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#चिकित्सकीय संसाधन
24gnewshindi · 3 years
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"वीर प्रयास": भारत में कोविद सहायता पर अमेरिकी रक्षा सचिव
“वीर प्रयास”: भारत में कोविद सहायता पर अमेरिकी रक्षा सचिव
रक्षा सचिव ने कहा, “यह सभी के लिए एक वीरतापूर्ण प्रयास है।” वाशिंगटन: सीओवीआईडी ​​-19 महामारी के बीच भारत में चौथे अमेरिकी सैन्य विमान के लिए बहुत जरूरी जीवन-रक्षक आपूर्ति करने के बाद, रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने बुधवार को इसे शामिल सभी लोगों के लिए एक वीरतापूर्ण प्रयास बताया। श्री ऑस्टिन ने ट्वीट किया, “अब तक हमने भारत में 1 मिलियन रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट, 545 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर, 1,600,300 N95…
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अमेरिका ने भारत में 1,000 ऑक्सीजन सिलेंडर, रेगुलेटर, चिकित्सा उपकरण भेजे
अमेरिका ने भारत में 1,000 ऑक्सीजन सिलेंडर, रेगुलेटर, चिकित्सा उपकरण भेजे
यूएस भारत को 100 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक की आपूर्ति भेज रहा है नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका से 1,000 ऑक्सीजन सिलेंडर, नियामकों और अन्य चिकित्सा उपकरणों की एक उड़ान शनिवार रात भारत में उड़ी। “अमेरिका के साथ सहयोग जारी है। संयुक्त राज्य अमेरिका से एक और उड़ान 1000 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर, नियामकों और अन्य चिकित्सा उपकरणों को लेकर आती है। 2 दिनों की अवधि में तीसरा…
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viralnewsofindia · 3 years
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1050 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की नियुक्ति शीघ्रः मंगल पांडेय
1050 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की नियुक्ति शीघ्रः मंगल पांडेय
पटना: स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि प्रदेश के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में चिकित्सकीय व्यवस्था को बेहतर बनाने को लेकर लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। सेंटर पर डॉक्टर, नर्स और चिकित्साकर्मी की नियुक्ति और अन्य संसाधन सुदृढ़ किये जा रहे हैं। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के लिए 1050 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की (सीएचओ) नियुक्ति की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।Continue reading
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ashokgehlotofficial · 3 years
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वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से प्रदेश में टेलिमेडिसिन एवं स्वास्थ्य सेवाओं के विषय पर राजस्थान फाउंडेशन द्वारा आयोजित प्रवासी राजस्थानियों के साथ संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ��ोविड महामारी के दौर में प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य की चिंता और मदद करने के लिए राजस्थानी प्रवासियों का आभार व्यक्त किया।
देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रह रहे इन प्रवासियों की ओर से राजस्थान के विभिन्न जिलों में ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर सहित विभिन्न आवश्यक मेडिकल उपकरण उपलब्ध करवाना उनके अपनी माटी से प्रेम और पीड़ित मानवता की सेवा के जज्बे की अद्वितीय मिसाल है।
जब कभी आपदा या विपत्ति आती है, दूर-दराज रहने वाले हमारे प्रवासी भाई-बहन उदार मन के साथ सहायता के लिए हाथ बढ़ाते हैं। उनके इसी सेवाभाव के कारण पूरी दुनिया में राजस्थान का मान-सम्मान है।
देश-विदेश के बड़े चिकित्सा संस्थानों में कार्यरत राजस्थानी मूल के विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा एक प्लेटफार्म पर आकर डॉक्टर्स ऑफ राजस्थान इंटरनेशनल (डोरी) संगठन के माध्यम से अपने गृह राज्य के भाई-बहनों को टेलिमेडिसिन के माध्यम से चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध करवाने का संकल्प सराहनीय कदम है।
गौरतलब है कि डोरी ने राजस्थान के निवासियों को निःशुल्क चिकित्सा सलाह देने के लिए डिजिटल प्लेटफार्म ऐप ‘वंडरएक्स’ पर ‘कॉल डोरी’ सुविधा शुरू की है।
राजस्थान फाउंडेशन के प्रयासों से बड़ी संख्या में प्रवासी राजस्थानी राज्य सरकार के माध्यम से आमजन को स्वास्थ्य सेवाएं देने में सहायता कर रहे हैं। दुनिया के अलग-अलग देशों में रह रहे प्रवासी राजस्थानियों द्वारा की जा रही मदद के प्रयासों से उनका अपनी माटी के साथ जुड़ाव और मजबूत हुआ है। इसी उद्देश्य के लिए लगभग 20 वर्ष पहले राजस्थान फाउण्डेशन का गठन किया गया था।
संकट के इस दौर में प्रवासियों द्वारा अपने मूल गांव-ढाणी में रहने वाले बंधुओं की कुशलक्षेम और स्वास्थ्य के प्रति चिंता करना ही बड़ी बात थी, लेकिन राजस्थानी प्रवासियों ने तो बड़ी मदद करते हुए ऑक्सीजन प्लांट और टैंकर तक भेजकर मानव सेवा का अनूठा उदाहरण पेश किया है। कोरोना महामारी के बेहद कठिन समय में राज्य सरकारों के प्रयासों के साथ-साथ प्रवासी भाई-बहनों से मिले इस सहयोग से हममें कोरोना संक्रमण के खिलाफ जीत की आशा और विश्वास का संचार हुआ है। यह एक ऐसी जंग है, जिसका मुकाबला सभी वर्गों, जाति-धर्मों एवं विचारधाराओं के लोगों को साथ लेकर ही किया जा सकता है।
वीडियो कॉन्फ्रेंस कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, दुबई, युगांडा, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम सहित अन्य देशों में कार्यरत विशेषज्ञ चिकित्सकों तथा चेन्नई, पुरी आदि शहरों में रह रहे उद्यमी प्रवासी राजस्थानियों ने सवांद किया। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण के नियंत्रण के लिए किये जा रहे प्रयासों की सराहना की और इस लड़ाई में राज्य सरकार के माध्यम से प्रदेशवासियों की मदद को आने वाले दिनों में आवश्यकतानुसार और अधिक बढ़ाने की पेशकश की। उन्होंने वंचितों की मदद करने, राजस्थानी युवाओं को विदेशों में पढ़ाई और रोजगार के लिए अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रशिक्षित करने, प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास और विस्तार में सहयोग के प्रस्ताव भी दिये।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने भी राजस्थानी प्रवासियों एवं चिकित्सकों का उनके द्व��रा कोरोना से लड़ने के लिए की जा रही मदद के लिए आभार व्यक्त किया। उद्योग मंत्री श्री परसादी लाल मीणा तथा एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भंडारी ने भी विचार व्यक्त किए।
राजस्थान फाउंडेशन के आयुक्त श्री धीरज श्रीवास्तव ने बताया कि कई देशों में कार्यरत ‘डोरी’ से जुड़े 112 विशेषज्ञ चिकित्सक डिजिटल प्लेटफार्म ‘वंडरएक्स’ के माध्यम से राजस्थान के सुदूर क्षेत्रों में चिकित्सकीय परामर्श देने की सहमति देकर इस ऐप से जुड़ चुके हैं। आने वाले दिनों में अन्य चिकित्सक इस पहल में शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि राजस्थान फाउंडेशन के माध्यम से राजस्थानी प्रवासियों ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में बड़ी संख्या में चिकित्सा उपकरण एवं अन्य संसाधन उपलब्ध करवाए हैं। अभी तक 2500 से अधिक कॉन्सन्ट्रेटर जिलों में पहुंच गए हैं तथा कोविड प्रबंधन के लिए सहायता राशि के रूप में अब तक 40 लाख रूपए दिए हैं। आने वाले दिनों में फाउंडेशन के माध्यम से प्रवासी राजस्थानी राज्य सरकार को और अधिक सहायता एवं उपकरण उपलब्ध करवाएंगे।
