप मोहनी मोहिया, शिब से सुमरथ देव।
नारद मुनि से को गिनै, मरकट रूप धरेव।।141।।
◆ वाणी नं. 134-136 का सरलार्थ :- सुक्ष्म मन की मार सर्व जीवों पर गिरती है। सब एक समान सुक्ष्म मन के सामने विवश हैं। जब तक पूर्ण सतगुरू नहीं मिलता, तब तक सुक्ष्म मन के सामने विवेक कार्य नहीं करता। हिन्दु धर्म के श्रद्धालु श्री शिव जी को तो सक्षम मानते हैं। सब देवों का देव यानि महादेव कहते हैं। सुक्ष्म मन के कारण वे भी मार खा गए।
◆ प्रमाण :- जिस समय भस्मासुर ने तप करके भस्मकण्डा श्री शिव जी से वचनबद्ध करके ले लिया था। तब भस्मासुर ने शिव से कहा कि मैं तेरे को भस्म करूँगा। तेरे को मारकर तेरी पत्नी पार्वती को अपनी पत्नी बनाऊँगा। तब भय के कारण श्री शिव जी भाग लिए। भस्मासुर में भी सिद्धियां थी। वह भी साथ द��ड़ा। शिवजी भय के कारण अधिक गति
से दौड़ा तथा एक मोड़ पर मुड़ गया। उसी मोड़ पर एक सुंदर स्त्री खड़ी थी। उसने भस्मासुर की ओर अश्लील दृष्टि से देखा और बोली कि शिव तो आसपास रूकेगा नहीं, जाने दे। आजा मेरे साथ मौज-मस्ती कर ले। मैं तेरा ही इंतजार कर रही हूँ। तुम पूर्ण मर्द हो, शक्तिशाली हो। भस्मासुर पर काम वासना का भूत सवार था ही, उसे और क्या चाहिए था? उसी समय रूक गया। युवती ने उसका हाथ पकड़कर नचाया। गंडहथ नृत्य करते समय हाथ सिर पर करना होता है। भस्मासुर का भस्मकण्डे वाला हाथ भस्मासुर के सिर पर करने को युवती ने कहा कि इस नृत्य में दांया हाथ सिर पर करते हैं। यह नृत्य पूरा करके मिलन करेंगे। ज्यों ही भस्मासुर ने भस्मकण्डे वाला हाथ सिर पर किया तो युवती ने बोला भस्म। उसी समय भस्मासुर जलकर नष्ट हो गया। वह युवती भगवान स्वयं ही शिव शंकर की जान की रक्षा के लिए बने थे।, परंतु महिमा विष्णु को दी। विष्णु रूप में प्रकट होकर परमात्मा उस भस्मकण्डे को लेकर श्री शिव के सामने खडे़ हो गए तथा शिव से कहा हे शिव!
इतने तेज क्यों दौड़ रहे हो? शिव ने सब बात बताई कि आप भी दौड़ जाओ। भस्मासुर मुझे मारने को मेरे पीछे लगा है। तब विष्णु रूपधारी परमात्मा ने कहा कि देख! आपका
भस्मकण्डा मेरे पास है। शिव ने तुरंत पहचान लिया और रूककर पूछा कि यह आपको कैसे मिला? विश्वास नहीं हो रहा है। भगवान ने कहा यह न पूछ। अपना कण्डा लो और घर को जाओ। परंतु शिव को विश्वास नहीं हो रहा था कि उग्र रूप धारण किए भस्मासुर से कैसे ये भस्मकण्डा लिया। जिद कर ली। तब परमात्मा ने कहा कि फिर बताऊँगा। इतना कहकर अंतर्ध्यान (अदृश्य) हो गए। शिव कुछ आगे गया तो देखा कि एक अति सुंदर युवती
अर्धनग्न शरीर में मस्ती से एक बाग में टहल रही थी। दूर तक कोई व्यक्ति दिखाई नहीं दे रहा था। शिवजी ने इधर-उधर देखा और लड़की की ओर मिलन के उद्देश्य से चले। लड़की शिव को देखकर मुस्कुराकर आगे को कुछ तेज चाल से चटक-मटककर चल पड़ी।
शिव ने मुस्कट के बाद लड़की क�� हाथ पकड़ा। तब तक शिव का वीर्यपतन हो चुका था। उसी समय विष्णु रूप में परमात्मा खड़े थे और कहा कि मैंने भस्मासुर को इस प्रकार वश में करके गंडहथ नाच नचाकर भस्म किया है।
संत गरीबदास जी ने सुक्ष्म मन की शक्ति बताई है कि शिवजी की पत्नी पार्वती तीन लोक में अति सुंदर स्त्रियों में से एक थी। अपनी पत्नी को छोड़कर शिवजी ने चंचल माया
यानि बद नारी से मिलन (sex) करने के लिए उसे पकड़ लिया। यह सुक्ष्म मन की उत्पत्ति का उत्पात है।
◆ वाणी नं. 137-141 का सरलार्थ :-
◆ इन्हीं काल प्रेरित आत्माओं (देवियों) ने ब्रह्मादिक (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) को भी मोहित कर लिया यानि अपने जाल में फँसा रखा है। शेष यानि अन्य बचे हुए गणेश जी भी स्त्री से संग में रहे। गणेश जी के दो पुत्र थे। एक का नाम शुभम्=शुभ, दूसरे लाभम्=लाभ था। शंकर (शिव जी) की अडिग
(विचलित न होने वाली) समाधि
(आंतरिक ध्यान) लगी थी जो हमेशा (सदा) ध्यान में रहते हैं। उनको भी मोहिनी अप्सरा (स्वर्ग की देवी) ने मोहित करके डगमग कर दिया था।
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क्रमशः_________
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tech-and-news · 11 months
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Affiliate Marketing Meaning In Hindi || Affiliate Marketing Se Paise Kaise Kamaye
दोस्तों आज हम जिस कमाई के बारे मैं  बात करने वाले है उसका नाम है Affiliate Marketing Meaning In Hindi जो कि बोहोत बड़ा एक बिज़नेस मॉडल है और आज के समय का बोहोत ही demanding तरीका है पैसे कमाने का क्युकी इस काम को करने के लिए जरुरी नहीं है की आपके पास लैपटॉप हो या नहीं इसको आप अपने फ़ोन से भी कर सकते है।भाइयो आज हम जिस कमाई के बारे मैं बात करने वाले है उसका नाम है affiliate marketing जो कि आज के समय का बोहोत ही trending तरीका है नोट छापने  का क्युकी इस काम को करने के लिए जरुरी नहीं है की आपके पास लैपटॉप हो या मोबाइल  इस काम को आप अपने फ़ोन से भी कर सकते है। दोस्तों जब बात आती है digital मार्केटिंग के बारे मैं या ऑनलाइन पैसे कमाने के बारे मैं तो आपने हमेशा affiliate marketing का नाम हमेशा टॉप पर ही देखा होगा क्युकी यह वो टॉपिक है जो लोग बोहोत गूगल पर search करते है की affiliate marketing क्या है, affiliate marketing कैसे करे। 
भाइयो  affiliate marketing एक ऐसा business module है या आप तरीका भी कहे सकते है जिसमे आपको सिर्फ बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए काम करना होता है  इसमे आपको कंपनियों के द्वारा दिए गए प्रोडक्ट के एफिलिएट लिंक को प्रमोट करना होता है और आप ऐसे भी समझ सकते है की प्रोडक्ट को प्रमोट करना है जैसे आपके दिए गए प्रोडक्ट लिंक से कोई दूसरा पर्सन  उस प्रोडक्ट को buy करता है तो इससे आपको कमीशन मिलता है और इसमे आप जितना भी काम करोगे उतना ही पैसा आपको तुरंत आपके बैंक account मैं मिलजाएगा ।