कार्यक्रम में स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग, उद्योग राज्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह बामनिया, अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग श्री सुबोध अग्रवाल, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सचिव श्री सिद्धार्थ महाजन, चिकित्सा शिक्षा सचिव श्री वैभव गालरिया, सचिव उद्योग श्री आशुतोष एटी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
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abhay121996-blog · 3 years
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लोगों के जीवन की रक्षा इस्पात उत्पादन से अधिक महत्वपूर्ण: सज्जन जिंदल Divya Sandesh
#Divyasandesh
लोगों के जीवन की रक्षा इस्पात उत्पादन से अधिक महत्वपूर्ण: सज्जन जिंदल
नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) निजी क्षेत्र की कंपनी जेएसडब्ल्यू समूह के चेयरमैन सज्जन जिंदल ने मंगलवार को कहा कि इस समय उनके लिए अपने इस्पात कारखाने में इस्पात का उत्पादन करने से कहीं अधिक बड़ा काम कोविड-19 महामारी से जूझ रहे देश के लागों की जीवन रक्षा के प्रयास में हाथ बंटाना है। उन्होंने कहा कि समूह की इस्पात इकाई रोगियों के लिए जरूरी प्राण रक्षक गैस तरल चिकित्सकीय आस्क्सीजन (एलएमओ) की किल्लत कम करने के लिए इसकी आपूर्ति बढ़ाएगी। उन्होंने संकेत दिया कि आक्सीजन को अस्पतालों को देने के लिए कंपनी अपने इस्पात उत्पादन के साथ समझौता भी कर सकती है। जिंदल ने कहा कि कंपनी के किसी संसाधन की देश को जब तक जरूरत है, तब तक वह उसका त्याग करने को तैयार है। गौरतलब है कि केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के निर्देश पर देश की इस्पात कंपनियों ने अपने कारखानों से एलएमओ विभिन्न राज्यों में अस्पतालों में आक्सीजन की कमी पूरा करने के लिए भेजनी शुरू कर दी है। जिंदल ने एक बयान में कहा कि इस समय ‘ लोगों की जीवन रक्षा करना इस्पात बनाने से ज्यादा जरूरी है। कंपनी के संसाधन की देश को जब तक जरूरत है, उसके लिए उत्पादन का त्याग किया जा सकता है।’ इस्पात मंत्रालय के अनुसार इस्पात विनिर्माण संयंत्र पहले अपने पास 3.5 दिन की जरूरत की आक्सीजन का स्टाक रखते थे। पर आज चिकित्सा की जरूरत को पूरा करने के उन्होंने केवल आधा दिन की जरूरत की ही गैस का रिजर्व रखना शुरू किया है।
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mastereeester · 3 years
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D R D O के सहयोग से कोविड मरीजों के लिए अस्पताल बहुत जल्द [Source: Patrika : India's Leading Hindi News Portal]
D R D O के सहयोग से कोविड मरीजों के लिए अस्पताल बहुत जल्��� [Source: Patrika : India’s Leading Hindi News Portal]
लखनऊ , डीआरडीओ के सहयोग से लखनऊ और वाराणसी में कोविड अस्पताल की स्थापना की कार्यवाही पूर्ण होने वाली है। सभी आवश्यक चिकित्सकीय सुविधाओं से युक्त इन दोनों अस्पतालों के क्रियाशील होने से प्रदेश के चिकित्सा संसाधन और सुदृढ़ होंगे। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इनके सहज संचालन के लिए आवश्यक प्रशिक्षित मानव संसाधन आदि के संबंध में व्यवस्था कर ली जाए। – आमजन को बेड की उपलब्धता की समुचित जानकारी उपलब्ध कराई…
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webvartanewsagency · 3 years
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यूपी में हर रविवार को होगा कंपलीट लॉकडाउन : मुख्यमंत्री
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लखनऊ, 16 अप्रैल (वेबवार्ता)। कोरोना वायरस संक्रमण (Corona Virus) की दूसरी लहर बहुत भयानक होती जा रही है। संक्रमण के बढ़ते प्रसार को को देखते हुए यूपी सरकार ने हर रविवार को कंप्लीट लॉकडाउन (Lockdown) का फैसला किया है। टीम-11 के साथ समीक्षा बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में कोरोना वायरस (Corona Virus) के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए हर रविवार को कंपलीट लॉकडाउन (Lockdown) का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश सरकार का यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है। राज्य में अब सभी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रविवार को पूर्णतया बंदी रहेगी। इस दौरान अति आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी बाजार तथा दफ्तर बंद रहेंगे। इस दिन प्रदेश के सर्वाधिक संक्रमित जिलों में व्यापक सेनेटाइजेशन अभियान चलेगा। राज्य के सभी ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में रविवार को साप्ताहिक बन्दी होगी। इस अवधि में केवल स्वच्छता, सैनिटाइजेशन और आपातकालीन सेवाओं ही संचालित होंगी। इस संबंध में आवश्यक जागरूकता कार्य भी किए जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार प्रत्येक नागरिक के जीवन और जीविका की सुरक्षा के लिए संकल्पित है। कोविड (covid) के कारण लोगों को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसके लिए सभी जरूरी प्रयास किए जाए। भरण-पोषण भत्ता के पात्र लोगों की सूची अपडेट कर ली जाए। सरकार जल्द ही इन्हें राहत राशि प्रदान करेगी। अंत्योदय सहित विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत राशन वितरण कार्य की व्यवस्था की समीक्षा कर ली जाए। सरकार सभी जरूरतमंदों को राशन और भरण-पोषण भत्ता उपलब्ध कराएगी। कोविड (covid) की रोकथाम से संबधी कार्यों में विगत वर्ष विधायक निधि उपयोगी सिद्ध हुई थी। इस वर्ष भी कोविड केयर फंड की नियमावली के अनुरूप विधायकगणों की अनुशंसा पर उनकी निधि का कोविड प्रबंधन में उपयोग किया जा सकता है। पंचायत चुनावों का पहला चरण अत्यंत शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुआ। जिन क्षेत्रों में माहौल बिगाड़ने की कतिपय कोशिश हुई है, इसमें संलिप्त लोगों के विरुद्ध कठोर विधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। यह कार्रवाई अन्य चरण के चुनावों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करेगी। प्रदेश में सभी के लिए मास्क लगाना अनिवार्य है। पहली बार मास्क के बिना पकड़े जाने पर 1000 का जुमार्ना लगाया जाए। अगर दूसरी बार बिना मास्क के पकड़ा जाए तो दस गुना अधिक जुमार्ना लगाया जाना चाहिए। कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी जैसे अधिक संक्रमण दर वाले सभी 10 जिलों में व्यवस्था और सु²ढ़ करने की आवश्यकता है। स्थानीय जरूरतों के अनुसार नए कोविड (covid) हॉस्पिटल बनाए जाएं। बेड्स बढ़ाये जाएं। निजी हॉस्पिटल को कोविड हॉस्पिटल के रूप में परिवर्तित किया जाए। प्रयागराज में अविलंब यूनाइटेड मेडिकल कॉलेज को डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल के रूप में परिवर्तित किया जाए। 108 की आधी एम्बुलेंस केवल कोविड (covid) मरीजों के उपयोगार्थ रखी जाए। इस कार्य में कतई देरी न हो। होम आइसोलेशन के मरीजों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाए। एम्बुलेंस का रिस्पॉन्स टाइम कम से कम हो। ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सकीय जरूरतों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। कोविड प्रबंधन से जुड़े कार्यों के लिए धन की कोई कमी नहीं है। सभी जनपदों में क्वारन्���ीन सेंटर संचालित किए जाएं। क्वॉरन्टीन सेंटरों में आवश्यक चिकित्सकीय सुविधाओं के साथ-साथ भोजन और शयन की समुचित व्यवस्था हो। डेडिकेटेड कोविड (covid)हॉस्पिटल की संख्या बढ़ाई जाए। एल-2 व एल-3 स्तर के अस्पतालों की संख्या में लागातर बढ़ोतरी की जाए। कहीं भी बेड की कमी कतई न हो। अस्पतालों में प्रशिक्षित मानव संसाधन की व्यवस्था सुनिश्चित करें। राज्य में हर दिन सवा 02 लाख से अधिक कोविड (covid) टेस्ट हो रहे हैं। इसे और विस्तार दिए जाने की आवश्यकता है। कोविड से लड़ाई में टेस्टिंग अत्यंत महत्वपूर्ण हथियार है। अन्य प्रदेशों से आने वाले यात्रियों व लोगों के लिए एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन तथा बस स्टेशनों पर रैपिड एन्टीजन टेस्ट की व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। Read the full article
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sanmarglive · 4 years
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कोरोना वायरस पर आयोजित प्रधानमंत्री की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल हुए मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार कोरोना वायरस पर आयोजित प्रधानमंत्री की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल हुए मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार पटना, 27 अप्रैल 2020 :- कोरोना वायरस पर आयोजित प्रधानमंत्री की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार शामिल हुए। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने में केंद्र, राज्य सरकार और आम जनता के सामूहिक प्रयास की सराहना की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए किए जा रहे कार्यों तथा भविष्य की रणनीति पर विस्तृत चर्चा की गई। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पुनः सभी लोगों के साथ उपयोगी कार्यक्रम में भाग लेने का और कई बिंदुओं पर चर्चा करने का मौका मिला। इसके अलावे भी प्रधानमंत्री जी से अलग से बातचीत होती रहती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी और केंद्र सरकार के पास विभिन्न देशों की सूचनाएं, विशेषज्ञों के सुझाव एवं राज्य के अन्य हिस्सो की सूचनाएं प्राप्त होती हैं, जिनके माध्यम से हमलोगों को भी जानकारी मिलती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में 14 अप्रैल के पहले राज्य में कोरोना संक्रमण के 66 पॉजिटिव मामले थे और आज तक 290 मामले हो चुके हैं। शुरु में विदेश से आए लोगों के कारण राज्य में कुछ कोरोना संक्रमण के मामले आए उनकी जांच की गई और उनका इलाज भी कराया गया। अब तक कोरोना संक्रमित 56 मरीज स्वस्थ्य होकर घर भी लौट चुके हैं। राज्य के 22 जिलों के 48 प्रखंडों में कोरोना से संक्रमित मामले सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना की जांच के लिए 6 लैब काम कर रहे हंै, जिससे जांच में तेजी आयी है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए हमलोगों ने पूरे राज्य में पल्स-पोलियो अभियान की तर्ज पर डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग करा रहे हैं। अब तक 75 लाख परिवारों के 4 करोड़ से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। हमलोगों ने पूरे बिहार में एक-एक घर की जांच का निर्णय लिया है। वर्ष 2006 में पूरे राज्य में पल्स-पोलियो अभियान चलाया गया था, जिससे राज्य से पोलियो का उन्मूलन हुआ था, जिसकी प्रशंसा सभी जगह हुई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान के कोटा में कोचिंग संस्थान में बिहार के छात्र भी बड़ी संख्या में पढ़ते हैं। कुछ राज्य अपने छात्रों को वहां से वापस बुलाए हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से कोटा के छात्रों के संबंध में कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के गाइड लाइन के अनुरुप हमलोग लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। जब तक नियमों में संषोधन नहीं होगा तब तक किसी को भी वापस बुलाना संभव नहीं है। केन्द्र सरकार इसके लिये आवष्यक दिषा निर्देष जारी करे। कोटा ही नहीं देष के अन्य हिस्सों में भी बिहार छात्र/छात्रायें पढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में बिहार के लोग जो बाहर फंसे हैं उन्होंने फोन के माध्यम से आपदा प्रबंधन विभाग, स्थानिक आयुक्त के कार्यालय, बिहार भवन नई दिल्ली और मुख्यमंत्री कार्यालय में अपनी समस्याएं बतायीं। अब तक ऐसे 1 लाख से अधिक फोन कॉल्स एवं मैसेजेज आ चुके हैं। ऐसे लोगों से फीडबैक लेकर उनकी समस्याओं के समाधान के लिए काम किए जा रहे हैं। हमलोगों ने राज्य के बाहर फंसे बिहार के मजदूरों एवं जरुरतम व्यक्तियों के लिए सहायता राशि के रुप में मुख्यमंत्री विशेष सहायता अंतर्गत 1,000 रुपये देने का निर्णय किया था। इस संबंध में अब तक 25 लाख आवेदन आ चुके हैं, जिनमें से 15 लाख लोगों के खाते में 1000 रुपए की राशि अंतरित की जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए एकजुट होकर अच्छा काम कर रहा है। केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के अनुरुप तो काम किए ही जा रहे हैं, साथ ही कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हमलोग भी अपने स्तर से राज्य में अतिरिक्त कार्य कर रहे हैं। राज्य के अधिकारीगण, पुलिस पदाधिकारी, चिकित्सकगण पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं और इसमें राज्यवासियों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन कब तक जारी रहना है यह निर्णय केंद्र सरकार को करना है। इस मामले में विशेषज्ञों की राय ली जा सकती है। केंद्र सरकार का लॉकडाउन के संबंध में जो भी फैसला होगा हम उसका अनुपालन करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के साथ-साथ अन्य बीमारियों के इलाज के लिये हमलोग अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ा रहे हैं। इसके लिये बिहार को अतिरिक्त संख्या में वेंटीलेटर तथा टेस्टिंग किट्स की आवष्यकता है। राज्य में क्वारंटाइन केंद्र की संख्या बढ़ायी गई है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग रह रहे हैं और उन्हें भोजन, आवासन एवं चिकित्सकीय जांच की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। राज्य में स्वयं सहायता समूह जीविका के माध्यम से मास्क का निर्माण कराया जा रहा है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अधिक से अधिक टेस्टिंग हो यह हमारा प्रयास है। उन्होंने कहा कि राज्य में बाहर से कुछ लोग अभी भी आ रहे हैं जिनमें कई संक्रमित पाए गए हैं और उनके माध्यम से अन्य लोग भी संक्रमित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरा विनम्र निवेदन है कि जो भी लोग बाहर से भेजे जा रहे हैं उनकी पहले स्वास्थ्य जांच करवा ली जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की गाइडलाइन के अनुरुप कुछ आर्थिक गतिविधियों के संचालन के लिए अनुमति दी गई है, उसके अनुरुप राज्य में कुछ कार्य शुरु किए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्य किए जा रहे हैं। मनरेगा के माध्यम