मैं आपको बताता हु सबसे अच्छे एफिलिएट मार्केटिंग मॉडल के बारे में जिसमें आपको एक प्रोडक्ट  पर high कमीशन मिलेगाऔर यह ऐसे पतरीके है जो वर्ल्डवाइड बहुत ही ज्यादा इस्तेमाल किये जाते है और लोग आज इन मार्केटिंग प्रोग्राम्स के जरिए अपने घर बैठे ही लाखों क्या करोड़ों रुपए छाप रहे हैं बहुत से लोगों का तो फुल टाइम करियर है और आप इससे भी समझ सकते हैं कि आज के समय में कितना रुतबा है एफिलिएट मार्केटिंग का और तो चलिए दोस्तों जानते हैं कौन से हैं वह वह बेस्ट एफिलिएट मार्केटिंग प्रोग्राम और जिसे ज्वाइन करके आप भी यहाँ पैसा बना सकते हैं. read more
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crzayfrog · 1 year
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दोस्त की मां
मेरा नाम संतोष है और मैं हरियाणा के पानीपत का रहने वाला हूं। मैं अभी कक्षा बारहवीं का ही छात्र हूं और मेरे पिताजी का प्लाईवुड का काम है। उनका काम बहुत ही अच्छा चलता है। इसलिए उन्होंने मेरा एक बहुत ही बड़े स्कूल में एडमिशन करवाया है। मैंने अपनी दसवीं के बाद यहीं पर पढ़ना शुरू किया। जब मैं कक्षा 11 में आया तो मेरे बहुत दोस्त बने
उस सबसे दोस्त में एक ऐसा लड़का था जिसके साथ मेरा बहुत जमता था, उसका नाम तो नही पता पर हां वो कॉलेज की दोस्तों से काफी अलग था, एक दिन मैं जैसे क्लास रूम में पहुंचा तो मैडम ने मुझे उस लड़के से परिचित करवाई
संतोष ये है सूरज और ये बहुत होनहार और ईमानदार लड़का है, पढ़ने में काफी तेज है, तुम्हारी हर विषय में ये मदद करेगा, उस से मिलकर मुझे पहले भी बहुत खुशी हुआ था, अब हम एक अच्छे दोस्त बन गए थे
वो बहुत बड़े घर से था, पैसा दौलत धन की कोई कमी नही था, भगवान ने उसे सबकुछ दे रखा था, कार बंगलों सब कुछ
कुछ दिन बाद सूरज अपने मम्मी पापा के साथ आया था, साथ में कुछ सिक्योरिटी गार्ड था, हमने देखा तो सपने देखने लगा की लाश मुझे भी सूरज के जैसा पैसा धन दौलत रहता, पर सूरज के अंडर एक जबरदस्त अच्छाई थी की कभी वो पैसा का घमंड नहीं किया
उसका पापा सरकारी ट्रांसपोर्ट का मालिक था और मम्मी हाउसवाइफ थी, घर में एक बहन थी वो पुणे के हॉस्टल में इंजीनियरिंग कर रही थी, मतलब यूं कहे तो सभी सेटल थे
कुछ दिन बाद सूरज ने कहा की उसकी मम्मी का एनिवर्सरी है और वो कॉलेज के सभी छात्र और छात्राएं को इनवाइट किया और कुछ सर मैम को भी, सब उस दिन बहुत खुश था पर मुझे जाने की हिम्मत नही हुआ
मैं उस दिन जल्दी घर चला गया तबीयत खराब के बहाने से पर मुझे क्या पता था उस दिन मेरे जिंदगी का सबसे अनमोल राते होगा, मैं अपने घर में जाकर लेट गया और थोड़ी देर बाद मम्मी आई तो बोली मेरा राजा बेटा को क्या हुआ, आज नाराज लग रहा है
मैं शुरू से ही अपने मम्मी पापा को प्यार कर रहा था, क्योंकि पापा मम्मी ने कभी भी किसी भी समान खरीदने के लिए मुझे मना नही किए और ना कभी मुझे डांटा, पर उस दिन ऐसा लग रहा था की सूरज के सामने मेरा हैसियत बहुत कम है
मैं शाम को करीब बाजार जाकर हल्का सा नाश्ता किया और सोचने लगा की जाऊं की नही जाऊं, ये सोचते सोचते कब शाम 7 बज गया मुझे पता नही चला, मैं अपने घर लौटा तो देखा दरवाजा पर एक लंबी कार खड़ी चमक रही है
मैने सोचा शायद पापा को कोई कॉन्ट्रैक्ट देने आए होंगे, किसी मालिक का नंबर होगा पर वो मेरा दोस्त सूरज का था, उसके साथ उसकी मॉम रेखा भी आई हुई थी
रेखा उमर 39 साल हरी भरी गदरायी जवानी, एक हाउसवाइफ की तरह मेरे कमरे में ब्लैक साड़ी और लाल ब्लाउज में बड़ा सा काजल और बिंदिया लगाकर मेरे मम्मी से बात कर रही थी, वो अपने बड़े गले वाला ब्लाउज को ऐसे पहनी थी की उनका क्लीवेज साफ चमक रहा था, 36 का छाती, 32 का कमर और 38 का कहर ढाने वाला बम, उफ्फ अब मैं दोस्त को देखूं या उसकी मम्मी को
मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था, मैं उनको देख के ऐसे मदहोश हो गया था मानो वो कोई नशीले पदार्थ हो और मुझे उसका सेवन करना है
मैं खुद पर काबू किया और आंटी को हाई बोला और कहा आपने आने का कष्ट क्यूं किया, सूरज भाई गलत बात है, तुम मेरे कारण अपने मम्मी को परेशान करते हो, वैसे आंटी हैप्पी एनिवर्सरी
आंटी - थैंक्स बेटा पर ऐसे काम नही चलेगा, अपना टैलेंट दिखाना पड़ेगा, मैं भी देखूं की तुम कितना टैलेंटेड हो जैसे तुम्हारे बारे में सूरज कहता रहता है
जरूर जब भी आपको मेरा टैलेंटेड देखना हो आप मुझे एक बार याद कर लेना, मैं हाजिर हो जाऊंगा, आखिर दोस्त किसका हूं, ये बोलकर सब हंस पड़े
रात करीब 9 बज चुकी थी, उधर सूरज के पापा शराब ��ा का कार्यक्रम जोड़ो शोरो से था, हवा की रुख और दोस्त की मम्मी की बदन की खुशबू एक तरफ
थोड़े देर बाद मैने कहा सूरज चलना है या यहीं एनिवर्सरी मनाना है, सूरज ने मेरा मम्मी पापा को कहा पर उन्होंने कहा की मुझे माफ करे, अब तो आप हम एक दोस्त की तरह हो गए हैं तो फिर कभी
थोड़े देर बाद सूरज और उसकी मम्मी आगे बैठ गई, रेखा कार ड्राइवर कर रही थी और सूरज सामने देख रहा था, थोड़े आगे जाने के बाद कार का मैन मिरर को मेरे बॉडी के तरफ करके अपने ही होंटो को कटने लगी
हम 5 मिनिट बाद सूरज के घर पहुंचे जहां सभी इकट्ठा हुए, रेखा ने बड़े ही उल्लास से केक काटी और और अपने पति और बेटे को खिलाई फिर धीरे धीरे सबमें बांट दी
थोड़े देर बाद फिर उसका पापा उस शराब ए जस्न में लग गए, इधर सूरज भी अपने मम्मी से कहा की आज के दिन वो भी शराब पिएगा, तो उसकी मां ने बड़े ही कठोड़ मन से कहा नही, पर सूरज का बार बार जिद करने पर मान गई
थोड़े देर बाद रेखा ने एक बीयर के बोटल में शराब और बीयर दोनो को मिक्सड करके लाई और अपने बेटे को पिला दी, धीरे धीरे अब सब अपने घर की ओर बढ़ने लगे
समय 11 बज चुका था सूरज और उसका पापा दोनो अपने बेडरूम में ढेर हो चुके थे इतना ताकत नही बचा था की खुद को दो स्टेप चला सके, इधर रेखा मुझे किसी भूखे शेरनी की तरह देख रही थी