से भी कार्य कराए जा रहे हैं। जल संसाधन विभाग के माध्यम से बाढ़ निरोधक कार्य कराए जा रहे हैं। मजदूर वर्ग के लोगों एवं जरुरतमंदों के जीविकोपार्जन के लिए जो जरुरी आर्थिक गतिविधियां हैं उसे संचालित कराया जा रहा है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जो भी जरुरी कदम हैं वे उठाए जा रहे हैं, साथ ही ए0ई0एस0 और जे0ई0 के प्रकोप से बचाव के लिए जरुरी उपाय किए जा रहे हैं और उसके लिए पहले से ही सावधानी बरती जा रही है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण भी मौसम में कई तरह के बदलाव आ रहे हैं। कल ही ठनका गिरने से राज्य में 12 लोगों की मौत हुई है। लाॅकडाउन की वजह से लोग घरों में थे इस कारण संभवतः क्षति कम हुयी है। लाॅकडाउन के कारण न सिर्फ कोरोना संक्रमण बल्कि अन्य बीमारियों को भी रोकने में मदद मिली है। लोगों को राहत दिलाने के लिए हमसब हमेशा तत्पर रहते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोगों से हमेशा अपील करते हैं कि लोग सरकार के निर्देशों का पालन करें। कोरोना से भयभीत न हों, सजग रहें, सचेत रहें, तभी हमसब सुरक्षित रहेंगे
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kisansatta · 4 years
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भ्रष्टाचारियों का खेल त्रासदी के दौर में भी रोक नहीं पा रही है सरकार : अखिलेश
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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि प्रदेश के वीवीआईपी जनपद गोरखपुर में 25 साल के युवक की कोरोना से हुई पहली मौत अत्यंत दुःखद एवं चिंताजनक है। बस्ती निवासी युवक का गोर��पुर के बाबा राघवदास मेडिकल कालेज अस्पताल में इलाज चल रहा था। मृतक के परिवार के प्रति गहरी संवेदना।
घर लौट रहे जिन लोगों की मौत हो गई है सरकार द्वारा उनके शवों की पहचान कर ससम्मान उनके घरों तक पहुंचाने और 25 लाख रूपए की मदद दिए जाने की तत्काल व्यवस्था हो।
प्रदेश भर में अस्पतालों को बड़े पैमाने पर चिकित्सकीय सामानों की जरूरत है। प्रयागराज में दवाएं खत्म, बांदा में दो वेण्टीलेटर के भरोसे मेडिकल कालेज व अस्पताल। कोरोना से जंग के बीच आजमगढ़ में डाक्टरों के नाम पर जारी हुए 3 हजार माॅस्क कहां गए? त्रासदी के दौर में भी भ्रष्टाचारियों का खेल सरकार रोक नहीं पा रही है। सरकार डाक्टरों एवं पैरामेडिकल स्टाफ के बचाव के लिए सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराने में चूक न करे ताकि बेखौफ होकर ‘जीवन रक्षक‘ अपना काम कर सके।
सरकार को पैरामेडिकल स्टाफ सुनिश्चित कर उनकी तमाम सुविधाऐं उपलब्ध करानी चाहिए। पर्याप्त मात्रा में सैनेटाइजर एवं टेस्टिंग किट की व्यवस्था हो।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि समाजवादी सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई 102-108 एम्बुलेंस सेवा के ड्राईवर, स्टाफ एवं कर्मचारियों को तीन माह से वेतन नहीं मिलने के कारण उन्हें हड़ताल पर जाना पड़ा। ऐसे अवसर पर राज्य सरकार को मानवीय संवेदना का परिचय देना चाहिए जिससे इस बीमारी से लड़ने में कोई कोताही न हो।
अखिलेश ने, फिर सभी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं-समर्थकों से अपील की है कि वे अपनी क्षमता-सामथ्र्य के अनुसार अपने आसपास रह रहे लोगों के भोजन, दवाई, इलाज एवं विश्राम की व्यवस्था करे, यही सच्ची मानव सेवा है।
https://is.gd/DurCfg #GovernmentIsUnableToStopTheGameOfCorruptPeopleEvenInTimesOfTragedyAkhilesh Government is unable to stop the game of corrupt people even in times of tragedy: Akhilesh State, Top #State, #Top KISAN SATTA - सच का संकल्प
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vsplusonline · 4 years
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कोरोना से युवक की मौत पर अखिलेश ने जताया दुख, कहा- भ्रष्टाचार रोकने में सरकार विफल - Corona virus uttar pradesh first death samajwadi party akhilesh yadav yogi govt
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कोरोना से युवक की मौत पर अखिलेश ने जताया दुख, कहा- भ्रष्टाचार रोकने में सरकार विफल - Corona virus uttar pradesh first death samajwadi party akhilesh yadav yogi govt
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कहा- रास्ते में दम तोड़ने वालों का शव घर पहुंचवाए सरकार
अस्पतालों में चिकित्सा उपकरणों की बड़े पैमाने पर जरूरत
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश में कोरोना से पहली मौत की घटना को दुखद बताया है. उन्होंने बुधवार को कहा कि प्रदेश के वीवीआईपी जिले गोरखपुर में कोरोना वायरस के कारण 25 साल के युवक की मौत की घटना अत्यंत दुखद है. उन्होंने इसे चिंताजनक बताया और गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ने वाले बस्ती जिले के निवासी युवक के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की.
कोरोना पर फुल कवरेज के लि‍ए यहां क्ल‍िक करें
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि घर लौट रहे जिन लोगों की मौत हो गई है, सरकार उनके शव की पहचान करा कर पूरे सम्मान के साथ उनके घरों तक पहुंचाए. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि इनके परिजनों को तत्काल 25 लाख रुपये की सहायता राशि भी दी जानी चाहिए. पूर्व मुख्यमंत्री ने व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए और सरकार पर भ्रष्टाचारियों का खेल रोक पाने में विफल रहने का आरोप लगाया.
कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें…
उन्होंने कहा कि राज्य के अस्पतालों को बड़े पैमाने पर चिकित्सकीय उपकरणों की जरूरत है. प्रयागराज में दवाएं खत्म हो गई हैं, तो बांदा में दो वेंटिलेटर के भरोसे मेडिकल कॉलेज और अस्पताल चल रहा है. आजमगढ़ के सांसद ने सवाल किया कि कोरोना से जंग के बीच आजमगढ़ में डॉक्टरों के नाम पर जारी हुए 3 हजार मास्क कहां गए? त्रासदी के दौर में भी सरकार भ्रष्टाचारियों का खेल नहीं रोक पा रही है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के बचाव के लिए सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराने में चूक न करे, जिससे जीवन रक्षक बेखौफ होकर अपना काम कर सकें. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को पैरामेडिकल स्टाफ को भी सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए. पर्याप्त मात्रा में सैनिटाइजर और टेस्टिंग किट की व्यवस्था होनी चाहिए. अखिलेश ने एम्बुलेंस चालकों और कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर भी सरकार को घेरा.
यह भी पढ़ें- कोरोना ने पकड़ी तेजी, देश में 1900 से ज्यादा मरीज, अब तक 58 मौत
उन्होंने अपने कार्यकाल में शुरू हुई 102 और 108 एम्बुलेंस सेवा से जुड़े चालक, स्टाफ को तीन माह से वेतन नहीं मिलने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि इसके लिए उन्हें हड़ताल करनी पड़ी. पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि ऐसे अवसर पर मानवीय संवेदना का परिचय देना चाहिए, जिससे इस बीमारी से लड़ने में कोई कोताही न हो. उन्होंने सपा कार्यकर्ताओं से भी अपने आसपास रह रहे लोगों के भोजन, दवा, उपचार का प्रबंध करने की अपील की. बता दें कि उत्तर प्रदेश में भी कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है.