मेरे पास आई और बोली आज रात तुम मुझे अपना बना सको तो बना लो नही तो मैं समझूंगी की तुम्हारा बदन सिर्फ दिखाने के लायक है
शाम से ही मेरा बुरा हालत था पर अब मुझे पूरा मौका मिला, मैने कहा अच्छा ये बात है, चलो कोई बात नही, तुम भी क्या याद रखेगी की किसी मर्द से मिली थी
मैने आगे बढ़ा और होंठ को अपने होंठ में भरते हुए स्मूच करने लगा और रेखा भी बहुत दिन की प्यासी शेरनी की तरह मेरा कॉक के ऊपर हाथ रख कर मसलने लगी
अब इनबॉक्स में चर्चा होगी
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sujit-kumar · 1 year
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कबीर बड़ा या कृष्ण Part 126
परमात्मा कबीर जी की भक्ति से हुए भक्तों को लाभ‘‘
’’परमात्मा ने की जीवन रक्षा‘‘
।। बन्दी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय ।।
मुझ दास का नाम रोहित दास पुत्र श्री रामबाबू दास ग्राम उदयपुरा जिला-रायसेन (मध्यप्रदेश) है। सतगुरु देव जी से नाम-उपदेश लेने से पहले मेरे घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। मेरी पत्नी बीमार रहती थी। इतनी परेशानियाँ होने के बावजूद भी हम देवी-देवताओं की भक्ति करते रहते थे। हम जयगुरुदेव पंथ से जुड़े हुए थे। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मेरी माता जी ने जयगुरुदेव पंथ में परमात्मा को पाने के लिए बहुत ही कठिन साधना की। 72 दिन तक भोजन नहीं किया। उनके हाथ-पैर पूर्ण रूप से काम करना बंद कर गए। उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि वह अपने हाथों से खाना भी नहीं खा पाती थी।
एक बार हम जयगुरूदेव मथुरा गए हुए थे। वहाँ पर संत रामपाल जी के भक्तों ने पुस्तकें वितरित की। कार्यक्रम के दौरान वहाँ पर उस पुस्तक के बारे में बताया कि कोई भी सदस्य इस पुस्तक को खोलकर न पढ़े। इसको पढ़ने से आपकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाएगी। ऐसा उन लोगों ने बोला और जो संत रामपाल जी के शिष्य जो वहाँ पुस्तक वितरित कर रहे थे, बाबा जयगुरूदेव के भक्तों ने उनको पकड़कर पीटा। सारी पुस्तकों को इकठ्ठा करके जला दिया। उसी समय दास के मन में आया कि आखिर इस पुस्तक में ऐसा क्या है? लेकिन मुझे वो पुस्तक प्राप्त नहीं हो पाई थी। कुछ समय बाद गाँव के एक भक्त ने ज्ञान गंगा पुस्तक लाकर दी। टी.वी. पर सत्संग भी दिखाया। ज्ञान समझकर दास उनके साथ सतलोक आश्रम बरवाला में आया और नाम-दीक्षा ली। दीक्षा लेने के बाद लाभ ही लाभ बढ़ते गए।
एक बार मेरी पत्नी (भक्तमति राधा) के सीने में तेज दर्द हुआ। मैंने कहा उपदेश लेने का, लेकिन उनको परमात्मा पर विश्वास नहीं था, परंतु दर्द बढ़ने पर उन्होंने सतलोक आश्रम बरवाला जाने का विचार किया। ठंड के दिन थे। ट्रेन में बहुत तेज ठण्ड लग रही थी। मेरी पत्नी ने मन ही मन कहा कि यदि परमात्मा हैं तो मुझे ठंड से बचाये। कुछ देर के बाद एक सफेद कंबल मेरी पत्नी के ऊपर आकर गिरा। मैंने पूछा कि यह कंबल किसका है? जितने भी लोग केबिन में बैठे थे, सभी ने मना कर दिया। मैंने कहा कि यह कंबल परमात्मा ने दिया है।
तब मेरी पत्नी को बरवाला आश्रम पहुँचने से पहले ही परमात्मा पर पूर्ण विश्वास हो गया और सतलोक आश्रम बरवाला पहँुचते ही उन्होंने नाम-उपदेश ले लिया। नाम-उपदेश के पश्चात् ही उनके सीने का दर्द भी ठीक हो गया।
सबसे बड़ा लाभ परमात्मा ने मेरे छोटे बेटे अरूण दास को नया जीवन दान देकर किया। उसे एक रात 10-11 बजे के आसपास अचानक सीने में दर्द और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। वह पूरा पसीने से भीग गया और बैड से नीचे गिर गया। बेटे की हालत देखकर तो मैंने उसे मृत ही मान लिया था। मेरी बेटी ने कहा कि सतगुरु देव जी से अरदास लगा लो। मैंने कहा कि रात 11ः00 बजे अरदास नहीं लगती और मेरे पास आश्रम में अरदास लगाने का नम्बर भी नहीं है। मेरी बेटी ने मोबाइल से संभाग काॅर्डिनेटर से अरदास का मोबाइल नंबर लेकर सतगुरु देव जी से अरदास लगाई। अरदास लगाने के बाद बेटा सांस लेने लगा। हम उसे तुरंत हाॅस्पिटल लेकर गये। उन्होंने कहा कि आपके पास 1 घंटा है।
यह कहकर दूसरे हाॅस्पिटल में रैफर कर दिया। लेकिन वहाँ पर भी एक बोतल लगाकर तीसरे हाॅस्पिटल में रैफर कर दिया। वहाँ पर 15 दिन तक मेरे बेटे को आॅक्सीजन लगी रही। उसके बाद सारी रिपोर्ट नाॅर्मल आ रही थी। डाॅक्टर भी हैरान थे। उनको समझ नहीं आ रहा था कि बीमारी क्या है?
रिपोर्ट सारी नाॅर्मल आ रही हैं। यह बहुत बड़ा चमत्कार मालिक ने किया, लड़का पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया।
सतगुरु जो चाहे सो करहीं, चैदह कोटि दूत जम डरहीं।
ऊत भूत जम त्रास निवारैं, चित्र-गुप्त के कागज फारैं।।
एक बार मेरा बड़ा बेटा तरूण दास काॅलेज से घर आ रहा था। उसकी बस का एक्सीडेन्ट हो गया ज���समें तीन बच्चों की मृत्यु हो गयी। लेकिन मेरे बेटे को मामूली खरोंचें ही आई और मेरे बेटे को परमात्मा ने नया जीवन दान दिया।
सतगुरु रामपाल जी महाराज जी से नाम-उपदेश लेने के बाद अब मेरी माता जी के भी हाथ काम करने लगे हैं। अब वे अपने हाथों से खाना खा पाती हैं। आज परमात्मा से नाम-उपदेश लेने के पश्चात् हमारी आर्थिक स्थिति बिल्कुल ठीक है तथा हम सपरिवार पूर्ण रूप से ठीक हैं तथा परमात्मा की भक्ति कर रहे हैं। आप सभी से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि पूर्ण परमात्मा धरती पर सतगुरु रामपाल जी महाराज के रूप में आए हुए हैं। उन्हें पहचानें तथा नाम-उपदेश लेकर अपना कल्याण कराएँ तथा जन्म-मरण से छुटकारा पाएँ।
।। सत साहिब ।।
भक्त रोहित दास
ग्राम-उदयपुरा, जिला रायसेन (मध्यप्रदेश)
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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easyhindiblogs · 2 years
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Google Adsense Kya Hai?
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आज के युग में हर कोई घर बैठे पैसा कमाना चाहता है और इसलिए वो गूगल पर जा कर जरूर सर्च करता है की घर बैठे पैसे कैसे कमाए और जब वो ऐसा सर्च करता है तो Google Adsense का नाम पहले नंबर पर आता है। अगर आप यूट्यूब या अपनी वेबसाइट से पैसा कमाना चाहते है तो आपके लिए यह जानना बहुत ज्यादा जरुरी है की Google Adsense है क्या ?
Google Adsense एक विज्ञापन कंपनी है जो हमे हमारी वेबसाइट और यूट्यूब पर विज्ञापन चलाने के पैसे देती है। अगर आपको कोई यूट्यूब अकाउंट है या वेबसाइट है तो आप विज्ञापन चला कर अच्छे खासे पैसे कमा सकते है लेकिन आपकी वेबसाइट या चैनल पर अच्छे खासे views आ रहे हो
अब आपके मन में यह प्रश्न आ रहा होगा की google adsense को इससे क्या फायदा होता है ? वो हमे फ्री में पैसे कैसे दे रहा है ? उसके पास इतने पैसे कहा से आते है ? चिंता मत कीजिये इस लेख में आपको हर प्रश्न का जवाब मिलेगा
Google Adsense काम कैसे करता है ?
जिन लोगो को अपने brand, कंपनी, busines या ब्लॉग का प्रमोशन करना होता है तो वो Google Ads का इस्तेमाल करते है और वो गूगल एड्स को पैसे देते है जितने की उन्होंने विज्ञापन दिखाना है। अब गूगल एड्स उस विज्ञापन को उन लोगो की वेबसाइट या यूट्यूब चैनल पर दिखता है जिनके ऊपर अच्छे खासे व्यूज आ रहे होते है और इसके बदले में वो उन पैसो में से जो उसे विज्ञापन चलाने वाले लोगो से मिले थे, कुछ अमाउंट यूटूबेर और वेबसाइट के ओनर को दे देता है क्योकि उनकी वेबसाइट या चैनल पर गूगल एड्स ने विज्ञापन चलाया और यह जो पैसे है वो google adsense देखती है और इसके दवारा ही पैसे लोगो तक भेजे जाते है
Google Adsense से आप कितना कमा सकते है ?
आप वास्तव में यह नहीं जान सकते कि आप इससे कितना पैसा कमा सकते है जब तक आप इसे आजमाते नहीं है
राशि कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे:
आपको कितना ट्रैफिक मिलता है
आपकी केटेगरी कौन सी है
Searches कहाँ से हो रही है
आपकी वेबसाइट की कोन सी जगह पर ad show हो रहे है
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avinashy2kguy · 2 years
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अबकी बार यह पूरब से चलेगा।
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अच्छा या बुरा नही होकर एक वक्त हैं। जो वक्त बेवक्त खाली हो जाता हैं। उस खालीपन के अंदर कई मौसम एक साथ रहा करते हैं।
आज चमकती हुई धूप हैं। सर्द मौसम बहुत पास से गुजर रहा है। धूप निश्चिंत हैं कि अब सर्द मौसम बाधा नहीं बनेंगे, लेकिन बीच बीच में बेमकसद भटकती असंतुष्ट बदली धूप को आशंकित करती हैं। इस आशंका को तब और बल मिलता हैं, जब हवाएं अट्टहास करती पास से गुजर जाती हैं।
शोर करता यह उद्वेलित मालूम पड़ता हैं जैसे बेमतलब का हो।
बेमतलब का होना इसे और जंगली बनाता हैं। उपेक्षा और तिरस्कार से सख्त हो चुका, यह लोगो को दर्द दे कर अपना गुस्सा निकालता है। अपनी पहचान खातिर बार–बार शोर करता अपनी मौजूदगी का अहसास कराता हैं।
लेकिन इन जाड़ों के बाद वाली धूप में तुम्हारा क्या काम?
वेग से गुजरती इन हवाओं को देख धूप थोड़ी देर के लिए ठिठक पड़ती हैं। जानी पहचानी लेकिन पहचान का कोई सिरा नजर नहीं आता। मिलने की खुशबू आ रही , लेकिन कैसे मिले थे याद नही! हवाएं शिकायती और उम्मीद की मिलीजुली नजरों से धूप को ताक रही हैं। जैसे कुछ इशारा करना चाह रही हो। "भूल गए क्या वो तपिश जब मुझे गले लगाएं थे? भूल गए वो शाम जब मेरे आगोश में ताजे हुए थे। या सुकून वाली वो रातें जब तुम मेरे सपनो में सोएं थे? अब मुझे तुम्हारी जरूरत हैं और तुम मुझे निचोड़ रहे हो। सूखा डाल रहे हो। कोई कैसे भूल सकता हैं!"
धूप निःशब्द हैं। थोड़ी देर के लिए सहम जाता हैं। यादें पीछा करती हैं और सुबह ओस बन जाती हैं।
बेउम्मीद मुसाफ़िर बन चुका हवा शुष्क हो चला हैं। धूप का सहारा मिले तो अभी भी बरस सकता हैं, लेकिन इसके आसार नजर नहीं आते। धूप को भी फरवरी का कर्तव्य निभाना हैं। ऐसे कैसे उस आवारगी में वापस मुड़ जाए।
एक दर्द फैल रही हैं हवा के अंदर, एक ऐसा दर्द जिसे दस्तक की कमी खाती हैं। जिधर से गुजरती हैं खामोशी पसरा देती हैं। यह सिर्फ खामोशी नही जादुई खामोशी हैं– जो सर्द हैं रूखा सूखा हैं। सामने पड़ने वाले खुद ब खुद इसमें समा जाते हैं।
यह संक्रमण काल हैं, जिधर ठंडी गर्मी आमने –सामने, नजरे मिलाए एक दूसरे से विदा ले रहे हैं। और अंततः किसी एक को विदा हो जाना हैं। बेदिली से ही सही हर बार इस मौसम में सर्द हवा को ही विदा लेनी पड़ती है। कुछ वक्त गुजार चुकने के बाद भला कौन कही जाना चाहता हैं।
लेकिन कोई आगे बढ़ने के वावजूद भी एकाएक चला तो नही जाता?