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confectioneryvixen · 4 years
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RSNA एक COVID-19 इमेजिंग डेटा रिपॉजिटरी की घोषणा करता है
30 मार्च, 2020 – दुनिया भर में मेडिकल इमेजिंग समुदाय इस पते पर मदद करने के लिए एकजुट हो रहा है COVID -19 महामारी। रेडियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (RSNA) के व्यापक शरीर पर निर्माण जारी है COVID-19 अनुसंधान और शिक्षा संसाधन, एक COVID-19 इमेजिंग डेटा रिपॉजिटरी के निर्माण के लिए एक नई पहल की घोषणा।
खुला डेटा भंडार COVID-19 अनुसंधान और शिक्षा प्रयासों के लिए एक व्यापक स्रोत बनाने के लिए दुनिया भर के संस्थानों, प्रथाओं और समाजों से छवियों और सहसंबंधी डेटा को संकलित करेगा। इमेज होस्टिंग, एनोटेशन और एनालिसिस फ्रेमवर्क शोधकर्ताओं को महामारी विज्ञान के रुझानों को समझने और COVID-19 रोग का पता लगाने, अन्य निमोनिया से भेदभाव और प्रोग्नोसिस या थेरेपी प्लानिंग के लिए सीटी पर फेफड़ों की भागीदारी की मात्रा में सहायता करने के लिए नए एआई एल्गोरिदम को उत्पन्न करने में सक्षम करेगा।
“RSNA COVID -19 के निदान और इमेजिंग-आधारित उपचार को संबोधित करने के लिए चिकित्सा इमेजिंग के उपयोग पर सहयोगी अनुसंधान और शिक्षा में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्ध है,” कहा। कर्टिस पी। लैंग्लॉट्ज़, एम.डी., पीएच.डी., सूचना प्रौद्योगिकी और वार्षिक बैठक के लिए RSNA बोर्ड संपर्क। “क्योंकि RSNA दुनिया भर के रेडियोलॉजिस्टों को जोड़ने में अग्रणी है, इसलिए हमें इमेजिंग डेटा साझा करने में रुचि रखने वाले संगठनों से अनुरोधों की एक लहर मिली है, साथ ही अनुसंधान और शिक्षा के लिए ऐसे डेटा तक पहुंच प्राप्त करने वाले व्यक्तियों और संगठनों से भी।
इन अनुरोधों के जवाब में, RSNA जारी कर रहा है सर्वेक्षण रेडियोलॉजी संगठनों के प्रतिनिधियों के लिए जो COVID-19-संबंधित इमेजिंग डेटा साझा करने के लिए तैयार हो सकते हैं। सर्वेक्षण RSNA अंतर्राष्ट्रीय COVID-19 इमेजिंग अनुसंधान और शिक्षा के प्रयासों के लिए एकीकृत भंडार में सभी उपलब्ध संसाधनों को एकत्र करने में मदद करेगा।
यह पहल छवि डेटा साझाकरण, अनुसंधान और तकनीकी नवाचार को सक्षम करने के आरएसएनए के लंबे इतिहास पर आधारित है। 20 से अधिक वर्षों के लिए, RSNA ने DICOM, IHE, RadLex, Image Share और QIBA सहित डेटा मानकों के विकास और कार्यान्वयन को प्रायोजित किया है। पिछले कुछ वर्षों में, आरएसएनए ने चिकित्सकीय इमेजिंग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के अनुप्रयोग में डेटा एकत्र करने और लेबलिंग करने और प्रतियोगिताओं के आयोजन में तेजी लाने में मदद की है, जो नैदानिक ​​रूप से प्रासंगिक कार्यों को करने के लिए एआई सिस्टम की क्षमता का परीक्षण करने के लिए हजारों टीमों को संलग्न करते हैं।
उन प्रयासों की तरह, COVID-19 इमेजिंग डेटा रिपॉजिटरी की सफलता कई अन्य इच्छुक संगठनों के साथ सहयोग पर निर्भर करेगी। आज, RSNA के साथ निकट सहयोग करने के लिए एक समझौते की घोषणा कर रहा है यूरोपीय इमेजिंग COVID-19 AI पहलद्वारा समर्थित है चिकित्सा इमेजिंग सूचना विज्ञान की यूरोपीय सोसायटी।
संगठनों ने AI के साथ अधिक सटीक रूप से फेफड़े की भागीदारी का आकलन कर��े के लिए, COVID-19 इमेजिंग को साझा करने का सुरक्षित तरीका बनाने का सामान्य लक्ष्य व्यक्त किया। वे शोधकर्ताओं और गोपनीयता सिद्धांतों का सम्मान करते हुए अस्पतालों को सुरक्षित रूप से और कुशलता से इमेजिंग डेटा प्रदान करने में अस्पतालों को सक्षम बनाने में सहयोग करेंगे। वे शोधकर्ताओं और चिकित्सकों के लिए एक उपकरण के रूप में COVID-19 से जुड़े इमेजिंग डेटा के चयन और लेबलिंग के लिए प्रोटोकॉल को परिभाषित और प्रकाशित करेंगे। अन्य इच्छुक संगठनों को जानकारी साझा करने के लिए इस गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है और COVID-19 के लिए तेजी से प्रतिक्रिया की सुविधा मिलती है।
संगठनों से अनुरोध है कि वे इसका उपयोग करें सर्वेक्षण प्रपत्र यहाँ से जुड़ा हुआ है (bit.ly/rsna-covid-data) COVID-19 इमेजिंग डेटा के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए वे अनुसंधान के लिए साझा हिस्सा हो सकते हैं। 15 अप्रैल, 2020 तक प्रतिक्रियाओं का अनुरोध किया जाता है।
अधिक जानकारी के लिए: www.rsna.org
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yourwellnes · 4 years
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नर्सों के मनोवैज्ञानिक आघात ने कोरोनोवायरस से बहुत पहले शुरू किया था
COVID-19 महामारी के दौरान, नर्सों को उनके दैनिक, निस्वार्थ बलिदानों के लिए अभूतपूर्व मीडिया ध्यान दिया गया है। कोई गलती न करें: COVID-19 रोगियों को उनके द्वारा प्राप्त नर्सिंग सेवाओं के कारण काफी हद तक ठीक हो जाता है। फिर भी, नर्सों द्वारा प्रदान की जाने वाली देखभाल की परतों के भीतर छिपे हुए मनोवैज्ञानिक आघात हैं।
अब, जब नर्सों को महामारी के दौरान स्वास्थ्य देखभाल नायकों के रूप में देखा जाता है, तो हमें इन मनोवैज्ञ��निक चोटों के बारे में क्या करना है, न केवल अमेरिका में 4 मिलियन नर्सों के लिए - अमेरिका में सबसे बड़ी स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल - बल्कि बाकी के लिए। हम में से जो उन पर निर्भर हैं।
पिछले पांच वर्षों से, मैंने मनोवैज्ञानिक आघात के प्रकारों की जांच की है जो नर्सों के अनुभव को दर्शाता है। डॉ। जॉन थॉम्पसन के साथ, मेरे सह-लेखक, मैंने उन्हें हमारी 2019 की पुस्तक में वर्णित किया है, क्योंकि यह COVID-19 के चीन में पहली बार छपने से छह महीने पहले प्रकाशित हुआ था।
महामारी से पहले, नर्सों को आपदाओं और अन्य आपात स्थितियों के दौरान नैतिक और व्यक्तिगत सुरक्षा दुविधाओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने देखा कि मरीज केवल बीमारी से ही पीड़ित हैं, बल्कि स्वास्थ्य देखभाल के हस्तक्षेप के कारण, अन्यथा चिकित्सकीय रूप से प्रेरित आघात (वेंटिलेटर पर एक मरीज के बारे में सोचें) के रूप में जाना जाता है।
पुस्तक प्रकाशित होने के बाद एक अनुवर्ती अध्ययन में, मैंने नर्सों से गहरी, खोदी गई जानकारी एकत्र की, और एक अन्य प्रकार की मनोवैज्ञानिक चोट का पता चला: अपर्याप्त संसाधन आघात। यह तब होता है जब नर्सों के पास नैतिक या पेशेवर जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए अन्य पेशेवरों के लिए स्टाफ, आपूर्ति, ज्ञान या पहुंच नहीं होती है। महामारी इस तत्काल चिंता को देखने के लिए एक अंधेरे उत्प्रेरक रही है। 32,000 नर्सों के एक सर्वेक्षण में, जो अमेरिकी नर्स एसोसिएशन द्वारा पूरी की गई थी, 68% नर्सों ने कहा था कि वे कम कर्मचारी हैं और 87% काम करने के लिए जाने से बहुत डरती हैं।