ये सर्द हवा भी एकबारगी नही चला जाएगा। जाने कितने प्रेमी जोड़ों को एक दूसरे से वादा करते देख मुस्कुराएगा। ईश्वर से इनके लिए रहम की भीख मांगेगा। फरवरी को मार्च बनाएगा। सुर्ख रंगो में रंगते चला जाएगा। ऐसा जाएगा की पेड़ के सारे पत्ते दूर तक उसका पीछा करेंगे।
सड़क छत खेत तालाब से गुजर कर यह उन गलियों से भी गुजरेगा जिन गलियों में शोर हुआ करता था। अब रात की वीरानगी है।
अतीत को ओढ़े उस जर्जर महल के सूखे रंगो को कुरेदता उसके सीलन को अपने साथ लेता जाएगा।
खंडहर हो चुके उस मकान के गलियारों से भी गुजरेगा और बंद किवाड़ वाली उस कमरे में सपनों को मुस्कुराता छोड़ आगे बढ़ जाएगा।
चलते चलते यह नदी बन जाएगा। समतल पे सरपट दौड़ेगा, खाइयों को भरते थमी थमी चलेगा। सामने पहाड़ आए, किनारे हो लेगा। जंगल को सींचते यात्रा चलता रहेगा।
क्या हैं यह जिंदगी? कभी सब दे देती हैं। कभी एक झटके में सब छीन लेती हैं! लेकिन इस लेन देन में जिंदा रहना जरूरी हैं। इस बात का हवा को पता हैं। रौशनी चौराहे मुहल्ले खेत खलिहान ओझल होने लगे हैं।
यहां से अकेलेपन की यात्रा हैं। वापसी की यात्रा की नियति हमेशा से अकेलेपन की रही हैं। अकेलापन अकेला ही रहता हैं। जिस पल किसी के साथ की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, वह पल प्रायः अकेला गुजरता हैं। कुछ सच्चाईयां भयानक होती हैं। उनके नुकीले दांत होते हैं।
उस जगह से बेदखल हो जाते हैं जहां कुछ वक्त गुजार चुके होते हैं। मन रम जाता हैं। अहंकार अपना घर बना लेता हैं, एक सुंदर महल।
और जब यहां से रवानगी होती है तो सब कुछ बदल जाता हैं।
दिलकश अंदाज की जगह भावशून्यता दिखती हैं। स्वागत करती बांहे अब मजबूरियों में कांप रही होती हैं।
शब्दों में इतनी भी हिम्मत नही कि ढंग से विदा कर सके।
सामने कई रास्ते हैं। जो आगे चल कर एक हो जाते हैं।
वह रास्ता रेगिस्तान को जाता हैं। रेगिस्तान सुना ही था सुना ही रहा।
लोग रास्ते बनाते गए और आंधियां निशान मिटाते गई।
ऐसी पल भर में खो जानें वाली रास्तों में वह होकर भी नही था।
किनारे खड़ा वो पेड़ नजदीक आ रहा हैं।
उमंगों की यात्रा में इसी जगह कुछ वक्त के लिए ठहरा था।
पत्तियां नई–नई सी थी। चिड्डियो की आवाज़ें जैसे महबूब की पुकार हो चले थे।
ढोल बाजे दूर कही गांव में बज रहे थे। शायद कोई दुल्हन धड़कते दिल से अपनी बारात का इंतजार कर रही थी।
अब वो गांव दुल्हन को विदा कर अलसाया सा पड़ा था।
पेड़ भी मौन था।
मुझे पहचानता था मालूम नही। बिना पहचान के कौन कही रुकता हैं।
सामने सपाट आकाश दिख रहा है। मिलों फैली तन्हाईया बांहे फैलाए खड़ी हैं। स्वागत कोई भी करे अच्छा लगता हैं।
शून्य हो चला है समय। समय का शून्य हो जाना वक्त को थाम लेता हैं।
सुख चुकी हवा को लहरे भींगो देने खातिर पास बुला रही हैं।
कभी लहरों के ऊपर हवा तो कभी हवा के ऊपर लहरें। जैसे ईश्वर सबको अपने आगोश में ले लेते हैं वैसे सागर भी हवा को अपने आगोश में लेकर भिगो रही हैं।
हवा को नया बना रही हैं।
हवा का नया जन्म हो रहा हैं।
अबकी बार यह पूरब से चलेगा।
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vlogrush · 5 months
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सरल तरीकों से ऑनलाइन पैसे कमाएं: एक्सपर्ट गाइड
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lucifar7000 · 1 month
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"दोस्तो! मैं अजय अहिरवार!
मेरी उम्र 21 साल है।
मैं पुणे में रहता हूँ।
मेरे घर में मेरे मम्मी, पापा, मैं और मेरी छोटी बहन रहते हैं।
मैं आप सब के साथ अपनी कहानी शेयर कर रहा हूँ। यह कहानी मेरी और मेरी बहन के बीच की है।
मेरी बहन का नाम रिया है।
उसकी उम्र 19 साल है।
रिया का फिगर स्लिम है।
उसके त्वचा का रंग गोरा है।
वह बहुत खूबसूरत है।
उसके कॉलेज में भी उसके बहुत सारे दीवाने है।
मेरा Xxx ब्रदर हॉट सेक्स विद वर्जिन सिस्टर कहानी तब शुरू हुई जब मैं अपने होमटाउन में रहता था।
उस समय मैं अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ना शुरू किया था।
धीरे–धीरे मैंने अपनी छोटी बहन की खूबसूरती नोटिस करनी शुरू कर दिया था।
छुप–छुप कर रिया के ब्रा और पैंटी देखा, सूंघा और चाटा करता था।
रिया को देखकर मेरा लंड सख़्त हो जाता था।
मैं और मेरी बहन दोनों एक ही कमरे में रहा करते थे।
एक रात जब रिया सो रही थी।
तब मेरी नींद खुली।
मैंने रिया के चेहरे को देखा।
वाह … कितनी क्यूट है!
इस बीच मेरा लंड भी खड़ा हो गया था।
मैंने धीरे से रिया के कमर पर हाथ रखकर चेक किया कि वह सो रही है या जाग रही है?
कोई हरकत ना होने पर मैं आगे बढ़ा और रिया के चूचे को हल्के से प्रेस किया।
रिया ने टीशर्ट और शॉर्ट स्कर्ट पहन रखा था।
फ़िर रिया के गोरे–गोरे पैरों को छुआ।
कसम से इतने मुलायम थे कि मैंने आज तक नहीं देखा था।
उसके बाद धीरे से मैंने रिया के स्कर्ट को ऊपर उठाया।
रिया ने लाल रंग की पैंटी पहनी थी।
मैंने धीरे से उसकी पैंटी को ऊपर से छुआ।
रिया की चूत बहुत गर्म थी।
इस सब के बीच मेरा 7 इंच का लंड मेरे पजामे से बाहर आ गया था।
रिया को पहली बार ऐसा देख कर मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था।
पर डर भी लग रहा था इसलिए मैंने रिया को देख कर अपने लंड को हिला कर शांत कर लिया और सो गया।
अगले दिन सब नॉर्मल था घर में!
मेरी हिम्मत भी बढ़ गई थी।
मैं अब बस रात होने का इंतजार कर रहा था।
रात में सब जब सो गए।
तब मैंने फ़िर से अपनी खूबसूरत बहन को छूना शुरू कर दिया।
उस रात मैंने अपना अंडरवियर नहीं पहना था।
मैंने धीरे से अपना लंड निकालकर अपनी बहन के हाथ में रख दिया।
रिया के मुलायम–मुलायम हाथ मेरे लंड को छू रहे थे।
फ़िर हिम्मत कर के रिया के टॉप में हाथ डालकर उसके बोबे प्रेस करना शुरु कर दिया।
वह बिल्कुल गहरी नींद में सो रही थी।
फ़िर रिया की टॉप को उसकी चूचियों तक उठा दिया।
अब रिया की चूचियों और मेरे बीच सिर्फ उसका ब्रा था।
मैंने धीरे से रिया की ब्रा को भी ऊपर कर दिया।
रिया की निप्पल एकदम फूल की पंखुड़ियों जैसे गुलाबी थे।
थोड़ी हिम्मत करके मैंने अपने मुंह में निप्पल को लेकर चूसने लगा।
ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में हूँ।
फ़िर रिया की स्कर्ट को ऊपर उठाया।
रिया की पैंटी में हाथ डालकर उसकी गर्म चूत पर अपना हाथ रख दिया।
मेरी बहन की चूत गीली हो गई थी।
रिया की शरीर में अब हलचल हो रही थी। वह नींद में भी मजा ले रही थी।
उसके बाद मैं उसके हाथ से ही अपना लंड को हिलाना शुरू कर दिया।
मैं एक मिनट में ही अपना सारा माल उसकी जांघ पर निकाल दिया।
यह सब होने के बाद अगले दिन मुझे उसके व्यवहार में कुछ बदलाव दिख रहा था।
वह मेरे साथ ज्यादा बात नहीं कर रही थी।
मैं तो बस रात होने का इंतजार कर रहा था। मैं जब भी रिया को देखता, तब रात की घटना याद आती और मेरा लंड खड़ा हो जाता था।
मुझसे अब एकदम कंट्रोल नहीं हो रहा था।
रात होते ही मैं पलंग पर पहले ही चला गया और रिया का इंतजार करने लगा।
वह कमरे में आई और बिस्तर पर आ कर सो गई।
रात के 1 बजे मैंने अपना काम शुरू किया।
आज मेरा मूड थोड़ा ज्यादा ही गर्म हो रहा था इसलिए मैंने अपने कपड़े उतार दिए और बस अपने शॉर्ट्स में था।
फ़िर मैंने रिया को पीछे से हग किया।
मैं रिया की चूचियों को दबाने लगा।
पिछली रात की तरह ही उसकी चूचियों को चूसा।
फ़िर रिया की स्कर्ट उठाकर उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया।
आज रिया की चूत कल रात से भी ज्यादा गीली लग रही थी।
मुझे शक हुआ कि वह जागी हुई है।
मैंने जब उसकी चूत पर अपनी उंगली करनी शुरू कर दी तो उसकी मुंह से सिसकारियां आनी शुरू हो गई।
मुझे शक हुआ कि वह जागी हुई है।
मैं उसकी चूचियों को चूस रहा था और एक हाथ से उसकी चूत मसल रहा था।
तब उसकी आँख खुली और वह सिसकारियां लेते हुए बोली– क्या कर रहे हो भैया? मैं आपकी छोटी बहन हूँ।
मैंने उसकी आँखों में देखकर बोला– आई लव यू रिया!
फ़िर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और पागलों की तरह रिया को चूमने लगा।
वह भी धीरे–धीरे रिस्पॉंस देने लगी।
उसके बाद मैं रिया के ऊपर आ कर उसकी दोनों चूचियों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा।
रिया– आह … औऊ … दर्द हो रहा है भैया!
मैंने कहा– आई लव योर बूब्स रिया!
फ़िर मैंने उसकी पैंटी निकाल कर उसकी चूत को चूमने लगा।
वह झटके से उछल पड़ी।
उसकी चूत को मैंने अपनी जीभ से चाटना शुरू किया।
वह जोर–जोर से सिसकारियां लेने लगी और औउ … अहह … अऊ … ईई … अह्झ … यू … ययय … आऊओ … ओह्ह … औउ … अम्म्म … ओम्म्म आवाज निकालने लगी।
थोड़ी देर में वह पूरी झड़ गयी।
मैंने उसकी चूत का एक बूंद रस भी जाया नहीं जाने दिया।
मैंने सारा का सारा उसकी चूत का रस पी लिया।
उसके रस का रंग हल्का सफेद था और स्वाद में थोड़ा नमकीन था।
मैंने कहा– अब तुम्हारी बारी है।
फ़िर मैंने अपना 7 का लंड रिया के सामने निकाल कर रखा।
उसने कहा– यह तो बहुत बड़ा है।
मैंने उसे अपना लंड चूसने के लिए बोला।
पहले तो उसने मना कर दिया।
पर फ़िर थोड़ा मानने के बाद वह मान गई।
उसने पहले मेरे लंड पर हल्के से चूमा।
फ़िर धीरे से अपने मुंह में लंड को लेना शुरू किया।
अपना लंड अपनी बहन के मुंह में देख कर मुझसे कंट्रोल नहीं हो पा रहा था।
मैंने रिया का सिर पकड़ कर अपना लंड उसकी मुंह में अंदर–बाहर करना शुरु कर दिया।
वह भी अब मेरे लंड को बहुत मजे से चूस रही थी।
मैंने लंड को उसके मुंह बाहर निकाला और कहा– रिया, थोड़ी देर में यह लंड तुम्हारे अंदर जाने वाला है।
रिया ने कहा– नहीं भैया, आपका बहुत बड़ा है और मैं वर्जिन हूँ।
मैंने कहा– कोई नहीं, मैं प्यार से करूंगा।
मैं फ़िर से उसके मुंह को पकड़ कर उसमें लंड डालकर चोदने लगा। मैं अपने लंड को उसके गले तक उतार दे रहा था।
वह अभी एक नन्ही जान थी पर मैं बेरहम की तरह उस पर कोई दया नहीं दिखा रहा था।
कभी–कभी तो उसे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी।
पर मैं उसके मुंह को चोदे जा रहा था।
लगभग 10 मिनट बाद मैं उसकी मुंह में ही झड़ गया।
मैंने अपना लंड निकाला नहीं और उसे सारा का सारा वीर्य पीने पर मजबूर कर दिया।
कुछ देर हम दोनों आराम से लेटे रहे.
जल्दी ही मेरा लंड खडा होने लगा तो मैं उसके दोनों पैरों के बीच में आ गया।
फ़िर अपने हाथ पर अपना थूक लगाकर उसकी चूत को गीला किया।
उसके बाद अपना लंड अपनी बहन की चूत पर रब करना शुरू किया।
उसकी गीली चूत पर से मेरा लंड फिसल रहा था।
रिया ने कहा– भैया प्लीज, मुझे डर लग रहा है।
मैंने कहा– बस एक मिनट, उसके बाद सिर्फ मजा आएगा तुम्हें!
फ़िर धीरे–धीरे अपने लंड को वर्जिन सिस्टर की चूत में डालना शुरू किया।
क्योंकि वह वर्जिन थी इसलिए उसकी चूत बहुत कसी हुई थी।
मैंने एक जोर का धक्का दिया और मेरा लंड उसकी चूत में आधा चला गया।
वह जोर से चिल्लाने लगी और रोते हुए बोली– भैया प्लीज, बाहर निकालो बहुत दर्द हो रहा है।
वह दर्द के कारण अपने हाथ पैर भी चलाने लगी थी।
पर अब मैं रुकने वाला नहीं था।
मैंने उसके होंठ पर अपना होंठ रखा और जोर से एक धक्का लगा दिया।
इस बार मेरा पूरा लंड मेरी बहन की चूत में था।
उसकी चूत में से खून निकलने लगा था।
वह यह देख कर रोने लगी।
मैंने उसे समझाया– यह नॉर्मल है। मैंने तुम्हारी वर्जिनिटी ली है इसलिए खून निकला है।
उसके बाद मैंने उसे धीरे–धीरे चोदना शुरू किया।
5 मिनट बाद उसे भी मजा आने लगा।
वह भी ‘भैया प्लीज, और जोर से चोदो अपनी बहन को … आई लव यू’ कहने लगी।
मैंने कहा– हाँ यह ले … और जोर से … मेरी जान!
यह बोलते हुए मैं उसे जोर–जोर से चोदना शुरू किया।
उसे मैं मिशनरी पोजीशन में एक बला की खूबसूरत समझ के उसकी चूत को फाड़ के रख देना चाहता था।
मैं उसे हचक के पेल रहा था।
वह मेरे नीचे दबे हुए किसी मेमने की भांति बस सिसकारियां ले रही थी।
एक हाथ से उसकी चू��ी को दबा रहा था और उसे चूम रहा था।
10 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद रिया ने कहा– भैया, मैं आ रही हूँ।
मैंने कहा– मैं भी आ रहा हूँ।
वह अब छूटने वाली थी।
तो रिया ने मेरी कूल्हों पर हाथ रख कर मुझे और जोर से अपनी ओर चूत में धकेलने लगी।
मैं भी उसी चूची को कस के पकड़ कर मरोड़ने लगा और जोर–जोर से धक्के लगाने लगा।
मैंने उसकी नींबू जैसे चूची को सुर्ख लाल कर दिया था मरोड़–मरोड़ के!