दशकों तक बड़े पैमाने पर संसाधनों की मांग को नजरअंदाज किया गया
अपर्याप्त संसाधन आघात का एक बड़ा हिस्सा अपर्याप्त नर्स स्टाफिंग स्तरों से आता है, जिससे नर्सों और रोगियों दोनों के लिए खराब परिणाम हो सकते हैं। इन परिणामों के लिए सबूत, दोनों सम्मोहक और दुनिया भर में लगातार, दो दशकों से अधिक शोध पर आधारित है। जब आप जानते हैं कि वह सही है जब उच्च-दांव वाले वातावरण में पर्याप्त स्टाफिंग नहीं है, तो किसी की भावना को धोखा देने जैसा लगता है। एक नर्स की नैतिकता की भावना, जो सही और गलत है, खतरे में है।
हाल ही में, पूरे अमेरिकी अस्पतालों में PPE (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) की कमी हुई है। लेकिन मुझे पता है कि नियोक्ताओं द्वारा COVID-19 रोगियों की देखभाल के लिए कहा गया था, भले ही पर्याप्त पीपीई उपलब्ध हो या न हो। स्पष्ट रूप से यह नर्सों और रोगियों दोनों के लिए खतरा था; निश्चित रूप से यह एक दर्दनाक अनुभव के रूप में योग्य है।
अन्य नर्सों - कुछ नए, कुछ पहले से गैर-गहन देखभाल में काम कर रहे हैं - उन्हें महत्वपूर्ण देखभाल इकाइयों में तैनात किया गया है। इन जटिल वातावरण की तकनीक को समझने के लिए एक मजबूत सीखने की अवस्था की आवश्यकता होती है। फिर, इन रोगियों के लिए सक्षम देखभाल के लिए ज्ञान को अपर्याप्त संसाधन माना जा सकता है।
मरीजों और नर्सों पर टोल
नर्सें, किसी भी चीज़ से अधिक, उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल देने और अपने सबसे कमजोर समय के दौरान रोगियों से जुड़ने का प्रयास करती हैं। लेकिन अक्सर वहाँ समय नहीं है। उस लक्ष्य को प्राप्त करने में असमर्थता तनाव का कारण बनती है। कल्पना करें कि सुबह का मेड देने के लिए और कैंसर से पीड़ित रोगी के साथ बैठने के बीच चयन करने के लिए मजबूर होना - या COVID-19 के साथ एक मरीज के परिवार के साथ समय बिताना। इस तरह के विकल्प काम पर केंद्रित नर्सों को छोड़ देते हैं और नैतिक रूप से घायल हो जाते हैं।
मेरे पूर्व महामारी अध्ययन में, दर्दनाक नर्सों ने पीटीएसडी (पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) के लक्षणों की रिपोर्ट की: घुसपैठ के विचार, नींद की गड़बड़ी, हाइपवर्जिलेंस, "ब्रेन फॉग" और फ्लैशबैक। वे असुरक्षित, अलग और पेशे से असंतुष्ट महसूस करते थे। नर्सों के रूप में, वे असफलताओं की तरह महसूस करते थे। एक पूर्व बेडसाइड नर्स ने कार्यालय के काम के बजाय छोड़ दिया, जहां उसका "आघात और तनाव का स्तर लगभग कोई भी नहीं है।"
कुछ आघात अपरिहार्य हो सकते हैं। ऐसा तब होता है जब नर्स रोगी के साथ पूरी तरह से जुड़ जाती है और सह-पीड़ित होती है। इसे द्वितीयक या विकारी आघात कहा जाता है। इसलिए हमें नर्स और मरीज दोनों को ट्रॉमा-सूचित देखभाल की पेशकश करने की आवश्यकता है। दूसरों के साथ सार्थक संबंध महत्वपूर्ण है, लेकिन मनोवैज्ञानिक सुरक्षा है।
महामारी ने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं की मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं पर हमारा ध्यान केंद्रित किया है। नर्सिंग संगठनों ने प्रतिक्रिया दी है, और इन प्रयासों की सराहना की जानी है। लेकिन जब तक हम नर्सों की संप्रभुता की सराहना करते हैं, जो किसी अन्य स्वास्थ्य प्रदाता की तरह से अभ्यास करते हैं, आघात से बचने के लिए समाधान रोक दिए जाएंगे। और नर्सें संघर्ष करती रहेंगी।
करुणा ठीक करने में मदद करती है
जबकि मैं कई वर्षों से बिस्तर पर नहीं था, मुझे अभी भी याद है कि अस्पताल में तीव्र देखभाल केंद्र को रिपोर्ट करना कैसा लगता था, उम्मीद है कि किसी ने बीमार को नहीं बुलाया था। जब ऐसा हुआ, तो मुझे एक अतिरिक्त रोगी या दो को सौंपा गया। मैं जानता था कि मैं उस देखभाल को नहीं दे सकता जो मैं पैरापेलिक युवक को चाहता था। मुझे पता था कि मैं अधिक उम्र के वयस्क के साथ संवाद करने में अधिक समय नहीं बिता सकता, जिसके पास अचानक दाएं तरफा स्ट्रोक था। मैं उन्हें उपचार के लिए इतनी महत्वपूर्ण चीजें नहीं दे सकता था - ��ारीरिक देखभाल, नर्सिंग उपस्थिति और उनकी आवश्यकता और करुणा।
वे अनुभव आपके साथ रहते हैं। यह एक भावना की एक बिल्ली है।
नर्सिंग देखभाल एक कला और एक विज्ञान दोनों है; यह एक अलग पेशा है जो उन लोगों पर अत्यधिक प्रभाव डालता है जिन्हें सबसे अधिक सहायता की आवश्यकता होती है। वे केवल अन्य प्रदाताओं के निर्देशों का पालन नहीं करते हैं। यह बुद्धि, निर्णय और देखभाल की भावना पर आधारित किसी भी अन्य के विपरीत एक सुंदर पेशा है। यह सामाजिक न्याय और जीवन की नैतिकता जैसे मूल्यों की जांच करने के लिए एक व्यक्ति को धक्का देता है, और यह एक हिस्सा है जो एक नर्स है।
जब तक हम सभी इस तरह से नर्सिंग नहीं देखते हैं - और जब तक संगठन परिहार्य आघात को रोकने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करते हैं, जो नर्सों को सुरक्षित, गुणवत्ता देखभाल प्रदान करने की अनुमति देगा - नर्सों को नुकसान उठाना जारी रहेगा। अधिक पेशे को छोड़ने का चयन करेगा। विशेष रूप से अब, एक नुकसान समाज बर्दाश्त नहीं कर सकता।
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vartha24-blog · 4 years
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धमतरी: चिकित्सकों की संविदा नियुक्ति के लिए चयन समिति गठित, आज से वॉक इन इंटरव्यू।
सैयद जावेद हुसैन, धमतरी ब्यूरो : कोरोना वायरस महामारी नियंत्रण के मद्देनजर की जा रही संविदा नियुक्ति।
धमतरी- जिले में कोरोना वायरस महामारी नियंत्रण के लिए जिला चिकित्सालय में 08 चिकित्सकों की संविदा नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए कलेक्टर रजत बंसल के द्वारा चयन समिति गठित की गई है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ डीके तुर्रे ने बताया कि जिले में आवश्यकतानुसार चिकित्सकीय मानव संसाधन…
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aapnugujarat1 · 5 years
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सतलुज नदी में पाकिस्तान ने छोड़ा लाखों लीटर जहरीला पानी