थोड़ी देर में मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में डाल दिया।
वह भी मेरे साथ ही छूट गई थी।
उसकी चूत में से मेरा माल और उसके रस का मिश्रण निकल रहा था।
मैं उसे वीर्य निकलने के बाद भी चोदे जा रहा था।
वीर्य निकलने के कारण अब अंदर–बाहर करना बहुत आसान हो गया था।
दो मिनट में मैं रुक गया और उसके ऊपर ही लेट गया।
उसके बाद हम दोनों ने उस रात दो बार और चुदाई की।
फ़िर एक–दूसरे की बांहों में सो गए।
मैं अपनी बहन को रोज रात को चोदता रहा जब तक कि मुझे पढ़ाई के लिए घर से बाहर नहीं जाना पड़ा।
अब मैं जब भी घर आता हूँ तो हम सेक्स करते हैं।
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indiaplayboy · 2 years
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helputrust · 5 months
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धरोहर सेमिनार: हमारी धरोहर, हमारा उत्तरदायित्व | Dharohar Seminar: Our Heritage, Our Responsibility
लखनऊ, 15.09.2023 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) तथा समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समर्पित सांस्कृतिक कार्यक्रम "धरोहर" के अंतर्गत सेमिनार विषयक "हमारी धरोहर, हमारा उत्तरदायित्व" का आयोजन राधा कमल मुखर्जी सभागार, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय में किया गया |
सेमिनार में सम्मानित वक्तागण के रूप में पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह, साहित्यकार, डॉ रवि भट्ट, इतिहासविद, प्रो विभूति राय, डीन, विज्ञान विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, श्रीमती मीनू खरे, निदेशक, आकाशवाणी तथा प्रो श्री अनूप कुमार भरतिया, विभागाध्यक्ष, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने सहभागिता की | सेमिनार का शुभारंभ राष्ट्रगान एवं दीप प्रज्वलन से हुआ | सभी विद्वान वक्ताओं का ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति (जनसंपर्क) की सदस्य तथा सेमिनार की निवेदक वंदना त्रिभुवन सिंह द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मान किया गया |
डॉ रूपल अग्रवाल ने सभी गणमान्य अतिथियों तथा श्रोताओं का स्वागत करते हुए कहा कि, धरोहर शब्द का अर्थ है विरासत जो कि हमें हमारे पूर्वजों से उपहार में मिली है | दुनिया भर में अनेक इमारतें हैं जिन्हें  देखकर यकीन नहीं होता कि उन्हें इंसान ने बनाया है | इमारत के साथ-साथ हमारी भाषा, धर्म, संस्कृति, साहित्य सभी कुछ हमारी विरासत है, हमारा उपहार है और यह हम सबका कर्तव्य बनता है कि हम इसको सहेज कर रखें, संभाल कर रखें | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट समाज के सभी क्षेत्रों मे कार्य कर रहा है | ट्रस्ट द्वारा समय-समय पर धर्मार्थ, साँस्कृतिक, जागरूकता व अनेक प्रकार के कार्यक्रम कराए जाते हैं | आप सभी से अनुरोध है कि ट्रस्ट को उसके जन सेवा कार्यों मे अपना सहयोग प्रदान करें तथा यह संकल्प लें कि अपनी धरोहर, अपनी विरासत को संभाल कर रखेंगे एवं भारत का नाम विश्व पटल पर सुनहरे अक्षरों में अंकित करेंगे |
प्रोफेसर अनूप कुमार भरतिया ने भारत देश की धरोहर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, समय के अनुसार हर एक चीज परिवर्तित होती जाती है और उसकी प्रकृति में भी परिवर्तन होता जाता है | हमें हमारी संस्कृति, विश्वास और परंपराओं को पूरी तरह से आत्मसात करना चाहिए | पहले के समय में लोगों में सहयोग की भावना होती थी अगर कहीं शादी होती थी तो पूरा गांव शादी की तैयारी में जुट जाता था | लेकिन आज यह संस्कृति समाप्त हो चुकी है आज सारा काम घर वाले नहीं बाहर वाले करते हैं और इसी वजह से लोगों के बीच आत्मीयता कम हो गई है | हमें अपनी उसी आत्मीयता के साथ अपनी धरोहर का अपनी विरासत का संरक्षण करना चाहिए व लोगों को भी इसके लिए जागरूक करना चाहिए | 
प्रोफेसर विभूति राय ने लखनऊ विश्वविद्यालय का इतिहास बताते हुए कहा कि, लखनऊ विश्वविद्यालय एक ऐतिहासिक बिल्डिंग है और करीब 20 वर्ष पूर्व विश्वविद्यालय का नाम बदलने का प्रयास किया, जिसके खिलाफ सभी शिक्षकों को लेकर हम लोगों ने तत्कालीन सरकार के खिलाफ अनशन किया, प्रोटेस्ट मार्च निकाला और कुछ ऐतिहासिक ऐसे पत्र आदि मिल गए जिसके अनुसार इस विश्वविद्यालय का नाम बदला नहीं जा सका |
डॉ रवि भट्ट ने भारतीय इतिहास, संवाद, संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, धरोहर दो प्रकार की होती है, एक मूर्त और एक अमूर्त | मूर्त धरोहर वह धरोहर है जिसे हम छू सकते हैं, देख सकते हैं जैसे हमारी इमारतें लेकिन अमूर्त धरोहर को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं जैसे हमारी भाषा, संस्कृति, साहित्य आदि | मेरा ऐसा मानना है कि हमें मूर्त धरोहर के साथ-साथ अमूर्त धरोहर को सहेज कर रखना चाहिए क्योंकि अमूर्त धरोहर जैसे अपनी भाषा, संस्कृति, साहित्य, इतिहास के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी इकट्ठा करके हम आने वाली पीढ़ियों को जागरूक कर सकते हैं |
पद्मश्री डॉ विद्या बिंदु सिंह ने बताया कि किसी भी देश की धरोहर के आधार पर किसी भी राष्ट्र के महत्व का मूल्यांकन होता है ।मूर्त धरोहर में स्थापत्य कलाएं मूर्तियां चित्र आदि हैं और अमूर्त में जिन्हें देखा नहीं जा सकता वह धरोहर है। पूर्वजों से प्राप्त संस्कार, साहित्य, संगीत, कला संस्कृति के रूप में हम सुरक्षित इसे पाते हैं । इन सब का संरक्षण और भावी पीढ़ियों में इनका प्रसार करना हम सभी का दायित्व है ।
डॉ जानिसार आलम, असिस्टेंट प्रोफेसर, उर्दू विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने सेमिनार में अपना पेपर प्रस्तुतीकरण किया |
छात्र-छात्राओं ने विद्वान वक्ताओं से भारतीय धरोहर एवं विरासत के बारे में कई प्रश्न पूछे जिसका उत्तर पाकर उनके चेहरे खुशी से खिल उठे | प्रश्न पूछने वाले छात्र-छात्राओं को ट्रस्ट द्वारा सम्मानित किया गया |
सेमिनार में डॉ शिखा सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, स्वयंसेवकों व मीडिया कर्मियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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Today's Horoscope-
मेष दैनिक राशिफल (Aries Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए मेहनत भरा रहने वाला है। व्यापार में वृद्धि होने से आप प्रसन्न रहेंगे, लेकिन आपको अत्यधिक मेहनत करने के बाद भी उतना फल नहीं मिल पाएगा, जितनी आपने मेहनत की थी। आप अपने कर्तव्यों से पीछे ना हटें। लेन-देन के मामलों में फैसला आपके पक्ष में आ सकता है। कार्यक्षेत्र में यदि मेहनत करनी पड़ेगी, तो उससे आप पीछे नहीं हटेंगे। विद्यार्थियों को अपनी शिक्षा में आ रही समस्याओं के लिए अपने गुरुजनों से बातचीत करनी होगी, तभी वह परीक्षा में सफलता हासिल कर सकेंगे।