दुनिया में पूरी तरह अलग-थलग पड़े और जबरदस्त आर्थिक मुश्किल का सामना कर रहा पाकिस्तान भारत के खिलाफ के साजिश फैलाना जारी रखे हुए है । पाकिस्तान ने अब एक बार फिर अपनी नापाक हरकतों से भारतीय लोगों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास शुरू किया है । पाकिस्तान ने हाल ही में पंजाब से लगने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास बनी अपनी कई टेनरियों से हजारों लीटर जहरीला और प्रदूषित पानी सतलुज नदी में छोड़ा है । पाकिस्तान की इस हरकत से भारतीय इलाके में बने सतलुज नदी के कई तटबंध टूट गए हैं, वहीं गंदे पानी को पीने कारण सीमा के आसपास के गांवों में बीमारी का खतरा बढ़ गया है । पाकिस्तान द्वारा अचानक नदी में ज्यादा पानी छोड़ने से पंजाब के फिरोजपुर जिले में स्थित टेंडीवाला गांव में सतलुज नदी का तटबंध टूटने से आसपास के इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई हैं । बता दें कि बाढ़ के कारण सतलुज नदी भारत में दाखिल होने से पहले पंजाब के कुछ हिस्सों से होकर पाकिस्तान जाती है और इसके बाद फिर भारत में आती है । भारत में दोबारा सतलुज का प्रवेश टेडीवाला के रास्ते ही होता है और इससे पहले पाकिस्तान ने अब यहां सतलुज नदी में टेनिरियों का जहरीला पानी बहाना शुरू कर दिया है, जिसके कारण भारतीय इलाकों में किसानों की फसलों और स्वास्थ्य को काफी नुकसान होता हुआ है । प्रशासनिक अधिकारियों ने पहले ही सतलुज नदी में पानी का जलस्तर बढ़ता देख हालात की समीक्षा की थी और सीएम अमरिंदर सिंह ने रविवार को सेना के साथ मिलकर नदी के तटबंध को और मजबूत बनाने के निर्देश दिए थे । भले ही सेना के प्रयास से फिलहाल टेंडीवाला गांव में नदी के टूटे हुए तटबंध को दुरुस्त कर लिया गया हो, लेकिन फिरोजपुर के तमाम गांवों में जहरीले पानी के कारण जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ गया है । सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रविवार को हुई एक हाई लेवल मीटिंग में राज्य के प्रमुख सचिव (जल संसाधन) को टेंडीवाला गांव के तटबंधों को और मजबूत कराने और स्थितियों पर पूरी सतर्कता बरतने के लिए कहा है । इसके अलावा सीएम ने फिरोजपुर के डीसी चंदर गैंड को एनडीआरएफ की टीमों को तैयार रखने के लिए कहा है । गैंड ने सीएम को जानकारी देते हुए बताया कि बाढ़ की स्थितियों को देखते हुए माखू और हुसैनीवाला गांवों के ५०० से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है । इसके अलावा ६३० लोगों को चिकित्सकीय सहायतता भी दी गई है । डीसी ने कहा कि भारत से सतलुज में जितना पानी पाकिस्तान की ओर जा रहा है, वापसी में उससे दो गुना ज्यादा प्रदूषित पानी भारतीय इलाकों में बह रहा है । पंजाब के फिरोजपुर जिले में बाढ़ के कारण कुल १६८९ लोग प्रभावित हुए हैं, जिन्हें मोबाइल हेल्थ टीमों की निगरानी में रखा गया है । इसके अलावा ६५५ मरीजों को यहां बनाई गई ओपीडी में चिकित्सकों की टीम के पास भेजा गया है । सीएम ने अधिकारियों को हर परीस्थिति के लिए तैयार रहने का निर्देश देते हुए लोगों को संभव मदद देने का आदेश दिया है । इसके अलावा फिरोजपुर, रोपड़ और कपूरथला जिलों में बाढ़ के कारण किसानों को हुए नुकसान के आकलन के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करने को कहा गया है । बता दें कि पंजाब सरकार ने पूर्व में ही पीएम नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखकर राज्य में बाढ़ से राहत के लिए १००० करोड़ रुपये का विशेष पैकेज देने की मांग की है । शुरुआती अनुमान के कारण इस साल बाढ़ से पंजाब को करीब १७०० करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है । पंजाब की बाढ़ की स्थितियों के बीच जल्द ही केंद्र सरकार अपना एक प्रतिनिधिमंडल यहां दौरे के लिए भेजने जा रही है, जो कि राज्य में बाढ़ के कारण हुए नुकसान की समीक्षा करेगा । Read the full article
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ashokgehlotofficial · 3 years
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प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में कोविड-19 महामारी की बढ़ती गति से दो कदम आगे बढ़कर संक्रमण को रोकने तथा समुचित इलाज की पुख्ता तैयारी सुनिश्चित करें। इस मुश्किल घड़ी में राज्य सरकार लोगों की जीवन रक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
निजी लैब और अस्पतालों में कोरोना के लिए आरटीपीसीआर जांच की दर घटाकर 350 रूपए करने के निर्देश दिए, जो देश में सबसे कम होगी।
स्वास्थ्य विभाग तथा जिला प्रशासन हर जिले में कोरोना प्रबंधन के लिए अधिकाधिक संसाधन जुटाएं। किसी भी स्तर पर कोई कमी नहीं रहे। हमारे लिए हर व्यक्ति की जान कीमती है। राजस्थान के सभी जिलों में ऑक्सीजन सप्लाई के लिए मानचित्र पर रूटचार्ट बनाने के निर्देश दिए, ताकि आवश्यकता बढ़ने पर सभी जगहों पर जल्द से जल्द मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
कुछ स्थानों पर आरटीपीसीआर जांचों की रिपोर्ट में हो रही देरी को गंभीरता से लिया। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को वस्तुस्थिति से अवगत कराने तथा अनियमितता करने वाली लैब्स एवं कार्मिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। महामारी के समय में इस तरह की लापरवाही से ने केवल संक्रमण बढ़ता है बल्कि यह स्थिति किसी के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है।
चिकित्सा विशेषज्ञों और अधिकारियों के साथ विभिन्न जिलों में कोविड मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन तथा मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता पर विस्तार से चर्चा की। चिकित्सकों द्वारा इन जीवन रक्षक दवाओं का तार्किक और आवश्यकता के अनुरूप उपयोग सुनिश्चित करने के लिए रेमडेसिविर और ऑक्सीजन सिलेण्डर के विशेष प्रोटोकॉल जारी करने का सुझाव दिया। इस संबंध में जिला अस्पतालों तथा अन्य अस्पतालों के चिकित्सक एसएमएस सहित विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञों के साथ चर्चा कर सकते हैं, जिससे किसी भी जरूरी संसाधन का व्यर्थ उपभोग नहीं हो।
जिलों अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों पर बिना लक्षण वाले तथा कम गंभीर कोरोना मरीजों का दबाव घटाने के लिए कोविड केयर सेंटर तथा संस्थागत क्वारंटाइन सुविधाएं स्थापित करने के निर्देश दिए। इन केन्द्रों पर मरीजों के लिए भोजन की व्यवस्था इंदिरा रसोई योजना के माध्यम से की जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर इंदिरा रसोई से भोजन के पैकेट क्वारंटाइन तथा कोविड केयर सेंटरों पर वितरित किए जा सकेंगे।
चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि शनिवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के साथ 11 राज्यों के चिकित्सा मंत्रियों की विशेष चर्चा हुई है। इस बैठक में उन्होंने केन्द्रीय मंत्री को राजस्थान में संक्रमण के प्रसार की स्थिति तथा उपलब्ध संसाधनों का विवरण दिया। साथ ही, मरीजों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि के दृष्टिगत प्रदेश के लिए रेमडेसिविर और मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने की मांग की।
मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने बताया कि सभी जिला कलक्टरों को कोविड केयर और क्वारंटाइन तथा आइसोलेशन केन्द्रों के संचालन के लिए एसडीआरएफ के फंड का उपयोग करने के लिए अधिकृत कर दिया गया है। साथ ही, स्थानीय स्तर पर चिकित्सकीय उपकरणों की खरीद के लिए आरटीपीपी एक्ट के नियमों में शिथिलता देते हुए आवश्यकता के अनुसार बिना निविदा के खरीद की प्रक्रिया अपनाने के लिए भी निर्देश दिए हैं।
शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि एसडीआरएफ की निधि के उपयोग के लिए केन्द्र सरकार से भी दिशा-निर्देश प्राप्त हो गए हैं। जिला कलक्टर राहत शिविर तथा क्वारंटाइन केन्द्रों आदि में विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए इस निधि का उपयोग कर सकते हैं। श्री महाजन ने बताया कि प्रदेश में शनिवार को कुल पॉजिटिव केसेज की संख्या 60 हजार पहुंच गई है। संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने घर-घर सर्वेक्षण शुरू किया है, ताकि संभावित मरीजों को जल्द से जल्द चिन्हित कर आइसोलेट किया जाए और उनका तुरंत इलाज शुरू किया जाए, ताकि अस्पतालों पर मरीजों का दबाव नहीं बढ़े।
बैठक में चिकित्सा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग, पुलिस महानिदेशक श्री एमएल लाठर, प्रमुख सचिव गृह श्री अभय कुमार, शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा श्री वैभव गालरिया, शासन सचिव स्वायत्त शासन श्री भवानी सिंह देथा, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भण्डारी, चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. वीरेन्द्र सिंह सहित अन्य उच्च अधिकारी उपस्थित थे। आरयूएचएस के कुलपति डॉ. राजाबाबू पंवार, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक, जिला कलक्टर एवं मेडिकल कॉलेजों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी तथा सीएमएचओ वीसी के माध्यम से बैठक से जुड़े।
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abhay121996-blog · 3 years
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यूपी में हर रविवार को होगा कंपलीट लॉकडाउन : मुख्यमंत्री Divya Sandesh
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यूपी में हर रविवार को होगा कंपलीट लॉकडाउन : मुख्यमंत्री
लखनऊ। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर बहुत भयानक होती जा रही है। संक्रमण के बढ़ते प्रसार को को देखते हुए यूपी सरकार ने हर रविवार को कंप्लीट लॉकडाउन का फैसला किया है। टीम-11 के साथ समीक्षा बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए हर रविवार को कंपलीट लॉकडाउन का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ��ा यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है। राज्य में अब सभी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रविवार को पूर्णतया बंदी रहेगी। इस दौरान अति आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी बाजार तथा दफ्तर बंद रहेंगे। इस दिन प्रदेश के सर्वाधिक संक्रमित जिलों में व्यापक सेनेटाइजेशन अभियान चलेगा।
राज्य के सभी ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में रविवार को साप्ताहिक बन्दी होगी। इस अवधि में केवल स्वच्छता, सैनिटाइजेशन और आपातकालीन सेवाओं ही संचालित होंगी। इस संबंध में आवश्यक जागरूकता कार्य भी किए जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार प्रत्येक नागरिक के जीवन और जीविका की सुरक्षा के लिए संकल्पित है। कोविड के कारण लोगों को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसके लिए सभी जरूरी प्रयास किए जाए। भरण-पोषण भत्ता के पात्र लोगों की सूची अपडेट कर ली जाए। सरकार जल्द ही इन्हें राहत राशि प्रदान करेगी। अंत्योदय सहित विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत राशन वितरण कार्य की व्यवस्था की समीक्षा कर ली जाए। सरकार सभी जरूरतमंदों को राशन और भरण-पोषण भत्ता उपलब्ध कराएगी।
कोविड की रोकथाम से संबधी कार्यों में विगत वर्ष विधायक निधि उपयोगी सिद्ध हुई थी। इस वर्ष भी कोविड केयर फंड की नियमावली के अनुरूप विधायकगणों की अनुशंसा पर उनकी निधि का कोविड प्रबंधन में उपयोग किया जा सकता है।
पंचायत चुनावों का पहला चरण अत्यंत शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुआ। जिन क्षेत्रों में माहौल बिगाड़ने की कतिपय कोशिश हुई है, इसमें संलिप्त लोगों के विरुद्ध कठोर विधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। यह कार्रवाई अन्य चरण के चुनावों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करेगी।
प्रदेश में सभी के लिए मास्क लगाना अनिवार्य है। पहली बार मास्क के बिना पकड़े जाने पर 1000 का जुमार्ना लगाया जाए। अगर दूसरी बार बिना मास्क के पकड़ा जाए तो दस गुना अधिक जुमार्ना लगाया जाना चाहिए। कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी जैसे अधिक संक्रमण दर वाले सभी 10 जिलों में व्यवस्था और सु²ढ़ करने की आवश्यकता है। स्थानीय जरूरतों के अनुसार नए कोविड हॉस्पिटल बनाए जाएं। बेड्स बढ़ाये जाएं। निजी हॉस्पिटल को कोविड हॉस्पिटल के रूप में परिवर्तित किया जाए। प्रयागराज में अविलंब यूनाइटेड मेडिकल कॉलेज को डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल के रूप में परिवर्तित किया जाए।
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108 की आधी एम्बुलेंस केवल कोविड मरीजों के उपयोगार्थ रखी जाए। इस कार्य में कतई देरी न हो। होम आइसोलेशन के मरीजों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाए। एम्बुलेंस का रिस्पॉन्स टाइम कम से कम हो। ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सकीय जरूरतों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
कोविड प्रबंधन से जुड़े कार्यों के लिए धन की कोई कमी नहीं है। सभी जनपदों में क्वारन्टीन सेंटर संचालित किए जाएं। क्वॉरन्टीन सेंटरों में आवश्यक चिकित्सकीय सुविधाओं के साथ-साथ भोजन और शयन की समुचित व्यवस्था हो।
डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल की संख्या बढ़ाई जाए। एल-2 व एल-3 स्तर के अस्पतालों की संख्या में लागातर बढ़ोतरी की जाए। कहीं भी बेड की कमी कतई न हो। अस्पतालों में प्रशिक्षित मानव संसाधन की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
राज्य में हर दिन सवा 02 लाख से अधिक कोविड टेस्ट हो रहे हैं। इसे और विस्तार दिए जाने की आवश्यकता है। कोविड से लड़ाई में टेस्टिंग अत्यंत महत्वपूर्ण हथियार है। अन्य प्रदेशों से आने वाले यात्रियों व लोगों के लिए एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन तथा बस स्टेशनों पर रैपिड एन्टीजन टेस्ट की व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।
–आईएएनएस
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