वृष दैनिक राशिफल (Taurus Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए महत्वपूर्ण रहने वाला है। आपको अपने प्रियजनों से कोई शुभ सूचना सुनने को मिल सकती है। आप किसी काम में ढील ना बरतें और घूमने फिरने के दौरान आपको कोई महत्वपूर्ण जानकारी भी प्राप्त हो सकती है। आपके व्यक्तित्व में आज निखार आएगा और वाणी की सौम्यता आपको मान सम्मान दिलाएगी। आपको अपने किसी प्रियजन की ओर से कोई शुभ सूचना सुनने को मिल सकती है, लेकिन आपका कोई पुराना काम समय रहते पूरा होगा।
मिथुन दैनिक राशिफल (Gemini Daily Horoscope) मिथुन राशि के जातकों के लिए आज का दिन सांसारिक सुख भोग के साधनों में वृद्धि लेकर आने वाला है। परिवार में किसी भी वरिष्ठ सदस्य से अपनी बात मनवाने के लिए जिद ना करें, नहीं तो इससे उन्हें कष्ट होगा और अपने कार्य को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहें। किसी संपत्ति संबंधित मामले में आपको जीत मिल सकती है, लेकिन व्यापार कर रहे लोगों के लिए आज का दिन थोड़ा कमजोर रहेगा। आप भावुकता में कोई निर्णय ना लें, नहीं तो बाद में आपको उसके लिए पछतावा हो सकता है।
कर्क दैनिक राशिफल (Cancer Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए उन्नति भरा रहने वाला है। आप दिखावे के चक्कर में अत्यधिक धन व्यय कर सकते हैं, जिसके लिए बाद में आपको पछतावा होगा। आपके साहस और पराक्रम में वृद्धि होने से आज आपका मन प्रसन्न रहेगा। आप किसी आवश्यक काम में ढील ना दें, नहीं तो समस्या हो सकती है। आपको किसी पैतृक संपत्ति संबंधित मामले में चुप रहना बेहतर रहेगा। संतान को यदि आप कोई जिम्मेदारी देंगे, तो वह उन्हें समय रहते पूरी करेगी। आपको काम के सिलसिले में छोटी दूरी की यात्रा पर जाना पड़ सकता है।
सिंह दैनिक राशिफल (Leo Daily Horoscope) सिंह राशि के जातकों के लिए आज का दिन बचत की योजनाओं का धन लगाने के लिए रहेगा। संतान से चल रही अनबन आज दूर होगी। आपके चारों ओर का वातावरण खुशनुमा रहेगा। विद्यार्थियों को यदि किसी नौकरी से संबंधित परीक्षा के लिए आवेदन करना था, तो वह कर सकते हैं। आपको अपनी आय और व्यय का एक बजट बनाकर चलेंगे, तो बेहतर रहेगा, नहीं तो आपके खर्चे अधिक हो सकते हैं। पारिवारिक रिश्तों को बेहतर बनाएं रखने के लिए आपको बातचीत अवश्य करनी होगी।
कन्या दैनिक राशिफल (Virgo Daily Horoscope) आज के दिन आपके चारों ओर का वातावरण सुखमय रहेगा और कार्यक्षेत्र में आप कुछ नया करने की उधेड़बुन में लगे रहेंगे। किसी विपरीत परिस्थिति में आप बुद्धि व विवेक से काम लें, नहीं तो समस्या हो सकती है। घर परिवार में आज किसी मांगलिक कार्यक्रम के होने से परिवार के कोई सदस्य आपसे नाराज हो सकते हैं, लेकिन किसी लक्ष्य को लेकर यदि आप चलेंगे, तो उस पर खरे अवश्य उतरेंगे। संतान को संस्कारों व परंपराओं का पाठ पढ़ाएंगे और आपके किसी पुराने मित्र से आज लंबे समय बाद मुलाकात होगी।
तुला दैनिक राशिफल (Libra Daily Horoscope) आज आपको विदेश में रह रहे परिजन से फोन के जरिए कोई शुभ सूचना सुनने को मिल सकती है, लेकिन आप कुछ अनजान लोगों से दूरी बनाकर रखें और अपने रिश्तो में सहज रहें। किसी महत्वपूर्ण मामले में आपको सतर्क रहने की आवश्यकता है। आप अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें, नहीं तो आप किसी बड़ी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। आपके बढ़ते खर्च आपका सिरदर्द बनेंगे, लेकिन आपको उन पर लगाम लगानी होगी।
वृश्चिक दैनिक राशिफल (Scorpio Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए लेनदेन के मामले में सक्रियता बनाए रखने के लिए रहेगा। मित्रों का आपको पूरा सहयोग रहेगा और प्रतिस्पर्धा के क्षेत्र में आप आगे बढ़ेंगे। आपको मामा पक्ष से धन लाभ मिलता दिख रहा है, लेकिन आप किसी सरकारी काम में लापरवाही ना बरते, नहीं तो वह आपके लिए कोई बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है। गृहस्थ जीवन में खुशहाली बनी रहेगी और स्थायित्व की भावना को बल मिलेगा। आप अपने दोस्तों के साथ कुछ समय मौज मस्ती करने में व्यतीत करेंगे।
धनु दैनिक राशिफल (Sagittarius Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए एक बजट बनाकर चलने के लिए रहेगा। कला कौशल में भी सुधार आएगा और आपकी मित्रों की संख्या में भी वृद्धि हो सकती है। व्यापार कर रहे लोगों को आज उम्मीद से ज्यादा धन मिलने से वह फूले नहीं समाएंगे। आप अपने परिवार में सदस्यों की जरूरतों को समय रहते पूरा करेंगे, लेकिन आपको कुछ गुप्त शत्रुओं से सावधान रहने की आवश्यकता है, नहीं तो वह आपके बनते कामों में रोड़ा अटकाने की पूरी कोशिश कर सकते हैं।
मकर दैनिक राशिफल (Capricorn Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए व्यवसाय में दीर्घकालीन योजनाओं से अच्छा लाभ दिलाने के लिए रहेगा। आप अपने मन में नकारात्मक विचारों को ना आने दे और आपके अनुभवों का आपको पूरा लाभ मिलेगा। जीवनसाथी का सहयोग व सानिध्य आपको भरपूर मात्रा में मिलता दिख रहा है। घर में किसी मांगलिक कार्यक्रम के होने से परिजनों का आना जाना लगा रहेगा। यदि कार्यक्षेत्र में कोई वाद-विवाद की स्थिति उत्पन्न हो, तो उसमे चुप रहें, नहीं तो वह कानूनी हो सकता है।
कुंभ दैनिक राशिफल (Aquarius Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए मिश्रित रूप से फलदायक रहने वाला है। अपनों की सीख व सलाह पर चलकर आप आगे बढ़ेंगे, लेकिन आप किसी गलत बात के लिए हां ना करें, नहीं तो बाद में समस्या हो सकती है। किसी जरूरी काम में आपने यदि लापरवाही बरती, तो आपका कोई बड़ा नुकसान हो सकता है। करियर को लेकर यदि आप चिंतित चल रहे थे, तो आपकी वह चिंता दूर होगी। आप अपनी वाणी व व्यवहार से लोगों को अपनी और आकर्षित करने में कामयाब रहेंगे।
मीन दैनिक राशिफल (Pisces Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए साझेदारी में किसी काम को करने के लिए अच्छा रहने वाला है। गृहस्थ जीवन में सरसता बनी रहेगी। आपको आज अपने लक्ष्य पर फोकस बनाकर आगे बढ़ना बेहतर रहेगा। नेतृत्व क्षमता भी आज आपकी बढे़गी। परिवार में किसी सदस्य के विवाह प्रस्ताव पर मोहर लग सकती है। यदि आप किसी संपत्ति का सौदा करने जा रहे हैं, तो उसके चल व अचल पहलुओं को स्वाधीनता से ज���ंच लें। कार्यक्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करके अपने साथियों का दिल जीतने में कामयाब रहेंगे।
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